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कम्मो
कम्मो ,
चलिए बता ही देती हूँ , गाँव के रिश्ते से मेरी जेठानी इनकी भौजी ,...
असल में उसकी सास हमारे यहां काम करती थी , लेकिन महीने दो महीने के लिए तीर्थयात्रा वाली बस पर , ...
और तब से कम्मो ही ,... उम्र मेरी जेठानी के ही आसपास , शायद एक दो साल ज्यादा होगी ,... २७-२८ खूब गोरी तो नहीं लेकिन सांवली भी नहीं , गेंहुआ , पर देह खूब भरी , मांसल और एकदम ठोस , जैसे काम करने वालियों की होती हैं ,
मांसल सख्त पिंडलियाँ , और सबसे मस्त थीं उसकी छातियां , ३६ डी डी से तो कत्तई कम नहीं होंगी , क्या पता ३८ ही हों , बल्कि शायद ३८ ही होंगी , ऊपर से ब्रा नहीं पहनती थी।
लेकिन मजाल क्या की ज़रा भी ढीली लगें , एकदम ठोस ,
और उसी तरह पिछवाड़ा भी , परफेक्ट दीर्घ नितंबा , और ताकत बहुत थी उसके देह में
सबसे अच्छी बात थी मेरी एकदम पक्की वाली अच्छी वाली दोस्त , ...
अभी तो आठ दस दिन पहले ही आयी थी , और सासू जी ने पीछे वाली कोठरिया दे रखी थी।
आधे टाइम घर में हम सब के साथ ही , किचेन में हेल्प कराती , हर काम में ,
और हम लोग एकदम खुली वाली छेड़छाड़ , उसका मरद दुबाई कमाने गया था , दो साल से आया नहीं था ,
मैंने उसके पिछवाडे चिकोटी काटते चिढ़ाया ,
' तेरा काम कैसे चलता है '
और वो एकदम खुल के हंस के बोली ,
" अरे ससुराल में हूँ , सारे मरद मेरे देवर लगते हैं , बस देवर भाभी का तो ,... "
" मान लो कोई देवर थोड़ा शरमाये , झिझके , ... तो, ... "
मैंने छेड़ा ,
" अरे तो पटक के चोद दूंगी उसको ,... और गाँड़ मारूंगी सो अलग ,... आखिरी भौजाई हूँ , मेरा हक है। "
वो एकदम खुल के खिलखलाती बोली ,
उसका यही आटिट्यूड तो , शादी के बाद से ही ,...असल में गारी वारी तो मुझे सब आती थी , लेकिन ससुराल में झिझक , शर्म लाज , ... और मेरी दुर्गत करने वालों में , दुलारी ,... इनके गाँव की नाउन की लड़की , अभी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी , उमर में मुझसे दो चार महीने छोटी ही थी लेकिन एकदम खुल्लम खुल्ला , और मंझली ननद उसे ही चढाती थीं मेरे ऊपर ,
और ऐसे मौके पर कम्मो ,... उसके भी कान काटती थी , ... सारी भौजाइयों के ओर से अकेले काफी थी।
अनुज, गुड्डी और उसकी सहेलियां भी कम्मो को न सिर्फ भौजी कहते थे बल्कि मानते भी थे।
और कम्मो भी उन सबकी ऐसे ही खुल के रगडायी भी करती थी , असली वाली गारी दे दे कर ,
दी ने बता तो दिया की मुझे कैसे पता चलेगा , फागुन लग गया , ... उनके देवर के गाल देखकर , ...
लेकिन एक सवाल मेरे सीने में फांस की तरह अटका था ,
सवाल तो इनके लिए भी टेढ़ा था , पर हालत इनकी मुझसे भी ज्यादा फंसी थी , कैसे बोले
सवाल टेढ़ा था , मेरी पहली होली , ...
शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , ...
बहुत पुराना चलन है , ..और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , ...
और ऊपर से मेरी गाँव वाली भौजाइयां , ...सब की सब ,... बिन्नो , ... पहली रात तो झेल लेगी तू दर्द तो बहुत होगा , लेकिन सबकी फटती है पहली रात , तेरी भी फट जायेगी , और फिर वैसलीन , कडुआ तेल ,...और अगर दूल्हा थोड़ा ख्याल रखने वाला हुआ तो सम्हाल कर ,
लेकिन होली के दिन तो देवर , नन्दोई , और नयी भाभी देख कर तो पूरा मोहल्ला देवर बन जाता है , और ननदें भी कौन कम होती हैं ,..
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मेरी पहली होली ,
शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , ... बहुत पुराना चलन है , ..
और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , ...और ऊपर से मेरी गाँव वाली भौजाइयां , ...सब की सब ,...
बिन्नो , ... पहली रात तो झेल लेगी तू दर्द तो बहुत होगा , लेकिन सबकी फटती है पहली रात , तेरी भी फट जायेगी , और फिर वैसलीन , कडुआ तेल ,...और अगर दूल्हा थोड़ा ख्याल रखने वाला हुआ तो सम्हाल कर ,
लेकिन होली के दिन तो देवर , नन्दोई , और नयी भाभी देख कर तो पूरा मोहल्ला देवर बन जाता है , और ननदें भी कौन कम होती हैं ,...
लेकिन डर से ज्यादा , ...
अब तो मुझे देवर ननदोई के साथ , ... लेकिन बात कुछ और थी , ...
फिर हमारे नन्दोई तो जबरदस्त रसिया , शादी में ही हम दोनों एकदम खुल गए थे और उन्होंने अपनी सलहजों और पत्नी के सामने मुझे चेताया था ,
" मैं सलहज से अपनी पिचकारी से सिर्फ सफ़ेद रंग वाली होली खेलता हूँ , ... "
और मेरी ओर से जेठानी ने जवाब दिया था ,
" मेरी देवरानी को ऐसी वैसी मत समझियेगा नन्दोई जी , आपकी पिचकारी पिचका के रख देगी ,... "
और मेरी सारी जेठानियाँ , ननदे जोर से हंसी और मेरी एक छोटी ननद बोली ,
" जीजू , अबकी असल मुकाबला होगा , ... "
लेकिन मेरे नन्दोई की निगाह मेरी लो कट चोली से झांकती गोरी गोरी , गुदाज गोलाइयों पर फिसल रही थी , असल में बदमाशी उसी ननद की थी , दो ननदों ने मेरा हाथ पकड़ा था और उस दुष्ट ने आँचल एकदम नीचे , और ऊपर से मंझली ननद ( नन्दोई जी की पत्नी ) बोलीं ,
अरे नन्दोई से क्या शरमाना।
" मैं चोली फाड़ के होली खेलता हूँ , ... "
नन्दोई जी ने उकसाया , और जेठानी जी जिस तरह से मेरी ओर देख रही थीं , मैं समझ गयीं , मैं जवाब दूँ
" आइये तो आप , नन्दोई जी , ... आप चोली फाड़ेंगे तो हम क्या आपका पजामा छोड़ेंगे , ... यहीं फाड़ के , ... इसी आँगन में नचाएंगी ,... "
हँसते हुए मैं बोली फिर जोड़ा , और ननद से बोली ,
" एक ऑफर है , स्पेशल होली ऑफर , ... अब नन्दोई जी तो मेरे साथ , ... ननद जी फिर एक्सचेंज कर लीजिये , मेरे साजन आपके साथ , और आपके साजन मेरे साथ , ,,, "
पहले गलती से वो हाँ बोल गयी और फिर भौजाइयों की हंसी ने उन्हें अंदाज दिलाया और मेरे गाल मींजती हुयी ख़ुशी से बोली
" तू कल की आयी , चार दिन भी नहीं हुए अभी , और मेरे भाई को मेरे ऊपर चढ़ा रही है , तेरे मायके में ये छिनरपना होता होगा। "
लेकिन नन्दोई जी नहीं आ रहे थे
, बहुत अफ़सोस हुआ उन्हें ,...और मुझे भी।
दस बार फोन किया होगा उन्होंने , ...एक तो उनके मायके में एक शादी पड़ गयी थी , होली के एक दिन पहले ही , और दूसरे उन्हें कहीं जॉब के चक्कर में जाना पड़ रहा था , मैंने बहुत समझाया उन्हें ,... चलिए अगले फागुन में , ... होके बोले ,
" सूद सहित लूंगा तेरी , अगवाड़ा भी पिछवाड़ा भी "
" एकदम , हँसते हुए मैं बोली , मुझे मालूम है आप छेद छेद में भेद नहीं करते, और मैं भी छोडूंगी नहीं , लेकिन एक दिन नहीं पूरे हफ्ते भर के लिए "
असल में ये राज उनकी पत्नी ने मुझे मेरी सुहागरात के दूसरे दिन ही बता दिया था , दोपहर में हम सब रजाई में और वो और दुलारी मेरे दोनों ओर ,
दुलारी ने पहले बताया की सुहागरात के चौथे दिन , उसके पिछवाड़ा का रास्ता खुल गया था ,
और मंझली ननद ने भी कबूला , ... हनीमून वो लोग गए थे वहीँ , और अब तो बिना नागा , हर सैटरडे को ,...
और अगर कोई उस दिन छुट्टी पड़ी तो उस दिन भी ,...
फिर दोनों मेरे पीछे पड़ गयीं
" नयकी भौजी , इतना चूतड़ मटका के चलत बाड़ू न तोहरा पिछवाड़ा भी न बची। "
मुझे मालूम था , न बचे तो न बचे।
लेकिन मुझे ये भी मालूम था , मेरे हिस्से में लड़का आया था खूंटा उसका जितना भी खूंख्वार क्यों न हो शर्मीला नंबरी , ... मैं जानती थी ललचाता है वो उसका मन भी करता है , पर घबड़ाता है वो की कहीं मैं बुरा न मान जाऊं ,
लेकिन उससे भी बड़ी बात थी , जो एकदम सही थी , पिछवाड़े , अगवाड़े से भी ज्यादा दर्द होना था , कम से कम पहली बार।
हाँ तो जैसे मैंने बोला कुल मिला के ये बात थी की इस होली पर ननद ननदोई नहीं आने वाले थे , और मेरी होली तो उन्ही के साथ , यहाँ घर पर तो कोई ननद नहीं थी न देवर ,
सिवाय इनकी ममेरी बहन और भाई , ... मेरे देवर अनुज के ,
और वो स्साला अनुज भी अपनी बचा के होली में भाग रहा था , ... असल में गलती उसकी नहीं थी , गलती एक्जाम की तारीख तय करने वालों की थीं ,
उसका इंजीनियरिंग का एक्जाम था होली के तीन चार दिन बाद , ... और सेंटर बनारस में पड़ा था , ...
वहीँ एक कोचिंग की थी एक हफ्ते की कोचिंग होली के पांच छ दिन पहले से ,
हालाकी उसकी होली तो अच्छी होनी थी , बनारस में गुड्डो थी न वही हाईकॉलेज वाली , मेरी जेठानी के मायके की , में जिसका फीता अनुज ने काटा था और अनुज का भी वो फर्स्ट टाइम था , फिर जेठानी का मायका , तो मेरे देवर की भी ससुराल ही हुयी न , ... ससुराल वो भी बनारस की , ...
पर मेरी पहली होली में तो उसे रहना नहीं था .
तो फिर होली में नन्दोई देवर दोनों का पत्ता कट गया ,
असल में मैं चाहती थी , होली में अपने मायके जाना , ...
उसी के बाद उनको ज्वाइन करना था और शादी के बाद मैं गयी नहीं थी , और फिर जब से मेरी शादी तय हुयी थी , इनकी दोनों सालियाँ , जब ये देखने आये थे , ... तभी मुझसे ताम्रपत्र पर लिखवा लिया था , जितने दिन उन के जीजू अपनी ससुराल में रहेंगे , .. मैं उन के जीजू की ओर देखूंगी भी नहीं ,... एकदम मैं मान गयी थी , तभी उनका फोन नंबर मिला मुझे।
और गांव में तो जितनी लड़कियां होती है सब की सब साली , और सब भौजाइयां सलहज , ...ख़ास तौर से काम करने वाली , नाउन कहाईन , सब , ...
फिर कोहबर में ही इनसे साली सरहज सबने तिरबाचा भरवा लिया था की होली में ये आयंगे , ...
इसलिए मन तो इनका भी कर रहा था , ... और हमारे गाँव में तो पूरे पांच दिन होली होती है , ... कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,
लेकिन बोले कौन ,...
ये बेचारे तो मुझसे तक बोल नहीं पा रहे थे , मेरी सास से क्या बोलते ,...
और हमारे यहाँ सब बातें खाने के समय ही होती थी , सारे फैसले और मेरी सास ही फैसले लेती थी।
लेकिन बात छेड़े कौन , ... मैं नहीं चाहती थी की मैं कुछ ऐसा बोल दूँ , ..सास मेरी इतना मानती थी मुझे , मेरे चक्कर में इन्हे डाँट पड़ जाती थी , तो उन के सामने , ,,,
रोज मैं जोड़ती थी फागुन , होली , सोचती थी आज हिम्मत कर के , ...
फिर होता था अगले दिन ,
अगले दिन तो नहीं उसके अगले दिन , ...
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Kya khoob likha hai ....
Mast !!
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Kya baat hai bahut shandaar update
Bus yuhi likhti raho
Hum intzaar karte hai aap k har update ka
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12-04-2020, 09:07 PM
(This post was last modified: 12-04-2020, 09:09 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , ...
बहुत पुराना चलन है , ..और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , ...
कोमल जी,
कमाल हो आप, ऐसा सुन्दर वर्णन किया है होली का , की अरमान ही जग गए।
होली से मैं जायदातर दूर ही रही, मायके मैं तो करीब न के बराबर। है, ससुराल मैं अब किसका जोर चलता है, रगडाइ हुई, परिवार की महिलायीं , पड़ोस की भाभी सब। ........ बदमाशी पे.
नयी लड़कियां , जैसे खुली छूट पे, मोहल्ले की भाभी के साथ मज़े लेती , और भाभी उनके मज़े, लेती।
पुरे माहौल मैं ही जैसे भांग घुली हो, सब मस्ती मैं, दो अर्थ वाले मज़ाक, कभी तो सीधे ही, नाम जोड़कर , यह सब सारी हरकत या तो आँगन मैं, या खुली छत पे , सिर्फ महिलाए। ... एकदम मस्ती मैं।
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क्या बात है कोमल जी
हर बार की भांति इस बार भी बहुत तड़पा के छोड़ा है हम पाठिकाओं को
कहानी को आप जिस तरह से मोड़ देती है जो मस्ती भरती हैं कमाल का हुनर हासिल है आप को
अब होली में आप के जलवे कौन नहीं जानता भला बहुत मजा आने वाला है
अगले होली स्पेशल धमाके के इंतज़ार में पूनम जी निहारिका जी के साथ आप की कुसुम
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दिन दिन कहानी में गर्मी बढ़ती जा रही है
ओर हमारी भी साथ साथ
बहुत अच्छी कहानी है कोमल जी
अब बार बार आप की क्या तारीफ करें
बस हर उपडेट के बाद पानी बरस जाता है
जैसे आषाढ़ की रातों में बरसता है
आप समझ रही है ना
अगले अपडेट की प्रतिक्षा में हूँ दिल थाम के
होली की धमाल निहारिका जी की तरह होली के मजे कम ही ले पाई मैं भी पर आप के साथ सभी सहेलियां ले लेंगी झम के
रंगों से नहीं तो ओर किसी से भर गीली हो ही जाएंगी ये पक्का वादा है
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(13-04-2020, 10:50 AM)@Kusum_Soni Wrote: क्या बात है कोमल जी
हर बार की भांति इस बार भी बहुत तड़पा के छोड़ा है हम पाठिकाओं को
कहानी को आप जिस तरह से मोड़ देती है जो मस्ती भरती हैं कमाल का हुनर हासिल है आप को
अब होली में आप के जलवे कौन नहीं जानता भला बहुत मजा आने वाला है
अगले होली स्पेशल धमाके के इंतज़ार में पूनम जी निहारिका जी के साथ आप की कुसुम
कुसुम जी,
सच्ची, कुसुम जी, तड़पना, तरसना, टपकवा देना, कहानी मैं रस बरसाना कोमल जी का ही हुनर है, होली की कुछ यादे हैं , "गीली" हो ही जाती हूँ, बस अब तो आगे का इंतज़ार, तड़पते हुए.
कुसुम जी , टाइम निकल के आ जाया करो , अच्छा लगता है।
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(13-04-2020, 01:04 PM)Poonam_triwedi Wrote: दिन दिन कहानी में गर्मी बढ़ती जा रही है
ओर हमारी भी साथ साथ
बहुत अच्छी कहानी है कोमल जी
अब बार बार आप की क्या तारीफ करें
बस हर उपडेट के बाद पानी बरस जाता है
जैसे आषाढ़ की रातों में बरसता है
आप समझ रही है ना
अगले अपडेट की प्रतिक्षा में हूँ दिल थाम के
होली की धमाल निहारिका जी की तरह होली के मजे कम ही ले पाई मैं भी पर आप के साथ सभी सहेलियां ले लेंगी झम के
रंगों से नहीं तो ओर किसी से भर गीली हो ही जाएंगी ये पक्का वादा है
पूनम जी,
हाँ ,कम ही ले पाई मज़े , मायके मैं तो केवल न के बराबर, पड़ोस की भाभी के साथ थोड़ी - हलकी मस्ती वो भी माँ के साथ, माँ थोड़ा मज़ाक कर लेती थी भाभी के साथ पर मेरी नज़र बचा के.
" अरी , बेशरम , बच्ची है साथ, " , भाभी अक्सर कहती कब तक बच्ची बना के रखेगी , बड़ी होने दे.
" होली की धमाल निहारिका जी की तरह होली के मजे कम ही ले पाई मैं भी पर आप के साथ सभी सहेलियां ले लेंगी झम के रंगों से नहीं तो ओर किसी से भर गीली हो ही जाएंगी ये पक्का वादा है"
जी,पूनम जी, पक्का वाला वादा, वैसे भी, कुदाल चल ही रही है, थोड़ी और सही. लॉक डाउन के चलते JCB की "खुदाई" हो रही है.
आपके और कुसुम जी के कमैंट्स नयी तरंग ला देते हैं , दर्शन दिया कीजिये जैसे भी समय मिले।
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14-04-2020, 07:50 AM
(This post was last modified: 14-04-2020, 08:36 AM by @Kusum_Soni. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
(13-04-2020, 01:48 PM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी,
सच्ची, कुसुम जी, तड़पना, तरसना, टपकवा देना, कहानी मैं रस बरसाना कोमल जी का ही हुनर है, होली की कुछ यादे हैं , "गीली" हो ही जाती हूँ, बस अब तो आगे का इंतज़ार, तड़पते हुए.
कुसुम जी , टाइम निकल के आ जाया करो , अच्छा लगता है।
निहारिका जी सुभ प्रभात सभी को
गिला होना कोमल जी की कहानियों पर आने का पहला नियम है
हालांकि व्यक्तिगत ज्यादा कुछ नहीं लिखूंगी बस कहानी के परिपेक्ष्य में ही अपनी बात रखती हूं
अच्छे से सेक्स को समझना और जीना
ओर उस समय को कैसे ओर रंगीन मजेदार बनाया जा सकता है यहाँ से सीखा जा सकता है और मैंने सीखा है
बिल्कुल इस मे कोई संदेह नहीं कामकला की अदित्य कौशल हासिल लेखिका है
पति पत्नी के जीवन मे आप की कहानियां नए रंग भर देती हैं !!
फिर निहारिका जी के शब्दों में टपकना चुना लसलसी होना मतलब जब तक नहीं निकलती गर्मी हालत खराब रहती है मेरा ये नितांत अपना मत है एक औरत हो के वो भी बिल्कुल ठेठ गांव से मैंने कोमल जी से ओर निहारिका जी से सेक्स में मस्ती लेनी सीखी है
जितना पति का योगदान होता है अब उतना ही मेरा भी " रतजगे में "
( कुसुम जी , टाइम निकल के आ जाया करो , अच्छा लगता है। )
निहारिका जी जैसे भी हो मैं आप सब से रोज मिलती ही हूँ
आप सब के बिना कहाँ मन लगता है मेरा भी
कोमल जी इंतज़ार हम सब को
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(13-04-2020, 01:58 PM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी,
हाँ ,कम ही ले पाई मज़े , मायके मैं तो केवल न के बराबर, पड़ोस की भाभी के साथ थोड़ी - हलकी मस्ती वो भी माँ के साथ, माँ थोड़ा मज़ाक कर लेती थी भाभी के साथ पर मेरी नज़र बचा के.
" अरी , बेशरम , बच्ची है साथ, " , भाभी अक्सर कहती कब तक बच्ची बना के रखेगी , बड़ी होने दे.
"होली की धमाल निहारिका जी की तरह होली के मजे कम ही ले पाई मैं भी पर आप के साथ सभी सहेलियां ले लेंगी झम के रंगों से नहीं तो ओर किसी से भर गीली हो ही जाएंगी ये पक्का वादा है"
जी,पूनम जी, पक्का वाला वादा, वैसे भी, कुदाल चल ही रही है, थोड़ी और सही. लॉक डाउन के चलते JCB की "खुदाई" हो रही है.
आपके और कुसुम जी के कमैंट्स नयी तरंग ला देते हैं , दर्शन दिया कीजिये जैसे भी समय मिले।
निहारिका जी चलने दो कुदाल
JCB चलेगी तो ही मजा आएगा
रात भर गर्मी निकालने दो साजन जी को
मशीन की ग्रीसिंग तो नियमित होनी चाहिए ना
लॉकडाउन ओवर टाइम हो रहा है
सब के साथ क्या करें मजबूरी है सब की
होने दो खुदाई बस सेहत का ओर साजन का दोनों का ध्यान रखो ओर खूब मज़े लो जीवन के
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सभी को जय श्री कृष्ण
कोमल जी बहुत ही मस्त अपडेट दिया है
होली स्पेशल तड़का मिलेगा सब को अब तो
ओर होली में बुरा मानना बिल्कुल पाप है तो बस टकटकी लगाये देख रहीं है सब सखियां आप की रासलीला कब होती है
निहारिका जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद कोमल जी की अनुपस्थिति में आप बिल्कुल भी इस थर्ड को सुना नहीं होने देती हैं
सभी सखियों की अपने मीठे चटपटे शब्दों से जो मांन मनुहार करती है बहुत अच्छा लगता है
साथ मे पूनम जी,कुसुम जी अपनी अपनी आपबीती ओर हास-परिहास से मादकता घोल देती है उम्मीद है सभी अन्य पाठक भी रस ले रहे होंगे
सभी को बहुत धन्यवाद गीले तन और खुले मन से
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(14-04-2020, 08:04 AM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी चलने दो कुदाल
JCB चलेगी तो ही मजा आएगा
रात भर गर्मी निकालने दो साजन जी को
मशीन की ग्रीसिंग तो नियमित होनी चाहिए ना
लॉकडाउन ओवर टाइम हो रहा है
सब के साथ क्या करें मजबूरी है सब की
होने दो खुदाई बस सेहत का ओर साजन का दोनों का ध्यान रखो ओर खूब मज़े लो जीवन के
पूनम जी ,
रात भर गर्मी, उफ़ तेल निकल जाता है, ग्रीसिंग के लिए तो "निचे वाली" हमेशा "गीली" ही रहती है, अब तो बाढ़ आनी लगी है, कोमल जी की मादक कहानी पढ़ के.
लॉक डाउन मैं, खाओ, खिलाओ और "खुदाई" करवाओ।
अब तो गर्मी आने को है, सीजन की गर्मी , और साजन की गर्मी। पिघला कर रख देगी।
पूनम जी, आप भी ध्यान रखे और " गर्मी" निकलवाते रहे , प्यार से. बस दो लाइन ही लिख दिया करे समय निकल कर , पढ़ कर अच्छा लगता है.
आपकी निहारिका।
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14-04-2020, 09:58 AM
(This post was last modified: 14-04-2020, 09:59 AM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(14-04-2020, 09:40 AM)@विद्या_शर्मा Wrote: सभी को जय श्री कृष्ण
कोमल जी बहुत ही मस्त अपडेट दिया है
होली स्पेशल तड़का मिलेगा सब को अब तो
ओर होली में बुरा मानना बिल्कुल पाप है तो बस टकटकी लगाये देख रहीं है सब सखियां आप की रासलीला कब होती है
निहारिका जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद कोमल जी की अनुपस्थिति में आप बिल्कुल भी इस थर्ड को सुना नहीं होने देती हैं
सभी सखियों की अपने मीठे चटपटे शब्दों से जो मांन मनुहार करती है बहुत अच्छा लगता है
साथ मे पूनम जी,कुसुम जी अपनी अपनी आपबीती ओर हास-परिहास से मादकता घोल देती है उम्मीद है सभी अन्य पाठक भी रस ले रहे होंगे
सभी को बहुत धन्यवाद गीले तन और खुले मन से
विद्या जी,
नमस्कार और जय श्री कृष्णा
बिलकुल सटीक कहा आपने, "होली स्पेशल" तड़का , कोमल जी, तड़पा के तड़का मारने मैं सर्वगुण संपन्न हैं. अब इंतज़ार है, आगे क्या होने वाला है.
"निहारिका जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद कोमल जी की अनुपस्थिति में आप बिल्कुल भी इस थर्ड को सुना नहीं होने देती हैं"
विद्या जी, यह कुछ सुनेहेरे शब्द सीधे दिल मैं उतर गए, तहे दिल से शुक्रिया आपका।
पूनम जी, कुसुम जी उनके बारे मैं कहना ही क्या , उनके कमेंट के बिना जैसे कुछ खाली सा हैं.
विद्या जी, बाकि बाते , यहाँ नहीं, बस कहानी के तड़के का इंतज़ार, रही बात चटपटी बातो की , तोह आपका स्वागत है सखिओं के स्पेशल थ्रेड पर.
आपके
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(14-04-2020, 09:58 AM)Niharikasaree Wrote: विद्या जी,
नमस्कार और जय श्री कृष्णा
बिलकुल सटीक कहा आपने, "होली स्पेशल" तड़का , कोमल जी, तड़पा के तड़का मारने मैं सर्वगुण संपन्न हैं. अब इंतज़ार है, आगे क्या होने वाला है.
"निहारिका जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद कोमल जी की अनुपस्थिति में आप बिल्कुल भी इस थर्ड को सुना नहीं होने देती हैं"
विद्या जी, यह कुछ सुनेहेरे शब्द सीधे दिल मैं उतर गए, तहे दिल से शुक्रिया आपका।
पूनम जी, कुसुम जी उनके बारे मैं कहना ही क्या , उनके कमेंट के बिना जैसे कुछ खाली सा हैं.
विद्या जी, बाकि बाते , यहाँ नहीं, बस कहानी के तड़के का इंतज़ार, रही बात चटपटी बातो की , तोह आपका स्वागत है सखिओं के स्पेशल थ्रेड पर.
आपके
एकदम सही कहा आपने
पहली होली वो भी ससुराल की
देवर , नन्दोई , ननदें
कुछ सिहरन कुछ डर कुछ मस्ती , ... सच में आगे देखिये क्या क्या आता है लेकिन आज पहले दोनों कहानियों पर अपडेट
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(14-04-2020, 09:48 AM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी ,
रात भर गर्मी, उफ़ तेल निकल जाता है, ग्रीसिंग के लिए तो "निचे वाली" हमेशा "गीली" ही रहती है, अब तो बाढ़ आनी लगी है, कोमल जी की मादक कहानी पढ़ के.
लॉक डाउन मैं, खाओ, खिलाओ और "खुदाई" करवाओ।
अब तो गर्मी आने को है, सीजन की गर्मी , और साजन की गर्मी। पिघला कर रख देगी।
पूनम जी, आप भी ध्यान रखे और " गर्मी" निकलवाते रहे , प्यार से. बस दो लाइन ही लिख दिया करे समय निकल कर , पढ़ कर अच्छा लगता है.
आपकी निहारिका।
क्या बात कही आपने
" खुदाई "
एकदम यही हाल है , इसलिए कई बार आप लोगो की पोस्ट्स पर कमेंट्स में
अपडेट्स में भी देर हो जाती है , थ्योरी के बजाय प्रैक्टिस में ज्यादा ,
और आज कल दिन रात कौन देखता है
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(13-04-2020, 10:50 AM)@Kusum_Soni Wrote: क्या बात है कोमल जी
हर बार की भांति इस बार भी बहुत तड़पा के छोड़ा है हम पाठिकाओं को
कहानी को आप जिस तरह से मोड़ देती है जो मस्ती भरती हैं कमाल का हुनर हासिल है आप को
अब होली में आप के जलवे कौन नहीं जानता भला बहुत मजा आने वाला है
अगले होली स्पेशल धमाके के इंतज़ार में पूनम जी निहारिका जी के साथ आप की कुसुम
कुसुम जी होली मस्ती का त्यौहार ही है , होली की तुक इसीलिए तो चोली से मिलती है , अगर होली में चोली के अंदर हाथ न जाए तो क्या होली हुयी , मायके में भाभियों के साथ ,... और ससुराल में नन्दोई देवर तो फागुन लगते ही ,.. और मैं तो गाँव की हूँ , वो भी बनारस की तो वहां तो होली और ,... लेकिन अभी तय नहीं है की मेरी पहली होली कहाँ होगी , ससुराल में सब कहते हैं बहु की पहली होली ससुराल में होनी चाहिए , और मेरे मायके में , बनारस में , ... नहीं नहीं मेरे लिए नहीं, इनकी सालियाँ सलहजें तो छोड़िये , सास भी ,... इनके साथ ,... अब देखिये मेरी सास क्या फैसला सुनाती हैं , ...
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(13-04-2020, 01:04 PM)Poonam_triwedi Wrote: दिन दिन कहानी में गर्मी बढ़ती जा रही है
ओर हमारी भी साथ साथ
बहुत अच्छी कहानी है कोमल जी
अब बार बार आप की क्या तारीफ करें
बस हर उपडेट के बाद पानी बरस जाता है
जैसे आषाढ़ की रातों में बरसता है
आप समझ रही है ना
अगले अपडेट की प्रतिक्षा में हूँ दिल थाम के
होली की धमाल निहारिका जी की तरह होली के मजे कम ही ले पाई मैं भी पर आप के साथ सभी सहेलियां ले लेंगी झम के
रंगों से नहीं तो ओर किसी से भर गीली हो ही जाएंगी ये पक्का वादा है
अब मेरी हालत सोचिये , मेरी तो लिखते हुए ही गीली हो जाती है , उन बातों को सोच सोच के ,...
असल में ये कहानी से ज्यादा आप बीती है , मेरी कल्पना तो बहुत सीमित है , इसलिए इस कहानी के शुरू में ही , अपने गांव का पता , ( बनारस में पांडेपुर से लमही की ओर जाने वाली सड़क पर , बस सड़क से थोड़ी दूर , गाँव तक खंड़जे वाली सड़क है ) इनके घर का पता , सब कुछ , ... कैसे इनसे पहली बार मिली , शादी कैसे तय हुयी सब कुछ एकदम डिटेल में मैंने लिख दिया है ,
हाँ होली में मैं कुछ ज्यादा ही बिंदास हो जाती हूँ , पर वही गाँव वाली हूँ वो भी ईस्टर्न यूपी वाली ,
होली और सावन , इन दो मौसम में कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ती है , हम लोगों पर भी और मर्दों पर भी , ... पर इनके ससुराल की होली में तो असली खेल इनका रहेगा , बल्कि इनसे ज्यादा इनकी सलहजों , सालियों , ... बताया तो था न मेरी दो छोटी बहने हैं एक दसवीं में एक नौवीं में ,... और गाँव की तो हर लड़की इनकी साली लगेगी , ...
दोनों ने मुझसे लिखवा के ले लिया है , जितने दिन ये मेरे गाँव रहेंगे , मैं न तो इनके पास फटकूँगी , न इन्हे बचाऊंगी ,
और मैं क्यों बचाऊं इन्हे इनकी छोटी सालियों सलहजों से
पर पहले ये तय तो हो मेरी पहली होली इनकी ससुराल में होगी या मेरी , ... अस सब कुछ सासु जी पर है
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(14-04-2020, 09:40 AM)@विद्या_शर्मा Wrote: सभी को जय श्री कृष्ण
कोमल जी बहुत ही मस्त अपडेट दिया है
होली स्पेशल तड़का मिलेगा सब को अब तो
ओर होली में बुरा मानना बिल्कुल पाप है तो बस टकटकी लगाये देख रहीं है सब सखियां आप की रासलीला कब होती है
निहारिका जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद कोमल जी की अनुपस्थिति में आप बिल्कुल भी इस थर्ड को सुना नहीं होने देती हैं
सभी सखियों की अपने मीठे चटपटे शब्दों से जो मांन मनुहार करती है बहुत अच्छा लगता है
साथ मे पूनम जी,कुसुम जी अपनी अपनी आपबीती ओर हास-परिहास से मादकता घोल देती है उम्मीद है सभी अन्य पाठक भी रस ले रहे होंगे
सभी को बहुत धन्यवाद गीले तन और खुले मन से
एकदम रस के लिए तो मैं लिखती हूँ ,आप सब के कमेंट पढ़ के लगता है लिखना सुफल हो गया , होली तो समझिये फागुन लगते ही और नयी भाभी हो तो ,...
सगे देवर तो छोड़िये, मोहल्ले के नए जवान होते लड़के भी न , ... और लड़कियां तो पूरी प्लानिंग बना के , इसीलिए मेरी भाभियों ने समझाया था , बिन्नो पहली रात तो हर लड़की झेल लेती है , मालूम है फटना ही है , फिर तेल वैसलीन ,... पर पहली होली , देवरों की फ़ौज गयी तो ननदों की हाजिर , एक साथ तीन चार , और सब ललचाते हैं , नयी नयी भौजी को छूने रगड़ने मसलने के लिए , रंग तो बहाना होता है ,
पर मेरी पहली होली पता नहीं , अब सासु जी पर है
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