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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
(13-04-2020, 12:50 PM)Poonam_triwedi Wrote: क्या बात है निहारिका जी बिल्कुल कोमल जी बहुत से किस्से फिर से जीवंत कर देती है फिर निच्चे पिच्छे सब जगह खुजली मचल ही जाती है हम औरतों के 

  आप के बस वाले किस्से ने पुरानी यादें ताजा कर दी हर औरत के साथ ये मीठी यादें जुड़ी होती है
 
ओर प्याजी लहंगा है मेरे पास भी ओर एक नहीं कई बार उन्होंने TV रूम में बैडरूम में अपनी गोदी में बिठाया है और मस्ती की है
 पता नहीं क्यों जब भी लहंगा पहनो उन को हमारा पिछवाड़ा देख के क्या मस्ती चढ़ती है जोर जबरदस्ती एक बार पीछे से ऊपर करवाएंगे ही चाहे 1 मिनट के लिए भी पर ऊफ़्फ़ गांव में भरे पूरे घर मे बहुत लाज लगती है मुझे तो 

ओर अगर दिन में मनमानी से रोक के रखो तो रात में तो जाना वहीं है ना फिर...
 
 निहारिका जी हर एक आप,मैं,कोमल जी, कुसुम जो ठेठ गांव से जुड़ी औरते है ये मस्ती झेलती है पर मजा भी तो उतना ही आता है ना
कभी कभी लगता है कहीं उन्होंने पढ़ लिया तो हाय राम नहीं नहीं  Smile

आप ने कितनी यादें ताजा करवा दी , एकदम यही होता है , लेकिन 

मन मानी रोकना क्यों 

मन मानी करें तो भी खराब लगता है , और न करें तो और , ...कहीं गुस्सा तो नहीं किसी बात को ले के 
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(13-04-2020, 08:28 PM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी, 

क्या कहु,  यह करना तो एक रूटीन हो गया है, सबकी नज़र बचा के , कमर मैं चुटकी काटना और जोबन को दबाना  इनका पसंदीदा काम है, वो भी  किचन मैं,  जब बर्तन करते हुए  , या छोंक लगते हुए , जब हम कुछ  कर पाए. बस जोर से  "ऊई  माँ" फिर उससे भी तेज़ "कुछ नहीं हुआ", फिर सबको समझ आ जाता है, की लाडले बेटे ने ही कुछ किया होगा। 

 "ये प्याजी न हुआ पियाजी का हो गया !!

 बिल्कुल सही एक दम सही
"


यह तो सीधी मन की बात हो गयी, आपके और मेरे।   एक रेड साड़ी है मेरी, एक पंचकूटा , जिसमे बैकलेस ब्लाउज है, बस जिस दिन वो पेहेन ली , " पीछे" से अटैक होना ही है, आगे पीछे चक्कर लगते रहते हैं, जैसे ही मौका मिले, चुटकी कमर पर या जोबन पर हमला। 

बैकलेस पीठ पर तो अनगिनत चुम्बन तो जाते हैं, चलते - फिरते , और रात को ,..........   

और रात को, दिन भर तड़पने की सजा , और उस सजा मैं मज़ा

आपके। .... 

(14-04-2020, 07:29 AM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी ये बिल्कुल सही कहा है आप ने
   अगर प्याजी लहंगा पहना हो तो पूरे दिन खेर नहीं फिर
 चिकोटी काटना,दरार में उंगली रगड़ देना
चपत लगा देना खिंच के ऊफ़्फ़
दिन भर में ही मूड बना देंगे हमारा
 ओर ज्यादा हुआ तो कही एकांत में ले जा कर कस के बाहों में भीचं के चुमा चाटी ओर फिर दर्शन प्यार से नहीं मानीं हम तो उन के अपने तरीके से ऊपर तो करवा ही देंगे
उईं मा ओह्ह ऊफ़्फ़ छोड़ो ना ये तो दिन भर करना पड़ता है ना कोई ऑफिस जाना ना ओर कोई चिंता सिर्फ हम पे नजर दिन भर


ओर बिल्कुल फिर रात रात भर धक्के वो भी एक दम पिच्छे से कस कस के झेलने पड़ते है 
इस मीठी सजा में बहुत मजा तो आता है पर अब तो थकान रहने लगी है बहुत 

काम काज बढ़ जो गया है पर रात को दिल मचल ही जाता है फिर भी ऊफ़्फ़ ये आग
कोमल जी देखेंगी तो पता नहीं कितनी बातें सुनाएंगी ये सब यहाँ बंद करो 
पर वो नहीं आये तब तक ये लास्ट बस एक दम अंतिम

Namaskar Smile sex

(14-04-2020, 08:25 AM)@Kusum_Soni Wrote:   जैसे कोमल जी कहती है " छेद मैं नो भेद " ही , ही , हाय गर्म थी, लिखने मैं आ ही गया। 
  
 " ही,ही,ही, यहाँ आने के बाद गर्म कोन नहीं होती है  Smile
   छेद में बिल्कुल नो भेद ओर उस कमीनी जेठानी की गाँड़ कोमल जी जरूर ***
   हम सब को आगे के "ट्विस्ट" का ही इंतज़ार है निहारिका जी  happy sex Smile

तो आप सब सहमत हैं न  मेरी बात से , जेठानी जी का स्वागत सत्कार जबरदस्त होना चाहिए , बहुत रगड़ाई की है उन्होंने अब थोड़ा देवरानी का भी हाथ देख लें , 


पहले दिन से ही इस रसोई में लहसुन प्याज नहीं आता , और हर बात मायके तक खींच  के ले जाना 

": यहाँ तुम्हारे मायके की तरह नहीं है , " या , " तुम्हारी मम्मी ने कुछ सिखाया पढ़ाया नहीं क्या , कालेज अनवरसिटी जाने से ही नहीं गुन ढंग आता है , " 

और अब प्योर वेज चिकेन पिज्जा तो उन्होंने खा ही लिया है , वो भी देवर की क्रीम की टॉपिंग के साथ , 

तो आप के सुझावों का स्वागत रहेगा , ख़ास तौर से जेठानी का कैसे आदर सत्कार किया जाए , 

आखिर बड़ी हैं न 
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(14-04-2020, 09:48 AM)@विद्या_शर्मा Wrote: मेरी भी दिली इच्छा है इस कमीनी जेठानी के सामने गुड्डी की ऐसी तैसी करवाना 

ओर फिर इस जेठानी की तो बिना तेल के लेना आप खुद 
 इस कहानी में इसी पल का सब को कब से इंतज़ार है
आप के सामने गुड्डी की चड्डी खुले ओर फिर जेठानी की पेंटी आप खुद उतारें जबरदस्ती

  सभी सहेलियों प्याजी रंग में डूब गई हो
ये रंग और ऊपर से देहाती घागरा घेर- घुमेरदार बिना उस के

  फिर कैसे बच सकती है हम
ऊपर से ये महीने महीने की छुट्टियां 
बिना नागा सटासट ही ही ही  Smile Smile Smile sex

ये तो हम सब के साथ हो रहा है , Smile Big Grin इसलिए कई बार न चाहते  हुए भी पोस्ट में नागा हो जाता है , क्योंकि वो और किसी चीज में नागा होने नहीं दे सकते और मैं भी नहीं चाहती ,  बिना बात का उपवास , ... 


तो आप भी चाहती हैं न जेठानी की कुछ जम के , ... सच में इन्होने बहुत , क्या कहूं , जिसकी जिसकी जेठानियाँ होंगी उन सबको अपने आप ही मालूम होगा , ... 
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(14-04-2020, 10:07 AM)Niharikasaree Wrote:
पूनम जी, 


कोमल जी देखेंगी तो पता नहीं कितनी बातें सुनाएंगी ये सब यहाँ बंद करो 

पर वो नहीं आये तब तक ये लास्ट बस एक दम अंतिम


चोरी - चोरी चुपके - चुपके मज़े, कोमल जी से बचके, सही कहा डांट तोह पड़ने वाली है,  

काम काज बढ़ जो गया है पर रात को दिल मचल ही जाता है , अब क्या करे दिल अकेला हो तो सम्भल ले , "वो" उनकी हरकतें, साथ मैं "गीली" टपकती, उफ़. ,,,, अब बस नहीं तो पीटने की नौबत आने वाली है,, सब की 

बाकी बाते , लेडीज वाले थ्रेड पर, स्वागत है आपका।।।।।।।

आपके 

(14-04-2020, 10:13 AM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी,

"यहाँ आने के बाद गर्म कोन नहीं होती है ", 
अब क्या बताऊ जी, गर्म , गीली, टपकती सब हो जाती हु , बाकि, जेठानी से मीठा [कसोले स्वाद के साथ] बदला तो बनता है,  देखे आगे क्या जलवा होता है, कोमल जी की जादूगिरी कैसे समेटेती  दोनों को.

कुसुम जी, आपकी कलम के रंगो का जादू दिखाई दे रहा है, बहुत अच्छा। 

आपके 

आपने एकदम सही कहा , यहाँ आने पर कौन गरम नहीं होती , और कोई डाँट वांट नहीं पड़ने वाली , जो आप लोगों की हाल वही मेरी , इसलिए आज कभी कभी नागा हो जाता है यहाँ आने में , ... तो बस अगला अपडेट मेरी चिकनी ननदिया के बारे में ,... 


सच में साजन को नन्दोई बनाने के बारे में सोच सोच के ही एकदम  गिनगीना जाता है,

मेरी एक ननद हैं मुझसे थोड़ी ही बड़ी , शादी शुदा , .. उनके आते ही मैं चिढ़ाती हूँ 

साजन से साजन बदल लो नंदी मोरे साजन बड़े नादान , 

और वो एकदम ,... सच में बहुत मजा आता है नंदों को उनके भाइयों का नाम ले  ले के छेड़ने में  
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(15-04-2020, 10:37 AM)komaalrani Wrote: तो आप सब सहमत हैं न  मेरी बात से , जेठानी जी का स्वागत सत्कार जबरदस्त होना चाहिए , बहुत रगड़ाई की है उन्होंने अब थोड़ा देवरानी का भी हाथ देख लें , 


पहले दिन से ही इस रसोई में लहसुन प्याज नहीं आता , और हर बात मायके तक खींच  के ले जाना 

": यहाँ तुम्हारे मायके की तरह नहीं है , " या , " तुम्हारी मम्मी ने कुछ सिखाया पढ़ाया नहीं क्या , कालेज अनवरसिटी जाने से ही नहीं गुन ढंग आता है , " 

और अब प्योर वेज चिकेन पिज्जा तो उन्होंने खा ही लिया है , वो भी देवर की क्रीम की टॉपिंग के साथ , 

तो आप के सुझावों का स्वागत रहेगा , ख़ास तौर से जेठानी का कैसे आदर सत्कार किया जाए , 

आखिर बड़ी हैं न 

कोमल  जी 


अहा, चैन पड गया 

दिल को एक सुकून  मिल  गया जी, बस आप आ गयी। तड़पना कोई आपसे सीखे , हम तो इंतज़ार मैं ही बैठे रह जाते। ........

बड़ी बेचैनी रही थी  आपके न आने से, हो सकता है आप "मशरूफ" होंगी , आदरणीय "जेठानी" जी  की "खातिर" करने मैं.

हम सभी को इंतज़ार था "जेठानी" जी की खातिर का, पर उससे जायदा आपने दर्शन का.  बस अब तो "जलवे" का इंतज़ार हैं.

देखे, आगे क्या होता है, 

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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कोमल जी, 

"कोई डाँट वांट नहीं पड़ने वाली " बस थोड़ी शांति मिली "जी" को,  बरना "डर" थो था सच्ची।

"सच में साजन को नन्दोई बनाने के बारे में सोच सोच के ही एकदम  गिनगीना जाता है,

मेरी एक ननद हैं मुझसे थोड़ी ही बड़ी , शादी शुदा , .. उनके आते ही मैं चिढ़ाती हूँ 

साजन से साजन बदल लो नंदी मोरे साजन बड़े नादान , 

और वो एकदम ,... सच में बहुत मजा आता है नंदों को उनके भाइयों का नाम ले  ले के छेड़ने में "


कोमल जी, छेड़ने और तड़पने मैं आका कोई सानी नहीं है, यह काम तो आप गज़ब करती हैं, ननद को छेड़ने और जलाने मैं वो भी प्यार से उसका अलग ही मज़ा है , बस काटो तो खून नहीं वाली स्थति हो जाती है.

बस , अब देखना य है की कौन आता है , "अच्छी " वाली रगड़े मैं, "गुड्डी जी" या "जेठानी जी"

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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(15-04-2020, 10:59 AM)Niharikasaree Wrote:  

कोमल जी, 

"कोई डाँट वांट नहीं पड़ने वाली " बस थोड़ी शांति मिली "जी" को,  बरना "डर" थो था सच्ची।

"सच में साजन को नन्दोई बनाने के बारे में सोच सोच के ही एकदम  गिनगीना जाता है,

मेरी एक ननद हैं मुझसे थोड़ी ही बड़ी , शादी शुदा , .. उनके आते ही मैं चिढ़ाती हूँ 

साजन से साजन बदल लो नंदी मोरे साजन बड़े नादान , 

और वो एकदम ,... सच में बहुत मजा आता है नंदों को उनके भाइयों का नाम ले  ले के छेड़ने में "


कोमल जी, छेड़ने और तड़पने मैं आका कोई सानी नहीं है, यह काम तो आप गज़ब करती हैं, ननद को छेड़ने और जलाने मैं वो भी प्यार से उसका अलग ही मज़ा है , बस काटो तो खून नहीं वाली स्थति हो जाती है.

बस , अब देखना य है की कौन आता है , "अच्छी " वाली रगड़े मैं, "गुड्डी जी" या "जेठानी जी"

दोनों , लेकिन  अभी ननदिया का नंबर है 


बाजी जो जीतनी है उससे , 

" मेरे भैया नाम भी न ले सकते छूना तो दूर की बात , ..." बस उसके सामने उसी के हाथ से 

और एक बार जीत गयी मैं तो चार घंटे  के लिए ननद रानी पर  मेरा कब्जा , 

अभी  बिना इंटरकोर्स किये इंटर में पढ़ रही है , 

[Image: Sensual-Erotic-And-Sexy-Pictures-Set-1-24.jpg]
बस जल्द से जल्द इंटर के कोर्स के साथ इंटरकोर्स भी जो जाए उसका , 



सच्च में कच्चे टिकोरों का मजा ही और है , सिर्फ ये नहीं मैं भी ललचाती हूँ 
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आज होली के रंग में भी अपडेट देने की कोशिश करुँगी और यहाँ भी
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update holi men sahayad kal ho paaye aaj kuch net ki problems thin
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(13-04-2020, 12:50 PM)Poonam_triwedi Wrote: क्या बात है निहारिका जी बिल्कुल कोमल जी बहुत से किस्से फिर से जीवंत कर देती है फिर निच्चे पिच्छे सब जगह खुजली मचल ही जाती है हम औरतों के 

  आप के बस वाले किस्से ने पुरानी यादें ताजा कर दी हर औरत के साथ ये मीठी यादें जुड़ी होती है
 
ओर प्याजी लहंगा है मेरे पास भी ओर एक नहीं कई बार उन्होंने TV रूम में बैडरूम में अपनी गोदी में बिठाया है और मस्ती की है
 पता नहीं क्यों जब भी लहंगा पहनो उन को हमारा पिछवाड़ा देख के क्या मस्ती चढ़ती है जोर जबरदस्ती एक बार पीछे से ऊपर करवाएंगे ही चाहे 1 मिनट के लिए भी पर ऊफ़्फ़ गांव में भरे पूरे घर मे बहुत लाज लगती है मुझे तो 

ओर अगर दिन में मनमानी से रोक के रखो तो रात में तो जाना वहीं है ना फिर...
 
 निहारिका जी हर एक आप,मैं,कोमल जी, कुसुम जो ठेठ गांव से जुड़ी औरते है ये मस्ती झेलती है पर मजा भी तो उतना ही आता है ना
कभी कभी लगता है कहीं उन्होंने पढ़ लिया तो हाय राम नहीं नहीं  Smile
टीवी के सामने बैठकर , उनकी गोद में ,... वो भी लहंगे चोली में , कितनी यादें ताजा कर दी आपने , सच में बैकलेस का मतलब पीठ में आठ दस चुम्मी तो हो ही जाती हैं और मैं तो जान बूझ कर इन्हे ललचाने के लिए जरूर बैकलेस में 

[Image: Backless-blouse-designs10.jpg]
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भैय्या -बहिनी 



[Image: girls-dp-for-whatsapp-facebook-1737.jpg]



मेरा दूसरा हाथ उसके बटन तक पहुँच गया ,

 
" नहीं भाभी कैसे ,ओह्ह छोड़िये

अब वो बिचारी घबड़ायी।
 
" ऊप्स  मेरा मतलब दूसरे कपडे पहन ले , चेंज कर ले "


मैं समझाते बोली ,और तब तक रोकते रोकते मेरे हाथों ने उसकी कमीज की एक बटन खोल दी थी।

[Image: Teej-backless-blouse-deshi-hot-indian-girls2.jpg]
 
" लेकिन क्या , कौन। .. हाँ नहीं। .. मतलब क्या पहनूं

गुड्डी बिचारीकन्फ्यूज।
 
" अरे मैं भी , तेरे भैया एकदम बुद्धू  हैं और इनके संग में ,मैं भी एकदम बुद्धू हो गयी हूँ। अरे तेरे लिए इन्होने एक बहुत अच्छी ड्रेस खरीदी है , बस मैं ले आती हूँ ,तुम उसे चेंज कर इसे टांग दो ,तुम्हारे जाने तक सूख जायेगी। "
 
तब तक प्रेशर कुकर की सीटी बजी और मेरी जेठानी बाहर।
 
मेरी उँगलियाँ अभी भी गुड्डी के मटर के दाने की साइज के निप्स को दबोचे हुए ,हलके हलके मसल रही थीं।  उनसे मैं बोली ,
 
" देखो एकदम टनाटन हैं ,तेरे माल के "
[Image: dress-nip-poking-b73a50975d230dd7d042a878bcfe7d7a.jpg]

और मैं भी निकल गयी , भैय्या -बहिनी को अकेला छोड़ के ,
 
और लौटी तो उन निप्स  जहाँ थोड़ी देर पहले मेरा हाथ था वहीँ मेरे सैंया का ,बुद्धू थे लेकिन इत्ते भी नहीं।


उसे गिफ्ट रैप पैकेट देते हुए मैंने पैकट दिया और दिखाया ,
 
पैकेट के ऊपर एक कार्ड था जिसपर लिखा था ,   


2 माई स्वीट सेक्सी और ,... नाम की जगह एक खूब बड़ा सा दिल का कार्ड लगा था।
 
पहले तो वो शर्मायी ,फिर उनकी ओर देख के जोर से मुस्करायी।

( उसे  क्या मालूम ये कार्ड वाली शरारत मेरी थी )
 
" देख ,इसमें क्या है मुझे नहीं मालूम। तेरे भय्या खुद अकेले गए थे मैं तो गयी भी नहीं थी , इनकी अपनी पसंद है , और हाँ ,अंदर वाली चीजें भी है ,वोभी चेंज कर ले , तेरी ब्रा तो गीली हो गयी है , क्या पता पैंटी भी गीली हो गयी हो। "


 
" एकदम, भाभी अभी चेंज कर के आती हूँ , भैय्या लाये हैं तो अच्छी ही होगी। "
 
वो पैकट  लेकर फुर्र्र , और मैं इनके कान को पान बनाने में लग गयी ,
 
" तुम साले इत्ते शर्मीले , वो खुद आके तेरे लंड पे बैठ गयी और तुझसे इत्ता भी नहीं हुआ की जरा उस प्याजी कुर्ते के अंदर हाथ डालकर नाप जोख करता

देखता उसके जुबना ३२ सी साइज के ही हैं , जिस नाप की तूने ब्रा खरीदी है

अगर तू लौंडिया की चूँची नहीं मसल पाया तो क्या पटा पायेगा उसे। 

अरे लोग तो डीटीसी की बसों में - लड़कियों  की चूँचियाँ दबा देते हैं ,और तू गोद में बैठे अपने माल की चूँची नहीं मीज पा रहा था। "
 
[Image: blouse-backless-1.jpg]

तबतक मेरी जेठानी अंदर गयीं , और इनकी और डँटायी बच गयी।
 
और फिर वो आगयी ,इनका माल ,सच में जिल्ला टॉप माल थी , एकदम मस्त लग रही थी।
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जिल्ला टॉप माल 


[Image: halter-1-JV-CC402-SIL-TOP.jpg]






और फिर वो आगयी ,इनका माल ,सच में जिल्ला टॉप माल थी , एकदम मस्त लग रही थी।


 
हॉल्टर टॉप बस नूडल स्ट्रिंग के साथ ,मरमेड टॉप, शोल्डर लेस , .... 

और गुड्डी के गोरे गोरे कंधे अब खुल के दिख रहे थे। 

टॉप एकदम उसके उभारों से चिपका सेकेण्ड स्किन  की तरह ,उभारो को और दबा के उभारता

क्लीवेज और जोबन का ऊपरी हिस्सा तो अच्छी तरह दिखता ही , उसकी कच्ची अमिया का शेप साइज सब कुछ
[Image: halter-top-4-BS-BS302-M-0354-CAT2015-1.jpg]


और जरा भी झुकती तो मटर के दानों ऐसे उसके निप्स भी साफ़ साफ़ दिख जाते। 
 
और शोल्डर लेस होने , नार्मल ब्रा तो चलती नहीं ,इसलिए स्ट्रैप लेस वो भी स्किन कलर की

,एकदम चिपकी मुश्किल से ढाई इंच की पट्टी की तरह लेकिन नीचे से पुश अप

उभारती जिससे क्लीवेज और क्लियर हो के ,... फ्रंट ओपन।
 
स्कर्ट भी माइक्रो और मिनी के बीच का , घुटनो से कम से कम डेढ़ बित्ते पहले ख़तम हो जा रहा ,


उसकी चिकनी मांसल मखमली जाँघे ,लम्बी लम्बी गोरी टाँगे , स्निग्ध पिंडलियाँ एक भी रोयें नहीं ,एकदम मक्खन।


[Image: halter-top-1.jpg]
 
जेठानी जी ने एक दम सही  कमेंट मारा


" अरे ये तो चीयर लीडर्स से भी दस हाथ आगे लग रही है। "


[Image: jethani-b521da557b2abb4d22da9d9a58405c3e.jpg]
 
अरे मैं लायी थी चुन के ये ड्रेस इसी लिएऔर इस कमेंट से पैसा वसूल हो गया।
 
" न्यू पिंच

मैंने हॉल्टर के ऊपर से गुड्डी के निप्स पिंच कर लिए।


मेरी जेठानी क्यों छोड़ती ,दूसरा निपल  उनके हाथ में


लेकिन तब तक एक के  बाद एक प्रेशर कुकर की सिटी बजी और वो किचेन की ओर ,दरवाजे के बाहर पहुँच कर उन्होंने मुझे भी हंकार लगायी ,
 
" आती  हूँ दीदी बस एक मिनट "
 
 एक काम तो बाकी रह गया था। 
 
" हे जरा पीछे से तो देख लूँ कैसा लग रहा है " मैं उससे बोली।
 
एक हाथ से मैंने उसकी स्कर्ट उठायी ,उसकी पैंटी बल्कि थांग 


आगे से बस चुनमुनिया को ढंकने के लिए दो इंच की पट्टी और पीछे चूतड़ों के बीच एक रस्सी सी ,

[Image: Thong-2ebb52897fbc02abc2131a029a6e26b9.jpg]

बल्कि धागे सा दोनों नितम्बों की दरार में अटका।

[Image: Thong-1000446.jpg]
 
और दूसरे  हाथ से मैंने इनका शार्ट सरका दिया ,तना खड़ा बेताब खूंटा बाहर,


मोटा सुपाड़ा एकदम खुला।

[Image: cock-head-20266274.jpg]


और मैंने धक्का देकर गुड्डी को एक बार फिर उनकी गोद में.


 अब खुला तन्नाया सुपाड़ा सीधे गुड्डी की  गांड की दरार से रगड़ खा रहा था।
 
झुक के गुड्डी  के कान में मैं बोली ,
 
" क्यों कैसा लग रहा है भैय्या का ,चल अब शर्म छोड़ और खुल के मस्ती कर। 

है खूब मोटा कडा कडा। सोच जब ऊपर ऊपर से इत्ता मजा दे रहा है तो अंदर घुसेगा कितना  मजा देगा। "

[Image: Teej-af591cd2063a235c1fe47f5a4b2e423a.jpg]
 
वो ब्लश  भी कर रही थी और स्माइल भी ,लेकिन अपने भईया के खूंटे से उठने की जरा भी कोशिश नहीं की उसने।
 
उनसे भी मैं बोली ,

" अरे सही जगह पकड़ो अब मैं और जेठानी जी घंटे भर के लिए किचेन में

और उनका हाथ सीधे , अपनी ननद के जुबना पर रख दिया।

फिर एकदम सीधे गुड्डी से बोली ,

" क्यों मस्त हैं लंड भय्या कम सैंया का , खुल के  मजा ले "
 
निकलते समय दरवाजे से मैंने एक हिंट और दिया ,
 
" कड़वा तेल तो नहीं  है लेकिन तकिये के नीचे वैसलीन की बड़ी शीशी है। "
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बाजी

[Image: Guddi-necklace-8d727cbc88e2047ca2c8dc046e11a6b7.jpg]



निकलते समय दरवाजे से मैंने एक हिंट और दिया ,

 
" कड़वा तेल तो नहीं  है लेकिन तकिये के नीचे वैसलीन की बड़ी शीशी है। "
 
और बाहर से दरवाजा सिर्फ बंद किया बल्कि हलके से कुण्डी भी लगा दी।
 
घंटे भर बाद लौटी मैं तो पहले तो अच्छी तरह नॉक किया, बजा बजा के कुण्डी खोली, १०० तक गिना और फिर अंदर घुसी।


लेकिन उसके पहले दरवाजे से कान लगाकर   अंदर का मैंने हाल चाल जानने की कोशिश की ,
 
" उन्हह उऊयीभय्या , तू बहुत बदमाश हो गए हो

वो हलके से सिसकती हुयी बोली।
 
" और पहले कैसा था " उनकी फुसफुसाती हुयी आवाज आयी।
 
" बुद्धू ,एकदम बुद्धू , बहुत ही ज्यादा।

हलके से खिलखिलाती हुयी आवाज आयी मेरी ननद की हलकी हलकी।


 
" तुझे कैसे भइया अच्छे लगते हैं, बुद्धू  वाले ,या बदमाश वाले। "


" दोनों ,लेकिन बदमाश वाले थोड़े ज्यादा , लेकिन थोड़े से तो बुद्धू अभी भी हो

गुड्डी बोली।
 
[Image: Girls-mallu-hot-actress-bhavana.jpg]

और तभी मैंने नाक किया ,१०० तक गिना और अंदर एंट्री मार दी।
 
वो अभी भी अपने भय्या की गोद में ठसके से बैठी और उनका हाथ उसकी कच्ची अमिया पे।
[Image: sixteen-teen-tits-2.jpg]

 
मुझे देखकर ,जैसे  किसी की चोरी पकड़ी गयी हो , वो चुपके से सर झुकाये , मेरी नजर बचाये तेजी से बाहर निकल गए।
 
लेकिन  उनकी ममेरी बहिनिया पकड़ी गयी।


दबोच लिया मैंने उसे , जैसे कोई तेज बिल्ली किसी छोटी सी शरारती चुहिया को पकड़ ले।
 
और दबोच कर दीवाल से दबाते , मेरे बड़े बड़े जोबन उसकी कच्ची अमिया कस के रगड़ रहे थे।
 
मैं कुछ कहती बोलने की कोशिश करती ,
 
लेकिन बिना अपने को छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश किये

मेरी बड़ी बड़ी चूँचियों से अपनी छोटे टिकोरों को दबवाती मसलवाती , मेरी आँखों में अपनी कजरारी आँखे डाल के मुस्कराती ,
 
बिना कुछ बोले उसने बहुत कुछ बोल दिया , उसकी उँगलियाँ मेरे गले के 'नौलखे ' हार को छूकर


[Image: Kundan-necklace-f2b1155a2e48b776ea5bf72d...ellery.jpg]
 
 जी हाँ ,ये वही हार था जिसकी बाजी लगी थी।
 
फिर वो शोख बोली , भाभी मैं सोच रही थी दो दिन बाद  ये हार मेरे गले में कैसा लगेगा।
 
( जिन सुधी पाठकों/पाठिकाओं को इस बाजी की याद हलकी हो गयी है , कहानी के शुरू   में  पेज १० पर , जस का तस कोट कर देती हूँ ,
 
एक दिन ,अभी भी मुझे याद है ,१० अगस्त।
 
 
 
हम लोग दसहरी आम खा रहे थे मस्ती के साथ ( वो खाना खा के ऊपर चले गए थे ) और तभी मेरी छुटकी ननदिया आई। और मेरे पीछे पड़ गयी।
 
 
 
 
 
 
 
 
" भाभी ये आप क्या कर रही हैं ,आम खा रही हैं ?"
 
 
 
मैंने उसे इग्नोर कर दिया फिर वो बोली
 
,मेरे भैय्या , आम छू भी नहीं सकते ,…"

[Image: girls-46de351d45172029c27466c596b56451.jpg]

 
" अरे तूने कभी अपनी ये कच्ची अमिया उन्हें खिलाने की कोशिश की , कि नहीं , शर्तिया खा लेते


चिढ़ाते हुए मैं बोली।

[Image: Teej-264f0bf5592383050a9608632f270fc4.jpg]
 
जैसे समझ रही हो वैसे भोली बन के उसने देखा मुझे।
 
" अरे ये , " 

और मैंने हाथ बढ़ा के उसके फ्राक से झांकते , कच्चे टिकोरों को हलके से चिकोटी काट के चिढ़ाते हुए इशारा किया और वो बिदक गयी।
 
 
 
" ये देख रही हो , अब ये चाहिए तो पास आना पड़ेगा "
 
 
मुस्करा के मैंने अपने गुलाबी रसीले भरे भरे होंठों की ओर इशारा करके बताया।
 
और एक और दसहरी आम उठा के सीधे मुंह में , …"


 [Image: mango-slice-1.jpg]
 
और एक पीस उसको भी दे दिया , वो भी खाने लगी , मजे से।
 
थे भी बहुत रसीले वो।


लेकिन वो फिर चालू हो गयी ,
 
 
" पास भी नहीं आएंगे आपके , मैं समझा रही हूँ आपको , मैं अपने भैया को आपसे अच्छी तरह समझतीं हूँ, आपको तो आये अभी तीन चार महीने भी ठीक से नहीं हुए हैं . अच्छी तरह से टूथपेस्ट कर के , माउथ फ्रेशनर , … वरना,… "
 
उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।


मैं एड़ी से चोटी तक तक सुलग गयी ,ये ननद है की सौत और मैंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
 
" अच्छा , चलो लगा लो बाजी। अब इस साल का सीजन तो चला गया , अगले साल आम के सीजन में अगर तेरे इन्ही भैय्या को तेरे सामने आम खिलाया तो कहना। "
 
मैंने दांव फ़ेंक दिया।
[Image: Teej-37347221-883733995144774-7968976810278912-n.jpg]

लेकिन वो भी , एकदम श्योर।

" अरे भाभी आप हार जाएंगी फालतू में , उन्हें मैं इत्ते दिनों से जानती हूँ। खाना तो दूर वो छू भी लें तो मैं बाजी हार जाउंगी। "
 
 
 
वो बोली।
 
 
लेकिन मैं पीछे हटने वाली नहीं थी ,
 
" ये मेरे गले का हार देख रही हो पूरे ४५ हजार का है। अगर तुम जीत गयी तो तुम्हारा ,वरना बोलो क्या लगाती हो बाजी तुम ,"
 
तब तक मेरी जेठानी भी आगयी और उसे चिढ़ाती बोलीं ,
 
" अरे इसके पास तो एक ही चीज है देने के लिए। "
 
 
पर मेरी छुटकी ननद , एकदम पक्की श्योर बोली। " आप हार जाइयेगा। "
 
जेठानी फिर बोलीं , मेरी ननद से
 
" अरे अगर इतना श्योर है तो लगा ले बाजी क्यों फट रही है तेरी। "
 
और ऑफर मैंने पेश किया ,
 
 
 "ठीक है तू जीत गयी तो हार तेरा और मैं जीत गयी तो बस सिर्फ चार घंटे तक जो मैं कहूँगी ,मानना पडेगा। "


 
पहली बार वो थोड़ा डाउट में थी। 

" अरे मेरे सीधे साधे भैया को जबरन पकड़ के उसके मुंह में डाल दीजियेगा आप लोग , फिर कहियेगा ,जीत गयीं " बोली गुड्डी।
 
 
" एकदम नहीं वो अपने हाथ से खाएंगे , बल्कि तुझसे कहेंगे ,तेरे हाथ से खुद खाएंगे अब तो मंजूर। और तुझे भी अपने हाथ से खिलायंगे। एक साल के अंदर। अब मंजूर। "
 
मैंने शर्त साफ की और वो मान गयी।


[Image: Teej-f55d9723a976d5c56c9091478867ec85.jpg]
 
(मेरी जेठानी ने मेरे कान में कहा , सुन तेरा हार तो अब गया।)
 
आज वो कुछ ज्यादा ही मस्ता रही थी।
 
उसकी मेरे हार से खेलती  उँगलियों का जवाब , मेरी उँगलियों ने दिया,


उसके हाल्टर टॉप से झांकते निप्स को दबोचकर , और उसकी आँखों में आँखे डालकर , मुस्कराते मैंने पूछा ,
 
" याद है और अगर तू हार गयी तो ,,,,...  "
 
" याद है फिर ये हार गया मेरे हाथ से और चार घंटे की गुलामी ,लेकिन आपकी ये ननद हारने वाली नहीं , हार लेने वाली है। 
और आप ने बाजी भी ऐसी लगा दी है जो आप कभी जीत ही नहीं सकती "
 
मुस्कराती हुयी घमंड से वो बोली और उस की उंगलियां हार  पर एकदम जकड़ गयीं। 


 
तबतक जेठानी जी ने फिर हंकार दी और हम दोनों खाने की टेबल पर , वो भी वहीँ खड़े थे 

लेकिन बोले ज़रा मैं वाश रूम हो के आता हूँ।
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 और मैं तो जान बूझ कर इन्हे ललचाने के लिए जरूर बैकलेस में 

[Image: Backless-blouse-designs10.jpg]


टीवी के सामने बैठकर , उनकी गोद में ,... वो भी लहंगे चोली में , कितनी यादें ताजा कर दी आपने , सच में बैकलेस का मतलब पीठ में आठ दस चुम्मी तो हो ही जाती हैं और मैं तो जान बूझ कर इन्हे ललचाने के लिए जरूर बैकलेस में 


कोमल जी,

"मैं तो जान बूझ कर इन्हे ललचाने के लिए जरूर बैकलेस में ", कदम सच्ची, कसम से, जब मैं चोली, या बैकलेस ब्लाउज पहनती हु, और उसे, पेहेनते हुए यही सोचती हु, बेटा निहारिका, आज तू गई , दिन मैं दो - तीन बार पैंटी बदलनी पड़ेगी, और रात को "भूखा शेर" जो दिन भर से "रात" होने का इंतज़ार कर रहा है, 

हर आधे घंटे मैं किसी भी बहाने से, पास बुला लेना , या आ जाना 

"निहारिका ", मेरी ऑफिस की फाइल नहीं मिल रही, कहाँ रख दी. 

उफ़, 

सुनते ही मेरी "निचे वाली" पानी छोड़ देती है, और जोबन तन जाते हैं, मेरा चेहरा गर्म।

दो - तीन सेकण्ड्स, के लिए दिखाई नहीं देता, बस मुँह से यही निकलता है " आयी". 

जाते हुए, अपने को कोसती हु, और पहनो "बैकलेस", अब भुगतो। 

कोमल जी, 

उफ़, क्या "पिक"  लगायी है आपने, दिल के अरमान जगा दिये,  एक ऐसा ही ब्लाउज बनवाने की इच्छा है, कब से, पर टेलर के सामने "बोल" ही नहीं पाती।  एक तो उसका "चक्षु ***" चलता रहता है, ऊपर से अगर ऐसा ब्लाउज , हिम्मत ही नहीं हुई.

... 
भी ननदिया का नंबर है 
बाजी जो जीतनी है उससे , 
" मेरे भैया नाम भी न ले सकते छूना तो दूर की बात , ..." बस उसके सामने उसी के हाथ से 
और एक बार जीत गयी मैं तो चार घंटे  के लिए ननद रानी पर  मेरा कब्जा , 
...
ओह, सच्ची, ननदिया , कच्ची - कली, " फूल" बनने का समय , हाय , हम भी थे "कच्ची- कलि", उफ़। ... नहीं लिखा जा रहा अब। ..... 
अब तो  "ननदिया", के साथ ही,  दोबारा "जी" लेंगी वो पल. 

एक मीठे इंतज़ार के साथ। ..... 

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
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(15-04-2020, 10:15 PM) pid=\1844882' Wrote:[Image: jethani-b521da557b2abb4d22da9d9a58405c3e.jpg]
 

"झुक के गुड्डी  के कान में मैं बोली ,
 
क्यों कैसा लग रहा है भैय्या का ,चल अब शर्म छोड़ और खुल के मस्ती कर। 

है  खूब मोटा कडा कडा। सोच जब ऊपर ऊपर से इत्ता मजा दे रहा है तो अंदर घुसेगा कितना  मजा देगा। ""


कोमल जी, 

"आपने , वो बस वाले किस्से की याद दिला दी, मेरी "उसकी" रगड़ायी हो रही थी, मैं यह सोच रही थी , अगर पैंटी न होती तो कितना अच्छा होता , बस मैं रास्ते की धक्को मैं इनके "धक्के" सुर, ताल, लय  सब बन जाती। 

शर्म, ही तो ले डूबती है हम लड़कियों को , नहीं तो हम, "निचे वाली" के बरसते "सावन" मैं सबको कभी के बहा ले जाते, 

अब तो यह "सावन" उनके लिए ही "बरसता" है.

कोमल जी, आपके तड़पाने और लिखने की तारीफ, और  साथ ही एकदम जानमारु , सटीक कहानी मैं रस भरते हुए पिक। क्या बताऊ , रस वहां  भरते हैं , गीली हम होती हैं. - सच्ची।

अभी आगे और पढ़ना था, पर लिखे बिना रहा नहीं गया,  इस ब्लाउज डिज़ाइन की वजह से. 

मुझे बहुत  अच्छी लगी, एकदम कातिलाना , जैसे आपकी - लेखनी।

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


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कोमल जी, 

"दबोच लिया मैंने उसे , जैसे कोई तेज बिल्ली किसी छोटी सी शरारती चुहिया को पकड़ ले।"

   उफ़, कोमल जी , गज़ब, एकदम बोरा दिया है दिमाग को आज, आपने। यह तो वो ही बात हुई "हम तुम एक कमरे मैं बंद हो......"  एकदम - कामुक। मज़ा आ गया जी.

"मेरी बड़ी बड़ी चूँचियों से अपनी छोटे टिकोरों को दबवाती मसलवाती , मेरी आँखों में अपनी कजरारी आँखे डाल के मुस्कराती , बिना कुछ बोले उसने बहुत कुछ बोल दिया , उसकी उँगलियाँ मेरे गले के 'नौलखे ' हार को छूकर"

"उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।"

मैं एड़ी से चोटी तक तक सुलग गयी ,ये ननद है की सौत और मैंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया। 
कोमल जी, 

यही, औरत कुछ भूल नहीं पाती, खासकर अपने "अपमान" को. महाभारत से आज तक, एक तो औरत का अपमान होता  रहा है , गली - मोहल्ले के मर्द वो तो इनका जोर नहीं चलता , बस आखो  से ही करलेते है "***कार". मर्द तो मर्द औरत  भी कहाँ कम हैं सुलगाने मैं , 

हम सभी औरते "वो" फीलिंग समझ सकती हैं, कितना सब्र किया होगा, और आज , "बाज़ी" आपके हाथ मैं क्यूंकि "साजन" साथ मैं.

बिन पानी मछली , गुड़ी रानी। ........ 

कोमल जी, 
[Image: Teej-37347221-883733995144774-7968976810278912-n.jpg]
अब यह पिक , जानमारू , शायद प्याजी कलर है, है न, उफ़, इसको देखते ही, कुछ - कुछ होता है, 
और सच्ची "यह चोली" की डिज़ाइन एकदम सैम तो सैम है मेरी वाली  कलर फ़ास्ट ऑरेंज है मेरा.

यह भी मुझे बहुत  अच्छी लगी, एकदम कातिलाना , जैसे आपकी - लेखनी।

.....................

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


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लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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(16-04-2020, 12:40 AM)Niharikasaree Wrote: "झुक के गुड्डी  के कान में मैं बोली ,
 
क्यों कैसा लग रहा है भैय्या का ,चल अब शर्म छोड़ और खुल के मस्ती कर। 

है  खूब मोटा कडा कडा। सोच जब ऊपर ऊपर से इत्ता मजा दे रहा है तो अंदर घुसेगा कितना  मजा देगा। ""


कोमल जी, 

"आपने , वो बस वाले किस्से की याद दिला दी, मेरी "उसकी" रगड़ायी हो रही थी, मैं यह सोच रही थी , अगर पैंटी न होती तो कितना अच्छा होता , बस मैं रास्ते की धक्को मैं इनके "धक्के" सुर, ताल, लय  सब बन जाती। 

शर्म, ही तो ले डूबती है हम लड़कियों को , नहीं तो हम, "निचे वाली" के बरसते "सावन" मैं सबको कभी के बहा ले जाते, 

(16-04-2020, 01:03 AM)Niharikasaree Wrote:
कोमल जी, 

"दबोच लिया मैंने उसे , जैसे कोई तेज बिल्ली किसी छोटी सी शरारती चुहिया को पकड़ ले।"

   उफ़, कोमल जी , गज़ब, एकदम बोरा दिया है दिमाग को आज, आपने। यह तो वो ही बात हुई "हम तुम एक कमरे मैं बंद हो......"  एकदम - कामुक। मज़ा आ गया जी.


कोमल जी, 
[Image: Teej-37347221-883733995144774-7968976810278912-n.jpg]
अब यह पिक , जानमारू , शायद प्याजी कलर है, है न, उफ़, इसको देखते ही, कुछ - कुछ होता है, 
और सच्ची "यह चोली" की डिज़ाइन एकदम सैम तो सैम है मेरी वाली  कलर फ़ास्ट ऑरेंज है मेरा.

यह भी मुझे बहुत  अच्छी लगी, एकदम कातिलाना , जैसे आपकी - लेखनी।

.....................

आपके कमेंट्स 


 एकदम मेरी पोस्ट पर सोने में सुहागा बल्कि उससे भी कई गुना ज्यादा 

पहली बात बैकलेस , एकदम मेरी तो फेवरिट है , ... कच्छी स्ट्रिंग चोली , ... पार्टी शादी ब्याह ,... आखिर गोरी चिकनी पीठ का फायदा क्या , ... और जो मेरे साजन की पसंद वो मेरी पसंद ,

और बात ननद की तानो की 

सही बात है जिस पर पड़ता है वही समझता है , आप ने पूनम जी ने कुसुम जी , सच में ननद जेठानी के तानों का डंस समझा है और उसे कहानी में भी , समझ रही हैं ,  

सही बात है आप नयी नयी ब्याह कर के आओ और हाथ भर की लड़की , दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ने वाली , बात बात पर बोलती रहे 

" भाभी आप मेरे भैया को नहीं जानती , मैं बताती हूँ इन्हे क्या अच्छा लगता है , ... " 


सच में ऐसे मौकों पर ननद सौतन ही लगती है ,   

और  बोल तो कुछ सकती नहीं हाँ मन में बस यही बात बात बार उठती है , 

चल अगर तुझे इतना सौतन बनने का शौक है तो बन न , लिटा देती हूँ तुझे इनके नीचे , 

चुटकी भर सिन्दूर पर तो अब मेरा हक है हाँ गाढ़ी सफ़ेद मलाई चाहे जितना ,... 

आज मैंने होली के रंग में भी तीन पोस्ट पोस्ट  कर दी है 

आप तो सब समझती हैं , जब मौका मिलता है यहाँ आ कर , ... 
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Brick 
क्या बात है इस दिन का ही तो इंतज़ार है सब को आप के साथ साथ
 आप से शर्त भी हारेगी ओर आप की गुलाम भी बनेगी अब पासा पलट चुका है गुड्डी  Smile
गुड्डी,जेठानी सब नाडा खोलेगी कोमल के सामने
  ओर मूसल भी जाएगा,कोमल जी के धक्के भी खायेगी क्यों कि कोमल जी का बदला कोमल जी को ही लेना है

 एक बार कैसे भी गुड्डी को अपने साथ ले आओ
   फिर हर दिन हर रात गौनें की रात होगी

भैया आम भी खाएंगे ओर तुझे चो*** भी बहुत जल्दी
 बहुत मस्त अपडेट ओर कोमल जी  Namaskar Heart
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(16-04-2020, 11:50 AM)komaalrani Wrote: आपके कमेंट्स 

 एकदम मेरी पोस्ट पर सोने में सुहागा बल्कि उससे भी कई गुना ज्यादा 

पहली बात बैकलेस , एकदम मेरी तो फेवरिट है , ... कच्छी स्ट्रिंग चोली , ... पार्टी शादी ब्याह ,... आखिर गोरी चिकनी पीठ का फायदा क्या , ... और जो मेरे साजन की पसंद वो मेरी पसंद ,

और बात ननद की तानो की 

सही बात है जिस पर पड़ता है वही समझता है , आप ने पूनम जी ने कुसुम जी , सच में ननद जेठानी के तानों का डंस समझा है और उसे कहानी में भी , समझ रही हैं ,  

सही बात है आप नयी नयी ब्याह कर के आओ और हाथ भर की लड़की , दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ने वाली , बात बात पर बोलती रहे 

" भाभी आप मेरे भैया को नहीं जानती , मैं बताती हूँ इन्हे क्या अच्छा लगता है , ... " 


सच में ऐसे मौकों पर ननद सौतन ही लगती है ,   

और  बोल तो कुछ सकती नहीं हाँ मन में बस यही बात बात बार उठती है , 

चल अगर तुझे इतना सौतन बनने का शौक है तो बन न , लिटा देती हूँ तुझे इनके नीचे , 

चुटकी भर सिन्दूर पर तो अब मेरा हक है हाँ गाढ़ी सफ़ेद मलाई चाहे जितना ,... 

आज मैंने होली के रंग में भी तीन पोस्ट पोस्ट  कर दी है 

आप तो सब समझती हैं , जब मौका मिलता है यहाँ आ कर , ... 

कोमल जी, 

" एकदम मेरी पोस्ट पर सोने में सुहागा बल्कि उससे भी कई गुना ज्यादा " , मैं तो आती ही आपकी  कहानी के लिए हु, एक जुड़ाव सा , अपनापन सा लगता है. साथ ही, कुछ अपनी "कह " जाती हु.

"आखिर गोरी चिकनी पीठ का फायदा क्या ", सही , एकदम, आखिर उपरवाले ने "कुछ" तो दिया है, औरत को इतनी जिम्मेदारी और परेशानिओ के साथ, खुलकर मज़े लो. और "दूसरी" को जलाने - भुनाने मैं जो मज़ा है उसी अपनी बात है.

सच में ऐसे मौकों पर ननद सौतन ही लगती हैगर तुझे इतना सौतन बनने का शौक है तो बन न , लिटा देती हूँ तुझे इनके नीचे - सच मैं, कोमल जी, "नयी  वाली" बहु को काबू मैं रखना , बड़ी तेज़ लगती है, आस पास वाली औरतो की आवाज आती है, बस कम उम्र की लड़की भी "नानी" बनने लगती है, परिवार की शय पर,  और यहाँ  तो [कहानी] मैं जैसे "सब" जानती हो.

चुटकी भर सिन्दूर पर तो अब मेरा हक है - यह लाइन सबसे उत्तम, इस से बढ़कर कुछ नहीं, औरत के जीवन मैं. 

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


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(16-04-2020, 12:00 PM)@Kusum_Soni Wrote: क्या बात है इस दिन का ही तो इंतज़ार है सब को आप के साथ साथ
 आप से शर्त भी हारेगी ओर आप की गुलाम भी बनेगी अब पासा पलट चुका है गुड्डी  Smile
गुड्डी,जेठानी सब नाडा खोलेगी कोमल के सामने
  ओर मूसल भी जाएगा,कोमल जी के धक्के भी खायेगी क्यों कि कोमल जी का बदला कोमल जी को ही लेना है

 एक बार कैसे भी गुड्डी को अपने साथ ले आओ
   फिर हर दिन हर रात गौनें की रात होगी

भैया आम भी खाएंगे ओर तुझे चो*** भी बहुत जल्दी
 बहुत मस्त अपडेट ओर कोमल जी  Namaskar Heart

कुसुम जी,

यह हुई न बात, बड़े "जोश" मैं लग रही हो आज तो आप.  अच्छा लगा आपको "जोश" मैं देखकर, आप आती हैं तो माहौल अलग रंग ले लेता है. 

मस्त - एकदम मस्त।

इंतज़ार मैं। ........

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