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Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
#61
Kya update he yarrrrrr....., :P
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#62
Bhai aap ki stories awesome hoti hai .
Yehh bhi badhiya hai...plz ab kuch action hojaye...
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#63
bahut hi mast update h... kahani nye nye rang le rhi h... bahut badiya
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#64
Nice going.
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#65
I am continuing my story
A wedding ceremony in village
A story of 7 differnt women same plot in different style
Give ur precious time read it ones and if u liked it give ur feedback

Link below
A WEDDING CEREMONY IN VILLAGE
https://xossipy.com/thread-1191.html
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#66
Excellent story.New update please
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#67
mast hai...aagey bhi likho
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#68
अभी पूनम की मम्मी आने वाली थी. उसके पापा अभी मम्मी को लाने गए हुए थे. पूनम एन्वेलोप को आलमीरा में छुपा दी थी और अपने सारे कपडे पहन ली थी। पूनम सब के लिए खाना बना रही थी और सोच रही थी की वो क्या कर रही है. उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। एक तरफ तो वो खुद को समझा रही थी कि जो वो कर रही है वो गलत है और दूसरी तरफ उसे लग रहा था कि कुछ गलत नहीं है। पूनम अपने ख्यालों के भँवर में ऊपर नीचे हो रही थी। और ये जंग उसके दिल और दिमाग के बीच नहीं, उसके चुत और दिमाग के बीच में चल रही थी।

'इस तरह की बात करने की क्या जरूरत है उस लड़के के साथ. इस तरह फ़ोन पे लंड, चूत, चोदना, चुदवाना बोलने की क्या जरूरत है. और आज तो मैं क्या क्या नहीं बोल दी। गांड मारने और मरवाने की बात कर दी।' पूनम शर्मा गयी की वो गुड्डू के साथ ये बात की जो अकेले में भी सोंचने पे उसे शर्म आता है। चुत और लण्ड की बात अलग है। चूदी चुदाई लड़की थी अब वो। 'लेकिन गांड.... उसमे लण्ड डालना.... छी।' पूनम को मुस्कुराने लगी की वो गांड मारना क्या समझती थी और वो होता क्या है।

पूनम सोच रही थी की आज वो और क्या क्या बोली है गुड्डू को और 'इस तरह तो मैं उसे बता रही हूँ की मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ. तुम मुझे चोद लो. बोल भी तो दी उसे की चुदवाऊँगी। गांड भी मारवाऊंगी बोल दी। गुड्डू तो प्लानिंग भी कर लिया होगा की कैसे कैसे मुझे चोदेगा। और गुड्डू चोदेगा तो विक्की भी चोदेगा ही। गुड्डू तो बोला न कोई ऐसी चुत नहीं है जिसमे किसी एक का ही लण्ड गया हो। तो अगर मैं गुड्डू को बोल दी की चुदवाऊँगी तो मतलब ये की विक्की को भी बोल दी।'
पूनम को मज़ा आ रहा था। 'तो क्या हुआ यार चुदवा ही लूँगी तो। कोई कुँवारी कली तो रही नहीं मैं अब। वो साला हरामी अमित प्यार के नाम पर बेवकूफ बनाकर सील तो तोड़ ही दिया है मेरा। ठीक ही तो बोलता है गुड्डू की जब उससे दो बार चुदवा ली तो एक बार मेरे से भी चुदवा लो। एक ही बार चोदने को तो बोल ही रहा है वो। अच्छा ठीक है, दोनों चोद लेंगे एक एक बार। क्या फर्क पड़ जाएगा मेरे पे। चुत घिस थोड़े ही जायेगी। मज़ा तो आ जायेगा। हर तरह से चोदने की प्लानिंग किये बैठा है वो तो। और उसका लण्ड भी तो दमदार है।'

पूनम की चुत गीली होने लगी। वो इमेजिन करने लगी की उसी लड़की की तरह पूनम भी गुड्डू और विक्की दोनों से एक साथ चुदवा रही है और गुड्डू जिस तरह से बोला था, दोनों उसी तरह से उसी पोज़ में एक साथ पूनम को चोद रहे हैं, और गांड भी मार रहे हैं। पूनम सोचने लगी की गांड मरवाने में कैसा लगेगा।

लेकिन फिर थोड़ी देर बाद पूनम सोचने लगी 'नहीं.... अब मुझे ये सब कुछ नहीं करना। दो बार अमित से चुदवा ली, गलती की। पहले मैं कितनी अच्छी और शरीफ थी, ये गुड्डू ने गन्दी कहानियाँ पढ़ा कर और चुदाई वाली पिक्स दिखाकर मुझे बिगाड़ दिया। सही बोला था अमित की मैं मना कर दी थी तो वो मुझे छूता भी नहीं था, मैं उसे करने दी तब वो रेस्टुरेंट में वो सब किया। सब इसी फोटो और कहानी का किया धरा है कि मेरा मन चुदवाने का करने लगा था। और सिर्फ चुदवाने का क्या, मैं तो हर तरह से और हर पोज़ में चुदवाना चाहती थी। गुड्डू ने अमित को डराया नहीं होता तो मैं तो उसके साथ सबके कुछ करवाने के लिए रेडी ही थी और सब कुछ करवा भी चुकी होती।'

पूनम अपनी सोच में मगन थी। 'लेकिन अमित के साथ तो ठीक से कुछ कर ही नहीं पाई थी मैं। जिस दिन पहली बार किया, उस दिन तो दर्द और डर से ही कुछ समझ नहीं आया था।' पूनम को याद आ गया कि कैसे जब पहली बार अमित का लण्ड उसकी चुत में सटा था तो उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया था और वो शर्मा गयी। 'और उस रात आया था तो उससे तो हो ही नहीं रहा था। वो तो मेरे ऊपर चुदाई का बुखार चढ़ा हुआ था कि मैं जबर्दस्ती चुदवा ली, नहीं तो अमित तो ऐसे ही शांत था।' पूनम अपनी उस रात की हरकत को याद कर शर्मा भी गयी और मुस्कुरा भी दी। 'बेकार में उस दिन वैसे पागल की तरह होकर चुदवाई। उस रात अमित कुछ नहीं कर पाता, तब मज़ा आता उस फट्टू को। बहुत बड़ा मर्द बना फिरता है सबके सामने। 15-20 रात गुजारा है मेरे साथ, हुँह। एक रात में तो कुछ हुआ ही नहीं उससे। उससे तो सही में अच्छा है गुड्डू।'

पूनम की सोंच फिर से गुड्डू पे वापस आ गयी। 'अरे तो एक ही बार तो चुदवाने बोल रहा है वो। अब जब एक बार चुदवा कर सील टुटवा ही ली, तो गुड्डू से भी, अच्छा ठीक है... और विक्की से भी एक बार चुदवा लूँगी तो क्या हो जायेगा। कितना मस्त चोदते हैं ये लोग उन लड़कियों को। जैसे जैसे उन्होंने बताया था वैसे वैसे चोदेंगे मुझे। मैं सोची तो थी न अमित से उस उस तरह चुदवाने का। अमित से तो चुदवाती ही न। अब अमित तो धोखेबाज निकला। समझ लूँगी की अमित से ही चार बार चुदी और फिर उसने धोखा दिया। वैसे भी वो तो सबको बताया है कि मुझे 20-25 चोदा है। और अमित जितना मज़ा दिया, उससे ज्यादा मज़ा तो गुड्डू और हाँ... विक्की भी देगा। कितना बड़ा और मोटा है उनका। ....लण्ड...।'

पूनम मुस्कुरा दी। उसे याद आया की किस तरह वो गुड्डू के साथ आज क्या क्या बात की और क्या क्या बोली। उसे शर्म भी आ रही थी की किस तरह वो बोल रही थी की लण्ड चुत में डाला, लण्ड चूस रही है। "आहः" पूनम की चुत फिर से गीली हो रही थी। उसका मन हो रहा था कि फिर से अभी नंगी हो जाये और बेलन को अंदर डाल कर चुदवा ले गुड्डू से अपनी सोच में। लेकिन उसके मम्मी पापा के आने का वक़्त हो चूका था। पूनम खाना बनाती रही और सोंचती रही की कैसे कैसे वो गुड्डू और विक्की से चुदवा रही है और उसे कितना मज़ा आ रहा है। दोनों उसे अपने बीच में रखकर चोद रहे हैं और गांड भी मार रहे हैं। लण्ड भी चुसवा रहे हैं और दोनों एक साथ अपना वीर्य पिला रहे हैं।

थोड़ी देर के बाद पूनम के मम्मी पापा आ गए. पूनम उसके साथ बातें करने लगी और फिर खाना खा कर अपने रूम में आ गयी. उसने अपने फ़ोन को स्विच ऑफ कर दिया ताकि मम्मी के सामने गुड्डू का कॉल या मैसेज न आ जाये। मम्मी को अगर पता चल गया तो कांड हो जाता। और मम्मी को जल्दी पता चलने के चान्सेस ज्यादा थे, पापा को पता चलने से। पूनम के दिमाग में उस वक़्त भी चुदाई ही चल रहा था। उसकी पैंटी गीली ही थी। पैंटी को सूखने का मौका ही नहीं मिल रहा था। पूनम की चुत से सेक्स का झरना धीरे धीरे रिस ही रहा था। गुड्डू और विक्की उसकी चुत के साथ खेल ही रहे थे पूनम के ख्यालों में।

पूनम अपने रूम में आयी और गेट बंद कर ली और सबसे पहले अपने सारे कपडे उतारकर पूरी नंगी हो गयी। वो अपनी हल्की सी झांटों वाली चुत को सहलाई तो उसकी उँगलियाँ गीली हो गयी। पूनम अभी पूरी तरह वासना के नशे में थी। अगर अभी कहीं किसी तरह से गुड्डू इस बंद कमरे में प्रकट हो जाता तो पूनम खुद उससे लिपट जाती और खुद वो सब कुछ करती और करवाती जो जो उसने पिक में देखा था या कहानियों में पढ़ा था।

पूनम मोबाइल ऑन कर ली और आलमीरा से एन्वेलोप निकाल ली जिसके पिक देखते हुए वो गुड्डू से फोन पे चुदी थी और उसकी चुत से बहुत सारा कामरस बहा था। पूनम बेड पे अपनी दोनों टांगों को फैलाकर लेट गयी और एक हाथ से अपनी चुत सहलाने लगी और दूसरे हाथ से पिक्स उठा उठा कर देखने लगी। 'आओ गुड्डू राजा....आहः.....चोद लो मुझे भी....मेरे चुत की भी सैर करवा दो अपने लण्ड को और विक्की के लण्ड को भी। दोनों चोदोगे मुझे। आहः.... चोद लो न।'

उसके हाथ में अभी वो पिक था जिसमे लड़की एक के ऊपर लेटी हुई थी और उसका लण्ड चुत में था और पीछे से दूसरे ने अपना लण्ड गांड में डाला हुआ था। 'आहः.... गांड भी मारोगे? ..... तो मार लेना न...... सब कुछ कर लो। जो मन है करने का सब कर लो...... आहः' चुत के अंदर ऊँगली के आने जाने की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी। बेलन किचन में था और वो उसे रूम में लाने का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।

पूनम पिक्स रख दी और कहानी पढ़ने लगी। वो कहानी में चुदाई वाला सीन ढूंढी और उसे पढ़ने लगी। एक लड़की को दो लड़के मिल कर नंगी कर रहे थे और उसके बदन से खेल रहे थे। पूनम कुछ ही देर पढ़ी की उसकी चुत में पानी का बांध टूट गया और उसकी चुत पानी से भर गयी। पूनम लम्बी लम्बी साँस लेने लगी।

वो बेड पे उल्टी होकर लेट गयी और उसकी चुत से रस बहकर बाहर आकर बेड पे गिरने लगा। पूनम के कपड़े उससे दूर थे और उसमें इतना हिम्मत नहीं था कि वो अपनी पैंटी को उठाकर अपनी चुत के नीचे रख सके। वो चादर को गीला होने छोड़ दी।

थोड़ी देर बाद गुड्डू का कॉल आया। पूनम अभी तक इसी तरह लेटी हुई थी। वो फ़ोन को कट कर दी और स्विच ऑफ कर दी। उसे गुड्डू से बात नहीं करना था। उसे ये सब कुछ करना ही नहीं था। अब किसी से नहीं चुदवाना था।

वो इसी तरह उल्टी होकर नंगी लेटी रही और उसकी चुत से काम रस बहकर उसकी चादर को गीला करता रहा। बेड पे चुदाई वाली कहानी और वो पिक्स इधर उधर बिखरे रहे और वो सोचती सोचती सो गयी।

'अब ये सब कुछ नहीं करुँगी। न तो गुड्डू से बात करुँगी, न एन्वेलोप लूँगी और न ही ये सब कुछ करुँगी। मैं कितनी अच्छी लड़की थी, लेकिन उस हरामी गुड्डू ने जान बूझ कर मुझे ये सब दिया और मैं क्या से क्या करती गयी। अगर अमित के साथ मैं प्यार नहीं कर रही होती तो, इन पिक्स और कहानियों की वजह से जो मेरी हालत हुई है, तब तो मैं गुड्डू से ही चुदवा चुकी होती। लेकिन उस हरामी फट्टू अमित की किस्मत अच्छी थी की मैं उससे प्यार करती थी और पागल बनकर उससे चुदवा बैठी। अगर गुड्डू मुझे ये सब नहीं देता तो मैं आज भी कुँवारी होती और शरीफ लड़की होती, जैसे पहले थी।'

'अब चाहे कुछ भी हो जाये, एक बात तो तय है कि अब मैं किसी के साथ कुछ नहीं करवाने वाली। गुड्डू के साथ तो बिल्कुल नहीं। और अब से ये सब भी नहीं करुँगी। न तो नंगी होऊँगी और न ही चुत में ऊँगली या कुछ और करुँगी। जैसे पहले थी वैसे ही रहूँगी। ये सब भी फाड़ कर फ्लश में बहा देती हूँ।' पूनम का मन हुआ की अभी ही पिक्स और कहानी को बाथरूम में फ्लश कर दे, लेकिन अपनी स्थिति देखते हुए वो सुबह ये काम करने का फैसला ली।

'सुबह पक्का फेंक दूँगी इसे। छिह....कितनी गन्दी हो गयी हूँ मैं। कैसे मैं उसके सामने क्या क्या बोली। क्या सोचता होगा वो मेरे बारे में। वो मुझे भी अपनी रंडियों की तरह ही सोच रहा होगा। इसलिए तो उसने मुझे ये सब दिया था। वो तो आधा कामयाब भी हो गया है अपने मकसद में। लेकिन अब इससे ज्यादा और कुछ नहीं होगा। छिह....कैसे मैं बोल दी की चोदो मुझे। चुदवाऊँगी, गांड मारवाऊंगी। लण्ड चूस रही है, चुदवा रही है। छिह.... मैं बेशर्म हो गयी हूँ। एक लड़की ऐसा कैसे बोल सकती है किसी लड़के के सामने। अब कभी नहीं... कभी नहीं.... कभी नहीं।'
पूनम अपने आप को मजबूत बनाते हुए निर्णय की कि इन लड़कों के नजदीक होने की कोई जरूरत नहीं है और वो सोंचते सोंचते इसी तरह नंगी सो गयी।
[Image: 97039048_img_20180127_230417.jpg]
गुड्डू भी पूनम को फ़ोन पे चोद कर बहुत खुश था। पूनम का फ़ोन कटने पर वो ख़ुशी ख़ुशी अपने अड्डे से बाहर निकला। उसे अब पूरा यकीन था कि उसके लण्ड को अब पुनम की चुत में घूमने का मौका मिलेगा। पूनम तो बोल ही दी थी की चुदवाऊँगी। लेकिन गुड्डू को ये भी पता था कि अभी उसे और मेहनत करनी होगी। मुर्गी के हलाल होने में अभी वक़्त था।

वो विक्की से मिला और उसे सब कुछ बताया कि कैसे पूनम फ़ोन पे क्या क्या बोली और ये भी बोली की चुदवाएगी और गांड भी मरवायेगी। गुड्डू इस बात को छुपा गया कि पूनम बस उसी से चुदवाने के लिए तैयार हुई है। वैसे भी इस बात का कोई मतलब नहीं था। चोदना तो दोनों को था और पूनम को दोनों से ही चुदवाना पड़ता।

विक्की को इन बातों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। बोला "जब चोदने जाना हो तब बता देना। मुझे न तो उसे और न ही किसी और रण्डी को फ़ोन पे चोदना है। चोदने के लिए मेरे पास लण्ड है। तू फ़ोन पे चोद उसे, गांड मार। जब लण्ड से चोदने की बारी आये, तो मुझे बुला लेना। बस।" गुड्डू को पता था कि विक्की का रिएक्शन कुछ ऐसा ही होगा। वो दोनों बहुत पुराने दोस्त थे और बचपन से लेकर अब तक सब कुछ उन्होंने साथ में ही किया था।
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#69
hhhhhhhhhhhhhoooooooooooottttttttttttttttttttttttttttttt
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#70
Supar updet Bhai...... Maza aa gaya aese hi aage badte Raho..
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#71
Ab poonam ko chudwayo yaar
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#72
jaldi chudwao poonam ko
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#73
Superb....Very nice writing...Lets see How Poonam will change her mind now.
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#74
पूनम अंगड़ाई लेती हुई सुबह जगी तो उसका उठने का मन नहीं हो रहा है। लेकिन उसे उठना पड़ा। वो सारे पिक्स और कहानी वाले पेपर को एन्वेलोप में रखी और उसे आलमीरा में रख दी। उसकी नज़र बेड पे गयी। बेड पे चुत के रस का दाग बन गया था। वो सोते वक़्त का अपना फैसला याद की अब ये सब कुछ नहीं करना है। वो अपने मोबाइल को ऑन की तो गुड्डू के कई सारे मैसेज तुरंत तुरंत आने लगे थे. वो जल्दी जल्दी सबको पढ़ी और फिर डिलीट कर दी. कुछ में नॉनवेज जोक्स थे तो कुछ में और कुछ लिखा था जैसे चुत से पानी निकाल ली क्या, आ न जान, लण्ड टाइट है, इत्यादि। मैसेज पढ़ते ही पूनम की चुत गीली होने लगी और उसका रात में लिया हुआ फैसला कमजोर होने लगा। पूनम अपनी माँ के जागने की आहट सुनी तो अपने कपड़े पहनी और बाहर आ गयी।

पूनम आज सारा दिन घर में थी. वो अपनी माँ के साथ ही बात करती रही और घर की साफ़ सफाई करती रही। वो अपने रूम की चादर भी धो दी। जब तक वो घर में व्यस्त रही तब तक तो उसे गुड्डू का ख्याल नहीं आया, लेकिन जब मोबाइल में मैसेज का टोन बजा और वो गुड्डू का भेजा हुआ नॉनवेज मैसेज पढ़ी तो उसका बेचैन हो गया और उसका मन करने लगा की वो पिक फिर से देख ले और वो कहानी पढ़ ले। लेकिन वो अभी ऐसा कर नहीं सकती थी।

दोपहर के बाद पूनम अपनी माँ के साथ तैयार होकर मार्केट जाने के लिए निकली। उसकी मौसेरी बहन की शादी होने वाली थी और वहीँ जाने के लिए वो लोग शॉपिंग करने निकले थे। पूनम घर से बाहर आई तो गुड्डू और विक्की दोनों वहीँ गली के बाहर खड़े थे। विक्की ने इशारे से गुड्डू को पूनम को दिखाया और फिर गुड्डू पूनम को गौर से देखने लगा। पूनम ये सब कुछ देख रही थी और गुड्डू को इस तरह खुद को देखते देखकर वो शर्मा गयी और आज भी फिर से न चाहते हुए भी वो मुस्कुरा दी। वो एक वन पीस पहनी हुई थी और बहुत ही क्यूट लग रही थी।
[Image: 97413265_img_20180910_005223.jpg]
पूनम अपनी माँ के साथ थी और इस तरह दोनों को खुद को देखते वो ज्यादा ही शर्मा रही थी। उसे पता था कि गुड्डू उसे किस तरह देख रहा होगा। जिस लड़के को वो रात में बोली है कि चुदवाऊँगी और गांड मारवाऊंगी, और चोदने चुदवाने की बात की है, वो तो इस तरह ही देख रहा होगा जैसे पूनम बिना कपड़ों के चल रही हो। और विक्की भी तो उसे चोदने का ही इंतज़ार कर रहा है तो वो भी उसे इसी तरह देख रहा होगा।

गुड्डू की नज़र पूनम की नंगी जांघों पे थी क्यों की पूनम की ड्रेस घुटने के थोड़ी ऊपर थी और गुड्डू ऐसे देख रहा था कि वो आँखों से ही ड्रेस को ऊपर उठा कर पूनम की चुत को सहला रहा है। विक्की की नज़र पूनम की संतरों की तरह गोल चूचियों पे थी। पूनम शर्मा कर नीचे देखने लगी और माँ के साथ रोड पे आ गयी। उसे अपनी गांड पे दोनों की नज़रें चुभती हुई महसूस हो रही थी। पहले भी वो दोनों पीछे से पूनम की चाल का भरपूर मज़ा लेते थे, लेकिन आज पूनम को कुछ ज्यादा ही अजीब लग रहा था। उसे लग रहा था कि दोनों उसकी हिलती हुई गांड देखकर सोंच रहे होंगे की कब ये चुदेगी और कब इस मस्त गांड को मारने का मौका मिलेगा।

पूनम अभी कुछ ही दूर चली थी की उसका मोबाइल मैसेज टोन बजाया। पूनम को पता था कि ये मैसेज गुड्डू का ही होगा। वो न चाहते हुए भी खुद को मैसेज पढ़ने से रोक नहीं पाई। लिखा था "मस्त माल लग रही हो। इस ड्रेस में आगे और पीछे दोनों तरफ से माल लग रही हो।" पूनम अभी ये मैसेज पढ़ ही रही थी की अगला मैसेज आया "तुम्हारी चूचियाँ इस तरह पूरी गोल हैं, ये सलवार सूट में पता ही नहीं चलता था। लण्ड टाइट हो गया।"

फिर तो मैसेज का सिलसिला चल पड़ा। उसकी माँ पूछी भी की क्या बिजी हो मोबाइल में, तो पूनम बात टाल दी। लेकिन गुड्डू के मैसेज अपना काम कर चुके थे और पूनम की पैंटी गीली हो चुकी थी। गुड्डू ने दो बार फ़ोन भी किया था लेकिन पूनम कॉल डिसकनेक्ट कर दी थी। पूनम और उसकी माँ सारी खरीददारी करके और टेलर के पास ब्लाउज सिलने और साड़ी में फॉल पिको करने देते हुए घर आई।

पूनम जब वापस आ रही थी तो दोनों में से कोई उसे नहीं दिखा। रात में पूनम अपने रूम में गयी और सबसे पहले सारे कपड़े उतारकर नंगी हो गयी और फिर वो एन्वेलोप निकाल कर कहानी पढ़ने लगी। कुछ ही देर में पूनम की चुत गीली हो गयी और वो चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगी। अभी ये चल ही रहा था कि मोबाइल पे मैसेज आया। पूनम उसे इग्नोर कर दी और कहानी पढ़ती रही। थोड़ी थोड़ी देर पे मैसेज आते रहे और फिर गुड्डू का कॉल आया।

यहाँ तक तो पूनम खुद को सम्हाले हुए थी की वो गुड्डू से कोई मतलब नहीं रखेगी, लेकिन अब पूनम के लिए गुड्डू को इग्नोर करना मुश्किल हो गया। पूनम कॉल कट कर दी और मैसेज पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद फिर से गुड्डू का कॉल आ गया। पूनम खुद को रोक नहीं पाई और कॉल रिसीव कर ली। वो पूरी नंगी थी और चुत में ऊँगली कर रही थी। पहले तो वो गुड्डू को दिन में इतने सारे मैसेज के बारे में बोली, और बोली की मुझे कॉल या मैसेज मत किया करो, लेकिन थोड़ी ही देर बाद गुड्डू ने उसे अपनी बातों में फँसा लिया और आज फिर से पूनम वो सारी बात बोली जो गुड्डू सुनना चाहता था।

गुड्डू उसे बोला की "जान, मुझे भी अपने साथ मार्केट ले चलती तो मैं तुम्हारी वन पीस में नीचे से हाथ अंदर डालकर तुम्हारी जांघ और गांड को सहलाता और फिर तुम्हारी पैंटी उतार कर अपने पॉकेट में रख लेता। फिर वहीँ मार्केट में ही तुम्हारी चुत सहलाता और जहाँ अकेले में मौका मिलता, वहीँ तुम्हे पकड़ कर तुम्हारे रसीले होठ को चूसता और तुम्हारी चूचियों की गोलाई नापता। अपने लण्ड को निकाल कर तुम्हारी गोरी चिकनी चुत में सटा देता और फिर वहीँ तुम्हे चोदता।"

गुड्डू की बातों से नंगी पूनम की गीली चुत और गीली हो गयी और वो फिर से गुड्डू से फ़ोन पे चुदवाई और जैसे जैसे गुड्डू उसे बोलने बोला वो सब बोली। पूनम बोली की "हाँ, अपना लण्ड मेरी चुत से सटा देना और फिर मैं धक्का लगाकर उसे अपनी चुत में भर लूँगी और तुमसे चुदवाऊँगी। वहीँ पे झुक जाऊँगी और तुम पीछे से अपना लण्ड मेरी गांड में डालकर मेरी गांड मार लेना। तुम सारा वीर्य मेरे मुँह में गिरा देना और मैं उसे पी जाऊँगी और चेहरे पे लग जाने दूँगी।"

पूनम गुड्डू की बातें सुनती रही और ये सब बोलती रही और साथ ही साथ अपनी गर्मायी हुई चुत में ऊँगली अंदर बाहर करती रही। जब उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया तो वो कॉल कट कर दी और फिर से नंगी सो गयी। आज भी वो कल की ही तरह आगे से कभी ये सब नहीं करने का और गुड्डू से बात नहीं करने का फैसला ली।

अगले दिन भी संडे था तो पूनम दिन भर घर पे ही रही और आज दोपहर में ही जब उसके मम्मी पापा सो रहे थे और वो अपने रूम में अकेली थी तो वो एन्वेलोप निकाल ली और कहानी पढ़ ली। वो अपनी ट्रोउजर के अंदर हाथ डालकर चुत सहला रही थी और फिर पानी निकलने के बाद एन्वेलोप को वापस आलमीरा में रख कर सो गयी। रात में न तो गुड्डू का कॉल या मैसेज आया और न ही पूनम को उसकी याद आयी। वो फिर से नंगी होकर पूरी कहानी पढ़ी और फिर चुत से पानी निकालकर नंगी ही सोई।

उसका मन हाँ और ना के बीच झूल रहा था। वो गुड्डू से चुदवा लेना चाहती थी, लेकिन उसे डर भी लग रहा था। अगले दिन पूनम ऑफिस गयी लेकिन उसे सुबह में भी और शाम में भी दोनों में से कोई नहीं दिखा। रात होते ही पूनम की चुत गीली होने लगी। आज भी दिन भर में गुड्डू का बस 2-3 मैसेज ही आया था।

पूनम अपने रूम में आयी और गेट बंद करते ही नंगी हो गयी। वो एन्वेलोप निकाल कर कहानी पढ़ने लगी, लेकिन इसमें उसे आज मज़ा नहीं आ रहा था। वो अपने मोबाइल को देखने लगी, लेकिन उसमें कोई मैसेज या मिस्ड कॉल नहीं था।

पूनम अपनी चुत को सहला रही थी और ऊँगली भी अंदर बाहर कर रही थी, लेकिन न तो उसे चुत सहलाने में मज़ा आ रहा था और न ही कहानी पढ़ने में। वो मोबाइल उठा ली और गुड्डू को कॉल करने के बारे में सोचने लगी।

'कॉल करुँगी तो वो क्या सोचेगा? क्या सोचेगा, यही न की मैं उससे चुदवाना चाहती हूँ। हाँ, तो चाहती हूँ। एक बार चोद ही लेगा तो क्या हो जायेगा। नहीं, फ़ोन करेगा तो उसे बोलूंगी की जब मना की हूँ तो मैसेज क्यों करते हो। फिर तो वो अंट शंट बोलेगा ही और मुझे चोदेगा ही।' सोचते सोचते पूनम के पैर खुद ब खुद खुल गए जैसे गुड्डू सच में वहाँ हो और पूनम को चोदने वाला हो।

पूनम गुड्डू को मिस्ड कॉल कर दी। लेकिन जब गुड्डू ने कोई कॉल नहीं किया तो पूनम फिर से थोड़ा लम्बा मिस्ड कॉल की। इस बार गुड्डू ने कॉल कट कर दिया और तुरंत ही कॉल बैक कर दिया। पूनम के दिल की धड़कन तेज़ हो गयी। वो कॉल रिसीव कर ली और धीरे से "हेल्लो" बोली। बगल के कमरे में उसके मम्मी पापा सो रहे थे, तो वो अपनी आवाज़ इतनी ही रखती थी की वो लोग न सुन पायें।

गुड्डू के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं थी। वो अपने नार्मल साउंड में ही बोलता था। पूनम के हेल्लो बोलते ही गुड्डू बोला "म्म्म कैसी हो जान... कब चोदने दोगी।" पहले ही लाइन में ये सुनते ही पूनम के मुँह से आहः निकल गयी जिसे वो अपने अंदर ही दबा ली। उसकी चुत पूरी गर्म थी।

वो खुद को सम्हालती हुई बोली "क्यों मैसेज करते हो इस तरह के, मना की हूँ न।"
गुड्डू उसकी बातों को पूरी तरह इग्नोर करता हुआ बोला "क्या पहनी हुई हो अभी?"
पूनम शॉक्ड हो गयी। उसे इस सवाल की उम्मीद नहीं थी। बोली "क्यूँ?"
गुड्डू बोला "बोलो न, क्या पहनी हुई हो अभी?"
पूनम झूठ बोल दी "टॉप ट्रोउजर।"
गुड्डू फिर आगे पूछा "और अंदर?"
पूनम की चुत का गीलापन बढ़ गया। बोली "क्यों पूछ रहे हो ये सब?"
गुड्डू बोला "बोल न, क्या पहनी हुई है अंदर में?"
पूनम शर्मा गयी, लेकिन अब भला उस लड़के से क्या शर्माना जिसके साथ चुत, लण्ड और चुदाई की बात कर चुकी हो। वो अपने पैर फैलाते हुए बोली "पैंटी ब्रा।" उसे बहुत मज़ा आया था। इसलिए तो वो गुड्डू के कॉल का वेट कर रही थी। उसे पता नहीं था कि गुड्डू ये क्यों पूछ रहा है, लेकिन उसे अच्छा लग रहा था। नंगे बदन में आग जलने लगी थी।
गुड्डू बोला "उतार दे न सब। नंगी हो जा न।"
पूनम तो पहले से ही नंगी हुए बैठी थी। उसकी आवाज़ बैठने लगी। पूछी "क्यूँ?" हालाँकि उसे पता था कि कोई लड़का किसी लड़की को नंगी होने बोल रहा है तो क्यों बोल रहा है।
गुड्डू बोला "क्यों की तुझे चोदना है। तेरी नंगी चुत को सहलाना है। उसे अपने हाथों से फैला कर तेरी चुत में अपना जीभ घुसा कर चूसना है। तेरी नंगी चुच्ची को मसलना है और तेरे निप्पल को मुँह में भरकर चूसना है। तेरे चिकने बदन को सहलाना है। तेरी कमर, पीठ, पेट जांघ पे हाथ फेरना है और हर जगह को चूमना है। तुम्हारी चुत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करना है और उसे अपने लण्ड के लिए तैयार करना है। और फिर अपना लण्ड तेरी चुत में डालकर तुझे चोदना है जान....। हो जा न नंगी। पूरी नंगी।"

इतना सुनते ही पूनम के मुँह से "आहः" निकली जिसे इस बार वो अंदर नहीं रोक पायी। गुड्डू फिर से आगे और बोलना स्टार्ट किया और फिर पूनम बोल दी "आहः, तो चोद लो न। पूरी नंगी हूँ। डाल दो न अपना लण्ड मेरी चुत में, और चोद लो जी भर कर।" पूनम की चुत पूरी गर्म हो गयी थी और वो तेज़ी से ऊँगली अंदर बाहर करने लगी थी।

फिर गुड्डू जैसे जैसे बोलता गया, पूनम उस उस तरह से बोलती गयी और फ़ोन पे ही हर तरह से गुड्डू से चुदवाती गयी। गुड्डू बोला "मेरे लण्ड पे बैठ जाओ और चुदवाओ।" तो पूनम खुद से बोली "तुम्हारे लण्ड को अपनी चुत में भरकर तुम्हारे ऊपर बैठ गयी हूँ और उछाल उछल कर चुदवा रही हूँ तुमसे। आहः चोदो मुझे आहः।"

गुड्डू समझ गया था कि पूनम कितनी गर्म है। बोला "कब मिलेगी जान? कब अपने चुत के समंदर में मेरे लण्ड को डुबकी लगाने देगी?" पूनम तो अभी पूरी तैयार थी। वो दोनों पैर फैलाकर अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर कर रही थी और इमेजिन कर रही थी की गुड्डू उसे फुल स्पीड में चोद रहा है। बोली "तो चोद लो न।"

गुड्डू अब सच में पूनम के नंगे बदन को सहलाना चाहता था। बोला "कल आ जाओ न, मेरे पास।" पूनम पूरी तरह वासना के नशे में थी। पूछी "कहाँ?" गुड्डू के लण्ड की अकड़ और बढ़ गयी की कल पूनम उसके पास चुदवाने के लिए आ रही है। बोला "मेरे अड्डे पे। वहीँ पूरी मस्ती करेंगे।" गुड्डू ने अपने अड्डे का पता बताया। बोला "वहीँ पे पूरे नंगे होकर तुम्हारे बदन के हर हिस्से को चूमूँगा। तुम्हे अपनी गोद में उठा लूँगा और तुम्हारी चुत में लण्ड डाल कर पूरे घर में घुमाऊँगा। तुम्हारी चुच्ची को आंटे की तरह गूथ गूथ कर मसल दूँगा। तुम्हारी चुत को अपने जीभ से चोद चोद कर चूसूंगा। खूब चोदुंगा तुम्हे। तीन बार लण्ड का पानी निकालूँगा तुम्हारे पे। एक बार तुम्हारे मुँह में, फिर चुत में और फिर गांड में।"

पूनम सुनती जा रही थी और इमेजिन करती जा रही थी की कैसे कैसे गुड्डू उसे चोदेगा। वो तैयार थी गुड्डू से चुदवाने के लिए। उसके लण्ड का पानी पीने के लिए, उसके लण्ड को अपनी चुत और गांड की सैर कराने के लिए। जैसे जैसे गुड्डू चोदना चाहे, वैसे वैसे चुदवाने के लिए। पूनम की ऊँगली तेज़ी से चुत में अंदर बाहर हो रही थी और फिर उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया। वो हाँफने लगी। अब उसका दिमाग थोड़ा काम कर रहा था। उसे गुड्डू से चुदवाने में तो अभी ऐतराज़ नहीं था, लेकिन वो उसके अड्डे पे जाने के नाम से डर गयी। एक अनजान सा डर उसके मन में बैठ गया। वो अपनी साँसों को सम्हाली और बोली "आऊँगी, लेकिन अभी नहीं, कुछ दिन बाद।" गुड्डू थोड़ा उदास हो गया। बोला "क्यूँ जान, कितना तड़पायेगी।"

पूनम अब आराम से लेटी हुई रिलैक्स हो रही थी। उसकी चुत से रस बहकर बाहर आ रहा था। वो गुड्डू को समझाते हुए बोली "देखो..., मैं इतना कुछ की तुम्हारी साथ। क्या क्या नहीं बोली। जैसे जैसे तुम बोलते हो, वैसे मैं इमेजिन करती जाती हूँ। मुझे अच्छा भी लगता है। और जब इतना कुछ की हूँ तो तुमसे चुदवाऊँगी भी। लेकिन मुझे कुछ वक़्त दो। जब तुम्हे मुझे चोदना ही है तो मैं उसके लिए तैयार हूँ। लेकिन मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए सोंचने समझने का। मैं बस चाहती हूँ की किसी को कुछ पता न चले, मैं बदनाम न हो जाऊँ। अमित वैसे ही मेरे बारे में बहुत से लोगों को बहुत सारी उल्टी सीधी बात बोल चूका होगा। तो मैं बस इसी से डरती हूँ।"

गुड्डू के लिए सब्र रखना मुश्किल हो रहा था। बोला "किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। वहाँ कोई तुम्हे आता जाता देख भी नहीं सकता। भरोसा रखो मेरे पर।" पूनम सच में चुदवाने के लिए तैयार थी। लेकिन वो बस एक बार और अच्छे से सोंच लेना चाहती थी। बोली "भरोसा है, तभी तो तुम्हारे साथ इतना कुछ बात करती हूँ। तुमने कभी भी ज़िद नहीं किया, कोई जबर्दस्ती नहीं की, इसलिए इतना कुछ की मैं। और वो भी करुँगी जो तुम चाहते हो। मैं तुमसे चुदवाऊँगी भी। लेकिन तुम बस मुझे थोड़ा और वक़्त दो। और ...." पूनम की बात खत्म होने से पहले ही गुड्डू बोला "कोई बात नहीं। ले लो जितना वक़्त लेना है। मेरा लण्ड तुम्हारी चुत के लिए थोड़ा और इंतज़ार कर लेगा। लेकिन याद रखना, जब चुदाई हो, तो पूरी मस्ती के साथ हो। कोई रुकावट न रहे, कोई कमी न रहे। मुझे कोई जल्दी नहीं है।"

पूनम खुश होती हुई बोली "कोई कमी नहीं रहेगी। मैं भी हड़बड़ी का काम नहीं चाहती। तुम मेरी इच्छा का ख्याल रखे, यही कारण है कि तुम्हारे साथ इतना बात भी की, नहीं तो मैं किस टाइप की लड़की हूँ, ये तुम अच्छे से जानते हो। तुमने सब्र रखा है, तो तुम्हे फल भी मीठा ही मिलेगा।" गुड्डू बोला "मैं तुम्हारे दोनों संतरों को निचोड़ खाऊँगा।" पूनम हँस दी और गुड्डू भी।
[Image: 97414044_img_20180424_072105.jpg]
पूनम कॉल कट कर दी और आज भी फिर से नंगी ही सो गयी। जब तक उसे नींद नहीं आयी, वो यही सोंचती रही की कहाँ और कैसे गुड्डू से चुदेगी। और सिर्फ गुड्डू से चुदेगी या विक्की से भी। भले ही गुड्डू विक्की से चुदवाने का जिक्र इधर से न कर रहा हो, लेकिन पूनम को पूरा यकीन था कि विक्की भी चोदेगा ही, और वो भी दोनों के लण्ड अपनी चुत को खिलाने के लिए रेडी थी। गुड्डू भी खुश था कि उसकी मेहनत रंग ला रही है। अब उसे पूरा यकीन था कि पूनम उससे चुदेगी। वो बहुत सारी चुत चोद चूका था, लेकिन पूनम जैसी माल को खाने की बात ही और थी।
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#75
aakhirkaar maan hi gayi madam... wah!
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#76
Very erotic
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#77
Next update please
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#78
VERY NICE STORY

UPDATE KARO DOST BHOG LENE DO GUDDU KO AB
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#79
banana superb updet,, ab aage bi likho
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#80
सुबह पूनम जगी तो वो इस प्लान के साथ जगी थी की गुड्डू से कैसे चुदवाना है। उसके मन में कई तरह की बातें चल रही थी। 'गुड्डू के अड्डे पे जाना ठीक रहेगा की नहीं, लेकिन वहाँ नहीं जाऊँगी तो फिर कहाँ करवाऊँगी। किसी होटल में? नाह... वो तो और ज्यादा रिस्की है। लेकिन अड्डे पे गयी तो पता नहीं वो क्या क्या करेगा, फिर मैं वहाँ क्या कर पाऊँगी। नहीं नहीं... अड्डे पे नहीं जाऊँगी। देखती हूँ की कैसे क्या हो सकता है। मुझे चुदवाने की कोई जल्दी नहीं है। लेकिन कोई परेशानी न हो जाये। उन दोनों का क्या है, लड़के हैं, और उनका काम ही यही है। मैं तो बर्बाद हो जाऊँगी न।'

पूनम अपनी सोच में डूबी हुई ही सारे काम कर रही थी। वो सोच ली थी की अब गुड्डू से चुदाई करवा ही लेना है। आज सुबह से ही गुड्डू मैसेज पे मैसेज भेजे जा रहा था। उससे बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा था। वो तो फ़ोन करके पूनम को चोद लेना चाहता था, उसे अपने पास बुलाकर उसके मखमली जिस्म को रगड़ लेना चाहता था। लेकिन अभी वो बस मैसेज ही कर सकता था, तो कर रहा था। पूनम जैसे ही मैसेज टोन सुनती तो फ़ोन अनलॉक कर उसे पढ़ती थी और फिर डिलीट कर दे रही थी। मैसेज ऐसे थे की पूनम के चेहरे पे मुस्कान फ़ैल जा रही थी और उसकी चुत से शहद बाहर आकर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था। कुछ मैसेज को वो रखना चाहती थी, लेकिन वो ऐसे थे की उन्हें फ़ोन में रखना मुमकिन नहीं था।

पूनम की माँ जब से अपने भाई के पास से आयी थी, तब से उसे पूनम बदली बदली नज़र आ रही थी। पूनम का ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बीत रहा था और वो पूनम को नोटिस कर रही थी। जब पूनम ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गयी थी और नाश्ता कर रही थी तो पूनम की माँ बोली "तू कितना बिजी रहती है फ़ोन में। किसका मैसेज आता रहता है।" पूनम को ये अचानक से माँ से ये पूछे जाने की उम्मीद नहीं थी। पूनम घबरा गयी। बोली "न...नहीं तो... कहाँ किसी का..." पूनम की माँ उसके इस जवाब से संतुष्ट तो नहीं ही हुई, उसे घूर कर देखने लगी। पूनम तुरंत ऐसे एक्टिंग की जैसे उसे अब अपनी माँ की बात समझ में आयी। बोली "अच्छा वो... ये तो कंपनी के मैसेज आते रहते हैं। इनका तो काम ही यही है।" पूनम नाश्ते की थाली देखते हुए बोल रही थी। वो पहली बार अपनी माँ से झूठ बोल रही थी। उसकी हिम्मत नहीं हुई की अपनी माँ की तरफ देख कर ये बात बोल पाए।

पूनम की माँ अपनी हथेली से पूनम की ठुड्डी ऊपर उठायी और उसकी आँखों में देखते हुए बोली "तेरी माँ हूँ। कंपनी के मैसेज पढ़कर किसे हँसी आती है!!!" पूनम फिर से बात घुमाते हुए बोली "अरे अभी तो वो सुषमा का मैसेज आया था। एक चुटकुला भेजी थी।" पूनम की माँ उसे ऐसे देखि जैसे उन्हें पता था कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है, लेकिन वो बात को खींचना नहीं चाहती थी। बोली "देख बेटा, कोई ऐसा काम मत कर देना की माँ बाप की पगड़ी उछल जाये।"

"क्या हो गया भाई?" बोलते हुए पूनम के पापा भी नाश्ते की टेबल पे पहुँच गए। पूनम तो पूरी तरह डर गयी की कहीं पापा को पता न चल जाए और वो गुस्सा न हो जाएं। उसे पता था कि उसके पापा कैसे रूढ़िवादी ख्यालों के हैं। पूनम की माँ भी उनके इस तरह अचानक आ जाने से सकपका गयी, क्यों की वो भी ये बात अभी अपने पति की जानकारी में नहीं आने देना चाहती थी।

पूनम के पापा ने फिर से पूछा "क्या हो गया? कौन किसकी पगड़ी उछाल रहा है?" दोनों माँ बेटी थोड़े रिलैक्स हो गए की पापा ने पूरी बात सुनी भी नहीं थी और अभी उनका मूड भी अच्छा था। पूनम तो चैन की साँस ली, लेकिन उसकी ये चैन की साँस कितनी देर तक रहती ये अभी अब उसकी माँ क्या बोलती है, ये उसपे निर्भर कर रहा था।

पूनम की माँ बोली "वो शर्मा जी की बेटी भागकर शादी कर ली थी न, उसी की बात हो रही थी। वही पूनम को बोल रही थी की वो तो अपने माँ बाप की पगड़ी ही उछाल दी न।" पूनम के पापा का मुँह बुरा सा बन गया। बोले "आजकल के बच्चों को अपनी माँ बाप की फिक्र नहीं होती। माँ बाप का चाहे जो हाल हो, समाज में उसकी जो थू थू हो, लेकिन बच्चे को तो बस अपने आप से मतलब है कि हम तो अपने मन की ही करेंगे।" पूनम की माँ बोली "माँ बाप क्या करेंगे। वो तो बस बच्चों को समझा ही सकते हैं न। हर घड़ी तो उसके पीछे नहीं लगे रहेंगे। बेटा हो या बेटी हो, पढ़ने बाहर जायेंगे ही, काम करने बाहर जायेंगे ही। पूनम ही बाहर जाती है या पंकज ही बाहर में रह रहा है, तो ये लोग क्या करते हैं बाहर में, ये तो यही लोग जानेंगे न।" पूनम की तो साँस अटक गयी।

पूनम के पापा ने एक लंबा साँस लिया और बोले "हाँ... सही बात है। कौन क्या करेगा कौन जानता है। इसलिए तो मैं चाहता हुँ की बच्चों की जल्दी शादी हो जाये की हम निश्चिन्त हों।" पूनम को लगा की आज उसका बुरा दिन है। बोली "ये कौन सी बात करने लगे आपलोग।" पूनम के पापा ने पूनम के कंधे पे हाथ रखा और आँखों में आंसू भरकर बोले "बेटा, तुम ऐसा कुछ मत कर देना जिससे हमारी पगड़ी उछल जाये।" पूनम की भी ऑंखें भर आयी।
बोली "कैसी बात कर रहे पापा आप!" पूनम के पापा आगे कुछ नहीं बोले। पूनम की माँ तुरंत ही उनके सामने नाश्ते की थाली रखी और माहौल को हल्का करती हुई बोली "हमारे बच्चे ऐसे नहीं हैं। मुझे भरोसा है अपनी बेटी पर, और बेटे पर भी।" पूनम बस इतना ही बोल पायी "मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी।" पूनम के पापा बोले "भरोसा तो मुझे भी है। तभी तो इसे नौकरी करने दिया।"

पूनम ऑफिस के लिए निकल पड़ी। अभी गुड्डू रोड पे ही था और पूनम को देखकर अच्छे से मुस्कुरा रहा था। उसे उम्मीद थी की उसके भेजे नॉनवेज चुटकुलों ने सुबह सुबह ही पूनम की पैंटी को गीला कर दिया होगा और वो उसे देखकर शर्माती हुई मुस्कुराएगी। लेकिन अभी पूनम का ध्यान गुड्डू पे नहीं था। उसके दिमाग में उसके मम्मी पापा की बातें गूँज रही थी।

'मैं तो भरोसा तोड़ ही दी हूँ उनलोगों का। अमित के साथ प्यार की, उसके साथ वो सब भी की जो नहीं करना चाहिए था। और अब गुड्डू के साथ ये सब कर रही हूँ। छी..., मैं तो घटिया लड़की हूँ। पापा ने जब काम करने का परमिशन दिया था, तभी बोले थे की कुछ भी ऐसा काम मत करना की लोगों को बोलने का मौका मिले। और मैं तो क्या क्या नहीं कर ली। अमित नहीं छोड़ा होता तो उसके साथ तो पता नहीं क्या क्या करवाती रहती। और अभी तो उससे भी ख़राब कर रही हूँ की गुड्डू के साथ क्या क्या कर रही हूँ और क्या क्या करवाने के बारे में सोच रही हूँ। अमित के साथ तो फिर भी प्यार करती थी, शादी करने का प्लान था उसके साथ, वो करता या नहीं करता ये अलग बात है। लेकिन गुड्डू के साथ तो बस जिस्म के मस्ती से मतलब है।" पूनम परेशान हो गयी थी। उसके पापा की बातों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।

"नहीं...नहीं, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। जितना हो चूका, बस हो चूका। अब आगे और कुछ नहीं करुँगी। अमित के साथ जो भी हुआ, लेकिन अभी उसके साथ कुछ नहीं है। और वो इसका जिक्र भी नहीं करेगा किसी के सामने, यहाँ तक की अगर उसने मुझे कहीं देख भी लिया तो पहचानेगा भी नहीं। और गुड्डू के साथ कुछ नहीं करुँगी मैं। अमित के साथ तो फिर भी प्यार था, इसके साथ तो बस सेक्स है। नहीं.... अब और कोई मस्ती नहीं। कुछ नहीं। मैं अपने पेरेंट्स का भरोसा नहीं तोड़ सकती। मैं वैसी लड़की नहीं हूँ।'


पूनम फिर से मजबूती से फैसला की। उसे अफ़सोस हो रहा था कि 'क्यों कई बार ये फैसला लेने के बाद भी की मैं गुड्डू से कोई मतलब नहीं रखूंगी, मैं उसकी तरफ आगे बढ़ती गयी। वो सब उसके दिए एन्वेलोप का असर है। लेकिन अब कुछ नहीं। वो पिक्स भी नहीं देखूँगी और ना ही वो कहानी पढूँगी। गुड्डू से बात भी नहीं करुँगी और अगर रास्ते में कुछ बोला या कुछ दिया, तो भी साफ़ साफ़ मना कर दूँगी।'

दिन में गुड्डू के मैसेज आते जा रहे थे। कई मैसेज को तो पूनम बिना पढ़े ही डिलीट कर दी और कुछ को पढ़ी भी तो आधे मन से और तुरंत डिलीट कर दी। दो बार गुड्डू का फोन भी आया, लेकिन दोनों बार पूनम कॉल कट कर दी। हालाँकि गुड्डू दिन में कॉल नहीं करता था, लेकिन आज तो वो इस उम्मीद में था कि कहीं पूनम उसके पास आने के लिए मान जाये तो मज़ा आ जाये। कितने दिनों का इंतज़ार आज ख़त्म हो जाय और आज ही पूनम के संगमरमरी बदन का लुत्फ़ उठाने का मौका मिल जाये। पूनम शाम में घर लौटी तो अभी गुड्डू या विक्की कोई रोड पे नहीं था।

रात भर पूनम अपने कमरे में आयी तो मोबाइल बंद कर दी। उसे डर था कि अगर गुड्डू का कॉल या मैसेज आ जायेगा तो फिर हो सकता है कि वो खुद को सम्हाल न पाए और फिर से वही सब करे जो वो नहीं करना चाहती है। पूनम को नींद नहीं आ रही थी, लेकिन वो आलमीरा से एन्वेलोप नहीं निकाली और इसी तरह अपने फैसले को मजबूत बनाते हुए और कुछ कुछ सोंचते हुए सो गयी।

सुबह जब पूनम जगी तो वो खुद को बहुत ताज़ा ताज़ा महसूस कर रही थी। उसे खुद पे गर्व हुआ की वो खुद को सम्हाल पायी। आज ऑफिस जाते वक़्त भी दोनों में से कोई रोड पर नहीं था। आज दिन भर में गुड्डू ने भी बस 3-4 मैसेज ही किया। शाम में भी कोई नहीं था। पूनम आज भी रात में अपना मोबाइल बंद कर दी और सोने लगी, लेकिन आज भी उसे नींद नहीं आ रही थी।

जब बहुत देर तक उसे नींद नहीं आयी और उसके दिमाग में कुछ भी उलूलजुलुल सा चल रहा था। उसने ट्रोउजर और पैंटी को घुटने तक कर दिया था और चुत को ऐसे ही सहला रही थी। उसका मन ना तो ऊँगली करने का हो रहा था और ना ही पैंटी ऊपर करने का। वो सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब उसे नींद नहीं आयी तो वो उठी और आलमीरा से एन्वेलोप निकाल कर पिक्स देखने लगी और फिर कहानी पढ़ने लगी। उसे सोची की 'इसमें कोई दिक्कत नहीं है, मुझे बस गुड्डू से दूर रहना है।'

कहानी में वो वही हिस्सा पढ़ रही थी जहाँ चुदाई का दृश्य था और जिसे पढ़ कर उसे ज्यादा मज़ा आया था। वो अपनी चुत में ऊँगली अंदर बाहर करने लगी थी। आज कहानी पढ़ने में उसे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन वो चुत में ऊँगली अंदर बाहर करती रही। जब उसे मज़ा नहीं आया तो वो कहानी रख दी और फिर से पिक्स देखने लगी।

उसे याद आया की कैसे गुड्डू उसे एक एक पिक समझा रहा था और बता रहा था। वो पिक्स को भी रख दी और ऑंखें बंद करके उस रात की बात इमेजिन करने लगी। वो दोनों पैरों को फैला कर चुत में ऊँगली कर रही थी। इस तरह सोंचने से उसे ज्यादा अच्छा लग रहा था। वो बहुत कुछ सोंचती रही चुदाई के बारे में की अगर गुड्डू और विक्की उसे चोदते तो कैसे कैसे चोदते।

वो गर्म हो गयी थी। उसकी चुत का गीलापन बढ़ गया था। उसका मन हुआ की गुड्डू को कॉल कर ले और चुदवा ले उससे फ़ोन पर, लेकिन वो खुद को रोक ली। वो अपने मोबाइल को ऑन कर ली, लेकिन गुड्डू को कॉल नहीं की और चुदाई की बात सोंचती हुई चुत में ऊँगली करती रही और फिर चुत से पानी निकल जाने के बाद वो सो गयी।

इसी तरह 2-3 दिन और बीत गए. पूनम अपनी मौसेरी बहन की शादी में जाने की तैयारी में व्यस्त रह रही थी तो उसका ध्यान गुड्डू से थोड़ा कम था। पूनम रात में मोबाइल बंद करके सोती थी। दिन में अगर कभी गुड्डू कॉल करता भी था तो वो कट कर देती थी। सुबह शाम भी उसे दोनों में से कोई दिख नहीं रहा था आजकल। शायद वो दोनों भी कहीं और व्यस्त थे। पूनम को लग रहा था कि वो गुड्डू से अब दूर हो गयी है, लेकिन उसके मन में ख़ुशी की जगह बेचैनी थी। उसका मन उदास था। रात में वो रोज पैंटी नीचे करके सोती थी और अगर उसकी चुत चुदाई की बात सोंचते हुए गर्म हो जाती थी तो वो अपनी चुत से पानी निकाल लेती थी।

आज पूनम जब ऑफिस में थी तो गुड्डू ने मैसेज किया कि "तुम मोबाइल रात में बंद क्यों कर देती हो और बात क्यों नहीं कर रही हो?" पूनम अभी ऑफिस में खाली थी और गुड्डू ने कॉल किया तो पूनम कॉल रिसीव कर ली और "गुड्डू के वही सवाल पूछने पैट बोल दी की "मम्मी साथ में सोती है, इसलिए फ़ोन ऑफ रखती हूँ।"

पूनम इसलिए कॉल रिसीव की थी ताकि गुड्डू को बोल सके की अब वो बात नहीं करना चाहती है, उससे दूर रहना चाहती है, लेकिन ऐसा कुछ उसे बोलने का मौका ही नहीं मिला। गुड्डू खुद किसी चीज़ में व्यस्त था, तो उसने "ठीक है, तेरे से बाद में बात करता हूँ फुर्सत में।" बोलता हुआ तुरंत ही कॉल कट कर दिया।
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