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30-03-2020, 07:45 PM
(This post was last modified: 01-08-2021, 11:00 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
किचेन में
इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता ,
शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,
एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,
और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,
मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,...
वो मेरी हरकते देख रहे थे।
" यू आर सच अ गुड ब्वाय कुछ इनाम तो मिलना चाहिए "
,
और उनका बॉक्सर शार्ट नीचे खींचकर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में ,
शादी के शुरु के दिनों में रात भर एकदम लिपटे चिपटे रहते थे लेकिन दिन में अपनी मायकेवालियों के सामने ,
न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने
और किचेन में तो बिना नहाये घुसने की मनाही ,
एक बार मैं चाय बनाने वाली थी की सासु जी ने टोक दिया
"बहु रात भर क्या क्या,..... और वैसे ही किचेन में "
यहाँ आज एक कड़ाही में मटन बिरयानी गरम हो रही थी
ओवन में चिकन पिज्जा और उस के बाद सलामी का नंबर
और मैं उसी किचेन में सपड़ सपड़ उन का लंड चूस रही थी।
उसी किचेन में न सिर्फ मैं खुल्लम खुला उनका लंड चूस रही थी , दरवाजा पूरा खुला था , जेठानी बरामदे में बैठ कर टीवी देख रही थी
मैंने फिर थोड़ा सा टारगेट , इनके दोनों रसगुल्ले ( कलावती जिसे पेल्हड़ कहती थी ) पहले तो हलके हलके चाटा फिर कस के
उनकी बॉल्स चूसी
और एक बार फिर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में
अबकी माल गिरा के ही मैंने छोड़ा , थोड़ी देर सारी मलाई मेरे मुंह के अगले हिस्से में फिर मेरे थूक में मिली
सब की सब पिज्जा की स्पेशल क्रीम टॉपिंग ,... उन्हें देख कर मैं मुस्करायी ,
और वो भी मुस्कराये ,
जिम्मेदारी तो उन्ही की थी मेरी शुद्ध शाकाहारी जेठानी को चिकेन पिज्जा की वो पीस अपने हाथ से खिलाना
जिसमें चिकेन पीस के साथ उनकी मलाई और 'मेरा भी योगदान 'था
मेरा पति सिर्फ मेरा है ,मेरी मर्जी मैं उसके साथ क्या क्या करूँ।
जेठानी को देखना है तो देखें।
और जब तक मैं दूसरा सलामी वाला पिजा ओवन में गर्म करती ,वो टेबल लगा रहे थे।
और अवार्ड प्रोग्राम देखते , जेठानी जी ने चिकन ,पोर्क ,मटन सब प्रेम से खा लिया।
" पिज्जा अच्छा है न ,सलामी वाला पिजा जेठानी जी को देते मैं बोली।
"एकदम ऐसा मैंने पहले कभी नहीं खाया "
ख़तम करते मेरी जेठानी बोली।
"आपने आपने देवर को पहले कभी नहीं बोला होगा न ,"
और मैंने उन्हें हुकुम सुनाया
"जबतक हमलोग हैं यहां रोज शाम को इसी तरह का पिज्जा "
अपनी जेठानी के लिए किचेन में से ही पिज्जा के एक पीस पर मैं एक्स्ट्रा चिकेन टॉपिंग डाल के लायी थी साथ में मेरी मुंह से निकली इनकी मलाई वाली और उस को ,जेठानी जी के देवर ने अपने ही हाथ से उन्हें गड़प करवा दिया।
सलामी वाली मेरे इशारे पर उनके देवर ने अपने हाथ से ,उनके मुंह में ,
एक पल के लिए उनकी ओर मुंह बनाते बोलीं वो ,
" हे कैसा कैसा लग रहा है ,... क्या है ये। "
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने मोर्चा सम्हाल लिया ,
" अरे भाभी ये इम्पोर्टेड मशरूम है इसलिए थोड़ा अलग स्वाद ,... "
" और क्या दो चार दिन खाइयेगा ,बस स्वाद लग जाएगा। "
मैं भी अपने सैयां के साथ आ गयी।
तभी मैंने देखा की अपनी भौजाई की ओर देखते उनका तम्बू तन रहा था।
दो बातें मेरे समझ में आ गयी ,
ये साल्ला , इसे अपने घर सारी लौंडिया ,औरतें पसंद है और दूसरी
इनकी भौजाई के धरम भरष्ट या स्वाद बदलवाने वाले खेल में इसे भी मजा आ रहा है।
और अपनी एक गलती भी मेरी समझ में आगयी ,
जब किचन में मैं इनका लिंग चूषण कर रही थी , हाथ से झाड़ कर इनकी सारी मलाई अपनी जेठानी के पिजा पर।
स्पेशल क्रीम टॉपिंग।
आधे से ज्यादा चिकेन और सलामी जेठानी जी ने गड़प कर ली
और मटन बिरयानी भी।
चुन चुन के उन की प्लेट में मैंने मटन पीसेज रखी थी ,
'इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली जेठानी जी ने सब साफ़ कर दिया ,
पहले तो कभी चखा नहीं था उन्होंने जो पकड़ पाती ,
हाँ उन पीसेज को इम्पोर्टेड रसियन पनीर बोलना पड़ा।
खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।
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30-03-2020, 08:29 PM
(This post was last modified: 04-08-2021, 08:09 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
स्वीट डिश
खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।
समझते हुए भी अनजान बन कर बोलीं ,
" कौन सी स्वीट डिश ?"
"अरे दीदी ,आपका इत्ता स्वीट स्वीट देवर सामने बैठा है ,चलेगा। "
तबतक इनका खूंटा पूरा तन गया था , और बेशर्मी से उनके तने खूंटे को ,
शार्ट के ऊपर से पकड़ कर दबाते मसलते ,मैंने उनकी भौजाई को दिखाया ,
" मस्त चाको बार , चलेगा "
" क्या गलत सलत बोलती हो ,चॉकलेट के रंग का तो नहीं है। "
जेठानी जी मूड में आ गयी थी.
" अच्छा आपने तो देखा होगा ही , होली दिवाली में ,
चलिए चाको बार न सही कोरेनेटो सही ,अब आपने ऊपर वाले मुंह से आज नया नया स्वाद ले लिया है ,
तो नीचे वाले मुंह का भी स्वाद बदल ही लीजिये आज। "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।
मना नहीं किया उन्होंने ,लेकिन बुरा सा मुंह बना के बोलीं ,
" यार ,मेरा पेट गड़गबड़ चल रहा है ,वरना ,... "
मतलब ,बिना समझे वो बोल उठे लेकिन उनकी भौजाई ने उन्हें खुल के समझा दिया।
" तू भी न बुद्धू , अरे मेरी पांच दिन वाली छुट्टी चल रही है। कल से शुरू हुयी है। "
उन्होंने अपनी परेशानी बताई।
" अरे दी , तो इसमें क्या परेशानी की बात है , अब चार दिन ,बल्कि तीन दिन ही तो बचे हैं , और हम लोग कल कौन वापस जाने वाले हैं ,पूरे हफ्ते भर के लिए आये हैं। "
मैंने अपनी जेठानी का मन हल्का कर दिया।
और इन्हे इशारा किया ,
" अरे चल नीचे वाले होंठ आउट आफ ऑर्डर हैं तो ऊपर वाले ही सही ,
गुड्डी की चुम्मी तभी मिलेगी जब मेरी जेठानी जी को खुश करोगे तुम , जरा एक छोटी सी चुम्मी लेकर दिखाओ न। "। "
और जब तक मेरी जेठानी समझे सम्हले , इनके होंठ अपनी भौजाई के होंठों पे ,
और भौजाई की दोनों कलाई मेरे कब्जे में।
सँड़सी ऐसी मेरी पकड़ ,
और मैंने अपनी जेठानी का आँचल नीचे कर दिया , गोल गोल गदराये और उन के हाथ सीधे वहीँ।
मैंने आँख तरेर कर देखा तो अगले पल उनका हाथ ब्लाउज के अंदर ,
बिचारी जेठानी कसर मसर कर रही थीं , छूटने की कोशिश कर रही थीं ,इन्हे बुरा भला कर रही थीं ,
पर हम तीनों जानते थे असल में उनका मन क्या कर रहा है।
और मैंने भला हो मोबाइल फोन वालों का ,
दसियों फोटों , एक डेढ़ मिनट का वीडियो
चलते समय मैंने जेठानी जी को वो फोटुए दिखा भी दी उनका देवर से जोबन मर्दन करवाते ,चुसवाते चुमवाते।
" सासु जी का व्हाट्सऐप नंबर है क्या आपके पास , "
मैंने जेठानी जी से भोलेपन से पूछा।
और बुद्धू वो बोले ,मेरे पास है।
' क्यों क्या करना है " जेठानी जी ने पूछा।
" बस ये सोच रही थी की , ... अपनी सासु जी को उनकी बड़ी बहू और छोटे बेटे की ये अच्छी अच्छी फोटुएं भेज दूँ। "
दूर से मोबाइल नचाते ,उन लोगों की हॉट हॉट फोटुएं दिखाते मैं हँसते हुए बोली।
" अरे डीलिट कर अभी , "
बेचारी जेठानी जी बोलीं ,
उनकी बात मान कर मैंने अपनी सासु जी जो तो नहीं भेजी लेकिन इनके सासु जी को तुरंत भेज दी। "
और इनकी सासु जी का कमेंट भी आ गया ,
" लगे रहो मुन्ना भाई , मस्त है लेकिन अपनी उस छुटकी बहिनिया के साथ ऐसी फोटुएं कब भेजोगे। लेकिन पूरा उघार कर दबाना उसकी। तेरे माल के कच्चे टिकोरे देखने के लिए मैं तरस रही हूँ। "
और उनकी सास से ज्यादा तगड़ा उनका कमेंट था ,
" जल्दी ,मॉम बहुत जल्दी। "
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30-03-2020, 08:31 PM
(This post was last modified: 04-08-2021, 08:22 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
हाँ एक बात बताना तो मैं भूल गयी ,
गुड्डी वही उनकी कटीली बहिनिया ,एलवल वाली ,
आज नहीं आयी।
बल्कि में और जेठानी जी ने उसे आने नहीं दिया।
" बहुत चींटे काट रहे होंगे उसको , तड़पने दे थोड़ा ,... " ये जेठानी जी की आइडिया थी।
और सच में , पूरे ग्यारह बार फोन आये उस बिचारि के
और हम लोगों ने २८ बहाने बनाये , ... सारे सफ़ेद झूठ ,
उसके भैय्या का पेट खराब है ,
.... सर दर्द कर रहा है।
.... आफिस का काम है।
…. सो रहे हैं .
आखिरी फोन आधे घंटे पहले आया था ,जब जेठानी जी चिकेन पिज्जा गड़प कर रही थीं।
और मैंने बोल दिया ,कल आ जाय दस ,साढ़े दस के बीच ,खाना हमारे साथ।
एकदम भाभी नेकी और पूछ पूछ , चिड़िया चहक के बोली।
अब उसे ये तो कल ही पता चलना था की उसे क्या खिलाने वाली हूँ मैं।
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Ye posts pichle panne se shuru huyi hain please link kar ke padhen
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कोमल जी,
बिक्लुल सटीक चित्रण किया है आपने , बीते हुए कल का , जब अपने हाथ मैं कुछ नहीं था , पति भी नहीं , और आज सब मेरा है।
यह फीलिंग ही सब कुछ है , नखराली ननद व् जेठानी उनके ताने , तीखे बोल बस सुन लो पर कहो किस को , और आज जीत मेरी , पति मेरा सारा जहाँ मेरा।
कोमल जी, यह ब्लाउज का डिज़ाइन कैसा आपको , मुझे तो मस्त लगा डीप वी शेप , ब्लैक कलर उफ़, गोरी स्किन पर तो आग लगा देता है।
मेरी सहेलिओ से निवेदन है , कुछ ब्लाउज डिज़ाइन पर चर्चा होनी चाहीये पर यहाँ नहीं, गर्ल्स - लेडीज लेडीज थ्रेड पर.
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आने वाले अंजाम का आगाज बहुत ही अच्छी तरह से बता दिया है।पति के मायके में दूसरा दिन बहुत सारे नियमों को तोड़ता हुआ।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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मैं एक बार फिर झड़ी कर्टसी मेरी सैयां की जीभ ,
क्लिट
पहले जीभ की टिप से हलके से क्लिट पर सुरसुरी करते थे वो , एकदम पूरी देह गिनगीना उठती थी ,
उसके बाद दोनों होंठों के बीच क्लिट को लेकर हल्के से चुभलाते चूसते थे , धीमे धीमे चूसने की रफ़्तार बढ़ती जाती
और एक बार फिर से जीभ क्लिट को फ्लिक करने लगती
जैसे किस बरसों से सोये सितार के तार को कोई छेड़ दे और चारों ओर सुर लहरी पूरे कमरे में भर जाए ,
बिलकुल उसी तरह , मेरी क्लिट चूसी जा रही थी , चाटी जा रही थी , ...
वो दुष्ट , बदमाश मुझे बार बार झाड़ने के किनारे ले जा कर छोड़ देता था
पर झाड़ता नहीं था ,
मैं इतनी थेथर हो गयी थी की उसे गालियां भी नहीं दे पा रही थी , बस अपनी देह उठाती , चूतड़ उचकाती जैसे बार बार कह रही होऊं
गुहार लगा रही होऊं
झाड़ झाड़ दे , अपनी कोमलिया को , प्लीज मेरे राजा झाड़ दे न ,
बस,ये जो तड़प होती है कोई बता ही नहीं सकती सिर्फ महसूस की जा सकती है
मर्द तो जब चाहें झड़ सकते है उन के खुद के हाथ मे होता है पर औरत उस समय सिर्फ उन के रहमों करम पर होती है अगर वो चाहें तो ही वरना कितना भी चूतड़ पटके एक बूंद नहीं निकलती हमारी
हां मुझे अच्छी तरह याद है कहानी थी आप की कालजयी रचना " फ़ागुन के दिन चार "
एक दृश्य था ट्रेन का जिस में रीत मीनल के ऊपर चढ़ के मजे लूट रही थी और मीनल को बोल रही थी वो सब बोलने के लिए मीनल अपने जीजू के सामने शर्मा रही थी पर रीत ने वो घिस्से मारे बेचारी की चुत पे बिलबिला उठी मज़े से फिर रीत बोलती है बोल जो मैंने कहा और ओर एक करारा धक्का मारती है मज़े के मारे मीनल बोलती है जो रीत बुलवाना चाहती है
ऐसे दृश्य सिर्फ आप की कहानियों में ही मिल सकते है ये जो मीठी मस्ती होती है औरतोँ के बीच वो कमाल की होती है
मुझे पूरी उम्मीद है ऐसे प्रसंग JKG में बहुत आएंगे और वो भी बहुत ही कामुक फिर आप के निच्चे गुड्डी,जेठानी, मिसेस मोइत्रा,उस की दोनों कबूतरियाँ ओर आप की मुख्य टारगेट आप की सासु माँ
सब ये धक्के खायेगी
प्यार के साथ प्रणाम आप की कुसुम सोनी
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bahut hi rasdaar aur malaaidaar update
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झाड़ झाड़ दे , अपनी कोमलिया को , प्लीज मेरे राजा झाड़ दे न ,
बस,ये जो तड़प होती है कोई बता ही नहीं सकती सिर्फ महसूस की जा सकती है
.......................................
.मर्द तो जब चाहें झड़ सकते है उन के खुद के हाथ मे होता है पर औरत उस समय सिर्फ उन के रहमों करम पर होती है अगर वो चाहें तो ही वरना कितना भी चूतड़ पटके एक बूंद नहीं निकलती हमारी
....................................
कुसुम जी,
कैसे हो, कोमल जी ने सही कहा , ये तड़प जो होती है न वो सिर्फ महसूस करी जा सकती है , इंतज़ार की कब पानी निकलेगा , चरमसुख की प्राप्ति , कुछ पल के लिए इस दुनिया से बेखबर। ....................
औरत का दाना वही जो नरम मुलायम योनि पर होता है, बड़ा ही सेंसिटिव पार्ट होता है, "कन्या रस " की शौकीन कन्याओ की पहेली पसंद , जीभ से हलके -हलके थोड़ा चाट कर , कुछ काट कर उफ्फ्फ, जो मज़ा आता है , कुसुम जी, वो सिर्फ महसूस किया जा सकता है,
औरत का जिस्म, महसूस करने के लिए बना है। ..........
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Bahut shaandaar update
Aane wale palon ka intzaar rahega
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(01-04-2020, 10:11 AM)@Raviraaj Wrote: Bahut shaandaar update
Aane wale palon ka intzaar rahega
thanks so much aapki taarif aur sujhavaon ke bina mera koyi bhi thread adhura hai ,
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(31-03-2020, 10:16 AM)@Kusum_Soni Wrote: मैं एक बार फिर झड़ी कर्टसी मेरी सैयां की जीभ ,
क्लिट
पहले जीभ की टिप से हलके से क्लिट पर सुरसुरी करते थे वो , एकदम पूरी देह गिनगीना उठती थी ,
उसके बाद दोनों होंठों के बीच क्लिट को लेकर हल्के से चुभलाते चूसते थे , धीमे धीमे चूसने की रफ़्तार बढ़ती जाती
और एक बार फिर से जीभ क्लिट को फ्लिक करने लगती
जैसे किस बरसों से सोये सितार के तार को कोई छेड़ दे और चारों ओर सुर लहरी पूरे कमरे में भर जाए ,
बिलकुल उसी तरह , मेरी क्लिट चूसी जा रही थी , चाटी जा रही थी , ...
वो दुष्ट , बदमाश मुझे बार बार झाड़ने के किनारे ले जा कर छोड़ देता था
पर झाड़ता नहीं था ,
मैं इतनी थेथर हो गयी थी की उसे गालियां भी नहीं दे पा रही थी , बस अपनी देह उठाती , चूतड़ उचकाती जैसे बार बार कह रही होऊं
गुहार लगा रही होऊं
झाड़ झाड़ दे , अपनी कोमलिया को , प्लीज मेरे राजा झाड़ दे न ,
बस,ये जो तड़प होती है कोई बता ही नहीं सकती सिर्फ महसूस की जा सकती है
मर्द तो जब चाहें झड़ सकते है उन के खुद के हाथ मे होता है पर औरत उस समय सिर्फ उन के रहमों करम पर होती है अगर वो चाहें तो ही वरना कितना भी चूतड़ पटके एक बूंद नहीं निकलती हमारी
हां मुझे अच्छी तरह याद है कहानी थी आप की कालजयी रचना " फ़ागुन के दिन चार "
एक दृश्य था ट्रेन का जिस में रीत मीनल के ऊपर चढ़ के मजे लूट रही थी और मीनल को बोल रही थी वो सब बोलने के लिए मीनल अपने जीजू के सामने शर्मा रही थी पर रीत ने वो घिस्से मारे बेचारी की चुत पे बिलबिला उठी मज़े से फिर रीत बोलती है बोल जो मैंने कहा और ओर एक करारा धक्का मारती है मज़े के मारे मीनल बोलती है जो रीत बुलवाना चाहती है
ऐसे दृश्य सिर्फ आप की कहानियों में ही मिल सकते है ये जो मीठी मस्ती होती है औरतोँ के बीच वो कमाल की होती है
मुझे पूरी उम्मीद है ऐसे प्रसंग JKG में बहुत आएंगे और वो भी बहुत ही कामुक फिर आप के निच्चे गुड्डी,जेठानी, मिसेस मोइत्रा,उस की दोनों कबूतरियाँ ओर आप की मुख्य टारगेट आप की सासु माँ
सब ये धक्के खायेगी
प्यार के साथ प्रणाम आप की कुसुम सोनी
मेरा आपका , पूनम जी का , निहारिका जी का साथ हमेशा बना रहे , अच्छा लगा की ये क्लिट वाला प्रसंग आप को पसंद आया ,
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(01-04-2020, 12:34 PM)komaalrani Wrote: मेरा आपका , पूनम जी का , निहारिका जी का साथ हमेशा बना रहे , अच्छा लगा की ये क्लिट वाला प्रसंग आप को पसंद आया ,
कोमल जी,
आपका प्यार भरा धयानवाद।
हब सारी सहेलिया आपके साथ हैं , बस आप अपने शब्दों का जादू चलते रहिये , हम सब पीछे पीछे चलते रहेंगे।
यह प्रसंग , कलिट वाला , आम तौर पे बिस्तर मैं मर्द , सिर्फ अपने "काम" से मतलब रखते हैं, उनका " निकला" और वो "निकले" सोने को.
पर आप के जीवंत प्रसंगो को देख कर , पढ़ कर, ये लगता है की हम औरते कितनी प्यासी है। .......
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(01-04-2020, 12:34 PM)komaalrani Wrote: मेरा आपका , पूनम जी का , निहारिका जी का साथ हमेशा बना रहे , अच्छा लगा की ये क्लिट वाला प्रसंग आप को पसंद आया ,
जी बिल्कुल कोमल जी ये बचपना हमारा सदा जवां रहेगा
आप की कहानी का हर प्रसंग व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत अच्छा लगता है
आप की जादुई लेखनी बदन में एक सनसनी जगा देती है
लिखती रहो, बहुत सुभकामनाए
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01-04-2020, 03:07 PM
(This post was last modified: 01-04-2020, 03:09 PM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(01-04-2020, 02:33 PM)Niharikasaree Wrote: कोमल जी,
आपका प्यार भरा धयानवाद।
हब सारी सहेलिया आपके साथ हैं , बस आप अपने शब्दों का जादू चलते रहिये , हम सब पीछे पीछे चलते रहेंगे।
यह प्रसंग , कलिट वाला , आम तौर पे बिस्तर मैं मर्द , सिर्फ अपने "काम" से मतलब रखते हैं, उनका " निकला" और वो "निकले" सोने को.
पर आप के जीवंत प्रसंगो को देख कर , पढ़ कर, ये लगता है की हम औरते कितनी प्यासी है। .......
बिल्कुल निहारिका जी काफ़ी ज्यादा महिलाएं अपने दाम्पत्य जीवन में सेक्स के विषय मे पति की इच्छा को ही अपनी नियति मानती है वो जो करें उसी में आनंद ढूढ़ती है,कोमल जी की कहानियां ये सिखाती है कि सेक्स सिर्फ मर्दो के आनन्द की ही क्रिया नहीं है
हम औरतों को भी पूरा हक है इस सुख को प्राप्त करने का ओर सेक्स में हम महिलाओं की तृप्ति कैसे होती है,किस प्रकार एक स्त्री सेक्स में चरमसुख का आनंद प्राप्त करती है ये बातें कोमल जी की रचनाओं को कामकला के विपुल ग्रंथ बनाती है
नारी-नारी का मिलन बहुत अच्छे तरीके से समझाया गया है
कोमल जी अनवरत रूप से लिखती रहो
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(01-04-2020, 12:27 PM)komaalrani Wrote:
thanks so much aapki taarif aur sujhavaon ke bina mera koyi bhi thread adhura hai ,
ये सब आप के विशाल ह्रदय का बड्डपन है
हम तो आप की रचनाओं के बहुत छोटे से पाठक है !
ये तो आप की सह्रदयता है
आप जैसी मिलनसार ओर प्यारी लेखिका हमारी खुशनसीबी है
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बार-बार किनारे ले जाना पर झड़ने नहीं देना
ये मस्ती क्या बताऊँ उफ्फ्फ !
यही वो समय होता है सेक्स में जब पति जो भी पूछता है हमारा जवाब 1 पल में आता है
ओर तमाम उल्टी सीधी बातें हम चुप चाप मान लेती है बस झड़ने की गुहार लगाती हुई
बिस्तर पर आने से पहले जो नखरे करती है वो कहीं भूल जाती है उस समय सिर्फ कस कस के चाहिये होता है और पति इस चीज को अच्छी तरह जानता है वो ओर तड़पाता है
बहुत ही सेक्सी एकदम हकीकत लिखती हो आप बिल्कुल ये ही होता है उस समय
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(01-04-2020, 05:02 PM)@विद्या_शर्मा Wrote: बार-बार किनारे ले जाना पर झड़ने नहीं देना
ये मस्ती क्या बताऊँ उफ्फ्फ !
यही वो समय होता है सेक्स में जब पति जो भी पूछता है हमारा जवाब 1 पल में आता है
ओर तमाम उल्टी सीधी बातें हम चुप चाप मान लेती है बस झड़ने की गुहार लगाती हुई
बिस्तर पर आने से पहले जो नखरे करती है वो कहीं भूल जाती है उस समय सिर्फ कस कस के चाहिये होता है और पति इस चीज को अच्छी तरह जानता है वो ओर तड़पाता है
बहुत ही सेक्सी एकदम हकीकत लिखती हो आप बिल्कुल ये ही होता है उस समय
विद्या जी,
नमस्कार , मैं निहारिका
आपने सही कहा , बिस्तर पर , उस पल को हम सब करने को तैयार हो जाती है , उस सुख की प्राप्ति को , पर कितने मर्द , इस चीज़ को समज़ते हैं, और कितनी औरतात को पता चल पता है, इस असीम आनंद का.
पर कुछ भी कहो कोमल जी लाजबाब हैं , मेरी सभी पुरुष पाठको से विनती हैं की वो भी ये समझे की औरत भी, सुख चाहती है, और ये सुख देना मर्द का काम है वो भी प्यार से, हम्म, थोड़ा तड़पा के भी चलेगा। ....
आपकी
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(01-04-2020, 05:02 PM)@विद्या_शर्मा Wrote: बार-बार किनारे ले जाना पर झड़ने नहीं देना
ये मस्ती क्या बताऊँ उफ्फ्फ !
यही वो समय होता है सेक्स में जब पति जो भी पूछता है हमारा जवाब 1 पल में आता है
ओर तमाम उल्टी सीधी बातें हम चुप चाप मान लेती है बस झड़ने की गुहार लगाती हुई
बिस्तर पर आने से पहले जो नखरे करती है वो कहीं भूल जाती है उस समय सिर्फ कस कस के चाहिये होता है और पति इस चीज को अच्छी तरह जानता है वो ओर तड़पाता है
बहुत ही सेक्सी एकदम हकीकत लिखती हो आप बिल्कुल ये ही होता है उस समय
एकदम सही कहा है आपने , ऐसा ही होता है। और इन्ही पलों को उकेरने की कोशिश करती हैं मेरी ये कहानिया , एक स्त्री परिप्रेक्ष्य , श्रृंगारिक कहानियों में प्रस्तुत करने का ,
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