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(31-03-2020, 01:46 AM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी ,
कहा हो , लगता है ही बिजी हो , "कन्या रस " का जो मज़ा होता है।
एक लड़की ही समझ सकती है एक लड़की के जिस्म की सॉफ्ट व् सेंसिटिव जगह , बूब्स, कमर, लिप्स , जाँघे , उंगलिया उफ़ क्या बताऊ पूरा जिस्म ही मादक होता है, कोमल जी भी सहमत होंगी।
"कन्या रस" का भोग अपना अलग ही मज़ा देता है , कोमल जी की के जादू भरे शब्द एकदम जिवंत चित्रण कर देते है , मज़ा आ जाता है, और जिस्म अगर ,नखरैल ननद का हो तो क्या कहना।
कुसुम जी आओ न , टाइम निकल के। .... गर्ल्स वाले थ्रेड पर.
प्रणाम निहारिका जी
आज कल थोड़ी व्यस्तता हो गयी है
मैं जरूर आऊंगी आप के थर्ड पर ओर आप मैं पूनम जी कोमल जी खूब बतियाएँगी वहां पर
बिल्कुल ठीक कहा आप ने कन्या रस का अलग मजा होता है जब कोई एक नारी दूसरी के जिस्म से खेलती है तो जो मजा जो लज्जत ऊफ़्फ़ सिर्फ महसूस की जा सकती है वो मस्ति
खैर, मैं भी क्या ले के बैठ गयी,
तो हां मैं भी जरूर आऊंगी आप सहेलियां महफ़िल सजाओ ना तब तक आप बहुत अच्छी यादें ताजा कर रही है बचपन की
बहुत अच्छा लग रहा है वहाँ पे ओर हसींन बनाओ थर्ड को सभी चुलबुली लड़कियां मिल के
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दिन-ब-दिन कहानी में रोचकता बढ़ती जा रही है !
बहुत अच्छा फ्लो बनाया हुआ है आप ने कोमल जी
आज का उपडेट बहुत अच्छा था
लिखती रहो,बहुत शुभकामनाएं
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Wah!!
Bahut hi garam !!
Lge rhiye...
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(01-04-2020, 02:50 PM)@Kusum_Soni Wrote: दिन-ब-दिन कहानी में रोचकता बढ़ती जा रही है !
बहुत अच्छा फ्लो बनाया हुआ है आप ने कोमल जी
आज का उपडेट बहुत अच्छा था
लिखती रहो,बहुत शुभकामनाएं
बस आप साथ बनाये रखिये , आप देख रहीं न , ननदों के साथ छेड़खानी का और मस्ती का एक अलग ही मजा है ,
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(01-04-2020, 07:27 PM)UDaykr Wrote: Wah!!
Bahut hi garam !!
Lge rhiye...
Thanks so much trying to give regular posts in all the three stories
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01-04-2020, 08:49 PM
(This post was last modified: 02-04-2020, 03:52 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(01-04-2020, 02:47 PM)@Kusum_Soni Wrote: प्रणाम निहारिका जी
आज कल थोड़ी व्यस्तता हो गयी है
मैं जरूर आऊंगी आप के थर्ड पर ओर आप मैं पूनम जी कोमल जी खूब बतियाएँगी वहां पर
बिल्कुल ठीक कहा आप ने कन्या रस का अलग मजा होता है जब कोई एक नारी दूसरी के जिस्म से खेलती है तो जो मजा जो लज्जत ऊफ़्फ़ सिर्फ महसूस की जा सकती है वो मस्ति
खैर, मैं भी क्या ले के बैठ गयी,
तो हां मैं भी जरूर आऊंगी आप सहेलियां महफ़िल सजाओ ना तब तक आप बहुत अच्छी यादें ताजा कर रही है बचपन की
बहुत अच्छा लग रहा है वहाँ पे ओर हसींन बनाओ थर्ड को सभी चुलबुली लड़कियां मिल के
कुसुम जी ,
मेरा प्यार भरा नमस्कार ,
इंतज़ार बस आपका , और क्या , बाकि कसर कोमल जी की शानदार जिवंत कहानी पूरी कर देती है , क्या जानदार चित्रण किया है किशोर जोबन का, इस उम्र मैं जो जोश होता है, जवानी का.उसकी क्या बात है , उफ़ अगर साथ मैं ऐसे गर्म भाभी हो तो। ... असीम आनंद।
है , मेरे थ्रेड पर कुछ चल रहा है, पर घर के काम , उनके काम, थकन समय मिलता है कर रही हु कोशिश , पुरानी ताज़ा करने की,
आशा है , मेरी तरह और भी कई लड़किया व् औरते इस दौर से गुजरी होंगी।
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(01-04-2020, 08:49 PM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी ,
मेरा प्यार भरा नमस्कार ,
इंतज़ार बस आपका , और क्या , बाकि कसर कोमल जी की शानदार जिवंत कहानी पूरी कर देती है , क्या जानदार चित्रण किया है किशोर जोबन का, इस उम्र मैं जो जोश होता है, जवानी का.उसकी क्या बात है , उफ़ अगर साथ मैं ऐसे गर्म भाभी हो तो। ... असीम आनंद।
है , मेरे थ्रेड पर क्कुह चल रहा है, पर घर के काम , उनके काम, थकन समय मिलता है कर रही हु कोशिश , पुराणी ताज़ा करने की,
आशा है , मेरी तेरे और भी कई लड़किया व् औरते इस दौर से गुजरी होंगी।
Thanks for nice words
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Very nice
Gajab ka shabdo ka tukbandi bas ram ja rahe hai padate -padate.
Keep going....
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(02-04-2020, 04:52 PM)aky3894 Wrote: Very nice
Gajab ka shabdo ka tukbandi bas ram ja rahe hai padate -padate.
Keep going....
Thanks so much
apki pahli post mere thread par , vo bhi saal bhar se upar join karne ke baad, i feel fortunate ,
do read my other stories too
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मेरी जेठानी
और ' दिन की देवरानी '
ये और गुड्डी डाइनिंग टेबल की ओर बढे जहाँ मेरी जेठानी इंतज़ार कर रही थीं , खाना लग गया था।
और मैं किचेन की ओर नाश्ते के बर्तन लेकर ,
जब पहुंची तो मेरी ननद रानी की रगड़ाई अच्छी तरह शुरू हो गयी थी ,
उसकी बड़ी भाभी थीं न , मेरी जेठानी , उस का 'स्वागत -सत्कार ' करने के लिए ,
जान बुझ कर उन्होंने 'इन्हे ' किनारे वाली सीट पर बैठाया ,
बस गुड्डी इनकी बगल वाली चेयर पर बैठ गयी और उसकी खिंचायी शुरू।
" आज से तुम मेरी नयी देवरानी हो गयी "
उसके मीठे मीठे गाल पर जोर से चिकोटी काटती मेरी जेठानी ने चिढ़ाया , और समझाया भी
" अरे मेरे देवर के बाएं बैठी हो , वामा , ... तो मेरी देवरानी तो हुयी न। "
जब तक वो उठने की कोशिश करती , तब तक मैं भी पहुंच गयी और जबरन वहीँ उसे दबा कर बैठा दिया
और खुद गुड्डी के बगल में बैठ गयी , और जेठानी जी से बोला ,
" तो ठीक तो है , दीदी ,...देवर एक देवरानी दो ,... हम लोग शिफ्ट बांध लेंगे , १२ -१२ घंटे की , रात वाली देवरानी मैं और दिन वाली ये , ...
क्यों आप बुरा तो नहीं मानोगे . "
मैंने बात इनकी ओर मोड़ दी और क्या जबरदस्त ब्लश किया इन्होने , इत्ता तो इनका माल नहीं शरमा रहा था।
और जवाब सामने टेबल पैट बैठती मेरी जेठानी ने अब अपने देवर को छेड़ते दिया ,
" ये क्यों बुरा मानेगा , ...इसका तो बचपन का माल है , ... और नया नया स्वाद भी मिलेगा ,
फिर दोनों टाइम कब्बडी खेलने का मौका , .... और तुम भी रोज रतजगा करती हो , कम से कम दिन में सो लेना , ...दिन में ये तेरी 'ननद बनी देवरानी' रहेगी न , ... "
बात जेठानी ने मेरे ऊपर ख़तम की और मैंने मोर्चा सम्हाल लिया ,
" गुड्डी , चुप का मतलब जानती हो न , ... मौनं स्वीकृति ही लक्षणम , मतलब तू रेडी है न दिन की ड्यूटी सम्हालने के लिए ,... "
" अरे ये तो तबसे रेडी है जबसे इसकी केसर क्यारी आयी और नीचे रक्तपात शुरू हुआ , ... ये तेरा वाला ही थोड़ा , ... स्लो स्टार्ट है ,... "
जेठानी ने अब जवाब दे दिया।
लेकिन मेरी शंकाये ऐसी थी की कम होने का नाम नहीं ले रही थीं ,
फिर बगल में जेठानी जी बैठी थीं न शंका समाधान के लिए और ऊपर से अब तक जो उन्होंने कहा था ,
उसपर न उनके देवर ने कोई आब्जेक्शन लगाया था , न ' दिन की शिफ्ट वाली देवरानी ' ने , तो इस लिए मैंने पूछ ही लिया ,
" लेकिन दी , लेकिन ,... "
मैं थोड़ा हिचकिचा रही थी पर जेठानी जी ने हिम्मत बढ़ाई ,
" अरे पूछो न , पूछो मैं बताउंगी न , ... "
और मैंने पूछ लिया, गुड्डी की ओर साफ़ साफ़ इशारा कर के ,
" मान लिया , आपकी कहीं , . ये जो दिन वाली आपकी देवरानी मेरी बगल में बैठीं हैं , कहीं ,... मेरा मतलब है , कहीं , गाभिन वाभिन हो गयीं तो , ... "
जेठानी जी ने मुझे भी जवाब दिया और अपनी नयी बनी ' दिन की शिफ्ट वाली देवरानी ' को हड़काया भी ,
" अरे रोज बिना नागा कबड्डी खेलेंगी मेरे देवर के साथ तो गाभिन तो होगी ही , देवरानी काहें को बनाया है , फिर बात उन्होंने गुड्डी की ओर मोड़ दी और उसे हड़काने लगी ,
" अरे सुनो , मेरी नयकी देवरानी , खबरदार , कोई मॉर्निंग आफ्टर , मॉर्निंग बिफोर कोई गोली वाली मत खाना , और वैसे भी तुझे मैं वो गोली खिला के अपने देवर के पास भेजूंगी न की किसी पिल विल का कोई असर नहीं होगा और रबड़ वबड़ का कोई चक्कर नहीं , सीधे चमड़े से चमड़े की रगड़ाई , "
और फिर उन्होंने मेरी ओर देखते हुए अपनी बात पूरी की ,
" तो हाँ तुम कह रही थी ये 'दिन वाली देवरानी ' कतौं गाभिन हो गयीं , तो का हुआ , अरे गाभिन होंगी तो नौ महीने पेट फुलाये घूमेंगी ,
नौवें महीना बियायेंगी , सोहर होगा , लड़का को दूध पिलायेंगी ,
कुछ हमरे देवर को भी पिला देंगी ,...
और दो चार महीना बाद फिर पेट फुला लेंगी , ये कौन नोखे की बात है ,... :
ये बात जेठानी जी की एकदम सही थी की उनके देवर सच में ' स्लो स्टार्टर ' थे , कुछ ज्यादा ही सीधे , शर्मीले , लजीले , इतना तो आज कल कोई लड़की भी नहीं लजाती , सह में इनसे न , ... खाली पढ़ाई लिखाई में अव्वल होने से थोड़े हो जाता है सब कुछ
पहले दिन ही अगर मैंने थोड़ा ज्यादा ना नुकुर की होती न , ... तो ये खुद बोलते , अच्छा चलो सो जाते हैं , जिस लड़के को मेरा नाम पता करने में २४ घंटे लग गए ,... पर अब तो ये इतना फास्ट है की , कोई मौका नहीं छोड़ते ,...
मैंने जेठानी जी की बात में थोड़ा सुधार किया ,
" दीदी , ... आप की बात पहले सही थी , ... लेकिन अब एक बार गाडी स्टार्ट हो गयी है तो चलेगी , ... अब दिन रात दोनों टाइम ,... तो अभी दिन भी है , देवर भी है , खाने के बाद एक राउंड , ... क्यों हो जाए , ... "
" नहीं नही , मेरी फ्लाइट का टाइम है , फिर रास्ता भी अभी खराब है ,... "
वो बीच में बात काट के बोले ,
तो उनकी भाभी ने अपने देवर से बोला
कोई बात नहीं मान तो गया न तू , ये मेरी ननद तो पहले ही तैयार है , खुद तेरे बांये आके बैठ गयी , ... चल अगली बार , ...
गुड्डी सुन यार तू अगली बार थोड़ा जल्दी आना साफ़ सूफ करके , तेरा फीता कटवा दूंगी मैं अपने देवर से , ... "
" एकदम पक्का , गुड्डी मान जा यार , मैं सर्टिफाई करती हूँ , बहुत मज़ा मिलेगा , ... अरे मुंह मत लटका , एक हफ्ते की तो बात है , फिर हम लोगों की बिरादरी में आ जायेगी , ... ठीक है दीदी , आपके देवर भी तैयार , नयी नयी देवरानी भी तैयार , ... बस अगले संडे को ,... " ,
अब मैं चालू हो गयी थी।
उन्होंने खाने का ढककन खोल के बात बदलने के लिए बोला ,
"भाभी चलिए खाना शुरू करते है , "
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खाना
उन्होंने खाने का ढककन खोल के बात बदलने के लिए बोला ,
"भाभी चलिए खाना शुरू करते है , "
और एक बैगन निकाल के गुड्डी की प्लेट में रख दिया ,
अब तो मुझे और इनकी भाभी को और मौका मिल गया ,
" देख तेरे भइया ने चुन के सबसे लम्बा मोटा वाला दिया है , "
मैंने अपनी ननद को छेड़ा।
" अरे इनके बचपन का माल है , इनकी सब पसंद मालूम है , इसके भइया को , बैगन , खीरा , मूली , .... अरे एलवल वाली के चक्कर में बैगन के दाम बढ़ गए हैं ,... "
इनकी भौजाई भी अब हमले में शामिल हो गयीं ,
और मैंने गुड्डी से अब खुल्लमखुल्ला सीधे चिढ़ाया ,
" अरे यार अब तेरी असली वाला लेने की उम्र हो गयी है , बगल में ही तो है , एक बार पकड़ के देख ले , .... बैगन मूली सब भूल जायेगी ,... "
लेकिन रोज हम लोग के हलके से मजाक का बुरा मानने वाली किशोरी ,
हंस हंस के अपनी भाभियों की बात का मज़ा ले रही थी , बल्कि ज़वाब भी देने की कोशिश कर रही थी ,
बैगन का कैसरोल मेरी ओर बढ़ाते बोली ,
" अच्छा चलिए भाभी मेरी पसंद तो मेरे भैया को मालूम है , और आज से नहीं कब से ,...
लेकिन आप अपनी पसंद बता दीजिये और ले लीजिये , ... "
मैंने एक बैगन निकालते बोला ,
" अरे यार सिम्पल , लम्बा मोटा और कड़ा , ... "
और उसे जेठानी जी को पास कर दिया और उन्होंने भी मत व्यक्त किया ,..
" एकदम और साथ में ,... जो सटाक से अंदर जाए , ... इसलिए तो तेल लगा के इतना चिकना किया है , मुझे मालूम था आज मेरी कोरी कुँवारी ननद आने वाली है , ... लेकिन गुड्डी यार तेरे भैया ने तो तुझे लम्बा मोटा पकड़ा दिया , ... पर क्या तू इन्हे भूखा रखेगी , तू नहीं देगी इन्हे ,... थक गयी है क्या "
पर आज गुड्डी भी , ..
आँखे नचा के , थोड़ा अपने छोटे छोटे उभारों को और उभारती , अपने भैया को ललचाती , चिढ़ाती , दाल उनकी कटोरी में डालती , बोली
" भइया लो न , ... देख ले , आपकी ये बहन देते देते नहीं थकेगी , ... भले आप लेते लेते थक जाएँ ,... "
गुड्डी ने ऊपर हमारे कमरे में अपनी ब्रा की जो हालत देखी थी , एकदम उनकी मलाई से लबालब , ...
वो समझ चुकी थी की उसके जोबन का जादू उसके भइया पर कैसे चलता है।
वो कुछ शर्मा रहे थे , झिझक रहे थे , ... भौजाई के सामने ,... और इस का फायदा वो शोख भी उठा रही थी , ...
बस हलके हलके वो मना कर रहे थे और मत डालो
पर मेरी जेठानी थी न अपने देवर की टांग खींचने के लिए , बोली ,
" अरे गुड्डी पूछ न , जब ये डालेंगे और तू मना करेगी तो ये रुकेंगे क्या , जो तुझे रुकने को बोल रहे हैं। "
गुड्डी एकदम उनसे सटी , उस दर्जा आठ वाली के रुई के फाहे ऐसे बस छोटे छोटे उभार , उनसे हलके हलके दबते ,... उनसे बोली ,
" भैया ठीक है न , जब आप मना करेंगे तब मैं नहीं मान रही , और जब मैं मना करुँगी , कितना भी ,... आप मत मानियेगा , ... मेरी एडवांस में हाँ , अब तो ,... "
और उनकी कटोरी लबालब भर दी।
अब मैं उनके पीछे पड़ गयी ,
" हे डाल दो न , मेरी ननद की भी कटोरी पूरी भरो , आधा नहीं ,...आधे में , ... "
और मेरी बात आधी रह गयी , मेरी सास आ के डाइनिंग टेबल पर हमारे साथ बैठ गयीं , ... और बोलीं
" अरी बहू , आधे तीहै में न डालने वाले को मजा न डलवाने वाली को ,... "
वो जेठानी के बगल में बैठी थी और उन की ननदों के बारे में विचारधारा मुझेपहले दिन ही मालूम हो गयी थी , जब मैं ऊपर इनके कमरे में जा रही थी , सुहागरात वाली रात और सास का पैर छूने तभी बुआ सास की ओर इशारा करके उन्होंने बता दिया की इस घर ननदें अपने भाई से फंसी बचपन की बज्जर छिनार होती हैं , और जेठानी जी जो मेरे साथ थीं , उन्होंने उसी समय , मामला साफ़ करवा लिया , ...
माता जी , सिर्फ आप की ननदें या , ...
उन की बात पूरी भी नहीं हुयी थी की सासू जी का फैसला आ गया , और वो सीधे मुझसे बोलीं , ..
समझ ले तू , ननद छिनार का दूसरा नाम है , और तेरी ससुराल में तो एकदम , ननद चाहे जिसकी हो , मेरी या तेरी ,...
फिर गुड्डी की ओर देख के उन्होंने मुझे हड़काया ,
" अरे तेरी ननद की , ... खिलाओ न इसे आज , अब तो इसकी उमर हो गयी है न खाने की अब नहीं खायेगी तो कब खायेगी , ... "
मैं जैसे गुड्डी की थाली में डालती कुछ उसके नखड़े ,... नहीं भाभी नहीं , ... ओर आज मेरी जेठानी एकदम खुल के ,... बोली
" ननद रानी , खाना तो तुझ पड़ेगा , ... हाँ अगर थाली में कुछ बचा न तो ये कलछुल देख रही हो न , इसी से सीधे ,... नीचे वाले छेद से , जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही ,.... "
" अरे दीदी साफ साफ समझाइये इसको , नीचे और पीछे ,
इसका ध्यान तो हमेशा नीचे और आगे वाले पर रहता है ,... "
मैं क्यों छोड़ देती अपनी ननद को।
" अरे आगे वाले छेद के लिए मेरा देवर है न , करेगा इसकी सेवा , तभी तो इसे अपने बगल में वो भी बाएं बैठाया है। "
जेठानी जी ने अपने देवर को छेड़ा।
पर मेरी सास , हम लोगों से भी दस हाथ आगे थीं , उन्होंने हम दोनों को उकसाया ,...
अरे दो दो भाभियाँ और ननद सूखे सूखे खा रही है , ...इसीलिए तो नहीं घोंट रही है ,
उनका इशारा समझ के मैं चालू हो गयी ,
बनारस की ख़ास गारी
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बनारस की ख़ास गारी
उड़ आया दुपट्टा बनारस से , उड़ आया ,...
उडी आवा दुपट्टा बनारस से , उडी आवा दुपट्टा बनारस से ,
हमारी जेठानी जी के देवर क बहिनी को आज मारेंगे , काल मारेंगे , हर रोज मारेंगे ,
अरे गुड्डी छिनरो को निहुराय मारेंगे , लेटाय मारेंगे , दोनों टंगिया फैलाय मारेंगे ,
गपागप मारेंगे , सटासट मारेंगे , गुड्डी क दुनो जोबना पकड़ के मारेंगे , ...
अरे एलवल वाली छिनरो को हमार सैयां मारेंगे , उनके साले मारेंगे , खचाखच मारेंगे ,
अगवाड़ा मारेंगे , पिछवाड़ा मारेंगे
....
मेरी सास ने तारीफ़ की नजर से मेरी ओर देखा
और मैंने बात आगे बढ़ाई , इनके बचपन के माल की तारीफ़ में ,
....
एक और गारी शुरू की , टिपिकल बनारसी
ई बटुआ आया बनारस से केकरे केकरे घर जाए की वाह वाह
ई बटुआ जाए सैंया क घर में , जेकर बहन बड़ी गोरी की वाह
अरे जेकर गुड्डी बड़ी गोरी की वाह ,
अरे गुड्डी बुलावे दस दस यार , सबसे चोरीचोरी की वाह , वाह
अरे गुड्डी मरवावें , अरे हमरे सैंया क बहिनी मरवावे , दस दस यारन से
जेठानी ने मुझे घूर कर देखा तो मैं एकदम बनारस वाले लेवल पर आ गयी
अरे गुड्डी चुदवावे , हमार ननद छीनार चुदवावे दस दस यारन से
मेरी जेठानी ने फिर गुड्डी की कटोरी भरते बोला , ...
"अरे मैं तो एक ही जानती थी , जो उसके बगल में बैठा है , छह फुट वाला ,..."
मेरे मुंह से निकल गया , ...दीदी वो अकेले दस दस के बराबर है , ... फिर खुद ही अपनी बात पर शरमा गयी , ...ये क्या बोल गयी मैं ,
और मेरी ननद को भी बोलने का मौका मिला गया , रोज तो वो लजा जाती थी वो गुस्सा हो जाती थी , पर आज उनके कंधे पर हाथ रख कर ठसके से बोली ,
" मान गयी भौजी न आजमगढ़ वालों को , तभी तो बनारस वाली यहाँ आती हैं , ... "
मैंने दूसरी गारी शुरू कर दी ,
' बिन बदरा के बिजुरिया कहाँ चमके ,हो कहाँ चमके ,
अरे हमरी ननदी छिनार के गाल चमके , आल चमके ,चोली के भीतर अनार झलके
अरे ब्रा के भीतर जोबन छलके , अरे दोनों जांघन के बीच दरार झलके , ...
और फिर मेरी जेठानी चालू ,
लहुरी ननदिया की रगड़ाई करने का इतना बढ़िया मौका रोज रोज थोड़े ही मिलता है वो भी उसके भइया के सामने ,
और ऊपर से गुड्डी ने खुद आग लगा दी , ...
नमक थोड़ा कम था बोल कर ,
मजे की बात ये थी की हमारी सासु जी भी गाने में साथ दे रही थीं , चमच से थाली बजा बजा कर और मैं तो जेठानी जी के साथ थी ,
गा रही थी मुस्करा रही थी ,
छोटे दाने वाला बिछुआ गजबे बना , छोटे दाना वाला ,
ु बिछुआ पहने हमार ननदी छिनार , अरे गुड्डी छिनार
छोटे दाने वाला
करवट बाजे , अरवट बाजे , दोनों टांग उठावत बाजे ,
छोट छोट जोबना मिसावत बाजे
अरे हमरे देवरा से रोज चोदावत बाजे , अपने भैया से रोज चोदावत बजे ,
छोटे दाना वाला
अगला गाना मैंने शुरू किया
गुड्डी भाई चोदी पक्की छिनार ,
अरे अपनी भइया के होंठन पर, हमरे सैंया के होंठें पर आपन बुर रगड़े ,
आपन गाल रगड़े ,
उनके गोदी में बैठ के दोनों जोबन रगड़े , अरे गुड्डी छिनार , ...
जो खाना बीस मिनट में ख़तम हो जाता वो पूरे डेढ़ घंटे चला और दर्जन भर से ज्यादा गारी , भाई बहन को पड़ी।
और गारियों की गंगा तब रुकी , जब बाहर इनको बनारस ले जाने के लिए टैक्सी वाला आ गया और हल्ला करने लगा।
ये प्रस्ताव मेरी सास जी ने ही रखा ,
" अरे तुम टैक्सी से तो जा ही रहे हो , इसको इसके घर छोड़ देना , ... "
और समर्थन मेरी जेठानी ने किया ,
" एकदम कहींइतना गरमाई लौंडिया है , कोई पकड़ के , ...या खुद ही किसी यार के साथ छिनार , बांधे के नीचे , रहरी के खेते ,... "
और उनकी बात काटते मैंने गुड्डी से धीरे से कहा ,
" खबरदार ये सील वही खोलेगा , जिसकी तू बचपन से माल है , और किसी के आगे नाड़ा मत खोलना ,... "
उसके मुंह से निकला गया ,
' एकदम नहीं भाभी ,... "
और पहले तो उनका चेहरा चमक गया ख़ुशी से फिर जोर से शरमा गए ,...
और मैं , जेठानी जी मेरी सास जोर जोर से ठहाके लगा रहा थीं , ...
सबसे जोर से तो मेरी सास ,...
गुड्डी न शर्मायी , न गुस्साई बस बात बदलने की कोशिश की उसने ,
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गुड्डी
गुड्डी न शर्मायी , न गुस्साई बस बात बदलने की कोशिश की उसने ,
" भाभी , आप ने न ,... एकदम पेट फुला दिया है , इतना खिला दिया है ,... "
और ऐसी लूज बाल पर मैं छक्का न मारती तो ,... उसके गाल पर कस के चिकोटी काट कर चिढ़ाया उसे ,
" देख पेट फुलाने का काम भैया लोग करते हैं , भाभियाँ नहीं , फिर भी , तू करवा ले पेट फुलवाने वाला काम , ...
मैं हूँ न सम्हालने वाली , ...ऐसी दवा दूंगी , न पेट फूलेगा , न उल्टियां होंगी और न नौ महीने बाद सोहर , ...
लेकिन चल अभी ऊपर तेरा एक सामान रह गया है , वरना ये टैक्सी वाला चिल्ला चिल्ला के ,... "
और उसको ले कर मैं वापस ऊपर अपने कमरे में,
ठेलते , धकियाते , मैं सीढ़ी से ऊपर उसे ऊपर अपने कमरे में ,...
न उसे कुछ समझ में आ रहा था न उसके भैया को , ...
और अगर समझ में आ जाता तो कोमल का कमाल कहाँ से होता ,...
कमरे में धकेल कर पहला काम मैंने किया , घूम कर सिटकनी बंद किया , और जब तक वो समझे समझे , रोके मुझे , ...
मेरे दोनों हाथों ने एक झटके से ननद रानी का टॉप उतारकर , .... डबल बेड पर
और ननद रानी के ब्रा में कैद जोबना , ...
मैंने ननद रानी के ही मोबाइल से ब्रा में बंद चूजों की दो क्लोज अप ,
और जब तक वो ब्रा ढंकने की कोशिश करे , ...
ब्रा भी टॉप के ऊपर ,
और मेरी उँगलियों की गुदगुदी ,...
फिर मैंने हलके हलके उसके पहले तो जोबन मसलने मींजने शुरू किये और साथ ही ज्ञान भी देना शुरू किया
" तेरे यार के साथ भेज रही हूँ , वो तेरे जोबना का दीवाना है , रस्ते में ,...
सेल्फी भी खिंचवाना और उसका हाथ खींच के , सीधे यहाँ ,... वरना वो इतना सीधा है न ,... "
अब गुड्डी शरमा नहीं रही थी , बल्कि हंस के बोल रही थी ,
" आप एकदम सही कह रही हैं मेरी मीठी मीठी भाभी , अच्छी अच्छी भाभी ,... ये तो कर्टसी आपके थोड़ी उनकी हिम्मत बढ़ी , बोल फूटते हैं उनके , ... "
जोबन मीजते मीजते मैंने कस के उसके दोनों निप्स पिंच कर दिए , और वो एकदम टनाटन , ... बस अबकी पूरी पांच फोटुएं , ...
एक से एक मस्त ,
एक में तो वो खुद अपने उभार पकडे दबाते सहलाते , ...
और सब की सब उसके भइया को व्हाटसएप ,
उनकी बहना के मोबाइल से गए थे , तो साफ़ था मैंने नहीं उनके माल ने भेजा था , ...
"
"तो क्या मैं ऐसे बिना ब्रा के ,.."
वो कन्फ्यूज थी
"यार अगर सिर्फ वो तेरा यार होता न तो मैं तुझे टॉप भी नहीं पहनने देती , एकदम नदीदा है , तेरे जुबना का , ... लेकिन स्साला वो टैक्सी वाला भी तो है , फिर तेरी गली में तो टैक्सी घुसेगी नहीं , वरना फ्री में तेरी गली के छैलों का फायदा हो जाएगा , ... ले तू ये पहन ,... और जो में उतार रही हूँ , अगले सनडे को इसी तरह , मलाईदार ,... "
और पलंग पर पड़ी वो मलाईदार ब्रा , जिसके दोनों कप में अभी भी उनकी मलाई छलक रही थी , ब्रा एकदम गीली , उसके भइया के रस से सनी , ... बस मैंने वही उठा के जब तक वो समझती उसे पहना दी ,
और ऊपर से टॉप , ...
इतनी ज्यादा थक्केदार रबड़ी थी कि गुड्डी रानी के दोनों छोटे छोटे उभार मर्द रस से डूब गए , बल्कि कुछ छलक कर , पेट पर चिकनी थी भी खूब , मलमल उसके आगे झूठ ,....
मैंने सब ऊँगली से लपेट कर उसके चेहरे पर लपेट दिया ,
" चल फेसियल करा ले , ... और यहाँ एक दो दिन तक ये ब्रा उतारना मत , ... "
और साथ में असीसा भी ,
" जिस लंड की मलाई तेरे चेहरे पर , तेरे जोबन पर और तेरे मुंह में गयी है , जल्दी ही तेरी चूत रानी भी उसे खाएं , घोंटे "
गुड्डी मेरी ओर मुड़ी , कस के मुझे चूमा और हँसते हुए बोली ,
" भाभी , आपके मुंह में घी शक़्कर , जल्दी ही आप की आसीस पूरी हो लेकिन एक दो दिन नहीं ये ब्रा मैं अगले संडे तक पहनी रहूंगी , सोते जागते , उतारूंगी नहीं , अगले संडे तक , जब तक इसी तरह वाली ये ब्रा आप मुझे नहीं पहनाएगी ,... "
सच्च में पक्की छिनार थी , और अब हम दोनों वापस सीढ़ी से नीचे ,
मुझे सास की बात याद आ रही थी ,...
इनकी नहीं मेरी सास की , ...
उन्ही की सिखाई ट्रिक ,... थी ये किसी कुँवारी कोरी अनचुदी लौंडिया को अगर किसी मर्द की मलाई खिलादेगी न ,
तो बस दो जबरदस्त असर होगा , ..एक से एक सीधी होगी , लंड के नाम से जो भड़कती होगी न उसकी भी बिलिया में ये मोटे मोटे चींटे काटेंगे , सब चीज़ छोड़के , सोते जागते खाली चुदवाने की बात सोचेगी ,
मुझसे नहीं रहा गया और मैंने पूछ लिया , और माता जी , दूसरी बात , ... तो उन्होंने साफ़ किया ,
"उसके पीछे कित्ते भी लौंडे पड़े होंगे न नाड़ा उसी के सामने खोलेगी , जिस की मलाई उसने सबसे पहले घोटी होगी , ..."
और आज मैंने कटोरी भर मलाई तो खिलाई ही होगी इस को , इसके भैया की , ...
अब इसकी गुलाबो पे मेरे मरद का नाम लिख गया था , ...
और जो उसके सीने पर मैंने मलाईदार ब्रा पहनाई था , उसका राज़ उनकी सलहज ने मुझे समझाया था ,
जब मैं गुड्डी की उमर की थी तभी
मैं चिढ़ा रही थी , गाँव के बाहर एक मेले में हम दोनों , ... कर भाभी के साथ मिल कर हम दोनों ब्रा खरीद रही थीं , ...
" भाभी , शादी के बाद से तो आपका जोबन दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है , नजर न लगे। "
" तेरी शादी हो जाएगी तो पूछूँगी , ... अरे यार मर्द जब दिन रात दबाएगा मसलेगा , .. लेकिन जानती है जोबन का असली टॉनिक क्या है , ये उरोज कल्प और सब तेल बेकार हैं उसके आगे , ... "
रीतू भाभी बोलीं ,
" क्या बोलिये न भाभी , ... "
मैं एकदम बेक़रार थी जानने को , ...
" अरे तू क्या करेगी जानकर , वैसी ही तेरे चूजे , तेरे समौरियों से २० नहीं पूरे २२ हैं ,... अच्छा चल ,... असली असर होता है मरद की मलाई का , एक बार जोबन पे लग जाए न , तो बस दिन दूना , देखते देखते , ...
लेकिन एक और असर होता है , जो लड़की लौंडो से उसे बचाकर छुपा कर रखती है न वही ,... खुद मौका ढूंढ ढूंढ कर , उसे लौंडो से दबवाये मिजवायेगी , ... "
दबवाये मिजवाये मुझे क्या ,
वैसे भी लीला और रेनू इस की दोनों सहेलियों ने बतया था की ऑलमोस्ट दर्जन भर भौंरे ,... चार की बात तो खुद गुड्डी ने कबूली थी
हम लोग सीढ़ी से उतरकर आलमोस्ट नीचे पहंच गए , वो और उनकी भाभी , ... वो उन्हें छेड़ रही थीं किसी बात पर ,
तब तक मुझे कुछ बात याद आ गयी और मैं ,... गुड्डी को धकियाते एक बार फिर ऊपर , नहीं कमरे में नहीं वहीँ सीढ़ी पे , ... और मेरी ऊँगली स्कर्ट उठाकर पैंटी के अंदर
बस दो चार मिनट की रगड़ घिस और बिलिया गीली हो गयी , फिर गचाक से एक ऊँगली अंदर , ...
और पूरी ताकत से अंदर बाहर , गोल गोल ,... थोड़ी देर में ही एक तारा की चाशनी , मेरी ऊँगली एकदम गीली , रस से भीगी , फिर भी थोड़ी देर और ,...
और नीचे पहंचकर वो ऊँगली सीधे उनके मुंह में , ... उन्होंने पूरा चूस लिया ,
चूत चटोरे तो वो थे ही उन्हें बताने की जरुरत नहीं थी वो शीरा क्या है ,... हाँ मैंने बात साफ़ किया
" मेरी ननद की , ... है खूब मीठी ,... "
गुड्डी जोर से शरमा गयी ,
उनकी निगाहें उस किशोरी की लजाती मुस्कान पर चिपकी थी ,
और दोनों ने एक दूसरे को देखा जोर से दोनों मुस्करा उठे ,
सास और जेठानी दोनों बाहर बरामदे में थी , और हम लोग भी , ...
कुछ देर में गुड्डी और वो टैक्सी पे ,...और चल दिए ,...
ढाई घंटे बाद उनका मेसेज आया बाबतपुर ( बनारस का एयरपोर्ट) पहुँच गए हैं।
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Last update is on Last page please do read and share comments only about stories otherwise it is infraction of rule 13 and 18 ( i am referring to post above ) and i will be forced to report ,
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Waaahhhh क्या बात है जबरदस्त अपडेट दे दिया आप ने तो कोमल जी
ठेठ बनारसीपन के जो छींटे दिए है कमाल की महक उठी है पोस्ट में
बस यूँही तड़का मारती रहो,बहुत अच्छा लग रहा है
सुभकामनाएँ कोमल जी
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komal ji bahut khub
Ak dum dil khush kr diya aap ne
In muskil dino me aap ki posts bahut helpful hai muj jesi mahilaon k liye to Nice komal ji again thanx ur lovely Writing
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बहुत कामुक अपडेट कोमल जी
कुसुम जी निहारिका जी इसी तरह साथ बनाएं रखना
कुछ उलझन में हूँ जल्द ही महफ़िल झमातें है सभी सहेलियां मिल के
लव यू पगलियों
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(04-04-2020, 06:32 PM)Poonam_triwedi Wrote: बहुत कामुक अपडेट कोमल जी
कुसुम जी निहारिका जी इसी तरह साथ बनाएं रखना
कुछ उलझन में हूँ जल्द ही महफ़िल झमातें है सभी सहेलियां मिल के
लव यू पगलियों
पूनम जी,
सच्ची , कोमल जी को कामुक अपडेट देने मैं महारत हासिल है, सबकुछ आँखों के सामने होता नज़र आता है.
सच कहु तो मैं कई बार "गीली" हो चुकी हु, आम तोर पर हमारे साथ ऐसा काम ही होता है, बस आजा, लेट जा और बस हो गया उनका , हाँ कभी कुछ ,खास भी हो जाता है जब कुछ समां बन जाता है तो .
खैर , उम्मीद करती हूँ की आपकी उलझन जल्द ही सुलझ जाए , और कुछ सलाह की ज़रूरत हो तो मैं [ निहारिका] , कोमल जी , कुसुम जी तो हैं ही आपके साथ।
आपके। .....
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