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Romance काला इश्क़!
(15-12-2019, 09:55 PM)Prativiveka Wrote: Sir aap shabdon ko itni feel ke sath likh rahe ho ki ek update me dil hi nhi bharta

Agar ho sake to please update badha dijiye.

इतनी शिद्दत से लिखने के बाद भी आप की तरह 1-2 रीडर ही मिले| लेखक की अगर तारीफ नहीं करोगे, Posts Like नहीं करेंगे, Repps add नहीं करेंगे, थ्रेड को rate नहीं करेंगे तो क्या फायदा लिखने का?!  इस कहानी के पूरे होने के बाद मैं यहाँ दुबारा कोई कहानी नहीं लिखने वाला!
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अरे भाई किसी के पास इतना time नही है कि writer की तारीफ़ कर सके।
और एक बात कहानी में मसाला जितना ज्यादा ठूसोगे उतने ही ज्यादा लोग तारीफ़ करेंगे। पिछले कई update में मसाला नही है केवल कहानी है। बेशक कहानी बहुत अच्छी लिखी है लेकिन बिना मसाले के लोग तारीफ़ नही करने वाले।
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और इस बार गाँव जा रहे हो तो ऋतिका की माँ चोद के ही आना।☺☺☺☺☺☺
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बहुत बढ़िया
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(16-12-2019, 03:25 PM)Jagdeepverma. iaf Wrote: अरे भाई किसी के पास इतना time नही है कि writer की तारीफ़ कर सके।
और एक बात कहानी में मसाला जितना ज्यादा ठूसोगे उतने ही ज्यादा लोग तारीफ़ करेंगे। पिछले कई update में मसाला नही है केवल कहानी है। बेशक कहानी बहुत अच्छी लिखी है लेकिन बिना मसाले के लोग तारीफ़ नही करने वाले।

अगर पोस्ट को Like करने या Rate करने में भी मौत आती है तो नहीं लिखना ऐसे लोगों के लिए! मसाला नहीं सब को यहाँ incest पढ़ना है! मेर बस की नहीं की मैं माँ-बेटे वाली Incest लिखूँ! इसलिए यहाँ समय बर्बाद करने से अच्छा है की जो लोग appreciate करते हैं उनके लिए वहाँ लिखूँ!  ये मेरी यहाँ पर आखरी कहानी होगी, उसके बाद सलाम-नमस्ते!
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(16-12-2019, 06:18 PM)Rockstar_Rocky Wrote: अगर पोस्ट को Like करने या Rate करने में भी मौत आती है तो नहीं लिखना ऐसे लोगों के लिए! मसाला नहीं सब को यहाँ incest पढ़ना है! मेर बस की नहीं की मैं माँ-बेटे वाली Incest लिखूँ! इसलिए यहाँ समय बर्बाद करने से अच्छा है की जो लोग appreciate करते हैं उनके लिए वहाँ लिखूँ!  ये मेरी यहाँ पर आखरी कहानी होगी, उसके बाद सलाम-नमस्ते!




Bhai aap ki kahani ke hum logo ke liye kya mayne haii to shabdo me bilkul bhi Byan nhi  kar sakta awesome bhai sahab .
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yourock
Aap bindas likho Mujhe aapki kahni ka haR Din 
Intezar rahta hai.
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अगली कहानी किस site पर लिखोगे ?
हमको बता के ही जाना
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Sir aap update karte rahe sab dhire dhire thik ho hi jayega....... Humlog to padh hi rahe hain na....aur like bhi kar rahe hain mana aapki kahani ko jyada likes na mile ho. Par ye aap bhi jante hain aur hum bhi ki aapke likhne ka tarika shaandar hai aur ye fark nahi padta ki kahani incest ho tabhi achhi lage . Aapne jis feel ko dikhaya hai wo tareef ke kaabil hai.... please update dete rahe aur aage bhi kahaniyan likhe....
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update 66

बस में बैठा ही था की अनु का फ़ोन आ गया, ये कॉल उन्होंने मेरा हाल-चाल पूछने को किया था| "यार अभी तो निकला हूँ, बस में बैठा हूँ....आप चिंता मत करो!" पर उन्होंने मेरी एक ना सुनी और अगले 4 घंटे तक हम बात करते रहे| उनके पास जैसे बात करने के लिए आज सब कुछ था| जब और कुछ नहीं मिला तो उन्होंने Web सीरीज की ही बात छेड़ दी और मैं भी उनसे इस मुद्दे पर बड़े चाव से बात करने लगा| जैसे ही ग्यारह बजे तो मुझे नाश्ता करने को कहा, रास्ते के लिए उन्होंने थोड़ा नाश्ता बाँधा था वो मैंने खाया और मेरे साथ-साथ उन्होंने भी फ़ोन पर बात करते हुए खाया| जब बस एक जगह हॉल्ट पर रुकी तो मैंने केले खरीदे ताकि बाहर का खाने की बजाए फ्रूट्स खाऊँ| आखिर एक बजे मैं बस से उतरा और घर की तरफ चल दिया| मेरी दाढ़ी बढ़ी हुई, बालों का bun बना हुआ और दोनों हाथ जीन्स में घुसेड़ कर मैं बात करता हुआ चलता रहा| हाथ जीन्स की जेब में डालने का करण ये था की मैं अपने हाथों की कंपकंपी छुपा सकूँ, वरना घर वाले सब चिंता करते और मुझे वापस नहीं जाने देते|

                                    अगर अनु ने फ़ोन कर के मुझे बातों में व्यस्त ना रखा होता तो घर की तरफ बढ़ते हुए मेरे मन में फिर वही दुखभरे ख्याल आने शुरू हो जाते| घर से दस कदम की दूरी पर मैंने उन्हें ये कह दिया की घर आ गया मैं आपको थोड़ी देर में कॉल करता हूँ| कॉल काटते ही मेरे अंदर गुस्सा भरने लगा, मैं मन ही मन मना रहा था की रितिका मेरे सामने ना आये वरना पता नहीं मेरे मुँह से क्या निकलेगा| शुक्र है की घर का दरवाजा खुला था, माँ और ताई जी आंगन में बैठीं थीं| घर दुबारा रंगा जा चूका था, टेंट वगैरह का समान घर के बाहर और आंगन में पड़ा था, देख कर साफ पता चलता था की ये शादी वाला घर है| जैसे ही माँ और ताई जी ने मुझे देखा तो दस सेकंड तक वो दोनों मुझे पहचानने की कोशिश में लगी रहीं| जब उन्हें तसल्ली हुई तो ताई जी ने डांटते हुए पुछा; "ये क्या हालत बना रखी है? बाबा-वाबा बन गया है क्या?" मैं कुछ कहता उसके पहले ही माँ भी बरस पड़ी; "सूख कर काँटा हुआ है, इतना भी क्या काम में व्यस्त रहता है की खाने-पीने का ध्यान नहीं रहता?" 

"बीमार हो गया था!" मैंने बस इतना ही कहा क्योंकि मैं जो सोच रहा था उसके विपरीत मेरे साथ हो रहा था| मुझे लगा था मेरी ये हालत देख कर वो रोयेंगे, चिंता करेंगे पर यहाँ तो मुझे और डाँटा जा रहा है! माना मैंने इतने महीने घर न आने की गलती की पर मेरी ये हालत देख कर तो माँ का दिल पसीज जाना चाहिए था! "माँ, पिताजी और ताऊ जी कहाँ हैं?" मैंने पुछा|

"तुझसे तो शादी के काम करने के लिए छुट्टी ली नहीं जाती तो अब किसी को तो काम करना होगा ना? वो तो शुक्र है की रितिका को तू घर छोड़ गया था वरना चूल्हा-चौका भी हमें फूँकना पड़ता! न्योता बाँटने गए हैं, कल आएंगे!" माँ के मुँह से रितिका का नाम सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं पाँव पटकता हुआ ऊपर पाने कमरे में चला गया| मेरे पास एक पिट्ठू बैग था जिसे मैंने अपने बिस्तर पर रखा और मैं धुप में छत की तरफ जा रहा था की तभी अनु का फ़ोन आ गया; "बात हो गई?"

"नहीं.... ताऊ जी और पिताजी घर से बाहर गए हैं! कल आएंगे उनसे बात कर के कल आ जाऊँगा|" मैंने मुंडेर पर बैठते हुए कहा|

"किसी से लड़ाई मत करना, आराम से बात करना और अगर जाने से मना करें तो कोई बात नहीं!" अनु ने प्यार से मुझे समझाते हुए कहा| मैंने उन्हें जान बुझ कर अभी जो हुआ उस बारे में नहीं बताया क्योंकि मैं उम्मीद कर रहा था की शायद ताऊ जी का दिल जर्रूर पसीज जाएगा| अभी मैं बात कर ही रहा था की रितिका मुझे मेरी तरफ आती हुई दिखाई दी, मैंने गुस्से से उसे देखा और हाथ के इशारे से वापस लौट जाने को कहा पर वो नहीं मानी और मेरी तरफ आती गई| "मैं आपको थोड़ी देर में कॉल करता हूँ!" इतना कह कर मैंने कॉल काटा|

"ये क्या हालत बना रखी है आपने?" ऋतू ने चिंता जताने का नाटक करते हुए कहा| शुरू से ही वो कभी इस तरह का नाटक नहीं कर पाई तो अब क्या कर पाती|

"ज्यादा नाटक मत चोद! मेरी इतनी ही फ़िक्र होती तो मुझे यूँ छोड़ नहीं देती!" मैंने उसे झाड़ते हुए कहा| पर उसके पर निकल आये थे इसलिए वो भी मेरे ऊपर बरसने लगी;

"अगर अपनी लाइफ के बारे में सोच कर एक डिसिशन लिया तो क्या गलत किया? तुम मुझे कभी स्टेबिलिटी नहीं दे सकते थे, राहुल दे सकता है!" आज उसने पहली बार मुझे आप की जगह 'तुम' कहा था और उसका ये कहना था की मेरा गुस्सा उबल पड़ा;

"तुझे पहले दिन से ही पता था की हमारे रिलेशनशिप में कितना खतरा है पर तब तो तुझे सिर्फ प्यार चाहिए था मुझसे?! अगर तूने मुझे ये बहाना दे कर छोड़ा होता और फिर घरवालों की मर्जी से शादी आकृति तो शायद कम खून जलता मेरा पर तूने मुझे सिर्फ और सिर्फ इसलिए छोड़ा क्योंकि तुझे एक अमीर घर का लड़का मिल गया जो तुझे दुनिया भर के ऐशों-आराम दे सकता है! तूने मुझे धोका सिर्फ और सिर्फ पैसों के लिए दिया है!" ये सच सुन कर वो चुप हो गई और सर झुका कर खड़े हो गई|

"अब बोल क्या लेने आई थी यहाँ?" मैंने गुस्से में पुछा|

 मेरा गुस्सा देख उसका बुरा हाल था, फिर भी हिम्मत करते हुए वो बोली; "आप ...शादी तर प्लीज मत रुकना...कॉलेज से राहुल के दोस्त आएंगे और वो आपको देखेंगे तो....." रितिका ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी|

"मुझे यहाँ देख कर वो कहेंगे की ये तो चाचा-भतीजी हैं और कॉलेज में तो Lovers बन कर घुमते थे! Hawwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww" मैंने ऋतू को टोंट मारते हुए कहा| "ओह! तूने उसे मेरे बारे में कुछ नहीं बताया ना?" मैंने रितिका का मजाक उड़ाते हुए कहा|

[Image: giphytsk.gif]

 "अगर चाहूँ तो मुझे मिनट नहीं लगेगा सब सच बोलने में और फिर वो खेत में खड़ा पेड़ दिख रहा है ना?!" मैंने उस पेड़ की तरफ ऊँगली करते हुए उसे फिर ताना मारा| "पर मैं तेरी तरह गिरा हुआ इंसान नहीं हूँ! तुझे क्या लगा मैं यहाँ तेरी शादी में 'चन्ना मेरेया' गाने आया हूँ?!" इतना कह कर मैं नीचे जाने को पलटा तो रितिका को यक़ीन हो गया की मैं उसकी शादी में शरीक नहीं हूँगा और उसने मुझे; "थैंक यू" कहा पर मेरे मन में तो उसके लिए सिर्फ नफरत थी जो गाली के रूप में बाहर आ ही गई; "FUCK OFF!!!" इतना कह कर मैं नीचे आ गया|

     मैंने रितिका को अनु के बारे में कुछ नहीं बताया, क्यों नहीं बताया ये मैं नहीं जानता| शायद इसलिए की उसे ये जानकर जलन और दुःख होगा या फिर शायद इसलिए की कल को वो सबसे मेरे और अनु के बारे में कुछ न कह दे, या फिर इसलिए की उसका गंदा दिमाग इस सब का गंदा ही मतलब निकालता और फिर मेरा गुस्सा उस पर फूट ही पड़ता|!

       

मैं नीचे आया तो सब मुझे ही देख रहे थे क्योकि छत पर जब मेरी आवाज ऊँची हुई तो वो सब ने सुनी थी पर मैं कहा क्या ये वो सुन नहीं पाए थे! उनके लिए तो मैं रितिका को झाड़ रहा था| भाभी ने कहा की मैं खाना खा लूँ पर मैं बिना खाये ही बाहर चल दिया| भूख तो लगी थी पर मन अब घर में रहने को नहीं कर रहा था| मैं ने बाहर से फ्रूट चाट खाया और अनु को फ़ोन किया| उसे मैंने जरा भी भनक नहीं होने दी की अभी क्या हुआ! बात करते-करते मैं एक बगीचे में बैठ गया, कुछ देर बाद मुझे संकेत मिला और मेरी हालत देख कर वो समझ गया की लौंडा इश्कबाजी में दिल तुड़वा चूका है! उसने मुझसे लड़की के बारे में बहुत पुछा और मैं उसे टालता रहा ये कह कर की उस बेवफा को क्या याद करना! खेर मैं शाम को घर आया तो किसी ने मुझसे कोई बात नहीं की, चाय पी और आंगन में लेटा रहा| तभी वहाँ चन्दर आ गया और मुझे तना मारते हुए बोला; "मिल गई छुट्टी?" मैं एकदम से उठ बैठा और उसे सुनाते हुए कहा; "मुझे तो छुट्टी नहीं मिली पर तेरी तो बेटी की शादी है तूने कौन से झंडे गाड़ दिए?! अभी भी तो कहीं से पी कर ही रहा है!" वो कुछ बोलने को आया पर ताई जी को देख कर चुप हो गया| वो चुप-चाप अपने कमरे में घुसा और भाभी को आवाज दे कर अंदर बुलाया| 
        रात के खाने के समय ताई जी ने फिर मुझे बात सुनाने के लिए बोली; "भाई क्या जमाना आ गया है, चाचा की शादी हुई नहीं और हमें भतीजी की शादी करनी पड़ रही है!"


"दीदी क्या करें, बाहर जा कर इसके पर निकल आये हैं, तो ये हमारी क्यों सुनेगा?!" माँ ने कहा| मैंने चुप-चाप खाना खाया और अपने कमरे में आ गया| सर्दी शुरू हो चुकी थी इसलिए मैं दरवाजा भेड़ कर लेटा था की भाभी हाथ में दूध का गिलास ले कर आईं| आते ही उन्होंने शाल उतार कर रख दी, उन्होंने साडी कुछ इस तरह पहनी थी की उनका एक स्तन उभर कर दिख रहा था| ब्लाउज के दो हुक खोल कर वो मुझे अपना क्लीवेज दिखते हुए गिलास रखने लगीं| फिर मेरी तरफ अपनी गांड कर के वो नीचे झुकीं और कुछ उठाने का नाटक करने लगी| पर मेरा दिमाग तो उनकी सौतेली बेटी के कारन पहले से ही आउट था! मैं एक दम से उठ बैठा और उनका हाथ पकड़ कर अपने पास खींच कर बिठाया| भाभी के चेहरे पर बड़ी कातिल मुस्कान थी, वो सोच रहीं थी की आज उन्हें मेरा लंड मिल ही जायेगा जिसके लिए वो इतना तड़पी हैं!       


"क्यों करते हो ये सब?" मैंने उन्हें थोड़ा डाँटते हुए कहा|

"मैंने क्या किया?" भाभी ने अपनी जान बचाने के लिए कहा|

"ये जो अपने जिस्म की नुमाइश कर के मुझे लुभाने की कोशिश करते रहते हो!" मैंने भाभी के ब्लाउज के खुले हुए हुक की तरफ ऊँगली करते हुए कहा| ये सुन कर उनकी शर्म से आँखें झुक गई;

"बोलो भाभी? क्यों करते हो आप? आपको लगता है की इस सबसे मैं पिघल जाऊँगा और आपके साथ सेक्स करूँगा?!" अब भाभी की आँख से आँसू का एक कतरा उनकी साडी पर गिरा| ये देख कर मैं पिघल गया और समझ गया की बात कुछ और है जो भाभी मुझे बता नहीं रही;

"मुझे अपना देवर नहीं दोस्त समझो और बताओ की बात क्या है? क्यों आपको ये जिल्लत भरी हरकत करनी पड़ती है?" ये सुन कर भाभी एकदम से बिफर पड़ीं और रोने लगी, रोते-रोते उन्होंने सारी बात कही; "तुम जानते हो न अपने भैया को? बताओ मुझे और कुछ कहने की जर्रूरत है? इतने साल हो गए शादी को और मैं आज तक माँ बन नहीं पाई, बताओ क्यों? सारा दिन नशा कर-कर अपना सारा किस्म खराब कर लिया तो ऐसे में मैं क्या करूँ? कहीं बाहर इसलिए नहीं जाती की पिछली बार की तरह बदनामी हुई तो ये सब मुझे मौत के घाट उतार देंगे! इसलिए मैंने तुम्हारी तरफ आस से देखना शुरू किया! तुम्हारी तरफ एक अजीब सा खिचाव महसूस होता था| तुम्हें बचपन से बड़े होते देखा है, भले ही अब माँ बनने की उम्र नहीं मेरी कम से कम तुम्हें एक बार पा लूँ तो दिल को सकून मिले!"       

     “भाभी जो आपके साथ हुआ वो बहुत गलत है पर ये सब करना इसका इलाज तो नहीं? आप डाइवोर्स ले लो और दूसरी शादी कर लो!" मैंने भाभी को दिलासा देते हुए कहा|

"नहीं मानु! ये मेरी दूसरी शादी है और अब तीसरी शादी करना या करवाना मेरे परिवार के बस की बात नहीं! मेरे लिए तो तुम ही एक आखरी उम्मीद हो, रहम खाओ मुझ पर! तुम्हारा क्या चला जायेगा अगर मुझे दो पल की खुशियाँ मिल जायनेंगी?!" उन्होंने फिर रोते हुए कहा|

"नहीं भाभी मैं ये सब नहीं कर सकता!" मैंने उनसे दूर होते हुए कहा|

"क्यों?" भाभी ने अपने आँसू पोछते हुए कहा|

"क्योंकि मैं आपसे प्यार नहीं करता!"

"तो थोड़ी देर के लिए कर लो!" उन्होंने मिन्नत करते हुए कहा|

"नहीं भाभी ....मेरे साथ जबरदस्ती मत करो!"

"एक बार मानु! बस एक बार...."

"भाभी प्लीज चले जाओ!" मैंने उन्हें थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा क्योंकि उनकी आँखों में मुझे वासना नजर आ रही थी| भाभी की बातों से उनका दर्द मैं समझ सकता था पर एक उलझन थी, उन्हें बच्चा चाहिए या फिर अपने तन की आग मिटानी है| मेरा उनके साथ कुछ भी करना बहुत गलत होता इसलिए मैंने उनके साथ कुछ नहीं किया| भाभी उठ के जाने लगी तो मैंने कहा; "भाभी.... ताई जी से कहो की चन्दर को नशा मुक्ति केंद्र भेजे, थोड़ी तकलीफ होगी पर वो धीरे-धीरे सम्भल जायेगा| फिर हो सकता है की आपके रिश्ते उसके साथ सुधर जाएँ और प्लीज किसी और के साथ कुछ गलत करने की सोचना भी मत| आपकी इज्जत का बहुत मोल है, सिर्फ आपके लिए ही नहीं बल्कि इस घर के लिए भी| मैं भी दुआ करूँगा की आप को अपने पति से वो प्यार मिले जिस पर आपका हक़ है|" भाभी ने पहले हाथ जोड़ कर मूक माफ़ी माँगी और फिर हाँ में सर हिलाया और वो चली गईं| उनके जाने के बाद मुझे खुद पर गर्व हुआ क्योंकि मैं आज चाहता तो गलत रास्ते पर जा सकता था पर मैंने ऐसा नहीं किया, मैं लेट गया और चन्दर के बारे में सोचने लगा|        

               चन्दर बचपन से ही गलत संगत में रहा, पढ़ाई-लिखाई में उसका मन नहीं था क्योंकि वो जानता था की आगे उसे जमींदारी का काम संभालना है| उसे सुधरने के लिए घरवालों ने उसकी शादी जल्दी करा दी, ये सोच कर की वो सुधर जायेगा और वो कुछ सुधरा भी| पर फिर भाभी को वो प्यार नहीं दे पाया जो उसे देना चाहिए था| दिन भर खेत के मजदूरों के साथ गांजा फूकना शुरू किया तो भाभी पर से उसका ध्यान हटता रहा| फिर भाभी पेट से हुई, घर वाले लड़के की उम्मीद करने लगे और जब लड़की पैदा हुई तो सब ने उन्हें ही दोषी मान लिया| अब ऐसे में उन्हें खेत में काम करने वाले एक लड़के से प्यार हुआ और फिर वो काण्ड हुआ! उस काण्ड के बाद चन्दर के दोस्तों ने उसका बड़ा मजाक उड़ाया और इसी के चलते उसकी शादी फिर से करा दी| नई वाली भाभी का पति गौना होने से पहले ही मर गया था तो उनके लिए तो ये अच्छा मौका था पर उन्हें क्या पता की उन्हें एक चरसी के गले बाँधा जा रहा है, पता नहीं उसने नई भाभी को कितना प्यार दिया, या दिया भी की नहीं! बचपन से ही उसे इतने छूट दी गई थी जिसके कारन वो ऐसा हो गया| मेरे पैदा होने के बाद ना चाहते हुए भी घर में उसका और मेरा comparison शुरू हो गया और शायद इसी के चलते उसने किसी की परवाह नहीं की| खेतों में जाना छोड़ दिया, जो काम मेरे पिताजी को संभालना पड़ा| शहर वो सिर्फ और सिर्फ एक ख़ास 'माल' लेने जाता था, इस बहाने अगर किसी ने उसे कोई काम दे दिया तो वो करता या कई बार वो भी नहीं करता| ताऊ जी और पिताजी मजबूरी में सारा काम सँभालते थे क्योंकि उन्हें चन्दर से अब कोई उम्मीद नहीं थी|      

             

यही सब सोचते-सोचते सुबह हुई और मैं जल्दी से उठ गया, छत पर योग किया और वॉक के लिए बाहर निकल गया| मेरे वापस आने तक पिताजी और ताऊ जी भी आ चुके थे|

ताऊ जी: ये क्या हालत बना रखी है अपनी? 

उन्होंने भी सब की तरह वही सवाल दोहराया|

मैं: जी बीमार हो गया था|

पिताजी: तो यहाँ नहीं आ सकता था? फ़ोन कर देता हम लेने आ जाते? यहाँ तेरी देखभाल अच्छे से होती|

मैं: आप सब को शादी-ब्याह की तैयारी करनी थी ऐसे में मुझे अपनी तीमारदारी करवाना सही नहीं लगा| अभी मैं ठीक हूँ|

पिताजी: बहुत अक्ल आ गई तुझ में? ये कुछ पत्रियाँ हैं इन्हें आज बाँट आ और वापसी में टेंट वाले को बोलता आइओ की वो कल आजाये|

पिताजी ने मुझे शादी का काम पकड़ा दिया जो मैं कर नहीं सकता था क्योंकि उस घर में हर एक क्षण मुझे सिर्फ और सिर्फ दर्द दे रहा था|

मैं: पिताजी ....आप सब से कुछ बात करनी है|

ताऊ जी: बोल? (उखड़ी हुई आवाज में)

मैं: मुझे एक प्रोजेक्ट मिला है जिसके लिए मुझे अमेरिका जाना है और फिर उसी कंपनी ने मुझे बैंगलोर में जॉब भी ऑफर की है|

मेरा इतना कहना था की ताऊ जी ने एक झन्नाटे दर तमाचा मेरे दे मारा|

ताऊ जी: चुप चाप ब्याह के कामों में हाथ बँटा, कोई नहीं जाना तूने अमेरिका!

मैं: ताऊ जी ये मेरी लाइफ का सवाल है!

पिताजी: भाई साहब ने कहा वो सुनाई नहीं दे रहा तुझे? कहीं नहीं जायेगा तू! जितना उड़ना था उतना उड़ लिया तू, अब घर बैठ!

मैं: पिताजी विदेश जाने का मौका सब को नहीं मिलता, मुझे मिला है और मैं इसे गंवाना नहीं चाहता| (मैंने थोड़ा सख्ती दिखते हुए कहा|)

ताऊ जी: तुझे विदेश जाना है ना, तू शादी कर मैं भेजता हूँ तुझे विदेश!

मैं: ताऊ जी आपको पता है की एक तरफ की टिकट कितने की है? 90,000/- रूपए है! दो लोगों का आना-जाना 4 लाख रूपए! वहाँ रहना-खाना अलग! एक ट्रिप के लिए सब कुछ बेचना पड़ जायेगा आपको!     

ताई जी: तुझे शर्म नहीं आती जुबान लड़ाते?

ताऊ जी: नहीं ...नहीं...नहीं...बात कुछ और है! ये विदेश जाना इसका बहाना है, असल बात कुछ और है?

ताऊ जी कुछ-कुछ समझने लगे थे पर मुझे तो उनसे सच छुपाना था इसलिए मैं बस इसी बात को पकड़ कर बैठ गया|

मैं: नहीं ताऊ जी, मैं आपसे सच कह रहा हूँ| ये देखिये....

ये कहते हुए मैंने उन्हें फ़ोन में ई-मेल दिखाई जो उनके समझ तो आनी नहीं थी, इसलिए मैंने ऋतू को इशारे से बुलाया और उसे पढ़ने को कहा| उसने साड़ी मेल पढ़ी और ये भी की वो मेल अनु ने भेजा है|

रितिका: जी दादा जी|

पिताजी: चल एक पल को मान लेता हूँ पर तू कुछ दिन रुक कर भी जा सकता है ना? रितिका क्या तारिख लिखी है इसमें?

रितिका: जी 29 तरीक!

ताऊ जी: अब बोल? 

मैं: (एक गहरी साँस लेते हुए) आपको सच सुनना ही है तो सुनिए, में इस शादी से ना खुश हूँ! इस Idiot को पढ़ाने के लिए मैंने क्या-क्या पापड़ नहीं बेले! वो पंडित याद है ना आपको जिसे आपने इसके दसवीं के रिजल्ट वाले दिन बुलाया था, उसे मैंने पूरे 5,000/- रुपये खिलाये थे ताकि वो आपके सामने झूठ बोले की इसके ग्रहों में दोष है, वरना आप तो इसकी शादी तब ही करा देते! और ये वहाँ शहर में उस मंत्री के लड़के से इश्क़ लड़ा रही थी! आप सब को पता है न उस मंत्री के बारे में की उसने क्या किया था? यही सब करने के लिए इसे शहर भेजा था आपने? शादी के बाद तो अब इसे वो मंत्री पढ़ने नहीं देगा!

मैंने जानबूझ कर रीतिका को बलि का बकरा बनाया, इधर मेरी बात सुन ऋतू का सर शर्म से झुक गया क्योंकि मैंने जो कहा था वो सच ही था! वहीं मेरे मुँह से ये सुनते ही ताऊ जी ने अपना सर पकड़ लिया और पिताजी समेत बाकी सभी लोग मुझे देखने लगे|

ताई जी: तो इसी लिए तो कल रितिका पर बरस रहा था, हमने कितना पुछा पर वो कुछ नहीं बोली बस रोती रही!

वो आगे कुछ और बोलतीं पर ताऊ जी ने हाथ दिखा कर उन्हें चुप करा दिया  और खुद बोले;

ताऊ जी: तूने हम लोगों से दगा किया?

मैं: दगा कैसा? आप सब को प्यार से जब समझाया की इसे आगे पढ़ने दो तब आप सब ने मुझे ही झाड़ दिया तो मुझे मजबूरन ये करना पड़ा| मुझे क्या पता था की शहर जा कर इसे हवा लग जायेगी और ये ऐसे गुल खिलाएगी?!

पिताजी: कुत्ते! (पिताजी ने मुझे जीवन में पहली बार गाली दी|)

मैं: आप सब को मैं ही गलत लग रहा हूँ? इसकी कोई गलती नहीं? दो साल पहले तक तो आप सब इसे छोटी सी बात पर झिड़क दिया करते थे और आज अचानक इतना प्यार क्यों?

ताई जी: इसकी हिमायत इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसके कारन हमें इतने बड़े खानदान से नाम जोड़ने का मौका मिल रहा है| समाज में हमें वो समान वापस मिलने वाला है जो इसकी माँ के कारन छीन गया था| तूने ऐसा कौन सा काम किया है?

मैं: ताई जी आपको बस घर के मान सम्मान की पड़ी है? कल से आया हूँ आप में से किसी ने भी ये पुछा की मेरी तबियत कैसी है? मुझे आखिर क्या बिमारी हुई थी? दो पल किसी ने प्यार से पुचकारा मुझे? ऐसा कौन सा जादू चला दिया इसने यहाँ रह कर?

ताऊ जी: बस कर! मैं तुझसे बस एक आखरी बार पूछूँगा, तू यहाँ रह कर शादी में शरीक होगा या फिर तुझे विदेश जाना है?

मैं: मैं विदेश जाना चाहता हूँ|

ताऊ जी: ठीक है, अपना सामान उठा और निकल जा मेरे घर से! दुबारा यहाँ कभी पेअर मत रखिओ, मैं तुझे जायदाद से भी बेदखल करता हूँ| 

ताऊ जी का फैसला सुन कर मुझे लगा की मेरे माँ-बाप रोयेंगे या मुझे समझायेंगे पर पिताजी ने गरजते हुए कहा;

पिताजी: सामान उठा और निकल जा!

मैं आँखों में आँसू लिए ऊपर अपना बैग लेने चल दिया| बैग ले कर आया और एक-एक कर सबके पेअर छुए पर किसी ने एक शब्द नहीं कहा| जब पिताजी के पाँव छूने आया तो उन्होंने मुझे दकके मारते हुए घर से निकाल दिया और दरवाजे मेरे मुँह पर बंद कर दिए| मैं अपने आँसू पोछते हुए चल दिया, आज मन बहुत दुखी था और खून के आँसू रो रहा था और इस सब का जिम्मेदार अगर कोई था तो वो थी रितिका! ना वो मेरी जिंदगी में जबरदस्त घुस आती और तबाही मचा कर मेरा हँसता-खेलता जीवन उजाड़ती! बस स्टैंड पर पहुँचने से पहले मुझे संकेत मिला और मैंने उससे मदद मांगते हुए कहा; "यार एक मदद कर दे! देख मुझे कुछ जर्रूरी काम से जाना पड़ रहा है तू प्लीज शादी के काम संभाल लिओ!" उस मिनट नहीं लगा कहने में की चिंता मत कर पर वो समझ गया की बात कुछ और है| पर मैंने उसे कहा की मैं बाद में बता दूंगा, फिलहाल वो मेरे घर में होने वाले कार्यक्रम को संभाल ले! उसकी यहाँ बहुत जान-पहचान थी और मैं जानता था की वो आसानी से सारा काम संभाल लेगा| मैं बस में बैठ कर वापस लौटा, घर आते-आते 2 बज गए थे और जैसे ही बैल बजी तो अनु ने ख़ुशी-ख़ुशी दरवाजा खोला| पर जब मेरी आँसुओं से लाल आँखें देखीं तो वो सब समझ गई और एकदम से मेरे गले लग गई और रो पड़ी| मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और हम घर के अंदर आये| मैंने रितिका की शादी की बात छोड़ कर उसे सब बता दिया और वो भी बहुत दुखी हुई और कहने लगी की मैंने क्यों जबरदस्ती अमेरिका जाने की जिद्द की!

"वहाँ अब मेरी कोई जर्रूरत नहीं थी, मुझे अपनी जिंदगी में अब आगे बढ़ना है और वो सब मुझे अब भी इसी तरह बाँध के रखना चाहते हैं| मैं उड़ना चाहता हूँ पर उनकी सोच अब भी शादी पर अटकी हुई है! दो पल के लिए प्यार से बात कर के समझाते तो शायद मैं जाने से मना भी कर देता पर सब को मुझ पर सिर्फ गुस्सा ही आ रहा था| कल से किसी ने ये तक नहीं पुछा की मुझे बिमारी क्या हुई थी? मेरी अपनी माँ तक ने मेरा हाल-चाल नहीं लिया| तो अब क्या उम्मीद करूँ? अब या तो उनके हिसाब से चलो और जो वो कहें वो करो तो सब ठीक है पर जहाँ अपनी मर्जी चलानी चाही तो मुझे घर से निकाल दिया| मेरे अपने पिताजी ने मुझे धक्के मार कर घर से निकाल दिया|"  ये कहते हुए मेरी आँखें फिर नम हो गईं| अनु ने आगे बढ़ कर मेरे आँसू पोछे और मुझे अपने सीने से लगा कर पुचकारा|
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Update तो मस्त था भाई लेकिन तुमने ऋतिका की माँ चोदने का मौका छोड़ दिया
☺☺☺☺
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Mst update tha
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Superb bhai
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bhai sahab, kya kamaal likhate ho. aaj ek hafte bhar bad log in kiya to dekha ki kya jabardast mod aa gaya hai story me. Boss, kuch bhi karo, ise complete jarur karna.
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update 67

अपने ही माँ-बाप के द्वारा दुत्कारे जाने से मैं बहुत उदास था, पर इसमें उनका कोई दोष नहीं था, दोष था तो उस रितिका का!

खेर दोपहर का समय था पर खाने का जरा भी मन नहीं था| मन तो अनु का भी नहीं था पर वो जानती थी की खाना खा के मुझे दवाई लेनी है, पहले ही मैं सुबह घर से भूखे पेट निकला जा चूका था| उन्होंने जबरदस्ती खाना परोसा और प्लेट मेरे सामने रख दी| मैंने ना में गर्दन हिला कर मना किया पर वो नहीं मानी, अपने हाथों से एक कौर मेरे होठों के सामने ले आईं| मेरा मन नहीं हुआ की मैं उनका दिल तोड़ूँ, इसलिए मैंने मुंह खोला और उन्होंने मुझे वो कौर खिला दिया| खाना खा कर मैं बालकनी में फिर अपनी जगह बैठ गया| मेरा सर चौखट से लगा था और घुटने मेरे सीने से दबे थे| अनु बिना कुछ बोले मेरे साथ बैठ गई और अपना सर मेरे दाएँ कंधे पर रख दिया| हम दोनों ऐसे ही चुपचाप बैठे रहे, मुझे लगा कहीं अनु खुद को इस सब के लिए दोषी न मानने लगे इसलिए मैंने बात शुरू की; "भगवान का शुक्र है की आप हो मुझे संभालने के लिए वरना पता नहीं मेरा क्या होता!" पर अनु खामोश रही  अब उन्हें बुलवाने के लिए मुझे कुछ तो करना ही था|

"मैं तो बस तुझसे ही बना हूँ

तेरे बिन मैं बेवजह हूँ

मेरा मुझे कुछ भी नही, सब तेरा

सब तेरा, सब तेरा, सब तेरा"  मैंने गाने के बोल गुनगुनाये तो अनु एक दम से मेरी तरफ देखने लगी और उनके होठों पर मुस्कराहट तैरने लगी जो मुझे पसंद थी|

"मैं तो तेरे रंग में रंग चुका हूँ

बस तेरा बन चुका हूँ

मेरा मुझमे कुछ नही, सब तेरा" अब तो ये सुन कर अनु जोश में आ गई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा किया और अपने फ़ोन पर यही गाना लगा दिया| अनु मेरे सीने से लग कर खड़ी हुई और  हम धीरे-धीरे झूमने लगे और गाने के बोल गुनगुनाने लगे| अब दोनों का मूड ठीक हो चूका था तो हमें जाने की प्लानिंग करनी थी| सामान अनु ने पहले से ही पैक कर दिया था, बस अब मेरी एक बाइक बची थी| जिसे बेचने का मन मेरा कतई नहीं था क्योंकि वो मैंने अपने पैसों से खरीदी थी, अनु मेरी परेशानी अच्छे से जानती थी इसलिए वो बोली; "तुम्हें ये बेचने की कोई जर्रूरत नहीं है|" इतना कह कर उन्होंने फटाफट एक फ़ोन घुमाया; "अक्कू! सुन बेटा मुझे लखनऊ से एक बुलेट भेजनी है बैंगलोर तो जरा पता कर के बताना कैसे भेजेंगे!" उस लड़के ने कुछ कहा होगा की अनु बोली; "ओये! तेरे लिए नहीं है, मेरे फ्रेंड की है| हाँ वही वाला!" ऐसे कहते हुए वो हँसने लगी| कॉल खत्म हुआ तो मैंने पुछा; "वही वाला? और कितने फ्रेंड हैं आपके?"

"पिछले कुछ दिनों से तुम मेल भेज रहे थे ना तो वो पूछ रहा था की वो मेल वाला फ्रेंड|" ये सुन कर मैं भी मुस्कुरा दिया| फिर मैंने उनसे उनका बैंक अकाउंट नंबर माँगा तो वो भड़क गईं; "मुझे पैसे दोगे?"

"अरे बाबा! अब यहाँ से जा रहा हूँ तो बैंक आकउंट यहाँ रख कर क्या फायदा? कौन बार-बार यहाँ आएगा, इसलिए अभी मैं आपके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर रहा हूँ और बाद में वहाँ अकाउंट खुलने के बाद आप वापस मेरे अकाउंट में डाल देना||" ये सुनने के बाद वो समझीं और डिटेल्स  दीं, पर जब अमाउंट ट्रांसफर हुआ और उन्होंने 4 लाख रुपये देखे तो वो आँखें फाड़े मुझे देखने लगी| "इस तरह आँख मूँद कर कभी किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए!" अनु ने कहा|

"किसी पर नहीं करता, पर आप पर करता हूँ!" इतना कह कर मैं मुस्कुरा दिया|

"थैंक यू इतना विश्वास करने के लिए!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा| हमारे पास मुश्किल से दो दिन ही रह गए थे, मैंने अरुण-सिद्धार्थ को मिलने बुलाया, हम चारों हॉल में बैठे थे और अनु ने सब के लिए चाय बना दी थी| अनु मेरे साथ बैठी थी और अरुण और सिद्धार्थ मेरे सामने बैठे थे| पता नहीं क्यों पर वो दोनों कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहे थे; "यार तुम दोनों को एक खुश खबरि देना चाहता हूँ!" मैंने कहा| इतना सुनते ही उनकी बाछें खिल गई| "बता यार, तेरे मुँह से खुशखबरी सुनने को कान तरस गए थे|" अरुण ने कहा|

"यार अनु को एक प्रोजेक्ट मिला जिसके सिलसिले में हम New York जा रहे हैं और उसके बाद वापसी में मैं अनु को ही बैंगलोर में ज्वाइन करूँगा|" मेरी बात अनु को अधूरी लगी तो उन्होंने उसमें अपनी बात जोड़ दी;

"Not as an employee but as a business partner!!!" ये सुन कर अरुण और सिद्धार्थ दोनों खुश हुए पर ये वो खबर नहीं थी जो वो सुनना चाहते थे|

"अरे wow!" अरुण ने कहा और सिद्धार्थ ने मुझसे हाथ मिलाया और इस बार उसकी पकड़ थोड़ी कठोर थी और वो मुझे आँखों से कुछ इशारा भी कर रहा था जिसे मैं समझ नहीं पाया था| "अब तो पार्टी बनती है!" अरुण बोला पर पार्टी सुनते ही अनु का चेहरा थोड़ा फीका पड़ गया क्योंकि मैं बाहर कुछ भी नहीं खा सकता था|  

"Guys, डॉक्टर ने मुझे बाहर से खाने को मना किया है!" मैंने सफाई देते हुए कहा|

"अरे तो क्या हुआ? हम घर पर ही कुछ बना लेते हैं! चल गाजर का हलवा बनाते हैं!" सिद्धार्थ ने पूरे जोश में आते हुए कहा| इतना कह कर हम तीनों उठ खड़े हुए पर अनु बोल पड़ी;

"अरे तो तुम लोग बैठो मैं बनाती हूँ|"

"अरे mam आप क्यों तकलीफ करते हो, हम तीनों हैं ना!" अरुण बोला|

"ये क्या mam-मम लगा रखा है? You're not my employees anymore! Call me Anu!" अब ये सुन कर दोनों मेरी तरफ देखने लगे| तभी अनु दुबारा बोली; "मानु भी तो मुझे अनु कहता है फिर तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?"

"Mam वो क्या है न हम इसकी तरह बद्तमीज नहीं हैं!" सिद्धार्थ ने मेरी टाँग खींचते हुए कहा| 

"ओह! भाई साहब मुझे भी इन्होने ही बोला था की नाम से बुलाया करो!" मैंने अपनी सफाई दी|

"Guys, ये बात तो सच है की इससे ज्यादा तमीजदार लड़का मैंने नहीं देखा| Chivalry तो इनके रग-रग में बसी है|"

"Mam वो..." अरुण कुछ कहने को हुआ तो अनु ने उसकी बात काट दी;

"Come on guys!" उनका इतना कहना था की दोनों मान ही गए और एक साथ बोले; "ओके अनु जी!"

"अनु जी नहीं सिर्फ अनु!" अनु ने कहा तो दोनों ने मुस्कुरा कर हाँ में सर हिलाया| उसके बाद हम तीनों ने किचन में मिलकर गाजर का हलवा बनाया और बनाते-बनाते हमारी बहुत सी बातें हुई, बहुत से राज खोले गए और हँसी मजाक खूब चला|

20 तरीक को हम सुबह एयरपोर्ट के लिए निकले, दिल का एक टुकड़ा अचानक से रो पड़ा और आँखें नम हो गईं| हम टैक्सी में बैठे थे और मेरी नजरें खिड़की से चिपकी हुईं थी, हर वो दूकान, हर वो मोहल्ला, हर वो सड़क जहाँ मैंने घूमते हुए इतने साल निकाले आज वो सब मैं पीछे छोड़ कर जा रहा था| कॉलेज से ले कर अब तक करीब 7 साल बिताने के बाद जैसे दिल का एक हिस्सा यहीं रह जाना चाहता था| इस शहर ने मेरी जिंदगी का हर एक पहलु देखा था फिर चाहे वो कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट की आवारागर्दी हो या मोहब्बत में चोट खाये आशिक़ के आँसू! मेरे ये आँसू अनु से छुप नहीं पाए और उन्होंने मेरी ठुड्डी पकड़ के अपनी तरफ घुमाई और आँखों के इशारे से पुछा की क्या हुआ? तो मैंने उन्हें अपने मन के ख्याल सुना दिए| ये सुन कर वो मुस्कुरा दी और मेरे माथे को चूमते हुए बोलीं; "तुम शहर छोड़ कर नहीं बल्कि इस यादें अपने सीने में बसाये ले जा रहे हो|" मैंने हाँ में सर हिलाया और उनकी बात accept की!


इमोशनल होते हुए हम एयरपोर्ट पहुँचे, ये मेरी लाइफ की पहली हवाई यात्रा थी जो अनु करवा रही थी| कहने को तो ये ढाई घंटे की यात्रा थी पर मेरे लिए ये यादगार यात्रा थी| अपने फ़ोन से मैं जितनी पिक्चर ले सकता था वो लीं, अनु को मुझे ऐसा करता देख एक अजीब सा सुख मिल रहा था और वो बैठी बस मुस्कुराती हुई मुझे देख रही थी| मैं उनके पास आया और उनके साथ बहुत सी selfie खींची| रितिका और मेरी साड़ी selfie तो मैं डिलीट कर चूका था और फ़ोन खाली था, तो सोचा की उसे एक अच्छे दोस्त के साथ फोटो खींच कर भर दूँ| खेर जब बोर्डिंग शुरू हुई तो हमारी seats एक साथ नहीं बल्कि दूर-दूर थीं क्योंकि मेरी टिकट लास्ट में बुक हुई थी| पर अनु बहुत होशियार थी, उनकी बगल वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी तो उसने उससे कहा; "excuse me, मेरे हस्बैंड और मेरी seats दूर-दूर मिली हैं तो आप प्लीज वहाँ बैठ जाओगे?" उस लड़की ने मुस्कुराते हुए हाँ भरी और मेरे पास आई और मेरे कंधे को छूते हुए कहा; "आपकी वाइफ बुला रही हैं!" मैं हैरानी से उसे देखने लगा की ये क्या बोल रही है, फिर मैंने पलट कर देखा तो अनु हँस रही थी| मैं समझ गया और उठ कर उनके पास चल दिया| "यार आपको चैन नहीं है ना?" मैंने हँसते हुए कहा| मैं उनके बगल वाली सीट पर बैठने लगा तो उन्होंने मुझे अपनी खिड़की वाली सीट दे दी| हवाई जहाज में पहलीबार बैठना वो भी खिड़की वाली सीट पर! Take off से पहले सीट बेल्ट की announcement हुई और फ़ोन switch off करने की पर आज मैं अपने जीवन में पहली बार अपना फ़ोन 'airplane' mode में डालने को मरा जा रहा था| जब मैंने ये बात अनु को बताई तो वो भी मेरा बचपना सुन हँस पड़ी| Take off और Land करते हुए मेरी थोड़ी फटी थी पर अनु ने मेरे बाएँ हाथ पर अपने हाथ रखे हुए थे तो डर कम लगा| हम बैंगलोर पहुँचे और बाहर निकलते ही मैंने उस जमीन को अपनी उँगलियों से iछू लिया| "जब पहलीबार लखनऊ आया था कॉलेज पढ़ने तब भी मैंने ये किया था और आप देखो कितना प्यार दिया उस शहर ने और आज यहाँ नई जिंदगी शुरू करने आया हूँ तो गर्व महसूस हो रहा है|" मैंने कहा तो अनु ने मेरी पीठ थपथपाई! अनु ने अक्कू को फ़ोन किया तो उसने हमें बाहर बुलाया, बाहर पहुँच कर देखा तो मुझे विश्वास नहीं हुआ, वहाँ अक्कू मेरी बाइक के साथ खड़ा था| मैंने हालाँकि अक्कू को तो नहीं पहचाना पर अपनी बाइक को पहचान गया था| "तुम्हारा welcome gift!" अनु ने कहा तो मेरे चेहरे पर खुशियाँ अपने रंग बिखेरने लगी| "बेटा ये तीन बैग ले कर तू घर निकल हम तुझे वहीँ मिलेंगे|" अनु ने अक्कू को कहा और उसने तुरंत ऑटो कर लिया| मैंने दाहिने हाथ को चूमा और फिर उसी हाथ से बाइक को छुआ और फिर उस पर सवार हो कर बड़े स्टाइल से किक मारी, वो भड़भड़ करते हुए स्टार्ट हुई और ये आवाज नए शहर में सुन मेरे मन में रोमांच भर उठा| अनु पीछे से आ कर मेरे से सट कर बैठ गई| "सच्ची आज एक आरसे बाद तुम्हारे साथ बाइक पर बैठने का मौका मिला है|" अनु खुश होती हुई बोली और मुझे पीछे से थाम लिया| अनु मुझे रास्ता बताती रही और मैं बाइके ख़ुशी-ख़ुशी चलाता रहा, रास्ते में पड़ने वाली हर जगह के बारे में मुझे जानकारी दी| अंततः हम घर पहुँचे, नीचे बाइक खड़ी कर के हम ऊपर पहुँचे तो अनु ने घंटी बजाई दरवाजा एक मलयाली लड़की ने खोला जो वहाँ काम करती थी| उसके हाथ में पूजा की थाली थी और मेरे चेहरे पर हैरानी! "वो दीदी ने बोला की आप आ रे कर के!"

"यार मेरा ग्रह प्रवेश हो रहा है क्या?" मैंने कहा और फिर हम तीनों ठहाका मार के हँसने लगे| खेर अंदर जाने के बाद अनु ने मेरा उस लड़की से इंट्रो करवाया, उसका नाम 'रंजीथा' था| (नाम लिखने में कोई गलती नहीं हुई है, असली नाम यही था रंजीथा|) पर ये घर 1 BHK था और मुझे रंजीथा के सामने उनके कमरे में जाने में झिझक हो रही थी| इतने में अक्कू समान ले कर आ गया, मैंने फ़ौरन उसके हाथ से सूटकेस लिया| अब अक्कू और रंजीथा के सामने मैं कैसे सामान अंदर रखूँ?

         मैं हॉल में ही बैठ गया और इधर अनु ने रंजीथा को खाना बनाने के बारे में instruction शुरू कर दिया| अक्कू उर्फ़ आकाश एक ट्रेनी था और उसी की तरह एक और लड़का था जिसका नाम रवि था| दोनों MBA स्टूडेंट्स थे और अनु के पास training ले रहे थे| "तो ऑफिस चलें?" मैंने पुछा तो अनु अक्कू को देखने लगी और फिर ना में सर हिला दिया| "आज ही तो आये हैं और तुम्हें आज से ही काम स्टार्ट करना है? चलो पहले थोड़ा घूम लो, ऑफिस कल से ज्वाइन कर लेना| मैंने भी सोचा की ठीक ही तो है आज का दिन शहर ही घुमते हैं| इसलिए वो पूरा दिन हम शहर घुमते रहे और जब रात को वापस आये तो मुझे अनु के कमरे में मेरा सामान मिला| "मैं हॉल में ही सो जाता हूँ!" मैंने कहा तो अनु भड़क गई; "क्या हॉल मैं सो जाता हूँ? ये डबल बीएड पर मैं अकेले सोऊँ?"

"यार अच्छा नहीं लगता की हम दोनों एक घर में एक ही रूम में सोएं! आपके employees और रंजीथा क्या सोचेगी?"

"मानु ये लखनऊ नहीं है, यहाँ लोग Live-in रिलेशनशिप में रहते हैं और तुम हो के बेड शेयर करने से डर रहे हो? हम सिर्फ एक बेड शेयर कर रहे हैं ना और तो कुछ नहीं? So grow up!"

लेटते ही अनु को नींद आ गई पर मेरे लिए जगह नई थी तो थोड़ी बेचैनी थी! मैं चुप-चाप उठा और बालकनी में खड़ा हो गया और उस सोते हुए शहर को देखने लगा| मुझे वो शहर भी लखनऊ जैसा ही लगा बीएस दिन के समय ये लखनऊ से अलग था वर्ण रात में तो ये अब भी वैसे ही लग रहा था| मैं हाथ बाँधे खड़ा चाँद को निहारता रहा और जब लगने लगा की अब नींद आ रही है तो सोने चला गया| अगले दिन सबसे पहले उठा और चाय बनाने की सोची पर कीतचने में क्या कहाँ रखा है उसमें थोड़ा समय लगा| आखिर चाय बन गई और मैं अनु के लिए चाय ले कर पहुँचा तो वो करवट ले कर लेटी हुई थी| मैंने उनके साइड टेबल पर चाय रखी और एक आवाज दी और उन्होंने आँख खोल दी| सामने चाय देख वो उठ बैठीं; "अरे मुझे बोला होता?"

"जल्दी उठ गया था तो सोचा चाय बना लूँ!" मैंने कहा और उनके सामने बैठ कर चाय की चुस्की लेने लगा| फिर हम रेडी हुए और ऑफिस के लिए निकले, अभी मैं बाइक पार्क ही कर रहा था की अनु ने अक्कू को कॉल कर दिया| मैंने ये नहीं देखा और जब मैं आया तो हम एक बुलिडिंग में दाखिल हुए, मुझे लगा की इतनी बड़ी बिल्डिंग में ऑफिस होना ही बड़ी बात है पर जब हम ऊपर पहुँचे तो ये एक शेयर्ड ऑफिस निकला| दरवाजे पर अक्कू और रवि दोनों प्लेट ले कर खड़े थे, दरवाजे पर वेलकम का स्टीकर था और मैं ये देख कर खुश था| रवि चूँकि ब्राह्मण था तो वो मंत्र पढ़ते हुए उसने तिलक किया और फिर आरती ले कर हम अंदर घुसे| सामने ही एक छोटा सा मंदिर था मैंने वहाँ प्रणाम किया और प्रार्थना की कि भगवान हमें काम में तरक्की देना| अनु का ऑफिस कुल मिला कर बीएस दो कमरों का ही था, एक बड़ा हॉल जिसमें दो डेस्क थे जिनपर प्रिंटर और दोनों लड़कों के लैपटॉप थे| दूसरा था एक छोटा केबिन जिसमें एक बॉस चेयर, बॉस टेबल और उसके सामने दो चेयर्स अनु ने मुझे अपनी चेयर पर बैठने को कहा पर मैं नहीं माना; "ये आपकी जगह है!" मैंने कहा पर तभी अक्कू ने Partnership Deed अनु के हाथ में दी| अनु ने वो दीड टेबल पर रखी और मुझे कहा; "ये लो partnership deed इस पर साइन करो और पूरे हक़ से यहाँ बैठो|

"पर इसकी क्या जर्रूरत है?" मैंने कहा|

"अरे कमाल करते हो? बिना इस पर साइन किये हम अकाउंट कैसे खोलेंगे? और अभी तो और भी जर्रूरी डाक्यूमेंट्स हैं जिन पर तुम्हें साइन करना है!"  उनकी बात सही थी इसलिए मैंने बिना पड़े ही साइन कर दिया| "पढ़ तो लो?" अनु ने कहा|

"आपने पढ़ लिया था न? तो बस!" मैंने कहा| पर अब अनु फिर से कहने लगी की मैं उसकी सीट पर बैठूँ; "नहीं...ये आपकी जगह है धीरे-धीरे जब मैं इस ऑफिस में अपनी जगह बना लूँगा तब बैठूंगा, पर फिलहाल तो मुझे बाकियों से मिलवाओ!" इतना कह कर मैंने बात टाल दी और फिर अनु ने मुस्कुराते हुए आस-पड़ोस वाले Bosses से इंट्रो कराया ये कह के की मैं उनका Business Partner हूँ! सबसे मिलकर हम वापस आये, रवि और अक्कू अपने डेस्क पर बैठे काम कर रहे थे| "अच्छा आकाश आप मुझे clients की lists दे दो!" मैंने कहा तो उसने जवाब में "ओके सर" कहा| उस समय मेरी छाती गर्व से फूल गई| जिस इंसान ने इतने साल से सबको सर कहा हो अचानक से उसे कोई सर कहे तो उसे कितना गर्व होता है ये मुझे उस दिन पता चला| मैं तो काम में लग गया पर अनु ने शॉपिंग शुरू कर दी| लंच टाइम मैंने सबके लिए बाहर से खाना मंगाया और मेरा खाना तो मैं साथ ही लाया था| आकाश और रवि ने पुछा तो मैंने उन्हें बता दिया की मेरी तबियत ठीक नहीं है और डॉक्टर ने मुझे बाहर के खाने से परहेज करने को कहा है| शाम होते ही अनु मुझे मॉल ले गई और वहाँ उसने मुझे बिज़नेस सूट दिलवाया, अब चूँकि मुझे New York जाना था तो presentable तो लग्न था| फिर वहीँ एक saloon में मुझे एक अच्छा सा haircut और beard स्टाइल करवाया और अब मैं वाक़ई में हैंडसम लग रहा था| "हाय! मानु सच्ची बड़े सेक्सी लग रहे हो!" अनु ने कहा और इधर मेरे गाल शर्म से लाल हो गए| जब मैंने खुद को आईने में देखा तो पाया की कहाँ उस दिन जब मैंने खुद को आईने में देख कर अफ़सोस किया था और कहाँ आज जब मैं वाक़ई में इतना हैंडसम दिख रहा हूँ|


खेर दूसरे दिन हमारी New York की फ्लाइट थी और उत्साह से भरे हम दोनों वहाँ पहुँचे और होटल में check-in किया| वो पूरी रात हमने presentation और बाकी की सारी तैयारी में लगा दी| हमारी प्रेजेंटेशन से पहले एक सेमीनार था जहाँ उनहोनेकुछ guidelines दी थीं, मुझे उसके हिसाब से थोड़े changes करने पड़े और हम तैयार थे| कॉन्फ्रेंस रूम में दो Americans बैठे थे जिन्हें हमें प्रेजेंटेशन देनी थी| स्टार्ट अनु ने किया और जैसे ही data present करने की बारी आई तो उन्होंने मुझे पॉइंटर दे दिया| मैंने बड़े ही आराम से उन्हें सारा कुछ समझाया और उसके बाद उन्होंने हमें बाहर बैठने को कहा| हम दोनों ही बाहर बेसब्री से इंतजार कर रहे थे की तभी उन्होंने हमें अंदर बुलाया और कॉन्ट्रैक्ट ऑफर किया| ये सुनते ही अनु ख़ुशी से उछल पड़ी और मेरे गले लग गई और मेरे दाएं गाल को अपनी लिपस्टिक से लाल कर दिया|, ये देख वो अंग्रेज भी हँसने लगे और हम दोनों भी हँसने लगे| "Thank you sir for giving us this opportunity and I promise we’ll deliver what we promised!” मैंने ये कहते हुए उनसे हाथ मिलाया और फिर हम दोनों हँसी-ख़ुशी बाहर आये| बाहर आते ही ऋतू ने फिर से मुझे अपनी बाहों में कस लिया| आज दिवाली थी तो वहाँ से निकल कर हम सीधा होटल आये और वहाँ नहा-धो कर हम ने कपडे बदले| मैंने कुरता-पजामा और अनु ने साडी पहनी और हम सीधा मंदिर पहुँचे| ये पहलीबार था की मैं दिवाली पर अपने परिवार के साथ नहीं था और जब हम मंदिर पहुँचे तो वहाँ सब लोगों को उनके परिवार के साथ देख आखिर मेरी आँखें छलक ही आईं| अनु ने मेरे आँसू पोछे पर उनका भी वही हाल था जो मेरा था| मैंने उनकी आँखें पोछीं और फिर हमने भगवान के दर्शन किये और अपने लिए तथा अपने परिवारों के लिए भी प्रार्थना की| पूजा के बाद मैंने संकेत को फ़ोन किया और उससे हाल-चाल लेने लगा तो उसने जो बताया वो सुन कर मैं हैरान हो गया| मेरे घर में बाकायदा पूजा हो रही थी और खुशियाँ मनाई जा रही थी, किसी को भी मेरे ना होने का गम नहीं था! दिल दुखा की मैं यहाँ सब को इतना miss कर रहा हूँ और वहाँ किसी को कोई दुःख भी नहीं, पर फिर ये सोचा की मेरी कमी शायद रितिका की शादी ने पूरी कर दी होगी| शादी की सारी तैयारियाँ संकेत करवा रहा था जिससे पिताजी और ताऊ जी को थोड़ी सहूलत थी| उन्होंने उसे ये भी बता दिया था की मुझे घर से निकाल दिया गया है क्योंकि मैंने भतीजी की शादी की जगह विदेश जाना ज्यादा जर्रूरी समझा जिस पर संकेत ने मुझे डाँटा| पर मैं उसे सच नहीं बता सकता था इसलिए जो वो कह रहा था वो सब सुनता रहा| फ़ोन पर बात करने के बाद मैं उदास खड़ा था की तभी अनु ने पीछे से आ कर मेरा दाहिना हाथ थाम लिया| "क्या हुआ? घर पर सब ठीक है ना?" अनु ने पुछा तो मैंने झूठी मुस्कान के साथ कहा; "हाँ...सब ठीक है! चलो चल कर कुछ खाते हैं!" अब चूँकि वहाँ घर का खान नहीं मिल सकता था तो बाहर खाने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था| पर मेरी तबियत में पहले से काफी सुधार था इसलिए मैंने ये रिस्क ले लिया| खाना मैं कम मिर्च और तेल वाला ही खा रहा था ताकि कुछ कम्प्लीकेशन ना बढे| खा-पी कर हम होटल लौटे और लेट गए, अनु जानती थी की मेरा मन उदास है और कहीं मैं इस दुःख को फिर से अपने सीने से ना चिपका लूँ इसलिए आज लेटते समय उन्होंने मेरी कमर पर हाथ रख दिया| उनका ऐसा करना मेरे लिए बहुत अजीब था क्योंकि मेरे शरीर के सारे रोएं खड़े हो गए थे| पर मैं चुप-चाप पड़ा रहा, कुछ देर लगी सोने में और आखिर नींद आ ही गई|  कुछ देर बाद उन्होंने धीरे से हाथ सरका लिया और दूसरी तरफ मुँह कर के सो गईं| अगली सुबह हम दोनों देर से उठे और उठने के बाद भी नींद पूरी नहीं हुई शायद जेट लेग हो गया था| वो पूरा दिन हमने ऊँघते हुए बिताया और कंपनी के साथ बैठ कर कुछ स्टडी किया| शाम हुई तो आज मन 'cheating' करने को कर रहा था| सर्दी का आगाज हो चूका था तो कुछ तो चाहिए था! "आज बियर पीएं?" मैंने एक्ससिटेड होते हुए पुछा तो अनु चिढ गई; "बिलकुल नहीं! जरा सा ठीक हुए नहीं की बियर पीनी है!" मैंने आगे कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा दिया, उनका इस कदर हक़ जताना मुझे अच्छा लगता था| हम आखिर होटल आ गए तो खाना खा कर जल्दी सो गए| सुबह मैं जल्दी उठ गया और मैंने रवि को कॉल किया और उससे कुछ अपडेट लेने लगा| फिर अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने कुछ पुरानी कम्पनियाँ जिनके साथ 'कुमार' काम करते थे उन्हें मैंने मेल भेज दिए| चूँकि इन कंपनियों का data मैं ही देखता था तो मेरे लिए ये काम आसान था| 8 बजे अनु भी उठ गई और मुझे ऐसे काम करते देख कर मेरे पास आईं और मेरे हाथ से लैपटॉप छीन लिया| "थोड़ा आराम भी कर लो!" इतना कहते हुए वो लैपटॉप अपने साथ ले गईं| मैंने शाम को घूमने का प्लान बना लिया, और मीटिंग के बाद हम घूमने निकल पड़े| हमारे पास दिन बहुत थे इसलिए हमें कोई जल्दी नहीं थी|

               दिन निकलते गए और मेरी दोस्ती एक गोरी से हो गई, पर अनु को वो फूटी आँख नहीं भाति थी! जब भी मैं उससे बात करता तो अनु मेरे पास आ कर बैठ जाती| मुझे अनु को इस तरह सताने में बड़ा मजा आता था और मैं जानबूझ कर उससे लम्बी-लम्बी बातें किया करता था| उसकी रूचि थी इंडिया घूमने की और मैं उसे अलग-अलग जगह के बारे में बताया करता था| अनु को शायद ये डर था की कहीं मैं उस गोरी जिसका नाम लिज़ा था उससे प्यार तो नहीं करता? एक दिन की बात है हम दोनों कॉफ़ी पी रहे थे की अनु भी आ कर बैठ गईं| लिज़ा को किसी ने बुलाया तो वो excuse me बोल कर चली गई| उसके जाते ही अनु ने मेरे कान पकड़ लिए; "इससे शादी कर के यहीं सेटल होने का इरादा है क्या?" ये सुन कर मैं हँस पड़ा|

"वो मैरिड है!" मैंने हँसते हुए कहा और तब अनु को समझ आया की इतने दिन से मैं उन्हें सताये जा रहा था| वो भी हँसने लगी और फिर एकदम से खामोश हो गई; "क्या हुआ?" मैंने पुछा|

"तुम्हारी दोस्ती खोने का डर सताने लगा|" अनु ने उदास होते हुए कहा|

"Are you mad? ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं भला आपको छोड़ दूँ? मेलि प्याली-प्याली दोस्त को!" मैंने अनु की ठुड्डी पकड़ते हुए कहा| ये सुन कर अनु फिर से मुस्कुराने लगी| उस दिन शाम को लिज़ा और उसका पति भी हमारे साथ घूमने आये और फिर मौका आया पीने का| अब अनु उनके सामने मुझे कैसे मना करती पर फिर मैंने ही मना किया| इस बार अनु ने खुद कहा; "just one beer!" हमने बस एक-एक बियर पी और फिर होटल लौट आये| दि


न गुजरते गए और आखिर हम वापस बैंगलोर आ ही गए और अनु ने आते ही रवि और आकाश को इस प्रोजेक्ट पर लगा दिया| पर वो अकेले इसे संभाल नहीं सकते थे इसलिए मैंने उनके साथ बैठना शुरू कर दिया, अनु की involvement कम थी क्योंकि ये advanced accounting थी और Indian Accounting Standards की जगह GAAP के हिसाब से काम करना था जिसके बारे में मैंने उन कुछ दिनों में सीखा था, बाकी का सब मैंने केस-स्टडी से सीखना शुरू कर दिया| मैंने जो पुरानी कंपनियों को मेल किया था उसमें से 1-2 ने रिवर्ट किया था तो मैंने वो काम अनु को दे दिया| वो बहुत हैरान थी की मैंने उन्हें क्यों approach किया| कुमार ने तो काम बंद कर दिया अब अगर हमें उनके client मिल जाते हैं तो अच्छा ही है! वो तो मेरी repo थी की उन लोगों ने 1-1 क्वार्टर की returns का काम हमें दे दिया था| कुल मिला कर काम अच्छा चल पड़ा था, सिर्फ पुराने क्लाइंट्स से ही हमने अच्छा प्रॉफिट कमा लेना था| USA वाली का काम थोड़ा मुश्किल था पर पैसा बहुत अच्छा था| हालाँकि उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट बहुत थोड़े टाइम का दिया था पर मुझे पूरी उम्मीद थी की वो कॉन्ट्रैक्ट आगे extend जर्रूर करेंगे|

               मुश्किल से हफ्ता बीता होगा की अनु का जन्मदिन आ गया था|
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Dil maange more
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मोनू फिर से काम मे बिजी हुआ. ग्रेट स्टोरी
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मोनू फिर से काम मे बिजी हुआ. ग्रेट स्टोरी
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मोनू फिर से काम मे बिजी हुआ. ग्रेट स्टोरी
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मोनू फिर से काम मे बिजी हुआ. ग्रेट स्टोरी  banana
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