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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
#21
नयी बहू की पहली होली 

[Image: Holi-5-1519367168.jpg]


दो सासों ने कस के दबा के मेरा मुँह खोल दिया और चचेरी सास ने पूरा ग्लास खाली कर के दम लिया और बोली, 

“अरे मेरा खारा शरबत तो चख...”


फिर उसी तरह दो-तीन ग्लास और...

उधर मेरे सास के एक हाथ की दो उंगलियां गोल-गोल कस के मेरी गांड़ में घूमती, अंदर-बाहर होती 


[Image: ass-fingering-19407973.gif]

और दूसरे हाथ की दो उंगलियां मेरी बुर में. 

मैं कौन सी पीछे रहने वाली थी? मैंने भी तीन उंगलियां उनकी बुर में. वो अभी भी अच्छी-खासी टाईट थीं.


“मेरा लड़का बड़ा ख्याल रखता है तेरा बहु... पहले से हीं तेरी पिछवाड़े की कुप्पी में मक्खन मलाई भर रखा है, जिससे मरवाने में तुझे कोई दिक्कत ना हो.” 

वो कस के गांड़ में उँगली करती बोलीं.

[Image: armpits-MIL.jpg]


होली अच्छी-खासी शुरू हो गई थी.


होली अच्छी-खासी शुरू हो गई थी.


अरे भाभी, आपने सुबह उठ के इतने ग्लास शरबत गटक लिये, गुझिया भी गपक ली लेकिन मंजन तो किया हीं नहीं.”

आप क्यों नहीं करवा देती?” 


अपनी माँ को बड़ी ननद ने उकसाया.

[Image: mom.jpg]

“हाँ...हाँ...क्यों नहीं...मेरी प्यारी बहु है...” 


और गांड़ में पूरी अंदर तक 10 मिनट से मथ रही उंगलियों को निकाल के सीधे मेरे मुँह में... 

कस-कस के वो मेरे दांतों पे और मुँह पे रगड़ती रही. मैं छटपटा रही थी लेकिन सारी औरतों ने कस के पकड़ रखा था. 

और जब उनकी उँगली बाहर निकली तो फिर वही तेज भभक, मेरे नथुनों में.... अबकी जेठानी थीं.

[Image: boobs-Jethani-22519648-509596542751072-9...1591-n.jpg]


“अरे तूने सबका शरबत पीया तो मेरा भी तो चख ले.”

पर बड़ी ननद तो... उन्होंने बचा हुआ सीधा मेरे मुँह पे, 

“अरे भाभी ने मंजन तो कर लिया अब जरा मुँह भी तो धो लें.”

घंटे भर तक वो औरतों, सासों के साथ... और उस बीच सब शरम-लिहाज.... 

मैं भी जम के गालियाँ दे रही थी. किसी की चूत, गांड़ मैंने नहीं छोड़ी और किसी ने मेरी नहीं बख्शी.

उनके जाने के बाद थोड़ी देर हमने साँस ली हीं थी कि... गाँव की लड़कियों का हुजूम...

मेरी ननदें सारी  ....से २४ साल तक ज्यादातर कुँवारी...कुछ चुदी, कुछ अनचुदी...कुछ शादी-शुदा, एक दो तो बच्चों वाली भी...कुछ देर में जब आईं 


तो मैं समझ गई कि असली दुर्गत अब हुई. 


[Image: Color-Day38.jpg]


एक से एक गालियां गाती, मुझे छेड़ती, ढूंढती 


“भाभी, भैया के साथ तो रोज मजे उड़ाती हो...आज हमारे साथ भी...”



[Image: 1a75.jpg]
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#22
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#23
मेरी ननदें 


[Image: 4.jpg]


गाँव की लड़कियों का हुजूम...

मेरी ननदें सारी....से २४ साल तक ज्यादातर कुँवारी...


कुछ चुदी, कुछ अनचुदी...

[Image: dgh.jpg]

कुछ शादी-शुदा, एक दो तो बच्चों वाली भी...कुछ देर में जब आईं तो मैं समझ गई कि असली दुर्गत अब हुई. 


एक से एक गालियां गाती, मुझे छेड़ती, ढूंढती 


“भाभी, भैया के साथ तो रोज मजे उड़ाती हो...आज हमारे साथ भी...”


ज्यादातर साड़ियों में, 


[Image: Teej-c4ecd80ab64748c780bcd5cef5f54a84.jpg]

एक दो जो कुछ छोटी थीं फ्रॉक में और तीन चार सलवार में भी...


मैंने अपने दोनों हाथों में गाढ़ा बैंगनी रंग पोत रखा था और साथ में पेंट, वार्निश, गाढ़े पक्के रंग सब कुछ...


[Image: d9b2dd5ded416d2f6095111a0e26ff69-c.jpg]

एक खंभे के पीछे छिप गई मैं, ये सोच के कि कम से कम एक दो को तो पकड़ के पहले रगड़ लूंगी. 

तब तक मैंने देखा कि जेठानी ने एक पड़ोस की ननद को (मेरी छोटी बहन छुटकी से भी कम उम्र की लग रही थी, उभार थोड़े-थोड़े बस गदरा रहे थे, कच्ची कली) 

उन्होंने पीछे से जकड़ लिया और जब तक वो सम्भले-सम्भले लाल रंग उसके चेहरे पे पोत डाला. 


कुछ उसके आँख में भी चला गया और मेरे देखते-देखते उसकी फ्रॉक गायब हो गई और वो ब्रा चड्डी में.


जेठानी ने झुका के पहले तो ब्रा के ऊपर से उसके छोटे-छोटे अनार मसले. 



फिर पैंटी के अंदर हाथ डाल के सीधे उसकी कच्ची कली को रगड़ना शुरू कर दिया. वो थोड़ा चिचियाई तो उन्होंने कस के दोहथड़ उसके छोटे-छोटे कसे चूतड़ों पे मारा और बोलीं, 

“चुपचाप होली का मज़ा ले.

फिर से पैंटी में हाथ लगा के, उसके चूतड़ों पे, आगे जांघों पे और जब उसने सिसकी भरी तो मैं समझ गई कि मेरी जेठानी की उँगली कहाँ घुस चुकी है? 

मैंने थोड़ा-सा खंभे से बाहर झाँक के देखा, उसकी कुँवारी गुलाबी कसी चूत को जेठानी की उँगली फैला चुकी थी और वो हल्के-हल्के उसे सहला रही थीं.




अचानक झटके से उन्होंने उँगली की टिप उसकी चूत में घुसेड़ दी. वो कस के चीख उठी.


[Image: Fingering-G-tumblr-nhoxls-OJ9-Q1sqmqy9o1-400.gif]

“चुप...साल्ली...” कस के उन्होंने उसकी चूत पे मारा और अपनी चूत उसके मुँह पे रख दी... वो बेचारी मेरी छोटी ननद चीख भी नहीं पाई.

“ले चाट चूत...चाट...कस-कस के...” 


वो बोलीं और रगड़ना शुरू कर दिया.. मुझे देख के अचरज हुआ कि उस साल्ली चूत मरानो मेरी ननद ने चूत चाटना भी शुरू कर दिया. 





वो अपने रंग लगे हाथों से कस के उसकी छोटी चूचियों को रगड़, मसल भी रही थी. कुछ रंग और कुछ रगड़ से चूचियाँ एकदम लाल हो गई थीं. तब हल्की-सी धार की आवाज ने मेरा ध्यान फिर से चेहरे की ओर खीचा. मैं दंग रह गई.

[Image: pussy-licking-lesb.jpg]

“ले पी...ननद...छिनाल साल्ली...होली का शरबत....ले...ले...एकदम जवानी फूट पड़ेगी. नमकीन हो जायेगी ये नमकीन शरबत पी के...”

एकदम गाढ़े पीले रंग की मोटी धार...छर-छर...सीधे उसके मुँह में...
 

वो छटपटा रही थी लेकिन जेठानी की पकड़ भी तगड़ी थी...सीधा उसके मुँह में...



जिस रंग का शरबत मुझे जेठानी ने अपने हाथों से पिलाया था, एकदम उसी रंग का वैसा हीं... 

और उस तरफ देखते समय मुझे ध्यान नहीं रहा कि कब दबे पांव मेरी चार गाँव की ननदें मेरे पीछे आ गईं और मुझे पकड़ लिया.

उसमें सबसे तगड़ी मेरी शादी-शुदा ननद थी, मुझसे थोड़ी बड़ी बेला. 

उसने मेरे दोनों हाथ पकड़े और बाकी ने टाँगे, फिर गंगा डोली करके घर के पीछे बने एक चहबच्चे में डाल दिया. अच्छी तरह डूब गई मैं रंग में. गाढ़े रंग के साथ कीचड़ और ना जाने क्या-क्या था उसमें? 

जब मैं निकलने की कोशिश करती दो चार ननदें उसमें जो उतर गई थीं, मुझे फिर धकेल दिया. साड़ी तो उन छिनालों ने मिल के खींच के उतार हीं दी थी. थोड़ी हीं देर में मेरी पूरी देह रंग से लथ-पथ हो गई. 

[Image: pitars-holi-celebrations-hyderabad5.jpg]

अबकी मैं जब निकली तो बेला ने मुझे पकड़ लिया और हाथ से मेरी पूरी देह में कालिख रगड़ने लगी. मेरे पास कोई रंग तो वहाँ था नहीं तो मैं अपनी देह से हीं उस पे रगड़ के अपना रंग उस पे लगाने लगी.


वो बोली, 

“अरे भाभी, ठीक से रगड़ा-रगड़ी करो ना...देखो मैं बताती हूँ तुम्हारे नंदोई कैसे रगड़ते हैं!” 

और वो मेरी चूत पे अपनी चूत घिसने लगी. मैं कौन-सी पीछे रहने वाली थी? मैंने भी कस के उसकी चूत पे अपनी चूत घिसते हुए बोला, 

“मेरे सैंया और अपने भैया से तो तुमने खूब चुदवाया होगा, अब भौजी का भी मज़ा ले ले.”



[Image: lez-pussy-rubbing-18042407.gif]
उसके साथ-साथ लेकिन मेरी बाकी ननदें, आज मुझे समझ में आ गया था कि गाँव में लड़कियाँ कैसे इतनी जल्दी जवान हो जाती हैं और उनके चूतड़ और चूचियाँ इतनी मस्त हो जाती हैं...

छोटी-छोटी ननदें भी कोई मेरे चूतड़ मसल रहा था तो कोई मेरी चूचियाँ लाल रंग ले के रगड़ रहा था...

थोड़ी देर तक तो मैंने सहा फिर मैंने एक की कसी कच्ची चूत में उँगली ठेल दी.

चीख पड़ी वो...


मौका पा के मैं बाहर निकल आई लेकिन वहाँ मेरी बड़ी ननद दोनों हाथों में रंग लगाए पहले से तैयार खड़ी थी. 

रंग तो एक बहाना था. उन्होंने आराम से पहले तो मेरे गालों पे फिर दोनों चूचियों पे खुल के कस के रंग लगाया, रगड़ा. मेरा अंग-अंग बाकी ननदों ने पकड़ रखा था इसलिए मैं हिल भी नही पा रही थी. 

चूचियाँ रगड़ने के साथ उन्होंने कस के मेरे निप्पल्स भी पिंच कर दिये और दूसरे हाथ से पेंट सीधे मेरी क्लिट पे... बड़ी मुश्किल से मैं छुड़ा पाई.

[Image: Nude-boobs-holi-Delhi-Escorts-256x256.gif]


लेकिन उसके बाद मैंने किसी भी ननद को नही बख्शा. 

सबको उँगली की... चूत में भी और गांड़ में भी..... 

लेकिन जिसको मैं ढूँढ रही थी वो नही मिली, मेरी छोटी ननद... मिली भी तो मैं उसे रंग लगा नही पाई. वो मेरे भाई के कमरे की ओर जा रही थी, पूरी तैयारी से, होली खेलने की.

दोनों छोटे-छोटे किशोर हाथों में गुलाबी रंग, पतली कमर में रंग, पेंट और वार्निश के पाऊच. जब मैंने पकड़ा तो वो बोली,

“प्लीज भाभी, मैंने किसी से प्रॉमिस किया है कि सबसे पहले उसी से रंग डलवाउंगी. उसके बाद आपसे... चाहे जैसे, चाहे जितना लगाईयेगा, मैं चूं भी नही करुँगी.”
मैंने छेड़ा, “ननद रानी, अगर उसने रंग के साथ कुछ और डाल दिया तो?”

वो आँख नचा के बोली, “तो डलवा लूँगी भाभी, आखिर कोई ना कोई, कभी ना कभी तो... फिर मौका भी है, दस्तूर भी है.”

“एकदम” उसके गाल पे हल्के से रंग लगा के मैं बोली और कहा कि 

“जाओ, पहले मेरे भैया से होली खेल आओ, फिर अपनी भौजी से.” 

थोड़ी देर में ननदों के जाने के बाद गाँव की औरतों, भाभियों का ग्रुप आ गया और फिर तो मेरी चांदी हो गई.
हम सबने मिल के बड़ी ननदों को दबोचा और जो-जो उन्होंने मेरे साथ किया था वो सब सूद समेत लौटा दिया. मज़ा तो मुझे बहुत आ रहा था लेकिन सिर्फ एक प्रोब्लम थी.

मैं झड़ नही पा रही थी. रात भर ‘इन्होंने’ रगड़ के चोदा था लेकिन झड़ने नही दिया था... 

सुबह से मैं तड़प रही थी, फिर सुबह सासू जी की उंगलियों ने भी आगे-पीछे दोनों ओर, लेकिन जैसे हीं मेरी देह कांपने लगी, मैंने झड़ना शुरू हीं किया था कि वो रुक गईं और पीछे वाली उँगली से मुझे मंजन कराने लगी. तो मैं रुक गई और उसके बाद तो सब कुछ छोड़ के वो मेरी गांड़ के हीं पीछे पड़ गई थीं.

यही हालत बेला और बाकी सभी ननदों के साथ हुई...बेला कस कस के घिस्सा दे रही थी और मैं भी उसकी चूचियाँ पकड़ के कस-कस के चूत पे चूत रगड़ रही थी... 

लेकिन फिर मैं जैसे हीं झड़ने के कगार पे पहुँची कि बड़ी ननद आ गई... और इस बार भी मैंने ननद जी को पटक दिया था और उनके ऊपर चढ़ के रंग लगाने के बहाने से उनकी चूचियाँ खूब जम के रगड़ रही थी और कस-कस के चूत रगड़ते हुए बोल रही थी, "देख ऐसे चोदते हैं तेरे भैया मुझको!"

चूतड़ उठा के मेरी चूत पे अपनी चूत रगड़ती वो बोली, "और ऐसे चोदेंगे आपको आपके नंदोई!"

मैंने कस के क्लिट से उसकी क्लिट रगड़ी और बोला, "हे डरती हूँ क्या उस साले भड़वे से? उसके साले से रोज चुदती हूँ, आज उसके जीजा साले से भी चुदवा के देख लूंगी."

मेरी देह उत्तेजना के कगार पर थी, लेकिन तब तक मेरी जेठानी आ के शामिल हो गई और बोली, 

“हे तू अकेले मेरी ननद का मज़ा ले रही है और मुझे हटा के वो चढ़ गईं.


मैं इतनी गरम हो रही थी कि मेरी सारी देह कांप रही थी. मन कर रहा था कि कोई भी आ के चोद दे. बस किसी तरह एक लंड मिल जाए, किसी का भी. फिर तो मैं उसे छोड़ती नहीं, निचोड़ के, खुद झड़ के हीं दम लेती.

इसी बीच मैं अपने भाई के कमरे की ओर भी एक चक्कर लगा आई थी. उसकी और मेरी छोटी ननद के बीच होली जबर्दस्त चल रही थी. 

उसकी पिचकारी मेरी ननद ने पूरी घोंट ली थी. चींख भी रही थी, सिसक भी रही थी, लेकिन उसे छोड़ भी नहीं रही थी.
तब तक गाँव की औरतों के आने की आहट पाकर मैं चली आई.



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#24
टूटी सील छुटकी ननदिया की 

[Image: holi-girl-wallpaper-1.jpg]









इसी बीच मैं अपने भाई के कमरे की ओर भी एक चक्कर लगा आई थी. उसकी और मेरी छोटी ननद के बीच होली जबर्दस्त चल रही थी. 

मेरी छुटकी ननदिया , वही जो अभी दसवें में गयी थी , झांटे भी बस आयी ही थीं , ... नीचे और मेरा ममेरा भाई ऊपर ,


असली वाली होली चल रही थी , 


मेरी उस कच्ची कली ननदिया की दोनों टाँगे मेरे ममेरे भाई के कंधे पर , मेरे भइया के दोनों हाथ मेरी ननद के जस्ट आ रही छोटी छोटी चूँचियों पर , 

[Image: Fucking-teen-G-15314680.gif]



और कस के हचक के धक्का मारा मेरे भइया ने , 



उईईईईई ननदिया बेचारी जोर से चीखी , लेकिन इस होली के हंगामें में कुछ सुनाई पड़ता क्या , 



दूसरे मेरे भाई ने अपने होंठों के बीच उसके होंठों को कस के , अगला धक्का और कस के मारा ,



दो बूँद खून की ननद की कुँवारी कच्ची चूत के ऊपर चुहचूहा आयी , सील मेरे सैंया की बहन की मेरे भइया ने फाड़ दी थी।  



वो सिसक रही थी , सुबक रही थी और मेरा भाई धक्के पर धक्का ,   कुछ ही देर तक जड़ तक 




और अब ननद रानी को भी मजा आ रहा था , और वो भी  छोटे लौंडा छाप चूतड़ उठा उठा कर 

[Image: fucking-ruff-14169509.gif]



उसकी पिचकारी मेरी ननद ने पूरी घोंट ली थी. चींख भी रही थी, सिसक भी रही थी, लेकिन उसे छोड़ भी नहीं रही थी.




तब तक गाँव की औरतों के आने की आहट पाकर मैं चली आई.


जब बाकी औरतें चली गई तो भी एक-दो मेरे जो रिश्ते की जेठानी लगती थीं, रुक गईं. 


हम सब बातें कर रहे थे तभी छोटी ननद की किस्मत... 









वो कमरे से निकल के सीधे हमीं लोगों की ओर आ गई. गाल पे रंग के साथ-साथ हल्के-हल्के दांत के निशान, टांगे फैली-फैली... 







चेहरे पर मस्ती, लग रहा था पहली चुदाई के बाद कोई कुंवारी आ रही है| जैसे कोई हिरनी शिकारियों के बीच आ जाए वही हालत उसकी थी. 



वो बिदकी और मुड़ी तो मेरी दोनों जेठानियों ने उसे खदेड़ा और जब वो सामने की ओर आई तो वहाँ मैं थी. 


[Image: Holi-1.jpg]

मैंने उसे एक झटके में दबोच लिया. वो मेरी बाहों में छटपटाने लगी, तब तक पीछे से दोनों जेठानियों ने पकड़ लिया और बोलीं, 









"हे, कहाँ से चुदा के आ रही है?"



दूसरी ने गाल पे रंग मलते हुए कहा, 



“चल, अब भौजाईयों से चुदा| एक-एक पे तीन-तीन...” 



और एक झटके में उसकी ब्लाउज फाड़ के खींच दी. जो जोबन झटके से बाहर निकले वो अब मेरी मुट्ठी में कैद थे.



“अरे तीन-तीन नहीं चार-चार...” 



[Image: 5bd3587523733a72e4692e2e1752ded3.jpg]

तब तक मेरी जेठानी भी आ गई| हँस के वो बोली और उसको पूरी नंगी करके कहा, 



अरे होली ननद से खेलनी है, उसके कपड़ों से थोड़े हीं|”



फिर क्या था, थोड़ी हीं देर में वो नीचे और मैं ऊपर| रंग, पेंट, वार्निश और कीचड़ कोई चीज़ हम लोगों ने नही छोड़ी| लेकिन ये तो शुरुआत थी.



मैं अब सीधे उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी प्यासी चूत उसके किशोर, गुलाबी, रसीले होंठों पे रगड़ने लगी. 




[Image: Lez-face-sitting-14271176.gif]







वो भी कम चुदक्कड़ नहीं थी, चाटने और चूसने में उसे भी मज़ा आ रहा था. उसके जीभ की नोंक



मेरे क्लिट को छेड़ती हुई मेरे पेशाब के छेद को छू गई और मेरे पूरे बदन में सुरसुरी मच गई. 




मुझे वैसे भी बहुत कस के 'लगी' थी, सुबह से पांच छः ग्लास शरबत पी के और फिर सुबह से की भी नहीं थी.
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#25
होली -रस बरसे , रंग बरसे ,बरसे सुनहली शराब 


[Image: Lez-face-sitting-13768703.gif]




मैं अब सीधे उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी प्यासी चूत उसके किशोर, गुलाबी, रसीले होंठों पे रगड़ने लगी. 


वो भी कम चुदक्कड़ नहीं थी, चाटने और चूसने में उसे भी मज़ा आ रहा था. उसके जीभ की नोंक मेरे क्लिट को छेड़ती हुई मेरे पेशाब के छेद को छू गई और मेरे पूरे बदन में सुरसुरी मच गई. 

मुझे वैसे भी बहुत कस के 'लगी' थी, सुबह से पांच छः ग्लास शरबत पी के और फिर सुबह से की भी नहीं थी.




(मुझे याद आया कि कल रात मेरी ननद ने छेड़ा था कि भाभी आज निपट लीजिए, कल होली के दिन टायलेट में सुबह से हीं ताला लगा दूंगी, और मेरे बिना पूछे बोला कि अरे यही तो हमारे गाँव की होली की...खास कर नई बहु के आने पे होने वाली होली की स्पेशलिटी है. जेठानी और सास दोनों ने आँख तर्रेर कर उसे मना किया और वो चुप हो गई|)

मेरे उठने की कोशिश को दोनों जेठानियों ने बेकार कर दिया और बोली, 

“हे, आ रही है तो कर लो ना...इतनी मस्त ननद है...और होली का मौका...ज़रा पिचकारी से रंग की धार तो बरसा दो...छोटी प्यारी ननद के ऊपर|”


मेरी जेठानी ने कहा, 


“और वो बेचारी तेरी चूत की इतनी सेवा कर रही है...तू भी तो देख ज़रा उसकी चूत ने क्या-क्या मेवा खाया है?”

मैंने गप्प से उसकी चूत में मोटी उंगली घुसेड़ दी| 

चूत उसकी लसालस हो रही थी| मेरी दूसरी उंगली भी अंदर हो गई. मैंने दोनों उंगलियां उसकी चूत से निकाल के मुँह में डाल ली... वाह क्या गाढ़ी मक्खन-मलाई थी? 

[Image: creampie-5.jpg]

एक पल के लिये मेरे मन में ख्याल आया कि मेरी ननद की चूत में किसका लंड अभी गया था? 


लेकिन सिर झटक के मैं मलाई का स्वाद लेने लगी| वाह क्या स्वाद था? मैं सब कुछ भूल चुकी थी कि तब तक मेरी शरारती जेठानियों ने मेरे सुरसुराते छेद पे छेड़ दिया और बिना रुके मेरी धार सीधे छोटी ननद के मुँह में.


दोनों जेठानियों ने इतनी कस के उसका सिर पकड़ रखा था कि वो बेचारी हिल भी नहीं सकती थी, और एक ने मुझे दबोच रखा था| 

देर तो मैंने भी हटने की कोशिश की लेकिन मुझे याद आया कि अभी थोड़ी देर पहले हीं, मेरी जेठानी पड़ोस की उस ननद को... और वो तो इससे भी कच्ची थी|


[Image: pitars-holi-celebrations-hyderabad158.jpg]

“अरे होली में जब तक भाभी ने पटक के ननद को अपना खास असल खारा शरबत नहीं पिलाया, तो क्या होली हुई?” एक जेठानी बोली|


दूसरी बोली, 

“तू अपनी नई भाभी की चूत चाट और उसका शरबत पी और मैं तेरी कच्ची चूत चाट के मस्त करती हूँ.”


मैं मान गई अपनी ननद को, वास्तव में उसकी मुँह में धार के बावजूद वो चाट रही थी| 

[Image: Golden-shower-lez-15618803.jpg]

इतना अच्छा लग रहा था कि... मैंने उसका सिर कस के पकड़ लिया और कस-कस के अपनी बुर उसके मुँह पे रगड़ने लगी. मेरी धार धीरे-धीरे रुक गई और मैं झड़ने के कगार पे थी कि मेरी एक जेठानी ने मुझे खींच के उठा दिया| 


लेकिन मौके का फायदा उठा के मेरी ननद निकल भागी और दोनों जेठानियां उसके पीछे|



मैं अकेले रह गई थी| थोड़ी देर मैं सुस्ता रही थी कि ‘उईईईई...’ की चीख आई... 



उस तरफ़ से जिधर मेरे भाई का कमरा था| 

मैं उधर बढ़ के गई... मैं देख के दंग रह गई| 
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#26
जीजा स्साले की होली 
[Image: Sherlyn-Chopra-Nude-Playboy-Holi-1-1.jpg]



थोड़ी देर मैं सुस्ता रही थी कि ‘उईईईई...’ की चीख आई... 


उस तरफ़ से जिधर मेरे भाई का कमरा था| 


मैं उधर बढ़ के गई... मैं देख के दंग रह गई| 

उसकी हाफ-पैंट, घुटने तक नीचे सरकी हुई और उसके चूतड़ों के बीच में ‘वो’...‘इनका’ मोटा लाल गुस्साया सुपाड़ा पूरी तरह उसकी गांड़ में पैबस्त...

[Image: gay-13796941.jpg]

 वो बेचारा अपने चूतड़ पटक रहा था लेकिन मैं अपने एक्सपेरिएंस से अच्छी तरह समझ गई थी कि अगर एक बार सुपाड़ा घुस गया तो... ये बेचारा लाख कोशिश कर ले, ये मूसल बाहर नहीं निकलने वाला| 


उसकी चीख अब गों-गों की आवाज़ में बदल गई थी| उसके मुँह की ओर मेरा ध्यान गया तो... 

नंदोई ने अपना लंड उसके मुँह में ठेल रखा था| लम्बाई में भले वो ‘मेरे उनसे’ उन्नीस हो लेकिन मोटाई में तो उनसे भी कहीं ज्यादा, मेरी मुट्ठी में भी मुश्किल से समां पाता|

मेरी नज़र सरक कर मेरे भाई के शिश्न पर पड़ी| 

बहुत प्यारा, सुन्दर सा गोरा, लम्बाई मोटाई में तो वो ‘मेरे उनके’ और नंदोई के लंड के आगे कहीं नहीं टिकता, लेकिन इतना छोटा भी नहीं, कम से कम ६ इंच का तो होगा हीं, छोटे केले की तरह और एकदम खड़ा|


गांड़ में मोटा लंड होने का उसे भी मज़ा मिल रहा था| ये पता इसी से चल रहा था| 

वो उसके केले को मुट्ठिया रहे थे और उसका लीची ऐसा गुलाबी सुपाड़ा खुला हुआ... बहुत प्यारा लग रहा था, बस मन कर रहा था कि गप्प से मुँह में ले लूँ और कस-कस कर चूसूं| 

मेरे मुँह में फिर से वो स्वाद आ गया जो मेरी छोटी ननद के बुर में से उंगलियां निकाल के चाटते समय मेरे मुँह में आया था| अगर वो मिल जाता तो सच मैं बिना चूसे उसे ना छोड़ती, मैं उस समय इतनी चुदासी हो रही थी कि बस...

पी साले पी... अगर मुँह से नहीं पिएगा तो तेरी गांड़ में डाल के ये बोतल खाली कराएँगे|”

नंदोई ने दारू की बोतल सीधे उसके मुँह में लगा के उड़ेल दी| 

वो घुटुर-घुटुर कर के पी रहा था| कड़ी महक से लग रहा था कि ये देसी दारू की बोतल है| उसका मुँह तो बोतल से बंद था हीं, ‘इन्होंने’ एक-दो और धक्के कस के मारे| बोतल हटा के नंदोई ने एक बार फिर से उसके गोरे-गोरे कमसिन गाल सहलाते हुए फिर अपना तन्नाया लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया|

‘इन्होंने’ आँख से नंदोई जी को इशारा किया, मैं समझ गई कि क्या होने वाला है? और वही हुआ|

नंदोई ने कस के उसका सिर पकड़ के मोटा लंड पूरी ताकत से अंदर पेल के उसका मुँह अच्छी तरह बंद कर दिया और मजबूती से उसके कंधे को पकड़ लिया| उधर ‘इन्होंने’ भी उसका शिश्न छोड़ के दोनों हाथों से कमर पकड़ के वो करारा धक्का लगाया कि दर्द के मारे वो गों गों करता रहा, लेकिन बिना रुके एक के बाद एक ‘ये’ कस-कस के पलते रहे| 

उसके चेहरे का दर्द... आँखों में बेचारे के आँसू तैर रहे थे| 


लेकिन मैं जानती थी कि ऐसे समय रहम दिखाना ठीक नहीं और ‘इन्होंने’ भी ऑलमोस्ट पूरा लौड़ा उसकी कसी गांड़ में ठूंस दिया|


वो छटपटाता रहा, गांड़ पटकता रहा, गों गों करता रहा लेकिन बेरहमी से वो ठेलते रहे| मोटा लंड मुँह में होने से उसके गाल भी पूरे फूले, आँखे निकली पड़ रही थी|

“बोल साल्ले, मादरचोद, तेरी बहन की माँ का भोंसड़ा मारूं, बोल मज़ा आ रहा है गांड़ मराने में?” उसके चूतड़ पे दुहथड़ जमाते हुए ‘ये’ बोले|

नंदोई ने एक पल के लिए अपना लंड बाहर निकाल लिया और वो भी हँस के बोले, 

“आइडिया अच्छा है, तेरी सास बड़ी मस्त माल है, क्या चूचियाँ हैं उसकी! पूछ इस साल्ले से चुदवायेगी वो? क्या साईज है उस छिनाल की चूचियों की?”

“बोल साल्ले, क्या साईज है उसकी चूचियों की? माल तो बिंदास है|” उसके बाल खींचते हुए ‘इन्होंने’ उसके गाल पे एक आँसू चाट लिया और कचकचा के गाल काट लिए|

“38 डीडी...” वो बोला|

[Image: boobs-jethani-champa-15095573-1325382605...3502-n.jpg]


“अरे भोंसड़ी के, क्या 38 डीडी... साफ-साफ बोल...” 

उसके गाल पे अपने लंड से सटासट मारते नंदोई बोले|


“सीना...छाती...चूचि|” वो बोला|

“सच में, जैसे तेरी कसी कसी गांड़ मारने में मज़ा आ रहा है वैसे उसकी भी बड़ी-बड़ी चूचियाँ पकड़ के मस्त चूतड़ों के बीच... क्या गांड़ है? बहोत मज़ा आएगा!” 

‘ये’ बोले और इन्होंने बचा-खुचा लंड भी ठेल दिया| मेरे छोटे भाई की चीख निकल गई.|

मैं सोच रही थी कि तो क्या मेरी माँ के साथ भी... कैसे-कैसे सोचते है ये... वैसे ये बात सही भी थी कि मेरी माँ की चूचियाँ और चूतड़ बहुत मस्त थे और हम सब बहनें बहुत कुछ उन पे गई थीं| वैसे भी बहुत दिन हो गए होंगे, उनकी बुर को लंड खाए हुए|

“क्या मस्त गांड़ मराता है तू यार... मजा आ गया| बहुत दिन हो गए ऐसी मस्त गांड़ मारे हुए|” 


हल्के-हल्के गांड़ मारते हुए ‘ये’ बोले|

नंदोई कभी उसे चूम रहे थे तो कभी उससे अपना सुपाड़ा चटवा चुसवा रहे थे| उन्होंने पूछा, 

“क्या हुआ जो तुझे इस साल्ले की गांड़ में ये मज़ा आ रहा है?”

वो बोले, “अरे इसकी गांड़, जैसे कोई कोई हाथ से लंड को मुट्ठियाते हुए दबाए, वैसे लंड को भींच रही है| ये साल्ला नेचुरल गाण्डू है|” 


और एक झटके में सुपाड़े तक लंड बाहर कर के सटासट गपागप उसकी गांड़ मारना शुरू कर दिया|

मैंने देखा कि जब उनका लंड बाहर आता तो ‘इनके’ मोटे मूसल पे उसके गांड़ का मसाला... लेकिन मेरी नज़र सरक के उसके लंड पे जा रही थी| सुन्दर सा प्यारा, खड़ा, कभी मन करता था कि सीधे मुँह में ले लूं तो कभी चूत में लेने का...

तभी सुनाई पड़ा, ‘ये’ बोल रहे थे, 

“साल्ले, आज के बाद से कभी मना मत करना गांड़ मराने के लिए, तुझे तो मैं अब पक्का गंडुआ बना दूँगा और कल होली में तेरी सारी बहनों की गांड़ मारूंगा, चूत तो चोदूंगा हीं| तुझे तेरी कौन छिनाल बहन पसंद है? बोल साल्ले... इस गांड़ मराने के लिये तुझे अपनी साली ईनाम में दूँगा|”

मैंने मन में कहा कि ईनाम में तो वो ‘उनकी’ छोटी बहन की मस्त कच्ची चूत की सील तो वो सुबह हीं खोल चुका है|




वो बोला, “सबसे छोटी वाली...लेकिन अभी वो छोटी है...”


“अरे उसकी चिन्ता तू छोड़... चोद-चोद कर इस होली के मौके पे तो मैं उसकी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा और... अपनी सारी सालियों को रंडी की तरह चोदूंगा... चल तू भी क्या याद करेगा| सारी तेरी बहनों को तुझसे चुदवा के तुझे गाण्डू के साथ नम्बरी बहनचोद भी बना दूँगा|”

उन लोगों ने तो बोतल पहले हीं खाली कर दी थी| नंदोई उसे भी आधी से ज्यादा देसी बोतल पिला के खाली कर चुके थे और वो भी नशे में मस्त हो गया था|

“अरे कहाँ हो...?” तब तक जेठानी की आवाज़ गूंजी|


[Image: holi-rag-jpg-480-480-0-64000-0-1-0.jpg]
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#27
[Image: Zoom-Holi01.jpg]


होरी के हुरियारे 


रंग बरसे भीगे ननद हमारी 



[Image: pitars-holi-celebrations-hyderabad31.jpg]




“अरे कहाँ हो...?” 

तब तक जेठानी की आवाज़ गूंजी|

[Image: holi-2.jpg]


मैं दबे पाँव वहाँ से बरामदे की ओर चली आई, जहाँ जेठानी के साथ मेरी बड़ी ननद भी थी| 

दूर से होली के हुलियारों की आवाजें हल्की हल्की आ रही थीं| जेठानी के हाथ में वही बोतल थी जो वो और नंदोई पी चुके थे और जबरन मेरे भाई को पिला रहे थे|

मैं लाख ना नुकुर करती रही कि आज तक मैंने कभी दारू नहीं पिया लेकिन वो दोनों कहाँ मानने वाली थीं, जबरन मेरे मुँह से लगा कर...ननद बोली,

"भाभी होली तो होती है नए नए काम करने के लिए आज से पहले आपने वो खारा शरबत पिया नहीं होगा, जो चार पांच ग्लास गटक गईं| और अभी तो होली के साथ साथ आपके खाने पीने की शुरुआत हुई है| जो आपने सोचा भी नहीं होगा वो सब...” 

जेठानी उसकी बात काट के बोलीं

"अरे तूने पिलाया भी तो है बेचारी अपनी छोटी ननद को... ले गटक मर्दों की आलमारी से निकाल के हम लाये हैं| 

फिर तो... थोड़ी देर में बोतल खाली हो गई|

ये मुझे बाद में अहसास हुआ कि आधे से ज्यादा बोतल उन दोनों ने मिल के मुझे पिलाया और बाकी उन दोनों ने| लग रहा था कोई तेज...तेजाब ऐसा गले से जा रहा हो, भभक भी तेज थी, लेकिन उन दोनों ने मेरी नाक बंद की और उसका असर भी पांच मिनट के अंदर होने लगा| 

मैं इतनी चुदासी हो रही थी कि कोई भी आके मुझे चोद देता तो मैं मना नहीं करती| 

ननद अंदर चली गईं थी|

थोड़ी देर में होली के हुलियारों की भीड़ एकदम पास में आ गई| 

वो जोर जोर से कबीरा, गालियाँ और फाग गा रहे थे| 

जेठानी ने मुझे उकसाया और हम दोनों ने जरा सी खिड़की खोल दी, फिर तो तूफान आ गया| गालियों का, रंग का सैलाब फूट पड़ा| 

नशे में मारी मैं, मैंने भी एक बाल्टी रंग उठा के सीधे फेंका| ज्यादातर मेरे गाँव के रिश्ते से देवर लगते थे, पर फागुन में कहते हैं ना कि बुढवा भी देवर लगते हैं, इसलिए होली के दिन तो बस एक रिश्ता होता है...लंड और चूत का| रंग पड़ते हीं वो बोल उठे...

[Image: Hori-Holi11tn.jpg]

“हे भौजी, खोला केवाड़ी, उठावा साड़ी, तोहरी बुरिया में हम चलाईब गाड़ी|”

“अरे ये भी बुर में जायेंगे...लौड़े का धक्का खायेंगे|” दूसरा बोला|

मैं मस्त हो उठी| 

जेठानी ने मुझे एक आइडिया दिया| मैंने खिड़की खोल के उन्हें अपना आंचल लहरा के, झटका के, रसीले जोबन का दरसन करा के, मैंने नेवता दिया|

सब झूम झूम के गा रहे थे,






अरे नक बेसर कागा, ले भागा, सैंया अभागा ना जागा| अरे हमरी भौजी का|

उड़ उड़ कागा, बिंदिया पे बैठा, मथवा का सब रस ले भागा,

उड़ उड़ कागा, नथिया पे बैठा, होंठवा का सब रस ले भागा, अरे हमरी भौजी का|
उड़ उड़ कागा, चोलिया पे बैठा, जुबना का सब रस ले भागा|

[Image: jethani-boobs-cce70a1eefe552fc3c95fb6ac77d2320.jpg]

उड़ उड़ कागा, करधन पे बैठा, कमर का सब रस ले भागा, अरे हमरी भौजी का|

उड़ उड़ कागा, साया पे बैठा, चूत का सब रस ले भागा|



एक जेठानी से बोला, 


"अरे नईकी भौजी को बाहर भेजा ना, होली खेले के...वरना हम सब अंदर घुस के..." 

जेठानी ने घबड़ा के कहा, 

"अरे भेजती हूँ, अंदर मत आना|” 


मैं भी बोली, 


[Image: choli-7.jpg]


“अरे आती हूँ, देखती हूँ, कितनी लंबी मोटी तुम लोगों की पिचकारी है और कितना रंग है उसमें या सब कुछ अपनी बहनों की बाल्टी में खाली कर के आये हो|”

अब तो वो और बेचैन हो गये| 

जेठानी ने खिड़की उठंगा दिया| 




उधर से मेरी छोटी ननद आ गई| अब हमलोगों का प्लान कामयाब हो गया| 

हम दोनों ने पकड़ के उसकी साड़ी, चोली सब उतार दी और मेरी साड़ी चोली उसे पहना दी| 


(ब्रा ना तो उसने पहनी थी और ना मैंने, वो सुबह की होली में उतर गई थी|) 

उसके कपड़े मैंने पहन लिए और दरवाजा थोड़ा सा खोल के, धक्के दे के उसे हुलियारों के हवाले कर दिया| 


सुबह से रंग, पेंट, वार्निश इतना पुत चुका था कि चेहरा तो पहचाना जा नहीं रहा था|

हाँ साड़ी और आँचल की झलक और चोली का दरसन मैंने उन सबको इसलिए करा दिया था कि जरा भी शक ना रहे| 



बेचारी ननद...पल भर में हीं वो रंग से साराबोर हो गई| उसकी साड़ी ब्लाउज सब देह से चिपके, जोबन का मस्त किशोर उभार साफ साफ झलक रहा था, यहाँ तक की खड़े निप्पल भी| 

नीचे भी पतली साड़ी जाँघों से चिपकी, गोरी गुदाज साफ साफ दिख रही थी|

फिर तो किसी ने चोली के अंदर हाथ डाल के जोबन पे रंग लगाना, मसलना शुरू किया तो किसी ने जांघ के बीच, जेठानी ने ये नजारा देख के जोर से बोला, 

"ले लो बिन्नो, आज होली का मजा अपने भाइयों के साथ|”

[Image: BH58.jpg]

मैं जेठानी के साथ बैठी देख रही थी अपनी छोटी ननद की हालत जो... लेकिन मेरा मन कर रहा था कि काश मैं हीं चली जाती उसकी जगह| 



इतने सारे मरद कम से कम..., सुबह से इतनी चुदवासी लग रही थी...सोचा था गाँव में बहुत खुल के होली होती है और नई बहु को तो सारे मर्द कस कस के रगड़ते हैं, लेकिन यहाँ तो एक भी लंड... 



इस समय कोई भी मिल जाता तो चुदवाने को कहे मैं हीं पटक के उसे चोद देती| 

दारू के चक्कर में जो थोड़ी बहुत झिझक थी वो भी खतम हो गई थी
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#28
[Image: remote-image-13596-0-jpg-ho.jpg]








तब तक एक किशोर... चेहरा रंग से अच्छी तरह पुता...और साथ में मेरी बड़ी ननद| 


वो हँस के मुझसे बोलीं, 


“हे, ये तेरा छोटा देवर है| जरा शर्मीला है लेकिन कस के रंग लगाना..." 

फिर क्या था|


[Image: 03boobgrab.jpg]
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#29
I am planning to post a sequel to this story on coming HOLI 

[Image: Holi-Celebrations-Photos-1419.jpg]
and a new HOLI story ...please do suggest ...ye HOLI 


kis kis ke bich hogi ...


[Image: HOLI3419-Kingsam0071.jpg]

1.... Jija Saali ,...or 

[Image: Holi-2350606.jpg]

2. Devar Bhabhhi , or 

[Image: Holi-wet.jpg]

3, Nanadoi Salhaj , or 

4, Saas Damad ,... or 

5 some other scene ( suggest some details ....) 
[Image: Happy-Holi-Adult-Photos.jpg]

HOLI is coming soon ...so ....
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#30
नयकी भौजी पे चढ़ गया /नयकी भौजी चढ़ गयीं अपने,… 

[Image: 1a75.jpg]


और साथ में मेरी बड़ी ननद| 

वो हँस के मुझसे बोलीं, 

“हे, ये तेरा छोटा देवर है| जरा शर्मीला है लेकिन कस के रंग लगाना..." 


\\फिर क्या था| 


आगे 


“अरे शर्म क्या, मैं इसका सब कुछ छुड़ा दूंगी, बस देखते रहिये|” 


[Image: d9b2dd5ded416d2f6095111a0e26ff69-c.jpg]

और मैंने उसे कस के पकड़ लिया| वो बेचारा कूं कूं करता रहा, लेकिन मेरी ननद और जेठानी इतने जोर-जोर से मुझे ललकार रही थीं कि मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था| उसके चेहरे पे मैंने कस के रंग लगाया, मुलायम गाल रगड़े|



“हे भाभी, रंग देवर के साथ खेल रही हैं या उसके कपड़ों के साथ, अरे देवर भाभी की होली है कस के...” 


जेठानी ने चढ़ाया, 


[Image: 1sdtueptu0rk-t.jpg]

“अरे फाड़ दे कपड़े इसके, पहले कपड़े फाड़, फिर इसकी गांड़...” 

फिर क्या था, मैंने पहले तो कुरता खींच के फाड़ दिया| 


जेठानी ने उसके दोनों हाथ पकड़े तो मैंने पजामे का नाड़ा भी खोल दिया, अब तो वो सिर्फ चड्डी में| 

ननद ने भी उसके साथ मिल के मेरी साड़ी खींच दी और ब्लाउज भी फाड़ दिया| 




अब एकदम फ्री फॉर ऑल हो गया था| चड्डी उसकी तनी हुई थी| एक झटके में मैंने वो भी नीचे खींच दिया और उसका ६ इंच का तन्नाया लंड बाहर| 

शर्मा के उसने उसे छिपाने की कोशिश की लेकिन तब तक उसे गिरा के मैं चढ़ चुकी थी और दोनों हाथों में कालिख लगा के उसके गोरे लंड को कस-कस के मुठिया रही थी| 


[Image: holding-cock-tumblr-o050lrr-Zd-H1uk76xgo1-400.gif]

तब तक मेरी ननद ने मेरी भी वही हालत कर दी और कहा, 

“भाभी अगर हिम्मत है तो इसके लंड को अंदर ले के होली खेलिए..” 


मैं तो चुदवासी थी, थोड़ी देर चूत मैंने उसके लंड के ऊपर रगड़ी और एक झटके में अंदर...





“साल्ले ये ले मेरी चूचि, रगड़, पकड़ और कस के चोद, अगर अपनी माँ का बच्चा है| दिखा दे कि मर्द है| ले ले चोद और अगर किसी रंडी छिनाल की औलाद है तो...” 

मैंने बोला और हचक हचक के चोदना शुरू कर दिया| इतनी देर से मेरी प्यासी चूत को लंड मिला था| 

[Image: WOT-J-tumblr-ovk3f2e-Rf51vnyt2qo1-540.gif]


वो कुछ बोलना चाहता था लेकिन मेरी जेठानी ने उसका मुँह रंग लगाने के साथ बंद कर रखा था| 

थोड़ी देर में अपने आप वो भी चूतड़ उछालने लगा और फिर मैंने भी अपनी चूत सिकोड़ के, चूचियाँ उसके सीने पे रगड़ रगड़ के चोदना शुरू कर दिया| मेरे बदन का सब रंग उसके देह में लग रहा था|



ननद मेरी चूचियों में रंग लगाती और वो मैं उसके सीने पे पोत देती| 

[Image: Nude-boobs-holi-Delhi-Escorts-256x256.gif]



थोड़ी देर तक तो वो नीचे रहा लेकिन फिर मुझे नीचे कर खुद ऊपर चढ़ के चोदने लगा| 


[Image: fucking-ruff-tumblr-nlocg094-MV1s9xv4do2-250.gif]

नशे में चूर मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था, बस मुझे मजा बहुत आ रहा था| कल रात से हीं जो मैं झड़ नहीं पाई थी, बहुत चुदवासी हो रही थी| 


वो तो चोद हीं रहा था, साथ में ननद भी कभी मेरी निप्पल पे, कभी क्लिट पे रंग लगाने के बहाने फ्लिक कर देतीं| 




तभी मैंने देखा नंदोई जी...उन्होंने उंगली के इशारे से मुझे चुप रहने को कहा और कपड़े उतार के अपना खूब मोटा कड़ा लंड... मैं समझ गई और मेरे पैर जो उसकी पीठ पे थे.. पूरी ताकत से मैंने कैंची की तरह कस के बाँध लिए... 

वो बेचारा तिलमिलाता रहा

 लेकिन जब तक वो कुछ समझे, उसकी गांड़ चियार के उन्होंने मोटा, खूब लाल सुपाड़ा उसके गांड़ के छेद पर लगा दिया और कमर पकड़ के जो करारा धक्का मारा... एक बार में हीं पूरा सुपाड़ा अंदर पैवस्त हो गया| 

बेचारा चीख भी नहीं पाया क्योंकि उसके मुँह में मैंने जानबूझ के अपनी मोटी चूचि पेल रखी थी|

“हाँ नंदोई जी मार लो साल्ले की गांड़, खूब कस के पेल दो पूरा लंड अंदर, भले हीं फट जाए साल्ले की| मोची से सिलवा लेगा (मैं सोच रही थी मेरा देवर है तो, नंदोई जी का तो साला हीं हुआ|) छोड़ना मत|” 


साथ में मैं कस के उसकी पीठ पकड़े हुए थी|

तिल तिल कर उनका पूरा लंड समां गया| एक बार जब लंड अंदर घुस गया तो फिर तो वो लाख कसमसाता रहा, छटपटाता रहा, वो सटासट सटासट, गपागप उसकी गांड़ मारते रहे| 

एक बात और जितनी जोर से उसकी गांड़ मारी जा रही थी उतना हीं उसके लंड की सख्ती और चुदाई का जोश बढ़ गया था| हम दोनों के बीच वो अच्छी तरह सैंडविच बन गया था| लंड उसका भले हीं मेरे 'उनके' या नंदोई की तरह लंबा, मोटा ना हो पर देर तक चोदने और ताकत में कम नहीं था| जब लंड उसकी गांड़ में घुसता तो उसी तेजी से वो मेरी चूत में पेलता और जब वो बाहर निकालते तो साथ में वो भी...

थोड़ी देर में मेरी देह कांपने लगी| मैं झड़ने के कगार पे थी और वो भी| जिस तरह उसका लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था...


“ओह्ह ओह्ह हाँ हाआआआं बस ओह्ह...झड़ऽऽऽ रही हूँउउउं...” 


कस-कस के मैं चूतड़ उचका रही थी और उसकी भी आँखे बंद हुई जा रही थी 


तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका और हम दोनों के चेहरे का रंग भी कुछ धुल गया और नशा भी हल्का हो गया|
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#31
ननद और नंदोई 



[Image: tumblr-mr68yratk-Y1refclvo1-500.jpg]





थोड़ी देर में मेरी देह कांपने लगी| मैं झड़ने के कगार पे थी और वो भी| जिस तरह उसका लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था...

“ओह्ह ओह्ह हाँ हाआआआं बस ओह्ह...झड़ऽऽऽ रही हूँउउउं...” 


[Image: fucking-tumblr-mhbhxl-FNrt1rbq0iso1-400-1.gif]



कस-कस के मैं चूतड़ उचका रही थी और उसकी भी आँखे बंद हुई जा रही थी 




तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका 

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और हम दोनों के चेहरे का रंग भी कुछ धुल गया और नशा भी हल्का हो गया|


“अरे ये ये...तो मेरा भाई है...” 


मैंने पहचाना लेकिन तब तक हम दोनों झड़ रहे थे और मैं चाह के भी उसको हटा नहीं पा रही थी| 

सच पूछिए तो मैं हटाना भी नहीं चाह रही थी, मेरी रात भर की प्यासी चूत में वीर्य की बारिश हो रही थी| 


और ऊपर से नंदोई अभी भी कस के उसकी गांड़ मार रहे थे| हम लोगों के झड़ने के थोड़ी देर बाद जब झड़ कर हटे तब वो मुझसे अलग हो पाया|

“क्यों भाभी, मेरे भैया से तो रोज चुदवाती थीं...कैसा लगा अपने भैया से चुदवाना? चलिए कोई बात नहीं...बुरा ना मानो होली है...अब जरा मेरे सैंया से भी तो चुदवा के देख लीजिए|” 

ननद ने छेड़ा|


“चल देख लूंगी उनको भी...” रस भरी निगाहों से नंदोई को देखते हुए मैं बोली|

तब तक मेरी छोटी ननद भी आ गई थी| 

वो और जेठानी जी उसे लेके अंदर चली गईं और मैं, बड़ी ननद और नंदोई जी बचे| 



कसरती देह, लंबा तगड़ा शरीर और सबसे बढ़ के लंबा और खूब मोटा लंड, जो अभी भी हल्का हल्का तन्नाया था| 

तब तक एक और आदमी आया...ननद ने बताया कि ये उनके जीजा लगते हैं इसलिए वो भी मेरे नंदोई लगेंगे| हँस के मैंने चिढ़ाया,

[Image: male-10.jpg]

“अरे ननद एक और नंदोई दो...बड़ी नाइंसाफी है|”


[Image: 15-Photos-Of-Hot-Pakistani-Model-Sofia-H...tion-9.jpg]

“अरे भाभी, आप हैं ना मुकाबला करने के लिए मेरी ओर से...” वो बोली|

“आज तो होली हमलोग अपनी सलहज से खेलने आए हैं|” 


दोनों एक साथ बोले|
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#32
नंदोई दो सलहज एक 

[Image: MMF-G-tumblr-ozbne3-Wvh-C1u5mu3ko1-1280.jpg]




अब तक आपने पढ़ा 



“ओह्ह ओह्ह हाँ हाआआआं बस ओह्ह...झड़ऽऽऽ रही हूँउउउं...” कस-कस के मैं चूतड़ उचका रही थी और उसकी भी आँखे बंद हुई जा रही थी तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका और हम दोनों के चेहरे का रंग भी कुछ धुल गया और नशा भी हल्का हो गया|


“अरे ये ये...तो मेरा भाई है...” 

मैंने पहचाना लेकिन तब तक हम दोनों झड़ रहे थे और मैं चाह के भी उसको हटा नहीं पा रही थी| सच पूछिए तो मैं हटाना भी नहीं चाह रही थी, मेरी रात भर की प्यासी चूत में वीर्य की बारिश हो रही थी| 



और ऊपर से नंदोई अभी भी कस के उसकी गांड़ मार रहे थे| 

हम लोगों के झड़ने के थोड़ी देर बाद जब झड़ कर हटे तब वो मुझसे अलग हो पाया|

“क्यों भाभी, मेरे भैया से तो रोज चुदवाती थीं...कैसा लगा अपने भैया से चुदवाना? चलिए कोई बात नहीं...बुरा ना मानो होली है...अब जरा मेरे सैंया से भी तो चुदवा के देख लीजिए|” ननद ने छेड़ा|



“चल देख लूंगी उनको भी...” रस भरी निगाहों से नंदोई को देखते हुए मैं बोली|

[Image: Teej-y-wallpaper2you-321177.jpg]

आगे 




तब तक मेरी छोटी ननद भी आ गई थी| 

वो और जेठानी जी उसे लेके अंदर चली गईं और मैं, बड़ी ननद और नंदोई जी बचे| 

कसरती देह, लंबा तगड़ा शरीर और सबसे बढ़ के लंबा और खूब मोटा लंड, जो अभी भी हल्का हल्का तन्नाया था| 





तब तक एक और आदमी आया...ननद ने बताया कि ये उनके जीजा लगते हैं इसलिए वो भी मेरे नंदोई लगेंगे| हँस के मैंने चिढ़ाया,


अरे ननद एक और नंदोई दो...बड़ी नाइंसाफी है|”

“अरे भाभी, आप हैं ना मुकाबला करने के लिए मेरी ओर से...” वो बोली|


“आज तो होली हमलोग अपनी सलहज से खेलने आए हैं|” दोनों एक साथ बोले|

मैंने रंग से जवाब दिया, पास रखी रंग की बाल्टी उठा के सीधे दोनों पर एक साथ और दोनों नंदोई रंग से सराबोर हो गये| 


[Image: indian-galz-holi-01.jpg]

दूसरी बाल्टी का निशाना मैंने सीधे उनके खूंटे पे...पर तब तक वो दोनों भी संभल गए थे| एक ने मुझे पीछे से पकड़ा और दूसरे ने पहले गालों पे, फिर मेरी लपेटी, देह से चिपकी साड़ी के ऊपर से हीं मेरे जोबन पे रंग लगाना शुरू कर दिया|

“अरे एक साथ दोनों डालियेगा क्या?” मैंने हँस के पूछा|

[Image: holi-fashion2-jpg-image-784-410.jpg]

“मन मन भावे...अरे भाभी मन की बात जुबान पे आ गई| साफ साफ क्यों नहीं कहती कि एक साथ आगे पीछे दोनों ओर का मजा लेना चाहती हैं|” 

ननद ने हँस के चिढ़ाया|




“हम दोनों तैयार हैं|” दोनों साथ साथ बोले|

“आगे वाली तेरी, पीछे वाली मेरी..” 

नंदोई ने टुकड़ा लगाया| 

तब तक गिरे हुए रंग पे फिसल के मेरे छोटे (जो बाद में आये थे और जिसे ननद ने जीजा कहा था) नंदोई गिरे और उन्हें पकड़े पकड़े उनके ऊपर मैं गिरी| रंग से सराबोर|

नंदोई ने मेरी साड़ी खींच के मुझे वस्त्रहीन कर दिया| लेकिन अबकी ननद ने मेरा साथ दिया| मेरे नीचे दबे छोटे नंदोई का पजामा खींच के उनको भी मेरी हालत में ला दिया| (कुरता बनियान तो दोनों का हमलोग पहले हीं फाड़ के टॉपलेस कर चुके थे और नंदोई ने मेरी ननद को भी... तो अब हम चारो एक हालत में थे|)

क्या लंड था, खूब मोटा, एक बालिश्त सा लंबा और एकदम खड़ा|


[Image: cock-Kamal-download.jpg]


ननद ने अपने हाथों में लगा रंग सीधे उनके लंड पे कस-कस के पोत दिया| 

मैं क्यों पीछे रहती, मेरे मुँह के पास नंदोई जी का मोटा लंड था| 

मैंने दोनों हाथों से कस-कस के लाल पक्का रंग पोत दिया| खड़ा तो वो पहले से हीं था, मेरा हाथ लग के वो लोहे का रॉड हो गया, लाल रंग का| मेरे नीचे दबे नंदोई मेरी चूत और चूचि दोनों पे रंग लगा रहे थे|

“अरे चूत के बाहर तो बहुत लगा चुके, जरा अंदर भी तो लगा दो मेरी प्यारी भाभी जान को|” ननद ने ललकारा|


“अरे चूत क्या, मैं तो सीधे बच्चेदानी तक रंग दूंगा, याद रहेगी ये पहली होली गाँव की|” वो बोले|


जब तक मैं संभलूं संभलूं, उन्होंने मेरी पतली कमर को पकड़ के उठा लिया और मेरी चूत सीधे उनके सुपाड़े से रगड़ खा रही थी| 

ननद ने झुक के पुत्तियों को फैलाया और नंदोई ने ऊपर से कन्धों को पकड़ के कस के धक्का दिया और एक बार में हीं गचाक से आधे से ज्यादा लंड अंदर|
[Image: Joru-K-wot-jjj.gif]



मैंने भी कमर का जोर से लगाया और जब मेरी कसी गुलाबी चूत में वो मोटा हलब्बी लंड घुसा तो होली का असली मजा आ गया| 


मेरे हाथ का रंग तो खत्म हो गया था...जमीन पे गिरे लाल रंग को मैंने हाथ में लिया और कस-कस के पक्के लाल रंग को नंदोई के लंड पे पोत के बोलने लगी,


“अरे नंदोई राजा, ये रंग इतना पक्का है जब अपने मायके जाके मेरी इस छिनाल ननद की दर छिनाल हरामजादी, गदहा चोदी ननदों से, अपनी रंडी बहनों से चुसवाओगे ना हफ्ते भर तब भी ये लाल का लाल रहेगा| चाहे अपनी बहनों के बुर में डालना या अम्मा के भोंसड़े में|”






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#33
डलवाई लो भौजी होली में 



[Image: holi-photos-148948689370.jpg]



“अरे नंदोई राजा, ये रंग इतना पक्का है जब अपने मायके जाके मेरी इस छिनाल ननद की दर छिनाल हरामजादी, गदहा चोदी ननदों से, अपनी रंडी बहनों से चुसवाओगे ना हफ्ते भर तब भी ये लाल का लाल रहेगा| चाहे अपनी बहनों के बुर में डालना या अम्मा के भोंसड़े में|”


तब तक जमीन पे लेटे मुझे चोद रहे नंदोई ने कस के मुझे अपनी बाँहों में भींच लिया और अब एकदम उनकी छाती पे लेटी मैं कस के चिपकी हुई थी| मेरी टाँगे उनकी कमर के दोनों ओर फैली, चूतड़ भी कस के फैले हुए|



अचानक पीछे से नंदोई ने मेरी गांड़ के छेद पे सुपाड़ा लगा दिया| 


[Image: MMF-tumblr-mzirs8jkq-E1r2svjro1-400.gif]


नीचे से नंदोई ने कस के बाँहों में जकड़ रखा था और ननद भी कस के अपनी उँगलियों से मेरी गांड़ का छेद फैला के उनका सुपाड़ा सेंटर कर दिया| 


नंदोई ने कस के जो मेरे चूतड़ पकड़ के पेला तो झटाक से मेरी कसी गांड़ फाड़ता, फैलाता सुपाड़ा अंदर| मैं तिलमिलाती रही, छटपटाती रही लेकिन,



“अरे भाभी आप कह रही थीं ना दोनों ओर से मजा लेने का, तो ले लो ना एक साथ दो दो लंड|”



[Image: holi-photos-1489486893190.jpg]
ननद ने मुझे छेड़ा|






“अरे तेरी सास ने गदहे से चुदवाया था या घोड़े से जो तुझे ऐसे लंड वाला मर्द मिला| ओह लगता है, अरे एक मिनट रुक न नंदोई राजा, अरे तेरी सलहज की कसी गांड़ है, तेरी अम्मा की ४ बच्चों जनी भोंसड़ा नहीं जो इस तरह पेल रहे हो...रुक रुक फट गई, ओह|” 


मैं दर्द में गालियाँ दे रही थी|

पर रुकने वाला कौन था? 

एक चूचि मेरी गांड़ मारते नंदोई ने पकड़ी और दूसरी चूत चोदते छोटे नंदोई ने, इतने कस-कस के मींजना शुरू किया कि मैं गांड़ का दर्द भूल गई| 

थोड़ी हीं देर में जब लंड गांड़ में पूरी तरह घुस चुका था तो उसे अंदर का नेचुरल लुब्रिकेंट भी मिल गया, फिर तो गपागप गपागप...मेरी चूत और गांड़ दोनों हीं लंड लील रही थी| 


[Image: MMF-jiju-2-tumblr-mg0ort8nr-U1rms87jo1-500.gif]

कभी एक निकालता दूसरा डालता और दूसरा निकालता तो पहला डालता, और कभी दोनों एक साथ निकाल के एक साथ सुपाड़े से पूरे जड़ तक एक धक्के में पेल देते|


एक बार में जड़ तक लंड गांड़ में उतर जाता, गांड़ भी लंड को कस के दबोच रही थी| 

खूब घर्षण भी हो रहा था, कोई चिकनाई भी नहीं थी सिवाय गांड़ के अंदर के मसाले के| मैं सिसक रही थी, तड़प रही थी, मजे ले रही थी| साथ में मेरी साल्ली छिनाल ननद भी मौके का फायदा उठा के मेरी खड़ी मस्त क्लिट को फड़का रही थी, नोच रही थी| 



[Image: jethani-MMF-18306101.gif]

खूब हचक के गांड़ मारने के बाद नंदोई एक पल के लिए रुके|



मूसल अभी भी आधे से ज्यादा अंदर हीं था| 

उन्होंने लंड के बेस को पकड़ के कस-कस के उसे मथानी की तरह घुमाना शुरू कर दिया| 


थोड़ी हीं देर में मेरे पेट में हलचल सी शुरू हो गई| (रात में खूब कस के सास ननद ने खिलाया था और सुबह से 'फ्रेश' भी नहीं हुई थी|) उमड़ घुमड़...और लंड भी अब फचाक फचाक की आवाज के साथ गांड़ के अंदर बाहर...तीन तरफा हमले से मैं दो तीन बार झड़ गई, उसके बाद मेरे नीचे लेटे नंदोई मेरी बुर में झड़े|





उनका लंड निकलते हीं मेरी ननद की उंगलियाँ मेरी चूत में...


[Image: cum-in-pussy-19216366.jpg]

और उनके सफेद मक्खन को ले के सीधे मेरे मुँह में, चेहरे पे अच्छी तरह फेसियल कर दिया| लेकिन नंदोई अभी भी कस-कस के गांड़ मार रहे थे...बल्कि साथ साथ मथ रहे थे| (एक बार पहले भी वो अभी हीं मेरे भाई की गांड़ में झड़ चुके थे|) 

[Image: cum-on-face-tumblr-nw3sgwc-Mni1uyqhczo1-1280.jpg]


और जब उन्होंने झड़ना शुरू किया तो पलट के मुझे पीठ के बल लिटा के लंड, गांड़ से निकाल के 'सीधे' मेरे मुँह पे|


मैंने जबरन मुँह भींच लिया लेकिन दोनों नंदोइयों ने एक साथ कस के मेरा गाल जो दबाया तो मुँह खुल गया| 


फिर तो उन्होंने सीधे मुँह में लंड ठेल दिया| 

मुझे बड़ा ऐसा...ऐसा लग रहा था लेकिन उन्होंने कस के मेरा सिर पकड़ रखा था और दूसरे नंदोई ने मुँह भींच रखा था| धीरे धीरे कर के पूरा लंड घुसेड़ दिया मेरे मुँह में...उनके लंड में...लिथड़ा...लिथड़ा..




वो बोले,
“अरे सलहज रानी गांड़ में तो गपाक गपाक ले रही थी तो मुँह में लेने में क्यों झिझक रही हो?” 


“भाभी एक नंदोई ने तो जो बुर में सफेद मक्खन डाला वो तो आपने मजे ले के गटक लिया तो इस मक्खन में क्या खराबी है? अरे एक बार स्वाद लग गया न तो फिर ढूंढती फिरियेगा, फिर आपके हीं तो गांड़ का माल है| जरा चख के तो देखिए|” 

ननद ने छेड़ा और फिर नंदोइयों को ललकारा,

“अरे आज होली के दिन सलहज को नया स्वाद लगा देना, छोड़ना मत चाहे जितना ये चूतड़ पटके...” 

मैं आँख बंद कर के चाट चूट रही थी| 


[Image: ATM-tumblr-msgfdi-Tax-Q1rrcnc0o1-r1-400.gif]

कोई रास्ता भी नहीं था| लेकिन अब धीरे धीरे मेरे मुँह को भी और एक...| नए ढंग की वासना मेरे ऊपर सवार हो रही थी| लेकिन मेरी ननद को मेरी बंद आँख भी नहीं कबूल थी| 

उसने कस के मेरे निप्पल पिंच किये और साथ में नंदोई ने बाल खींचे,

“अरे बोल रही थी ना कि मेरे लंड को लाल रंग का कर दिया कि मेरी बहनें चूसेंगी तब भी इसका रंग लाल हीं रहेगा ना, तो देख छिनाल, तेरी गांड़ से निकल के किस रंग का हो गया है?”

वास्तव में लाल रंग तो कहीं दिख हीं नहीं रहा था| वो पूरी तरह मेरी गांड़ के रस से लिपटा...

“चल जब तक चाट चूट के इसे साफ नहीं कर देती, फिर से लाल रंग का ये तेरे मुँह से नहीं निकलेगा| चल चाट चूस कस-कस के..ले ले गांड़ का मजा|”




 वो कस के ठेलते बोले|
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#34
नए मजे होली के 

[Image: bangbang-holifest2015-at-novotel207.jpg]


“चल जब तक चाट चूट के इसे साफ नहीं कर देती, फिर से लाल रंग का ये तेरे मुँह से नहीं निकलेगा| चल चाट चूस कस-कस के..ले ले गांड़ का मजा|” 

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वो कस के ठेलते बोले| 

तब तक छोटे नंदोई का लंड भी फिर से खड़ा हो गया था| मेरी ननद ने कुछ बोलना चाहा तो उन्होंने उसे पकड़ के निहुरा दिया और बोले, 

“चल अब तू भी गांड़ मरा, बहुत बोल रही है ना..” 

और मुझसे कहा कि मैं उसकी गांड़ फैलाने में मदद करूँ| 



मुझे तो मौका मिल गया| पूरी ताकत से जो मैंने उसकी चियारी तो...क्या होल था? गांड़ का छेद पूरा खुला खुला| तब तक नंदोई ने मेरे मुँह से लंड निकाल लिया था| 

उनका इशारा पाके मैंने मुँह में थूक का गोला बना के ननद की खुली गांड़ में कस के थूक के बोला,


“क्यों मुझे बहुत बोल रही थी ना छिनाल, ले अब अपनी गांड़ में लंड घोंट| नंदोई जी एक बार में हीं पूरा पेल देना इसकी गांड़ में|” 



उन्होंने वही किया| 

[Image: sixteen-anal-28.gif]

हचाक हचाक...और थोड़ी देर में उसकी गांड़ से भी गांड़ का... 




अब मुझे कोई...घिन नहीं लग रही थी| बल्कि मैं मजे से देख रही थी| लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही थी कि ननद बजाय चीखने के अभी भी क्यों मुस्कुरा रही थीं| 

वो मुझे थोड़ी देर में हीं समझ में आ गया, जब उन्होंने उनकी गांड़ से अपना...लिथड़ा लंड निकाल के सीधे...जब तक मैं समझूं संभलूं मेरे मुँह में घुसेड़ दिया|

मैं मुँह भले बना रही थी...लेकिन अब थोड़ा बहुत मुझे भी...और मैं ये समझ भी गई थी कि बिना चाटे चूटे छुटकारा भी नहीं मिलने वाला| ओं ओं मैं करती रही लेकिन उन्होंने पूरे जड़ तक लंड पेल दिया| 


“अरे भाभी अपनी गांड़ के मसाले का बहुत मजा ले लिया, अब जरा मेरी गांड़ के...का भी तो मजा चखो, बोलो कौन ज्यादा मसालेदार है? जरा प्यार से चख के बताना|” 



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ननद ने छेड़ा|

तब तक नंदोई ने बोला,


 अरे ज्यादा मत बोल, अभी तेरी गांड़ को मैं मजा चखाता हूँ| सलहज जी जरा फैलाना तो कस के अपनी ननद की गांड़|”

मैं ये मौका क्यों चूकती| 


वैसे मेरी ननद के चूतड़ थे भी बड़े मस्त, गोल गोल गुदाज और बड़े बड़े| 

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मैंने दोनों हाथों से पूरे ताकत से उसे फैलाया| पूरा छेद और उसके का माल...सब दिख रहा था| 

नंदोई ने दो उंगली एक साथ घुसेड़ी कि ननद की चीख निकल गई| लेकिन वो इतनी आसानी से थोड़ी हीं रुकने वाले थे|

उसके बाद तीन उंगली, सिर्फ अंगूठा और छोटी उंगली बाहर थी और तीनों उंगली सटासट सटासट...

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अंदर बाहर, 

मैंने चूत की फिस्टिंग की बात सुनी थी लेकिन इस तरह गांड़ में तीन उंगली एक साथ...

मैं सोच भी नहीं सकती थी| एक पल के लिए तो गांड़ से निकले मेरे मुँह में जड़ तक घुसे लंड को भी भूल कर मैं देखती रही| वो कराह रही थी, उनके आँखों से दर्द साफ साफ झलक रहा था|

पल भर के लिए जब मेरे मुँह से लंड बाहर निकला तो मुझसे रहा नहीं गया,


“अरे चूत मरानो, मेरे बहन चोद सैंया की रखैल, पंच भतारी, बहुत बोल रही थी ना मेरी गांड़ के बारे में...क्या हाल है तेरी गांड़ का? अगर अभी मजा ना आ रहा हो तो तेरे भैया को बुला लूं| जरा कुहनी तक हाथ डाल के इसकी गांड़ का मजा दो इसे| इस कुत्ता चोद को इससे कम में मजा हीं नहीं आता|” 

मैं बोले जा रही थी और उंगलियाँ क्या लगभग पूरा हाथ उनकी गांड़ में...तब तक वो लसलसा हाथ गांड़ से निकाल के...उन्होंने एक झटके में पूरा मेरे मुँह में डाल दिया और बोले,

“अरे बहुत बोलती है, ले चूस गांड़ का रस...अरे कुहनी तक तो तुम दोनों की गांड़ और भोंसड़े में डालूँगा तब आयेगा ना होली का मजा| लेकिन इसके पहले मजा दूं जरा चूस चाट के मेरा हाथ साफ तो कर सटासट|” 

मैं गों गों करती रही लेकिन पूरा हाथ अंदर डाल के उन्होंने चटवा के हीं दम लिया|

“अरे चटनी चटाने से मेरी प्यारी भाभी की भूख थोड़े हीं मिटेगी| ले भाभी सीधे गांड़ से हीं|” 

वो मेरे ऊपर आ गयी और बड़ी अदा से मुझे अपनी गांड़ का छेद फैला के दिखाते हुए बोलीं|


“अरे तू क्या चटाएगी...? सुबह तेरी छोटी बहन को मैं सीधे अपनी बुर से होली का...गरमा गरम खारा शरबत पिला चुकी हूँ| सारी की सारी सुनहली धार एक एक बूंद घोंट गई तेरी बहना|” 

खीज के मैंने भी सुना दिया|

“अरे तो जो भाभी रानी आपको सुबह से हमलोग शरबत पिला रहे थे उसमें आप क्या समझती हैं...क्या था? आपकी सास से लेके...ननद तक, लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं तो अपनी प्यारी भाभी को होली के मौके पे, सीधे बुर और गांड़ से हीं...तो लीजिए ना|” 


और वो मेरे मुँह के ठीक उपर अपनी गांड़ का छेद कर के बैठ गईं|

[Image: Lez-face-sitting-13632604.gif]





लेकिन मैंने तय कर लिया था कि लाख कुछ हो जाय अबकी मैं मुँह नहीं खोलूंगी| पहले तो उसने मेरे होंठों पे अपनी गांड़ का छेद रगड़ा, फिर कहती रही कि सिर्फ जरा सा, बस होली के नाम के लिए, लेकिन मैं टस से मस ना हुई| 

फिर तो उस छिनाल ने कस के मेरी नाक दबा दी| मेरे दोनों हाथ दोनों नंदोइयों के कब्जे में थे और मैं हिल डुल नहीं पा रही थी| यहाँ तक की मेरी नथ भी चुभने लगी| 

थोड़ी देर में मेरी साँस फूलने लगी, चेहरा लाल होने लगा, आँखें बाहर की ओर|

“क्यों आ रहा है मजा, मत खोल मुँह...” 

वो चिढ़ा के बोली और सच में इतना कस के उसने अपनी गांड़ से मेरे होंठों को दबा रखा था कि मैं चाह के भी मुँह नहीं खोल पा रही थी|

“ले भाभी देती हूँ तुझे एक मौका, तू भी क्या याद करेगी...किसी ननद से पाला पड़ा था|”

और उसने चूतड़ ऊपर उठा के अपनी गांड़ का छेद दोनों हाथों से पूरा फैला दिया|

“ऊईई उईईईई...|”

 मैं कस के चीखी| नंदोई ने दोनों निप्पल्स को कस के पिंच करते हुए मोड़ दिया था| मेरे खुले होंठों पे अपनी फैली गांड़ का छेद रख के फिर वो कस के बैठ गई और एक बार फिर से मेरी नाक उसकी उँगलियों के बीच| अब गांड़ का छेद सीधे मेरे मुँह में| वो हँस के बोली,

“भाभी बस अब अगर तुम्हारी जीभ रुकी तो...अरे खुल के इस नए स्वाद का मजा लो| 

अरे पहले आपकी चूत को जब तक लंड का मजा नहीं मिला था, चुदाई के नाम से बिदकती थीं, लेकिन जब सुहागरात को मेरे भैया ने हचक हचक के चोद चोद के चूत फाड़ दी तो एक मिनट इस साली चूत को लंड के बिना नहीं रहा जाता| 

पहले गांड़ मरवाने के नाम से भाभी तेरी गांड़ फटती थी, अब तेरी गांड़ में हरदम चींटी काटती रहती है, अब गांड़ को ऐसा लंड का स्वाद लगा कि...तो जैसे वो स्वाद भैया ने लगाए तो ये स्वाद आज उनकी बहना लगा रही है| सच भाभी ससुराल की ये पहली होली और ये स्वाद आप कभी नहीं भूलेंगी|”







[Image: ass-licking-tumblr-omf3h9-NPz-E1vo8g82o1-400.gif]





तब तक मेरी दोनों चूचियाँ, मेरे नंदोइयों के कब्जे में थी| 

वो रंग लगा रहे थे, चूचि की रगड़ाई मसलाई भी कर रहे थे| दोनों चूचियों के बाद दोनों छेद पे भी...नंदोई ने तो गांड़ का मजा पहले हीं ले लिया था तो वो अब बुर में और छोटे नंदोई गांड़ में...मैं फिर सैंडविच बन गई थी| 

लेकिन सबसे ज्यादा तो मेरी ननद मेरे मुँह में...झड़ने के साथ दोनों ने फिर मेरा फेसियल किया मेरी चूचियों पे... 


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और ननद ने पता नहीं क्या लगाया था कि अब 'जो भी' मेरी देह से लगता था...वो बस चिपक जाता था| घंटे भर मेरी दुरगत कर के हीं उन तीनों ने छोड़ा|

बाहर खूब होली की गालियाँ, जोगीड़ा, कबीर...| जमीन पे पड़ी साड़ी चोली किसी तरह मैंने लपेटी और अंदर गई कि जरा देखूं मेरा भाई कहाँ है|
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#35
गाँव की होली का मजा 




[Image: colors-holi-18.jpg]



बाहर खूब होली की गालियाँ, जोगीड़ा, कबीर...| जमीन पे पड़ी साड़ी चोली किसी तरह मैंने लपेटी और अंदर गई कि जरा देखूं मेरा भाई कहाँ है|



उस बिचारे की तो मुझसे भी ज्यादा दुरगत हो रही थी| 

सारी की सारी औरतें यहाँ तक की मेरी सास भी...

तब तक मेरी बड़ी ननद भी वहाँ पहुँची और बोलीं, 
[Image: zoom-holi-12.jpg]


“अरे तुम सब अकेले इस कच्ची कली का मजा ले रहे हो! रुक साल्ले, अभी तेरी बहन को खिला पिला के आ रही हूँ, अब तेरा नंबर है, चल अभी तुझे गरम गरम हलवा खिलाती हूँ|” 

मैं सहम गई कि इतनी मुश्किल से तो बची हूँ, अगर फिर कहीं इन लोगों के चक्कर में पड़ी तो...उन सबकी नजर बचा के मैं छत पे पहुँच गई| 

बहुत देर से मैंने 'इनको' और अपनी जेठानी को नहीं देखा था|



 


शैतान की बात सोचिये और...भुस वाले कमरे में मैंने देखा कि भागते हुए मेरी जेठानी घुसीं और उनके पीछे पीछे उनके देवर यानी मेरे 'वो' रंग लेके| अंदर घुसते हीं उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया|


 

पर ऊपर एक रोशनदान से, जहाँ मैं खड़ी थी, अंदर का नजारा साफ साफ दिख रहा था| '




इन्होंने' अपनी भाभी को कस के बाँहों में भर लिया और गालों पे कस-कस के रंग लगाने लगे| थोड़ी देर में 'इनका' हाथ सरक के उनकी चोली पे और फिर चोली के अंदर जोबन पे...वो भी न सिर्फ खुशी खुशी रंग लगवा रही थीं, बल्कि उन्होंने भी 'उनके' पाजामे में हाथ डाल के सीधे 'उनके' खूंटे को पकड़ लिया|

[Image: Holi-Party-Hot-Photos-2013-15.jpg]


थोड़ी हीं देर में दोनों के कपड़े दूर थे और जेठानी मेरी पुआल पे और 'वो' उनकी जाँघों के बीच...और उनकी ८ इंच की मोटी पिचकारी सीधे अपने निशाने पे| 


[Image: fucking-forced-389-1000.gif]

देवर भाभी की ये होली देख के मेरा भी मन गनगना गया और मैं सोचने लगी कि मेरा देवर...देवर भाभी की भी होली का मजा ले लेती| 

सगा देवर चाहे मेरा न हो लेकिन ममेरे, चचेरे, गाँव के देवरों की कोई कमी नहीं थी| 

खास कर फागुन लगने के बाद से सब उसे देख के इशारे करते, सैन मारते, गंदे गंदे गाने गाते और उनमें सुनील सबसे ज्यादा| उनका चचेरा देवर लगता था, सटा हुआ घर था उन लोगों के घर के बगल में हीं| 


[Image: man-tumblr-oyd5qzo9wh1slni0io1-540.jpg]

गबरू पट्ठा जवान और क्या मछलियाँ थी बाँहों में, खूब तगड़ा, सारी लड़कियाँ, औरतें उसे देख के मचल जाती थीं| 

एक दिन फागुन शुरू हीं हुआ था, फगुनाहट वाली बयार चल रही थी कि गन्ने के खेत की बीच की पगडंडी पे उसने मुझे रोक लिया और गाते हुए गन्ने के खेत की ओर इशारा कर के बोला,

“बोला बोला भौजी, देबू देबू, कि जईबू थाना में|”


अगले दिन पनघट पे जब मैंने जिकर किया तो मेरी क्या ब्याही, अन ब्याही ननदों और जेठानियों की साँसें रुकी रह गई| 

एक ननद बेला बोली,

“अरे भौजी आप मौका चूक गई| फागुन भी था और रंगीला देवर का रिश्ता भी, आपकी अच्छी होली की शुरुआत हो जाती| फिर तो...” 

एकदम खुल के एक ननद बोली, जो सबसे ज्यादा चालू थी गाँव में, 

[Image: Teej-blue-saree.jpg]

“अरे क्या लंड है उसका, भाभी एक बार ले लोगी तो...”

चंपा भाभी (जो मेरी जेठानियों में सबसे बड़ी लगती थीं और जिनका 'खुल के' गाली देने में हर ननद पानी मांग लेती, दीर्घ स्तना, ४०डी साइज के चूतड़) बोलीं, 

“हाँ, हाँ, ये एकदम सही कह रही है, ये इसके पहले बिना कुत्ते से चुदवाए इसे नींद नहीं आती थी लेकिन एक बार इसने जो सुनील से चुदवा लिया तो फिर उसके बाद कुत्तों से चुदवाने की आदत छूट गई| 

बेचारी ननद, वो कुछ और बोलती उसके पहले हीं वो बोलीं, 

[Image: Manju-Bai-19.jpg]

“और भूल गई, जब सुनील से गांड़ मरवाई थी सबसे पहले, तो मैं हीं ले के गई थी मोची के पास...सिलवाने|”

तब तक

'हे भौजी..' 

की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा, सुनील हीं था, अपने दो तीन दोस्तों के साथ, मुझे होली खेलने के लिए नीचे बुला रहा था
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#36
देवर -भौजाई,.... होली की रगड़ाई 

[Image: HOLI-maxresdefault.jpg]


तब तक 'हे भौजी..' की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा, सुनील हीं था, अपने दो तीन दोस्तों के साथ, मुझे होली खेलने के लिए नीचे बुला रहा था| मैंने हाथ के इशारे से उसे मना किया| 

[Image: male-10.jpg]

दरवाजा बंद था इसलिए वो तो अंदर आ नहीं सकता था| लेकिन मन तो मेरा भी कर रहा था, उसने उंगली के इशारे से चूत और लंड बना के चुदाई का निशान बनाया तो उसकी बहन गुड़िया का नाम लेके मैंने एक गंदी सी गाली दी और साड़ी सुखाने के बहाने आँचल ढलका के उसे अपने जोबन का दरसन भी करा दिया| 




अब तो उस बेचारे की हालत और खराब हो गई|


दो दिन पहले जब वह फिर मुझे खेतों के बीच मिला था तो अबकी उसने सिर्फ हाथ हीं नहीं पकड़ा बल्कि सीधे बाँहों में भर लिया था 

[Image: Sugarcane-11111-1.jpg]



और खींच के गन्ने के खेत के बीच में...छेड़ता रहा मुझे, 

“अरे भौजी तोहरी कोठरिया में हम झाड़ब, अरे आगे से झाड़ब, पीछे से झाड़ब, उखियो में झाड़ब, रहरियो में झाड़ब, अरे तोहरी कुठरिया...|”


आखिर जब मैंने वायदा कर लिया कि होली के दिन दूंगी सचमुच में एकदम मना नहीं करुँगी तो वो जाके माना|


जब उसने नीचे से बहुत इशारे किये तो मैंने कहा कि अपने दोस्तों को हटाओ तो बाहर आउंगी होली खेलने| वो मान गया| मैं नीचे उतर के पीछे के दरवाजे से बाहर निकली|


मैंने अपने दोनों हाथों में गाढ़ा पेंट लगाया और कमर में रंगों का पैकेट खोंसा| सामने से वो इशारे कर रहा था| 


[Image: h2.jpg]


दोनों हाथ पीछे किये मैं बढ़ी| तब तक पीछे से उसके दोनों दोस्तों ने, जो दीवाल के साथ छिप के खड़े थे, मुझे पीछे से आके पकड़ लिया| 


मैं छटपटाती रही| 


वो दोनों हाथों में रंग पोत के मेरे सामने आके खड़ा हो गया और बोला, 

“क्यों डाल दिया जाय कि छोड़ दिया जाय, बोल तेरे साथ क्या सलूक किया जाय|” 




मैं बड़ी अदा से बोली, 

[Image: VCUegAD.jpg]

“तुम तीन हो ना तभी...छोड़ो तो बताती हूँ|”

जैसे हीं उसके इशारे पे उसके साथियों ने मुझे छोड़ा, 

'होली है..' कह के कस के उसके गालों पे रंग मल दिया| 

अच्छा बताता हूँ, और फिर उसने मेरे गुलाबी गालों को जम के रगड़-रगड़ के रंग लगाया| मुझे पकड़ के खींचते हुए वो पास के गन्ने के खेत में ले गया और बोला असली होली तो अब होगी| 

“हाँ मंजूर है, लेकिन एक एक करके पहले अपने दोस्तों को तो हटाओ|”


[Image: Holi-Poonam-d6ad3985e5e04a92b884d86bdfc2202a.jpg]




उसके इशारे पे वो पास में हीं कहीं बैठ गये| पहले ब्लाउज के ऊपर से और फिर कब बटन गये, कब मेरी साड़ी ऊपर सरक गई...थोड़ी देर में हीं मेरी गोरी रसीली जाँघें पूरी तरह फैली थीं, टाँगे उसके कंधे पे और 'वो' अंदर|



मैं मान गई कि जो चंपा भाभी मेरी ननद को चिढ़ा रही थीं वो ठीक हीं रहा होगा| उसका मोटा कड़ा सुपाड़ा जब रगड़ के अंदर जाता तो सिसकी निकल जाती|

[Image: fucking-ruff-15135570.gif]

वो किसी कुत्ते की गाँठ से कम मोटा नहीं लग रहा था| और क्या धमक के धक्के मार रहा था, हर चोट सीधे बच्चेदानी पे| 

साथ में उसके रंग लगे हाथ मेरी मोटी-मोटी चूचियों पे कस के रंग भी लगा रहे थे| 


[Image: lygs9sfnyjd9-t.jpg]

पहली बार मैं इस तरह गन्ने के खेत में चुद रही थी, मेरे चूतड़ कस-कस के मिट्टी पे, मिट्टी के बड़े-बड़े ढेलों से रगड़ रहे थे| लेकिन बहुत मजा आ रहा था और साथ में मैं उसकी बहन का नाम ले ले के और गालियाँ भी दे रही थी,



“चोद साले चोद, अरे गुड़िया के यार, बहन के भंडुए, देखती हूँ उस साल्ली मेरी छिनाल ननद ने क्या-क्या सिखाया, उस चूत मरानो के खसम, तेरी बहन की बुर में...गदहे का लंड जाय|” 

वो ताव में आके और कस-कस के चोद रहा था| हम दोनों जब झड़े तो मैंने देखा कि बगल में उसके दोनों दोस्त,


 “भौजी हम भी...”

मैं कौन होती थी मना करने वाली| 

लेकिन उन दोनों ने, मैंने जो सुना था कि गाँव में कीचड़ की होली होती है, उसका मजा दे दिया|

बगल में एक गड्ढे में कीचड़ था, पहले तो वहाँ से लाके कीचड़ पोता मुझे| मैं क्यों छोड़ती अपने देवरों को| मैंने भी कुछ अपने बदन का कीचड़ रगड़ के उनकी देह पे लगाया, कुछ उनके हाथ से छीन के| फिर उन सबने मिल के मेरी डोली बना के कीचड़ में हीं ले जा के पटक दिया|


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एक साथ मुझे मड रेस्लिंग का भी मजा मिला और चुदाई का भी| 

थोड़ी देर वो ऊपर था और फिर मैं ऊपर हो गई और खुद उसे कीचड़ में गिरा-गिरा के रगड़ के चोदा| 



बस गनीमत थी कि उनके दिमाग में मुझे सैंडविच बनाने का आइडिया नहीं आया, इसलिए मेरी गांड़ बच गई| 



[Image: Mud-646f8b5cc8aebaf558b5b3efcde97706-mud.jpg]

उन सबसे निपटने के बाद मैंने साड़ी ब्लाउज फिर से पहना और खेत से बाहर निकली|
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#37
गाँव की होली , ननदों भौजाइयों के साथ 


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उन सबसे निपटने के बाद मैंने साड़ी ब्लाउज फिर से पहना और खेत से बाहर निकली|


मैं घर की ओर मुड़ हीं रही थी कि कुछ औरतों का झुंड मिल गया| वो मुझे ले के चंपा भाभी के घर पहुँची, जहाँ गाँव भर की औरतें इकट्ठा होती थीं और होली का जम के हुड़दंग होता था| 




क्या हंगामा था| मेरे साथ जो औरतें पहुँची, पहले तो बाकी सबने मिल के उनके कपड़े फाड़े| 

[Image: a65bd87545606171ce0d84236a80079c.jpg]


मेरे साथ गनीमत ये थी कि चंपा भाभी ने मुझे अपने आसरे ले लिया था और मेरे आने से वो बहुत खुश थीं| एक से एक गंदे गाने, कबीरा, जोगीड़ा...जो अब तक मैं सोचती थी सिर्फ आदमी हीं गाते हैं, एक ने मुझे पकड़ा और गाने लगी|

दिन में निकले सूरज और रात में निकले चंदा..अरे हमरे यार ने...|
किसकी पकड़ी चूचि और किसको चोदा..अरे हमरे यार ने|
भाभी की चूचि पकड़ी और संगीता को चोदा...अरे कबीरा सा रा रा रा|

[Image: 15-Photos-Of-Hot-Pakistani-Model-Sofia-H...tion-9.jpg]


चंपा भाभी ने सबको भांग मिली ठंडाई पिलाई थी, इसलिए सबकी सब खूब नशे में थीं| 





उन्होंने कंडोम में गुलाल भर भर के ढेर सारे डिल्डो भी बना रखे थे और चार पांच मुझे भी दिये| 

तब तक एक ननद ने मुझे पीछे से पकड़ा, (वो भी शादीशुदा थी और जो स्थान भाभियों में चंपा भाभी का था वही ननदों में उनका था|) मुझे पकड़ के पटकते हुए वो बोलीं, 

“चल देख तुझे बताती हूँ, होली की चुदाई कैसे होती है?” 


उनके हाथ में एक खूब लंबा और मोटा, निरोध में मोमबत्ती डाल के बनाया हुआ डिल्डो था|

तब तक चंपा भाभी ने मुझे इशारा किया और मैंने उन्हें उल्टे पटक दिया| 

उधर चंपा भाभी ने उनके हाथ से डिल्डो छीन के मुझे थमा दिया और बोलीं, 

लगता है नंदोई अब ठंडे पड़ गये हैं जो तुम्हें इससे काम चलाना पड़ रहा है| अरे ननद रानी, हम लोगों से मजे ले लो ना|” 

फिर मुझे इशारा किया कि जरा ननद रानी को मजा तो चखा दे| मैं सिक्स्टी नाइन की पोज में उनके ऊपर चढ़ गई और पहले अपनी चूत, फिर गांड़ सीधे उनके मुँह पे रख के कस के एक बार में हीं ६ इंच डिल्डो सीधे पेल दिया|



वो बिलबिलाती रहीं, गों गों करती रही, लेकिन मैं कस-कस के अपनी गांड़ उनके मुँह पे रगड़ के बोलती रही, 

“अरे ननद रानी, जरा भौजी का स्वाद तो चख लो, तब मैं तुम्हारे इस कुत्ते गधे के लंड की आदि भोंसड़े की भूख मिटाती हूँ|” चंपा भाभी ने गुलाल भरा एक डिल्डो ले के सीधे उनकी गांड़ में ठेल दिया|

[Image: Lez-face-sitting-14271176.gif]


वहाँ से निकल के चंपा भाभी के साथ और लड़कियों के यहाँ गये| 

संगत में मैं पूरी तरह ट्रेन हो गई| सुनील की बहन गुड़िया मिली तो चंपा भाभी के इशारे पे मैंने उसे धर दबोचा| 


वो अभी कच्ची कली थी, ९ वें में पढ़ती थी| 

लेकिन तब फ्रॉक के अंदर हाथ डाल के उसकी उठ रही चूचियों को, कस-कस के रगड़ा और चड्ढी में हाथ हाथ डाल के उसकी चूत में भी जम के तब तक उंगली की जब तक वो झड़ नहीं गई| यहाँ तक की मैंने उससे खूब गंदी-गंदी गालियाँ भी दिलवाई, उसके भाई सुनील के नाम भी|

कोई लड़की, कोई औरत बच नहीं पा रही थी| 



एक ने जरा ज्यादा नखड़ा किया तो भाभी ने उसका ब्लाउज खोल के पेड़ पे फेंक दिया और आगे पीछे दोनों ओर गुलाल भरे कंडोम जड़ तक डाल के छोड़ दिया और बोलीं, 

“जा के अपने भाई से निकलवाना|” 


और जिन-जिन की हम रगड़ाई करते थे, वो हमारे ग्रुप में ज्वाइन हो जाती थीं और दूने जोश से जो अगली बार पकड़ में आती थी उसकी दुरगत करती थीं| 




यहाँ तक की भाभी लड़कों को भी नहीं बख्शती थीं| एक छोटा लड़का पकड़ में आया तो मुझसे बोलीं, 

“खोल दे, इस साल्ले का पजामा|”

मैं जरा सा झिझकी तो बोलीं, 

“अरे तेरा देवर लगेगा, जरा देख अभी नूनी है कि लंड हो गया| चेक कर के बता, इसने अभी गांड़ मरवानी शुरू की या नहीं, वरना तू हीं नथ उतार दे साल्ले की|” 

वो बेचारा भागने लगा, लेकिन हम लोगों की पकड़ से कहाँ बच सकता था|

मैंने आराम से उसके पजामे का नाड़ा खोला, और लंड में, टट्टे में खूब जम के तो रंग लगाया हीं, उसकी गांड़ में उंगली भी की और गुलाल भरे कंडोम से गांड़ भी मार के बोला, 

“जा जा, अपनी बहन से चटवा के साफ करवा लेना|” 

कई कई बार लड़कों का झुंड एक दो को पकड़ भी लेता या वो खुद हीं कट लेतीं और मजे ले के ग्रुप में वापस| 

तीन चार बार तो मैं भी पकड़ी गई और कई बार मैं खुद भी कट के...मजे ले के
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#38
[Image: colors-holi-11.jpg]






मेरी ये होली की कहानी होली की मेरी सबसे मस्त कहानियों में से एक है , और इस बार ये सिर्फ रिपोस्ट नहीं है , बल्कि कई घटनाएं थोड़ा और विस्तार से , और अगर आप का साथ मिला , कुछ थोड़ी बहुत ही सही कमेंट्स , रिएक्शन मिले तो इस  कहानी का सीक्वेल भी 

" सोलहवां फागुन , दीदी के गाँव में "

प्लीज , आप इस कहानी को पढ़ कर अपने कमेंट जरूर दें , हाँ अब इस कहानी का जो बचा हिस्स्सा मैं पोस्ट कर रही हूँ , वो थोड़ा ओरिजिनल से अलग है , और विस्तार भी थोड़ा ज्यादा है ,... 



[Image: wet-hot-girls-enjoying-holi-4-1.jpg]


तो अगर आप का सहयोग मिला तो एकाध हफ्ते में इस कहानी का सीक्वेल भी मैं पोस्ट करना शुरू करुँगी। 






[Image: wet-hot-girls-enjoying-holi-16.jpg]
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#39
sometimes no response is more telling....
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#40
[Image: male-hot.jpg]



एक अनूठा देवर 




अब तक ,… 





कोई लड़की, कोई औरत बच नहीं पा रही थी| 

यहाँ तक की भाभी लड़कों को भी नहीं बख्शती थीं| एक छोटा लड़का पकड़ में आया तो मुझसे बोलीं, 



[Image: MIL-d40fae2d59ad0416d841d5288b33a830.jpg]

“खोल दे, इस साल्ले का पजामा|”


मैं जरा सा झिझकी तो बोलीं, 



“अरे तेरा देवर लगेगा, जरा देख अभी नूनी है कि लंड हो गया| चेक कर के बता, इसने अभी गांड़ मरवानी शुरू की या नहीं, वरना तू हीं नथ उतार दे साल्ले की|” 

वो बेचारा भागने लगा, लेकिन हम लोगों की पकड़ से कहाँ बच सकता था|


[Image: holi-tv-wallpaper.jpg]

मैंने आराम से उसके पजामे का नाड़ा खोला, और लंड में, टट्टे में खूब जम के तो रंग लगाया हीं, उसकी गांड़ में उंगली भी की और गुलाल भरे कंडोम से गांड़ भी मार के बोला, 

“जा जा, अपनी बहन से चटवा के साफ करवा लेना|” 


कई कई बार लड़कों का झुंड एक दो को पकड़ भी लेता या वो खुद हीं कट लेतीं और मजे ले के ग्रुप में वापस| तीन चार बार तो मैं भी पकड़ी गई और कई बार मैं खुद भी कट के...मजे ले के...|


आगे 
तिजहरिया के समय तक होली खेल के सब वापस लौट रही थीं| 


[Image: Holi-Desi-Gilrs-Sexy-Group-Pics.jpg]



चंपा भाभी और कई औरतें अपने घर रास्ते में रुक गईं| हमलोग दो तीन हीं बचे थे कि रास्ते में एक मर्दों का झुंड दिखा, शराब के नशे में चूर, शायद दूसरे गाँव के थे| 



एक तो हमलोग कम रह गये थे, दूसरा उनका भाव देख के हम डर से तितर बितर हो गये| थोड़ी देर में मैंने देखा तो मैं अब गाँव के एकदम बाहरी हिस्से में आ गई थी|





मुख्य बस्ती से थोड़ा दूर, चारों ओर गन्ने और अरहर के खेत और बगीचे थे| तभी मैंने देखा कि वहाँ एक कुआं और घर है| 

[Image: gaaon-2.jpg]



उसे पहचान के मेरी हिम्मत बढ़ गई, वो मेरी कहारिन कुसुमा का घर था| और उसका मरद कल्लू कुएं पे पानी भर रहा था|






कुसुमा गाँव में मेरी अकेली देवरानी लगती थी| 

[Image: jkg-image-11.jpg]




उसकी शादी मेरी शादी के दो तीन महीने बाद हीं हुई थी| 









गोरी, छुई मुई सी, छरहरी, लेकिन बहुत ताकत थी उसमें, छातियाँ छोटी छोटी, लेकिन बहुत सख्त, पतली कमर, भरे चूतड़| लेकिन मरद का हाथ लगते हीं वो एकदम गदरा गई| 



कहते हैं कि मरद का रस सोखने के बाद हीं औरत की असली जवानी चढ़ती है|



घर में वो काम करती थी, नहाने के लिए पानी लाने से देह दबाने तक| 



पानी बाहर कुएं पे उसका मरद भरता था और अंदर वो लाती थी| हम दोनों की लगभग साथ हीं शादी हुई थी इसलिए दोस्ती भी हो गई थी| रोज तेल लगवाते समय मैं उसे छेड़-छेड़ के रात की कहानी पूछती, पहले कुछ दिन तो शर्माई, लेकिन मैंने सब उगलवा हीं लिया| 



रात भर चढ़ा रहता है वो, वो बोली|



मैंने हँस के कहा, 



हे मेरे देवर को कुछ मत कहना, मेरी देवरानी का जोबन हीं ऐसा है| क्यों दो बार किया या तीन बार?” 



मेरी जाँघें दबाती बोली, 



अरे दो तीन बार की बात हीं नहीं, झड़ने के बाद वो बाहर हीं नहीं निकालता मुआ, थोड़ी देर में फिर डंडे ऐसा और फिर चोदना चालू, 

[Image: fucking-ruff-18556438.gif]

कभी चार बार तो कभी पाँच बार और घर में और कोई तो है नहीं, ना पास पड़ोसी, इसलिए जब चाहे तब, दिन दहाड़े भी|” 






सुन के मैं गिनगिना गई| उसको 'माला डी' भी मैंने हीं दी|



एक बार वो आंगन में मुझे नहला रही थी| मैंने उसे छेड़ा, 



“अरे अपने मरद से बोल ना, एक बार उसके असली पानी से नहाउंगी|” 

[Image: boobs-wet-2.jpg]


तो वो हँस के बोली, 



“हाँ ठीक है, मैं बोल दूंगी, लेकिन वो शर्माता बहुत है|” 


ठसके से वो बोली| 



अरे मेरा देवर लगता है, मेरा हक है, क्या रोज-रोज सिर्फ देवरानी को हीं...” 







“और क्या फागुन लग गया है|” 


पीठ मलते वो बोली| 




"एकदम और उसको ये भी बोल देना इस होली में ना, तुम मेरी अकेली देवरानी हो पूरे गाँव में तो मैं और सबको भले छोड़ दूं, लेकिन उसको नहीं छोड़ने वाली|


[Image: Happy-Holi-2014-15-2.jpg]
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