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Romance काला इश्क़!
बहुत बढ़िया अपडेट,अब इसमें अनु के साथ एक  सेक्स सीन भी डाल दो तो मजा आ जायेगा
[+] 1 user Likes vedprakash's post
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Good to see the improvement. Bus in dono ka pyaar dheeme-2 aage badhana... ekdum sex na karwa dena. Baaki to aap jyada acche se likh lenge.
[+] 1 user Likes smartashi84's post
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Namaste,

umid hai ki aap acche ho,

aap ki kahani bahoot hi acchi hai \ aap age bhi ishe likhte rahe \

lakhek se niveden:-
jab hum kisi ke samne hote hai to bolke uski tarif karna bahut hi assan hai, lakin likhne me bahut mehnat karni parti hai \ bola hua hum bhool sakte hai, lakin likhe hua to nahi (waise ek bat batau, ye sab likhte wakt maine keybord me subse jayada "Delete" type kiya hai \ aap apni kahani apne hi tarike se hi likhiya \ agar kisi ko Incest hi padhna hai to site pe 1000+ se bhi jayada story hai, lakin is jaise story bahoot kum hai \ aap please niras na ho or likhte jaye.

Kuch suggestion:-
(1) sidhe hi sex schene me naa jake app kahani me thora sa romance laa sakte hai \ is-se kahani me jaan bani rahigi or comment bhi aate rahenge \
(2) Anu madem ya kahani me koi nayi Girl le aao jo ki Hero ko tease kare \ use pana chahe, lakin hero us-se door bhi hona chahe or door bhi na jaa paye \

ye bat sahi hai ki jub kahani me sex chal raha ho, to kaphi log comment karte hai \ mera ye matlab bilkul bhi nahi hai ki kahani boring hai bina sex ke \ lakin ye bhi goor karne layak baat hai \

unt me yahi ki, niras na ho or aage likhte rahe \

Please Update
[+] 3 users Like Jizzdeepika's post
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अब तो खुश हो जा मानु
अब तो दीपिका जी ने भी तारीफ़ कर दी
☺☺☺☺
[+] 2 users Like Jagdeepverma. iaf's post
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Aaj ka Update??
[+] 1 user Likes harrydresden's post
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update 68

19 को अनु का जन्मदिन था तो मैंने 18 को ही सोच लिया था की मुझे क्या करना है| 18 का पूरा दिन मैं ऑफिस में ही था, शाम होने को आई तो मैंने अनु को अकेले ही भेज दिया क्योंकि मुझे data फाइनल करना था ताकि कल का पूरा दिन मैं और अनु घुमते रहें! मैं रात को ठीक साढ़े ग्यारह बजे पहुंचा और चूँकि मेरे पास डुप्लीकेट चाभी थी तो मैं दबे पाँव अंदर आया| हॉल में मैंने केक रखा और मोमबत्ती लगाई और मैं पहले चेंज करने लगा, जैसे ही बारह बजे मैंने अनु को आवाज दे कर उठाया| पर वो एक आवाज में नहीं उठी, मैंने साइड लैंप जलाया और फिर पूरा हैप्पी बर्थडे वाला गाना गाय; "Happy Birthday to you,
Happy Birthday Dear Anu,
Happy Birthday to You" तब जा कर अनु की आँख खुली और उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे देखा| मैंने उनके सामने घुटनों के बल बैठा था, अनु एक दम से उठी और मेरे गले लग गई| "thank you" कहते-कहते उनकी आवाज रोने वाली हो गई| मैं समझ गया की वो अपने मम्मी-डैडी को miss कर रही हैं| 'अच्छा अब रोना नहीं है, चलो बाहर आओ एक सरप्राइज है!" ये कहते हुए मैं उन्हें बाहर लाया और केक देख कर वो खुश हो गेन| उन्होंने मुझे एक बाद फिर गले लगा लिया| मैंने फ़ौरन मोमबत्ती जलाई और फिर उन्होंने केक काटा| हम दोनों हॉल में ही सोफे पर बैठ गए| "एक आरसे बाद मैं अपना birthday celebrate कर रही हूँ! पर मुझे लगा की तुम इतना busy हो तो शायद भूल गए होगे?"

"इतने साल आप से दूर रहा तब आपको wish करना नहीं भूला तो साथ रह कर भूल जाऊँगा?"

रात में भूख लगी तो मैंने मैगी बनाई और दोनों ने किचन में खड़े-खड़े खाई और फिर सोने चले गए| अगली सुबह मैं जल्दी उठा और coffee बना कर अनु के साइड टेबल पर रखते हुए कहा; "coffee for the birthday girl!" अनु एक दम से उठ बैठी और मेरा हाथ पकड़ कर वहीं बिठा लिया| "तो आज का क्या प्रोग्राम है?" अनु ने पुछा| मैं एक दम से खड़ा हुआ और दोनों  हाथ हवा में उठाते हुए चिल्लाया; "Road Trip!!!!" ये सुनते ही अनु भी excited हो गई! "पर कहाँ?" अनु ने पुछा| "Shivanasamudram Falls!!!!" मैंने कहा और हम दोनों कूदने लगे, मैं जमीन पर अनु पलंग पर! रंजीथा आई तो अनु ने उसे भी केक खिलाया, मैंने आकाश और रवि को भी बुला लिया था| दोनों ने आ कर अनु को विश किया और सबने केक खाया| रवि ने मना किया क्योंकि उसे लगा की इसमें अंडा होगा पर मैंने उसे बताया की इसमें अंडा नहीं है तो उसने भी तुरंत खा लिया| हम दोनों तैयार हो कर बाइक से निकले, पूरे 135 किलो मीटर की ड्राइव थी| पहले 60 किलोमीटर में ही हवा निकल गई इसलिए मैंने बाइक एक रेस्टुरेंट पर रोकी और दोनों ने एक-एक कप स्ट्रांग वाली कॉफ़ी पी और फिर से चल पड़े| कुछ देर बाद रोड खाली आया तो अनु जिद्द करने लगी की उसे ड्राइव करना है| आजतक उन्होंने स्कूटी ही चलाई थी और ऐसे में ये भारी भरकम बाइक वो कैसे संभालती? उन्हें मना करना मुझे ठीक नहीं लगा, इसलिए मैंने उन्हें आगे आने को कहा| "ये बहुत भारी है, आप संभाल नहीं पाओगे, मैं आपके नजदीक आ कर बैठ जाऊँ?" मैंने उनसे पुछा| अब थोड़ा दर तो उन्हें भी लग रहा था क्योंकि बुलेट पर बैठते ही उन्हें उसके वजन का अंदाजा मिल गया था| "प्लीज गिरने मत देना!" इतना कहते हुए उन्होंने मुझे अपने नजदीक बैठने की इजाजत दी| मैंने उन्हें जब बाइक स्टार्ट करने को कहा तो उनसे वो भी नहीं हुई क्योंकि मैंने किक थोड़ी टाइट रखी थी ताकि मैं उसे स्टाइल से स्टार्ट करूँ| अब इसमें self था नहीं जो वो एक बटन दबा कर स्टार्ट कर लेतीं, इसलिए मुझे ही खड़े हो कर बाइक स्टार्ट करनी पड़ी| अब बुलेट की भड़भड़ आवाज सुन कर ही वो डर गईं और क्लच छोड़ ही नहीं रही थीं| "no...no ...no ...मैं नहीं चालाऊँगी!" अनु ने घबराते हुए कहा| अब मुझे लगा की अगर इन्होने डर के एक दम से छोड़ दिया तो दोनों टूट-फुट जाएंगे! इसलिए मैंने दोनों हाथ उनके पेट पर लॉक कर दिए और बड़ी धीमी आवाज में उनके कान में कहा; "क्लच को धीरे-धीरे छोडो जैसे आप स्कूटी चलाते टाइम छोड़ते हो!" मेरे उनके छू भर लेने से अनु की सांसें तेज हो गईं थी पर जब मैंने धीरे से उनके कान में instructions दी तो उन्होंने खुद पर काबू किया और धीरे-धीरे क्लच छोड़ा| शुरुरात में थोड़े झटके लगे और फिर बाइक चल गई पड़ी| अब मुझे भी एहसास हुआ की मुझे उनको ऐसे नहीं छूना चाहिए था, मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ उनके पेट से हटा लिए ताकि वो नार्मल हो जाएँ| अनु का ध्यान अब बाइक पर था और मेरा ध्यान सब तरफ था की कहीं कोई आकर हमें ठोक नहीं दे| कुछ देर बाद आखिर उनका हाथ बैठ ही गया, घंटे भर में ही उनका मन भर गया और उन्होंने फिर मुझे चलाने को कहा| मैंने इस बार कुछ ज्यादा ही तेजी से चलाई जिससे अनु को मुझसे चिपक कर बैठना पड़ा| साढ़े तीन घंटे मकई ड्राइव के बाद हम पहुँचे और वहाँ का नजारा देख कर शरीर में और फूर्ति आ गई| पानी का शोर सुन कर ही उसमें कूद जाने का मन कर रहा था| हमने वहाँ मिल कर खूब मौज-मस्ती की और शाम को निकले| घर आते-आते 10 बज गए, वो तो शुक्र है की रंजीथा जाते-जाते खाना बना गई थी वरना आज भूखे ही सोना पड़ता| खाना खा कर मैं उठा तो अनु बोली; "Thank you आज का दिन इतना स्पेशल और memorable बनाने के लिए!"

"Thank you आपको की आपने पहले वाले मानु को फिर से मरने नहीं दिया!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और हम दोनों सो गए|       

अब आया क्रिसमस और हररोज की तरह जब मैं अनु की बेड टी ले कर आया तो अनु बोली; "रोज-रोज क्यों तकलीफ करते हो?"

"तकलीफ कैसी ये तो मेरा प्यार है!" मैंने हँसते हुए कहा पर अनु के पास इसका जवाब पहले से तैयार था; "थोड़ा और प्यार दिखा कर खाना भी बना दो फिर!"

"अच्छा चलो आज आपको अपने हाथ का खाना भी खिला देता हूँ| उँगलियाँ ना चाट जाओ तो कहना| पर अभी तैयार हो जाओ चर्च जाना है|" मैंने कहा|

"क्यों शादी करनी है?" अनु ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा|

"शादी तो हम रजिस्ट्रार ऑफिस में कर्नेगे पहले चर्च जा कर गॉड का आशीर्वाद तो ले लें|"  ये सुनते ही हम दोनों बहुत जोर से हँसे| अनु और मेरे बीच ऐसा मजाक बहुत होता था, एक तरह से दोनों जानते थे की हमें कैसे दूसरे को हँसाना है| अब ले-दे कर हम दोनों ही अब एक-दूसरे का सहारा थे! खेर हम तैयार हो कर चर्च आये और वहाँ अपने और अपने परिवार के लिए Pray किया| भले ही उनसब ने हम से मुँह मोड़ लिया था पर हम अब भी अपने परिवार को उतना ही चाहते थे! हम दोनों ही भावुक हो कर चर्च से निकले पर जानते थे की एक-दूसरे को कैसे हँसाना है| "तो क्या खिला रहे हो आज?" अनु ने पुछा|

"यार मैं ठहरा देहाती, मुझे तो दाल-रोटी ही बनानी आती है|" मैंने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा|

"प्यार से बनाओगे तो दाल में भी चिकन का स्वाद आजायेगा|" अनु ने पीछे बैठते हुए कहा|

"चलो फिर आज चिकन ही खिलाता हूँ!" मैंने कहा और बाइक सीधा सुपरमार्केट की तरफ ले ली| वहाँ से सारा समान खरीदा और एप्रन पहन कर कीचन में कूद पड़ा, अनु को मैंने दूर ही रखा वरना वो टोक-टोक कर मेरी नाक में दम कर देती| Marination की और सोचा की बटर चिकन बनाऊँ लेकिन फिर मन किया की ग्रिल चिकन बनाते हैं! जब बन गया तो मैंने अनु को चखने को बुलाया, किस्मत से वो टेस्टी बना, पहलीबार के हिसाब से टेस्टी! वो तो शुक्र है की मैंने साथ में दाल बनाई थी जिसमें मेरी महारत हासिल थी तो खाना थोड़ा बैलेंस हो गया, वरना उस दिन अच्छी बिज्जाति हो जानी थी! दिन हँसी ख़ुशी बीत रहे थे और Business भी अब अच्छी रफ्तार पकड़ने लगा था|

         फिर आया 31 दिसंबर और आकाश और रवि दोनों ने अनु से कहा की आज तो पार्टी होनी चाहिए| अनु का कहना था की घर पर ही करते हैं, पर मुझे पता था की लड़कों को चाहिए शराब और शबाब और वो सिर्फ pub में मिलता| मैंने जब अनु से जाने को कहा तो वो मना करने लगी| "प्लीज यार! देखो लड़कों का बड़ा मन है!" पर वो नहीं मानी, मैं जानता था की उनके न जाने का कारन मैं ही हूँ| "अच्छा बाबा I Promise 1 बियर से ज्यादा और कुछ नहीं लूँगा! फिर ये देखो team building के लिए ये अच्छा भी है|" मैंने एक बहन और जोड़ा तो अनु मान गई, पर अब दिक्कत ये आई की stag entry allowed नहीं थी| मेरे साथ तो अनु थी, पर उन लड़कों की पहले से ही गर्लफ्रेंड थी| उन दोनों लड़कियों से हमारा इंट्रोडक्शन हुआ, अब जगह पहले से ही भरी पड़ी थी तो खड़े-खड़े ही हमने पीना शुरू किया| मेरी बियर अभी आधी ही हुई थी की अनु मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले गई और हम दोनों ने नाचना शुरू किया| हमारी देखा-देखि वो चारों भी डांस करने लगे| Loud Music में डांस करते-करते पता ही नहीं चला की 11 बज गए! अनु ने जैसे ही टाइम देखा वो मुझे अपने साथ ले कर निकलने लगी, हमने सबको बाई बोला और हम घर पहुँच गए| पर अनु ने घर पर सेलिब्रेट करने का प्लान बना रखा था इसलिए वो मुझे शुरू से ही कहीं नहीं जाने देना चाहती थी| मैं change कर रहा था और इधर अनु ने पूरा माहौल बनाना शुरू कर दिया था| बालकनी में गद्दियां लगी थी, ब्लूटूथ पर सारे स्लो ट्रैक्स धीमी आवाज में चल रहे थे और वाइन के दो गिलास रखे हुए थे| साइड में रेड वाइन की एक बोतल रखी थी, जब मैं बाहर वापस आया तो मैं अपने दोनों गालों पर हाथ रख कर आँखें फाड़े देखने लगा| "आँखें फाड़ कर क्या देख रहे हो, आओ बैठो|" अनु ने कहा और मैं जा कर बालकनी में फर्श पर बैठ गया| अनु ने गिलास में वाइन डाली और फिर हमने चियर्स किया, इधर अनु ने पीना शुरू कर दिया और मैंने उसे सूँघना शुरू किया| "क्या हुआ? वाइन से बदबू आ रही है?" अनु ने पुछा| मैं उस समय वाइन को गिलास के अंदर गोल-गोल घुमा रहा था; "इसे wine tasting कहते हैं!" मैंने कहा और मुस्कुरा दिया| "सारे शौक अमीरों वाले पाल रखे हैं तुमने?" अनु ने चिढ़ते हुए कहा| "हाँ...क्योंकि मुझे अमीर बनना है, गरीब और कमजोर आदमी की यहाँ कोई औकात नहीं! याद है वो first time मुंबई जाना और वहाँ मेरा मीटिंग के बाहर वेट करना और फिर रितिका का मुझे छोड़ना| आपको पता है जब मैंने पहली बार आपका ऑफिस देखा तो मेरे मन में आया की मुझे इसे दो कमरों से पूरे हॉल पर फैलाना है|" मेरे ख्याल सुन कर अनु के चेहरे पर मुस्कान आ गई| ये कोई आम मुस्कान नहीं थी, बल्कि ये गर्व वाली मुस्कान थी| ठीक बारह बजते ही पटाखों का शोर शुरू हो गया, अनु कड़ी हुई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर लाई| मेरे गले लगते हुए बोली; "Happy New Year!! I wish की ये साल तुम्हारे लिए खुशियां ले कर आये और तुम्हें खूब ऊँचाइयों पर ले जाए|"

"Correction: ये साल 'हमारे' लिए ढेर सारी खिशियाँ लाये और 'हमें' खूब ऊँचाइयों पर ले जाए| दुःख में साथ देते हो और खुशियों में पीछे रहना चाहते हो? अब कुछ भी मेरा नहीं बल्कि हमारा है, यो दोस्ती एक नए मुक़ाम तक जाएगी और सब के लिए मिसाल होगी!" मैंने अनु को कस कर गले लगाते हुए कहा| मेरी बात सुन कर अनु की आँखें भर आईं और उन्होंने भी मुझे कस कर गले लगा लिया|   

                      अगले दिन सुबह-सुबह मुझे संकेत का फ़ोन आया और नए साल की मुबारकबाद के बाद वो मुझे सॉरी बोलने लगा| "तेरी भाभी मिली थी उन्होंने बताया की तू आखिर क्यों गया घर छोड़ कर! तेरी इतनी मेहनत के बाद भी रितिका ने पढ़ाई पूरी नहीं की और प्यार के चक्कर में पड़ कर शादी कर ली|"

"भाई छोड़ वो सब, ये बता वहाँ सब कैसे हैं? शादी ठीक से निपट गई ना?" मैंने पुछा|

"हाँ सब अच्छे से निपट गया पर यार सच में यहाँ तेरे ना होने से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा| मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर तेरे परिवार को तेरी पड़ी ही नहीं! तेरे ताऊ जी तो गाँव में छाती ठोक कर घूम रहे हैं, उन्हें ये नहीं पता की मंत्री ने ये शादी सिर्फ और सिर्फ अपने लड़के की ख़ुशी और अगले महीने होने वाले चुनाव में अपनी image बचाने को की है|" संकेत ने काफी गंभीर होते हुए कहा|

"यार छोड़ ये सब, तुझे एक गिफ्ट भेज रहा हूँ शायद तुझे पसंद आये| जब मिले तो कॉल करिओ|" मैंने ये कहते हुए बात जल्दी से निपटाई जब की मेरा दुःख मैं ही जानता था| अनु को चाय दे कर मैं हॉल में अपना काम ले कर बैठ गया क्योंकि अगर खाली बैठता तो फिर वही सब सोचने लगता| कुछ देर बाद रंजीथा आ गई और उसने नाश्ता बनाया, "अरे आज तो साल का पहला दिन है आज भी काम करोगे?" अनु ने अंगड़ाई लेते हुए कहा|

"साल की शुरुआत काम से हो तो सारा साल काम करते रहेंगे!" इतना कह कर मैं फिर से बिजी हो गया| मुझे अनु को अपने परिवार के बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं लगा इसलिए मैं खुद को लैपटॉप में घुसाए रहा| शाम होते-होते वो समझ गई की कुछ तो गड़बड़ है इसलिए उन्होंने मेरा लैपटॉप एक दम से बंद कर दिया जिससे मुझे बहुत गुस्सा आया; "क्या कर रहे हो?" मैंने चिढ़ते हुए कहा|   

"सुबह से इसमें घुसे हो? थोड़ी देर आराम कर लो!" अनु ने एकदम से जवाब दिया जिससे मेरा गुस्सा फूट ही पड़ा|

"आपको पता भी है की आपके आस-पास क्या हो रहा है? दुनिया चाँद पर जा रही है और आप हो की अब भी वही financial analysis में लगे हो! Social Media पर आपकी presence zero है! अपनी फोटो डालते हो, पर मैंने आपको Company Profile बनाने को कहा वो बनाई आपने? आपको मैंने service charge के बारे में मेल भेजा था उस पर बात की आपने मुझसे? AMIS traders का डाटा रेडी किया आपने? सारा काम आकाश और रवि पर छोड़ देते हो! सिर्फ contracts लाने से काम नहीं चलता, जो हाथ में काम है उसे भी करना पड़ता है!" मैं बोलता रहा और वो सर झुकाये सुनती रही| मैं आखिर बालकनी में आ करआँखें बंद कर के बैठ गया| आधे घण्टे तक मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दी, वरना वो सारा दिन घर में इधर से उधर चहल कदमी करती रहती थीं| मुझे एहसास हुआ की मैंने अपने घरवालों का गुस्सा उन पर उतार दिया तो मैं उठ कर उन्हें मनाने कमरे में पहुँचा तो अनु बेड पर सर झुका कर बैठी थीं|

       "I'm really sorry! मुझे गुस्सा किसिस और बात का था और मैंने वो आप पर उतार दिया! Please forgive me." मैंने घुटने के बल उनके सामने बैठते हुए कहा| पर अनु ने अबतक अपना सर नहीं उठाया था और वो वैसे ही सर झुकाये हुए बोलीं; "मैं बहुत स्लो हूँ, चीजों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती| जर्रूरी बातों को कई बार नजर अंदाज कर देती हूँ, आजतक मैंने सिर्फ और सिर्फ किसी को गंभीरता से लिया है तो वो तुम हो! मुझे बुरा नहीं लगा की तुमने जो कहा पर बुरा लगा तो ये की तुमने मुझे डाँटा!" अनु ने ये बात 'तुमने मुझे डाँटा' बिलकुल बच्चे की तरह तुतलाते हुए कहा और ये देख कर मुझे उन पर प्यार आ गया; "आजा मेरा बच्चा!"" कहते हुए मैंने अपनी बाहें खोली और अनु आ कर मेरे गले लग गई|

"अब ये बताओ की क्या बात है की सुबह से इतना गुस्सा हो!" अनु ने पुछा तो मैंने उन्हें सुबह की बात बता दी पर आधी| ये बात सुन कर उन्हें भी बुरा लगा और मैं इस बारे में ज्यादा ना सोचूं इसलिए उन्होंने मजाक में कहा; "अब सजा के लिए तैयार हो जाओ!" अनु ने कहा और मैंने सरेंडर करते हुए कहा; "जो हुक्म मालिक!"

"आज रात पार्टी करनी है, जबरदस्त वाली वरना सारा साल मुझे ऐसे ही डाँटते रहोगे|" अनु ने कहा इसलिए हम तैयार हो कर 8 बजे निकले| वहाँ पहुँचते ही अनु मस्त हो गई, अब मुझ पर तो पीने की बंदिश थी तो मैं बस एक बियर की बोतल को चुस्की ले-ले कर पीने लगा| देखते ही देखते उन्होंने 2 pints पी ली और मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले आईं| बारह बजे तक उन्होंने दबा कर पी और मैं बिचारा एक बियर और स्टार्टर्स खाता रहा| बारह बजने को आये तो मैंने उन्हें चलने को कहा पर मैडम जी आज फुल मूड में थी| कैब करके उन्हें घर लाया पर अब वो टैक्सी से उतरने से मना करने लगी और सो गईं| "साहब ले जाओ ना, मुझे घर भी जाना है!" ड्राइवर बोला तो मजबूरन मुझे उन्हें गोद में उठा आकर ऊपर लाना पड़ा| ऊपर ला कर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और मैं चेंज करके लेट गया| करीब घंटे भर बाद ही अनु का हाथ मेरी कमर पर था और मुझे उनकी तरफ खींच रहा था| मैं समझ गया की मैडम जी कोई सपना देख रही हैं| अब वहाँ रुकता तो पता नहीं वो नींद में क्या करतीं, इसलिए मैं बाहर हॉल में आ कर लेट गया| सुबह जब मैं बेड टी ले कर गया तो उनका सर बहुत जोर से घूम रहा था| चाय पी कर वो करहाते हुए बोलीं; "हम ....घर कब आये?"

"साढ़े बारह!" मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा और ऐसे जताया जैसे मैं उनसे नाराज हूँ|

"सॉरी" उन्होंने शर्मिंदा होते हुए कहा|

"मेरी इज्जत लूटने के बाद सॉरी कहते हुए?" मैंने ड्रामा जारी रखते हुए गुस्से से कहा|

"क्या?" अनु ने चौंकते हुए कहा|

"हाँ जी! रात में पता नहीं आपको क्या हुआ की आप मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे कपडे नोचने शुरू कर दिए! आपको होश भी है आपने क्या-क्या किया मेरे साथ?" मैंने रोने का नाटक किया| पर अनु समझ गई थी की मैं ड्रामा कर रहा हूँ क्योंकि उन्होंने अभी तक कल रात वाले कपड़े पहने थे|

"सससस....हाय! मानु सच्ची बड़ा मजा आया कल रात! कल रात तुम्हारा ठीक से चीर हरण नहीं हो पाया था, आज मैं जी भर के तुम्हारा चीर हरण करती हूँ!" ये कहते हुए वो खड़ी हुई और मैं भी उठ कर भागा| उनको dodge करते हुए मैं पूरे घर में भाग रहा था और वो भी मेरे पीछे-पीछे कभी सोफे पर चढ़ जाती तो कभी पलंग पर| अचनक ही उन्हें ठोकर लगीं और वो मेरे ऊपर गिरीं और मैं पलंग पर गिरा| एक पल के लिए दोनों एक दूसरे की आँख में देख रहे थे पर फिर हम दोनों को कुछ अजीब सा एहसास हुआ, वो उठ कर बाथरूम में चली गईं और मैं उठ कर बालकनी में आ गाय| मन में अजीब सी तरंगें उठ रही न थी पर मैं उन तरंगों को प्यार का नाम नहीं देना चाहता था इसलिए अपना ध्यान वापस काम में लगा दिया|    

            दिन हँसी-ख़ुशी से बीत रहे थे और हमारा ये हँसी-मजाक चलता रहता था, मेहनत दोनों बड़ी शिद्दत से कर रहे थे और कामयाबी मिल रही थी| जिन कंपनियों के हमें एक क्वार्टर का ही काम दिया था उन्होंने हमें पूरे साल का काम दे दिया था| US वाला प्रोजेक्ट बड़े जोर-शोर से चल रहा था और मैंने अनु को उसकी प्रेजेंटेशन के काम में लगा दिया| मार्च तक हमें एक और employee चाहिए था तो अनु ने मेरी जिम्मेदारी लगा दी की मैं इंटरव्यू लूँ, आज तक जिसने इंटरव्यू दिया हो उसे आज इंटरव्यू लेने का मौका मिल रहा था| Experienced की जगह मैंने Freshie बुलाये, क्योंकि एक तो सैलरी कम देनी पड़ती और दूसरा वो जोश-जोश में परमानेंट जॉब के चक्कर में काम अच्छा करते हैं| नए लड़के को Hire कर लिया गया और उसे काम अच्छे से समझा कर टीम में जोड़ लिया गया| लड़के अनु से शर्म कर के हँसी-मजाक कम किया करते थे पर मेरे साथ उनकी अच्छी बनती थी और मैं जब उन्हें खाली देखता तो उनकी टांग खिचाई कर देता था| किसी पर भी गुस्सा नहीं करता था, मैं अच्छे से जानता था की काम कैसे निकालना है| उनकी ख़ुशी के लिए कभी-कभार खाना बाहर से मंगा देता तो वो खुश हो जाया करते| जून में US का प्रोजेक्ट फाइनल हुआ और अब मौका था celebrate करने का, अब तो मेरी सेहत भी अच्छी हो गई थी तो इस बार जम कर दारु पी मैंने| रात के एक बजे हम दारु के नशे में धुत्त घर पहुँचे, दरवाजा बंद करके हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए| सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने अनु को खुद से चिपका हुआ पाया और धीरे से खुद को छुड़ाने लगा| पर तभी अनु की नींद खुल गई और वो मेरी आँखों में देखने लगी, फिर मेरे गाल को चूम कर वो बाथरूम में घुस गईं| दरअसल उन्होंने मेरा morning wood देख लिया था| यही वो कारन है की मैं रोज उनसे पहले उठ जाता था ताकि वो मेरा morning wood न देख लें| उसे देख कर वो मेरे बारे में गलत ही सोचेंगी|


P.S. Morning Wood का मतलब होता है जब लड़के सुबह सो कर उठते हैं तो उनका लंड टाइट खड़ा होता है उसे ही Morning Wood कहते हैं|


मैं बहुत शर्मा रहा था ये सोच कर की अनु मेरे बारे में क्या सोचती होगी? उन्हें लगता होगा की कैसा ठरकी लड़का है, एक रात साथ चिपक कर क्या सोइ की इसके लंड खड़ा हो गया! मैं यही सोचता हुआ बालकनी में बैठा था, अनु बाथरूम से बाहर निकलीं और चाय बनाने लगी| मैं अब भी शर्म के मारे बाहर बैठा था| "क्या हुआ?" अनु ने मुझे चाय देते हुए पुछा| मैं कुछ नहीं बोला बस सर झुकाये उनसे चाय ले ली| पर वो चुप कहाँ रहने वाली थीं, इसलिए मेरे पीछे पड़ गईं तो मैंने हार कर हकलाते-हकलाते कहा: "व...वो ...सुबह...मैं...वो... hard ...था!" मैं उनसे पूरी बात कहने से डर रहा था| पर वो समझ गईं और हँसने लगी; "तो क्या हुआ?"

"आपको नहीं देखना चाहिए था!.... I mean ... मुझे जल्दी उठना चाहिए था! रोज इसीलिए तो जल्दी उठ जाता हूँ|" मैंने कहा|

"ये पहलीबार तो नहीं देखा!" अनु ने चाय की चुस्की लेते हुए आँखें नीचे करते हुए कहा| पर ये मेरे लिए shock था; "क्या? आपने कब देख लिया?"

"तुम्हें क्या लगता है की मैं रात को उठती नहीं हूँ? Its okay .... ये तो नार्मल बात है!" अनु ने कहा पर मेरे शर्म से गाल लाल थे! "आय-हाय! गाल तो देखो, सेब जैसे लाल हो रहे हैं!" अनु ने मेरी खिंचाई शुरू कर दी और मैं हँस पड़ा|


खेर काम बढ़ता जा रहा था और अब हमें एक कॉन्फ्रेंस रूम चाहिए था जहाँ हम किसी से मिल सकें या फिर अगर कोई टीम मीटिंग करनी हो| उसी बिल्डिंग में सबसे ऊपर का फ्लोर खाली था, तो मैंने अनु से उसके बारे में बात की| वो शुरू-शुरू में डरी हुई थी क्योंकि रेंट डबल था पर चूँकि वहाँ कोई और ऑफिस नहीं था जबतक कोई नहीं आता तो हम पूरा फ्लोर इस्तेमाल कर सकते थे! अनु को Idea पसंद आया और हमने मालिक से बात की, अब उसे दो कमरों के लिए तो कोई भी किरायदार मिल जाता पर पूरा फ्लोर लेने वाले कम लोग थे| सारा ऑफिस सेट हो गया था, आज मुझे मेरा अपना केबिन मिला था...मेरा अपना! ये मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी और इसके लिए मैंने बहुत मेहनत भी की थी| अपनी बॉस चेयर को मैं बस एक टक निहारे जा रहा था, मेरे अंदर बहुत ख़ुशी थी जो आँसू बन कर टपक पड़ी| अनु जो मेरे पीछे कड़ी थी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे ढाँढस बँधाने लगी| "काश मेरे माँ और पिताजी यहाँ होते तो आज उनका कितना गर्व हो रहा होता!" मैंने कहा पर वो सब तो वहाँ रितिका की खुशियों में लीन थे, मुझसे उनका कोई सरोकार नहीं रह गया था| "मानु आज ख़ुशी का दिन है, ऐसे आँसू बहा कर इस दिन को खराब ना करो! I know तुम अपने माँ-पिताजी को miss कर रहे हो पर वो अपनी ख़ुशी में व्यस्त हैं|" अनु ने कहा और तभी बाकी के सारे अंदर आये और मुझे ऐसा देख कर मुझे cheer करने के लिए बोले; "सर आज तो पार्टी होनी चाहिए!"

"अबे यार काम भी कर लिया करो, हर बार पार्टी चाहिए तुम्हें!"  मैंने मुस्कुराते हुए कहा, पर उनकी ख़ुशी के लिए बाहर से खाना मंगा लिया|    


 इधर US से हमें एक और कॉन्ट्रैक्ट मिल गया और वो भी पूरे साल का| काम डबल हो गया था और अब हमें एक और employee की दरकार हुई और साथ में एक peon भी जो चाय वगैरह बनाये| अब तक तो हम चाय बाहर से पिया करते थे| Peon के लिए हमने रंजीथा को ही रख लिया और एक और employee को अनु ने hire किया| अनु के शुरू के दिनों में वो यहाँ एक हॉस्टल में रहतीं थीं और ये लड़की उनकी रूममेट थी| एक लड़की के आने से लड़के भी जोश में आ गए थे और तीनों उसे काम में मदद करने के बहाने से घेरे रहते| "Guys सारे एक साथ समझाओगे तो कैसे समझेगी वो?" मैंने तीनों की टांग खींचते हुए कहा| ये सुन कर सारे हँस पड़े थे, अनु बड़ा ख़ास ध्यान रखती थी की ये तीनों कहीं इसी के चक्कर में पड़ कर काम-धाम न छोड़ दें और वो जब भी किसी को उस लड़की के साथ देखती तो घूर के देखने लगती और लड़के डर के वापस अपने डेस्क पर बैठ जाते| तीनों लड़के मन के साफ़ थे बस छिछोरपना भरा पड़ा था| अनु ने उसे अपने साथ रखना शुरू कर दिया और ये तीनों मेरे पास आये; "सर देखो न mam ने उसे अपना साथ रख लिया है, सारा टाइम वो उनके साथ ही बैठती है, ऐसे में हम उससे FRIENDSHIP कैसे करें?"

"क्या फायदा यार, आखिर में उसने तुम्हें Friendzone कर देना है!" मैंने कहा|

"सर try try but don't cry!" आकाश बोला|

"अच्छा बेटा, करो try फिर! मैंने कुछ कहा तो मेरी क्लास लग जाएगी!" मैंने ये कहते हुए खुद को दूर कर लिया| फिर एक दिन की बात है मैं और अनु अपने-अपने केबिन में बैठे थे की उस लड़की का boyfriend उसे मिलने ऑफिस आया| वो उससे बात कर रही थी और इधर तीनों के दिल एक साथ टूट गए! मैं ये देख कर दहाड़े मार कर हँसने लगा, सब लोग मुझे ही देख रहे थे और मैं बस हँसता जा रहा था| अनु अपने केबिन से मेरे पास आई और पूछने लगी तो मैंने हँसते हुए उन्हें सारी बात बताई| तो वो भी हँस पड़ीं और तीनों लड़के शर्मा ने लगे और एक दूसरे की शक्ल देख कर हँस रहे थे!                         

        "कहा था मैंने इन्हें की friendzoned हो जाओगे पर नहीं इन्हें try करना था!" मैंने हँसी काबू करते हुए कहा|

"क्या सर एक तो यहाँ कट गया और आप हमारी ही ले रहे हो!" आकाश बोला|

"बेटा भगवान् ने दी है ना एक गर्लफ्रेंड उसी के साथ खुश रहो, अब जा कर पंडित जी के साथ बैठ कर GST की return फाइनल कर के लाओ|" मैंने उसे प्यार से आर्डर देते हुए कहा और वो भी मुस्कुराते हुए चला गया| अनु भी बहुत खुश थी क्योंकि उन्होंने मेरी सब के साथ understanding देख ली थी|


खेर दिन बीते और फिर एक दिन हम दोनों शाम को बैठे चाय पी रहे थे;

मैं: यार थोड़ा बोर हो गया हूँ, सोच रहा हूँ की एक ब्रेक ले लेते हैं!

अनु: सच कहा तो बताओ कहाँ चलें? कोई नई जगह चलते हैं!

मैं: मेरा मन Trekking करने को कर है|

अनु: Wow!!!

मैं: खीरगंगा का ट्रेक छोटा है, वहाँ चलें?

अनु: वो कहा है?

मैं: हिमाचल प्रदेश में है| हालाँकि ये बारिश का सीजन पर मजा बहुत आएगा|

अनु: ठीक है done!

मैं: पर पहले बता रहा हूँ की trekking आसान नहीं होती, वहाँ जा कर आधे रस्ते से वापस नहीं आ सकते| चाहे जो हो ट्रेक पूरा करना होगा!

अनु: तुम साथ हो ना तो क्या दिक्कत है?!

मैं: ठीक है तो तुम टिकट्स बुक करो और मैं Gear खरीदता हूँ|     

अनु: Gear?

मैं: और क्या? Ruck Sack चाहिए, raincoat चाहिए, ट्रैकिंग के लिए shoes चाहिए वरना वहाँ फिसलने का खतरा है|

अनु ने टिकट्स book की और जानबूझ कर ऐसे दिन पर करि ताकि वो मेरा बर्थडे वहीं मना सके, इधर मैंने भी अपनी तैयारी पूरी की|
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19 को अनु का जन्मदिन था तो मैंने 18 को ही सोच लिया था की मुझे क्या करना है| 18 का पूरा दिन मैं ऑफिस में ही था, शाम होने को आई तो मैंने अनु को अकेले ही भेज दिया क्योंकि मुझे data फाइनल करना था ताकि कल का पूरा दिन मैं और अनु घुमते रहें! मैं रात को ठीक साढ़े ग्यारह बजे पहुंचा और चूँकि मेरे पास डुप्लीकेट चाभी थी तो मैं दबे पाँव अंदर आया| हॉल में मैंने केक रखा और मोमबत्ती लगाई और मैं पहले चेंज करने लगा, जैसे ही बारह बजे मैंने अनु को आवाज दे कर उठाया| पर वो एक आवाज में नहीं उठी, मैंने साइड लैंप जलाया और फिर पूरा हैप्पी बर्थडे वाला गाना गाय; "Happy Birthday to you,
Happy Birthday Dear Anu,
Happy Birthday to You" तब जा कर अनु की आँख खुली और उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे देखा| मैंने उनके सामने घुटनों के बल बैठा था, अनु एक दम से उठी और मेरे गले लग गई| "thank you" कहते-कहते उनकी आवाज रोने वाली हो गई| मैं समझ गया की वो अपने मम्मी-डैडी को miss कर रही हैं| 'अच्छा अब रोना नहीं है, चलो बाहर आओ एक सरप्राइज है!" ये कहते हुए मैं उन्हें बाहर लाया और केक देख कर वो खुश हो गेन| उन्होंने मुझे एक बाद फिर गले लगा लिया| मैंने फ़ौरन मोमबत्ती जलाई और फिर उन्होंने केक काटा| हम दोनों हॉल में ही सोफे पर बैठ गए| "एक आरसे बाद मैं अपना birthday celebrate कर रही हूँ! पर मुझे लगा की तुम इतना busy हो तो शायद भूल गए होगे?"

"इतने साल आप से दूर रहा तब आपको wish करना नहीं भूला तो साथ रह कर भूल जाऊँगा?"

रात में भूख लगी तो मैंने मैगी बनाई और दोनों ने किचन में खड़े-खड़े खाई और फिर सोने चले गए| अगली सुबह मैं जल्दी उठा और coffee बना कर अनु के साइड टेबल पर रखते हुए कहा; "coffee for the birthday girl!" अनु एक दम से उठ बैठी और मेरा हाथ पकड़ कर वहीं बिठा लिया| "तो आज का क्या प्रोग्राम है?" अनु ने पुछा| मैं एक दम से खड़ा हुआ और दोनों  हाथ हवा में उठाते हुए चिल्लाया; "Road Trip!!!!" ये सुनते ही अनु भी excited हो गई! "पर कहाँ?" अनु ने पुछा| "Shivanasamudram Falls!!!!" मैंने कहा और हम दोनों कूदने लगे, मैं जमीन पर अनु पलंग पर! रंजीथा आई तो अनु ने उसे भी केक खिलाया, मैंने आकाश और रवि को भी बुला लिया था| दोनों ने आ कर अनु को विश किया और सबने केक खाया| रवि ने मना किया क्योंकि उसे लगा की इसमें अंडा होगा पर मैंने उसे बताया की इसमें अंडा नहीं है तो उसने भी तुरंत खा लिया| हम दोनों तैयार हो कर बाइक से निकले, पूरे 135 किलो मीटर की ड्राइव थी| पहले 60 किलोमीटर में ही हवा निकल गई इसलिए मैंने बाइक एक रेस्टुरेंट पर रोकी और दोनों ने एक-एक कप स्ट्रांग वाली कॉफ़ी पी और फिर से चल पड़े| कुछ देर बाद रोड खाली आया तो अनु जिद्द करने लगी की उसे ड्राइव करना है| आजतक उन्होंने स्कूटी ही चलाई थी और ऐसे में ये भारी भरकम बाइक वो कैसे संभालती? उन्हें मना करना मुझे ठीक नहीं लगा, इसलिए मैंने उन्हें आगे आने को कहा| "ये बहुत भारी है, आप संभाल नहीं पाओगे, मैं आपके नजदीक आ कर बैठ जाऊँ?" मैंने उनसे पुछा| अब थोड़ा दर तो उन्हें भी लग रहा था क्योंकि बुलेट पर बैठते ही उन्हें उसके वजन का अंदाजा मिल गया था| "प्लीज गिरने मत देना!" इतना कहते हुए उन्होंने मुझे अपने नजदीक बैठने की इजाजत दी| मैंने उन्हें जब बाइक स्टार्ट करने को कहा तो उनसे वो भी नहीं हुई क्योंकि मैंने किक थोड़ी टाइट रखी थी ताकि मैं उसे स्टाइल से स्टार्ट करूँ| अब इसमें self था नहीं जो वो एक बटन दबा कर स्टार्ट कर लेतीं, इसलिए मुझे ही खड़े हो कर बाइक स्टार्ट करनी पड़ी| अब बुलेट की भड़भड़ आवाज सुन कर ही वो डर गईं और क्लच छोड़ ही नहीं रही थीं| "no...no ...no ...मैं नहीं चालाऊँगी!" अनु ने घबराते हुए कहा| अब मुझे लगा की अगर इन्होने डर के एक दम से छोड़ दिया तो दोनों टूट-फुट जाएंगे! इसलिए मैंने दोनों हाथ उनके पेट पर लॉक कर दिए और बड़ी धीमी आवाज में उनके कान में कहा; "क्लच को धीरे-धीरे छोडो जैसे आप स्कूटी चलाते टाइम छोड़ते हो!" मेरे उनके छू भर लेने से अनु की सांसें तेज हो गईं थी पर जब मैंने धीरे से उनके कान में instructions दी तो उन्होंने खुद पर काबू किया और धीरे-धीरे क्लच छोड़ा| शुरुरात में थोड़े झटके लगे और फिर बाइक चल गई पड़ी| अब मुझे भी एहसास हुआ की मुझे उनको ऐसे नहीं छूना चाहिए था, मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ उनके पेट से हटा लिए ताकि वो नार्मल हो जाएँ| अनु का ध्यान अब बाइक पर था और मेरा ध्यान सब तरफ था की कहीं कोई आकर हमें ठोक नहीं दे| कुछ देर बाद आखिर उनका हाथ बैठ ही गया, घंटे भर में ही उनका मन भर गया और उन्होंने फिर मुझे चलाने को कहा| मैंने इस बार कुछ ज्यादा ही तेजी से चलाई जिससे अनु को मुझसे चिपक कर बैठना पड़ा| साढ़े तीन घंटे मकई ड्राइव के बाद हम पहुँचे और वहाँ का नजारा देख कर शरीर में और फूर्ति आ गई| पानी का शोर सुन कर ही उसमें कूद जाने का मन कर रहा था| हमने वहाँ मिल कर खूब मौज-मस्ती की और शाम को निकले| घर आते-आते 10 बज गए, वो तो शुक्र है की रंजीथा जाते-जाते खाना बना गई थी वरना आज भूखे ही सोना पड़ता| खाना खा कर मैं उठा तो अनु बोली; "Thank you आज का दिन इतना स्पेशल और memorable बनाने के लिए!"

"Thank you आपको की आपने पहले वाले मानु को फिर से मरने नहीं दिया!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और हम दोनों सो गए|       

अब आया क्रिसमस और हररोज की तरह जब मैं अनु की बेड टी ले कर आया तो अनु बोली; "रोज-रोज क्यों तकलीफ करते हो?"

"तकलीफ कैसी ये तो मेरा प्यार है!" मैंने हँसते हुए कहा पर अनु के पास इसका जवाब पहले से तैयार था; "थोड़ा और प्यार दिखा कर खाना भी बना दो फिर!"

"अच्छा चलो आज आपको अपने हाथ का खाना भी खिला देता हूँ| उँगलियाँ ना चाट जाओ तो कहना| पर अभी तैयार हो जाओ चर्च जाना है|" मैंने कहा|

"क्यों शादी करनी है?" अनु ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा|

"शादी तो हम रजिस्ट्रार ऑफिस में कर्नेगे पहले चर्च जा कर गॉड का आशीर्वाद तो ले लें|"  ये सुनते ही हम दोनों बहुत जोर से हँसे| अनु और मेरे बीच ऐसा मजाक बहुत होता था, एक तरह से दोनों जानते थे की हमें कैसे दूसरे को हँसाना है| अब ले-दे कर हम दोनों ही अब एक-दूसरे का सहारा थे! खेर हम तैयार हो कर चर्च आये और वहाँ अपने और अपने परिवार के लिए Pray किया| भले ही उनसब ने हम से मुँह मोड़ लिया था पर हम अब भी अपने परिवार को उतना ही चाहते थे! हम दोनों ही भावुक हो कर चर्च से निकले पर जानते थे की एक-दूसरे को कैसे हँसाना है| "तो क्या खिला रहे हो आज?" अनु ने पुछा|

"यार मैं ठहरा देहाती, मुझे तो दाल-रोटी ही बनानी आती है|" मैंने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा|

"प्यार से बनाओगे तो दाल में भी चिकन का स्वाद आजायेगा|" अनु ने पीछे बैठते हुए कहा|

"चलो फिर आज चिकन ही खिलाता हूँ!" मैंने कहा और बाइक सीधा सुपरमार्केट की तरफ ले ली| वहाँ से सारा समान खरीदा और एप्रन पहन कर कीचन में कूद पड़ा, अनु को मैंने दूर ही रखा वरना वो टोक-टोक कर मेरी नाक में दम कर देती| Marination की और सोचा की बटर चिकन बनाऊँ लेकिन फिर मन किया की ग्रिल चिकन बनाते हैं! जब बन गया तो मैंने अनु को चखने को बुलाया, किस्मत से वो टेस्टी बना, पहलीबार के हिसाब से टेस्टी! वो तो शुक्र है की मैंने साथ में दाल बनाई थी जिसमें मेरी महारत हासिल थी तो खाना थोड़ा बैलेंस हो गया, वरना उस दिन अच्छी बिज्जाति हो जानी थी! दिन हँसी ख़ुशी बीत रहे थे और Business भी अब अच्छी रफ्तार पकड़ने लगा था|

         फिर आया 31 दिसंबर और आकाश और रवि दोनों ने अनु से कहा की आज तो पार्टी होनी चाहिए| अनु का कहना था की घर पर ही करते हैं, पर मुझे पता था की लड़कों को चाहिए शराब और शबाब और वो सिर्फ pub में मिलता| मैंने जब अनु से जाने को कहा तो वो मना करने लगी| "प्लीज यार! देखो लड़कों का बड़ा मन है!" पर वो नहीं मानी, मैं जानता था की उनके न जाने का कारन मैं ही हूँ| "अच्छा बाबा I Promise 1 बियर से ज्यादा और कुछ नहीं लूँगा! फिर ये देखो team building के लिए ये अच्छा भी है|" मैंने एक बहन और जोड़ा तो अनु मान गई, पर अब दिक्कत ये आई की stag entry allowed नहीं थी| मेरे साथ तो अनु थी, पर उन लड़कों की पहले से ही गर्लफ्रेंड थी| उन दोनों लड़कियों से हमारा इंट्रोडक्शन हुआ, अब जगह पहले से ही भरी पड़ी थी तो खड़े-खड़े ही हमने पीना शुरू किया| मेरी बियर अभी आधी ही हुई थी की अनु मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले गई और हम दोनों ने नाचना शुरू किया| हमारी देखा-देखि वो चारों भी डांस करने लगे| Loud Music में डांस करते-करते पता ही नहीं चला की 11 बज गए! अनु ने जैसे ही टाइम देखा वो मुझे अपने साथ ले कर निकलने लगी, हमने सबको बाई बोला और हम घर पहुँच गए| पर अनु ने घर पर सेलिब्रेट करने का प्लान बना रखा था इसलिए वो मुझे शुरू से ही कहीं नहीं जाने देना चाहती थी| मैं change कर रहा था और इधर अनु ने पूरा माहौल बनाना शुरू कर दिया था| बालकनी में गद्दियां लगी थी, ब्लूटूथ पर सारे स्लो ट्रैक्स धीमी आवाज में चल रहे थे और वाइन के दो गिलास रखे हुए थे| साइड में रेड वाइन की एक बोतल रखी थी, जब मैं बाहर वापस आया तो मैं अपने दोनों गालों पर हाथ रख कर आँखें फाड़े देखने लगा| "आँखें फाड़ कर क्या देख रहे हो, आओ बैठो|" अनु ने कहा और मैं जा कर बालकनी में फर्श पर बैठ गया| अनु ने गिलास में वाइन डाली और फिर हमने चियर्स किया, इधर अनु ने पीना शुरू कर दिया और मैंने उसे सूँघना शुरू किया| "क्या हुआ? वाइन से बदबू आ रही है?" अनु ने पुछा| मैं उस समय वाइन को गिलास के अंदर गोल-गोल घुमा रहा था; "इसे wine tasting कहते हैं!" मैंने कहा और मुस्कुरा दिया| "सारे शौक अमीरों वाले पाल रखे हैं तुमने?" अनु ने चिढ़ते हुए कहा| "हाँ...क्योंकि मुझे अमीर बनना है, गरीब और कमजोर आदमी की यहाँ कोई औकात नहीं! याद है वो first time मुंबई जाना और वहाँ मेरा मीटिंग के बाहर वेट करना और फिर रितिका का मुझे छोड़ना| आपको पता है जब मैंने पहली बार आपका ऑफिस देखा तो मेरे मन में आया की मुझे इसे दो कमरों से पूरे हॉल पर फैलाना है|" मेरे ख्याल सुन कर अनु के चेहरे पर मुस्कान आ गई| ये कोई आम मुस्कान नहीं थी, बल्कि ये गर्व वाली मुस्कान थी| ठीक बारह बजते ही पटाखों का शोर शुरू हो गया, अनु कड़ी हुई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर लाई| मेरे गले लगते हुए बोली; "Happy New Year!! I wish की ये साल तुम्हारे लिए खुशियां ले कर आये और तुम्हें खूब ऊँचाइयों पर ले जाए|"

"Correction: ये साल 'हमारे' लिए ढेर सारी खिशियाँ लाये और 'हमें' खूब ऊँचाइयों पर ले जाए| दुःख में साथ देते हो और खुशियों में पीछे रहना चाहते हो? अब कुछ भी मेरा नहीं बल्कि हमारा है, यो दोस्ती एक नए मुक़ाम तक जाएगी और सब के लिए मिसाल होगी!" मैंने अनु को कस कर गले लगाते हुए कहा| मेरी बात सुन कर अनु की आँखें भर आईं और उन्होंने भी मुझे कस कर गले लगा लिया|   

                      अगले दिन सुबह-सुबह मुझे संकेत का फ़ोन आया और नए साल की मुबारकबाद के बाद वो मुझे सॉरी बोलने लगा| "तेरी भाभी मिली थी उन्होंने बताया की तू आखिर क्यों गया घर छोड़ कर! तेरी इतनी मेहनत के बाद भी रितिका ने पढ़ाई पूरी नहीं की और प्यार के चक्कर में पड़ कर शादी कर ली|"

"भाई छोड़ वो सब, ये बता वहाँ सब कैसे हैं? शादी ठीक से निपट गई ना?" मैंने पुछा|

"हाँ सब अच्छे से निपट गया पर यार सच में यहाँ तेरे ना होने से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा| मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर तेरे परिवार को तेरी पड़ी ही नहीं! तेरे ताऊ जी तो गाँव में छाती ठोक कर घूम रहे हैं, उन्हें ये नहीं पता की मंत्री ने ये शादी सिर्फ और सिर्फ अपने लड़के की ख़ुशी और अगले महीने होने वाले चुनाव में अपनी image बचाने को की है|" संकेत ने काफी गंभीर होते हुए कहा|

"यार छोड़ ये सब, तुझे एक गिफ्ट भेज रहा हूँ शायद तुझे पसंद आये| जब मिले तो कॉल करिओ|" मैंने ये कहते हुए बात जल्दी से निपटाई जब की मेरा दुःख मैं ही जानता था| अनु को चाय दे कर मैं हॉल में अपना काम ले कर बैठ गया क्योंकि अगर खाली बैठता तो फिर वही सब सोचने लगता| कुछ देर बाद रंजीथा आ गई और उसने नाश्ता बनाया, "अरे आज तो साल का पहला दिन है आज भी काम करोगे?" अनु ने अंगड़ाई लेते हुए कहा|

"साल की शुरुआत काम से हो तो सारा साल काम करते रहेंगे!" इतना कह कर मैं फिर से बिजी हो गया| मुझे अनु को अपने परिवार के बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं लगा इसलिए मैं खुद को लैपटॉप में घुसाए रहा| शाम होते-होते वो समझ गई की कुछ तो गड़बड़ है इसलिए उन्होंने मेरा लैपटॉप एक दम से बंद कर दिया जिससे मुझे बहुत गुस्सा आया; "क्या कर रहे हो?" मैंने चिढ़ते हुए कहा|   

"सुबह से इसमें घुसे हो? थोड़ी देर आराम कर लो!" अनु ने एकदम से जवाब दिया जिससे मेरा गुस्सा फूट ही पड़ा|

"आपको पता भी है की आपके आस-पास क्या हो रहा है? दुनिया चाँद पर जा रही है और आप हो की अब भी वही financial analysis में लगे हो! Social Media पर आपकी presence zero है! अपनी फोटो डालते हो, पर मैंने आपको Company Profile बनाने को कहा वो बनाई आपने? आपको मैंने service charge के बारे में मेल भेजा था उस पर बात की आपने मुझसे? AMIS traders का डाटा रेडी किया आपने? सारा काम आकाश और रवि पर छोड़ देते हो! सिर्फ contracts लाने से काम नहीं चलता, जो हाथ में काम है उसे भी करना पड़ता है!" मैं बोलता रहा और वो सर झुकाये सुनती रही| मैं आखिर बालकनी में आ करआँखें बंद कर के बैठ गया| आधे घण्टे तक मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दी, वरना वो सारा दिन घर में इधर से उधर चहल कदमी करती रहती थीं| मुझे एहसास हुआ की मैंने अपने घरवालों का गुस्सा उन पर उतार दिया तो मैं उठ कर उन्हें मनाने कमरे में पहुँचा तो अनु बेड पर सर झुका कर बैठी थीं|

       "I'm really sorry! मुझे गुस्सा किसिस और बात का था और मैंने वो आप पर उतार दिया! Please forgive me." मैंने घुटने के बल उनके सामने बैठते हुए कहा| पर अनु ने अबतक अपना सर नहीं उठाया था और वो वैसे ही सर झुकाये हुए बोलीं; "मैं बहुत स्लो हूँ, चीजों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती| जर्रूरी बातों को कई बार नजर अंदाज कर देती हूँ, आजतक मैंने सिर्फ और सिर्फ किसी को गंभीरता से लिया है तो वो तुम हो! मुझे बुरा नहीं लगा की तुमने जो कहा पर बुरा लगा तो ये की तुमने मुझे डाँटा!" अनु ने ये बात 'तुमने मुझे डाँटा' बिलकुल बच्चे की तरह तुतलाते हुए कहा और ये देख कर मुझे उन पर प्यार आ गया; "आजा मेरा बच्चा!"" कहते हुए मैंने अपनी बाहें खोली और अनु आ कर मेरे गले लग गई|

"अब ये बताओ की क्या बात है की सुबह से इतना गुस्सा हो!" अनु ने पुछा तो मैंने उन्हें सुबह की बात बता दी पर आधी| ये बात सुन कर उन्हें भी बुरा लगा और मैं इस बारे में ज्यादा ना सोचूं इसलिए उन्होंने मजाक में कहा; "अब सजा के लिए तैयार हो जाओ!" अनु ने कहा और मैंने सरेंडर करते हुए कहा; "जो हुक्म मालिक!"

"आज रात पार्टी करनी है, जबरदस्त वाली वरना सारा साल मुझे ऐसे ही डाँटते रहोगे|" अनु ने कहा इसलिए हम तैयार हो कर 8 बजे निकले| वहाँ पहुँचते ही अनु मस्त हो गई, अब मुझ पर तो पीने की बंदिश थी तो मैं बस एक बियर की बोतल को चुस्की ले-ले कर पीने लगा| देखते ही देखते उन्होंने 2 pints पी ली और मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले आईं| बारह बजे तक उन्होंने दबा कर पी और मैं बिचारा एक बियर और स्टार्टर्स खाता रहा| बारह बजने को आये तो मैंने उन्हें चलने को कहा पर मैडम जी आज फुल मूड में थी| कैब करके उन्हें घर लाया पर अब वो टैक्सी से उतरने से मना करने लगी और सो गईं| "साहब ले जाओ ना, मुझे घर भी जाना है!" ड्राइवर बोला तो मजबूरन मुझे उन्हें गोद में उठा आकर ऊपर लाना पड़ा| ऊपर ला कर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और मैं चेंज करके लेट गया| करीब घंटे भर बाद ही अनु का हाथ मेरी कमर पर था और मुझे उनकी तरफ खींच रहा था| मैं समझ गया की मैडम जी कोई सपना देख रही हैं| अब वहाँ रुकता तो पता नहीं वो नींद में क्या करतीं, इसलिए मैं बाहर हॉल में आ कर लेट गया| सुबह जब मैं बेड टी ले कर गया तो उनका सर बहुत जोर से घूम रहा था| चाय पी कर वो करहाते हुए बोलीं; "हम ....घर कब आये?"

"साढ़े बारह!" मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा और ऐसे जताया जैसे मैं उनसे नाराज हूँ|

"सॉरी" उन्होंने शर्मिंदा होते हुए कहा|

"मेरी इज्जत लूटने के बाद सॉरी कहते हुए?" मैंने ड्रामा जारी रखते हुए गुस्से से कहा|

"क्या?" अनु ने चौंकते हुए कहा|

"हाँ जी! रात में पता नहीं आपको क्या हुआ की आप मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे कपडे नोचने शुरू कर दिए! आपको होश भी है आपने क्या-क्या किया मेरे साथ?" मैंने रोने का नाटक किया| पर अनु समझ गई थी की मैं ड्रामा कर रहा हूँ क्योंकि उन्होंने अभी तक कल रात वाले कपड़े पहने थे|

"सससस....हाय! मानु सच्ची बड़ा मजा आया कल रात! कल रात तुम्हारा ठीक से चीर हरण नहीं हो पाया था, आज मैं जी भर के तुम्हारा चीर हरण करती हूँ!" ये कहते हुए वो खड़ी हुई और मैं भी उठ कर भागा| उनको dodge करते हुए मैं पूरे घर में भाग रहा था और वो भी मेरे पीछे-पीछे कभी सोफे पर चढ़ जाती तो कभी पलंग पर| अचनक ही उन्हें ठोकर लगीं और वो मेरे ऊपर गिरीं और मैं पलंग पर गिरा| एक पल के लिए दोनों एक दूसरे की आँख में देख रहे थे पर फिर हम दोनों को कुछ अजीब सा एहसास हुआ, वो उठ कर बाथरूम में चली गईं और मैं उठ कर बालकनी में आ गाय| मन में अजीब सी तरंगें उठ रही न थी पर मैं उन तरंगों को प्यार का नाम नहीं देना चाहता था इसलिए अपना ध्यान वापस काम में लगा दिया|    

            दिन हँसी-ख़ुशी से बीत रहे थे और हमारा ये हँसी-मजाक चलता रहता था, मेहनत दोनों बड़ी शिद्दत से कर रहे थे और कामयाबी मिल रही थी| जिन कंपनियों के हमें एक क्वार्टर का ही काम दिया था उन्होंने हमें पूरे साल का काम दे दिया था| US वाला प्रोजेक्ट बड़े जोर-शोर से चल रहा था और मैंने अनु को उसकी प्रेजेंटेशन के काम में लगा दिया| मार्च तक हमें एक और employee चाहिए था तो अनु ने मेरी जिम्मेदारी लगा दी की मैं इंटरव्यू लूँ, आज तक जिसने इंटरव्यू दिया हो उसे आज इंटरव्यू लेने का मौका मिल रहा था| Experienced की जगह मैंने Freshie बुलाये, क्योंकि एक तो सैलरी कम देनी पड़ती और दूसरा वो जोश-जोश में परमानेंट जॉब के चक्कर में काम अच्छा करते हैं| नए लड़के को Hire कर लिया गया और उसे काम अच्छे से समझा कर टीम में जोड़ लिया गया| लड़के अनु से शर्म कर के हँसी-मजाक कम किया करते थे पर मेरे साथ उनकी अच्छी बनती थी और मैं जब उन्हें खाली देखता तो उनकी टांग खिचाई कर देता था| किसी पर भी गुस्सा नहीं करता था, मैं अच्छे से जानता था की काम कैसे निकालना है| उनकी ख़ुशी के लिए कभी-कभार खाना बाहर से मंगा देता तो वो खुश हो जाया करते| जून में US का प्रोजेक्ट फाइनल हुआ और अब मौका था celebrate करने का, अब तो मेरी सेहत भी अच्छी हो गई थी तो इस बार जम कर दारु पी मैंने| रात के एक बजे हम दारु के नशे में धुत्त घर पहुँचे, दरवाजा बंद करके हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए| सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने अनु को खुद से चिपका हुआ पाया और धीरे से खुद को छुड़ाने लगा| पर तभी अनु की नींद खुल गई और वो मेरी आँखों में देखने लगी, फिर मेरे गाल को चूम कर वो बाथरूम में घुस गईं| दरअसल उन्होंने मेरा morning wood देख लिया था| यही वो कारन है की मैं रोज उनसे पहले उठ जाता था ताकि वो मेरा morning wood न देख लें| उसे देख कर वो मेरे बारे में गलत ही सोचेंगी|


P.S. Morning Wood का मतलब होता है जब लड़के सुबह सो कर उठते हैं तो उनका लंड टाइट खड़ा होता है उसे ही Morning Wood कहते हैं|


मैं बहुत शर्मा रहा था ये सोच कर की अनु मेरे बारे में क्या सोचती होगी? उन्हें लगता होगा की कैसा ठरकी लड़का है, एक रात साथ चिपक कर क्या सोइ की इसके लंड खड़ा हो गया! मैं यही सोचता हुआ बालकनी में बैठा था, अनु बाथरूम से बाहर निकलीं और चाय बनाने लगी| मैं अब भी शर्म के मारे बाहर बैठा था| "क्या हुआ?" अनु ने मुझे चाय देते हुए पुछा| मैं कुछ नहीं बोला बस सर झुकाये उनसे चाय ले ली| पर वो चुप कहाँ रहने वाली थीं, इसलिए मेरे पीछे पड़ गईं तो मैंने हार कर हकलाते-हकलाते कहा: "व...वो ...सुबह...मैं...वो... hard ...था!" मैं उनसे पूरी बात कहने से डर रहा था| पर वो समझ गईं और हँसने लगी; "तो क्या हुआ?"

"आपको नहीं देखना चाहिए था!.... I mean ... मुझे जल्दी उठना चाहिए था! रोज इसीलिए तो जल्दी उठ जाता हूँ|" मैंने कहा|

"ये पहलीबार तो नहीं देखा!" अनु ने चाय की चुस्की लेते हुए आँखें नीचे करते हुए कहा| पर ये मेरे लिए shock था; "क्या? आपने कब देख लिया?"

"तुम्हें क्या लगता है की मैं रात को उठती नहीं हूँ? Its okay .... ये तो नार्मल बात है!" अनु ने कहा पर मेरे शर्म से गाल लाल थे! "आय-हाय! गाल तो देखो, सेब जैसे लाल हो रहे हैं!" अनु ने मेरी खिंचाई शुरू कर दी और मैं हँस पड़ा|


खेर काम बढ़ता जा रहा था और अब हमें एक कॉन्फ्रेंस रूम चाहिए था जहाँ हम किसी से मिल सकें या फिर अगर कोई टीम मीटिंग करनी हो| उसी बिल्डिंग में सबसे ऊपर का फ्लोर खाली था, तो मैंने अनु से उसके बारे में बात की| वो शुरू-शुरू में डरी हुई थी क्योंकि रेंट डबल था पर चूँकि वहाँ कोई और ऑफिस नहीं था जबतक कोई नहीं आता तो हम पूरा फ्लोर इस्तेमाल कर सकते थे! अनु को Idea पसंद आया और हमने मालिक से बात की, अब उसे दो कमरों के लिए तो कोई भी किरायदार मिल जाता पर पूरा फ्लोर लेने वाले कम लोग थे| सारा ऑफिस सेट हो गया था, आज मुझे मेरा अपना केबिन मिला था...मेरा अपना! ये मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी और इसके लिए मैंने बहुत मेहनत भी की थी| अपनी बॉस चेयर को मैं बस एक टक निहारे जा रहा था, मेरे अंदर बहुत ख़ुशी थी जो आँसू बन कर टपक पड़ी| अनु जो मेरे पीछे कड़ी थी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे ढाँढस बँधाने लगी| "काश मेरे माँ और पिताजी यहाँ होते तो आज उनका कितना गर्व हो रहा होता!" मैंने कहा पर वो सब तो वहाँ रितिका की खुशियों में लीन थे, मुझसे उनका कोई सरोकार नहीं रह गया था| "मानु आज ख़ुशी का दिन है, ऐसे आँसू बहा कर इस दिन को खराब ना करो! I know तुम अपने माँ-पिताजी को miss कर रहे हो पर वो अपनी ख़ुशी में व्यस्त हैं|" अनु ने कहा और तभी बाकी के सारे अंदर आये और मुझे ऐसा देख कर मुझे cheer करने के लिए बोले; "सर आज तो पार्टी होनी चाहिए!"

"अबे यार काम भी कर लिया करो, हर बार पार्टी चाहिए तुम्हें!"  मैंने मुस्कुराते हुए कहा, पर उनकी ख़ुशी के लिए बाहर से खाना मंगा लिया|    


 इधर US से हमें एक और कॉन्ट्रैक्ट मिल गया और वो भी पूरे साल का| काम डबल हो गया था और अब हमें एक और employee की दरकार हुई और साथ में एक peon भी जो चाय वगैरह बनाये| अब तक तो हम चाय बाहर से पिया करते थे| Peon के लिए हमने रंजीथा को ही रख लिया और एक और employee को अनु ने hire किया| अनु के शुरू के दिनों में वो यहाँ एक हॉस्टल में रहतीं थीं और ये लड़की उनकी रूममेट थी| एक लड़की के आने से लड़के भी जोश में आ गए थे और तीनों उसे काम में मदद करने के बहाने से घेरे रहते| "Guys सारे एक साथ समझाओगे तो कैसे समझेगी वो?" मैंने तीनों की टांग खींचते हुए कहा| ये सुन कर सारे हँस पड़े थे, अनु बड़ा ख़ास ध्यान रखती थी की ये तीनों कहीं इसी के चक्कर में पड़ कर काम-धाम न छोड़ दें और वो जब भी किसी को उस लड़की के साथ देखती तो घूर के देखने लगती और लड़के डर के वापस अपने डेस्क पर बैठ जाते| तीनों लड़के मन के साफ़ थे बस छिछोरपना भरा पड़ा था| अनु ने उसे अपने साथ रखना शुरू कर दिया और ये तीनों मेरे पास आये; "सर देखो न mam ने उसे अपना साथ रख लिया है, सारा टाइम वो उनके साथ ही बैठती है, ऐसे में हम उससे FRIENDSHIP कैसे करें?"

"क्या फायदा यार, आखिर में उसने तुम्हें Friendzone कर देना है!" मैंने कहा|

"सर try try but don't cry!" आकाश बोला|

"अच्छा बेटा, करो try फिर! मैंने कुछ कहा तो मेरी क्लास लग जाएगी!" मैंने ये कहते हुए खुद को दूर कर लिया| फिर एक दिन की बात है मैं और अनु अपने-अपने केबिन में बैठे थे की उस लड़की का boyfriend उसे मिलने ऑफिस आया| वो उससे बात कर रही थी और इधर तीनों के दिल एक साथ टूट गए! मैं ये देख कर दहाड़े मार कर हँसने लगा, सब लोग मुझे ही देख रहे थे और मैं बस हँसता जा रहा था| अनु अपने केबिन से मेरे पास आई और पूछने लगी तो मैंने हँसते हुए उन्हें सारी बात बताई| तो वो भी हँस पड़ीं और तीनों लड़के शर्मा ने लगे और एक दूसरे की शक्ल देख कर हँस रहे थे!                         

        "कहा था मैंने इन्हें की friendzoned हो जाओगे पर नहीं इन्हें try करना था!" मैंने हँसी काबू करते हुए कहा|

"क्या सर एक तो यहाँ कट गया और आप हमारी ही ले रहे हो!" आकाश बोला|

"बेटा भगवान् ने दी है ना एक गर्लफ्रेंड उसी के साथ खुश रहो, अब जा कर पंडित जी के साथ बैठ कर GST की return फाइनल कर के लाओ|" मैंने उसे प्यार से आर्डर देते हुए कहा और वो भी मुस्कुराते हुए चला गया| अनु भी बहुत खुश थी क्योंकि उन्होंने मेरी सब के साथ understanding देख ली थी|


खेर दिन बीते और फिर एक दिन हम दोनों शाम को बैठे चाय पी रहे थे;

मैं: यार थोड़ा बोर हो गया हूँ, सोच रहा हूँ की एक ब्रेक ले लेते हैं!

अनु: सच कहा तो बताओ कहाँ चलें? कोई नई जगह चलते हैं!

मैं: मेरा मन Trekking करने को कर है|

अनु: Wow!!!

मैं: खीरगंगा का ट्रेक छोटा है, वहाँ चलें?

अनु: वो कहा है?

मैं: हिमाचल प्रदेश में है| हालाँकि ये बारिश का सीजन पर मजा बहुत आएगा|

अनु: ठीक है done!

मैं: पर पहले बता रहा हूँ की trekking आसान नहीं होती, वहाँ जा कर आधे रस्ते से वापस नहीं आ सकते| चाहे जो हो ट्रेक पूरा करना होगा!

अनु: तुम साथ हो ना तो क्या दिक्कत है?!

मैं: ठीक है तो तुम टिकट्स बुक करो और मैं Gear खरीदता हूँ|     

अनु: Gear?

मैं: और क्या? Ruck Sack चाहिए, raincoat चाहिए, ट्रैकिंग के लिए shoes चाहिए वरना वहाँ फिसलने का खतरा है|

अनु ने टिकट्स book की और जानबूझ कर ऐसे दिन पर करि ताकि वो मेरा बर्थडे वहीं मना सके, इधर मैंने भी अपनी तैयारी पूरी की|
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 30 अगस्त को हम निकले और दिल्ली पहुँचे, वहाँ दो दिन का stay था| दिल्ली में जो पहली चीज मुझे देखनी थी वो था India Gate, वहाँ पहुँच कर गर्व से सीना चौड़ा हो गया, अब चूँकि मुझ पर कोई खाने-पीने की बंदिश नहीं थी तो मैं अनु को निकल पड़ा| दिल्ली आने से पहले मैंने 'पेट भर' के research की थी जिसके फल स्वरुप यहाँ पर क्या-क्या मिलता है वो सब मैंने लिस्ट में डाल लिया था| सबसे पहले हमने पहाड़गंज में सीता राम दीवान चाँद के छोले भठूरे खाये| हमने एक ही प्लेट ली थी क्योंकि आज हमें पेट-फटने तक खाना था| वहाँ से हम Delhi Metro ले कर चावड़ी बजार गए और वहाँ हमने सबसे पहले नटराज के दही भल्ले खाये, फिर जुंग बहादुर की कचौड़ी, फिर जलेबी वाला की जलेबी और लास्ट में कुरेमल की कुल्फी! पेट अब पूरा गले तक भर गया था और अब बस सोना था| अगले दिन भी हम खूब घूमें और शाम 6 बजे चेकआउट किया, उसके बाद हम सीधा कश्मीरी गेट बस स्टैंड आये और वहाँ से हमें Volvo मिली जिसने हमें अगली सुबह भुंतर उतारा| हमारी किस्मत अच्छी थी की बारिशें बंद हो चुकीं थीं इसलिए हमें कोई तकलीफ नहीं हुई| भुंतर से टैक्सी ले कर हम कसोल पहुँचे और वहाँ समान रख कर फ्रेश हुए और सीधा मणिकरण गुरुद्वारे गए वहाँ, गर्म पानी में मुंह-हाथ धोये और लंगर का प्रसाद खाया| वापस कर हम सो गए क्योंकि अगली सुबह हमें जल्दी निकलना था| सुबह हमने एक rucksack लिया जिसमें कुछ समान था!
 
एक बस ने हमें वहाँ उतारा जहाँ से ट्रैकिंग शुरू होनी थी और रास्ता देखते ही दोनों की हवा टाइट हो गई, बिलकुल कच्चा रास्ता जो एक छोटे से गाँव से होता हुआ जाता था और फिर पहाड़ की चढ़ाई! पर वहाँ का नजारा इतना अद्भुत था की हम रोमांच से भर उठे और ट्रैकिंग शुरू की| रास्ता सिर्फ दिखने में ही डरावना था पर वहाँ सहूलतें इतनी थी की कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन सिर्फ आधे रास्ते तकरुद्रनाग पहुँच कर हमने वहाँ मंदिर में दर्शन किये और आगे बढे, उसके आगे की चढ़ाई बिलकुल खड़ी थी रिस्की थी! ये देख कर अनु ने ना में गर्दन हिला दी| "मैं नहीं जाऊँगी आगे!" अनु बोली|
 
"यार आधा रास्ता पहुचंह गए हैं और अब हार मान लोगे तो कैसे चलेगा?" ये कहते हुए मैंने उनका हाथ पकड़ा और आगे ले कर चल पड़ा| मैं आगे-आगे था और उन्हें बता रहा था की कहाँ-कहाँ पैर रखना है| आगे हमें के संकरा रास्ता मिला जहाँ सिर्फ एक पाँव रखने की जगह थी और वहाँ थोड़ा कीचड भी था| मैं आगे था और rucksack उठाये हुए था और अनु मेरे पीछे थी| उन्होंने कीचड़ में जूते गंदे ना हो जाएँ ये सोच कर पाँव ऊँचा-नीच रखा जिससे उनका बैलेंस बिगड़ गया और वो खाईं की तरफ गिरने लगीं, मैंने तुरंत फुर्ती दिखाई और उनका हाथ पकड़ लिया वरना वो नीचे खाईं की तरफ गिर जातीं| उन्हें खींच कर ऊपर लाया और वो एक दम से मेरे सीने से लग गईं और रोने लगी| इन कुछ पलों में उन्होंने जैसे मौत देख ली थी, मैंने उनके पीठ को काफी रगड़ा ताकि वो चुप हो जाएँ| आधे घंटे तक हम वहीं खड़े रहे और लोग हमें देखते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे| मैं चुपचाप था और कोशिश कर रहा था की वो चुप हो जाएँ ताकि हम वापिस जा सकें! उन्होंने रोना बंद किया और मैंने उन्हें पीने को पानी दिया, फिर खाने के लिए एक चॉकलेट दी और जब वो नार्मल हो गईं तो कहा; "चलो वापस चलते हैं!" पर वो जानती थी की मेरा मन ऊपर जाने का है इसलिए उन्होंने हिम्मत करते हुए कहा; "मैंने कहा था ना की मुझे संभालने के लिए तुम हो! तो फिर वापस क्यों जाएंगे? गिरते हैं शहसवार ही मैदान--जंग में। वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले|" अनु ने बड़े गर्व से कहा| मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें उठाया और गले लगाया, उनके माथे को चूमते हुए कहा; "I'm proud of you!" हम आगे चल पड़े और बड़ी सावधानी से आगे बढे, टाइम थोड़ा ज्यादा लगा पर हम ऊपर पहुँच ही गए| सबसे पहले हमने एक टेंट बुक किया और अपना समान रख कर photo click करने लगे| आज दो तरीक थी और अनु को रात बारह बजे का बेसब्री से इंतजार था| हम दोनों कुर्सी लगा कर अपने ही टेंट के बाहर बैठे थे| अब वहाँ कोई नेटवर्क नहीं था तो हम बस बातों में लगे थे और वहाँ का नजारा देख कर प्रफुल्लित थे|
 
शाम को खाने के लिए वहाँ Maggie और चाय थी तो हमने बड़े चाव से वो खाई| रात के खाने में हमने दो थालियाँ ली और टेंट के बाहर ही बैठ कर खाई| बारह बजे तक अनु ने मुझे सोने नहीं दिया और मेरे साथ बैठ के बातें करती रही, अपने जीवन के किस्से सुनाती रही और मैं भी उन्हें अपने कॉलेज लाइफ के बारे में बताने लगा| इसी बीच मैंने उन्हें वो भांग वाले काण्ड के बारे में भी बताया| जैसे ही बारह बजे अनु ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा किया और मेरे गले लग कर बोलीं; "Happy Birthday my dear! God bless you!" इतना कहते हुए उनकी आवाज भारी हो गई, माने उन्हें कस कर गले लगा लिया ताकि वो रो ना पड़ें| कुछ देर में वो नार्मल हो गईं और हम सोने के लिए अंदर गए| सुबह जल्दी ही आँख खुल गई, फ्रेश होने के बाद उन्होंने मुझे कहा की ऊपर मंदिर चलते हैं| मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का स्त्रोत्र था जिसमें सारे लोग नहा रहे थे, हमने हाथ-मुंह धोया और भगवान के दर्शन करने लगे| दर्शन के बाद अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहाँ एक पत्थर पर बैठने को कहा| "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!" अनु ने बहुत गंभीर होते हुए कहा| एक पल के लिए मैं भी सोच में पड़ गया की उन्हें आखिर बात क्या करनी है?
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(18-12-2019, 08:27 PM)Jizzdeepika Wrote: Namaste,

umid hai ki aap acche ho,

aap ki kahani bahoot hi acchi hai \ aap age bhi ishe likhte rahe \

lakhek se niveden:-
jab hum kisi ke samne hote hai to bolke uski tarif karna bahut hi assan hai, lakin likhne me bahut mehnat karni parti hai \ bola hua hum bhool sakte hai, lakin likhe hua to nahi (waise ek bat batau, ye sab likhte wakt maine keybord me subse jayada "Delete" type kiya hai \ aap apni kahani apne hi tarike se hi likhiya \ agar kisi ko Incest hi padhna hai to site pe 1000+ se bhi jayada story hai, lakin is jaise story bahoot kum hai \ aap please niras na ho or likhte jaye.

Kuch suggestion:-
(1) sidhe hi sex schene me naa jake app kahani me thora sa romance laa sakte hai \ is-se kahani me jaan bani rahigi or comment bhi aate rahenge \
(2) Anu madem ya kahani me koi nayi Girl le aao jo ki Hero ko tease kare \ use pana chahe, lakin hero us-se door bhi hona chahe or door bhi na jaa paye \

ye bat sahi hai ki jub kahani me sex chal raha ho, to kaphi log comment karte hai \ mera ye matlab bilkul bhi nahi hai ki kahani boring hai bina sex ke \ lakin ye bhi goor karne layak baat hai \

unt me yahi ki, niras na ho or aage likhte rahe \

Please Update

महोदया जी,

आपकी बात सही है की लोगों को कमेंट लिखने बड़ा 'कष्ट' होता है पर वो लोग कम से कम LIKE नामक बटन को क्लिक तो कर ही सकते है ना? की उतना भी नहीं होता उनसे? थोड़ी और मेहनत कर के Rate पर क्लिक कर दें तो सोने पे सुहागा! अगर इतना भी नहीं होता तो लेखक का मन कहाँ से करेगा आगे से लिखने को? 

रही बात आप के सुझाव के लिए, तो आपका बहुत-बहुत धन्यवाद| 
१. मेरे द्वारा लिखे किसी भी सेक्स सीन से पहले मैंने एक बिल्डप दिया है, और सेक्स से पहले जो रोमांस होता है उसे भी समय-समय पर दर्शाया है| मुझे सेक्स सीन लिखने में महारत हासिल नहीं है पर फिर भी मैंने पूरी कोशिश की है|   
२. कहानी में अब कोई भी नई लड़की की एंट्री नहीं करा सकता जो मानु के साथ आगे रिलेशनशिप बढाए क्योंकि कहानी अब अंत के नजदीक है| अगर अच्छा प्रोत्साहन मिला होता तो मैं इसे और अच्छे से खींच सकता था और लोगों को मजा भी आता इसे पढ़ने में| पर अच्छा response ना मिल पाने के कारन इसे जल्द ही खत्म कर दूँगा|

एक बार फिर से आपके detail कमेंट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! 
अपडेट की चिंता ना करें वो रेगुलर आता रहेगा, जब तक कहानी खत्म नहीं हो जाती| 

पर ये मेरी आखरी कहानी होगी!
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अपडेट तो अच्छे आ रहे हैं लेकिन एक बात समझ नही आती
Liv in में रह रहे हो
दोनों एक ही bed पर सोते हो
फिर भी अभी तक चुदाई नही हुई
ये कैसा logic है ?
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(19-12-2019, 07:54 PM)Jagdeepverma. iaf Wrote: अपडेट तो अच्छे आ रहे हैं लेकिन एक बात समझ नही आती
Liv in में रह रहे हो
दोनों एक ही bed पर सोते हो
फिर भी अभी तक चुदाई नही हुई
ये कैसा logic है ?

कहानी में logic ढूंढ रहे हो मियाँ? 

अभी तक मानु का करैक्टर समझे नहीं? चाहता तो वो अनु के साथ मुंबई में भी सेक्स कर लेता, नशे में तो थी ही वो| फिर रितिका की माँ वो तो सामने से आई थी सेक्स करने पर फिर भी उसने मना कर दिया| हार लड़का सेक्स का भूखा नहीं होता, कुछ प्यार के भूखे भी होते हैं!
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हेल्लो,

ये आपका अपडेट बहुत ही बढ़िया था कि कैसे दोनों एक दूसरे के पास आ रहे है। यही कहानी की असली जान है, लगता है कि काफी मेहनत करते हो। सेक्स लिखने में उतनी ज्यादा मेहनत नहीं लगती। क्युकी उसे पढ़ने वालों को पता होता है कि क्या हो रहा है। लेकिन ये सब लिखने में ये भी ध्यान रखना होता है कि कहानी कहीं निबंध ना बन जाए।


रही बात कहनी को लंबी या छोटी करने की तो ये आप की मर्जी है। आप का हुक्म सर आंखो पर। आप जितना लिखना चाहे आपका सवागत है।

आपने बिल्कुल ठीक लिखा कि आप पहले दोनों को एक साथ लाना चाहते हो। लोगो को बाकी कहानियों से आदत हो गई है कि लड़का और लड़की एक दो बार आपस में बाते करे और सीधा बिस्तर पे। सबर से लड़की पटना कोई नहीं चाहता लेकिन उसके साथ सेक्स करना सभी चाहते है।
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yourock
Ye maza aa gya bahut hi umda likh rahe ho bhai aap.
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यार देखो इस site पर कहानी पढ़ने कोई क्यू आता है ?
केवल और केवल मसाला पढ़ने लोग इस site पर आते हैं। लोगों को धमाकेदार सेक्स चाहिए इसलिए तो वो यहाँ पर आते हैं । तभी लोगों को satisfaction मिलता है। किसी भी कहानी में देख लो
हर भाभी हमेशा गदराई मस्त माल ही मिलेगी और उनके पति हमेशा शीघ्रपतन और नामर्दी के शिकार ही मिलेंगे।
तो जब site ही मसाला स्टोरीज की है तो यहां के readers तो भाई चुदाई ही ढूंढेंगे न। यहां किसी भी किरदार के character से कोई मतलब नही है। रीडर्स को केवल sex से मतलब है। और यही वजह है कि लोग story को like या rate नही कर रहे। बहुत ही कम लोग हैं जो writer की भावनाओं को समझ पाते हैं। यहां majority को मसाला ही चाहिए।
komaalrani की स्टोरीज देख लो। comments की लाइन लगी रहती है।
emotional stories तो और भी जगहों पर मिल जाएँगी।

Writer साहब ने बहुत मेहनत से कहानी लिखी है लेकिन मैं केवल सच्चाई बताना चाहता हूँ किसी का दिल नही दुखना चाहता। जो सच्चाई है उसको तो आपको मानना ही पड़ेगा। और xossipy की यही सच्चाई है।

और हाँ

ये सही है सब्र से लड़की पटाना कोई नही चाहता क्योंकि आज कल किसी के पास time नहीं है । सभी sex चाहते हैं। क्योंकि हमारे जीवन में प्यार की अहमियत ख़त्म हो चुकी है आज हम सब sex के भूखे हैं प्यार के भूखे नहीं है। 24 घण्टे mobile में घुसे रहते है। सोशल मीडिया पर तरह तरह के videos देख देख के दिमाग में इतना कूडा घुस चूका है की हमे पता ही नही चलता कोण सही है और कोण गलत है। 24 घण्टे मोबाइल के साथ रहते रहते जीवन में इतना नकलीपन घुस गया है कि हमारे अंदर से इंसानियत खत्म होती जा रही है।
हम इंसान को इंसान नही मान रहे। और इसीलिए हमारे अंदर emotions खत्म होते जा रहे हैं। इसी वजह से हम दूसरों के emotion की कदर नही करते केवल अपने बारे में सोचते हैं। हम जितना मशीनों के साथ संपर्क में रहेंगे उतना ही इंसानियत को खोते चले जायेंगे
जितना natural रहेंगे उतना ही उतना ही इस जीवन को खुशनुमा बना पाएंगे।
लेकिन ये सब कहना जितना आसान है जीवन में उतारना उतना ही मुश्किल है।
हाँ एक बात है असम्भव नही है। अगर आपने ठान लिया तो फिर कुछ मुश्किल नही है।
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Sir aap jaise likh rahe hain waise hi likhe.
Kewal sex hi feel karna hota to porn bhi dekhi ja sakti hai..... Kahani bahut achhi chal rahi hai ise aise hi chalne de. Bas Ritika ko kahani me rakhiyega, kahani ki shuruwat usi se huwi hai, climax bhi usi se related ho to aur achha lagega.....
Waise Ye kewal mera point of view hai baki aapki kahani aapne hi poori karni hai to tarika bhi aapka hi hona chahiye.

And sir don't worry ki log likes nhi kar rahe h. Sir aapne itni mehnat ki h na ispe aur hum to padh hi rahe hain like bhi kar rahe h. Rating ke bare me pata nhi tha lekin ab se wo bhi kar doonga.
Sach bata raha hoon sir TUNE MERE JANA KABHI NHI JANA aur KHAMOSHIYAAN story ke baad ye kahani bhi mera dil me bas ja rahi hai. Bs ise jari rakhe.
Aur agar ho sake to aage bhi kahaniyaan jaroor likhe is site par nhi to jispe aap likhoge uska address dete jana.
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अब तक आपने पढ़ा: 

सुबह जल्दी ही आँख खुल गई, फ्रेश होने के बाद उन्होंने मुझे कहा की ऊपर मंदिर चलते हैं| मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का स्त्रोत्र था जिसमें सारे लोग नहा रहे थे, हमने हाथ-मुंह धोया और भगवान के दर्शन करने लगे| दर्शन के बाद अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहाँ एक पत्थर पर बैठने को कहा| "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!" अनु ने बहुत गंभीर होते हुए कहा| एक पल के लिए मैं भी सोच में पड़ गया की उन्हें आखिर बात क्या करनी है?

update 69

"मानु मैं तुमसे प्यार करती हूँ....सच्चा प्यार!" अनु ने गंभीर होते हुए कहा|

"आप ये क्या कह रहे हो?" मैंने चौंक कर खड़े होते हुए कहा|

"जब हम कुमार के ऑफिस में प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तभी मुझे तुमसे प्यार हो गया था! पर मैं उस समय कुमार की पत्नी थी, इसलिए कुछ नहीं बोली! बड़ी हिम्मत लगी और फिर तुम्हारे सहारे के कारन मैं आजाद हुई| फिर घरवालों ने मुझे अकेला छोड़ दिया ओर ऐसे में मैं तुम्हारे लिए बोझ नहीं बनना चाहती थी| इसलिए तुम से दूर बैंगलोर आ गई और सोचा की जिंदगी दुबारा शुरू करूँगी पर तुम्हारी यादें साथ नहीं छोड़ती थीं| बहुत कोशिश की तुम्हें भुलाने की और भूल भी गई, इसलिए मैंने अपना नंबर बदल लिया था क्योंकि मेरा मन जानता था की तुम मुझे कभी नहीं अपनाओगे| देखा जाए वो सही भी था क्योंकि उस टाइम तुम रितिका के थे, अगर मैं तुमसे अपने प्यार का इजहार भी करती तो तुम मना कर देते और तब मैं टूट जाती| बड़े मुश्किल से डरते हुए मैं दुबारा लखनऊ आई, क्योंकि जानती थी की तुम्हारे सामने मैं खुद को संभाल नहीं पाऊँगी पर एक बार और अपने मम्मी-डैडी से रिश्ते सुधारने की बात थी, लेकिन उन्होंने तो मुझसे बात तक नहीं की और घर से बाहर निकाल दिया|  फिर उस रात जब मैंने तुम्हें उस बस स्टैंड पर देखा तो मैं बता नहीं सकती मुझ पर क्या बीती| दूर से देख कर ही मन कह रहा था की ये तुम नहीं हो सकते, तुम्हारी ऐसी हालत नहीं हो सकती! वो रात मैंने रोते-रोते गुजारी ....फिर ये तुम्हारी बिमारी और वो सब.... मैंने बहुत सम्भलने की कोशिश की पर ये दिल अब नहीं सम्भलता!" अनु ने रोते-रोते कहा|

"आप मेरे बारे में सब नहीं जानते, अगर जानते तो प्यार नहीं नफरत करते!" मैंने उनका कन्धा पकड़ कर उन्हें झिंझोड़ते हुए कहा|

"क्या नहीं पता मुझे?" अनु ने अपना रोना रोकते हुए पुछा?

"मेरे और रितिका के रिश्ते के बारे में|" मैंने उनके कन्धों को छोड़ दिया|

"तुम उससे प्यार करते थे और उसने तुमसे धोखा किया, बस!" अनु ने कहा|

"बात इतनी आसान नहीं है!..... हम दोनों असल जिंदगी में चाचा-भतीजी थे!" इतना कहते हुए मैंने उन्हें सारी कहानी सुना दी, उसकं ुझे धोखा देने से ले कर उसकी शादी तक सब बात!

"तो इसमें तुम्हारी क्या गलती थी? आई वो थी तुम्हारे पास, तुम तो अपने रिश्ते की मर्यादा जानते थे ना? तभी तो उसे मना कर रहे थे, और रिश्ते क्या होते हैं? इंसान उन्हें बनाता है ना? हमारा ये दोस्ती का रिश्ता भी हमने बनाया ना? अगर तुमने उससे अपने प्यार का इजहार किया होता तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता! फर्क पड़ता है तो सिर्फ इस बात से की अभी तुम क्या चाहते हो? क्या तुम उससे अब भी प्यार करते हो? क्या तुम्हारे दिल में उसके लिए अब भी प्यार है?" अनु ने मुझे झिंझोड़ते हुए पुछा|  में अनु की बातों में खो गया था, क्योंकि जिस सरलता से वो इस सब को ले रहे थीं वो मेरे गले नहीं उतर रही थी! पर उनका मुझे झिंझोड़ना जारी था और वो जवाब की उम्मीद कर रहीं थीं|

"नहीं....मैं उससे सिर्फ नफरत करता हूँ! उसकी वजह से मुझे मेरे ही परिवार से अलग होना पड़ा!" मैंने कहा|

"तो फिर क्या प्रॉब्लम है? इतने दिनों में एक छत के नीचे रहते हुए तुम्हें कभी नहीं लगा की तुम्हारे दिल में मेरे लिए थोड़ा सा भी प्यार है?" अनु ने पुछा|

"हुआ था...कई बार हुआ पर...मुझ में अब दुबारा टूटने की ताक़त नहीं है|" मैंने अनु की आँखों में देखते हुए कहा| ये मेरा सवाल था की क्या होगा अगर उन्होंने भी मेरे साथ वही किया जो रितिका ने किया|

"मैं तुम्हें कभी टूटने नहीं दूँगी! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!" अनु ने पूरे आत्मविश्वास से कहा| उस पल मेरा दिमाग सुन्न हो चूका था, बस एक दिल था जो प्यार चाहता था और उसे अनु का प्यार सच्चा लग रहा था| पर खुद को फिर से टूटते हुए देखने का डर भी था जो मुझे रोक रहा था|

"मैं तुम्हारा डर समझ सकती हूँ, पर हाथ की सभी उँगलियाँ एक सी नहीं होतीं| अगर एक लड़की ने तुम्हें धोखा दिया तो जर्रूरी तो नहीं की मैं भी तुम्हें धोका दूँ? उसके लिए तुम बाहर जाने का रास्ता थे, पर मेरे लिए तुम मेरी पूरी जिंदगी हो!" मेरा दिल अनु की बातें सुन कर उसकी ओर बहने लगा था, पर जुबान खामोश थी!

"हाँ अगर तुम्हें मेरी उम्र से कोई प्रॉब्लम है तो बात अलग है!" अनु ने माहौल को हल्का करते हुए कहा| पर मुझे उनकी उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता था, बस दिल टूटने का डर था!

"I love you!!!" मैंने एकदम से उनकी आँखों में देखते हुए कहा|

"I love you too!!!!" अनु ने एकदम से जवाब दिया और मेरे गले लग गई| हम 10 मिनट तक बस ऐसे ही गले लगे रहे, कोई बात-चीत नहीं हुई बस दो बेक़रार दिल थे जो एक दूसरे में करार ढूँढ रहे थे| "तो शादी कब करनी है?" अनु बोली और मैंने उन्हें अपने आलिंगन से आजाद किया|

"पहले इस पहाड़ से तो नीचे उतरें!" माने मुस्कुराते हुए कहा| हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर अपने टेंट की तरफ आ रहे थे की तभी अनु बोली; "मैं बड़ी खुशनसीब हूँ, यहाँ आई थी एक दोस्त के साथ और जा रही हूँ हमसफ़र के साथ!"

"खुशनसीब तो मैं हूँ जो मुझे तुम्हारे जैसा साथी मिला, जो मेरे सारे दुःख बाँट रहा है!" मैंने कहा|

"मैं तुम्हें इतना प्यार दूँगी की तुम सारे दुःख भूल जाओगे!" अनु ने मुस्कुराते हुए आत्मविश्वास से कहा|

'जो तू मेरा हमदर्द है.....सुहाना हर दर्द है!" मैंने कहा और अनु के सर को चूम लिया| 

हमने बैग उठाया और नीचे उतर चले| इस वक़्त हम दोनों ही एक अजीब से जोश से भरे हुए थे, वो प्यार जो हम दोनों के दिलों में धधकरहा था ये उसी की ऊर्जा थी| रास्ते भर हमने जगह-जगह पर फोटोज क्लिक करी| दोपहर होते-होते हम कसोल वापस पहुँचे और सबसे पहले मैंने नूडल पैक करवाए| हाय क्या नूडल्स थे! ऐसे नूडल माने आजतक नहीं खाये थे! मैंने एक पौवा रम ली और 'माल' भी लिया!  रूम पर आ कर पहले हम दोनों बारी-बारी नहाये और फिर नूडल खाने लगे, मैंने एक-एक पेग भी ना कर रेडी किया| अब रम में होती है थोड़ी बदबू जो अनु को पसंद नहीं आई| "eeew .....तुम तो हमेशा अच्छी वाली पीते हो तो आज रम क्यों?"  अनु ने नाक सिकोड़ते हुए कहा| "इंसान को कभी अपनी जड़ नहीं भूलनी चाहिए! रम से ही मैंने शुरुआत की थी और पहाड़ों पर रम पीने का मजा ही अलग होता है|" मैंने कहा और नाक सिकोड़ कर ही सही पर अनु ने पूरा पेग एक सांस में खींच लिया| जैसे ही रम गले से नीचे उत्तरी उनका पूरा जिस्म गर्म हो गया| "Wow ये तो सच में बहुत गर्म है! अब समझ में आया पहाड़ों पर इसे पीने का मतलब!" अनु ने गिलास मेरे आगे सरकाते हुए कहा| "सिर्फ पहाड़ों पर ही नहीं, सर्दी में भी ये 'रम बाण्ड इलाज' है!" मैंने कहा और हम दोनों हंसने लगे| नूडल के साथ आज रम का एक अलग ही सुररोर था और जब खाना खत्म हुआ तो मैंने अपनी 'लैब' खोल दी जिसे देख कर अनु हैरान हो गई! "अब ये क्या कर रहे हो?" अनु ने पुछा|

"इसे कहते हैं 'माल'!" ये कहते हुए मैंने सिगरेट का तम्बाकू एक पेपर निकाला और मलाना क्रीम निकाली, दिखने में वो काली-काली, चिप-चिपि सी होती है|  "ये क्या है?" अनु ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा|

"ये है यहाँ की फेमस मलाना क्रीम!" पर अनु को समझ नहीं आया की वो क्या होती है| "हशीश!" मैंने कहा तो अनु एक दम से अपने दोनों गालों को हाथ से ढकते हुए मुझे देखने लगी! "Hawwww .... ये तो ड्रग्स है? तुम ड्रग्स लेते हो?" अनु ने चौंकते हुए कहा| उनका इतना लाउड रिएक्शन का कारन था रम का असर जो अब धीरे-धीरे उन पर चढ़ रहा था|

"ड्रग्स तो अंग्रेजी नशे की चीजें होती हैं, ये तो नेचुरल है! ये हमें प्रकृति देती है!" मैंने अपनी प्यारी हशीश का बचाव करते हुए कहा जिसे सुन अनु हँस पड़ी| मैंने हशीश की एक छोटी गोली को माचिस की तीली पर रख कर गर्म किया और फिर उसे सिगरेट के तम्बाकू में दाल कर मिलाया और बड़ी सावधानी से वापस सिगरेट में भर दिया| सिगरेट मुँह पर लगा कर मैंने पहला कश लिया और पीठ दिवार से टिका कर बैठ गया| आँखें अपने आप बंद हो गईं क्योंकि जिस्म को आज कई महीनों बाद असली माल चखने को मिला था| "इसकी आदत तो नहीं पड़ती?" आने ने थोड़ा चिंता जताते हुए पुछा|

"इतने महीनों में तुमने कभी देखा मुझे इसे पीते हुए? नशा जब तक कण्ट्रोल में रहे ठीक होता है, जब उसके लिए आपकी आत्मा आपको परेशान करने लगे तब वो हद्द से बाहर हो जाता है|" मैंने प्रवचन देते हुए कहा, पिछले साल यही तो सीखा था मैंने!

"मैं भी एक puff लूँ?" अनु ने पुछा तो मैंने उन्हें सिगरेट दे दी| उन्होंने एक छोटा सा ड्रैग लिया और खांसने लगी और मुझे सिगरेट वापस दे दी| मैंने उनकी पीठ सहलाई ताकि उनकी खांसी काबू में आये| उनकी खांसी काबू में आई और मैंने एक और ड्रैग लिया और फिर से आँख मूँद कर पीठ दिवार से लगा कर बैठ गया| तभी अचानक से अनु ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और एक बड़ा ड्रैग लिया, इस बार उन्हें खांसी नहीं आई, दस मिनट बाद वो बोलीं; "कुछ भी तो नहीं हुआ? मुझे लगा की चढ़ेगी पर ये तो कुछ भी नहीं कर रही!" अनु ने चिढ़ते हुए कहा|

"ये दारु नहीं है, इसका असर धीरे-धीरे होगा, दिमाग सुन्न हो जाएगा| मैंने कहा| पर उस पर रम की गर्मी चढ़ गई तो अनु ने अपने कपडे उतारे, अब वो सिर्फ एक पतली सी टी-शर्ट और काप्री पहने मेरे बगल में लेती थीं और फोटोज अपलोड करने लगी| इधर उनकी फोटोज अपलोड हुई और इधर मेरे फ़ोन में नोटिफिकेशन की घंटियाँ बजने लगी| मैंने फ़ोन उठाया ही था की अनु ने फिर से मेरे हाथ से सिगरेट ली और एक बड़ा ड्रैग लिया, उनका ऐसा करने से मैं हँस पड़ा और वो भी हँस दीं| मैंने अपना फ़ोन खोल के देखा तो 30 फेसबुक की नोटिफिकेशन थी! मैं हैरान था की की इतनी नोटिफिकेशन कैसे! मैंने जब खोला तो देखा की अनु ने हम दोनों की एक फोटो डाली थी और caption में लिखा था; 'He said YESSSSSSS! I Love You!!!' अनु के जितने भी दोस्त थे उन सब ने फोटो पर Heart react किया था और congratulations की झड़ी लगा दी थी! तभी आकाश का कमेंट भी आया है; "Congratulations sir and mam!" मैं मुस्कुराते हुए अनु को देखने लगा जो मेरी तरफ ही देख रही थी| चेहरे पर वही मुस्कुराहट लिए और रम और हशीश के नशे में चूर उनका चेहरा दमक रहा था| "चलो अब सो जाओ!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और लास्ट ड्रैग ले कर मैं दूसरी तरफ करवट ले कर लेट गया| अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे से चिपक कर लेट गई| आज पता नहीं क्यों पर मेरे जिस्म में एक झुरझुरी सी पैदा हुई और मेरा मन बहकने लगा| बरसों से सोइ हुई प्यास भड़कने लगी, दिल की धड़कनें तेज होने लगीं और मन मेरे और अनु के बीच बंधी दोस्ती की मर्यादा तोड़ने को करने लगा| मेरे शरीर का अंग जिसे मैं इतने महीनों से सिर्फ सु-सु करने के लिए इस्तेमाल करता था आज वो अकड़ने लगा था, पर कुछ तो था जो मुझे रोके हुए था| मैंने अनु की तरफ देखा तो उसकी आँख लग चुकी थी, मैंने खुद को धीरे से उसकी गिरफ्त से निकाला और कमरे से बाहर आ कर बालकनी में बैठ गया| सांझ हो रही थी और मेरा मन ढलते सूरज को देखने का था, सो मैं बाहर कुर्सी लगा कर बैठ गया| जिस अंग में जान आई थी वो वापस से शांत हो गया था, दिमाग ने ध्यान बहारों पर लगा दिया| कुछ असर सिगरेट का भी था सो मैं चुप-चाप वो नजारा एन्जॉय करने लगा| साढ़े सात बजे अनु उठी और मुझे ढूंढती हुई बाहर आई, पीछे से मुझे अपनी बाहों में भर कर बोली; "यहाँ अकेले क्या कर रहे हो?"

"कुछ नहीं बस ढलती हुई सांझ को देख रहा था|" ये सुन कर अनु मेरी गोद में बैठ गई और अपना सर मेरे सीने से लगा दिया| उसके जिस्म की गर्माहट से फिर से जिस्म में झूझुरी छूटने लगी और मन फिर बावरा होने लगा, दिल की धड़कनें तेज थीं जो अनु साफ़ सुन पा रही थी| शायद वो मेरी स्थिति समझ पा रही थी इसलिए वो उठी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर ले आई| दरवाजा बंद किया और मेरी तरफ बड़ी अदा से देखा| उनकी ये अदा आज मैं पहली बार देख रहा था और अब तो दिल बगावत कर बैठा था, उसे अब बस वो प्यार चाहिए था जिसके लिए वो इतने दिनों से प्यासा था| अनु धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पास आई और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और कुछ पलों के लिए हमारी आँखें बस एक दूसरे को देखती रहीं|  इन्ही कुछ पलों में मेरे दिमाग ने जिस्म पर काबू पा लिया, अनु ने आगे बढ़ कर मुझे Kiss करना चाहा पर मैंने उनके होठों पर ऊँगली रख दी; "अभी नहीं!" मैंने कहा और अनु को कस कर गले लगा लिया| अनु ने एक शब्द नहीं कहा और मेरी बात का मान रखा| हम वापस बिस्तर पर बैठ गए; "तुम्हारा मन था ना?" अनु ने पुछा|

"था.... पर ऐसे नहीं!!!" मैंने कहा|

"तो कैसे?" अनु ने पुछा|

"शादी के बाद! तब तक हम ये दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे! प्यार भी होगा पर एक हद्द तक!"

"अब पता चला क्यों मैं तुमसे इतना प्यार करती हूँ?!" अनु ने फिर से अपनी बाहों में जकड़ लिया, पर इस बार मेरा जिस्म में नियंत्रण में था|   

मेरा खुद को और उनको रोकने का कारन था, समर्पण! हम दोनों एक दूसरे को आत्मिक समर्पण कर चुके थे पर जिस्मानी समर्पण के लिए अनु पूरी तरह से तैयार नहीं थी| इतने महीनों में मैंने जो जाना था वो ये की अनु की सेक्स के प्रति उतनी रूचि नहीं जितनी की होनी चाहिए थी| मैं नहीं चाहता था की वो ये सिर्फ मेरी ख़ुशी के लिए करें और वही गलती फिर दोहराई जाए जो मैंने रितिका के लिए की थी!            

                    अगले दिन हम तैयार हो कर तोश जाने के लिए निकले, यहाँ की चढ़ाई खीरगंगा के मुकाबले थकावट भरी नहीं थी| यहाँ पर बहुत से घर थे और रास्ता इन्हीं के बीच से ऊपर तक जाता था| ऊपर पहुँच कर हमने वादियाँ का नजारा देखा, अनु को इतना जोश आया की वो जोर से चिल्लाने लगी; " I Love You Maanu!" मैं खड़ा हुआ उसे ऐसा देख कर मुस्कुरा रहा था| हमने बहुत साड़ी फोटोज खईंची और वापस कसोल आ गए| शाम की बस थी जो हमें दिल्ली छोड़ती, बस में एक प्रेमी जोड़ा था जिसे देख कर अनु के मन में प्यार उबलने लगा| उसने मेरी बाँह अपने दोनों हाथों में पकड़ ली, जैसे की कोई प्रेमी जोड़ा पकड़ता है| मैंने फ़ोन निकाला और हमारी कल वाली फोटो पर आये कमैंट्स पढ़ने शुरू किये| ऐसा लग रहा था जैसे सारा बैंगलोर जान गया हो, "तैयार हो जाओ, बैंगलोर पहुँचते ही सब टूट पड़ेंगे!" अनु ने कहा| तभी मेरा फ़ोन बजने लगा; "ओ भोसड़ीवाले! हमें बताया भी नहीं तू ने और शादी कर ली?" सिद्धार्थ बोला, ये सुनते ही मेरी हँसी छूट गई| "यार अभी की नहीं है!" मैंने हँसते हुए कहा|

"मुझे तो पहले से ही पता था की तुम दोनों का कुछ चल रहा है!" अरुण बोला, दरअसल सिद्धार्थ का फ़ोन स्पीकर पर था|

"उस दिन जब तूने कहा था न की तू एक खुशखबरी बाँटना चाहता है मुझे तभी लगा था की तूम दोनों शादी की बात कहने वाले हो|" सिद्धार्थ बोला|

"तब तक हम इतने करीब नहीं आये थे ना!" अनु ने बोला, क्योंकि मेरे फ़ोन में हेडफोन्स लगे थे और एक ear पीस अनु के पास था और एक मेरे पास|

"भाभी जी! कब कर रहे हो शादी!" अरुण बोला, ये सुन कर हम दोनों ही हँस पड़े और उधर वो दोनों भी हँस पड़े|

"मैं तो अभी तैयार हूँ पर मानु मान ही नहीं रहा!" अनु ने बात साडी मेरे सर मढ़ते हुए कहा|

"यार अभी हम कसोल में हैं, पहले घर पहुँचते हैं फिर जरा workout करते हैं| चिंता मत करो 'वर दान' तुम ही करोगे!" मैंने कहा, इस बात पर हम चारों हँस पड़े|

इसी तरह हँसते हुए हम अगले दिन दिल्ली पहुँचे और वहाँ से फ्लाइट ली जिसने हमें बैंगलोर छोड़ा| घर पहुँचे तो अनु के जितने भी जानकार थे या दोस्त थे वो सब आ गए और हमें बधाइयाँ दी और सब की जुबान पर एक ही सवाल था की शादी कब कर रहे हो| अभी तक तो हमने नहीं सोचा था की शादी कब करनी है तो उन्हें क्या बताते, हम दोनों ही इस सवाल पर एक दूसरे की शक्ल देख रहे होते और हँस के बात टाल देते| वैसे शादी के नाम से दोनों ही के पेट में तितलियाँ उड़ रहीं थी! पर अनु कुछ सोच रही थी, कुछ था जो वो चाहती थी पर मुझे बता नहीं रही थी| एक दिन की बात है, मैं ऑफिस से जल्दी आया तो देखा अनु बालकनी में चाय का कप पकडे गुम-शूम बैठी है| मैंने चुपके से आ कर उसके सर को चूमा और उसकी बगल में बैठ गया| "क्या हो रहा है?" मैंने पुछा तो अनु ने भीगी आँखों से मेरी तरफ देखा, मैं एक दम से घबरा गया और तुरंत उसके सामने बैठ गया और उसके आँसूँ पोछे! "सुबह से मम्मी-डैडी को दस बार कॉल कर चुकी हूँ पर वो हरबार मेरा फ़ोन काट देते हैं!" अनु ने फिर से रोते-रोते कहा| मैं सब समझ गया, वो चाहती थी की हमारी शादी में उसके मम्मी-डैडी भी शामिल हों और ना केवल शामिल हों बल्कि वो हमें आशीर्वाद भी दें| अब मेरे परिवार ने तो मुझसे मुँह मोड़ लिया था तो उन्हें बता कर भी क्या फर्क पड़ना था! "मम्मी-डैडी घर पर ही हैं ना?" मैंने अनु का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए पुछा| तो जवाब में अनु ने हाँ में सर हिलाया, मैंने तुरंत फ़ोन निकाला और कल की फ्लाइट की टिकट्स बुक कर दी| "Pack your bags we're going to your parent's!" मैंने उनकी आँखों में देखते हुए कहा|

"पर वो नहीं मानेंगे! खामाखां बेइज्जत कर देंगे!" अनु ने रोते हुए कहा|

"वो हमसे बड़े हैं, थोड़ा गरिया भी दिए तो क्या? मेरे घरवालों की तरह जान से तो नहीं मार देंगे ना?!" मैंने कहा|

"तुम्हारे लिए जान देनी पड़ी तो दे दूँगी...." अनु इसके आगे कुछ बोलती उससे पहले मैं बोल पड़ा; "वाह! मेरे लिए मरने के लिए तैयार हो और मैं तुम्हारे लिए चार गालियाँ नहीं खा सकता?" मैंने कहा और अनु का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और अपने सीने से लगा लिया| अगले दीं हम सीधा अनु के मम्मी-डैडी के घर पहुँचे, मैंने डोरबेल बजाई और दरवाजा अनु की मम्मी ने खोला| उन्होंने पहले मुझे देखा पर मुझे पहचान नहीं पाईं, पर जब उनकी नजर अनु पर पड़ी तो उनके चेहरे पर गुस्सा लौट आया| वो कुछ बोल पातीं उससे पहले ही पीछे से अनु के डैडी आ गए और उन्होंने सीधा अनु को ही देखा और चिल्लाते हुए बोले; "क्यों आई है यहाँ?"

"सर प्लीज... मेरी एक बार बात सुन लीजिये उसके बाद आप जो कहेंगे हम वो करेंगे...आप कहेंगे तो हम अभी चले जाएंगे! बस एक बार इत्मीनान से हमारी बात सुन लीजिये....!" मैंने उनके आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| उनके मन में अपनी बेटी के लिए प्यार अब भी था इसलिए उन्होंने हाँ में गर्दन हिला कर हमें अंदर आने दिया, वो हॉल में सोफे पर बैठ गए और उनकी बगल में अनु की मम्मी खड़ी थीं| मैं अब भी हाथ जोड़े खड़ा था और अनु मेरे पीछे सर झुकाये खड़ी थी|

"सर आपकी बेटी उस रिश्ते से खुश नहीं थी, वो एक ऐसे रिश्ते में भला कैसे रह सकती थी जहाँ उसका ख्याल रखने वाला, उसको प्यार करने वाला कोई नहीं था? ऐसा नहीं है की इसने रिश्ता निभाने की कोई कोशिश नहीं की, पूरी शिद्दत से इसने उस आदमी से रिश्ता निभाना चाहा पर अगर कोई साफ़ कह दे की वो किसी और से प्यार करता है और जिंदगी भर उसे ही प्यार करेगा तो ऐसे में अनु क्या करती? आपने शायद मुझे नहीं पहचाना, मेरा नाम मानु है! कुमार ने मुझे ही बलि का बकरा बनाया था ताकि वो अनु से छुटकारा पा सके| वो आदमी कतई अनु के काबिल नहीं था! बचपन से ले कर जवानी तक अनु ने वही किया जो आपने कहा! फिर चाहे वो सब्जेक्ट choose करना हो या कॉलेज सेलेक्ट करना हो, सिर्फ और सिर्फ इसलिए की वो आपको खुश देखना चाहती है| शादी भी सिर्फ और सिर्फ इसलिए की ताकि आप दोनों को ख़ुशी मिले तो क्या उसे हक़ नहीं की वो अपनी जिंदगी थोड़ी सी अपनी ख़ुशी से जी सके?! डाइवोर्स के बाद वो आप पर बोझ न बने इसलिए उसने जॉब की, डाइवोर्स के बाद उसे जो पैसा मिला उससे खुद बिज़नेस शुरू किया और फिर आपके पास लौटी आपका आशीर्वाद लेने और आपको prove करने के लिए की उसने जिंदगी में तर्रक्की पाई है! पर शायद आप तब भी अनु से खफा थे! उस दिन अनु को मैं बहुत बुरी हालत में मिला...." आगे मैं कुछ और बोलता उससे पहले अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया, वो नहीं चाहती थी की मैं उन्हें रितिका के बारे में सब कहूं| इसलिए मैंने अपनी बात को थोड़ा छोटा कर दिया; "मैं लघभग मरने की हालत में था, जब अनु ने मुझे संभाला और मुझे जिंदगी का मतलब समझाया, मुझे याद दिलाया की जिंदगी कितनी जर्रूरी होती है| मुझे मेरे पाँव पर खड़ा करवाया और अपने साथ बिज़नेस में as a partner ले कर आई| पिछले साल दिसंबर से ले कर अब तक हमने बहुत तरक्की की है, दो कमरे के ऑफिस को आज हमने पूरे फ्लोर पर फैला दिया है| अब जब हम अपनी जिंदगी का एक जर्रूरी कदम लेना चाहते हैं तो हमें आपके प्यार और आशीर्वाद की जर्रूरत है! हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं! आप प्लीज हमें अपना आशीर्वाद दीजिये और हमें अपना लीजिये| आपके अलावा हमारा अब कोई नहीं है और बिना माँ-बाप के आशीर्वाद के हम शादी नहीं कर सकते! बस इसीलिए हम आपके पास आये हैं!" मैंने घुटनों पर बैठते हुए कहा| मेरी बातें उन पर असर कर गईं और उनकी आँखों से अश्रुओं की धारा बह निकली| उन्होंने गले लगाने को अपनी बाहें खोली और अनु भागी-भागी गई और उनके गले लग गई| मैं उठ कर खड़ा हुआ और ये मिलन देख कर मेरी भी आँखें नम हो चली थीं, क्योंकि मैं अपने माँ-बाप को miss कर रहा था| अनु से गले मिलने के बाद अनु के डैडी ने मुझे भी गले लगने को बुलाया| मैं ने पहले उनके पाँव छुए और फिर उनके गले लग गया,  आज बरसों बाद मुझे वही गर्मी का एहसास मिला जो मुझे मेरे पिताजी से गले लगने के बाद मिलता था| उनसे गले लगने के बाद अनु की मम्मी ने भी मुझे गले लगने को बुलाया| मैंने पहले उनके पाँव छुए और फिर उन्होंने मेरे माथे पर चूमा और फिर अपने गले से लगा लिया| उनसे गले लग कर मुझे माँ की फिर याद आ गई|

                             अनु के मम्मी-डैडी ने हमें अपना लिया था, और अनु बहुत खुश थी! उन्होंने मुझे बिठा कर मुझसे मेरे परिवार के बारे में पुछा और मैंने उन्हें सब बता दिया| फिर मम्मी जी ने एक सवाल पुछा जो उनकी तसल्ली के लिए जर्रूरी था;

मम्मी जी: बेटा बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ?

मैं: जी जर्रूर

मम्मी जी: बेटा तुम्हारी उम्र कितनी है?

मैं: जी 28

मम्मी जी: अनु 34 की है और फिर डिवोर्सी भी है| तुम्हें इससे कोई परेशानी तो नहीं? बुरा मत मानना बेटा पर तुम या तुम्हारे परिवार वाले इसके लिए राजी होंगे?

मैं: Mam मेरे घरवालों ने मुझे घर से निकाल दिया, क्योंकि मैंने अपनी भतीजी की शादी में हिस्सा लेने की बजाय अपना career चुना! इसलिए उनका शादी में आने का सवाल ही पैदा नहीं होता! रही मेरी बात तो Mam, I assure you की मुझे अनु के डिवोर्सी होने से या उम्र में ज्यादा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता! मैंने उनसे प्यार उनकी उम्र या उनका marital status देख कर नहीं किया|

डैडी जी: वो सब तो ठीक है बेटा पर ये तुमने sir-mam क्या लगा रखा है? तुम यहाँ कोई इंटरव्यू देने थोड़े ही आये हो?

अनु: डैडी इंटरव्यू ही तो देने आये हैं, मेरे हस्बैंड की जॉब का इंटरव्यू!

ये सुन कर सब हँसने लगे|

डैडी जी: बेटा जब हम अनु के मम्मी-डैडी हैं तो तुम्हारे भी हुए ना?

अनु: डैडी ये ऐसे ही हैं! मुझे भी पहले ये mam ही कह कर बुलाते थे, वो तो मैंने कहा तब जा कर मेरा नाम लेना शुरू किया|

मम्मी जी: बेटा Chivalry होना अच्छी बात है पर अपनों में नहीं!

मैं: जी मम्मी जी!

डैडी जी: शाबाश! 

वो पूरा दिन मैं उन्हीं के पास बैठा और हमारी बहुत सी बातें हुई जिससे उन्हें ये पता चल गया की मैं कैसा लड़का हूँ| रात को खाने के बाद सोने की बारी आई; वहाँ बस दो ही कमरे थे एक मम्मी-डैडी का और एक अनु का| अनु तो अपने ही कमरे में सोने वाली थी, मैंने सोचा मैं हॉल में ही सो जाता हूँ| पर तभी मम्मी जी आ गईं;

मम्मी जी: बेटा तुम यहाँ नहीं सोओगे!

अनु: तो क्या मेरे कमरे में? (अनु ने मजे लेने की सोची!)

मम्मी जी: वो शादी के बाद अभी मानु तेरे डैडी के साथ सोयेगा और मैं तेरे साथ! (मम्मी जी ने अनु के साथ थोड़ा मजाक में बात की और ये देख मैं मुस्कुराने लगा|)

अनु: डैडी रात में खरांटें मारते हैं!

मैं: मेरी चिंता मत करो, मैं और डैडी जी तो रात भर बातें करेंगे!

तभी डैडी जी भी आ गए|   

डैडी जी: कौन बोला मैं खर्राटें मारता हूँ?

मैंने एक दम से अनु की तरफ ऊँगली कर दी|

डैडी जी: अच्छा? और जो तू 10 साल की उम्र तक रात को डर के मारे बेड गीला कर देती थी वो?

ये सुन कर मैं, मम्मी जी और डैडी जी हँस पड़े और अनु शर्म से लाल हो गई!

मैं: डैडी जी ये आपने सही बात बताई, बहुत टांग खींची है मेरी अब मेरी बारी है! आज रात तो सारे राज जानूँगा मैं तुम्हारे! (मैंने हँसते हुए कहा|)

अनु: प्लीज डैडी कुछ मत बताना वरना ये साड़ी उम्र मुझे चिढ़ाते रहेंगे!

मैं: नहीं प्लीज डैडी मुझे सब बताना, ये मेरी बहुत खिंचाई करती है|

डैडी जी: मैं तो बता कर रहूँगा!

 तो इस तरह मजाक-मस्ती में वो रात गुजरी, अगली सुबह ही हम सब उनके पंडित के पास चल दिए और उन्होंने मेरी जन्म तिथि से मेरी कुंडली बनाई और शादी की तारिख 23 फरवरी निकाली| अब तारिख सुन कर हम दोनों का मुँह फीका हो गया, मम्मी जी ने अनु के गाल पकड़ते हुए कहा; "बड़ी जल्दी है तुझे शादी करने की!" उनकी बात सुन हम सब हँस दिए|


अब मम्मी-डैडी को बैंगलोर में हमारा घर देखना था और उन्हें ये नहीं पता था की हम 1BHK में रह रहे हैं वरना वो बहुत गुस्सा करते! हम ने सोचा की पहले एक 2 BHK लेते हैं और फिर उन्हें वहाँ बुला आकर घर दिखाएँगे| तो तय ये हुआ की इस साल दिवाली वो हमारे साथ बैंगलोर में ही मनाएंगे| हम हँसी-ख़ुशी वापस आये और अनु ने House Hunting का काम पकड़ लिया और मुझे पहले के पेंडिंग काम करने पड़े| अनु घर शॉर्टलिस्ट करती और रोज शाम को मुझे अपने साथ देखने के लिए ले जाती| ऐसे करते-करते 20 दिन हो गए और हमें finally पाने सपनो का घर मिल गया| हमने मिल कर उसे सजाया, ये वो खरोंदा था जहाँ हमारी नई जिंदगी शुरू होने वाली थी! दिवाली में 10 दिन रह गए थे और मम्मी-डैडी आ गए थे| उन्हें पिक करने मैं ही गया था और नए घर में आ कर वो बहुत खुश थे| अनु ने उन्हें हमारे पुराने घर के बारे में सब सच बता दिया था और उन्होंने हमें कुछ नहीं कहा| वो जानते थे की बच्चे बड़े हो गए हैं और समझदार भी! अगले दिन हम दोनों मम्मी-डैडी को ऑफिस ले गए और अपना ऑफिस दिखाया, डैडी जी हमारे लिए एक गणपति जी की मूर्ति लाये थे जो उन्होंने ऑफिस के मंदिर में खुद रखी| फिर दिवाली की पूजा हुई और उन्होंने अपने हाथ से सारे स्टाफ को बोनस दिया| घर पर पूजा भी पूरे विधि-विधान से हुई और उन्होंने हमें ढेर सारा आशीर्वाद दिया| कुछ दिन बैंगलोर घूमने के बाद वो वापस लखनऊ चले गया| उनके जाने के अगले दिन मेरे फ़ोन पर कॉल आया, मैंने बिना देखे ही कॉल उठा लिया और फिर एक भारी-भरकम आवाज मेरे कान में पड़ी; "बेटा....घर आजा...." ये आवाज मेरे ताऊ जी की थी और उनकी आवाज से दर्द साफ़ झलक रहा था.... उनके आगे कुछ कहने से पहले ही मेरी जुबान ने हाँ कह दिया| मैंने तुरंत अपना बैग उठाया और उसमें कपडे ठूसने लगा, अनु ने मुझे ऐसा करते देखा तो वो घबरा गई; "क्या हुआ?" उसने पुछा| पर मेरे कहने से पहले ही उसे मेरी आँखों में आँसू नजर आ गए; "ताऊ जी का फ़ोन था...मुझे कुछ दिन के लिए गाँव जाना होगा!" मैंने खुद को संभालते हुए कहा| "मैं भी चलती हूँ!" अनु ने घबराते हुए कहा| "नहीं....अभी नहीं! पहले मुझे जाने दो, फिर मैं तुम्हें कॉल करूँगा तब आना|" मैंने कहा और अनु एकदम से मेरे सीने से लग गई, उसे डर लग रहा था की मैं कहीं उसे छोड़ कर तो नहीं जा रहा? "Baby ... डरो मत.... मैं वापस आऊँगा! I Promise!!!" मैंने अनु के आँसूँ पोछते हुए कहा| अनु को यक़ीन हो गया और वो मुझे छोड़ने के लिए एयरपोर्ट तक आई और आँखों में आँसू लिए बोली; "मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी!" मैंने अपने दोनों हाथों से उनके चेहरे को थामा और माथे को चूमा; "जल्दी आऊँगा!" ये कहते हुए मैं एयरपोर्ट के अंदर घुसा और फ्लाइट में बैठ कर लखनऊ पहुंचा और वहाँ से बस पकड़ कर घर की ओर चल दिया| जहाँ पिछली बार मेरी आँखों में आँसू थे क्योंकी मेरे अपनों ने ही मुझे घर से निकाल दिया था वहाँ आज एक अजीब सी ख़ुशी थी की मेरे परिवार ने मुझे फिर वापस बुलाया|
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Adbhut bhai sahab kya likha hai prem ke aage sab 
Bekar.
   Lekin mujhe to ye dar hai kahi tauji kahi aur rishta na 
Fix kar de hamare maanu ka.
[+] 2 users Like Arv313's post
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बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। अब इस कहानी में एक नया मोड़ आया है। हीरो को प्यार तो मिल ही गया अब हो सकता है कि परिवार भी मिल जाए।

हो सके तो एक नया मोड़ डाल दो कहानी में ।
[+] 2 users Like Jizzdeepika's post
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Naya Mod kahani me... jarur fir kuch naya kaand failaya gaya hai. Hopefully 1-2 din me update aa jayegi.
[+] 2 users Like smartashi84's post
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update 70 (1)

ख़ुशी-ख़ुशी मैं बस से उतरा और अपने बचपन के हसीन दिन याद करता हुआ घर की ओर चल पड़ा| साड़ी पुरानी सुखद यादें ताज़ा हो चुकीं थीं और घरवालों से मिलने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी| घर पहुँचा और दरवाजा  खटखटाया तो ताऊ जी ने दरवाजा खोला| मुझे देखते ही उनकी आँखिन नम हो गईं, मैंने झुक कर उनके पाँव छुए और उन्होंने तुरंत मुझे अपने गले लगा लिया| रोती हुई आवाज में वो बस इतने बोले; "तेरी माँ...." इतना सुनते ही मेरे मन की ख़ुशी गायब हो गई और डर सताने लगा की कहीं उन्हें कुछ हो तो नहीं गया| मैं तुरंत माँ के कमरे की तरफ दौड़ा वहाँ जा के देखा तो माँ लेटी हुई थी और पिताजी उनकी बगल मैं बैठे थे| जैसे ही माँ की नजर मुझ पर पड़ी उन्होंने मुझे गले लगाने को तुरंत अपने हाथ खोल दिए, मैंने अपना बैग बाहर ही छो कर अंदर आया और माँ के गले लग गया| माँ का शरीर कमजोर हो गया था पर अब भी उनके कलेजे में वो तपिश थी जो पहले हुआ करती थी| माँ ने रोना शुरू कर दिया और मैं भी खुद को रोने से ना रोक पाया| पिताजी जो अभी तक सर झुका कर बैठे थे मुझे देखते ही उठ खड़े हुए और शर्म से उनका सर झुक गया, पीछे ताई जी, ताऊ जी और भाभी भी चुप-चाप आ कर खड़े हो गए| सभी की आंखें भीगी हुई थीं पर मेरा ध्यान अभी सिर्फ और सिर्फ मेरी माँ पर था| माँ ने रोती हुई आवाज में कहा; "मुझे माफ़ कर दे बेटा!" पर मैं उन के मुँह से कुछ नहीं सुनना चाहता था क्योंकि वो बहुत बीमार थीं इसलिए मैं ने उनको आगे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया| "बस माँ... सब भूल जाओ!" मैंने कहा और जब मैं उनके पास से उठा तो मैंने सब को अपने पीछे खड़ा पाया| सबसे पहले ताई जी आगे आईं और मैंने उनके पाँव छुए और उन्होंने मुझे अपने गले लगा लिया| "बेटा....माफ़ कर दे....!" ताई जी ने रोते-रोते कहा| "छोडो ताई जी!" मैंने बस इतना ही कहा| उसके बाद भाभी भी मेरे गले लग गईं और मुझे उनके पाँव छूने का मौका ही नहीं दिया| "मानु भैया! मुझसे भी नराज हो!" भाभी ने रोते-रोते कहा| मैंने धीरे से कहा; "भाभी आपने तो कुछ किया ही नहीं?" फिर नजर पिताजी पर पड़ी जो सर झुकाये खड़े थे, मैं उनके पास पहुंचा और उनके पाँव छूने को झुका तो उन्होंने सीधा मुझे अपने गले लगा लिया और फूट-फूट के रोने लगे| "बेटा...मेरे पास अलफ़ाज़ नहीं कुछ कहने को....मैंने अपने ही बेटे को धक्के मार कर घर से निकाला, उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया! मुझे तो मर जाना चाहिए!" पिताजी रोते हुए बोले| "बस पिताजी...आपको पूरा हक़ है!" मैंने कहा और खुद को रोने से रोका| जब मैं वापस पलटा तो ताऊ जी बोले; "बेटा तू क्या गया घर से, इस घर की किस्मत ने हम से मुँह मोड़ लिया! तेरे साथ जो हमने किया उसी के कारन हम लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा! 8 जुलाई को कुछ हमलावर लोग उसके ससुराल में घुस आये और इसके सास-ससुर और पति को जान से मर दिया| वो तो शुक्र है की उसने खुद को घर के गुसल खाने में छुपा लिया था वर्ण वो लोग इसे भी मार देते! पूरा का पूरा खानदान खत्म हो गया! पुलिस का चक्कर हुआ और चार महीने तक हमें इसी घर में कैद रखा गया ताकि कहीं हम लोगों पर भी हमला ना हो जाए| इन चार महीनों में सारा खेती-बाड़ी का काम खराब हो गया, फिर तेरी माँ ने अन्न-जल त्याग दिया और कहने लगी जब तक मेरा बेटा नहीं आ जाता तब तक मैं कुछ नहीं खाऊँगी! तब मैंने तुझे फ़ोन किया! और तुम लोग जानते हो, मैंने बस इतना कहा की बेटा घर आजा और इसने एक शब्द नहीं कहा और सीधा घर आगया! इसके मन में हम में से किसी के लिए दिल में कोई मलाल नहीं और हमने ऐसे फ़रमाबरदार लड़के के साथ जो सलूक किया ये सब उसकी का फल है!"  ताऊ जी बोले|

"ताऊ जी जो हुआ सो हुआ! आप सब मेरा परिवार हो और अगर आपने मुझे घर से निकाला भी तो क्या हुआ? आपको पूरा हक़ था!" मैंने अपने आँसू पोछते हुए कहा| तभी पीछे छुपी हुई रितिका सामने आई, आँखें आंसुओं से लाल, काली साडी पहने हुए और आ कर सीधा मेरे गले लग गई| मेरे जिस्म को ऐसा लगा जैसे की किसी काले साये ने मुझे दबोच लिया हो, मैंने तुरंत उससे खुद से अलग कर दिया| सब ने मेरा ये बर्ताव देखा और ताई जी बोलीं; "माफ़ कर दे इसे बेटा! इस बेचारी ने बहुत कुछ सहा है!"

"कभी नहीं ताई जी! इसे तो मरते दम तक माफ़ नहीं करूँगा! इसके कारन मुझे मेरे ही घर से मेरे ही परिवार ने निकाल दिया और ये खड़ी चुप-चाप सब देखती रही| आपको याद है न इसके बचपन के दिन, जब आप सब इसे डाँटा और झिड़का करते थे? तब मैं इसे बचाता था और उस दिन इसके मुँह से एक शब्द नहीं फूटा!" ये सुन कर सब का सर झुक गया, मेरे दिल में आग तो इस बात की लगी थी की इस लड़की ने मुझे अपने प्यार के जाल में फंसा कर मेरा इस्तेमालक किया पर वो मैं कह नहीं सकता था| इसलिए मैंने बात को नया मोड़ दिया था| अब मैं अपने परिवार को और दुखी नहीं देखना चाहता था और ऊपर से मुझे माँ की भी चिंता थी; "ताऊ जी मैं जा कर डॉक्टर को ले आता हूँ|" इतना कहते हुए मैं बाहर निकला और कुछ दूरी पर पहुँच कर मैंने अनु को फ़ोन मिलाया और उसे सारी बात बताई| माँ की हालत खराब सुन वो आने की जिद्द करने लगी पर मैंने उसे समझाया की ये समय ठीक नहीं है| एक बार उनकी तबियत ठीक हो जाए मैं उन्हें सब कुछ बता दूँगा और तब अनु को माँ से मिलवाऊँगा|

"ऋतू के साथ ....." आगे अनु कुछ कह पाती उससे पहले मैंने उसकी बात बीच में काट दी; "ऋतू नहीं रितिका! दुबारा ये नाम कभी अपनी जुबान पर मत लाना! मैं ये नहीं कहूंगा की जो हुआ वो अच्छा हुआ पर मुझे उससे घंटा कोई फर्क नहीं पड़ा! जब उसकी बला से मैं जीऊँ या मरुँ तो मेरी बला से वो जिये या मरे!" मैंने गुस्से से कहा|   

"ok ...ok ... calm down! इस वक़्त तुम्हें घर को संभालना है, कहीं इतना गुस्सा कर के खुद बीमार न पड़ जाना|" अनु ने कहा| कॉल काट कार मैं कुछ दूर आया हूँगा की मुझे संकेत मिल गया| उसने अपनी बाइक रोकी और उतर कर मेरे गले लग कर रोने लगा| "भाई....." इसके आगे वो कुछ नहीं बोला| "देख मैं आ गया हूँ तो सब कुछ ठीक हो जायेगा| वैसे ये बता की घडी कैसी लगी?" मैंने बात बदलते हुए कहा| उसने तुरंत मुझे अपना हाथ दिखाया जिसमें उसने घडी पहनी हुई थी| "अब लग रहा है न तू हीरो!" मैंने हँसते हुए कहा| उसने पुछा की मैं कहाँ जा रहा हूँ तो मैंने उसे बताया की डॉक्टर को लेने तो वो बोला की मेरी बाइक ले जा| उसकी बाइक ले कर मैं फ़ौरन डॉक्टर के पहुँचा और उन्हें माँ का हाल बताया, जो-जो जर्रूरी था वो सब ले कर हम घर आये| डॉक्टर ने माँ को देखा और दवाइयां लिखीं, IV चढ़ाया और फिर मैं उसे छोड़ कर आ गया| शाम होने को आई थी और अभी तक किसी ने कुछ नहीं खाया था| तभी मुझे याद आया की चन्दर तो यहाँ है ही नहीं? "ताऊ जी चन्दर भैया कहा हैं?" मैंने पुछा तो उन्होंने कहा; "बेटा 4 महीने पुलिस का सख्त पहरा था और वो किसी को भी बाहर जाने नहीं देती थी, अब तू तो जानता ही है की चन्दर को नशे की लत है| उससे ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था और उसकी हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही थी| तब तेरी भाभी ने बताया की जाने से पहले तूने कहा था की उसे नशा मुक्ति केंद्र ले जाय जाए| इसलिए हम ने उसे वहाँ भर्ती कराया है और ईश्वर की कृपा से अब उसमें बहुत सुधार है|"

ये जान कर ख़ुशी हुई की अब चन्दर सुधर जाएगा| पकोड़े बन कर आये और मैंने माँ को अपने हाथ से खिलाये, नवंबर का पहला हफ्ता था तो सर्द हवाएँ चल रहीं थीं| सब माँ-पिताजी के कमरे में ही बैठे थे सिवाय रितिका के! "तो बेटा तू इतने दिन था कहा पर?" माँ ने पुछा|

"माँ पहले तो मैं बैंगलोर गया था जहाँ मैंने एक दोस्त की कंपनी में काम शुरू किया| उसने मुझे अपनी कंपनी में पार्टनर बनाया, मैंने इतने साल जो भी कमाया था वो मैंने उसके बिज़नेस में लगा दिया, फिर उसी के साथ मैं अमेरिका गया और वहाँ नया काम सीखा और हम वापस बैंगलोर आ गए| नया काम मिला और हम दोनों ने मिल कर काम बहुत फैलाया बाकी आप सब का आशीर्वाद है की बिज़नेस अच्छा चल रहा है|" मैंने कहा पर मैंने जानबूझ कर उन्हें अनु के बारे में कुछ नहीं बताया|

"अरे फिर तो तूने अमरीका में गाय-गोरु, सूअर, मछली, सांप, केकड़े और पता नहीं क्या क्या खाया होगा?" ताई जी ने नाक सिकोड़ते हुए कहा|

"नहीं ताई जी... मैं उन दिनों बीमार था और बाहर का खाना नहीं खा सकता था|वहाँ जा कर मैंने सलाद या फिर एक भारतीय रेस्टुरेंट था जहाँ मैं दाल-रोटी ही खाता था|" मैंने हँसते हुए कहा, क्योंकि मेरे परिवार को अब भी लगता था की बाहर सब यही खाते हैं!

"तुझे हुआ क्या था उन दिनों? तू एक दम से सूख गया था! वो तो हम लोग शादी-ब्याह के काम में लगे थे इस करके पूछना भूल गए!" पिताजी ने पुछा|

"कुछ नहीं पिताजी....जब सपने टूटते हैं तो इंसान थोड़ा टूट ही जाता है!: ये शब्द अपने आप ही निकल पड़े जिसे रितिका ने सब के बर्तन उठाते हुए सुना और फिर चली गई|

"क्या मतलब?" ताऊ जी ने पुछा|

"जी वो...मेरी जॉब छूट गई थी! मैं मन ही मन घर लेने की तयारी कर रहा था ...तो..." मैंने बात को जैसे-तैसे संभाला|

'पर बेटा ऐसा था तो तूने हमें क्यों कुछ नहीं बताया? पिताजी बोले|

"क्या बताता पिताजी? वो हालत आप सब से देखि नहीं जाती..... बिलकुल चन्दर भैया जैसी हालत थी मेरी..... मौत के कगार पर पहुँच गया था मैं! अगर मेरा दोस्त नहीं होता और मुझे नहीं संभालता तो मैं मर ही जाता!| मैंने उन्हें सच बता दिया पर अनु का नाम अब भी नहीं बताया था| इधर सब के सब हैरानी से मुझे देख रहे थे|

"तू शराब पीटा है?" ताऊ जी ने कहा|

"ताऊ जी इतने साल शहर में रहा, कभी-कभी जब टेंशन ज्यादा होती तो पी लेता था पर कण्ट्रोल में पीता था, पर उन दिनों काबू से बाहर हो गई!" मैंने शर्म से सर झुकाते हुए कहा|

"तो तू अब भी पीता है?" माँ ने पुछा|

"माँ मैं जिस माहौल में काम करता हूँ उसमें कभी-कभी कोई ख़ुशी मनानी होती है तो थोड़ा बहुत होता है|" मैंने कहा|

"देख बेटा हम सब के लिए तू ही एक सहारा है और तू ऐसा कुछ ना कर की...." आगे बोलने से पहले माँ की आँखें गीली हो गईं|

"माँ मैं वादा करता हूँ की मैं ऐसा कभी कुछ नहीं करूँगा!"

"अब तेरा बिज़नेस भी चल पड़ा है, तो शादी कर ले!" पिताजी बोले|   

"बिलकुल पिताजी....पर पहले माँ तो ठीक हो जाए!" मैंने उत्साह में आते हुए कहा|

"तूने इतना कह दिया, मेरी आधी तबियत ठीक हो गई!" माँ ने कहा और सारे लोग हँस पड़े|  रात का खाना मैंने माँ को अपने हाथ से खिलाया तो माँ बोली; "देख कितनी नसीब वाली हूँ मैं, पहले मैं तुझे खिलाती थी और आज तू मुझे खिला रहा है!" मैं ये सुन कर मुस्कुरा दिया| उन्हें अच्छे से खाना खिला कर मैंने भी उनके सामने बैठ कर खाना खाया और फिर उन्हें दवाई दी| माँ के सोने तक मैं उनके पाँव दबाता रहा और फिर अपने कमरे में आ कर पलंग पर सर झुका कर बैठ गया| मैं सोच रहा था की माँ जल्दी से तंदुरुस्त हो जाएँ तो मैं उन्हें अनु से मिलवाऊँ! पर एक ही दिक्कत है, रितिका! अभी उसका नाम लिया ही था की एक काला साया मेरे कमरे की चौखट पर खड़ा हो गया|

        "आपकी बद्दुआ लग गई मुझे! कहते हैं की सेक सच्चे आशिक़ को कभी दुःख नहीं देना चाहिए और मैंने उसका दिल तोडा था, तो मुझे सजा तो मिलनी ही थी!" रितिका मेरे नजदीक आई| उसने एक शाल ओढ़ रखी थी; "मैंने कभी राहुल को आपके और मेरे प्यार के बारे में कुछ नहीं बताया| कभी हिम्मत नहीं हुई उसे कुछ कहने की, वो सच्चा प्यार करता था मुझसे पर मैं उसे भी 'छलने' लगी! ऋतू ने अपनी शाल हटाई और उसकी गोद में एक नन्ही सी जान थी, उसने उसे मेरी तरफ बढ़ाया और बोली; "ये आपके प्यार की निशानी! इसे आपको सौंपने आई हूँ....! नेहा....वही नाम जो आप देना चाहते थे!" मैं एक टक उस दो महीने की बच्ची को देखने लगा, आँखें बंद किये हुए वो सो रही थी| पर सर्द हवा से उसकी नींद टूटने लगी थी, मैंने उसे तुरंत अपनी गोद में ले लिया और अपने सीने से लगा लिया| जिगर में जल रही नफरत की आग पर आज पानी बरसने लगा था!
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