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Incest काजल
#1
Heart काजल Heart


























Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
काजल की उम्र तो शादी के लायक हो चुकी थी पर घर की पूरी ज़िम्मेदारी उसके उपर थी...इसलिए वो अभी शादी के बारे मे दूर -2 तक सोच भी नही सकती थी..

वो थी तो काफ़ी सुंदर पर बिना मेकअप के और सादे कपड़ो मे रहने की वजह से कोई उसपर ज़्यादा ध्यान नही देता था..लड़को को वो खुद ही अपने पास फटकने नही देती थी..क्योंकि प्यार-व्यार के चक्कर मे पड़कर वो अपनी ज़िम्मेदारियो से दूर नही होना चाहती थी.

कुल मिलाकर काफ़ी समझदार और घरेलू किस्म की सुंदर सी लड़की थी काजल..

कुल मिलाकर काफ़ी समझदार और घरेलू किस्म की सुंदर सी लड़की थी काजल....

और उसका भाई केशव, शक्ल से ही गुंडा टाइप का..हल्की दादी मूँछ मे रहता था हमेशा..बिखरे हुए बाल..सिगरेट की लत्त भी थी उसको...इसलिए होंठ भी चेहरे की तरह काले हुए पड़े थे..पर अपने मोहल्ले मे काफ़ी दबदबा था उसका..और वो अपने कसरती बदन को बुरे कामो मे इस्तेमाल करके थोड़ी बहुत कमाई भी कर लेता था...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
घर का खर्चा चलाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ और सिर्फ़ काजल की ही थी.

उनके घर का खर्चा वैसे ही बड़ी तंगी मे चल रहा था.. उपर से माँ की बीमारी ने भी काफ़ी पैसे ख़त्म कर दिए..

और साथ ही साथ दीवाली भी आने वाली थी..सिर्फ़ दस दिन बाद..ऐसी हालत मे काजल बस यही सोच रही थी की कैसे चलेगी ये जिंदगी..

पर उसे नही पता था की आने वाली दीवाली उसके लिए क्या-2 सर्प्राइज़ लाने वाली है..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
काजल के हॉस्पिटल पहुँचते ही केशव फ़ौरन वहाँ से निकल गया...इतनी जल्दी मचाते हुए काजल ने उसे पहली बार देखा था..

रात के समय हॉस्पिटल मे किसी के भी रहने की मनाही थी..वैसे भी देखभाल के लिए नर्सेस रहती ही थी..इसलिए काजल भी घर आ जाती थी..

घर पहुंचकर उसने अपना लोवर और एक हल्की सी टी शर्ट पहनी और खाना बनाने मे लग गयी..वो रात के समय अपने अंडरगार्मेंट्स भी उतार देती थी..यही नीयम था उसका रोज का..10 बजे तक केशव भी आ जाता था और दोनों मिलकर खाना खाते थे...सुबह वो ऑफीस निकल जाती और केशव नहा धोकर हॉस्पिटल के लिए...पिछले दो महीने से यही नीयम चल रहा था..

पर आज 11 बजने को हो रहे थे और केशव का कहीं पता नही था...काजल को भी काफ़ी भूख लगी थी..उसने उसका नंबर कई बार ट्राइ किया पर हर बार वो काट देता...आख़िर मे जाकर जब उसने फोन उठाया तो सिर्फ़ इतना कहकर फोन रख दिया की 'दीदी , दस मिनिट मे आया बस...'

दस मिनिट के बाद जब केशव आया तो वो काफ़ी खुश लग रहा था...पर काजल के गुस्से वाले चेहरे को देखकर वो सहम सा गया और चुपचाप अपने कमरे मे जाकर चेंज करने लगा..और कपड़े बदल कर नीचे आया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
EDIT ..........
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#6
काजल : "ये हो क्या रहा है आजकल...ये जानते हुए भी की माँ हॉस्पिटल में है, तुम इतनी रात को मुझे अकेला छोड़कर बाहर रहते हो..आख़िर गये कहाँ थे..


.काफ़ी भला-बुरा सुनने के बाद अचानक केशव ने अपनी जेब से 500 के लगभग 20-30 नोट निकाल कर उसके सामने रख दिए..

और उन्हे देखते ही काजल की ज़ुबान पर एकदम से ताला सा लग गया..

केशव (मुस्कुराते हुए) : "ये जीते है मैने..दीदी, आपको पता है ना दीवाली आने वाली है...और इसी टाइम ऐसी बड़ी-2 गेम्स चलती है...और जब आप फोन पर फोन कर रहे थे,मेरी एक बड़ी सी गेम फंसी हुई थी...इसलिए फोन काट रहा था..और जैसे ही ये पैसे जीता, मैं वहाँ से निकल आया..''

इतने पैसे एकसाथ देखकर काजल हैरान थी...वो महीना भागा-दौड़ी करके सिर्फ़ 15000 कमाती थी...और उसके भाई ने लगभग उससे दुगने पैसे कुछ ही घंटो मे लाकर उसके सामने रख दिए थे..
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#7
केशव ने वो सारे पैसे ज़बरदस्ती काजल के हाथों मे रख दिए और बोला : "दीदी, मैं उतना भी बुरा नही हू जितना आप मुझे समझती हो...मुझे भी माँ की फ़िक्र है..अब मुझे आप की तरह कोई जॉब तो देगा नही, इसलिए जो मेरी समझ मे आता है, मैं करता हू..
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#8
अपने भाई की ऐसी समझदारी भरी बाते सुनकर काजल एक दम से अपनी सीट से उठी और केशव के सिर को अपनी छाती से लगाकर सिसकने लगी : "मुझे माफ़ कर देना मेरे भाई...मैने तुझे इतना बुरा-भला कहा..मैं वो माँ की वजह से इतनी परेशान थी की जो मेरे मुँह मे आया, वो कहती चली गयी...''

ये केशव के लिए पहला मौका था जब उसकी बहन के मुम्मे उसके चेहरे पर दबे पड़े थे...उसने आज तक अपनी बहन के बारे मे कोई ग़लत बात नही सोची थी..पर आज जिस तरह से उसने केशव के सिर को पकड़कर अपनी छाती से लगाया था..और जब केशव को ये महसूस हुआ की काजल ने पतली सी टी शर्ट के अंदर कुछ भी नही पहना है तो उसे ऐसा एहसास हुआ की उसका चेहरा सीधा उसके नंगे मुम्मो के उपर रखा हुआ है...इतने नर्म और मुलायम थे उसके मुम्मे ...और उसके जिस्म से निकल रही एक कुँवारी सी खुश्बू...वो तो बस अपनी आँखे बंद करके उस सुगंध को सूंघता ही रह गया..
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#9
उसकी बात से सॉफ जाहिर था की वो इन पैसो को अभी के लिए मना नही कर रही ...करती भी कैसे..उसे पता था की उनसे हॉस्पिटल के बिल्स आसानी से दिए जा सकते हैं..

केशव ने अपना सिर उपर उठाया और बोला : "नही दीदी, आप ऐसा क्यो सोच रही है...
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#10
काजल के पास उसकी बात का कोई जवाब नही था..उसके दोनो हाथों मे केशव का चेहरा था..जो उसकी दोनो छातियों के बीच से झाँकता हुआ उसकी तरफ देख रहा था..इतने करीब से और इतने प्यार से तो उसने आज तक नही देखा था अपने भाई को...उसने नीचे झुककर उसके माथे को चूम लिया .
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#11
केशव : "ठीक है दीदी...अब जल्दी से खाना लगाओ...बड़ी भूख लगी है मुझे..''

और फिर हंसते हुए काजल उसके लिए खाना परोसने लगी..

खाना खाते हुए अचानक काजल ने कहा : "तुम रम्मी खेलते हो या पत्ते पर पत्ता ..''

केशव खाना खाते-2 अचानक रुक गया और ज़ोर-2 से हँसने लगा , और बोला : "हा हा हा, दीदी आप भी ना, ये बच्चों वाले खेल तो घर पर खेले जाते हैं..''

काजल ने भी ये बात इसलिए कही थी क्योंकि वो खुद अपने भाई के साथ बचपन मे यही खेल खेलती थी..और कई बार क्या, हमेशा ही केशव को उसमें हरा देती थी..

केशव : "हम लोग खेलते हैं, तीन पत्ती ..यानी फ्लेश ''

काजल : "ये कैसे होता है....''

केशव : "उम्म्म.....आप ऐसा करो...खाना खाने के बाद में आपके रूम मे आता हू...वहीं दिखाता हूँ की ये कैसे होता है..''

काजल भी खुश हो गयी....वैसे भी खाना खाने के बाद वो रात को 12 बजे तक जागती रहती थी...ऐसे मे अपने भाई के साथ कुछ वक़्त गुजारने की बात सुनकर वो काफ़ी खुश हुई..और उसने खुशी-2 हाँ कर दी.

किचन समेटने के बाद वो अपने कमरे मे गयी, जहाँ पहले से ही केशव अपने हाथ मे ताश की गड्डी लेकर उसका इंतजार कर रहा था.

आने से पहले काजल अपना मुँह अच्छी तरह फेस वॉश से धोकर आई थी...ये काम वो रोज रात को करती थी...अपने चेहरे को चमका कर रखती थी वो हमेशा..इसलिए जब वो केशव के पास पहुँची तो उसका चेहरा ऐसे चमक रहा था जैसे वो अभी नहा धोकर आई है..

और मुँह धोने की वजह से उसकी टी शर्ट भी आगे से गीली हो गयी थी..और इसलिए उसके उभारों वाली जगह टी शर्ट से चिपक कर पारदर्शी हो गयी थी..पर निप्पल्स वाली जगह से नही, सिर्फ़ उपर-2 से..पर इतना गीलापन भी काफ़ी था केशव के लंड की नोक पर गीलापन लाने के लिए..आज उसके साथ लगातार दूसरी बार ऐसी घटना हो रही थी ,आज से पहले उसने अपनी बड़ी बहन को ऐसी नज़रों से देखा ही नही था...दोनो अलग-2 और अपने मे मस्त रहते थे..पर आज जिस तरह से उसने केशव के सिर को अपने सीने से लगाया और अब अपनी गीली चुचियों के दर्शन भी करवा रही है..ऐसे मे इंसान का अपने लंड पर बस चलना काफ़ी मुश्किल हो जाता है.

काजल धम्म से आकर उसके सामने पालती मार कर बैठ गयी और बोली : "हांजी ...अब बताओ...क्या होता है ये तीन पत्ती''

केशव : "जीतने भी खेलने वाले होते हैं, उन्हे 3-3 पत्ते बाँट दिए जाते हैं...और जिसके पत्ते बड़े होंगे, वही जीत जाएगा..''

काजल : "बस....इतना सा ...ये तो बड़ी आसान सी गेम है...बिल्कुल बच्चों वाली...हा हा ..''

वो तो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे वो एक ही बार मे सीख चुकी है..
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#12
केशव : "ये इतना भी आसान नही है, जितना लग रहा है...चलो,मैं पत्ते बाँटकर दिखाता हूँ ...''

और केशव ने गड्डी कटवाई और फिर 3-3 पत्ते आपस मे बाँट लिए..काजल ने फ़ौरन पत्ते उठा लिए.

केशव : "अरे....दीदी , ऐसे एकदम से नही उठाते...पहले ब्लाइंड चलनी पड़ती है... और अगर आपके पत्ते अच्छे हुए तो आप चाल चल सकती हो ''

और फिर केशव उसे ब्लाइंड और चाल के बारे मे बताने लगा..और ब्लाइंड और चाल के बारे मे अच्छी तरह से समझ कर वो बोली : "कोई बात नही...अगली बार से ध्यान रखूँगी..पर इन पत्तो का क्या करू...ये बड़े कहलाएँगे या नही..''

इतना कहकर उसने अपने तीनों पत्ते केशव के सामने फेंक दिए...वो तीनों इक्के थे..

केशव : "वाव दीदी...इक्के की ट्रेल...पहली बार मे ही आपके पास इक्के की ट्रेल आई ..बहुत बाड़िया...आपको पता है, इनके आगे कुछ भी नही चलता..ये सबसे बड़े होते हैं...सामने वाले के पास चाहे कुछ भी हो, आपसे जीत नही सकता...''

काजल (आँखे घुमाते हुए ) : "कुछ भी....आ हाँन...''

और ना चाहते हुए भी काजल की नज़रें घूमती हुई केशव के शॉर्ट्स की तरफ चली गयी...और वहाँ पर उठ रहा तंबू उसकी नज़रों से छुपा नही रह सका..

काजल को तो अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ...ऐसा उसने जान बूझकर नही किया था..ऐसे ही उसकी नज़रें घूमती हुई वहाँ चली गयी थी..और वो इतनी भी नासमझ नही थी की इतने बड़े उभार का मतलब ना समझ सके..
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#13
और जब केशव ने ये बात बोली तो अपनी आदत से मजबूर उसकी नज़रें उसके लंड वाली जगह पर चली ही गयी...

और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी नज़रें घुमा ली...पर उनमे आ चुका गुलाबीपन केशव से छुपा न रह सका..

केशव : "क्या हुआ दीदी...आप एकदम से चुप सी क्यों हो गयी...''

काजल : "बस...ऐसे ही...उम्म्म्म एक बात पूछू तुझसे केशव...''

केशव : "हाँ दीदी...पूछो...''

काजल : "मैं तुझे कैसी लगती हू...''

केशव : "आप....मतलब...आप तो अच्छी ही हो दीदी...इसमे पूछने वाली क्या बात है...''

काजल : "अरे नही बुद्धू ....मेरा पूछने का मतलब...देखने में ...कैसी हूँ मैं ...''

इतना कहकर उसने अपनी ज़ुल्फो मे हाथ फेरा..अपने खुले हुए बाल पीछे किए...और अपना सीना बाहर की तरफ़ निकाल कर ऐसे पोज़ दिया जैसे कोई फोटो सेशन हो रहा हो वहाँ...

केशव की नज़रें काजल की हर हरकत पर थी...उसके नाज़ुक हाथों का जुल्फे पकड़कर पीछे करना...अपने चेहरे पर उँगलियों को फेरना , बालों को कान के पीछे अटकाना..सब वो ऐसे देख रहा था जैसे वो सब काजल उसके लिए ही कर रही हो..

केशव अपनी बहन की सुंदरता देखकर हैरान हुए जा रहा था...उसे पता तो था की वो सुंदर है..पर इतनी सेक्सी भी है, ये आज ही पता चला उसको..अभी तो उसने कोई मेकअप नही किया हुआ..अपने गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक , आँखो मे काजल और चेहरे पर मेकअप करने के बाद तो ये कयामत ही लगेगी

काजल : "क्या सोचने लगे अब....बोलो ना..''

केशव (झेंपता हुआ सा) : "बोल तो दिया दीदी...आप अच्छी हो...चलो अब आगे देखो...मैं दोबारा पत्ते बाँट रहा हू...''

और केशव ने बात बदलते हुए फिर से 3-3 पत्ते बाँट दिए..ये काम उसने इसलिए भी किया था की काजल की ऐसी बातें सुनकर उसके लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया था और वो अंडरवीयर में ऐसे फँस गया था की उसे सही करने के लिए वो अपने हाथ नीचे भी नही कर पा रहा था...क्योंकि अपनी बड़ी बहन के सामने वो कैसे अपने लंड को हाथ लगाता भला..इसलिए उसने बात बदलने में ही भलाई समझी ताकी उसका लंड नीचे बैठ जाए

अब की बार काजल ने पत्ते नही उठाए..

काजल : "पर तुमने तो कहा था की ब्लाइंड चलने के लिए पैसे चाहिए होते है...अब क्या हम दोनो भी पैसो से खेलें क्या ...''

केशव : "नही...उसके बदले कुछ भी रख देते है...''

इतना कहकर वो इधर उधर देखने लगा...

काजल के मन मे तब तक एक बात आ चुकी थी, वो बोली : "एक काम करते है...ब्लाइंड या चाल के बदले हम एक दूसरे से सवाल करेंगे...और सामने वाला उसके जवाब बिल्कुल सच मे देगा...बोलो मंजूर है...''

केशव को समझ नही आया की उसकी बहन करना क्या चाहती है...पर वो समझ चुका था की काजल उसे फंसाना चाहती है , जो भी था,उसमें वो फंसना नही चाहता था

केशव : "क्या दीदी...आप भी ना...इसमे मज़ा नही आएगा...रूको...में पैसे लेकर आता हू...उससे ही खेलते है...या फिर माचिस की तिल्लिया लेकर आता हू, उन्हे आपस मे बाँट लेंगे, उनसे खेलेंगे...''

काजल : "नही...अब तो मैं ऐसे ही खेलूँगी...वरना तुम उठाओ ये पत्ते और जाओ अपने कमरे मे...मुझे भी नींद आ रही है..''
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#14
दोनो ही सूरत मे काजल अपना फायदा देख रही थी...अगर वो खेलने के लिए मान जाता तो वो उससे अपनी पसंद के सवाल करके कुछ सच उगलवाती...और अगर वो चला जाता तो रोज रात की तरह चेटिंग वगेरह करते हुए मुठ मारती ...और वैसे भी आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी...पता नही क्यो.



वापिस जाने की बात सुनते ही केशव हड़बड़ा सा गया...आज पहली बार तो उसे अपनी बड़ी बहन को ऐसे देखने का मौका मिला था..और उपर से वो थोड़ा नॉटी भी बिहेव कर रही थी...ऐसे मे वापिस जाना मतलब हाथ में आया मौका खो देने जैसा ही था.

हमेशा अपनी 'बहन' को 'बहन' की नज़र से देखने वाला केशव अचानक से ही उसे एक 'लड़की' की नज़र से देखने लग गया..और देखे भी क्यो ना..खूबसूरत तो थी ही वो..अपनी अदाओं का जादू वो ऐसे चला रही थी जैसे कोई किसी को पटाने के लिए करता है...अब उसकी समझ में ये नही आ रहा था की उसकी हरकतों को वो क्या समझे...पर जो भी था अभी तक तो केशव को मज़ा ही आ रहा था...और ऐसे मज़े को वो खोना नही चाहता था..
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#15
केशव : "ठीक है दीदी....जैसा आप कहो...''

और वो फिर से वही बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..काजल के होंठों पर विजयी मुस्कान तैर गयी.

काजल ने भी आज से पहले अपने भाई के बारे मे ऐसा नही सोचा था...पर वो सोच रही थी की कैसे वो अब तक रोज रात को इस कमरे मे सोते हुए अपनी चूत की मालिश करती है और बिल्कुल साथ वाले कमरे में ही उसका जवान भाई भी सोता है...उसके इतनी पास रहते हुए वो ये सब काम करती है..सिर्फ़ एक दीवार ही तो है बीच मे...और अगर वो दीवार भी ना हो तो...और वो उसके सामने ही नंगी होकर अपनी चूत रगड़ रही हो तो....ये सोचते ही उसके पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी....उसके होंठ काँपने लगे...उपर वाले भी ...और नीचे वाले भी.

केशव : "अब क्या हुआ दीदी.....आपकी ब्लाइंड है...पूछो ..क्या पूछना है...''

पूछना तो काजल बहुत कुछ चाहती थी..पर फिर भी अपने होंठों को दांतो से काटकर बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोली : "तेरी....तेरी...एक गर्लफ्रेंड थी ना...वो अभी भी है क्या...और क्या नाम है उसका..''

केशव की आँखे गोल हो गयी...उसने तो सोचा भी नही था की ये बातें इतनी पर्सनल भी हो सकती है...

और ये काजल को कैसे पता चला की उसकी एक गर्लफ्रेंड है ...ये बात तो उसने आज तक उसे नही बताई...वो ज़्यादा बाते करता ही नही था काजल के साथ..इसलिए वो हैरान हो रहा था की ये काजल आज एकदम से क्यों उसकी पर्सनल जिंदगी के बारे मे पूछ रही है..

केशव : "वो....थी या नही थी...आप क्यो पूछ रही हो...और आपको कैसे पता की मेरी एक जी एफ थी..''

काजल : "गेम का रूल है ये...तुझे बताना पड़ेगा...मुझे कैसे पता वो बात रहने दे...''

केशव फँस चुका था...वो सोचने लगा की अगर उसे ये बात पता है तो उसके सामने झूठ बोलने का कोई फायदा नही है..

केशव : "जी...वो अभी भी है...और उसका नाम सारिका है...''
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#16
सारिका का नाम सुनते ही काजल का दिमाग़ सुन्न सा हो गया...ये तो उसकी बचपन की सहेली थी...जिसके साथ वो पिछले 2 सालो से बात नही कर रही...दोनो मे किसी बात को लेकर इश्यू हो गया था इसलिए..

पर उसका खुद का भाई, उसकी सबसे करीबी सहेली के साथ लगा हुआ है, ये उसने सोचा भी नही था.

काजल : "सारिका के साथ.....ओह्ह्ह्ह माय गॉड ...पर ये कब से चल रहा है...मुझे तो पता भी नही..''

केशव : "आप एक ही बार मे दो सवाल नही पूछ सकती...अब मेरी ब्लाइंड है..यानी सवाल पूछने की बारी अब मेरी है..''

केशव अपने आप को बड़ा समझदार समझ रहा था उस वक़्त...उसने मुस्कुराते हुए वही प्रश्न अपनी बहन से भी पूछ लिया : "आपका कोई बाय्फ्रेंड है क्या...या कभी रहा हो...क्या नाम है उसका..''

काजल ने सपाट चेहरे से उत्तर दिया : "नही...कोई था ही नही तो नाम किसका बताऊ ..''

बेचारा केशव अपना सा मुँह लेकर रह गया.

वैसे इन बातो का कोई मतलब नही था...दोनो भाई बहन ने आज से पहले कभी इस विषय पर बात नही की थी...उन्हे थोड़ा अटपटा भी लग रहा था...पर मज़ा भी बहुत आ रहा था...ख़ासकर काजल को..वो तो समझ चुकी थी की इस गेम के ज़रिए वो आज सब कुछ उगलवा लेगी केशव से..जो वो हमेशा से उससे पूछना चाहती थी..पर शरम के मारे कभी पूछने की हिम्मत ही नही हुई.

काजल : "अब मेरी बारी...अब ये बताओ...सारिका के साथ तुमने क्या -2 किया है..''

ये उसकी ब्लाइंड थी..

केशव (झल्लाकर) : "आप भी ना दीदी...ये कैसे सवाल पूछ रही है...मुझे शर्म आ रही है..''

काजल : "एक लड़का होकर भी तू ऐसे शरमा रहा है...रहने दे..मुझे नही खेलनी ये गेम शेम ..तू जा अपने कमरे में ..मुझे वैसे भी नींद आ रही है..''

ये तो जैसे उसके स्वाभिमान पर चोट कर दी थी काजल ने...वो एकदम से तैश मे आकर बोला : "मुझे कोई शरम-वरम नही आती ...ये तो तुम्हारा लिहाज कर रहा हू..वरना मुझे ये बाते बताने मे कोई फ़र्क नही पड़ता..''

काजल (चटखारे लेते हुए) : "तो बता ना...चुप क्यों है अभी तक...बोल, क्या-2 किया है तुम दोनो ने अभी तक..''

काजल फुल टू मूड में आ चुकी थी अब तक...और शायद ये भी भूल चुकी थी की वो क्या पूछ रही है और किससे...

केशव : "हमने....वो किस्सस वगैरह ...हग्स....उम्म.....एंड फकिंग भी ....''
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#17
लास्ट का वर्ड यानी फकिंग सुनते ही काजल एकदम से सुलग कर रह गयी...दो साल पहले तक, जब तक दोनो की दोस्ती थी, उन्होने यही डिसाईड किया था की अपनी शादी से पहले किसी को भी वो सब नही करने देंगी...पर ये सारिका कितनी चालू निकली...इन दो सालो मे वो कितनी बदल गयी है...कहाँ से कहाँ पहुँच गयी...अपना वादा तोड़ दिया...और चुदवा भी ली...और वो भी उसके खुद के भाई से...

काजल को गुस्सा तो बहुत आया..पर वो कर भी क्या सकती थी...उसकी अपनी लाइफ थी..वो जैसे चाहे , वैसे चलाए...वो बेकार मे ही गुस्सा करके अपना खून जला रही है.
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