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जरुरी सुचना: यह कहानी सिर्फ मनोरंजन के आशय से लिखी गयी है। इनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कुछ भी लेना देना नहीं है, और यह कहानी किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान या समाज की ना तो सच्चाई दर्शाता है और ना ही यह कहानी उन पर कोई समीक्षा या टिपण्णी करने के आशय से लिखी गयी है। सभी पात्र १८ वर्ष से अधिक उम्र के हैं...
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मेरी फितरत नही किसी की चीज़ को अपने नाम करू...
so as i always say... all credit goes to unsung original writer...
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(भाग-1)
प्रेषक : अफ़रोज़
मेरा नाम अफरोज़ है और आज मैं आप सबको, एक “सच्ची कहानी” बताने जा रहा हूँ।
कहानी वैसे तो आज से कुछ साल पहले की है पर यक़ीनन, आपको मज़ा आएगा।
कहानी शुरू करने से पहले, मैं आप सबको अपने परिवार के बारे में बता दूँ।
मेरे परिवार में 4 लोग हैं – मैं, मेरे अब्बू (यानि मेरे पापा), मेरी अम्मी और मेरी बड़ी बहन।
मेरी बहन, दूसरे शहर में रह कर पढ़ाई कर रही है।
मेरे अब्बू, एक मल्टी नेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी में “प्रोजेक्ट मैनेजर” हैं और ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं।
उनकी कंपनी के सभी क्लाइंट्स, अनुमन “विदेशी” ही रहते हैं इसलिए बमुश्किल वो साल में एक बार या कभी कभी 2 बार ही घर पर लंबे समय के लिए आ पाते हैं।
घर पर ज़्यादातर, मैं और मेरी मम्मी अकेले ही रहते हैं।
अब बात मेरी अम्मी की।
उनका नाम – महक है। सच कहूँ दोस्तो तो वाकई मेरी मम्मी देखने में बहुत सुन्दर है। उनका रंग बिल्कुल गोरा है और मेरी मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है। उनकी गांड थोड़ी बड़ी है पर चुचे बिल्कुल आकार लिए हुए हैं। पेट सपाट और बाल लंबे हैं। दोस्तो, यूँ तो उनकी उम्र भी ज़्यादा नहीं है।
असल में, मेरे अम्मी और अब्बू ने साथ में एक ही कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी।
दोनों उस दौरान ही प्यार में पड़ गये थे और कॉलेज ख़तम होते होते, मेरी बड़ी बहन मम्मी के गर्भ में थी।
अब्बू की नौकरी लगने से पहले ही, दोनों की शादी हो चुकी थी।
खैर.. !
कम उम्र में माँ बनने का सदमा हो या शुरू में ज़्यादातर अब्बू के साथ विदेश में रहने का, पर ये बात तो है की वो अपने फिगर को और अपने आपको काफ़ी फिट रखती हैं।
अब आते हैं, कहानी पर.. ! .. !
उस वक़्त, जब मैं काफ़ी छोटा था तब बराबर अपनी मम्मी के साथ बाहर जाता था। मैंने कई बार देखा है, अंकल लोगों को मेरी मम्मी के बदन को घूर घूर के देखते हुए।
वैसे सच कहूँ तो अब समझ आता है, वो लोग ऐसा क्यों करते थे क्यूंकि ज़्यादातर जवानी विदेश में बिताने के कारण, मेरी मम्मी ऐसे कपड़े पहनती थीं की कोई भी मर्द पागल हो जाए। उनका स्कर्ट ऐसा होता था की अगर किसी वजह से नीचे झुकना पड़े तो उनकी पैंटी दिखने लगती थी। उनकी गोरी जांघें तो हमेशा, उनकी स्कर्ट से साफ दिखती रहती थीं।
यूँ तो मेरी मम्मी साड़ी बहुत ही कम पहनती हैं पर मेरी मम्मी के जो ब्लाउज हैं, बहुत ही कसे हुए रहते हैं जिनसे उनके “चुचे की घाटी” साफ दिखती रहती है।
कम उम्र में ही शादी होने और माँ बनने से, उनको अपने आप को जवान और कमसिन दिखाने का कुछ ज़्यादा ही शौक है।
##
हाँ तो अब मैं आप सबको अपनी कहानी पर ले आता हूँ।
मेरा एक बचपन का एक दोस्त है – श्लोक।
श्लोक मेरे ही मोहल्ले में रहता है और उसके पापा, एक बिल्डर हैं।
बल्कि मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूँ, वो भी उन्हीं का बनाया हुआ है।
श्लोक के पापा, बहुत “लंबे चौड़े” हैं। देखने में, बहुत ही स्मार्ट और अच्छे हैं। लगभग 6 फीट लंबाई है और उन्होंने बॉडी बनाई हुई है (मतलब कसरती जिस्म है)। अंकल, अपने कॉलेज में बॉक्सिंग किया करते थे सो बिल्कुल फिट आदमी हैं।
अंकल, मेरी मम्मी और पापा को बहुत अच्छे से जानते हैं क्यूंकि फ्लैट लेने के समय बराबर उनसे मुलाकात होती थी।
पापा के काम की वजह से, खास तौर से मम्मी से क्यूंकि मम्मी हफ्ते में एक दो बार ज़रूर देखने आती थीं की फ्लैट का काम कितना आगे बढ़ा है।
पापा कभी कभी, यानी एक दो बार मम्मी के साथ आते थे।
इधर, मैं और श्लोक एक ही कॉलेज में थे सो हमारा बराबर घर आना जाना था।
कभी वो मेरे घर, कभी मैं उसके घर।
कई बार ऐसा होता था की बस स्टॉप पर अंकल, श्लोक को छोड़ने आते थे और मम्मी मुझे।
वहाँ भी, दोनों की बातें होती थीं।
चूँकि उस वक़्त, हम काफ़ी छोटे थे और मैं और श्लोक आपस में ही बिज़ी रहते थे सो ज़यादा नहीं बता सकता की क्या बातें होती थीं और वैसे भी दोस्तो, उस उम्र में बड़ों की बातें कहाँ समझ आती हैं।
हाँ पर जैसे जैसे बड़ा हुआ, इतना समझ आता गया की अंकल मेरी मम्मी की गांड और चुचे को देखते रहते हैं।
मम्मी के टॉप या उनके ब्लाउज में, उनकी “घाटी” दिखती रहती थीं और अंकल कई बार उनकी घाटी को देखते थे।
मैंने कई बार मम्मी को अपने चुचे ढकते हुए देखा है, अंकल के सामने।
##
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अब मैं आप सबको, एक “वार्तालाप” बताने जा रहा हूँ।
ये वार्तालाप अंकल का है, जो वो उनके दोस्तो के साथ कर रहे थे।
उर्मी आंटी (श्लोक की मम्मी) अपने मायके गई थीं क्यूंकी श्लोक की नानी की तबीयत खराब थी।
मैं श्लोक के यहाँ गया हुआ था।
मैं और श्लोक, अपने होम वर्क पर काम कर रहे थे और अंकल आ चुके थे।
रात के 8 बज रहे थे और अंकल अपने 2 दोस्तो के साथ, बैठ के शराब पी रहे थे।
हंसने की आवाज़, अंदर के कमरे तक आ रही थी।
लगभग 9 बजे, मैंने श्लोक से कहा – भाई, अब मैं चलता हूँ.. ! काफ़ी देर हो गई है.. !
श्लोक ने भी कहा – हाँ भाई.. ! तू जा.. ! अब कल कॉलेज में मिलते हैं और वहीं पूरा करेंगे, अपना काम.. !
जाते वक़्त, अंकल ने मुझे देखा और कहा – अफरोज़ बेटे, यहाँ आना.. !
मैं अंदर चला गया।
अंकल ने कहा – बेटा, श्लोक को ज़रा बुला देना.. !
उनके कमरे से दारू की भयंकर महक आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था की वहीं, मैं उल्टी कर दूँगा।
मैंने अंकल से कहा – अंकल, कुछ काम है तो बोलिए.. ! मैं कर देता हूँ.. !
तभी अचनाक से एक दूसरे अंकल ने श्लोक के पापा से पूछा – यही है, उसका सपूत.. !
अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा – हाँ, यार.. !
अंकल ने मुझे फ्रिज से बर्फ लाने को कहा और मैंने उन्हें बर्फ ला कर दे दिया।
पर काफ़ी देर, मैं सोचता रहा की आख़िर क्या बात थी।
उस आदमी ने ऐसा क्यों कहा की यही है, क्यूंकि मैं तो मैं उनसे आज तक मिला नहीं हूँ.. !
सोचते सोचते, मैं बाहर की तरफ निकल गया और खिड़की से चुपके से उनकी बातें सुनने लगा।
उन्हीं अंकल ने फिर से कहा – ये लड़का, तेरे बेटे का दोस्त है क्या.. !
अंकल ने (श्लोक के पापा ने) कहा – हाँ, दोनों एक ही क्लास में हैं.. !
उस आदमी ने कहा – फिर, तू इतना क्यों सोच रहा है.. ! जा के चोद डाल उसे.. ! इसमें कोई मुश्किल नहीं है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – हाँ यार सोचता हूँ, लेकिन साली नहीं मानी तो.. !
उस आदमी ने कहा – देख, उसका पति तो बाहर रहता है और तू जैसा बता रहा है उसके बारे में, वो पक्का “छमिया” है.. ! मुझे लगता है, एक मिनट नहीं लगेगा, ऐसी औरत की टांग खोलने में.. ! और यार, भाभी भी नहीं हैं.. ! देख, जिस औरत का मर्द बाहर रहता है, होता नहीं है या अकेली औरत को, चोदना बहुत आसान होता है.. ! शुरू में नाटक करती हैं पर फिर भड़ाभड़ लण्ड पर कूदती है.. ! सोच मत यार, चोद डाल उसको और मन और लण्ड को शांत कर ले.. ! कितने दिन से उसके बारे में सोच रहा है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – यार, कह तो तू सच रहा है.. ! अब बर्दशात नहीं होता.. ! कभी कभी तो मन करता है, उठा के ले आता हूँ, रांड़ को.. ! यार चुचे की घटियाँ, दिखा दिखा कर और गांड मटका मटका के पागल कर रखा है.. ! उसे तो चोदना ही है हर हाल में, चाहे कुछ भी हो.. ! मैं उसे चोद के ही रहूँगा चाहे खुशी से माने या ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े.. ! और अंकल ने शराब का एक पैग लगाया।
फिर उस आदमी ने कहा – भाई, लेकिन अपना काम होने के बाद हमें मत भूल जाना.. ! इस मामले में तो हम कुत्ते हैं, तेरी झूठन भी खा लेंगे.. ! और, सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।
मैं समझ गया की मेरी “मम्मी की इज़्ज़त” ख़तरे में है।
मैं ये बात श्लोक को बताना चाहता था पर मैं जानता था की श्लोक कभी नहीं मानेगा, मेरी बात.. !
एक तो अंकल उसके पापा हैं और अपनी बात को मैं कैसे साबित करूँगा।
##
कुछ दिन, ऐसे ही बीत गये और अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के करीब आने लगे।
मैं कुछ नहीं कर सकता था, उस समय क्यूंकि मैं कैसे जाकर मम्मी को ये सब बताता की अंकल की नियत क्या है और वो किस नियत से उनसे इतना दोस्ताना व्यावहार कर रहे हैं।
सच कहूँ तो मुझे इतना मालूम था की हर मर्द की नियत, अकेली औरत के लिए खराब रहती है और अगर मेरी मम्मी उन्हें लिफ्ट नहीं देंगी तो वो मम्मी को कभी नहीं चोद पाएँगे।
लेकिन क्या, मैं अपनी मम्मी के बारे में सही था.. ! .. !
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अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।
31 दिसम्बर की रात थी।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी। जिसमें, हम सब आमंत्रित थे। नाच गाना, चल रहा था।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।
होनी देखिए की जैसे ही हम निकले, हमने देखा की हमारी कार पंक्चर खड़ी है।
और तो और, उस दिन बारिश या कहिए बूंदा बांदी हो रही थी और मम्मी और मैं मजबूरन स्कूटी से गये।
मम्मी के पास, रेनकोट नहीं था क्यूंकी वो बिना कार के कहीं जाती ही नहीं थीं। लाज़मी है की जाते ही समय, थोड़ा सा मम्मी भीग गई थीं। सामने से मेरी मम्मी का ब्लाउज इतना तो भीग ही गया था की उनके चुचे अच्छे से आकर में दिख रहे थे।
अंकल और आंटी ने हमारा स्वागत किया।
इधर, अंकल उसी गंदी नज़र से मेरी मम्मी को देख रहे थे और सबसे बड़ी बात ये थी की अंकल के वो दोस्त जिन्हें मैंने उस दिन अंकल के घर में देखा था वो भी थे।
सब मेरी मम्मी को ही देख रहे थे।
मुझे कुछ ग़लत लग रहा था की यहाँ सब ठीक नहीं है क्यूंकि अंकल ने पार्टी दी थी और यहाँ हमारी सोसाइटी का एक भी बंदा नहीं था।
पूरी बिल्डिंग में से केवल, हम ही यहाँ थे।
लेकिन मैंने ये सोचा की शायद, ये मेरे मन का वेहम होगा।
ऐसा कुछ नहीं होगा।
और वैसे भी आज तो आंटी यानी श्लोक की मम्मी भी यहाँ पर थीं।
एक बात ये भी थी की अब तक मैंने मम्मी को ऐसा कुछ करते हुए नहीं देखा था, अंकल के साथ जिससे ये लगे की मम्मी उन्हें अपने लटके झटके दिखा रही है या फिर खुद उनकी तरफ आकर्षित हैं।
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कुछ देर में, मैं सामान्य हो गया और मैं पार्टी का आनंद लेने लगा।
आंटी दूसरे मेहमानों के साथ व्यसत थीं और मैं और मम्मी कुर्सी पर बैठे हुए थे तभी अंकल हमारे पास आए और मुझसे कहा – अफरोज़, तुम जाकर श्लोक के साथ पार्टी एंजाय करो.. !
मैंने कहा – नहीं अंकल.. ! मैं यहीं ठीक हूँ.. ! मम्मी के साथ.. !
अंकल भी वहीं बैठ गये और बातों बातों में मुझसे एक दो बार और कहा, चले जाने को.. !
अंकल को बोलता देख, मम्मी ने भी मुझसे कहा – कोई बात नहीं, बेटा.. ! तुम जाओ और एंजाय करो पार्टी, अपने दोस्त के साथ.. ! जाओ जाकर खेलो.. !
क्या करता, मैं वहाँ से चला गया और दूर से देखने लगा।
अंकल मम्मी से बातें कर रहे थे और बीच बीच में, दोनों हंस रहे थे।
ऐसा लग रहा था, जैसे अंकल मम्मी के कानों के तरफ इशारा कर रहे हों क्यूंकि मम्मी बीच बीच में, अपने बाल पर हाथ फेर रही थीं।
मैंने देखा वही आदमी जो उस समय अंकल से मम्मी को चोद देने की बात कर रहा था, वो ड्रिंक्स लेके आया और अंकल ने मम्मी को उससे इंट्रोड्यूस कराया।
मम्मी ने शायद कहा – मैं नहीं पीती.. !
अंकल ने थोड़ा ज़ोर दिया लेकिन, शायद मम्मी ने फिर भी मना कर दिया तो अंकल ने अपना ग्लास उठा लिया।
अब मम्मी, दूसरी तरफ देख रही थीं।
मैंने अंकल की तरफ देखा, उन्होंने सिर हिलाते हुए इशारे में कुछ कहा और वो आदमी वहाँ से चला गया।
कुछ ही देर में वो एक ग्लास लाया, उसमें कोल्ड्रींक थी।
अंकल ने अपने हाथ से ग्लास उठा के मेरी मम्मी को दिया और मम्मी ने ले लिया।
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लगभग, एक घंटा हो गया था।
श्लोक की मम्मी आईं और अंकल से कहा – अब ख़तम करते हैं, पार्टी.. ! बारिश का समय है.. !
अंकल ने कहा – डार्लिंग, इतनी जल्दी क्या है.. !
आंटी ने कहा – मुझे तो निंद आ रही हे ! आपका क्या है, आप तो पीते रहोगे.. !
इस पर अंकल ने कहा – ठीक है.. ! एक काम करो, तुम लोग जाओ.. ! मैं थोड़ी देर से आता हूँ.. ! और, अपने दोस्त को कहा की वो आंटी और श्लोक को लेके चले जाए।
जाते जाते, अंकल ने आंटी से कहा – उन्हें, आने मे देर हो जाएगी तो वो उनका इंतेज़ार ना करें और सो जाएँ.. !
आंटी ने भी कहा – ठीक है.. ! और अंकल से पूछा की उनके पास दूसरी चाभी तो है ना.. !
अंकल ने कहा – जानू, तुम बिल्कुल चिंता मत करो.. ! आराम से घर जाओ.. ! और अंकल ने अपने दोस्त को इशारा किया।
वो आंटी और श्लोक को लेकर निकल गया।
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कुछ ही देर में, धीरे धीरे करके सब निकलने लगे।
मुझे लगा, शायद अभी बहुत देर हो रही है।
सो मैं मम्मी के पास गया और उनसे कहा – मम्मी, चलो अब निकलते है.. !
अंकल ने मुझसे कहा – अफरोज़, बेटा अभी क्यों जाना है.. !
मैंने कहा – अंकल अब लेट हो रहा है.. ! और, मैंने मम्मी से कहा की वो चलें क्यूंकि मुझे समझ आ रहा था की आज इन लोगों ने पूरा प्लान बना रखा है.. !
सिर्फ़ और सिर्फ़, मम्मी को चोदने के लिए ये पार्टी दी गई है।
जैसे ही मेरी मम्मी खड़ी हुईं वो शायद ज़मीन पर गिर गईं।
ओह!! तो मम्मी को इन लोगों ने शराब पिलाई थी।
जब मैंने ग्लास स्मेल किया तब समझ में आया, ये कोल्ड ड्रिंक नहीं बल्कि इसमें शराब थी।
अंकल तो नशे में आ ही गये थे।
मैंने अंकल से कहा – आपने मम्मी को शराब क्यों पिलाई है.. ! जब की आप जानते हैं, वो नहीं पीती.. !
अंकल ने मुझसे कहा – अफरोज़, तुम्हारी मम्मी कोई बच्ची नहीं है.. ! देख नहीं रहे हो, वो कितना एंजाय कर रही हैं.. !
अंकल ने मुझसे कहा – अफरोज़, तुम्हारी मम्मी स्कूटी नहीं चला पाएगीं.. ! तुम चला के ले जाओ और मैं इन्हे कार में छोड़ दूँगा.. !
मैंने कहा – अंकल, मेरे पास लाइसेंस नहीं है.. !
अंकल ने कहा – अच्छा, ऐसे गाड़ी में घूमते रहते हो श्लोक के साथ, मिल के.. ! और आज, लाइसेंस नहीं है.. !
एक बार मैं और श्लोक, बिना लाइसेन्स के पकड़े गये थे तब अंकल ने ही आकर हमें छुड़ाया था।
फिर, उनके दोस्त भी मुझ पर प्रेशर बनाने लगे और आख़िर मुझे वहाँ से निकलना पड़ा।
मैं पार्किंग में खड़ा था और इंतेज़ार कर रहा था की वो लोग आएँ और मैं कार के पीछे पीछे घर तक जाऊं।
तब तक धीरे धीरे, बारिश होने लगी।
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थोड़ी देर बाद, मैं दरवाज़े के पास जाकर देखने लगा की वो लोग क्यों नहीं आए हैं।
मैंने देखा, अंकल और उनके साथ उनके एक दोस्त भी थे।
अंकल ने मेरी मम्मी को उनके कंधे पर से सहारा दिया हुआ था और ला रहे थे।
मम्मी, पूरी तरह से बहक चुकी थीं।
सब कार में बैठ के निकल पड़े।
मैं उनके पीछे पीछे था।
अंकल ने मुझे नहीं देखा था।
कुछ दूर जाने के बाद, कार ने दूसरा मोड़ ले लिया।
अब मेरा शक, यकीन में बदल गया और मैं उनके पीछे निकल पड़ा।
वो कार उसी आदमी के घर जाके रुकी, जो अंकल के साथ था।
अंकल ने मम्मी को कार से निकाला और घर के अंदर ले गये।
मैं किसी तरह कर के अंदर दाखिल हुआ।
शुक्र है भगवान का की वहाँ कोई कुत्ता नहीं था नहीं तो आज मैं आप सबको जो बता रहा हूँ, शायद नहीं बता पता।
अंदर जाने के बाद, मैंने दरवाज़े पर हल्का धक्का दिया।
दरवाज़ा बंद था।
और थोड़ी सी खुली खिड़की से बस इतना दिख रहा था की अंकल ने मम्मी को गोद में उठाया हुआ है और अपने साथ एक कमरे में लेके जा रहे हैं।
वो दूसरा आदमी सोफे पर बैठ गया और शराब की बोतल लेकर, ड्रिंक करने लगा।
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मैं दूसरी तरफ जाते हुए, खिड़की के पास गया।
यहाँ से मुझे बिस्तर साफ दिख रहा था।
अंकल ने पहले मम्मी को बिस्तर पर लिटा दिया।
मम्मी, अब पूरे नशे में थीं।
उनकी आँखें नहीं खुल रही थीं।
अंकल के कुछ देर घूर के उनके बदन को देखा, उसके बाद वो रूम से बाहर निकल गये और दरवाज़े को सटा दिया।
मैं वापस मुख्य दरवाज़े के पास, उस खिड़की से देखने लगा।
अंकल आकर उस आदमी के पास बैठ गये और एक ग्लास में शराब भर के पीने लगे।
अंकल ने अपने दोस्त से पूछा – यार, कॉन्डम है.. !
उनके दोस्त ने कहा – नहीं यार.. !
फिर उनके दोस्त ने कहा – तेरे पास तो रहता है, ना.. !
अंकल ने कहा – है, पर एक ही है यार.. ! 4 – 5 तो चाहिए ना.. !
उनके दोस्त ने कहा – साले, तू बहुत कमीना है.. ! लगता है, आज सोने का इरादा नहीं है तेरा.. ! फाड़ मत दियो, भाई.. ! और ये कह के दोनों हंसने लगे।
दारू ख़तम कर के वो दोनों वहाँ से उठ गये और रूम की तरफ जाने लगे।
मैं दूसरी तरफ आ के देखने लगा।
अंकल रूम में आ गये और उन्होंने दरवाज़े बंद कर दिया।
फिर, वो बिस्तर की तरफ बढ़ने लगे।
तब तक उनके मोबाइल पर फोन आया।
अंकल ने फोन उठाया।
अंकल ने कहा – तुम सो जाओ.. ! मैं कल आ जाऊंगा.. ! बारिश में फँस गया हूँ.. ! यहीं अपने दोस्त के यहाँ, रुक गया हूँ.. ! सब यहीं हैं.. ! दारू पी रहे हैं, सब.. ! और अंकल ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।
मैं समझ गया, आंटी का फोन है।
फिर, मुझे उनके फोन से आवाज़ आई जो “स्विच ऑफ” करते वक़्त आती है।
फिर उन्होंने, मोबाइल को टेबल पर रख दिया।
उसके बाद अपनी शर्ट और बनियान उतार के टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर रख दी।
ये बात तो है की अंकल के “मसल्स” बहुत जबरदस्त थे।
तब तक मैंने देखा मम्मी उठ गईं और अंकल को इस तरह देख के थोड़ी घबरा सी गईं।
अंकल ने कहा – आप डरो मत.. ! मैं हूँ.. ! बारिश हो रही थी और आपकी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही थी इसीलिए मैं आपको यहाँ लेके आया हूँ.. ! सुबह होते ही, मैं आपको आपके घर छोड़ दूँगा.. !
मम्मी ने मेरे बारे मे पूछा तो अंकल ने कहा – मैंने उसे घर भेज दिया है.. ! अब तक तो पहुँच भी गया होगा.. ! और, इतना कह कर मम्मी के बगल में आकर बैठ गये।
मम्मी थोड़ी सी सहमी हुई सी, लग रही थीं।
उन्होंने अंकल से पूछा – आपने दरवाज़े क्यों बंद कर रखा है.. !
अंकल ने हंसते हुए कहा – ताकि आज हमें कोई परेशान ना करे.. ! और, ये कह के मम्मी को गले से लगा लिया।
अचानक अंकल ने उनके होंठों पर एक किस कर दिया।
मम्मी ने अंकल को धक्का देते हुए पीछे किया और कहा – ये क्या कर रहे हैं, आप.. ! आपको शरम आनी चाहिए.. ! मैं शादीशुदा हूँ और दो बच्चों की माँ हूँ.. !
सच कहूँ तो अंकल उस समय बड़ी आसानी से जो चाहते, मेरी मम्मी के साथ कर सकते थे। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने बड़े प्यार से मेरी मम्मी से बात करनी शुरू की – महक जी, आप बहुत खूबसूरत हैं.. ! मैं बहुत दिनों से आपसे ये बात कहना चाहता था पर कह नहीं सका.. ! जब आपको पहली बार देखा था, आपके पति के साथ तब से आपके बारे में सोचता रहता हूँ.. ! अब आप ही बताइए, आप शादीशुदा हैं इसमें मेरी क्या ग़लती है.. ! वैसे सच बात तो ये है महक जी, मैं जानता हूँ की कहीं ना कहीं, आप मुझे पसंद करती हैं.. ! बस आप शादीशुदा हैं इसीलिए आप नहीं कह पा रही हैं.. ! हैं ना.. !
मम्मी ने कहा – प्लीज़ भाई साब.. ! बस कीजिए.. !
अब अंकल मम्मी के करीब आ गये और उन्हें गले से लगाया।
फिर उन्होंने कहा – देखिए महक जी, किसी को कुछ नहीं मालूम चलेगा.. ! यहाँ कोई नहीं है, आपके और मेरे अलावा.. ! मेरा भरोसा कीजिए.. ! मैं आपको कभी बदनाम नहीं होने दूँगा.. ! और, ये कहते हुए अंकल ने मम्मी के होंठों को अपने होंठों में फँसा लिया।
वो अब मेरी मम्मी को चूमने लगे।
मम्मी पूरी तरह से “नशे” में क़ैद थीं।
उनसे हिला भी नहीं जा रहा था।
अंकल ने मम्मी के बाल पकड़ रखे थे और उनके होंठ चूसे जा रहे थे।
असल में, शायद मम्मी को भी मज़ा आ रहा था क्यूंकि वो अंकल का पूरा साथ दे रही थीं या हो सकता है, “शराब का नशा” उनसे ये सब करा रहा था।
आज उन्हें देखे कर लग रहा था की पापा का यहाँ ना होना कितना ग़लत है।
अपने जीवन मे पहली बार, मुझे पापा की कमी का एहसास हुआ।
आज वो यहाँ होते तो अभी उन्हें बुलाकर, अंकल की पिटाई लगवाता और मम्मी की इज़्ज़त बचा लेता।
इज़्ज़त बचा लेता ??
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माफ़ कीजिएगा।
मेरी मम्मी तो यहाँ बिना किसी विरोध के, अंकल को अपनी इज़्ज़त गिफ्ट में दे रहीं थीं।
मुझे बड़ा दुख हुआ की मम्मी ने “एक छोटे से डायलोग” के सिवा, ज़्यादा कुछ भी नहीं किया।
उसी पल मुझे समझ आ गया, औरत को अकेले छोड़ना यानी उसको “रंडी” बनाना।
सिर्फ़ ये सोच कर की वो मेरी मम्मी हैं, मुझे विश्वास ही नहीं होता था की वो “छमिया” हैं जाहिर है पापा ने भी मेरी तरह ही सोचा होगा की मेरी पत्नी ऐसी नहीं है।
पर मम्मी हो या पत्नी, हैं तो पहले वो एक “औरत”।
खैर.. !
अंकल ने मम्मी की साड़ी उनके कमर तक कर दी और उनकी दोनों टाँगें खोल के अपने गोद में बिठा लिया और किस करने लगे।
कभी ऊपर के लिप्स, कभी नीचे के।
कभी मम्मी अपनी जीभ बाहर निकालती और अंकल उसे चूसते और कभी अंकल जीभ निकालते और मम्मी उसे चूसती।
बीच बीच में, वो मम्मी के गालों को चाटते थे।
अंकल ने अपने दोनों हाथ से मम्मी के चूतड़ पकड़ रखे थे और उसे मसल रहे थे।
मम्मी ने नीली पैंटी पहन रखी थी।
फिर अंकल ने मम्मी की पैंटी के अंदर, अपनी हथेली को घुसा दिया और उनकी गांड के छेद को रगड़ने लगे।
मम्मी बीच बीच में अपने हाथ को पीछे ले जाकर, अंकल के हाथ को हटाने की कोशिश करती थीं। पर, अंकल ने हाथ नहीं निकाला।
मुझे ऐसा लग रहा था की अंकल ने मम्मी की गांड के छेद मे अपनी उंगली घुसा दी है।
उनके मम्मी को किस करने की – पुच पुच मुआः पुच पुच मुआः पुच पुच मुआः की आवाज़ आ रही थी।
फिर अंकल ने अपने सिर को झुकाते हुए, ब्लाउज के ऊपर से मेरी मम्मी के चुचे पर अपना मुंह रख दिया और थोड़ा रुक कर स्मेल किया और फिर उनकी छाती चूमने लगे।
कुछ देर बेतहाशा चूमने के बाद, पहले अंकल ने मम्मी के ब्लाउज का हुक खोल दिया और फिर झटके से ब्लाउज उनके बदन से निकाल दिया।
फिर, अंकल ने मम्मी की ब्लाउज को सूँघा और खुश्बू लेकर ज़मीन पर फेंक दिया।
मम्मी ने जो ब्रा पहन रखी थी और बिल्कुल पैंटी से मिलती हुई थी और एक दम “पारदर्शी” थी।
अंकल ने ब्रा का हुक खोल के ब्रा उनके बदन से अलग कर दिया।
अब मम्मी के नंगे दूध, उनके और मेरे सामने थे।
मैंने देखा अंकल के मुंह से एक आवाज़ निकली – उनमह इयाः महक जी, क्या चुचे हैं आपके.. ! क्या किस्मत पाई है, आपके पति ने.. ! पर आज ये मेरे हैं.. ! कहते हुए, उन्होंने मम्मी के सीधे चुचे को पकड़ लिया और उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेके चूसने लगे।
मम्मी – आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! की सिसकारियाँ लेने लगीं और उन्होंने अपने हाथ को पीछे करके अंकल के सिर को पकड़ लिया।
अंकल बीच बीच में, मेरी मम्मी के कांख में अपनी नाक घुसा के सूंघते थे और अपने जीभ से चाटते थे।
अब पहली बार, मम्मी ने कहा – उनमह.. ! अब बस कीजिए.. ! आ अहह.. ! प्लीज़.. ! इसस्स.. !
अंकल ने कहा – महक जी, इतने दिन के बाद आप मिली हैं, आज मुझे.. ! इतनी जल्दी, कैसे छोड दूँ.. ! आज रात को आप यही रहेंगी, मेरे साथ.. ! आज तो आपके जिस्म को निचोड़ निचोड़ के पियूँगा.. ! और कहते कहते, मेरी मम्मी के चुचे चूसने लगे।
साफ दिख रहा था, मम्मी से कंट्रोल नहीं हो रहा था।
मुझे लगता है के पापा के जाने के बाद से, वो नहीं चुदी थीं।
अंकल ने अब मम्मी की साड़ी पूरी निकाल दी और ज़मीन पर फेंक दी।
मम्मी अब बिना किसी विरोध के, उनके सामने बेशरम की तरह बैठीं हुईं थीं।
फिर अंकल ने अपनी पैंट निकाल दी और अंडर वियर खींच कर उतार दी और मेरी मम्मी के सामने, खड़े हो गये।
मम्मी और मेरी भी आँखें फटी की फटी रह गई क्यूंकि अंकल का लण्ड, कम से कम “8-9 इंच” लंबा था और बहुत मोटा था।
अंकल अब बिस्तर पर बैठ गये और मेरी मम्मी ज़मीन पर घुटनों के बल, बैठ गईं।
वो ऊपर से पूरी “नंगी” थीं।
उन्होंने अंकल का लण्ड पकड़ा और धीरे धीरे सहलाने लगीं।
उसके थोड़ी देर बाद, मम्मी ने उनके लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगीं।
पहले शुरू में, अंकल के लण्ड के थोड़ा हिस्सा मम्मी के मुंह में जा रहा था पर जब अंकल ने मम्मी के बाल पीछे से पकड़े और हल्का ज़ोर दिया तो पूरा लण्ड मेरी मम्मी के मुंह में चला गया।
अंकल मम्मी के बाल पकड़ते हुए, अपना पूरा लण्ड उनकी मुंह में घुसाने लगे।
मम्मी के मुंह से – उःम ह्म्म्म ह्म्मह उःमह.. ! की आवाज़ आ रही थी.. ! और, अंकल के मुंह से – आ आ अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. ! की आवाज़ आने लगी।
फिर, अंकल ने मम्मी से कहा – वाह!! महक जी क्या चूसती हो, आप लण्ड.. ! आज तक किसी रंडी ने भी, मेरा लण्ड ऐसे मस्ती से नहीं चूसा.. ! वाहह.. !
और फिर उन्होंने अपने लण्ड की चमड़ी को नीचे खींचा, जिससे उनका सुपाड़ा बाहर आ गया।
अब उन्होंने मम्मी से, उनके सुपाड़े को जीभ के छोर से चाटने को कहा।
मम्मी ने तुरंत ऐसा ही किया और उनके लण्ड के सुपाड़े को अपनी जीभ को चाटने लगीं।
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कुछ ही देर में, मम्मी ने अंकल के “टट्टों” को भी अपने मुंह मे ले लिया और जी भर के चूसा।
मम्मी को देख कर, ऐसा लग रहा था की उनका लण्ड नहीं फाइव स्टार का बार है और उस पर जेम्स चिपकी हुईं हैं।
अब अंकल ने मम्मी को खड़ा कर दिया और वो बिस्तर पर ही बैठे हुए थे।
उन्होंने मम्मी के पेटीकोट का नाडा खोल दिया, जिससे उनका पेटीकोट ज़मीन पर जा गिरा।
मम्मी की पीठ मेरी तरफ थी, जिससे मैं ये साफ देख सकता था उनकी पैंटी पीछे से उनकी गांड के छेद में घुसी हुई है (लड़कियों की भाषा में, इसे “थोंग” कहा जाता है।)
मुझे ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था की मम्मी अपने साइज़ से भी थोड़ी छोटी, पैंटी और ब्रा पहनती हैं।
अंकल ने मम्मी को रोल करके घुमा दिया और अब मम्मी की गांड, अंकल के तरफ थी।
अंकल ने मम्मी को थोड़ा झुकने को कहा और उनके गांड का छेद अंकल के मुंह के सामने आ गया।
वो बिना पैंटी निकाले, अपनी नाक मम्मी की गांड के छेद के पास ले गये और सूंघने लगे।
उन्होंने मम्मी को कमर से पकड़ रखा था और उनकी पैंटी के ऊपर से गांड सूंघ रहे थे।
फिर, उन्होंने मम्मी की पैंटी खींच के जांघें तक कर दी और गांड के छेद पर दो उंगलियाँ रख के फैला दिया और गांड के छेद में, अपनी नाक रख के सूंघने लगे।
बीच बीच में वो, अपनी जीभ उनकी गांड के छेद में डाल के उसे चाटने लगते और कभी अपनी नाक रख के सूंघने लगते।
अंकल ने मम्मी से कहा – महक, जब भी आपको मैं देखता था मन करता था आपकी ये “शानदार गांड” मार लूँ.. ! मुझे तो यकीन ही नहीं था की कभी इसे नंगा देख सकूँगा.. ! आज मुझे मौका मिला है, आज अपने आप को मैं शांत करके रहूँगा.. ! और, ये कहते हुए उन्होंने मम्मी की पैंटी नीचे खींच के निकाल दी और मेरी मम्मी उनके सामने पूरी “नंगी अवस्था” में खड़ी हो गईं।
अंकल ने अब मम्मी को बिस्तर के कोने में बिठा दिया और खुद घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गये और उनकी दोनों टांगें फैला दी और मम्मी की चूत को निहारने लगे।
दोस्तो, सच कहता हूँ उस समय मेरी मम्मी की चूत “क्लीन शेव्ड” थी और उस पर एक भी बाल नहीं था।
अंकल तो बस मम्मी की चूत देखते ही रह गये और अपने लण्ड को रगड़ने लगे।
फिर कुछ देर चूत को एक टक देखने के बाद, वो थोड़ा आगे होके मम्मी की चूत चाटने लगे।
मम्मी ने अपनी दोनों जांघें पकड़ के अपनी टांगें फैला रखी थीं और – नही स स स स स स स स स स.. ! इयाः ह ह ह ह ह ह ह ह.. ! आ अहह.. ! अहह.. ! उ ई ई ईई ईईई ई ई ईई ईईई.. ! माह ह ह ह ह ह ह.. ! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. ! कर रही थीं।
उनकी सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज रहा था।
अंकल अपनी जीभ मम्मी की चूत के अंदर बाहर कर रहे थे और एक हाथ से, अपना लण्ड मसल रहे थे।
अब मम्मी से बर्दशात नहीं हो रहा था और वो पीछे हट गईं और अंकल से कहा – अब बस कीजिए.. ! मुझसे सहन नहीं हो रहा है.. !
अंकल ने मम्मी के दोनों पैरों को पकड़ा और अपनी तरफ खींचा।
मम्मी फिर से, बिस्तर के कोने मे आ गई।
अंकल ने मम्मी की टांगें फैला दी और अपनी जीभ उनकी चूत में घुसा दी और चाटने लगे।
मम्मी ने कहा – भाई साब, अब बर्दाशत नहीं हो रहा है.. ! बस अब, अंदर डाल दीजिए.. !
अंकल ने कहा – महक जी, आप जिस चीज़ के लिए अभी तड़प रही हैं, मैंने उसका इंतज़ार 4 सालों से किया है.. ! थोड़ा तो इंतेज़ार कीजिए.. ! ऐसी चूत मिलती कहाँ है.. ! सोलह साल की कुँवारी कली की तरह एकदम टाइट चूत और शादीशुदा औरत को तजुर्बा, एक साथ.. ! ना जाने कब से लण्ड अंदर नहीं घुसा है, इस चूत में.. ! आज तो कुछ अलग ही मज़ा आएगा.. ! और, अंकल ने अपने उल्टे हाथ से मम्मी की चूत फैला दी और अपनी दो उंगलियाँ अंदर घुसा दी।
फिर वो उनकी चूत चाटते हुए, अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगे।
मम्मी – आ आहह.. ! आ आहह.. ! आ आ आ आ आ आ आ.. ! उंहम म म म ह ह ह ह इयाः करने लगीं।
वो तो अपने चुचे, अपने आप ही मसलने लगीं।
उन्होंने अपनी होंठों को अपने दातों से दबा दिया था और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी थीं।
कुछ देर ऐसे ही उंगली से मम्मी की चूत चोदने के बाद और चाटने के बाद, अब अंकल ने मम्मी को खड़ा कर दिया और उन्हें अपने सीने से चिपका लिया और उनके होंठों पर बेतहाशा किस करने लगे।
फिर अंकल अपने दोनों हाथों से, मेरी मम्मी के चुचे को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे।
मुझे तो लग रहा था की इतनी ज़ोर ज़ोर से दबाने पर, मम्मी चीख पड़ेंगीं पर मम्मी भी अंकल का पूरा साथ दे रही थीं।
थोड़ी देर मम्मी के दूध जी भर के दबाने के बाद, अंकल मम्मी को बिस्तर पर ले गये और मैं समझ गया, अंकल अब मेरी मम्मी को चोदने वाले हैं।
तो दोस्तो, मेरी माँ चुदने वाली थी।
पलंग पर जाकर, वो लेट गये और मम्मी अपनी दोनों टांगों को अंकल के इधर उधर करके खड़ी हो गईं और “सू सू करने वाले स्टाइल” में बैठ गईं और अपने एक हाथ से मेरे दोस्त के पापा के लण्ड को पकड़ के, अपनी चूत में लगाया और थोड़ा नीचे की तरफ हो गईं।
उनके मुंह से बड़ी ज़ोर से – इयाः ह ह ह ह ह ह ह ह ह आ आ आ आ आह माह म्मह.. ! निकाला।
मैंने देखा अंकल के लण्ड का सुपाड़ा, मेरी मम्मी की चूत के अंदर चला गया था।
मम्मी एक और बार बैठीं और उनका आधा लण्ड, मेरी मम्मी की चूत में समा गया।
इस बार, मम्मी और ज़ोर से चीखीं – नहीं स स स स स स स स स स स स.. ! आ हा आ माह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह.. !
अंकल ने मेरी मम्मी से कहा – पूरा बैठ.. ! अभी गया नहीं है.. !
कुछ देर बाद, अंकल ने अपनी स्पीड कम कर दी और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
मम्मी, अंकल की छाती से चिपकी हुई थीं।
अंकल ने मम्मी को कमर से पकड़ते हुए, पलटा मारा और मम्मी अब नीचे हो गईं और अंकल उनके ऊपर हो गये।
अंकल ने मम्मी के सिर के नीचे तकिया दिया और उनके होंठ के पास आ गये और उन्हें चूमने लगे।
अब मम्मी ने, अंकल से धीरे से कहा – अब बस कीजिए.. ! मैं बहुत थक गई हूँ.. !
अंकल ने उनके होंठों पर किस करते हुए कहा – महक जी, अभी तो मेरा निकला भी नहीं और अभी आप ख़तम करने की बात कर रही हैं.. ! लगता है, कभी आपका किसी “मर्द” से पाला नहीं पड़ा.. ! माफ़ कीजिएगा, आज तो मैं आपको जी भर के चोदने के बाद ही छोड़ूँगा। और, अंकल हंसते हुए उनके होंठ चूमने लगे।
फिर, उन्होंने मम्मी से कहा – मैं जानता हूँ, आप बहुत “प्यासी” हैं.. ! मुझे बस आपकी मदद करने दीजिए.. ! मस्त कर दूँगा, मैं आपको.. !
फिर वो अपने एक हाथ से, मम्मी के चुचे मसलते हुए उनके होंठ चूमने लगे।
मम्मी ने अपने सीधे हाथ से, उनके बालों को पकड़ रखा था और अंकल का साथ दे रही थीं।
फिर मम्मी ने अपने एक हाथ को नीचे लेजा कर, उनका लण्ड पकड़ के अपनी चूत पर बैठा दिया और अंकल ने धीरे से धक्का दिया।
उनका आधा लण्ड, मम्मी के चूत के अंदर चला गया और अंकल धीरे धीरे मम्मी के कानों मे कुछ कहते हुए, अपना लण्ड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगे।
अब अंकल ताबड़तोड़ मम्मी को चोद रहे थे और मेरी माँ ताबड़तोड़ चुद रहीं थीं।
मम्मी ने कस के अंकल को दबोच कर, उनकी पीठ पकड़ रखी थी और दोनों टांगें खोल के अंकल से, बिल्कुल “दो पैसे की रंडी” की तरह चुदवा रही थीं।
अंकल के हर झटके पर, जब भी उनकी जाँघ मम्मी की जाँघ से टकराती थी, तब – ठप ठप ठप.. ! फट फट फट.. ! की गूँज आती थी और मम्मी के मुंह से – आ आहह आह आह उःमह इयाः हह उई माह ह ह ह ह ह.. ! की आवाज़ निकल रही थी।
मम्मी की पायल की “छन छन” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।
अंकल पूरी ताक़त से मम्मी के होंठ चूमते हुए, उन्हें चोद रहे थे और बीच बीच में अपना मुंह उनकी चुचे पर रख के चूस रहे थे।
कुछ देर ऐसे मम्मी को चोदने के बाद, वो ठंडे से पड़ गये।
उनके मुंह से – आ आआ आ अहह अहह आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. ! की आवाज़ निकली और उनकी कमर धीरे धीरे हिलने लगी फिर उसके बाद, वो मेरी मम्मी के ऊपर से हट कर उनके बगल में लेट गये।
मैंने देखा अंकल के लण्ड पर, उनका वीर्य और हल्का सा “खून” लगा हुआ था और मेरी मम्मी की चूत से उनका वीर्य बाहर निकल रहा था।
मम्मी और अंकल के शरीर से, जबरदस्त पसीना निकल रहा था और उनकी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं।
मम्मी भी बुरी तरह से थक गई थीं।
मुझे लगा की अंकल, शायद अब मेरी मम्मी पर तरस खा कर उनको घर छोड़ देंगें पर उनका प्लान तो उन्हें आज रात भर चोदने का था।
थोड़ी देर निढाल पड़े रहने के बाद, मम्मी उठ के बाथरूम की तरफ चली गईं।
इधर अंकल, बिस्तर पर ही लेटे हुए थे।
मम्मी के दरवाजा बंद करने के बाद, उन्होंने मेरी मम्मी की पैंटी ज़मीन से उठा ली और उसे सूंघने लगे।
खास कर के जो उनकी “चूत वाला हिस्सा” था, वो।
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एक दो मिनट में, मम्मी बाहर आ गईं और उन्होंने अंकल से अपनी पैंटी माँगी और कहा – अब वो, उन्हें घर छोड़ दे.. !
अंकल ने मम्मी के हाथ को पकड़ा और अपनी तरफ खींचा।
मम्मी, सीधा अंकल की गोद में चली गईं और अंकल ने मम्मी को किस करते हुए कहा – जानू, अभी कहाँ जाना है.. ! मैं आपको, सुबह घर छोड़ दूँगा.. ! आज आप, यहीं रुक जाओ, मेरे पास.. ! और फिर, आपकी तबीयत भी कुछ खराब है.. ! वैसे भी कौन सा, आपका पति आपका घर पर इंतेज़ार कर रहा है। और, वो मम्मी के होंठों पर किस करने लगे।
कुछ देर मम्मी के होंठों का रसपान करके, अंकल ने कहा – मैं शराब लेकर आता हूँ.. ! आज रात भर, पार्टी करेंगे.. !
मम्मी ने अब, थोड़ा गुस्से में कहा – मैं नहीं पीती.. ! प्लीज़, मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है.. ! और अब तो आप मुझे चोद चुके ना, अब क्यूँ नशा कराना है मुझे.. !
अंकल ने कहा – जानेमन, अभी कहाँ चोद चुके.. ! ये तो बस “टेस्ट ड्राइव” थी और तुम चिंता क्यूँ करती हो, कुछ नहीं होगा.. ! महक मेरी जान, ये शराब नहीं है ये तो दवाई है.. ! तुम्हारा सब दर्द, ख़तम हो जाएगा.. ! वैसे भी आप जितनी नशीली हैं, उसके सामने ये शराब क्या नशा करेगी.. ! और, वो ज़ोर से हंस पड़े।
आधे घंटे तक, “रंडी की तरह” बड़ी बेशरमी से अपनी टाँगें खोल खोल के चुदवाने और अंकल के लण्ड पर छीनाल की तरह कूदने के बाद, अंकल की तारीफ़ से मेरी “भोली भाली मम्मी” कुछ शरमा सी गईं।
मम्मी ने अंकल के गाल पर बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए, एक हल्का सा थप्पड़ मारा।
अंकल ने भी मम्मी के बालों को पकड़ा और उनके होंठों को अपने मुंह में लेकर किस किया।
फिर उन्होंने अपनी अंडर वियर पहन ली और वहां से चले गये।
जाते वक़्त, अंकल ने बाहर से दरवाज़े सटा दिया।
अब मैं बाहर के कमरे की तरफ गया और देखने लगा।
अंकल के दोस्त, वहीं सोफे पर बैठे हुए थे।
उन्होंने अंकल को आते देखा और कहा – आइए, शिकारी जी.. ! कर लिया, अपना शिकार.. !
अंकल ने ताली बजाते हुए, कहा – हाँ भाई, हो गया काम.. ! गजब की माल है, कुतिया.. ! “लण्ड फोड़, बिस्तर तोड़ छमिया” है, माँ की लौड़ी.. ! यार, चूत इतनी टाइट है की खून रिस आया.. ! मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ.. ! जी ही नहीं चाह रहा था भाई, उसकी चूत से लण्ड बाहर निकालूँ.. !
फिर, अंकल ने कहा – यार, पर एक ग़लती हो गई.. ! कॉन्डम भूल गया था.. ! मूत अंदर गिर गया.. !
उनके दोस्त ने कहा – तो क्या हुआ, भाई.. ! डर क्यों रहा है.. ! गिरवा देना.. ! कौन है यहाँ, उससे सवाल जवाब करने के लिए.. ! और फिर कौन सी ये पहली औरत होगी, जिसके पेट में तेरा बच्चा ठहर गया हो.. ! साले, कितनों का गिरवाया हुआ है तूने, जिनके तो पति भी यहाँ हैं.. ! इसका भी गिरवा देंगें.. ! चिंता मत कर.. !
फिर कुछ देर बाद, उनके दोस्त ने कहा – ये बता, अब क्या प्लान है.. ! मुझे भी निकलना है, कहीं.. !
अंकल ने कहा – क्या बोल रहा है, यार.. ! अभी कहाँ जा रहा है, भाई.. ! मैंने तो सोचा था, आज रात भर इसकी तबीयत से लूँगा.. ! कल सुबह छोड़ूँगा, उसको घर.. !
अंकल का दोस्त हंस पड़ा और कहा – बहन चोद, साले.. ! एक ही दिन में फाड़ देगा, क्या.. ! रुला मत दियो, भाई.. ! जैसे उस दिन, उस शर्मा की बीवी को रुला दिया था.. !
अब अंकल भी हंसने लगे और बोले – नहीं यार.. ! इसको, रुलाऊँगा नहीं.. ! इसको प्यार से चोदूंगा.. ! ताकि रोज़ तरसे, मेरे बिस्तर पर आने के लिए.. ! बहुत दिन लगाए हैं, इसने बिस्तर पर आने के लिए.. ! अब ये तडपेगी.. ! पति आ भी गया तो भी, मेरी पास आकर रोज़ यही कहेगी – चोदो ना जान, मेरी चूत.. !
अंकल के दोस्त ने अब हंसते हुए कहा – फिर हमें कब मौका मिलेगा, ऐसी “प्यारी और प्यासी चूत” मारने का.. !
अंकल ने कहा – अभी नहीं, यार.. ! अभी ये पूरी तरह सेट हो जाए.. ! फिर, तुम सब ले जाना पर अभी नहीं.. ! पता चला की मैं भी आगे, कभी ना ले सकूँ और फिर कहीं चिल्लाने विल्लाने ना लगे.. ! पहला दिन है, भाई रंडी का.. ! पहले दिन, एक ही “ग्राहक” बहुत है.. ! सब्र करो.. ! कद्दू काट तो गया ही है, अब सब में बँट भी जल्द ही जाएगा.. !
मेरे दोस्त के पापा, मेरी मम्मी के बारे में ऐसी बातें कर रहे थे और मैं चुपचाप सुन रहा था।
वैसे मुझे अब कोई ताजूब नहीं होता, अगर मम्मी उनके दोस्त से भी अपनी चूत मरवा लेती।
सोचा तो मैंने पहले ये था की अंकल मम्मी की इज़्ज़त लूटेगें पर मम्मी ने तो अपनी इज़्ज़त अंकल को तोहफे में दे दी थी, उनके दोस्त को भी शायद दे दें।
खैर.. !
अब उनके दोस्त ने कहा – चल भाई, ठीक है.. ! सब्र कर लेता हूँ.. ! अब मैं जा रहा हूँ और तू ये रख, घर की चाभी.. !
और, वो निकल गये।
मैं फ़ौरन आड़ में हो गया।
उनके दोस्त कार में बैठे और मुझे ज़रा भी देखे बिना, निकल गये।
अंकल ने वहां से शराब की बोतल उठाई और दो ग्लास लेकर, अंदर चले गये और दरवाज़े बंद कर दिया।
उनके जाने के बाद, मैं वापस से बैडरूम की खिड़की के पास चला गया।
मेरी मम्मी कंबल के नीचे थीं, उन्हें ठंड लग रही थी।
अंकल आए और बिस्तर पर बैठ गये और दो ग्लास में दारू निकाल के, एक ग्लास मम्मी को दिया।
मम्मी उठ के बैठ गईं।
अभी भी उनके शरीर पर, एक भी कपड़ा नहीं था।
अंकल ने मम्मी से कहा – ये लीजिए दवाई पी लीजिए.. ! फिर, हम रात भर मज़े करेंगे.. !
वो मम्मी के पास आ गये और दोनों बिस्तर के सहारे लेट के दारू पीने लगे।
इस बार तो मम्मी ने “फॉर्मेलिटी” के लिए भी, उनको मना नहीं किया।
अब अंकल ने मम्मी के गालों पर हाथ रखते हुए कहा – महक जी, आपने मुझे बहुत सताया है.. ! कब से आपको चोदने की हसरत लिए, घूम रहा था.. ! चलिए देर से ही सही, पर आपने आज मेरे दिल की बात पूरी कर दी.. ! अब मैं आपको कभी अकेला फील नहीं होने दूँगा और ना ही आपको आपके पति की कमी महसूस होने दूँगा.. !
उन्होंने मम्मी को एक एक, करके 4-5 पैग पीला दिए।
मम्मी के ऊपर, धीरे धीरे “नशा” छाता जा रहा था।
इधर, धीरे धीरे मेरी माँ की “असली तस्वीर” मेरे सामने आती जा रही थी।
इसी बीच अंकल ने अपनी अंडर वियर निकाल दी और मम्मी के हाथ से ग्लास ले लिया।
फिर उन्होंने दारू की बोतल और दोनों ग्लास ले जाके टेबल पर रख दिया।
अब वो बिस्तर पर आकर घुटनों के बल बैठ गये और मम्मी के बालों को पकड़ते हुए, अपना लण्ड मेरी मम्मी के मुंह में दे दिया।
मम्मी ने भी लण्ड को अपने हाथ से रगड़ते हुए, उनके लण्ड को चूसना शुरू कर दिया।
अंकल – आअहह अहह अहह अहह अहह और ज़ोर से महक जी.. ! आ आ आ आ आ पूरा अंदर लीजिए.. ! उफ़फ्फ़.. ! – कहते हुए, मेरी मम्मी के मुंह मे अपना लण्ड आगे पीछे करने लगे।
अंकल बीच बीच में, अपना हाथ पीछे करते हुए मम्मी की पीठ सहला रहे थे।
फिर थोड़ी देर बाद, अंकल ने अपना लण्ड बाहर कर दिया।
उनके लण्ड पर मम्मी का पूरा थूक लगा हुआ था और चमक रहा था।
अंकल ने मम्मी को घुटनों के बल बैठा दिया और मम्मी के पीछे खुद घुटनों के बल बैठ गये और मम्मी की चूत में लण्ड रगड़ने लगे।
मम्मी – आ आ आहह आह आह आ ह ह आ ह ह ह आअ ह ह आ आ आ आ आ आ आ.. ! करने लगीं।
एकदम से उन्होंने मम्मी की कमर पकड़ते हुए, एक ज़ोर का धक्का दिया।
मम्मी बहुत ज़ोर से चीख पड़ी – आ आ ह ह आ ह आह आअ माह ह ह ह ह ह.. ! मर रर...र र र... गई आईईईईई… ! नही ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई.. ! आइया आ ह आहह आह आ.. !
अंकल का पूरा लण्ड, एक ही बार में मेरी मम्मी की चूत के अंदर चला गया था।
अंकल ने लण्ड को बाहर निकाला और फिर से धक्का मारा।
फिर वो धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करने लगे और अपने “9 इंच के लण्ड” को मेरी मम्मी की “कसी हुई चूत” में पेलने लगे।
अंदर बाहर, अंदर बाहर करने लगे।
मम्मी – आ अहह आ अहह अ ह अहह औह ह ओई ई ईई ई ई ह माआ अ ए या या माआ आ औहह ओफफ फफ फफ्फ़ ओफ फफ फफ्फ़ मा आआ। करने लगीं।
अंकल ने धक्का मारते हुए, मम्मी से कहा – महक जी, मज़ा आ रहा है ना.. !
मम्मी ने कहा – हाँ स स स स.. ! बहुत मज़ाआआ आ रहा है स स स.. ! पर दर्द, बहुत हो रहा है.. ! आ ह हह आ आ.. !
अंकल ने कहा – कुछ नहीं, महक जी.. ! सब ठीक हो जाएगा.. ! तुम बहुत टाइम से चुदी नहीं हो, इसी लिए तुम्हारी चूत बहुत टाइट हो गई है.. ! पर चिंता मत करो, मैं आज तुम्हारा पूरा रास्ता साफ कर दूँगा.. ! फिर ये आज के बाद, बंद नहीं होगा.. ! मेरी जान, आज के बाद तेरी हर रात मेरे बिस्तर पर गुज़रेगी.. ! तेरी हर रात को मैं, तेरी चूत को मस्त कर दूँगा.. !
फिर वो रफ़्तार बड़ा कर, मेरी मम्मी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे।
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बीच बीच में वो, एक दो थप्पड़ मेरी मम्मी के चूतड़ पर मार दे रहे थे।
उनके चूतड़ पर, अंकल के हाथ का निशान छप गया था।
मम्मी की गांड, एक दम “लाल” हो चुकी थी।
इधर, अंकल के हर धक्के से मम्मी का चुचे आगे पीछे हुए जा रहे थे।
अंकल ने लगभग, मम्मी को 5-7 मिनट तक ऐसे ही चोदा और उसके बाद, मम्मी के चूत से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
फिर वो झुक कर, मम्मी के गांड के पास आ गये और उनके छेद को फैला दिया।
अब वो उसमें, अपनी नाक डाल के उसे सूंघने लगे।
फिर उन्होंने अपनी दो उंगली अंदर घुसा दी और धीरे धीरे, मम्मी की गांड के छेद को चौड़ा करने लगे।
मैं समझ गया की अंकल, आज मम्मी की “गांड” भी मारेंगें।
कुछ देर के बाद, वो पीछे आ गये और झुक गये और अपना लण्ड मम्मी की गांड के छेद पर रख दिया।
अब उन्होंने मम्मी से पूछा – महक जी, गांड मरवाई है, आपने कभी.. !
मम्मी ने कहा – नहीं.. !
अंकल हंस पड़े और कहा – किसी से भी नहीं.. ! आपके पति ने भी नहीं मारी.. !
मम्मी ने कहा – नहीं.. ! मैंने उनको नहीं मारने दी.. !
अंकल ने कहा – जिस मर्द ने तेरी गांड नहीं मारी, उस पर धिक्कार है.. ! जब मैं तुझे जीन्स में देखता था, तब जी चाहता था, तेरी जीन्स को वहीं फाड़ के तेरी पैंटी निकाल के, तेरी गांड मार दूँ.. ! आज तुझे इसका एहसास करता हूँ.. !
मम्मी से कहा – भाई साब.. ! रहम कीजिए.. ! गांड मत मारिए, प्लीज़.. !
अंकल ने कहा – वो तो मैं, ज़रूर मारूँगा.. ! बेहतर है, आप साथ दें तो दर्द कम होगा.. ! एक काम कीजिए, हाथ पीछे करके अपने चूतड़ को फैला लीजिए.. !
मम्मी कुछ देर रुकीं, फिर उन्होंने वैसा ही किया।
उन्होंने, अपने दोनों हाथ पीछे कर दिए और चूतड़ को फैला लिया।
उनकी गांड का छेद, पूरा खुल गया।
अब अंकल ने बोला – छेद को ढीला छोड़ दो, जैसे सुबह टाय्लेट के टाइम छोड़ती हो.. !
फिर अंकल ने मम्मी के गांड के छेद पर लण्ड सेट करके, हल्का झटका दिया और उनका टोपा मम्मी की गांड के छेद में “भच” से चला गया।
मम्मी बहुत ज़ोर से चीख पड़ीं – नही ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई.. ! आइया आ ह आहह आह आ.. ! आ आ आआ आहह.. ! प्लीज़ नही ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई.. ! निकाल लो इसे बाहर.. !
अंकल ने कहा – महक जी, दर्द पल भर का है.. ! इसकी खुशी जिंदगी भर रहेगी.. !
और उन्होंने फिर से, एक और धक्का मारा।
मम्मी की चीख के साथ इस बार उनके मुँह से गाली निकल गई – मा दर चोद स स स स स स स स स स.. !
मैंने सोचा बस यही बचा था तो मम्मी को “गलियाँ निकालना” भी आता है।
इधर, अंकल हंस पड़े और बोले – चुदती हुई औरत के मुँह से गालियाँ खाना भी, कितना हसीन एहसास देता है.. !
अब तक अंकल का आधा लण्ड, मेरी मम्मी की गांड के छेद के अंदर चला गया था।
मम्मी की आँखों से अब, आँसू निकल रहे थे।
अंकल को इस बात का, कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था।
बल्कि उन्होंने कस के एक और धक्का मारा और उनका पूरा लण्ड, मम्मी की गांड में चला गया।
अंकल ने अब मम्मी से कहा – कितनी टाइट गांड है, आपकी महक जी.. ! अंदर ही नहीं जा रहा था.. ! एक दम “फ्रेश माल” हैं, आप.. ! साला लग ही नहीं रहा, दो बच्चों की अम्मा है तू.. ! अब तू, बस मेरी है.. ! और ये कहते हुए, उनकी गांड के अंदर बाहर लण्ड करने लगे।
मम्मी – अहह माँह ह ह ह ह ह ह ह ह ह मार डाला, तूने.. ! हरामी.. ! आ आ अहह अहहा अ माआ आ अम्म्म्म ममा आ आ आअ औहह.. ! करने लगीं।
ठप ठप ठप ठप ठप.. ! पट पट पट पट पट पट.. ! से पूरा कमरा गूँज रहा था।
अंकल ज़ोर ज़ोर से बड़ी बेरहमी से, मेरी मम्मी की गांड मारे जा रहे थे।
मम्मी बीच बीच में, उन्हें लण्ड बाहर निकालने को कह रही थीं पर अंकल में जैसे “जानवर” घुस गया था।
वो मम्मी की बात तक नहीं सुन रहे थे। लगातार, उनकी गांड मार रहे थे।
कुछ आधे घंटे के बाद, उन्होंने अपना लण्ड बाहर निकाला और – आ आ आ आ आ आ आ अहह.. ! करते हुए, मम्मी की गांड के छेद के अंदर ही अपना सारा वीर्य निकाल दिया।
फिर वो, मम्मी के बगल में लेट गये।
मम्मी ने बगल में पड़ी चादर से अपनी गांड की छेद पर लगा वीर्य साफ किया और वही लेट गईं।
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(भाग-2)
अंकल ने मम्मी को अपने सीने से चिपका लिया और मम्मी के गालों पर हाथ फिराते हुए कहा – महक जी.. ! आप बहुत अच्छी “सेक्स पाटनर” हैं.. ! कसम से कहता हूँ, आज तक इतना मज़ा मुझे किसी लड़की या औरत के साथ नहीं आया.. ! सच में आप बड़ी कोपरेटिव हैं.. !
फिर उन्होंने मम्मी को किस किया और मम्मी से कहा – महक, मैं जानता हूँ की आपके पति के बाहर रहने की वजह से, आप बहुत तनाव में रहती हैं.. ! आप आज से मेरे साथ ही रहेंगी और मैं आपको, किसी चीज़ की कमी नहीं महसूस होने दूँगा.. !
अब अंकल ने मम्मी को अपने सीने से चिपका लिया और अपने ऊपर कंबल डाल लिया और दोनों एक ही कंबल में नंगे ही लेट गये।
अंकल ने हाथ ऊपर करते हुए, लाइट ऑफ कर दी।
मुझे लगा शायद मम्मी और अंकल, अब आख़िरकार सोएंगे।
तो, मैं भी घर के लिए जाने लगा पर जैसे ही मैं दरवाज़े के पास पहुँचा, बारिश तेज़ हो गई।
मैंने सोचा की कुछ देर तक रुकता हूँ।
अंकल और मम्मी तो सो ही गये हैं और कुछ देर में, थोड़ी सी रोशनी भी हो जाएगी।
मैं वही दरवाज़े की सीढ़ी के पास बैठा गया और बारिश ख़तम होने और सुबह होने का इंतेज़ार करने लगा।
पर, बारिश तो पर बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी।
कुछ देर यूँही बैठे रहने के बाद, मैं बोर होकर वापस खिड़की के पास आ गया।
लाइट ऑफ होने के कारण, कुछ दिख नहीं रहा था।
बस धीरे धीरे, बात करने की आवाज़ आ रही थी और बीच बीच में पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट की आवाज़ आ रही थी।
बिस्तर से भी “चू चू” की हिलने की आवाज़ आ रही थी।
इतना तो मैं फ़ौरन समझ गया था की वो लोग अभी भी नहीं सोए हैं।
मुझे लगा, पता नहीं कहीं मम्मी को सुबह अस्पताल ही ना ले जाना पड़े।
तभी मम्मी की आवाज़ आई – आ आ आहह आ आ अहह मा आआ मा आ आ आ आ मा आआ अ मा आअ माआअ नाह हिई ई ओउू ऊहह ओई ई ईई ई ई.. ! प्लीज़, अब छोड़ दे.. ! तू इंसान है या जनवार.. ! इतना तो कोई रंडी को भी नहीं चोदता.. ! आ आ आ आ अहह अहह अहहा अ माआ आ अम्म्म्म ममा आ आ आअ.. !
इधर, कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थीं।
अचानक अंकल की आवाज़ आई – आ आ अहह महक.. ! आ आ आहह महक.. ! बस कुछ देर और साथ दे दे मेरा.. ! आ आ आ बहुत तड़पाया है, तूने.. ! उंह हा आ आ आ आ आ आ आ.. ! तुझे पाने के लिए, मैंने बहुत जतन किए हैं छीनाल.. !
मम्मी ने कहा – जब मैं जिंदा ही नहीं बचूंगी तो किस के साथ करोगे.. !
अब मम्मी की आवाज़ से कमज़ोरी, साफ साफ झलक रही थी।
अंकल ने कहा – जानू, बस कुछ देर और अपनी चूत से मेरे लण्ड की गरमी को शांत कर दो.. ! और वो फिर से, पट पट पट पट पट पट करके मम्मी को चोदने लगे।
मम्मी कुछ देर – आ आहह आ आ अहह आ अहह.. ! करती रहीं। फिर, एकदम शांत हो गयीं।
एक पल को मुझे ऐसा लगा, कहीं मम्मी निकल तो नहीं लीं।
पर तभी अंकल की आवाज़ आई – रो मत, मेरी रानी.. ! एक बार शांत कर दे मुझे, फिर छोड़ दूँगा.. !
मम्मी की चूडी और पायल की “छन छन” की आवाज़ गूँज रही थीं पर उनकी कोई आवाज़ नहीं आ रही थी।
हल्की हल्की रोने की सिसकी, कभी कभी सुनाई दे जाती थी।
पर अंकल लगातार, मेरी मम्मी को चोदे जा रहे थे।
मुझे लग रहा था की अंकल आज, मम्मी को मार डालेंगें।
अब सच में ऐसा ही लग रहा था की मम्मी की इज़्ज़त लूट रही थी।
पराया मर्द, औरत पर रहम तो ख़ाता नहीं सो अंकल को भी मम्मी की हालत पर तरस नहीं आ रहा था।
कुछ देर बाद, अंकल ने कहा – महक ग़लती मेरी नहीं है.. ! तेरे जैसी औरत जिसके पास भी होगी, वो रात भर सो नहीं पाएगा.. ! तेरे पति ने कभी नहीं चोदा क्या रात भर.. !
मम्मी की कोई आवाज़ नहीं सुनाई दी।
अंकल, फिर उन्हें फट फट करके चोदने लगे।
लगभग 10 मिनिट तक अंकल ने मेरी निढाल पड़ी मम्मी को चोदा और उसके बाद – आ आ आ आ आ आआ आआ आअहह करते हुए, थोड़े शांत से हो गये और बस फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच की आवाज़ आने लगीं।
अंकल ने मम्मी से कहा – बस हो गया, महक.. ! अब, रोना बंद करो.. ! सच में अब नहीं करूँगा.. !
उसके बाद, उन्होंने हाथ उठा कर लाइट जला दी।
मैंने देखा, अंकल मम्मी से लिपटे हुए थे और दोनों पसीने में लथपथ थे।
उनके ऊपर कंबल नहीं था, वो नीचे गिरा हुआ था।
मम्मी ऐसे पड़ीं थीं, जैसे उनके अंदर जान ही ना हो।
अंकल के लण्ड पर वीर्य लगा हुआ था।
फिर अंकल ने मम्मी की पैंटी से उनका लण्ड साफ किया और फिर मम्मी की चूत पर लगा, उनका वीर्य साफ किया।
कुछ देर बाद मम्मी लड़खड़ाती हुई उठीं और बोलीं – मैं आती हूँ.. ! और वो, बाथरूम करने चली गईं।
अंकल ने अपनी पैंट की जेब से सिगरेट निकाली और पीने लगे।
सिगरेट पीते पीते, उन्होंने अपनी ग्लास मे दारू डाल ली और बिस्तर पर नंगे लेट गये।
कुछ देर बाद, मम्मी निकल के आईं और बिस्तर पर लेट गईं।
अंकल ने मम्मी को अपने पास खींच लिया और अपने से चिपका लिया और पूछा – जानू, नींद आ रही है.. !
मम्मी ने बड़े धीरे से कहा – हाँ.. !
अंकल ने कहा – ठीक है, अब कुछ नहीं करूँगा.. ! और, उनके लिप्स पर हल्का सा किस किया।
अंकल ने कहा – महक, आज से पहले मुझे इतनी शांति किसी औरत ने नहीं दी.. ! तू एक “संपूर्ण औरत” है, जो हर मर्द चाहता है.. !
मैंने देखा, मम्मी अंकल की छाती पर कभी किस कर रही थीं तो कभी अपने गाल, वहां रख के प्यार दिखा रही थीं।
मम्मी ने उनसे पूछा – क्या उनकी वाइफ जानती है की अंकल मम्मी के साथ हैं.. !
अंकल ने कहा – मेरी वाइफ की चिंता, तुम मत करो.. ! उसको कुछ पता नहीं चलेगा.. ! और, अंकल ने अपनी सिगरेट बुझा दी।
ग्लास में फिर से दारू ली और ग्लास टेबल पर रख दिया।
फिर वो बिस्तर से नीचे उतर कर, बाथरूम चले गये।
मम्मी वहीं, चुपचाप लेटी हुई थीं।
अंकल आए और उनके बगल में लेट गये और मम्मी को लिप पर किस करने लगे।
थोड़ी देर पहले, बिल्कुल निढाल पड़ी मम्मी भी उनका साथ देने लगीं।
अब अंकल ने नीचे से कंबल उठाया और दोनों के ऊपर डाल दिया।
फिर मम्मी को अपने सीने से चिपका के चूमने लगे।
अंकल ने मम्मी से पूछा – अब नींद तो आ नहीं रही है.. !
मम्मी ने कहा – आ रही है पर लग नहीं रही.. ! शायद, थकान के कारण.. !
इधर, मैं अंकल के हाथ का हिलना साफ देख रहा था।
साफ पता चल रहा था की वो कंबल के नीचे, मेरी मम्मी की चूत रगड़ रहे हैं।
कुछ देर बाद, मम्मी ने कहा – अब सोने दीजिए.. ! वैसे भी अब कुछ महसूस ही नहीं हो रहा है.. ! अभी सो जाइए, आप जब भी बुलाएँगे, मैं आ जाया करूँगी, आपके पास.. ! मैं बहुत थक गई हूँ.. ! महसूस ही नहीं हो रहा की मेरी चूत और मम्मे हैं भी की नहीं.. !
अंकल ने कहा – बस महक, एक बार और करने दे.. ! उसके बाद, तू जैसा बोलेगी, मैं जिंदगी भर वैसा ही करूँगा.. !
मम्मी ने कहा – प्लीज़, भाई साब.. ! इस बार सच में, मेरी जान निकल जाएगी.. !
अंकल को कोई फ़र्क नहीं पड़ा और धीरे धीरे करके, वो मम्मी के ऊपर आ गये।
फिर उन्होने, कंबल को अच्छे से लपेट लिया।
मुझे बस अंकल और मम्मी का चेहरा दिख रहा था।
अंकल लगातार, मेरी मम्मी के होंठों को चूस रहे थे।
मम्मी किसी “मोम की गुड़िया” की तरह पड़ी थीं।
अब कंबल के नीचे से, अंकल ने अपना लण्ड सही किया और एक धक्का मारा।
मम्मी थोड़ी सी हिलीं और छत की तरफ देखती हुई, वैसे ही पड़ी रहीं।
अंकल ने कहा – बस महक.. ! हो गया.. ! आ आ आ अहह.. !
मम्मी ने अब भी कुछ नहीं कहा और छत की तरफ टकटकी लगाए, देखती रहीं।
अंकल ने कहा – कुछ देर और महक.. ! और, एक और धक्का मारा और धीरे धीरे, मम्मी की चूत मे लण्ड ठुसने लगे।
मैंने देखा, अब मम्मी की आँखों से आँसू निकल रहे थे पर वो वैसी ही पड़ी हुई थीं।
अंकल बड़ी बेशरमी से मेरी मम्मी के आँसू चाटते हुए, उन्हें चोदने लगे और ठप ठप ठप ठप ठप की आवाज़ आने लगी।
मम्मी के चेहरे पर कोई “भाव” नहीं था।
ना दर्द का। ना चुदाई का।
बस उनकी आँखों से आँसू टपक रहे थे और वो एक टक छत की तरफ देख रहीं थीं।
उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था की अंकल उन्हें चोद रहे हैं या क्या कर रहे हैं।
असल में, अंकल को भी मम्मी की हालत से कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था।
वो अपनी मस्ती में ही कहते जा रहे थे – महक, तेरी चूत में एक अलग मज़ा है.. ! सुकून है.. ! ठंडा कर दे, मुझे रानी.. ! आ आ आ अहह.. !
अंकल, अब मेरी “जिंदा लाश मम्मी” को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे।
मम्मी की तरफ से, बस उनकी चूडी और पायल की छन छन की आवाज़ आ रही थी और किसी भी तरह से नहीं लग रहा था की वो जिंदा हैं.. !
बस बस हो गया.. ! आ आ आहह.. ! की आवाज़ के साथ, अंकल शांत हो गये और धीरे धीरे, कमर हिलाने लगे।
उन्होंने अपना वीर्य मेरी मम्मी की चूत में गिरा दिया और अब वो उन के ऊपर लेट गये।
बस, हो गया.. ! अब सच में नहीं करूँगा.. ! आँसू पोछ लो.. ! अब नहीं करूँगा, तुम्हारी कसम.. ! ये बोलते बोलते, अंकल ने लाइट ऑफ कर दी।
कुछ देर तक, अंकल कुछ कुछ बोलते रहे पर मम्मी की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा था।
मुझे डर था की कहीं मम्मी को सुबह तक कुछ हो ना जाए पर मैं कुछ नहीं कर सकता था।
#
रात के, नहीं नहीं सुबह के लगभग 5 बज गये थे और बारिश भी धीमी थी।
मैं घर के लिए निकल गया और अपने बिस्तर पर आने के बाद, कुछ देर तक मेरे दिमाग़ में वही सब चल रहा था।
मेरे बेस्ट फ्रेंड के पापा ने, मम्मी को चोदा है।
मैं कुछ नहीं कर सकता था क्यूंकि अंकल ने मेरी मम्मी के साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं की थी और उन्होंने मम्मी को उनकी मर्ज़ी से चोदा है।
पापा को बताने का मतलब था, दोनों का “तलाक़”।
मैं श्लोक को भी बता नहीं सकता था क्यूंकि वो कभी नहीं मानेगा।
अगर आँखों से नहीं देखा होता तो मैं भी नहीं मानता की मेरी मम्मी उसके पापा से चुद कर आई हैं। फिर, वो कैसे मानता।
मैं ये भी नहीं समझ पा रहा था मम्मी पर गुस्सा आना चाहिए या आख़िर में जो उनकी हालत थी, उस पर तरस।
ऐसे ही ये सब सोचते सोचते, मेरी आँख लग गई।
#
सुबह 9 बजे के करीब, जब मैं जागा तब भी मम्मी घर नहीं आई थीं।
लगभग एक घंटे बाद, कॉल बेल बजी।
मैंने दरवाज़े खोला।
मम्मी ही थीं।
उनकी आँखों में नींद भरी हुई थीं और अभी भी वो बहुत थकी हुई लग रही थीं।
उन्हें अभी भी खड़े होने के लिए, दरवाज़े का सहारा लेना पड़ रहा था।
मैंने मम्मी से पूछा – मम्मी, आप कहाँ थीं, रात भर.. ! ??
मम्मी ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर, मुझसे साफ साफ झूठ बोल दिया और कहा की वो एक आंटी की तबीयत खराब होने पर, उनके के साथ चली गई थीं उनको घर छोड़ने और बारिश की वजह से, आंटी ने उन्हें घर पर ही रोक लिया।
मैंने भी उनसे, कुछ नहीं कहा।
मैं उन्हें ये नहीं जानने देना चाहता था की मैंने सब देखा है।
फिर उन्होंने कहा – बेटा, मैं बहुत थक गई हूँ.. ! मैं सोने जा रही हूँ.. !
अंदर जाकर, उन्होंने अपने रूम को अंदर से बंद कर दिया और सो गईं।
उनकी नींद, रात के 9 बजे खुली।
मैंने मम्मी के लिए चाय बनाई और फिर वो नहाने चली गयीं।
नहा के आने के बाद, मम्मी एकदम सामान्य हो गईं।
उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था की कल पूरी रात, वो एक गैर मर्द के साथ थीं।
जैसा की मैंने अपनी पिछले अपडेट में बताया था की मेरे दोस्त श्लोक के पापा ने उस नाइट को सारी रात, मेरी मम्मी को चोदा और अगले दिन मम्मी घर आई और सो गईं।
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3 बजे के करीब, मैं बाथरूम गया।
मेरी मम्मी की “पैंटी और ब्रा” रोड पर, टंगी हुई थी।
मैंने सबसे पहले बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और मम्मी की पैंटी, रोड पर से उतारी क्यूंकि मैंने उसमें सफेद दाग देखा नॉर्मली मेरी मम्मी के पास पुरानी पैंटी ब्रा नहीं होते।
वो कुछ दिन उसे पहनने करने के बाद, नये खरीद लेती हैं।
इसी लिए, मैं देखना चाहता था मम्मी की पैंटी के गांड वाले हिस्से पर दाग लगा हुआ था और उनकी पैंटी सुखी हुई थी। शायद, मम्मी ने उन्हें धोया नहीं था।
तब मुझे याद आया, मम्मी ने रात में कई बार अंकल के लण्ड से निकला वीर्य साफ किया था।
ये उसी का, दाग था।
मैंने मम्मी की पैंटी, वहीं रोड पर रख दी।
शाम को, मम्मी सो के उठीं।
मैंने उनको, चाय बना के दी।
मम्मी ने चाय पी, उसके बाद वो खाना बनाने चली गईं।
मैं भी, अपने रूम में पढ़ने चला गया।
मेरे दिमाग़ में, कल रात की बात घूम रही थी।
मैं सोच रहा था, श्लोक को सारी बात बताने का लेकिन, वो कभी नहीं मानता ये मैं और आप भी जानते हैं।
थोड़ी देर के बाद, मैं कमरे से बाहर निकला।
मम्मी, किचन में नहीं थीं।
सब्ज़ी “सिम आँच” पर चड़ी हुई थी और मम्मी, अपने कमरे में थीं।
मैं, बालकनी के तरफ गया।
मम्मी, फोन पर बात कर रही थीं।
चुकीं लाइट बंद थी बालकनी की, इस लिए मम्मी ने मुझे देखा नहीं।
मैं रूम में ही, दीवार के दूसरे साइड खड़े हो गया।
मम्मी की, धीरे धीरे बात करने की आवाज़ आ रही थी।
जैसे – मुझे बहुत डर लग रहा है.. !! किसी को मालूम चल गया तो.. !! – फिर वो चुप हो गईं।
थोड़ी देर बाद, मम्मी की आवाज़ आई – नहीं.. !! अब दर्द कम है.. !!
अब वो फिर से, चुप हो गईं।
फिर, आवाज़ आई – नहीं नहीं.. !! कल नहीं.. !! प्लीज़.. !! कोई देख लेगा.. !!
फिर, एक अंतराल।
फिर उन्होंने कहा – नहीं प्लीज़.. !! कल नहीं.. !! मेरा बेटा देख लेगा.. !!
इस बार, वो कुछ लंबे समय के लिए चुप थीं।
इस बार, उन्होंने कहा – मुझे बहुत डर लग रहा है.. !! आप, समझ क्यूँ नहीं रहे हैं.. !!
फिर, एक लंबी खामोशी।
उसके बाद, मम्मी की आवाज़ आई – मैं रात में मैसेज करती हूँ.. !! बाइ.. !!
मैं फटाफट, अपने कमरे में चला गया।
मम्मी, कुछ देर वहीं बालकनी में थीं।
उसके बाद, वो किचन में गईं और जाकर सब्ज़ी उतारी और रोटी बना के टीवी देखने लगीं।
रात को 10 बजे, हमने खाना खाया।
मम्मी, बहुत ही “चिंतित” दिख रही थीं।
ऐसा लग रहा था, उनका ध्यान यहाँ नहीं है।
कहीं, खोई हुई हैं।
बीच बीच में, उनका फोन बज रहा था जो वो काट दे रही थीं।
खाना खाने के बाद, मैं अपने कमरे में सोने चला गया और मम्मी अपने कमरे मे चली गईं।
सुबह उठ के मम्मी ने मेरा लंच बॉक्स तैयार किया और मैं 6:30 को अपने कॉलेज की बस पकड़ के चला गया और 3 बजे, घर लौट के आया।
मैंने जब कॉल बेल बजाया, तब मम्मी सो रही थीं।
आम तौर पर, मम्मी दिन में सोती नहीं थीं क्यूंकि मेरे आने के बाद वो मुझे लंच देती थीं।
आज, मम्मी सो रही थीं।
खैर, कुछ देर कॉल बेल बजाने के बाद मम्मी उठ गईं।
मैंने पूछा – मम्मी आप ठीक हैं ना.. !! क्या हुआ.. !!
मम्मी ने कहा – कुछ नहीं हुआ है.. !! सब ठीक है.. !! बस, आँख लग गई.. !! और, मेरे लिए लंच लाकर दिया।
मैंने खाना खाया और मम्मी का फोन लिया, गेम खेलने के लिए क्यूंकि उस समय, मेरे पास अपना फोन था नहीं।
मम्मी, टीवी देख रही थीं।
मैं गेम खेल रहा था तभी “टू टू” करके आवाज़ आई।
मैंने देखा, मोबाइल पर मैसेज था।
मैंने जैसे ही क्लिक किया, जिस नंबर से ये मैसेज था उस पर श्लोक के पापा का नाम लिखा था।
मैंने खोल लिया और देखा, उस पर लिखा था – फिर, क्या इरादा है.. !! ??
मैंने स्क्रोल किया और सारे मैसेज, पढ़ लिए।
11:30 से लेकर 2 बजे तक का मैसेज था।
अंकल – दर्द तो नहीं हो रहा.. !!
मम्मी – कम है, थोड़ा.. !! सूजन (स्वेल) हो गया है.. !!
अंकल – हाँ.. !! मैं थोड़ा, बेकाबू हो गया था.. !!
थोड़ी देर बाद…
अंकल – सो गई.. !! ??
मम्मी – नहीं.. !!
अंकल – कुछ बोल ना.. !!
मम्मी – आपकी, वाइफ कहाँ हैं.. !!
अंकल – सो रही हैं.. !!
मम्मी – अब, आप भी सो जाइए.. !!
अंकल – नींद नहीं आ रही है.. !!
मम्मी – क्यों.. !! ??
अंकल – बोलो ना.. !! कल, आ जाऊं ना.. !!
मम्मी – नहीं.. !! प्लीज़ कल नहीं.. !!
अंकल – क्यों.. !! तुम्हारे लाल के कॉलेज जाने के बाद, आऊंगा.. !! प्लीज़, एक बार.. !! धीरे करूँगा.. !! प्लीज़.. !!
मम्मी – बात को समझिए.. !! प्लीज़, अभी तो दर्द भी गया नहीं है.. !! कम हो जाए थोड़ा, फिर.. !! प्लीज़.. !! मना तो नहीं कर रही.. !!
अंकल – महक, प्लीज़ यार.. !! तुम भी तो ना जाने, कब से तड़फ़ रही हो.. !! अब मौका मिला तो पीछे हट रही हो.. !! मैं बिल्कुल धीरे धीरे करूँगा.. !! प्लीज़.. !!
मम्मी – ठीक है.. !! बस, एक बार लेकिन.. !!
अंकल – ठीक है, जानू.. !! कितने बजे.. !!
मम्मी – 9 बजे के बाद.. !!
अंकल – आइ लव यू, जान.. !!
उसके बाद का मैसेज, अभी का मैसेज था।
थोड़ी देर बाद, फिर एक मैसेज आया।
अब मैंने फोन जाके, मम्मी को दे दिया।
अपना दिमाग़ खराब करने का क्या मतलब।
फिर कुछ देर बाद, श्लोक आया और हम लोग क्रिकेट खेलने चले गये।
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लेकिन वो कहते हैं ना “गांड में कीड़ा” इसलिए, कुछ दिन तक रोज़ लगभग मैं मम्मी के मैसेज पढ़ता था।
मुझे आज भी याद है, 26 जनवरी का दिन था और सोसाइटी के सब लोगों को बुलाया गया था।
श्लोक ने कहा – चल यार, निकल चलते हैं.. !! बोर होंगे.. !!
थोड़ी देर बैठने के बाद, हमने ऐसा ही किया और हम वहां से निकल के अपने घर के लिए आ गये।
श्लोक ने कहा – चल, मैं चलता हूँ तेरे घर.. !! लेकिन, मैं आज खुद नहीं चाहता था की श्लोक आए, मेरे साथ.. !! क्यूंकि मेरे मन में जो शक था की अंकल मेरे कॉलेज या कहीं जाने के बाद आते हैं.. !! वो, मैं दूर करना चाहता था.. !! इसी लिए.. !!
मैंने उसे कहा – यार, शाम को मिलते हैं.. !! मेरी कुछ तबीयत ठीक सी नहीं है.. !!
उसने कहा – ठीक है, यार.. !! तू आराम कर.. !! और, मैं अपने घर के लिए चल पड़ा।
दरवाजा बंद था।
मैंने पहले से ही दूसरी चाबी छुपा के रखी थी, जिससे मैंने दरवाज़ा धीरे से खोला और चुपके से अंदर आ गया।
हमारा, घर कुछ ऐसा है।
घुसते ही, हॉल है।
हॉल में ही टीवी और सोफा है।
सीधे हाथ पर मेरा कमरा है और उल्टे हाथ में मम्मी और पापा का कमरा है।
हॉल के बालकनी में परदा लगा हुआ था और पूरा अंधेरा हो रहा था और मम्मी के कमरे से आवाज़ आ रही थी।
मैं धीरे धीरे, दरवाज़े के पास गया।
मैं उस वक़्त, कांप रहा था।
मम्मी के रूम का दरवाज़ा, आधा खुला हुआ था।
सबसे पहले मुझे ज़मीन पर पड़ी, मेरी मम्मी की नाइटी और पैंटी, ब्रा दिखी और जैसे मैंने नज़र उठाई, मैं देखता रह गया।
मेरी मम्मी और अंकल, एक ही पलंग में थे।
अंकल ने अपने दोनों हाथों से, मेरी मम्मी के हाथ पकड़े हुए थे और मेरी मम्मी अपने सिर को इधर उधर करते हुए – आ आ अहह आ आ आ आ आ आहह आ आ आ आहह माआ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ अहह औहह ओई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई मा आ आ आ आ आ आअ आ आ आ सस्स्स्स्स् सस्स ओफ फ फ फफ्फ़ ओफ फफ्फ़.. !! बस कीजिए.. !! आ आ आ अहह.. !! मा आआ.. !!
अंकल ने कहा – बस हो गया, जानू.. !! हो गया.. !!
इधर, मम्मी “आ आ आहह” कर रही थीं।
मैं वहां 2 मिनट, निस्तेज खड़ा रहा।
अंकल, उसी तरह से मेरी मम्मी को मेरी आँखों से सामने चोद रहे थे।
आँखों के सामने, मेरी माँ चुद रही थी।
लगातार, मेरी मम्मी की सिसकारियों की आवाज़ मेरे कानों में आ रही थी।
मैं चुप चाप खड़ा था और “अपनी माँ चुदते” देख रहा था।
कुछ देर बाद, उसी तरह जैसे मैं आया था, वैसे मैंने दरवाज़ा बंद किया और घर से निकल के, श्लोक के यहाँ चला गया।
श्लोक ने पूछा – क्या हुआ, भाई.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं, यार.. !! मैं कुछ देर, तेरे यहाँ रहता हूँ.. !!
उसने कहा – पर तेरी तो तबीयत खराब थी.. !!
मैं अब कुछ, रुआंसा सा हो गया।
उसे, कुछ मालूम नहीं था।
तभी आंटी ने कहा – बेटा, क्या हुआ.. !! तुम ठीक हो ना.. !!
मैंने अपने आप को संभालते हुए कहा – जी आंटी.. !!
आंटी ने खाने को, नाश्ता दिया।
मैंने खाया और लगभग एक घंटे के बाद, मैं अपने घर के लिए निकला।
अभी मैं रोड पर ही था की मैंने दरवाज़े से अंकल को निकलते हुए देखा।
मैं चुप चाप, अपने घर के लिए चला गया।
मैंने, कॉल बेल बजाया।
मम्मी ने दरवाज़ा खोला।
उन्होंने, अभी नाइटी पहन रखी थीं और शायद पैंटी और ब्रा नहीं पहना हुआ था इस लिए की उनकी चुचि साफ शेप मे दिख रही थी।
पूरी “तनी” हुई थी।
मैं अंदर गया और मम्मी ने कहा – मैं नहा के आती हूँ.. !! उसके बाद, खाना खाते हैं.. !!
मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदल के, घर के कपड़ों में आ गया।
मम्मी, बाथरूम में थीं।
मैं उनके कमरे में गया।
चादर, उसी तरह बिखरा हुआ था और बिस्तर पर मम्मी की एक टूटी चुडी का टुकड़ा, गिरा हुआ था।
मुझे पैर के नीचे थोड़ा लगा, जैसे कुछ फिसल रहा है।
मैंने झट से, अपना पाँव हटाया।
नीचे कॉन्डम था और उसमें, अंकल का “वीर्य” भरा हुआ था।
मेरे पाँव रखने से, फैल गया था।
मैंने सबसे पहले जाके, अपना पाँव धोया और अपने बिस्तर पर चुप चाप बैठ गया।
पढ़ने वालों में से शायद ही कोई हो, जो मेरी स्थिति समझे।
मम्मी नहा के आईं और अपना स्कर्ट और टॉप पहन के, कमरे से बाहर आ गईं।
मेरी मम्मी ने सफेद स्कर्ट पहन रखी थी और नीले रंग की टॉप।
मम्मी की स्कर्ट, बहुत छोटी सी थी और जैसे ही वो थोड़ा इधर उधर होतीं, उनकी नीली पैंटी साफ झलक रही थीं।
मम्मी ने खाना निकाला और हमने, खाना खाया।
उसके बाद, मम्मी अपने कमरे में चली गईं और सो गईं।
मैं अपने ही कमरे में था।
अब मेरी मम्मी अपनी मर्ज़ी से, अंकल को घर पर बुलाती हैं।
पिछले कुछ दिनों मे अंकल ने ना जाने कितने बार, मेरी मम्मी को चोदा होगा।
पटक पटक कर, अपनी कुतिया बना कर।
और मेरी, दो कौड़ी की, रंडी माँ ना जाने कितनी बार, टाँगें उठा कर उससे चुदी होगी।
हर बार एक पति के, एक बेटे के भरोसे को, प्यार को, विश्वास को, उसने अपने नंगे बदन के नीचे, रोन्द डाला था।
अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।
खैर.. !!
ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।
सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।
एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।
हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।
भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।
अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।
खैर.. !!
ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।
सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।
एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।
हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।
भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।
और, एक मिनट के लिए ये भी सोचिए अगर मुझे, उनके बेटे को, अपनी जिंदगी “नर्क सी” लग रही थी तो मेरे अब्बू का क्या हाल होता, सुनने पर।
मैं सच में कमजोर नहीं था, दोस्तो।
बस एक परिवार को, एक घर को, बिखरने से रोक रहा था।
आप में से कई लोग क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया, जैसे सीरियल देखते होंगें।
ज़्यादातर क्राइम, “औरत की बेवफ़ाई” और “पैसे” के लिए होते हैं।
मैं नहीं चाहता था की मेरे घर में, ऐसा कुछ हो।
मैं आज कल दिन रात, सोचता रहता था।
इन सारी परिस्थिति को जानने के बाद भी आख़िर कार, मैंने फ़ैसला किया और मैंने तय कर लिया की अब मैं मम्मी पर नज़र रखूँगा और पापा से ये बात कह दूँगा।
बात ये थी की खोजबीन करने और श्लोक के घर जाकर, अंकल के कमरे के बाहर छुप कर उनकी बातें सुनने और पहले ही दिन अंकल और उनके दोस्तों की बातें सुनने से, मुझे ये तो पता चल गया था की मेरी मम्मी पहली औरत नहीं थीं जिनको अंकल ने चोदा है या चोद रहे हैं, बल्कि उनकी और उनके दोस्तों की फ़ितरत ही ये थी।
शायद आपको याद हो उनका दोस्त, वो पार्टी वाला, जो मम्मी को चोदना चाहता था और अंकल ने भी थोडा इंतेज़ार करने को कहा था।
मैं नहीं चाहता था की मेरी मम्मी, उन सब की “रखैल” बने।
मम्मी, पूरी तरह से अंकल के जाल में फँस चुकी थीं।
हमेशा फोन पर उनके साथ रहना, मैसेज पर देर रात तक चैटिंग करना।
मुझे याद है, आज जो घटना मैंने देखी थी उसके दो दिन पहले, मैंने मम्मी का मोबाइल चेक किया था।
3 बजे सुबह तक, दोनों की बातचीत थी।
मेरी मम्मी जिस सड़क पर चल रही थीं, वो सिर्फ़ “वैश्यालय” पर, ख़तम होती थी।
कभी कभी तो मैं मम्मी का अंजाम सोच कर ही, काँप जाता था।
अंकल मम्मी के सामने तो किसी “देव मूरत” के कम नहीं थे पर उनका असली चेहरा, कितना “घिनोना” था, ये सिर्फ़ मैं ही जानता था।
अगर, मेरे अब्बू पूरब थे तो अंकल पश्चिम।
और ऐसे बहरूपीए के लिए, मेरी अम्मी ने मेरे अब्बू की पीठ में खंजर घुसा दिया था।
खैर.. !!
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शाम को 5 बजे, मम्मी सो के उठीं और चाय बना कर लेके आईं।
मैं उस समय, पढ़ रहा था।
मैं चुप था।
मम्मी ने पूछा – क्या हुआ.. !! आज जब से आया है, चुप है.. !! खोया खोया भी रहता है, आज कल.. !! बात क्या है.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं.. !!
मम्मी ने कहा – क्या हुआ बोल ना, बेटा.. !!
उनके मुँह से बेटा सुनते ही, ना जाने क्यूँ मेरा खून खोल उठा।
मैंने अपने उपर संयम रखते हुए कहा – कुछ नहीं हुआ, मम्मी.. !! पढ़ने दो, बस.. !!
मम्मी 10 मिनट, बैठीं रहीं।
मैं बीच बीच में, तिरछी नज़र से देख रहा था।
वो, मेरी ही तरफ देख रही थीं।
कुछ देर बाद उन्होंने खड़ी होके, मेरे सिर पर हाथ फेरा और कमरे से निकल के उन्होंने जाते जाते, मेरे कमरे का दरवाज़े चिपका दिया।
मैं पढ़ने लगा या कहिए, कोशिश करने लगा।
मम्मी ने, टीवी चला ली।
मैं आधे घंटे तक, अपने कमरे में था।
उसके बाद, बाहर आया।
मम्मी, सोफे पर नहीं थीं।
टीवी, चल रहा था।
मम्मी हॉल वाले, बालकनी में थीं और फोन पर बात कर रही थीं।
मुझे लगा, अंकल का फोन है।
मैं उधर जाने लगा, बात सुनने के लिए।
मैं कुछ दूर गया था की अम्मी ने बालकनी का दरवाज़ खोल दिया और कहा – अफरोज़ बेटा, लो अपने अब्बू से बात करो.. !!
चलो, आज मेरा शक ग़लत था।
उस समय, फोन पर मेरे अब्बू थे।
अब्बू ने पूछा – क्या हुआ, मेरे बच्चे.. !! तुम्हारी अम्मी कह रही हैं, तुम कुछ बोल नहीं रहे हो.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं हुआ है, अब्बू.. !! बस, थोड़ा थका हुआ हूँ.. !! और फिर मैंने, फोन अम्मी को दे दिया।
पता नहीं क्यों, मैंने अब्बू से कुछ नहीं कहा।
ये बात, मुझे आज तक समझ में नहीं आई।
अगले दिन, मैं सुबह उठ के कॉलेज चला गया।
मैं जानता था की मेरे दोस्त के पापा, मेरी मम्मी को चोद रहे होंगे लेकिन मैं क्या कर सकता था।
वो मेरी मम्मी की इज़्ज़त नहीं लूट रहे थे, मम्मी अपनी मर्ज़ी से उनके नीचे लेट रही थीं।
उस दिन मैं घर पहुँचा, शाम के समय।
कॉलेज के बाद, ना जाने कहाँ कहाँ घूमता रहा।
मेरी मम्मी, बगल वाली आंटी के यहाँ गई थीं।
मैं मम्मी के, कमरे में था।
मैं उनके कमरे में बैठ के, पढ़ रहा था।
तभी, मैं बिस्तर से उठने लगा की मेरी किताब नीचे गिर गई।
मैं किताब उठाने के लिए, नीचे झुका।
मुझे 2 कॉन्डम दिखे।
मैंने हाथ बढ़ा के, उन्हें निकाला।
दोनों कॉंडम मे, वीर्य भरा हुआ था।
मैंने उसे वहीं रख दिया वापस।
3 दिन के बाद, श्लोक ने कहा – यार, चल आज कॉलेज बॅंक करते हैं.. !! एक मस्त पिक्चर लगी है.. !! मॉर्निंग शो चलते हैं।
फ्राइडे का दिन था और हमारे साथ 3 दोस्त और थे।
हमने उस दिन कॉलेज बस नहीं पकड़ा, लेकिन मेरे दिमाग़ में कुछ और प्लान था।
मैंने श्लोक से कहा – तू टिकेट ले ले.. !! मैं कुछ देर में आता हूँ.. !!
श्लोक ने कहा – कहाँ जा रहा भाई तू.. !!
मैंने कहा – तू टिकेट ले ले ना.. !! 12 बजे का शो है.. !! अभी बहुत टाइम है.. !!
उसने कहा – लेकिन, तू आ जाना यार, टाइम पर.. !!
मैंने कहा – यार, चिंता मत कर.. !! आ जाऊंगा.. !! और, मैं वहां से सीधे अपने घर के लिए निकल गया…
नीचे बेसमेंट में, मुझे अंकल की गाड़ी दिखी।
मैं तो पहले ही से जानता था की अंकल, मेरे ही घर में होंगे।
मैंने सबसे पहले, दरवाज़े के “की होल” से देखा।
हॉल में कोई नहीं था क्यूंकि कुछ आवाज़ आ नहीं रही थीं।
मैंने बहुत धीरे से, दरवाज़ा खोला।
सच में, कोई नहीं था हॉल में।
दोनों, मम्मी के रूम में थे।
रूम का दरवाज़ा खुला था, लेकिन पूरा नहीं।
बस, मुझे वो बिस्तर पर बैठे दिख रहे थे।
मैं जानता था, अगर मैं यहाँ खड़ा रहा तो ये लोग मुझे देख लेंगे।
मैं चुप चाप हॉल की बालकनी में चला गया और पर्दे को वैसा ही कर दिया, जैसे पहले था, ताकि उनको ये ना मालूम चले मैं घर में हूँ और उस बालकनी से सटी हुई, मम्मी के बैडरूम के बालकनी में चला गया।
मम्मी और अंकल, बिस्तर पर बैठे हुए थे।
अंकल ने अपनी पैंट शर्ट पहन रखी थी और मेरी मम्मी, उनकी बाहों में लेटी हुई थीं।
अंकल फोन पर बातें कर रहे थे, ऑफीस के लोगों से।
वो अपने स्टाफ को, लताड़ रहे थे।
मेरी मम्मी ने, टॉप और कैप्री पहन रखा था।
कुछ देर बात करने के बाद, अंकल ने फोन नीचे रख दिया।
मम्मी ने कहा – क्या हुआ.. !! इतना गुस्से में क्यों हैं, आज.. !!
अंकल ने स्टाफ को गली देते हुए कहा – साले बहन चोद.. !! एक काम नहीं करते, ठीक से.. !!
मम्मी ने कहा – क्या आप, कुछ देर के लिए आते हैं और उसमें में भी मूड ऑफ कर लेते हैं, अपना.. !!
अंकल ने मम्मी को पकड़ के ऊपर खींचा और कहा – अरे नहीं, मेरी रानी.. !! तेरे पास अपना मूड ठीक करने तो आता हूँ.. !! घर में बीवी से झगड़ा.. !! बाहर, स्टाफ की परेशानी.. !! मैं थक जाता हूँ.. !! बस तेरे पास थोड़ा आता हूँ, तो अच्छा लगता है.. !!
मम्मी ने अपना हाथ पीछे करते हुए, उनका गला पकड़ा और उनके होंठ पर किस किया और कहा – चलिए, अब शांत हो जाइए.. !!
अंकल ने मम्मी के बालों को पकड़ा और कहा – शांत ही तो होने आता हूँ, मेरी रानी.. !! और, मम्मी को देख के हँसे।
मम्मी ने भी मुस्कुराया और फिर अंकल ने उनके होंठ पर ज़ोर का चुम्मा लिया और मम्मी, उनके ऊपर आ गईं।
फिर वो, एक दूसरे को किस करने लगे।
अंकल ने मम्मी का चुत्तड़, कैप्री के ऊपर से कस के पड़ा और दबा दिया।
मम्मी ने “उम्मह” करते हुए, अपना हाथ पीछे किया और उनका हाथ हटाते हुए कहा – क्या कर रहे हैं.. !! दर्द होता है.. !!
अंकल ने धीरे से सहलाते हुए, कहा – सॉरी यार.. !! क्या करूँ, ऐसी गांड देख कर कंट्रोल नहीं होता.. !! चल, एक चाय पीला दे.. !! और, मम्मी उठ के चली गईं।
अंकल ने अपना लैपटॉप खोला और कुछ काम करने लगे।
मम्मी कुछ देर में, चाय ले के आ गईं।
अंकल ने चाय ली और अपना सिगरेट जलाया और पीने लगे।
साथ साथ में, लैपटॉप पर काम करने लगे।
मम्मी उनसे बार बार कह रही थीं, काम बंद करने को, पर अंकल नहीं मान रहे थे।
कुछ देर बाद, मम्मी गुस्सा करके बाहर चली गई और टीवी चला लिया।
टीवी की आवाज़, बाहर तक आ रही थी।
अंकल ने उन्हें थोड़ी देर बाद, आवाज़ दी पर अब मम्मी नहीं आ रही थीं।
अंकल ने अब लैपटॉप बंद किया और चाय पी के कप नीचे रख दिया और बाहर के हाल में, चले गये।
कुछ देर तक, बस टीवी की आवाज़ आ रही थी।
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(भाग-3)
कुछ ही देर बाद, अचनाक मैंने देखा अंकल मेरी मम्मी को अपने गोद में उठा के ला रहे थे।
मम्मी हंस रही थीं और कह रही थीं – नीचे उतारिये.. !! मैं नीचे गिर पड़ूंगी.. !!
अंकल ने कहा – नहीं गिरेगी, जानू.. !! मर्द हूँ मर्द.. !! और, मम्मी को बिस्तर पर लिटा दिया।
फिर उन्होंने झुक के उनके लिप्स पर एक किस किया और उसके बाद, अपनी शर्ट निकाल के कुर्सी पर रख दी।
उनके, शरीर के मसल दिख रहे थे।
शायद, इसी की मम्मी “दीवानी” हों।
उन्होंने बनियान नहीं पहन रखा था और उनके गले में एक सोने की मोटी चैन, लटक रही थी।
फिर उन्होंने, अपनी घड़ी निकाल के बगल में टेबल पर रख दिया।
मम्मी, घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ गईं।
अंकल, सामने खड़े थे।
उन्होंने मम्मी के बाल को पकड़ा और उनके होंठ को, चूमने लगे।
मम्मी ने अपने हाथ पीछे करके, अंकल के गले में डाल लिया।
अंकल, पुक्क पक फट फट फुच फच पुक्क पक फट फट फुच फच फुच फच फुच फच करके, मेरी मम्मी के होंठ चूसने लगे।
कभी ऊपर के, कभी नीचे के लिप्स।
अंकल बीच बीच में, मम्मी की चुचे उनके टॉप के ऊपर से दबा देते थे।
फिर उन्होंने देखते देखते, मेरी मम्मी की टॉप निकाल के ज़मीन पर फेंक दिया।
मेरी मम्मी ने ब्राउन कलर की ब्रा पहन रखी थी।
अंकल, फिर से मेरी मम्मी को चूमने लगे।
इस बार कभी गाल पर, कभी उनके गले पर, कभी लिप्स पर।
मम्मी ने हाथ नीचे करके, अंकल के बेल्ट को निकाल दिया और उनकी पैंट की बटन और ज़िप को खोल दिया और उनके अंडर वियर में हाथ डाल के, लण्ड सहलाने लगीं।
उन्होंने अंकल के अंडर वियर को भी नीचे कर दिया।
अंकल, लगातार मेरी मम्मी के जिस्म को चूम रहे थे।
फिर उन्होंने हाथ पीछे करके, मेरी मम्मी के ब्रा को निकाल दिया और ज़मीन पर फेंक दिया और एक हाथ से मेरी मम्मी के चुचे को पकड़ा और उनका निप्पल मुंह मे ले के एक बार चूसा।
उसके बाद, उन्होंने मेरी मम्मी को देखा।
मम्मी, अपने दाँतों से अपने होंठ को मसल रही थीं।
उन्होंने, एक और बार चूसा फिर, दूसरे चुचे को पकड़ा और उसे भी चूसा।
उसके बाद, धीरे धीरे उनके चुचे दबाते हुए, चूसने लगे।
मम्मी – आ आहह ह आ अहह आ आहह उनमह.. !! करने लगीं।
इसी बीच, मम्मी ने अपना मंगल सूत्र निकाला और टेबल पर रख दिया।
अंकल झुक के, मेरी मम्मी का पेट चाटने लगे।
उनकी नेवेल पर किस करने लगे और जीभ डाल कर, उसे चाटने लगे।
बीच बीच में, वो अपना हाथ पीछे ले जाके, कैप्री के ऊपर से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को दबा देते थे।
अब अंकल ने अपनी पैंट नीचे करके, निकाल के कुर्सी पर रख दिया और फिर, अंडर वियर भी उतार के, अपने बदन से अलग कर दिया और मेरी मम्मी के सामने, बिल्कुल नंगे हो गये।
आप को तो पता ही है, उनका लण्ड बहुत बड़ा था।
मम्मी ने इसी बीच, अपनी कैप्री निकाल कर बिस्तर पर रख दिया।
पैंटी आगे से ब्राउन रंग पर सफेद स्टाइप्स की थी और पीछे से पूरी ब्राउन।
मैं शायद ही कभी, अपने अंडर गारमेंट्स पर गौर करता हूँ पर मैंने नोट किया मम्मी, हमेशा बिल्कुल मस्त ब्रा पैंटी ही पहनती हैं।
फिर, वो सीधा हो के लेट गईं।
तभी अंकल का फोन आया और वो बिस्तर पर आकर बैठ गये और फोन पर बात करने लगे।
वो ठीक, मेरी मम्मी के पैरों के पास बैठे थे।
मम्मी ने अपने दोनों तलवों के बीच में, अंकल का लण्ड फँसा दिया और अपने तलवे ऊपर नीचे करने लगीं।
अंकल ने 2-3 मिनट फोन पर बात की और उसके बाद, अपना फोन बंद करके मम्मी के हाथ में दिया।
मम्मी ने फोन को, टेबल पर रख दिया।
उसके बाद, अंकल ने मम्मी की दोनों पायल निकल के मम्मी को दी और मम्मी ने उसे भी टेबल पर रख दिया।
अब अंकल ने मेरी मम्मी की एक टांग को उठा लिया और उनके तलवे चाटने लगे और उनकी पैर की उंगलियों को, अपने मुंह मे लेके चूसने लगे।
मम्मी ने अपने दाँतों से, अपने होंठों को काट लिया और – उम्मह अन्ह ह्म्म्म्म म.. !! करने लगीं।
अब मम्मी ने खुद ही, अपने दोनों हाथों से अपने चुचे पकड़े और दबाने लगीं।
अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के तलवे चाट रहे थे।
उसके बाद पाँव पर किस करते हुए, वो उनकी जांघों तक आ गये और मम्मी के टांगों का चौड़ा कर दिया और उनकी चूत के पास जा के पैंटी के ऊपर से, स्मेल किया और चूत के ऊपर किस किया।
अब मेरी मम्मी ने पैंटी खिसका के, साइड में कर दी।
अंकल, उनके पैरों के बीच में लेट गये।
उनका चेहरा, मेरी मम्मी के चूत के पास था।
कुछ देर मम्मी की चूत निहारने के बाद, उन्होंने मम्मी की चूत में दो उंगली घुसा दी और मम्मी के तरफ देखा।
मम्मी ने मुस्कुराया और उसके बाद, वो धीरे धीरे उंगली अंदर बाहर करने लगे।
मम्मी फिर से – उन्म इश्स आ आ आ आ आहह.. !! फूह माह ह्म्म्म्म ह्म.. !! करने लगीं।
अब अंकल ने मम्मी से पूछा – क्यूँ जानू, मज़ा आ रहा है.. !!
मम्मी ने सिर हिलाते हुए कहा – हा आंन्न.. !!
अंकल ने कहा – झांट बड़ी हो गयी है.. !! तू निकालती क्यों नहीं है.. !!
मम्मी ने कहा – आज निकाल लूँगी.. !!
अंकल ने कहा – मैं साफ कर दूँ.. !! और, दोनों हंसने लगे।
मम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया था।
अंकल की उंगली में, उनके चूत का पानी लग गया था।
अंकल ने अपनी उंगली मुंह मे ले के चाट ली और फिर, मेरी मम्मी की पैंटी निकाल दी।
मम्मी, उनकी तरफ देख रही थीं।
उन्होंने मम्मी की पैंटी को अपने नाक के पास सटाया और स्मेल किया।
उसके बाद, वहीं बिस्तर पर रख दिया।
मम्मी की जांघें को एक बार फिर से अड्जस्ट करके, वो वापस से लेट गये और मेरी मम्मी की चूत चाटने लगे।
मम्मी ने कहा – आ आ आ अहह.. !! बस कीजिए.. !! आ आ अहह…
अंकल ने मम्मी के तरफ देखा, मुस्कुराए और फिर से उनकी चूत चाटने लगे।
मम्मी ने अपने हाथ से अंकल के सिर के बाल पकड़ लिए और – आ आहह ह आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !! करने लगीं।
मम्मी ने दुबारा कहा – अब, बस कीजिए ना.. !!
इस बार अंकल हट गये और मेरी मम्मी के बगल में आकर लेट गये और उनके लिप्स पर थोड़ी देर किस किया और फिर उठ के बैठ गये और अपनी टांगों को फैला लिया।
मेरी मम्मी तुरंत उनकी टांगों के बीच में लेट गईं और अंकल का लण्ड पकड़ के, सहलाने लगीं।
अंकल, बड़े प्यार से मेरी मम्मी के बाल को सहला रहे थे।
मम्मी लंड सहलाते सहलाते, लगातार अंकल को देख रही थीं।
थोड़ी देर बाद, अंकल ने कहा – चूसो ना.. !!
मम्मी ने उनके लण्ड की चमड़ी को पकड़ के, नीचे कर दिया।
उनका लण्ड का टोपा, बाहर निकल के आ गया।
मम्मी ने उस पर एक किस किया और जीभ बाहर निकल के चाटा, उसके बाद धीरे से लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं।
अंकल – आ अहह आ अहह वाआह.. !! महक, बहुत मज़ा आ रहा है.. !! तुम्हें पता है, मुझे औरतें इसीलिए पसंद हैं.. !! तुम जानती नहीं, लड़कियों को.. !! अपनी चूत तो मज़े से चटवा लेंगीं, लेकिन जब लंड चूसने को बोलो तो उन्हें घिन आती है.. !!
मम्मी ने उनका लण्ड निकाला और मुस्कुरा के, दुबारा मुंह में ले लिया।
कुछ देर तक मम्मी ऐसे ही, अंकल का लण्ड चूसती रहीं।
उनका लण्ड, तन के बहुत कड़क हो गया था।
फिर मम्मी बोली – अब उन बेचारी को क्या पता.. !! बिना मुँह में लिए, लंड इतना कड़क और मोटा नहीं होता.. !!
अंकल बोलो – मेरी जान, इसलिए तो मर्द को औरत का तजुर्बा पसंद होता है.. !!
अब अंकल पूरा लेट गये और उन्होंने, अपने सिर के नीचे तकिया रख लिया और मम्मी से उल्टा लेटने के लिए कहा।
मम्मी आकर, उनके ऊपर उल्टा लेट गईं।
अंकल ने अब एक हाथ की दो उंगलियों को मेरी मम्मी की चूत में घुसा दिया और दूसरे हाथ से, उनके एक चुचे को पकड़ लिया।
अब वो एक हाथ की उंगलियों से, उनकी चूत चोदने लगे और दूसरे से, उनके चुचे मसलने लगे।
मम्मी – आ अहह आ अहह आहह आह उन्ह आ आ आ इश्स स स स स स.. !! करने लगीं।
अंकल ने पूछा – मज़ा आ रहा है, जानू.. !!
मम्मी ने कहा – हाँ, बहुत अच्छा लग रहा है.. !! आ आहह माह ह ह ह ह.. !!
अब अंकल ने पूछा – क्या तुम, मुझसे प्यार करती हो.. !!
मम्मी ने कहा – ये कोई पूछने की बात है.. !!
अंकल बोले – तो कुछ “गंदा सा” बोलो ना.. !!
मम्मी बोलीं – क्या बोलूं.. !!
अंकल बोले – अब बनो मत.. !! उस दिन, तुमने गाली निकाली थी.. !!
मम्मी बोलीं – वो तो दर्द के मारे, निकल गयी थी.. !!
इस पर अंकल बोले – मतलब, तुम्हारे मुँह से गाली सुनने के लिया तुम्हें दर्द देना पड़ेगा.. !!
मम्मी मुस्कुरा कर बोलीं – नहीं.. !! ठीक है.. !! आप जो बोलेगें, मैं दुहरा दूँगी.. !!
अंकल (मम्मी की चूत पर हाथ रखते हुए) – बताओ, ये क्या है.. !!
मम्मी – मुझे नहीं पता.. !! आप बताइए.. !!
अंकल – चूत.. !! अब बोलो.. !!
मम्मी – चूत.. !!
अंकल – अब बताओ, उस दिन कौन सी गाली निकाली थी.. !!
मम्मी (धीरे से) – मादार चोद.. !!
अंकल – वाह!! औरत के मुँह से गाली भी कितनी मीठी लगती है.. !!
मम्मी ने कहा – अब मत तरसाइए.. !! अंदर डाल दीजिए.. !! बर्दाशत नहीं हो रहा है.. !!
अंकल ने कहा – जो हुकुम, मेरी जान.. !!
फिर अंकल ने हाथ बढ़ा के, अपने पर्स से मम्मी को कॉन्डम निकाल के दिया।
मम्मी उठ के, बैठ गईं।
उनके चुत्तड़, मेरे दोस्त के पापा के पेट पर थे।
मम्मी ने पैकेट फाडा और कॉन्डम निकाल के, अंकल के लंड के ऊपर चढ़ा दिया और फिर से उसी पोज़ मे उनके ऊपर लेट गईं।
अंकल ने अब मेरी मम्मी के पैरों का चौड़ा कर दिया और अपने घुटने मोड़ लिए और फिर, अपने दोनों हाथ से मेरी मम्मी के चुचे को जकड़ लिया।
मम्मी ने खुद ही, अपने हाथ आगे करते हुए अंकल के लण्ड को अपनी चूत में घुसा दिया।
अंकल के लण्ड का टोपा, तुरंत मेरी मम्मी की चूत में चला गया।
अब अंकल ने अपनी गांड ऊपर उठाते हुए, एक धक्का मारा और उनका आधा लण्ड मेरी मम्मी की चूत के अंदर चला गया।
उसके बाद, अंकल धीरे धीरे मेरी मम्मी को चोदने लगे।
उनका आधा लण्ड, मेरी मम्मी के चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
ठप ठप ठप ठप ठप ठप ठप ठप की आवाज़, मेरे कानो में आ रही थी।
अंकल लगातार, मेरी मम्मी के दोनों चुचे पकड़े हुए थे और उन्हें चोद रहे थे।
मम्मी – आ आ आ एयाया आ अहह ओफ फ फ फफ्फ ओफ फफ्फ उई ईइ.. !! कर रही थीं।
अंकल के धक्कों से, मेरी मम्मी की जांघें हिल रही थीं।
अब मम्मी, अपना सीधा हाथ आगे करके अपनी चूत के ऊपर के हिस्से को रगड़ने लगी।
अंकल ने इसी बीच, मेरी मम्मी के मुंह में अपनी दो उंगली घुसा दी और मेरी मम्मी, अंकल की उंगली को चाटने लगीं।
अंकल, मस्त हो के मेरी मम्मी को चोद रहे थे।
इसी बीच धक्का मारते हुए, अंकल का लण्ड उनकी चूत से बाहर निकल गया।
वो भी, थोड़ा रुक गये।
उन्होंने अपने मुड़े हुए घुटनों को सीधा कर लिया और मम्मी, बिस्तर पर आ गईं।
अंकल उनके बगले में आ गये और उनके लिप्स पर किस करने लगे और अपने हाथ से, मेरी मम्मी के चूचियों को पकड़ के खींचा।
उसके बाद, उन्होंने मेरी मम्मी के सिर के नीचे तकिया रख दिया और मेरी मम्मी को करवट के बल लिटा के उनके साइड में करवट के बल लेट गये और फिर मम्मी की बाई जाँघ को अपने हाथ से पकड़ के उठा दिया और टांगों को थोड़ा सा चौड़ा कर दिया।
मम्मी ने अपने हाथ से, लण्ड पकड़ा और चूत में घुसाया।
अंकल ने धीरे से अपना आधा लण्ड, उनकी चूत में घुसा दिया और अपनी कमर हिलाते हुए उनकी चुदाई करने लगे।
अंकल का आधा लण्ड, मम्मी के चूत के अंदर बाहर हो रहा था और वो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... उम्म्म्म... अहह औहह औहहहहह.... ओई ई.. !! कर के, अंकल से चुदवा रही थीं।
फिर, अंकल ने कहा – मज़ा आ रहा है ना, रानी.. !!
मम्मी ने कहा – हाँन ह ह.. !!
अंकल ने पूछा – दर्द तो नहीं हो रहा है, जानू.. !!
मम्मी ने कहा – नहीं ईईई... आ आ अहह.. !! अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स !!
ठप ठप ठप ठप करते हुए, अंकल अब मम्मी को ज़ोर से चोदने लगे और उनके बाल खींचते हुए फिर पूछा – गाली निकालेगी या, थोडा सा दर्द दूं.. !!
मम्मी बोलीं – आ आ आ आ आ आ.. !! ज़ोर से चोद.. !! मादार चोद.. !! इयाह ह ह ह ह ह ह.. !! बहन के लौड़े, तेरी मां का भोसड़ा.. !! उफ्फ माह स स स स स स स स स.. !! मां चोद डाली तूने, मेरी भडुए चोद चोद के.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !! कुतिया की तरह, चोदता है हरामी मुझे तू.. !! आह मेरी माहह हह ह ह ह आ ह आह आ.. !!
साफ पता चला की अंकल बहुत उकस गये और बुरी तरह, मम्मी को पेलने लगे।
इतनी गालियाँ तो एक साथ मैंने भी कभी नहीं दी थीं जितनी मम्मी ने, एक बार में निकाल दी।
खैर.. !!
अंकल का बदन बुरी तरह मचल रहा था और उन्होंने, अपना हाथ मम्मी के चूत के ऊपर वाले हिस्से पर रख दिया और बुरी तरह रगड़ते हुए मम्मी की चुदाई करने लगे।
चूत रगड़ने से मम्मी और बुरी तरह उकस गईं और ज़ोर से चिल्ला पड़ीं – आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... !! मादर रर...रररर..चोद औहहहहह.... ओई ई..!!
अंकल ने मम्मी को गाली बकते हुए कहा – माँ की लौड़ी.. !! इतनी ज़ोर से आवाज़ मत निकाल.. !! साली छीनाल, कोई आ जाएगा तो मां चुद जाएगी.. !!
वाकई, मम्मी बहुत ज़ोर से चिल्लाई थीं।
ना जाने वो गालियाँ बकने से इतनी उकस गयीं थीं या चुद्वाते हुए, चूत के उपर वाले हिस्से को रगड़ने से।
अब मम्मी ने कहा – आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......ह ह ह.. !! बहन चोद.. !! बर्दाशत नहीं हो रहा है.. !! उम्म्म्म...!! इतना क्यूँ उकसा रहा है, फिर.. !! मां की चूत तेरी.. !! मां का भोसड़ा, चोद मुझे तू बस.. !! आने दे, जिसे आना है.. !! छीनाल तो बना ही दिया है तूने, मुझे.. !! अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स.. !!
अंकल ने अब मम्मी के मुंह पर अपना हाथ रख दिया और एक ज़ोर का धक्का मारा और वहीं रुक गये।
मम्मी की दबी आ आ आआ आ हमम्म की आवाज़ निकल गई।
अंकल का लण्ड, पूरा मम्मी के चूत के अंदर था।
थोड़ी देर रुकने के बाद, अंकल ने अपना हाथ हटाया।
मम्मी अब कुछ होश में आईं और बोलीं – बाहर निकालिए ना.. !! दर्द हो रहा है.. !!
मम्मी का बदन, अभी भी काँप सा रहा था।
अब, अंकल ने कहा – कुछ नहीं होगा, रानी.. !! तू बहुत ज़्यादा उकस गई है, बस.. !! साथ दे मेरा.. !! तुझे भी बहुत मज़ा आएगा.. !! और उन्होंने, एक और धक्का मारा।
मम्मी के चुचे, हिल गये।
मम्मी ने कहा – औहह औहहहहह.... ओई ई.. पूरा मत डालिए, ना.. !! दर्द होता है.. !! मज़ा कहाँ आता है.. !!
अंकल – इतने दिन मैंने तेरी बात मानी है, ना.. !! आज तेरी चूत फाड़ने दे.. !! बहुत मज़ा आएगा, तुझे.. !! और बुरी तरह, धक्का मारने लगे।
मम्मी की सिसकारियाँ बढ़ने लगीं और वो ज़ोर ज़ोर से – आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... उम्म्म्म... ओई ई.. औहह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स फक्क्क्क...... मीईईईइ !! करने लगीं।
अब, कोई गालियाँ नहीं थीं।
अंकल – क्या हुआ, जान.. !! मुझे लगा, तू दर्द में गालियाँ निकालती है.. !!
मम्मी – आ आअ हंह म्म.. !! ये मेरे हाथ में नहीं है.. !! दोनों बार, अपने आप ही हुआ.. !! अभी नहीं निकाल सकती.. !!
अब अंकल ने कहा – कोई बात नहीं, जानू.. !! तेरी चूत में ग़ज़ब की आग है, मेरी रानी.. !! इतना मज़ा मुझे, किसी औरत ने नहीं दिया.. !! आ आ आ आ आ आहह करते हुए, उन्हें बहुत ही ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे।
कुछ देर के बाद, उनका बदन अकड़ने लगा और वो धीरे धीरे रुकने लगे।
कुछ ही पलों बाद, वो रुक गये और अपना लण्ड मेरी मम्मी के चूत से निकाल लिया।
अंकल का वीर्य निकल चुका था क्यूंकि उन्होंने कॉन्डम निकाल के ज़मीन पर फेंक दिया।
मम्मी सीधे हो के, लेट गईं।
उनकी साँसें, बहुत तेज़ चल रही थीं।
अंकल मम्मी के बगल में लेट गये और उनके गाल पर किस किया।
मम्मी, अंकल की छाती पर आकर लेट गईं।
अंकल ने मेरी मम्मी को पूरा हग कर लिया और उनके बालों पर हाथ डाल के सहलाने लगे।
मम्मी ने, अंकल के होंठों पर एक किस किया।
फिर, मम्मी ने कहा – अब आप जाइए.. !!
अंकल ने कहा – क्यों.. !! ??
मम्मी ने कहा – मेरा बेटा आ जाएगा तो.. !!
अंकल ने घड़ी में टाइम देखा और कहा – रानी, वो 3 बजे आएगा.. !! अभी बहुत टाइम है.. !! एक काम कर, तू उसे बोर्डिंग में भेज दे.. !!
मम्मी ने जवाब दिया – अरे, उसकी ही वजह से तो इन्होने (मेरे अब्बू) ने हमें यहाँ सेट्ल किया है.. !! उसे बोर्डिंग भेज दिया तो वो मुझे अपने साथ ही रखेंगें.. !!
अंकल – हाँ यार.. !! बात तो सही है.. !!
अब मुझे लगा, किसी मम्मी के “बदजलन” बनने का कारण, मैं ही तो नहीं।
यदि, मैं नहीं होता तो शायद मम्मी पापा के साथ ही रहतीं।
मैंने सोच लिया, मैं पापा के आने पर बोर्डिंग की बात करूँगा, इससे पहले मम्मी का और सत्यानाश हो।
इधर, उसके बाद अंकल ने कंबल ले के दोनों के ऊपर ले लिया और बात करने लगे।
अंकल ने कहा – पर तुम, मुझे यहाँ रात में क्यों नहीं रहने देती.. !!
मम्मी ने कहा – आज आपको हो क्या गया है.. !! कैसी बात कर रहे हैं.. !!
अंकल ने कहा – तुम क्यों घबराती हो.. !! तुम्हारे बेटे को क्या मालूम चलेगा रूम में क्या हो रहा है.. !! रात को सोता नहीं है, क्या.. !!
मम्मी ने कहा – नहीं.. !! ऐसा नहीं हो सकता.. !!
अंकल ने उनके होंठ पर किस किया और कहा – यार, पर मुझे तेरे साथ उस दिन की तरह रात भर रहना है.. !!
मम्मी ने कहा – देखिए, आप भी जानते हैं.. !! अगर, हमने ऐसा किया तो पूरी संभावना है की सबको मालूम चल जाएगा.. !!
अंकल ने कहा – चल, ठीक है.. !! मैं ज़बरदस्ती नहीं करूँगा.. !! मैंने आज तक, तुम्हारी बात टाली है.. !!
मम्मी ने ताना मारते हुए कहा – अच्छा जी.. !!
अंकल ने कहा – बता, कब मना किया है.. !!
मम्मी ने, हंसते हुए कहा – पहली बार, भूल गये.. !!
अंकल ने कहा – हाँ, वो मैं मानता हूँ.. !! मैंने कुछ ज़्यादा ही कर दिया था.. !! यार पर, मैं क्या करता.. !! पिछले 4 साल से तड़प रहा था.. !! तुम्हें बुरा तो नहीं लगा था, ना.. !!
मम्मी ने कहा – नहीं.. !! सच कहूँ तो नहीं.. !! असल में, औरत को ऐसे मर्द ही पसंद होते हैं लेकिन दर्द के मारे आँसू निकल गये थे.. !!
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अंकल ने कहा – सच बता, तुझे मज़ा आया था ना.. !!
मम्मी ने कहा – हाँ.. !!
अंकल ने कहा – महक, सच में तुझे फिर से मैं रात भर चोदना चाहता हूँ.. !! भेज दे ना, तेरे पिल्ले को 2 3 दिन के लिए कहीं.. !!
अब मम्मी चुप हो के, उन्हें देखने लगीं।
अंकल ने कहा – देख, तू घबरा नहीं.. !! मैं ऐसा कोई काम नहीं करूँगा, जिससे सबको पता चल जाए.. !! और, उनके होंठों पर किस किया।
मम्मी भी उनका साथ दे रही थीं।
कुछ ही देर में, मुझे कंबल में से अंकल के हाथों की हरकत दिखने लगी।
वो मेरी मम्मी की चूत रगड़ते हुए, उन्हें किस कर रहे थे।
अब उन्होंने, कंबल हटा दिया।
मम्मी ने कहा – ज़रा, एक मिनट में आई.. !!
अंकल ने कहा – क्या हुआ, जान.. !!
मम्मी ने कहा – सू सू करके, आती हूँ.. !!
अंकल ने कहा – ठीक है.. !!
फिर मम्मी बिस्तर से उतर के, बाथरूम में चली गईं।
उन्होंने दरवाज़ा नहीं बंद किया था।
उनके सू सू करने के एक अजीब सी “सीटी जैसी आवाज़” आ रही थी।
सुउु उउ सुउु उउ सुउु उउ सुउु उउ सुउु उउ सुउ उउ की आवाज़, बाहर तक आ रही थी।
उधर अंकल ने, अपनी सिगरेट जला ली और पीने लगे।
मम्मी बाथरूम से बाहर आ गईं और सीधे बिस्तर पर चली गईं और बिस्तर पर बैठ गईं।
उन्होंने अपने हाथ पीछे करके, अपने बाल बंद कर लिए।
अंकल अपने हाथ से अपना लण्ड सहला रहे थे और सिगरेट पी रहे थे।
मम्मी झुक के उनके लण्ड के पास गईं और अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगीं, धीरे धीरे।
मेरे दोस्त के पापा का लण्ड, टन के खड़ा हो गया।
मम्मी ने उनके लण्ड को फ़ौरन, अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं।
कभी जीभ निकाल के चाट रही थीं, कभी चूस रही थीं।
अंकल ने अपनी आँखें बंद कर लीं और आ अह हह करने लगे।
फिर उन्होंने, अपने सिगरेट को बुझा दिया और मेरी मम्मी के बालों को खोल दिया और और उनके बाल पीछे से पकड़ लिए।
मम्मी, अंकल का लण्ड चूसे जा रही थीं।
पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट पुक्क पक फट फट की आवाज़ मेरे कानो मे आ रही थी।
अब मम्मी उठ के बैठ गईं और लेट गईं और अपनी टांगें खोल ली।
अंकल ने उनसे कहा – उल्टा लेट.. !!
तो मम्मी ने कहा – नहीं.. !! प्लीज़, आज नहीं.. !! पीछे से बहुत दर्द होता है.. !!
अंकल ने कहा – नहीं होगा.. !! घूम ना.. !!
मम्मी ने कहा – प्लीज़, आज नहीं.. !!
अंकल ने अब लगभग ज़बरदस्ती, उनकी कमर पकड़ के उन्हें पलट दिया।
मम्मी ने बहुत कहा – नहीं, प्लीज़.. !! पीछे से नहीं.. !!
पर अंकल ने कहा – ज़िद मत कर, रानी.. !! मैं धीरे धीरे करूँगा, विश्वास रख.. !!
उसके बाद, उन्होंने मम्मी से कहा – चल, तकिया बढ़ा.. !!
मम्मी ने बगल में पड़ा, दूसरा तकिया उठा के अंकल को दे दिया।
अंकल ने तकिया, मेरी मम्मी के पेट के नीचे रख दिया।
उनकी गांड, ऊपर उठ गई।
अंकल ने अब मम्मी के गांड के छेद को, अपनी दो उंगलियों से फैला दिया।
मुझे मम्मी की गांड का छेद, साफ दिख रहा था।
अंकल झुक के उनके गांड के पास गये और एक बार, उनके गांड के छेद को सूँघा।
फिर, मम्मी की तरफ देखा।
मम्मी ने अपना मुंह तकिये में घुसा लिया था और अपने हाथ से चादर को पकड़ लिया था।
अंकल ने झुक के, अपनी नाक उनकी गांड के छेद में डाल दी और सूंघने लगे।
उन्होंने मम्मी के चुत्तड़ को भी धीरे धीरे मसलना चालू किया और उन्होंने अपनी नाक पूरी तरह से मेरी मम्मी के गांड के छेद में घुसा दी और सूंघने लगे।
उसके बाद, उंगलियों से गांड को फैला दिया और जीभ से चाटने लगे।
मम्मी – आ अह हह आह करने लगीं।
अब अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी की गांड चाट रहे थे।
मम्मी ने कहा – प्लीज़, धीरे कीजिएगा.. !! प्लीज़.. !!
अंकल ने चाटना बंद किया और कहा – तू डर मत.. !! मैं तुझे दर्द नहीं दूँगा.. !! तू रानी है, मेरी.. !!
उसके बाद, अंकल ने मेरी मम्मी के घुटनों को मोड़ के बैठने को कहा।
मम्मी ने, वैसा ही किया।
अंकल पीछे आकर, घुटनों के बल बैठ गये और मम्मी से गांड के छेद को फैलाने को कहा।
मम्मी ने वैसा ही किया और अपने हाथ पीछे करके, अपने चुत्तड़ को पकड़ के अपने गांड के छेद को फैला लिया।
उनकी गांड का छेद, पूरा खुल गया।
अंकल ने अब अपना लण्ड सहलाया और उसके बाद, लण्ड के टोपे को उनकी गांड के छेद पर रखा और धीरे से धक्का मारा।
मम्मी के मुंह से “आअहह” निकल गया।
मैंने देखा अंकल के लण्ड का टोपा, मेरी मम्मी के गांड के छेद में चला गया था।
मम्मी ने कहा – बहुत दर्द हो रहा है.. !!
अंकल ने कहा – बस रानी, अब दर्द नहीं होगा.. !!
मम्मी ने अपने हाथ, आगे को लिए थे।
अंकल ने कहा – फैला ले.. !! नहीं तो दर्द होगा.. !!
मम्मी ने फिर से हाथ पीछे ले के, अपने गांड को फैला लिया।
अंकल ने, एक और धक्का मारा।
इस बार उनका आधा लण्ड, मेरी मम्मी के गांड के छेद में घुस गया था।
अब अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी की गांड में अपना लण्ड घुसाने लगे।
मम्मी – बहन चोद द द द द द सस्स सस्स स स आ आ अहह आ आ अहह आ आहह तेरी मां की चूत ह्स सस्स ह ह.. !! ओफ फ फफ फ फफ्फ़ ओफफ फफ फफफ्फ़ भोसड़ी के, धीरे ह्ह्ह्ह औहह ओई ई ई ई ईई ईईई माआ आअ.. !! मां चुद जाये तेरी, माँ के लौड़े.. !! तेरी मां का भोसड़ा, भडुए.. !! मा आ आ आ आ माआ आ औहह औहह उफ फफ फ फ फ फफ फफफ फफ फफ्फ़ औहह आ आ आ आ आ अहह मा आ आआ मादर चोद सस्स स्स इयाः हह.. !!
अंकल ने कहा – जान, मज़ा तो बहुत आ रहा है.. !! पर धीरे आवाज़ निकाल, नहीं तो बगल वाले आ जाएँगे.. !!
मम्मी ने कहा – गाण्डू.. !! मां चोद के रख दी और बोल रहा है, धीरे चिल्ला.. !! दर्द हो रहा है, बहन के लौड़े.. !!
अंकल ने कहा – माँ की लौड़ी तो गांड मारने क्यूँ नहीं देती.. !! तेरी गांड अभी तक फटी नहीं है.. !! लगता है, तेरा पति ने एक बार भी गांड नहीं मारी तेरी.. !!
मम्मी, कुछ नहीं बोलीं।
अब वो धीरे धीरे, मेरी मम्मी की गांड मारने लगे।
इसी बीच, अंकल का लण्ड बाहर निकल गया।
अंकल ने अब मम्मी को, चुत्तड़ फैलाने को कहा।
मम्मी ने कहा – फैलाया हुआ तो है.. !!
अंकल के कहा – और खींच ना.. !!
उसके बाद, अपने हाथ से लण्ड पकड़ा और एक ज़ोर का धक्का मारा।
इस बार, आधा लण्ड मम्मी की गांड के छेद में जा चुका था।
उसके बाद, अंकल ने अपने हाथ आगे करके मेरी मम्मी के बाल को पकड़ लिया और उनसे अपने हाथ चुत्तड़ से हटाने को कहा।
उसके बाद, बेदर्दी से धक्का मारने लगे।
मम्मी एक दम से पूरे ज़ोर से चीखी – आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह......!! औहहहहह.... आईईईईई… !!
मैंने देखा अंकल का पूरा लण्ड, मेरी मम्मी के गांड के छेद में चला गया।
मम्मी ने अपने हाथ से चादर पकड़ रखी थी और पूरी चादर, सिकुड चुकी थी।
अंकल ने कहा – बस बस, हो गया.. !! चला गया, अब दर्द नहीं होगा.. !!
उसके बाद, उन्होंने अपना लण्ड कुछ देर उनकी गांड मे रखा और पूछा – दर्द कम हुआ, मेरी जानू.. !!
मम्मी ने धीरे आवाज़ में कहा – हाँ.. !!
उसके बाद अंकल ने लण्ड को बाहर निकालते हुए, एक और धक्का मारा।
उन्होंने अभी भी, मेरी मम्मी के बाल खींच के रखे थे।
अंकल धीरे धीरे पूरा लण्ड मेरी मम्मी के गांड में घुसाते हुए, उनकी गांड मारने लगे।
अंकल की जांघें, जब भी मेरी मम्मी के चुत्तड़ से टकराती तब ठप ठप ठप ठप ठप की आवाज़ निकलती थी और उनकी टकराहट से, मेरी मम्मी के चुत्तड़ हिल रहे थे और चुचे आगे पीछे हो रहे थे।
फिर, अंकल ने कहा – मज़ा आ रहा है, अब.. !!
मम्मी ने कहा – बोला ना.. !! दर्द हो रहा है.. !!
अंकल ने कहा – रानी, बस हो गया.. !!
और, ज़ोर ज़ोर से धक्का मारने लगे।
मम्मी – मा आ आअ मा आ आअ मा आ आअ नाह हिईीई औ हह ओई ई ई ई ई ई ईई ओफ फ फफ फफफ्फ़ ओफफ फफफ्फ़ करने लगीं।
इस बार, कोई गाली नहीं थी।
अंकल ने अब अपना हाथ मम्मी की कमर पर रख दिया और उनकी गांड, धीरे धीरे मारने लगे।
अंकल के शरीर से पसीना निकल रहा था और मेरी मम्मी का भी शरीर, पसीने से भीग चुका था।
अंकल लगातार, मेरी मम्मी की गांड मारे जा रहे थे।
ठप ठप ठप ठप ठप की आवाज़, कमरे में गूँज रही थी।
इसी बीच वो “आ आआ आ अहाहह” करते हुए, रुक गये और झुक के मेरी मम्मी के पीठ को चूमा और उसके बाद, अपना लण्ड उनकी गांड से बाहर निकाल लिया।
मम्मी की गांड की छेद में से अंकल का वीर्य निकल रहा था।
अब अंकल मम्मी के बगल में लेट गये।
मम्मी उठ के बैठ गईं और अपनी पैंटी से गांड में लगा वीर्य साफ किया और फिर अंकल के लण्ड पर लगा वीर्य भी साफ कर दिया।
उसके बाद अंकल के बगल में लेट गईं और उनके सीने से चिपक के आराम करने लगीं।
अंकल ने अपना हाथ, मम्मी के चुत्तड़ पर रख दिया और पूछा – दर्द नहीं हो रहा है ना, जानू.. !!
मम्मी ने सिर हिलाते हुए कहा – नहीं.. !! अब क्यूँ होगा.. !! अब तो बाहर है.. !!
अंकल ने, उनके गाल पर किस किया और कहा – चल, अब मैं चलता हूँ.. !!
उसके बाद, वो बाथरूम चले गये।
मम्मी ने जा के उनको एक तोलिया दिया।
अंकल ने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझे शवर से पानी के गिरने की आवाज़ आने लगी।
इधर, मम्मी ने अपना गाउन पहन लिया।
उन्होंने, अपनी ब्रा पैंटी नहीं पहनी और बिस्तर पर बैठ गईं।
मैं धीरे से बालकनी से हॉल की बालकनी में आया और दरवाज़े से निकल गया और सीधा सिनेमा हॉल के तरफ चल दिया, जहाँ श्लोक और मेरे कुछ और दोस्त मेरा इंतेज़ार कर रहे थे।
रास्ते में, ये सोच रहा था की अंकल मम्मी को इतना दर्द देते हैं तब भी मम्मी को मज़ा आता है।
क्या औरत को सच में, उनके उपर हावी होने वाले मर्द पसंद होते हैं।
खैर.. !!
हाल में, श्लोक ने कहा – क्या यार!! कितनी देर कर दी।
मैंने जवाब दिया – कुछ नहीं, यार.. !! बहुत ज़रूरी काम था.. !! और, फिर हम अंदर चले गये।
मेरी मम्मी, उस दिन भी चुदाई के बाद बहुत खुश थीं.
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आप तो जानते ही हैं, मुझे अब तक समझ में आ गया था की मेरी मम्मी शायद पूरी तरह से अंकल के साथ सेक्स करने का मज़ा लेने लगी हैं.
इधर, मेरे कॉलेज के फाइनल एग्जाम ख़तम हो गये थे.
मार्च का लास्ट चल रहा था और श्लोक, अपनी मम्मी के साथ नानी के यहाँ चला गया था.
अंकल यहीं थे और होली के दिन, मम्मी ने अंकल को खाने पर बुलाया था.
सुबह के समय में तो सब होली में बिज़ी थे.
मेरी मम्मी और मैं, नीचे होली खेलने में बिज़ी थे.
फिर होली खेलने के बाद, मेरी मम्मी घर में आ गईं और उन्होंने उस दिन मटन और पुल्लाव बनाया.
हमने दिन में खाना खाया और मेरी मम्मी के खाने की अंकल तारीफ़ करने लगे.
खाना खा के, अंकल वापस चले गये.
सच कहूँ दोस्तो उन्होंने एक बार भी कुछ ऐसा नहीं किया, जिससे मुझे कुछ अजीब लगे या कुछ शक हो.
हर इंसान के अंदर, कहीं ना कहीं एक अभिनेता रहता है.
मेरी मम्मी खाना खाना खाने के बाद, अंकल चले गये उसके बाद सोने चली गईं.
मैं टीवी देख रहा था.
मेरी मम्मी सो के 5 बजे करीब उठीं और हमने साथ में चाय पी, तभी मेरी मम्मी के मोबाइल पर मेसेज आया.
मैंने देखा मेरी मम्मी ने फाटक से मोबाइल उठा के रिप्लाइ दिया.
उधर से, फिर मेसेज आया.
फिर मम्मी ने रिप्लाइ दिया.
फिर कॉल आ गया.
मेरी मम्मी ने तिरछी निगाह से मेरी तरफ देखा और फोन काट दिया.
उसके 2 मिनट के बाद, मैंने देखा मेरी मम्मी उठ के अपने कमरे में चली गईं.
मुझे पूरा ऐहसास हो गया था, हो ना हो ये अंकल का ही फोन होगा.
मैंने टीवी की आवाज़ कम कर दी और उठ के धीरे से, कमरे के दरवाज़े के पास गया.
मम्मी की दबी दबी आवाज़ आई – नहीं नहीं, मैं नहीं आ सकती… मेरा बेटा घर में है… तुम जानते तो हो… मैंने कहा ना, प्लीज़… नहीं आ सकती… उसके बाद मम्मी ने फोन रख दिया.
कुछ ही पल में, फिर से फोन आया.
मम्मी ने कहा – क्यों ऐसा कर रहे हैं आप… ?? मैंने कहा ना, मैं परेशानी में फँस जाउंगी…
फिर कुछ देर वो चुप रहीं.
फिर उन्होंने कहा – ठीक है… लेकिन मैं कुछ ही देर में वापस आ जाउंगी… उसके बाद, उन्होंने थोड़ा गुस्से में फोन रख दिया.
फिर मेरी मम्मी बिस्तर पर बैठ गईं और चुप चाप बिस्तर पर बैठीं रहीं.
मैं जान रहा था, मेरी मम्मी अभी जाना नहीं चाह रही हैं क्यूंकि वो मेरे सामने कुछ भी संदेह वाला काम नहीं करना चाहती थीं.
लेकिन, शायद अंकल ने बहुत प्रेशर दिया था, उनको आने का.
खैर, इसके कुछ देर बाद मेरी मम्मी बाहर की तरफ आने लगीं.
मैं चुप चाप जाके बैठ गया और टीवी देखने लगा.
मेरी मम्मी भी आकर बैठ गईं और साथ में टीवी देखने लगीं.
आख़िर, मम्मी ने कुछ देर बाद मुझसे कहा – अफरोज़, मैं कुछ देर के लिए बाहर जा रही हूँ, अपने दोस्त से मिलने… जाना ज़रूरी है… तू खा लेना…
मैंने कहा – ठीक है, मम्मी…
और कहता भी क्या… ??
करीबन 7 बजे, मैंने देखा मेरी मम्मी तैयार होके बाहर आ गईं.
मेरी मम्मी, उस समय सच में बहुत सुन्दर लग रही थीं.
उस दिन उन्होंने काले रंग की साड़ी और डीप कट ब्लाउज पहन रखा था.
मेरी मम्मी की क्लीवेज साफ दिख रही थी.
शायद, मेरी मम्मी ने नाहया था क्यूंकि मेरी मम्मी के बाल पूरे भीगे हुए थे.
मेरी मम्मी बाहर आईं और उन्होंने कहा – अफरोज़, चिंता मत करना… मैं कुछ देर में आ जाउंगी…
मैंने कहा – ठीक है, मम्मी…
उसके बाद, मेरी मम्मी घर से निकल गईं.
मैं जानता था, मेरी मम्मी कहाँ जा रही हैं क्यूंकि आज श्लोक और उसकी मम्मी थीं नहीं घर पर इसी लिए अंकल ने मेरी मम्मी को पक्का, अपने घर पर बुलाया होगा.
मैं 8 बजे के करीब नीचे उतर के अंकल के घर के पास चला गया.
बाहर का डोर बंद था. होल के पीछे वाली खिड़की के पास जब गया, तब देखा मेरी मम्मी और अंकल सोफे पर बैठे हुए थे और अंकल ने मेरी मम्मी को बाहों में ले रखा था और दोनों बातें कर रहे थे.
अंकल का हाथ, मेरी मम्मी की छाती पर था.
थोड़ी देर में मम्मी ने कहा – अब जाने दीजिए…
अंकल ने कहा – अभी क्यों, मेरी रानी… चली जाना ना… मैं कहाँ मना कर रहा हूँ…
मम्मी ने कहा – मेरा बेटा घर पर है…
अंकल ने कहा – क्या, बेटा बेटा… तेरे पिल्ले ने तो नाक में दम कर रखा है… तुम्हें मेरी थोड़ी भी परवाह नहीं है… मैं यहाँ तुम्हारी याद में अकेले तन्हा रात काट रहा हूँ और तुम्हें सिर्फ़ अपने पिल्ले की पड़ी है…
मम्मी ने कहा – आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्या मैंने आपके लिए कुछ नहीं किया है? आख़िर, वो मेरा बेटा है…
अंकल हंसने लगे और कहा – अरे, मेरी जान… मैंने ऐसा नहीं कहा… बस अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता… थोड़ा हम ग़रीबो के बारे में भी सोच लिया करो…
मेरी मम्मी ने अंकल का सिर पकड़ा और उनके होंठों पर किस किया और नीचे हो गईं.
अंकल ने कहा – बस, एक ही बार…
मम्मी ने हंस के कहा – बस, आज के लिए काफ़ी है…
अंकल ने कहा – अच्छा, देखते हैं…
उसके बाद, मेरी मम्मी ने एक और बार किस किया और नीचे हो गईं.
उसके बाद, अंकल ने नीचे होके मेरी मम्मी के होंठ अपने होंठों में फँसा लिया और मेरी मम्मी के होंठ चूसने लगे.
अंकल ने अपने हाथ नीचे ले जाके, मेरी मम्मी के बाल को पकड़ लिया और अपने एक हाथ से मेरी मम्मी के छाती को सहलाने लगे.
फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच की आवाज़ मेरे कानों में आ रही थी.
तभी मैंने देखा अंकल ने अपना हाथ मेरी मम्मी के ब्लाउज में घुसा दिया और आ आ आआ आहह करके आवाज़ आई और मम्मी ने उनका हाथ निकाल दिया.
अंकल ने कहा – क्या हुआ… ??
मम्मी ने कहा – कुछ नहीं… ज़रा ब्लाउज टाइट है ना… खींच गया है, दर्द हुआ…
अंकल ने कहा – ओह… माफ़ कर दो, मेरी रानी…
उसके बाद, वो फिर से मम्मी के होंठ चूसते हुए मेरी मम्मी के चुचे ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगे.
फिर से फुच फच फुच फुच फच की आवाज़ गूंजने लगी.
कुछ देर बाद, अंकल ने मम्मी को उठा के बिठा दिया और कहा – रुक कुछ लाता हूँ… उसके बाद, वो किचन में चले गये…
2 मिनट में अंकल बाहर आ गये और उनके हाथ में जग था और एक हाथ में 2 ग्लास थे.
मम्मी ने पूछा – ये क्या है… ??
अंकल ने कहा – ये ठंडाई है… आज होली है ना… तुम्हारे लिए बनाई है…
मम्मी ने कहा – देखिए, मैं नशा नहीं करूँगी…
अंकल ने हंसते हुए कहा – अरे, ये नशा नहीं है… ठंडाई है, केसर डाल के बनाई है…
उसके बाद उन्होंने बिना कुछ सुने ग्लास में डाल के, मेरी मम्मी को दिया और दूसरे ग्लास मे खुद ले लिया.
उसके बाद, दोनों पीने लगे.
मम्मी ने कहा – सही में, बहुत टेस्टी है…
उसके बाद, उन्होंने अंकल से पूछा की उन्होंने ये कैसे बनाई.
अंकल ने उन्हें बताया और धीरे धीरे मेरी मम्मी ने स्वाद में 3 ग्लास पी लिया.
करीबन, आधा घंटा हो गया था.
मैं मम्मी की तरफ देख रहा था.
कोई भी उन्हें देख के कह सकता था की वो ठीक नहीं है.
साफ लग रहा था, उन्हें नशा हो चुका है.
उनकी आँखें लाल हो चुकीं थीं और चढ़ चुकी थीं और इधर, अंकल मेरी मम्मी की तरफ देखे जा रहे थे.
उसके बाद, अंकल मेरी मम्मी के पास आ गये और कहा – क्या हुआ… ??
मम्मी ने कहा – कुछ ठीक नहीं लग रहा है… थोड़ा सिर में दर्द हो रहा है… आँखें जल रही हैं…
अंकल ने कहा – तुमने पहली बार पी है ना, ठंडाई… इसी लिए, कुछ देर में दर्द चला जाएगा… सर्दी हो गई होगी…
उसके बाद मैंने देखा अंकल ने धीरे से मेरी मम्मी के पर्स में हाथ डाला और मेरी मम्मी के मोबाइल पर कुछ करने लगे और फिर मम्मी का मोबाइल ऑफ कर दिया.
तभी तुरंत, मेरे मोबाइल पर मेसेज आया.
मैंने फुर्ती से मेसेज खोला.
उस मेसेज में था – चिंता मत करना… सो जाना… मैं सुबह आ जाउंगी…
उसके बाद अंकल ने मेरी मम्मी को अपनी बाहों में लिया और मेरी मम्मी के होंठ चूसने लगे और धीरे से मेरी मम्मी के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया और अपना हाथ ब्रा के ऊपर से मेरी मम्मी के चुचे पर रख के दबाने लगे.
अंकल ने मेरी मम्मी के एक चुचे को ब्रा से बाहर निकल दिया था और निप्पल को खींच रहे थे.
फिर उन्होंने अपने अंघुटे और एक उंगली से निप्पल पकड़ लिया.
फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच करके, मेरी मम्मी के होंठ चूसे जा रहे थे.
अंकल ने अब मम्मी के होंठ चूसना बंद कर दिया था और एक हाथ से मेरी मम्मी के गोल चुचे को पकड़ा और निप्पल मुंह मे ले लिया और चूसने लगे.
मेरी मम्मी – आ अहह आ आ अहह… उंह क्या कर रहे हैं… अब बस कीजिए, जाने दीजिए…
अंकल ने कहा – नहीं, मेरी रानी… आज तो तुझे, रात भर मेरे साथ रहना है… कुछ दिनों से बहुत तडपया है, तूने…
उन्होंने देखते ही देखते, मेरी मम्मी का पल्लू नीचे कर दिया और ब्लाउज खींच के उनके बदन से निकाल के ब्रा का हुक खोलते हुए उन्हें कमर के ऊपर से नंगा कर दिया.
मेरी मम्मी के दोनों चुचे पर ब्रा का थोड़ा सा दाग लगा हुआ था.
फिर अंकल ने मेरी मम्मी को अपने गोद में बिठा लिया और मेरी मम्मी की छाती चूमते हुए, दोनों चुचे एक एक करके चूसने लगे.
मेरी मम्मी ने अपने हाथ मेरे दोस्त के पापा के सिर के पीछे करके पकड़ लिया था और आ अहह आ अहह ह आ अहह आ आहह आ आहह करके, उनका साथ दे रहीं थीं.
अंकल मज़े से मेरी मम्मी के निप्पल चूसे जा रहे थे.
बीच बीच में फुच फच फुच फच लप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प की ज़ोर से आवाज़ आती, जब भी अंकल कस के निप्पल चूसते थे.
मम्मी, अपने होश में नहीं थीं.
उन्होंने धीमी आवाज़ में अंकल से कहा – मुझे जाने दीजिए… बहुत देर हो रही है…
अंकल ने कहा – तू घबरा नहीं… तेरे पिल्ले को मैंने मेसेज कर दिया है की तू सुबह आएगी… आज रात भर, तुझे अपने पास रखूँगा… कल चली जाना, सुबह…
ये कहते हुए, उन्होंने फिर से निप्पल मुंह मे ले लिया और मम्मी के चुचे चूसने लगे.
बीच बीच में, अंकल सिर ऊपर करके मेरी मम्मी के होंठों को अपने होंठ में फँसा के चूसते फुच फच फुच फच की आवाज़ हॉल में गूँज रही थी.
अंकल अपनी हथेली से मेरी मम्मी की चूत मसलते तो कभी उनके पीठ को सहला रहे थे.
अब अंकल ने मेरी मम्मी को अपनी गोद से नीचे उतार दिया और मम्मी खड़ी हो गईं.
मम्मी ने अपनी सैंडल निकाल ली, उसके बाद अंकल ने साड़ी खींच के उनके बदन से निकाल दी.
मेरी मम्मी, सिर्फ़ पेटीकोट में थीं.
उन्होंने, काले रंग की पेटीकोट पहन रखा था.
अंकल खड़े हो के, अपने बदन के सारे कपड़े निकाल के नंगे हो गये.
उनके सारे कपड़े, वहीं सोफे के पास कालीन पर पड़े हुए थे.
अंकल अब मेरी मम्मी के पास आ गये और मेरी मम्मी को चूमते हुए, ज़मीन पर बैठ गये.
घुटनों के बल उन्होंने अपने हाथ से मेरी मम्मी के कमर को पकड़ रखा था और मेरी मम्मी के पेट को चूम रहे थे.
मेरी मम्मी ने अपने हाथ से अंकल का सिर पकड़ रखा था और आ आहह आ आहह आअहह कर रही थी.
अंकल अपनी जीभ से मेरी मम्मी के नाभी में हलचल कर रहे थे.
मैं मम्मी की तरफ देख रहा था.
ऐसा लग रहा था, जैसे वो काम वासना के सातवें आसमान पर हैं.
इसी दौरान, अंकल ने मेरी मम्मी के पेटीकोट को उठा के कमर तक कर दिया.
मेरी मम्मी ने काले रंग की जालीदार पैंटी पहन रखी थी.
अंकल ने सबसे पहले, मेरी मम्मी की जांघें को अपनी हथेली से सहलाया और उसके बाद अपना फेस मम्मी की चूत के पास ले जाते हुए सूँघा.
उसके बाद, उन्होंने मेरी मम्मी की तरफ देखा.
मेरी मम्मी, अपने होंठ अपने दाँतों से दबाते हुए अंकल को देख रही थीं.
अंकल ने मम्मी की पैंटी साइड में की और अपनी जीभ से मेरी मम्मी की चूत चाटने लगे.
मम्मी ने कस के अंकल के बाल पकड़ लिए और – आ आ आ आ आ अहह आ आ आ आ आ आ अहह आ आ आ आ आ आ आ अहह ओई ई ईई ईईई ईईई ईईई आ आ आ आ आअ आ आ आआ आहह करने लगीं.
अंकल ने कहा – महक, यार तेरे पिल्ले की चिंता नहीं रहती तो सुबह शाम, तेरी चूत का पानी पीता…
मम्मी चुप रहीं.
मुझे अब लगने लगा था की शायद मैं सही में मम्मी के रास्ते का काँटा हूँ.
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