Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
02-02-2019, 09:50 AM
(This post was last modified: 02-02-2019, 09:51 AM by Rocksanna999. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
आपका बहुत बहुत शुक्रिया jaunpur जी जो आपने मुझ जैसे छोटे लेखक की कहानी पर आकर सम्मान दिया। माफी चाहता हूं jaunpur जी लेकिन आपको इसतरह से कहानी को पोस्ट नहीं करना चाहिए था। इस कहानी को मैं पूरा ज़रूर करता लेकिन उसी अंदाज में जिस अंदाज में मैंने लिखा था। आपने मेरी इस कहानी से जितनी भी उम्मीद थी रीडर्स को लेकर सब खत्म कर दी। क्या आपको पोस्ट करने से पहले मुझसे नहीं पूछना चाहिए था। जब कि kamdev जी ने मुझे ये कहानी का पिछला अंक दे दिया था , यदि इस तरह से मुझे इस कहानी को यहां पेश करना होता तो पहले ही कर देता।
अब मुझे मेरी इस कहानी वे हर अपडेट पर रेडर्स की प्रक्रिया का भान भी नही है। और अब इस कहानी को मुझे बेमन से पूरा करना पड़ेगा। क्योंकि ये कहानी मेरी है तो जाहिर है अधूरी तो नही रहेगी। लेकिन आप जैसे दिग्गज लेखक से किसी दूसरे लेखक की भावनाओं को इस तरह से ठेस पहुंचाने की उम्मीद तो कोई भी नहीं कर सकता।
मानता हूं में कोई अच्छा लेखक नहीं हूं लेकिन फिर भी हर कहानी से उसके लेखक की कुछ उम्मीद तो होती है।
Kya koi aapki kahani ke saath is trh se kare to aapko accha lagega...
•
Posts: 322
Threads: 4
Likes Received: 62 in 59 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
3
•
Posts: 1,592
Threads: 32
Likes Received: 1,511 in 635 posts
Likes Given: 122
Joined: Nov 2018
Reputation:
113
Jaunapur. Was over enthusiastic....
•
Posts: 1,592
Threads: 32
Likes Received: 1,511 in 635 posts
Likes Given: 122
Joined: Nov 2018
Reputation:
113
Rocksanna. Dear
आप please अपने हिसाब से कहानी आगे बढ़ाये
•
Posts: 666
Threads: 3
Likes Received: 306 in 232 posts
Likes Given: 2
Joined: Jan 2019
Reputation:
11
(02-02-2019, 09:50 AM)Rocksanna999 Wrote: आपका बहुत बहुत शुक्रिया jaunpur जी जो आपने मुझ जैसे छोटे लेखक की कहानी पर आकर सम्मान दिया। माफी चाहता हूं jaunpur जी लेकिन आपको इसतरह से कहानी को पोस्ट नहीं करना चाहिए था। इस कहानी को मैं पूरा ज़रूर करता लेकिन उसी अंदाज में जिस अंदाज में मैंने लिखा था। आपने मेरी इस कहानी से जितनी भी उम्मीद थी रीडर्स को लेकर सब खत्म कर दी। क्या आपको पोस्ट करने से पहले मुझसे नहीं पूछना चाहिए था। जब कि kamdev जी ने मुझे ये कहानी का पिछला अंक दे दिया था , यदि इस तरह से मुझे इस कहानी को यहां पेश करना होता तो पहले ही कर देता।
अब मुझे मेरी इस कहानी वे हर अपडेट पर रेडर्स की प्रक्रिया का भान भी नही है। और अब इस कहानी को मुझे बेमन से पूरा करना पड़ेगा। क्योंकि ये कहानी मेरी है तो जाहिर है अधूरी तो नही रहेगी। लेकिन आप जैसे दिग्गज लेखक से किसी दूसरे लेखक की भावनाओं को इस तरह से ठेस पहुंचाने की उम्मीद तो कोई भी नहीं कर सकता।
मानता हूं में कोई अच्छा लेखक नहीं हूं लेकिन फिर भी हर कहानी से उसके लेखक की कुछ उम्मीद तो होती है।
Kya koi aapki kahani ke saath is trh se kare to aapko accha lagega...
.
You asked for old updates, so i posted it. now you are over reacting. if u didn't wanted, could have PM me to delete.
I don't have any interest in posting here. it was to to help you.
eek to help mangte ho, phir is trh react karte ho.
tell me what you want?? should I delete the post??
thanks.
•
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
माफी चाहता हूँ जौनपुर जी मेरी बात रियेक्ट को अदर वाइज़ मत लेना। मैंने आपसे हेल्प मांगी थी। काम से कम आप मुझे ये तो बताते की आपके पास बैकअप है। फिर आप मुझे मेल कर देते। ज़रा सोच कर देखिए। क्या आपका इस तरह से कहानी को पब्लिकली पोस्ट करना सही है। मैं कोई नेगेटिव रिएक्शन नही दे रहा। फिर भी अगर आपको मेरे व्यवहार से ठेस पहुंची हुई तो माफ करना। मेरा बस यही कहना है कि आपको कहानी का बैकअप पब्लिकली पोस्ट नही करके मुझे मेल करना चाहिए था। अब की ज़रूरत नहीं है पोस्ट डिलीट करने की। बहुत जल्द कहानी के आगामी अपडेट पोस्ट करूँगा।। आपका बहुत बहुत शुक्रिया । मेरी गुस्ताखी के लिए माफ करना।
•
Posts: 666
Threads: 3
Likes Received: 306 in 232 posts
Likes Given: 2
Joined: Jan 2019
Reputation:
11
(03-02-2019, 04:26 PM)Rocksanna999 Wrote: माफी चाहता हूँ जौनपुर जी मेरी बात रियेक्ट को अदर वाइज़ मत लेना। मैंने आपसे हेल्प मांगी थी। काम से कम आप मुझे ये तो बताते की आपके पास बैकअप है। फिर आप मुझे मेल कर देते। ज़रा सोच कर देखिए। क्या आपका इस तरह से कहानी को पब्लिकली पोस्ट करना सही है। मैं कोई नेगेटिव रिएक्शन नही दे रहा। फिर भी अगर आपको मेरे व्यवहार से ठेस पहुंची हुई तो माफ करना। मेरा बस यही कहना है कि आपको कहानी का बैकअप पब्लिकली पोस्ट नही करके मुझे मेल करना चाहिए था। अब की ज़रूरत नहीं है पोस्ट डिलीट करने की। बहुत जल्द कहानी के आगामी अपडेट पोस्ट करूँगा।। आपका बहुत बहुत शुक्रिया । मेरी गुस्ताखी के लिए माफ करना।
मुझे जो सही लगा था, वही किया था। सिर्फ इसलिये की मुझे आगे की कहानी में रुचि थी। इसी तरह के रिएक्सन की वजह से, मैं अब किसी की रेक्वेस्ट पर ध्यान नहीं देता। न तो किसी कि हेल्प करने की कोशिश करता हूँ। इसी तरह से सभी कहते हैं की ऐसे नहीं ऐसे करना चाहिये था, जिस तरह आपने किया वह तरीका गलत है।
धन्यवाद
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
(03-02-2019, 11:28 PM)jaunpur Wrote: मुझे जो सही लगा था, वही किया था। सिर्फ इसलिये की मुझे आगे की कहानी में रुचि थी। इसी तरह के रिएक्सन की वजह से, मैं अब किसी की रेक्वेस्ट पर ध्यान नहीं देता। न तो किसी कि हेल्प करने की कोशिश करता हूँ। इसी तरह से सभी कहते हैं की ऐसे नहीं ऐसे करना चाहिये था, जिस तरह आपने किया वह तरीका गलत है।
धन्यवाद
Thank you jaunpur ji...
Mei aapke dawara ki gyi madad ke liye shukr gujaar hu... Saath hi apni kahani ko lekar aapke prti ki gayi meri pratikriya ko lekar sharminda bhi hun.... Maaf kijiyega...
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
I Thinks the best response will be to restart the story with Pics and all.... lets forget the past and enjoy the story...things happen ...let us move forward ....Jaunpur Ji has always been a great help to all writers and that i can say with my personal experience ....once the issue has been resolved let the story unroll and i am sure Komal has an important and interesting role in this story
•
Posts: 1,251
Threads: 3
Likes Received: 437 in 328 posts
Likes Given: 11,458
Joined: Nov 2018
Reputation:
16
04-02-2019, 09:12 AM
(This post was last modified: 04-02-2019, 09:14 AM by kamdev99008. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(02-02-2019, 09:50 AM)Rocksanna999 Wrote: आपका बहुत बहुत शुक्रिया jaunpur जी जो आपने मुझ जैसे छोटे लेखक की कहानी पर आकर सम्मान दिया। माफी चाहता हूं jaunpur जी लेकिन आपको इसतरह से कहानी को पोस्ट नहीं करना चाहिए था। इस कहानी को मैं पूरा ज़रूर करता लेकिन उसी अंदाज में जिस अंदाज में मैंने लिखा था। आपने मेरी इस कहानी से जितनी भी उम्मीद थी रीडर्स को लेकर सब खत्म कर दी। क्या आपको पोस्ट करने से पहले मुझसे नहीं पूछना चाहिए था। जब कि kamdev जी ने मुझे ये कहानी का पिछला अंक दे दिया था , यदि इस तरह से मुझे इस कहानी को यहां पेश करना होता तो पहले ही कर देता।
अब मुझे मेरी इस कहानी वे हर अपडेट पर रेडर्स की प्रक्रिया का भान भी नही है। और अब इस कहानी को मुझे बेमन से पूरा करना पड़ेगा। क्योंकि ये कहानी मेरी है तो जाहिर है अधूरी तो नही रहेगी। लेकिन आप जैसे दिग्गज लेखक से किसी दूसरे लेखक की भावनाओं को इस तरह से ठेस पहुंचाने की उम्मीद तो कोई भी नहीं कर सकता।
मानता हूं में कोई अच्छा लेखक नहीं हूं लेकिन फिर भी हर कहानी से उसके लेखक की कुछ उम्मीद तो होती है।
Kya koi aapki kahani ke saath is trh se kare to aapko accha lagega...
bhai naraj mat ho..... ap achchhe lekhak hain .... isiliye to jaunpur bhai ne.... apki kahani ko jaldi track par lane ke chakkar me ek sath repost kar diya.... sabr to humse bhi nahi ho raha... naye updates ka intzar karne ka....
jahan tak apki narajgi.... readers ke views reviews ki hai to ... yahan readers 90% purane xossipians hi hain.... jo is kahani ke age badhne ka intzar kar rahe hain....
so plz calm down ... and step forward....continue
waiting for next
•
Posts: 193
Threads: 3
Likes Received: 14 in 14 posts
Likes Given: 0
Joined: Nov 2018
Reputation:
6
एक दम मस्त , इससे बेहतर आपकी स्टोरी के लिए कोई और शब्द नहीं हो सकता । बहुत बढ़िया लिखतें रहें
•
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
अपडेट - 3
राज़ और उसके पापा को घर से निकले अभी आधा घंटा भी नही हुआ था कि एक बार फिर से बारिश होने लगती है। इस बार सुबह से भी ज्यादा तेज... राज के पापा को लगता है कि ऐसी बारिश मैं आगे बढ़ना ठीक नही लेकिन अब यहां रुक भी तो नही सकते हम लोग शहर से बाहर आ गये है। राज़ के पापा अभी ये सब विचार कर ही रहे थे कि अचानक से बारिश कम हो जाती है। राज़ के पापा अपनी स्पीड बढ़ा लेते है। राज़ की नज़र खिड़की से बाहर की तरफ थी। जब अचानक से राज़ गाड़ी की स्पीड बढ़ते देखता है तो वो सामने नज़र करत है। राज़ एकदम से चोंक जाता है। फिर राज़ पीछे नज़र करता करता। पीछे की और देख कर तो राज़ और भी बुरी तरह से डर जाता है।
अब आगे.......
राज़: पापा?
गिरधारी: हम्म
राज़: पापा
गिरधारी अपनी स्पीड कम करते हुए
गिरधारी: क्या बात है बेटा?
राज़: पाप हमारी गाड़ी के सामने बारिश कम है और साइड में तो बहुत तेज है।
गिरधारी एक बार तो ये सुन कर चोंक जाता है लेकिन फिर अगले ही पल खुद को संभालते हुए।
गिरधारी: बेटा कई बार ऐसा होता है। कई बार तो पूरी दोपहर में जब धूप रहती है तब भी बारिश हो जाती है जिसे हम बिन बादल बरसात भी कहते है ।
राज़: लेकिन पापा हमारी गाड़ी के पीछे भी ऐसी ही बारिश हो रही है तेज।
गिरधारी खुद डरा हुआ था जब उसने ये मंज़र देखा तो अब गिरधारी और कुछ भी नही देखना चाहता था।
गिरधारी:तुम डरो मत बेटा मैं हूँ ना।
राज़ गिरधारी की बात सुनकर कुछ नहीं बोलता।
गिरधारी खुद इतना डर हुआ था कि उसके हाथ ड्राइविंग करते हुए काँप रहे थे।
राज़ समझ गया था कि उसके पापा डर रहे है। राज़ ने जब अपनें पापा को डर से कांपते हुए देखा तो राज़ खुद डर के मारे कांपने लगा।
गिरधारी ने एक नज़र राज़ पर डाली तो राज़ को डर से कांप कर सिमटते हुए देखा।
गिरधारी इस बरसात के बारे में सोच रहा था। वो मन ही मन विचार कर रहा था की जिस तरह से सुबह बरसात का होना। हमारे निकलने के थोड़ा सा पहले आसमान बिल्कुल साफ और जब हम घर से थोड़ा दूर निकल आये तो फिर से बरसात। और अब ये बरसात सिर्फ हमारी कार पर हल्की हल्की हो रही बाकियों पर तो जैसे कहर बरस रहा हो। कहीं ये सब राज़ को वहां ले जाने के कारण तो नही हो रहा। नहीं नहीं राज़ तो अभी बच्चा है। उसका और इस मौसम का एक दूसरे से कोई लेना देना नही है पता नही मैं भी क्या सोचने लगे गया हूँ। लेकिन ये जो सब कुछ हो रहा है ये भी तो नार्मल नहीं है ना। ओह गॉड क्या करूँ मैं अकेला ऊपर से मेरे साथ मेरा मासूम बच्चा ठीक से डर भी जाहिर करूँ तो किस से करूँ।
इसी तरह डर डर कर गिरधारी पूरे 4- 4.5 घंटे की ड्राविंग के बाद राज़ की नानी के घर पहुंच गया। अपने सास के घर पहुंच कर राज़ के पापा काफी खुश थे ।
और अब बरसात भी हल्की हो गयी थी।
दिन के यही कोई 4 या 4.15 का समय होगा लेकिन बारीश के बादल अभी भी थे जिनके कारण ऐसा लग रहा था जैसे शाम के 7 बजे हो।
राज़ के पाप मुश्किल से 30 मिनट राज़ के पास उसकी नानी के घर रुके होंगे कि उन्होंने फिर से घर लौटने के लिए गाड़ी चालू की और चल दिये घर को।
राज़ अपनी नानी के पैर वगैरा छू कर आराम से खाट पर बैठ गया।
हालांकि राज के लिए अपनी नानी का घर कोई नई बात तो नही थी लेकिन फिर भी अभी वो बच्चा ही तो है। कुछ दिन तो अटपटा लगेगा ही।
अभी राज को कोई 1.30 घंटा भी नही हुआ था कि कुछ बच्चे भागते हुए राज़ के सामने आ गए।
सभी बच्चे भाग कर राज़ की नानी के घर में छिप गए। उन सभी बच्चों के पीछे एक काले रंग का आदमी दौड़ता हुआ आ रहा था जिसके हाथ में एक हाथ बड़ा गन्ने का टुकड़ा भी था। जिसने सफेद मैली सी धोती और बाजू वाली बनियान पहन रखी थी, जिसके सामने की तरफ ठीक नाभि और सीने के बीच मे एक जेब बनी हुई थी, सर पर एक फटा पुराना गमछा साफे की तरह गोल बांध रखा था। पैरों कोई चप्पल नही थी।
बच्चे तो सभी भाग कर राज़ की नानी के मकान मैं छिप गये लेकिन राज़ वहीं खड़ा रहा। उस आदमी ने आते ही राज का गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ लिया। उसके इतना करते ही राज़ की नानी आ गयी।
नानी: ऐsssssss धनिया खबरदार जो मेरे नाती को हाथ भी लगाया तो तेरा हाथ उखाड़ लुंगी।
उस आदमी ने नानी की आवाज सुनते ही राज़ का कॉलर छोड़ दिया और नानी से बोला।
धनिया: पाय लागू काकी
नानी अपने हाथ में लस्सी के 2 गिलास लेकर आयी थी उसमें से एक राज़ को देते हुए,
नानी: जीता रह, ये बता तूने मेरे नाती पे हाथ कैसे डाला रे?
धनिया एक नज़र राज़ को देखते हुए
धनिया: अरे माफ कर दो काकी, ये अपने गांव के बच्चे है ना वो मेरे गन्ने के खेत से गन्ने चुरा कर ले आये बस उन्ही का पीछा कर रहा था कि आपके नाती हमारे हाथ लग गए।
नानी: अरे रे रे कलमुहे तू नन्ही जानों के पीछे पड़ा था। अरे थोड़े से गन्ने ले भी लिए तो तेरा क्या जाता है। बचपन है थोड़ी बहुत शरारत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे।
धनिया: थोड़ी बहुत अरी काकी पूरी एक क्यारी उखाड़ दिए। हमसे मांग लेते तो क्या हम मना करते?
अभी धनिया ने इतना ही कहा था कि बच्चे भी नानी के मकान से बाहर निकल कर आ गये।
उन बच्चों में से एक बच्चा जिसे सब छोटू कह कर बुलाते थे बीच में बोल पड़ा।
छोटू: झूंट बोलता है धनिया काकी, हम गन्ने मांगते है तो ये काटने को दौड़ता है । इसके पास वो फरषे जैसा कुछ है उससे हमारी नुन्नी काटने को बोलता है।
छोटू ने अभी इतना ही बोल था कि धनिया
धनिया: यही है काकी ये इधर आकर छिप गया था, अब बोल अब कहाँ जाएगा।
छोटू ने जब धनिया की ये बात सुनी तो उसे एहसास हुआ कि भावनाओं में बह कर वो सबके सामने आ गया। छोटू ने जीभ अपने दांतों के नीचे दबा कर और सर पर हाथ रख कर बोला।
छोटू: ओह तेरी मर गया अब तो
धनिया छोटू के पीछे और छोटू नानी के चारों और घूम कर नानी से बोल रहा था काकी हमे बचा लो धनिया से , ये हमारी मासूम नुन्नी काट देगा।
राज़ जब छोटू की बेवकूफी भरी बात सुनता है और हरकत देखता है तो खिलखिला कर हसने लगता है। राज़ को हंसता देख राज की नानी बहुत खुश होती है।
राज और नानी दोनों खुश थे कि धनिया ने छोटू को पकड़ लिया और छोटू का कान खींचने लगा।
नानी: ओ धनिया जाने दे बच्चा है। अरे सुन छोटू तू राज को यहाँ आस पास घुमा ला इसका मन लग जायेगा।
धनिया राज की नानी की बात सुनकर तुरंत छोटू को छोड देता है। और छोटू नानी को हां बोल कर राज को घुमाने ले जाता है जहां राज और छोटू मैं दोस्ती हो जाती है।
वही दूसरी और धनिया और नानी कोई 30-40 मिनट बात चीत करते है फिर धनिया अपने खेतों की तरफ चल देता है।
छोटू और राज भी कोई 1 घंटे बाद घर पहुंच जाते है। छोटू राज को कल आने का वादा करके चला जाता है। और राज भी नानी के पास चला जाता है।
राज बहुत खुश लग रहा था। आज राज ने अपनी ज़िन्दगी का पहला दोस्त बनाया था। छोटू... बहुत ही भोला भाला और डरपोक भी।
नानी भी राज को खुश देख कर खुश होती है।
नानी राज का बिस्तर अपने पास ही लगा लेती है दोनों का कमरा तो एक था लेकिन बिस्तर अलग अलग खटिया पर था।
सोने से पहले नानी राज़ से इधर उधर की बातें और शहर की बाते पूछती है और राज सब बात रहा था। बातों ही बातों में राज ने रास्ते में जो बारिश की घटना हुई थी उसके बारे में नानी को बता दिया। नानी ये बात सुन कर झट से बिस्तर पर बैठ गयी।
नानी ने राज से बारिश की और घर से रवाना होने की सारी घटनाएं राज से जानी। नानी अजीब सी चिंता मैं डूब गई थी।
राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था।
लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।
नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
अपडेट - 4
राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था। लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।
नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।
अब आगे....
राज: नानी, ओ नानी, सो गई क्या।
नानी अचानक से अपने ख़्यालों की दुनिया से बाहर निकल कर..
नानी: हम्म हाँ हाँ बेटा क्या हुआ?
राज: नानी दीदी बोल रही थी कि आपको बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। सुनाओ ना कोई अच्छी सी कहानी।
नानी को अपनी बेटी की बात याद आती है कि राज को जादू वादु से दूर ही रखो। पर नानी सोचती है अगर ये सब घटनाएं सच है जो राज ने बताई है तो फिर राज को इन कहानियों से दूर रखना मुश्किल है वो खुद इसे चुन लेंगी। अगर ये भी भटक गया तो। नहीं नहीं मैं ऐसा नही होने दूँगी।
नानी अभी ये सब सोच ही रही थी कि राज फिर से बोल उठता है।
राज: क्या हुआ नानी कहाँ खो गयी। खुली आँखों से सो जाती हो क्या?
नानी अपने ख़्यालों से बाहर आ जाती है ।
नानी हंसते हुए राज को जवाब देती है।
नानी: नहीं नहीं बेटा सोई नही वो क्या है ना मेरे प्यारे लाल को मैं कोनसी अच्छी कहानी सुनाऊं बस यही सोच रही थी।
राज: खुश होते हुए बोलता है तो मिली क्या?,
नानी: हाँ मिल तो गयी लेकिन तुम्हे एक वादा करना होगा।
राज: कैसा वादा नानी?
नानी: ये वादा की तुम कभी भी दादा जी के उस झोपड़े मैं नहीं जाओगे। कभी भी नहीं, और भूल कर भी नही।
राज: कुछ देर सोच कर ठीक है नानी
नानी : ठीक है तो मैं तुम्हे कहानी सुनाऊँगी लेकिन एक बात पहले ही जान लो ये कहानी सिर्फ कहानी नही है हक़ीक़त है।
राज: ठीक है फिर तो और भी मज़ा आएगा।
नानी कहानी सुनाना शुरू करती है।
"कहानी नानी की जुबानी"
नानी कहानी शुरू करती है....
बहुत साल पहले एक राजा की पुत्री थी नेत्रा।
नेत्रा बहुत ही खूबसूरत और दयालु थी।
उसने कभी किसी का बुरा नही चाहा था ना ही कभी किसी को कोई दुःख दिया था।
नेत्रा हर वक़्त बस अपने राज्य के बारे में सोचती रहती थी। उसके पिता और पति दोनों युद्ध में मारे गए।
नेत्रा का पति और उसके पिता बहुत शूरवीर थे। उन दोनों ने अपनी सेना के साथ 45 राज्यों को हरा कर अपनी राज्य सीमा में समा लिया था।
नेत्रा का पति जब तलवार चलाता था तो ऐसा लगता था जैसे कहीं से बिजली गिर रही हो।
और जब नेत्रा का पिता तलवार चलाता था तो साँय साँय की तूफान जैसी आवाज गूंज उठती थी। नेत्रा ने अपने पिता और पति से सभी कलाओं का ज्ञान ले लिया था।
नेत्रा तलवार बाजी, घुड़सवारी, धुनुर्विद्या, कूटनीति, राजनीति जैसी सभी विद्याओं मैं निपुण हो गयी थी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी किसी ने राजा जी को बताया कि किसी गैर मुल्की रियासत का राजा हमारे राज्य की और चढ़ाई कर रहा है। राजा को जब ये बात पता चली तो उन्होंने अपनी सेना तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन केवल 35000 सैनिकों से क्या हो सकता था। क्यों कि कुछ 10 दिन पहले ही युद्ध से उनकी सेना लौटी थी तो काफी सैनिक तो घायल थे और काफी मार गए थे। और जो बचे हुए थे वो अभी अभी लंबे युद्ध से थक कर आये थे। शायद इसी बात का फायदा उठा कर दुश्मन राजा उनके राज्य पर चढ़ाई कर रहा था।
उस दुश्मन राजा का नाम था भैरव,
कुछ दूसरे राज्य के राजा भैरव को यमदूत बोलते थे तो कुछ काली मौत। काली मौत से उनका मतलब था ऐसी मौत जिसकी चपेट में आने से एक बार तो मौत को भी सोचना पड़ जाए। महा जालिम, वीर और बलशाली लेकिन पापी और अधर्मी।
भैरव को किसी सैनिक से पता चला कि राजा जी के कोई भी राजकुमार नही है बस एक राजकुमारी है। और वो राज कुमारी बहुत सुंदर है। उसका विवाह हुए अभी कोई दो वर्ष ही हुए हैं। बस भैरव केवल राजकुमारी से विवाह करने की कामना के साथ राज्य पर चढ़ाई कर दी।
राजा जी ने कैसे जैसे करके सारी सेना इक्कठी की और भैरव के सामने अपने दामाद के साथ जाकर खड़े हो गए। भैरव एक बार शांति वार्ता के लिए रात को एक सभा का आयोजन किया। उस सभा में भैरव ने राजा को अपनी इच्छा बताई की वो राज कुमारी से विवाह का इछुक है। उसे युद्ध में कोई रुचि नही है।
नानी ने कहानी बताते हुए सारी अभद्र बातें जो भैरव ने कही थी सब छिपा कर साफ सुथरी बातें राज को बताने लगी।
जब राजा जी को पता चला कि भैरव की नज़र उनकी एकलौती बेटी पर है तो वो तुरंत शांति सभा को भंग कर के वहां से निकल गए और सुबह युद्ध आरम्भ करने की चेतावनी भी भैरव को दे गए। राजा जी के साथ नेत्रा का पति भी अपनी आंखों में अंगारे भरे हुए चला गया।
भैरव राजा के इस प्रकार के व्यवहार से बुरी तरह से गुस्सा होकर पागलो की तरह राजा को मारने की इच्छा करने लगा। भैरव सुबह का इस प्रकार से इंतजार कर रहा था जैसे भूखा शेर अपने शिकार का इंतजार कर रहा हो।
भैरव ने सुबह तक बिल्कुल भी आंख बंद नही की और ना ही नेत्रा के पति ने। दोनों बदले की आग में जल रहे थे। जब सुबह होने को हुई तो दोनों तरफ की सेनाएं एक दूसरे के सामने थी। ये निर्णय लिया गया कि सूर्य की पहली किरण के साथ ही युद्ध शुरू हो जाएगा। भैरव के पास सैन्य बल बहुत ज्यादा था। भैरव की पहली टुकड़ी ही डेड लाख सैनिकों की थी। जैसे ही सूर्य की पहली किरण युद्ध भूमि पर पड़ी भैरव ने अपने डेड लाख सैनिकों को आगे भेज दिया। इतनी बड़ी सेना को देख कर राजा को मुज़बूरन पूरी सेना भेजनी पड़ी। जब दूसरे प्रहर तक भी राजा के सैनिक युद्ध में डेट रहे और भैरव की सेना का मुकाबला करते रहे तो भैरव ने अपनी दूसरी सेना जो कि नब्बे हजार तीरंदाजों की थी को आगे कर दिया।
भैरव ने बिना सोचे समझे अपने तीरंदाजों को तीर चलाने का आदेश दे दिया। जब एक साथ नब्बे हजार तीर चले तो सूरज उन तीरों के पीछे चिप गया। राजा को इस बात का अंदाजा नही था कि भैरव इतनी बड़ी सेना के साथ हमला करेगा। क्योंकि भैरव की सेना की एक टुकड़ी तो भैरव के सैह खड़ी थी लेकिन दूसरी टुकड़ी और तीसरी टुकड़ी थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी थी जो साधारण तौर पर युद्ध भूमि पर देखी नही जा सकती थी। लेकिन जैसे ही भैरव का युद्ध का इशारा मिलता तो 10 मिनट में युद्ध भूमि में पहुंच जाती।
जब हजारों बाण सूरज को छिपाना छोड़ कर सेना पर बरसना शुरू हुए तो बस कुछ नही बचा राजा की सारी सेना मारी गयी। और वही दूसरी और भैरव की सेना भी अपनी ही तीरंदाजों के हाथों मारी गयी।
अब युद्ध भूमि में नेत्रा का पति ही बचा था वो भी बुरी तरह से घायल था। भैरव ने उसे बंधी बना लिया और युद्ध भूमि में एक गड्ढा बनवाकर उसका पूरा धड़ गाड़ दिया केवल सर बाहर रहने दिया। भैरव ने अपनी सेना को आदेश देकर दोनों सेनाओं के सैनिकों की लाश को एकत्रित कर के आग लगने का हुकुम सुना दिया हुआ भी यूँ ही बस भैरव ने राजा और नेत्रा के पति का राज मुकुट अपनी शरण में ले लिया।
जब सारी लाशें जल कर खाक हो गयी तो भैरव ने मरे हुए कुछ साँप नेत्रा के पति के आस पास और उसके शरीर पर डलवा दिए और वहां से थोड़ी दूरी बनवाकर एक तंबू मैं रहने लगा। तीन दिन तक नेत्रा का पति चिल्लाता रहा। क्यों कि आसमान में जो चील कौए थे वो उसके सर को नोच खा रहे थे। और भैरव उसकी चीखे सुन कर भी बेरहम बना रहा। जब नेत्रा के पति की सांस बैंड होगयी और चीखों का भी कोई शोर ना रहा तो भैरव रानी नेत्रा के पास चला गया।
भैरव नेत्रा का इंतजार करता रहा काफी समय बाद नेत्रा भैरव के सामने आयी।
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें बंद हो गयी। नेत्र का राज तिलक करके नेत्रा को उसके पिता और पति दोनों राज्यों का भार उसके कंधो पर राज्यों के मंत्रियों ने डाल दिया। नेत्रा ने भी नि:संकोच ये भार अपने कंधों पर उठाने की कसम खाली।
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें नेत्रा के राजमुकुट मैं जडे हीरों की चमक से बंद हो गयी थी। एक सफेद चांदी जैसी धातु से बना राजमुकुट जिसे आज हम लोग प्लेटिनम बोलते है। उस मुकुट मैं सफेद रंग के मोतियों से ग़ुलाब के फूल जैसी आकृति जड़ी हुई थी।
Posts: 322
Threads: 4
Likes Received: 62 in 59 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
3
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
Thanks for restarting the story
•
Posts: 8
Threads: 0
Likes Received: 0 in 0 posts
Likes Given: 0
Joined: Jan 2019
Reputation:
0
My favourite stories is this I like it very nicely update
Princess
•
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
(05-02-2019, 07:25 AM)Boob420 Wrote: Nice update bro
Thank you
•
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
(06-02-2019, 07:46 AM)komaalrani Wrote: Thanks for restarting the story
Thank you ...
•
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
(06-02-2019, 09:27 PM)Farheen12345 Wrote: My favourite stories is this I like it very nicely update
Thank you so much....
•
Posts: 535
Threads: 4
Likes Received: 206 in 129 posts
Likes Given: 28
Joined: Dec 2018
Reputation:
41
अपडेट - 5
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें बंद हो गयी। नेत्र का राज तिलक करके नेत्रा को उसके पिता और पति दोनों राज्यों का भार उसके कंधो पर राज्यों के मंत्रियों ने डाल दिया। नेत्रा ने भी नि:संकोच ये भार अपने कंधों पर उठाने की कसम खाली।
जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें नेत्रा के राजमुकुट मैं जडे हीरों की चमक से बंद हो गयी थी। एक सफेद चांदी जैसी धातु से बना राजमुकुट जिसे आज हम लोग प्लेटिनम बोलते है। उस मुकुट मैं सफेद रंग के मोतियों से ग़ुलाब के फूल जैसी आकृति जड़ी हुई थी।
अब आगे......
जब भैरव की नज़र मुकुट से नीचे नेत्रा के चेहरे पर नज़र पड़ी तो वो मंत्र मुगद्ध हो गया। नेत्रा के सुनहरे बाल , दूध जैसा सफेद गोरा रंग, हिरणी जैसे चाल और शेरनी जैसे तेवर। होंटों पर हल्की सी मुस्कान, आंखों में उदासी, ललाट पर एक भी चिंता की सलवट नहीं। सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे जिन पर स्वर्ण की बेहतरीन कारीगरी थी। वो स्वर्ण की कारीगरी नेत्रा के कंधों से लेकर हाथों और वक्षों(स्तन) तक हो रखी थी। नेत्रा के हाथ की उंगली पर एक बाज़ बैठा हुआ था।
जिस निडरता से नेत्रा भैरव के सामने आ रही थी भैंरव एक टक नेत्रा को देखता रहा।
भैरव नेत्रा को देख कर मन ही मन सोच में पड़ गया कि आखिर ये किस मिट्टी की बनी है। इसमें इतना साहस और बहादुरी कैसे? भैरव अब और अधिक नेत्रा से प्रेम करने लगा।
जैसे ही नेत्र भैरव के सामने आयी भैरव के हाथों से दोनों राजमुकुट जो नेत्रा के पति और पिता के थे छूट कर नीचे गिर गए। भैरव अपने घुटनों पर बैठ गया और नेत्रा के सामने अपनी गर्दन झुका दिया।
नेत्रा भैरव के सामने आकर खड़ी हो हो गयी।
भैरव: राजकुमारी जी...
नेत्रा भैरव की बात को काट कर...
नेत्रा: अब हम यहां की महारानी है भैरव।
भैरव: माफ कीजिये महारानी जी, हमने युद्ध में आपके पिता और पति दोनों को पराजित कर के वद्ध कर दिया।
कुछ देर की खामोशी के बाद...
नेत्रा: क्या हमारे पिता जी और पति दोनों कायरों की भांति युद्ध भूमि से भागने की कोशिश कर रहे थे?
भैरव ऊपर गर्दन उठा कर नेत्रा के चेहरे की तरफ देखता है।
भैरव: जी नही महारानी जी, वो तो बहादुरी के साथ अपनी छोटी सी सेना लेकर मेरे तीन लाख सैनिकों से युद्ध करने पर अड़े रहे और उन्होंने युद्ध में वीर गति को प्राप्त की।
नेत्रा: अगर ऐसा है तो फिर आप हमें ये सब इस तरह लज्जा से क्यों सुना रहे है। ये सब गाथाएं तो महानता की है जिन्हें जोश से सुनाया जाना चाहिये।
भैरव ऊपर नेत्रा की तरफ देख कर रोने लग जाता है। भैरव की आंखों में आंसू देख कर नेत्रा भैरव को खड़ा करती है।
नेत्रा: भैरव आपने युद्ध पूरी बहादुरी और ईमानदारी से जीता है फिर आपको शर्मिंदा नही होना चाहिए। किन्तु आप सिर्फ युद्ध मैं विजयी हुए हमारा राज्य अभी तक जीता नहीं है। अगर आप हमारा राज्य चाहते है तो आपको हमसे युद्ध करना होगा।
भैरव एक टक नेत्रा की और देखने लगता है।
नेत्रा: हमारा अभी अभी राज तिलक हुआ है और हम हमारे राज्य को यूँही आपके हवाले नही कर सकते।
भैरव: नही नही महारानी जी वो...
नेत्रा: वैसे इस युद्ध की वजह क्या थी भैरव और आपका यहां आने का कारण।
भैरव नीचे गर्दन करके....
भैरव: हमने आपकी खूबसूरती के चर्चे सुने थे जिन्हें जानकर हमे आपसे महोब्बत हो गयी। आपको प्राप्त करने की इच्छा हमने आपके पिता और और पति को शांति सभा में बताई लेकिन उन्होंने हमारा तिरिस्कार कर दिया जिसके बाद युद्ध ही एक मात्र उपाय बचा था। हम यहां हमारी विजय के अहंकार मैं आये थी कि हम आपको ये सब बता कर अपने वश में कर लेंगे किन्तु....
नेत्रा: किन्तु क्या भैरव?
भैरव: हमे माफ कर दीजिए। प्रेम प्रेम से जीता जा सकता है युद्ध से नही ये हमे आपसे हुई इस भेंट के बाद समझ आया है।
नेत्रा अब थोड़ी भावुक हो गयी थी।
नेत्रा: क्या आपको ये नही पता था कि हमारा विवाह हो चुका था। अगर पता था उसके बाद भी आपने ऐसी कामना की है तो ये आपका अपराध है। आप हमे किसी भी जीवन में प्रापत नही कर सकते।
भैरव: हमे माफ कीजिये महारानी हमे इस युद्ध के पश्चात जब आपको अभी देखा तो हमे एहसास हुआ कि हमने क्या कर दिया। जब तक आप हमें स्विकार नही करेंगी हम हम आपका इंतजार करेंगे। ऐसा कह कर भैरव वहां से चला गया।
आज पहली बार नेत्रा को अपनी खूबसूरती से नफरत हो रही थी।
एक भैरव के जाने के 2 दिन बाद नेत्रा के पास भैरव का एक समाचार आया।
भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।
|