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Adultery पूर्वी दीदी
#21
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
AB AAGE
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
लो आज मेरे दूध जी भरकर चूस लो। मुझे कसके चोदो” पूर्वी दीदी बोली और मेरे मुंह पर दोनों छाती को पकड़कर रख दिया। दोस्तों अब किसी तरह के संवाद की कोई जरूरत नही थी। मैंने भी उनको गले से लगाकर अपने उपर लिटा लिया और किस करने लगा। वो पेंटी भी नही पहनी थी। पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। मैं भी अपना कच्छा बनियान खोलकर नंगा हो गया। और पूर्वी दीदी को अपने सीने पर लिटा दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
“पर दीदी घर के सब लोग किधर है???” मैंने व्याकुल होकर पूछा

“सब सो रहे है। तुम मुझे आराम से चोदो। कोई टेंसन नही है” वो कहने लगी

हम दोनों के होठ आपस में टकरा गये। फिर तो आग लगनी ही थी। चुसी चुस्व्वल होने लगा। पूर्वी दीदी पता नही कैसे मुझसे पट गयी थी। मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था। मैंने उनके कंधे को पकड़ लिया और खूब किस किया ओंठ से ओंठ लगाकर। वो मुझे खाने लगी मुंह पर मुंह रखकर। मैं उनको खाने लगा। बड़ा चुम्मा वाला काम हुआ। मेरे हाथ उनकी पीठ पर अब नाचने लगे।
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#26
पूर्वी दीदी!! क्या बड़े जीजा आपको पेल नही पाते है ठीक है??” मैंने चुटकी ली

“अगर वो मुझे ठीक से चोद पाते तो तेरे पास मैं क्यों आती। वो तो 3 4 मिनट में झड़ जाते है। पर भूपेन्द्र तू अपनी बता। तू कितने मिनट मेरी चूत पर बैटिंग कर पाएगा??” पूर्वी दीदी किसी रंडी की तरह पूछने लगी।

“अभी आपको पता चलेगा” मैंने कहा
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#27
फिर सीने से ऐसे चिपका लिया जैसे वो औरत है।ये सारा करिश्मा उपर वाले का था। जिसमे पूर्वी दीदी को मेरे लिए पटा दिया था। मैं भी उनको बाहों में भरके किस करने लगा। पहले उनकी नंगी सेक्सी पीठ पर अपने हाथ से सहलाकर मैंने मजा लिया। फिर मेरे हाथ उनकी मस्त मस्त गांड और पिछवाड़े पर चले गये। पूर्वी दीदी का फिगर 34 38 36 का था। इससे हसीन क्या हो सकता था। मैं उनके गुब्बारे जैसे फूले चूतड़ पर हाथ लगाकर सहलाने लगा। पूर्वी दीदी “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” करने लगी। वो मेरे सीने पर लेटी रही और मैंने उनकी संतरे जैसे चूची मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। वो अई अई करने लगी। दोस्तों उनके मम्मे मुसम्मी को भी फेल कर रहे थे। मुसम्मी से भी जादा रसीले थे। मैं मजा लेकर चूसने लगा। पूर्वी दीदी चुसवा रही थी। हम लोग की लपटा लपटी चालू हो गयी। उनके दूध पीते पीते ही मैंने करवट भरी।
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#28
[Image: verma-tanvi-789yy.jpg]
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#29
मैंने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल मेरे मुँह के अंदर घुस गये और मै उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ मैंने दीदी के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा.
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#30
इस से वह कराह उठी...एक तो मेरे दांत काफ़ी तेज थे और उपर से मै काफ़ी एक्ससाईटिड भी था ,निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था...और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही मैंने ने उसकी चूत की तरफ हाथ बदाया, काजल छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना .......................
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#31
चूस भूपेन्द्र!! और मेहनत से चूस!! मजा आ रहा है। मेरी जवानी का रस आप तुम ले लो” पूर्वी दीदी कहने लगी

उनकी बाते मुझे और दीवाना बना गयी। मैं उनके संतरे को और दबा दबाकर चूसने लगा। फिर दूसरी वाली छाती का इसी प्रकार से रस निकाल दिया। मैं उनके पेट से खेलने लगा। दीदी की नाभि चूत जैसी कामुक दिख रही थी। उसमे मैं जीभ डालने लगा। वो चुदासी होकर “ओहह्ह्ह….अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…” करने लगी।
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#32
“आआआअह्हह्हह…..मेरी चूत चाटकर मुझे गर्म करो भूपेन्द्र!! ….अई. .अई..”पूर्वी दीदी कहने लगी और अपनी दोनों टांग किसी रंडी की तरह खोल दी
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#33
मुझे अब सब कुछ समझ में आ गया था। मेरे बड़े जीजा जी (पूर्वी दीदी के पति) उनको अच्छे से चोद नही पाते थे। जब औरत इतनी खूबसूरत हो और पति ठीक से उसको चोद न सके तो वो निश्चित तौर पर किसी गैर मर्द से चुदवा लेगी। ऐसा ही उनके साथ हुआ था। वो अपने खूबसूरत गोरे पैर खोल दी। उनकी मस्त मस्त चूत मुझे दिख गयी।
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#34
मैंने एक ही झटके में उसे बेड पर लिटाकर उसकी जांघों के बीच झुक गया...और एक गहरी साँस लेने के बाद अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसकी गुल्लक के छेद जैसी चूत में डाल दी...
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#35
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मैं जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। वो सिसियाने लगी। मेरे अंदर ही वासना का समुन्द्र जागने लगा। मैं मुंह लगाकर उनकी नमकीन स्वाद वाली चूत को मजे लेकर चाटने लगा। वो कमर उठा उठाकर पिला रही थी।'आआआआआआआआहह ....... ओह .......... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ... कब से तरस रही थी इसके लिए ................... अहहssssssssssssssssssssssss ...और अंदर तक डालो जीभ ............... और अंदर ............. उम्म्म्ममममममममममममम ....''
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#36
पूर्वी दीदी ने मेरेसिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और मेरे गीले-2 होंठों ने पूर्वी दीदी की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..

''ओह चूस भूपेन्द्र!! ..................... सकक्क मी ....हार्डरsssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह ..... ओह ....... जैसे ! की चूस रहा था.... वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट ..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको ....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह चूस भूपेन्द्र!!............ मेरी जानsssssssssssssssssssssss ....''
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#37
…..सी सी सी सी…तुम्हारी जीभ तो पागल कर रहे है….और चाटो मेरी बुर को ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ” पूर्वी दीदी कहने लगी और अपना पेट उपर को उठाने लगी

मैंने भी उनकी चूत की खूब दावत उडाई। मुंह में लेकर खूब चूसा और चाटा।

उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी...और अपने लंड को बीच मे रखकर उसके उपर झुक गया...केशव का लंड एक बार फिर से सरसराता हुआ उसके अंदर प्रवेश कर गया...और आनंद मे भरकर काजल की आँखे अपने आप बंद हो गयी...उसने अपनी दोनो टांगे फेला दी..और अपने हाथ भी दोनो दिशा मे फेला कर अपने आप कोमेरे भूपेन्द्र! के सामने पूरा खोल कर रख दिया..। मैं लंड को पकड़कर उनकी चूत में डालने लगा। पर पर छेद इतना कसा था जैसे कोई कुवारी बिना चुदी औरत हो। मुझे काफी तेज धक्का मारना पड़ा
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#38
दीदी के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...

भूपेन्द्र!: "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो मुझे किसीके साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..
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#39
मैं फटाफट करके धक्के पर धक्के देने लगा। मेरा लंड जल्दी जल्दी उनकी बुर को जड तक फाड़ने लगा। दीदी की हालत खराब होने लगी। मैं उसकी मस्त मस्त बुर को हाथ से सहलाने लगा। हाथ में मैंने थूक लिया और उनके चूत के दाने पर रगड़ने लगा। जैसे जैसे रगड़ रहा था उनके पुरे जिस्म में कम्पन होने लगा। वो पागल होने लगी। उनकी हालत किसी बकरी जैसी हो गयी थी जिसके गले पर छुरी चल रही थी। वो भी आनन्दित होने मजा लूटने लगी।

“….ऊँ—ऊँ…भूपेन्द्र!! जब तेज तेज चोदते तो तब भी मजा मिलता है…. सी सी सी…” पूर्वी दीदी कहने लगी

“ले रांड!! अब तेजी बुर को तेज तेज फाडूगा” मैंने कहा और लंड को जल्दी जल्दी दीदी की चूत की गली में दौड़ाने लगा। मैंने एक जांघ को मोड़कर दूसरी जांघ पर रख दिया। और तेज तेज झटके देने लगा। इससे मुझे काफी कसावट मिल रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पूर्वी दीदी “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….”करने लगा। मैं जल्दी जल्दी पेलता चला गया। काफी देर मनोरंजन हुआ।
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#40
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