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10-02-2020, 10:37 PM
(This post was last modified: 11-02-2020, 08:04 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुड्डी
" क्यों ननद रानी , बोल तेरी बुलबुल कब चारा घोंटेंगी ,
लीला ने लील लिया है , रेनू का तो इसी हफ्ते फीता कट जाएगा ,
तू भी करवा ले न वरना कहेगी की भाभी और मेरी सहेलियां तो रोज,... बिना नागा ,... और मेरी चिड़िया भूखी प्यासी बैठी है , बोल कोई हो तो बता दे वरना मैं ही कोई तेरी सेटिंग करा दूँ , ... "
गुड्डी के गुलाबी गालों को चूमती , काटती मैं बोली ,
और मेरा हाथ कॉलेज टॉप के के ऊपर से उसकी कच्ची अमिया हलके हलके सहला रहा था ,
खूब मुलायम , एकदम रुई के फाहे जैसा , जैसे किसी ने हवा मिठाई छुपा रखी हो , ...
छूते ही मैं गिनगीना गयी , और फिर एकदम नए नए आ रहे मटर के दाने ऐसे निप्स , ...
मैंने अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा कर हलके हलके रोल करना शुरू कर दिया , ...
मैं सोच रही थी , इस कच्ची अमिया को छू कर जो मेरी ऐसी हाल हो रही है तो मेरे ' उनकी ' क्या हाल होगी ? वो लड़का तो चोली के फूलों के लिए एकदम पागल है। कित्ता मजा आएगा जो वो हलके हलके इन कच्चे टिकोरों को कुतरेंगे , ...
जोर से चीखेगी मेरी ननदिया छिनार , ... चीखे तो चीखे।
रेनू के कमेंट ने मेरा ध्यान खींचा ,
" अरे भाभी , इसके आशिकों की लिस्ट तो मेरी और लीला की लिस्ट जोड़ दीजिये न तो उससे भी लम्बी है , ... क्यों गुड्डी गिनवा दूँ , ...
और आज तो दो ने तू तुझे चिट्ठी भी पकड़ा दी , ... "
गुड्डी एकदम झेप गयी , और मुझसे बोली ,
" नहीं भाभी ये दोनों कमीनी झूठ बोल रही हैं , अपने जैसा सबको समझती हैं। "
" अच्छा तो मैं बताऊं , ... वो जो तीन लड़के तेरी गली के बाहर वाले , रोज तुझे कॉलेज पहुंचाने और छोड़ने जाते हैं , और वो किताब की दूकान वाला लड़का , सिर्फ तुझे ही ५०% डिस्काउंट क्यों देता है ,
और आज सुबह , वो जींस वाला , तुझे चिट्ठी नहीं पकड़ाई थी उसने , तूने भले फेंक दी हो , लेकिन रेनू ने उठा ली थी , अभी भी है उसके बैग में , ... दो वो जो फर्स्ट डे फर्स्ट शो का ऑफर दे रहे थे , यार मान जाती तो तेरे साथ हम भी सलमान की नयी पिक्चर देख लेते मल्टीप्लेक्स में , ... "
लीला चालू हो गयी।
मैं एकदम मान गयी लीला की बात , ...
असल में मेरी ननद थी भी मस्त माल , एकदम गोरी जैसे दूध में दो बूँद गुलाबी रंग के कोई डाल दे , सुरु के पेड़ की तरह लम्बी , छरहरी , और फिगर भी अब उसकी आनी शुरू हो गयी थी , नन्हे नन्हे कबूतर साफ़ साफ़ उड़ने के लिए बेताब नजर आते थे।
चालाक लौंडे इसी उमर लौंडियों को फंसाने के चक्कर में रहते हैं , ...
घर वाले सोचते हैं अभी बच्ची है , पर गली के लौंडे , .. उन्हें असलियत मालूम रहती है।
और इस उम्र में अगर फंस गयी तो लम्बे आरसे तक मज़ा देती है।
गुड्डी जोर जोर से ब्लश कर रही थी , और अब मैं गुड्डी की ओर हो गयी , और रेनू भी , .. रेनू बोली ,...
" अरे तो क्या हुआ , हमारी सहेली के जबरदस्त जोबन आ रहे हैं , और जब जोबन आते हैं तो उसे दबाने वाले , मसलने वाले , रगड़ने वाले भी आते हैं ,... तो इसके भी आ रहे हैं ."
अब इसी बात पर मैंने कस के अपनी ननदी के जुबना दबा दिए। और रेनू और लीला दोनों को अपने इरादे बता दिए , ...
" यार तुम दोनों भी सुन लो , जैसे दाने दाने पर खाने वाले का नाम लिखा रहता है , वैसे गुड्डी रानी के भी जुबना पर दबाने वाले का नाम लिखा है , ... "
और मैंने अपनी ऊँगली से गुड्डी के टॉप के ऊपर इनका नाम लिखना शुरू कर दिया , ...
आ... गुड्डी पहले तो झिझकी , ... पर मैंने उसके कान में फुसफुसा कर कहा ,
" पढ़ा की नहीं , चल फिर से लिख देती हूँ , ... "
और फिर उसके भैया और अपने सैंया का नाम साफ़ साफ़ लिख दिया ,
गुड्डी ने जोर से ब्लश किया और बोली
" धत्त , भाभी। "
और जवाब मैंने स्कर्ट उठा कर , चड्ढी के ऊपर से उसकी चुनमुनिया पर इनका नाम लिख दिया।
" देख अब ये लिखा है तो लिखा है , ... मैंने उस दिन गाने में भी यही कहा था ( मेरी सुहागरात के तीसरे दिन , छत पर खूब गाने हुए थे , असली वाली गारियाँ , और मैंने सब की सब गुड्डी का नाम ले ले कर सुनाई थीं , और सब में उस के ऊपर ' इनको ' चढ़ाया था। ) , ...
और अब लिखा है तो लिखा है ,... तेरी फटेगी तो है , ... जल्द फटेगी और जिस का नाम इस पर लिखा है उसी से फटेगी। "
" भाभी , मेरे पर किस का नाम लिखा है , ... ये स्साली मेरी सहेली तो छिनारपना करती है , और तब भी आपने इसका भविष्य बांच दिया , ... और मैं स्साली यहाँ हाथ पर लेकर टहल रही हूँ , ... "
रेनू मुस्कराते हुए बोली।
उसकी बात काट के मैं हंसती हुयी बोली ,
" क्या हाथ में लेकर टहल रही है , ... साफ़ साफ़ बोल न ,... "
" अपनी चूत ,... " खिलखिलाते हुए रेनू बोली।
रेनू सच में मेरी पक्की ननद थी , जो रिश्ता मेरा और रीतू भाभी का था न एकदम खुला , मस्त , एकदम उसी तरह का
मैंने रेनू को असीसा ,
" बच्ची , जल्द ही तेरी इच्छा पूरी होगी , इसी हफ्ते एक सख्त मोटा हथियार मिलेगा तुझे , ... लेकिन तुम दोनों को गुरु दक्षिणा देनी पड़ेगी। "
उसी अंदाज में वो दोनों एक साथ बोली
" क्या गुरु जी ,... क्या है गुर दक्षिणा। "
" गुर नहीं ,...बुर दक्षिणा ,... तेरी इस नादांन सहेली की ,... बुर दक्षिणा "
मैंने भी उसी अंदाजा में जवाब दिया।
" अरे उसके लिए तो हम दोनों एकदम तैयार हैं , जब कहिये तक , ... हम दोनों हाथ पैर पकड़ लेंगे , ... और उसके बाद आप , ... "
अबकी लीला बोली।
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क्या बात है, कोमल जी मज़ा आ गया,
बस एक दरख्वास्त हैं, रेनू के भरतपुर की चढ़ाई का पूरा हाल बताना।
बाकी आप तो खुद ही बहुत समझदार हैं, अगर कहानी में कोई दिक्कत न तो ,इस बात पर गौर करना।
बहुत बहुत धन्यवाद ।
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(11-02-2020, 02:56 AM)Donn007 Wrote: क्या बात है, कोमल जी मज़ा आ गया,
बस एक दरख्वास्त हैं, रेनू के भरतपुर की चढ़ाई का पूरा हाल बताना।
बाकी आप तो खुद ही बहुत समझदार हैं, अगर कहानी में कोई दिक्कत न तो ,इस बात पर गौर करना।
बहुत बहुत धन्यवाद ।
एकदम , पक्का, ननद की भरतपुर की चढ़ाई और आधा तिहा , ...
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(10-02-2020, 08:38 PM)komaalrani Wrote: वियोग के , विरह के प्रसंग लिखना शायद ज्यादा कठिन होता है , ...पर मेरे लिखे यह भी जीवन का अंग है , बिना वियोग के संयोग भी शायद अधूरा है , ' फागुन के दिन चार ' में करन और रीत का विरह का प्रसंग , ... और कहानी का अंत जो मैंने भी नहीं सोचा था , दो मुख्य पात्र , हाथ में फोन लिए , ... बिन बोले सिर्फ आँखों में आंसू ,... लेकिन विरह के बाद छेड़ छाड़ भी आती है , मिलन भी ,... विरह लेकिन नितांत वैयक्तिक होता है , खुद का भोगा ,... और इन पलों को भी इन पोस्ट्स में मैं आपके साथ शेयर कर रही हूँ , बिल्कुल कोमल जी वियोग श्रृंगार के बिना,मिलन का कहाँ सुख होता है !!
विरह वेदना,में जब नायिका प्रेमी की यादों में तड़पती है छटपटाती उन मिलन के पलों को याद करती है ये जो इतंज़ार होता है,,जब संयोग मिलन के क्षण आते है,,तो सावन बन के रात दिन बरसता है,,अगर सिर्फ मिलन का ही वर्णन हो तो एक तरफा सा लगता है,,आप की लेखनी इसी लिए सर्वोत्कृष्ट है इस मे विरह है,प्रेमी के मिलन की तड़प है,,ओर फिर संयोग मिलन में खूब सारा प्यार है, बिल्कुल असली वाला प्यार ??
इसी तरह लिखती रहो,,शुभकामनाएं कोमल जी इस उत्कृष्ट लेखन के लिए ??
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(11-02-2020, 08:48 AM)@Raviraaj Wrote: बिल्कुल कोमल जी वियोग श्रृंगार के बिना,मिलन का कहाँ सुख होता है !!
विरह वेदना,में जब नायिका प्रेमी की यादों में तड़पती है छटपटाती उन मिलन के पलों को याद करती है ये जो इतंज़ार होता है,,जब संयोग मिलन के क्षण आते है,,तो सावन बन के रात दिन बरसता है,,अगर सिर्फ मिलन का ही वर्णन हो तो एक तरफा सा लगता है,,आप की लेखनी इसी लिए सर्वोत्कृष्ट है इस मे विरह है,प्रेमी के मिलन की तड़प है,,ओर फिर संयोग मिलन में खूब सारा प्यार है, बिल्कुल असली वाला प्यार ??
इसी तरह लिखती रहो,,शुभकामनाएं कोमल जी इस उत्कृष्ट लेखन के लिए ??
Thanks so much
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bilkul sahi...
bina haath pair chhaane kaam nahi chalegaa..
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' गुड्डी सुधार अभियान '
" बच्ची , जल्द ही तेरी इच्छा पूरी होगी , इसी हफ्ते एक सख्त मोटा हथियार मिलेगा तुझे , ... लेकिन तुम दोनों को गुरु दक्षिणा देनी पड़ेगी। "
उसी अंदाज में वो दोनों एक साथ बोली
" क्या गुरु जी ,... क्या है गुर दक्षिणा। "
" गुर नहीं ,...बुर दक्षिणा ,... तेरी इस नादांन सहेली की ,... बुर दक्षिणा "
मैंने भी उसी अंदाज में जवाब दिया।
" अरे उसके लिए तो हम दोनों एकदम तैयार हैं , जब कहिये तब , ... हम दोनों हाथ पैर पकड़ लेंगे , ... और उसके बाद आप , ... "
अबकी लीला बोली।
तब तक रेनू ने अपने बैग से मस्तराम की किताब निकाल ली , बोली
"भाभी , जो किताब आपने दी थी हम तीनों को , ... "
और फिर लीला और गुड्डी ने भी
लेकिन मैंने गुड्डी से ही पढ़वाया , जोर जोर से बोल बोल के ,...
और साथ में ये वार्निंग भी जिस शब्द को बोलने में हिचकेगी ( बुर चूँची गाँड़ ऐसे ) बस उसे खोल के दिखाना होगा ,
और दो बार हुआ तो फिर हम तीनो मिल के रगड़ाई करेंगे ,
" एकदम भाभी , नहीं ये खोलेगी तो हम दोनों हैं न जबरदस्ती के लिए "
रेनू और लीला एक साथ बोलीं।
गुड्डी रानी के कपडे तो खुले , लेकिन मस्तराम पढ़ने के लिए नहीं , ...
बस जहाँ वो बुर , लंड , गांड बोलने में हिचकिचाती थी ,
उसकी दोनों सहेलियां , रेनू और लीला ,
उसका टॉप पकड़कर ऊपर उठाने लगती थीं ,
बस दो चार बार के बाद तो वो फर्र फर्र ,...
मेरी ननद जो खाली डबल मीनिंग डायलॉग पर और शादी की गारियों में उचक उठती थी , खुद अपने मुंह से खुल के चुदाई का बखान कर रही थी।
मैं समझ गयी , ' गुड्डी सुधार अभियान ' में उसकी ये दोनों सहेलियां मेरी बहुत मददगार सिद्ध होने वाली थीं ,
उसके बिना न गुड्डी रानी अपनी चड्ढी खोलने वाली थीं , न निहुरनै वाली।
और रेनू और लीला दोनों से मेरी दोस्ती एकदम फेविकोल के जोड़ से भी ज्यादा तेज हो गयी थी।
गुड्डी रानी का टॉप खुला ,
उसकी कच्ची अमिया भी दिखी और उसकी सेल्फी भी खींची गयी और वो भी खुद गुड्डी के चक्कर में ,
उसकी निगाह अपने भैया के लाये आई फोन पर पड़ी और वो जोर से चीखी ,
" वाउ , लेटेस्ट , भाभी इसमें सेल्फी तो बहुत अच्छी आएगी , "
मैंने उसे पकड़ा दिया , एक दो सेल्फी हम चारों की आयी , फिर मैंने लीला को चढ़ाया ,
देख यार तुम तीनो बड़ी हो गयी हो इसका एक सिम्पल टेस्ट है , अपनी अमिया खोल के सेल्फी लो , ...
अरे यार मैं ही तो हूँ , एक बार ले कर डिलीट कर देना , ...
" एकदम भाभी , " लीला बोली।
और अगले पल उसका टॉप खुला, ब्रा सरकी और , दो टिकोरे ३० नंबर वाले , ...
जबरदस्त सेल्फी आयी उसकी , साथ में वीडियो भी टॉप उठाते हुए
सावन से भादों दूबर ,...उस ने भी बिना मेरे उकसाये अपना टॉप उठा दिया , मस्त जोबन।
मैं समझ रही थी , मेरी तरह उन दोनों के टारगेट पर भी गुड्डी ही थी ,...
वो दोनों भी चाहती थी मेरी एलवल वाली ननदिया पक्की छिनार बन जाए , उन दोनों से भी दो हाथ आगे , ...
फिर उन की तिकड़ी में कही कोई किसी की आग लगाने वाला नहीं बचता।
और कभी रेनू और लीला गुड्डी का बहाना बना के अपने यारों के साथ ,
रेनू लीला दोनों की टॉपलेस सेल्फी मेरे आईफोन में दर्ज हो गयी थी , वो भी एक नहीं कई कई ,
लेकिन मैंने डिलीट करने से मना कर दिया ,
जब तक उनकी सहेली भी टॉपलेस सेल्फी नहीं खिंचेगी , .... फिर तो वो दोनों एकदम गुड्डी के पीछे पड़गयीं।
यही तो मैं चाहती थी ,
" देख सीधे से खोल दे वरना हम दोनों अभी यही तुझे टॉप लेस , बॉटम लेस सब कर देंगे , चूँची के साथ चुनमुनिया फ्री , बोल जल्दी "
लीला ने ललकारा और रेनू ने एक दो गिनना शुरू कर दिया ,
जब लीला ने उसका टॉप पकड़ा तो गुड्डी बोली ,
" अरे मेरी नानी खोलती हूँ न , लेकिन सिर्फ ज़रा सा , ... "
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गुड्डी टॉपलेस
जब लीला ने उसका टॉप पकड़ा तो गुड्डी बोली ,
" अरे मेरी नानी खोलती हूँ न , लेकिन सिर्फ ज़रा सा , ... "
रेनू ने मुझे इशारा किया और मैं मान गयी ,
बस एक बार डिब्बा खुलने की देरी थी फिर तो बंद हम लोगों की मर्जी से होना था।
मैं मान गयी ,
" हाँ , बस ज़रा सा , ... यार तेरी दोनों सहेलियों ने खींच ली है , तो तुम भी , ...उधर तुमने खींचा उधर मैंने डिलीट कर दिया ,
पक्का प्रॉमिस ,...
या ऐसा तो नहीं तुम्हे सेल्फी लेना आता ही नहीं। "
मैंने अपनी ननद को और चढ़ाया।
कॉलेज का टॉप तो उसने खोल भी दिया , ऊपर भी कर लिया , पर वो टीनेजर ब्रा ,...
वो थोड़ा झिझक रही थी , पर रेनू ने न सिर्फ पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया बल्कि ऊपर भी सरका दिया ,
और मैंने उसके हाथ में फोन पकड़ा दिया ,
" चल सेल्फी खींच जल्दी , "
उस बेचारी ने जल्दी से सेल्फी खींच कर ब्रा नीचे करने की कोशिश की पर अब ब्रा तो रेनू के कब्जे में थी
और मैं भी रेनू का साथ देने लगी , सेल्फी देखकर मैं बोलीं
" यार गुड्डी मजा नहीं आया , तेरे निप्स तो ठीक से आये नहीं , जरा निप्स पे फोकस कर न ,... और एक ज़रा सा उचका कर ,... "
क्या करती वो , जब तक लेकिन वो सेल्फी खींच रही थी मेरे दूसरे फोन पर ननद रानी की ८-१० टॉप लेस पिक्चर्स , ...
लीला ने भी पीछे पड़कर ,
" अरे यार इत्ते दिन बाद तो तेरे कबूतर खुले हैं , थोड़ा साँस लेने दे न इन्हे ,... जरा हाथ से छू कर , ....और एक मेरे साथ भी। "
तबतक मैंने ४-५ और ,
हाँ मैंने उन तीनो को दिखा के सारी की सारी सेल्फी डिलीट कर दी , लेकिन उन की आँख बचाकर ,
अपने दोनों बाकी फोन में व्हाट्सऐप कर दिया।
तब तक लीला जोर से चीखी ,
" अरे गुड्डी चल यार , तू तो यहाँ शूटिंग करवा रही है जोबना की और वहां म्यूजिक क्लास में ,... "
वो और गुड्डी शाम को एक म्यूजिक क्लास में जाती थीं , उसका टाइम हो रहा था , ... निकली तीनो
लेकिन रेनू लौट आयी , उसका मोबाइल रह गया था।
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रेनू
निकली तीनो लेकिन रेनू लौट आयी , उसका मोबाइल रह गया था।
रेनू ने मेरा इशारा असल में समझ लिया था ,
उसके आते ही मैंने उसे फिर भींच लिया और अबकी सीधे एक हाथ उसकी स्कर्ट में डाल कर बोली ,
" तेरी गौरया के लिए एक ख़ुशख़बरी , दो दिन में ये चारा घोट लेगी। परसों दोपहर , ... "
रेनू एकदम खुश , मुझे कस के चूमते बोली ,
" भौजी आपके मुंह में घी शक्कर , ... लेकिन ,... "
मैंने उसकी बात काटते हुए उसके मुंह में अपनी जीभ डालकर चुप करा दिया ,
फिर कुछ देर तक डीप फ्रेंच किसिंग के बाद , मैंने उसे पूरी बात समझायी ,
" सुन यार , तुम परसों दो बजे आ जाना ,... "
" पर , भाभी , परसों तो कॉलेज बंद है , ... "
वो मुंह लटका कर बोली।
' अरे यार तभी तो , कॉलेज से कैसे भाग के आती तू ,
फिर तेरी दोनों सहेलियां , इसलिए तो परसों का मुहूर्त निकला है ,...
और अपने घर पर बोल देना की मैंने तुझे पेंटिंग सिखाने के लिए बोला है , हफ्ते में दो दिन ,...
और हफ्ते में दो दिन शुद्ध सफ़ेद रंग से , मोटे वाले ब्रश से तेरी पेंटिंग बनेगी ,...
चिंता मत कर मैं बना दूंगी और जब घर लौटेगी तो घर जा के दिखाना , आज क्या किया। "
मैंने उसको जब समझाया तो उसका चेहरा खिल उठा , और उसने मुझे फिर चूम लिया।
" एकदम भाभी , आप के पास आने के नाम पर और वो भी पेंटिंग सीखने के नाम पर घर वाले कुछ बोलेंगे। क्या जुगत भिड़ाई है आपने , "
खुश होके वो बोली।
" देख तेरा वो जो पहले वाला था न केंचुआ छाप , ... वैसा नहीं है , ..एकदम फाड़ के ऱख देगा तेरी ,...
और वो भी कम से कम दो बार , दर्द तो बहुत होगा तुझे ,... "
मैं आगे और बोलती की रेनू ने बात काट दी ,
" अरे भौजी इसी दर्द के इन्तजार में तो मैं मरी जा रही हूँ , जबसे लीला ने अपनी फड़वाई है न ,... और मेरा ऐन मौके पर ,... "
अबकी बात मैंने काटी।
" अच्छा हुआ न , अरे यार पहली बार तगड़ा मूसल मिले तो जिंदगी भर याद रहता है ,.. देख कम से कम दो बार ,...
और हाँ तू उसे जानती है , देखा भी है ,... लेकिन मैं नाम नहीं बताउंगी। सरप्राइज तुम दोनों के लिए।
तुम आओगी न तो दरवाजा वही खोलेगा ,... फिर कम से कम दो बार ,...
और हाँ जाने के पहले मुझसे मिल के जाना , आई पिल दे दूंगी।
और आज यार तुमने सच में ,... गुड्डी रानी को टॉपलेस कर के ,..सच्च मज़ा आ गया ,.. "
मैं हँसते हुए बोली।
" अरे भौजी। अभी तो कुछ नहीं , ... अगली बार तो उसकी गुलाबो को हवा खिलाएंगी हम , बल्कि कम्प्लीट न्यूड , नीचे वाले होंठ और ऊपर वाले होंठ दोनों की फोटो एक साथ ,...
यही तो मैं चाहती थी ,
एक बार ननद रानी की कुँवारी दुलारी दर्जा आठ वाली चुनमुनिया की क्लोज अप हाथ लग जाए ,
फिर देखना कैसे उसके भइया को दिखा दिखा के छेड़ूँगी।
अभी तो गुड्डी रानी के टिकोरे और गुलबिया का नाम सुन के उन का तन्ना जाता है , और अगर कहीं फोटो देख लिया फिर तो एकदम कुतुबमीनार , ... सच्च बहुत मजा आएगा। "
लेकिन तब तक रेनू ने कुछ पूछ लिया और मुझे सच बोलना पड़ा ,...
" भाभी क्या आपने गुड्डी की टॉपलेस वाली फोटुयें सच में डिलीट कर दी थीं "/
मैंने उसे अपने बाकी फोनो में ट्रांसफर करने के बाद ही डिलीट कर के गुड्डी को दिखाया था ,
लेकिन उन के जाने के पहले ही उस फोन से फिर आईफोन में ट्रांसफर
मैंने रेनू को जवाब अपने आई फोन से रेनू के फोन पर व्हाट्सएप कर के दी
पूरे ११ फोटो थे , कुछ तो एकदम क्लोज अप
और बाकी में गुड्डी रानी का चेहरा और बूब्स दोनों , साफ़ साफ़।
देखते ही रेनू का चेहरा खिल गया ,
मान गए आपको भाभी , हंस के मेरी नन्द बोली।
"चलो फिर परसों दो बजे , आजाना फड़वाने , ... "
हँसते हुए मैं बोली और रेनू ने भी पक्का प्रॉमिस किया।
और उसके बाद मैंने अपने देवर अनुज को फोन लगाया , गुड्डो के बाद उस बेचारे का भी उपवास चल रहा था।
असल में कल से मेरी सास दो दिन के लिए बाहर जा रही थीं परसों देर रात तक लौटती. जेठानी जी भी अपने कोर्स में , दोपहर एक बजे से पहले निकल जातीं और शाम को सात के बाद ही आती थीं यानी दोपहर और शाम के टाइम मैं एकदम अकेली ,...
और इसी लिए मैंने रेनू को दोपहर दो बजे बुलाया था , दो से पांच बहुत हुआ तो छह , दो राउंड के लिए बहुत था।
अनुज ने फोन उठाया और मैंने उसे हुकुम सुना दिया
" परसों डेढ़ बजे मेरे पास आ जाना। "
और डेढ़ बजे क्या एक बजे ही अनुज मौजूद था।
असल में मैं एक तीर से दो नहीं तीन नहीं , कई शिकार कर रही थी।
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एक तीर , कई शिकार
और डेढ़ बजे क्या एक बजे ही अनुज मौजूद था।
असल में मैं एक तीर से दो नहीं तीन नहीं , कई शिकार कर रही थी।
पहला तो खुद वो तीर ही था , जी आपने सही समझा , मेरा देवर , अनुज ,...अकेला वही तो था जो उस शहर में था , ...
उस के जीवन का पहला चक्कर मैंने ही चलवाया था , गुड्डो के साथ ,
वो बनारस वाली हाईकॉलेज वाली ,...
लेकिन एक बार जब उसने उस हाईकॉलेज वाली की झिल्ली फाड़ दी , फिर तो बिना नागा और , ...किसी भी बार , दो बार से कम नहीं , ....
और गुड्डो खुद मुझे पूरा का पूरा हाल सुनाती , हर राउंड का ,...
लेकिन गुड्डो के जाने के बाद से उसका उपवास चल रहा था , ...
बेचारा , शेर एक बार शिकार कर ले न तो और , ... फिर उस उमर में तो लौंडों का हरदम फनफनाया रहता है , ...
कोई मिले तो बस चांप दें , ...
तो बस उसका फायदा हो जाता , और अबकी तो उसकी शहर वाली थी ये , उसी की गली की , उस की छुटकी बहिनिया की सहेली , ...
फिर तो बस एक दो बार मैं मौका दिलवा देती , फिर तो वो दोनों खुद ही ,...
और अनुज एक बार मेरे ,...
तो फिर अगला नंबर उसकी छुटकी बहिनिया गुड्डी रानी का पक्का था।
दूसरा शिकार रेनू , गुड्डी की पक्की सहेली , ...
उसकी फटते फटते रह गयी थी , इसलिए वो बहुत छनछनाई थी , और खैर वो एक तरह से अच्छा हुआ , ...मैंने उसे बहुत समझाया था , ...
एक तो वो केंचुआ मार्का था , ... फिर नंबरी डरपोक ,... फिर छुपते छुपाते , किसी तरह दस पांच मिनट में , ... मज़ा थोड़े ही आता।
इस लिए मैंने पूरे तीन चार घंटे का , बिस्तर पर ,...एकदम जब प्राइवेसी हो ,... वैसा रेनू के फटने का इंतजाम किया था।
रेनू एक बार अच्छी तरह , ...
फिर तो गुड्डी रानी की बिना फटे बच नहीं सकती थी , ...
उसकी एक सहेली लीला तो अपने भाई के साथ बिना नागा ,... और अब दूसरी सहेली रेनू भी रोज अपनी चक्की चलवाने लगती तो बस , दोनों रोज अपनी अपनी मस्ती के किस्से सुनाती और गुड्डी रानी जो लंड के नाम से उछलती थीं , ...खुद उनकी गुलाबों में चींटी काटने लगती और उसका इलाज मेरे पास था ही ,
एक बात और थी ,
रेनू खुद उसके भैया से फंसने वाली थी , कभी न कभी चुम्मा चाटी करते , ...
और क्या पता , कबड्डी खेलते ही गुड्डी उसे देख लेती ,
रेनू अनुज को भइया ही तो बोलती और उसी के सामने अपनी चड्ढी खोलने वाली थी तो गुड्डी रानी को बस थोड़ा चढाने उकसाने , नहीं हुआ तो थोड़ा जबरदस्ती करने की बात होगी तो वो भी मैं कर लुंगी ,
और गुड्डी रानी भी अपनी टाँगे अपने भैया , मेरे सैंया के आगे खोल देतीं ,...
इसलिए मेरा उसकी शिकार तो गुड्डी रानी ही थी , ...
असल में उसका एट्टीट्यूड , जरा सा गारी सुनाते ही वो ऐसा उछलती थी ,
इसलिए शादी के तीसरे रात मैंने सारी की सारी गारियां वो भी असली वाली ,...
उसके ऊपर उसके भैया , मेरे सैंया को तो चढ़ाया ही , गदहे , घोड़े से भी चुदवाया उसको , ... और मेरी सारी जेठानियों ने भी खुल के मेरा साथ दिया था ,...
अब धीरे धीरे खुल गयी थी वो , मैं हर बार इन्ही का नाम लेके उसे चिढ़ाती थी , मस्तराम न उसको दिया बल्कि उससे बोल कर पढ़वाया , और ऑपरेशन गुड्डी में उसकी दोनों सहेलियां , खास तौर से रेनू मेरा पूरा साथ देती ,
और एक बार मैंने रेनू की फड़वा दी तो शर्तिया , रेनू गुड्डी की फड़वाने में मेरी पूरी मदद करती।
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गुड्डी रानी
तो मेरी असली टारगेट मेरी छुटकी ननदिया , दर्जा आठ वाली , ...
इनकी ममेरी बहन , गुड्डी रानी थी ,
और आखिर हर भौजाई यही चाहती है की उसकी ननद की फटे , और वो चिढ़ा चिढ़ा कर मजे ले।
आखिर जब भौजाई उतरती है , तो उतारते ही सारी ननदें इसी बात को लेकर उसे चिढ़ाती रहती हैं , ... जब कमरे में पहुंचाती है , एकदम खुल के ,...
और बाद में भी सब की सब कमरे के बाहर चीख सुनने के इन्तजार में , ...
मेरी ननदें तो अब तक , टाइम तक उन छिनरों ने रिकार्ड कर रखा है , अब तक पहले वही बोलती हैं , भाभी ,... दस बज कर सताइस मिनट , बहुत दर्द हुआ था क्या , ...
और मैं भी उलटे बोलती हूँ
" जब तेरी फटेगी न तो पूछूँगी कितना दर्द हुआ ,... "
और उसके बाद जब गुड्डी का नाम का असर मैंने उनके ऊपर देखा ,
आखिर ननद का नाम लेकर सब छेड़ती हैं , लेकिन इनके ऊपर तो ,...
ऊपर ऊपर से बहुत चिढ़ते थे लेकिन , खूंटा उनका , दो तीन राउंड के बाद भी , जहाँ मैंने उनकी ममेरी बहन का नाम लेकर छेड़ा , एकदम फनफना जाता था , ... वियाग्रा मात ,...
बस फिर तो कोई मौका नहीं जाता था , जब मैं उसका नाम ले ले के एकदम खुल के ,...
और जब नाम सुनने से ये हालत है तो अगर सच में उन्हें उसके ऊपर चढ़ने का मौका मिल जाये ,... सच में सोच के मेरी गीली हो जाती है।
लेकिन उस टारगेट के लिए पहले उसकी सहेली रेनू ,...
हाइट ५ -४ रही होगी , न दुबली न मोटी , असली चीज उसके टिकोरे थे एकदम मस्त , एकदम गुड्डी के ही साइज के २८-२९ नंबर के ,
पर एट्टीट्यूड एकदम बिंदास , बोलने में भी मज़े लेने में भी , ऊँगली करती थी लेकिन जो मैंने चेक किया था , झिल्ली अभी भी इन्टैक्ट थी , और मज़ाक करने , डबल मीनिंग डायलॉग्स में एकदम मेरे टक्कर की ,
जैसे ननद को होना चाहिए ,
जब मैंने बोला था उसे तेरी फट जाएगी , बस दो बजे आ जाना , जो दरवाजा खोलेगा , वही तेरी गुलाबो की भी खोलेगा ,...
वो हंस के बोली
" भाभी , आप के मुंह में घी शक्कर , लेकिन वो है कौन ,... "
" अरे यार तुझे आम खाने से मतलब , ... "
मेरी बात काटके खिलखिलाते वो बोली , ...
" आम नहीं केला , वो भी लम्बा वाला ,... "
" एकदम लम्बा वाला ही मिलेगा , और जम के कुटेगा तेरी ,... हाँ लेकिन एक बात , ... मान लो वो कोई ऐसा हुआ जो जिसे तू पहले से जानती है तो चिहुंकना मत ,... फाड़ेगा तेरी वो फुरसत से ये मेरी गारंटी है।
और एक बार फड़वा लेगी न , तो तेरी गुलाबो के लिए परमानेंट इंतजाम "
मैं हंसती हुयी बोली।
" अरे भौजी , मैं नहीं पिछने वाली हटनी,... आपकी ननद हूँ कोई मजाक नहीं। "
मेरे मन में अभी भी एक डर था कहीं अनुज को देखकर वो भड़क न जाए , आखिर उस को भइया कहकर ही तो वो बुलाती थी , बचपन से।
" मान लो , कहीं कोई तेरा मुंह बोला भईया ही निकल गया तो , ... "
मैंने चिढ़ाया
" अरे भौजी , लीला को देखिये न ,... लोग सगे की नहीं छोड़ते तो , ... मुंह बोले को तो , वो भले छोड़े मैं नहीं छोड़ने वाली उसकी , "
हँसते हुए रेनू बोली।
तो उस दिन , ... सासू तो थी ही नहीं , ... और जेठानी भी उस दिन रोज से भी जल्दी चली गयी थीं , साढ़े बारह बजे ही और बोल के गयीं थी सात बजे के बाद आएँगी।
जाते जाते मुझसे बोलीं ,
" शाम को चाय पर मैं उनका वेट न करूँ और थोड़ा सो लूँ , बस दो दिन के बाद , देवर आयंगे और फिर सोने का सवाल नहीं है। "
मैं मुस्कराते हुए बोली ,
" एकदम सभी सोने का ओवरटाइम , फिर जगने का , लेकिन थोड़ा ज्ञान भी बढ़ा लूँ "
मैंने टैब में खुली ' नीली पीली फिल्म ' की ओर इशारा किया।
असल में कर्टसी उनके देवर , मैंने टॉरेंट लोड करना सीख लिया था और फिर तो रोज पांच से छह , और एक से किंकी , उनके देवर को भी पसंद थी ऐसी फ़िल्में और अब मुझे भी ,
" चल अभी थ्योरी , आज बृहस्पतिवार है न शनिवार की शाम को आएगा मेरा देवर , प्रैक्टिस भी करवाएगा और इम्तहान भी लेगा। तो ठीक है मिलते हैं सात बजे के बाद। "
यह कहकर वो चल दी ,
असल में आज फिल्म का दिन नहीं था , आज तो मुझे लाइव शो देखना था , ननद पर देवर की चढ़ाई का।
और सोचना था जल्द ही मेरी एलवल वाली ननद पर कैसे मेरे जेठानी का देवर जल्द से जल्द चढ़ता है , ...
जैसे आज रेनू की फ़टनेवाली थी , वैसे ही गुड्डी रानी की कब फटेगी।
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रेनू
और रेनू चुद गयी।
रेनू , अरे वही , इनकी ममेरी बहन , मेरी छुटकी ननद की समौरिया , उसी की क्लास में पढ़ने वाली , ... गुड्डी रानी के साथ , ... और गुड्डी दर्जा आठ में पढ़ती थी ,
तो बाकी आप अंदाज लगा सकते हैं , एकदम कच्ची कली , कोरी , बस कच्ची अमिया आ ही रही थीं , चूँचिया उठान वाली उम्र ,..
और चोदने वाला , और कौन ,...
उसका मुंहबोला भाई , ...उसकी पक्की सहेली गुड्डी का भाई , मेरा देवर , ... अनुज।
सच में भौजी के लिए कुँवारी ननद की चोदाई देखने से ज्यादा मजेदार कुछ नहीं है , और चोदने वाला उसका देवर हो तो उससे ज्यादा रसीला कुछ नहीं है ,
इसलिए मैंने न अनुज को बताया था , न रेनू को , ...
और जब रेनू की फट रही थी , वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी , रो रही थी , ...
मेरे सामने रेनू नहीं मेरी ननद गुड्डी की तस्वीर बार बार उभर रही थी ,
कैसे उसकी फटेगी , कैसे वो चीखेगी , चिल्लायेगी , ... और फाड़ने वाला उसकी और कोई नहीं , ... मेरे ये होंगे ,...
उफ़ मैं भी न कई बार , ...
इसी लिए तो शायद मेरी पोस्ट्स के पढ़ने वाले इतने कम होते हैं ,
कितनी बार मैंने समझाया अपने को , कोमल तुम भी न कभी कहीं से बात शुरू कर देती हो ,
तो चलिए शुरू से शुरू करती हूँ , ...
जब रेनू आयी दो बजे के करीब , उसे मैंने दो बजे बोला था पर वो दो के पहले ही आ गयी थी ,
मैंने अनुज को बोला था डेढ़ बजे के लिए पर वो भी , एकदम बेताब , बेसबरा , भूखा ,
एक बजे ही आ गया था , ...
गनीमत था मेरी जेठानी उस दिन साढ़े बारह बजे ही चली गयी थीं , सात बजे के बाद आने के लिए बोल कर , और सासु माँ तो पहले ही ,
अनुज को मैंने सब बात डिटेल में समझा दी , सिवाय ये बताने के की वो लड़की है कौन , ...
पहली बात ये की कोई जल्दीबाजी नहीं , एकदम लड़की को गरम करके , ... ( और रेनू रानी को तो वैसे ही चींटे काट रहे थे , मोटे मोटे ),
और जब वो एकदम गीली हो जाये तो फिर ठोंक दो , ...
लेकिन उस समय कोई दया माया नहीं ,
हाँ ये बात मैंने बता दी अपने देवर को ,
उसके पहले वो गुड्डो की , अरे वही बनारस वाली , हाईकॉलेज वाली की सील तोड़ चुका था ( अरे उस की सेटिंग भी मैंने ही कराई थी , याद तो होगा आपको ) की ये वाली गुड्डो से भी कम उमर की है ,
और एकदम कोरी कच्ची ,...
इसलिए चीखेगी बहुत जब फटेगी ,...
लेकिन उसे चीखने देना , न उसका मुंह बंद करने की कोशिश करना , न अपने धक्के रोकना , जबतक छलछला कर खून बाहर न निकल आये , ...
( घर में मेरे अलावा वैसे भी कोई था नहीं , और हमारा घर ऐसा इंडिपेंडेंट मकान था की आसपास कोई और मकान नहीं था। इसलिए ननद रानी की चीख पुकार सिर्फ मुझे सुनाई पड़ती और मौन तो चाहती भी थी सुनना , आखिर किसी भौजाई के लिए कुँवारी कच्ची उमर की ननद की फटते समय होने वाली चीख चिल्लाहट से बढकर कोई और मीठी म्यूजिक नहीं हो सकती थी )
दूसरी बात ,
मलाई एकदम अंदर तक , ... जरा भी मत घबड़ाना की कही वो पेट से ,... मेरे पास आई पिल है , मैं दे दूंगी ,...
और झड़ने के बाद भी काफी देर तक अंदर ही रहने देना , पूरा का पूरा
( नेक्स्ट टाइम के लिए इससे बढ़िया चिकनाई कुछ नहीं होती और ननद रानी की झिझक भी टूट जाती )
और आखिरी बात , ...
कम से कम दो बार , ...
पांच साढ़े पांच बजे तक टाइम है उसके पास , .... सिर्फ एक बार में , बाद में लड़की की झिझक लौट आती है , सेन्स आफ गिल्ट भी हो सकता है , लेकिन दो बार के बाद तो अगली बार वो खुद आएगी।
और हाँ ये भी बोला था की उसके बाद , वो मेरे पास न आये , सीधे वहीँ से अपने घर
( रेनू को मैंने समझाया था मैंने की उसके बाद वो मेरे पास आ जाये , उसकी नयी फटी चुनमुनिया जो मुझे देखनी थी , उसे आई पिल देनी थी , उससे आगे के लिए बात करनी थी ,
लेकिन सबसे बड़ी बात वो घर से ये बहाना बना के आयी थी की मेरे पास पेंटिंग सीखने आ रही है , तो उसे घर लौट के कुछ दिखाना तो पड़ता , ... मैं खुद पेंटिंग ऑलमोस्ट बना के रख लेती और उससे बस दो चार स्ट्रोक लगवा के ,...
कुछ काम बाकी भी तो रखना था , जिससे उसे अगली बार आने का बहाना बचा रहता )
अनुज को मैंने ये भी समझाया की वो लड़की क्योंकि उसे जानती है , हो सकता है उसे देखकर थोड़ा हिचकिचाए , झिझके , लेकिन वो बस उसे बाँहों में भर के ,... खूब किस करे , इधर उधर टच करे और सीधे कमरे में , ...
मेरे कमरे के ठीक नीचे ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरा था , एक गेस्ट रूम की तरह मेन दरवाजे से एकदम सटा , बस सीधे बेड पर , ... और दस पांच मिंट में वो पट जायेगी।
लेकिन मेरा ये डर बेकार निकला , रेनू ज़रा नहीं भी झिझकी।
कर्टसी , हाई डिफ़िनशन सी सी टी वी , मैं एक एक पल देख रही थी , मेरे मोबाइल से वो लिंक था और उसे मैंने लार्ज स्क्रीन ( ६५ इंच ) वाले स्मार्ट टीवी से लिंक कर दिया था , बस लग रहा था मैं वहीँ बगल में खड़ी हूँ , एक एक पल रिकार्ड हो रहा था सो अलग , ...
रेनू पौने दो बजे आ गयी थी , अपनी कॉलेज की ड्रेस में , टॉप और स्कर्ट , टॉप एकदम टाइट कच्ची अमिया छलकी पड़ रही थीं , ...
उसने घंटी बजायी और अनुज लगभग दौड़ते हुए , ... मैंने उसे कोडवर्ड बता दिया था , ...
अनुज को देख कर एक पल के लिए चौंकी , पर मुस्कराते हुए बोली ,
" गुड्डी है " ( यही पासवर्ड था )
" नहीं , लेकिन उसका भाई है , चलेगा " ,
जवाब में अनुज बोला , ( यही कोडवर्ड था , मतलब जेठानी नहीं हैं , घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है और मैदान साफ़ है ) .
मैं रेनू का रिएक्शन देख रही थी , मुझे डर था की कहीं गुड्डी के भाई को देखकर वो हिचक न जाय , पर रेनू भी ,... मुस्कराते हुए बोली
" चलेगा नहीं , दौड़ेगा " .
और खुद अनुज को अपनी बाहों में भींच लिया ,
अनुज ने भी कस के उसके गालो पर जबरदस्त चुम्मी ली और बाहर का दरवाजा बंद कर लिया , अनुज के हाथ सीधे कच्चे टिकोरों पर
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैंने अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , ... बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,.... ये मेरी सोच थी ,... थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,... पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , ...
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी , उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , ...
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , ... ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , ... यही तो मैं चाहती थी , ... डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में , और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , ... कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
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पेज 61 - 62 में, गुड्डी के 61 - 62 करने की तैयारी कर ली।
अब तो नन्द की चुनमुनिया की संया मालिक।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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(14-02-2020, 07:01 PM)Black Horse Wrote: पेज 61 - 62 में, गुड्डी के 61 - 62 करने की तैयारी कर ली।
अब तो नन्द की चुनमुनिया की संया मालिक।
आप तो भविष्य द्रष्टा हैं , एकदम सही फ़रमाया आपने , ... ऐसा ही होगा ,... सैंया बने नन्दोई
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बहुत खूब कोमल जी, बहुत ही बढ़िया, कामुक
अब जल्दी ही गुड्डी रानी की बारी होगी।
आप ऐसे ही कमाल करती रहे आप और आप की लेखनी ऐसे ही जादू बेखेरती रहे ।
बहुत बहुत धन्यवाद।।।।।।।।।।।।।।।।।।
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(16-02-2020, 08:35 AM)Xxx2524 Wrote: जल्दी से जल्दी दूसरा अपडेट दीजिए भाभीजान
एकदम , बस कल , अगला एपिसोड , रेनू की ,....
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