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अपडेट - 6
भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।
अब आगे....
तभी रात के बारह बजने का घंटा सुनाई पड़ता है जो नानी की पुरानी घड़ी जो घर में टंगी थी के बजने का था।
नानी: अब सो जाओ बेटा बाकी कहानी कल सुना दूंगी।
राज: नहीं नानी अभी तो कहानी में मज़ा आना शुरू हुआ था। और वैसे भी अगर आप ऐसी सिचुएशन मैं कहानी बन्द करोगी तो मुझे कोनसा नींद आने वाली है मैं तो सारी रात इस कहानी के बारे में ही सोचता रहूंगा।
नानी राज का उत्साह देख कर मुस्कुराने लगती है। और बोलती है।
नानी: ठीक है बेटा तो आगे सुनो।
जब नेत्रा भैरव का पत्र पड़ती है तो उसकी आंखें नम थी। वो मन ही मन कहती है। " भैरव भले तुम्हारा प्रेम निश्चल था लेकिन मैं तुम्हे कभी माफ नही कर पाऊंगी। हो सके तो तुम मुझे माफ़ कर देना। इतना सोच कर नेत्रा ने भैरव का पत्र जला दिया।
इधर नेत्रा ने भैरव का पत्र जलाया उधर भैरव की सांस उसका साथ छोड़ गई।
यही कोई 5-6 दिन बाद वो तांत्रिक नेत्रा के महल में आ गये।
नेत्रा के महल के सुरक्षा कर्मचारी उन तांत्रिकों को रोकने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन सभी तांत्रिकों का सरदार अपने जादू से सभी को मूर्छित करते हुए आगे बढ़ता हुआ नेत्रा के महल में पहुंच गया।
नेत्रा ने जब उन सभी तांत्रिकों को देखा तो उसे शर्म सी आने लगी।
कोई भी तांत्रिक वस्त्र नही पहन रखा था। सभी तांत्रिकों की जटाएं बढ़ी हुई थी । उनके शरीर पर राख लिपटी हुई थी और गले में पुष्पों की मालाएं थी। चिलम फूंक रहे थे। गांजे की धुंआ और खुशबू चारों और फैली हुई थी।
एक तांत्रिक ने अपने शरीर की राख को अपनी मुट्ठी में लेकर जोर से महल के आंगन में फेंका। तांत्रिक के ऐसा करते ही नेत्रा और तांत्रिक के चारों और एक धुएं का सुरक्षा चक्र बन गया।
तभी उन तांत्रिको मैं से एक तांत्रिक ने नेत्रा की और देख कर कहा।
तांत्रिक: महारानी महाराज भैरव ने हमे आपके लिए एक आईना बनाने को कहा है। जिस आईने से आप किसी का भी भूत भविष्य वर्तमान जान सके। यहां तक कि आप वहां पर जा भी सके। महारानी भैरव ने हमे अपनी आत्मा सौंपी है इसलिए हमें इस आईने का निर्माण हर हालत में करना ही होगा चाहे आप माने या ना माने। लेकिन आपको उस आईने की सम्पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कुछ अंगूठियां धारण करनी पड़ सकती उस समय तक जिस समय तक आप आईने की किसी शक्ति का प्रयोग कर रही हो।
नेत्रा: वैसे तो हमें ऐसे किसी आईने की ज़रूरत नही है ना ही हम ऐसी किसी बेहूदा बातों पर यकीन करते है।
नेत्रा की ऐसी बात सुनकर तांत्रिकों का सरदार क्रोधित हो गया।
उसने नेत्रा की क्रोधित नज़रों से देखते हुए कहा...
तांत्रिकों का सरदार:- मूर्ख नारी तुम्हे हमारी सिद्धि पर शक है। हम वो आईना ज़रूर बनाएंगे और उस आईने के लिए हम सभी उस आईने में समा जाएंगे लेकिन जो कोई भी उस आईने का प्रयोग करेगा उसे हमे अपनी अत्यंत प्रिय कोई भी वस्तु, जीव, जगह जो भी हो वो हमें देनी होगी तभी आईना उसकी 1 दिवस की सभी कामनाएं पूरी करेगा।
ऐसा कह कर तांत्रिक महल के पीछे चले गए।
नेत्रा तांत्रिक का व्यवहार देख कर बहुत डर गई थी लेकिन वो एक रानी थी इस लिए उसने खुद को मजबूत बनाये रखा। नेत्रा उन तांत्रिकों को ऐसा करने से , उस आईने को बनाने से रोकना चाहती थी लेकिन पता नही क्यों वो उन्हें रोक ना सकी।
तांत्रिकों ने एक यज्ञ किया जो पूरे 151 दिन चला इस यज्ञ से एक आईना मिला।
वो आईना बहुत ही खूब सूरत था बस उसमें कुछ कुछ जगह पर बड़े बड़े छेद थे जैसे उनमे जड़ी कोई चीज निकाली हुई हो।
उस आईने में सभी तांत्रिकों ने अपनी अपनी सभी शक्तियां डाल दी। जैसे ही सभी तांत्रिकों की शक्तियां खत्म हुई उन्होंने एक- एक करके सात अंगूठियां भी बनाई ओर अंगूठियां बना कर खुद पत्थर बन गए और आईने में जड़ गए।
एक तांत्रिक बचा था जो उन सभी का सरदार था। उसने वो आईना नेत्रा सौंप कर उसके प्रोग विधि और दुरुपयोग सब कुछ बता दिया लेकिन ये नही बताया कि ये आईना काली शक्तियों की सहायता से बनाया गया है। नेत्रा ने जैसे ही वो आईना हाथ में लिया तांत्रिकों का सरदार भी पत्थर बनकर उस आईने में जड़ गया।
अब नेत्रा अपने पसंद के जेवर और कपड़े उस आईने में डालती जाती और अपने शत्रुओं की सभी जानकारी निकाल कर उनका वध करती जाती।
लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ नेत्रा उन काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और उसने उस आईने को दफ़न करवा दिया जी एक आदमी ने कुछ सालों पहले ढूंढ निकाला था और उस आईने की काली शक्तियों ने उस आदमी को भी निगल लिया।
नानी: कहानी खत्म हो गयी बेटा अब तो सो जाओ।
राज: लेकिन नानी आपने ये तो बताया ही नही की नेत्रा कैसी काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और वो आईना उसने कहाँ दफ़नाया था।
नानी: वो आईना उसने चुपके से घोड़ों के अस्तबल मैं दबाया था।
अब कोई सवाल नही चुप चाप सो जाओ बाकी सब कल पूछना।
रात के 3 बजे राज खूब सोचते सोचते सो गया। और उसकी नानी राज के सवाल पर किसी सोच में डूब गयी।
अभी राज को साये क़रीब तीस मिनट का समय भी नही हुआ था कि राज के सपने में उसे उसके नाना जी दिखते है। वो बैठे बैठे राज की और देख कर मुस्कुरा रहे थे लेकिन अचानक कुछ लोग आतें है जो बिल्कुल धुंधले नज़र आ रहे थे। वो राज के नाना जी को उनका हाथ पकड़ कर उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें वहां से ले जा रहे थे । राज उन्हें रोकने की कोशिश करता है लेकिन वो हिल भी नही पा रहा था बड़ी मुश्किल से वो हिला तो उसे ऐसा लगा जैसे कोई सीसे जैसी दीवार राज को उसके नाना जी के पास जाने से रोक रही है ।
राज उस दीवार को जोर जोर से हाथों से मारता है लेकिन वो दीवार टूटना तो दूर की बात हिलती तक नहीं है। अचानक राज के नाना जी राज की नज़रों के सामने से उन सभी लोगो के साथ गायब हो जाते है। राज के नाना जी गायब होने से पहले पीछे मुड़ कर देखते है तो उनकी आंखों में आंसू थे जिन्हें राज देख कर बहुत दुखी हो जाता है और नींद में ही रोने लगता है।
वही राज की नानी राज के अंतिम सवाल का अधूरा जवाब देकर वो लम्हा याद करने लगती है जब नेत्रा पर आईने की काली शक्तियों का प्रभाव पड़ने लगा था। उसकी नानी याद करती है जो उसके पति ने बताया और दिखाया भी था ।
नेत्रा के वो सफेद कपड़े जिनमे कभी सोने की कढ़ाई का काम हुआ करता था अब धीरे धीरे काले पड़ते जा रहे थे ।
एक अजीब सी शांति और दुख उसके चेहरे से झलकने लगा था।
उसकी जिस्म की प्यास इसकदर बढ़ गयी थी कि उसको मिटाने के लिए वो राज्य में भेष बदल कर वेश्याघर के आसपास या कभी किसी गैर कर घर तक के बाहर से अपने लिए मर्दो की तलाश करने लगी थी।
एक महारानी होने के बाद भी उसे चारों और से अकेलापन ही मिल रहा था। उसकी हवस उस पर इतनी हावी हो गई थी कि मर्द रात को निकलने से भी डरने लगे थे।
एक ख़ूबसूरत महान महारानी की जिसके चेहरे से दूर से ही चांद जैसा नूर टपकता था उसकी एक वेश्या से भी बुरी गत हो गयी थी। नेत्रा के काले होते कपड़े और उसकी हवस ने उसे अपने ही राज्य में डायन के नाम से प्रसिद्ध कर दिया था। चेहरे पर वही नूर तो अब भी था बस कल तक जो राज्य की सुरक्षा के लिए लड़ती थी आज वो राज्य की प्रजा के लिए डायन बन चुकी थी।
और फिर लोग उसे डायन क्यों ना कहते । नेत्रा के पूरे शरीर पर पर अजीब से निशान जो बन ने लगे थे। वो निशान नेत्रा की निजी दासियों ने देखे थे। बहुत डरावने थे जैसे किसी ने गर्म सलाखों से दाग कर बनाया हो।
जब नेत्रा को इस बात का एहसास हुआ तो नेत्रा ने उस आईने को अपने अस्तबल मैं गढ़वा दिया। लेकिन उस आईने को अस्तबल मैं दफना ने से पहले वो खुद उस आईने में अपने आपको समर्पित कर उस आईने में समा चुकी थी। अंतिम बार जिस किसी ने नेत्रा को देखा था उस वक़्त नेत्रा ऐसी ही दिख रही थी।
उस आईने को दफनाने के बाद कई लोगो ने उस आईने को निकालने की कोशिश की लेकिन पता ही नही वो आईने किसी को भी क्यों नही मिला । फिर वो आईना एक दिन राज के नाना जी को मिला । उन्होंने कभी नही बताया कि वो आईना उन्हें कहाँ से मिला कब मिला ? बस चुप चाप अपने झोपड़े मैं किताबों मैं खोये रहते थे। ना जाने क्या तलाशते थे ? उन्होंने वो आईना अपनी मौत से पहले कहां रखा किसी को पता नही। काश वो उस आईने को नष्ट कर देते ।
तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।
वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।
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badiya mast kahani h bhai
aage badao jldi jldi kyu xossip pr padi hui h
jldi se bahi pr aa jao jaha xossip pr ruki thi
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superb story dear ..!!!!
.................... .......................
Sabhi ka khoon hai shamil yaha ki mitti mai ..
Kisi ke baap ka hindostan thodi hai ...
..................... :s .......................
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(11-02-2019, 10:43 AM)jonny khan Wrote: superb story dear ..!!!!
apko yaha dekh kr dil khush ho gya bhai
Sudanshu bhai bhi aa jaye aur ankitarani bhi
to aur jayda maza aa jayega
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(11-02-2019, 10:53 PM)Aditya Hooda Wrote: apko yaha dekh kr dil khush ho gya bhai
Sudanshu bhai bhi aa jaye aur ankitarani bhi
to aur jayda maza aa jayega shukriya bhai
.................... .......................
Sabhi ka khoon hai shamil yaha ki mitti mai ..
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kahani most he keep it up.
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अपडेट - 7
तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।
वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।
अब आगे....
राज के पापा घर पहुंचे तो घर पर थोड़ा सा सुना-सुना महसूस हो रहा था। हालांकि राज घर पर होता है तब भी कुछ खास हंसी वाला माहौल नही होता। लेकिन गिरधारी को शायद राज को छोड़ कर आना अच्छा नही लग रहा था।
घर पहुँचते ही गिरधारी अपनी कमरे मैं चला गया। जहां पर गिरधारी की बीवी सरिता सो रही थी। घर का दरवाजा रानी ने खोला था। वो अभी भी पढ़ रही थी। जब गिरधारी ने डोर बेल बजायी तो दरवाजा खोलने आ गयी।
गिरधारी अपने कमरे मैं आकर अपने कपड़े बदलने लगा। रह रह कर गिरधारी को रास्ते में हुए मौसम के अजीब-ओ-गरीब बदलाव परेशान कर रहे थे। सारी रात गिरधारी करवट बदल-बदल कर काट दिया।
जब सुबह हुई तो गिरधारी की बीवी सरिता को उठते ही गिरधारी नज़र आता है। वो उसे गुड मोर्निंग विश करके फ्रेश होने चली जाती है।और मन ही मन सोचती है कितनी बेवकूफ हूँ पता नही ये रात को कब आये होंगे और मैं घोड़े बेच कर सो रही थी।
वहीं दूसरी और रानी उठती है। फ्रेश होकर एक जीन्स और ब्लैक कलर की बनियान पहनती है और सोनिया को उठाने उसके कमरे में चली जाती है। सोनिया के कमरे में हल्की लाइट थी और सोनिया बेसुध सो रही थी। रानी मुस्कुराती हुई सोनिया के कमरे की विंडो ओपन करती है जिस से सारे कमरे में लाइट हो जाती है। वो मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ती है सोनिया को उठाने। और सोनिया के बेड की तरफ चली जाती है।
जैसे ही रानी सोनिया के सामने जाती है सोनिया बेढंगे तरीके से सो रही थी। सोनिया एक टी-शर्ट और शार्ट पहन कर सो रही थी। सॉर्ट नीचे से ढीला था जिसमे से सोनिया की मखमली वर्जिन चूत नज़र आ रही थी। और ऊपर से उसके कच्चे टिकोरे।
रानी अपने सर के हाथ लगा बोलती पागल लड़की सोया तो ठीक से कर। वो तो अच्छा हुआ न तो राज घर में है और ना ही पाप कमरे में आये। इतना बड़बड़ा कर रानी सोनिया को उठाती है और कॉलेज के लिए रेडी होने को बोल देती हूं।
सोनिया थोड़े नखरे करके उठती है और अंगड़ाई लेकर वाशरूम चली जाती है।
वही गिरधारी सुबह रेडी होकर नाश्ता करता है और आफिस चला जाता है ।
रानी और सोनिया दोनों तैयार होकर नीचे आती है। सरिता दोनों को नाश्ता करवाकर खुद भी कर लेती है। रानी और सोनिया कॉलेज के लिए निकल जाती है और हमेशा की तरह सरिता अपने क्लिनिक मैं।
यही कोई एक हफ्ता बीता होगा गिरधारी, सरिता, रानी और सोनिया चारों को राज के बिना रहने की आदत धीरे-धीरे पड़ने लगी थी। अब उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी फिर से पटरी पर थी। हालांकि राज को सभी याद करते रहते थे। लेकिन अब राज के लिए की भी इतना परेशान नही था।
वहीं दूसरी और राज की आंखें सुबह 8 बजे खुलती है।
राज उठते ही अपनी नानी को देखने की कोशिश करता है लेकिन नानी तो वहाँ आस-पास भी नहीं थी। नानी सुबह जल्दी उठ कर अपना घर का काम करने लगी थी।
राज हाथ मुह धोकर फ्रेश हो आता है और सीधा नानी के पास बाहर चला जाता है। नानी राज को देख कर मुस्कुरा देती है। नानी लस्सी बना रही थी। नानी पास मैं रखे लस्सी का गिलास उठा कर राज की तरफ कर देती है। राज सबसे पहले नानी के पैर छू ता है और फिर लस्सी का गिलास पकड़ कर पीने लगता है।
अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि राज नानी को बार - बार कल वाले सवालों के बारे में पूछता और नानी उसे नहीं मालूम बोलकर टाल देती है।
राज फिर भी नानी को बार बार कहानियों को लेकर परेशान करता रहता है। बहुत परेशान होकर नानी राज को थोड़ा रुक कर कहानी सुनाने को बोलती है। राज बेसबरा होकर नानी से कहानी सुनाने का इंतजार कर रहा था। तभी नानी के घर में छोटू आ जाता है। छोटू जो कल ही राज से मिला था और आज राज का अच्छा दोस्त हो गया था।
नानी छोटू को देख कर बोलती है.......
नानी: अरे छोटू अच्छा हुआ जो तू आ गया। अब एक काम कर राज को बाहर घुमा ला ताकि ये मुझे कुछ काम कर लेने दे और मेरी जान छुटे। और हां उन आवारा लड़को के पास मत ले जाना।
छोटू: जी नानी (छोटू बहुत खुश था की अपने नए दोस्त के साथ गांव घूमने को लेकर तभी राज बीच में बोल पड़ता है)
राज: लेकिन नानी मैं तो अभी नहाया भी नहीं हूं।
छोटू: कोई बात नही भाई हम लोग नदी में नहा लेंगें।
नानी: हाँ ये भी ठीक रहेगा अगर इसे तैरना आता हो तो।
राज अब क्या बोलता। तभी नानी फिर से बोल पड़ती है।
नानी: राज तुझे तैरना तो आता है ना?
राज : हाँ नानी , मैं कॉलेज में स्विमिंग कॉम्पिटिशन मैं हमेशा गोल्ड जीत ता हूँ।
नानी: अरे तैरने का पढ़ने से क्या काम,
राज नानी के इस सवाल से अपने सर पर हाथ लगा कर बोलता है।
राज: अरे नानी मैं तैरने के कॉम्पिटिशन मैं ही गोल्ड लाता हूँ।
नानी: वह ऐसा क्या तब तो बहुत अच्छा है (इतना बोल कर नानी हसने लगती है।)
नानी राज को छोटू के साथ नदी में नहाने के लिए और गांव घूमने के लिए भेज देती है। रास्ते में छोटू उसे खेतों से होते हुए शॉर्टकट रास्ते से ले जा रहा था।
पूरा गांव हरा भरा था। चारों और हरियाली का अदभुत नज़ारा था।
तभी छोटू को कुछ लड़के आवाज देते है। ये सभी छोटू के दोस्त थे। दोस्त क्या था छोटू ने इन सब से दोस्ती की नही बल्कि ज़बरदस्ती इन सब से दोस्ती करनी पड़ गयी।
बात ये है कि छोटू इतना ताकतवर नही था कि दूसरे लड़के जब उसे परेशान कर तो उनसे लड़ सके इस लिए ये लड़के छोटू की मदद करते है बदले में छोटू कभी खाने के लिए तो कभी कुछ पैसे अपने ही घर से चुरा चुरा कर इन लड़कों को दे देता हैं।
छोटू:- कालू, श्याम, मंगल अरे तुम लोग यहां कैसे?
कालू: अरे इसका बाप है ना साले ने हमको दम मारते देख लिया तो साला लठ लेकर दौड़ा दिया। हम कोनसा साले की बीवी बेटी की चुदाई कर रहे थे।
मंगल: किसी दिन साले की बीवी भी चोद देंगे।
फिर कालू और मंगल दोनों एक दूसरे को ताली देते हुए हसने लगते है।
तभी वहां से ट्यूबवैल से पानी भरकर चरी को अपनी कमर पर लगाये मंगल की बहन जाती हुई नजर आती है। वो कालू की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कुराती है। और वही श्याम भी उसे देख कर मुस्कुरा देता है। मंगल दोनों को मुस्कुराता देख कर पीछे मुड़ कर देखता है तो उसे अपनी बड़ी बहन नज़र आती है। मंगल भी अपनी बहन की आंखों में देख कर अपना लुंड सहलाने लगता है। जब मंगल की बहन की नज़र मंगल पर पड़ती है तो मंगल अपनी बहन की आंखों में देखते हुए अपने होंटों पर जीभ फिराता है। जिसे देख कर मंगल की बहन शर्मा जाती है और जल्दी जल्दी चलते हुए जाने लगती है।
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अपडेट - 8
तभी वहां से ट्यूबवैल से पानी भरकर चरी को अपनी कमर पर लगाये मंगल की बहन जाती हुई नजर आती है। वो कालू की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कुराती है। और वही श्याम भी उसे देख कर मुस्कुरा देता है। मंगल दोनों को मुस्कुराता देख कर पीछे मुड़ कर देखता है तो उसे अपनी बड़ी बहन नज़र आती है। मंगल भी अपनी बहन की आंखों में देख कर अपना लुंड सहलाने लगता है। जब मंगल की बहन की नज़र मंगल पर पड़ती है तो मंगल अपनी बहन की आंखों में देखते हुए अपने होंटों पर जीभ फिराता है। जिसे देख कर मंगल की बहन शर्मा जाती है और जल्दी जल्दी चलते हुए जाने लगती है।
अब आगे......
वही दूसरी तरफ राज एक छोटी सी गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रहा था।
राज को ऐसा नही था कि गालियां मालूम नही थी बस वो ऐसे लड़को से अभी तक दूर रहता था जो जबरदस्ती का रॉब झाड़े।
राज: उसकी बीवी मतलब इसके पाप की बीवी, तो वो तो इसकी मम्मी हुई ना। 【श्याम की तरफ इशारा करते हुए)
कालू और मंगल दोनों राज की ये बात सुनकर एक दूसरे की तरफ देखने लगते है फिर जोर से ताली देकर हसने लगते है।
कालू: अरे छोटू कहाँ से पकड़ लाये इस नमूने को, इतनी सी बात के लिए इतना दिमाग लगा रहा है।
राज अपने लिए नमूना सुनकर सकपका जाता है। कालू मंगल और श्याम तीनो हट्टे कट्टे थे तो राज उनसे डायरेक्ट तो कुछ बोल नही सकता था इस लिए नीचे गर्दन करके छोटू का हाथ पकड़ लिया।
छोटू: यार कालू भाई ये राज भाई है इस से तमीज से बात कीजिये।
कालू: क्यों बे ये क्या कोई एस. पी है।
छोटू: एस. पी तो नहीं है लेकिन ये वो जादूगर बाबा थे ना उनका दोहिता है।
(पीछे की और इशारा करते हुए जैसे कुछ याद दिला रहा हो)
कालू, मंगल और श्याम छोटू की बात सुनकर एक दूसरे की तरफ देखने लगते है। फिर थोड़ा सा सीरियस होकर कालू बोलता है।
कालू: वो हमें माफ कर दो भाई। हम से गलती हो गयी।
राज: एक मिनट एक मिनट भाई ये अचानक से इतना बदलाव क्यों???
मंगल: क्यों कि हम तुम्हारे नाना जी की बहुत इज्जत करते हैं। हम क्या ये पूरा गांव उनकी बहुत इज्जत करता है। इसी लिए तो जहां से तुझे ये छोटू लाया है वहां पर जो काकी रहती है। हम उनकी भी बहुत इज्जत करते है।
राज: ठीक है लेकिन
कालू : अब क्या हुआ? ये लेकिन क्यों?
राज: तुम लोग...
राज ने अभी इतना ही कहा था कि पीछे से एक आदमी लठ लेकर दौड़ा चला आ रहा था और कालू , मंगल और श्याम को गालियां देते हुए अपने पास बुला रहा था, जिस तरह से वो बुला रहा था पक्का तीनों की गांड ठोकने के इरादे होंगे ये तो उस आदमी के रवैये को देख कर कोई भी बता सकता था।
मंगल : अरे भाग कालू , श्याम नही तो आज अपने लोडे लग जाएंगे। तीनों वहां से भागने लगते है।
जाते- जाते कालू राज की तरफ देखते हुए,
कालू: (दूर जाते हुए चिल्लाते हुए बोलता है) छोटू तू इसे भी नदी किनारे ले आ हम बाकी की बातें वहीं करेंगे।
छोटू को एक बार नानी की बातें याद आती है कि उन्होंने कालू और श्याम के आस पास भी राज को ले जाने से मना किया है और कालू है कि अगर नही ले गया तो मेरी बजा देगा।
राज: क्या सोच रहे हो छोटू चले अपन?
छोटू: अरे यार कहाँ चले ?
राज: नदी पर
छोटू : भूल गया नानी ने क्या कहा था कि राज को उन लोगो के पास मत ले जाना ये उन लोग वही थे तीनों...
राज थोड़ा हस्ते हुए अचानक से मुस्कुराते हुए।
राज: तो तुम मुझे उनके पास थोड़े ही ले जाओगे। तुम तो मुझे नदी में नहाने ले जाओगे अब वो हमसे पहले वही थे ये हमे कैसे पता होगा।
छोटू को राज की बात थोड़ी देर तो समझ नही आती लेकिन फिर समझते हुए अरे हाँ ये तो मैंने सोचा ही नही था।
छोटू और राज तीनो नदी की तरफ जाने लगते है।
छोटू और राज जब नदी के पास पहुंचते है तो देखते है कालू श्याम और मंगल तीनो मिलकर चिलम फूँक रहे है।
और फिर जब नदी की तरफ राज देखता है तो वहां की चारों और हरियाली की पड़ी चादर देख कर राज अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था। उसे ये हरियाली बड़ी मनभावन लग रही थी। उसे क्या जो कोई भी देखता वो इसकी और ज़रूर आकर्षित हो उठता।
राज कालू के पास जैसे ही पहुंचता है।
कालू: लेकिन क्या ? तू कुछ पूछना छह रहा था क्या?
राज: हाँ वो मैं (थोड़ा याद करते हुए) हाँ याद आया तुम लोग मेरे नानाजी की इतनी इज्जत क्यों करते हो?
कालू अपने कपड़े उतारते हुए चलो रे नदी में नहाते हुए बात करेंगे।
कालू के इतना बोलते ही सभी ने अपने कपड़े उतार दिए और नदी में घुस गए नहाने ।
अंदर से छोटू राज को आवाज देता है ।
छोटू: आजाओ भाई जल्दी आजाओ फिर बात भी करलेना टैब तक गांव की इस नदी का मज़ा लो।
छोटू इतना बोल कर नहाने लगा और बार बार डुबकियां लगाने लगा।
छोटू अब सोच में पड़ गया था कि वो नदी में कैसे जाए। छोटू के साथ जल्दी जल्दी के चक्कर में अपना अंडर वेयर बनियान तो लाना ही भूल गया था। अब कैसे नदी में जाता।
तभी मंगल को समझ आ जाता है की राज अपने कपड़े नही लाया इस लिए इतना परेशान हो रहा है।
मंगल धीरे धीरे तैरता हुआ राज के पास जाता है और उसे होले से कान में कुछ बोलता है । राज मंगल की बात सुनकर मुस्कुरा देता है।
दरअसल मंगल राज को बोलता है कि इस नदी मैं अभी केवल हम दोस्त ही है तो तुम चुप चाप वहाँ पीछे उस चट्टान के पीछे जाओ और कपड़े उतार कर वही से पानी में घुस जाना किसी को भी पता नही चलेगा।
जाते हुए मंगल राज को आंख मार देता है और वहां से अंडरवाटर स्वीमिंग करते हुए कालू श्याम और छोटू के पास चला जाता है एक दम पानी के नीचे नीचे।
कालू: क्या हुआ रे। क्या बोलने गया था तू भाई को कहीं डरा तो नही रहा था ना उसे।
मंगल: नही नही भाई वो.... (मंगल सारी बात कालू को बता देता है)
कालू मंगल और श्याम की तरफ देख कर मुस्कुरा देता है।
राज चट्टान के पीछे जाकर चारों तरफ देखता है तो वहां उसे प्रकृति की खूबसूरती के अलावा कुछ और नज़र नही आता। पूरी तरह से सन्तुष्ट होने के बाद राज कपड़े उतारने का निश्चय करता है।
करीब 5 मिनट बाद राज चट्टान के पीछे जा कर अपने कपड़े उतार देता है
और जल्द से जल्द नदी में उतार जाता है। राज जैसे ही नदी में उतरता है नदी के थडण्डे पानी से एक बार तो राज के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ जाती है। राज के रोयें खड़े हो जाते है। राज धीरे धीरे तैर कर बाकी लोगों के पास पहुंचता है।
कालू: अरे वाह तुझे तो तैरना भी आता है।
राज होल से मुस्कुरा देता है।
तभी श्याम राज को छेड़ने के लिए नदी में एक डुबकी लगता है और राज को अपने कंधों मैं उठा कर हवा में उठा लेता है।
राज बुरी तरह से डर जाता है। लेकिन अब क्या कर सकता था । उसने श्याम को पानी मे जाते हुए भी तो नही देखा था।
जैसे ही राज हवा में होता है राज की टांगों के बीच में एक मूंगफली जैसे चमड़ी लटके हुए कालू की नज़र के सामने आ जाती है। अब ऐसी हंसी मजाक तो गांवों में सब करते है। राज तो फिर भी नदी में था बच्चे तो कॉलेज में एक दूसरे की निक्कर उतार देते है।
कालू जैसे ही राज की नुनी देखता है तो उसकी भौहें तन जाती है।
तभी राज जोर से नदी में गिरता है । राज के नीचे नदी में गिरते ही पानी जोर से उछलता है और सभी दोस्तों पर पानी गिरता है।
श्याम की इस हरकत से तो छोटू की भी हंसी छूट जाती है। राज कैसे जैसे खुद को संभालता है और श्याम की तरफ गुस्से से देखने लगता है। श्याम हंसते हुए राज से माफी मांगता है।
श्याम: मुझे माफ़ कर दो यार। अब हम सब लोग दोस्त है तो थोड़ी बहुत मजाक तो चलती ही है।
तभी कालू बीच में बोल पड़ता है।
कालू: तुम सब अभी इसी वक्त अपनी-अपनी चड्डी उत्तरों...
कालू के ये बात सुनते ही तीनों चारों कालु की तरफ देखने लगते है।
इस बार कालू जोर से चिल्लाते हुए बोलता है।
कालू: सुना नही मैंने क्या कहा? या फिर तुम्हारे हथियारों को यही मछलियों को खिला दूँ।
कालू का गुस्सा बहुत तेज था। ये तो गांव वाले भी जानते थे कि कालू वैसे तो बहुत बदमाश है लेकिन गांव के लोगो के लिए कोई भी काम कर सकता है। बहुत दिलेर है और जो बोल् देता है बिना सोचे समझे कर भी देता है।
श्याम , मंगल और छोटू तीनो अपनी अपनी चड्डी उतार कर किनारे की तरफ फेंक देते है।
तभी कालु भी अपनी चड्डी उतार देता है।
राज कालू की तरफ देख रहा था।
राज अंदर से बहुत सहानुभूति जैसा महसूस कर रहा था। राज सोच रहा था कि श्याम के ऐसे घटिया मजाक के लिए कालू ये सब कर रहा है। मगर कालू अपनी चड्डी उतार कर किनारे की तरफ फेंक देता है और सभी से बोलता है कि उस चट्टान के पास चलो। उस चट्टान की इशारा करते हुए जहां से राज नंगा होकर नदी में कूदता है।
राज और बाकी सब बिना सवाल जवाब किये उस चट्टान की और तैरते हुए चक देते है।
कालू मंगल की और देख कर बाहर निकलने का इशारा करता है।
अब मंगल को भी कुछ कुछ समझ आने लगा था।
मंगल बिना डरे नदी से बाहर निकल कर चट्टान पर बैठ जाता है। तभी श्याम और छोटू की तरफ देख कर कालू बोलता है।
कालू: अब तुम लोगो को क्या अलग से बोलू।
श्याम और छोटू भी बाहर निकल जाते है। बाहर निकलते ही दोनों अपनी नुनियाँ अपने हाथों से छिपा लेते है।
कालू भी नदी से बाहर निकलता है और राज को बाहर आने के लिए बोलता है।
राज शर्म से पानी पानी हो जाता है लेकिन बाहर नही निकलता।
कालू: गुस्से से देख राज तेरे नाना जी की मैं इज्जत करता हूँ और मैं तेरे से बड़ा भी हूँ तो मेरी इज्जत तुझे करनी चाहिए। बिना बिना आनाकानी के बाहर निकल आए वरना हम मैं से कोई भी तुझसे कभी भी बात नहीं करेगा। और तू ज़िन्दगी भर के लिए ना मर्द बनकर घूमेगा।
राज को कालू की बाकी किसी बात पर गुस्सा नही आता लेकिन ना मर्द वाली बात पर राज को गुस्सा आ जाता है।
अब राज गुस्से में होने के कारण बेशर्मों की तरह पानी से चलता हुआ बाहर निकल कर आ जाता है। श्याम छोटू और मंगल की कालू के साथ नज़र राज की छोटी सी नुनी पर पड़ती है।
कालू:चलो एक आखिरी छलांग लगातई है अपनी दोस्ती के नाम..
सभी दोस्त खड़े होकर नदी में छलांग लगा देते है।
जब सभी नदी से बाहर निकलते है तो कालू राज से कहता है...
कालू: हम सब की नुनियाँ देख राज । जब मैंने तुझे हवा में देखा तो तेरी नुनी को देख कर मेरे दिमाग खराब हो गया। हम दोस्तों में तेरी नुनी इतनी छोटी क्यों।
राज: बेवकूफ मैं तुम सब से छोटा भी तो हूँ।
तभी छोटू बीच मे बोल पड़ता है
छोटू: राज भाई तुमसे छोटा तो मैं हूँ वो भी पूरा 1 या 1.6 साल।
ऐसा बोल कर छोटू अपनई नुनी दिखाता है।राज देख कर चौंक जाता है।
छोटू की नुनी 4.5 इंच बड़ी और 2.5 से 7 इंच के करीब मोती थी। सीधे शब्दों में कहूँ तो कुछ लोगों के ळंड के साइज़ की थी।
राज नीचे झुक कर अपनी नुनी को देखता है तो सच में शर्मिंदा होकर रोने वाला मुह बना लेता है।
कालू: राज के कंधों पर हाथ रखते हुए। तू हमारा दोस्त है भाई तू टेंशन मत ले। कपड़े पहन और चल मेरे साथ।
राज और बाकी सब की कालू के साथ साथ कपड़े पहन लेते है। और कालू के पीछे पीछे चल देते है।
कालू बाकी सब को एक झोपड़े के पीछे की तरफ ले जाता है। छोटू देख कर समझ जाता है कि वो कहाँ छोटू ही क्यों श्याम और मंगल भी जान जाते है कि कालू उन्हें कहा लेकर आया है लेकिन राज ज़रा देर से समझता है।
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very nyc updates dear ..!!!!
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Sabhi ka khoon hai shamil yaha ki mitti mai ..
Kisi ke baap ka hindostan thodi hai ...
..................... :s .......................
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Waiting for updates eagarly
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abh padhtey. but really interesting.
if u can read this story also
https://xossipy.com/thread-1839.html
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ab kahan gayin wo badi badi daleelein... jo writer sahab ... jaunpur bhai ko farma rahe the....
pehle se likhi aur already updated kahani... age nahi badha rahe... to complete kya kareinge..
i'm moving this thread bookmark to ..trash...
egoistic bluffmaster....
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(03-03-2019, 09:56 PM)kamdev99008 Wrote: ab kahan gayin wo badi badi daleelein... jo writer sahab ... jaunpur bhai ko farma rahe the....
pehle se likhi aur already updated kahani... age nahi badha rahe... to complete kya kareinge..
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mei apne mobile se is site ko open nhi kar pa raha hunnn.
Sorry
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ye message likha hua aa raha hai... jiske chalte mei update nhi de pa raha hun....
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राज नीचे झुक कर अपनी नूनजी को देखता है तो सच में शर्मिंदा होकर रोने वाला मुह बना लेता है।
कालू: राज के कंधों पर हाथ रखते हुए। तू हमारा दोस्त है भाई तू टेंशन मत ले। कपड़े पहन और चल मेरे साथ।
राज और बाकी सब की कालू के साथ साथ कपड़े पहन लेते है। और कालू के पीछे पीछे चल देते है।
कालू बाकी सब को एक झोपड़े के पीछे की तरफ ले जाता है। छोटू देख कर समझ जाता है कि वो कहाँ छोटू ही क्यों श्याम और मंगल भी जान जाते है कि कालू उन्हें कहा लेकर आया है लेकिन राज ज़रा देर से समझता है।
अब आगे.....
राज: ये क्या ये तो नाना जी का....
कालू: इशशशशश धीरे बोल चुप चाप चल
कालू पीछे से एक खिड़की से राज और बाकी सब को उसके नाना जी की झोपड़ी में अंदर ले जाता है।
कालू: यहां पर एक दवा है जो तेरी नुनी को एक असली लण्ड बना सकती है। तुम्हारे नाना ने वो दवा कई लोगो को दी थी। हमने भी वो यहां से चुरा कर ले ली थी जिसके बाद तुम्हारे नाना इस जगह को ताला लगा कर रखने लगे थे।
राज वह चारों तरफ मज़ार घूमता है तो उसे वह इस कमरे में चारों तरंग अजीब सी बोतलों में बंद दवाईयां नज़र आती है।
कालू थोड़ी बहुत देर की हेरा फेरी के बाद एक बोतल निकाल कर लेता है।
कालू: राज इस मे से 2 गोली ले लो।
अगले सात दिन तक असर मालूम पड़ जायेगा।
राज: कीच देर सोचता हज और फिर 2 गोली निकल कर ले लेता है।
कालू वापस वो बोतल छिपा कर रख देता है।
इसके बाद सभी चुप चाप बाहर निकल जाते है।
कालू ये लो ये चाबी इस खिड़की की है। आज से तुम अपने दादाजी की इस झोपडी के मालिक। इतना कह कर कालू, श्याम और मंगल के साथ वह से चल जाता है।
छोटू: अरे बाप रे मैं तो भूल ही गया था अम्मा बुला रही होंगी। तुमसे शाम को मिलता हुन राज भाई।
राज: छोटू को टाटा बाय बाय कहकर वही खड़ा रह जाता है।
राज के मुह मैं अभी तक वो गोलिया थी। राज को।वो खट्टी और मीठी लग रही थी तो राज उन्हें चूसता रहता है। राज को बहुत स्वाद आ रहा था।
तभी राज वहां से एक झाड़ू उठा कर अपने नाना की झोपड़ी की सफाई करने लगता है। लेकिन राज वो गोलिया चूस कर इतना खो जाता है कि उसे और खाने का मन करने लगता है।
राज थोड़ी मसक्कत के बाद वो दवा की बोतल ढूंढ लेता है। राज उसमें से कुछ 2-3 गोलियां निकाल कर अपनी हथेली पर रख लेता है। उन गोलियों को हाथ में रख कर राज सोचता है कि है तो ये दवा लेकिन इनका कोई साइड इफ़ेक्ट तो नही होगा ना। मम्मी बोलती है ज्यादा दवा लेने से हमारी बॉडी की इम्युनिटी खत्म हो जाती है और हम दवाओं पर डिपेंड हो जातें है।
इतना सोचने के बाद राज एक नज़र उन गोलियों पर डालता है फिर सोचने लगता है लेकिन इनका टेस्ट बहुत अच्छा है। और वैसे भी ये तो आयुर्वेदिक है ना तो इनका साइड इफ़ेक्ट नही होगा। और अगर हो भी गया तो कितना एफ्फेक्ट होगा।
राज अपनी पूरी बच्चा बुद्धि लगाने के बाद वो तीनों गोलिया अपने मुह मैं डाल लेता है। करीब 5 मिनट बाद गोलिया पानी बनकर राज के शरीर में घुस जाती है।
अब राज को प्यास लगती लगने लगती है कि वही दवाओं की बोतल के पास एक और छोटी बोतल में नीले रंग का पानी रखा नज़र आता ही जिस पर लिखा था ड्रिंक मी..
राज बिना सोचे समझे उसे एक झटके में पी जाता है। आखिर उसे प्यास भी तो बहुत तेज लगी थी।उस पानी को पीते ही राज को अजीब सा लगता है उसका स्वाद भी किसी सोडा वाटर की तरह था।
राज अपने नाना जी के कमरे की सफाई करने की सोच नही रह था लेकिन वह एक मोटी परत धूल की थी जिस कारण से राज ने सोचा क्यों ना इस धूल को हटा दिया जाए। तो राज अपने नाना जी के कमरे की सफाई करने लगा।
पूरे कमरे की सफाई के बाद जैसे ही राज उस खिड़की के पास झाड़ू लगाने लगा तो वह धूल की परत और जगह से कुछ ज्यादा थी । राज ने बहुत झाड़ू लगायी लेकिन वो धूल बहुत गहरी थी। तो राज ने उस धूल की परत को खोदने का निश्चय किया।
आस पास नज़र दौड़ाई तो उसे वहां एक फावड़े जैसा कुछ नज़र आया जो उसी कमरे के एक कोने में कुछ कपड़ों के पीछे छिपा पड़ा था। राज ने उस फावड़े से वह की धूल खोदी तो वहां आंगन नही बल्कि मिट्टी थी। राज ने जैसे ही उस मिट्टी में हाथ चलाये तो उसके हाथ एक बक्से से टकराये। वह पर एक लकड़ी का बक्शा गड़ा हुआ था।
राज खुदाई करके उस बक़्शे को निकाल लेता है और थोड़ी जोर जबरदस्ती से उस बक्शे को तोड़ देता है। बक्शे के टूट ते ही उसमें से एक और छोटा सा बक्शा निकलता है।
राज थोड़ी जोर मसक्कत करके उस लकड़ी के बॉक्स को निकाल लेता है। राज उस बॉक्स को निकाल कर के कमरे में पड़ी एक आधी खाली टेबल पर रखते हुए उसकी मिट्टी साफ कर रहा था। जैसे जैसे उस बक़्शे से मिट्टी साफ होती है वैसे वैसे राज की उस बक़्शे के अंदर क्या होगा ये जानने की इच्छा और भी प्रबल हो जाती है।
जब राज अच्छे से बक़्शे की मिट्टी साफ कर लेता है तो उसे चाबी के खांचे बने हुए नहीं दिखते। राज उस बक़्शे को लेकर खिड़की के पास ले जाता है । जहां पर सूरज ढल रहा था और हल्की लाल रंग की रोशनी जैसे किस जलती आग के पास से आती है ठीक वैसी ही रोशनी उस खिड़की से आ रही थी। राज उस बक़्शे को चारों और से घुमा कर देखता है कि शायद कहीं से इसे खोलने का कोई तरीका मिल जाये। कोई चाबी का खाँचा या पापा के सूटकेस जैसा पासवर्ड लगाने वाला हो।
राज था तो बच्चा ही वो कहाँ से दिमाग लगाए की इस बक़्शे मैं अगर चाबी का खाँचा मिल भी गया तो उसके पास कोनसी चाबी पड़ी है जिस से वो इसे खोल लेगा। एयर अगर पासवर्ड वाला भी मिल जाये तो उसे कोनसे पासवर्ड मिल जाएंगे सारे पासवर्ड लगा कर देखने में तो उसकी ज़िन्दगी गुज़र जाएगी।
लेकिन फिर भी राज काफी कोशिश कर रहा था। अचानक राज को बक़्शे के ऊपर बने चित्र चमकते हुए नज़र आते है। राज उन्हें देखने के लिए जैसे ही खिड़की को पीठ देकर बक़्शे को देखता है उसे कुछ नज़र नही आता।
राज सोचता है शायद ये उसकी आँखों का भृम होगा। वैसे भी वो सिर्फ जादू की कहानियां पसंद करता है तो शायद उस वजह से उसे चारों और जादू ही नज़र आ रहा है । या फिर शायद ऐसा होने की वो इच्छा रखता है। राज मुस्कुराते हुए फिर से खिड़की की और मुड़ता है जैसे ही राज खिड़की की और घूमता है। सूरज की लाल रोशनी उस बक़्शे पर बने अजीब से चित्र के केंद्र पर पड़ती है।
सूरज की किरण के उस चित्र के केंद्र पर पड़ते ही वो चित्र चमकने लगते है। कोई तीस चालीस सेकंड ही गुजरे थे को वो चित्र इधर उधर हिलने लगते है और बक़्शे के बीच मे जगह छोड़ते हुए एक नाली जैसे कलाकृति बना लेते है। एयर वो कलाकृति जहां पर समाप्त होती है वहां पर एक चाबी जैसा खाँचा बना हुआ था।
राज जैसे ही बक़्शे को हवा में उठा कर उस चाबी के खांचे को देखने की कोशिश करता है राज जोर से चीख पड़ता है।
दरअसल राज की उंगलियां जहां बक़्शे के साइड में उन चित्रों पर थी उन चित्रों मैं एक तलवार का स निशान बना हुआ था जिसे राज देख नहीं पाया । वो उन चित्रों। ने मिलकर ऐसी तलवार बनाई थी। जिस से राज की बाएं हाथ की चारों उंगलियों पर हल्का सा कट लग जाता है।
कट लगने के बाद राज की उंगली से निकले खून की दो-तीन बून्द उन चित्रों से होते हुए वो नालीनुमा बानी हुई आकृति में चली जाती है जहाँ से वो चाबी के खांचे की और जाने लगती है।
राज ने सोचा अंदर कुछ सामान होगा वो खून लगने से हो सकता है खराब हो जाये। उसने बक़्शे को तुरंत सीधा करके रख दिया।
अब तो राज की हालत बिल्कुल पतली हो गयी थी। क्यों कि एक तो बक़्शे पर बने वो चित्र बिना सूरज की रोशनी के भी चमक रहे थे दूसरा उसकी खून की बूंदे वो नीचे गिरने की बजाय सीधे खड़े बक़्शे मैं ऊपर की और बढ़ रही थी और सीधी चाबी जैसे बने खांचे की और जा रही थी।
राज अंदर से बहुत डर रहा था। सोच रहा था कहीं कुछ गलत तो नही कर दिया। ये ज़रूर दादाजी का ही कुछ सामान होगा। सब लोग बोलते है कि दादाजी बहुत बड़े जादूगर थे।
राज अभी ये सोच ही रह था कि खून की बूंद चाबी के खांचे मैं समा जाती है। खांचे मैं जैसे ही खून की बूंद जाती हैबक्शे खुद बा खुद खुलने लगता है। वो नाली जैसी बानी आकृति दोनों एक दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हो रही थी।
जैसे ही बक़्शे खुलता है राज को वहां पर सिवा एक कागज के टुकड़े के कुछ भी नहीं दिखता । राज जैसे ही उस काग़ज़ के टुकड़े को अपने दाहिने हाथ से उठा कर खोलता है तो चोंक जाता है। ये कागज़ का टुकड़ा पुराने ज़माने के नक्शे की तरह दिख रहा था लेकिन ये तो बिल्कुल खाली है। और उस नक्शे के पास में एक दिशा सूचक यंत्र मेरा मतलब एक कंपास भी रखा हुआ था।
राज उसे चारों और घूमाकर देखता है लेकिन कुछ नहीं दिखता। तभी हल्की सी हवा चलने लगती है। जिस से वो नक्शा मुद कर राज के हाथ पर चिपक जाता है राज उसे धेने हाथ से पकड़े पकड़े ही हटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन सफल नही हो पाया। आखिर में हार मानकर बाएं हाथ से उस नक्शे को पकड़ा। जैसे ही राज ने बाएं हाथ से नक्शे को पकड़ा वो नक्शा राज की बाएं हाथ की उंगलियों से खून चूसने लगा। जिसे देख कर राज एक बार तो डर गया लेकिन अगले ही पल उसकी आंखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गयी।
जैसे जैसे राज का खून वो नक्शा सोख रहा था वैसे वैसे उस खाली नक्शे पर चित्र उभर रहे थे। राज ने दर कर अपना हाथ वहां से हटा लिया। राज के हाथ हटाते ही कुछ ही वक़्त में राज के देखते ही देखते वो उभरे हुए सारे चित्र एक बार फिर से गायब हो गए।
तभी शाम होने तक राज के घर नही लौटने पारर नानी परेशान हो रही थी। नानी ने घर पर छोटू को बुला रखा था। छोटू रौ रहा था और नानी छोटू पर चिल्ला रहा था। राज नानी की आवाज सुन कर अपने नाना जी के कमरे में उस बक्शे को छिपा कर खिड़की बैंड कर देता है और बाहर उस खिड़की को ताला लगा कर भागता हुआ नानी के पास चला जाता है।
नानी: राज बेटा.... तू ठीक तो है ना? कहा था इतनी देर से? क्या कोई तुझे परेशान कर रहा था? बता बेटा वो कोई भी हो आज उसकी खेर नहीं। उसकी सारी पुश्तों को मिटा दूंगी मैं बात क्या हुआ था?
राज: नानी नानी क्या हुआ? आप इतना परेशान क्यों हो रही हो। वो क्या है ना नहाने के बाद में गांव की हरियाली देख कर उसी में खो गया था तो यही अपने घर के पीछे घूमने लग गया था। वो तो आपकी आवाज सुना तो दौड़ा दौड़ा चला आया। और फिर आपने ये भी नही बताया कि नाना जी के झोपड़े के पास मैं से नदी होकर गुजरती है। वरना इतनी दूर नहाने ही नही जाता। और आप यहां छोटू को रुला रही है। ले दे के यही तो एक दोस्त बना है मेरा उसे भी आप...
तभी नानी राज की बात को काट कर...
नानी: बस बस इतनी गलतियां निकालने की ज़रूरत नही है। और तू ने क्या कहा, घर के पीछे? कहीं तू नाना जी के झोपड़े मैं तो नही गया था?
राज: कैसी बात करती हो नानी वो झोपड़ा तो लॉक है।
नानी : मतलब तू जाने की कोशिश तो कर ही रहा था। है ना?
राज: नही वो तो मैं... हाँ तो मैं ये देख रहा था कि उसका ताला मजबूत तो है ना।
नानी राज के कान पकड़ते हुए
नानी: बदमाश चल अंदर तेरी आज खेर नही।
छोटू अपने घर चला गया, राज नानी के साथ घर में,
अब तो रोज नानी राज को दिन रात नई नई कहानीयां सुना देती थी।
लेकिन एक बात आज तक नानी को परेशान किये हुए थी कि मैंने राज को जब राज पहली बार कहानी के लिए बोला था तो उसे वही उस तिलिशमी आईने की कहानी क्यों सुनाई?
यूँही कहानियां सुनते सुनाते और राज की बदमाशियां झेलते हुए राज और नानी को पता ही नही चला कि गर्मी की छुट्टियां कब खत्म हो गयी।
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