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राहुल ने अपने पत्ते देखे और हज़ार का नोट फेंककर तुरंत चाल चल दी...उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके पास जानदार पत्ते आए है..
शशांक ने सुमन की टांगे सहलाते-2 अपने पत्ते देखे और उसने भी हज़ार का नोट फेंककर एक चाल चल दी...
कपूर साहब तो इकके और बादशाह के बल पर चाल चल बैठे थे...सामने से 2-2 चालें आती देखकर उन्होने चुपचाप पैक कर दिया..
अब सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...कुछ ख़ास नही आया था उनके पास...इसलिए मन मसोसकर उन्होने भी पैक कर दिया...
अब सिर्फ़ राहुल और शशांक ही बचे थे..
राहुल को अपने बॉस के सामने चाल चलने में झिझक हो रही थी..पर ये तो खेल था...इसलिए उसने थोड़ा रुककर अपनी तरफ से हज़ार की चाल और चल दी...
जवाब मे शशांक ने डबल करते हुए 2 हज़ार की चाल चल दी..
अब तो राहुल को चिंता होने लगी....उसके पास पान के पत्तो का कलर आया था...2,5 और बेगम के साथ...
उसकी ये पहली गेम थी...इसलिए वो ज़्यादा रिस्क भी नही लेना चाहता था...क्योंकि जिस अंदाज में शशांक ने 2 हज़ार की चाल चली थी, राहुल को लग गया की उसके पास बड़े पत्ते होंगे...इसलिए राहुल ने तुरंत 2 हज़ार बीच में फेंककर शो माँग लिया...
शशांक ने अपने पत्ते दिखाए तो राहुल ने अपना माथा पीट लिया...शशांक के पास सिर्फ़ 3 का पेयर था...जिसके बल पर वो इतना खुलकर खेल रहा था जैसे सीक्वेन्स आ गया हो....
पर फिर भी...राहुल को पहली ही गेम में करीब 10 हज़ार मिल गये...उससे ज़्यादा तो सबा खुश थी...ऐसे एकदम से 10 हज़ार सिर्फ़ 5 मिनट में ही आ जाने से उसका चेहरा गुलाब सा खिल चुका था...राहुल ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए और उन्हे उठा कर सबा को दे दिया...वो चमकती हुई आँखो से उन नोटों को सही ढंग से इकठ्ठा करने लगी...बाकी के सारे मर्द उसे ऐसा करते देखकर अपनी-2 जीभ होंठों पर फेर रहे थे.
जहाँ एक तरफ राहुल अपनी पहली ही बाजी में मिली जीत से खुश था वही शशांक मन ही मन अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था...वो खुद जानता था की उसके पास छोटे पत्तो का पेयर है...और राहुल के चेहरे को देखकर ही वो समझ गया था की उसके पास काफ़ी अच्छे पत्ते आए है...लेकिन वो जान बूझकर ज्यादा पैसों से हारना चाहता था..ताकि राहुल को थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिले...और वो मिल भी चुका था...
अगली गेम शुरू होने से पहले शशांक ने सुमन को सभी के लिए पेग बनाने को कहा...ये सबके लिए एक झटके जैसा था...क्योंकि आज तक उनके ग्रुप की किसी भी औरत ने पेग नही बनाए थे...लेकिन सुमन जैसी रसीली भाभी के हाथ से पेग बनवाकर पीने की बात सोचकर किसी ने कुछ नही कहा ..ये भी शशांक और सुमन का पहले से सोचा हुआ आईडिया था
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Hot hai hot
Suman Ko bahut maza aanay wala hay
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Please add some relevant photos which will make the story more erotic and real.
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(16-12-2019, 02:17 PM)peter171 Wrote: Hot hai hot
Suman Ko bahut maza aanay wala hay
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Next update will come by the end of the day
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(18-12-2019, 01:27 AM)asha10783 Wrote: आगे भी लिखे जी
Will update today !
Thanks for giving regular feedback
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सुमन भी बड़े कॉन्फिडेन्स के साथ उठकर बार तक गयी और सभी के लिए पेग बना दिए...डिंपल और काजल तो उसे ऐसा करते देखकर हैरान हुई जा रही थी......मिसेस गुप्ता और सबा का भी यही हाल था , लेकिन उसे एक मॉडर्न लेडी की तरह इस तरह के काम करते देखकर उन्हें भी अच्छा लग रहा था .......उन्होने तो आज तक घर मे कभी भी ऐसा नही किया था...सुमन को देखकर उनके मन में भी ऐसा ही कुछ करने की इच्छा जन्म ले चुकी थी
और इससे पहले उन सभी के मन में एक और इच्छा भी जन्म ले चुकी थी....और वो थी सुमन की तरह सेक्सी कपड़े पहनने की
डिंपल सरदारनी के पास तो ऐसे सेक्सी कपड़ो की भरमार थी...वो तो बस उसे खुद ऐसे कपड़े पहनकर किसी के सामने आने मे शर्म आती थी,वरना उसका पति तो हमेशा उसे प्रोत्साहित करता था की सेक्सी शरीर है तो ऐसे कपड़े पहनकर उसे दिखाने मे भला क्या हर्ज है...वो एकदम खुल्ले विचारों वाला पंजाबी बंदा था...
सबा को भी एक से बढ़कर एक बड़िया कपड़े पहनने का शॉंक था...वैसे वो तो हर औरत को होता है पर सबा को कुछ ज़्यादा ही था...वो जो भी पहन लेती थी वो उसके उपर जंच जाता था...एक तो बला की खूबसूरत और उपर से एकदम गोरी चिट्टी ...और शादी के बाद उसके हुस्न में जो निखार आना शुरू हुआ था, उसके बाद तो उसका बदन ऐसा गदरा गया था की हर कपड़े में वो सैक्स की देवी लगती थी...पर उसके पास ऐसे अंग प्रदर्शन वाले कपड़े कम ही थे...1-2 नाइटीज थी बस...पर उन्हे किसी और के सामने पहनने की बात तो उसने सपने में भी नही सोची थी...लेकिन जो नाईटी आज सुमन ने पहन रखी थी वो कुछ ज़्यादा ही एक्सपोज़ कर रही थी उसके बदन को...और सबा के मन में बस यही चल रहा था की जब सुमन भाभी ऐसी नाईटी पहन सकती है तो उसकी तो थोड़ा कवर की हुई ही है...वो भी ट्राइ करेगी..
और नीरू तो ये सोच चुकी थी की कल ही लिंगरी शॉप में जाकर सुमन से भी ज़्यादा सेक्सी दिखने वाली नाईटी लेकर आएगी... मिसेज़ गुप्ता के मन में भी कुछ-2 ऐसा ही चल रहा था..
मर्दो ने अपने-2 पेग पिए और सुमन ने अपने लेडिस गेंग के लिए वोड्का के शॉट्स बना लिए...सबा के लिए तो ये सब नया था...उसने तो आज से पहले आल्कोहॉल पिया तक नही था...वैसे भी पहले पेग की वजह से उसका सर अभी तक चकरा रहा था, इसलिए उसने शॉट पीने से मना कर दिया...सुमन ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया
वैसे भी शॉट कैसे पिया जाता है,ये उसे पता नहीं था, वो उन्हें ऐसा करते हुए देखने लगी
चारों लेडीज़ ने हाथ पर नमक रखा...नींबू पकड़ा और शॉट्स उठा लिए...और एक जोरदार चियर्स के साथ सभी ने अपने-2 पेग्स एक ही बार में पी डाले...फिर नमक चाटकर मुंह में नींबू निचोड़कर एक साथ चिल्ला पड़ी...
ऐसा पागलपन सबा ने पहली बार देखा था....लेकिन उनके मस्ती से भरे चेहरों को देखकर उसे सॉफ लग रहा था की सभी को काफ़ी मज़ा मिल रहा है....अपनी-2 बिबियो को ऐसा करते देखकर उनके पति भी मस्ती में आकर अपने-2 पेग्स एक ही बार में पी गये...पूरे माहौल में मस्ती और मदहोशी का आलम था..
अपने-2 पेग पीने के बाद टेबल पर एक बार फिर से सभी ने बाजी शुरू कर दी...
शशांक ने इस बार सभी को खेल के रूल्स फिर से समझा दिए....तीन पत्ती का ये खेल हर बार नये तरीके से खेला जाने वाला था...जिसमे नॉर्मल गेम के अलावा मुफ़लिस, हाइयेस्ट जोकर और लोवेस्ट जोकर, AK47, और जोकर के वेरिएशन थे....राहुल को इन सबके बारे में मालूम नही था,वो तो आज तक नार्मल गेम ही खेलता आया था...शशांक ने उसे बोल दिया की जैसे-2 ये वॅरीयेशन आते रहेंगे वो उसे पहले से समझा दिया करेगा...जो इतने मुश्किल नही है...उसके बाद खेलने का मज़ा और भी बड़ जाएगा..जीतने वाले को ऐसे वेरिएशन चुनने का अधिकार था..इसलिए राहुल ने AK47 को चुना...क्योंकि वो नाम से ही इतना बड़िया लग रहा था..
राहुल ने पत्ते बाँटे...शशांक ने राहुल को समझाया की ये एक ऐसा वैरीएशन है जिसमें किसी के पास भी अगर A ,K , 4 और 7 में से कोई भी पत्ता आ गया तो वो जोकर का काम करेगा ...और उन्हे दूसरे पत्तों के साथ मिलाकर अपनी गेम खेली जा सकती है...राहुल समझ गया और खेल शुरू हो गया.
सभी ने ब्लाइंड चली...और पिछली बार से बढ़कर इस बार सबने 3-3 ब्लाइंड चली..
और इस बार सबसे पहले पत्ते उठाए कपूर साहब ने...उनके पास 8,9 और K आया था...यानी K को वो जोकर मानकर उसे 10 बनाकर गेम खेल सकते थे...इस तरह से उन्होने 8,9,10 की सीक्वेंस बनाकर अपनी चाल चल दी..
गुप्ता जी ने अपने पत्ते देखे...कुछ भी नही था उनके पास...ना तो ढंग के पत्ते और ना ही A,K,4,7 में से कुछ...उन्होने पैक कर दिया..
सरदारजी ने एक बार फिर से ब्लाइंड खेल ली...
राहुल ने पत्ते देखे...उसके पास J , 7 और 3 आए थे...यानी उन चार जोकरों में से एक जोकर आया था उसके पास...जिसके बल पर वो J का पेयर बना सकता था...लेकिन गुप्ता जी की चाल आ चुकी थी...
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(16-12-2019, 11:05 PM)bhavna Wrote: Please add some relevant photos which will make the story more erotic and real.
How to do that
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राहुल ने पत्ते देखे...उसके पास J , 7 और 3 आए थे...यानी उन चार जोकरों में से एक जोकर आया था उसके पास...जिसके बल पर वो J का पेयर बना सकता था...लेकिन गुप्ता जी की चाल आ चुकी थी..
अब आगे।।।
ऐसे में उसे ये J का पेयर चाल चलने लायक नही लग रहा था...इसलिए वो सोच में पड़ गया...सोचते-2 उसकी नज़र अचानक सुमन के उपर गयी...हालाँकि वो उसके बॉस की बीबी थी लेकिन आज जिस अंदाज में वो अपने हुस्न को सभी के सामने उजागर कर रही थी, उसकी वजह से ना चाहते हुए भी राहुल की नज़रें बार-2 उसी तरफ जा रही थी..
उसने देखा की सुमन भी उसकी तरफ देख रही है...दोनो की नज़रें 4 हुई..और अचानक सुमन ने उसे आँख मार दी..
एक पल के लिए तो राहुल के दिल की धड़कन तेज हो गयी...लेकिन फिर उसे लगा की ये शायद उसका वहम होगा... क्योंकि उन्होने अभी-2 वोड्का का शॉट लगाया था...शायद उनकी आँख ग़लती से झपक गयी होगी...पर उसके इस वहम को अगले ही पल सुमन ने झूठा साबित कर दिया जब उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपना दाँया हाथ अपनी नाईटी के अंदर डालकर अपने बूब्स पर खुजली की....उसने अपना पूरा का पूरा मुम्मा अपने हाथ में पकड़कर ऐसे मसला की वो आधे से ज्यादा बाहर की तरफ निकलकर अपना गुदाजपन दिखाने लगा...ये सिर्फ़ एक पल के लिए ही हुआ... और ऐसा करने से पहले सुमन ने देख लिया था की राहुल के अलावा किसी और की नज़र उसके उपर नही है...सभी की नज़रें तो इस वक़्त टेबल पर थी...ऐसे में राहुल ने जब सुमन के हाथों को उसके खुद के बूब्स को पकड़कर जोरों से मसलते देखा तो उसके लंड का तापमान उपर तक जा चढ़ा ..
किसी ने भी नही,सिर्फ़ राहुल ने ऐसा होते हुए देखा...पहले आँख मारी और फिर ये किया....अब तो राहुल को विश्वास हो रहा था की सुमन जी अपनी तरफ से उसे लाइन दे रही है..
अपनी खूबसूरत बीबी के होते हुए उसके मन में गंदे विचार आने लगे...और ऐसा होना स्वाभाविक ही था...हर मर्द ऐसा ही होता है...अपनी खुद की बीबी या गर्लफ्रेंड चाहे जितनी भी सुंदर हो, ऐसा खुला न्योता मिलने से कुछ अलग पाने की चाहत अपने आप जन्म ले लेती है..
राहुल का ध्यान अब गेम में नही बल्कि सुमन में लग चुका था...इसलिए उसने तुरंत पैक कर दिया.
अब शशांक की बारी थी....उसने पत्ते उठाए...और मुस्कुराते हुए 1 हज़ार की चाल चल दी...कपूर साहब ने भी एक और चाल चल दी..
अब गुरपाल सिंह ने भी अपने पत्ते उठा लिए....उसके पास भी एक जोकर आया था...लेकिन उसे इस्तेमाल करके सिर्फ़ 9 का पेयर ही बन पा रहा था...उसने भी पेक कर दिया..
शशांक ने इस बार की चाल 2 हज़ार कर दी.
गुप्ता जी के दिमाग में शशांक की पिछली गेम की बात चल रही थी...उनके अनुसार तो शशांक सिर्फ़ 3 के पेयर पर भी ऐसी डबल चाल चल रहा था...ऐसे में गुप्ता जी को अब यही लग रहा था की इस बार भी शायद ऐसा ही कोई पेयर बन रहा होगा उसके पास....अगर कलर भी होगा तो भी गुप्ता जी के सीक्वेंस के सामने वो छोटे होंगे...यही सोचकर उन्होने भी 2 हज़ार की चाल चल दी.
खेल अब गर्म हो चुका था..सभी की नज़रें टेबल पर थी...सबा , काजल और नीरू एक कोने में बैठकर शायद सुमन के कपड़ों के बारे में बात कर रहे थे...और सुमन थी की अभी भी सेक्सी इशारे करके राहुल को परेशान कर रही थी..
राहुल के लंड ने स्टील जैसा रूप अख्तियार कर लिया...उसे बिठाना ज़रूरी सा हो गया था...उसने तुरंत एक्सक्यूस मी कहते हुए बाथरूम का रुख़ कर दिया...
किसी को भी उसके जाने से कुछ फ़र्क नही पड़ा ...सबा को तो पता भी नही चला की राहुल अपनी सीट से उठकर अंदर चला गया है...क्योंकि उसकी पीठ थी उसकी तरफ...और वैसे भी इस वक़्त वो गप्पे मारने में बिज़ी थी..
शशांक ने सुमन की तरफ देखा और उसे आँखो ही आँखो से कुछ इशारा किया....और वो भी चुपचाप उठकर अंदर चल दी...
राहुल के पीछे-2
इस वक़्त उसके दिमाग़ में क्या चल रहा था ये तो कोई नही जानता था...लेकिन एक बात पक्की थी की आज राहुल के साथ ऐसा कुछ होने वाला था की उसके और उसके बॉस की बीबी के बीच के रिश्ते के मायने बदलने वाले थे..
राहुल सीधा वॉशरूम की तरफ गया ...काफ़ी बड़े वॉशरूम के अंदर ही अलग से दरवाजा लगा कर टाय्लेट बनवाया हुआ था...राहुल अंदर जाकर कमोड पर अपने लंड को निकाल कर खड़ा हो गया और मूतने लगा.
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22-12-2019, 01:04 PM
राहुल सीधा वॉशरूम की तरफ गया ...काफ़ी बड़े वॉशरूम के अंदर ही अलग से दरवाजा लगा कर टाय्लेट बनवाया हुआ था...राहुल अंदर जाकर कमोड पर अपने लंड को निकाल कर खड़ा हो गया और मूतने लगा.
अब आगे
राहुल अभी अपने लंड को हाथ में लेकर कुछ सोच ही रहा था की उसे बाहर किसी के आने की आहट सुनाई दी..और वो कुछ समझ पाता इतने में उसे सुमन के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दी...राहुल के लटक रहे लंड में जैसे फिर से जान आ गयी..उसने अभी तक दरवाजा भी बंद नही किया हुआ था,इसलिए वो बंद दरवाजे की लकीर से बाहर खड़ी सुमन को देखने लगा..
और इस वक़्त शायद वो बाहर बैठी अपनी बीबी सबा को भी भूल चुका था.
वो तो उसे ऐसे देख रहा था जैसे सुमन को ये पता ही नही था की वो भी बाथरूम में ही है..वो तो बस मंद-2 मुस्कुराती हुई शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आप को निहार रही थी ...सुमन इस वक़्त सिर्फ़ 2 गज की दूरी पर खड़ी होकर बड़ी ही बेबाकी से अपने कपड़े ठीक करने में लगी थी...और अचानक एक बार फिर से सुमन ने अपना दाँया हाथ अंदर डाल कर फिर से अपने बूब को मसल दिया...ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले बाहर मसला था...राहुल को उसके बड़े से बूब के उपर चमकता हुआ निप्पल सॉफ दिख रहा था...उसकी तो साँसे तेज हो गयी...वो अपने खड़े हुए लंड को जोरों से मसलने लगा...और ना चाहते हुए भी उसके मुँह से एक आह्ह्ह निकल गयी..
और उसकी ये आवाज़ सुनकर सुमन ने एकदम से टाय्लेट का दरवाजा खोल दिया...और राहुल अपने खड़े हुए लंड को मसलते हुए रंगे हाथो पकड़ा गया...उसकी तो समझ में नही आ रहा था की ये एकदम से क्या हो गया..पर तब तक सुमन की शरारती नज़रें अपना काम कर चुकी थी...उसने राहुल के खड़े हुए लंड को जी भरकर देख डाला.
राहुल ने हड़बड़ी में अपने लंड को अंदर ठूसना चाहा पर उसे सुमन ने रोक दिया..
सुमन के हाथ सीधा उसके लंड पर थे और वो उसके थरथराते हुए लंड को सॉफ महसूस कर पा रही थी.
दोनो ने एक दूसरे को देखा और सुमन ने पहल करते हुए बिना किसी वॉर्निंग के आगे बढ़कर उसे चूम लिया..
राहुल तो बुत्त सा बनकर खड़ा रह गया..और सुमन उसे पागलो की तरह चूमने में लग गयी...वो ऐसे चूम रही थी मानो उसे वो खजाना मिल गया हो जिसके लिए वो बरसो से इंतजार कर रही थी..साथ ही साथ वो राहुल के लंड को भी मसल रही थी.
राहुल के अंदर एक युद्ध सा चल रहा था की वो इस वक़्त क्या करे...अपनी बीबी को धोखा देने के बारे में उसने सपने मे भी नही सोचा था...और सोचे भी किसलिए,उसकी बीबी इतनी सुंदर जो थी...और उपर से वो उसे सैक्स के पूरे मज़े देती थी...और उन्होने तो लव मेरीज की थी,इसलिए एक दूसरे को धोखा देने की बात तो वो सोच भी नही सकते थे..
लेकिन उसके बॉस की बीबी भी कम सेक्सी नही थी...और ये पहली औरत थी जिसने उसकी बीबी के अलावा उसके शरीर को इस तरह से छुआ था...उसे चूमा था...उसके लंड को इस तरह पकड़ा था..और वो चाह कर भी उसे मना नही कर पा रहा था...
अचानक सुमन नीचे बैठ गयी और उसने राहुल के लंड को अपने मुँह में लेकर चूस डाला...अब तो राहुल की रही सही झिझक भी जाती रही और उसने एक जोरदार सिसकारी मारते हुए सुमन के सिर पर हाथ रखकर अपना पूरा का पूरा लंड उसकी हलक में उतार दिया...
सुमन तो पुरानी खिलाड़ी थी लंड चूसने में .कॉलेज टाइम से ही उसे ये क्रिया सबसे ज़्यादा पसंद थी...ये और बात थी की आजकल सेक्स के मामले में उसकी फ़ेवरेट गांड मरवाने की क्रिया थी..लेकिन इसका ये मतलब नही था की वो लंड चूसने में पीछे रह जाती..
वो किसी सकिंग मशीन की तरह राहुल के लंड को अपने मुँह की मशीन से चूस रही थी...राहुल को तो ऐसा लग रहा था जैसे वो मर ही जाएगा...क्योंकि सिर्फ़ एक मिनट के अंदर ही अंदर सुमन ने उसे झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँचा दिया था...
वो अपनी आँखे बंद किए अपने माल के निकलने का इंतजार कर ही रहा था की उसे किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी...और वो शायद कोई औरत थी,क्योंकि सेंडल की तेज आवाज़ से वुडन फ्लोरिंग पर काफ़ी तेज आवाज़ आ रही थी...राहुल ने फ़ौरन अपना लंड उसके मुंह से बाहर खींच कर वापिस पेंट में डाल लिया...सुमन ने भी मौके की नज़ाकत को समझा और तुरंत अंदर वाले टाय्लेट में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया...
राहुल वाश्बेसन के आगे खड़ा होकर अपने चेहरे को धोने लग गया...और तभी वॉशरूम में सबा दाखिल हो गयी.
राहुल की तो फट कर हाथ में आ गयी...सिर्फ़ एक मिनट की देरी और हो जाती तो उसकी तो बेंड बज जानी थी.
सबा : "अरे....तुम इतनी देर से यहाँ क्या कर रहे हो...मुझे तो तुम्हारी फ़िक्र होने लगी थी....सब ठीक है ना...''
राहुल ने भी थोड़ी सी एक्टिंग करते हुआ बोला : "हाँ ....बस थोड़ी नींद सी आ रही थी...इसलिए फेस वॉश करने चला आया...''
सबा इधर उधर मुँह करके देख रही थी...वो शायद सुमन को ढूंड रही थी...क्योंकि वो भी तो अंदर से गायब थी.
सबा ने दबी आवाज़ मे पूछा : "वो सुमन भाभी अंदर है क्या...''
राहुल ने कंधे उचकाते हुए कहा : "मुझे क्या पता...शायद हो भी...''
इतना कहकर राहुल बाहर निकल आया...सबा भी उसके पीछे-2 बाहर
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बाहर की बाजी शशांक हार चुका था...और जब उसने सबा को राहुल की फ़िक्र में अंदर जाते देखा तो एक पल के लिए तो उसे लगा की कही उसकी बीबी पकड़ी ना जाए...पर ऐसा कुछ नही हुआ..इसलिए उसने चैन की साँस ली.
थोड़ी देर में सुमन भी बाहर आ गयी..
और अब राहुल और सुमन एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे एक दूसरे को खा ही जाएँगे...और ये मौका उन्हे जल्द से जल्द निकालना था.
लेकिंग अभी तो अगली बाजी का टाइम आ चुका था.
राहुल ने अपने हिस्से के पैसे बीच मे रखे और पत्तो का इंतजार करने लगा.
एक शातिर खिलाड़ी की तरह अब उसका दिमाग़ ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने बॉस की बीबी को चोदने के बारे मे लग चुका था...और जहाँ तक वो अपने शातिर दिमाग़ को जानता था, वो जल्द ही कुछ ना कुछ उपाय निकालने वाला था.
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(27-12-2019, 03:30 PM)Suryahot123 Wrote: Nice.... Please update
Very soon
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गुप्ताजी ने पिछली बाजी शशांक से जीती थी...इसलिए उन्होने ही इस बार का वेरीएशन सिलेक्ट किया था.
इस बार का वेरीएशन था मुफ़लिस.
इसके अनुसार जिसके पास सबसे छोटे पत्ते होंगे, वो बाजी जीत जाएगा.
उन्होने पत्ते बाँटे और सबने बूट के 500 रूपए डालने के बाद 2-2 ब्लाइंड चल दी..
सरदारजी की बारी थी...उन्होने तीसरी ब्लाइंड चल दी.
कपूर साहब को भी ना जाने क्या सूझा,उन्होंने भी ब्लाइंड चल दी.
राहुल का नंबर आया तो उसने रिस्क लेना सही नही समझा...उसने पत्ते उठा ही लिए.
और इस बार फिर से अपने पत्ते देखकर उसकी आँखे चमक गयी...उसने तुरंत एक हज़ार का नोट फेंकते हुए चाल चल दी.
अपने पति को इतने उत्साह के साथ चाल चलता देखकर सबा खुश हो गयी...वो तो पिछली जीत के पैसो के मिलने के बाद से ही काफ़ी उत्साहित थी...और जानती थी की राहुल ने चाल चली है,तो उसके पास ज़रूर अच्छे पत्ते आए होंगे.
शशांक ने भी सरदारजी और कपूर की तरह एक और ब्लाइंड चल दी...और वो भी एक हज़ार की...ये जानते हुए भी की राहुल की चाल आ चुकी है.
अब जो भी पत्ते देखकर चाल चलता तो उसे डबल यानी 2 हज़ार की चाल चलनी पड़ेगी.
गुप्ताजी ने पत्ते उठा लिए.
पिछली गेम जीतने के बाद उनके पास करीब 20 हज़ार रूपए आए थे...और इस बार के पत्ते भी खेलने लायक तो थे...उनके पास 3,7 और 10 नंबर आए थे...उन्होने 2 हज़ार की चाल चल दी.
सरदारजी ने अपने पत्ते उठाए...उन्हे चूमा और इस बार अपने पत्ते देखकर उनका चेहरा खिल गया...उन्होने तुरंत चाल को बढ़ाते हुए 3 हज़ार कर दिया...और अपनी मूँछो पर ताव देने लगे...
कपूर साहब की तो किस्मत ही खराब थी....उन्होने अपने पत्ते उठाए..और सबके सामने फेंकते हुए पेक कर दिया...उनके पास इकके के साथ हुक्म का कलर आया था...मुफ़लिस में ऐसे पत्ते आने पर कितना दुखा होता है,ये आज उन्हे समझ आ रहा था.नॉर्मल गेम में अगर ये पत्ते आए होते तो वो सब की खाट खड़ी कर देते.
राहुल ने बड़े ही आराम से 3 हज़ार की चाल चल दी.
शशांक समझ गया की ये गेम लंबी जाने वाली है..उसने पत्ते उठा कर देखे तो उसके पास 2 का पेयर आया था...उसने भी तुरंत पेक कर दिया.
गुप्ताजी तो सोच में पड़ गये...लेकिन उन्होने पिछली गेम जीती थी,इसलिए उन्होने एक और चाल खेलना सही समझा...और काफ़ी देर तक सोचने के बाद उन्होने भी 3 हज़ार की चाल चल दी.
सरदारजी तो अपने पत्तो को चूम-2 कर खुश हुए जा रहे थे....उन्होने इस बार 4 हज़ार की चाल चली.
राहुल ने बिना किसी रिएक्शन के 4 हज़ार चल दिए.
गुप्ताजी समझ गये की उनका अब इस गेम में कोई काम नही है..उन्होने पेक कर दिया.
अब सरदारजी और राहुल बचे थे. सरदारजी ने फिर से 4 हज़ार की चाल चली.
राहुल ने भी उसका जवाब चाल से ही दिया. कमरे में बैठे सभी लोगो का ध्यान इन दोनो पर ही था.
लेकिन सुमन का टेबल के पत्तो से ज़्यादा ध्यान राहुल पर था...और उसे अपनी तरफ ताकते हुए सिर्फ़ राहुल ही देख पा रहा था.दोनों की आँखों में एक दूसरे के लिए बढ़ती चाहत साफ़ देखी जा सकती थी ।
सबा मन ही मन कोई कलमा पढ़कर अपने पति के जीतने की दुआ माँग रह थी..डिंपल सरदारनी का भ कुछ-2 ऐसा ही हाल था...वो भी मन ही मन कुछ बुदबुदा रही थी.
राहुल को इतने आराम से चाल चलते देखकर गुरपाल भी सोच में पड़ गया...ये पत्तो के खेल में कुछ भी हो सकता है...वैसे भी उसके पास सबसे छोटे पत्ते तो आए नही थे...3,4 और 6 नंबर थे उसके पास..
वैसे भी वो अपने लाए हुए 20 हज़ार तो आज की रात उड़ा ही चुका था...उसका मन बोल रहा था की चाल चलता रह..लेकिन दिमाग़ कह रहा था की शो माँग लेना चाहिए..
उसने राहुल से कहा : "देख राहुल भ्रा...पत्ते तो मेरे पास अच्छे है...लेकिन आज मैं और रिस्क लेने की कंडीशन में नही हू...इसलिए तू शो दे दे मुझे...''
उसने गुप्ताजी से 8 हज़ार रुपय लिए और उन्हे बीच में फेंक कर शो माँग लिया.
राहुल ने बड़े ही आराम से अपने पत्ते एक-2 करके दिखाने शुरू किए...
वो बोला : "ये रहा मेरा सबसे बड़ा पत्ता...''
और उसने 6 बीच मे फेंक दिया...
सरदरजी की आँखे चमक उठी ...उन्होने भी अपना 6 का पत्ता बीच मे फेंक दिया.
राहुल ने अगला पत्ता फेंका...वो 4 था..
सरदारजी ने भी बड़ी मुश्किल से अपनी खुशी को कंट्रोल करते हुए 4 बीच में फेंका.
सभी लोग समझ चुके थे की गेम फँसने वाली है....क्या दोनो के पास एक जैसे पत्ते आए है...
अगर हाँ तो उसके अनुसार तो सरदारजी अभी तक जीत रहे थे...उनके पास पान का 6 था...जबकि राहुल ने हुक्म का 6 फेंका था.
लेकिन ऐसा हुआ नही...
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राहुल ने अपना आख़िरी पत्ता नीचे फेंका..वो 2 था.
सरदारजी ने शिट,शिट,शिट कहते हुए अपना आखिरी पत्ता बीच में दे मारा....उनके पास 3 था...वो गेम हार चुके थे...इतने करीबी मामले से हारने का दुख उनके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.
सबा और राहुल खुशी के मारे उछल पड़े...राहुल को भी शायद ये अंदाज़ा नही था की सरदारजी के पत्ते उसकी टक्कर के निकलेंगे..लेकिन आख़िर में मिली जीत के बाद उसका चेहरा देखने लायक था...सबा दूसरी तरफ से भागती हुई सी आई और झुक कर राहुल के गले से लग गयी...ऐसा उसने आज तक नही किया था...शायद थोड़ी बहुत बहक सी गयी थी..
और उसकी इस हरकत ने बाकी के ठर्कियों के लिए रात का इंतज़ाम कर दिया...वो जैसे ही झुकी ,उसके फूले हुए कूल्हे सभी की नज़रों के सामने फेल कर ऐसे दिखे जैसे कमरे में कमल का फूल खिल गया हो.
कपूर ने तो बड़ी मुश्किल से अपने हाथों को उनपर जाने से रोका...
सरदारजी तो इस खिले हुए कमल को देखकर अपनी हार का गम भी भुला चुके थे...
और शशांक की पेनी नज़रों ने ये तक जान लिया की सबा ने गाउन के नीचे डॉट वाली चड्डी पहनी हुई है...
एक पल के लिए तो शशांक को ऐसा लगा की सबा अपनी गांड झुकाये उसके सामने एकदम नंगी बैठी है…जैसे कह रही हो 'देख क्या रहे हो सर,आओ न, चाट लो मेरी चूत को..'
उसने अपने मुंह में आये पानी से अपने अपने सूख रहे होंठों को गीला किया और बुदबुदाया 'जरूर चाटूंगा मेरी जान , एक दिन जरूर चाटूंगा तेरी चूत को '
सबा ने राहुल को गले से लगाया और फिर वहीं बैठकर जीते हुए नोट समेटने में उसकी मदद करने लगी..
अब काफ़ी देर हो चुकी थी...सभी ने अपना-2 आख़िरी पेग लिया और डिनर टेबल पर जा बैठे...आज का खेल ख़त्म हो चुका था.
खाना खाने के बाद सभी एक-2 करके अपने घर चले गये.
आख़िर में राहुल और सबा गये...राहुल ने अपने बॉस को तहे दिल से धन्यवाद दिया..और दीवाली तक ऐसे ही खेलते रहने की बात भी कही.सबा ने भी इसमें पूरा साथ दिया.
जाते -२ एक अजीब सा वाक्या हुआ सबा के साथ..राहुल तो अपने बॉस को बाय बोलकर फ़्लैट से बाहर निकल गया, और बाद में सबा ने भी सुमन को गले से लगाकर बाय बोला और दोनो ने एक दूसरे के गालो पर एक छोटी सी पप्पी भी दी.. जो अक्सर वो लोग किया करते थे, और फिर जैसे ही सबा शशांक को बाय बोलकर बाहर जाने लगी, शशांक ने एकदम से उसे अपनी बाहों में भरकर ठीक अपनी बीबी की तरह उसे बाय बोला और उसके गालो पर एक पप्पी कर दी, ना चाहते हुए भी सबा को भी किस्स करनी पड़ी, ये बहुत जल्दी हुआ, सबा को तो रिएक्ट करने का मौका ही नही मिल सका, और सुमन तो ऐसे बिहेव कर रही थी की जैसे ये बहुत मामूली सी बात है..लेकिन सबा को छोड़ने से पहले शशांक ने उसके भरे हुए कुल्हो को जिस अंदाज में मसला था,उसे महसूस करके सबा के शरीर के सारे रोँये खड़े हो चुके थे, राहुल के अलावा उसके शरीर को इस तरह से किसी और मर्द ने पहली बार छुआ था, लेकिन नशे की खुमारी, जुए में जीते पैसो की खुशी और राहुल के बॉस होने की वजह से वो कुछ ना बोल पाई, और वो बिना कुछ कहे बाहर निकल आई.
अगले दिन की गेम सरदारजी के घर थी...वहां भी ऐसे ही जीतने की उम्मीद लिए राहुल अपने घर आ गया.
लेकिन वो अपनी जीत की खुशी में ये बात भूल चुका था की उसने सुमन और शशांक के द्वारा फेंका गया चारा निगल लिया है...और वो अब उनके अनुसार ही नाचेगा...शशांक ने तो अपनी अगली चाल भी तैयार कर ली थी...जिसमें उसे अपनी बीबी का भरपूर इस्तेमाल करके राहुल को पूरी तरह अपने जाल मे फंसाना था.
और वो काम उन्होने अगली सुबह करना था.
रात को काफ़ी देर बाद नींद आई थी राहुल को...इसलिए सुबह ऑफीस के लिए भी उसकी नींद नही खुल रही थी.
वो अभी नहा धोकर कपड़े पहन ही रहा था की उसके सेल पर शशांक का फोन आया...और उसने राहुल को एक ज़रूरी काम दिया,जिसमे वो शशांक के घर से एक फाइल लेता हुआ दफ़्तर पहुँचेगा...और वो फाइल 11 बजे तक शशांक के घर पहुँचनी थी..
ऑफीस की फाइल का घर पे क्या काम..ये पूछने की हिम्मत राहुल मे नही हुई...उसने बस यस बॉस कहकर उनकी बात सुनी और फाइल लेकर 12 बजे तक ऑफीस पहुँचने की बात बोली.
राहुल ने उसके बाद आराम से कपड़े पहने और बिना किसी जल्दी के नाश्ता भी किया...अभी तो सिर्फ़ 8 ही बजे थे...3 घंटे और थे उसके पास...वो आराम से बैठकर सबा से बात करने लगा , सबा ने बताया की आज वो और डिंपल मार्किट जाएंगे, उन्हें कुछ नए कपडे लेने थे,
डिंपल अब किसी भी कीमत पर सुमन से भी ज्यादा सेक्सी कपडे पहनना चाहती थी ,
कल की गेम के बाद वो एक बात तो समझ ही चुकी थी की ये सिर्फ़ एक गेम नही रह गयी है बल्कि एक दूसरे को अपने जलवे, सेक्सी शरीर और नये-2 कपड़े दिखाने का ज़रिया बन चुका है..कल की बाजी तो सुमन ने मार ली थी..आज वो बाजी मार लेना चाहती थी
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Very nice.... Please update
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(30-12-2019, 08:46 AM)Suryahot123 Wrote: Very nice.... Please update
Soon
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कल की गेम के बाद वो एक बात तो समझ ही चुकी थी की ये सिर्फ़ एक गेम नही रह गयी है बल्कि एक दूसरे को अपने जलवे, सेक्सी शरीर और नये-2 कपड़े दिखाने का ज़रिया बन चुका है..कल की बाजी तो सुमन ने मार ली थी..आज वो बाजी मार लेना चाहती थी.
सबा को उसने इसलिए बोला क्योंकि उसकी सबा से काफ़ी अच्छी तरह से बनती थी...और लेटेस्ट फैशन के बारे में सबा का टेस्ट भी काफ़ी अच्छा था.
दोनो को करीब 1 बजे मार्केट के लिए निकलना था..राहुल ने सबा को भी अपने लिए कुछ शॉपिंग करने के लिए कहा...वैसे भी पैसों की कमी तो थी ही नही अब उसके पास...
करीब 10 बजे राहुल के मोबाइल पर सुमन का फोन आया...उसकी आवाज़ सुनकर एक पल के लिए तो राहुल का दिल धक्क से रह गया...उसे कल रात वाली बात याद आ गयी...लेकिन अब वो अपनी तरफ से कोई भी पहल नही करना चाहता था...उसे लग रहा था की शायद हो सकता है की सुमन कल नशे की हालत में वो सब कर गयी हो...लेकिन सबा को बाय बोलकर , सुमन के फ्लेट की तरफ जाते हुए वो मन ही मन दुआ मांग रहा था कि काश कल रात जो भी हुआ था,वो उसने नशे में नही बल्कि होश में किया हो...
उसे क्या मालूम था की उसकी ये दुआ कितनी बुरी तरह से कबूल होने वाली थी.
अपने बॉस के फ्लॅट के सामने पहुँचकर उसने देखा की दरवाजा तो पहले से ही खुला हुआ है...वो उसे धकेलकर अंदर घुस आया...ड्रॉयिंगरूम में कोई नही था..उसने सुमन को आवाज़ लगाई तो उसे बेडरूम से उसकी आवाज़ सुनाई दी.
''राहुल...मैं यहाँ हूँ ...बेडरूम में ....''
राहुल के तो पसीने छूट गये....उसे समझ नही आया की सुमन भाभी उसे ये बात बता रही है या उसे बेडरूम में आने का न्योता दे रही है..
सीधा बेडरूम....वाहह....वो धीरे-2 उसी तरफ चल दिया...उसके दिमाग़ में सुमन भाभी का नंगा जिस्म नाचने लगा...जो अपने बेड पर नंगी लेटी हुई उसकी तरफ बाहें फेला कर उसे बुला रही है...
लेकिन ऐसा कुछ नही होने वाला था...वो भी जानता था....लेकिन जो भी हुआ ,वो भी कम नहीं था.
उसने देखा की सुमन भाभी अपने नाइट गाउन में है....और बेड के नीचे झुक कर कोई चीज़ ढूंड रही है..
वो जिस अंदाज में झुकी हुई थी,राहुल को उसकी गांड पूरी तरह से फैली हुई दिखाई दे रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोरनी अपने पंख फेला कर बैठी है...इतनी गोल मटोल गांड के पीछे चिपकने का सुख क्या होता है, वो अच्छी तरह से जानता था.
उसके क़दमों की आहट सुनकर वो पलटी और बोली : "देखो ना राहुल ....मैं नहाने जा रही थी तो मेरा समाज नीचे गिर गया....निकल ही नही रहा...प्लीज़ मेरी हैल्प कर दो ना...''
राहुल बेचारा अपने बॉस की बीबी को कैसे मना कर सकता था...वो झट से नीचे झुक गया...झुकते हुए वो भी सोचने लगा की भला ऐसा क्या समान है जो वो नहाते हुए साथ लेकर जा रही थी , लेकिन जब उसकी नज़र उस ''सामान'' पर पड़ी तो उसके तो होश ही उढ़ गये, उसने देखा की बेड के नीचे की तरफ सुमन की ब्लॅक पेंटी पड़ी है...उसके तो लंड में उफान सा आ गया उसे देखकर...वो झिझकते हुए सुमन की तरफ पलटा...और झुकी हुई सुमन के बाहर की तरफ लटकते मुम्मे देखकर कुछ बोल ही नही पाया.
सुमन : "क्या हुआ....निकालो ना जल्दी...मुझे नहाने जाना है...''
राहुल : "जी....जी भाभी.....''
इतना कहकर उसने अपना लंबा हाथ आगे बढ़ाकर उसकी पेंटी को उठा लिया..
लेकिन ये क्या....उसकी पेंटी का बीच वाला हिस्सा गीला सा क्यो था...उसने गोर से देखा तो उसे वहां कुछ चिपचिपा सा दिखाई दिया...वो समझ गया की ये पेंटी सुमन ने अभी -2 उतार कर फेंकी है...शायद राहुल से अपनी पेंटी निकलवाने के लिए ही उसने ऐसा किया है.
राहुल को अपनी पेंटी का ऐसे मुआयना करते देखकर वो बोली : "तुम क्या इसकी जासूसी करने लगे...पहली बार देखी है क्या...सबा भी तो पहनती होगी ये सब....या उसे तुम पहनने का मौका ही नही देते...हा हा...''
बेचारा कुछ बोल ही नही पाया...
वैसे ये बात तो सुमन भी समझ ही चुकी थी की राहुल को ये बात पता चल चुकी है की उसने जान बूझकर अपनी पहनी हुई पेंटी नीचे फेंकी थी...इसलिए वो उसके करीब आई और बोली : "वैसे एक बात बताऊ ...ये मैने अभी 1 मिनट पहले ही उतार कर रखी थी...तुम्हे दिखाने के लिए...''
राहुल बेचारा सकपका सा गया...वो बोला : "मु...मु...मुझे दिखाने के लिए....भला क्यो...''
सुमन बड़े आराम से बोली : "ताकि तुम्हे मेरा साइज़ पता चल जाए...ताकि तुम मेरे लिए ऐसा कोई गिफ्ट लाने की सोचो तो तुम्हे मेरा साइज़ तो पता होना चाहिए ना....इसलिए....''
राहुल बेचारे की समझ में ये बिल्कुल नही आ रहा था की सुमन उसके साथ ऐसे पंगे क्यो ले रही है...
राहुल : "मैं ....मैं लाऊ गिफ्ट ...किस ...किसलिए...''
सुमन (मुस्कुराते हुए) : "क्यो ? नही ला सकते क्या...सबा के लिए भी तो लाए थे ना लास्ट वीक....उसने बताया था कल मुझे....''
राहुल की तो हालत खराब हो गई
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मस्त अपडेट, अब देखना यह है कि पहले राहुल सुमन की लेता है या शशांक सबा की। सस्पेंस बरक़रार है। लेखिका जी कहानी जल्दी आगे बढ़ायें।
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Hae offf meri dimpl sardarni
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