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Adultery जेठ जी के अहसान
#21
Neera ji thodo jada post kare aur isko countine kare
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#22
3.........................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#23
जेठ जी अब अलग ही रूप में नज़र आ रहे थे ! कल तक जो मज़े मैंने आँख मूँद कर लिए थे , अब आँखों में ऑंखें डाल कर ले रही थी ! धीरे धीरे उन्होंने मुझे अपने बाँहों में पूरी तरह से ले लिया ! हम बैठे थे दिवार के सहारे पलंग पर !मैं जैसे जेठ जी की गोदी में ही थी , वो मुझे चुम रहे थे ,और मैं भी बीच बीच में चुम कर जवाब देती थी ! कभी कभी तो हमारे चुम्बन की आवाज़ पूरे कमरे में फ़ैल जाती थी ! उनका एक हाथ मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी से दबा रहा था ! प्योर सिल्क की ब्लाउज में इंतनी सलवटे पड़ गई थी , की लगता था अभी धो के निचोड़ा है ! भैया बोले , कपड़े ख़राब हो जायेंगे , उत्तर लो ! मैंने कहा जब आपका मन हो, उतार दीजियेगा , आज से ये आपका काम है !वो मेरी बात सुनकर और भी जोश में आकर चूमने लगे ! बोले ' अभी थोड़ी देर पहले तो गालियाँ दे रही थी , और अब इतना प्यार' ! भैया जो आपको गालियाँ दे रही थी , वो एक परायी व्याहता आदर्श नारी थी , और अब ये वही नारी अपने पति की आज्ञा का पालन कर रही है , जो मेरा धर्म है ! भैया बोल पड़े , सच में अगर तुम मुझसे शादी करती तो मैं मन नहीं करता , तुम दिल से भी बहुत खूबसूरत हो ! अब तो मैंने मन ही मन आपको भी पति मान लिया है , आखिर पति का असली सुख तो आपसे ही मिल रहा है !भैया बहुत भावुक हो गए , उन्होंने मुझे चूम चूम कर निहाल कर दिया ! अब भैया मेरा ब्लाउज खोल रहे थी ! सारे हुक खोलने के बाद ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगे ! फैंसी चिकनी ब्रा भैया को बहुत अच्छी लगी !उन्होंने साडी ऊपर कर के पैन्टी भी देखी , मैचिंग थी ! तुहारी ब्रा पैन्टी बहुत सेक्सी होती है , कपडे का तुम्हारे पसंद का जवाब नहीं ! तुम कई गुना सुन्दर लगने लगती हो ! पैन्टी को सहलाते हुए भैया बोले , तुम तो तैयार बैठी हो , गीली है तुम्हारी पैन्टी ! जो घडी आने वाली है , उसको सोचते ही , मैं गीली हो जाती हूँ ! भैया ने पैन्टी उतार दी , हाथ में लेकर सूँघा और चूम लिया ,मैं शर्मा गयी ! ब्लाउज को उतार दिया और मुझे लिटा कर खुद मेरे बगल में लेट गए !मेरे ब्रा के चारों तरफ चूमते रहे , जीभ से चाटते रहे, और धीरे धीरे उतारते रहे ! ऐसा ब्रा उतारना मुझे बहुत अच्छा लगा ! साड़ी उतार कर बिस्तर पर अलग रख दिया ! अब सिर्फ साटन की पेटीकोट रह गयी थी , जिसे भैया ने कमर तक उठा दिया और मेरे चूत को चूमने लगे ! चूत उन्होंने कल भी चूसा था पर मेरी ऑंखें बंद थी ! मैंने भैया का सर हिलाया ,बोली मैं देखना चाहती हूँ ! उन्होंने तकिये के सहारे मुझे थोड़ा उठा दिया ! भैया जीभ से मेरी चूत को चाट रहे थे और मेरा रोमांच बढ़ता जा रहा था ! अचानक भैया ने मेरी खास जगह मसल दी , चूत से फौवारा छूट गया , मैं रोक न सकी और , पीछे तकिये पर लेट गयी ! थोड़ा होश आने पर दुबारा देखा , भैया के पूरे मुंह पर पानी के छींटे थे , जैसे अभी भीग के आ रहे हों बरसात में ! मुझे बहुत शर्म आई , और भैया से नज़र मिलते ही शर्मा गयी ! भैया फिर से जीभ मेरी चूत में घुसा कर इधर उधर ऐसे घुमा रहे थे , जैसे कुछ ढूंढ रहें हों ! चपड़ चपड़ की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था ! मैं तो जैसे सातवें आसमान पर थी ! फिर भैया मेरी चूचियो का जायजा लेने लगे ! चूस चूस कर लाल कर दिया , दबा दबा कर उसे मुलायम कर रहे थे ! घुंडी तो बिलकुल कड़क हो गयी थी ! सच में मैंने कभी अपने बदन को इतना कीमती नहीं समझा था ! भैया ने समझा दिया था की असली खज़ाना यही है ! भैया मेरे ऊपर लेट गए थे , मेरे दोनों हाथों में अपना हाथ फंसा लिया था , और मुझे गर्दन , कान , कान के पीछे चूमने चाटने लगे ! मैंने कहा की भैया आपका हाथ मुझे जांघ पर चुभ रहा है , उन्होंने कहा , हाथ तो दोनों तुम्हारे हाथ में है ! अचानक मेरे दिमाग में जैसे बिस्फोट हो गया , मुंह से निकला "बाप रे" ! वो हाथ जैसी चीज़ भैया का लण्ड था ! मेरे तो होश उड़ गए , इतना बड़ा , मैं कैसे ले सकूँगी अपने अंदर ! भैया शायद समझ गए , बोले 'पगली घबराती क्यों है ' सब कुछ आराम से हो जायेगा , तुम बस मेरा कहा करती जाओ ! भैया ने अपना कुरता पजामा उतारा , और अंडरवियर उतार दी ! काला, मोटा और डंडे सा लम्बा लण्ड हवा में लहरा रहा था ! मैं तो बेहोश हो जाती लण्ड देखते ही , पर भैया बोले , घबराओ मत , मैं पहले तुम्हें इसके लिए तैयार करूँगा , फिर थोड़ा थोड़ा कर के पूरा अंदर करूँगा ! देखो आज जीता ले सकती हो , ले लो ,फिर अगले बार थोड़ा और ले लेना !भैया ने मुझे लिटा कर , अपना लण्ड मेरे चूत पर सहलाना शुरू कर दिया , लण्ड से धागे की तरह लसलसा पानी चू रहा था ! भैया ने अपना लण्ड मेरे चूत के छेद पर रखा ! मेरी चूत काफी ढीली होकर फड़फड़ा रही थी !भैया ने जगह बनाते हुए अपने आप को मेरे ऊपर कर लिया , मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद किया और हाथों को अपने हाथों से जकड लिया ! हल्का सा एक धक्का और भइया का सुपाड़ा अंदर लगा जैसे कोई दीवार गिरी थी चूत के अंदर , मेरी जान भी बाहर होने को थी ! मेरी चीख भैया के मुंह में रह गयी ! थोड़ा सा और अंदर गया लण्ड ,फिसलन की वज़ह से जो भैया ने चूस चूस कर बनाया था ! मुझे लगा किसी ने दो टुकड़े कर दिए मेरे ! जांघ के बीचों बीच कील ठोक दिया था भैया ने ! दो मिनट तक सब कुछ शांत रहा , मैं कुछ नार्मल हुई , और भैया ने आगे पीछे करना शुरू किया ! लग रहा था की चूत की दीवार ता चला गया है भैया का लण्ड ! एक बार उठकर देखना चाहा , भैया ने थोड़ा ऊपर उठकर दिखाया , अभी आधा लण्ड बाहर ही था ! अंदर बहुत जलन हो रही थी , लगता था चूत फैट गयी है और खून बह रहा है ! मैंने कहा , भैया आज इतना ही ! भैया समझ गए , उन्होंने उतने तक ही अपना लण्ड आगे पीछे करना जारी रखा ! हवा भी अंदर नहीं जा सकती थी, इतने टाइट होकर लण्ड अंदर बाहर हो रहा था ! मुझे मज़ा आने लगा था , अब भैया भी पूरी मस्ती में आ गए थे ! मैं बार बार पानी छोड़ रही थी चूत में, जिससे बहुत फिसलन हो गयी थी ! भैया ने स्पीड बढ़ा दी , मेरा अब तक का सबसे बड़ा झरना अब बह निकला ,तभी जैसे चूत में गरम पानी का नलका खोल दिया हो, भैया ने पिचकारी छोड़ दी ! कमरा वीर्य के खुसबू से भर गया ! भैया झड़ते रहे, लण्ड सिकुर्ने लगा , और भैया ने दवाब बना कर पूरा लण्ड अंदर ठोक दिया ! लण्ड में ढीलापन आ रहा था , लेकिन असली मर्द ने अपना जादू एक ब्याही बिनचुदी औरत को दिखा कर उसे अपना गुलाम बना लिया था ! एक जेठ ने अपने छोटे भाई की पत्नी के साथ मस्त सुहागरात मन ली थी ! हम लस्त पस्त लेटे थे , की भैया के फ़ोन की लाइट जल पड़ी , शायद फ़ोन साइलेंट पर था

जेठ जी की मोबाइल पर कॉल देखकर मैंने एक हाथ मोबाईल से उठा लिया , नाम पर नज़र पड़ी, किसी "चंपा" का फ़ोन आ रहा था ! मेरा दिमाग ठनका , इतनी रात को भैया के मोबाइल पर कोई औरत क्यों फ़ोन कर रही है ! जेठ जी की नज़र भी उस पर पड़ी , उनको पसीना आ गया ! मैं समझ गयी कुछ गड़बड़ है ! मैंने पुछा , किसका है ! भैया बोले वो कमल की बीवी है , जो पड़ोस में रहती है ! मैंने कहा ,हाँ,मैं जानती हूँ , आज आई थी डिनर पर ! आपके बारे भी पूछ रही थी ! मेरे से भी अजीब सा सवाल पुछा था कि, मैं आपके साथ क्यों जा रही हूँ , दीपक मुझे लेने क्यों नहीं आया !मुझे उसकी बातें अच्छी नहीं लगी थी, लेकिन है वो बहुत सुन्दर; पर वो इतनी रात को आपको क्यों फ़ोन कर रही है !अगर उसे कोई प्रॉब्लम है तो कमल को फ़ोन करना चाहिए , आखिर वो आपके छोटे भाई का जिगरी दोस्त है , आपका भी तो भाई ही हुआ ! भैया बोले , हाँ , सो तो है ! मोबाइल अब बंद हो गया था ! मैंने ऐसे ही चेक किया , ६ मिस्ड कॉल्स थी उसकी , हम चुदाई में इतने मस्त थे कि फ़ोन पर ध्यान ही नहीं गया था ! मैंने कहा ,भैया .जरूर कोई सीरियस बात है, आप उसको फ़ोन कर लीजिये ! भैया ने मना कर दिया ! कुछ सोचकर भैया बोले , तुम्हें मेरे पर कुछ शक है , क्यूंकि इतनी रात को उसने इतने फ़ोन किये ! मैंने कुछ नहीं कहा , पर दिल कह रहा था कि कुछ चक्कर जरूर है ! भैया फिर बोले ,तुम्हारी नज़र में मेरा चरित्र ठीक नहीं , यही सोच रही हो ना ! अब मैं बोल पड़ी , भैया आपका चरित्र पिछले तीन दिनों में मेरी नज़र में अच्छा बुरा दोनों रहा है ! लेकिन मुझे अब फर्क नहीं पड़ता कि पीछे आपने किसके साथ क्या किया है , और आगे क्या करेंगे ! मेरी नज़र में आप एक महान इंसान हैं , जो हर रिश्ते, हर फ़र्ज़ को बखूबी निभाता है , और अपनी मेहरबानियों कि कीमत नहीं वसूलता !भैया की आँखे छलक आई !बोले , काश तुम मेरी पत्नी होती ,तो मैं और भी बहुत कुछ दुनिया को दे सकता था ! मैंने उनको किस किया और बोली , अब और कितना पत्नी बनाना है !मैंने तो दीपक का कहना दिल से मान लिया है , तभी मैं आगे बढ़कर आपसे अपना प्यार ले रही हूँ !भैया बोले , देखो सोनू , कमल को भी वही प्रॉब्लम है ,जो दीपक को है, उसमे बाप बनने की शक्ति नहीं ! दीपक ने ही मुझे कसम देकर मज़बूर कर दिया था , और मुझे कमल की बीवी को माँ बनाना पड़ा ! उसको जल्दी गर्भ नहीं ठहर रहा था ,जिसके कारण मुझे उसकी बीवी के साथ बहुत बार सेक्स करना पड़ा !यही समझ लो की हम रात में एक साथ ही सोया करते थे ! मैं अगर मना भी करता तो कमल मुझे दीपक का वास्ता देकर अपनी पत्नी के पास भेज देता ! दीपक भी बार बार गावं आकर मुझसे अनुरोध करता था ! सच पूछो तो मुझे तुम्हारे साथ ये सब करने में उतनी टेंशन नहीं हुई ,जितनी उसके समय होती थी !भाई का दोस्त तो भाई ही होता है ना ! मेरे मन में भैया की इज़्ज़त और बढ़ गई थी , कितने महान थे और कितनी मेहरबानी की थी उन्होंने लोगों पर ! मैं बोली ,'लेकिन भैया वो अब क्यों आपके पीछे पड़ी है , उसको तो बेटा भी है ना' ! हाँ , पर अब उसको सेक्स का चस्का लग गया है ! अगर मैं एक महीने का गैप कर दूँ तो नाटक शुरू कर देती है ! कमल तो कुछ कर नहीं पाता,पर वो उसे बहुत जलील करती है , सुसाइड की धमकी देती है ! अब तो वो मुझे भी धमकाती है ,की माँ से सब कुछ कह देगी !अब डर से मैं उसके साथ सेक्स करता हूँ !मुझे अपनी परवाह नहीं है , लेकिन वो जानती है की दीपक को भी यही प्रॉब्लम है ! माँ ये बात बर्दाश्त नहीं कर पायेगी ! अब मुझे भी फिक्र हो गयी थी , मैंने भैया से कहा "भैया , अब आपके साथ आपकी पत्नी है , हम मिल के इसका हल निकल लेंगे ! अब मैंने माहौल को हल्का करने के लिए भैया से मज़ाक करना शुरू कर दिया !मैं बोली क्या भैया , आप भी किस मिटटी के बने हो , आपकी जगह मैं होती तो उसको अपने बाँहों से बाहर जाने ही नहीं देती !क्या औरत है भैया , किसी की भी तपस्या भंग कर दे ! भैया भी बोल पड़े , कोई बात नहीं अब तुम हो ना ,अब बाँहों से बाहर जा के दिखाओ ,और एक लम्बी किस का सिलसिला चल पड़ा ! मुझे अपनी चूत में कुछ हलचल सी लगी , फिर ध्यान आया कि भैया का लण्ड तो अभी तक मेरे चूत में जड़ तक धंसा हुआ है ! सेक्स की बाते सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गई थी और भैया भी , इसलिए लण्ड में थोड़ा तनाव आ रहा था ! मुझे लगा की भैया ने अगर अभी लण्ड नहीं निकला, तो पूरा खड़ा होने पर मेरी चूत के दो फाड़ हो जायेंगे ! मैंने भैया से रिक्वेस्ट की, कि निकल लें ! भैया का मूड बन रहा था , पर मेरा दर्द समझ रहे थे , बोले कि सोना , मेरा मन इस वक़्त बहुत बेचैन हो गया है , पर अभी शायद मैं कंट्रोल नहीं कर पाउँगा ! अगर तुम झेल नहीं पाओगी , तो कल एक कदम भी पूरा नहीं चल पाओगी ; फिर किस किस को बताते रहोगी कि क्या हुआ है ! वैसे भी किसी कुंवारी के लिए बहुत मुश्किल है , मेरे साथ सेक्स करना ! मैं चौंक पड़ी , क्या भइया , क्या बात कर रहें हैं , एक साल से शादीशुदा हूँ , कई बार सेक्स किया है दीपक के साथ , ठीक से नहीं हुआ तो क्या ! भैया बोले ," देखो सोना , मैं पड़सो तुम्हारा अंग देखते ही समझ गया था कि अभी तुम कुंवारी हो , इसीलिए मैंने ऊँगली को भी एक सीमा तक ही अंदर किया था ! सेक्स इतना आसान नहीं है कि हर कोई कर ले !आज कल के लड़कों में बहुत कम ज्ञान होता है सेक्स का ! वो अपनी तरफ से तो सेक्स कर लेते है , पर औरत को संतुष्ट नहीं कर पाते ! दीपक कि प्रॉब्लम मुझे पता है , वो केस थोड़ा अलग है , लेकिन वो भी तुम्हारा कौमार्य भंग नहीं कर पाया ! लेकिन आज तुम लड़की से औरत बन गयी हो , मेरी तरफ से मुबारकबाद, और भैया ने चुम लिया ! मैंने भी उनको चुम लिया और कहा , एक कुंवारी कन्या के कौमार्य को भंग करने का आपको भी मुबारकबाद !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#24
अतिसुन्दर!
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#25
(07-02-2020, 01:31 AM)bhavna Wrote: अतिसुन्दर!

banana Heart banana Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#26
story is so nice...
but please 1 request...
font size jara bada kro...its difficult 2 read in small font,,
and very nice and erotic story...
keep writting
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#27
Mast story h ...... Please update more
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#28
(07-02-2020, 12:28 PM)marathi.hubby Wrote: story is so nice...
but please 1 request...
font size jara bada kro...its difficult 2 read in small font,,
and very nice and erotic story...
keep writting

(07-02-2020, 12:51 PM)Suryahot123 Wrote: Mast story h ...... Please update more

SOME PEOPLE DO NOT LIKE BIG FOT BUT IT'"S OK
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#29
[Image: imageshttvgilence-VVvgilence.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#30
[Image: Untitled-EE.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
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[Image: imageshttvgilence.jpg]
















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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
Bohut mast Story hai Hot
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#33
thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
(07-02-2020, 01:31 AM)bhavna Wrote: अतिसुन्दर!

ab aage...............................






अब भैया ने धीरे धीरे लण्ड निकालना शुरू किया ! अंदर इतनी फिसलन और वीर्य भरा हुआ था मेरी चूत में कि , कोई भी झड़ा लण्ड पुच से बाहर आ जाता , पर झड़ने का बाद भी फौलाद कि तरह टाइट था मेरे चूत में , तभी तो चंपा इसको लेने के लिए पागल हो जाती थी ! मैं भी उसकी जगह होती तो दो साल कि चुदाई के बाद कभी हाथ से जाने ना देती ! भैया लण्ड को थोड़ा हिला डुला कर धीरे धीरे ऊपर खींचने कि कोशिश कर रहे थे ! जैसे ही लण्ड थोड़ा भी ऊपर आता , मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बच्चेदानी भी साथ साथ खींची आ रही है ! भैया ने थोड़ा आगे पीछे किया तो मैं चिल्ला पड़ी , लगा कि वो फिर से चोदने लगे है ! आखिरकार फच्च कि जोरदार आवाज़ के साथ के साथ लण्ड बाहर निकला ! भैया तजुर्बे वाले थे , शायद इसी लिए , मेरी पेटीकोट नहीं उतारी थी, मेरे चूतड़ के नीचे पेटीकोट पहले ही फैला दिया था , अब ऊपर का हिस्सा लेकर , मेरे पेट और चूत के ऊपर के हिस्से को पोछने लगे ! मैंने थोड़ा सर उठाया तो देखा कि भैया के लण्ड का जो हिस्सा मेरी चूत के अंदर था , वीर्य रसगुल्ले के रस कि तरह टपक रहा था ! मैंने सामने पड़े ब्रा और पैंटी से उसे पोछना शुरू कर दिया ! भैया के लण्ड को मेरा पहला स्पर्श था , भैया का लण्ड सर उठाने लगा ! भैया ने कहा , तुम छोड़ दो अभी , नहीं तो तुम्हे परेशानी होगी ! अब मैंने अपने चूत को पोछने के लिए उठ कर धीरे से बैठी ! चूत से लगा जैसे अंदर किसी ने एक छोटा गिलास वीर्य उलट दिया हो , धार सी बह निकली ! मैंने जल्दी से अपनी साड़ी से पोछना शुरू किया ! भैया ने रोकना चाहा , बोले साड़ी ख़राब हो जाएगी , मैं गन्दा कपडा लाता हूँ ! मैंने कहा , ये मेरे ज़िन्दगी का पहला गिफ्ट है मेरे जेठ पति का , मैं एक एक बून्द समेटना चाहती हूँ ! मेरी ब्रा ,पैंटी , पेटीकोट और साड़ी , भैया के वीर्य से लथपथ थे , कहीं कहीं खून के क़तरे मेरी सील टूटने कि गारंटी दे रहे थे !मेरी चूत का मुंह खुल गया था , लग रहा था कि मेरा पूरा हाथ अंदर आराम से चला जायेगा ! पेटीकोट भी मैंने खोल दी और सबकी एक गठरी बना दी ! भैया टॉवल ले आये थे , मैं उठने ही वाली थी कि मोबाइल कि लाइट फिर जल उठी ! देखा , फिर से 'चंपा' का फ़ोन था !भैंया ने इशारा किया कि जाने दे , पर मैं बोली वो कुछ भी कर सकती है , एक औरत होने के नाते मैं समझ सकती हूँ ! भैया को पलंग पर बिठाया , खुद उनके गोद में बैठ गयी, और भैया को इशारा किया कि बातें करो ! मोबाइल मेरे हाथ में थी , और स्पीकर ऑन कर दिया ! चंपा बोली " सो गए राजा " !
भैया : हाँ थक गया था , नींद में था , मोबाइल कि आवाज़ कम कर रखी थी !
चंपा : वह मेरे राजा , मेरी नींद उड़ाकर खुद मज़े कि नींद ले रहे हो !
भैया : मैंने क्या किया, मैंने तो देखा भी नहीं तुम्हें !
चंपा : इसी बात का तो दुःख है , आज दो घंटे लगाकर तैयार होकर मैं गयी थी, कि तुम्हारी तपस्या भंग करुँगी , पर तुम दिखे ही नहीं ! मेरा शृंगार अधूरा रह गया !
भैया :देखो चंपा , भाई कि तबियत ठीक नहीं थी , उसी के साथ था !
चंपा : अब मेरी तबियत ठीक नहीं है , मेरे साथ आओ ! मेरा शृंगार अधूरा रह गया , उसे पूरा करो !
भैया : आज नहीं हो सकता , कल देखेंगे !
चंपा : मुझे उल्लू मत बनाओ ! कल तुम दिल्ली जा रहे हो अपनी छम्मकछलो के साथ !
भैया : जबान संभलकर चंपा ! वो बहु है मेरी !
चंपा : तो मैं क्या हूँ तुम्हारी , बहु नहीं हूँ क्या ? अगर मुझे नंगा कर सकते हो , तो उसके साथ कितना टाइम लगाओगे ,सब समझती हूँ मैं ! दीपक क्यों नहीं आया ? तुम और तुम्हारे छोटे भाई कि बीवी १० दिन तक अकेले होगे दिल्ली में ,एक साथ ! जिसका पति सेक्स नहीं कर पाता है , उसको नंगा होने में ज्यादा टाइम नहीं लगता ! तुम नंगे नहीं होगे तो वो हो जाएगी ! सुबह ही मैं तुम्हारी करतूत तुम्हारी माँ और रखैल दोनों को बताऊंगा !
(भैया गुस्से में आ गए थे , पर मैंने आराम से बात करने को कहा , और हाँ करने को कहा )
भैया : देखो चंपा , जो भी मैंने किया , तुम्हारे बच्चे के लिए किया , लेकिन मेरा मन नहीं मानता तुम्हारे साथ अब ये सब करने को !
चंपा : राजा मैं नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं रोज़ तड़पती हूँ , सेक्स के लिए ! तुम्ही बताओ , इस नामर्दों के गावं में किसके पास जाऊँ ! अब मैं एक महीने एक एक मिनट मरती हूँ तुम्हारे लिए , क्या तुम महीने में एक बार भी मेरी प्यास नहीं बुझा सकते !
(कमल ने चंपा से फ़ोन ले लिया था , बोला , भैया ये रो रही है , प्लीज भैया , ये मेरा जीना हराम कर देगी , आप आ जाओ या बोलो तो मैं इसको छोड़ आता हूँ आपके पास ! )
मैंने भैया को उसको बुलाने के लिए रिक्वेस्ट किया , बड़ी मुस्किल से तैयार हुए !मैंने इशारे से कह दिया कि मैं दूसरे कमरे में छुप जाउंगी , आप यहीं कर लेना !
भैया ने बोल दिया कि ठीक है आधे घंटे बाद पिछले दरवाज़े पर आ जाना ,उसको लेकर ! मैं फर्स्ट फ्लोर पर भाई के साथ अकेला हूँ ! कमल खुश हो गया ! कितना मजबूर पति था वो, जिगरी दोस्त के बड़े भाई से अपनी बीवी चुदवाने के लिए मिन्नतें कर रहा था ! भैया के लिए मेरा प्यार और आदर दुगना हो गया था ! जल्दी जल्दी मैंने बिस्तर के चादर वगैरह बदले , थोड़ा रूम स्प्रे कर दिया , भैया के वीर्य कि खुसबू अभी भी आ रही थी ! नहाने का टाइम नहीं रह गया था ,जल्दी से एक साड़ी लपेट ली ! भैया ने वही कुरता पजामा पहन लिया ! भैया कि मोबाइल में कॉल आने लगी , यानि चंपा कमल के साथ नीचे आ चुकी थी !भैया एक नज़र, कमरे पर मार कर , मुझे दूसरे कमरे में जाने को बोलकर , दरवाज़ा खोलने नीचे चले गए
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#37
चंपा के आने से पहले मैंने दूसरे कमरे में अपने लिए जगह बनाई ! ऊपर दो कमरों का ही फ्लैट बना था , वैसे तो अलग अलग दरवाजे थे , पर दोनों कमरों के बीच एक दरवाज़ा था , जो लॉक नहीं होता था ! सबसे पहले मैंने अपने कमरे में अँधेरा कर लिया ! मैं देखना चाहती थी कि दोनों कैसे सेक्स करते हैं !दरवाजे के पास एक बड़ा सा छेद था , मैंने उसी पर आँखें टिका ली ! दूसरे कमरे में अच्छी रौशनी थी , सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था ! चंपा पहले आई , और बिस्तर पर बैठ गई !उसने सच में वही कपडे पहन रखे थे , जिसे पहन कर वो पार्टी में मिली थी !गहरी लाल लिपस्टिक और सुन्दर मेकअप, गज़ब कि लग रही थी ! मैंने जेठ जी के चरित्र जैसा समझा था , वैसा नहीं था , पहले मेरे साथ फिर चंपा के साथ को बातें हुई , उससे यह साबित हो गया कि वो बहुत उच्च चरित्र के मालिक थे ! जेठ जी दरवाज़ा बंद कर कमरे में आ गए थे ! वो भी पलंग पर बैठ गए ! चंपा ने पहले उनके पाँव छुए , फिर उनसे उस बात के लिए माफ़ी मांगी जो उसने मेरे बारे गलत बातें की थी ! जेठ जी कुछ बोल नहीं रहे थे , और कुछ कर भी रहे थे ! फिर चंपा जेठ जी के पास आकर उनसे चिपक गयी ! रूठे हो राजा , कहकर उनके होंठों को चूसने लगी ! उसका एक हाथ जेठ जी के पजामे के ऊपर था , और वो लण्ड को सहला रही थी ! इतनी खूबसूरत गोरी चिट्टी औरत ,जेठ जी से लिपटी थी ,पर वो बहुत विचलित नहीं लग रहे थे , इन सब से ! होंठ चूसते हुए चंपा ने जेठ जी के पजामे का नाड़ा खोल दिया और थोड़ा निचे सड़काकर उनका लण्ड हाथ में ले लिया ! दूर से भी जेठ जी का लण्ड मूसल लग रहा था ! फिर चंपा ने झुककर लण्ड का मुंह अपनी तरफ किया और जीभ से लण्ड चाटने लगी ! चंपा के सुन्दर गोल होंठ अपनी लिपस्टिक लण्ड पर निशान लगा रही थी ! मैंने कभी लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया था , थोड़ी घिन सी आ रही थी देखकर ! क्या मीठा लग रहा है चंपा को जो इतनी लगन से चूस रही है !भैया के लण्ड पर तो मेरे चूत का भी पानी लगा होगा , वो भी चाट गई चंपा ! मेर बदन में हरकत सी हुई , लगा नीचे चूत में गीलापन आने लगा है !मैंने बस एक साडी लपेट रखी थी, उतार कर बगल में रखे कुर्सी पर रख दी ! चंपा इतने प्यार से लण्ड चाट रही थी कि भैया के लण्ड में हरकत शुरू होने लगी !उन्होंने एक हाथ से चंपा के बाल सहलाने शुरू कर दिए और दूसरा हाथ चंपा के ब्लाउज में घुसा दिया ! चंपा बीच बीच में चिहुक जाती थी , शायद भैया उसके चूची कि घुंडी मसल देते थे ! अब लण्ड पूरा टाइट था ! क्या मर्द थे मेरे जेठ जी , अभी एक घंटे पहले उन्होंने मेरी चुदाई कि थी , अब फिर तैयार था , चंपा कि चूत बजाने के लिए ! वैसे मुझे उनपर दया भी आ रही थी क्योकि उन्होंने मेरा ख्याल रखते हुए , आधे लण्ड से मेरी चुदाई कि थी , कोई और होता तो रोक नहीं पाता ! जेठ जी अब दोनों हाथों से चंपा कि चूची मसल रहे थे , और चंपा पूरे मन लगाकर लण्ड चूसने में मगन थी ! मेरे कमरे तक इतनी आवाज़ आ रही थी कि मुझे लग रहा था कि मेरे कमरे में लण्ड चुसाई चल रही हो !जेठ जी ने चंपा कि ब्लाउज उतार दी , दो मस्त चूचियाँ फुदक के बाहर आ गई ! चंपा कि सुडौल चूचियाँ हवा में लटक रहे थे , एक बच्चे कि माँ होते हुए भी चूचियाँ अभी तक अपने आकार में थी ! भैया के हाथ आंटे कि तरह चूचियों को गूंद रहे थे !साड़ी भी उतार ली थी चंपा ने , और पेटीकोट को भैया ने उतार दिया ! बिलकुल नंगी चंपा , बिस्तर पर लेट गई , भैया ने उसके गांड के नीचे साड़ी फैला दी थी , कि वीर्य बिस्तर पर न फ़ैल जाये ! भैया ने झुककर चंपा कि चूत चटनी शुरू कर दी ! लगता था आज ही सफाई कि थी चंपा ने , चिकनी चूत कि चमक कमरे को रौशन कर रही थी ! भैया चूत चाटने कि कला में माहिर थे ,चंपा तो जैसे पागल हो गई थी , पैर पटकने लगी थी !भैया इतने मगन हो गए कि शायद भूल गए कि दूसरे कमरे में मैं हूँ, उन्होंने आसान बदला और 69 के पोजीशन में आ गए ! चंपा के मुंह में भैया का लण्ड लपा लप अंदर बाहर जा रहा था और भैया चंपा कि चूत में जीभ घुसा घुसा कर उसको चोद रहे थे !
मैंने कभी किसी को चुदते नहीं देखा था , मेरे लिए ये बहुत ज्यादा था , चूत में ऊँगली अपने आप चली गयी और मैं अंदर बाहर करने लगी !अभी थोड़ी देर पहले तक तो मेरी चूत में दर्द था और जलन थी , पर अब वो सब गायब हो गया था !भैया ने मुझे इन तीन दिनों में बिलकुल बदल दिया था ! जिसको मैं सेक्स समझती थी , वो इस दुनिया से बिलकुल अलग था ! कितने माहिर थे भैया ! अब चंपा मस्ती में कांपने लगी थी , भैया समझ गए अब समय आ गया है ! भैया ने लण्ड को चंपा के चूत पर टिकाया और धक्का दे दिया , चंपा कि चीख निकल गई , शायद काफी दिनों बाद चुद रही थी !भैया थोड़ा आगे पीछे करते रहे , और एक जोरदार धक्के में पूरा लण्ड अंदर !चंपा को बहुत दर्द हो रहा था , उसके चेहरे से लग रहा था , पर वो सब झेल गई ! भैया का मूसल लण्ड बाहर तक आता और फिर घुस जाता ! हर चोट पर चंपा ही आह निकल जाती थी ! मैं मन ही मन सोचने लगी कि जब चंपा भैया से सैकड़ों बार चुद चुकी है ,और एक बच्चे कि माँ भी है , तब उसका दर्द से बुरा हाल है , फिर मैं तो मर ही जाउंगी ,अगर ऐसे ही चुदी तो ! फिर भैया का ख्याल आया कि वो मेरा कितना ध्यान रखते है , खुद अपनी प्यास अधूरी रखी पर मुझे ज्यादा दर्द नहीं होने दिया ! शायद मेरे साथ उनके अधूरे चुदाई का असर था जो वो चंपा कि चूत फाड़ रहे थे ! अब मेरी दो ऊँगली आराम से मेरी चूत के अंदर बाहर हो रही थी! भैया ने तो जैसे तूफ़ान मचा दिया था , आधे घंटे से चोद रहे थे चंपा को ,पर झरने का नाम नहीं ले रहे थे ! फिर अचानक भैया ने लण्ड बाहर निकला , फूला हुआ लम्बा लण्ड रस से सराबोर था ! भैया ने चंपा को पलट दिया , पलटते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल के रस से ऊँगली गीला किया


और चंपा कि गाँड के छेद में ऊँगली घुसा दी ! दुबारा चूत के नीचे हाथ लगाकर टपकते हुए रस को हाथ में लिया और चंपा के गाँड के छेद में डाल दी और ऊँगली घुसा के मैसेज करने लगे ! चंपा कि गाँड बहुत मस्त लग रही थी , और फूली हुई थी ! मैं बहुत डर गई थी कि भैया क्या गाँड मरने वाले हैं चंपा की ! भैया ने रस से सन हुआ लण्ड धीरे धीरे चंपा की गाँड में घुसाना शुरू किया ! चंपा की हालत ख़राब थी , पलंग को कस के पकड़ रखा था और मुंह को तकिये में घुसा रखा था , मुझे लग रहा था की वो चीख रही है पर आवाज़ बाहर नहीं आ रही ! भैया चंपा के ऊपर पूरा लेट गए थे , अंदर हाथ घुसकर चंपा की दोनों चूची अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और पूरा दम लगाकर धक्के लगा रहे थे ! मेरी आँखों के सामने भैया का लण्ड 'पुच' की आवाज़ के साथ गाँड से बाहर निकलता और फिर चंपा की गाँड में समां जाता, आवाज़ आती थी फच्च ! दस मिनट तक उसकी गाँड मारते रहे , अब वो हांफने लगे थे सो उन्होंने लण्ड निकल कर चंपा को फिर पलट दिया !






चंपा का चेहरा लाल हो गया था , वो शायद दर्द बर्दाश्त नहीं कर पायी थी और उसके चेहरे पर आश्चर्य का भाव था !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#38
मुझे लगा या तो भैया चंपा पर अपना गुस्सा निकल रहे थे , या फिर उनको मुझे चोदने का ख्याल आ रहा था और वो मेरे साथ की अधूरी चुदाई को पूरा कर रहे थे ! मुझे तो भैया ने अपना ये रूप दिखाकर पागल कर दिया था , ये भी तो हो सकता है कि उनको ये लग रहा हो कि मैं कहीं न कहीं से ये देख रही हूँ ,इससे उनका जोश और बढ़ गया हो ! सच पूछो तो मुझे अपनी चुदाई से ज्यादा मज़ा भैया और चंपा की चुदाई देख कर आया था ! अब भैया पसीने से लथपथ थे , चंपा ने भी शायद पहले कभी भैया को नहीं झेला था , उसके चेहरे पर घबराहट थी ! भैया ने पूरे जोर से चंपा को चोदना शुरू किया , चंपा छटपटा रही थी , आगोश से निकलना चाहती थी ,पर भैया की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी ! फच्चाक फच्चाक की आवाज़ जोर से आ रही थी , हर धक्के पर चंपा की चीख बाहर आ जाती थी ! फिर एकाएक दोनों में गुथमगुथि होने लगी ! भैया झड़ रहे थे, झड़ते हुए पूरा लण्ड चूत में ठांस देते ,और चंपा का मुंह खुल जाता ! पूरा झड़ कर दोनों एक मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे , फिर भैया ने करवट लेते हुए लण्ड चंपा की चूत से खींच लिया !फौलादी लण्ड अभी भी झुका नहीं था , थोड़ा छोटा जरूर हो गया था और सिकुड़ भी गया था लेकिन चूत के पानी और वीर्य से लथपथ रौशनी में गज़ब का चमक रहा था !मेरे चूत से पानी छूटने ही वाला था कि चंपा उठ के खड़ी हो गई, अपने पेटीकोट से चूत को पोछा ,और जल्दी से साडी लुंगी की तरह बांध ली ! उसने पेटीकोट से भैया का लण्ड पोछना चाहा पर भैया ने उसे जल्दी जाने को बोला , और जाते जाते नीचे वाले गेट को ठीक से खींच के बंद कर देने को बोला , क्योंकि गेट अपने आप लॉक हो जाता था ! चंपा ने जल्दी से ब्लाउज डाला , शॉल ओढ़ी और उसके अंदर ब्लाउज का हुक लगते हुए चली गई ! मैंने भाग के खिड़की से नीचे झाँका, दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई और चंपा हाथ में पेटीकोट और मोबाइल उठाये नीचे दिखी ! बेचारा कमल वहीँ उसका इंतज़ार कर रहा था ! मैं अब भैया के रूम में आ गई , नंगी तो मैं पहले से ही थी , लाइट बंद कर भैया के साथ लेट गई ! भैया बुरी तरह थक गए थे , तभी नीचे तक भी नहीं गए ! मैंने करवट लेकर एक पैर भैया के पेट पर रख दिया , भैया ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया ! अब मैं भैया के ऊपर लेटी थी, भैया को चूमते हुए मैंने "गुड नाईट" बोला ! भैया ने भी मुझे बोला और फिर बोले 'सॉरी सोनू' ! मैंने कहा भैया मैंने सब देखा , अच्छा लगा , मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा ! मेरी तीन दिन में ऐसी हालत है की आपके बगैर ये एक घंटा मैंने बहुत मुश्किल में काटा, वो तो आप को ही देख रही थी , इसलिए ज्यादा बुरा नहीं लगा ! भैया आपसे रिक्वेस्ट है की आप इस दुखियारी की इच्छा समय समय पर पूरी करते रहें , मुझे बहुत अच्छा लगेगा और ये कमल को भी इज़्ज़त देगी, उसका परिवार भी खुश रहेगा ! भैया भावुक हो गए थे , बोले अब तो तुम मेरी भी बीवी हो , जो भी आज्ञा दोगी , मैं वही करूँगा ! चूमते चूमते मेरी चूत से लगा की पानी छूटने वाला है , तभी भैया ने अपना सुस्त हो रहे लण्ड को मेरी चूत के दरवाज़े पर रखकर धक्का दे दिया ! इतनी देर तक चुदाई के बाद भी झड़े हुए लण्ड ने मेरी चीख निकल दी ! भैया हल्का हल्का धक्का देकर अंदर करते रहे , लण्ड चंपा की चुदाई के रस से सराबोर था इस लिए फिसल कर अंदर जा रहा था ! अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ा और गीलेपन की वज़ह से लण्ड पूरा ही अंदर घुस गया ! इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ , मीठा सा दर्द और गुदगुदी से चूत मस्त हो गयी थी ! मैं बिलकुल फंस कर भैया के ऊपर टेंट की तरह फिक्स हो गई थी ! कब नींद आ गई पता ही नहीं चला ! सुबह पूरा उजाला होने का एहसास हुआ , तो उठने की कोशिश की , पर अभी भी भैया का लण्ड पूरी तरह से मेरी चूत में भरा था ! मैंने धीरे धीरे निकलने की कोशिश की , भैया सोते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे !हलके हलके आगे पीछे करते करते मैंने लगभग चुदाई का ही मज़ा ले लिया , जोश इतना आ गया की चूत ने पानी छोड दिया , फिसलन में लण्ड बाहर ! मैं फटाफट भैया पर चादर डालकर बाथरूम का रुख किया, काम बहुत बाकी था , रात को हमारी दिल्ली की ट्रैन थी भैया के साथ, सोच कर ही रोमांच से भर गयी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
मैंने जल्दी जल्दी तैयार होकर, भैया को जगाया और नीचे रसोई में पहुँच गई ! भैया भी आधे घंटे बाद घर से निकल गए ! हमारी नर्स छुट्टी से वापस आ गई थी इसलिए अब देवर की देखभाल की चिंता भी ख़त्म हो गई थी, और उसे वापस नीचे शिफ्ट करा दिया गया था ! नास्ते के बाद वापस कमरे में आकर मैंने जल्दी जल्दी अपनी पैकिंग पूरी कर ली !भैया भी पैकिंग के लिए कमरे में आ गए थे !इसी कमरे में रात चुदाई का दौर चला था , पर अब बिलकुल सामान्य था जैसे कुछ हुआ ही न हो ! मैं भैया से उम्मीद कर रही थी कि शायद मुझे बाँहों में ले लेंगे , पर उन्होंने ऐसा नहीं किया ! मैं ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी , मौका देखकर कोने मैं भैया को अपनी तरफ खींच लिया , और होंठ उनके होंठ से चिपका दिए ! भैया ने मुझे बाँहों में ले लिया , फिर चूमते हुए बोले , देखो सोना , बंद कमरे में हम पति पत्नी रह सकते है , जो भी करना चाहे कर सकते हैं , पर खुले कमरे में मैं तुम्हारा जेठ ही हूँ , कभी गलती से भी मेरे पास मत आना , न हीं ही मेरी तरफ देखना ; वरना ऐसी चीज़ें दूसरों को पता लगने में देर नहीं लगती ! तभी भैया का मोबाइल बजा , दीपक का फ़ोन था , मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा ! मैं भैया कि बांहों में थी , मैंने इशारा किया कि मैं नहीं हूँ यहाँ ! भैया ने हाँ में सर हिलाया और मोबाइल का स्पीकर ओन कर दिया !
दीपक : भैया प्रणाम !
भैया : खुश रहो !क्या बात है दो दिन फ़ोन नहीं किया ?
दीपक : भैया बहुत बिजी था , ट्रैनिंग से लौटते लौटते रात के दो बज जाते थे , फिर क्या फ़ोन करता !
भैया : अमेरिका की तैयारी हो गई !
दीपक : हाँ भैया , पैकिंग भी कर ली है , एक दो चीजें हैं , वो सोनी से पूछकर डालनी है !अरे हा भैया कहाँ तक पहुंचा हमारा काम, सोनी कहाँ है ?
भैया : वो नीचे है ! जितनी गाली तू सुनवा सकता था , मैंने सुन लिया !
दीपक : भैया वो रिकॉर्डिंग नहीं सुनाया ?
भैया : उसी से तो जान बची , नहीं तो मर ही गया था !
दीपक : भैया गोल हुआ की नहीं ये बताइये , या अभी तक मैच ही खेल रहे हैं !
भैया : तू जीत गया मेरे भाई ! पर बहुत संभलकर चलना पड़ेगा , बहुत नाज़ुक है !
दीपक : भैया, आज आपने जो मुझे खुशखबरी दी है , मैं बहुत खुश हूँ भैया ! वो मेरी जान है भैया , आपका साथ मिलेगा तो वो और खिल जाएगी , मैं आप दोनों को बहुत प्यार करता हूँ भैया !
भैया : ठीक है दीपक , अब तैयारी भी करनी है , सुबह मिलते हैं !
दीपक : हाँ भैया , अपनी पत्नी को सम्हाल कर लाइयेगा , उसका पहला पति स्टेशन पर उसे लेने आएगा ! और हाँ भैया , एक भी मौका नहीं छोड़ना, ट्रैन में कूपे में सिर्फ आप दोनों ही होंगे !
भैया : चल पगले , कैसी बात करता है , रखता हूँ !
दीपक : ठीक है भैया , अभी सोनी को कुछ मत बताइयेगा , मैं उसका खिला नया चेहरा देखना चाहता हूँ !
मैं शर्म से लाल हो गई थी , दीपक को क्या मुंह दिखाउंगी ! अभी तीन दिन पहले तक मुझे ये भी नहीं पता था की मैं कुंवारी हूँ , अब दो दो पति मेरे सेवा में लग गए है !
पांच बजे हमें लखनऊ के लिए निकलना था , तीन घंटे का रास्ता था , दस बजे रात की हमारी ट्रेन थी !
भैया ने कमल को साथ ले लिया था , वापसी में गाड़ी लेकर आने के लिए ! मैं चार बजे तक अपनी सास के पास आकर बैठ गई ! बहुत बातें चलती रही ! चंपा भी हमें छोड़ने आ गई थी , लंगड़ा रही थी !मैंने पूछा , क्या हुआ बहन ? थोड़ा घबड़ा गई , फिर बताया की फिसल गई थी , मोच आ गई !मन ही मन मैं मुस्करा रही थी , भैया के लण्ड ने मेरे सामने उसकी चूत फाड़ी थी ! चंपा का बेटा भी साथ आया था ,मैंने उसे खूब चूमा , हर बार अपनापन लगता , आखिर मेरे पति , मेरे जेठ जी का ही खून था ! मुझे चंपा की जली कटी बातें भी याद आ गई , अचानक मेरे दिमाग में एक आईडिया आया ! मैं अपने सास के पास गई , और उनके कान में कहा , " माँ, मेरी माहवारी दस दिन से नहीं हुई है , मन थोड़ा घबड़ा भी रहा है ,डर लग रहा है , कहीं रास्ते में कुछ .... भैया से भी कैसे बोलूंगी ! मेरी सास के चेहरे पर चमक आ गई , खुश हो गई , बोली पहले क्यों नहीं बोला , पगली तू माँ बनने वाली है ! तूने मुझे धन्य कर दिया बेटी , मैं आज ही लड्डू बाँटूंगी ! नहीं माँ प्लीज , अभी कुछ मत करिये , मैं दिल्ली जाकर लेडी डाक्टर को दिखाउंगी , फिर आपका आशीर्वाद लेने आउंगी ! अरे तेरा जेठ डाक्टर है , पुरे गावं की बहु बेटिओं की डिलीवरी उसी ने कराइ है , मैं अभी उसे बुलाती हूँ !मैंने माँ के पैर पकड़ लिए , नहीं माँ मैं मर जाउंगी पर उनको मैं अपना बदन छूने नहीं दूंगी ! माँ बोल पड़ी , अरे जेठ है तो क्या हुआ , डाक्टर भी तो है , और ये चंपा से पूछ ले , उसका भी तो जेठ है , पर उसकी डिलीवरी भी तो उसी ने कराइ ! चंपा साथ में खड़ी थी , उसके चेहरे पर घबराहट , आश्चर्य और ख़ुशी के मिले जुले भाव थे ! चंपा भी बोल पड़ी , हाँ हाँ डाक्टर से क्या शर्म ! पर मैंने अभी के लिए साफ़ मना कर दिया ! माँ ने आर्डर सुनाया , देख बेटी , अभी तो तू दिखा ले अपने लेडी डाक्टर से , पर डिलीवरी मेरा बेटा ही करायेगा ! और या तो तू गावं आ जा , या फिर मैं चंपा को भेज दूंगी , तेरी देख भाल के लिए, कमल भी तो कोई काम धाम कर नहीं रहा आजकल , दीपक वहीँ कोई नौकरी लगवा देगा ! हाँ माँ ये ठीक रहेगा , मैं आपको बता दूंगी !
चलते समय माँ ने भैया के कान में कुछ कहा , भैया का मुंह फटा का फटा रह गया !मेरी तरफ उन्होंने तिरछी नज़र से देखा , मैंने भी सीरियस सा चेहरा बना लिया ! रास्ते में हलकी फुलकी बातें होती रही , कमल को मैंने चंपा के साथ दिल्ली आने का न्योता दिया , ये भी कहा की मैं दीपक को बोलूंगी कि आपके लिए कोई काम ढूंढे !
ट्रेन में हमेशा कि तरह ए सी फर्स्ट के दो बर्थ वाले कूपे में रिजर्वेशन था ! सामान सेट करके कमल ने विदा ली , और हम ट्रेन चलने का इंतज़ार करने लगे ! ट्रेन खुलने के बाद भैया टी टी का इंतज़ार करने लगे कि वो टिकट चेक कर ले और हम कूपे को बंद कर लें ! भैया ने बातों के दौरान पूछा, ये गर्भ ठहरने का झूठ मम्मी से क्यों बोला ? मैंने इतराते हुए कहा , आप ही ने दीपक को वादा किया है कि मुझे माँ बनाएंगे , सो तो आप मुझे बना ही देंगे ! दरअसल भैया मुझे चंपा का डर था कि वो बोलती कि आपने शहर जाकर दीपक के गैरमौजूदगी में मुझे माँ बनाया ! भैया खिल उठे , बोले 'क्या दिमाग पाया है तुमने' ! अब भइया, जिसको दो दो पति सम्हालने हों , उसका दिमाग भी तो दूसरों से डबल होना चाहिए ! इससे पहले कि भैया कुछ बोलते , टी टी आ गया ! जाते जाते बोल गया कि सर अंदर से दरवाज़ा ठीक से बंद कर लीजिये , जरुरी न हो तो दिल्ली में ही खोलियेगा !
दरवाज़ा बंद करने के बाद मैंने बिस्तर लगा दिया ! खिड़की कि तरफ भैया तकिया लगाकर आराम से बैठे थे ! मैं भी बीच में बैठी तो भैया ने अपनी ओर खींच लिया ! ट्रेन धीरे धीरे स्पीड पकड़ने लगी थी , और भइया ने भी किस करने कि स्पीड बढ़ा दी थी ! आज बहुत इत्मीनान लग रहा था ,कोई जल्दी नहीं थी , किसी के आने का या किसी भी तरह का कोई डर नहीं था ! भैया ने मुझे पूरा आराम दे रखा था , मैं उनपर लदी हुई थी ! साडी का आँचल कहीं दब गया था ! सिर्फ ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियाँ भैया के हाथों के जादुई मज़े ले रहे थे !भैया ने एक एक हुक खोलकर ब्लाउज नीचे कालीन पर डाल दिया , मैंने थोड़ी ढील दी तो भैया ने साड़ी भी उतार कर ब्लाउज के पास रख दी ! मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरते हुए भैया बोले , तुम्हारी ब्रा और पैंटी बहुत सुन्दर होती है , खुद खरीदती हो ! हाँ भैया , मुझे बहुत शौक है , दीपक को फिसलन वाले कपडे जैसे सिल्क और साटन बहुत पसंद है , इसलिए मैं हर कपडे उसकी पसंद का लेती हूँ ! भैया ने मुझे थोड़ा ऊपर उठा लिया था , चूची को चारो ओर से चूमते और अपना थूक लगाते हुए ब्रा भी उतार दी ! पेटीकोट को उठा कर पैंटी को उतारने के लिए हाथ लगाया ,तो मेरी चूत हाथ में आ गई ! मुझे हंसी आ गई , बोली , भैया वो बाथरूम गई थी न ,तो उतार दी , सोचा आपके साथ अकेले हूँ तो ,कितनी देर तक रहेगी बदन पर ! भैया ने कहा, तुम कितनी शरारती हो , मेरा मज़ाक उड़ाती हो ! नहीं भैया , मैं अपनी कमी छुपाती हूँ , सच तो ये है कि मैं अब आपके बिना नहीं रह सकती , हर वक़्त आपसे चिपकी रहना चाहती हूँ ! भैया थोड़ी देर चुप रहे , फिर बोले , तुम्हें शादी के एक साल हुए है , पति भी साथ में है तुम्हारे ! सच पूछो तो जो दो दिनों में तुमसे मिला , वो पूरी ज़िंदगी में नहीं मिला ! मुझे सच का लगता है कि तुम मेरी पत्नी हो , और ये अहसास मुझे इतना खुश कर देता है कि मैं डरता हूँ कि ये बस थोड़े समय का न हो ! सच पूछो तो मुझे लगता है कि मैं कई जनम से तुम्हें प्यार करता हूँ ! मैंने जोर से भैया को चूमा , बोली , भैया अब ये पूरी ज़िन्दगी का बंधन है ,इसे कोई नहीं तोड़ सकता !भैया कि आँखों से आंसू छलके तो मैंने उनकी आँखें चूम ली , और आंसू चाट गई ! बस भैया , अब एक शब्द नहीं , सिर्फ प्यार ! भैया एक रिक्वेस्ट है , मैं दीपक से नज़र कैसे मिलाउंगी , मुझे पता नहीं , पर आज कि रात कुछ ऐसा मत कीजियेगा कि मैं लंगड़ाते हुए ट्रेन से उतरुं ! तू फ़िक्र न कर पगली , तुमसे भी टाइट और कुंवारी औरतों को मैंने बड़े आराम से इस लायक बनाया है कि सबकी डिलीवरी नार्मल हुई !भैया थोड़ा झेंप गए , कि क्या बोल गए ! मैं चौंक गई , भैया बोले अभी छोड़ न पगली, फिर बताऊंगा , इस गावं में सभी औरतें चंपा ही है , यही समझो ! मुझे चंपा कि बात याद आ गई जो उसने बोला था कि नामर्दों का गावं है !
एक घंटे हो गए थे ट्रेन खुले , मैं ज्यादा देर तक जागना भी नहीं चाहती थी !भैया को बेतहाशा चूमने लगी , भैया भी अब सिर्फ चुदाई का ही सोच रहे थे ! मुझे नीचे करके भैया ऊपर आ गए , और चूत को मुंह से सटा लिया ! भैया का मुंह लगते ही जैसे जादू हुआ हो , मैं पिघलने लगी और पूरा बदन चूत का पानी बनकर बहने लगा ! भैया अब पहले से भी ज्यादा अच्छी तरह से चूत चाट रहे थे ! जीभ घुसा कर मेरे चूत के अनजाने कोनो तक भी चाट ली और चूस ली ! जितना भैया जीभ से चोद लेते थे , दीपक लण्ड से भी नहीं चोद पाता था ! चूत अब पूरी खुल चुकी थी , और पूरी तरह से गीली थी ,आखिर मैं दो बार झड़ भी तो चुकी थी , चूमने चाटने के दौरान ! अब भैया ने चूचियों को भी मसलना , चूमना और चूसना शुरू कर दिया ! इस बीच उन्होंने अपने कपडे भी उतार लिए थे ! भैया चूची से लेकर गर्दन , होंठ , कान सब को चूमते चूसते जा रहे थे ! इसी तूफानी चुम्मियों के बीच उन्होंने लण्ड हल्का दबा दिया था मेरी चूत में ! आह सी निकली , पर मैं दर्द झेल गई !भैया ने मेरे होंठ के सारे रस निचोड़ लिए थे , इधर होंठ का रस चूसते उधर चूत से पानी बाहर आता ! मैं समझ भी नहीं पायी और लण्ड ने चूत का आधे से ज्यादा रास्ता पार कर लिया ! अब दर्द तेज हो गया था , मैं छटपटाने लगी थी ! चेहरा लाल होते ही , भैया ने अब लण्ड को अंदर घुसाना बंद कर दिया ! थोड़ी देर तक रुके , फिर मुझे बाँहों में जकड़ा और बर्थ से उठ गए ! मुझे समझ में नहीं आया कि क्या करने वाले है ! थोड़ी देर तक मैं भैया का लण्ड अपने चूत में लिए , भैया कि गोद में रही , फिर भैया आराम से लेट गए , और मैं उनपर लेट गई थी अपने आप ! बहुत आराम मिला था ! दो मिनट तक भइया मुझे सहलाते रहे ! जब वो चूत से होते हुए हाथ मेरी गाँड के छेद तक लाते, तो अजीब सी सिहरन उठती ! एक दो बार तो उन्होंने गाँड में ऊँगली भी करनी चाही , पर मैंने गाँड हिलाकर विरोध किया !
ट्रेन फुल स्पीड में जा रही थी , पूरा डब्बा हिल रहा था , भैया कुछ ज्यादा कोशिश भी नहीं कर रहे थे , पर लण्ड चूत में ऊपर नीचे हो रहा था ! दर्द कम हो रहा था ! भैया हल्का हल्का धक्का लगा रहे थे , एक इंच तक लण्ड ऊपर आता और फिर सवा इंच अंदर जाता ! मुझे लग रहा था कि कहीं मुंह से न बाहर आ जाये ! हर धक्के पर एक आह चीख की तरह निकलती थी ! आधे घंटे तक ऐसा ही चला , फिर जैसे भैया ने जैसे चूत के अंदर फौवारा चला दिया , वीर्य की पहली धार ने मेरा संयम भी तोड़ दिया और मैं भी अंदर अपना फौवारा छूटते महसूस कर रही थी ! हमारे पानी की चिकनाहट में भैया का लण्ड सिकुरता महसूस हो रहा था , और मैं अंदर लण्ड को आखिरी सीमा तक घुसता महसूस कर रही थी ! हम दोनों निढाल होकर बेहोश जैसे हो गए थे , हिलने डुलने की भी हिम्मत नहीं थी ! ट्रेन झटके ले रही थी , हमारी चुदाई तो पूरी हो गई थी , लेकिन ट्रेन हमें अभी भी चुदवा रहा था ! मैं अपने जेठ की आगोश में सो गई , जेठ जी का खूंटा मुझे बैलेंस किये था , गिरने का कोई डर नहीं था ! पैर से मैंने कम्बल ऊपर खींचा, और जेठ जी के हलके हलके खर्राटों के बीच कब सो गई , पता ही न चला !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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सुबह नींद खुली तो , जेठ जी अभी तक सो रहे थे ! काफी हिला डुला कर जेठ जी के लण्ड के कैद से अपनी चूत को आज़ाद किया , वीर्य का थक्का चूत से बहार आ रहा था ! जल्दी जल्दी रेलवे के तौलिये से पोछा अपनी चूत को ! भैया का लण्ड साफ़ कर ही रही थी की भैया जाग गए , उन्होंने भी मेरी हेल्प की !हमने 10 मिनट तक एक दुसरे को किस किया और आलिंगन किया , फिर भैया ने अपने हाथों से मुझे पेटीकोट , ब्रा , ब्लाउज पहनाया और साड़ी बाँधने में मदद की ! भैया का सिर्फ अंडरवियर मैंने पहनाया , बाकि कपडे उन्होंने खुद पहन लिए ! गाडी स्टेशन पर लगी तो दीपक कूपे में आकर सामान लेकर गाडी में डालकर चल पड़े ! मैं नज़र नहीं मिला पा रही थी दीपक से ! रास्ते भर ज्यादातर दीपक और भैया इधर उधर की बात करते , बीच बीच में मैं भी हूँ हाँ कर देती थी !
दीपक फरीदाबाद में एक बड़ी कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे , कंपनी के तरफ से उन्हें दिल्ली में एक बड़ा सा घर (पेंट हाउस) मिला हुआ था !सबसे ऊपर की मंज़िल पर पहुँचते ही हम लॉक कर देते थे और ऊपर का पूरा हिस्सा बिलकुल अलग हो जाता था ! ये अकेली ऊँची बिल्डिंग थी , चारों तरफ दूर दूर तक एक दो मंज़िल के घर ही थे , इसलिए कहीं से भी किसी के भी तांक झांक की गुंजाईश नहीं थी ! कंपनी के ही सिक्योरिटी स्टाफ, जो २४ घंटे गेट पर मौजूद रहते थे , को फ़ोन करने पे वो जरुरत का सामन बाजार से लेकर डिलीवर कर देते थे !घर पहुंचते ही मैं दंग रह गई, दीपक ने घर के अंदर बहुत चेंज किया था, रोमांटिक पेंटिंग और फैंसी लाइट से घर का लुक ही बदल गया था ! दीपक ने नास्ते के लिए नौकरानी को बोल रखा था ! हम तैयार होकर नास्ते के टेबल पर आ गए , और दीपक अमेरिका के टूर के बारे बताने लगे ! अभी से चार घंटे रह गए थे , दीपक के फ्लाइट के , निकलने की तैयारी थी ! हम सब दीपक के साथ पूजा रूम तक आये ! दीपक ने मुझे और भैया को हैरान करते हुए कहा , भैया आज मैं बहुत खुश हूँ , एक बहुत बड़ा बोझ मेरे सर से उत्तर गया है ! भैया आपने सोनी को अपनी पत्नी का स्थान देकर जो अहसान किया है , उसको मैं आपकी तरफ से ज़िन्दगी का सबसे कीमती गिफ्ट समझता हूँ ! बस एक तमन्ना और पूरी कर दीजिये , कि हममे से किसी को भी ये न लगे कि ये मज़ाक है , आप सोनी कि मांग में सिंदूर भर दीजिये ! दीपक ने भैया के आगे सिन्दूर बढ़ा दिया , कांपते हाथों से भैया ने मेरी मांग में सिंदूर लगा दिया ! मैंने भरी आँखों से दीपक की तरफ देखा , दीपक ने भी मेरी मांग में सिन्दूर लगा दी ! फिर दीपक ने एक थैले से दो जयमाल वाले माला निकाले, जो मैंने भैया को और भैया ने मुझे पहनाया ! फिर भैया ने दीपक को माला दिया ,जो उसने मुझे पहनाया , और मैंने अपनी माला दीपक को पहना दी ! मैंने झुक कर दोनों के पावं छुए , और हम एक साथ आलिंगनबद्ध हुए !अब दीपक विदा हो रहे थे , उसने टैक्सी मंगा रखी थी ! हमें एयरपोर्ट जाने से रोकते हुए उसने कहा की आप आपलोग 10 दिनों का हनीमून मनाएं , और घर से बहार जाने की जरुरत नहीं थी ! दीपक ने मुझे भैया के सामने किस किया और घर से निकल गए , हमने दरवाज़ा बंद कर लिया !
भैया और मैं बैडरूम में आ गए , सब कुछ अच्छी तरह सजा हुआ था , ताज़े फूल रूम में खुशबू बिखेर रहे थे ! मै जेठ जी के सीने से लग गई ! जेठ जी ने धीरे धीरे मेरे चूचियों को सहलाते सहलाते मुझे चूमने लगे ! अब १० दिनों तक हमें कोई टोकने नहीं आएगा , ये सोच कर मन बहुत रोमांचित हो गया था ! दीपक के अमेरिका जाने का गम , अब जेठ जी मुझे चुदाई की दुनिआ की सैर करा के , दूर करने वाले थे ! मैंने नाईटी पहन रखी थी जो भैया ने उतार दी , अंदर फैंसी ब्रा और पैंटी थी , भैया भी अब सिर्फ अंडरवियर में थे ! मैंने भैया के लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया , भैया लगातार मुझे चूसते जा रहे थे ! भैया ने मेरा पूरा बदन चूमना शुरू कर दिया ! पैर से शुरू कर , पैंटी और ब्रा से होते हुए ,होंठ और माथा भी !मैं अब अपने होश खोती जा रही थी ! भैया का ध्यान अब ब्रा पर था , ब्रा के चारों और उन्होंने जीभ से ब्रा के किनारों को चाटा, और चूमते चूसते हुए ब्रा उतार ली ! भैया का ये स्टाइल मुझे बहुत अच्छा लगता था ! अब भैया ने उसी स्टाइल में पैंटी को भी चूसना और चाटना शुरू कर दिया ! मैं पैंटी गीली कर चुकी थी , भैया ने ऊपर से चाट चाट कर और गीली कर दी , पता ही नहीं चल रहा था की भैया के थूक से गीली की है या मेरे चूत के पानी से !चूत से पैंटी हटती जा रही थी और भैया की जीभ खुले जगह को चाटती जा रही थी ! मैं बस ऑंखें बंद किये हुए इसका अनुभव करती रही ! चूत का पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! भैया की चूत चुसाई शुरू हो गई , और मेरी छटपटाहट भी ! मेरे मन से अब जेठ जी का लिहाज बिलकुल ही चला गया था , और दीपक की ही तरह मैं उनको महसूस कर रही थी ! आज जेठ जी मूड में थे , जीभ से चूत के अनजान कोनो से भी जान पहचान कर ली ! चपड़ चपड़ जीभ ऐसे मेरी चूत चोद रहा था ! मेरी चूत बुरी तरह फैलने सिकुड़ने लगी थी ! चूत की फड़फड़ाहट मैं साफ़ साफ़ महसूस कर रही थी ! भैया के दोनों हाथ मेरी चुचों को बड़ा करने में लगे थे , आंटे की तरह गूंदते जा रहे थे ! भैया धीरे धीरे मेरी टाँगे फैलाकर , मेरे चूत के मुंह पर अपना लण्ड टिका दिया ! मेरे ऊपर झुककर मेरी एक चूची को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगे ! मेरी घुंडी पर दांत लगते ही मैं चिहुंक जाती , दूसरे हाथ से वो दूसरी चूची को दबाते जा रहे थे ! भैया चूची दबाने में इतने मास्टर थे की , चूची को दर्द भी मीठा लगता था ! भैया ने अचानक से चूची की घुंडी को थोड़ा तेज काटा दांत से, मैं जब तक उसका दर्द समझती , भैया के लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर था, एक चीख सी निकली और मैं तड़पने लगी ! मेरी चीख दूर दूर तक सुनने वाला कोई नहीं था ! भैया अब मेरे होंठ चूस रहे थे ! इतना मीठा लग रहा था उनका चुम्बन की मैं उसी में खो गई , कभी वो मेरे मुंह में जीभ डालकर मुझे चूसते और कभी मैं उनके मुंह में अपनी जीभ डालकर उनके जीभ को चूसती ! मैं इधर चुम्मी के खेल में उलझी रही , और भैया के लण्ड ने आधा रास्ता पार कर लिया ! जब तक मेरे ध्यान अपनी चूत की तरफ जाता भैया अपनी मंजिल से दो इंच दूर थे ! लगता था जैसे किसी ने पूरा हाथ डाल दिया था ! भैया के लण्ड में मुझे कुछ चिकनाहट सी लग रही थी , शायद भैया ने कोई क्रीम लगाया हो ! मेरी चूत भी पानी की सप्लाई लगातार दे रही थी और भैया का भी लसलसा पदार्थ सुपाड़े से बहार छूटा महसूस हुआ था ! आज चूत में उतना दर्द नहीं था , शायद कई कई घंटे भैया का लण्ड चूत में लेकर सोई थी मैं ! भैया अब आखिरी मक़ाम तक पहुंचना चाहते थे, पर चूत इतनी टाइट थी की आगे जाने का नाम नहीं ले रही थी ! भैया वापस लण्ड थोड़ा ऊपर लाते, पर धक्का लण्ड को वहीँ तक जाने देता था ! भैया के लण्ड पीछे करते ही मेरी साँसे चल पड़ती थी , पर धक्का लगते ही रुक जाती थी ! भैया ने मुझे बड़े प्यार से धक्के देने शुरू किये , आज लण्ड काफी अंदर तक जा रहा था पर भैया आखिरी मंज़िल को छूना चाहते थे, वो नहीं हो पा रहा था ! अब धक्के आराम से जा रहे थे , चूत में इतनी ज्यादा चिकनाहट आ गई थी ! मैं तो चाहती थी भैया मुझे बस चोदते रहें , दर्द को मैं भूल चुकी थी ! अब मैं भी नीचे से हलके हलके धक्के लगा रही थी ! भैया बहुत खुश थे की आज वो मुझे ठीक से चोद पा रहे थे ! पता नहीं चला आधा घंटा बीता या एक घंटा , भैया उफान पर थे , शायद अब वीर्य की बरसात होगी , लग रहा था ! मैं तो तीन चार बार पहले झड़ चुकी थी ! एक तूफान सा चला हमारे चुदाई का खेल , मैं पहले गई , पानी का फौवारा छूट गया ! पीछे भैया ने फौवारा छोड़ते हुए , एक जोर का झटका दिया , चूत फट गई और भैया का लण्ड मेरे बच्चेदानी से जा टकराया ! मेरी चीख सुनकर कोई भी डर जाता , पर यहाँ दूर दूर ता कोई नहीं था सुनने को ! मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, लण्ड के सिक़ुरने से राहत तो मिली थी पर चूत की जलन बता रही थी की अंदर भैया ने तोड़ फोड़ कर दी है ! भैया हांफते हुए , मुझे चूमते हुए निढाल हो गए ! एक पहलवान का बोझ मुझे फूलों की तरह लग रहा था ! भैया ने आराम से करवट ली ,और मुझे अपने ऊपर ले लिया ! अब मैं आराम से सोई हुई थी भैया के ऊपर ! चूत का दर्द बीच बीच में याद आ जाता था , पर चुदाई के मज़े में उसको कौन याद करता ! घडी बता रही थी कि दीपक कि फ्लाइट उड़ने को थी , और हमारी लैंड हो चुकी थी ! हम दोनों एक दूसरे के आगोश में एक साथ नींद के आगोश में खो गए !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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