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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
अपर्णा की एक बाँह में उसके पति थे और दूसरे बाँह में जीतूजी। अपर्णा ने दोनों की और बारी बार से देख कर मुस्करा कर कहा, "हालांकि मैं एक औरत हूँ शायद इसी लिए मैं आप मर्दों की एक बात समझ नहीं पायी। वैसे तो आप लोग अपनी बीबियों पर बड़ा मालिकाना हक़ जताते हो। उसे कहतेहो की 'मैं तुम्हारे ऊपर किसी और की नजर को बर्दाश्त नहीं करूँगा।' तो फिर कैसे आप अपनी प्यारी पत्नी को किसी और के साथ सांझा कर सकते हो? किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकते हो? किसी और को अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करने की इजाजत कैसे दे सकते हो?"

रोहित ने जब यह सूना तो वह भी मुस्करा कर बोले, "मैं अपनी बात करता हूँ। इसके तीन कारण है। पहला, मैंने अपने जीवन में कई परायी स्त्रियों को चोदा है। जब हम एक ही तरह का खाना रोज रोज घरमें खाते हैं तो कभी कभी मन करता है की कहीं बाहर का खाना खाया जाए। तो पहली बात तो विविधता की है। मैं तुम्हें बहुत बहुत चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ की तुम भी पर पुरुष सम्भोग का आनन्द उठाओ। किसी दूसरे लण्ड से चुदवाओ और महसूस करो की कितना आनंद आता है। दूसरी बात यह है, की मैं जानता हूँ की मेरी पत्नी, यानी की तुम जब चुदाई करवाती हो तो मुझे कितना आनंद देती हो। मैं जीतूजी को बहुत पसंद करता हूँ। तुम भी जीतूजी को वाकई में बहुत प्रेम करती हो। तो मैं चाहता हूँ की तुम जीतूजी के कामातुर प्यार का और उनके मोटे कड़क लण्ड का अनुभव करो। अपने प्यारे से चुदवा कर कैसा अनुभव होता है यह जानो। और तीसरा कारण यह है की मुझे जीतूजी से कोई भी खतरा नजर नहीं आता। जीतूजी शादीशुदा हैं। अपनी पत्नी को खूब चाहते हैं और वह तुम्हें मुझसे कभी छीन लेने की कोशिश नहीं करेंगे। मैं कबुल करता हूँ की मैं खुद जीतूजी की बीबी श्रेया से बड़ा ही आकर्षित हूँ। हमारे बिच शारीरक सम्बन्ध भी हैं। और इस बात का पता शायद आप और जीतूजी को भी है।

अपर्णा ने अपने पति की बात स्वीकारते हुए कहा, "जीतूजी एक तरह से मरे उपपति होंगे। आप मेरे पति हैं, तो मेरे उपपति जीतूजी हैं।" फिर अपर्णा ने जीतूजी की और देख कर कहा, "यह मत समझिये की उपपति का स्थान छोटा है। उपपति का स्थान बिलकुल कम नहीं होता। पति पत्नी के अधिकृत पति हैं। पर उपपति पत्नीके मनमें सदैव रहते हैं। पत्नी होतीहै पतिके साथ, पर मन उसका उपपति के साथ होता है। कुछ नजरिये से देखें तो पति से उपपति का स्थान ज्यादा भी हो सकता है।" फिर अपने पति की और देखते हुए अपर्णा ने कहा, "आप मेरे लिए दोनोंही अपनी अपनी जगह पर बहुत महत्त्व पूर्ण हैं। कोई कम नहीं। एक ने मेरे जीवन को सँवारा है तो दूसरे ने मुझे नया जीवन दिया है।" अपर्णा ने अपने पति के लण्ड पर अपना हाथ रखा। उसने पीछे हाथ कर पति के लण्ड को अपनी उँगलियों में पकड़ा। दूसरे हाथ से अपर्णा ने जीतूजी के पयजामे पर हाथ फिरा कर उनका लण्ड भी महसूस किया। जीतू जी का लण्ड कड़क नहीं हुआ था, पर रोहित का लण्ड ना सिर्फ खड़ा हो कर फनफना रहा था बल्कि अपने छिद्र छे रस का स्राव भी कर रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपना हाथ बार बार हिलाकर पयजामा निकालने का इशारा किया। जीतूजी ने फ़ौरन पयजामे का नाडा खल कर अपने पायजामे को बाहर निकाल फेंका। जीतूजी अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे।

इस तरह उस पलंग पर तीन नंगे कामातुर बदन एक दूसरे से सट कर लेटे हुए थे। रोहित पलंग पर बैठ गए और जीतूजी की और देखने लगे। जीतूजी कुछ असमंजस में दिखाई दिए। रोहित जी ने जीतूजी का हाथ पकड़ा और उन्हें खिंच कर अपर्णा की दो टाँगों की और एक हल्का धक्का मार कर पहुंचाया। जीतूजी बेचारे इधर उधर देखने लगे तब रोहित ने जीतूजी का सर हाथ में पकड़ कर अपनी बीबी की दो टांगों के बिच में घुसाया।
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अपर्णा ने अनायास ही अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। जीतूजी अपर्णा की चौड़ी टाँगों के बीच घुसे। अपर्णा की रसीली चूत को देखते ही उनका लण्ड कड़क हो गया। अपर्णा अपनी चूत हमेशा साफ़ रखती थी। जीतूजी ने अपनी हथेली से अपर्णा की चूत के सहलाना शुरू किया। जीतूजीका हाथ छूते ही अपर्णा की चूत में से रस रिसना शुरू हो गया। जीतूजी का आधा खड़ा लण्ड देखते ही ना सिर्फ अपर्णा की बल्कि रोहित जी की आँखें भी फटी की फटी रह गयीं। अपर्णा ने तो खैर जीतूजी का लण्ड भली भाँती देखा था और अपनी चूत में लिया भी था। पर रोहित ने जीतूजी का लण्ड इतने करीब से पहली बार देखा था। ना चाहते हुए भी रोहित का हाथ आगे बढ़ ही गया और उन्होंने जीतूजी का खड़ा मोटा लण्ड अपनी हथेली में उठाया। काफी भारी होने बावजूद जीतूजी का लण्ड काफी मोटा और लंबा था। उस दिन तक रोहित जी को अपने लण्ड के लिए बड़ा अभिमान था। वह मानते थे की उनका लण्ड देखकर अच्छी अच्छी लडकियां गश्त खा जाती थीं।

उन्हें पता तो था ही की जीतूजी का लण्ड काफी बड़ा है। पर इतने करीब से देखने पर उन्हें उसकी मोटाई का सही अंदाज लगा। इतना मोटा लण्ड अपर्णा अपनी चूत में कैसे ले पाएगी वह रोहित जी की समझ से परे था। पर उनके दिमाग में ख़याल आया की शायद उसी दिन सुबह अपर्णा की चुदाई जीतूजी ने की होगी, क्यूंकि वह जब कमरे में दाखिल हुए थे तब अपर्णा पलंग में नंगी सोई हुई थी। शायद जीतूजी भी उसके साथ नंगे ही सोये हुए थे। रोहित ने जीतूजी का लण्ड अपने हाथों में पकड़ कर थोड़ी देर हिलाया। उन्हें महसूस हुआ की ऐसा मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूत में डलवाने के लिए कोई भी औरत क्या कुछ कर सकती है। प्रैक्टिकल भी तो उनके सामने ही था। जब से जीतूजी उनकी जिंदगी में आये तबसे रोहित ने महसूस किया की अपर्णा की सेक्स की भूख अचानक बढ़ने लगी थी। क्या पता अपर्णा अपने पति से चुदवाते हुए कहीं जीतू जी से चुदवाने के बारे में ना सोच रही हो? थोड़ी देर हिलाते ही जीतूजी का लण्ड एकदम कड़क हो गया। उस समय रोहित को लगाकी जीतूजी का लण्ड उनके लण्ड के मुकाबले कमसे कम

एक इंच और लंबा और आधा इंच और मोटा जरूर था। रोहित का हाथ लगते ही जीतूजी के लण्ड में अगर कोई ढिलास रही होगी वह भी ख़तम हो गयी और जीतूजी का लण्ड लोहे की मोटी छड़ के समान खड़ा होकर ऊपर की और अपना मुंह ऊंचा कर डोलने लगा।

रोहित की उत्सुकता की सीमा नहीं थी की उनकी बीबी जो उनके (रोहित के) लण्ड से ही परेशान थी उसने जीतूजी से कैसे चुदवाया होगा? पर आखिर औरत की चूत का लचीलापन तो सब जानते ही हैं। वह कितना ही बड़ा लण्ड क्यों ना हो, अपनी चूत में ले तो सकती है बशर्ते की वह जो दर्द होता है उसे झेलने के लिए तैयार हो। अपर्णा को भी दर्द तो हुआ ही होगा। खैर अब रोहित अपनी पत्नी को अपने सामने जीतूजी से चुदवाती हुई देखना चाहते थे। वह यह भी देखना चाहते थे की जीतूजी भी अपर्णा को चोद कर कैसा महसूस करते हैं? रोहित ने जीतूजी के लण्डको अपर्णाकी चूतके द्वार पर टीका दिया। उस समय अपर्णा की हालत देखने वाली थी। अपना ही पति अपनी पत्नी की चूत में गैर मर्द का लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर रखे यह उसने कभी सोचा भी नहीं था। जीतूजी के लण्ड का अपर्णा की चूत के छूने से अपर्णा का पूरा बदन सिहर उठा। अपर्णा ने देखा की रोहित बड़ी ही उत्सुकता से अपर्णा के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश कर रहे थे। अपर्णा को पता नहीं था की वह चेहरे पर कैसे भाव लाये? एक गैर पुरुष, चाहे वह इतना करीबी दोस्त बन गया था यहां तक की उसने अपर्णा की जान भी बचाई थी, पर आखिर वह पति तो नहीं था ना? फिर भी कैसे विधाता ने उसे अपर्णा को चोदने के लिए युक्ति बनायी वह तो किस्मत का एक अजीब ही खेल था। आज वह पडोसी, एक अजनबी अपर्णा का हमबिस्तर या यूँ कहिये की अपर्णा का उपपति बन गया था। अपर्णा ने उसे उपपति का ओहदा दे दिया था।
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अपर्णा ने अपने हाथ की उँगलियों में जीतूजी का लण्ड पकड़ने की कोशिश की। उसे थोड़ा सहलाया ताकि उसके ऊपर जमा हुआ चिकना रस जीतूजी के पुरे लंड पर फैले जिससे वह अपर्णा की चूत में आराम से घुस सके। अब अपर्णाको अपने पतिकी इजाजतकी आवश्यकता नहीं थी। उनके ही आग्रह से ही यह सब हो रहा था। अपर्णा की चूत में से भी धीरे धीरे उसका प्रेम रस रिस रहा था जिसके कारण जीतूजीका लण्ड अच्छा खासा चिकना था। अपर्णा ने अपनी उँगलियों से उसके सिरे को खासा चिकना बना दिया और कर अपनी चूत की पंखुड़ियों को खोल कर उस दिन दूसरी बार जीतूजी से चुदवाने के लिए तैयार हो गयी। अब उसे पहले जितना डर नहीं था। उसे चिंता जरूर थी की उसकी चूत काफी खिंच जायेगी, पर पहले की तरह उसे अपनी चूत फट जानेका डर नहीं था। जीतूजी भी अब जान गए थे की अपर्णा उनके लण्ड के पेलने का मार झेल लेगी। जहां प्रेम होता है, वहाँ प्रेम के कारण पैदा होते दर्द को झेलने की क्षमता भी हो ही जाती है। कई साहित्यकारों ने सही कहा है की "प्रेम हमेशा दर्द जरूर देता है।"

अपर्णा ने एक बार अपने पति रोहित की और देखा। वह अपर्णा की बगल में बैठ अपनी बीबी के स्तनोँ को सहला रहे थे और जीतूजी के उनके इतने धाकड़ लण्ड को अपनी बीबी की छोटी सी चूत में घुसने का इंतजार कर रहे थे। वह देखना चाहते थे की उनकी बीबी जीतूजी का लण्ड घुसने के समय कैसा महसूस करेगी। देखते ही देखते जीतूजी ने अपना लण्ड एक धक्के में करीब एक इन्च अपर्णा की चूत में घुसेड़ दिया। अपर्णा ने अपने होंठ भींच लिए ताकि कहीं दर्द की आहट ना निकल जाए। एक धक्के में इतना लण्ड घुसते ही अपर्णा ने अपनी आँखें खोलीं। उसने पहले जीतूजी की और और फिर अपने पति की और देखा। जीतूजी आँखें बंद करके अपने लण्ड को अपर्णा की चूत में महसूस कर आहे थी और उसका आनंद ले रहे थे। रोहित को जासुजी का अपनी बीबी की चूत में लण्ड घुसते हुए देख कुछ मन में इर्षा के भाव जागे। यह पहली बार हुआ था की अपर्णा को किसीने उनके सामने चोदा था। शयद उस दिन से पहले अपर्णा को रोहित के अलावा किसी और ने पहले चोदा ही नहीं था। उनके लिए यह अनुभव करना एक रोमांचकारी अनुभव था। पर अब उनका अपनी बीबी पर जो एकचक्र हक़ था आज से वह बँट जाएगा। आजके बाद अपर्णाकी चूत जीतूजी के लण्ड के लिए भी खुली रहेगी। खैर यह एक अधिकार की दृष्टि से कुछ नुक्सान सा लग रहा था पर रोमांच और उत्तेजना के दृष्टिकोण से यह एक अनोखा कदम था। आज से वह अपर्णा से खुल्लम खुल्ला जीतूजी की चुदाई के बारे में बातचीत कर सकेंगे और जब बात होगी तो उनके सेक्स में भी फर्क पडेगा और अपर्णा भी अब खुलकर उनसे चुदवायेगी। यह रोहित के लिए एक बड़ी ही अच्छी बात थी।

जीतूजी का लण्ड पेलने की हरकत देखकर रोहित को भी जोश गया। उन्होंने अपर्णा के बोल को जोर से दबाना शुरू किया। अपर्णा के एक मम्मे को एक हाथमें जोर से पिचका कर उन्होंने उसकी निप्पल इतने जोर से दबा दी की अपर्णा जीतूजी के लण्ड के घुसने से नहीं पर रोहित के मम्मे दबाने से चीख पड़ी और बोली, "अरे जी, यह आप क्या कर रहे हो? धीमेसे दबाओ ना?" उधर जीतूजी ने एक और धक्का मारा और उनका लण्ड इंच तक अपर्णा की चूत में घुस गया। अपर्णा फिर से चीख उठी। इस बार उसे वाकई में काफी दर्द हो रहा था, क्यूंकि जीतू जी ने एक ही धक्के में इंच लण्ड अंदर घुसा दिया था। जीतूजी ने फटाफट अपना लण्ड वापस खिंच लिया। अपर्णा को राहत मिली पर अब उसे जीतूजी से अच्छी तरह से चुदवाना था।
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अपर्णा के चेहरे पर पसीना रहा था। रोहित ने निचे झुक कर अपनी बीबी के कपाल को चुम कर उसका पसीना चाट गए। फिर धीमे से बोले, "ज्यादा दर्द तो नहीं होरहा ना मेरी जान?" अपर्णा ने दर्द भरी निगाहों से अपने पति की और देखा और फिर चेहरे पर मुस्कराहट लाती हुई बोली, "यह तो झेलना ही पडेगा। आपको खुश जो करना है।" अपर्णा ने जीतूजी की और देखा और अपना पेंडू से ऊपर धक्का मारकर जीतूजी का लण्ड थोड़ा और अंदर घुसड़ने की कोशिश की। जीतूजी समझ गए की अपर्णा कितना ही दर्द हो, चुदाई को रुकने देना नहीं चाहती। जीतूजी भी तो रुकना नहीं चाहते थे। आज तो एक साथ दो काम सफल हुए। एक तो अपर्णा को चोद ने का मौक़ा मिला और दूसरे अपर्णाके पति की सिर्फ पूर्ण सहमति बल्कि उनका साथ भी मिला।

किसीकी बीबी को उसकी सहमतिके साथ चोदना एक बात है, पर उसके पति की सहमति से उसे चोदने का मजा ही कुछ और है। और जब पति भी साथ में सामने बैठ कर अपनी पत्नी की चुदाई ख़ुशी ख़ुशी देखता हो तो बात कुछ और ही होती है। यह तो जिन्होंने अनुभव किया होगा वह ही जान सकते हैं। जब ऐसा होता है तो इसका मतलब है की आप अपना स्वार्थ, अहंकार और अपना सर्वस्व एक दूसरे के प्यार के लिए न्योछावर कर रहे हो। इसका मतलब है ना सिर्फ आप अपने दोस्त को बल्कि आप अपनी बीबी को भी बहुत ज्यादा प्यार करते हो। पर इससे भी एक और बात उभर कर आती है। एक शादीशुदा औरत का एक पराये मर्द से चोरी छुपके चुदवाना अक्सर होता रहता है। यह कोई नयी बात नहीं है। पर उस औरत का अपने मर्द की सहमति से या अपने मर्द के आग्रहसे किसी पराये मर्दसे चुदवाना एक दूसरे लेवल की ही बात है। इसमें ना सिर्फ मर्द की बड़ाई है पर उससे भी ज्यादा उस स्त्री का बड़प्पन है। अक्सर अपने पति के सामने किसी गैर मर्द से चुदवाने में औरतें कतराती हैं, क्यूंकि अगर आगे चलके पति पत्नी में कोई तनातनी हुई तो पति पत्नी की उस करतूत को जाहिर कर पत्नी के मुंह पर कालिख पोतने की कोशिश कर सकता है। इसी लिए पति और पत्नी दोनों का बड़प्पन तब ज्यादा होता है जब पत्नी किसी गैर मर्द से अपने पति के सामने चुदवाती है। ऐसा तो तभी हो सकता है जब पति और पत्नी में एक दूसरे के लिए अटूट विश्वास और बहुत ज्यादा प्यार हो।

रोहित ने जब पहले अपर्णा को जीतूजी से चुदवाने की बात की तो अपर्णा को पूरा विश्वास नहीं था की उसके पति रोहित अपर्णा से उतना प्यार करते थे की कभी इस बातका नाजायज फायदा नहीं उठाएंगे। शायद इस लिए भी वह जीतूजी से चुदवाने के लिये तैयार नहीं हुई थी। उसे अपनी माँ को दिया हुआ वचन का सहारा (या बहाना ही कह लो) भी मिल गया था। पर अपर्णा ने देखा की रोहित ने जब डॉ. खान के क्लिनिक में जीतूजी और अपर्णा को नंग्न हालत में देखा तो समझ तो गए की जीतूजी और अपर्णा ने उनकी गैर मौजदगी में चुदाई की थी। फिर भी उन्होंने कोई कड़वाहट नहीं दिखाई और ना ही कोई गलत टिपण्णी की। बल्कि वह तो जीतूजी का आभार जाहिर करते रहे। तब अपर्णा को यकीन हो गया की रोहित ना सिर्फ अपनी बीबी माने अपर्णा को खूब प्यार करते थे बल्कि वह जीतूजी से भी सच्चा प्यार करतेथे। जब प्यार सच्चा हो तो उसमें छिपने छिपाने के लायक कुछ भी नहीं होता। तब हमें जो ठीक लगता है वह हम बेझिझक कह और कर सकते हैं। अगर पति और पत्नी में एक दूसरे के लिए सम्प्पूर्ण विश्वास होता है तब वह एक दूसरे के सामने किसी भी गैर मर्द या औरत (जो की पति और पत्नी दोनों को स्वीकार्य हो) को चुम्मी करना, गले लगना, यहां तक की उससे चोदना और चुदवाना भी हो सकता है।
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अपर्णा को आज ऐसा ही सुअवसर मिला था जब की उसे अपने पति में सम्पूर्ण विश्वास नजर आया। उसे यह चिंता नहीं थी की रोहित आगे चलकर जीतूजी से चुदवाने के बारे में कभी भी कोई नुक्ताचीनी करेंगे। क्यूंकि जब रोहित ने खुद जीतूजी का लण्ड अपने हाथोँ में लिया और उसे प्यार किया तो उससे बड़ी बात कोई हो नहीं सकती थी।

अपर्णा ने अपने पति रोहितका हाथ पकड़ कर फिर जीतूजी के लण्ड के पास ले गयी। उसकी इच्छा थी की रोहित जीतूजी का लण्ड ना सिर्फ अपने हाथ में लें, बाकि उसे सहलाएं, उसे प्यार करें। रोहित भी समझ गए की अपर्णा को उनका जीतूजी का लण्ड पकड़ना अच्छा लगा था। रोहित के ऐसा करने से अपर्णा को शायद यह देख कर शान्ति हो गयी थी की रोहित जी भी जीतूजी से उतनाही प्यार करते थे जितना की अपर्णा करतीथी। रोहितने अपनी उंगिलयों की गोल अंगूठी जैसी रिंग बनायी और अपर्णा की चूत के ऊपर, अपर्णा की चूत और जीतूजी के लण्ड के बिच में जहां से लण्ड अंदर बाहर हो रहा था वहाँ रखदी। अपनी उँगलियोंकी रिंग रोहित ने जीतूजी के लौड़े के आसपास घुमाकर उसको दबा ने की कोशिश की। पूरा लौड़ा तो उनकी उँगलियों में नहीं आया पर फिर भी जीतूजी का चिकना लण्ड रोहित ने अपनी उँगलियों में दबाया और उसे ऊपर निचे होते हुए उसमें भरी चिकनाहट रोहित की उँगलियों में से होकर फिर अपर्णा की रसीली चूत में रिसने लगी।

रोहित ने करीब से अपनी बीबी की चूत में जीतूजी का तगड़ा मोटा लण्ड कैसे अंदर बाहर हो रहा था वह दृश्य पहली बार देखा तो उनके बदन में एक अजीब सी रोमांच भरी सिरहन फ़ैल गयी। अपनी बीबी की रसीली चूत में उन्होंने तो सैकड़ों बार अपना लण्ड पेला था। यह पहली बार था की जीतूजी का इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनकी बीबी आज अपनी चूत में ना सिर्फ ले पा रही थी बल्कि उस लण्ड से हो रही उसकी चुदाई का वह भरपूर आनन्द भी उठा रही थी। रोहित की उँगलियों से बनी रिंग जैसे अपर्णा की चूत के अलावा एक और चूत हो ऐसा अनुभव जीतूजी को करा रही थी। जीतूजी का लण्ड इतना लंबा था की रोहित की उंगलियां बिच में अंदर बाहर जाने से उनको कोई फरक नहीं पड़ रहा था। बल्कि जीतूजी तो और भी उत्तेजित हो रहे थे। तो इधर अपर्णा भी अपने पति के इस सहयोग से खुश थी। धीरे धीरे जीतूजी की चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी। पहले तो जीतूजी एक हल्का धक्का देते, फिर रुक जाते और फिर एक और धक्का देते और फिर रुक जाते। वह ऐसे ही बड़े हल्केसे, प्यार से और धीरे से अपर्णा की चूत में लण्ड डाल और निकाल रहे थे। जैसे जैसे अपर्णा की कराहटें सिसकारियों में बदलती गयीं, वैसे वैसे जीतूजी को लगा की वह अपर्णा को चोदने के गति बढ़ा सकते हैं। पहले अपर्णा दर्द के मारे कराहटें निकाल रही थी। उसके बाद जब अपर्णा की चूत जीतूजी के लण्ड के लिए तैयार हो गयी तो कराहटें सिसकारियोंमें बदलने लग गयीं। रोहित जी समझ गए की उनकी बीबी अपर्णा को अब दर्द से ज्यादा मझा रहा था। वह अपर्णा की कराहटें और सिसकारियों से भलीभांति परिचित थे। अपर्णा के हालात देखकर वह खुद भी मजे ले रहे थे। आखिर यही तो वह देखना चाहते थे।

जीतूजी ने लण्ड को अंदर बाहर करने गति धीरे धीरे बढ़ाई। अब वह दो या तीन धक्के में अपना लंड अंदर डालते। अभी वह फिर भी अपनी पूरी तेजी से अपर्णा को नहीं चोद रहे थे। पर शुरू के मुकाबले उन्होंने अब गति बढ़ा दी थी। जीतूजी अपना पूरा लण्ड भी अंदर नहीं डाल रहे थे। उनका लण्ड करीब दो इंच चूत के बाहर ही रहता था। कमरे में तीन तरह की आवाजें रहीं थीं। एक तो जैसे ही जीतूजी का लण्ड अपर्णाकी चूत में घुसता था तो अपर्णा की चूत से शायद गैस निकलने की आवाज "पच्च..." सी होती थी। उसके साथ साथ अपर्णा की उँह... , ओह्ह्ह्हह्ह ... आअह्ह्ह..." की आवाज और तीसरी जीतूजी के तेज चलती हुई साँसों की आवाज।
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जैसे जैसे समय हो रहा था जीतूजी के अंडकोष में उनका वीर्य फर्राटे मार रहा था। सुबह का हुआ उनका वीर्य स्रावकी पूर्ति जैसे हो चुकी थी। उनके अंडकोष की थैली में फिर से वीर्य लबालब भरा हुआ लग रहा था। रोहित को लगा की जीतू जी उनके होते हुए अपर्णा को चोदने में कुछ हिचकिचाहट महसूस कर रहे थे। जब अपर्णा ने रोहित का हाथ पकड़ कर जीतूजी के लण्ड के पास रखा था तो रोहित को महसूस हुआ था की उनके ऐसा करनेसे जीतूजीका आत्म-विश्वास कुछ बढ़ा हुआ था। रोहित को लगा की अपर्णा को और जीतूजी को भरोसा दिलाने के लिए की उन्हें अपर्णा को जीतूजी से चुदवाने में कोई आपत्ति नहीं थी; रोहित को कुछ और करना पडेगा। रोहित ने जीतूजी को अपर्णा को चोदने से रोका। फिर आगे बढ़ कर उन्होंने जीतूजी को थोड़ा पीछे हटाया और झुक कर रोहित ने जीतूजी के लण्ड को अपने होँठों से चूमा। यह देख कर अपर्णा के होँठों पर बरबस मुस्कान आगयी। जीतूजी के तो तोते उड़ गये हों ऐसे देखते ही रहे। पर इसका एक नतीजा यह हुआ की जीतूजी ने भी रोहित का लटकता लण्ड अपना हाथ लंबा कर पकड़ा और उसे धीरे धीरे बड़े प्यार से सहलाने लगे।
अपने दोनों प्रियतम को इस तरह से एक दूसरे से प्यार करे हुए देखकर अपर्णाकी ख़ुशीका ठिकाना नहीं रहा। अब उसे यकीन हो गया की उसके दोनों मर्द एक दूसरे से और अपर्णा से भी खूब प्यार करते थे। अब उसे जैसे पूरी खुली छूट मिल गयी थी की वह अपने दोनों प्रियतम से जैसे चाहे प्यार करे और जैसे चाहे चुदाई करवाए। अपर्णा ने फ़ौरन आगे बढ़कर जीतूजी के सामने घुटनों के बल बैठ गयी। जब उसके पति ने खुद जीतूजी का लण्ड अपने होँठों से चूमा था तो फिर उसे जीतूजी का लण्ड चूमने से परहेज करने की क्या जरुरत थी? अपर्णा जीतूजी को ऐसा प्यार करना चाहती थी की वह एक बार तो श्रेया को भी भूल जाएँ। अपर्णा ने जीतूजी का खड़ा मोटा और तगड़ा लण्ड का सिरा अपने होँठों के बिच लिया और प्यार से उसके ऊपर अपनी जीभ घुमाने लगी। जीतूजी का पूर्व वीर्य से और अपनी चूत के स्राव से लिपटा हुआ जीतूजी के लण्ड की चिकनाहट अपर्णा अपनी जीभ से चाटने लगी। जीतूजी का लंड ऐसा खम्भे जैसा था की उसे पूरा मुंह में लेना किसी भी औरत के लिए बड़ा ही मुश्किल था। फिर भी अपर्णाने जीतूजी का लण्ड अपने मुंहमें मुश्किलसे ही सही पर घुसाया जरूर। जीतूजीभी बड़ेही आश्चर्यसे अपर्णाका यह कार-नामा देखते रहे। उनका लण्ड तो अपर्णा की यह करतूत से फुला नहीं समा रहा था। जीतूजी का लण्ड अपर्णा की यह हरकत बर्दाश्त करने में मुश्किल अनुभव कर रहा था। लण्ड के मन में शायद यह विचार आया होगा की अगर ऐसा ज्यादा देर चला तो उसे अपना वीर्य जल्दी ही छोड़ना पडेगा। अपर्णा ने जीतूजी की कुंल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और वह धीरे धीरे जीतूजी से अपना मुंह चोदने के लिए इंगित कर रही थी।

जीतूजी ने कभी सोचा भी नहीं था की अपर्णा उनका लण्ड कभी अपने मुंह में भी लेगी। आज अपनी प्रियतमा से अपना लण्ड चुसवा कर वह चुदाई से भी ज्यादा रोमांच का अनुभव कर रहे थे। उन्होंने अपर्णा की इच्छा पूरी करते हुए अपर्णा के मुंह को धीरे धीरे चोदना शुरू किया। अपर्णाके गाल ऐसे फुले हुएथे की यह स्वाभाविक था की वह जीतूजी का लण्ड बड़ी ही मुश्किल से अपने मुंह में ले पा रही थी। घुटनों पर बैठे बैठे वह बार बार जीतूजी के चहरे के भाव पढ़ने की कोशिश कर रही थी। क्या उसके प्रियतम को उसकी यह हरकत अच्छी लग रही थी? जीतूजी के चेहरे के भाव देख कर यह समझना मुश्किल नहीं था की जीतूजी अपर्णा की यह हरकत का भरपूर आनंद उठा रहे थे। जीतूजी ने देखा की उनका लण्ड अपने मुंह में घुसाने में अपर्णा को काफी कष्ट हो रहा था। वह फ़ौरन फर्श पर उठ खड़े हुए। उन्होंने ने अपर्णा की दोनों बगल में अपना हाथ डाल कर अपर्णा का हल्का फुल्का बदन एक ही झटके में ऊपर उठा लिया। जीतूजी की तगड़ी बाँहों को अपर्णा को उठाने में कोई कष्ट महसूस नहीं हुआ।
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जीतूजी ने अपर्णा को उठाकर धीरे से उसकी चूत को अपने ऊपर की और टेढ़े हुए लण्ड के पास सटा दिया। फिर एक ही धक्के में अपने लण्ड को अपर्णा की चूत में घुसा दिया। अपर्णा फिर मारे दर्द के चीख उठी। पर अपने आपको सम्हाले हुए वह आगे झुकी और जीतूजी के होंठ पर अपने होँठ रख कर जीतूजी के सर को अपनी बाँहों में समेट कर अपनी चूत में जीतूजी का लण्ड महसूस करती हुई उनको बेतहाशा चूमने लगी और पागल की तरह प्यार करने लगी। जीतूजी अपर्णा को अपनी बाँहों में उठाकर बड़े ही प्यार से अपनी कमर से धक्का मार कर अपर्णा को खड़े खड़े ही चोदने लगे। अपर्णा भी जीतूजी के हाथों से अपने बदन को ऊपर निचे कर जीतूजी का लण्ड अपनी चूत से अंदर बाहर जाते हुए, रगड़ते हुए अजीबो गरीब रोमांच का अनुभव कर रही थी। रोहित कैसे बैठे बैठे यह नजारा देख सकते थे? वह भी खड़े हो गए और खड़े हुए कुछ देर जीतूजी से अपनी बीबी की चुदाई का नजारा देखते रहे। फिर थोडा सा करीब जाकर रोहित ने अपर्णा के दोनों स्तनोँ को पकड़ा और वह उन्हें दबाने और मसलने में मशगूल हो गए। जीतूजी के ऊपर की और धक्के मारने के कारण अपर्णा का पूरा बदन और साथ साथ उसके मम्मे भी उछल रहे थे। कुछ देर बाद जीतूजी ने अपर्णा को धीरे से फिर से पलंग पर रखा। तब तक अपर्णा की अच्छी खासी चुदाई हो चुकी थी।

अपर्णा के लिए खड़े हुए जीतूजी से उनकी बाँहों को अपनी बगलमें लेकर एक फूल की तरह अपने नंगे बदन को ऊपर उठाकर अपनी चुदाई करवाने का मज़ा कुछ और ही था। अपर्णा को महसूस हुआ जैसे उसको गुरुत्वाकर्षण का कोई नियम ही लागू नहीं हो रहा था। जैसे वह हवा में लहराती हुई जीतूजीका मोटा तगड़ा लण्ड अपनी चूतमें से अंदर बाहर होते हुए महसूस कर रही थी। अपर्णा को अपने प्रियतम जीतूजी के बाजुओं में कितनी ताकत थी उसका एहसास भी हुआ। जैसे अपर्णा कोई फूल हो उस तरह उसे जीतूजी ने आसानी से अपनी कमर तक उठा लिया था। उसके बाद उन्होंने अपर्णा के दोनों पॉंव अपनी कमर पर लिपटा कर अपर्णा की रस भरी चूत में अपना मोटा और काफी लंबा लण्ड डाल दिया था। अपर्णा ने अपनी बाहें जीतूजी के गले में लपेट रखीं थीं। जीतूजी की कमर के सहारे अपर्णा टिकी हुई थी। जीतूजी के होँठ से अपने होंठ मिलाकर अपर्णा ऊपर निचे होकर जीतूजी से बड़े प्यार से चुदवा भी रही थी और उनके लण्ड को अपनी चूत में कूद कूद कर घुसेड़ कर उन्हें चोद भी रही थी। जीतूजी से चुदाई करवाते हुए साथ ही साथ में अपर्णा जीतूजी के मूंछों से घिरे हुए रसीले होँठ चूसकर उनका मजा भी ले रही थी। कभी कभी उत्तेजना में वह जीतूजी की मूँछों कोचुम लेतीथी और कुछ बालोंको दांतोंमें दबाकर उन्हें खींचकर जीतूजी को छेड़ती भी रहती थी। अपर्णा की ऐसी अठखेलियों के कारण जीतूजी और भी उत्तेजित हो जाते थे और अपर्णा की और फुर्ती से चुदाई करने लगते थे। जीतूजीके बाजुओं के स्नायु फुले हुए दिख रहे थे। अपर्णा की गाँड़ के निचे अपनी दोनों हथेलियां रखे जीतूजी ने आसानी से उसे ऊपर उठा रखा था। अपने दोनों हाथों की ताकत से अपर्णा को थोड़ा सा ऊपर उठाकर और फिर निचे लाकर अपर्णा को जैसे हवा में ही चोदना, यह उनके और अपर्णा दोनों के लिए एक कामाग्नि के धमाके की तरह नशेसे भरा हुआ था। जीतूजी कभी अपर्णा को ऊपर निचे लाकर तो कभी अपर्णा को वैसे ही हवा में रख कर अपनी कमर आगे पीछे कर अपना लण्ड अपर्णा की चूत में पेले जा रहे थे। यह नजारा कोई पोर्न चलचित्र से कम नहीं था।
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अपर्णा के तेजी से हवा में लहराते हुए मम्मों को अपर्णाके पति रोहितने पीछे खड़े होकर अपने दोनों हाथोंमें पकड़ रखाथा और वह उसे बार बार मसल रहे थे और अपर्णाके स्तनोँ की निप्पलों को अपनी उँगलियों में बड़े प्यार से दबा और पिचका रहे थे। जीतूजी के तेज धक्कों से अपर्णा का पूरा बदन इतनी तेजी से हिल रहा था की कई बार अपर्णा के पीछे खड़े हुए अपर्णाके पति रोहित को भी अपर्णा की गाँड़ से सटे हुए होने के कारण अपने आप को सम्हालना पड़ता था। अपर्णा को कभी इसतरहकी हवामें लहरातेहुए चुदाई करवाने का मौक़ा नहीं मिला था। एक पति से चुदवाने में और एक गैर (प्रियतम) से चुदवाने में यही फर्क होता है। चूँकि पति को पत्नी को चोदने के लिए किसी भी तरह की कोई ख़ास जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती इस लिए अक्सर पति के लिए तो पत्नी को चोदना एक आम बात होती है। पर एक गैर मर्द के लिए एक खूबसूरत औरत जिसको वह कभी चोदने के सपने देख रहे हों, जब उसे चोदने का मौक़ा मिले तो वह कोशिश करेगा की वह उस औरत को हर तरीके से और हर तरह से चोदे और इस तरह से चोदे की वह इतनी खुश हो जाए की बार बार उसे उस गैर मर्द से चुदवाने का मन करे। जीतूजी को कई महीनों की जद्दोजहद के बाद अपर्णा को चोदने का मौक़ा मिला था। अपर्णा को चुदवाने के लिए राजी करना अपने आप में एक कवायद थी, एक परीक्षा थी जिसे जीतूजीने कड़ी मेहनत के बाद सफलता से पास किया था। अब जीतूजी के मन में एक ही बात थी की कैसे वह अपर्णा को ऐसे चोदे जैसे उसे पहले किसीने चोदा ना हो। यहां तक की उसके पति ने भी ना चोदा हो, जिससे अपर्णाका बार बार जीतूजीसे चुदवाने का मन करे। एक औरतको प्यार और बड़े ही मजे से चोदनेके लिए औरत का कामातुर होना सोने में सुहागा की तरह होता है। मर्द का कामातुर होकर औरत को चोदना एक बात है, पर कामातुर औरत को चोदना एक मर्द के लिए अद्भुत अनुभव होता है। उस हाल में मर्द अनुभव करता है की औरत उसे बार बार अच्छी तरहसे चोदने के लिए मिन्नतें करती है और चीख और चिल्लाकर मर्द को जोर शोर से चोदने का आग्रह करती है। मर्द के लिए यह अनुभव उसके लण्ड के अंडकोष में भरे वीर्य में उफानसा लाता है और और मर्द की कामुकता कई गुना बढ़ जाती है। 

अपर्णा को कमर पर टिका कर उसकी चूत को चोदनाभी ऐसाही था। अपर्णा अपने आपपर काबू नहीं पा रही थी। अपने पतिके सामने होते हुए भी वह जीतूजी को बार बार और जोश से चोदने के लिए आग्रह कर रही थी। अपर्णा का कामाग्नि अपनी चरम सीमापर धधक रहा था। इधर रोहित जी का क्या हाल था? वह तो सातवें आसमान में थे। वह अपनी जिंदगी में पहली बार अपनी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदता देख रहे थे। और वह भी कैसे? उन्होंने खुद अपनी बीबी को कभी इस तरह से चोदा नहीं था। वह जीतूजी की बाँहों के फुले हुए स्नायुओं को देखते ही रहे। जीतूजी ने जिस तरह अपर्णा को एक हलके फूल की तरह उठा रखा था और उसे चोदे जा रहे थे वह उनकी लिए कमाल का था। क्या वह इस तरह से अपर्णा को या श्रेया को उठाकर चोद पाएंगे? रोहित अपनी बीबी के पास आये तो अपर्णाने अपने पति की और देखा। अबतक अपर्णा जीतूजीकी चुदाई में इतनी मग्न थी की उसे अपने पति को गौर से देखना का मौक़ा नहीं मिला था। जीतू अपर्णा की चूत में एक के बाद एक जोरदार धक्के मार कर लण्ड पेले जाने के कारण अपर्णा का पूरा बदन जोर से हिल रहा था। अपर्णा ने हिलते हुए बदन से भी अपने पति की और देखा। वह देखना चाहती थी कहीं उनकी आँखों में इर्षा जलन या हीनता का भाव तो नहीं था? पर अपर्णा ने पाया की रोहित बड़े ही चाव से अपर्णा को चुदता हुआ देख रहे थे। जब अपर्णा ने उनकी और देखा तो रोहित ने आँखें मार कर अपर्णा को तसल्ली दी की वह खुश थे। अपर्णा ने अपने पति रोहित जी की और अपने हाथ लम्बाये। रोहित को अपर्णा अपने पास बुलाना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी की नए प्रेमी को पाने और उस से शारीरिक सम्भोग करने की उत्तेजना में वह अपने पति को मानसिक रूप से थोड़ा सा भी आहत करे।
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अपर्णा आज काफी कुछ पाने के ख़ुशी के बदले में अपने पति का बहुमूल्य प्रेम को थोड़ा सा भी खोना नहीं चाहती थी। अपर्णा के हाथ लंबा करते ही रोहित अपर्णा के और करीब आये। अपर्णा ने बड़े प्यार से अपने पति का सर अपने बदन से चिपकाया और जीतूजी से चुदवाते हुए ही अपर्णाने अपने पतिके बालोंमें अपनी उँगलियों का कंघा बना कर अपर्णा रोहित के बालों को बड़े ही प्यार संवारने लगी।

यह दृश्य अद्भुत था। मिटटी के बने हुए हम सब ऐसे प्रेम की सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं। पर जहां एक दूसरे के बिच सच्चा प्यार और विश्वास हो यहां यह नासिर्फ संभव है, वहाँ यह एक अभूत उन्माद पूर्ण प्रेम को पैदा कर सकता है जिसकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। कई बार हम अपने अभिमान, इर्षा और डर के मारे ऐसे अनमोल अवसर गँवा देते हैं। पर यह भी सच है की अपर्णा, रोहित और जीतूजी के जैसी जोड़ियां भी तो अक्सर नहीं मिलतीं। जीतूजी ने जब पति पत्नी के प्रेम भरे आदान प्रदान को देखा तो वह भी मन से काफी अभिभूत हो उठे। उन्होंने चुदाई रोक कर अपर्णा की गुलाब की पंखुड़ियां जैसे होठोँ को हलके से चूमा। फिर धीरे से अपर्णा को निचे उतार कर वह रोहित को लिपट गए। दो नंगे मरदाना बदन एक दूसरे के आलिंगन में मस्त हो गए। उनके आलिंगन में कोई भी शरीर का भाव नहीं था। बस एक दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और विश्वास था। जीतूजी चाहते थे की वह भी अपर्णा और रोहित की चुदाई देखे। जीतूजी ने रोहित का खड़ा हुआ लण्ड देखा। उन्होंने उसे अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगे। फिर जीतूजी ने अपर्णाके बदन को पकड़ा और उसे उसके पति रोहित के सामने कर दिया। रोहित जी अपनी ताजा चुदी हुई निहायत ही खूबसूरत दिखती नंगी पत्नी को देखने लगे। अपर्णा की गीली चूत में से उसका स्त्री रस रिस रहा था जो अपर्णाकी नंगी खूबसूरत जाँघों को गीला कर पाँव पर बह रहाथा। तब तक जीतूजी ने अपना वीर्य नहीं छोड़ा था। 

अपर्णाको समझ नहीं आरहा था की जीतूजी क्या चाहते थे। उसने कुछ असमंजस से जीतूजी की और देखा। जीतूजी ने प्यार भरे अंदाज से रोहित और अपर्णा के नंगे बदनों को दोनों हाथ से पकड़ कर मिला दिया। अपर्णा के उन्मत्त स्तन उसके पति की छाती से चिपक गए। जीतू जी ने पीछे से अपर्णाकी खूबसूरत सुआकार गाँड़ पर हल्का सा धक्का दिया सो रोहित जी और अपर्णा के बदन और करीब आगये और एक दूसरे से पूरी तरह चिपक ही गए। अपर्णा समझ गयी की जीतूजी रोहित और अपर्णा की चुदाई देखना चाहते थे। अपर्णाने अपने पति की ओर प्यार और कामुकता भरी आँखों से देखा और एक हलकी सी मुस्कान अपर्णा के होँठों पर गयी। रोहित जी ने हाथ बढ़ाकर अपनी नग्न पत्नी को अपने नग्न बदन से और चिपका दिया और वह अपर्णा के होँठों पर अपने होँठ रख कर उसे प्यारसे चूमने लगे। जीतूजी अपर्णा के पीछे खड़े होकर अपर्णा की गाँड़ में अपना लण्ड टिका कर अपने लण्ड से अपर्णा के गाँड़ की दरार को कुरेदते हुए चिपक गए। अपर्णा ने पीछे मुड़ कर होँठों पर मुस्कान लिए जीतूजी को और देखा। कहीं जीतूजी का इरादा अपर्णा की गाँड़ मारने का तो नहीं था? पर जीतूजी ने आगे झुक कर अपर्णा की गर्दन को चूमा और अपर्णा की आँखों में प्यार भरी आँखें डालकर उसे देखतेरहे। जीतू जी ने अपने दोनों हाथ अपर्णा के स्तनोँ पर रख दिए और अपर्णा के मम्मों को दबाने और मसलने लगे। अपर्णा के पति रोहित ने जीतूजी को अपनी पत्नी अपर्णा के मम्मों को दबाते और मसलते हुए देख अपना मुंह एक मम्मे पर रख दिया। अपर्णा के मम्मे की निप्पल रोहित ने अपने मुंह में ली और उसे चूसने और चबाने लगे।
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अपने पीछे जीतूजी का लण्ड और आगे पति का लण्ड अपर्णा की गाँड़ और चूत को टोच रहा था। अपर्णा उस समय चुदाई के मुड़ में थी। उस समय उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था की उसके पति उसे चोदे या उसके प्रियतम। वह चुदवाने के लिए बस बेसब्र थी। जीतूजी अपर्णा को करीब आधे घंटे चोदते रहे और फिर भी उनको छूटने की आवश्यकता नहीं पड़ी यह उनकी शारीरिक क्षमता दर्शाता था। अक्सर अपर्णा के पति तो दस मिनट में ही झड़ पड़ते थे। आखिर पति और प्रियतम मैं यही तो फर्क होता है। अपर्णा के लिए यह सुनहरी मौक़ा था जब वह दोनों मर्दों से चुदवाना चाहती थी। अक्सर ऐसा होता नहीं है। हिंदुस्तानी औरत के लिए एक ही बिस्तर पर एक साथ दो मर्दों से चुदवाना लगभग नामुमकिन सा होता है। पर आज अपर्णा के दोनों प्रेमी नंगे अपर्णा को मिलकर चोदने के मूड में थे। अपर्णा ने अपने पति का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से जीतूजी की कमर पकड़ कर अपर्णा अपने दोनों प्रेमियों को पलंग पर ले गयी और खुद दोनों मर्दों के बिच में जाकर लेट गयी।

जीतूजी अपर्णा की उसके पति रोहित द्वारा होती हुई चुदाई देखने के मूड में थे। यह जान कर अपर्णा अपने पति की और घूमी और अपने पति रोहित जी को अपनी दोनों बाँहों में घेर लिया। अपर्णा अपने पति से लिपट गयी। अपना मुंह रोहित के मुंह से सटा कर और अपने होँठ अपने पति के होँठों से मिलाकर अपर्णा ने रोहित जी को एक गहरा प्यार और उत्तेजना भरा चुम्बन किया। रोहितभी मस्त होकर अपनी नग्न बीबी के सुकोमल और कमनीय बदन का अनुभव करते हुए अपर्णा के रसीले होँठों का आनंद लेने लगे। अपर्णा ने अपने बदन को अपने पति से ऐसे चिपका दिया जैसे दोनों बदन एक ही हों। फिर अपनी एक टांग ऊपर उठाकर उसने अपनी चूत को अपने पति के लण्ड से सटा दिया। और अपने पति का जाना मना लण्ड एक हाथ में पकड़ कर उसे सहलाती हुई अपर्णा ने रोहित के लण्ड को अपनी चूत के प्रवेश द्वार पर रख कर रोहित जी के लण्ड को हिलाकर और अपनी चूत के द्वार पर रगड़ कर उसके चूत में दाखिल होनेकी जगह बनायी। एक हल्का धक्कामारकर अपर्णाने अपने पति को उनका लण्ड अपनी चूतमें डालने के लिए इंगित किया। रोहित जीतूजी और अपर्णा की चुदाई देख कर काफी उत्तेजित हो गए थे। उन्हें इंतजार था तो अपनी बीबी और अपने दोस्त के इशारे का। अपर्णा की चूत की सुरंग तो पहले से ही जीतूजी के पूर्व स्राव और अपर्णा के अपने स्त्री रस से पूरी स्निग्ध एवं लथपथ हो चुकी थी। रोहित के लण्ड को अंदर घुसनेमें कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। एक ही झटके में रोहित ने अपना लण्ड अपनी बीबी की जानी पहचानी चूत में डाल दिया। एक पल के लिए अपर्णा को अपनी चूत की चमड़ी खींचने से कुछ दर्द जरूर हुआ पर वह जो सम्भोग का आनंद था उसकी तुलना में कुछ भी नहीं था।

अपने घरमें तो अपर्णा अपने पति से लगभग रोज ही चुदती रहती थी। पर उस दिन वह इस वजह से ज्यादा उत्तेजित और शर्मीली भी थी की उसकी चुदाई उसके पति किसीकी नजरों के सामने करने वाले थे। जीतूजी नंगी अपर्णा की उसके पति से चुदाई देखने वालेथे। अपर्णाने पीछे मूड कर जीतू जी की और देखा। जीतूजी अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ से सटाकर रोहित से अपर्णाकी चुदाई का इंतजार कर रहे थे। नजरें मिलते ही जीतूजी ने अपर्णा की पलकों पर एक हलकी चुम्मी दी और आँख मारकर चुदाई शुरू करवाने का इशारा किया। अपर्णा पलंग में दो मर्दों के बिच ऐसी पिचकी हुई थी की अगर ध्यान से ना देखा जाए तो शायद दो मर्दों के गठीले बदन के बिच में अपर्णा का हल्का फुल्का बदन तो दिखेही ना। पर दोनों मर्द अपर्णा के कमसिन बदन का भरपूर अनुभव कर रहे थे।
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जीतूजी अपर्णा की भरी हुई मस्त गाँड़ को पीछे से टॉच रहे थे तो रोहित अपर्णा की चूत में अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदने के लिए तैयार थे। पीछेसे जीतूजीने अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ की दरार में फँसा रक्खा था। वह अपने लण्ड को अपर्णाकी गाँड़में डालना चाहते तो थे, पर जानते थेकी ऐसा करनसे अपर्णा को असह्य कष्ट और दर्द होगा और चमड़ी फटने से शायद खून भी बहने लगे। अपने आनंदके लिए कभी भी कोई सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिकाको दुखी करना नहीं चाहेगा। जीतू जी जानते थे की कई लडकियां और औरतें अपनी गाँड़ में लण्ड डलवाती थीं। पर यह बात भी सही है की ऐसा करने से औरतोंको बवासीर की बिमारी हो सकती है। जीतूजी का लण्ड काफी मोटा और लंबा होने के कारण वह अपर्णा की गाँड़ में उसे डालकर अपर्णा को दुःख पहुंचाना नहीं चाहते थे।

अपर्णा अपने पति रोहित और अपने प्रियतम जीतूजी के बिच में लेटी हुई थी। एक तरफ उसके पति का खड़ा लण्ड उसकी चूत में घुस रहा था, तो पीछे जीतूजी का मोटा घण्टा अपर्णा गाँड़ की दरार में फँसा था। अपर्णा को डर था की कहीं जीतूजी मोटा घोड़े का सा लण्ड उसकी गाँड़ में घुसड़ने की कोशिश नाकरे। पर जीतूजी का ऐसा कोई इरादा नहीं था। वह तो अपर्णा की चूत के ही दीवाने थे। बस वह अपर्णा को अपने लण्ड को अपर्णा की गाँड़ पर महसूस करवाना चाहते थे। अपर्णा जीतूजीका लण्ड अपनी गाँड़ पर महसूस कर काफी उत्तेजितहो रहीथी। रोहितने अपर्णा की चूतमें अपना लण्डपेलना शुरूकिया तब जीतू जी को भी मौक़ा मिलाकी उनका लण्डभी अपर्णा की गाँड़ में काफी टॉच रहा था। हालांकि जीतूजी ने अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ के छिद्र में नहीं डाला था। अपने दोनों हाथों में जीतूजी ने अपर्णा के भरे फुले हुए स्तनोँ को दबा कर पकड़ रखा था।

अपर्णा के जहन में एक अभूतपूर्व रोमांच और उत्तेजना भरी हुई थी। उसे अपने स्त्री होने के गर्व की अनुभूति हो रही थी। अपने बदन के द्वारा अपर्णा अपने दो अति प्रिय मर्दों को एक अनूठा अनुभव करा रही थी। अपर्णा जानती थी की जितना रोमांच अपर्णा के ह्रदय में उस समय दो मर्दों से एक साथ चुदवाने में था शायद उतना ही या शायद उससे ज्यादा अद्भुत रोमांच और उत्तेजना का अनुभव उसके दोनों प्यारे मर्दों को भी उस समय हो रहा था। रोहित ने अपनी पत्नी की रस भरी चूत में फुर्ती से अपना लण्ड पेलना शुरू किया। उनके चुदाई के झटके के कारण ना सिर्फ अपर्णा का बदन जोर से हिल रहा था, बल्कि उसके साथ साथ अपर्णा के पीछे चिपके हुए जीतूजी का बदन भी जोर से हिल रहा था। उस समय जीतूजी, अपर्णा और रोहित जी के बदन जैसे मिल कर एक हो गए हों ऐसा दिख रहा था।

रोहित दो मर्दों से अपर्णा को चुदवाने के अपने मन की इच्छा पूरी होने के कारण काफी उत्तेजित और उत्साहित थे। उनकी बीबी भी दो मर्दों से निच्छृंखल भाव से चुदवाने आनंद लेकर बहुत उत्तेजित और खुश थी। उस रात रोहित अपने आप को नियंत्रित रखना नहीं चाहते थे। अपनी पत्नी को इस अनूठी परिस्थिति में चोदते हुए वह इतने ज्यादा उत्तेजित हो गए थे की उनके लिए अपने वीर्य को दबाये रखना काफी मुश्किल लग रहा था। वह अपनी बीबी की चूत की सुरंग में अपना वीर्य छोड़ना चाहते थे, पर उन्हें पता नहीं था की उस समय अपर्णा की माहवारी की हालात क्या थी। अपने अंडकोष में खौलते हुए वीर्य चाप को वह रोक नहीं पा रहे थे। वह एकदम उत्तेजित हो कर अपर्णा के बदन से एकदम चिपक कर अपर्णा की चूत में हलके हलके झटके मार कर उसे चोदनेलगे। सालोंसे पतिसे चुदवानेके अनुभव से अपर्णा समझ गयी की उसके पति का धैर्य (या वीर्य) अब छूटने वाला था और वह झड़ने वाले थे अपर्णा ने पहले ही सोच समझ कर अपने आप को गर्भ धारणसे सुरक्षित रखनेके लिए आवश्यक तैयारी कर रक्खी थी। घर से निकलने के पहले ही वह भली भाँती जानती थी की उस यात्रामें उसकी अच्छी खासी चुदाई होने वाली थी।
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अपर्णा ने अपने पति के कानों में फुसफुसा कर शर्माते हुए कहा, "जानू, अपने आपको रोकिये मत। अपना सारा माल मुझ में निकाल दीजिये। आप के झड़ने के बाद मुझे जीतूजी से भी पेलना है। आप ने जीतूजी का मोटा और तगड़ा टूल तो देखा ही है। आप की मलाई मेरे अंदर रहेगी तो मुझे जीतूजी का मोटा टूल लेने में कुछ और आसानी रहेगी। अपर्णाकी बात सुनकर रोहित ने एक के बाद एक हलके पर जोरदार धक्के मार कर अपने लण्ड को अपर्णा की चूत में पेलते रहे। रोहित के दिमाग में अचानक एक धमाके के साथ उनके लण्ड के छिद्रसे फव्वारेकी तरह उनके वीर्य की पिचकारी निकली और उनकी बीबी अपर्णा की चूत की पूरी सुरंग जैसे रोहित के वीर्य से लबालब भर गयी। अपर्णा को अपनी चूत में अपने पति के गरमा गरम वीर्य की पिचकारी छूटने का अनुभव हुआ तो वह भी उत्तेजना के चरम पर पहुँच गयी। अपर्णा के लिए भी उस दिन की घटना एक अद्भुत अनुभव और उत्तेजना का अनुभव था। वह भी अपने आप को रोकना नहीं चाहती थी। पति के साथ उनके बैडरूम में तो वह करीब करीब हर रोज चुदती थी। और ऐसा करते हुए रोमांच भी होता था। पर उस समय की बात कुछ और ही थी। पहाड़ों और वादियों में कुदरत की गोद में अपने प्यारे अझीझ दो मर्दों से एक साथ चूदवाना जिंदगी का असाधारण अनुभव था। अपर्णाका बदनभी उत्तेजना के कारण कांपने लगा और एक हलकी सी सिसकारी के साथ अपर्णा भी झड़ गयी। उस समय अपर्णाके दिमाग में भी अभूतपूर्व सा उत्तेजना भरा धमाका जैसे हुआ। वह अपने पति की बाँहों में समा गयी और बार बार उनसे चिपक कर "रोहित आई लव यू वैरी मच" कहती हुई हांफती अनूठे रोमांच का एहसास करने लगी।

झड़ते ही अपर्णा के दिमाग में जैसे एक अभूतपूर्व शान्ति और ठहरे हुए आनंदका अंतरानुभव हुआ। तन और मन में जैसे एक धीरगंभीर पूर्णता प्रतीत हुई। अपने पति के साथ ऐसा अनुभव अपर्णा ने शायद सुहागरात को ही किया था। कुछ देर आँखें बंद कर के शान्ति से पड़े रह कर आराम करने के बाद अपर्णा ने आँखें खोल अपने पति की आँखों में आँख मिलाकर देखा। अपने प्रेमी और अपने पति दोनों से अच्छी खासी चुदाई होने के बाद अपनी बीबी के चेहरे पर कैसे भाव आते हैं यह देखने के लिए रोहित तो बस एकटक अपनी बीबी के संतृप्त चेहरे को देखे जा रहे थे। अपर्णा की आँखें जैसेही मुस्कुराते हुए अपने पतिसे मिलीं तो अपर्णाने शर्मा कर अपनी नजरें झुकालीं। पति ने अपनी बीबी अपर्णा की ठुड्डी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाकर अपर्णाके होँठों पर प्यार भरा चुम्बन किया। रोहित जानते थे की जीतूजी का तो अभी तक काम पूरा नहीं हुआथा। रोहित जी जीतूजी की काफी लम्बे अरसे तक बगैर झड़ने के चुदाई करने की क्षमता से बड़े प्रभावित हुए थे। उन्होंने देखा था की जीतूजी ने अपर्णा को करीब आधे घंटे तक एक से बढ़ कर एक पोजीशन में रख कर कितने बढ़िया तरीकेसे चोदा था और फिर भी वह झड़े नहीं थे। अपर्णा जरूर थक गयी थी पर जीतूजी और उनका कड़ा लण्ड दोनों वैसे के वैसे ही खड़े थे।
 
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रोहित को लगा की शायद जीतूजी को चोदने के लिए काफी औरतें मिल जाती होंगीं, जिसके कारण उनमें इतनी टिकने की क्षमता आयी। पर सच यह था की जीतूजी तन से और मन से बड़े ही सजग और फुर्तीलेथे। उनमें एककठोर संकल्प करने की अद्भुत क्षमता थी। ऐसी क्षमता करीब करीब हर जवान में होनी चाहिए और ज्यादातर होती है। बिना थके मीलों तक चलते दौड़ते और जमीन पर रेंगते हुए यह क्षमता एक सुनियोजित शारीरिक व्यायाम सेना का हिस्सा के कारण पैदा होती है जो एक आम नागरिक के लिए कल्पना की विषय ही हो सकती है। रोहित जी देखना चाहते थे की ऐसे करारे, फुर्तीले और शशक्त बदन वाला इंसान झड़नेपर कैसे महसूस करताहै। साथ साथ में वह अपर्णाकी फिरसे अच्छी खासी चुदाई देखना चाहतेथे। रोहित ने मुस्कुराते हुए अपनी बीबी को चुम कर उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके बदन को करवट लेकर अपने दोस्त की और घुमा दिया। 

अपर्णा तो पहले से ही जीतूजी का खड़ा कड़ा लण्ड अपनी गाँड़ को टोचता हुआ महसूस कर ही रहीथी। उसके ऊपर जीतूजीके दोनों हाथ अपर्णा के गोल गुम्बजों को जकड़े हुए थे। अपर्णाको अब जीतूजी कावीर्य अपनी चूतकी सुरंगमें उंडेलवाना था। अपर्णा के मन में आया की अच्छा होता की उसने गर्भ निरोधक सुरक्षा ना अपनायी होती। वह इस पूर्ण शशक्त जवान के वीर्य से पैदा हुए बच्चे की माँ अगर बनपाती तो उसकेलिए गर्वका विषय होता। पर खैर, अभी वह जीतूजी का गरमा गरम वीर्य तो अपनी चूत की सुरंग में खाली करवा ही सकती थी। अपर्णा ने घूम कर जीतूजी की नज़रों से अपनी स्त्री सहज लज्जा भरी नजरे मिलायीं। नजरें मिलते ही जीतू जी ने झुक कर अपनी प्रियतमा अपर्णा को अपनी बाँहों में समेट कर अपर्णा रस भरे होँठों पर एक गहरा और प्यार भरा चुम्बन किया। फिर अपना सर थोड़ा ऊपर उठाकर अपर्णा के पीछे लेटे हुए अपने दोस्त और अपर्णा के पति रोहित की और देखा। शायद वह रोहितसे उनकी बीबीको चोदनेकी सहमति मांगने की औपचारिकता पूरी करना चाहते थे। रोहित समझ गए और उन्होंने जीतूजीका हाथ जो नंगी अपर्णा के नितम्बों पर टिका हुआ था उसे पकड़ कर दबा कर अपनी अनुमति दे दी।

अपर्णा प्रिय पति और प्रेमी की यह दोस्ती देख कर मन ही मन खुश हो रही थी। ऐसा सौभाग्य बहुत ही कम स्त्रियों को प्राप्त होता है। अपर्णा जीतूजी के होँठोंसे अपने होँठ मिलाये और उनके प्यार भरे चुम्बन को अपने रसीले होँठ सौंप कर और अपनी जीभ को जीतूजी की जीभ से रगड़ कर अपर्णा जीतूजी उसे चोदने के लिए लाला-यित कर रही थी। जीतूजी को निमत्रणकी जरुरत तो थी नहीं। वह तो अपनी प्रेमिका को चोदने के लिए तैयार ही थे। पति की अनुमति भी मिल ही गयी थी। तो देर किस बात की? जीतूजीने अपनी प्रेमिका और रोहित की पत्नी अपर्णाको अपने ही बगल में सुलाकर थोड़ा ऊपर निचे एडजस्ट कर अपर्णा की अपने स्त्री रस और रोहित की मलाई से भरी हुई चूत पर अपना लंबा, मोटा, छड़ के सामान तन कर खड़ा हुआ और ऊपर की ओर मुड़ा हुआ लण्ड सटा दिया। अपर्णा को अपनी बाहों में पकड़ कर जीतूजी ने एक हल्का सा धक्का मारकर अपर्णा को इशारा किया की वह उसे सही जगह पर रखे और थोड़ा सा अपनी चूत पर रगड़े। अपर्णा भी तो तैयार थी। अपर्णाने फुर्ती से जीतूजी का लण्ड अपनी हथेली में पकड़ कर उसे अपनी चूत के प्रेम छिद्र के द्वार पर थोड़ा सा रगड़ कर रख दिया। अपर्णा की चूत वैसेही अपने पति के वीर्य की मलाई से लबालब भरी हुई थी। उसे पता था की यदि जीतूजी थोड़ा सावधानी बरतेंगे तो उस समय उसे जीतूजी के इतने मोटे लण्ड को अंदर घुसाने में कोई ज्यादा तकलीफ नहीं होगी।
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अपर्णा ने जीतूजी के लण्ड को प्रेम छिद्र पर रख कर जीतूजी को उनकी छाती की निप्पल पर एक प्यार भरा चुम्बन किया। यह जीतूजी के लिए चुदाई शुरू करने का इशारा कहो या आदेश कहो, था। जीतूजी ने पहले थोड़ा सा अपना लण्ड अपनी प्रेमिका की चूत की सुरंग में घुसाया और पाया की रोहित की मलाई से लबालब भरे हुए होने के कारण उन्हें अपने लण्ड को अंदर घुसाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। पर फिर भी वह जानते थे की प्रेमिका की चूत तो अब उनकी ही होचुकी थी। उसे उनको सावधानीसे कोई नुक्सान ना पहुंचाए बिना चोदना था। उन्हें अपर्णा को एक अद्भुत आनंद भी देना था साथ में उन्हें अपर्णा की सेहत और दर्द का भी ख्याल रखना था। जीतूजी चाहते थे की अपर्णा को वह एक ऐसा अनूठा उन्माद भरा आनंदकी अनुभूति कराएं की जिससे अपर्णा जीतूजी से वह आनंद अनुभव करने के लिए बार बार चुदवा ने के लिए मजबूर हो जाए। जीतूजीने फिर एक और धक्का दिया और उनका लण्ड अपर्णा की चूत में आधा घुस गया। अपर्णा को अपनी चूत के फैल कर अपनी पूरी क्षमता से खिंचा हुआ होने के कारण थोड़ा सा कष्ट हो रहा था पर वह सह्य था।

जीतूजी के प्यारे और गरम लण्ड की अपनी चूत में उन्माद भरी अनुभूति अपर्णा के लिए वह दर्द सहने के लिए पर्याप्तसे काफी ज्यादा थी। अपर्णा ने जीतूजी के लण्डको और घुसानेके लिए अपनी गाँड़ से धक्का दिया ताकि वह जीतूजी को बिना बोले यह एहसास दिलाना चाहती थी की उसे कोई ख़ास दर्द नहीं महसूस हो रहा था। जीतूजी ने एक और धक्का दे कर अपना लण्ड लगभग पूरा घुसेड़ दिया। जीतूजी का लण्ड जो की पूरा तो नहीं घुस पाया था फिर भी अपर्णा के मुंह से एक हलकी सी चीख निकल पड़ी। जीतूजी ने महसूस किया की उस बार अपर्णा की वह चीख में दर्द कम और उन्माद ज्यादा था। अपर्णा ने अपने पति रोहित का लण्ड अपनी गाँड़ पर रगड़ता हुआ महसूस किया। जीतूजी को अपनी बीबी को चोदने की शुरुआत करते हुए देख कर ही उनका लण्ड जो की एकदम सो रहा था फिर से उठ कर खड़ा हो गया। अपर्णा ने पीछे हाथ कर अपने पति का हाथ अपने हाथोँ में लेकर उसे दबाया।

रोहित ने अपनी नंगी बीबी की कमर के ऊपर से अपना हाथ हटा कर पीछे से अपनी बीबी के फुले रस भरे गोल गुम्बज के सामान मम्मों पर रख दिया और वह उसे प्यार से सहलाने और दबा कर मसलने लगे। अपने प्रेमी जीतूजी कालण्ड अपनी चूत में रहते हुए अपने पति से अपने स्तनों को मसलना अपर्णा को कई गुना आनंद दे रहा था। उसे लगा की उस यात्रा में भले ही कितने ज्यादा कष्ट हुए हों, पर यह अनुभव के सामने वह सब गौण लगने लगे थे। अपर्णाने अपनी गाँड़ हिला कर अपने पति का लण्ड अपनी गाँड़ की दरार में ला दिया। अगर रोहित के मन में अपर्णा की गाँड़ में उनका लण्ड घुसाने की इच्छा हो तो वह घुसा सकते थे, यह इशारा अपर्णा ने बोले बिना अपने पति को करना चाहती थी। पर रोहित जानते थे की अपर्णा को अपनी गाँड़ मरवाना अच्छा नहीं लगता था। कई बार अपर्णा ने अपने पति को गाँड़ मारने से रोका था। शायद अपर्णा की गाँड़ का छिद्र उसकी चूत के छिद्र से भी छोटा था।

जीतूजी का लण्ड कुछ ही देर में प्यार से अपर्णा की चूत में अंदर बाहर करने से लगभग पूरा ही घुस चुका था। अपर्णा की चूत की सुरंग पूरी भर चुकी थी। जीतूजी ने सोचा की अब और अपना लण्ड अंदर घुसाने से अपर्णा की बच्चे दानी और उसकी चूत की सुरंग का फट जाने का डर था। जीतूजी ने इस कारण अपना लण्ड उतना ही घुसा कर संतोष माना।
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अपर्णा जीतूजी से पूरी तरह चुदवाना चाहती थी। जैसे जीतूजी चाहते थे की वह अपर्णा की ऐसी चुदाई करें की अपर्णा को बार बार जीतूजी से चुदवाने का मन करे वैसे ही अपर्णा चाहती थीकी वह जीतूजीको ऐसा आनंद दे की जीतूजी का अपर्णा को बारबार चोदने का मन करे। आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी। अब ऐसा नहीं होगा की अपर्णा जीतूजी से चुदवाना नहीं चाहेगी। रोहित भी यह भली भाँती जान गए थे की अब अपर्णा जीतूजी के मोटे लण्ड से बार बार चुदवाना चाहेगी। वह भी उसके लिए तैयार थे। बदले में उन्हें पता था की उनके लिए श्रेया को चोदने का रास्ता भी खुल जाएगा। जीतूजी हालांकि अपर्णा को पहले भी चोद चुके थे पर अपर्णा के लिए हर बार जब भी जीतूजी का लण्ड उसकी चूत में दाखिल होता था तो पता नहीं क्यों, अपर्णा के पुरे बदन में जैसे एक अजीब सी तीखी मीठी सिहरन फ़ैल जाती थी। अपने पति से चुदवाना भी अपर्णा को काफी आनंद देता था पर जीतूजी के लण्ड की बात ही कुछ और थी। शायद यह जीतूजी के प्यार करने के तरीके से या फिर जीतूजी के गठीले बदन के अनुभव से या फिर उनके भारी मोटे और लम्बे लण्ड से हो, पर जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में कुछ और ही उन्माद की लहर फैला देता था जैसे अपर्णा के जहन मन उन्माद को कोई सैलाब आया हो।

जीतूजी ने जैसे धीरे धीरे अपना लण्ड अपर्णा की चूत की सुरंग में पेलना शुरू किया की अपर्णा बार बार उन्मादित रोमांच से सिहरने लगी। रोमांच के मारे उसके बदनके सारे बाल जैसे खड़े हो गए। उसकी चूत में अजीब सी सिहरन और फड़कन शुरू हो गयी। जैसे ही चूत की सुरंग की त्वचा फड़कती थी की वह जीतूजी के लण्ड को एक वाइस की तरह जकड लेती थी। जिसके कारण जीतूजी को एक अजीब अनूठा अहसास का अनुभव होता था। जीतूजी ने महसूस किया की दूसरी बार अपर्णा जीतूजी के लण्ड को अंदर लेते हुए पहले की तरह हिचकिचा नहीं रही थी। वह एक अनुभवी प्रेमिका साथी की तरह चुदाई करवाने के लिए बड़े आत्म विश्वास से साथ दे रही थी। जैसे जैसे जीतूजी ने अपनी फुर्ती बढ़ाई, अपर्णा ने भी पूरा साथ देते हुए अपने कूल्हे उठा कर जीतूजी का पूरा साथ दिया। एक चोदने वाले पुरुष के लिए इससे अधिक और आनंद की बात क्या हो सकती थी? अपर्णा को और आनंद देने के लिए जीतूजी थोड़ा टेढ़ा होकर अपने लण्ड को अलग अलग एंगल से अपर्णा की सुरंग में चोदते जा रहे थे। 

अब पीछे से अपर्णा की गाँड़ पर अपना खड़ा लण्ड रगड़ने की बारी अपर्णा के पति रोहित की थी। रोहित ने पीछे से अपनी बीबी की नंगी कमर पर अपने दोनों हाथ टिकाये हुए थे और वह अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ की दरार में रगड़ते जा रहे थे। अपर्णा अपनी गाँड़ पर अपने पति का फिर से खड़ा हुए लण्ड को महसूस कर रही थी। अपर्णा को उस दिन जीतूजी को पूरी ऊंचाई अपने चरम तक ले जाने की इच्छा थी। अपर्णा जीतूजी से अलग अलग पोजीशन में चुदवाना चाहती थी और वह भी अपने पति के सामने। रोहित बार बार अपर्णाको जीतूजी से चुदवाने के बारे में इशारा करते रहते थे। अब तक अपर्णा पति की बात टालती रही थी। पर आज उसे सुनहरा मौक़ा मिला था पति की इच्छा पूरी करने का और सच बात तो यह भी थी की उसकी अपनी भी इच्छा पूरी करने का। अपर्णा ने जीतू जी को रुक जाने का इशारा किया। जीतूजी ने अपर्णा की और प्रश्नात्मक भाव से देखा। अपर्णा ने जीतूजी के होँठों पर हलकी सी चुम्मी कर थोड़ा सा पीछे हट कर उनका लण्ड अपनी चूत से निकाल दिया और उस झूलते हुए मोटे रस्से जैसा जीतूजी का लण्ड अपने हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाते हुए अपने पति, जो की बिस्तर में लेटे हुए थे के पाँव के पास पहुंची।
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जीतूजी को अपनी बगलमें खड़ा रख कर अपर्णा ने रोहित के दोनों पाँव चौड़े किये और खुद बिच में गयी। बदन को घुटनों पर टिकाकर अपनी गाँड़ ऊपर की और उठाकर अपर्णाने आगे झुक कर अपने पति का लण्ड के अग्र भाग (टोपे) को बड़े प्यार से चूमा और जीतूजी को अपने पीछे आने का इशारा किया। जीतूजी अपर्णा की इच्छा समझ गए। अपर्णा अपने पति का लण्ड चूसते हुए खुद घोड़ी बनकर जीतूजी से पीछे से चुदवाना चाहती थी। जीतू जी ने आगे बढ़कर अपर्णा की गाँड़से अपना लण्ड सटा दिया। अपर्णा ने उसे अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए अपनी चूत पर रगड़ा और धीरे से अपनी चूत की पंखुड़ियों को खोल कर उसके बिच अपने प्रेम छिद्र में हल्का सा घुसाया। बाकी काम जीतूजी ने आगे से धक्का मार कर पूरा किया। जीतूजी का लण्ड पीछे से चूत में घुसते ही अपर्णा की चीख निकल गयी। थोड़ा सा धक्का ज्यादा लगने से और चूत चिकनी होने के कारण जीतूजी का लण्ड काफी अंदर घुस गया था। जैसे तैसे अपर्णा ने अपने आप को सम्हाला। आगे अपर्णा अपने पति का लंड चूस रही थी तो पीछे से जीतूजी अपर्णा को घोड़ी बनाकर अपर्णाकी चूत में अपना लण्ड पेलने लगे और उसे हलके धक्के मार कर चोदने लगे। अपर्णा की भरी हुई चूँचियाँ हवा में मस्ती से झूल रही थीं। जीतूजी ने अपने हाथ आगे कर उनको अपने दोनों हाथों की हथेलियों में पकड़ा और उन्हें प्यारसे दबाने और मसलने लगे।

अपर्णा जीतूजी के पीछे से लगते हुए धक्कों से पूरी तरह हिल रही थी और उसे अपने पति का लण्ड चूसने में भी कुछ कठिनाई हो रही थी। यह देखते हुए जीतूजी ने अपर्णा की नंगी कमर दोनों हाथों से पकड़ कर अपर्णाको थोड़ा संतुलित और स्थिर करने की कोशिश करते हुए अपने पीछे धक्के मारने की रफ़्तार कम की। पर ऐसा करने से जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में ज्यादा गहराई तक चला गया। अपर्णा की चूत में अब उसे आगे जाने देने के लिए जगह ही नहीं थी। वह अपर्णा की बच्चे दानी को धक्के मारने लगा। अपर्णा फिर से चीख उठी। जीतूजी अपर्णा की सहमी हुई चीख सुनकर थोड़े चिंतित हो गए और थम गए। पर अपर्णा वैसेही खड़ी रही तो जीतूजी अपने धक्के के पीछे जोश कम कर हलके हलके से ही अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेलने लगे। अपर्णा को अब मजा रहा था। रोहित अपनी बीबी के बालों में अपनी उंगलियां डाल कर अपर्णा का माथा पकड़ कर अपने लण्ड को चुसवाने का मजा लेरहे थे। ऐसेही कुछ देर चलता रहा तब रोहितने थोड़ासा ऊपर उठकर अपनी बीबी अपर्णा के कानों के पास अपना मुंह लाकर (जिससे की पीछे से अपर्णा को चोद रहे जीतूजी सुन ना सके) पूछा, "डार्लिंग, इतना तो तुम कर ही चुकी हो। तो क्यों ना आज तुम हम दोनों से एक साथ चुदवालो? बोलो, कर सकती हो?"

अपर्णा ने अपनी आँखें खोल कर अपने पति की और देखा। उसकी आँखोंमें सवाल था की आखिर उसके पति क्या चाहते थे? रोहित ने कहा, "क्या तुम मेरे और जीतूजी से एक साथ चूत और गाँड़ मरवाना चाहोगी? अगर तुम हिम्मत करो तो?" कह कर रोहित जैसे अपनी बीबी की मिन्नत करते हुए अपर्णा के बालों को चूमने लगे। अपर्णा ने धीमी आवाज में कहा, "क्या तुम मुझे मरवाना चाहते हो? रोहित ने उतनी ही धीमी आवाज में अपनी बीबी की मिन्नत करते हुए कहा, "देखो, मेरा तो अब ढीला पड़ चुका है। वह क्या परेशान करेगा? और फिर मैं हर्बल तेल से उसे पूरी तरह सराबोर करकेही घुसाउँगा। प्लीज? करने दो ना? बस एक बार? थोड़ेसे समय के लिए ही?" अपने पतिकी बचकाना बातें सुनकर अपर्णा की हंसी फुट पड़ी। इतने बड़े पत्रकार, जिनका हर तीसरे दिन टीवी पर साक्षात्कार होता है और आम जनता जिन के शब्दों का इतना विश्वास करती है, वह अपनी बीबी के सामने उसे दो मर्दों से एक साथ चुदवाने के लिए कैसे गिड़गिड़ा रहे थे? अपर्णा यह देख कर हैरान थी।
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किसीने सच ही कहा है की आखिर मर्द लोग कितने ही बड़े क्यों ना हों? जब उनका पाला कोई सेक्सी खूब सूरत औरत से पड़ता है तो वह अपने लण्ड के आगे कितने लाचार हो जाते हैं? यह उसने देखा। रोहित जी जैसा बड़ा पत्रकार भी अपनी विलक्षण तृष्णा (फंतासी) के सामने अपनी बीबी को दो मर्दों से एक साथ चुदवाने के लिए कितना बेताब था? अपर्णा सोचने लगी की क्या किया जाए? उसका मन किया की पति की इस ख्वाहिश को हर बार की तरह इस बार भी ठुकरा कर प्यार से जीतूजी से चुदवा कर अपनी जान छुड़ाए। पर उस दिन अपर्णा के दिमाग में भी एक तरह का चुदाई नशा छाया हुआ था। अपर्णा ने उस दिन ऐसा काम किया था जो कोई भी स्त्री के लिए और ख़ास कर भारतीय नारी के लिए सपने के सामान अकल्पनीय था। अपर्णा ने अपने पति के देखते हुए अपने पड़ौसी और प्रियतम जीतूजी से चुदाई करवाई थी। जब बात यहां तक ही पहुँच गयी है तो फिर अपर्णा ने सोचा चलो एक कदम आगे भी चल लेते हैं। वह अपने पति पर उस दिन बड़ी ही कायल थी। जब उसके पति रोहित ने एकही बिस्तरमें उसे जीतूजीके साथ नग्न हालात में सोते हुए देखा तो जाहिर थाकी जीतूजी ने उस रात उनकी बीबी अपर्णा को चोदा ही होगा। पर फिर भी वह ना सिर्फ कुछ भी ना बोले, बल्कि उन्होंने यह सब जानते और समझते हुए भी जीतू जी को बड़ा प्यार और दुलार किया और अपने आप को अपर्णा को ना बचाने की लिए कोसा भी। अपर्णा के मन में अपने पति के लिए बड़े ही गर्व और प्यार का भाव उमड़ पड़ा। उसके मन के कोने में भी कहीं ना कहीं ऐसी विलक्षण तृष्णा रही होगी की कभी ना कभी वह दो मर्दों से एक साथ चुदवाएगी। आज उसे उसके पति ने बड़े ही मिन्नतें करते हुए जब आग्रह किया तो अपर्णा उन्हें मना नहीं कर पायी।

अपर्णा ने हाँ तो नहीं कहा पर अपने पति के कान में धीमे से बोली, "जानू, यह देखनाकी मुझे ज्यादा दर्द ना हो।" अपर्णा की बात सुनकर रोहित उछल पड़े। उनके मन की सबसे बड़ी विचित्र कामना शायद उनकी बीबी आज पूरी करेगी यह जान कर रोहित फ़ौरन उठे और वैसे ही नंगे चलकर कमरे में कुछ ढूंढने लगे। जीतूजी अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए देख रहे थे की पति पत्नी में कुछ प्राइवेट वार्तालाप चल रहा था। शायद वह उनको नहीं सुनना चाहिए था इसी लिए अपर्णा और रोहित ने दोनों आपस में गुपचुप कुछ घुसपुस कर रहे थे। जब रोहित को पलंग पर से उठ कर एक तरफ हट कर कमरे में कुछ ढूंढते हुए देखा तो सोचमें पड़ गए की क्या बात थी? कुछ ना कुछ खिचड़ी तो जरूर पक रही थी।

खैर वह अपर्णा की चूत को पीछे से चोदने में ही मशगूल रहे। अपर्णा की गाँड़ जिस तरह चुदाई होते हुए छक्पका रही थी और अपर्णा उनके धक्के से जैसे हिल रही थी, यह दृश्य उनके लिए अतिशय ही रोमांचकारी और उन्मादक था। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा अपनी गाँड़ के गालों को कभी कभी चांटा मारती रहती थी तो कभी कभी अपनी चूत की पंखुड़ियों को अपनी उँगलियों में पकड़ कर रगड़ रही थी। अपनी चूत की पंखुड़ियों को रगड़ते हुए उसकी उंगलिया बरबस जीतूजी के बड़े घंटे को छू जाती थी। जीतूजी का तगड़ा लण्ड इंजनके पिस्टन की तरह अपर्णाकी चूतमें से "फच्च फच्च" आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था। उसको छू कर भी अपर्णाके पुरे बदनमें कुछ हलचलसी हो जाती थी। शायद अपर्णा की उन्मादकता और भी तेज हो जाती थी। कभी कभी जीतूजी का लण्ड अपनी चूत में झेलते हुए वह जीतूजी के हाथों के ऊपर अपने हाथ रख कर अपने खुद की चूँचियों को दबा कर अपनी उत्तेजना व्यक्त करती रहती थी। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा को एक अजीब सा ही भाव हो रहा था। उसे घोड़ी बनकर चुदवाना बहुत पसंद था और कई बार अपने पति से वह उस पोजीशन में चुदवा चुकी थी। पर उसे जीतूजी के तगड़े लण्ड से पीछे से चुदवाने में कुछ अजीब सा ही भाव हो रहा था।
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अपर्णा चाहती थी की उसदिन वह जीतूजीसे पूरा मन भरनेतक चुदाई करवातीही रहे। अपर्णा आँखें बंद कर जीतूजी के लण्ड को अपनी चूतके अंदर बाहर करने का आनंद लेर ही थी की अचानक जीतू जी थम गए और उन्होंने धीरेसे अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें से निकाल लिया। अपर्णाने पीछे मूड कर देखा तो समझ गयी की अब उसके दोनों छिद्रों में चुदाई होने वाली थी, क्यूंकि रोहित जी जीतूजी के पीछे खड़े अपने लण्ड पर कोई तेल जैसा चिकना ऑइंटमेंट लगा रहे थे। अपर्णा को थोड़ा खिसका कर जीतूजी पलंग पर लेट गए और अपर्णा को अपने बाजुओं को लम्बा कर अपने ऊपर चढ़ने का आवाहन किया। अपर्णा ने जीतूजी की भुजाओं को पकड़ कर अपने बदन को थोड़ा सा टेढ़ा हो कर जीतूजी के खड़े लण्ड को, जो की छत की और दिशा सुचना करते हुए पहले की ही तरह अडिग और कड़क खड़ा था उसे अपनी चूत के केंद्र में टिका दिया। फिर हर बार की तरह उस लण्ड को उँगलियों में पकड़ कर उसे अपनी चूतकी पंखुड़ियों में रगड़ते हुए अपनी चूतके केंद्रबिंदु छिद्रपर टिका दिया। थोड़ासा नीचे झुककर अपना नंगा बदन नीचाकर जीतूजी के लण्ड के चिकनाहट से लथपथ लण्ड को धीरे से अपनी चूत में घुसाया। कुछ देर तक गाँड़ सहित अपने निचे वाले बदनको ऊपर निचेकर वह जीतू जी को अपनी चूत से चोदने लगी। उस बार उसे कोई खास दर्द का अनुभव नहीं हुआ। धीरे धीरे जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में काफी घुस गया। अपर्णा ने फिर झुक कर जीतूजी के ऊपर अपने पुरे बदन को लिटा दिया और जीतूजी के होंठों से अपने होँठ मिलाकर उसे चूमने और चूसने लगी। ऐसा करते हुए अपर्णा ने अपनीं गाँड़ थोड़ी सी और ऊपर की। रोहित अपर्णा को जीतूजी के ऊपर लेटने का ही इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही अपर्णा जीतूजी के ऊपर लेट गयी और अपनी गाँड़ थोड़ी सी ऊपर की की रोहित को अपर्णा की गाँड़ का छोटा सा छिद्र दिख पड़ा। हालांकि अपर्णा के ऐसा करने से जीतूजी का लण्ड चूत में से काफी बाहर निकला हुआ था पर चूँकि वह इतना लंबा था की फिर भी वह अपर्णा की चूत में काफी अंदर तक घुसा हुआथा। अपर्णा को जीतूजीको चोदते हुए देखते देखते वह अपने लण्ड पर कोई चिकनाहट भरा प्रवाही जो तेल जैसा चिकना और स्निग्ध था उसे भरपूर लगा रहे थे। अपर्णा की गाँड़ का छिद्र देखते ही रोहित ने वह ऑइंटमेंट अपनी उँगलियों में अच्छी तरह लगाया और फिर वह उंगली अपर्णा की गाँड़ के छेद में डाली। रोहित बार बार अपर्णा की गाँड़ के छेद में ऑइंटमेंट से भरी हुई उंगली डाल कर अपर्णा की गाँड़ उस चिकने तेलसे भर देना चाहते थे जिससे की वह जब अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ में डालें तो वह आसानी से उस छिद्र में घुस जाए।
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जीतूजी बिस्तर पर लेटे हुए थे। अपर्णा जीतूजी के ऊपर उनका लण्ड अपनी चूत में लिए हुए जीतूजी को प्यार भरा चुंबन कर रही थी। अपनी गाँड़ थोड़ी ऊपर की और उठा कर वह रोहित यानी अपने पतिसे अपनी गाँड़ के छिद्र में चिकना तेल या ऑइंटमेंट डलवा कर उसे स्निग्ध करवा रही थी। रोहित का लण्ड पहले जितना कडा तो रहा नहीं था फिर भी रोहित का मन पहली बार अपनी बीबी अपर्णा की गाँड़ मारने के लिए मचल रहा था। अपनी बीबी की गाँड़ में अच्छी तरह चिकनाहट भरा तेल डालनेके बाद रोहित ने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपनी बीबी की गाँड़ के छिद्र के द्वार पर टिका दिया और एक हल्का धक्का मारा। एकतो रोहित जी का लण्ड ढीला पड़ गया था। दूसरे वह तेल से लबालब लिपटा हुआ था सो एकदम सरसराता हुआ वह अपर्णा की गाँड़ में घुस गया। इतनी आसानी से अपना लण्ड घुस गया यह देख रोहित जी ने अपने पेंडू से एक धक्का मारा और अपना पूरा लण्ड अपर्णा की गाँड़ में घुसा दिया। अपर्णा की गाँड़ की सुरंग उतनी फैली हुई तो थी नहीं। अपर्णा को अचानक एक टीस उठी और दर्द हुआ। वह कुछ लम्हों के लिए सहम गयी। अपर्णा चीखी तो नहीं पर वह उस दर्द को बर्दाश्त करने के लिए अपनी आँखें भींच कर कुछ देर जीतूजी के ऊपर लेटी हुई पड़ी रही। उस समय अपर्णा की चूत में जीतूजी का लण्ड और उसकी गाँड़ में अपने पति का। अपर्णा ने अपनी जिंदगी में पहली बार दो मर्दों का लण्ड एक साथ लिया था। यह अनुभव किसी भी महिला के लिए बड़ा ही अजीब या अनूठा होता है और शायद कम ही महिलायें ऐसा अनुभव करना चाहेंगी। अपर्णा के उस दिन दो पति हो गए। वह दो पति की पत्नी हो गयी। और दोनों ही पति अपर्णा को एक साथ चोद रहे थे।

रोहित ने पीछेसे धीरे धीरे अपनी बीबीकी गाँड़ चोदनी शुरू की। अपर्णा भी दर्द कुछ कम होने के बाद बेहतर महसूस कर रहीथी। पहली बार किसी लण्ड का अपनी गांड में अनुभव कर अपर्णा कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी। उसे महसूस हो रहा था की उसके बदन में दो लण्ड एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे। बिच में मात्र त्वचा की पतली सतह ही थी। रोहित ने धीरे धीरे अपनी बीबी की गाँड़ में अपना लण्ड हलके हलके ठोकना शुरू किया। जीतूजी निचे से और रोहित ऊपर से और बेचारी अपर्णा दो हट्टे कट्टे मर्दों के बिच में पिचकी हुईथी। पर उसे बेतहाशा उन्मादक उत्तेजना और रोमांच महसूस हो रहा था। सिर्फ इस लिए नहीं की वह दो लण्डसे एक साथ चुदवा रही थी, पर इस लिएभी की उसे आज अपने दोनों मर्दों की एक छिपीसी विचित्रसी इच्छा या लालसा पूरी करने का मौक़ा मिल रहा था और साथ साथ में उसे अपने दो प्रेमी जो उस पर जान छिड़कते थे उन्हें एक साथ प्यार करने का मौक़ा मिल रहा था।

अपने पति का लण्ड पहली बार गाँड़ में ले ने से उसे काफी दर्द तो हुआ, पर वह आज वह दर्द सहने के लिए तैयार थी। अपर्णा को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके पेट के निचले वाला हिस्सा पूरी तरह से कोई ठोस सामान से भर गया हो। उसे ऐसे लगा जैसे वह गर्भवती हो। उसके पेट में एक साथ दो कड़े मोटे लण्ड घुस रहे थे निकल रहे थे। दर्दनाक होने के बावजूद अपर्णा को अपनी चूत और गाँड़ एक साथ दो लण्ड से चुदवाना अच्छा लगा, चूँकि वह उसके प्रेमियों के थे। रोहित अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे जब की जीतूजी ने अपनी चोदने की रफ़्तार अच्छी खासी बढ़ा दी थी। अपर्णा को दोनों मर्दों के एक एक धक्के से उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती थी।

अपर्णा अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रही थी। उसका बदन जैसे एक नयी ऊंचाई को छू रहा था। उसके हॉर्मोन्स और उसका स्त्री रस उसकी चूत में से रस की धारा समान रिस रहा था। उसके दिमाग में एक अजीब सा नशा छाया हुआ था। अपर्णा की सांस फूल रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से रोमांच के मारे चीत्कारियाँ निकल जाती थीं। अपर्णा की चूत में अचानक मचलन बहुत ज्यादा बढ़ गयी। वह अपने बदन पर नियत्रण नहीं कर पा रही थी। जीतूजी की फुर्तीली चुदाई और रोहित की गाँड़ में लण्ड से चुदाई के कारण अपर्णा अपना आपा खो रही थी। उसका दिमाग घूम रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपनी बाँहों में कस के पकड़ा और बोली, "जीतूजी मुझे खूब चोदो। आज मैं आप दोनोंसे खूब चुदवाना चाहती हूँ। पता नहीं आगे यह मौक़ा मिले या ना मिले "कल हो ना हो..."

यह कहते ही अपर्णा के दिमाग और मन में एक गजब का धमाका सा हुआ और "हाय राम... " कह कर अपर्णा झड़ पड़ी।
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जीतूजी को भी रोहित का लण्ड उनके लण्ड से रगड़ खाता हुआ महसूस हो रहा था। दोनों मर्दों के लिए भी यह अनुभव कोई चमत्कार से कम नहीं था। कहाँ एक सेना का विशिष्ट सम्मान्नित पदाधिकारी और एक अति विशिष्ट पत्रकार और कहाँ एक सम्मानित गृहिणी महिला। पर तीनों प्यार के एक अजीब से फितूर में मग्न उस दिन अपर्णा से चिपके हुए थे और ऐसी प्यार भरी हरकत कर रहे थे जिसके बारे में शायद उन्होंने सोचा तक नहीं था। तीनों के मन में कुछ अजीब से तरंग लहरा रहे थे। जीतूजी ने अपना धैर्य सम्हाले रक्खा था पर अब इस नए अनुभव की उत्तेजना से वह जवाब देने लगा। अब वह अपने वीर्य पर काबू नहीं रख पा रहे थे। अपर्णा का जैसे छूट गया की जीतूजीका वीर्यका फव्वारा भी अपर्णा की चूत में गरम गरम लावा जैसे चारों तरफ फ़ैल रहा हो और अपनी गर्मी से पूरी गुफा की सुरंग को गर्माता हुआ चूत की गुफा में जगह ना होने के कारण अपर्णा चूत के बाहर निकल रहा था। यह दृश्य देखते ही अपर्णाके पति रोहित जी भी अपने आप पर कण्ट्रोल ना रख पाए और पिछेसे अपर्णा को चिपकते हुए, "अपर्णा, मैं तेरे अंदर ही अपना माल निकाल रहा हूँ। " कह कर उन्होंने भी अपना सारा माल अपर्णा की गाँड़ की सुरंग में निकाल दिया।

पहली बार अपर्णा ना सिर्फ दो मर्दों से एक साथ चुदी बल्कि दो मर्दों का माल भी उसकी चूत और गाँड़ में डाला गया। अपर्णा की चूत और गाँड़ दोनों में से ही उसके पति और प्रियतम के वीर्य की मलाई बाहर निकल रही थी। अपर्णा की बच्चे दानी में जीतूजी का वीर्य जा चुका था। पर क्या वह अपर्णा के अण्ड से मिलकर फलीभूत हो पायेगा? क्या अपर्णा जीतूजी का बच्चा अपने गर्भ में ले पायेगी? कोई भी सावधानी के बिना जीतूजी से काफी अच्छी तरह से चुदवाने के कारण उसके मन में यह प्रश्न उठ रहा था। यह सवाल अपर्णा के मन में अजीब सी मचलन पैदा कर रहा था। अपर्णा की मन की ख्वाहिश थी की उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण हो क्यूंकि वह चाहती थी की उसका बच्चा एक दिन देशकी सेवा में ऐसे ही लग जाए जैसे जीतूजी लगे हुए थे।
 
दुसरा आज नहीं तो कल उसे अपने घर में शिफ्ट होना था। तब वह जीतूजी से दूर हो सकती थी। तो वह अपने बच्चे को देख कर ही जीतूजी को याद कर लिया करेगी।

साथ साथ में अपर्णा को एक भरोसा भी था। अगर उस दिन उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण नहीं पायी तो भी बाद में भी मौक़ा तो मिलना ही था। अपर्णा ने अपने पति को स्पष्ट कह दिया था की अगर वह जीतूजी से एक बार चुदवायेगी तो वह आखरी बार नहीं होगा। फिर वह जीतूजी से बार बार चुदवाना चाहेगी। तो रोहित को उसे वह आझादी देनी पड़ेगी। अपर्णाके पति रोहित जी को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। अपर्णा के पति रोहित भी तो श्रेया को बार बार चोदने के सपने देख रहे थे। श्रेया को एक बार चोदने से उनका मन नहीं भरा था। जिस जोश के साथ रोहित से श्रेया ने चुदवाया था वह देखने लायक था। रोहित से उनकी अपनी पत्नी अपर्णा ने ऐसे कभी नहीं चुदवाया था। इसी लिए तो कहते हैं की "घरकी मुर्गी दाल बराबर।"

रोहित, जीतूजी और साथ साथ में अपर्णा के झड़ने से अब तीनों थकान महसूस कर रहे थे। अपर्णा की चूत इतनी जबरदस्त चुदाई से सूज गयी थी और उसे दर्द भी महसूस हो रहा था। चुदवाते समय उन्माद में दर्द महसूस नहीं हो रहा था। पर जब चुदाई ख़तम करके सब एक दूसरे से थोड़ा हट के लेटे तो अपर्णा को दर्द महसूस हुआ। अपर्णा उठकर अपने कपडे लेकर बाथरूम में गयी। उसने अपनी चूत और आसपास के सारे दाग और वीर्य के धब्बों को साफ़ किया। अपने बदन पर ठीक तरहसे साबुन लगाकर वह नहायी। फिर अपने कपडे लेकर तौलिया लपेट कर वह बाहर निकली तो रोहित नंगधडंग खड़े बाथरूम के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे। अपर्णा को उन्होंने अपनी बाँहों में लपेट लिया और उसे चुम्बन करते हुए वह अपर्णा के कानों में बोले, "बीबी, मैं आपका बहुत आभारी हूँ की आपने मेरे मन की ख्वाहिश आज पूरी की।" अपर्णा ने अपने पति के होँठों अपने होँठ चुसवाते हुए उसी धीमे आवाज में कहा, "अब आप भी श्रेया को चोदने के लिए आझाद हो। अब हम दो कपल नहीं। अब हम एक जोड़ी हैं। क्या अब हम जो जब जिससे चाहे सम्भोग कर सकते है ना?"
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