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(14-04-2020, 09:58 AM)Niharikasaree Wrote: विद्या जी,
नमस्कार और जय श्री कृष्णा
"निहारिका जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद कोमल जी की अनुपस्थिति में आप बिल्कुल भी इस थर्ड को सुना नहीं होने देती हैं"
विद्या जी, यह कुछ सुनेहेरे शब्द सीधे दिल मैं उतर गए, तहे दिल से शुक्रिया आपका।
इस बात से तो मैं भी एकदम सहमत हूँ , मैं भी थ्रेड खोलती हूँ तो सबसे पहले आप के कमेंट्स पर
एकदम सतसइया के दोहरे , ... देखत में छोटे लगें
एक एक शब्द , रस और अनुभव से भरपूर ,
अगली पोस्ट जल्द ही दूंगी
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(16-04-2020, 08:44 AM)komaalrani Wrote: इस बात से तो मैं भी एकदम सहमत हूँ , मैं भी थ्रेड खोलती हूँ तो सबसे पहले आप के कमेंट्स पर
एकदम सतसइया के दोहरे , ... देखत में छोटे लगें
एक एक शब्द , रस और अनुभव से भरपूर ,
अगली पोस्ट जल्द ही दूंगी
कोमल जी,
अब क्या करे आप है ही इतनी प्यारी, और बाते उस से भी प्यारी, याद तो आना ही है. आते ही सबसे पहले "कोमल जी" के कोई उपदटेस।।।।।।
अगर नहीं, तो कुछ यहाँ - वहां देखा, पर बैचनी के कारण उदास होकर बंद ही कर देती हूँ. एक आदत सी हो गई है.
होली - चोली का मेल , अब कहाँ देखने को मिलता हैं शहरो मैं, वास्तिवकता मैं आजकल होली, आधे दिन का त्यौहार रह गया है. अब तो कोमल जी के साथ , होली का आनंद लेंगे हम लोग.
उपदटेस की "देरी" समझ आती है दिमाग को, पर "दिल" का क्या करे, आखिर जुड़े तो दिल से ही हैं न.
देर से ही सही, आने दो जी , हम इंतज़ार कर लेंगे। दिल की बात है.
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(16-04-2020, 08:20 AM)komaalrani Wrote: कुसुम जी होली मस्ती का त्यौहार ही है , होली की तुक इसीलिए तो चोली से मिलती है , अगर होली में चोली के अंदर हाथ न जाए तो क्या होली हुयी , मायके में भाभियों के साथ ,... और ससुराल में नन्दोई देवर तो फागुन लगते ही ,.. और मैं तो गाँव की हूँ , वो भी बनारस की तो वहां तो होली और ,... लेकिन अभी तय नहीं है की मेरी पहली होली कहाँ होगी , ससुराल में सब कहते हैं बहु की पहली होली ससुराल में होनी चाहिए , और मेरे मायके में , बनारस में , ... नहीं नहीं मेरे लिए नहीं, इनकी सालियाँ सलहजें तो छोड़िये , सास भी ,... इनके साथ ,... अब देखिये मेरी सास क्या फैसला सुनाती हैं , ...
कोमल जी ये आंखे अपलक निहार रही है आप की होली को ,
उस मस्ती को अब लगता है इंतज़ार ज्यादा नहीं रह गया है !
जो भी सासु माँ का फैसला हो पर जहाँ कोमल है वहां कमाल तो होगा ही ये तो तय है !
कोमल जी आप की कहानियों की बहुत बड़ी चहेती हूँ मैं
किस को पता था,JKG, फ़ागुन के दिन चार,इन महान रचनाओं के बाद मोहे रंग दे जैसी उत्कृष्ट रचना पढ़ने को मिलेगी
आप की कलम ने इस प्रेम साहित्य में जो पुष्प अर्पित किए है कोई और नहीं कर पाया
लेखक लेखिकाएं अनगिनत हुए पर प्रेम की पीर की कोई ऐसी लेखिका आप जैसी दूसरी नहीं है
" दे कर पंखुड़ियां कुछ 'गुलाब की'
आप तो सारा मधुमास दे गयी "
आप के इस उत्कृष्ट लेखन की मेंरे जैसी कोई
सामान्य पाठिका क्या तारीफ कर सकती है
बस आप यूँही शब्दो के माध्यम से प्रेम बरसाती रहना
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में
आप सब की " कुसुम सोनी "
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कोमल जी अपडेट कब तक आएगा जी
बहुत इंतज़ार है सब को
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16-04-2020, 04:18 PM
(16-04-2020, 08:31 AM)komaalrani Wrote: अब मेरी हालत सोचिये , मेरी तो लिखते हुए ही गीली हो जाती है , उन बातों को सोच सोच के ,...
असल में ये कहानी से ज्यादा आप बीती है , मेरी कल्पना तो बहुत सीमित है , इसलिए इस कहानी के शुरू में ही , अपने गांव का पता , ( बनारस में पांडेपुर से लमही की ओर जाने वाली सड़क पर , बस सड़क से थोड़ी दूर , गाँव तक खंड़जे वाली सड़क है ) इनके घर का पता , सब कुछ , ... कैसे इनसे पहली बार मिली , शादी कैसे तय हुयी सब कुछ एकदम डिटेल में मैंने लिख दिया है ,
हाँ होली में मैं कुछ ज्यादा ही बिंदास हो जाती हूँ , पर वही गाँव वाली हूँ वो भी ईस्टर्न यूपी वाली ,
होली और सावन , इन दो मौसम में कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ती है , हम लोगों पर भी और मर्दों पर भी , ... पर इनके ससुराल की होली में तो असली खेल इनका रहेगा , बल्कि इनसे ज्यादा इनकी सलहजों , सालियों , ... बताया तो था न मेरी दो छोटी बहने हैं एक दसवीं में एक नौवीं में ,... और गाँव की तो हर लड़की इनकी साली लगेगी , ...
दोनों ने मुझसे लिखवा के ले लिया है , जितने दिन ये मेरे गाँव रहेंगे , मैं न तो इनके पास फटकूँगी , न इन्हे बचाऊंगी ,
और मैं क्यों बचाऊं इन्हे इनकी छोटी सालियों सलहजों से
पर पहले ये तय तो हो मेरी पहली होली इनकी ससुराल में होगी या मेरी , ... अस सब कुछ सासु जी पर है बिल्कुल मैने बहुत आत्मीयता ओर इम्तहान से इस कहानी को पढ़ा है
हर एक प्रसंग ओर घटना स्मरण है
आप की हर कहानी की मुख्य केंद्रीय भूमिका आप की होती है ओर नारी पात्र की मुख्य भूमिका ही आप की कहानियों की विशेषता है
जब एक महिला लिखती है तो दूसरी महिलाएं अपने आप उस किरदार के साथ साथ यात्रा करती है अपना सा जो लगता है
ओर आप तो बस आप ही हो अद्भुत हो कोमल जी
सावन ओर फ़ागुन ये दो महीने हम औरतों के लिए मानो वरदान है
एक महिला जो जीवन के हर पल का अपने हिसाब से मजा लेना जानती है
वो इन दो महीनों में अपने स्त्रितत्व को जी भर के जीती है ये आप बखूभी वर्णित कर चुकी है
कोमल जी बस अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा जल्दी ही देना
आँखे निहार रही है राहें आप की अगली फ़ुहार की
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Komal ji update kb aayega
Intzaar ho raha hai bahut
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(16-04-2020, 04:49 PM)@Raviraaj Wrote: Komal ji update kb aayega
Intzaar ho raha hai bahut
Bahoot jald, kal joru ke gulam ka update post kiya tha , aaj holi ke. Rang ka. N koshish karungi lal iska udate de dun
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कोमल जी सब से पहले प्रणाम आप को
निहारिका जी,कुसुम,विद्या आप
सभी के साथ एक चर्चा करूंगी
कोमल जी की सभी कहानियां बेजोड़ है
हम सभी उन का नियमित रुप से रसपान करती है
पर मुझे लगता है 8 10 दिनों से JKG ओर मोहे रंग दे पर हम लड़कियों महिलाओं मतलब सभी सहेलियों ने कुछ उत्तर प्रतिउत्तर आपसी विचार विमर्श ओर व्यक्तिगत बातें ज्यादा कर दी है
कोमल जी को भी शायद थोड़ी परेशानी हुई होगी ऐसा मेरा मत है
हम सब कोमल जी से सीधे दिल से जुड़ी है और नियमित रूप से कोमल जी की कहानियों को पड़ती ही है
तो अब मैं चाहती हूं हम सभी सहेलियां कहानी पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करेंगी जिस से ज्यादा पोस्ट ना हो और कहानी अपनी फ्लो में आगे बढ़ती रहे
कोमल जी की पोस्ट्स नियमति या नियमित अंतराल पर आती रहेगी और कोमल जी,निहारिका जी कुसुम, विद्या मैं हम सभी निहारिका जी के थर्ड पर अपनी व्यक्तिगत बातें ओर मस्तियाँ किया करेंगी
जिस से किसी को भी कोई असुविधा ना हो और हम लड़कियां अपनी मस्ती भी करती रहें
कहानी भी नियमित रूप से चलती रहे
मोहे रंग दे ओर JKG दोनों बहुत बढ़िया कहानीयां है इन को हम सभी जी भर के जियेंगी बस कोमल जी से आग्रह है आप इसी तरह लिखती रहें
कुछ भूलें आज तक हुई है हम लड़कियों से हमें खेद है
आज से ही हम सिर्फ कहानी के थर्ड पर कहानी के बारे में ही अपने अपने विचार रखेंगी
मुझे पूरी उम्मीद है आप सभी महिला पाठिकाएँ सहमत होंगी इस विचार से
प्यार के साथ प्रणाम आप सभी को
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17-04-2020, 09:59 AM
(This post was last modified: 17-04-2020, 10:02 AM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(16-04-2020, 10:17 PM)Poonam_triwedi Wrote: कोमल जी सब से पहले प्रणाम आप को
निहारिका जी,कुसुम,विद्या आप
सभी के साथ एक चर्चा करूंगी
कोमल जी की सभी कहानियां बेजोड़ है
हम सभी उन का नियमित रुप से रसपान करती है
पर मुझे लगता है 8 10 दिनों से JKG ओर मोहे रंग दे पर हम लड़कियों महिलाओं मतलब सभी सहेलियों ने कुछ उत्तर प्रतिउत्तर आपसी विचार विमर्श ओर व्यक्तिगत बातें ज्यादा कर दी है
कोमल जी को भी शायद थोड़ी परेशानी हुई होगी ऐसा मेरा मत है
हम सब कोमल जी से सीधे दिल से जुड़ी है और नियमित रूप से कोमल जी की कहानियों को पड़ती ही है
तो अब मैं चाहती हूं हम सभी सहेलियां कहानी पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करेंगी जिस से ज्यादा पोस्ट ना हो और कहानी अपनी फ्लो में आगे बढ़ती रहे
कोमल जी की पोस्ट्स नियमति या नियमित अंतराल पर आती रहेगी और कोमल जी,निहारिका जी कुसुम, विद्या मैं हम सभी निहारिका जी के थर्ड पर अपनी व्यक्तिगत बातें ओर मस्तियाँ किया करेंगी
जिस से किसी को भी कोई असुविधा ना हो और हम लड़कियां अपनी मस्ती भी करती रहें
कहानी भी नियमित रूप से चलती रहे
मोहे रंग दे ओर JKG दोनों बहुत बढ़िया कहानीयां है इन को हम सभी जी भर के जियेंगी बस कोमल जी से आग्रह है आप इसी तरह लिखती रहें
कुछ भूलें आज तक हुई है हम लड़कियों से हमें खेद है
आज से ही हम सिर्फ कहानी के थर्ड पर कहानी के बारे में ही अपने अपने विचार रखेंगी
मुझे पूरी उम्मीद है आप सभी महिला पाठिकाएँ सहमत होंगी इस विचार से
प्यार के साथ प्रणाम आप सभी को
बिल्कुल पूनम जी हम कहानी के फोरम पे सिर्फ कहानी के बारे में ही कंमेंट दे तो अच्छा है
साथ ही अपनी आपसी मस्ती के लिए निहारिका जी का थर्ड
इस से व्यवस्था बनी रहेगी
कहानी की रोचकता में कोई खलल ना पड़ेगा
ओर कोमल जी पोस्ट भी बड़े मन से नियमित कर पाएंगी
हम पालन करेंगी इस बात का
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(16-04-2020, 04:18 PM)Poonam_triwedi Wrote: बिल्कुल मैने बहुत आत्मीयता ओर इम्तहान से इस कहानी को पढ़ा है
हर एक प्रसंग ओर घटना स्मरण है
आप की हर कहानी की मुख्य केंद्रीय भूमिका आप की होती है ओर नारी पात्र की मुख्य भूमिका ही आप की कहानियों की विशेषता है
जब एक महिला लिखती है तो दूसरी महिलाएं अपने आप उस किरदार के साथ साथ यात्रा करती है अपना सा जो लगता है
ओर आप तो बस आप ही हो अद्भुत हो कोमल जी
सावन ओर फ़ागुन ये दो महीने हम औरतों के लिए मानो वरदान है
एक महिला जो जीवन के हर पल का अपने हिसाब से मजा लेना जानती है
वो इन दो महीनों में अपने स्त्रितत्व को जी भर के जीती है ये आप बखूभी वर्णित कर चुकी है
कोमल जी बस अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा जल्दी ही देना
आँखे निहार रही है राहें आप की अगली फ़ुहार की
आज या कल , जरूर पक्का उम्मीद करती हूँ सासू जी का ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा
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(17-04-2020, 09:59 AM)@Kusum_Soni Wrote: बिल्कुल पूनम जी हम कहानी के फोरम पे सिर्फ कहानी के बारे में ही कंमेंट दे तो अच्छा है
साथ ही अपनी आपसी मस्ती के लिए निहारिका जी का थर्ड
इस से व्यवस्था बनी रहेगी
आप लोगों की बातें तो कहानी से ही जुडी हुईं हैं , हाँ कहानी पढ़ के कुछ मन में होता है कुछ तन में होता है , तो उसको बताने में शेयर करने में कहानी का क्रम कत्तई नहीं टूटता
बल्कि मेरे मन में और रसीली बातें आती हैं और उन से रसीले शब्द उपजते हैं ,
बतरस का मजा और है ,
हाँ निहारिका जी के थ्रेड पर मैंने एक पोस्ट एक सुझाव रखा था , उसे पढ़ के प्लीज वहीँ जरूर से जरूर जवाब दें
अपडेट कोशिश करुँगी आज , नहीं तो कल पक्का
अब टाइम तो अपने हाथ में हैं नहीं
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(16-04-2020, 03:19 PM)@विद्या_शर्मा Wrote: कोमल जी अपडेट कब तक आएगा जी
बहुत इंतज़ार है सब को
अपडेट कोशिश करुँगी आज , नहीं तो कल पक्का
अब टाइम तो अपने हाथ में हैं नहीं कोशिश करुँगी कम से कम एक दो पोस्ट जरूर
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सास का फैसला
असल में मैं चाहती थी , होली में अपने मायके जाना , ...
उसी के बाद उनको ज्वाइन करना था और शादी के बाद मैं गयी नहीं थी ,
और फिर जब से मेरी शादी तय हुयी थी , इनकी दोनों सालियाँ ,
जब ये देखने आये थे , ... तभी मुझसे ताम्रपत्र पर लिखवा लिया था , जितने दिन उन के जीजू अपनी ससुराल में रहेंगे , ..
मैं उन के जीजू की ओर देखूंगी भी नहीं ,... एकदम मैं मान गयी थी , तभी उनका फोन नंबर मिला मुझे।
और गांव में तो जितनी लड़कियां होती है सब की सब साली ,
और सब भौजाइयां सलहज , ...ख़ास तौर से काम करने वाली , नाउन कहाईन , सब , ...
फिर कोहबर में ही इनसे साली सरहज सबने तिरबाचा भरवा लिया था की होली में ये आयंगे , ...
इसलिए मन तो इनका भी कर रहा था , ... और हमारे गाँव में तो पूरे पांच दिन होली होती है , ...
कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,
लेकिन बोले कौन ,... ये बेचारे तो मुझसे तक बोल नहीं पा रहे थे , मेरी सास से क्या बोलते ,...
और हमारे यहाँ सब बातें खाने के समय ही होती थी , सारे फैसले और मेरी सास ही फैसले लेती थी।
लेकिन बात छेड़े कौन , ... मैं नहीं चाहती थी की मैं कुछ ऐसा बोल दूँ , ..
सास मेरी इतना मानती थी मुझे , मेरे चक्कर में इन्हे डाँट पड़ जाती थी , तो उन के सामने , ,,,
रोज मैं जोड़ती थी फागुन , होली , सोचती थी आज हिम्मत कर के , ... फिर होता था अगले दिन ,
अगले दिन तो नहीं उसके अगले दिन , ...
बात मेरी सासु ने ही शुरू की ,
बात क्या शुरू की सीधे हुकुम सुनाया और जैसा उनकी आदत थी ,
इन्हे डांट कर , ... कम्मो साथ थी ,
" ससुराल जाओगे तो खाली हाथ मत जाना , कुछ शॉपिंग वापिंग कर लो , मेरी समधन के लिए अच्छी साड़ी ले आना , जैसे मेरी लिए लाये हो वैसे ही , और कम से दो तीन , एक तो मेरी ओर से भी होगी , दुल्हन की पहली होली ,... होगी ,...
और साली सलहज , घर में काम करने वाली , ... मुफत में होली खेलने को नहीं मिलती , ... आज ही जाकर , ... "
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , न मैंने कहा, इनकी तो खैर हिम्मत पड़ती नहीं , कैसे , दस बार तो ये कहा गया था , दुल्हन की पहली होली ससुराल में
और सास ने अब बात मेरी ओर मोड़ दी ,
" तुझे तो मालूम है , ये कितना बुद्धू है , ये तो इसकी किस्मत अच्छी है की तू इसे मिल गयी , इसे कुछ भी समझ नहीं है , ... "
मेरे मुंह से जी निकल गया और मेरी जेठानी और कम्मो दोनों इनकी ओर देख कर जोर से मुस्करायी ,
पर सासू जी पर कोई असर नहीं पड़ा , वो मुझे समझाती रहीं ,
" तू साथ जाना शॉपिंग के लिए , तुझे हर चीज की बहुत अच्छी तमीज़ है , कपडे की भी फैशन की , ... और पहले से लिस्ट बना लेना ,... और अपने लिए भी ,... पहली होली होगी तेरी , कुछ सिलने के लिए देना हो तो टेलर इसे मालुम है , ... जो मेरे कपडे सिलता है , तेरी जेठानी के भी , उसी के पास , ... और होली के लिए कुछ और , ... "
लेकिन मेरे मन में कुछ उमड़ घुमड़ रहा था , कहीं इन्होने तो सास से मेरे नहीं कह दिया , या कहीं मम्मी ने तो नहीं और सास मेरी अलफ़ हो गयीं हो , और मैंने हिम्मत कर के बोल दिया
"असल में , ... मेरा मतलब , ... लेकिन क्यों , ... कहीं ,...आप ने तो , ... "
मैं हिचकिचा रही थी , घबड़ा रही थी , जो कहना चाह रही थी , वो कह नहीं पा रही थी , क्या पता किस बात पे बुरा मान जाए , और क्या कहूं , ...
" साफ़ साफ़ बोल न , क्या कहना चाह रही है , ... "
सासू जी मुझसे बोलीं ,
जेठानी , कम्मो , ये सब मेरी ओर ही देख रहे थे और मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं , ...
बोल नहीं फूट रहे थे , कभी नीचे देखती , कभी ऊँगली में आँचल घुमाती ,
और ये भी न ,... एक बार इनकी ओर देखा पर ये भी चुप्प , ... आखिर हिम्मत कर के बोली , ...
' असल में मैं सोच रही थी , पहली होली , ... तो यहीं ,... आप लोगों के साथ , ... "
सास मेरी मुस्करायी , ... फिर बोलीं ,
" तू भी न , आखिर किस बात को ले कर पड़ी है , ..हमारे यहाँ की रस्म है , की दुलहन की पहली होली ससुराल में होती है , ... अरे वो मैंने ही कही थी , मैं अब कुछ और कह रही हूँ , ...और तेरे ननद नन्दोई आ नहीं रहे , देवर भी बनारस जा रहा है , फिर किसके साथ होली खेलेगी , मेरे साथ या अपनी जेठानी के साथ ,... "
" नहीं लेकिन मैं , असल में पहली होली के , .... फिर बाद में , ... "
अबकी सासू जी सच में गुस्सा हो गयीं , और उनकी एक आदत मैंने नोट की थी जब वो ज्यादा गुस्से में होती थीं , तो जिससे नाराज होती थीं उससे कुछ नहीं बोलती थी , और किसी और पर अपना सारा गुस्सा , ...
और उन्होंने अपना चेहरा मेरी जेठानी की ओर कर लिया और उन्हें हड़काने लगी , ...इतना गुस्सा मैंने देखानहीं था कभी
" तुझे मैंने बोला था न जरा ठोंक बजा के देवरानी लाना , सुन्दर तो ऐसी कोई नहीं हो सकती , लेकिन दिमाग भी तो देखना चाहिए था , ..
एकदम पागल। और किस जमाने की लड़की पकड़ लायी तू।
जब ये ट्रेनिंग पर जा रहा था तो मैंने बोला , मायके चली जा इसे , तूने भी समझाया , ...
इसने भी लेकिन नहीं एक जिद आप लोगों के पास रहूंगी , दीदी के पास रहूंगी , नहीं जाउंगी , ... और नहीं जाउंगी तो नहीं जाउंगी ,...
कोई आज कल की लड़की होती मरद बाद में जाता उसका सूटकेस पहले बंध जाता , ... और जाने के पहले खाली टाटा बाई करने आती , और ये तेरी देवरानी , ... आज के जमाने में भी बस अपने सास से ,...
कुछ भी समझ नहीं है , ...
अरे इसे बता , होली की छुट्टी के बाद सीधे जॉब पर जाना होगा , और नयी नौकरी में छुट्टी भी नहीं मिलती , साथ आठ महीने ,...
तो क्या साल भर बाद ,... मायके जायेगी , ससुराल का इतना ख्याल है , सास का लेकिन माँ का बहन का , ... उनका भी तो ,... "
सास मेरी बोले जा रहीं थी और मेरी आँखों में आंसू नाच रहे थे , ... मुझसे ज्यादा , ... यहाँ मेरी इनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी और सास हमारी खुद , ...
फिर डांट का रुख मेरी ओर हो गया ,
" समधन जी का फोन आया था , तू उन्हें फ़ोन क्यों नहीं करती , ... " सास बोलीं।
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17-04-2020, 12:40 PM
(This post was last modified: 17-04-2020, 12:46 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
साजन चले ससुराल होली में
" तुझे मैंने बोला था न जरा ठोंक बजा के देवरानी लाना , सुन्दर तो ऐसी कोई नहीं हो सकती , लेकिन दिमाग भी तो देखना चाहिए था , ..एकदम पागल। और किस जमाने की लड़की पकड़ लायी तू। जब ये ट्रेनिंग पर जा रहा था तो मैंने बोला , मायके चली जा इसे , तूने भी समझाया , ... इसने भी लेकिन नहीं एक जिद आप लोगों के पास रहूंगी , दीदी के पास रहूंगी , नहीं जाउंगी , ... और नहीं जाउंगी तो नहीं जाउंगी ,...
कोई आज कल की लड़की होती मरद बाद में जाता उसका सूटकेस पहले बंध जाता , ... और जाने के पहले खाली टाटा बाई करने आती ,
और ये तेरी देवरानी , ...
आज के जमाने में भी बस अपने सास से ,... कुछ भी समझ नहीं है , ...
अरे इसे बता , होली की छुट्टी के बाद सीधे जॉब पर जाना होगा , और नयी नौकरी में छुट्टी भी नहीं मिलती , साथ आठ महीने ,... तो क्या साल भर बाद ,... मायके जायेगी , ससुराल का इतना ख्याल है , सास का लेकिन माँ का बहन का , ... उनका भी तो ,... "
सास मेरी बोले जा रहीं थी और मेरी आँखों में आंसू नाच रहे थे , ... मुझसे ज्यादा , ...
यहाँ मेरी, इनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी और सास हमारी खुद , ...
फिर डांट का रुख मेरी ओर हो गया ,
" समधन जी का फोन आया था , तू उन्हें फ़ोन क्यों नहीं करती , ... "
सास बोलीं।
क्या बोलती मैं ,
मेरी माँ पक्की दलबदलू हैं ये बोलती लेकिन हिम्मत कर के बोली ,
असल में उन्ही का फोन आ जाता है दिन में दो बार इसलिए मैं इधर से क्या फोन करूँ , ... हलके से मैंने समझाने की कोशिश की।
" क्यों , इधर से फोन करने में क्या परेशानी है , सब आज कल की बहुएं तो किचेन में भी फोन लेके, और मैंने तेरे हाथ में तो फोन कभी देखा नहीं ,"
वो बोलीं
अब पानी सर से ऊपर चला गया था , मुझसे नहीं रहा गया , अब मेरे दिल की बात मेरे मुंह में आ गयी , मैं कस के बोली ,
" आप समधन समधन , कर रही हैं , ... कित्ती देर वो मुझसे बात करती हैं ,
अगर गलती से मैंने फोन उठा लिया तो बस एक बात , दामाद जी को फोन देना। और उनसे आधे घंटे ,... मुझसे बस एक लाइन , ...
उससे अच्छा तो आप के साथ घंटो मैं बात करती हूँ , ....
और उनको तो छोड़िये , मेरी भाभी , बहने बस सब, जीजू कहाँ है , ... "
अब सासू जी मुस्करा के दुलराते बोलीं , ...
" तू न मेरी बेटी भी है बल्कि बेटी से भी बढ़कर ,... "
अब मैं भी हंसी , और उन्ही की बात दुहरायी , और उन के लड़के को देखते हुए चिढ़ाया , ...
" आप ही ने तो कहा था की मेरी ससुराल में बेटी बहु में अंतर् नहीं होता , ... "
" एकदम , सारी तेरी ननदें अपने भाइयों से फंसी होती है , ये बात तेरी एकदम सही है "
सास हंसती हुयी बोलीं और अपने लड़के से पूछा ,
" तुझे कब ज्वाइन करना है , ... "
उन्होंने मोबाईल देखा , कलेण्डर और जोड़ के बोला , होली के सातवें दिन बाद , बनारस से ही फ्लाइट है , कम्पनी वाले टिकट करा रहे हैं , "
सास जी ने जेठानी जी से कुछ कहा , और जेठानी जी फोन में उलझ गयी और सास जी ने हम दोनों का प्रोग्राम सेट कर दिया ,
" तो ठीक है , होली के तीन दिन पहले , तुम दोनों , ..सुबह ही निकल जाना ,... और होली के बाद सात दिन ,... ये भी आठ दस दिनअपने मायके रह लेगी , ... और तू भी आखिर बनारस से ही तुझे जाना है , हाँ नौकरी पर जाने के पहले एक दिन बनारस जा के दरसन कर लेना , ... तो जाओ और सुनो ,
अब वो मुझसे बोलीं ,
शॉपिंग का ध्यान रखना ,
तब तक फोन लग गया था ,
मेरी मम्मी से सास बात करनी चाहती थीं , ... लेकिन फोन नहीं लगा पाया।
उन लोगों की बात पूरी हुयी थी की कम्मो अपने देवर को चिढ़ाते बोली ,
" भैया अपनी दुल्हिन से अपनी बात बुलवा रहे थे , ससुराल में जाते हुए होली में डर लगता है , गाँव की होली , स्साली , सलहज , ... जम के रगड़ाई होगी तोहार , "
जेठानी क्यों मौका छोड़तीं , बोलीं ,
" एकदम सही कह रही हो , लेकिन अब रगड़ाई होनी है तो वो तो होगी ,
और गाँव की होली रंग से नहीं गोबर कीचड़ से होती है। अच्छा तो है ,
और मेरी सास ने और खिंचाई की , उनकी
" ये तो पहले सोचना चहिये था , उस समय तो आम के बाग़ में तीन दिन की बारात , ...सब बातें मान गयी , ...
इत्ती प्यारी मीठी मीठी दुलहन ऐसे थोड़ी मिलती है , रगड़ाई तो होनी ही चाहिए ,
और फिर ऐसा घर साली भी सलहज भी , ...
अच्छा अब तू सब चलो मेरे सोने का टाइम हो रहा है और बहु ये सो जाएगा , ... इसे हाँक कर शॉपिंग के लिए अभी ले आकर चले जाना , टेलर के पास टाइम लगता है। "
वो सोने चली गयीं , हम दोनों कमरे में , ... और मैंने फोन लगाया , सबसे पहले इनकी सलहज को ,
वो तो ख़ुशी से उछल पड़ीं , ...
वहां कहा ये लोग सोच रहे थे , होली के दिन , ज्यादा से ज्यादा दो तीन दिन ,,,,
यहां तो पूरे दस दिन , ... दो तीन दिन में ही उनकी साली सलहज का ' जबरदस्त ' प्रोग्राम था और पूरे दस दिन ,...
और जैसे की उनकी सलहज की आदत थी , और भाभी को ही क्यों बोलूं , उनकी साली , सास सब , तुरंत बोलती थीं , फोन जरा उनको दो ,...
मैंने इसी स्पीकर फोन ऑन कर दिया था ,
वो भी कान पारे सुन रहे थे , ...
" सुन , अपनी ननद के यार को बोल देना , ... बल्कि तुम ही , एक वैसलीन की बोतल ले आना , छोटी वाली नहीं सबसे बड़ी बोतल ,...
नहीं बल्कि , सरसों का तेल , ... कच्ची घानी वाला , ...
और अपनी ननद के भंडुए को बोल देना
( भाभी को भी अंदाज़ तो था ही की स्पीकर फोन चालू होगा और उनके नन्दोई सुन रहे होंगे ) ,
रोज सुबह शाम , ... अपने पिछवाड़े ,... दो अंगुली में लगा के , एकदम अंदर तक , ... और बाहर भी चुपड़ लेगा ,
अभी पंद्रह बीस दिन है , ... उसको कोहबर की शर्त तो याद होगी ना , ... उस दिन उसका पिछवाड़ा बच गया था , लेकिन अबकी नहीं बचेगा , रोज मोटा मोटा ,... "
सुन तो वो रहे ही थे , उनका मन कर रहा था सीधे अपनी सलहज से बातें करें पर जान बुझ के मैंने नहीं दिया।
सलहज , साली , सास कोई ही , अगर उनके हाथ में फोन आ गया तो एकदम फेविकोल , ...
आधे घंटे से पहले छोड़ नहीं सकते थे ये ,...
और अभी बाज़ार जाना था , लंबी चौड़ी लिस्ट थी , ... फिर उस लेडीज टेलर के पास , और वो शाम को बंद कर देती थी , उसे मैंने फोन कर दिया था , नाप जोख के लिए ,...
" एकदम भाभी , ... वो सुन रहे हैं , कैसे भूलेंगे कोहबर की बातें ,... लेकिन अभी चल रही हूँ , बाज़ार जाना है और फिर एक लेडीज टेलर के यहाँ , ... बस लौट के आप से बात करा दूंगी , ... "
मैंने फोन रखने की कोशिश की पर सलहज उनकी ,
" ठीक है लौट के बात कराना , और हाँ तू कह रही थी लेडीज टेलर के यहाँ जाने को , तो बस वहां पहुँच के मुझसे उससे जरा बात करा देना , ... " ये कह के रीतू भाभी ने फोन रख दिया।
शॉपिंग में मुझसे बड़ी उनकी लिस्ट थी , साली , सलहज , सास ,...
मैंने उनके लिए भी दो चार कुरता पजामा सफ़ेद खरीदवा दिए , आखिर गाँव में घर में पैंट शर्ट पहन के थोड़ी रहते ,...
हाँ लेडीज टेलर से उनकी सलहज की बात करा दी , और उस ने जो काम सलहज ने कहा था वो कर भी दिया , ...
हम लोग मंदिर भी गए , मेरी भी मनौती थी उनकी , मेरी ये ट्रेनिंग से ठीक ठाक जल्दी से लौट आएं और उनकी , ...
बताउंगी तो हँसियेगा ,.. उन्होंने जो कोहबर में वायदा किया था वो , वह पूरा कर सके , ...
होली में ससुराल जाने की।
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कोमल जी क्या बात है मेरे मन की बात कैसे सुन ली
यही तो में भी चाहती थी
होली का मजा साजन के ससुराल में हो
अच्छे से मेहमान नवाजी हो
आप का मायके जाने का इंतज़ार भी पूरा हो जाएगा और साजन का ससुराल
ओर वहां से आने वाले गरम फोन इंगित कर रहे है खतरा बड़ा है बनारस में
अब 10 दिन की धक्का पेल रगड़ाई
ऊफ़्फ़ क्या संयोग बनाया है आप ने
बस बेसब्री से इंतजार रहेगा इस होली का
जबरदस्त अपडेट
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कोमल जी,
"बडा डर लग रहा है , मुझे तो, क्या होगा। ... क्या -क्या होगा। ससुराल मैं। .......
आज कल की बहुएं तो किचेन में भी फोन लेके, और मैंने तेरे हाथ में तो फोन कभी देखा नहीं," वो बोलीं
" तुझे तो मालूम है , ये कितना बुद्धू है , ये तो इसकी किस्मत अच्छी है की तू इसे मिल गयी , इसे कुछ भी समझ नहीं है , ... "
[b]' असल में मैं सोच रही थी , पहली होली , ... तो यहीं ,... आप लोगों के साथ , ... "[/b]
[b]हमारी, कोमल जी , एकदम सीधी बच्ची है जी, इमरती की जैसी गुणवान। मिठास से भरी सबके लिए सोचती हैं. [/b]
कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,
[b]पर जो ससुराल जा रहा है उसका "क्या", अब तो यह आने वाला समय ही बताएगा। .... [/b]
[b]बस इन्त्ज़आर ही। .......... [/b]
होगा कुछ गज़ब ही। ..............
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(17-04-2020, 02:57 PM)Niharikasaree Wrote: "बडा डर लग रहा है , मुझे तो, क्या होगा। ... क्या -क्या होगा। ससुराल मैं। .......
[b]पर जो ससुराल जा रहा है उसका "क्या", अब तो यह आने वाला समय ही बताएगा। .... [/b]
[b]बस इन्त्ज़आर ही। .......... [/b]
होगा कुछ गज़ब ही। ..............
मुझे क्या मालूम और मुझे क्या फरक पड़ता है ,
वो जाने या
उसकी नटखट चुलबुली सालियाँ
और रसीली सलहजें
कहते हैं न शेर के सामने जाओगे तो क्या करोगे ,... तो क्या करोगे ,... तो करना क्या है जो करेगा शेर करेगा
बस उसी तरह ,
होली में ससुराल वो भी बनारस की ,
जो करना होगा , स्साली और सलहज करेंगी
•
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(17-04-2020, 02:41 PM)@Kusum_Soni Wrote: कोमल जी क्या बात है मेरे मन की बात कैसे सुन ली
यही तो में भी चाहती थी
होली का मजा साजन के ससुराल में हो
अच्छे से मेहमान नवाजी हो
का
जबरदस्त अपडेट
कुसुम जी मेरे और आपके दिल की आवाज एक जो होती है
क्या होगा पता नहीं ,
लेकिन
' मेहमान नवाजी तो जबरदस्त होगी '
कोहबर में जो हुआ वो सिर्फ ट्रेलर था और कोहबर में ही उनकी सास , सलहज , साली सबने बोल दिया था
' लला फिर आइयो खेलन होरी "
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