03-02-2020, 12:36 PM
Shaandar !!
Romance मोहे रंग दे
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03-02-2020, 05:09 PM
बड़ी सफाई से लोटा मजवाने की इजाजत ले ली सासु मां से भी। अब तो सारे पत्ते अपने हाथ में है।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
03-02-2020, 07:33 PM
03-02-2020, 07:36 PM
05-02-2020, 07:12 AM
Bahut badhiya
06-02-2020, 07:21 AM
06-02-2020, 07:22 AM
Next post now....
06-02-2020, 07:36 AM
(This post was last modified: 06-02-2020, 07:39 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
देवर , पकौड़ियाँ ...और
परसों रात उन के साथ , ... सोने का सवाल नहीं था। और कल रात , उन के बिना नींद नहीं आयी। तो इस समय कस के देर तक , ... और जब नींद खुली तो शाम होगयी थी , बल्कि रात , जेठानी जी मुझे चाय ले कर जगा रही थीं , सासु जी अपने कमरे में चली गयी थी। ' दी , मुझे जगा दी होतीं , मैं बना देती न " उलाहने के साथ मैं बोली। पर मेरी जेठानी न , एकदम , ... मेरा गाल सहलाते बोलीं , " यार सो ले कुछ दिन , ... अभी तो तेरा सोने का ओवरटाइम चलना चाहिए , कुछ दिन बाद मेरा देवर आएगा न , फिर न वो तुझे रात में सोने देगा न दिन में। " जेठानी को कौन समझाये , उनके न रहने पर भी तो नींद नहीं आती। मेरी और जेठानी की चाय के साथ गप्प चालू हो गयी , सीरयल , फ़िल्में और हम दोनों की कॉमन और मोस्ट इंट्रेस्टिंग टॉपिक , ननदें ,... जाड़े की शाम , ... बस जेठानी जी ने पकौड़ियों का प्रस्ताव रख दिया , और हम दोनों किचेन में , मैं बेसन घोल रही थी , वो आलू प्याज काट रही थीं , मुझे मालूम था , उनका फोन आज नहीं आएगा , ... पर निगाह बार बार फोन पर पड़ रही थी , .. एक दो बार मैंने चेक भी किया कहीं साइलेंट मोड में तो नहीं है , फिर काम में लग गयी। कुछ देर बाद जेठानी ने चिढ़ाया भी , ... क्या हुआ आज घण्टी नहीं बज रही है , कहीं डिस्चार्ज तो नहीं हो गया , ... एक बार चेक कर लो ,... मैं मूढ़ , मैंने चेक भी किया , ... फोन पूरा चार्ज था। लेकिन उसी समय फोन की घंटी बज उठी , मैं जानती थी उनका फोन नहीं होगा , अनमने मन से फोन उठाया , और नंबर देखकर स्पीकर फोन ऑन कर दिया , मेरा देवर , अनुज , गुड्डी का भाई " क्या हो रहा है भाभी , ... " उधर से अनुज की आवाज आयी। " पकौड़ियाँ बन रही हैं , खानी है " मैंने हँसते हुए उसे चिढ़ाया। " एकदम नेकी और पूछ पूछ , ... अभी उड़ कर पहुँच रहा हूँ " वो बोला। " लालची , ... भाभी से मिलने के लिए नहीं पकौड़ी खाने के लिए , ... आ रहे हो " जेठानी ने उसे और रगड़ा। " शनिवार को तो आया था , ... " धीमे से वो बोला , और अबकी उसे मेरी डांट पड़ गयी। " शनिवार ,... आज सोमवार है हुज़ूर , पूरे दो दिन हो गए थे , और उस दिन भी मेरी ननद , गुड्डी रानी को लाने आये थे , ... " मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया , अपने माल को ,... माल तो है ही वो , और जबरदस्त माल है , लेकिन मेरे उनकी ,... और आज तो सास जी ने भी मोहर लगा दी " बस भाभी अभी पहुंचता हूँ , ... " बेचारे से कोई बहाना नहीं बनाया गया। बात तो ठीक ही थी , जब तक गुड्डो थी , रोज बिना नागा चक्कर लगता था। " जल्दी आओ , पहले तो तेरे कान का पान बनाउंगी , नाक रगड़वाउंगी , तब पकौड़ी मिलेगी। " लगता था बाहर ही खड़ा था , पांच को कौन कहे दो मिनट में पहुँच गया। " बस भाभी अभी पहुंचता हूँ , ... " बेचारे से कोई बहाना नहीं बनाया गया। बात तो ठीक ही थी , जब तक गुड्डो थी , रोज बिना नागा चक्कर लगता था। " जल्दी आओ , पहले तो तेरे कान का पान बनाउंगी , नाक रगड़वाउंगी , तब पकौड़ी मिलेगी। " लगता था बाहर ही खड़ा था , पांच को कौन कहे दो मिनट में पहुँच गया। दो दो भौजाइयों के बीच में एक किशोर देवर , जम के रगड़ाई की मैंने और जेठानी जी ने , गरम गरम पकौड़ियों के साथ गरम गरम बातें , ... और आधे घंटे बाद जब वो लौटा तो मैं दरवाजे तक छोड़ने गयी , पर वो चिपकू , दरवाजे पर खड़े खड़े आधे घंटे मुझसे बातें की , ... किचेन में खाना बनाने में भी जेठानी जी का मैंने साथ दिया , आज जेठानी जी को जल्दी थी , जेठ जी आने वाले थे। वो थे सेल्स में इसलिए पन्दरह बीस दिन बाहर ही रहते थे , ... पर आज आ रहे थे और मैं जेठानी जी को खूब छेड़ रही थी।
06-02-2020, 07:51 AM
रात , नागिन सी
रोज की तरह आज भी मैं कमरे में नौ बजे पहुँच गयी , पर आज , पता नहीं क्यों ,.... जब वो इस कमरे में रहते थे , तो मैं दौड़ती हुयी सीढियाँ चढ़ती थी , ... एक एक बार में दो दो सीढ़ी , आलमोस्ट छलांगे लगाते ,... बाद में तो मुझे इस बात की भी परवाह भी नहीं रहती थी कि सासू जी और जेठानी इस तरह मुझे सीढिया लांघते चढ़ते देख रही हैं , ... जहाँ दो तीन मिनट लगते थे , ... आज पूरे दस मिनट लगे मुझे कमरे में पहुँचने में, ... और कमरे में पहुंचकर तो मेरा माथा घूम गया , वो रहते थे तो , बस मैं झट से घूम के दरवाजे में सिटकनी अच्छी तरह लगा देती थी , और फिर घूम कर , ... वहीँ दरवाजे पर खड़ी ,खड़ी उन्हें ललचाते, दिखाते , उकसाते , अपनी साड़ी दरवाजे के पास ही खड़ी खड़ी उतार कर उनकी ओर फेंक देती , वो नदीदा , बेसबरा , लालची , ... जैसे बच्चे दुकान के बाहर से खड़े होकर शीशे की बॉटल में रखे कैंडी देखते हैं , ललचाते , लार टपकाते , बस उसी तरह , और मैं कभी झुक कर , कभी उचका कर , कभी और उभार कर , अपने जुबना का जादू , उस जादूगर पर चलाती थी , कभी मुझे इतना टाइम मिल जाता था की बाथरूम में जा के नाइटी चेंज कर लूँ , लेकिन कभी वहीँ , सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में वो मुझे गपुच लेता था , और वो कपड़ों का दुश्मन , पल भर में हम दोनों रजाई में होते , ... और कपडे फर्श पर। सच में हम दोनों के बीच किसी और का क्या काम , चाहे वो कपडे ही क्यों न हो , पर आज , ... किसे चिढाऊँ , छेड़ूँ , ... सामने सूनी सेज पड़ी थी , ... न मैंने सिटकनी बंद की , न साड़ी बदली , बस धम्म से पलंग पर जा गिरी। वही पलंग जिस पर पहुँचने के लिए मैं दिन भर सपनों के ताने बाने बुनती रहती थी , मन करता था की कितनी जल्दी पहुंची , शुरू में कुछ दिन तो जेठानी ने दिन में भी हाँक कर मुझे ऊपर इनके पास भेज दिया, पर जब मेहमान चले गए , तो न इन्हे बहाने की जरूरत थी न मुझे , बस पहला मौका पाते ही सीधे इसी पलंग पर , पर आज , ये पलंग काटे खा रही थी , ... बस एक आशा थी , पलंग पर पड़ा फोन , वो आई फोन , जो ये लाये थे , ... पर ,.... मैं सूनी आँखों से फोन को देख रही थी , ... पहले लगता था जाड़े की रात इतनी छोटी क्यों होती है , और अब लग रहा था रात इतनी लम्बी क्यों होती है , उनके रहने पर रोज मैं नौ बजते बजते कमरे में पहुँच जाती थी , और अगले दिन आठ नौ बजे के पहले नहीं निकलती थी , दिन में भी दो चार घंटे तो मौका निकाल कर एक दो बार ,... आज भी मैं नौ बजे आ गयी , ... आज जेठानी जी को जल्दी थी , ... जेठ जी हफ्ते भर बाद आये थे , अपने दौरे से ,... पर अब करूँ क्या ,... फोन हाथ में लेकर उसे देखती रही , ...साढ़े नौ बज गए थे। उन्हें फोन लगाना शुरू किया पर पांच नंबर डायल करते करते रुक गयी , उन्होंने बोला था न साढ़े आठ बजे से प्रेजेंटेशन शुरू होगा , और उनका नंबर थोड़ा बाद में आएगा , और वहां फोन बंद होगा , साइलेंट मोड में भी नहीं , एकदम बंद , ... मैंने सोचा एक वायस मेसेज ही भेज दूँ , बेस्ट विशेज वाला ,... रिकार्ड भी करना शुरू किया पर रुक गयी , .... उस हाल में उन्हें मिलेगा कैसे , फिर कहीं उस लालची ने मेरे फोन की लालच में फोन बंद न किया हो तो , भूल भी सकते हैं , भुलक्कड़ तो नंबरी , ... सिवाय एक चीज़ के , ... और हाल में अगर गलती से भी फ़ोन बज गया तो सब लोगों की निगाहें उनकी ओर , ये मैं नहीं चाहती थी। मैंने फोन वापस रख दिया , ... और निहारती रही , फोन के ऊपर , वाल पेपर या क्या कहते हैं उसे , ... उनकी फोटो , कुछ नहीं हो सका तो बस उसी को उठा के चूम लिया धमकाया , " अच्छे से प्रजेंटेशन करना , बाबू। अगर अच्छी पोजीशन आयी न तो तुझे तेरी एलवल वाली गौरेया दिलवाऊंगी। एकदम पक्का। " कुछ नहीं हुआ तो बत्ती बंद कर दी , रजाई ओढ़ ली। पर नींद न आनी थी न आयी।
06-02-2020, 07:56 AM
(This post was last modified: 06-02-2020, 08:13 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बेवक़ूफ़ , पक्का , पैदायशी
कुछ नहीं हुआ तो बत्ती बंद कर दी , रजाई ओढ़ ली। पर नींद न आनी थी न आयी। पास के बैंक में कोई चौकीदार घंटा बजाता था , रात में एकदम साफ सुनाई देता था। ग्यारह का घंटा बजा , ... अभी तक मैं करवट बदल रही थी , लेकिन घंटे की आवाज सुन कर मैं मुस्करायी। जब वो रहते थे तो अब तक उन का राउंड पूरा हो चूका होता था , टाइम एकदम तय था उस दुष्ट का ९. ०० बजे मैं आती थी , ९. १० तक मैं बिस्तर पर , कपडे जमींन पर , और वो चालू , ९. ४५ तक वो मेरे अंदर , ... फिर तो वो मुझे कुचल डालता था , एकदम रगड़ रगड़ के , ... और मैं भी जैसे कोई धीमी होती आग में घी डाल दे, मैं उस एलवल वाली का नाम लेकर छेड़ देती थी , फिर तो मेरी मुसीबत , ... नान स्टॉप ,... कभी भी ४० -४५ मिनट से कम नहीं रगड़ाई होती थी मेरी , १०-३० -१०-४० वो ,... खूब देर तक ,.... मैं उसे अपने अंदर बूँद बूँद महसूस करती रहती , रोपती रहती ,... लेकिन उसके बाद भी हम दोनों एक दूसरे को भींचे , इसीलिए उस ग्यारह के घंटे की मुझे ख़ास याद थी , ... ये नहीं की हम लोग सिर्फ लव मेकिंग ही करते रहते थे , बोलते बतियाते भी थे , बहुत लेकिन अक्सर बिना बोले , सिर्फ हमारी अंगुलियां , होंठ , देह एक दूसरे से बात करती रहती थीं , एक बात उसे बहुत अच्छी लगती थी , मेरे ऊपर लेट कर सीधे मेरी आँखों में झांकना , ... बिना बोले ,... मैं लजा कर आँख कभी बंद कर लेती तो वो चिकोटी काट कर , गुदगुदी लगा कर , अपनी कसम धराकर आँख खुलवा ही लेता , यही सब सोचते सोचते आँख लग गयी पता ही नहीं चला , आज वो सपने में भी नहीं आया ,... और थोड़ी देर बाद जब आँख खुली तो मुझे लगा बहुत देर तक सो चुकी हूँ जब अपनी कलाई घडी पर निगाह डाली , ...साढ़े ग्यारह बज गए थे ,... आधे घंटे , ... एक बार फिर सोचा फोन करूं , पर ,... पता नहीं वो प्रजेंटेशन में होंगे ये सोच कर ,... बड़ी मुश्किल से आँख लगी ,... पूरी रात सात आठ बार इसी तरह सोते जागते , एक बार तो दो बजे के करीब मुझसे नहीं रहा गया , मैंने फोन कर ही दिया , लेकिन घंटी बजते ही काट दिया और और अपने को खूब गाली दी , ... दिन भर क्लास में रहा होगा वो , फिर पता नहीं कब प्रेजेंटेशन से आया होगा , सुबह उठाना पड़ता है साढ़े छह बजे , आठ बजे से क्लास , ... थोड़ी देर तो सो लेने दो ,... मैं भी न सिर्फ अपना सोचती हूँ , ... चार बजे , पौने पांच बजे , साढ़े पांच ,.... मैं उठती थी , देर तक फोन लिए रहती थी , और रख देती थी . साढ़े पांच बजे जाकर थोड़ी नींद लगी और साढ़े छह बजे फोन घनघनाया , ... इन्ही का फोन था , मुझे बस रुलाई आ गयी। घंटी घनघनाती रही , मैं फोन देखती रही , फिर मैं हड़बड़ाकर , ... कैसी पागल हूँ मैं , रात भर ,... इसी फोन के लिए और उनकी आवाज , बस मैं सुनती रही , सुनती रही , ... बड़ी मुश्किल से आवाज मेरी निकली , " प्रेजेंटेशन कैसा हुआ , ... " " बहुत अच्छा , खूब ताली बजी , पैनल ने भी खूब अप्रीशिएट किया , मेरा नंबर साढ़े ग्यारह बजे के करीब आया , ऑलमोस्ट एन्ड में , एक सवा एक बजे मैं कमरे में लौटा , ... " " और ,... " मैं समझ नहीं पा रही थी क्या बोलूं। " सोचा तुम्हे फोन करूँ , ... पर लगा तुम सो रही होगी , बहुत मन कर रहा था तुझे बताने को , ... एक बार दो बजे भी ,.... लेकिन बस मैं सोच रहा था सो लेने दो बेचारी को , ... रोज तो तुमसे बात होती है , ... आज नहीं हुयी तो नींद भी नहीं आयी रात भर , ... " वो बोल रहे थे। मेरी आँख डबडबा रही थी , मैं उन्हें रोक कर बोली , "एक बात कहनी थी , ... " " बोल न ,... " कहना तो बहुत कुछ था , पर मन से जबान की यात्रा कई बार बहुत लम्बी हो जाती है। बस मुँह से यही निकला , " अपना ख्याल रखना , ... "' लेकिन तब तक शायद इनका रूम पार्टनर जग गया था , बाहर से भी किसी के नॉक करने की आवाज आ रही थी , " हे उठ , योगा के लिए देर हो जाएगी , ... " और फोन कट गया। लेकिन मैं भी न , चुपचाप फोन देखती रही , मुस्कराती रही , सोचती रही , ये भी न एकदम बेवकूफ , असली वाले , सिर्फ पढ़ने लिखने टॉप करने से थोड़े ही बुद्धि आ जाती है , ... सच्च में ऐसा बेवकूफ लड़का , ... तभी तो इनसे आज तक एक लड़की नहीं पटी , मैंने ही आकर नथ उतारी ,... बुद्धू , एकदम असली वाला , रात भर जागते रहे और एक फोन नहीं हुआ , ... सिर्फ मेरा ख्याल कर के ,... बेवक़ूफ़ , पक्का , पैदायशी , ... मैं फोन में उनकी फोटो देख कर मुस्कराती रही , फिर झुक कर चूम लिया और उठ कर बाथरूम की ओर चल दी , फ्रेश होने। ………………….
06-02-2020, 10:55 AM
(This post was last modified: 06-02-2020, 10:57 AM by @Raviraaj. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अद्धभुत अवर्णनीय प्रेम का कैसे वर्णन कर लेती हो !!
कहानियाँ बहुत पढ़ी है,,कहानीकार,लेखक बहुत है हर तरह के ,, पर प्रेम की पीर का कोई लेखक देखा तो वो सिर्फ आप है ! तभी तो आप की कहानियों में कोई वासना नहीं दिखती,,ना आप का ये उद्देश्य होता है ! सेक्स प्रेम की एक कसौटी होती है जहाँ आप प्रेम सिर्फ सच्चे प्रेम का इतना ह्रदयस्पर्शी मार्मिक वर्णन कर देती हो,फिर जब आप उस मधुर मिलन का वर्णन करती हो तो सिर्फ प्रेम बरसता है जो वासना से इतर है,,वो एक स्वर्गिग आनदं होता है एक परम आनंद !! सिर्फ साधुवाद कहूंगा,,इस बार कोई इच्छा नहीं सिर्फ धन्यवाद कहूंगा ???? @ इसी तरह बरसती रहना,हम भीगते रहेंगे ????
06-02-2020, 01:58 PM
Simply superb...... Itna pyar......
07-02-2020, 08:58 AM
(06-02-2020, 10:55 AM)@Raviraaj Wrote: अद्धभुत अवर्णनीय प्रेम का कैसे वर्णन कर लेती हो !! एकदम , बस आप भीगने के लिए तैयार रहिये , भिगोने में मैं कोई कोर कसर नहीं बाकी रखूंगी
09-02-2020, 02:39 PM
कोमल जी सब से पहले तो प्रणाम ??
एक चीज का बहुत इंतज़ार है चूंकि ये बिल्कुल नई कहानी है तो में निवेदन कर रहा हूँ - ( बखीर ) जब सेयाँ जी वापिस आये तो जो तैयारी आप की होगी उन से मिलने के लिए क्यों ना उस मे सजनी के हाथों से ये अम्रित रूपी खीर बनें और इस का कारण जान कर सेयाँ जब सजनी की तरफ देखे तो सजनी क्या शर्माएं मत पूछो फिर वो खुद अपने हाथ से भर पेट खिलाये ओर उन का खास गिफ्ट इम्पोर्टेड फीमेल वियाग्रा तो ना नकुर करते हुए भी आप को खाना ही पड़ेगा !!"?? बस फिर उस रात को हम आप के शब्दों में जीना चाहते है उम्मीद है कोमल जी !! हालांकि आप को सुजाव देना चांद को आइना दिखाने के समान है ,पर ये गुस्ताखी माफ कर देना ??
10-02-2020, 08:31 PM
(09-02-2020, 02:39 PM)@Raviraaj Wrote: कोमल जी सब से पहले तो प्रणाम ?? एकदम , सोलहवां सावन में इसका जिक्र था , और भी कई कहानियों में , गन्ने का रस और पुराना चावल ,... चलिए आपने याद दिलाया तो अगर अभी नहीं , ... तो कभी न कभी उसका जिक्र आएगा , ...जरूर आएगा , कई बार कहानियां अपना रास्ता खुद बनाने लगती हैं , और तब लगता है कहानी जवान हो गयी है , लिखने वाली से भी ज्यादा , ... ये कहानी भी अब धीरे धीरे अपने उसी जोबन की ओर बढ़ रही है , ... पर आपका सुझाव सर आँखों पर , जरूर कोशिश करुँगी।
10-02-2020, 08:38 PM
वियोग के , विरह के प्रसंग लिखना शायद ज्यादा कठिन होता है , ...पर मेरे लिखे यह भी जीवन का अंग है , बिना वियोग के संयोग भी शायद अधूरा है , ' फागुन के दिन चार ' में करन और रीत का विरह का प्रसंग , ... और कहानी का अंत जो मैंने भी नहीं सोचा था , दो मुख्य पात्र , हाथ में फोन लिए , ... बिन बोले सिर्फ आँखों में आंसू ,... लेकिन विरह के बाद छेड़ छाड़ भी आती है , मिलन भी ,... विरह लेकिन नितांत वैयक्तिक होता है , खुद का भोगा ,... और इन पलों को भी इन पोस्ट्स में मैं आपके साथ शेयर कर रही हूँ ,
10-02-2020, 08:41 PM
Next post will take a new turn , an interesting and exciting turn ,..just wait
10-02-2020, 08:53 PM
(This post was last modified: 10-02-2020, 10:07 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तीन तितलियाँ
अगले दिन शाम को तीनों तितलियाँ , उछलती कूदती , उड़ती , शाम को चार बजे कॉलेज से सीधे मेरे कमरे में , ... उनका कॉलेज गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज एकदम हम लोगों के घर के पास ही था , बस बगल वाली सड़क पे , ... ऊपर वाले जिस कमरे में मैं रहती थी , उसके छत के एक कोने से तो कॉलेज का गेट तक दिखता था , सुबह शाम जितनी तितलियाँ उससे ज्यादा भौंरे , ... वैसे तो इस समय , इन तितलियों को नीचे मेरी जेठानी ही दबोच लेतीं , खिलती हुयी कच्ची कलियाँ किसे नहीं पसंद होतीं , और फिर मैं भी उनके साथ होती , लेकिन इस हफ्ते , ... जेठानी जी और उनकी दो चार सहेलियों ने कोई बेकिंग का कोर्स ज्वाइन कर लिया था , पांच दिन का दोपहर दो बजे से शाम सात बजे तक का। और सासु जी का ये समय गहरी नींद वाला था , इस लिए मैं भी ऊपर अपने कमरे में , ... ये तो बंगलौर में अपनी ट्रेनिंग में लगे थे , ... मुझे भी नींद कहा आती ( और ये पास होते तो सोने कौन देता , और सोना चाहता भी कौन ) , मैं ' अच्छी वाली ' फ़िल्में देख रही थीं ,... इनकी संगत में ये बात मैंने और अच्छी तरह सीख ली थी , ... ' पॉर्न ' ... ये कहना एकदम गलत है की सिर्फ लड़के ही ,... असल में जो काम लड़के माना जाता है करते हैं , जब वो लड़कियां शुरू करती हैं न तो भले ही शुरू में थोड़ी हिचके , झिझकें शर्माएं , ... स्लो स्टार्टर ,.. लेकिन अगर एक बार शुरू हो जाएँ न तो बस , ... लड़कों के कान काटती हैं , .... हर चीज़ में , ... और मैंने जब उनके 'कलेक्शन ' में दर्जन भर मस्तराम देखीं वो भी छुपाकर रखी , तो बस मैं मुस्कराकर रह गयी , ... मैंने कब की , ... रीतू भाभी जब शादी में आयी में थी उसी साल , ... भइया , उन के सैंया , रात में ,... और दिन में वो नंदों के साथ , ... मैं तो उनकी फेवरिट ननद थी , इसलिए न उन्होंने मुझे न सिर्फ दिखाई पढ़ाई , ... बल्कि बोल बोल कर , पढ़वाई , ... और अगर मैं जहाँ रूकती झिझकती , वो ' सब ' ( लंड , बुर , गाँड़ चुदाई ) बोलने में , कचकचा के वो मेरे नए आये कच्चे टिकोरे , या स्कर्ट उठा कर सीधे सहेली पर , ... और दो चार दिन में तो एक्शन रिप्ले , ... लड़कों वाले पार्ट वो बोलतीं , और लड़की वाले मैं ,... फिर कॉलेज में मेरी सहलियां , ... एक को किसी लड़के ने एक एम् एम् एस भेज दिया , उसका कोई कजिन था , पहली बार मैंने वीडियो देखा था , मैं नौ में थी उस समय , ... लेकिन यहाँ आने पर , ... जब में समझ गयी ' ये सब ' इन्हे अच्छा लगता है , पर बस ' अच्छे बच्चे वाले इमेज का चक्कर ' ,... लेकिन मैं तो आयी ही थी इन्हे "अच्छे से बुरा बनाने ",... बस थोड़ा सा मैं इनके रंग में रंगी और ज्यादा ये मेरे रंग में रंगे , ... अब तो हम दोनों खुल के , मिल के ,... इंटरनेट के तो ये मास्टर थे , और इन्होने बहोत सी ' अच्छी ' वाली फ़िल्में डाउनलोड कर रखी थीं , वो सब तो मैंने ट्रांसफर कर ही लीं ,... इन्होने मुझे टॉरेंट से नीली पीली फ़िल्में डाउनलोड करना , ... जेठानी जी को भी पसंद था उनके साथ तो मैं टीवी पर सीधे , डीवीडी लगा के , ... देखने के साथ हम लोग नोट्स भी कम्पेयर करते थे , जेठजी को क्या पसंद है , और उनके देवर को क्या अच्छा लगता है और अब जब वो ट्रेनिंग के लिए गए थे तो मैंने सोचा मैं भी कम से कम थ्योरी वाली ट्रेनिंग , ... मैं समझ गयी थी उस लड़के को सेक्स में मजा बहुत आता है , ... और जितना उसे आता है , उसका चौगुना मुझे , ... और नथिंग इज प्राहिबेटेड , ... जो जो उसे अच्छा लगेगा , मुझे भी , ... और ये भी भी सीख गयी थी , की कभी कभी उसे जबरदस्ती करवाने में भी , मज़ा आता है , और अगर कहीं होली में ये ससुराल चले गए तो फिर तो उनकी सलहज , साली , ... ऐसी जबरदस्त रगड़ाई होने वाली थी इनकी , ... और सास भले थोड़ी दूर रहें लेकिन उकसाने , प्लान बनाने में सलहज से पीछे नहीं रहने वाली , ... तो मैं उस समय कन्या रस वाली एक पिक्चर देख रही थीं , एक थोड़ी वयस्क , और एक कच्ची कली , ... मेरे दिमाग में मेरी ननद की तस्वीर चल रही थी , वही दर्जा आठ वाली , गुड्डी रानी , एलवल वाली , इनकी ममेरी बहन , ... उस कच्ची कली की जगह मुझे वही दिखाई दे रही थी , .. और थिंक आफ द डेविल , ... तीनों तितलियाँ , गुड्डी रानी और उनकी दोनों सहेलियां , रेनू और लीला , ... उड़ते हुए सीधे अपने कॉलेज से मेरे कमरे में , ऊपर और मैंने झट से फिल्म बंद की और सबसे पहले लीला को गपुच लिया। सब से गदरायी वही थी , बाकी दोनों , मेरी ननदिया , गुड्डी रानी और रेनू कच्ची अमिया वाली थीं , २८ नंबर वाली तो लीला ३० नंबर साइज की , पूरे कच्चे टिकोरे , और लीला ने लील भी लिया था , और किसी का नहीं , अपने भैया का , ... ठीक राखी के दिन , और फिर बिना नागा कबड्डी ,... रेनू बाल बाल बची थी , चड्ढी खुल गयी थी , लेकिन ऐन मौके पर , ... मैंने बहुत पहले समझ लिया था , ननद भौजाई में दुआ सलाम , नमस्ते , हाथ मिला कर नहीं होती गले मिल कर होती है और वो भी मेरी भौजी के स्टाइल में , सीधे मेरे होंठ लीला के होंठों पर , और हाथ जोबन पर अच्छे खासे गदरा रहे थे , इस उम्र की लड़की के लिए ,... मैं हलके हलके मसल रही थी और तिरछी निगाह से गुड्डी की ओर देख रही थी , उसपर क्या असर हो रहा था , साथ में मेरे होंठ भी उस की सहेली लीला के होंठ से चिपक गए , और मेरी जीभ अंदर , ... और जब मैंने जीभ निकाली तो लीला को चिढ़ाती बोली , " क्यों ननद रानी , कल लीला की नहीं। "
10-02-2020, 10:33 PM
लीला, रेनू
सीधे मेरे होंठ लीला के होंठों पर , और हाथ जोबन पर अच्छे खासे गदरा रहे थे , इस उम्र की लड़की के लिए ,... मैं हलके हलके मसल रही थी और तिरछी निगाह से गुड्डी की ओर देख रही थी , उसपर क्या असर हो रहा था , साथ में मेरे होंठ भी उस की सहेली लीला के होंठ से चिपक गए , और मेरी जीभ अंदर , ... और जब मैंने जीभ निकाली तो लीला को चिढ़ाती बोली , " क्यों ननद रानी , कल लीला की नहीं। " जवाब उसकी सहेली रेनू ने खिलखिलाते हुए दिया , " अरे भाभी , लीला का नाम ही लीला है , तो क्यों नहीं लीलेगी। " और अब मैंने रेनू को अपनी बाँहों में दबोच लिया और हलके से उसके मालपुआ ऐसे मुलायम गाल काटते मैंने पूछा , " और तुम सब छिनार कल क्यों नहीं आयी , किसी लौंडे के साथ सेटिंग हो गयी थी क्या , धक्के पर धक्के लगवा रही थी। " " अरे भाभी , ... ऐसा हो जाता तो क्या कहना था , चेक कर लीजिए अभी भी सील पैक है " हँसते हुए रेनू बोली। मेरा एक हाथ उसकी कच्ची अमिया पर और दूसरा स्कर्ट के सकी गुलाबो को मैं रगड़ मसल रही थी लेकिन मेरे मन में रेनू ने मुझे जो पूरी कहानी बतायी थी , पिक्चर की तरह घूम रही थी , कुछ दिन पहले वो शादी में कहीं गयी थी , वहीँ उसके एक कजिन ने , ... रात में छत पर , इस ने अपने शलवार खोल दी थी , एकदम ,.. उसके कजिन ने भी सटा दिया था , एक धक्का और भरतपुर लुट जाता पर , छत पर कोई आ गया था , इसलिए ,... ये बात रेनू ने नहीं लीला ने बताई थी , गुड्डी और रेनू दोनों के सामने। लेकिन असली बात रेनू ने मुझे बताई घर जाते जाते , जब मैंने उसे मस्तराम की किताबें पकड़ायी थी , असल में वो लड़का ही ,... मुश्किल से तर्जनी ऐसा , मोटाई भी ऊँगली सी , ... और छत पर जब दुबारा मौका मिला भी तो उसका , ... खड़ा ही नहीं हुआ , इतना घबड़ाया था ,... वो और मेरी ननद , बेचारे कुँवारी की कुँवारी रह गयी। और उसी समय से मेरे मन में , ... फिर अनुज भी आया उस दिन , ... वो गुड्डो के जाने के बाद से एकदम उपवास पर ,... मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा भी ,... क्यों कोई और चिड़िया मिली , .. मेरे मन मन में रेनू ही ,थी एक बार उस की भी फट जाय न , ... गुड्डी की दो सहेलियां , दोनों अगर चारा घोंटने लगेंगी तो उसे पटाने में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी , फिर रेनू मेरा साथ भी देगी , मेरी हर प्लानिंग में " चल यार कोई बात नहीं , इसी हफ्ते तेरी फड़वा देती हूँ , " चड्डी के अंदर ऊँगली डाल कर रगड़ते मैंने उसे चिढ़ाया। उय्य्यी उईईईईईई जोर से उसने सिसकी भरी , पर बोली " अरे भौजी आपके मुंह में गुड़ घी , भौजी हो तो हमारी भौजी ऐसी। " मेरी ऊँगली अभी भी उसकी दरार रगड़ रही थी की लीला ने बोला , " भाभी है , कौन " " अरे आम खाने से मतलब की पेड़ गिनने से , ... मैंने बोल दिया की तेरी सहेली की फट जायेगी तो फट जाएगी ,... हफ्ते भर के अंदर , ... " मैं स्कर्ट से ऊँगली निकालते हुए बोली। गुड्डी थोड़ी दूर थी , मैंने रेनू और लीला से फुसफुसाते हुए कहा , " यार तू दोनों तो मेरी बिरादरी में आ आ जाओगी , लेकिन ये तेरी सहेली , ये कब तक ऐसे बची रहेगी , ... " दोनों जोर से खिलखिलायीं ,हँसते हुए बोली , " भाभी , इसके लिए तो आप को ही कुछ करना होगा , ... " " लेकिन तुम दोनों को मेरा साथ देना होगा , पूरी तरह ,... " मैंने अपना जाल फेंका , बिना इन दोनों के गुड्डी रानी का मन बदलना मुश्किल था। " एकदम भाभी , .... ये सीधे से नहीं मानेगी तो जबरदस्ती " दोनों अबकी एक साथ और जोर से बोलीं , और मैंने उन दोनों को छोड़ के गुड्डी को अपनी बाँहों में भींच लिया। " क्यों ननद रानी , बोल तेरी बुलबुल कब चारा घोंटेंगी , लीला ने लील लिया है , रेनू का तो इसी हफ्ते फीता कट जाएगा , तू भी करवा ले न वरना कहेगी की भाभी और मेरी सहेलियां तो रोज,... बिना नागा ,... और मेरी चिड़िया भूखी प्यासी बैठी है , बोल कोई हो तो बता दे वरना मैं ही कोई तेरी सेटिंग करा दूँ , ... " |
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