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सेल्फी
फिर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे और बोले , मैं भी न कितना बुद्धू हूँ। और बाथरूम में भागे , जहाँ उनके कपडे मैंने टाँगे थे
लौटे तो उनकी हाथ में एक आई फोन था , लेटेस्ट मॉडल।उईईई ,.... मैं जोर से चीखी , ...
अभी इसी हफ्ते तो ये मॉडल मार्केट में आया था ,
लेटेस्ट कैमरा , बेस्ट सेल्फी और अँधेरे में भी फ़ोटो ,...
वो मुझे देते उससे पहले मैंने उनसे छीन लिया , ...
" कल मैं देना भूल गया , तेरे लिए ,... "
वो झिझकते शर्माते बोले
मैंने चूम कर उनके होंठ बंद करा दिए , , थोड़े देर तक हम दोनों बिस्तर पर गुत्थमगुथा , और एक दूसरे को चूमते चूसते रहे , ...
और जब हम दोनों के होंठ छूटे तो , मैंने उन्हें छेड़ा ,
" देना तो भूल गए थे लेकिन लेना नहीं भूले ,... "
" वो तो मैं कभी नहीं भूल सकता , ... " वो हँसते हुए बोले और एक बार फिर उनके होंठ ,... और कहाँ मेरे किशोर जोबन पर , ... चुसूर चुसूर , ...
मैंने उन्हें धक्का देकर गिरा दिया और अब मैं ऊपर थी , हाँ मेरे निप्स अभी उनके होंठों के बीच ,
" अगर भुलोगे भी न तो मैं याद दिला दूंगी , ... बल्कि पटक के तेरी ले लुंगी ,... "
अब मैं भी थोड़ी थोड़ी बोल्ड हो गयी थी।
फिर मैंने एक बार और छेड़ा उन्हें , और किसका , ..
अपनी ननदिया का नाम ले कर , ...
" और अब तो तुझे अपने बचपन के माल की भी लेनी है , है न , ...
बहुत छनाछनाती रहती है , उसकी याद तो मैं तुझे हरदम दिलाती रहूंगी , ... बलि ये खूंटा पकड़ कर तेरी बहिनिया की बिलिया में , मैं खुद सटाउंगी। "
गुड्डी का नाम लेते ही वो एकदम से शर्मा जाते थे , ... और बात बदलने में तो वो एकदम एक्सपर्ट थे , ... तो उन्होंने बात बदल दी।
आई फोन तो था ही उनके पास बात बदलने के लिए , और मैं भी बेताब थी , समझने के लिए ,
बस एक एक फंक्शन , कम लाइट में कैसे खीचेंगे , व्हाट्सऐप ,...
फिर हम दोनों ने ढेर सारे ऐप डाउनलोड किये , ...
उन्होंने मेरी पिक भी खींची , और सीधे अपने फोन पे ,
बात भले वो कर रहे थे लेकिन एक हाथ उनका मेरे उभार को पकडे हुए था , ...
सोते जागते , उनका एक हाथ एकदम वहीँ रहता , ... और जब बिचारे अपनी माँ बहनों के पास रहते , तो मन मसोस कर , ...
लेकिन तभी भी , चोरी चोरी , चुपके चुपके , ... साडी ब्लाउज के अंदर , ... मेरी चोली छुपे उभारों पर , ...
और मैं भी उन्हें चिढ़ाते छेड़ते , बीच बीच में अपना आँचल ढलका देती ,...
जिस तरह उनका हाथ हरदम मेरे जोबन पर चिपका रहता था , उसी तरह अब मेरी उँगलियाँ भी ,...एकदम बेशरम ,...
सीधे उनके खूंटे पर , ...
और उस समय भी सोते हुए वो प्यारा सा , मेरी मुट्ठी में ,...
अगर वो मेरे जोबन रगड़ते मसलते तो मैं भी उसे मुठियाना शुरू कर देती ,...
आधे घंटे से भी ज्यादा हम दोनों चिपके ,
जैसे बच्चे नए खिलौने को देख कर उससे चिपके रहते हैं हम दोनों भी , ...
एक एक फंक्शन , पहले उन्होंने मेरी पिक फिर मैंने उनकी ,
लेकिन जब सेल्फी की बात आयी , मैंने एकदम मना कर दिया ,
असल में उनकी संगत में मैं भी अब उन्ही के रंग में हो गयी थी , एकदम बेशरम
" तुम बहोत गंदे हो , अभी थोड़ी देर में चले जाओगे , ... मैं तेरे साथ सेल्फी नहीं खिंचाऊंगी , ... कम से कम फर्स्ट सेल्फी ,... "
मैं झटक के उनसे दूर हो गयी।
उनकी कुछ समझ में नहीं आया , ... बोले तो ,...
" इसके साथ खिंचवाऊंगी ,... "
•
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सेल्फी मेरी , .... उनके उसकी
लेकिन जब सेल्फी की बात आयी , मैंने एकदम मना कर दिया ,
असल में उनकी संगत में मैं भी अब उन्ही के रंग में हो गयी थी , एकदम बेशरम
" तुम बहोत गंदे हो , अभी थोड़ी देर में चले जाओगे , ... मैं तेरे साथ सेल्फी नहीं खिंचाऊंगी , ... कम से कम फर्स्ट सेल्फी ,... "
मैं झटक के उनसे दूर हो गयी।
उनकी कुछ समझ में नहीं आया , ... बोले तो ,...
" इसके साथ खिंचवाऊंगी ,... "
जोर जोर से उनके खूंटे को मुठियाती बोली , ... और उनके हाथ से आई फोन ले कर , ...
मैं जोर से मुठिया रही थी , एक झटके में मैंने सुपाड़ा भी खींच कर खोल दिया , ...
जैसे बेसबरा दुलहा पहली रात को अपनी दुलहन की चोली ब्रा खोलकर , उसके गदराये उभारों को ,...
मेरी ऊँगली सुपाड़े के पी होल पर , ...
और पहली सेल्फी मैंने खींच ली , ... उसी के साथ , फिर तो दर्जन भर ,
उस मोटे मुस्टंडे की भी , खुले हुए सुपाडे का क्लोज अप ,... लिक करते हुए ,...
सिर्फ तन्नाए भूखे , बेसबरे मोटे मूसल का , ...
मुठियाते हुए ,...
दर्जन भर से ऊपर ,...
उनके साथ भी सेल्फी खींची , लेकिन अब सेल्फी खींचने की बारी उनकी थी ,...
पर थोड़ी देर में मेरी निगाह घड़ी पर पड़ीं और मैं चीख उठी ,
पौने दस ,
पौने ग्यारह बजे खाने के लिए नीचे जाना था ,
और इन्हे तैयार होना था , ... जिसकी फ़िक्र इन्हे एकदम नहीं थी ,... पहले दिन से ही इनके सब काम की जिम्मेदारी मेरी , ...
बिस्तर पर मेरे कपडे ये उतारते थे , लेकिन बाकी टाइम मैं ,...
सिर्फ कपडे निकाल के देने की जिम्मेदारी मेरी नहीं थी , ...
इस लड़के का बस चले तो दस दिन तक एक ही शर्ट पेंट पहने , कुछ भी अपना ख्याल नहीं करते थे ,
लेकिन अच्छी बात ये थी मैं जैसे तैयार करती थी , जो कहती थी , सब चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह , ...
जैसे किसी बच्चे को कॉलेज जाने के लिए तैयार करते हैं न बस एकदम उसी तरह , मैं भी उन्हें ,...
यहाँ तक की उनका बाल झाड़ने का भी , ...
एक दिन तो मारे शरारत के , ... मैंने उनकी मांग सीधी काढ़ दी ,... लड़कियों की तरह ,
वैसे भी वो इतने गोरे चिट्ठे थे , एकदम चिकने , ... और खूब ,... क्या कहूं , .... इनकी ससुराल में तो ,...
मेरी भाभियाँ मुझे चिढ़ाती भी थीं , ...
बस आगे वाला निकाल के दो अंगुल का छेद बना दो , और ऊपर दो गेंद चिपका दो , ...
किसी भी लौंडिया से ज्यादा मस्त लगेंगे , ...
कोहबर में तो और भी ज्यादा ,...
इनकी सलहज ,...
और उससे भी ज्यादा इनकी सास ने कबुलवाया था ,...
सकपकाते हुए उन्होंने बता भी दिया , ... पिछवाड़ा एकदम कोरा है उनका ,...
बिचारे एकदम बुद्धू ,...
और लेकिन उनकी भी गलती क्या दूँ , मैं तो उनसे सटी गाँठ जोड़े बैठी थी , ...
उन्हें साफ़ साफ बता दिया गया था की अगर किसी भी सवाल का जवाब उन्होंने तुरंत नहीं दिया तो बस ,...
मेरा गौना रख दिया जाएगा , दो साल तक इन्हे इन्तजार करना पडेगा , ...
बस मेरे नाम पर तो कोई कुछ भी करा ले इनसे , ...
हाँ तो मैं कह रही थी ,...
मैंने इनकी मांग सीधी काढ़ दी , और एक बिंदी अपनी लेकर इनके माथे पर चिपका दी , फिर इनका मुंह शीशे के सामने , ...
बस इनका मुंह मारे शरम के ऐसा लाल हो गया जैसे किसी ने ईंगुर पोत दिया हो , ...
इत्ता मजा आया मुझे , झट से मैंने इन्हे चूम लिया और हड़काया भी , ...
" सुन लो , अगले सात जनम तक तो यही हिसाब रहेगा , तुम मेरे साजन , मैं तेरी सजनी ,... लेकिन कान खोल कर सुन लो , आठवें जन्म के लिए मैंने अभी से सेटिंग करा ली है , तू मेरी दुल्हन होगा , और ऐसी रगड़ाई करुँगी न तुम्हारी ,... सातों जनम का हिसाब एक ही जन्म में चुकता कर लुंगी , सूद के साथ। "
बिंदी तो मैंने निकाल ली , लेकिन दिन भर मांग उसी तरह ,...
कपडे वपड़े वो लाये नहीं थे , सिर्फ एक लैपी का बैग , अपनी लैपी ,... और जो कपडे वो पहन के आये थे , आने के दस मिनट के अंदर के फर्श पर पड़े थे ,
मैंने कबर्ड से इनके कपड़े निकाले , शर्ट पैंट , चड्ढी बनयान , सब कुछ ,
ये अभी सिर्फ टॉवेल लपेटे थे , ...
ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर , इन्हे बैठाकर अच्छी तरह तैयार किया , नाख़ून हफ्ते भर से नहीं कटे थे , वो भी ,...
इनके लैपी के बैग में इनका टिकट , पर्स में कार्ड , पैसा सब कुछ ,... लेकिन कपड़ा पहनाते समय ये अड़ गए ,...
एक बार और ,...
पर तब तक मैं भी साडी ब्लाउज , ब्रा सब पहन चुकी थी , ...
और घड़ी मैडम दस बजा रही थीं ,
" अरे यार अभी तो ,... फिर तेरी फ्लाइट ,... सासु जी भी ,... खाने की देर हो जायेगी ,... "
मैंने दस बहाने बनाये , पर इनकी इस बात की जिद के आगे मैं भी हार जाती थी , ...
वो मेरी सब बात मान लेते थे पर , इस बात पर ,...
और सच बोलूं तो मन तो मेरा भी करता था , ...
बहुत करता था , इनसे कम नहीं करता था ,... पर
मैं थोड़ी सी ढीली पड़ी और उन्होंने वहीँ ड्रेसिंग टेबल के सामने ही
स्टूल पकड़ कर मैं झुक गयी और ये पीछे से , ...
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(21-12-2019, 08:52 AM)UDaykr Wrote: Hot update!!
Thanks for enjoying the update
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एक बार और ,
इनके लैपी के बैग में इनका टिकट , पर्स में कार्ड , पैसा सब कुछ ,... लेकिन कपड़ा पहनाते समय ये अड़ गए ,...
एक बार और ,...
पर तब तक मैं भी साडी ब्लाउज , ब्रा सब पहन चुकी थी , ... और घड़ी मैडम दस बजा रही थीं ,
" अरे यार अभी तो ,... फिर तेरी फ्लाइट ,... सासु जी भी ,... खाने की देर हो जायेगी ,... "
मैंने दस बहाने बनाये , पर इनकी इस बात की जिद के आगे मैं भी हार जाती थी , ... वो मेरी सब बात मान लेते थे पर , इस बात पर ,...
और सच बोलूं तो मन तो मेरा भी करता था , ... बहुत करता था , इनसे कम नहीं करता था ,... पर
मैं थोड़ी सी ढीली पड़ी और उन्होंने वहीँ ड्रेसिंग टेबल के सामने ही
स्टूल पकड़ कर मैं झुक गयी और ये पीछे से , ...
सब कुछ ड्रेसिंग टेबल के शीशे में दिख रहा था ,
मैं ना ना करती रही ,
लेकिन ये लड़का सुनने वाला था क्या ,
और इस लड़के को क्यों ब्लेम करूँ , मेरी अपनी देह भी कहाँ अब अपनी थी , ...
ऊपर से इस लड़के की उँगलियाँ , हथेली , होंठ ,...
कभी वो मेरी फैली जाँघों के बीच हाथ डालकर मेरी गुलाबो को मसल देता ,
तो कभी गच्चाक से एक ऊँगली जड़ तक चूत में ठेल देता ,
दूसरा हाथ तो इतने कस कस के मेरे जोबन को दबोचे हुए था , कभी रगड़ता तो कभी मसलता ,..
कभी निपल्स को फ्लिक कर देता , ...
दो चार मिनट में ही मैं एकदम गीली हो गयी , मेरे जोबन पथरा गए थे , चिड़िया फुदक रही थी , मैं सिसक रही थी ,
और बस यही मन कर रहा था , ... ये लड़का पेल दे , ठेल दे , ...
शीशे में उसका तन्नाया एकदम खड़ा बौराया मूसल मैं देख रही थी।
और वो सिर्फ मेरे भगोष्ठों पर रगड़ रगड़ , घिस घिस कर के मुझे और पागल कर रहे थे ,
मैं भी पागल हो रही थी , और शीशे में ' उसे ' देख कर और मन कर रहा था ,
मेरे मन की बात उनसे ज्यादा कौन समझता , ... बस
उन्होंने ठेल दिया , एक करारा धक्का , और पूरा का पूरा सुपाड़ा अंदर ,
फिर पिछली चुदाई की मलाई एकदम अंदर तक , और उससे बढ़िया वैसलीन क्या होती ,
झट से अंदर चला गया ,
लेकिन न आज ये रुकने के मूड में थे न मैं ,
तेजी से चलती घडी का अहसास इन्हे भी था और मुझे भी , बस आधे घंटे का समय था हम दोनों के पास , ...
फिर क्या तूफानी चुदाई की उन्होंने ,
और साथ मैं भी दे रही थी , आधे घंटे तक उनके धक्के एकदम रुके नहीं , साथ में मैं भी कमर हिलाकर , धक्के का जवाब पीछे दे कर ,
शीशे में साफ़ साफ़ दिख रहा था केसे उनका मोटा लंड ,
मेरी चूत फाड़ता फैलाता अंदर बाहर हो रहा था ,
पूरे आधे घंटे तक ,...
हम दोनों साथ साथ और जैसे ही वो झड़े ,...
मैं कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी , पांच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे , फिर मैं ही उठी पहले
जल्दी से ब्रा , ब्लाउज पहना , फिर पेटीकोट और साडी , ...
ससुराल में जबतक ये रहते मैंने पैंटी पहनना बंद कर दिया था ,
क्या पता कब इनका मन कर जाए , फिर तो कहीं भी , कभी भी ,
निहुरा के ,
लिटा के ,
टाँगे उठा के , फैला के ,...
और ये भी अबतक अपनी चड्ढी बनियान जो मैंने निकाली थी , पहन ली थी।
फिर मैंने उन्हें शर्ट पेंट दी , मोज़े पहनाने का काम मेरा ही था ,
कितनी बार ये दोनों पैरों में अलग अलग रंग के मोज़े पहन लेते थे , नाक तो मेरी कटती न। बेल्ट लगाने का काम भी मेरा था ,
और साथ में मैंने एक बार फिर पैंट के ऊपर से ही उसे दबोच कर रगड़ दिया , आखिर चोली के ऊपर से मेरे उभारों को मसलने का ये कोई मौका नहीं छोड़ता था
एक मिनट के लिए मेरा मन दुःखी हो गया , ...
कैसे कटेंगे अब ये पांच दिन ,... ये तो लग गया था की अब ये लड़का हर सैटरडे को आ जाएगा ,
लेकिन पांच दिन मैं जानती थी , पांच युग हो जायेंगे ,... मैंने किसी तरह अपने को रोका , मेरे चेहरे पर लेश मात्र दुःख की छाया भी ,...
और इस लड़के को पता चल जाता ही था और मुझसे भी सौ गुना ज्यादा , ...
और मैं नहीं चाहती थी की इस लड़के पर दुःख की छाया भी पड़े ,...
पौने ग्यारह बजने ही वाले थे , इन्होने अपना सामान उठाया ( सामान क्या था , बस इनकी लैपी )
और मैंने नाश्ते की प्लेटों की ट्रे ,... और हम दोनों नीचे ,
जेठानी जी नीचे टेबल सेट कर रही थीं।
उन्होंने जेठानी जी के पैर छूने का उपक्रम किया पर उनकी भाभी ने उन्हें गले से लगा लिया और कस के कान ऐंठे ,
" चोर , आधी रात को , ... " कस के छेड़ा उन्होंने।
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21-12-2019, 01:01 PM
(This post was last modified: 21-12-2019, 07:24 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
लंच
जेठानी जी नीचे टेबल सेट कर रही थीं।
उन्होंने जेठानी जी के पैर छूने का उपक्रम किया पर उनकी भाभी ने उन्हें गले से लगा लिया और कस के कान ऐंठे ,
" चोर , आधी रात को , ... "
कस के छेड़ा उन्होंने।
मैं क्यों मौका छोड़ती , मैं भी बोली ,
" नहीं दी , डाकू ,... "
पर मेरी बात बीच में कट गयी , और काटने वाली और कोई नहीं मेरी सासू माँ , ... वैसे तो इनके और मेरे बीच वो हमेशा मेरा ही साथ देती थीं , लेकिन कभी कभी मुझे छेड़ने का मौका वो भी नहीं छोड़ती थीं ,
" उन्ह , डाका तो उस दिन डाला था , जिस दिन तुझ तेरे घर से लूट के लाये थे , ... "
हँसते हुए वो बोलीं और खाने की टेबल पर वो उनका डाकू बेटा बैठ गए , सामने मैं और मेरी जेठानी ,
और बातें , ... जो माँ बेटे में बात होती है , ख़ास तौर से , ... मेरे यहाँ
कितने दुबले हो गए , ट्रेनिंग में खाना ठीक से नहीं मिलता क्या , ...
पर जेठानी मेरी , ... मेरी जांघ पर कस के चिकोटी काटते अपने देवर को चिढ़ाया ,
" हाँ एकदम सही कह रही हैं आप तभी तो , ये भूखा बिचारा , वीकेंड पर भूख मिटाने यहाँ आ गया क्यों भूख मिटी की नहीं ,... "
अब शर्माने की उनकी बारी थी ,
और मेरी सास की बेशरम निगाहें ,
मेरे चिकने गालों पर , लो कट ब्लाउज से झांकते उभारो पर अपने अपने डाकू बेटा के दांतों नाख़ून के निशान देख रही थीं ,
हलके हलके मुझे देख कर मुस्करा रही थीं ,
देख वो मुझे रही थीं पर उनका हाथ अपने बेटे के सर पर सहलाते , दुलराते बोलीं ,
" ठीक तो किया , बेटा हर वीकएंड पर आ जाया करो , घर के खाने की बात और ही है , ... "
मैं समझ रही थी वो किस घर के खाने की बात कर रही है , उनके बेटे ने आने के बाद पूरे छह बार जीमा था वो घर का खाना , चार बार रात में दो बार सुबह सबेरे
मन तो मेरा भी यही कह रहा था की वो आ जाया करें , पर जेठानी और सास के सामने मेरी बोलने की कुछ हिम्मत नहीं हो रही थी ,
मेरे मन की बात मेरी सासू ने कह दी और ऊपर से मेरी जेठानी उनकी भाभी भी ,
" एकदम , लेकिन आधी रात को नहीं थोड़ा पहले , जरा खाना पीना पहले शुरू हो जाएगा , ... "
वो मुस्करायीं , मेरी सास मुस्करायी और ये झेंप गए , ...
मेरे कुछ कहने की जरूरत नहीं थी , उनकी भाभी और माँ थी उन्हें ठूंस ठूंस कर खिलाने को , ...
वैसे भी ६ राउंड के बाद तो खाने पीने की उन्हें जरूरत भी थी ,
पर मेरी जेठानी ,... कोई भी भाभी देवर को बिना छेड़े , ...
और जिस बात को ले कर मैं उन्हें रात भर छेड़ रही थी ,
जिसका नाम लेने पर पर उनका सोता खूंटा , लोहे का खम्भा हो जाता था , ... वही बात उन्होंने छेड़ दिया , और वो भी बहुत सीरियसली ,
वही एलवल वाली , दर्जा ८ वाली ,
" अगली बार पहले से बता देना न तो कोई एक और है जो तुमसे मिलने के लिए बेताब है , पहले से बोल के रख दूंगी उसे , ... "
अबकी मेरी सास समझ नहीं पायी , उनके मुंह से निकल गया ,
"कौन , ...
ये भी बड़े ध्यान से अपनी भौजी को देख रहे थे ,
मैं तो समझ रही थी , मुश्किल से अपनी मुस्कान रोक पा रही थी , ...
" और कौन इनका पुराना माल , ... रोज तो पूछती थी , भैया कब आएंगे , ... "
जेठानी उनकी थाली में जबरदस्ती और चावल डालती बोलीं ,
और अब मेरी सास , मेरी जेठानी और मैं सब एक साथ हो गए , ... मैं बोली
" दी , पुराना माल , एकदम नया तो है , अभी तो ,... "
मैं रुक गयी और बात जेठानी ने पूरी की
" अरे बीच में क्यों रुक गयी , पूरा बोल बोल न अभी तो उसके कच्चे टिकोरे आ रहे हैं , ... लेकिन मेरे देवर का तो पुराना ही माल है न , ... "
मेरी जेठानी मुझसे बोलीं लेकिन इशारा उनके देवर ही थे ,
और सासू जी भी मेरी ओर से बोलीं ,
" अरे अब तो ये हर शनिचर की शाम को आएगा , ... उसमें पूछने की क्या बात है , ... "
" तो दी अगले संडे को बुला लीजियेगा न इनके आप क्या कह रही थीं , ... इनके पुराने माल को ,... भेंट मुलाक़ात हो जायेगी। "
मैं भी उस हमले में शामिल हो गयी और अब सीधे उनसे बोली
" दी एकदम सही कह रही हैं , एक हफ्ते के अंदर तीन बार आयी थी वो हर बार यही पूछती थी , भैया कब आएंगे ,... "
" अरे तो उसका भी मन करता होगा न , ... नयी नयी जवानी आ रही है , ... चलो अबकी बता दूंगी मैं बस संडे को आ जाना , ... "
मेरी जेठानी ने और नमक मिर्च छिड़का।
लेकिन तब तक उनके मोबाइल पर टिंग टिंग हुआ , मैंने खोल कर देखा , और जोर से मुस्करा पड़ी ,
जेठानी ने मेरी मुस्कान पकड़ ली , और बोली , ... इनके माल का मेसेज है क्या , ...
" नहीं नहीं एक विज्ञापन है " मैंने फोन बंद करते हुए कहा , और जोड़ा ,
" घबड़ाइये मत , अगली बार वो पक्का मिलेगी , ... मैं और दी दोनों बुलाएंगी आपके माल को , ... "
और जेठानी से जोड़ा ,
" दी मेसेज से न इनका काम चलेगा न उसका "
" एकदम , मेसेज नहीं अगले हफ्ते सीधे मसाज , मालिश रगड़ घिस , ... " हँसते हुए वो बोलीं।
खाना ख़तम हो गया था , मैंने अपने पैर से उनके पैर पर ठोकर मार कर इशारा किया , लेकिन सास मेरी बिना उन्हें रसगुल्ला खिलाये , ... तब तक टैक्सी वाले का भी मेसज आ गया था , वो पांच मिनट में पहुँच रहा है , ...
हम लोग जो उठे तो ११. ३५ हो रहा था , उन्हें पौने बारह तक निकल ही जाना था , पर मैंने बोल दिया ,
" टिकट शायद ऊपर ही रह गया है , ... "
वो भी एकदम बुद्धू बिना मेरी बात समझे , बोले मोबाइल में है न , पर मैं बोली ,
" एक बार ऊपर देख लीजिये न ,... "
सच में एकदम से मूढ़मगज , लड़कियों का इशारा एकदम उनके समझ में नहीं आता था , तभी तो उनकी नथ उतारने का काम मुझे करना पड़ा ,...
" तुम देख आओ न , ... "
वो अपनी माँ से बात करने में , लेकिन मेरी सासू ने अब उन्हें हड़काया ,
" बहु ठीक तो कह रही है , अभी टाइम है , जाके देख लो , बहु तुम भी जाके चेक कर लो , इसे तो अब तक तुम भी जान गयी होगी , ... कोई काम इसके बस का नहीं। "
हम दोनों सीढ़ी से ऊपर चढ़ रहे थे की मैंने सासू जी की आवाज मिमिक करते बोला ,
" तुम्हारे बस में कुछ भी नहीं है , सिवाय एक काम के ,... "
और उनका मोबाइल खोल के वही मेसेज जो खाने के समय आया था उन्हें दिखा दिया ,
वो ख़ुशी से उछल पड़े ,
एयरलाइन का मेसज था , ... बनारस से उनकी फ्लाइट ४५ मिनट लेट थी , मतलब मेरे साथ ४५ मिनट और ,...
उनका बस चलता तो वही सीढी पर , ...
लेकिन मैंने किसी तरह , और कमरे में घुसते ही ,...
लेकिन इस बार कमान मैंने अपने हाथ में ले ली , मैं जानती थी उनका बल चला तो मुझे पलंग पर पटक कर वो चालू हो जाएंगे ,
मन तो मेरा भी यही कह रहा था , पर टिकट ढूंढने में इतना टाइम तो लग नहीं सकता था ,
फिर नीचे टैक्सी भी आ गयी थी और वो दस मिनट बाद हल्ला मचाना शुरू कर देती और साथ ही में इनकी माँ और भौजाई भी , ...
तो बस
कमरे में उन्हें रोक कर मैं घुटनों के बल बैठ गयी और शरारत से उनके ज़िप के ऊपर से अपने कोमल कोमल हाथों से रगड़ने लगी ,
" हे टिकट , ... "
वो अभी तक खेल अच्छी तरह समझ नहीं पाए थे ,
" बुद्धू वहीँ हैं जहाँ मैंने रखा था , तेरे पर्स में और पर्स पैंट की बायीं जेब में , ... सिम्पल "
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बहुत सुंदर, पहले तो एक भावनाए भड़का रहीं थीं।अब तो तीनों ने मिलकर भावनाए भड़काने का जिम्मा ले लिया है।
एक उत्तेजक अपडेट।
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amazing bas yahi likh sakte hai apaki kahani ke liye naye naye words kaha se laye yeh samz nahi aa rah ah hai itni lajwab likh rhi ho aap
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(21-12-2019, 03:32 PM)Black Horse Wrote: बहुत सुंदर, पहले तो एक भावनाए भड़का रहीं थीं।अब तो तीनों ने मिलकर भावनाए भड़काने का जिम्मा ले लिया है।
एक उत्तेजक अपडेट।
Thanks sooooooooo much
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(22-12-2019, 09:31 AM)anwar.shaikh Wrote: amazing bas yahi likh sakte hai apaki kahani ke liye naye naye words kaha se laye yeh samz nahi aa rah ah hai itni lajwab likh rhi ho aap
Thanks so much
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(24-12-2019, 08:55 AM)UDaykr Wrote: Too hot for winter !!
Thanks next post soon
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एयरलाइन का मेसज था , ... बनारस से उनकी फ्लाइट ४५ मिनट लेट थी , मतलब मेरे साथ ४५ मिनट और ,...
उनका बस चलता तो वही सीढी पर , ... लेकिन मैंने किसी तरह , और कमरे में घुसते ही ,...
लेकिन इस बार कमान मैंने अपने हाथ में ले ली ,
मैं जानती थी उनका बल चला तो मुझे पलंग पर पटक कर वो चालू हो जाएंगे , मन तो मेरा भी यही कह रहा था ,
पर टिकट ढूंढने में इतना टाइम तो लग नहीं सकता था ,
फिर नीचे टैक्सी भी आ गयी थी और वो दस मिनट बाद हल्ला मचाना शुरू कर देती और साथ ही में इनकी माँ और भौजाई भी , ...
तो बस
कमरे में उन्हें रोक कर मैं घुटनों के बल बैठ गयी और शरारत से उनके ज़िप के ऊपर से अपने कोमल कोमल हाथों से रगड़ने लगी ,
" हे टिकट , ... "
वो अभी तक खेल अच्छी तरह समझ नहीं पाए थे ,
" बुद्धू वहीँ हैं जहाँ मैंने रखा था , तेरे पर्स में और पर्स पैंट की बायीं जेब में , ... सिम्पल "
और उसके बाद मेरे मुंह के पास बात करने के अलावा भी बहुत से काम थे ,
मेरे होंठ पैंट में उनके उभर रहे बल्ज पर कस के मैंने चुम्मी ली , होंठों से रगड़ा , और तम्बू में बम्बू एकदम खड़ा हो गया , ...
मेरे होंठों ने उनकी ज़िप खोली और टाइम कम था ,
इसलिए साथ में उनकी बेल्ट खींच कर नीचे कर दी,
और अब मोटा तन्नाया खड़ा खूंटा , सीधे चड्ढी फाड़ते हुए , ...
खूब बदमाश लग रहा था उतना ही प्यारा भी ,
बस मेरे होंठों ने चड्ढी के ऊपर से ही उसे गप्प कर लिया , लगी चुभलाने चूसने ,...
अब मैं समझ गयी थी की उनके नितम्ब भी कम सेंसिटिव नहीं हैं ,
और मेरे दोनों हाथ उनके पिछवाड़े , पहले तो चड्ढी के ऊपर ही दबाते सहलाते , फिर हलके हलके मैंने सिर्फ पीछे चड्ढी सरका दी ,
और मेरी उँगलियाँ उनके नितम्बो पर कभी सुरसुरी करतीं तो कभी छेड़ती , ...
असर सामने पड़ रहा था , खूंटा एकदम तन्नाया , बेसबरा , बेक़रार , ...
पर मैं चड्ढी के ऊपर से चूस चूस कर के उसकी हालत और ख़राब कर रही थी।
तड़पे ,
अगले पांच दिन तो मैं भी तड़पने वाली थी इसके लिए , ...
और फिर मेरे होंठों ने आगे से भी चड्ढी पकड़कर नीचे खींचा , लेकिन बस थोड़ा सा ,
मोटे मूसल का बस बेस दिख रहा था ,
और अब मेरी उँगलियों ने वहां हलके हलके सहलाना सुरसुरी करना शुरू कर दिया , ...
और दांतों से पकड़ कर चड्ढी थोड़ा और ,
आधे से ज्यादा , ' वो ' खुल गया था , पर मैंने अब उसे खोलना छोड़ दिया ,
होंठ भी हटा दिए और अब ढेर सारे छोटे छोटे चुम्बन उनकी जाँघों पर , एकदम खूंटे के ठीक नीचे चारो ओर ,
वो जोर से सिसक रहे थे , आंखे उनकी बंद हो चुकी थीं ,
और मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था , ... एक झटके से मैंने अपने हाथ से चड्ढी सरका कर घुटने तक , पैंट के साथ ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,
मेरा बित्ते भर का,
मेरी कलाई से भी मोटा ,
मेरा हीरो बाहर , एकदम ९० डिग्री पर , सुपाड़ा थोड़ा खुला थोड़ा बंद ,
दुल्हन का घूँघट हटाने का हक़ तो मेरा ही था ,
बस होंठों से बहुत हलके से दबाया ,
और धीरे धीरे होंठों के जोर से सुपाड़े का चमड़ा खोल दिया ,
मोटा , मांसल , मस्त सुपाड़ा ,
जिसने पहली रात को मेरी फाड् के रख दी थी ,... और जिसके बारे में सोच सोच के मैं पनिया जाती थी , ...
लेकिन अभी मैं उसे तंग करना चाहती थी ,
मैंने होंठ हटा लिए और मेरी जीभ ,
सिर्फ जीभ की टिप , सुपाड़े के बीचोबीच, छेद पर , पी होल पर ,
जैसे जीभ की टिप से मैंने उसे चोद देना चाहती होऊं ,
खूब खूब कस कस के सुरसुरी ,
और मेरी कोमल कोमल उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं , ...
नहीं नहीं , उनके तड़पते खूंटे को न छुआ न पकड़ा , ... बस मेरे नाख़ून
मेरे लम्बे पेंटेड नाख़ून कभी उनके बॉल्स को तभी कभी जांघो को , ...
एकदम हालत खराब थी उनकी , ...
इसलिए मेरी जीभ ने लेवल और आगे बढ़ाया और अब पूरे खुले मोटे सुपाड़े पर ,
सपड़ सपड़ , घूम घूम के सिर्फ सुपाड़े पर चाटती ,
सच्च में इसके स्वाद की अब मैं दीवानी हो गयी थी ,
पर उनकी हालत ख़राब हो रही थी , बोले , ...
" हे लो न अंदर ,... "
वो तो मैं लेती ही , उनके कहने की जरूरत नहीं थी ,
पर जब उन्होंने कह दिया तो मैं उन्हें और तड़पाने , छेड़ने में लग गयी
एक हाथ से कस के उनकी बॉल्स को पकड़ कर दबाने लगी , दूसरे हाथ से उनके पिछवाड़े के आलमोस्ट सेंटर पर
और जीभ बस सुपाड़े पर लपड़ सपड़ , रस ले ले कर ,...
' लो न , चुसो , ... न , ... '
उनकी हालत खराब हो रही थी ,
और अबकी मेरे होठ सुपाड़े से हट गए , एक हाथ से मैंने उनके लंड के बेस को पकड़ लिया था और उन्हें देखते ,
उनकी आँखों में आँख डाल कर , मुस्कराते बोली
" लेकिन अगली बार जब आओगे न , तो तेरे उस माल से चुसवाऊँगी , ... "
वो कुछ नहीं बोले ,
हाँ आंखे उन्होंने खोल दी ,
मैंने फिर छेड़ा ,
" अरे वही तेरे उस माल से , दर्जा आठ वाली , एलवल वाली ,...
बोल चुसवाओगे न उस अपने माल से , ... "
" ठीक है , लेकिन अभी तो तू ,... ले न मुंह में ,... "
वो बोले और यही तो मैं सुनना चाहती थी उनके मुंह से ,
" ओके पक्का न , तो अगली बार गुड्डी रानी चूसेंगी इसे , ... लो "
मैं हंस के बोली और मेरा मुंह बंद हो गया ,
उन्होंने मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया था ,
और मैं मुँह खोल कर उनका सुपाड़ा अंदर ले ही रही थी की उन्होंने एक करारा धक्का मारा ,
जैसे किसी कुँवारी की सील तोड़ रहे हो , अपनी उस बहिनिया की झिल्ली फाड़ रहे हों ,
और पूरा सुपाड़ा एक बार में मेरे मुंह में ,
गप्पाक,
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मुख सेवा
" ओके पक्का न , तो अगली बार गुड्डी रानी चूसेंगी इसे , ... लो "
मैं हंस के बोली और मेरा मुंह बंद हो गया ,
उन्होंने मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया था ,
और मैं मुँह खोल कर उनका सुपाड़ा अंदर ले ही रही थी की उन्होंने एक करारा धक्का मारा , जैसे किसी कुँवारी की सील तोड़ रहे हो ,
अपनी उस बहिनिया की झिल्ली फाड़ रहे हों ,
और पूरा सुपाड़ा एक बार में मेरे मुंह में ,
गप्पाक,
और अब मेरी हालत ख़राब हो रही थी ,
जो मैं इतने देर से उन्हें तड़पा रही थी छेड़ रही थी , सूद सहित मुझे उसका बदला मिल रहा था ,
वो कस के मेरा सर पकडे अपना बीयर कैन ऐसा मोटा लंड मेरे मुंह में ठेल रहे थे , पेल रहे थे , धकेल रहे थे ,
मेरा गाल फूला हुआ था , मेरी आँखे बाहर को निकली पड़ रही थी , मेरे मुंह से खाली गों गों की आवाज निकल रही थी ,
लेकिन मैं भी अपने साजन की सजनी थी ,
बस अगले पल ही , उनके धक्के के साथ साथ ,
मेरी जीभ नीचे से उनके सुपाड़े को चाट रही थी , मेरे होंठ कस के उस मोटे खूंटे से रगड़ रगड़ रहे थे ,
और मैं कस कस के चूस रही थी
मेरे दोनों हाथ भी अब मैदान में आ गए थे , एक जो लंड के बेस पर था , अब कस के लंड को मुठिया भी रहा था
और दूसरा प्यार से उनके बॉल्स को सहला रहा था ,
अभी भी दोनों हाथो से उन्होंने मेरे सर को कस के , झुक के पकड़ रखा था ,
पर अब उनका जोर कम हो गया था , धक्के मारने भी उन्होंने बंद कर दिया था ,
आधे से ज्यादा , ६-७ इंच खूंटा अंदर था ,
और अब कमान मेरे हाथ में थी , ...
मैं खुद मुंह अंदर बाहर कर रही थी , आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर कर , फिर धीरे धीरे , आलमोस्ट पूरा ,...
और मेरे गुलाबी टीनेजर रसीले होंठ ,
लंड पर रगड़ते दरेररते , घिसते , साथ में मेरी नाचती उछलती जीभ नीचे से उस चर्मदण्ड पर ,
और कस के मैं चूस रही थी ,
और मेरी आँखे उनकी आँखों में झाँक कर जैसे बार बार याद दिला रही थीं , जो मैंने उनसे कबुलवाया था
ये मोटा खूंटा ,
उस कच्ची कली , नए नए कच्चे टिकोरों वाली के मुंह में , ...
बिलबिलायेगी , चीखेगी , लेकिन अगर एक बार खूंटा मुंह में धंस गया न मेरी ननदिया के ,
उस एलवल वाली के , ... बस ,
ये सोच सोच के मैंने चूसने की रफ्तार बढ़ा दी , और
शायद ये भी वही सोच रही थी , वो कच्ची किशोरी कैसे उनका मस्त खूंटा अपने मुंह में लेगी , और बस ,
सर तो उन्होंने पकड़ ही रखा था , बस एक से एक करारे धक्के , ...
और उनका सुपाड़ा मेरे हलक तक , ...
एक बार तो लगा मेरी साँस रुक जायेगी , जबरदस्त गैग रिफ्लेक्स
लेकिन धीरे धीरे मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया , ... पहली बार तो मैं उनका पूरा घोंट नहीं रही थी , लेकिन हर बार , वही , ..
कुछ देर बाद मैं नार्मल हुयी और फिर तो खूब कस कस के मैं चूस रही थी , चाट रही थी ,
जड़ तक लंड वो ठूंसे हुए थे , पूरा बित्ते भर का मेरे अंदर था , आलमोस्ट बॉल्स तक ,
दो मिनट ,
चार मिनट , और
थोड़ा प्रेशर उन्होंने हलका किया और मैंने मुंह धीरे धीरे बाहर किया ,
मेरे गाल थके लग रहे थे , गले में भी लगता था कुछ छिल गया , ...
अब सिर्फ सुपाड़ा मेरे मुंह के अंदर था , गाल की मसल्स को कुछ आराम मिल रहा था ,
मैं मजे से सुपाड़े को चूस रही थी , चुभला रही थी , ...
पर सिर्फ सुपाड़े से न इनका मन भरने वाला था न मेरा , ...
बस एक बार फिर धीरे धीरे मैंने प्रेस करना शुरू कर दिया , और अपने गले के , बाड़ी के पूरे जोर से
अबकी बिना इनके धक्के के , मैंने पूरा घोंट लिया , एक मिनट पूरा घोंट के मैं चूस रही थी , फिर हलके हलके सुपाड़े तक बाहर ,
और कुछ देर बाद फिर अंदर ,...
तब तक नीचे से इनकी भौजाई की आवाज आयी
टिकट मिला की नहीं , ...
मेरा तो मुँह फंसा था , वही बोले , हाँ अभी मिला है बस आ रहे हैं हम लोग ,
और मैंने चूसने की रफ़्तार बढ़ाई ,
मेरी निगाह घडी रानी पर पड़ी , ...
पंद्रह मिनट हो गए थे मुझे चूसते , पर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , ... क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , ...
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , ... मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , ...
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
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जोबन का जोर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , ...
क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , ...
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , ... मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , ...
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
और अब खूंटा उनके बीच में ,
अपनी दोनों मांसल रसीली गदरायी चूँचियों को पकड़ के मैं उनके लंड को चोद रही थी ,
नहीं मेरे होंठ खाली नहीं बैठे थे ,
कुछ पल में ही एक बार फिर , सुपाड़ा मेरे मुंह में था ,
और वो मेरी चूँची चोद रहे थे
मैं उनका लंड चूस रही थी ,
मस्ती से हम दोनों की हालत ख़राब थी ,
जब वो मोटा मूसल मेरी दोनों चूँचियों को रगड़ते दरेरते घिसटते निकलता , बता नहीं सकती कितना मज़ा आ रहा था
पर कुछ देर में सुपाड़ा चूसते एक बार फिर मैंने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया और मुख मैथुन जोर से स्टार्ट हो गया ,
वो मेरे सर को पकड़ के कस कस के धक्के ऐसे मार रहे थे जैसे मैं लंड नहीं चूस रही होऊं ,
वो मेरे मुंह को चोद रहा हो , बुर समझ के ,...
लेकिन तब तक नीचे से आवाज आयी , ... अबकी मेरी सासू माँ थी
" अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर रहा है ,... "
२२ मिनट ,... घडी रानी ने सूचना दी , ... और मैं बिना उन्हें झाड़े छोड़ने वाली नहीं थी , पर टाइम भी ,...
मुझे याद आया एक वो अच्छी वाली फिल्म मैंने देखी थी , ... और नेट पर भी पढ़ा था ,...
नहीं नहीं ये ट्रिक इनकी सलहज ने नहीं सिखाई थी , ...
ये मेरी माँ , इनकी सास ने बताई समझायी थी ,
जब मेरी शादी पक्की हुयी उसी दिन ,
और फिर जब मेरी विदायी हो रही थी , एक बार फिर से इनकी सास ने ,...
रोते हुए भी मुझे हंसी आ गयी , इनकी सास भी न
मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े पर थी ही , एकदम सेंटर पर ,
गच्चाक ,
अपनी कलाई की पूरी ताकत से मैंने पेल दिया , ..
दो धक्का और अबकी जड़ तक ऊँगली इनकी गांड में
गोल गोल मैं घुमा रही थी और साथ में मूसल कस के चूस रही थी
गोल गोल घुमाते मिल गया मैंने जो पढ़ा था ,
प्रोस्ट्रेट , ... मर्दो का जादुई का बटन ,...
और मैंने वहां दबाना , मालिश करना , रगड़ना शुरू कर दिया ,
असर दो मिनट में हो गया ,
मूसल एकदम जड़ तक मेरे गले तक मेरे मुंह में धंसा था , ... और मेरी ऊँगली भी जड़ तक इनके पिछवाड़े ,
दूसरे हाथ से कस कस के मैं मूसल को उसके बेस पर दबा दबा के मुठिया भी रही थी
उनकी देह एकदम ढीली पड़ने लगी ,
लंड एकदम कड़ा , ... और फट गया ज्वालामुखी , सीधे मेरे मुंह में , ... बल्कि गले में
सफ़ेद मलाई की फुहार , सीधे मेरे गले में , गले से पेट में
मेरी पकड़ भी ढीली हो गयी थी पर प्रोस्ट्रेट को रगड़ना मैंने कम नहीं किया था ,
उनकी हालत एकदम खराब थी ,...
और जब खूंटा बाहर निकला , ...
२५ मिनट ,...
लेकिन मैं एक बात भूल गयी थी , ये डबल बैरेल गन थी , एक बार में खाली नहीं होती
और जब दूसरी बार फुहार निकली तो सीधे मेरे चेहरे पर ,
गाढ़ी थक्केदार दही मेरे चेहरे पर लिपी पोती , ...
मैंने झट से साडी ठीक की , बलाउज के बटन बंद किये , ब्रा के हुक भी
और इन्होने अपनी पैंट ऊपर चढ़ा ली , ...
लेकिन तब तक नीचे से फिर गुहार आ गयी
मैं शीशे में अपना चेहरा देख रही थी , चेहरा दिख नहीं रहा था , सिर्फ इनकी रबड़ी मलाई ,...
वो बदमाश लड़का देख देख के मुस्करा रहा था ,
मैं कौन कम थी , मैं भी उसे देख के मुस्करायी , ...
और न तो साफ़ करने का टाइम था न मैं साफ़ करना चाहती थी , ..
बस चेहरे पर अच्छी तरह फैला लिया ,
सास जेठानी देखें तो देखे ,
आखिर उन्ही का लड़का देवर है , और वही तो गयी थीं मुझे लाने ,...
सच में टैक्सी वाला हल्ला कर रहा था , बाबतपुर ( बनारस के एयरपोर्ट ) से उसे कोई और सवारी पिक करनी थी ,
टैक्सी चली गयी उन्हें लेकर , मैं देर तक वहीँ चुप चाप खड़ी रही ,
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Wow awesome Komal ji
Sardi Mai garmi Ka ahsas
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(28-12-2019, 09:50 PM)m8cool9 Wrote: Wow awesome Komal ji
Sardi Mai garmi Ka ahsas
Thanks yess ....thand bahoot hai ...
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jabardast upadte komal ekdam badhiay is thand me tumhri kahani ya hai jo hamare jism me garmi paida karti hai
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AAhhhhhhhhhh लाजवाब,कोमल जी बस जान नहीं निकलती है बस बाकी सब कुछ हो जाता है,,सच मे काम की अधिष्ठात्री देवी है आप रति की साक्षात देवी है क्या कामकला का सजीव वर्णन किया है लाजवाब ??????
बस ये मीठी फुहारें युही बरसती रहे,हम सदैव यूँही भीगते रहे बहुत सारा प्यार,दिल से आभार ??
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