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दोस्तो बहुत दिनों से सोच रहा था कि एक अच्छी कामुक स्टोरी कैसे लिखे इस बारे में अपने विचार आपके समक्ष रखु और आपके विचार जानू तो दोस्तो मैंने सोचा
“सेक्स स्टोरी कैसे लिखें”
इस विषय पर एक निबन्ध लिखूं, एक कामुक कहानी या सेक्स स्टोरी के क्या गुण धर्म होते हैं, इसमें क्या होना चाहिए क्या नहीं और एक सेक्स कथा लिखते समय किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और एक अच्छी सेक्स कहानी को कैसे लिखें; इन सब बातों का समावेश करके एक निबंध लिखने का मन किया.और आशा है कि यह लेख सभी के लिए उपयोगी होगा.
तो मित्रो, पहली बात तो ये अच्छी तरह से समझ लें कि कोई भी सेक्स कथा किसी अन्य साहित्यिक रचना की तरह ही होती है अब ये किसी पाठक का अपना खुद का दृष्टिकोण है कि वो इन कहानियों को किस दृष्टि से देखता है. अपने भारतीय प्राचीन सेक्स साहित्य में अनेक दुर्लभ ग्रन्थ लिखे गए जिनमें से कुछ ही आज प्राप्य हैं जैसे महर्षि कोका द्वारा रचित कोकशास्त्र, महर्षि वात्स्यायन रचित कामसूत्र और अन्य ग्रन्थ जैसे गीत गोविन्द, संस्कृत भाषा में रचित मृच्छकटिकम्, रति विलास जैसे अनेक काम्य ग्रन्थ आज भी आदर की दृष्टि से देखे, पढ़े समझे जाते हैं. हमारे प्राचीन ऋषियों ने स्त्रियों की योनि की बनावट के आधार पर उन्हें चार भागों में विभक्त भी किया है जैसे हस्तिनी, अश्विनी, चित्रिणी, पद्मिनी इत्यादि!
अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय इतना मन में विश्वास रखना चाहिए कि आप भी साहित्य सृजन ही कर रहे हैं न कि गन्दा, अस्वीकार्य या अक्षम्य लेखन कर रहे हैं. अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय कोई भी हीन भावना मन में न रखें और पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखें.
कोई भी लेखक अपनी लेखनी से कुछ भी लिखने को स्वतंत्र होता है या कोई भी कलाकार या मूर्तिकार अपनी पसन्द से अपनी कला को रच सकता है. किसी मूर्तिकार को खजुराहो या कोणार्क जैसी सजीव सम्भोगरत जीवन्त मूर्तियाँ पत्थर की शिला से उकेरना अच्छा लगता है तो कोई मूर्तिकार भगवान् का कोई रूप अपनी छैनी हथोड़े से गढ़ता है. सारे के सारे रूप कला की दृष्टि से एक जैसे सम्माननीय ही हैं. ठीक यही बात सेक्स कहानी पर भी लागू होती है. अतः सेक्स कथा भी एक विशिष्ट श्रेणी का साहित्य ही समझा जाना चाहिए.
अच्छी सेक्स स्टोरी के क्या गुण होते हैं?
मुख्य बात है कि पाठक किसी कहानी में खुद को कहानी के किसी पात्र में खुद को महसूस कर सके, उसके स्थान पर खुद को रख के सोचे और वो सब महसूस कर सके, अनुभूत कर सके, उसे प्रतीति हो सके कि वो सब उसके साथ ही घटित हो रहा है. कथा पढ़ते पढ़ते पुरुष का लिंग बिना किसी प्रयास के खुद बखुद तन जाए और लड़कियों की योनि रसीली हो उठे और उनका हाथ अनचाहे, अनायास ही उनकी पैंटी में घुस कर योनी को सहलाने लगे, उंगलियां क्लिट या दाने को छेड़ने लगें तभी कहानी की सार्थकता है.
सेक्स कथा पढ़ना, उसमे खो जाना या कोई पोर्न फिल्म देख के या किसीसे सेक्स चेटिंग करते करते उत्तेजित होना ये सब इन्टरनेट का Virtual World या आभासी या अप्रत्यक्ष दुनिया है इसमें सच है ही नहीं. दिन में जागते हुए सपने देखने जैसा ही है. जब इन्टरनेट नहीं था तब भी यह आभासी सेक्स की दुनिया दूसरे रूप में थी; पहले मस्तराम लिखित 63-64 पेज की छोटे साइज़ की पुस्तिका आती थी जिसे हम मोड़ कर आसानी से पैंट की जेब में रख लेते थे, फिर कैसेट प्लेयर आ गया तो सेक्स कहानी के कैसेट्स आ गए फिर वीडियो प्लेयर्स आ गए उसके बाद सी डी, पेन ड्राइव …. अब आज का युग है जिसमे हर चीज एक क्लिक पर सहज ही उपलब्ध है.
मुझे बचपन की याद है मैं दसवीं या ग्यारहवीं कक्षा में होऊंगा तभी से हम मित्रों ने सेक्स की बातें करना शुरू कर दीं थीं; असली योनि कैसी होती है वो तो किसी ने देख नहीं रखी थी पर सब लोग इस पर बातें खूब करते थे और अपने अपने हिसाब से योनि के रूप रंग आकार प्रकार का वर्णन चटखारे ले ले कर करते रहते थे.
वह भी एक अलग तरह की आभासी दुनिया ही थी. उम्र कुछ और बढ़ी तो हस्तमैथुन करना आ गया. गर्मी की छुट्टियों में नाना के गाँव जाना तो होता ही था तो गाँव के लड़कों के साथ पेड़ पर चढ़ कर मुठ मारने में जो मज़ा आता था और अपने वीर्य की पिचकारी दूर तक फेंकने में जो हम बालकों में प्रतिस्पर्धा चलती थी उस दुनिया का आनन्द ही अलग था.
कभी कभी किसी कुएं के पास के पेड़ पर चढ़ कर पत्तों में छिप कर पानी भरती, कपड़े धोती या नहाती लड़कियों को देखते हुए मूठ मारने का जो लुत्फ़ था मज़ा था उसकी बात ही अलग थी.
कहने का कुल मतलब ये कि यह सेक्स का virtual world आदि काल से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है.
Regards
Firefly
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अच्छी सेक्स कहानी कैसे लिखें?
पहली बात तो ये कि कहानी लिखने के लिए कल्पना शक्ति का प्रबल होना पहली आवश्यकता है; इसके बाद अपनी कल्पना को शब्दों में ट्रांसलेट करके साकार कर देना ही मूल आवश्यकता है.
यदि कोई कहानी ग्रामीण परिवेश पर आधारित है तो लेखक को अपने पात्रों का नाम, रहन सहन, पहनने ओढ़ने का ढंग गाँव के रहन सहन के अनुसार ही रखना होगा या कोई कहानी शहरी जीवन, मॉल संस्कृति पर आधारित है तो लेखक को उक्त परिस्थिति में खुद को रख कर एक दृष्टा की दृष्टि से लिखना चाहिए.
अगली बात है लेखक को अतिश्योक्ति से बचना चाहिए और पाठकों को मूर्ख समझने की भूल कभी नहीं करना चाहिए कि वे उनकी बातों को सच मान ही लेंगे.आर एस एस के लाखों पाठक प्रशंसक पूरी दुनियां में हैं जो इसकी सेक्स कहानियों को बड़े चाव से पढ़ते हैं; इनमें से अभिजात्य वर्ग के महिला पुरुष भी हैं जो अपनी तार्किक बुद्धि से कहानी को परखते हैं भले ही वे कहानी पर
कोई कमेंट्स न करें. अतः बेकार की अतिरंजित भाषा लिखने से बचना चाहिये. जैसे कई लोग लिखते हैं कि उनका लिंग नौ दस इंच का है और वो लगातार चार घंटे तक सेक्स कर सकते हैं और कैसी भी कामिनी को हरा सकते हैं, उसे पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकते हैं… रात में डाला सुबह निकाला टाइप का या मैंने उसकी योनि चाटी, वो झड़ गयी और मैं सारा रस पी गया या वो मेरे लिंग मुंड घुसाते ही चीख पड़ी फिर ये फिर वो… और उसने मेरे लिंग का पानी पी लिया और इसे चाट चाट के साफ़ कर दिया.
ऐसी बातें प्रबुद्ध उच्च वर्गीय पाठकों के मन में ऊब और वितृष्णा या अरुचि ही पैदा करती हैं अतः ऐसी अतिश्योक्ति से बचना चाहिए. हां, कहानी में मिर्च मसाला भी जरूरी है उसके बिना कहानी फीकी लगेगी.
मैं यहां ‘उत्कृष्ट’ कहानी लेखन की बात कर रहा हूं, वैसे तो सब चलता है कुछ भी लिखो.
आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अपनी सेक्स कथा को कैसे लिखें?
सबसे पहले आप कहानी का विषय या पटकथा तय कीजिए कि आप अपनी कहानी में क्या बताना चाहते हैं, जैसे:
अपनी आप बीती कोई घटना,
आपकी आँखों देखी कोई सेक्स भरी घटना,
आपके मित्र या संबंधी द्वारा आपको बताई गई कोई सच्ची घटना,
आपके द्वारा कोई कपोल कल्पित कहानी,
कुछ ऐसा जो आप करना चाहते हों लेकिन कर ना पाए हों!
कुछ ऐसा जिसके घटित होने की कोई संभावना ही ना हो, यानि फैंटेसी!
विषय चुनने के बाद आप यह तय करें कि कहानी कौन सुना/बता रहा है. आप बीती घटना है तो कहानी सुनाने वाले आप ही होंगे यानि लेखक होगा. (मैं, मेरा हमारा आदि शब्दों का प्रयोग)
आप किसी और की घटना बता रहे हैं तो वह, उसका, उनका आदि शब्दों का प्रयोग करके कहानी लिखनी चाहिए.
अब आप अपनी कहानी को निःसंकोच लिखना शुरू कर दें, ये कभी न सोचें कि इस पढ़ कर कोई क्या कहेगा… बस लिखते जाइए, जो भी जैसे भी विचार मन में आयें लिखते जाइए; पीछे देखना मना है कि
आपने क्या लिखा है. जबरदस्ती कभी नहीं लिखिए जब मन में विचारों की हिलोरें उठें, तभी उचित शब्दों के साथ उन्हें लिखिए. आपकी कहानी जब तक पूरी न हो जाए तब तक लिखना जारी रखिये;
इसके लिए आपको एक सप्ताह या एक महीना या और ज्यादा समय भी लग सकता है. ध्यान रखें कि आप घटनाक्रम के साथ बहते चले जाएं, इससे आपके मन में स्वतः ही विचार आते चले जायेंगे
और कहानी का प्रवाह और तेज होता चला जाएगा.
कहानी शुरू करें पात्र परिचय से, पात्रों के आस पास के वातावरण माहौल, परिस्थितियों, हालात के वर्णन से. इसके बाद आप बताएं कि कहानी में विभिन्न पात्र आपस में कैसे मिले, कैसे उनमें निकटता हुई, कैसे उनके बीच में प्यार/रोमांस हुआ, उनके बीच की लज्जा हटी. अब थोड़ा बताएं कि उनके बीच सेक्स सुनियोजित है या अचानक बिना किसी योजना के हो गया.
सेक्स की शुरुआत का वर्णन जैसे छेड़छाड़, चूमा चाटी, यौन पूर्व क्रीड़ा जिसे अंग्रेजी में फोरप्ले कहते हैं, इसका विस्तार से वर्णन करें क्योंकि किसी भी सेक्स कहानी में पूर्व क्रीड़ा का बहुत महत्त्व होता है.
फिर लड़की और लड़के के यौन अंगों का रस से भरपूर वर्णन, आकार, रंगरूप आदि. यहाँ पर यौनागों का वर्णन करने में आप स्पर्श, गंध, तापमान, आस पास के वातावरण का वर्णन करें!
पात्रों के बीच चल रहे संवादों, आवाजों और उनके अंगों के संचालन को बताएं.
इसके बाद आगे घटित हो रही घटनाएं क्रम वार लिखें, पात्रों की मनोस्थिति का वर्णन अवश्य करें कि उन्हें कैसा लग रहा है.
अगर आप अपनी कहानी में कुछ रोमांच पैदा करने के लिए कहानी को एकदम से किसी दूसरी दिशा में मोड़ दें, कुछ ऐसा लिखें जिसकी कल्पना पाठकगण ना कर पायें तो आपकी कहानी प्रभाव छोड़ेगी, ज्यादा पसन्द की जायेगी.
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अच्छी सेक्स कहानी कैसे लिखें?
पहली बात तो ये कि कहानी लिखने के लिए कल्पना शक्ति का प्रबल होना पहली आवश्यकता है; इसके बाद अपनी कल्पना को शब्दों में ट्रांसलेट करके साकार कर देना ही मूल आवश्यकता है.
यदि कोई कहानी ग्रामीण परिवेश पर आधारित है तो लेखक को अपने पात्रों का नाम, रहन सहन, पहनने ओढ़ने का ढंग गाँव के रहन सहन के अनुसार ही रखना होगा या कोई कहानी शहरी जीवन, मॉल संस्कृति पर आधारित है तो लेखक को उक्त परिस्थिति में खुद को रख कर एक दृष्टा की दृष्टि से लिखना चाहिए.
अगली बात है लेखक को अतिश्योक्ति से बचना चाहिए और पाठकों को मूर्ख समझने की भूल कभी नहीं करना चाहिए कि वे उनकी बातों को सच मान ही लेंगे.आर एस एस के लाखों पाठक प्रशंसक पूरी दुनियां में हैं जो इसकी सेक्स कहानियों को बड़े चाव से पढ़ते हैं; इनमें से अभिजात्य वर्ग के महिला पुरुष भी हैं जो अपनी तार्किक बुद्धि से कहानी को परखते हैं भले ही वे कहानी पर
कोई कमेंट्स न करें. अतः बेकार की अतिरंजित भाषा लिखने से बचना चाहिये. जैसे कई लोग लिखते हैं कि उनका लिंग नौ दस इंच का है और वो लगातार चार घंटे तक सेक्स कर सकते हैं और कैसी भी कामिनी को हरा सकते हैं, उसे पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकते हैं… रात में डाला सुबह निकाला टाइप का या मैंने उसकी योनि चाटी, वो झड़ गयी और मैं सारा रस पी गया या वो मेरे लिंग मुंड घुसाते ही चीख पड़ी फिर ये फिर वो… और उसने मेरे लिंग का पानी पी लिया और इसे चाट चाट के साफ़ कर दिया.
ऐसी बातें प्रबुद्ध उच्च वर्गीय पाठकों के मन में ऊब और वितृष्णा या अरुचि ही पैदा करती हैं अतः ऐसी अतिश्योक्ति से बचना चाहिए. हां, कहानी में मिर्च मसाला भी जरूरी है उसके बिना कहानी फीकी लगेगी.
मैं यहां ‘उत्कृष्ट’ कहानी लेखन की बात कर रहा हूं, वैसे तो सब चलता है कुछ भी लिखो.
आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अपनी सेक्स कथा को कैसे लिखें?
सबसे पहले आप कहानी का विषय या पटकथा तय कीजिए कि आप अपनी कहानी में क्या बताना चाहते हैं, जैसे:
अपनी आप बीती कोई घटना,
आपकी आँखों देखी कोई सेक्स भरी घटना,
आपके मित्र या संबंधी द्वारा आपको बताई गई कोई सच्ची घटना,
आपके द्वारा कोई कपोल कल्पित कहानी,
कुछ ऐसा जो आप करना चाहते हों लेकिन कर ना पाए हों!
कुछ ऐसा जिसके घटित होने की कोई संभावना ही ना हो, यानि फैंटेसी!
विषय चुनने के बाद आप यह तय करें कि कहानी कौन सुना/बता रहा है. आप बीती घटना है तो कहानी सुनाने वाले आप ही होंगे यानि लेखक होगा. (मैं, मेरा हमारा आदि शब्दों का प्रयोग)
आप किसी और की घटना बता रहे हैं तो वह, उसका, उनका आदि शब्दों का प्रयोग करके कहानी लिखनी चाहिए.
अब आप अपनी कहानी को निःसंकोच लिखना शुरू कर दें, ये कभी न सोचें कि इस पढ़ कर कोई क्या कहेगा… बस लिखते जाइए, जो भी जैसे भी विचार मन में आयें लिखते जाइए; पीछे देखना मना है कि
आपने क्या लिखा है. जबरदस्ती कभी नहीं लिखिए जब मन में विचारों की हिलोरें उठें, तभी उचित शब्दों के साथ उन्हें लिखिए. आपकी कहानी जब तक पूरी न हो जाए तब तक लिखना जारी रखिये;
इसके लिए आपको एक सप्ताह या एक महीना या और ज्यादा समय भी लग सकता है. ध्यान रखें कि आप घटनाक्रम के साथ बहते चले जाएं, इससे आपके मन में स्वतः ही विचार आते चले जायेंगे
और कहानी का प्रवाह और तेज होता चला जाएगा.
कहानी शुरू करें पात्र परिचय से, पात्रों के आस पास के वातावरण माहौल, परिस्थितियों, हालात के वर्णन से. इसके बाद आप बताएं कि कहानी में विभिन्न पात्र आपस में कैसे मिले, कैसे उनमें निकटता हुई, कैसे उनके बीच में प्यार/रोमांस हुआ, उनके बीच की लज्जा हटी. अब थोड़ा बताएं कि उनके बीच सेक्स सुनियोजित है या अचानक बिना किसी योजना के हो गया.
सेक्स की शुरुआत का वर्णन जैसे छेड़छाड़, चूमा चाटी, यौन पूर्व क्रीड़ा जिसे अंग्रेजी में फोरप्ले कहते हैं, इसका विस्तार से वर्णन करें क्योंकि किसी भी सेक्स कहानी में पूर्व क्रीड़ा का बहुत महत्त्व होता है.
फिर लड़की और लड़के के यौन अंगों का रस से भरपूर वर्णन, आकार, रंगरूप आदि. यहाँ पर यौनागों का वर्णन करने में आप स्पर्श, गंध, तापमान, आस पास के वातावरण का वर्णन करें!
पात्रों के बीच चल रहे संवादों, आवाजों और उनके अंगों के संचालन को बताएं.
इसके बाद आगे घटित हो रही घटनाएं क्रम वार लिखें, पात्रों की मनोस्थिति का वर्णन अवश्य करें कि उन्हें कैसा लग रहा है.
अगर आप अपनी कहानी में कुछ रोमांच पैदा करने के लिए कहानी को एकदम से किसी दूसरी दिशा में मोड़ दें, कुछ ऐसा लिखें जिसकी कल्पना पाठकगण ना कर पायें तो आपकी कहानी प्रभाव छोड़ेगी, ज्यादा पसन्द की जायेगी.
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अब कुछ भाषा की बात कर लें.
सर्वप्रथम तो आपकी कहानी की भाषा सरल और शुद्ध होनी चाहिए. आप स्थानीय बोली में भी संवाद लिख सकते हैं. लेकिन उनके साथ आप उनका हिन्दी रूपान्तर भी अवश्य लिखें क्योंकि आपकी कहानी पूरे भारत वर्ष के अलावा नेपाल और अन्य देशों में रहने वाले भारतीय भी पढ़ते हैं, उन्हें स्थानीय भाषा समझने में असुविधा हो सकती है.
भाषा के शब्द आपके औजार या टूल्स होते हैं जो पढ़ने वाले को आनन्दित कर सकते हैं या उन्हें आहत भी कर सकते हैं; अतः अपने पात्रों के अनुसार एक एक शब्द को चुन चुन कर लिखिए. किसी दूसरे लेखन की नक़ल करने का प्रयास कभी न करें. आपका लेखन मौलिक और सामयिक हो बस!
जब आपकी कहानी पूरी हो जाए तो उसे कुछ दिनों के भूल जाइये और इसके बारे में कुछ न सोचिये. फिर दो तीन दिन बाद अपनी कहानी खुद पढ़िए किसी पाठक की तरह और उसे खुद सम्पादित कीजिये. पुनः कहानी का निरीक्षणकीजिये; ऐसा करते समय आप खुद अनावश्यक भाग मिटा देंगे और जो नये विचार मन में आयेंगे उन्हें सम्मिलित कर लेंगे.
आखिरी बात है कहानी का नाम या शीर्षक; क्योंकि कहानी का नाम ही पाठकों को आकृष्ट करता है. अपनी कहानी लिखने के बाद आप उसे एक अच्छा सा शीर्षक दे सकते हैं जो लुभावना लगे, पाठक बरबस ही आपकी कहानी को पढ़ने पर विवश हो जाय; बस इतना ध्यान रखिये कि आपकी कहानी का शीर्षक सड़कछाप या निम्नस्तरीय न लगे जैसे “एवरेस्ट की चोटी पर चुदाई” इत्यादि.
बस इतनी सी बात है… कहानी लिखने के प्लॉट्स हमारे चारों ओर बिखरे पड़े हैं, बात आपकी पारखी नज़रों की है कि अपने नजदीक के किस करैक्टर के साथ अपनी कहानी लिख सकते हैं.
उम्मीद है यह लघु निबन्ध सभी नए लेखकों का मार्गदर्शन कर उन्हें कुछ अच्छा और नया लिखने को प्रोत्साहित करेगा
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शुक्रिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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निश्चित रूप से यह हम सब के लिए काफी मार्गदर्शक सिद्ध होगा , अगर आप समय कहानी पर भी आ कर कुछ दिशा दे सकें तो हम सब के लिए सोने में सुहागा होगा।
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(23-11-2018, 04:28 PM)firefly Wrote: दोस्तो बहुत दिनों से सोच रहा था कि एक अच्छी कामुक स्टोरी कैसे लिखे इस बारे में अपने विचार आपके समक्ष रखु और आपके विचार जानू तो दोस्तो मैंने सोचा
“सेक्स स्टोरी कैसे लिखें”
इस विषय पर एक निबन्ध लिखूं, एक कामुक कहानी या सेक्स स्टोरी के क्या गुण धर्म होते हैं, इसमें क्या होना चाहिए क्या नहीं और एक सेक्स कथा लिखते समय किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और एक अच्छी सेक्स कहानी को कैसे लिखें; इन सब बातों का समावेश करके एक निबंध लिखने का मन किया.और आशा है कि यह लेख सभी के लिए उपयोगी होगा.
तो मित्रो, पहली बात तो ये अच्छी तरह से समझ लें कि कोई भी सेक्स कथा किसी अन्य साहित्यिक रचना की तरह ही होती है अब ये किसी पाठक का अपना खुद का दृष्टिकोण है कि वो इन कहानियों को किस दृष्टि से देखता है. अपने भारतीय प्राचीन सेक्स साहित्य में अनेक दुर्लभ ग्रन्थ लिखे गए जिनमें से कुछ ही आज प्राप्य हैं जैसे महर्षि कोका द्वारा रचित कोकशास्त्र, महर्षि वात्स्यायन रचित कामसूत्र और अन्य ग्रन्थ जैसे गीत गोविन्द, संस्कृत भाषा में रचित मृच्छकटिकम्, रति विलास जैसे अनेक काम्य ग्रन्थ आज भी आदर की दृष्टि से देखे, पढ़े समझे जाते हैं. हमारे प्राचीन ऋषियों ने स्त्रियों की योनि की बनावट के आधार पर उन्हें चार भागों में विभक्त भी किया है जैसे हस्तिनी, अश्विनी, चित्रिणी, पद्मिनी इत्यादि!
अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय इतना मन में विश्वास रखना चाहिए कि आप भी साहित्य सृजन ही कर रहे हैं न कि गन्दा, अस्वीकार्य या अक्षम्य लेखन कर रहे हैं. अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय कोई भी हीन भावना मन में न रखें और पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखें.
कोई भी लेखक अपनी लेखनी से कुछ भी लिखने को स्वतंत्र होता है या कोई भी कलाकार या मूर्तिकार अपनी पसन्द से अपनी कला को रच सकता है. किसी मूर्तिकार को खजुराहो या कोणार्क जैसी सजीव सम्भोगरत जीवन्त मूर्तियाँ पत्थर की शिला से उकेरना अच्छा लगता है तो कोई मूर्तिकार भगवान् का कोई रूप अपनी छैनी हथोड़े से गढ़ता है. सारे के सारे रूप कला की दृष्टि से एक जैसे सम्माननीय ही हैं. ठीक यही बात सेक्स कहानी पर भी लागू होती है. अतः सेक्स कथा भी एक विशिष्ट श्रेणी का साहित्य ही समझा जाना चाहिए.
अच्छी सेक्स स्टोरी के क्या गुण होते हैं?
मुख्य बात है कि पाठक किसी कहानी में खुद को कहानी के किसी पात्र में खुद को महसूस कर सके, उसके स्थान पर खुद को रख के सोचे और वो सब महसूस कर सके, अनुभूत कर सके, उसे प्रतीति हो सके कि वो सब उसके साथ ही घटित हो रहा है. कथा पढ़ते पढ़ते पुरुष का लिंग बिना किसी प्रयास के खुद बखुद तन जाए और लड़कियों की योनि रसीली हो उठे और उनका हाथ अनचाहे, अनायास ही उनकी पैंटी में घुस कर योनी को सहलाने लगे, उंगलियां क्लिट या दाने को छेड़ने लगें तभी कहानी की सार्थकता है.
सेक्स कथा पढ़ना, उसमे खो जाना या कोई पोर्न फिल्म देख के या किसीसे सेक्स चेटिंग करते करते उत्तेजित होना ये सब इन्टरनेट का Virtual World या आभासी या अप्रत्यक्ष दुनिया है इसमें सच है ही नहीं. दिन में जागते हुए सपने देखने जैसा ही है. जब इन्टरनेट नहीं था तब भी यह आभासी सेक्स की दुनिया दूसरे रूप में थी; पहले मस्तराम लिखित 63-64 पेज की छोटे साइज़ की पुस्तिका आती थी जिसे हम मोड़ कर आसानी से पैंट की जेब में रख लेते थे, फिर कैसेट प्लेयर आ गया तो सेक्स कहानी के कैसेट्स आ गए फिर वीडियो प्लेयर्स आ गए उसके बाद सी डी, पेन ड्राइव …. अब आज का युग है जिसमे हर चीज एक क्लिक पर सहज ही उपलब्ध है.
मुझे बचपन की याद है मैं दसवीं या ग्यारहवीं कक्षा में होऊंगा तभी से हम मित्रों ने सेक्स की बातें करना शुरू कर दीं थीं; असली योनि कैसी होती है वो तो किसी ने देख नहीं रखी थी पर सब लोग इस पर बातें खूब करते थे और अपने अपने हिसाब से योनि के रूप रंग आकार प्रकार का वर्णन चटखारे ले ले कर करते रहते थे.
वह भी एक अलग तरह की आभासी दुनिया ही थी. उम्र कुछ और बढ़ी तो हस्तमैथुन करना आ गया. गर्मी की छुट्टियों में नाना के गाँव जाना तो होता ही था तो गाँव के लड़कों के साथ पेड़ पर चढ़ कर मुठ मारने में जो मज़ा आता था और अपने वीर्य की पिचकारी दूर तक फेंकने में जो हम बालकों में प्रतिस्पर्धा चलती थी उस दुनिया का आनन्द ही अलग था.
कभी कभी किसी कुएं के पास के पेड़ पर चढ़ कर पत्तों में छिप कर पानी भरती, कपड़े धोती या नहाती लड़कियों को देखते हुए मूठ मारने का जो लुत्फ़ था मज़ा था उसकी बात ही अलग थी.
कहने का कुल मतलब ये कि यह सेक्स का virtual world आदि काल से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है.
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// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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