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21-03-2020, 01:38 PM
(This post was last modified: 21-03-2020, 09:37 PM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली चल मादरचोद ऊपर।
ओह्ह Meri maaaaa....
पर अब आप को
ये तो पता होना चाहिए था कि दरार आप के पास भी है वो भी पूरी 2 कोमल मुलायम कोरी कोरी
अब रात भर उस मे उंगली के साथ साथ बहुत कुछ जाएगा और इस गाली का बदला जरूर लेंगे याद रखना दुर्गति होगी खतरनाक वाली
•
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जबरदस्त....जनता कर्फ्यू में जनता को आपका ही सहारा है....
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...Update please...
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ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।
और क्या रात थी वो ,सावन अपने पूरे जोबन पे।
काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,
मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
और उस रात की बाकी कहानी अब कोमल की जुबानी, जल्द ही
इंतजार कष्ट देता है।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
•
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Posted in HOLI ke Rang men also , do read
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(23-03-2020, 04:19 PM)komaalrani Wrote: Posted in HOLI ke Rang men also , do read
जी मेने आज ही पढ़ी हैं। मस्त लिख रही हो। जल्दी जल्दी अपडेट दीजिए।
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और फिर मैंने वो सीन देखा जिसे देखने के लिए मेरी आँखे तड़प रही थीं। मेरा मन तरस रहा था न जाने कबसे ,
मेरी जेठानी दरवाजे पर खड़ी , न उनसे देखा जा रहा था न हटा जा रहा था।
ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,
बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,
" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "
--------------------------------
कोमल जी,
उफ़, क्या डिटेल मैं भावनाओ को प्रतुत किया है, यह एक औरत ही महसूस कर सकती है, यह होना , ताने मरना। ..... यह न करो , वो न करो। .....
एक औरत जो ें सब मैं से निकली हुई हो, सब समझ सकती है , यह भी कबीले तारीफ है की आपने किस खूबसूरती से चित्रतः किया है, अगर सिचुएशन वही हो पर अब काम अपने हिसाब से हो, तब एक मन को शांति मिलती है, जीत की ख़ुशी, जैसे सारा जहाँ मेरा, मेरा पति मेरे साथ फिर क्या बात।
सब कुछ एक चलचित्र के भांति सामने आता है , जैसे एक ही समय मैं दो चलचित्र चल रही हो, समय रुक सा गया हो, उफ़। ..... मै ही मैं हूँ। ......
आपके अपडेट के इंतज़ार मैं। .....
निहारिका।
----------
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(23-03-2020, 11:46 PM)Niharikasaree Wrote: और फिर मैंने वो सीन देखा जिसे देखने के लिए मेरी आँखे तड़प रही थीं। मेरा मन तरस रहा था न जाने कबसे ,
मेरी जेठानी दरवाजे पर खड़ी , न उनसे देखा जा रहा था न हटा जा रहा था।
ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,
बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,
" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "
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कोमल जी,
उफ़, क्या डिटेल मैं भावनाओ को प्रतुत किया है, यह एक औरत ही महसूस कर सकती है, यह होना , ताने मरना। ..... यह न करो , वो न करो। .....
एक औरत जो ें सब मैं से निकली हुई हो, सब समझ सकती है , यह भी कबीले तारीफ है की आपने किस खूबसूरती से चित्रतः किया है, अगर सिचुएशन वही हो पर अब काम अपने हिसाब से हो, तब एक मन को शांति मिलती है, जीत की ख़ुशी, जैसे सारा जहाँ मेरा, मेरा पति मेरे साथ फिर क्या बात।
सब कुछ एक चलचित्र के भांति सामने आता है , जैसे एक ही समय मैं दो चलचित्र चल रही हो, समय रुक सा गया हो, उफ़। ..... मै ही मैं हूँ। ......
आपके अपडेट के इंतज़ार मैं। .....
निहारिका।
---------- Bilkul Ak Orat ki bhavnaon ko bahut khubsurati k saath prastut kiya gya hai
ओर ये जीत कई मायनों में अहम है
माफ करना आप की शाब्दिक खूबसूरती को देख के रोक नहीं पाया खुद को
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हम लड़कियां पूरे दिन घर मे बोर हो रही है आप की कहानी का ही सहारा होता है
उपडेट जल्दी डालो ना कोमल
मस्ती वाला होगा अगला उपडेट तो ओर भी
लव यूू यार
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(24-03-2020, 10:25 AM)@Kusum_Soni Wrote: हम लड़कियां पूरे दिन घर मे बोर हो रही है आप की कहानी का ही सहारा होता है
उपडेट जल्दी डालो ना कोमल
मस्ती वाला होगा अगला उपडेट तो ओर भी
लव यूू यार
कुसुम जी,
हम लड़कियो को बहुत से काम होते हैं , पर फिर भी; कहानी मैं अपडेट का इंतज़ार आगे पढ़ने की बेकरारी सिर्फ कोमल जी की शानदार लेखनी व् प्यार का इंतज़ार है।
जिस तरह से एक औरत के भवनों को व्यक्त किया गया है , अतुलनीय है.
आपको भी काम होते होंगे उन सब से फ्री होकर इतना उम्दा लिख पाना।
......... पर इंतज़ार तो हम भी कर रहे हैं। ........ क्या करे लत लो लग गई। ..... आपके अतुलनीय लेखनी की .
कोमल जी , मैं निहारिका ; इंतज़ार मैं। .....
धन्यवाद कुसुम जी। ........... आप कि वजह से कुछ लिख पाई।
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(24-03-2020, 02:24 PM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी,
हम लड़कियो को बहुत से काम होते हैं , पर फिर भी; कहानी मैं अपडेट का इंतज़ार आगे पढ़ने की बेकरारी सिर्फ कोमल जी की शानदार लेखनी व् प्यार का इंतज़ार है।
जिस तरह से एक औरत के भवनों को व्यक्त किया गया है , अतुलनीय है.
आपको भी काम होते होंगे उन सब से फ्री होकर इतना उम्दा लिख पाना।
......... पर इंतज़ार तो हम भी कर रहे हैं। ........ क्या करे लत लो लग गई। ..... आपके अतुलनीय लेखनी की .
कोमल जी , मैं निहारिका ; इंतज़ार मैं। .....
धन्यवाद कुसुम जी। ........... आप कि वजह से कुछ लिख पाई।
निहारिका जी धन्यवाद
मैं भी आप ही कि तरह कोमल जी की उत्कृष्ट कामकला की दीवानी हूँ
आप को देख कर यकीनन अच्छा लगा
आप की खूबसूरत लेखनी के लिए भी साधुवाद धन्यवाद !!
मैं कोमल जी की कहानियों की नियमित पाठक रही हूं और बहुत कुछ सीखा है इन से मैंने प्रेम के जितने रूप इनकी कहानियों में देखे है और कहीं नहीं देखने को मिलते
जुड़ी रहे,ये प्रेमयात्रा अनवरत जारी रहेगी
कोमल जी से हम सभी को इस प्रेम वर्षा के अनवर जारी रखने का भरोसा चाहिए और हम सब पाठिकाएँ यूँही मिलती मुस्कुराती रहेंगी
आभार के साथ आप की कुसुम
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(23-03-2020, 11:46 PM)Niharikasaree Wrote: और फिर मैंने वो सीन देखा जिसे देखने के लिए मेरी आँखे तड़प रही थीं। मेरा मन तरस रहा था न जाने कबसे ,
मेरी जेठानी दरवाजे पर खड़ी , न उनसे देखा जा रहा था न हटा जा रहा था।
ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,
बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,
" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "
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कोमल जी,
उफ़, क्या डिटेल मैं भावनाओ को प्रतुत किया है, यह एक औरत ही महसूस कर सकती है, यह होना , ताने मरना। ..... यह न करो , वो न करो। .....
एक औरत जो ें सब मैं से निकली हुई हो, सब समझ सकती है , यह भी कबीले तारीफ है की आपने किस खूबसूरती से चित्रतः किया है, अगर सिचुएशन वही हो पर अब काम अपने हिसाब से हो, तब एक मन को शांति मिलती है, जीत की ख़ुशी, जैसे सारा जहाँ मेरा, मेरा पति मेरे साथ फिर क्या बात।
सब कुछ एक चलचित्र के भांति सामने आता है , जैसे एक ही समय मैं दो चलचित्र चल रही हो, समय रुक सा गया हो, उफ़। ..... मै ही मैं हूँ। ......
आपके अपडेट के इंतज़ार मैं। .....
निहारिका।
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एकदम सच कहा आपने , एक औरत ही औरत के दिल की बात समझ सकती है , और ,... लिख सकती है।
जो झेलती है , वही समझती है और वही बयान कर सकती है ,
सास जेठानी के तानों का दर्द , ...
मर्द तो ये कह के निकल जाता है , अरे जाने दो बड़े हैं , भूल जाओ ,... और फिर उसका वही सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम ,...
लेकिन धंसे हुए कांच की तरह वो बाते किस तरह सालती हैं , ... मैं समझती हूँ और आज पहली बार किसी ने मन की इस बात की तारीफ़ की , समझा ,
अब मैं क्या कह सकती हूँ , यहाँ मैं कुछ कहने आती हूँ इस उम्मीद में की कोई सुनने वाला /वाली मिले
मेरी किस्मत अच्छी थी की आप ऐसी मित्र , सहृदय पाठिका मिलीं ,
अभी अभी होली के रंग को भी अपडेट किया है और अब उसके बाद इसका भी नंबर आएगा ,...
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(24-03-2020, 02:24 PM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी,
हम लड़कियो को बहुत से काम होते हैं , पर फिर भी; कहानी मैं अपडेट का इंतज़ार आगे पढ़ने की बेकरारी सिर्फ कोमल जी की शानदार लेखनी व् प्यार का इंतज़ार है।
जिस तरह से एक औरत के भवनों को व्यक्त किया गया है , अतुलनीय है.
आपको भी काम होते होंगे उन सब से फ्री होकर इतना उम्दा लिख पाना।
......... पर इंतज़ार तो हम भी कर रहे हैं। ........ क्या करे लत लो लग गई। ..... आपके अतुलनीय लेखनी की .
कोमल जी , मैं निहारिका ; इंतज़ार मैं। .....
धन्यवाद कुसुम जी। ........... आप कि वजह से कुछ लिख पाई।
सही बात , आज कल वर्क फ्रॉम होम के चक्कर में ' काम ' कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।
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(23-03-2020, 08:09 PM)bhavna Wrote: जी मेने आज ही पढ़ी हैं। मस्त लिख रही हो। जल्दी जल्दी अपडेट दीजिए।
thanks
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कोमल जी ,
एकदम सही कहा, यह वर्क फ्रॉम होम , फिर परिवार की फरमाइश , घर के काम, भोजन और , वो तो फ्रेश एंड तैयार , हाथ धो कर , सांइटिज़ेर से , खाना खा कर पीछे पड जाने वाला हाल हो गया है.
सारा रूटीन ही ख़राब हो गया है, कोरोना ने 'सब काम' करवा दिया।
एक औरत होने के नाते मैं समाझ सकती हूँ, आशा है अन्य पाठिका भी मुझ से सहमत होंगी।
जैसे भी समय मिले , कृपया अपडेट्स की फुहार व् प्यार बनाये रखे।
निहारिका
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25-03-2020, 06:56 AM
(This post was last modified: 25-03-2020, 06:58 AM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(25-03-2020, 01:16 AM)Niharikasaree Wrote: कोमल जी ,
एकदम सही कहा, यह वर्क फ्रॉम होम , फिर परिवार की फरमाइश , घर के काम, भोजन और , वो तो फ्रेश एंड तैयार , हाथ धो कर , सांइटिज़ेर से , खाना खा कर पीछे पड जाने वाला हाल हो गया है.
सारा रूटीन ही ख़राब हो गया है, कोरोना ने 'सब काम' करवा दिया।
एक औरत होने के नाते मैं समाझ सकती हूँ, आशा है अन्य पाठिका भी मुझ से सहमत होंगी।
जैसे भी समय मिले , कृपया अपडेट्स की फुहार व् प्यार बनाये रखे।
निहारिका
रोज ही कुदाल चल रही है
अब तो 21 दिन ओर Stay home
ओर फिर काम काज 2 गुना ओर वो सब 4 गुना
उन को क्या काम,हालत हम महिलाओं की खराब है
पता नहीं कैसे गुजरंगे ये 21 दिन
काश ये किसी टूर पर होते सिर्फ घर के काम काज ही होते हम तो बचती
#कुसुम सोनी
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(25-03-2020, 06:56 AM)@Kusum_Soni Wrote: रोज ही कुदाल चल रही है
अब तो 21 दिन ओर Stay home
ओर फिर काम काज 2 गुना ओर वो सब 4 गुना
उन को क्या काम,हालत हम महिलाओं की खराब है
पता नहीं कैसे गुजरंगे ये 21 दिन
काश ये किसी टूर पर होते सिर्फ घर के काम काज ही होते हम तो बचती
#कुसुम सोनी
अरे ये तो बहुत अच्छी बात है , कुदाल तो होती ही चलने के लिए है , चलाने दीजिये , और सबकी सेफ्टी इसी में है , घर में रहिये और ' काम ' में लगे रहिये , मन भी लगा रहेगा , तन भी टेंशन भी नहीं होगा , ... हाँ हो सके तो अपने उनको , मेरी कहानी ' मोहे रंग दे ' पढ़ाइये , उन्हें आइडिया भी मिलेगा , पति पत्नी के बीच कहीं भी कुछ भी कभी भी हो सकता है ,
समय का सदुपयोग करिये , और देह का भी
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25-03-2020, 10:55 AM
(This post was last modified: 11-07-2021, 08:13 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सावन अपने पूरे जोबन पे
मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।
" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,... "
मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,
" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,.. "
और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,
" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न
लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "
जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,
सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली
चल मादरचोद ऊपर।
पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,
सुना हो तो सुना हो।
ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।
और क्या रात थी वो ,
सावन अपने पूरे जोबन पे।
काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,
मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
कमरे में पहुँच के बजाय दरवाजा बंद करने के
मैंने खिड़की भी खोल दी ,
और बाहर आम का बड़ा पेड़ झूम झूम के , जैसे कजरी गा रहा हो ,
इससे पहले रात में इस कमरे की खिड़की दरवाजे कभी नहीं खुलते थे ,
( कहीं कोई देख ले तो , कोई क्या कहेगा , सेक्स के साथ जुडी गिल्ट फ़ीलिंग , हर चीज एक घुटन के साथ जुडी , छुपी सहमी )
और मैंने अपना कुर्ता उतार के उनकी ओर उछाल दिया , वो उसे तहियाने में लगे थे
की मैं उनके पास ,और नीचे झुक के बॉक्सर शार्ट ,
सररर , नीचे , वो नंगे।
…………………………………..
लेकिन अब वो भी तो ,
उन्होंने भी मेरे शलवार का नाडा खींच दिया और शलवार उनके हाथ में
अंडर गारमेंट्स न उन्होंने पहने थे न मैंने।
वो कपडे तह कर के रख रहे थे और मैं निसुती खिड़की के पास ,
खुली खिड़की से आती सावन की गीली गीली हवा का मजा लेती
( ये भी पहली बार था इस कमरे में , सेक्स तो हम लोग बिना नागा करते थे और खूब मजे ले ले कर लेकिन ,
उनका बस चले तो बस ज़िप खोल के काम चला लेते ,
और ज्यादातर कपडे तभी उतरते जब हम दोनों चद्दर के अंदर होते ,लेकिन अब )
सावन की एक मोटी सी बूँद मेरे चेहरे पर पड़ी और फिर कुछ देर में दूसरी मेरे गदराये मस्ताए जुबना पे ,
निपल के बस थोड़ा ऊपर ,
मैं नीचे तक गीली हो गयी।
वो अलमारी बंद ही कर रहे थे ,मेरे ही हालत में बर्थ डे सूट में ,
" ए ज़रा एक सिगी तो सुलगाना , ... अरे वो स्पेशल वाली जो अजय जीजू ने दी थी न। "
मैंने खिड़की के पास से खड़े खड़े ही आवाज लगाई।
अब रुक रुक कर बूंदो की आवाज ,कमरे की छत पर से नीचे जमीन पर से ,आम के पेड़ की खिड़कियों पर से ,
अलग अलग एक सिम्फोनी मस्ती की ,
खिड़की से हाथ बाहर निकाल के मैंने चार पांच बूंदे रोप लीं और सीधे अपने उभारों पर मसल दिया।
तब तक वो मेरे पास आके खड़े हो गए थे वही अजय जीजू वाली स्पेशल सिग्गी सुलगा के सुट्टा लगाते ,
क्या जबरदस्त अजय जीजू की वो ,... एक दो सुट्टे में ही बुर की बुरी हालात हो जाती थी , बस मन करता था की कोई लौंडा दिखे तो उसे पटक के रेप कर दूँ।
" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "
उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।
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25-03-2020, 11:18 AM
(This post was last modified: 12-07-2021, 12:00 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद ,
" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "
उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।
सच में दो सुट्टे के बाद ही मेरी हालत खराब हो गयी लेकिन मैंने उनके गोरे गुलाबी नमकीन गालों पे कस के चिकोटी काटती मैंने चिढ़ाया ,
" साल्ले , गाली नहीं दे रही सच बोल रही अरे तेरी उस अनारकली ऑफ आजमगढ़ की
जो तुम एक बार सील खोल दोगे तो बस ,
अब मेरे जीजू लोगों को तो तुमने उस छमिया की कच्ची अमिया , अपनी छुटकी बहनिया के कच्चे कोरे टिकोरे १०० रुपये में मेरे जीजू लोगों के हाथ बेच ही दिए है
तो फिर जब तुम अपने उस माल की सील तोड़ देगे तो मेरे भाई भी , माना सगे नहीं है ,दूर दराज के पास पड़ोस के ,गाँव मोहल्ले के हैं ,लेकिन ,... और फिर तुम साले ,साल्ले तो बन ही जाओगे न।
और फिर अपनी माँ के पहलौठी के तो हो नहीं ,
और तेरी माँ मेरी गारन्टी है , झांटे आने के पहले ही लगवाना चालू कर दिया होगा , तो तुम भोंसड़ी के तो हुए न।
और फिर मादरचोद ,
मम्मी की सबसे कड़ी शर्त तूने पूरी कर दी , अपनी गांड फड़वाने की ,कमल जीजू को पटा के , मम्मी का आज दिन में फोन आया था।
बहुत खुश थीं तुमसे ,कह रही थीं मेरी सास से उनकी बात आज भी हुयी थी , आज से ठीक चौदह दिन बाद , तेरी माँ को ले के वो हाजिर। कह रही थीं वो , बस चौदह दिन उस छिनार के जने से कह देना , अपनी माँ चोदने के लिए तैयार रहे , तो साल्ले अब तो मादरचोद बनने से तुझे कोई रोक नहीं सकता। "
मैं कनखियों से देख रही थी , उन खूँटा अब फिर टनटना रहा था।
मेरी बातों का असर ,या सावन के मौसम की मस्ती का या अजय जीजू के मस्त सिगरेट का , या सबका मिला जुला ,
पर शेर अंगड़ाई ले रहा था।
एक दो सुट्टे और मार के मैंने सिगरेट उनके नदीदे मुंह में खोंस दी और अब वो जम कर सुट्टे लगाने लगे।
बाहर मौसम और जबरदस्त ,...
हवा थोड़ी तेज हो गयी थी , रह रह कर आसमान में बिजली चमक रही थी।
आम का पेड़ मस्ती से झूम रहा था , और अब बौछार थोड़ी तेज हो के हम लोगों को भिगो रही थी।
मैंने शरारत से अपने दो हाथ बाहर कर के अंजुरी में झरती बारिश का ढेर सारा पानी रोप कर जब तक वो सम्हलें ,समझें
कुछ पानी मैंने इनके चेहरे पर डाला और कुछ इनके खड़े खूंटे पर ,उसे मसलते मैं बोली ,
" यार आज तेरे मायके का पहला दिन ,एकदम जैसा मैं सोच रही थी वैसा ही गुजरा तो मेरे मुन्ने को कुछ इनाम तो मिलना ही चहिये न , आओ। "
और ये कह के मैंने उन के मुंह से मसाले वाली सिगी खींच ली और बस दो खूब जोरदार सुट्टे लगा के ख़तम कर बाहर फेंक दी ,
और पलंग पर लेट गयी।
" आओ न "
मैंने बुलाया , मेरी खुली जाँघों को देख के वो समझ गए मैं किस इनाम की बात कर रही हूँ।
उनके होंठ मेरे निचले होंठों पर , जबरदस्त चूत चटोरे तो वो थे ही ,
थोड़े ही देर में सपड़ सपड़ ,... मेरी हालत खराब
क्या मस्त चाट रहे थे वो ,थोड़ी ही देर में बाहर चल रहे तूफ़ान में काँप रहे आम के पेड़ के पत्तों की तरह मेरी देह भी काँप रही थी।
लेकिन इरादा तो मेरा कुछ और चटवाने का था ,
आखिर उनके मायके का मेरा पहला दिन इत्ता स्पेशल गुजरा , खास तौर से अपनी भौजाई के सामने जिस तरह से उन्होंने मेरे तलवे चाटे , एकदम खुल के
मेरी जिठानी की हालत देखते बनती थी ,
तो उनका इनाम भी तो कुछ स्पेशल बनता था न।
और मैंने अपने कूल्हे कुछ और ऊपर उठाये ,
अक्लमंद को इशारा काफी ,
और फिर मम्मी और मंजू ने रोज रोज गांड चटाई में उन्हें ट्रेन भी अच्छा कर दिया था ,
जीभ मेरी चिकनी देह पर फिसलती आगे के छेद से पीछे के छेद की ओर ,
पर तड़पाने में उनका कोई सानी नहीं था ,एकदम मेरी तरह,
जीभ गोलकुंडा के किले के चारो ओर चक्कर काटती रही , बस छोटे छोटे लिक्स
और फिर उस भूरी सुरंग से बस एक मिलीमीटर दूर छोटे छोटे चुम्बनों की बारिश
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,और
अंदर मेरी गालियों की बारिश ,
साल्ले , भोंसड़ी के , तेरी माँ की फुद्दी मारूँ , रन्डी के जने ,गांड़चटटो
चाट मादरचोद चाट ,चाट गाँड़ ठीक से , चाट डाल दे जीभ अंदर ,
गांडू , मजा आया था ने मेरे जीजू से गांड मरवाने में , अभी तो बस ट्रेलर था ,
डाल न जीभ अपनी , तेरे बहन को तेरी रखैल बनाऊं ,
और उनकी जीभ सीधे मेरी गांड के कसे छेद पर
जहां कल अजय और कमल जीजू का मूसल रात भर चला था।
कल सिर्फ उनकी ही कोरी गांड नहीं फटी थी , मेरी भी पहली पहली बार।
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25-03-2020, 12:36 PM
(This post was last modified: 25-03-2020, 12:42 PM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(25-03-2020, 08:14 AM)komaalrani Wrote: अरे ये तो बहुत अच्छी बात है , कुदाल तो होती ही चलने के लिए है , चलाने दीजिये , और सबकी सेफ्टी इसी में है , घर में रहिये और ' काम ' में लगे रहिये , मन भी लगा रहेगा , तन भी टेंशन भी नहीं होगा , ... हाँ हो सके तो अपने उनको , मेरी कहानी ' मोहे रंग दे ' पढ़ाइये , उन्हें आइडिया भी मिलेगा , पति पत्नी के बीच कहीं भी कुछ भी कभी भी हो सकता है ,
समय का सदुपयोग करिये , और देह का भी
कोमल जी हुआ यूं है कि अभी इन की छुट्टियां चल रही है
ओर ये घर आये हुए है,सिवाय दोनो के काम वाली बाई तक नहीं आ रही है बाहर कर्फ्यू है पूरा
दिन भर घर का सब काम-काज बदन एक दम थक के चूर जब दिन में फ़्री होती हूँ कुछ समय तो सिलाई का कभी किसी चीज का बहाना मार के कमरे में आ जाती हूँ अकेली ओर आप के थर्ड पर पहुंच जाती हूँ
जब तक आप को पढ़ नहीं लेती दिन नहीं बनता आप से बहुत लगाव हो गया है बिल्कुल मेरे मन की सोचती लिखती हो
ओर आप को पढ़ कर ये जाना है ये खेल सिर्फ मर्दों का नहीं है,इस मे हम औरतें उन को गुलाम बना सकती है
ओर इस मे कुछ भी गर्हित वर्जित नहीं होता ये खास बात आप से सीखी है जब से में बिल्कुल बदल गयी हूं
वो सब हो जाता है जो इस से पहले मेरी जैसी घरेलू औरत सोच भी नहीं सकती थी
मेरा जीवन आप ने बदल दिया है अब रात होती है सच मे ओर मुझे औरत होने पर गर्व होता है मैं आप को पढ़ कर आज कल बिल्कुल उस मे डूब गई हूं आप ने नया सुर छेड़ दिया तन मन में अच्छा है छुटियाँ है
सिर्फ खाना और....
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