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Adultery जेठ जी के अहसान
#61
अब मैं दूसरा पैग ले रही थी , भैया तीन खत्म कर चुके थे , नशा आने लगा था ! मेरे मन में अचानक चंपा का ख्याल आया , मैंने पुछा , भैया आपने चंपा को कैसे पटाया ! भैया बोले पहले वादा करो जो तुम्हारे जबान पर शब्द आना चाहता है , वही बोलोगी , कोई पर्दा नहीं होना चाहिए हमारे बीच में ; खुल कर बोलोगी तो खुल कर जवाब दूंगा , खूब मज़ा आएगा ! मैंने दुबारा बोला, " आपने चंपा को कैसे चो ..चोदा" ! ये हुई न बात , देखो मेरी जान , गावं में किसी को भी मैंने पटा कर नहीं चोदा , लोग खुद मुझसे चुदने का रिक्वेस्ट करते है , चंपा का तो तुम देख ही चुकी हो ! मेरा माथा ठनक गया , और मुंह से निकल गया , 'यानी गावं में औरों को भी चोदा है आपने' ! देखो डार्लिंग , तुमको बताया है न कि हमारा पूरा गावं और आस पास के गावं के सभी लोग यानि डेढ़ सौ के करीब लोग उस फैक्ट्री में काम करने कि वज़ह से नामर्द हो गए हैं , और मेरे इलाज़ में हैं ! लेकिन लगभग हर घर में बच्चे हैं , जो मेरी कोशिश से ही हुए हैं !जेठ जी अपनी मर्दानगी का बखान करते जा रहे थे और मैं गरम हो रही थी , सोच सोच कर रोमांचित हो रही थी कि जो लण्ड मुझे माँ बनाने जा रहा है , वो पहले डेढ़ सौ कुंवारी चूत से बच्चे पैदा करवा चुका है ! मेरे मुंह से निकल गया , मतलब आप डेढ़ सौ कि चूत मार चुके हैं ! भैया बोले , नहीं , सबकी नहीं चोदी, पर ज्यादातर को माँ मैंने ही बनाया !
भैया ने पांचवां पैग बना लिया और मेरे लिए तीसरा , अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , मैं भैया का लण्ड सहलाने लगी थी , और जेठ जी का लण्ड भी हरकत में आने लगा था और उनका हाथ मेरी चूचियों को लगातार मसल रहे थे !
जेठ जी ने बताया कि शुरू में जब उन्हें पता चला के गाँव के नए शादी शुदा बाप नहीं बन पा रहे हैं , तो मुझे बहुत ताज्जुब हुआ , जो मेरे पास इलाज़ के लिए आये , सबमें एक ही बीमारी थी , कोई भी बाप बनने के काबिल नहीं था , और ज्यादातर बहुएँ कुंवारी ही थी ! सबसे पहले मैंने अपने पड़ोस के लखन भाई कि मदद की क्योंकि बच्चा न होने की वजह से उसने आत्महत्या करने की कोशिश की थी ! मैंने उसे उसकी प्रॉब्लम समझायी और कहा कि अपनी बीवी गुलाबो को किसी से चुदवा ले , लेकिन गावं में तो कोई था भी नहीं , और लखन थोड़ा संकोची था ,इसलिए उसने मुझे ही कहा कि मैं जबरदस्ती उसकी बीवी गुलाबो को माँ बनाऊ नहीं तो वो आत्महत्या कर लेगा ! गुलाबो की जांच के समय मैं समझ गया था कि वो पूरी खेली खाई है , और मइके से पूरी चुद के आई है ! इसके बाद भी मेरे लिए गुलाबो को चोदने के लिए राज़ी करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था ! मैंने हिम्मत करके लखन की बीवी गुलाबो को पहले धमकाया और फिर समझाया , कि वो मुझे पता है कि वो पहले से ही खूब चुदी हुई है , और ये बात मैं उसके सास ससुर को बता दूंगा क्योकि लखन तो चुदाई के काबिल ही नहीं है ! गुलाबो बहुत डर गई और मुझसे चुदने को तैयार हो गई ! उसे मैंने रोज़ रोज़ अपने क्लिनिक पर बुलाता और चुदाई करता ! चुदाई के दौरान ही मैंने उसको धमकाया तो उसने सच उगल दिया कि उसका सगा भाई ही उसको रोज़ चोदता था,इसलिए उसकी चूत चौड़ी हो गई , और इसी वज़ह से वो चुदने को तैयार हो गई ! गुलाबो के माँ बनते ही गाँव और आस पास के गाँव में ये बात फ़ैल गई , कि मेरे इलाज़ के कारण ही वो माँ बनी है !फिर तो इलाज़ कराने वालों कि लाइन लग गई ! मैंने गुलाबो को अपने यहाँ नौकरी पर रख ली , क्योंकि गाँव में लोग, मेरे मर्द होने के कारण अपनी बहु बेटियों का इलाज़ कराने में हिचकिचाते थे ! गुलाबो ने औरतों को समझाने में मदद की, और मैं गाँव के मर्दों को समझाता था !
इन सब बातों के बीच ही मेरी हालत ख़राब हो गई थी, चूत से पानी लगातार बह रहा था ; मैं भैया का लण्ड मुंह में रखकर चूस रही थी !क्या किस्मत लेकर आये थे मेरे जेठ जी , रोज़ नया माल , ज्यादातर कुंवारी और औरतें खुद चलके आती थी की मुझे चोदो ! यहाँ तक की मेरे पति दीपक ने आठ महीने तक खुशामद किया कि मेरी बीवी को माँ बनाओ ! जेठ जी के लण्ड का भी शायद यही राज़ था , अलग अलग किस्म की टाइट चूत ढीली कर कर के फौलाद बन गया था , नहीं तो ऐसी चुदाई संभव ही नहीं है , एक साधारण आदमी से ! मुझे आज अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था, कि मुझे जेठ जी का लण्ड आसानी से मिल गया था, खामखाह एक साल बिन चुदे बिता दिए ! आज मेरा मन चुदाई की बातों में इतना मस्त हो गया था, कि मैं जेठ जी के लण्ड पर थूक डाल डाल के लण्ड चूस रही थी ! जेठ जी पूरी मस्ती में आह आह कर रहे थे, मेरा ये नया रूप उनको दीवाना कर गया था ! आज मैं पागल हो गई थी , वो तो जेठ जी ही ने मेरी सील तोड़ी थी , नहीं तो वो मुझे बदचलन ही समझते ! भैया का लण्ड मूसल हो गया था, मैंने हलके से भैया की टाँग खींचकर उनको सीधा लेटने को कहा ! जेठ जी तो जैसे पागल हो गए , मैंने पैर की उँगलियों से उनको चूमना शुरू किया और ऊपर की तरफ बढ़ी ! जांघ के एक एक कोने को चूमा चाटा , और लण्ड को जीभ से मसाज देने लगी ! जेठ जी के लिए ये बहुत ज्यादा था , शायद गाँव की औरतें इतना फॉरवर्ड नहीं थी ! मैं चंपा से भी ज्यादा उनको उत्तेजित करना चाहती थी ! उनके टट्टों को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगी ! मुस्किल से एक गोली एक बार में मुंह में आ पाती थी ! लण्ड की पूरी चुसाई होते होते जेठ जी अब अधीर हो गए थे , चूत की तलाश कर रहे थे ! लण्ड से आगे बढ़कर , पेट ,नाभि से होते होते मैं उनके छाती पे छोटे छोटे चूची वाली जगह पे आ गई थी ! इस बीच जेठ जी ने अपना लण्ड मेरी चूत पे टिकाकर सुपाड़ा मेरे चूत में प्रवेश करा दिया था ! आज मैं इतनी गीली हो गई थी कि मुझे किसी भी तरह के फिसलन कि जरुरत नहीं थी , लण्ड सटाक से अंदर जा रहा था ! मैंने भैया के चूची वाले एरिया को चाटना और चूमना शुरू कर दिया ! जेठ जी ने ही मेरी चूची कि शेप बिगड़ी थी , चूमकर और चूसकर, मैं अब सब भैया से सीख गई थी और आज मैंने भी सोच लिया था कि उनकी चूची फुला के रहूंगी ! वैसे उनकी छाती उभरी हुई थी , और जैसे मैंने जवान होने के क्रम में अपनी छाती का उभार शुरुआती दौर में देखा था , कुछ वैसा ही जेठ जी का भी था ! शायद जेठ जी को पहली बार किसी ने वहां छेड़ा था , वो पागलों कि तरह मेरी चूत में लण्ड पेले जा रहे थे , आज की तरह आराम से मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया था , और न ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हुई थी कभी ! भैया के चूची कि घुंडी को दांत लगाते ही जैसे भैया पागल हो गए हों , मेरे मुंह को अपने मुंह से चिपका के , जीभ अंदर डाल के ताबड़तोड़ चूसने लगे , साथ ही लण्ड को टॉप गियर में डाल दिया ! भैया अब मेरी गाँड को दोनों हाथ से पकड़ कर अपने लण्ड पर मेरी चूत को पटक रहे थे और अचानक भैया ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाँड में घुसा दी ! फच.. फच.. फच.. की आवाज़ साथ में बज़ रहे म्यूजिक के साथ ताल मिला रहा था, मेरी चूत में जेठ जी लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और गाँड में ऊँगली ! भैया को आज मैंने दीवाना बना दिया था , बदल बरसने को ही था ! मस्त चांदनी रात में खुले छत पर नंगे बदन, एक नाजायज़ रिश्ता मज़बूती के साथ चोदने -चुदने में लगा हुआ था , अपने से आधे उम्र की औरत के साथ ! ऐसी चुदाई की कल्पना ही की जा सकती है , जो आज मेरे हिस्से आई थी ! आज मैं भी चुदाई में अनाड़ी होते हुए भी , एक असली मर्द को ,जो सौ से ज्यादा कुंवारी औरतों को गर्भवती बना चुका था , चुदाई के खेल में पागल बनाने में कामयाब हो गई थी ! अब मैं भी उनको चूस रही थी, चूम रही थी , वो ढीले पड़ते जा रहे थे , लण्ड अपनी दौड़ के आखिरी पड़ाव पर था ! एकाएक भैया तड़पे और बौछार कर दी वीर्य की मेरे चूत में !मैं तो बार बार झड़ी थी , एक आखिरी बार भी झड़ गई वीर्य के धार के चूत की दीवारों पर पड़ने के कारण ! भैया शांत होते जा रहे थे , पर मैं उनको लगातार चूमती चूसती जा रही थी , जब तक वो ठंढे न पड़ गए ! भैया का गाढ़ा लण्ड का पानी पूरी रात मेरी जाँघों और भैया की जांघो को फेविकोल की तरह चिपकने वाला था , पर परवाह किसे थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#62
7........................................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63
चेहरे पर धूप का अहसास हुआ , तो नींद खुली ! हम दोनों अस्त व्यस्त हालत में बिस्तर पर थे !बिस्तर की हालत बता रही थी की कल रात यहाँ घमासान चुदाई का आयोजन था ! सबसे पहले मैंने चादर से अपने चूत और आसपास के वीर्य के थक्कों को पोछा , फिर वही चादर भैया के लण्ड के ऊपर डाल दी , क्योंकि लण्ड पर नज़र पड़ते ही मुझे खुजली होने लगी थी ! अपनी नाईट ड्रेस पहनकर मैंने आसपास बिखरे हुए खाने पीने का सामान को समेटा और किचन चाय बनाने चली गई ! नौकरानी को छुट्टी दे रखी थी , इसलिए घर का काम खुद ही निबटाना था ! चाय लेकर आई तो भैया उठ चुके थे , और अपना लण्ड और आसपास लगे वीर्य और चूत के पानी के मिक्स को हटा रहे थे !भैया के साथ मैं भी बैठ गई , भैया ने चाय बगल में रखकर मुझे अपनी तरफ खींचा और एक लम्बा सा गुड मॉर्निंग किस किया , चूचियों को भी प्यार किया ! मैंने उनको आगे बढ़ने से रोक दिया ,क्यूंकि घर का काम निबटाना जरुरी था ! हर चुदाई में चादर और जिस किसी कपडे से हम चुदाई के बाद अपना ढेर सारा वीर्य पोछते थे , उनको धोना जरुरी था , नौकरानी से मैं नहीं धुलवाना चाहती थी !चाय पीकर मैं घर के काम में जुट गई !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#64
 चंपा के साथ चुदाई को कैसे राज़ी हुए ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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thanks
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#65
Pati se chudai ki baat karao
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#66
(10-03-2020, 12:27 AM)VijaySinham Wrote: Pati se chudai ki baat karao

banana banana banana banana
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#67
https://i.ibb.co/KhcJmjc/f-VYm-Kwh-BB.jpg
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#68
Nice story
Read my stories
Rishta
Maa aur beti se pyar
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#69
kaise
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#70
nice update..... waiting for next one
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#71
Amazing story... Keep it up
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#72
thanks banana welcome banana
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#73
Waiting for more
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#74
Nice story....Waiting for more updates
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#75
(17-03-2020, 09:34 PM)varunsingh1990 Wrote: Nice story....Waiting for more updates

welcome
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
मैंने पूछा .....
मैं : भैया आप चंपा के साथ चुदाई को कैसे राज़ी हुए ?
भैया : दीपक को जब पता चला कि कमल बाप बनने के काबिल नहीं है , तो वो मुझसे जिद करने लगा कि मैं जैसे भी हो , चंपा को गर्भवती बनाऊ ! मैंने दीपक को खुद इसके लिए राज़ी किया , पर जब वो भी नाकामयाब रहा तो , मैं मुश्किल में पड़ गया !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#77
(09-03-2020, 01:13 PM)neerathemall Wrote:
चंपा के साथ चुदाई को कैसे राज़ी हुए ?
मैं : इसका मतलब कि दीपक ने चंपा के साथ सेक्स किया था !
भैया : कोशिश की थी पर जब वो एक साल में तुम्हारी सील नहीं तोड़ पाया , तो उसकी क्या तोड़ता , बाहर ही पानी निकल जाता होगा !
मैं : चलो जो भी हो , मेरा मन अब हल्का हो जायेगा , मै आपसे रिश्ता बनाकर खुद को दोषी मानती थी पर अब हिसाब बराबर !आगे क्या हुआ भैया ?
भैया : चंपा मेरे छोटे भाई बेस्ट फ्रेंड कमल की पत्नी थी , इस नाते वो मेरे छोटे भाई की पत्नी जैसा ही थी , इसी वज़ह से मैंने उसका चेक अप भी नहीं किया था ! एक दिन अचानक रात को कमल का फ़ोन आया की चंपा के पेट में बहुत दर्द हो रहा है ! मैं दवा बताकर टालने वाला था कि दीपक का फ़ोन आया कि कमल चंपा को लेकर क्लिनिक आ रहा है , आप देख लीजिये ! एक डाक्टर के नाते भी मेरा फ़र्ज़ था , मैं क्लिनिक आ गया ! चंपा को देखकर मैं हैरान हो गया , इतनी सुन्दर थी वो ! एक मिनट के लिए तो मेरा ईमान डोल गया , ऐसी औरत मैंने सपने में भी नहीं सोची या देखी थी !गोरी चिट्टी , सुडौल , किसी महान चित्रकार कि रचना कि तरह नाक नक्श , किसी का भी ईमान डोल जाये उसको देखकर !
मैं : हाँ , सो तो है भैया , वो आज भी किसी को भी पागल कर सकती हैं , मैं तो उसके सामने कुछ भी नहीं !
भैया : मैं उससे पूछने लगा दर्द की बारे, वो शर्मीली बिलकुल नहीं थी , उसने बताया की कमल ने धोखे से आपसे सम्बन्ध बनाने के लिए मुझे यहाँ तक ले के आया है ! मैं गुस्से से कमल को डांटने बाहर निकला, तो देखा दरवाज़ा बाहर से बंद था ! कमल और दीपक दोनों के मोबाइल बंद थे , यानि उन्होंने मेरे साथ साज़िश की थी ! मैं किसी और को आवाज़ देता तो मेरे बदनामी से ज्यादा चंपा की बदनामी हो जाती ! चंपा रोने लगी थी , मैं उसको चुप कराने लगा , उसने मेरे पैर पकड़ लिए , बोली भाई साहब , आप बस मुझे एक बार माँ बना दीजिये, इस रिश्ते से जो भी पाप होगा ,वो मैं भगवान से कहूँगी की मुझे सजा दे ! मैंने उसको कंधे से पकड़ कर उठाया , और उसके चेहरे को अपने हाथ में ले लिया !उसके होंठ काँप रहे थे , थर्राते होठों पर मैंने अपनी मुहर लगा दी , और चुदाई कर डाली !
मैं : ऐसे नहीं भैया , कैसे चुदाई की पूरी बात बताइये
(मैं अंदर से पूरी गीली हो गई थी , भैया की बातें सुनकर ! भैया भी गरम हो गए थे , चंपा से पहली चुदाई उनको याद आ गई थी , मैं जेठ जी का लण्ड अंडरवियर से बाहर निकाल कर सहला रही थी , जो अब तनता जा रहा था ! वो भी अपने दोनों हाथों को मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियाँ मसल रहे थे, मानो मेरी नहीं चंपा की चूची मसल रहें हों !)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#78
भैया : ठीक है सुनो ! मैंने चंपा को पेसेंट वाले बेड पर लिटा दिया , और खुद भी लेट गया ! उसकी छाती से आँचल हटा दिया , और उभारों पे हाथ फिराने लगा ! कांपते हाथों से ब्लाउज का एक एक हुक खोलकर जैसे ही ब्लाउज हटाया , बिना ब्रा की चूचियाँ तन कर खड़ी थी ! मेरी जीभ लगते ही जैसे चंपा को करंट लगा हो , कांपने लगी ! मैंने प्यार से उसके चूची को चूसने लगा , जितनी बार मैं उसकी घुंडी को मुंह में दांत से काटता,वो सीत्कार मारती , पांच मिनट में ही वो बुरी तरह चुदाई के लिए तड़पने लगी थी ! ब्लाउज को पूरा उतारकर मैंने उसकी साड़ी भी उतार दी ! पेटीकोट को उठकर मैंने उसकी चूत देखी ,एकदम मक्खन ! चंपा की जितनी सुन्दर उसकी सूरत है, उसकी चूत और चूची उससे भी खूबसूरत है ! बिलकुल पाव सी फूली हुई चूत मेरे सामने थी , अनचुदी ! दो दो जवान लड़कों ने कोशिश की पर वो उसकी सील नहीं तोड़ पाये ! मैंने चूत चाटना शुरू किया और चंपा ने सीत्कार मारना ! मैंने उसके मुंह पर एक हाथ रख दिया , कि बाहर आवाज़ न जा पाये ! उसकी चूत बहुत ज्यादा पानी छोड़ रही थी , चुदने को बेक़रार थी ! चूत कि फड़फड़ाहट गज़ब की थी, ऐसी गुलाबी चूत मैंने आज तक नहीं देखी ! मैंने जल्दी से अपना पजामा नीचे किया , लण्ड को निशाने पर लगाया , उसको पूरी तरह आगोश में लेते हुए , मुंह से उसका मुंह बंद किया , और लण्ड सरका दिया चंपा की चूत में ! कुंवारी लड़की के लिए बहुत मुश्किल था बर्दाश्त करना , पर चंपा हिम्मतवाली थी , दर्द बर्दाश्त करने की पूरी कोशिश कर रही थी !मैं धीरे धीरे चोदने लगा !
चंपा की चूत में लण्ड जाने की बात सुनकर मुझे ध्यान आया कि भैया ने मेरी चूत में भी लण्ड उतार दिया था ! भैया की बातों में मुझे पता भी न चला की उन्होंने कब मेरी ब्रा पैंटी उतार दी , कब उन्होंने अपना अंडरवियर उतारा और कब लण्ड घुसेड़ दी ! अब भैया अपने धक्कों से मुझे बता रहे थे कि कैसे चंपा कि चुदाई की ! बहुत जबर्दश्त चोद रहे थे जेठ जी , लगता है आज भी चंपा की चुदाई उनके दिलो दिमाग पर ताज़ा है ! इतने तेज धक्के मेरी चूत में ,पहले उन्होंने नहीं मारे थे ! लगता था फट जाएगी चूत ! दिन के उजाले में खुली छत पर अपने सगे छोटे भाई बीवी की चूत मारते हुए भैया वहशी लग रहे थे !हलकी बूंदा बन्दी भी शुरू हो गई थी ! जीभ हाथ और लण्ड के बहुत मंझे कलाकार थे जेठ जी , पूरे धुन में मेरी चूत की धुनाई कर रहे थे, होठों की चुसाई और चूचियों को पिलपिला बना रहे थे ! मेरी हालत ख़राब हो रही थी , चंपा के चक्कर में अपनी चूत का भोंसड़ा करवा बैठी थी !भैया की स्पीड बढ़ती जा रही थी , मेरा धैर्य जवाब दे गया , चूत से पानी की बौछाड़ होने लगी , भैया का लण्ड भी मेरे चूत के गरमागरम पानी में पिघल गया , और चूत के अंदर बाढ़ आ गया , बाहर बारिश भी तेज हो गयी थी ! गज़ब का माहौल था , चूत में गरम पानी और बदन पर बरसात का ठंडा पानी ! हम दोनों में किसी में भी हिम्मत नहीं थी की उठ पाएं, बस भीगते रहे भिगोते रहे ! चंपा की चुदाई की शुरुआत तो भैया ने बातों से की , पर मुझे चोद कर आगे की कहानी लाइव दिखाई ! जब तक बारिश हुई , हम एक दूसरे में घुसे हुए लेटे रहे ! जांघों के रस्ते वीर्य बारिश के पानी में बहता जा रहा था और हम बेसुध पड़े थे !

बारिश ख़त्म हो गई थी , अब हम वापस कमरे में आ गए थे !शाम को फिल्म देखने का प्रोग्राम बना , मैंने प्योर सिल्क की क्रीम कलर की साड़ी पहनी थी , साथ में साटन के ब्रा , ब्लाउज और पेटीकोट भी पहन लिया था , जेठ जी ने पैंटी पहनने से मना कर दिया था ! मुझे सजा हुआ देखकर जेठ जी गरम हो गए थे ! मैंने जब साडी पहनी भी नहीं थी , तो बाँहों में भर कर पूरा लिपस्टिक चाट गए थे , ब्लाउज भी चूची दबाने के कारण मसक गई थी ! दुबारा मेक अप ठीक करके , ऑटो लेकर पहले हमने मॉल में घूमने का मज़ा लिया , जेठ जी ने दवा की दुकान से कुछ दवा वगैरह खरीदी , और हम सिनेमा हॉल में आ गए ! कोई इंग्लिश पिक्चर थी , बहुत कम लोग ही थे, जो इधर उधर बिखर कर बैठे थे ! हम जहाँ बैठे थे वहां से दूर दूर तक कोई नहीं था , हमें देखनेवाला ! अँधेरा होते ही जेठ जी ने मेरी गर्दन के ऊपर से एक हाथ रखकर मेरी एक चूची थाम ली , और हलके हलके दबाने लगे ! मैंने भी अपना एक हाथ उनके लण्ड के ऊपर रख दिया ,और पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी ! जेठ जी अब तनाव में आ रहे थे , उन्होंने धीरे से अपनी पैंट खोलकर, अंडरवियर के साथ नीचे कर दिया ! अब लण्ड जोश में था , ताव मार रहा था, मेरे हाथ के स्पर्श से बहुत खुश हो रहा था !मेरे हाथ जेठ जी का लण्ड ऊपर नीचे कर रहे थे , और जेठ जी मेरी ब्लाउज के हुक खोलकर ब्रा के ऊपर से गोलाई नाप रहे थे !बीच बीच में हमारा ध्यान पिक्चर की तरफ भी चला जाता था , जब भी कोई सेक्स सीन चल रहा होता था ! भैया ने मेरी गर्दन घुमा कर किस करना शुरू कर दिया, मैं थोड़ा नीचे की तरफ खिसक गई , की दूर से भी किसी की नज़र हम पर न पड़े ! भैया अब एक हाथ से मेरी साडी के ऊपर से ही मेरी चूत टटोलने लगे थे , मैं अब उत्तेजित हो गई थी ! मैंने साडी पेटीकोट के साथ घुटनो से ऊपर उठा लिया , अब सिर्फ मेरी गाँड के नीचे साड़ी और पेटीकोट था , ऊपर का हिस्सा, जो अब नंगा था , जेठ जी के हाथों के हवाले हो गया था ! जेठ जी अब मेरी चूत का मसाज कर रहे थे , बीच बीच में उनकी ऊँगली चूत के अंदर भी चली जाती थी , मेरे मुंह से अब सी ..सी की आवाज़ आने लगी थी ! जेठ जी की ये खास बात थी कि एक ही समय उनकी ऊँगली ,हाथ , मुंह , जबान सब एक साथ पूरे परफेक्शन के साथ अलग अलग काम करती थी , और ऐसा लगता था कि सब अलग अलग आदमी कर रहे हैं ! हमारे गद्देदार सोफे जैसी कुर्सियों के बीच का आर्म रेस्ट ऊपर उठने वाला था , इसलिए अब हमें पूरी जगह मिल गयी थी ! ब्रा खुलने कि वज़ह से मेरी चूचियाँ लटक गयी थी , मैंने अब झुककर जेठ जी लण्ड मुंह में ले लिया , और जीभ को सुपाड़े पर फिराने लगी ! जेठ जी को मेरी इस तरह कि पहल बहुत अच्छी लगती थी , एकदम मस्त हो गए थे ! उनके हाथ मेरी चूची से दब गए थे , लेकिन उन्होंने अपना कार्यक्रम जारी रखा ! मै चाहती थी कि जेठ जी जल्दी से पानी छोड़ दें ,और मैं आज़ाद हो जाऊं , क्योकि इस तरह हॉल के अंदर मुझे ठीक नहीं लग रहा था ये सब ! कभी भी किसी के भी आने का डर था , और मैं ऐसी स्थिति से बचना चाहती थी , पर जेठ जी को ना नहीं कर सकती थी, इसलिए उनके हर एक्शन का पालन कर रही थी !मैं हाथ से जेठ जी के लण्ड ऊपर नीचे भी कर रही थी और चूस भी रही थी मुंह से ,जीभ से चाट भी रही थी ! मैंने हर तरह से कोशिश की,कि भैया का पानी निकल जाए ,लेकिन लण्ड झड़ने को राज़ी नहीं था ! मेरी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी , मैं कमज़ोर भी महसूस कर रही थी !
भैया ने अब मुझे खड़ा कर दिया , मैंने सामने अपने साड़ी से अपनी नंगी चूचियों को ढक लिया था, उन्होंने मुझे अपने गोद में बिठाते हुए अपना लण्ड मेरी चूत में सरका दिया ! मेरी चूत बीच में ही फंस गयी थी , लण्ड आधा ही अंदर जा सका था ! मैंने आगे झुकते हुए , अगली सीट के ऊपर अपने हाथ टिका दिए थे ! भैया मुझे कमर से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगे , थोड़ी कोशिश के बाद मेरी चूत खुल गई और लण्ड अंदर बाहर होने लगा ! जेठ जी ने मुझे लण्ड पर उठने बैठने के लिए कहा और खुद मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगे ! हमेशा कि तरह , मेरे चूची कि घुंडी को अपने दो उँगलियों के बीच फंसा कर निचोड़ रहे थे ! मैं सटासट लण्ड अंदर ले रही थी , जैसे ही स्पीड कम होती , भैया चूची और घुंडी को बेदर्दी से मसल देते थे, और मैं अपनी रफ़्तार बढ़ा देती थी ! अब भैया के लण्ड का तनाव अचानक बढ़ गया था , चूची पर दवाब भी बढ़ा लग रहा था ! मैंने सर उठा कर परदे पर देखा , तो फिल्म में एक बूढ़ा सा आदमी एक बहुत ही खूबसूरत कमसिन कली कि चुदाई में लगा हुआ था ! यानी भैया चूत मेरी फाड़ रहे थे , पर ख्यालों में उस कमसिन कली को चोद रहे थे ! मर्दों में दूसरी औरत को चोदने की कितनी ललक होती है , एक हफ्ते भी नहीं हुए हैं मेरी सील तोड़े , पर अभी भी दूसरे की चाहत में लगे हैं ! मैं तो ये कहती हूँ कि औरत को अपने पति से असली चुदाई के मज़े लेने हों तो उसको इधर उधर भी मुंह मार लेने दे , ख्यालों में कोई और होगी पर चूत तो अपनी मस्त चुदेगी ! मैंने सोच लिया था कि ना ही दीपक को और ना ही जेठ जी को किसी के पास जाने से रोकूंगी ! सौ से ज्यादा चूतों का रस पीकर , जेठ जी का लण्ड अभी भी तगड़ा और औरतों को गुलाम बनाने वाला है ; ये तभी हो पाया जब उन्हें अलग अलग किस्म कि चूत की खुराक हमेशा मिलती रही ! पति का लण्ड तगड़ा रहे तो और क्या चाहिए औरत को !
जेठ जी धकाधक लण्ड पेले जा रहे थे , मेरी और जेठ जी की नज़र स्क्रीन पर ही टिकी थी , जेठ जी तो मानो उसी को चोद रहे थे , मेरी चूत मारने के बहाने ! फिल्म में बूढ़ा कांपता सा दिखा और लगा की अब जैसे पानी छोड़ने वाला है , मैंने भी अपनी चूत में गरम गरम वीर्य का अनुभव किया , मेरी चूत का पानी भी छूट रहा था ! भैया थोड़ी थोड़ी देर में झटके लगाकर अपना लण्ड मेरी चूत में निचोड़ दिया ,और प्यार से लण्ड बाहर निकाल लिया !लण्ड के बाहर निकलते ही लगा की अंदर से मोटे पानी की धार निकाल रही हो , वीर्य फर्श पर गिर कर फ़ैल गया , छींटे मेरे पाओं पर भी पड़े ! मैं दो मिनट तक वैसे ही खड़ी रही , चूत से रस को टपक जाने दिया , फिर अपनी सीट से आगे जाकर पेटीकोट से चूत पोछने लगी ! जेठ जी भी अब अलग हटकर पैंट पहन रहे थे ! अच्छे से साफकर मैंने अपनी ब्रा और ब्लाउज में अपनी चूचियों को भी सेट कर लिया और एक बार हॉल को ठीक से देखा ! लोग कम हो गए थे , जो थे वो भी दूर दूर अलग अलग बैठे थे , सब के सब ,लग रहा था की अपना अपना पानी निकालने में लगे थे ! हॉल में रुकने का अब मन नहीं कर रहा था , पूरी पेटीकोट गीली होकर टांगों से चिपक रही थी , लसर फसर पेटीकोट में अपने टांगों को सम्हालते हुए मैं और जेठ जी हॉल से बाहर आ गए ! बाहर ही डिनर करके , घर आकर एक दूसरे से चिपककर सो गए , भैया सोते सोते भी अपना लण्ड मेरी चूत में डालना नहीं भूले ! अब मुझे भी बिना अपनी चूत में जेठ जी का लण्ड डाले नींद कहाँ आती थी !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#79
[Image: himanshi-khuranagg5.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#80
[Image: himanshi-khuranagg7.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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