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बहुत ही बढ़िया थ्रेड है , मैं भी कोशिश करुँगी बीच बीच में आ कर अपनी यादें ताजा करूँ और बस कुछ बतकही , ... ब्रा और कच्ची अमिया की बात अपने एकदम बढ़िया शुरू की है , जब बचपन और जवानी के बीच में लड़की झूलती है , बाहर निकलो तो गली के लड़के जवान होने का अहसास कराते रहते हैं , और घर में फ्राक बहन कर , बड़ी औरतें ,... कुछ भी बात करेंगी और कोई इशारा करेगी की ' ये बैठी है ' तो दूसरी मुंह बिचका के बोलेगी , ' अरे अभी तो ये बच्ची है "
बार बार शीशे के सामने , कॉलेज के लिए तैयार होते समय , निगाह वहीँ आ जाना , बस आते हुए उभारों पर , कॉलेज जाते हुए , किताबें इस तरह की ' वो दिखाई ' न दें , ... सहेलियों की छेड़ छाड़ , रास्ते में लौंडे , लेकिन घर लौट कर मम्मी की गोद में इठलाते हुए , भाई बहनों से वही झगड़े , मार पीट , ( कुछ कजिन्स की बात और है उन्हें भी उभार दिखने लगते हैं )
पहली बार ब्रा का खरीदना , लेकिन सबसे भयानक होता है , पहली बार के पीरियड का अहसास ,.... और मम्मी का समझाना बुझाना
....................................................
कोमल जी ,
बिलकुल सही कहा, आपने। एक - एक अहसास प्रस्तुत करुँगी। ......
औरत की ज़िंदगी एक के बाद एक पड़ाव। ... सचमुच माइलस्टोन होते हैं.
यह औरत ही समझ सकती है। पहली बार ब्रा का खरीदना ....... सचमुच एक अलग अहसास होता है, जब जोबन दिखने शुरू होते हैं तो माँ की हिदायत व् पूरी नज़र होती है लड़की पर। .. कही फिसल न जाये।
मुझे याद है , पहली बार ब्रा का खरीदना ..... एक पुरानी ब्रा थी माँ की, ३४ बी की, पर मेरी साइज ३२ बी थी पिन लगा के पहेली बार पहनी थी, आज तो एक नई ब्रा लानी है बाजार से। ..... उलझन अकेले कैसे जाओ
फिर सोचा माँ के साथ , न बाबा कुछ बोल दिया तो, पड़ोस भाभी से बात करू उफ़ क्या सोचेगी जवानी आ रही है लड़की पे , क्या करू यही सोचते संडे का आधा दिन निकल गया , दोपहर को खाना खा कर जैसे तैसे खा लिया ,
पर अब क्या करू हिम्मत कर के सहेली को फ़ोन लगाने के लिए पड़ोस की भाभी के पास गयी , भाभी नमस्ते
भाभी - आओ निहारिका , कहा रहती हो आजकल ?
मैं - भांभी यही तो, घर के काम बस , और क्या
भाभी - कैसे आना हुआ ?
- मैं - भाभी, वो एक फ़ोन करना थी, सहेली को
भाभी - अच्छा , आजा कर ले
मैं - हम्म
अब , मन मैं सोच रही थी कैसे बात करुँगी ? भाभी पास ही होंगी , सुन लेंगी उफ़। करना तो है ही आज
मैंने फ़ोन उठाया , दबा दिए फ़ोन नंबर , इधर फ़ोन की रिंग जाती , उधर मेरी धड़कन। ...............
है ,कैसे है तू, मैं निहारिका , खाना खा लिया तूने ?
- सहेली - हाँ , खा लिया ,और तू ने ?
मैं - हम्म,
सहेली - क्या हुआ , परेशान है , बता क्या बात है
मैं - वो , यार बाजार जाना था। ...................
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kis number ki this aapki bra aap kis class men thi , chaliye main apni bata deti dun , 28 number aur main class VIII men thin
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Kusum ji , Poonam ji aaiyen na yahan ...aur aap bhi laga jara un dino ki yaaden taza kijiye
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(30-03-2020, 10:05 AM)komaalrani Wrote: Kusum ji , Poonam ji aaiyen na yahan ...aur aap bhi laga jara un dino ki yaaden taza kijiye
Aap ka hardik swagat hai komal ji
Aap ki bhala kon nahi manega
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(29-03-2020, 05:35 PM)Niharikasaree Wrote: कोमल जी,
एकदम सही कहा आपने , इस लॉक डाउन ने तो हम औरतो की सब तफ्ऱफ़ से ले राखी है, घर के काम , फार्मऐश , उनकी डिमांड , जब देखो दबा देते हैं , होंटो पर लिपस्टिक रूकती नहीं, ब्लड रेड लिपस्टिक मुझे पसंद है हमेशा लगाती हूँ, घर पर भी.
मज़ा तो आ रहा है। ........ पर थकान हो ही जाती है
ऑनलाइन। .. जब टाइम मिले तो। ... बस आपकी याद आ ही जाती है
जो होता है अच्छे के लिए होता है निहारिका जी
कई बंद पड़ी मशीनों में भी आज कल अच्छे से ऑयलिंग हो रही है
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(30-03-2020, 09:47 AM)komaalrani Wrote: kis number ki this aapki bra aap kis class men thi , chaliye main apni bata deti dun , 28 number aur main class VIII men thin Komal ji, ek shanka hai, jab kisi ladki ke Joban ubhaar mar rahe hote hain, to kya unko apne piche bhi kuch alag alag sa mehsus hota hai kya? maslan jyada bhari bhari lagna, uchalne kudne mein saaf pata chalna ki piche wale badh gaye hain??
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(26-03-2020, 12:31 AM)Xxx2524 Wrote: निहारिका जी मेरा देवर भी कुदाल चलाने की फ़िक्र में है। मैंने बस उंगली तक रोक के रखी है किसी तरह।
Waah, bada hi himmat wala hi aapka Dewar, humein to darr lagta hai apni Bhabhi se...
bus kabhi kabhar unki Khubsurati ki taariff kar paate hain, aur unko taad taad kar apni aankein senkte rehte hain, bus...
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(30-03-2020, 09:47 AM)komaalrani Wrote: kis number ki this aapki bra aap kis class men thi , chaliye main apni bata deti dun , 28 number aur main class VIII men thin
Mujhe ek kissa yaad aya apne bachpan ka, jub main 6th class mein tha,
ek ladki thi jiske 6th class mein hi joban itne bade ho gaye they i unhe Kacchi Amiyan kahna, unka apmaan hoga aur mujhe pura vishwaas hai ki wo tabhi se bra pahnti hogi, halanki itni himaat nahi hui ki khud jhaank kar confirm kar sakun...
To ek class ke ladke ne comment kiya ki - Yarr itne bade dudhu hain iske ki mann karta hai ki daba daba kar iske dudh pi jaaun...
Tab to hum sab chhote hi they, humein kya pata tha ki dudh tab tak nahi aata jab tak koi bhi ladki Pregnant nahi hoti...
Lekin, durbhagywash, us ladki ko ye baat pata chal gayi, aur usne Lady Teacher ko jakar bata diya...
Fir kya tha, lady Teacher aayin, saath mein 1m ka steel ka scale bhi laayin, aur jo dhuna use, uske pichwade par,
mujhe to pakka yakin hai ki bina uski paant utaare, uski pichwade ko laal ar diya hoga Madam ne...
Bechara us pure din wo khada hi raha class ke time... :D :D
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(29-03-2020, 08:18 AM)komaalrani Wrote: बहुत ही बढ़िया थ्रेड है , मैं भी कोशिश करुँगी बीच बीच में आ कर अपनी यादें ताजा करूँ और बस कुछ बतकही , ... ब्रा और कच्ची अमिया की बात अपने एकदम बढ़िया शुरू की है , जब बचपन और जवानी के बीच में लड़की झूलती है , बाहर निकलो तो गली के लड़के जवान होने का अहसास कराते रहते हैं , और घर में फ्राक बहन कर , बड़ी औरतें ,... कुछ भी बात करेंगी और कोई इशारा करेगी की ' ये बैठी है ' तो दूसरी मुंह बिचका के बोलेगी , ' अरे अभी तो ये बच्ची है "
बार बार शीशे के सामने , कॉलेज के लिए तैयार होते समय , निगाह वहीँ आ जाना , बस आते हुए उभारों पर , कॉलेज जाते हुए , किताबें इस तरह की ' वो दिखाई ' न दें , ... सहेलियों की छेड़ छाड़ , रास्ते में लौंडे , लेकिन घर लौट कर मम्मी की गोद में इठलाते हुए , भाई बहनों से वही झगड़े , मार पीट , ( कुछ कजिन्स की बात और है उन्हें भी उभार दिखने लगते हैं )
Mujhe yaad hai, ek bar main apne ek Mahila Mitra se baat kar raha tha jo mere saath 8th class tak padhi thi, fir uska admission kisi dusre college mein ho gaya tha...
Wo bata rahi thi ki kaise ek bar 12th mein jab wo thi, to Baarish mein ouri bhig kar college pahunchi, aur class ke sare ladke usi ko taad rahe they, aur wo uncomfortable feel kar rahi thi...
Main - yarr lekin tujhe to apne aap par garv hona chahiye ki tu itni sundar hai, hot hai, sab ladkon ka dhyaan tujh par hai. Tujhe achha nahi laga, main agar teri jagah hota aur sari ladkiyon ka dhyan meri taraf hota, to mujhe to bahut achha lagta
Wo- nahi yarr, mujhe uncpmfortable lag raha tha, andar ka sab kuch dikh raha tha, to meri saheliyon ne mujhe gher liya aur mujhe sab apne apne rumaal se aur dupatta se (college ka uniform Salwar Suit tha (For Girls above 8th class)) poch rahi thin...
Main - sahi hai, tumhe kaafi achhe dost milin (Man hi man sochte hue) kaash main waha hota to tumhe us halat mein dekh kar kitna mazza aata mujhe, hai meri futi kismat...
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Jitna dabao utna aur mann karta hai dabwane ko....
(30-03-2020, 04:33 PM)rahulgoku1008 Wrote: Mujhe yaad hai, ek bar main apne ek Mahila Mitra se baat kar raha tha jo mere saath 8th class tak padhi thi, fir uska admission kisi dusre college mein ho gaya tha...
Wo bata rahi thi ki kaise ek bar 12th mein jab wo thi, to Baarish mein ouri bhig kar college pahunchi, aur class ke sare ladke usi ko taad rahe they, aur wo uncomfortable feel kar rahi thi...
Main - yarr lekin tujhe to apne aap par garv hona chahiye ki tu itni sundar hai, hot hai, sab ladkon ka dhyaan tujh par hai. Tujhe achha nahi laga, main agar teri jagah hota aur sari ladkiyon ka dhyan meri taraf hota, to mujhe to bahut achha lagta
Wo- nahi yarr, mujhe uncpmfortable lag raha tha, andar ka sab kuch dikh raha tha, to meri saheliyon ne mujhe gher liya aur mujhe sab apne apne rumaal se aur dupatta se (college ka uniform Salwar Suit tha (For Girls above 8th class)) poch rahi thin...
Main - sahi hai, tumhe kaafi achhe dost milin (Man hi man sochte hue) kaash main waha hota to tumhe us halat mein dekh kar kitna mazza aata mujhe, hai meri futi kismat...
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(30-03-2020, 11:28 AM)Poonam_triwedi Wrote: जो होता है अच्छे के लिए होता है निहारिका जी
कई बंद पड़ी मशीनों में भी आज कल अच्छे से ऑयलिंग हो रही है
पुर्जे पुर्जे में हलचल है क्या 25 क्या 65
पूनम जी ,
स्वागत है आपका , का से इंतज़ार हो रहा है आप जैसे सहेलिओ का आओ न कुछ अपनी कहो कुछ चटपटा कहो।
यह औरतो की दुनिया है , अपनी दुनिया। ........
आपके
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(30-03-2020, 05:02 PM)Mohini Wrote: Jitna dabao utna aur mann karta hai dabwane ko....
मोहिनी जी,
स्वागत है आपका , सच कहा , जोबन को जितना दबाओ या दबवाओ मज़ा आता है, लड़की के जोबन पर निखार दबाने व् रगड़ने से ही आती है , खुद ही देख लो शादी से पहले व् बाद मैं बच्चे के होने पर।
जोबन का निखार , मर्द की पसंद , .... आपकी कुछ यादे अगर शेयर करिए तो.
आपकी
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सहेली - क्या हुआ , परेशान है , बता क्या बात है
मैं - वो , यार बाजार जाना था। ...................
......................................................................................................
प्यारी सहेलिओ ,
स्वागत है , कुछ पुराणी यादो के सफर मैं
अब आगे। ................
सहेली - तो चल न, कहाँ जाना है, क्या लाना है , कब चलना है,
मैं - उफ़, इतने सवाल , यह लड़की भी न , कुछ काम है, आजा मेरे घर जल्दी
सहेली - अच्छा बाबा आती हूँ , ओके बाय
मैं - हम्म,
फिर फ़ोन रख दिया, मन मैं सोचा की, अब भाभी ज़रूर पूछेगी तो क्या बोलूंगी
भाभी - ओह ू, तो बाजार जाना है , शॉपिंग कुछ खास , मैं भी चलू
मैं - ओह, भाभी कुछ खास नहीं , बस कुछ बुक्स वग़ैरा
भाभी - हम्म, ठीक है,
मैं - बाय , भाभी ,मन मैं सोचा , बच गए।
भाभी - बाई, निहारिका
घर जा कर , सोचा कुछ चेंज कर लू, बाजार जाना है , एक नया सूट जो पिंक कलर का था निकल लिया , सोचा नहा भी लू, मेरी सहेली जरा लेट लतीफ़ है , जब तक नहा लेती हूँ.
टॉवल ले कर , बाथरूम मैं गई , धड़कन तेज़ हो रही थी, वो पूछेगी की काया लाना है, उफ़, पागल घर मैं न बोल दे, ये सोचते हुए कुर्ती उतरी , फिर सलवार, पैंटी उतर के एक और रख दी।
मैं सिर्फ ब्रा मै थी, और आईने मैं खुद को देख रही रही थी , सोच रही थी कैसे ब्रा लू , किस कलर की, शेप कैसा लू, नयी ब्रा मैं कैसी लगूंगी। ......................
फिर शावर ों किआ , ब्रा उतारी , जोबन को दबाया , एक हलचल उठी, और पानी की फुहार जिस्म पर पड़ती चली गई। ...................
जाने किस दुनिआ मैं थी मैं। ......
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सहेली - क्या हुआ , परेशान है , बता क्या बात है
मैं - वो , यार बाजार जाना था। ...................
......................................................................................................
प्यारी सहेलिओ ,
स्वागत है , कुछ पुराणी यादो के सफर मैं
अब आगे। ................
सहेली - तो चल न, कहाँ जाना है, क्या लाना है , कब चलना है,
मैं - उफ़, इतने सवाल , यह लड़की भी न , कुछ काम है, आजा मेरे घर जल्दी
सहेली - अच्छा बाबा आती हूँ , ओके बाय
मैं - हम्म,
फिर फ़ोन रख दिया, मन मैं सोचा की, अब भाभी ज़रूर पूछेगी तो क्या बोलूंगी
भाभी - ओह ू, तो बाजार जाना है , शॉपिंग कुछ खास , मैं भी चलू
मैं - ओह, भाभी कुछ खास नहीं , बस कुछ बुक्स वग़ैरा
भाभी - हम्म, ठीक है,
मैं - बाय , भाभी ,मन मैं सोचा , बच गए।
भाभी - बाई, निहारिका
घर जा कर , सोचा कुछ चेंज कर लू, बाजार जाना है , एक नया सूट जो पिंक कलर का था निकल लिया , सोचा नहा भी लू, मेरी सहेली जरा लेट लतीफ़ है , जब तक नहा लेती हूँ.
टॉवल ले कर , बाथरूम मैं गई , धड़कन तेज़ हो रही थी, वो पूछेगी की क्या लाना है, उफ़, पागल घर मैं न बोल दे सब के सामने , ये सोचते हुए कुर्ती उतरी , फिर सलवार, पैंटी उतर के एक और रख दी।
मैं सिर्फ ब्रा मै थी, और आईने मैं खुद को देख रही रही थी , सोच रही थी कैसे ब्रा लू , किस कलर की, शेप कैसा लू, नयी ब्रा मैं कैसी लगूंगी। ......................
फिर शावर ऑन किआ , ब्रा उतारी , जोबन को दबाया , एक हलचल उठी, और पानी की फुहार जिस्म पर पड़ती चली गई। ...................
जाने किस दुनिआ मैं थी मैं। ......
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फिर शावर ों किआ , ब्रा उतारी , जोबन को दबाया , एक हलचल उठी, और पानी की फुहार जिस्म पर पड़ती चली गई। ...................
जाने किस दुनिआ मैं थी मैं। ......
...........................................
फिर ,
जल्दी से नाहा कर बहार आयी , ब्रा पहनी , पैंटी पहनी , समीज भी, नहीं तो माँ कच्छ चबा जाती, पिंक सूट डाला जल्दी से सलवार का नाडा बंधा गीले बालो को सुखा कर टॉवल को बहार सूखने डाला , तभी गेट पैर देखा मेरी सहेली आ गई थी और माँ से बात कर रही थी.
मैंने हाथ हिला कर "हाई " बोलै और उसके पास आ गई,
माँ - रे निहारिका, ये कैसे आयी, और तू तैयार हो कर कहाँ जा रही है.
मैं- वो, कुछ नहीं माँ, इसको कुछ लेना था बाजार से , बस
माँ -अच्छा , ये भी ठीक हुआ, मैं भी बाजार जाने की सोच रही थी , पर किचन समेटना है, एक काम कर बराज जा तो रही हैं न तू, दो पीस लाल ब्लाउज के लेती आना और एक लाल और एक पीली फॉल साड़ी के लिए।
मैं - अच्छा माँ, अब जाउ।
माँ - अच्छा, पर आँचल जरा ठीक से , यु गाल पर मत चिपका लेना , बड़ी हो गई है समझा कर.
मैं - ओह , माँ, मैं समाज गई।
मैं सहेली का हाथ पकड़के लगभाग खेचतीं हुई बहार भागी , कही माँ कुछ न पूछ ले.
माँ- अंदर जाती हुई, कहती है , ये लड़किया भी न, हर डाब उछाल कूद, भागना , हसना, जाने कब सायानी होंगी।
सहेली - क्यों री , निहरिका की बच्ची, मेरी छोटी खेचते हुए बोली, मेरा काम था बाज़ार मैं , अभी जा कर बोलू आंटी को।
मैं - पागल है क्या तू, चल आगे बताती हु सब, घर से कुछ दूर आ कर। ....
सुन, मुझे न , वो बाजार से , उफ़ ,वो लानी है.
सहेली - पागल, क्या "वो", पूरी बात बता
मैं - यार, सुन मुझे नयी ब्रा लेनी है, और अकेले जा नहीं सकती और माँ से डर लगता और , शर्म भी आती है।
सहेली - अच्छा, हम्म, तो ये बात है , चल चलते हैं , कलर कौन सा लेना है,
मैं - पिंक, वाइट, रेड, ब्लैक
सहेली - पूरी दुकान लेनी है क्या। ......................
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01-04-2020, 05:40 PM
(This post was last modified: 01-04-2020, 05:42 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं - पिंक, वाइट, रेड, ब्लैक
सहेली - पूरी दुकान लेनी है क्या। ......................
................................
आगे,
हम दोनों चलते हुए , बाज़ार तक आ गए।
मैं - कौन सी दुकान पर चलना है?
सहेली - चल, "सोनिया कलेक्शन" पर चलते हैं, वहां अच्छी डिज़ाइनर ब्रा मिलती हैं , रेट भी ठीक है.
मैं - अच्छा , चल जैसा तू कहे।
सहेली - हम्म,
हम दोनों दुकान पर आ गए , वाहन मैंने देखा की एक से एक डिज़ाइनर ब्रा का कलेक्शन है, मेकअप का सामान है, हेयर बैंड , लिपस्टिक, फाउंडेशन, नेलपेंट, और न जाने जाने क्या - क्या , उफ़ मैं तो आंखे खोल के देखती ही रह गयी ,
ऐसा नहीं है की, मैं पहेली बार बाज़ार गई थी, माँ के साथ बस झोला पकड़ी और साथ - साथ चल दी, जायदा ध्यान नहीं दिया , पर आज जब मैं अकेली थी, तब कुछ अलग अहसास था.
सहेली - पागल, क्या देख रही है , कहाँ खो गई ?
मैं - हम्म, कुछ नहीं, [ अपने आप को सम्हालते हुए ]
काउंटर पर देखा कोई महिला नहीं दिख रही, अब एक और मुसीबत,
मैंने सहेली से कहा - सुन , कोई लेडीज नहीं है, अब क्या करे ?
एक लड़का था , दिखने मैं ठीक , हलकी दाढ़ी - मूछ ब्लू - चेक की शर्ट व् जीन्स पहने था , गोरा , हाइट भी ठीक थी, मुज़से तो लम्बा ही था.
सहेली - क्या बात यही, ब्रा के साथ ब्रा वाला भी लेना है , ही ही ही फिर तो पूरी दुकान तेरी
मैं - पागल , कुछ भी बोलती है, पर अब क्या करे , इसको बोले ब्रा के लिए? तूने ली है यहाँ से ब्रा ?
सहेली - हम्म, कई बार , रेट ठीक है, फिर डिस्काउंट भी देता है , पर बहस करनी पड़ती है , और बिना बहस -बार्गेन के हम लड़किया कुछ नहीं खरीदती।
मैं - हमम, वो सब तो ठीक है, पर बोले कैसे , अच्छा तू बोल दे। .......
सहेली - तुझे ब्रा चाईए , तू ही बोल , मैं नहीं
तभी। . दुकान वाला बोला। .....
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सहेली - तुझे ब्रा चाईए , तू ही बोल , मैं नहीं
तभी। . दुकान वाला बोला। .....
.......................................................................
आगे
.........
मैं - सहेली को पिंच करती हूँ, ऊँगली दबा कर हूँ , अरि, बोल न।
सहेली - हम्म, भैया। .
दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू, लिपस्टिक, लिप ग्लॉस, काजल। ... मैडम ये काजल इम्पोर्टेड है , चौबीस घंटे तक कुछ नहीं बिगड़ता।
मैं - भैया , काजल नहीं , कुछ और दिखाइये।
दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू?
मैं - बोल न , सहेली को फिर पिंच किया , इधर उधर देखते हुए
सहेली - भैया , कुछ ब्रा , दिखाइए।
मैं - उफ़, मैं बिक्कुल शुन्य मैं थी, क्या चल रहा है आस पास कुछ नहीं पता, कुछ सुनाई नहीं कुछ पल के लिए।
सहेली - मेरा हाथ खींचते हुए, पागल साइज बता , तेरी ब्रा का।
- मैं - एक धक्का और , दिल मैं - उफ़, ब्रा का साइज इसको बताना होगा , मैंने उसे देखा मेरे बूब्स देख रहा था , शर्म से लाल हो गई।
हिम्मत कर के धीरे से बोला , जी ३२
दुकान वाला - अच्छा, मैडम।
फिर पीछे मुडा दुकान मैं से कुछ बॉक्सेस लाने के लिए , मैं उसे देखती रही, जब तक वो आखरी कोने मैं न जा पहुंचा।
दुकान वाला - जोर से बोला "मैडम, कप साइज क्या है " ?
मैं - उफ़,पागल है, इतनी जोर से क्यों बोल रहा है , - में बोली - भइया , बी
दुकानवाला - क्या, मैडम, डी ?
मैं - नहीं, भइया , बी , बी कप. थोड़ा जोर से , मुझे लगा उसे सुनिए नहीं दिया होगा।
मन, मैं सोचा डी कप , उफ़ कितने बड़े होंगे, शायद पड़ोस वाली भाभी के डी कप ही होंगे , लगती मस्त है भाभी।
दुकानवाला - लीजिए मैडम, ३२, बी कप ब्रा , कौन सा कलर दिखाऊ , स्किन कलर या डार्क , प्रिंटेड ,फ्लावर , लैसे ?
मैं, जैसे सपने मैं थी , डी कप ब्रा के, उसकी आवाज़ सुन के एकदम झटके से बहार आयी।
मैं उसको देख नहीं पा रही थी, वो मेरे बूब्स देख रहा था , मैंने अपना आँचल ठीक किया , [ हम लड़कियों को न जाने कैसे पता चल जाता है की अगला इंसान कहा देख रहा है?]
.........................
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(02-04-2020, 05:20 PM)Niharikasaree Wrote: सहेली - तुझे ब्रा चाईए , तू ही बोल , मैं नहीं
तभी। . दुकान वाला बोला। .....
.......................................................................
आगे
.........
मैं - सहेली को पिंच करती हूँ, ऊँगली दबा कर हूँ , अरि, बोल न।
सहेली - हम्म, भैया। .
दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू, लिपस्टिक, लिप ग्लॉस, काजल। ... मैडम ये काजल इम्पोर्टेड है , चौबीस घंटे तक कुछ नहीं बिगड़ता।
मैं - भैया , काजल नहीं , कुछ और दिखाइये।
दुकान वाला - हाँ जी, मैडम बोलिये क्या दिखा दू?
मैं - बोल न , सहेली को फिर पिंच किया , इधर उधर देखते हुए
सहेली - भैया , कुछ ब्रा , दिखाइए।
मैं - उफ़, मैं बिक्कुल शुन्य मैं थी, क्या चल रहा है आस पास कुछ नहीं पता, कुछ सुनाई नहीं कुछ पल के लिए।
सहेली - मेरा हाथ खींचते हुए, पागल साइज बता , तेरी ब्रा का।
- मैं - एक धक्का और , दिल मैं - उफ़, ब्रा का साइज इसको बताना होगा , मैंने उसे देखा मेरे बूब्स देख रहा था , शर्म से लाल हो गई।
हिम्मत कर के धीरे से बोला , जी ३२
दुकान वाला - अच्छा, मैडम।
फिर पीछे मुडा दुकान मैं से कुछ बॉक्सेस लाने के लिए , मैं उसे देखती रही, जब तक वो आखरी कोने मैं न जा पहुंचा।
दुकान वाला - जोर से बोला "मैडम, कप साइज क्या है " ?
मैं - उफ़,पागल है, इतनी जोर से क्यों बोल रहा है , - में बोली - भइया , बी
दुकानवाला - क्या, मैडम, डी ?
मैं - नहीं, भइया , बी , बी कप. थोड़ा जोर से , मुझे लगा उसे सुनिए नहीं दिया होगा।
मन, मैं सोचा डी कप , उफ़ कितने बड़े होंगे, शायद पड़ोस वाली भाभी के डी कप ही होंगे , लगती मस्त है भाभी।
दुकानवाला - लीजिए मैडम, ३२, बी कप ब्रा , कौन सा कलर दिखाऊ , स्किन कलर या डार्क , प्रिंटेड ,फ्लावर , लैसे ?
मैं, जैसे सपने मैं थी , डी कप ब्रा के, उसकी आवाज़ सुन के एकदम झटके से बहार आयी।
मैं उसको देख नहीं पा रही थी, वो मेरे बूब्स देख रहा था , मैंने अपना आँचल ठीक किया , [ हम लड़कियों को न जाने कैसे पता चल जाता है की अगला इंसान कहा देख रहा है?]
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किस क्लास में थीं आप जब आपने ३२ बी वाली ब्रा खरीदी ,
ये साइज मेरी तो हाईकॉलेज में थी , दसवें और ग्यारहवें में , ... मैंने बताया था न मैंने पहली ब्रा दर्जा ८ में पहनी थी , एक मेरी मौसी थीं , वो आयीं और उन्होंने मुझे ही नहीं घर में सब को हड़काया , लड़की बड़ी हो गयी , उसी दिन शाम को ,... और उसी साल मैंने चुन्नी गले में लेनी शुरू की , पर मेरी पड़ोस की भाभी ने रास्ता समझा दिया था , घर से निकलो तो सब ढका तोपा , लेकिन गली के किनारे तक पहुँचते पहुँचते , थोड़ा दिखाओ , थोड़ा छिपाओ वाली स्टाइल , और ज्यादा मूड हुआ तो एकदम गले से चिपका के ,
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