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19-01-2019, 09:03 AM
(This post was last modified: 19-01-2019, 09:11 AM by komaalrani.)
जोरू का गुलाम पोस्ट ५ ,
बाजी एक बार फिर से , ...
अब तक
छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था।
खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था।
परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये।
सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,…
+
और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया ,
यही तो मैं चाहती थी।
मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा
" जोरु के गुलाम , .... " और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी।
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी [
आगे
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी
" तो अब तुम हो गए मेरे पक्के गुलाम , क्यों,.... "
" हूँ हाँ ,.... " लग रहा था जैसे आधे तीहे मन से बोल रहे हों। और मैंने साफ साफ पूछ लिया ,
" बोल न , हो न जोरू के गुलाम। "
+
कुछ रूककर , कुछ सोचकर वो हलके से बोले , " वो ,.... वो तो मैं हमेशा से ही हूँ , … तुम्हारा ,… "
उनके अंदाज से मैं समझ गयी की मामला अभी कच्चा है।
मैं कुछ देर तक उनके इयरलोब्स निबल करती रही , उनके कान में जीभ की टिप घुमाती रही फिर पूछा ,
" अच्छा चल तुझे एक मौक़ा और देती हूँ , बोलो हो जाय ".
जैसे डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल जाय एक दम उसी तरह उन्होंने दोनों हाथों से ये मौका दबोच लिया और जोर से बोल पड़े ,
" हाँ एक दम। " ख़ुशी से बोल पड़े वो।
अब मेरे होंठ उनके निप्स को लिक कर रहे थे। सर उठा के उनके खुश चेहरे को देखते हुए मैं बोली ,
" लेकिन एक शर्त है मेरी , मंजूर हो तो पहले हाँ बोलो , फिर आगे ,… "
" हाँ एकदम तेरी तो हर शर्त मंजूर है , बोलो न " वो ये दूसरा मौका छोड़ना नहीं चाहते थे।
[b]" अगर अबकी तू हारा न , तो सिरफ मेरा नहीं बल्कि मेरी सारी मायकेवालियों का गुलाम बनना पडेगा। बोलो [/b]"
मेरी आँखों ने कित्ती बार उनकी लालची निगाहों को मेरी मम्मी के बड़े बड़े कड़े ३८ डी साइज के नितम्बो को चोरी चोरी देखते ,पकड़ा था।
" हाँ एकदम , बस एक मौका दे न , और अबकी बार देखना ,...."
उनकी बात मैंने बीच में काट के खूब जोर से अपने होंठों के बीच उनको होंठ को दबोच कर काट लिए और अपनी जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी। एकदम आने वाले दिनोंकी झांकी जब वो मेरे गुलाम होंगे ,
और साथ में दायां हाथ सीधे उनकी जाँघों के बीच , उनके थोड़े सोये ,थोड़े जागे खूंटे को पकड़ , जोर से दबोच लिया और मसलने लगी।
" क्या करती हो " वो चीखे।
और जवाब में मैंने खूब कचकचा कर उनके जैसे किसी गरम मस्त माल के निप्स , उस तरह खड़े उनके निप्स को , जोर से काट लिया।
नीचे ' वो ' आलमोस्ट खड़ा हो गया था।
एक तेज झटके से साथ मैंने 'उसका ' घूंघट भी खोल दिया और मेरा अंगूठा सीधे उसके ' पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे।
हड़बड़ा कर वो उठे और सीधे बाथरूम की ओर ,
" बहुत जोर की 'सुसु ' आ रही है , बस आता हूँ अभी , " रुक कर वो बोले और सीधे बाथरूम के अंदर।
मैंने मुश्किल से अपनी मुस्कराहट रोकी।
उनकी चोरी मुझसे छुपती। मैं जान रही थी वो क्यों बाथरूम गए हैं।
मैं ने देख रखा था , मैक्सिमम पावर की की वियाग्रा की टैबलेट , वो भी असली ,फॉरेन माल।
एक बार मैंने सोचा भी की किसी 'लोकल ' वाली से उसको चुपके से चेंज कर दूँ , फिर मैंने सोचा यार चलो कर लेने दो उनको भी ट्राई अपनी पूरी ताकत , हर तरकीब।
लेकिन मैं एकदम गलत थी , वो कुछ देर बाद जब बाथरूम से निकले तो एकदम बदले।
कैसे कहूँ ,मेरी तो आँखे फटी रह गयीं। उनका वो ,
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड
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दूसरा राउंड
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड ,
मुझे लगा बेबी आज तो तू गयी। तुझे वो गोली बदल ही देनी थी ,लेकिन अब क्या हो सकता था।
मैंने झट से इम्प्रोवाइज किया ,एक नयी ट्रिक , नया पैंतरा ,
मैं झट से से घुटने के बल बैठ गयी , और सीधे एक हाथ से 'उसे ' पकड़ लिया।
आज तक इतना कड़ा मैंने उसे कभी नहीं महसूस किया था।
और फिर मेरे रसीले होंठ सीधे उसके ऊपरी हिस्से पे , खूब गरम गरम चुम्मी ली ५-६।
फिर होंठ के साथ उसका 'घूंघट' खोल दिया , और सुपाड़ा बाहर निकल आया , एकदम कड़ा , हार्ड एंड फ्यूरियस , और मेरी जीभ उसे लिक कर रही थी।
( दूसरा टाइम होता तो वो तुरंत मुझे रोक देते की कहीं 'फोर प्ले ' के चक्कर में कही 'रियल प्ले ' शुरू होने के पहले ही द एन्ड न हो जाय , लेकिन आज उन का कन्फिडन्स और एटीट्यूड एकदम अलग था। )
मेरी जीभ नदीदी भी थी और शरारती भी। और उसकी टिप सीधे पी होल ( पेशाब के छेद ) पे सुरसुरी कर रही थी , और साथ साथ मेरी कोमल कोमल उंगलिया उनके कड़े लिंग को जोर से आगे पीछे 'फिस्टिंग ' कर रही थी। मेरी आँखे उनकी आँखों में सीधे देख रही थीं , उन्हें और उत्तेजित कर रही थीं।
और अचानक दूसरे हाथ ने जोर से उनके बॉल्स को पकड़ के हलके से दबा दिया।
और अब वो मस्ती से काँप रहे थे।
मेरे निपल्स भी मारे जोश के एकदम पत्थर हो रहे थे।
और एक झटके में मेरे गरम गरम भूखे होंठों ने उनके मोटे कड़े गुस्सैल सुपाड़े को गटक लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे दूसरे हाथ की दो उंगलिया , उनके रियर होल के आसपास छेड़ रही थीं , दबा रहीं थी। कोई दूसरा दिन होता तो वो मुझे ये सब करने ही नहीं देते लेकिन आज ,… बात अलग थी।
जैसे कॉलेजी लड़की कोई नदीदी , जोर जोर से लालीपाप ,मजे ले ले के चूसे , बस मैं वैसे ही उनका सुपाड़ा खूब जोर जोर से मस्ती से चूस रही थी , और साथ में कोमल कोमल हाथ लोहे के राड की तरह कड़े शिश्न को खूब जोर जोर से दबा दबा के , भींच के मुठिया रहे थे।
और ये सिर्फ मेरे रसीले होंठ , नदीदी जीभ ,मखमली होंठ और मुठियाते कोमल हाथ ही नहीं , बल्कि उनकी आँखों में झांकती , ललचाती उन्हें उकसाती , मेरी कजरारी बड़ी बड़ी आँखे भी उनकी मस्ती के तूफान को और हवा दे रही थी।
अचानक एक झटके में मैंने पूरे सर का धक्का मारा और पूरा सुपाड़ा अंदर अगले धक्के में आलमोस्ट पूरा लिंग मैंने घोंट लिया था।
वो सीधे चोट कर रहा था गाल एकदम फूले हुए थे , आँखे बाहर निकल रही थीं। मैं आलमोस्ट चोक कर रही थी। लेकिन मेरी जीभ उनके कड़े कड़े शिश्न को नीचे से जोर जोर से चाट रही थी ,मेरे रसीले होंठ उनके लिंग से रगड़ रगड़ कर जा रहे थे ,
और वो भी कम नहीं थे , मेरे सर को जोर से पकड़ के लिंग पूरी ताकत से मेरे मुंह में ठेल रहे थे। पेल रहे थे।
मेरे गाल की मसल्स इसी धकम्पेल से थोड़ी थक गयी थी और पल भर के लिए मैंने उन्हें बाहर निकाला , और जो किसी भी मर्द के लिए 'वेट ड्रीम ' होता है , टिट फक , बस वही अपने गदराये गुदाज गोरे गोरे मांसल जोबन के बीच ,कस कस के दबा के , आगे पीछे और ,… यही नहीं , अपने कड़े निप्स मैंने पहले उनके सुपाड़े फिर सीधे उनके पी होल में ,
वह पूरी तरह गनगना गए , लेकिन उन्हें जैसे अचानक याद आया की आज दांव पर बहुत कुछ है , और उन्होंने एक हलके से धक्के के साथ मुझे पलंग पर गिरा दिया और ,.... मेरी लम्बी लम्बी टाँगे सीधे उनके कंधे पे , उनका एक हाथ मेरी कमर पे दूसरे से उन्होंने जोर से मेरे जोबन को पकड़ रखा था , और एक ही धक्के में ,
क्या करारा धक्का मारा था , आलमोस्ट पूरा अंदर , लगता था जैसे किसी शिकारी ने बाँकी हिरनिया को मोटे भाले से बेध दिया हो। कितनी ताकत थी उनकी कमर में ,
और इसी के लिए तो मैं तड़पती थी , इसी का सपना देखा करती थी लेकिन आज इसी से मैं डर रही थी।
क्या , … क्या आज वो मुझसे पहले 'डिस्चार्ज ' हो पाएंगे ?
कैसे समाऊँगी इस तूफान को मैं अपने अंदर ?
उनके नाखून मेरे कंधे में , मेरे उरोजों पर धंसे हुए और बिना कुछ सोचे , वो पूरी ताकत से धक्के पे धक्का लगा रहे थे, खूब गहरा , खूब तेज। दरेरता ,रगड़ता ,घिसटता ,उनका कड़ा चट्टान सा खूंटा मेरे अंदर घुस रहा था।
मेरे बिछुए रुन झुन कर रहे थे। मेरी पायल छन छन हो रही थी , गले का हार भी मस्ती में झूम रहा था मीठी आवाज के साथ , .... और मेरी चूड़ियाँ , … आधे दर्जन से ज्यादा तो चूर चूर हो चुकी थीं.
तभी मुझे याद आया , वो बाजी , वो मुकाबला और मैं भी अपने रूप में आगयी। मेरी लम्बी टांगो ने जोर से उनकी कमर को लपेट लिया खूब कस के।
और मैं भी अब हार जीत की चिंता छोड़ के सिर्फ मजा ले रही थी।लेकिन तभी मुझे याद आया , अगर ये मजा मुझे रोज लेना है तो बस इस बाजी को मुझे जीतना ही पड़ेगा , वरना फिर ये पहले की तरह ,…
मेरी लम्बी टाँगे जोर से उनकी कमर पर कस गयीं ,
मेरी 'प्रेम गली ' ने उनके चर्मदण्ड को जोर जोर से भींचना , निचोड़ना शुरू कर दिया , ऊपर , लिंग के बेस से लेकर सीधे सुपाड़े तक। एकदम 'नटक्रैकर ' की तरह।
मेरे न जाने कितने हाथ उग आये , उनकी पीठ को सहलाते मेरे नाखून उनके नितम्बों में भिंच गए , गड गए। कभी मैं उनके निप्स स्क्रैच करती तो कभी निबल करती ,
और इसका असर हुआ , लेकिन उन्होंने भी पैंतरा बदल लिया।
अब उनके धक्को की तेजी कम हो गयी लेकिन न उसकी ताकत और न गहराई में कोई कमी आई।
धीमे धीमे , मेजर्ड पूरा निकाल कर , फिर एक झटके में वो पूरा अंदर पेल देते और मैं एकदम काँप जाती
जिस तेजी से वो रगड़ता ,घिसटता घुसता।
और फिर वही पुरानी तरकीब , गिनती गिनने की , डिस्चार्ज डिले करने की।
और जब उन्होंने ध्यान अपना थोड़ा सा हटाया , बस मुझे मौका मिल गया।
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वोमेन आन टॉप
और एक बार फिर मैं ऊपर थी।
फिर से वोमेन आन टॉप।
करीब करीब आधे घंटे हो चुके थे ।
शुरू शुरू में तो बस हलके हलके मैं प्यार से कभी उन्हें चूमती , बाल सहलाती , इयर लोब्स किस कर लेती और उनके हर धक्के का जवाब उसी रफ्तार से देती , लेकिन धीरे धीरे मैंने रफ़्तार तेज की , और साथ में कम्प्लीट अटैक।
जोर जोर से मैंने उनके निप्स किस करने , बाइट करने शुरू दिए ( मैं जान गयी थी की , उनके निप्स भी उतने ही सेंसिटिव हैं जित्ते मेरे ) , मेरी उंगलिया हलके हलके , उनके देह पर टहल रहीं थी , सहला रहा थीं , काम की आग और भड़का रही थीं। फिर साथ में शब्दों के काम बाण भी ,
" क्यों मुन्ना मजा आ रहा है न ,बोल न "
"उन्ह , हूँ हाँ, ओह , हाँ " सिसकियों के साथ उनकी आवाज निकल रही थी और एक बार फिर बाजी उनके हाथ से फिसल रही थी।
और फिर मैंने एक साथ दुहरा हमला , मेरी योनि ने पूरी ताकत से उनके लोहे के राड से कड़े शिश्न को निचोड़ लिया ,और साथ ही मेरे उरोज सीधे उनके होंठों पे हलक से ब्रश करते दूर हट गए।
" क्या करती हो " वो चीखे , और एक बार फिर मेरे निप्स उनके लिप्स पे , रगड़ते हुए उनके कान में मैं बोली ,
" बोल लोगे ,अरे सोच उस के निप्स कित्ते मीठे रसदार होंगे , छोटे छोटे कच्चे टिकोरे , अबकी तो मैं तुम्हे तेरे माल की कच्ची अमिया खिला के ही रहूंगी , बोल ,.... बोल खायेगा न। "
" हूँ हां दो न , " वो सिसक रहे थे।
" तो एक बार बोल दे न , नाम बस बोल दे न ,नाम लेने में शर्म। " मैंने और अांच बढ़ाई।
मेरे कड़े कड़े निपल्स बस इंच भर से भी कम दूरी पे थे , उनके होंठों से।
वो तड़प रहे थे ललचा रहे थे।
"बोल न , सिर्फ नाम " मैंने जोर से उनके निप्स पिंच कर के कहा।
" ओह्ह हां ,उन्ह , वो गुड्डी , ....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दो न "
और मैं ये मौक़ा नहीं छोड़ने वाली थी ,
" चल तू मान गए , गुड्डी तेरा माल है। और उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त हैं , चल अबकी तेरे मायके चलेंगे न तो दिलवा दूंगी ,उसके कच्चे टिकोरे। ले ले "
और उन्होंने जवाब अपने होंठ खोल के दिया , मेरे निप्स अंदर।
……………
पूरे निप्स मैंने अंदर ठेल के उनका मुंह बंद कर दिया ,कलाइयां उनकी मेरे दोनों हाथों में कैद थीं और एक बार फिर मैंने फुल स्पीड में ,
क्या कोई मर्द पेलेगा , ऐसे जोर जोर से हचक हचक कर , ऊपर नीचे , कभी गोल गोल तो कभी आगे पीछे ,
और थोड़ी देर में उनका कंट्रोल खत्म हो गया था मेरे धक्को का जवाब वो दूनी स्पीड से देने की कोशिश कर रहे थे , पूरी ताकत से धक्के पे धक्का ,
मेरे होंठ कभी उनके होंठ चूमते कभी कचकचा के गाल काटते तो कभी हलके से निप्स की बाइट ,
और यही तो मैं चाहती थी इस रफ्तार से उनकी गाडी बहुत देर तक नहीं चल सकती थी और फिर साथ में मेरे कमेंट्स , उनकी मायकेवालियों के बारे में ख़ास तौर से उनके फेवरिट माल ,… कच्चे टिकोरे वाली के बारे में।
" यार घबड़ा मत , तुझे तो मैं बहनचोद बना के रहूंगी ,और हाँ ऐसे ही , मेरे साजन , …मैं अपने से बोल रही थी , लेकिन उन्हें सुनाकर।
और उनके धक्को से लग रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा है। और ये भी की बस वो कगार पर हैं। "
मैने फिर छेड़ा ,
" उसकी कित्ती कसी होगी , मुश्किल से 16-17 की होगी वो तेरा मॉल न ,अरे ज़रा जोर धक्के मार न मेरे राजा हलके धक्के से कैसे फटेगी मेरी ननदिया की , मेरे राज्जा। "
और फिर तो उन्होंने वो जोर से धक्का मारा नीचे से की ,
और फिर मेरा आखिरी हमला
और साथ में मेरी तरजनी जो हलके हलके उनके पिछवाड़े के छेद को सहला रही थी , गचाक से उनके धक्के के बराबर की ताकत से , गांड में .... दो पोर अंदर।
कुछ मेरी बातों का असर , और कुछ ऊँगली का ,
जोर के झटके से , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह , और सफेद गाढ़ा थक्केदार फुहारा
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19-01-2019, 09:42 AM
(This post was last modified: 28-05-2021, 12:10 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बन गए जोरू के गुलाम
जोर के झटके से , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह , और सफेद गाढ़ा थक्केदार फुहारा ,
मस्ती से मेरी भी आँखे बंद हो रही थी लेकिन , .... मैंने पिछवाड़े घुसी ऊँगली को हलके से गोल गोल घुमाना शुरू किया और एक बार फिर जोर से अपनी चूत भींची।
ओह्ह ओह्ह बहुत तेज आवाज निकाली उन्होंने और एक बार फिर वही मलाई की धार ,
जैसे कोई बाँध टूट गया हो , बाढ़ आ गयी हो ,
तेज तूफान चल रहा रहा हो ,
और उसमे उनके इतने दिन के रोक के रखे गए मन पर पत्थर , यह नहीं करो वह नहीं बोलो , सब बह गए।
मस्ती के सागर में वो उतरा रहे थे ,गोते खा रहे थे।
मेरी ऊँगली धंसी हुयी जोर से मैं पुश कर रही थी ठेल रही थी , गोल गोल घुमा रही थी।
" अभी तो शुरुआत है , रजा , तेरे मायके में चल तेरी गांड मारूंगी "
और इस के साथ ही मेरी पूरी ऊँगली अंदर और सीधे , प्रेशर प्वाइंट पे।
और एक बार फिर ,.... बार बार
मैंने अपने माथे से बड़ी सी लाल बिंदी निकाल के उनके गोरे गोरे माथे पे लगा दिया , ।
" बन गए न अब जोरू के गुलाम , बोल "
" हाँ हाँ " उनकी आँखे बंद थी , चेहरे पर इतनी ख़ुशी थी की बता नहीं सकती.
सिर्फ मेरे नहीं मम्मी के भी , बोल न मेरे जोरू के गुलाम। "
" हाँ हाँ हाँ। " वो एक नयी दुनिया में पहुँच गए थे।
" तो बोल न चोदेगा उसको , अपने उस माल को ,
बोल , मेरी हर बात मानेगा न , जो मैं कहूंगीं वही खाना पडेगा ,वही पहनना पडेगा।
" हाँ हाँ , "
उनकी मुस्कान सब कुछ बोल रही थी .
"तो बोल , आज से क्या है तू "
मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
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जोरू का गुलाम पोस्ट ६
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू " मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे , साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी , अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले , ' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से , अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके , आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। " मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। " और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।
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खाना विद अ डिफरेंस
ट वाज 'डिफरेंट'।
मुंह खोल , मुन्ना ,
और पहला कौर मैंने अपने हाथ से खिलाया। उनकी टेस्ट बड्स ने जैसे विद्रोह कर दिया हो , चेहरा एकदम गिनगिना गया।
[i]लेकिन तुरंत मेरे होंठ 'ऐक्शन ' में आ गए और न सिर्फ उनके होंठो का खूब रसीला एक चुम्मा लिया ,उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ के , कचकचा कर , बल्कि जीभ भी उनके मुंह में ठेल दी और जो कौर अभी भी उनके मुंह में अटका था उसे सीधे पूरी तरह अंदर ठेल के ही उसने दम लिया। [/i]
[i]अगला कौर भी खिलाया मेरे होंठों ने , खूब कुचा कुचाया , मेरे मुख रस से लिथड़ा।
[/i]
और मुझे कोहबर याद अाया जब तीन चार घंटे तक एक छोटी सी सुपाड़ी को एक छोटे से पान में रख कर मेरे मुंह में रखवाया गया था और फिर उसे एक दूसरे पान में रखकर , मेरे कूचे कुचाये पान को उन्हें ,…
" गुड ब्वॉय अच्छा लग रहा है न , " मैंने गाल पे चूमते पुछा और फिर अगला कौर ,
साथ में मेरा बायां हाथ पाजामे के ऊपर से 'उसे ' सहला रहा था , दबा रहा था।
कुछ ही देर में ' वो ' कुनमुनाने' लगा , जोर जोर से।
मेरा हाथ पाजामे के अंदर था और एक झटके में खीच कर चमड़ा खोल दिया , सुपाड़ा बाहर।
[i][i]" लगता है फिर उस छिनाल ननद के कच्चे टिकोरे याद आ रहे हैं , चल कोई बात नहीं अबकी तुझे टिकोरों का भी स्वाद चखाउंगी , बस आने दो मौका। "[/i][/i]
[i][i]मैंने जोर से दबाया और एक बूँद , प्री कम की निकल के सुपाड़े पे।
[/i][/i]
मैंने अंगूठे से उसे समेटा और सीधे अपने गरम गरम होंठों होंठों पे ,
और उसके बाद , मेरे होंठ सीधे उनके होंठ पे।
उनका प्री कम ,… डेजर्ट की तरह।
' अरे सिर्फ कच्चे टिकोरे ही नहीं सब कुछ दिलवाऊँगी उसका बहुत तड़पाया है उसने मेरे मुन्ने को न " मैंने फिर बोला।
कभी मेरे हाथ से कौर उनके मुंह में जा रहा था और कभी होंठों से।
साथ में ढेर सारे फोटोग्राफ्स , और कई सेल्फी भी हम दोनों की।
भला हो स्मार्ट फोन वालों का।
[i][i]उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था। एक छोटा सा वीडियो भी। [/i][/i]
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मेरे भैया ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते
उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था। एक छोटा सा वीडियो भी।
और सब साथ साथ मम्मी को व्हाट्सऐप कर दिया।
कुछ देर में सारी प्लेटें साफ।
;" चलो , अब आँख खोल लो , कैसा लगा मेरे हाथ से खाने का मजा " मैंने पूछा।
" बहुत बढ़िया एकदम मजा आ गया। " मुस्करा के बोले वो।
और मैं और जोर से मुस्कराई और साथ में अपनी उंगलिया उनके मुंह में।
चाट चुट के सब उन्होंने साफ कर दिया , मेरी ऊँगली में लगी सारी 'करी 'साफ सूफ के चाट।
" ऐसा कभी नहीं खाया " वो बोले।
" सही कह रहे हो " मैंने मन ही मन सोचा। और फिर आँख मारते हुए ,हंस के पूछा ," क्यों एग करी कैसी थी। "
एकदम हालत खराब उनकी , लेकिन उनके रिएक्शन के पहले मैंने और चिढ़ाया ," अरे यार काटा तो नहीं। "
और वो कुछ रिएक्शन कर पाते , मैंने मोबाइल की फोटुएं दिखाई , सब 'ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते 'वाली लिस्ट के।
उनका चेहरा एकदम ,… से ,
लेकिन मैंने झटके से पाजामे का नाड़ा खींच के खोल दिया।
वो एकदम तन्नाया , खूब कड़ा , और मेरी कोमल उँगलियों ने एक झटके में सुपाड़ा झटाक से खोल दिया।
एकदम जोश में , चॉकलेटी ,
और वो चॉकेलट मेरे मुंह में थी , मेरी स्वीट डिश , मैं चूस रही थी ,चुभला रही थी।
मस्ती से उनकी हालत खराब हो रही थी ,
एक पल के लिए मैंने निकाल के उसे बाहर ,उनकी आँख में आँख डाल के पूछा ,
" क्यों मुन्ना , चाहिए क्या। "
उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया , लेकिन तबतक हम दोनों की निगाह सामने दीवाल घडी पे पड़ी। दो बज रहे थे , और ढाई बजे से उनकी मीटिंग थी ,क्लाएंट से।
" मिलेगा मिलेगा , रात को , जल्दी तैयार हो जाओ। "
वो तैयार हो के निकले तो मैंने मुश्किल से हंसी रोकी।
मेरी बड़ी बड़ी लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे चमक रही थी।
बिंदी निकालते ,मुस्करा के मैं बोली " माना तेरे गोरे गोरे चेहरे पे बहुत अच्छी लगती है लेकिन , बाहर ,… "
हालाँकि मन ही मन मैं सोच रही थीं , " क्यों नहीं , एक दिन बाहर भी ,… बहुत जल्द। "
निकलते निकलते उन्होंने रुक के मुझे फ्लाइंग किस दिया और बोले ,शाम को जल्दी आऊंगा।
इट वाज अनॉदर फर्स्ट।
मैं वेट करुँगी मैंने बोला।
बिस्तर पर लेट कर मैं सोच रही थी , " मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते। भाभी आप भैया को जानती नहीं। "
आज देखती तो , … अब उसे पता चलेगा की कितने उसके भैय्या हैं और कितने मेरे सैंया।
कुछ दिन में ही पता चलेगा , .... सिर्फ मेरे सैयां। "
जल्द नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी। और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
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जोरू का गुलाम पार्ट ७
सांझ हुयी घर आये
[i] नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी। और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
[/i]
आगे
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
और आज से पहले उन्हें कभी इतना बेताब ,बेकाबू नहीं देखा था। और इतना खुश भी,…
उन्होंने सीधे मुझे भींच लिया , ये भी नहीं देखा दरवाजा बंद है की खुला। और उनकी निगाहें सीधे जोबन की चोटियों पर अटकीं ,
और मैं भी न सिर्फ एक साटन की नाटी नाइटी में , वो भी खूब लो कट , और नूडल स्ट्रिंग वाली , पूरा क्लीवेज दिखता।
" बहुत भूख लगी है " नदीदों की तरह सीधे घाटी बीच झांकते वो वोले।
" मुन्ना , दुद्धू पियेगा ," मैंने चिढ़ाकर पुछा।
और जवाब उनके होंठों ने दिया , सीधे नाइटी से झांकते मेरे कबूतर की चोंच को गपुच कर।
मैंने भी ,कस के उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने बूब्स पर जोर से दबा दिया। एक हाथ से मैं उनके बाल सहला रही थी, और दूसरे हाथ से कंधे से स्ट्रैप सरका दिया , और अब निपल सीधे उनके मुंह के अंदर ,
खूब जोर जोर से चूस रहा थे वो।
मैं प्यार से उनके बाल सहला रही थी और कान में किस करके बोली ,
" बहुत भुक्खू लगी है बेबी को। ले न पी , मन भर। " और मैंने जोर से अपना जोबन उनके मुंह में ठूंस दिया।
जवाब में दूसरा हाथ भी उनका मेरे नाइटी के अंदर घुस गया और उरोजों से ग़दर मचाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें हलके से धक्का देके पलंग पे गिरा दिया , और बोली ,
" मिलेगा ,मिलेगा पूरी रात मिलेगा लेकिन ये बता मीटिंग कैसी रही क्लाएंट के साथ ?
जवाब में फिर उन्होंने जोर से भींच लिया ,और सैकड़ों किस मेरे गालों पे , फिर दोनों हाथ उठा के जोर से बोले ,
डील क्लिंच्ड।
वाउ ग्रेट ,
मैंने भी उन्ही की तरह से जोर से बोला , हम दोनों ने हाई फाइव किया , और उन्होंने अपना मोबाइल का एक मेसेज मेरे आगे किया ,
कंपनी के सीनियर वी पी का मेसेज था , कांग्रेच्युलेशन का, डील होने का।
आगे पढ़ न , वो बोले।
असली बात आगे ही थी , ६५, ००० का स्पेशल बोनस और एक अड्डीशनल इन्क्रीमेंट।
हम लोगों ने फिर हाई फाइव किया और अब उन्हें भींच कर चूमने की मेरी बारी थी।
फिर मैं आँख नचा के बोली ,
"यार , शॉपिंग तो बनती है "
"एकदम "
आज तो वो किसी भी चीज के लिए राजी होने के लिए तैयार थे।
" समझ लो , तेरी जेब काट लुंगी पूरी। "
मैंने धमकाया।
" कोई नहीं , और लौट के जो मैं काटूंगा न , तो चिल्लाना मत। हफ्ते भर निशान रहेगा। "
अब वो पूरी तरह मेरी वेव लेंथ पर आते जा रहे थे।
" जा जा ,मैं ऐसी डरने वाली नहीं , मेरा साजन है चाहे काटे चाहे जो करे ,किसी को क्या। "
खिलखिला के मैं बोली।
तभी मेरी निगाह 'उनकी ' बिंदी पे पड़ी और मुस्करा के मैंने फिर उनके माथे पर लगा दिया। अबकी वो कुछ नहीं बोले।
सिर्फ हलके से मुस्कराए दिए।
" चाय चलेगी "
फोन उठाते मैंने रूम सर्विस को आर्डर देने के पहले पूछा।
" ना , चलेगी नही ,दौड़ेगी ,"
" दो कप चाय " मैंने रूम सर्विस को बोला।
कुछ स्नैक्स भी बोल दो। उन्होंने जोड़ा।
ओके उनकी ओर मुंह करके मैं बोली और फोन पर आर्डर ऐड करा दिया,
" साथ में दो प्लेट आमलेट " और फोन रख दिया।
" आमलेट " चौंक के वो बोले।
जवाब में मैंने उनके होंठ पर एक किस जड़ा और हड़काया ,
" तू न ,अब पिटेगा मेरे हाथ से। सुबह प्लेट भर एग करी अकेले चट कर गया और अब आमलेट के नाम पे परहेज "
वेटर ले आया तो एक बार थोड़ा हिचके वो , ( माथे पर लगी बिंदी को लेकर ) लेकिन मैंने जोर से उनका हाथ पकड़ रखा था।
हम अपने कमरे में चाहे जो करें चाहे जैसे रहें ,किसी से क्या , मैं ये मानने में यकीन करती हूँ।
और अबकी बार वो अपने हाथ से आमलेट खा रहे थे। खुली आँखों से ,
बस मैं यही सोच रही थी की अगर उनकी मायकेवालिया देख लेतीं ( मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते ) तो बस फट के रह जाती ,
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शॉपिंग एंड,...
शॉपिंग में भी खूब मजा आया , विंडो शॉपिंग ज्यादा की लेकिन उनकी जेब भी मैंने काटी।
एक कॉस्मेटिक की शाप से शुरुआत की मैंने , इम्पोर्टेड नेल पालिश ,लिपस्टिक। और मैंने एक पिंक नेलपालिश पिक की , लेकिन जब ट्राई करने का टाइम आया , …मेरे लम्बे नाखूनों में डार्क स्कारलेट नेल पेंट पहले से ही था।
मैंने मुस्करा के उन्हें देखा और उनका बायां हाथ सेल्स गर्ल के सामने बढ़ा दिया , एक पल के लिए हिचकिचाये वो लेकिन जब मैंने देखा उनकी आँखों में , बस वो मुस्करा दिए।
न सिर्फ वो कलर उन्हें पसंद अाया , बल्कि दो और नेल पालिश और स्कारलेट डार्क लिपस्टिक, और दो और बोल्ड शेड्स की भी उन्होंने ले ली।
हम लोग दुकानों के बाहर विंडो शॉपिंग कर रहे थे , मेरी निगाह एक शलवार सूट की दूकान की खिड़की के बाहर ,मुड़ मुड़ कर देख रही थी. मेरे मना करने पर भी वो मुझे खींच कर अंदर ले गए , और खुद सेल्स गर्ल से बोले , जब उसने पूछा की लूज या टाइट फिट , तो बिना रुके वो बोले , एकदम टाइट फिट।
सेल्स गर्ल निकालने के लिए मुड़ी तो मैंने उन्हें बनावटी गुस्से से देखा , तो वो शरारती बच्चे की तरह बस मुस्करा दिए।
और मुझे उनका मायका याद आ गया। मुझे टॉप ,स्कर्ट ,जींस बहुत पसंद थे लेकिन मुझे मालूम था की शादी के बाद तो ये , .... पर मैं अपने कुछ शलवार सूट ले आई थी की कम से कभी दिन में या हनीमून में ,....
[i]हनीमून तो गयी नहीं और घर में एक बार जेठानी जी ने वार्डरोब में देख लिया तो साफ हुक्म सुना दिया , की शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा , मैं इसे बक्से में बंद कर दूँ ,कहीं सासु जो ने देख लिया तो फिर तूफान मच जाएगा। और वैसे भी उनके देवर को एकदम घरेलू मामला पसंद है।
और अपने सामने उन्होंने सब बक्से में बंद करवा दिए। [/i]
मैं ट्राई करने गयी और शीशे में देखा तो वो ड्रेस टाइट नहीं थी , बहुत टाइट थी , खासतौर पर मेरे उभारों पर और पिछवाड़े। सारे कटाव , उभार और कड़ापन सब और उभर के दिख रहे थे।
मैंने पहले ही बताया था न की मेरी २८ की पतली कमर के कारण मेरी ३४ सी गोलाइयाँ , ३६ से कम की नहीं लगतीं थी और ३५ का पिछवाड़ा तो और , इनके मायकेवालों की तो सुलग जाती देख के।
मैं जैसे कोई रैम्प मॉडल बाहर निकले बस वैसे मैं अपने 'स्ट्रांग प्वाइंट ' दिखाते बाहर निकली , लेकिन उन्होंने वहीँ रोक दिया , और अब फोटो खींचने की बारी उनकी थी।
उन्होने सेल्स गर्ल के कान में कुछ कहा और वो मुस्कराकर अंदर चली गयी।
उनकी मुस्कान से लग रहा था की उन्हें कैसा लगा रहा है।
ठीक है , मैं चेंज कर लूँ।
नहीं ,बस ऐसे ही चलो। और खुद मेरे हाथ से मेरी पहनी हुयी साडी ब्लाउज ,सब सेल्स गर्ल को दे दिया पैक करने के लिए।
तीन सूट उन्होंने और ले लिए थे , टाइट के साथ वो लो कट भी थे।
कुछ और निक नैक एक दो दुकानो पे हम ने लिए और फिर होटल की ओर मुड़ लिए।
होटल से कुछ दूर पहले एक पतली सी सड़क , सड़क क्या गली सी थी , बहुत हलकी रौशनी। वहां एक पान की दूकान थी , मुझे एक आइडिया सुझा मैं उनका हाथ पकड़ के वहां ले गयी और उनसे बोला,
" एक पैकेट सिगरेट ले लो। "
उन्होंने ले लिया।
" एक सुलगाओ " मैंने कहा ,
अब उनकी ,…
" लेकिन मैंने कभी पी नहीं , "
दबी आवाज में वो बोले।
मेरा एक बार जोर से घूरना काफी था और उन्होंने एक सुलगा के होंठों से लगा ली।
उग्ह्ह अह्ह्ह , वो हलके हलके खांस रहे थे , ठीक से सुलग भी नहीं पा रही थी।
ले मुझे दे , और उनके हाथ से ले के मैंने दो चार कश जोर जोर से लिए लो ठीक से बोला और उन्हें पकड़ा दिया ।
उनकी आँखे फटी पड़ रही थीं ,लेकिन अबकी कोशिश करके ,
जब वो पहली बार स्मोकिंग की कोशिश कर रहे थे, क्लिक किलक क्लिक , पांच छ फोटुएं और सब, व्हाट्सऐप , मम्मी को।
" अरे यार हम लोगे तेरे घर से इतने दूर हैं , आफिस से दूर हैं , इस गली में कौन देखेगा ,कौन पहचानेगा। थोड़ी मौज मस्ती करते हैं न "
मैंने उन्हें चढ़ाया .उन्होंने वो सिगरेट होटल पहुँचने के पहले पूरी खत्म कर दी।
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वापस बेड रूम ,
कमरे में घुसने के पहले ही वेटर मिला ,
" मैडम ,डिनर। " उसने पूछा।
" सुबह वाला तो अच्छा था न , बस वही आर्डर कर देते हैं , " उन की ओर मुड कर मैंने मुस्कराते कहा।
और वेटर से बोला , " बेडरूम में ही दे देना , मैं प्लेट्स बाहर रख दूंगी। "
लेकिन उस बार भी खाना उन्होंने पूरा मेरे हाथों और होंठों से ही खाया।
उनके हाथ तो 'कहीं और ' बिजी थे।
पूरा खाना मैंने उन्हें उनकी गोद में बैठकर खिलाया ,और उनके हाथ उस टाइट सूट से छलकते उभारों की नाप जोख करने में लगे थे।
और वहां फिर अबकी हम दोनों ने एक एक सुलगाई साथ साथ।
मायके में तो कई बार , कभी चैलेंज के तौर पर तो कभी बस चिढ़ाने में ,... और कभी कभी सहेलियों के साथ ,
मुझे मम्मी की बात याद आ रही थी , अगर स्मोकर हो तो नान स्मोकर बना दो और नान स्मोकर हो तो स्मोकर ,वेज हो तो नान वेज ,...
आज कितना अच्छा लग रहा था मैं बता नहीं सकती एकदम खुला खुला
और मुझसे ज्यादा उनको
उस रात दो राउंड हुआ और सुबह से भी जबरदस्त। वो भी बिना किसी 'गोली -वोली ' की मदद से।
और जब हम लोग लौट के आये उसके बाद स्लोली लेकिन सिग्निफिकेंटली उनकी हर चीज , खाने की आदत हो ,पहनने की हो एटीट्यूड , सब कुछ बदलने लगा।
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xossip के अचानक बंद होने के कारण आप की कहानियां पुनः पढ़ने को मिलेंगी सोचा ना था। Thanks to you and xossipy । - जीत आज़मगढी
बुुर का दिवाना
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(09-01-2019, 10:13 PM)komaalrani Wrote: जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
भाग १
मेरे भैय्या, आम छू भी नहीं सकते ,…"
" अरे तूने कभी अपनी ये कच्ची अमिया उन्हें खिलाने की कोशिश की , कि नहीं , शर्तिया खा लेते " चिढ़ाते हुए मैं बोली।
जैसे न समझ रही हो वैसे भोली बन के उसने देखा मुझे।
" अरे ये , " और मैंने हाथ बढ़ा के उसके फ्राक से झांकते , कच्चे टिकोरों को हलके से चिकोटी काट के चिढ़ाते हुए इशारा किया और वो बिदक गयी।
" पास भी नहीं आएंगे आपके , मैं समझा रही हूँ आपको , मैं अपने भैया को आपसे अच्छी तरह समझतीं हूँ, आपको तो आये अभी तीन चार महीने भी ठीक से नहीं हुए हैं . अच्छी तरह से टूथपेस्ट कर के , माउथ फ्रेशनर , … वरना,… "
उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।
" ये देख रही हो , अब ये चाहिए तो पास आना पड़ेगा न "
मुस्करा के मैंने अपने गुलाबी रसीले भरे भरे होंठों की ओर इशारा करके बताया।
और एक और दसहरी आम उठा के सीधे मुंह में , …और जब मैं ऊपर कमरे की ओर गयी तो उसे दिखा के , मेरे होंठों से न सिर्फ आमरस टपक रहा था बल्कि मेरी जुबान पे एक छोटी सी फांक अभी भी थी। Hot!!!
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JKG is a legendary work in erotic literature....can wait, can re-read again...And again
हज़ार बार ज़माना इधर से ग़ुज़रा है
नई नई सी है कुछ तेरी रहगुज़र फिर भी
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(25-01-2019, 11:16 PM)Sjeet72 Wrote: xossip के अचानक बंद होने के कारण आप की कहानियां पुनः पढ़ने को मिलेंगी सोचा ना था। Thanks to you and xossipy । - जीत आज़मगढी
धन्यवाद तो मुझे आप को देना चाहिए , आप की उपस्थिति और हौसला अफ़जाई ने एक बार फिर मेरे अंदर जोश ला दिया है , मेरी पूरी कोशिश रही है पूर्वांचल की लोक संस्कृति , लोक गीत , मेरी कहानी में छलकती रहे। अगर आप ऐसे पाठकों का साथ रहे तो शायद इस होली में मैं कुछ कहानियां होली की एक बार फिर से शुरू करूँ।
एक बार फिर से धन्यवाद।
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(27-01-2019, 09:51 AM)komaalrani Wrote: धन्यवाद तो मुझे आप को देना चाहिए , आप की उपस्थिति और हौसला अफ़जाई ने एक बार फिर मेरे अंदर जोश ला दिया है , मेरी पूरी कोशिश रही है पूर्वांचल की लोक संस्कृति , लोक गीत , मेरी कहानी में छलकती रहे। अगर आप ऐसे पाठकों का साथ रहे तो शायद इस होली में मैं कुछ कहानियां होली की एक बार फिर से शुरू करूँ।
एक बार फिर से धन्यवाद।
आपको भी धन्यवाद
बुुर का दिवाना
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Bahut hi umda aur uchit koti ki lekhni hai. Aur isko sajati hai apka mahaul ko create krne ka andaaz. Pathak kho jata hai shabdo kr madur sangeeton main.
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(26-01-2019, 09:57 AM)tharkidimag Wrote: JKG is a legendary work in erotic literature....can wait, can re-read again...And again
हज़ार बार ज़माना इधर से ग़ुज़रा है
नई नई सी है कुछ तेरी रहगुज़र फिर भी
bas aap saath banye rakhen...kabhi kabhi aap jaise comments padh kar ...ek baar phir se likhne ki tabiyat ho jaati hai , varana aaj kal....
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Machal ke jab bhi aankhon se chhalak jate hain do aansoon
Suna hai aabshaaron ko badi takleef hoti hai
Kahun kya wo badi masoomiyat se poonchh baithe hain
Kya sachmuch dil ke maaron ko badi takleef hoti hai
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Hum intizaar karenge...
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(28-01-2019, 02:44 PM)tharkidimag Wrote: Machal ke jab bhi aankhon se chhalak jate hain do aansoon
Suna hai aabshaaron ko badi takleef hoti hai
Kahun kya wo badi masoomiyat se poonchh baithe hain
Kya sachmuch dil ke maaron ko badi takleef hoti hai
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Hum intizaar karenge...
thanks sooooooooooooooooooooooooooooooo much....agali post abhi
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