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(04-04-2020, 07:59 PM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी,
सच्ची , कोमल जी को कामुक अपडेट देने मैं महारत हासिल है, सबकुछ आँखों के सामने होता नज़र आता है.
सच कहु तो मैं कई बार "गीली" हो चुकी हु, आम तोर पर हमारे साथ ऐसा काम ही होता है, बस आजा, लेट जा और बस हो गया उनका , हाँ कभी कुछ ,खास भी हो जाता है जब कुछ समां बन जाता है तो .
खैर , उम्मीद करती हूँ की आपकी उलझन जल्द ही सुलझ जाए , और कुछ सलाह की ज़रूरत हो तो मैं [ निहारिका] , कोमल जी , कुसुम जी तो हैं ही आपके साथ।
आपके। .....
Thanku so much Niharika ji
Komal ji such me bahut kamal ka likh rahi hai
Hum kya chij hai 2 ,3 baccho wali gili ho jaye sirf padh k ye sirf Komal ji ki kahani ka kamal hai
Jo maja karwane me nahi aata wo sirf padh k aa jata hai ye sab apne saath soch k aa jata hai
Isi tarah kahani se judi raho aap sab
Bahut jald milte hai hum sab fir se
Love u all of u...
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(04-04-2020, 10:02 PM)Poonam_triwedi Wrote: Thanku so much Niharika ji
Komal ji such me bahut kamal ka likh rahi hai
Hum kya chij hai 2 ,3 baccho wali gili ho jaye sirf padh k ye sirf Komal ji ki kahani ka kamal hai
Jo maja karwane me nahi aata wo sirf padh k aa jata hai ye sab apne saath soch k aa jata hai
Isi tarah kahani se judi raho aap sab
Bahut jald milte hai hum sab fir se
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पूनम जी,
सच कहा, यह एक जादु ही है, कोमल जी की कहानी मैं, काश हर बार , कोमल जी की कहानी के जैसा हमारे साथ भी हो, साजन का प्यार , कड़क व् झन्नाटेदार उफ़,
अब आगे क्या होगा। .......
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04-04-2020, 11:25 PM
(This post was last modified: 04-04-2020, 11:28 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
" तो हाँ तुम कह रही थी ये 'दिन वाली देवरानी ' कतौं गाभिन हो गयीं , तो का हुआ , अरे गाभिन होंगी तो नौ महीने पेट फुलाये घूमेंगी ,
नौवें महीना बियायेंगी , सोहर होगा , लड़का को दूध पिलायेंगी ,
..................................
कोमल जी ,
आपने बस एक लाइन मैं ही बहुत कुछ याद दिला दिया, वो नौ महीने, एक जान के अंदर दूसरी जान और उस जान मैं हमारी जान,
आगे लिखने के लिए शब्द नहीं है......... मेरे पास
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(04-04-2020, 11:25 PM)Niharikasaree Wrote: " तो हाँ तुम कह रही थी ये 'दिन वाली देवरानी ' कतौं गाभिन हो गयीं , तो का हुआ , अरे गाभिन होंगी तो नौ महीने पेट फुलाये घूमेंगी ,
नौवें महीना बियायेंगी , सोहर होगा , लड़का को दूध पिलायेंगी ,
..................................
कोमल जी ,
आपने बस एक लाइन मैं ही बहुत कुछ याद दिला दिया, वो नौ महीने, एक जान के अंदर दूसरी जान और उस जान मैं हमारी जान,
आगे लिखने के लिए शब्द नहीं है......... मेरे पास
क्या बात कह दी आपने , एक जान के अंदर दूसरी जान , और उस जान के अंदर हमारी जान , सच में इस फीलिंग को एक औरत ही महसूस कर सकती है पर बयान आप जैसे लेखिका ही क्र सकती है , इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर , ...हाँ जवाब देने में कभी कभी देर हो जाती है , तो प्लीज बुरा मत मानियेगा , बस , वही वर्क फ्रॉम होम ,... और थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , ... वाली बात , न दिन न रात ,...
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(04-04-2020, 06:32 PM)Poonam_triwedi Wrote: बहुत कामुक अपडेट कोमल जी
कुसुम जी निहारिका जी इसी तरह साथ बनाएं रखना
कुछ उलझन में हूँ जल्द ही महफ़िल झमातें है सभी सहेलियां मिल के
लव यू पगलियों
जवाब देने में कभी कभी देर हो जाती है , तो प्लीज बुरा मत मानियेगा , बस , वही वर्क फ्रॉम होम ,... और थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , ... वाली बात कहानी पोस्ट करती हूँ तो तुरंत सोचती हूँ मेरी सहेलियां क्या कहेंगी क्या कमेंट करेंगी , स्पेशली जब भौजाई ननद की छेड़खानी वाले प्रसंग लिखती हूँ न तो आप लोगों का ध्यान जरूर आता है , बस साथ बनाये रखिये ,
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(04-04-2020, 01:36 PM)@Raviraaj Wrote: Waaahhhh क्या बात है जबरदस्त अपडेट दे दिया आप ने तो कोमल जी
ठेठ बनारसीपन के जो छींटे दिए है कमाल की महक उठी है पोस्ट में
बस यूँही तड़का मारती रहो,बहुत अच्छा लग रहा है
सुभकामनाएँ कोमल जी
क्या बात कही आपने , बनारसीपन के छींटे , एकदम सही बात , बनारस की हूँ , बनारस जहाँ बना रस मिलता है हरदम , तो रस तो भरा ही रहेगा
थैंक्स सो मच
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(06-04-2020, 11:50 AM)komaalrani Wrote: क्या बात कह दी आपने , एक जान के अंदर दूसरी जान , और उस जान के अंदर हमारी जान , सच में इस फीलिंग को एक औरत ही महसूस कर सकती है पर बयान आप जैसे लेखिका ही क्र सकती है , इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर , ...हाँ जवाब देने में कभी कभी देर हो जाती है , तो प्लीज बुरा मत मानियेगा , बस , वही वर्क फ्रॉम होम ,... और थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , ... वाली बात , न दिन न रात ,...
"सच में इस फीलिंग को एक औरत ही महसूस कर सकती है पर बयान आप जैसे लेखिका ही क्र सकती है , इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर , "
कोमल जी,
शुक्रिया, मेरे पास शब्द नहीं है, आपका धन्यवाद् करने के लिए , यह तो एक फीलिंग थी जो बयां कर दी।
यह, फीलिंग तो हर औरत की होती है, वो दिन , जब हम सोते है, जागते है, एक उम्मीद, आशा बच्चा कैसा होगा , कैसा दिखेगा , सुन्दर होगा, किसपे जायेगा और न जाने जितनी बाते जो हम अपने आप से ही कर लेते हैं.
"इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर" इसका कोई जवाब नहीं, यह तो लाजवाब है , एक एहसास जो सिर्फ एक औरत ही मेहसूस कर सकती है.
आपके शब्दों की कायल। ...
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Kya bat hai !!
Rocking update, These lines always keep you up...
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(06-04-2020, 06:14 PM)UDaykr Wrote: Kya bat hai !!
Rocking update, These lines always keep you up...
Thanks so much next update kal
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(07-04-2020, 12:16 AM)m8cool9 Wrote: Ek dam mast update
Thanks so much
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(06-04-2020, 04:33 PM)Niharikasaree Wrote: "सच में इस फीलिंग को एक औरत ही महसूस कर सकती है पर बयान आप जैसे लेखिका ही क्र सकती है , इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर , "
कोमल जी,
शुक्रिया, मेरे पास शब्द नहीं है, आपका धन्यवाद् करने के लिए , यह तो एक फीलिंग थी जो बयां कर दी।
यह, फीलिंग तो हर औरत की होती है, वो दिन , जब हम सोते है, जागते है, एक उम्मीद, आशा बच्चा कैसा होगा , कैसा दिखेगा , सुन्दर होगा, किसपे जायेगा और न जाने जितनी बाते जो हम अपने आप से ही कर लेते हैं.
"इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर" इसका कोई जवाब नहीं, यह तो लाजवाब है , एक एहसास जो सिर्फ एक औरत ही मेहसूस कर सकती है.
आपके शब्दों की कायल। ...
निहारिका जी , हमारे आप के पूनम जी के कुसुम जी के बीच शुक्रिया , सॉरी थैंक्स ऐसे शब्द , शब्दकोष में ही नहीं है , बस आप यहाँ अपनी मौजूदगी बनाये रखिये , अपने रसीले कमेंट्स देती रहिये ,
अगला अपडेट आज ही दूंगी और कोशिश करुँगी तीनो कहानियों में
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वो सात दिन
बिछोह के
उनकी निगाहें उस किशोरी की लजाती मुस्कान पर चिपकी थी , और दोनों ने एक दूसरे को देखा जोर से दोनों मुस्करा उठे ,
सास और जेठानी दोनों बाहर बरामदे में थी , और हम लोग भी , ...
कुछ देर में गुड्डी और वो टैक्सी पे ,...और चल दिए ,...
ढाई घंटे बाद उनका मेसेज आया बाबतपुर ( बनारस का एयरपोर्ट) पहुँच गए हैं।
---
सच में उनके जाते ही दिन पहाड़ से हो जाते हैं , एक एक पल , रहती कही हूँ मन वहीँ लगा रहता है ,
हालंकि दिन में कम से कम चार पांच बार बात होती है , व्हाट्सऐप और मेसेज की तो गिनती ही नहीं ,
पर मेरी सास , जेठानी , ननदें , देवर किसी से ये हाल मेरी छुपी नहीं रहती , कोई बोलता नहीं , ...
लेकिन वो सब बस यही कोशिश करते रहते हैं , किसी तरह मेरा मन लगा रहे , ..
दुपहरिया तो अक्सर जेठानी के साथ ही बीतती , उन्ही के बिस्तर में , ... कभी कोई सीरियल तो कभी ' अच्छी ' वाली फ़िल्में ,...
और कई कई बार तो मेरी सासू भी आ जाती
फिर तो हम जेठानी देवरानी मिल के उनसे 'उन दिनों 'की बातें , गाँव की ,
मैं तो उनके पीछे पड़ के रात में ससुर जी के साथ कैसे , कितनी बार ,
और वो भी खुल के गाँव के किस्से , मरद सब अलग सोते थे , बाहर ,
और औरतें अंदर या तो अंदर वाले आंगन में अपने कमरे में , रात में जब सब लोग सो जाते तो ससुर जी आते ,
और अगर कभी सासु जी को आंगन में सोना पड़ता , अपनी सास जेठानी के साथ , तो सोने के पहले अपनी पायल उतार लेतीं
और जैसे ही सब लोग सोते , वो दबे पाँव , सांस रोक के अपने कमरे में , बस ससुर जी का इन्तजार करतीं , ...
हाँ हंस के उन्होंने कबूला ,
अलग अलग जगह सोने के बाद भी , कोई रात नागा नहीं जाता था ,
और उनकी सास कडुवा तेल की बोतल रोज चेक करती थीं , शाम को फिर वो बोतल भरी रहती थी।
और मैंने और जेठानी जी ने एक साथ हँसते हुए बोला और ये पारिवारिक परम्परा अभी तक कायम है ,
लेकिन मैं इतने आसानी से सासू जी को नहीं छोड़ती थी ,
सब कुछ , कितनी बार ,
और वो भी एकदम सहेलियों की तरह ,... सब कुछ एकदम खोल के
शाम की चाय जेठानी और मैं मिल के बनाते , ...
हफ्ते में दो तीन दिन , रेनू, लीला और गुड्डी , ..कॉलेज से सीधे , ( बगल में ही तो था जी जी आई सी , छत से दिखता था )
सीधे मेरे कमरे में ,...
फिर तो वो धमाचौकड़ी मचती ,...
और अब गुड्डी भी की शरम धीमे धीमे खुलने लगती थी , ...
और कहीं थोड़ा भी छिनारपना किया न
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गुड्डी
और अब गुड्डी भी की शरम धीमे धीमे खुलने लगती थी , ...
और कहीं थोड़ा भी छिनारपना किया न
तो बस रेनू और लीला थी न उसकी दोनों सहेलियां अब एकदम मेरी ओर हो गयी थीं , बस एक उसकी दोनों टाँगे पकड़ती और दूसरी दोनों हाथ ,
फिर तो मैं आराम से धीरे धीरे , शलवार , स्कर्ट कुछ भी ,...
फिर ब्रा पैंटी भी ,...
बिना किसी जल्दी के , चाहे वो जितना छुटपटाये ,
और एक बार उसकी सहेली खुल गयी तो फिर तो ननद की चिड़िया बिना उड़ाए ,...
और एक दो के बार बाद तो मैं उसी को फ़ोर्स करती , चल ऊँगली कर ,
वरना लम्बी मोटी मोमबत्ती डालूंगी अभी , भले झिल्ली फट जाये ,
असल में झिल्ली ही तो मैं नहीं फाड़ना चाहती थी उसकी , मैं ने चेक कर लिया था ,
पूरा खोल के , झिल्ली अभी एकदम इनटेक्ट थी ,
एकदम कच्ची थी वो ,
कभी ठीक से ऊँगली भी नहीं की थी उसने , ... और झिल्ली भी एकदम इन्टैक्ट ,...
फाड़ने का काम तो बस उसे ही करना था जिसने मेरी फाड़ी थी , ...
उसके भैया और मेरे सैंया को ,
और हचक के फाड़नी थी ,
और अब ये बात उसकी दोनों सहेलियों को भी मालुम हो गयी ,
और मैं समझ रही था थोड़ा थोड़ा मेरी ननद को भी अब अंदाज लग गया था , ...
हाँ बस मैं उसकी दोनों सहेलियों के साथ मिल के बस उसका डर हिचक कम कर रही थी और उसके मन में आग लगा रही थी ,
और हर बार वो आती थी तो उसकी दो चार फोटुएं , ...लेकिन इन एक्शन ,...
कभी अपनी हथेली से रगड़ती मसलती ,
तो कभी एक ऊँगली का एक पोर अंदर डालने की कोशिश करती ,
और मैं जानती थी इन पिक्स का उसके भाई और उसे बढ़ कर उस के खूंटे पर क्या असर पडेगा , ...
वही हुआ ,...
अपनी ननदिया को मैंने ' होम वर्क ' भी दे रखा था , रोज रात को सोने के पहले कम से कम पांच मिनट अपनी चड्ढी खोल के , अपनी गुलाबो हथेली से रगड़े और ये सोचे की उसके भइया , अपने हाथ से रगड़ रहे हैं , अपनी जीभ से चूस रहे हैं और चाट रहे हैं , हाँ जब एक हाथ उसकी कच्ची चूत पर रहे तो दूसरा हाथ उसकी कच्ची अमिया , उसे हलके हलके दबाये सहलाये ,
सोचे उसके भैया मीज रहे हैं , मसल रहे हैं ,
और यही काम , सुबह उठने पर ,
दिन में एक बार कॉलेज में और के बार घर में भी कोई सामने हो तो भी , पढ़ते समय , बस अपनी पैंटी सरका के एक ऊँगली ; वहां रख के ' सोचे की भैया का ' खूंटा है और उसे हलके हलके रगड़े , ...
" होम वर्क ' करने के बाद मुझे व्हाट्सऐप भी करना होता था , बस मैं चाहती थी , उस शर्मीली लजीली किशोरी के मन में खुद इतनी आग लगे , उसकी देह में इतनी खुजली मचे
और ये सब हो पाया रेनू की मदद से , ....
लेकिन रेनू भी , वो और उससे ज्यादा अनुज ,
भाभी , बस एक बार किसी तरह थोड़ी देर के लिए ,... करवा दो न जुगाड़
वो एक बार कभी नहीं होता , ... जितनी बार रेनू अनुज से मिलती , दो बार से कम नहीं ,...
और चुसवाता भी वो जरूर ,...
और हफ्ते में दो बार तो होना ही था , कभी तीन बार भी ,..
. एकाध बार तो कोई जुगाड़ नहीं लगा तो मेरे कमरे में , मैं उन दोनों को अपने कमरे में कर के ,... खुद छत पर खड़ी होकर , ...
और जब अनुज चला जाता था तो जाकर , अपनी ननद का , गुड्डी की सहेली , रेनू का हाल चाल चेक करती , और सोचती भी
अगर रेनू न होती तो गुड्डी अभी भी वैसे ही बात बात पर उचकनेवाली , हाथ न धरने वाली ही बनी रहती , ...
पर अब सच्च में उनकी मलाई से गीली ब्रा उसने सात दिन पूरी तरह पहनी ,
और जब वो आये न , जिस दिन आने वाले थे , गुड्डी पहले से , ...
उनसे मिल के ही गयी और अगले दिन भी ,
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गुड्डी
और जब वो आये न , जिस दिन आने वाले थे , गुड्डी पहले से , ...
उनसे मिल के ही गयी और अगले दिन भी ,
गुड्डी भी अब धीरे धीरे मेरे और मेरी जेठानी के लेवल पर आ रही थी , पहले तो उनके आने के लिए चिढ़ाना होता तो बस बोलती ,
भाभी आज कौवा बोल रहा है कोई आएगा , पहले से खीर वीर बना के रखीये कौए को खिलाने के लिए , तभी उसकी बात सच होगी
तो
मजाक में मैं उसके छोटे छोटे उभारों को , कच्ची अमिया को कस के मसलती चिकोटी चिढ़ाती ,
इस कौए को खीर नहीं चाहिए , इसे तो ये दूंगी मैं अपनी ननदिया की और फिर हम और जेठानी जी दोनों मिल के उसे गा गा के चिढ़ाते ,
नकबेसर कागा ले भागा , मेरा सैंया अभागा ना जागा ,
ना जागा , अरे ना जागा , नकबेसर कागा ले भागा ,
अरे वही कागा उनकी बहिनी की चोलिया पे बैठा , अरे चोलिया पे बैठा ,
अरे वही कागा , उनकी बहिनी की , हमारी ननदी की , गुड्डी रानी की चोलिया पे बैठा ,
अरे जुबना का सब रस ले भागा , मेरा सैंया अभागा ना जागा ,
और कई बार जब सिर्फ मैं और जेठानी जी होते तो गाना थोड़ा और आगे बढ़ जाता ,
ना जागा , अरे ना जागा , नकबेसर कागा ले भागा ,
अरे वही कागा उनकी बहिनी की शलवरिया पे बैठा , अरे स्कर्ट पे बैठा ,
अरे वही कागा , उनकी बहिनी की , हमारी ननदी की , गुड्डी रानी की शलवार पे बैठा ,
अरे बुरिया का सब रस ले भागा , मेरा सैंया अभागा ना जागा ,
लेकिन अब तो गुड्डी के साथ मामला एकदम खुला हो गया खासतौर से जिस तरह मेरी जेठानी ने उन्हें ' दिन वाली देवरानी ' की टायटिल दे दी थी , ...
और गुड्डी भी.
अब एकदम उसे भी मालुम था की उसके भैया उसके अंग प्रत्यंग की तस्वीर देख चुके हैं
और वो भी उनके मोटे खूंटे की स्टिल वीडियो सब देख चुकी थी ,
उनकी जींस के ऊपर से कस कस के दबा चुकी थी
और उसके भैया भी उसकी कच्ची अमिया उसके टॉप के ऊपर से , ..
तो उस दिन सब के सामने मुझसे बोली ,
" भाभी वो , वीटस , आपने सब साफ़ सूफ कर लिया हैं न , मेरा मतलब , ... "
मैं क्यों मौका चुकती , मैं बस उसके पीछे पड़ गयी , ...
" हाँ यार तूने सही याद दिलाया , ननद न हों तो ये सब जरूरी चीजें , ... अरे यार मुझसे खुद से एकदम अच्छी तरह नहीं , ... तो तू है न चल तू मेरी कर दे ीार मैं तेरी , क्या पता अबकी उनके जाने के पहले तेरी वाली भी का नंबर लग जाये ,... "
अब वो फंस गयी , लेकिन भाभी , वो भी बनारस की हो तो कोई ननद बच सकी है क्या , ... बस खींच के मैं उसे अपने कमरे में ले गयी
और ननद से वो भी एक टीनेजर और जो अपने सैंया का माल हो उससे झांटे साफ़ करवाने का सुख ,
असल में साफ़ सूफ तो थी लेकिन गुड्डी रानी ने बोल दिया था इस लिए और ,
और फिर मैंने उसकी चिक्क्न मुक्कन कर दी और उसकी ताज़ी ताज़ी फोटो उसके भैया को उसी के मोबाइल से ,
आते ही वो मिली , ...
और उसके जाने के पहले सास की नजर बचाकर , मैंने उनके हाथ से उसकी कच्ची अमिया को ,...
हाँ रात में वो सब हुआ जो होता है , ...
और अगले दिन सुबह भी लेकिन अब उनका फॉरेन का पक्का हो गया था , इसलिए उसके लिए कागज़ पत्तर , और भी कुछ काम धाम
उस के भइया ने गिफ्ट अगले दिन ही दी , ... दो ब्रा उसने बोली थी , दो ब्रा वो लाये लेकिन साथ में मैचिंग पैंटी भी
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गिफ्ट
उस के भइया ने गिफ्ट अगले दिन ही दी , ... दो ब्रा उसने बोली थी , दो ब्रा वो लाये लेकिन साथ में मैचिंग पैंटी भी
एकदम लेसी , ब्रा दोनों पुश अप , २८ सी देखने में उन्हें पहनने के बाद तीस लगती।
एक तो हाफ कप भी थी , आधे बूब्स बाहर छलकते रहते , ...
और साथ में जींस ,..एकदम स्किनी , लो कट , रिप्ड ,... उस समय तो वहां मिलती भी नहीं थी , दो चार दुकानों में ही लड़कियों के लिए जींस मिलती , पर वो भी पुरानी डिजाइन की
मैं उनके पीछे पड़ी रही छेड़ती रही ,
लाये हो तो पहनाओ भी न ,
गुड्डी में ज्यादा हिम्मत थी , वो खुद अपना टॉप सरका के खड़ी हो गयी , पर वही हिम्मत नहीं जुटा पाए अपनी बहिनिया की ब्रा खोलने की ,
तब भी जबरदस्ती उनका हाथ पकड़ा के मैंने उसकी ब्रा का स्ट्रैप तो उनसे खुलवा ही लिया ,
फिर मैंने गुड्डी को चैलेन्ज किया , अच्छा चल तेरे भैया तो हार गए अब तू अगर इनकी बचपन का माल है तो चल हम लोगों के सामने जींस पहन के दिखा ,
" एकदम भाभी , एनीथिंग फार माई स्वीट भैया , ... "
और उस दुष्ट ने अपनी सैंडल उतारी और स्कर्ट के नीचे , जींस पहननी शुरू कर दी ,
मैं जोर चिल्लाई फाउल , फाउल , भैया की पैंटी भी पहन ,
क्यों भैया , बड़े भोलेपन से उनकी ओर देख कर वो बोली , ... उनकी निगाहें अपने माल पर चिपकी थीं , मुश्किल से उनके मुंह से हाँ निकली , बस झट से गुडडी ने स्कर्ट के ऊपर से हाथ डालकर अपनी चड्ढी सरका दी और स्कर्ट के नीचे से हाथ डाल के खींच लिया , और फिर उनकी लाइ पैंटी
और फिर जींस
उसके बाद उसने स्कर्ट उतार दी ,
वास्तव में बहुत हॉट जींस थी , गुड्डी के ब्वाइश लौंडा मार्का चूतड़ एकदम कसे कसे , छलकते , ...
जींस रियल अल्ट्रा लो थी , गुड्डी की थांग बाहर दिख रही थी
मैंने उसे बोला भी ,
" गनीमत है ननद रानी इसे पहन के तुम बनारस में नहीं चलोगी , लहुराबीर से गोदौलिया तक नहीं पहुंच पाओगी उस के पहले बनारस वाले तेरी गांड मार लेंगे , ... "
लेकिन मेरी ननद न अब मेरी संगत का असर , मेरी बात का भी जवाब देने लगी थी , बोली
" अरे बनारस वाली भेजे तो हैं अपनी बहिन को , रोज रोज बिना नागा , ... "
उनके सामने मटक मटक के अपने कसे कसे चूतड़ दिखाए उसने ,
असल में जींस टाइट तो थी ही लेकिन मेयर ननद की फिगर भी जानमारु थी , ...
चलने के पहले उसने अपने भइया को दबोच के कस के चुम्मी ले ली , जो कतई भाई बहन टाइप नहीं थी
असल में उस दिन उनको भी बहुत जल्दी थी ,
उनका पासपोर्ट कहीं रखा था वो चाहिए था , कागज पे कहीं कहीं मेरे साइन
फ्लाइट भी थोड़ी जल्दी थी , और गुड्डी का भी कोई टेस्ट था , ...
इसलिए ज्यादा कुछ पर छेड़खानी कौन रोक सकता है ,
बात चीत में मैं और जेठानी उसे चिढ़ाने में लगे रहते थे
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Kya baat hai komal ji super hot update diya hai
Thanku so much itne dino ka intzaar khatam huaa bahut mast update guddi se ungli karwana bahut sexi laga ye mene nanand ki trening me padha tha bahut sexi hai Nanand k saath aap ki asli wali masti
Thanku so much for lovely update
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as always gajab ka update....
too hot....
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