Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
1>
आईईईईईईईईई……. भाबीईईईईईईई………..मररररर….. गय्ाआ…..रीईईईईईईईईईईईईईईईईईई……उफ़फ्फ़…उफ़फ्फ़….रुकूओ…प्लीज़…
क्या हुआ मेरे शेर….को…, मेरे लेडल देवेर को…! पुच….!! मेरा राजा बेटा..!! क्या हुआ..? बताओ मुझे….? मोहिनी भाभी अपने लाड़ले देवर अंकुश के गाल को प्यार से सहलाते हुए बोली.
अंकुश – अरे… उठो.. जल्दी…मेरा फटा जा रहा है…! आईईई….माआ…!
मोहिनी – अरे क्या फटा जा रहा है..…. ?
अंकुश – अरे भाभी ! समझा करो… प्लीज़ उठो मेरे उपर से.. मेरा लंड फट गया… अह्ह्ह्ह…
मोहिनी अपनी एक चुचि को उसके मूह में ठूँसती हुई बोली- कुच्छ नही फटा, लो इसको चूसो.. सब ठीक हो जाएगा…!
कितना नाटक करता है ये लड़का.. उफ़फ्फ़… सांड़ हो रहा है, अभी भी कहता है फटा जा रहा, अरे तुम्हारी उमर के लड़के कोरी चूत को भोसड़ा बना देते हैं, और ये लाट साब… उफ़फ्फ़… हां ऐसे ही चूसो… इस्से… खा.. जाओ… शाबाश… ये हुई ना मर्दों वाली बात..आहह…..
फिर धीरे से और थोड़ा सा दबाब डाल दिया अपनी 38” की मोटी गान्ड का उसके लंड के उपर और आधे लंड को अपनी चूत के अंदर कर लिया…!
एक बच्चे की माँ मोहिनी भाभी की चूत भी आधे लंड में ही पानी देने लगी, क्योंकि उसके लाड़ले देवर का लंड था ही इतना मोटा तगड़ा.
भाभी के दबाब डालते ही अंकुश ने उसकी चुचि को मूह से बाहर निकाल कर एक बार फिर से चीख उठा…भाभिईिइ… मान जाओ ना…. दर्द हो रहा है…प्लीज़…!
अभी भी दर्द हो रहा है… लो इसे चूसो, और उसने दूसरी चुचि उसके मूह में ठेल दी… और उसके माथे को चूमते हुए उसके बालों को मसाज देती हुई, आँख बंद करके पूरी गान्ड उसकी जांघों पर रख दी….
एक साथ दोनो की ही चीख निकल गयी, और अब वो लंबी-2 साँसें ले रहे थे..
मोहिनी अब शांति से उसकी जांघों पर अपनी गान्ड को लंड पर रख कर बैठी थी, फिर उसके चेहरे के उपर झुक कर उसके होंठो को चूम लिया और शरारती स्माइल अपने होठों पर लाकर बोली – सच में बड़ा कमाल का लंड हैं मेरे प्यारे देवर का..
एक बच्चे की माँ की भी ऐसी की तैसी कर दी इसने तो…एकदम खुन्टा सा गढ़ गया है…. हूंम्म…!
अंकुश – ये आपका ही सब किया धरा है… 5 साल से मालिश कर रही हो आप ! तो होगा ही ना..!
मोहिनी – हूंम्म… सो तो है.. वैसे अब दर्द तो नही हो रहा मेरे राजा को…!
अंकुश – अभी थोड़ा सा फील होता है.. कभी- 2, पर ज़्यादा नही है..
मोहिनी – तो फिर शुरू करें अब.. और उसने अपनी गान्ड को धीरे से उपर उठाया, और उसके साडे सात इंच लंबे लंड के सुपाडे तक अपनी चूत के मूह को लाई, और फिरसे धीरे से बैठ गयी…!
दोनो के अंगों में इतनी जोरदार सुर सुराहट हुई कि एक साथ दोनो की सिसकी निकल गयी और उनकी आँखें मूंद गयी…
ईईीीइसस्स्स्स्स्शह……आअहह…..सस्स्सुउउऊहह….. मेरी चुचियों को मस्लो देवरजीीीइ… बहुत मज़ा है इनमें…. हाआँ… और जोर्र्र्र्सस्सीई….आहह…
अब धीरे-2 उसके उठने बैठने की गति बढ़ती जा रही थी….
अंकुश जिसकी आज जीवन की पहली चुदाई थी… वो तो पता नही कोन्से लोक में था आज… उसकी प्यारी भाभी ने आज अपना वायदा जो पूरा किया था…
कुच्छ देर में ही मोहिनी की राम प्यारी ने हथियार डाल दिए और वो अपने लाड़ले देवर के उपर पसर गयी.
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
21-02-2020, 02:15 PM
2>
कुच्छ देर में ही मोहिनी की राम प्यारी ने हथियार डाल दिए और वो अपने लाड़ले देवर के उपर पसर गयी.
अंकुश को लगा कि पता नही भाभी को क्या हुआ, घबरा कर उसने उसके कंधे पकड़ कर हिलाया, भाभी..भाभी… क्या हुआ आपको… ?
वो मस्ती में कुन्मुनाई, और धीरे से अपनी बोझिल आँखों से उसकी ओर देखा और मुस्कुराकर बोली… मुझे तो कुच्छ नही हुआ, बस इस कोरे करार मूसल की मार मेरी मुनिया ज़्यादा देर झेल नही पाई इसलिए थोड़ा सुस्ता रही थी..
अंकुश – लेकिन में क्या करूँ, ये साला फटा जा रहा है, अब इसका क्या होगा..?
मोहिनी – अरे ! तो मैं हूँ ना, ये बस स्टार्ट-अप था, इसके उद्घाटन का..खेल तो अब शुरू होगा… लेकिन बाबू, अब तुम्हें मेहनत करनी होगी ठीक है..
और वो उसके उपर से साइड में लुढ़क गयी और अपनी टाँगें चौड़ा कर लेट गयी..
लो आ जाओ, और बुझालो इसकी प्यास, लेकिन प्यार से मोरे राजा बेटा, तुम्हारा मूसल ज़्यादा कुटाई ना कर्दे मेरी ओखली की…
अंकुश का बुरा हाल हो रहा था, अब उसको जितनी जल्दी हो अपने लंड को शांत करना था, वरना फटने का ख़तरा बढ़ने लगा था.
उसने भाभी की टाँगों के बीच घुटने मोड़ कर बैठते ही आव ना देखा ताव अनाड़ी बालमा… लिसलीसी चूत के उपर रॅंडम्ली अपना सोता सा लंड अड़ा दिया और लगा धक्का देने….
वो तो अच्छा हुआ कि दोनो हथेलिया भाभी के दोनो बगल में होके पलंग पर टिक गयी और वो चोदु पीर गिरने से बच गया, वरना आज भाभी का मूह सूजना तय था उसके सर की चोट से.
हुआ यूँ कि, पट्ठे को चुदाई का कोई आइडिया तो था नही, उसने सोचा लंड चूत के उपर तो रख ही दिया है, चला ही जाएगा अंदर जैसे कि चूत मूह खोले उनके साब का ही इंतेज़ार कर रही हो.
जैसे ही आवेश में आकर धक्का लगाया, चिकनी हो रही चूत, सर्ररर… से फिसलता हुआ मुसलचंद भाभी की नाभि के होल से अटक गया…
ईीीइसस्स्शह….. क्या करते हो मेरे अनाड़ी देवर…? हटो ज़रा….!!
वो थोड़ा उपर हुआ तो भाभी ने अपनी पतली-2 उंगलियों से अपनी दुलारी के होठों को खोला और बोली – लो अब कुच्छ दिख रहा है…?
अंकुश – आहह… भाभी अंदर से क्या मस्त लाल-लाल दिख रही आपकी चूत… आह जी कर रहा है, इसे खा जाउ…!
मोहिनी – अह्ह्ह्ह… तो रोका किसने है… खा जाओ ना..!
अंकुश ने झट से उसकी लाल अंदरूनी दीवारों को अपनी खुरदूरी जीभ से खूब ज़ोर लगा कर रगड़ दिया….
आअहह…….हाइईईईईई….मैय्ाआ…. उफफफ्फ़…ये कर डॅलायया…. अब चूसो ईसीई…खा जाओ…मेरे प्यरीए…हान्न्न.. ऐसी.. हीईिइ…चूसो…अपनी जीभ घुसा दो…और अंदर…..सस्सिईईईईई…..आईई…राअंम्म्म……मार्रीइ…रीए…
अंकुश ने मज़े-2 में अपनी प्यारी भाभी की चूत के पटों को अपने मूह में भर लिया और उसको ज़ोर से दाँत गढ़ा दिए…
नहियीई…इतनी ज़ोर से मत कॅटू…
अब मोहिनी भाभी से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, अंकुश तो बाबलों की तरह लगा था, उसको कुच्छ ठीक से सूझ ही नही रहा था, जहाँ नज़र जाती, जन्नत ही लगने लगती और उसी में डूबने लग जाता..
मोहुनी ने उसके बाजू पकड़ कर अपने उपर खींच लिया और उसके होठों को चूम कर बोली – आहह… अब देर मत करो… लो डालो इसमें और अपनी चूत की फांकों को खोल दिया…
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
Posts: 906
Threads: 2
Likes Received: 458 in 406 posts
Likes Given: 828
Joined: Jul 2019
Reputation:
7
Kahani family Wala hona chahiye
•
Posts: 600
Threads: 0
Likes Received: 275 in 206 posts
Likes Given: 2,036
Joined: Dec 2018
Reputation:
8
मस्त शुरुआत। कृपया ऐसे ही मज़े देते रहिये देवर जी।
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
Posts: 1,252
Threads: 3
Likes Received: 437 in 328 posts
Likes Given: 11,458
Joined: Nov 2018
Reputation:
16
ye xossip par anspandit ki likhi hui LADLA DEVAR story hai.................
copy paste kar rahe ho............koi bat nahin
lekin TITLE to original hi rahne dete aur WRITER ka nam bhi mention karna chahiye
Posts: 688
Threads: 0
Likes Received: 185 in 157 posts
Likes Given: 243
Joined: Nov 2018
Reputation:
11
एकदम झकास शुरुआत है। लिखते रहिये। साई भाभीयाँ ऐसे ही देवरों का ख्याल रखा करें।
lets chat
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
#समझने की ना करो कोशिशें
कि.....
हूँ कैसी मैं?
अब से जैसे तुम..बिल्कुल वैसी हूँ मैं?
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
कुछ अलग ही ख़ुमारी में घूम रहे हैं हम,
मिले हैं आपसे ख़ुद को ढूंढ रहे हैं हम
Posts: 688
Threads: 0
Likes Received: 185 in 157 posts
Likes Given: 243
Joined: Nov 2018
Reputation:
11
(23-02-2020, 03:06 AM)nitya.bansal3 Wrote: #समझने की ना करो कोशिशें
कि.....
हूँ कैसी मैं?
अब से जैसे तुम..बिल्कुल वैसी हूँ मैं?
(23-02-2020, 03:08 AM)nitya.bansal3 Wrote: कुछ अलग ही ख़ुमारी में घूम रहे हैं हम,
मिले हैं आपसे ख़ुद को ढूंढ रहे हैं हम
वाह।।
रेटिंग्स आपको।
lets chat
•
Posts: 688
Threads: 0
Likes Received: 185 in 157 posts
Likes Given: 243
Joined: Nov 2018
Reputation:
11
(22-02-2020, 03:21 AM)kamdev99008 Wrote: ye xossip par anspandit ki likhi hui LADLA DEVAR story hai.................
copy paste kar rahe ho............koi bat nahin
lekin TITLE to original hi rahne dete aur WRITER ka nam bhi mention karna chahiye
धन्यवाद यह जानकारी के लिए। पढ़ने में मज़ा आ रहा।
अपलोडर से कहूँगा अगर "anspandit" की कहानी है तो उनका नाम जरुर डाले।
lets chat
•
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
3>
अब अंकुश को समझ आया कि असल होल कॉन्सा है, तो उसने अपने लंड का सुपाडा उसके मूह पर रखा, उसका लंड इतना गरम हो चुका था मानो, किसी भट्टी से निकाल के लाया हो.
अब आराम से धीरे-2 इसको अंदर डालो… देवर जीि…. हाआँ … ऐसे ही… आराम से… हां.. डालते जाओ… हान्ं बस… रूको ज़रा…आअहह… कितना गया… ईसस्शह… फिर उसने खुद ही अपनी उंगलियों से टटोल कर चेक किया.
अभी तीन-चौथाई लंड ही अंदर गया था, और मोहिनी की चुदि-चुदाई चूत ऐसी धँसा-डॅस भर गयी थी, मानो अब उसकी इच्छा ही ना हो और लेने की.
मोहिनी – हां अब धीरे-2 पहले इतने से ही अंदर-बाहर करो इसे..
अंकुश ने उतना ही लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया, कुच्छ देर में ही भाभी को मज़ा बढ़ने लगा और उसने नीचे से अपनी कमर उचकाना शुरू कर दिया…
अंकुश और भाभी चुदाई में ऐसे खो गये कि उन्हें पता ही नही चला कि कब पूरा लंड उसकी चूत में चला गया, अब उसको उसका सुपाडा अपनी बच्चेदानी के एन मूह पर फील होने लगा था.
अंकुश को अब अपने उपर कोई अंकुश नही रहा, और अपनी हथेलियों को पलग पर जमा कर पूरी ताक़त से तेज-तेज धक्के लगाने लगा, मज़े ने उसे अब सब सिखा दिया.
भाभी को अपनी जिंदगी की अब तक की सारी चुदाई फीकी लगने लगी आज की चुदाई के आगे. वो एक बार और झड चुकी थी, लेकिन अपने प्यारे राजा को उसने रोका नही.
चाहे जो हो जाए आज वो उसको खुशी देकर ही रहेगी.
उसने थोड़ा उसके सीने पर हाथ रखके रुकने का इशारा किया, और अपने उपर से हटा कर वो उल्टी हो गयी और अपनी चौड़ी गान्ड को अंकुश की आगे करके कुतिया की तरह औंधी हो गयी.
अंकुश को अब और कुच्छ समझने की ज़रूरत नही थी, उसे तो बस अब सिर्फ़ चूत का छेद ही दिखाई दे रहा था.
झट से पीछे आया, और सट से एक ही झटके में पूरा लंड पेल दिया भाभी की रसीली चूत में.
भाभी के मूह से फिरसे एक मादक कराह निकली, लेकिन उसे रोका नही..
इस पोज़ में अंकुश को और ज़्यादा मज़ा आ रहा था, उसके धक्कों की स्पीड इतनी तेज थी, कि अगर कोई गिनना चाहे तो डेफनेट्ली नाकाम हो जाएगा..
आख़िरकार उसको अपनी मंज़िल नज़र आने ही लगी, उसको लगा जैसे कोई बहुत बड़ा झंझावाट सा उसके पेलरों से उठ रहा है, जो झटके मारता हुआ, लंड के रास्ते भाभी की चूत में देदनादन पिचकारियाँ छोड़ने लगा.
बाप रे ! इतना माल, लंड अंदर होते हुए भी चूत से बाहर घी जैसा उसका मसाला भाभी की जांघों से रिसने लगा.
उसकी पिचकारी की धार से भाभी भी मस्त होकर फिर एक बार झड़ने लगी और इतनी झड़ी कि उसकी पूरी टंकी खाली हो गयी और वो औंधे मूह बिस्तर पर पसर गयी.
अंकुश भी भाभी की चौड़ी पीठ पर ही लद गया, और हाँफने लगा.
कुच्छ देर ऐसे ही बेसुधि में दोनो पड़े रहे, फिर वो भाभी की बगल को पलट गया, तब उसका लंड पच… की आवाज़ के साथ चूत से बाहर आया.
अपने अध्खडे लंड को भाभी की कमर से सटाये, उसकी पीठ पर अपना एक हाथ और जांघों पर अपनी एक टाँग चढ़ा कर वो भाभी की बगल में पड़ा-2 सो गया….!!
शंकर लाल शर्मा, *** गाओं के अति-प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, एक बार को अपना काम भले ही बिगड़ता रहे, लेकिन अगर कोई मदद माँगने इनके द्वार पर आगया, तो खाली हाथ तो कम-से-कम जाएगा नही. यथासंभव उसे यहाँ से मदद ज़रूर मिलेगी.
उनकी इसी नेक-नीयत के चर्चे आस-पास के सभी गाँवो में थे. अपने जमाने के इस गाओं के वो सबसे अधिक शिक्षित व्यक्ति थे और गाओं के ही कॉलेज में शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे.
अपने पिता के चारों बेटों में सबसे बड़े शंकर लाल, शिक्षा का महत्व जानते थे, इसी कारण अपने छोटे भाइयों को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे, लेकिन वो पढ़ नही पाए.
दो बहनें भी थी जो तीन भाइयों से छोटी थी, लड़कियों को उस जमाने में ज़्यादा पढ़ाया लिखाया नही जाता था, फिर भी उनके कहने पर गाओं की आठवी क्लास तक की शिक्षा उन्हें दिलवाई ही दी.
पिता के देहांत के बाद सारे परिवार की ज़िम्मेदारी उनको ही उठानी पड़ी, हालाँकि सभी भाई बहनों की शादियाँ तो पिता के सामने ही हो गयीं थीं.
शंकर लाल की पत्नी विमला देवी ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की परिवार को एक सुत्र में बाँधने की, लेकिन छोटे भाइयों के विचार ना मिलने के कारण सभी परिवार अलग-2 रहने लगे.
पिता लंबी-चौड़ी जायदाद छोड़ कर गये थे, सो बराबर-2 हिस्सों में बाँट दी गयी. चूँकि शंकर लाल जी शिक्षक भी थे तो दूसरों से कुच्छ ज़्यादा अमन चैन से थे, उपर से उनके बच्चे भी अब बड़े हो चुके थे.
शंकर लाल के तीन बेटे और एक बेटी थी, बेटी दो बेटों के बाद पैदा हुई थी और उसके बाद फिर एक और बेटा…
सबसे छोटा बेटा जिसका नाम अंकुश है, जब आठवीं क्लास में पढ़ता था, तब उसके सबसे बड़े भाई राम मोहन की शादी हुई, शादी के समय राम मोहन शहर में रहकर ग्रॅजुयेशन कर रहे थे.
दूसरे भाई कृष्णा कांत 12थ में पढ़ रहे थे, बेहन रमा अपने भाई कृष्णा कांत के साथ ही साइकल पर बैठ कर उन्ही के कॉलेज में पढ़ती थी, जो इस समय 10थ में थी.
शंकर लाल अपने सभी बच्चों का समान रूप से ध्यान रखते थे, और उनकी हर जायज़ माँगों को पूरा करने की कोशिश करते जिससे उनके बच्चों को अपना भविष्य बनाने में कोई अड़चन ना आए.
गाओं में उस दौरान शादियाँ छोटी उमर में ही करदी जाती थी. शादी के समय राम मोहन की पत्नी मोहिनी 12थ में पढ़ती थी, नयी बहू के घर आने के तीसरे दिन ही उनके मायके विदा करा ले गये और गौने का छेता लगभग दो साल बाद का निकला.
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
•
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
4>
शादी के समय मोहिनी एकदम पतली दुबली कमजोर सी लड़की, लगता था मानो किसी लकड़ी के फ्रेम पर बनारसी साड़ी टाँग दी हो, और वैसे भी कुच्छ ज़्यादा समय अपनी ससुराल में गुज़ार भी नही पाई, ये भी हो सकता है कि भाई राम मोहन अपनी पत्नी की शक्ल भी देख पाए थे कि नही.
अब गाओं की रस्मो-रिवाज.. निभानी तो थी ही. बेचारे राम मोहन… शादी हुई ना हुई एक बराबर.
खैर घर परिवार के लिए तो खुशी की बात थी, उनके भरे-पूरे परिवार में वो सबसे पहली शादी जो थी, तो स्वाभाविक था कि खूब धूम-धाम से खुशियाँ मनाई गयी. सभी चाचा भतीजों ने खूब बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
शादी के एक साल के अंदर ही राम मोहन का ग्रॅजुयेशन पूरा हो गया और अब वो बी.एड की पढ़ाई में जुट गये, पिता का प्लान उनको किसी कॉलेज में लेक्चरर बनाने का था.
अब कृष्णा कांत भी बड़े भाई के पास शहर पहुँच गये थे अपने ग्रॅजुयेशन करने के लिए,
सब कुच्छ सही चल रहा था, कि ना जाने विमला देवी को कोन्सि बीमारी ने घेर लिया, उन्होने बिस्तर ही पकड़ लिया, बहुत इलाज़ कराया लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ.
बेटे के गौने की तिथि में अभी 6 महीने वाकी थे लेकिन माँ की हालत दिनो दिन गिरती देख पिताजी ने बेटे का गौना अति-शीघ्र करने के लिए अपने समधी से बात की.
वो भी भले लोग समस्या को समझ, राज़ी हो गये और आनन-फानन में बेटे का गौना करा लिया, बहू के आते ही माँ विमला देवी परलोक सिधार गयी.
मोहिनी अभी खुद भी एक बच्ची ही थी, जो अभी 19 वे साल में चल ही रही थी, उसको अपने छोटी ननद और देवर को अपने बच्चों की तरह संभालना था… कैसे ? ये उसकी समझ में नही आ रहा था.
पति शहर में रहकर शिक्षा ले रहे थे, ससुर से घूँघट करना पड़ता था.
ससुर बहू के बीच का कम्यूनिकेशन ज़्यादा तर छोटे बेटे अंकुश के या ननद रमा के माध्यम से ही होता था.
वैसे ननद- भौजाई में 3-4 साल का ही एज डिफरेन्स था, रमा ने समझदारी दिखाते हुए, अपनी भाभी को अपनी दोस्त की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया, जिसके चलते मोहिनी का दिल इस घर में लगने लगा, और जल्दी ही वो परिश्थितियो के हिसाब से ढलने लगी.
कुच्छ ही दिनो में अंकुश का अपनी भाभी के प्रति एक माँ बेटे जैसा लगाव हो गया, अब वो उसकी हर ख्वाइश का ध्यान रखती, अंकुश भी हर छोटी बड़ी ज़रूरतों के लिए अपनी भाभी को ही बोलता.
देवर भाभी का लगाव इतना बढ़ गया कि अब उसको अपनी भाभी के दुलार के वगैर नींद नही आती थी, कभी-2 तो वो उसकी गोद में ही सर रख कर सो जाता था. फिर वो बेचारी सोते हुए को जैसे-तैसे उठा कर उसके बिस्तर तक पहुँचाती या फिर वो खुद भी उसके बगल में ही सो जाती.
मोहिनी अब शादी के समय वाली दुबली पतली लड़की नही रही थी, बीते डेढ़ सालों में उसके शरीर में काफ़ी बदलाव आ गया था, वो अब एक सुंदर नयन नक्श की गोरी-चिटी मध्यम कद काठी 5’5” की हाइट 32-27-30 के फिगर वाली सुन्दर युवती हो गयी थी.
पतले-2 गुलाबी होठ, गोल चेहरा, हल्के भरे हुए गुलाबी गाल जिनमे दोनो साइड हँसने पर डिंपल पड़ते थे, सुराही दार लंबी गर्दन, कमर तक लंबे घने काले स्याह बाल, कुल मिलाकर एक पूर्ण युवती थी.
गौने के बाद अंकुश ने जब अपनी भाभी को बिना घूँघट के देखा तो वो उसे किसी देवी के मानिंद लगी, और वही छवि उसने अपने मनो-मस्तिष्क में उसकी बिठा ली…
पति-पत्नी का मिलन उनके गौने के भी काफ़ी दिनो के बाद ही हुआ था, क्योंकि सास के देहांत के बाद कुच्छ महीनो तक तो सभी शोक संतप्त ही थे.
राम मोहन जब भी घर आते थे, तो जैसे-तैसे सकुच-संकोच करके समय निकाल पाते, उपर से दुलारा देवर, जो हर समय अपनी प्यारी भाभी के दामन से ही चिपका रहता था.
माँ का दुलारा, सबसे छोटा बेटा ही होता है, उनकी मौत के बाद भाभी उसको संभालने में कोई कसर नही रखना चाहती थी, बेचारे राम मोहन संकोच वश कुच्छ कह भी नही पाते थे, बिन माँ का बच्चा वो भी छोटा भाई… कहें भी तो क्या..?
बहू के घर में रहते, पिता घर में कम ही आते थे… उनका ज़्यादा तर समय तो कॉलेज में बच्चों के बीच, उसके बाद खेतिवाड़ी की देखभाल में ही चला जाता था. घर वो बस खाने के लिए ही आते थे.
गौने के तीन महीने तक भी उनकी सुहागरात का कोई अता-पता नही था, फिर एक दिन रमा जो अब ऐसी परिस्थितियों को समझने लगी थी, उसने इशारों-2 में अपने छोटू (अंकुश को प्यार से सभी छोटू ही बुलाते थे) को समझाने की कोशिश की….
अगर आप लोगों की इज़ाज़त हो तो यहाँ से ये कहानी अंकुश (छोटू) की ज़ुबानी शुरू करता हूँ.. इज़ाज़त है ना..! ओके दॅन..
हम राम मोहन भैया को बड़े भैया और कृष्णा कांत भैया को छोटे भैया कह कर बुलाते हैं.
बड़े भैया हर शनिवार की शाम घर आते थे, और मंडे अर्ली मॉर्निंग निकल जाते थे.
एक दिन शनिवार देर शाम को भैया घर आने वाले थे, मे और भाभी आपस में बातें करते हुए, मस्ती मज़ाक भी कर रहे थे.
भाभी जब हसती हैं तो उनके दोनो गालों में गड्ढे (डिम्पले) पड़ते हैं, मे उनमें अपनी उंगली घुसा कर हल्के-2 सहला देता था, तो भाभी और ज़्यादा मस्ती करने लगती.
तो उस दिन भैया आने वाले थे, रमा दीदी ने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और बोली – छोटू ! भैया मेरी एक बात मानेगा..?
मे – हां ! दीदी बोलो क्या बात है…?
रामा – बड़े भैया जब आते हैं ना तब तू ना ! थोड़ा भाभी से अलग रहा कर..!
मे भोलेपन से बोला – क्यों दीदी ? ऐसा क्यों बोल रही हो..? उन्होने तो मुझे कभी ऐसा बोला नही ..!
रामा – वो शर्म की वजह से कुच्छ नही बोलती, तू ना ! उतने टाइम मेरे पास आकर पढ़ लिया कर…!
मे – नही दीदी ! मुझे तो भाभी के पास बैठ कर पढ़ना ज़्यादा अच्छा लगता है..
रामा – ओफफफू…तू समझा कर पागल..! देख भैया उनके पति हैं ना !
मे – तो उसमें क्या..? मे थोड़ी ना उनको भाभी से बात करने के लिए ना बोलता हूँ..!
रामा – तू बिल्कुल पागल ही है… अरे बुद्धू.. पति-पत्नी अकेले में ही ज़्यादा अच्छे से बात कर पाते हैं.. ! अब बोल मानेगा ना मेरी बात..!
मे – ठीक है दीदी, मे भाभी से बोलके आपके पास आ जाउन्गा.. लेकिन भाभी की तरह आपको मेरे साथ मस्ती करनी पड़ेगी जब बोर हो जाउन्गा तो..
रामा – ठीक है ! मेरा प्यारा छोटू कितना समझदार है..! चल अब तू खेलने जा और आज हम दोनो रात को एक साथ बैठ कर पढ़ेंगे.. ओके.
मे उनको ओके बोलकर बाहर खेलने चला गया. वैसे मे बहुत कम ही साथ के मोहल्ले के बच्चो के साथ खेलता था, क्योंकि वो सब आवारा किस्म के थे, पढ़ने लिखने से उनको कोई मतलब नही था.
उनके परिवार में भी कोई पढ़ने लिखने वाला नही था, जो उनको रोके. इसलिए बाबूजी (पिताजी) ज़्यादा खेलने भी नही देते ऐसे बच्चों के साथ.
उस दिन देर शाम भैया घर आए, हम सबने मिलकर खाना खाया, बाबूजी ने भैया से दोनो भाइयों की पढ़ाई लिखाई के बारे में बात-चीत की फिर कुच्छ देर खाने के बाद भी बैठे साथ में.
भाभी और दीदी ने मिलकर घर का काम निपटाया, फिर जब बाबूजी, बाहर चले गये तो दीदी ने मुझे अपने पास पढ़ने के बहाने से बुला लिया. हम दोनो पढ़ाई में लग गये.
जब हम सब वहाँ से चले गये, भाभी किचेन में बर्तन साफ कर रही थी, भैया ने चुपके से उनको पीछे से जाकड़ लिया और उनके गले पर किस कर लिया.
अचानक बिना किसी उम्मीद के भाभी को एक झटका सा लगा और वो हड़बड़ा कर पलट गयी, हड़बड़ाहट में उनका सर भैया की नाक में लगा, भैया हाथों से नाक दबाए खड़े रह गये, दर्द से उनकी आँखों में पानी आ गया..
भाभी झट से उनके पैरों में गिर गयी और गिडगिडाते हुए बोली- सॉरी जी ! माफ़ करदो ! मुझे नही पता था कि आप इस तरह से….! मे डर गयी थी कि पता नही कॉन…आ गया…?
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
•
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
ख़ुशी कहा हम तो “गम” चाहते है, ख़ुशी उन्हे दे दो जिन्हें “हम” चाहते हैं.
Posts: 560
Threads: 6
Likes Received: 567 in 423 posts
Likes Given: 1
Joined: May 2019
Reputation:
4
जाने किस बात की उनको है शिकायत मुझसे,
नाम तक जिनका नहीं है मेरे अफ़साने में !!
•
Posts: 77
Threads: 2
Likes Received: 60 in 42 posts
Likes Given: 27
Joined: Sep 2019
Reputation:
3
Nice story nitya... keep it up..!
|