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चारु की चड्डी और अन्य कहानियाँ
#21
मस्त धांसू कहानी
Keep it up....
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#22
(29-11-2019, 06:01 PM)komaalrani Wrote: धन्यवाद आपको मेरी कहानियां याद रहीं , मैं यहाँ भी अपनी कुछ कहानियों के साथ मौजूद हूँ , आपके प्रयास का स्वागत , बस पोस्ट करती रहिये , मैं आपकी एक रेगुलर पाठिका रहूंगी , पक्का। 

komal 

जी कोमल जी. आपकी लिखी कहानियाँ फिर से पढ़ूँगी. सोचा है डुगगु के साथ ही पढ़ूँ (जैसे पहले पढ़ते थे हम लोग, नंगे होकर !). 
मेरी लिखी कहानी पढ़ने के लिए और कमेंट करने के लिए शुक्रिया. आप एक बहुत बड़ी लेकिखा हैं फिर भी आपने पढ़ा और साथ रहने का वादा किया मेरे लिए ये ही बहुत बड़ी बात है.

पुनश्च: मैं डुगगु को आपका ये कमेंट दिखाने के लिए बहुत excited हूँ. आप हम दोनों की ही प्रिय लेखिका हैं.
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#23
(30-11-2019, 02:26 PM)duttluka Wrote: savita bhabhi, you are doing a great job!!!!!

excellent writing, keep posting.......

waiting for next.........

धन्यवाद. अगला भाग अपडेट किया है.
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#24
(30-11-2019, 03:27 PM)Jagdeepverma. iaf Wrote: मस्त धांसू कहानी
Keep it up....

धन्यवाद Jagdeepverma. iaf जी
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#25
nice......
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#26
चारु से मेरी मुलाक़ात इंजीन्यरिंग कॉलेज के पहले ही दिन हो गयी थी. हुमारे बक्थ के सही स्टूडेंट्स को registration करना था, ID कार्ड इत्यादि लेना था. मैं उसी लिने मे खड़ा था. मेरे आगे 3-4 लड़कियों का ग्रुप खड़ा था. बातों से लग रहा था किसी दूसरे ब्रांच की थी. बीच बीच मे धक्का आ रहा था लेकिन मैं किसी तरह दीवार का सहारा ले रहा था जिससे कि सामने की लड़की पर न गिर जाऊन. उस समय तक मैं आज जितना हारामी नहीं हुआ था ! काफी शरीफ ही था.

उस ग्रुप मे से 3 लड़कियों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया, बस एक ही बच गयी थी जिसके पास पेन नहीं था. मैंने सोचा फर्जी मे लेट करने से अच्छहा है अपना पेन इसको दे दूँ जिससे कि इसका काम भी हो जाये और मेरा नंबर भी जल्दी से आए.
छोटे हाएट कि बंदी थी. उसकी शक्ल से ही लग रहा था कि ये और लड़कियों से थोड़ी अलग है. उसमे कॉलेज के फले दिन वाली झिझक या लड़कियों वाली बिना मतलब वाली शरम नहीं थी. पेन लेकर उसने फटाफट अपना काम निपटाया और मेरा नंबर आ गया.
मुझे बाद मे realise हुआ कि वो मेरा पेन लौटना भूल गयी है. मेरे पास और पेन था इसलिए मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. सब कुछ निपटा कर मैं कैंटीन मे बैठा हुआ था. चाय पी रहा था और जीवन के इस नए अध्याय के बारे मे सोच रहा था. तभी कानों मे एक खनकदार आवाज़ आई – तेरा पेन लौटाना भूल गयी थी.
देखा मुड़कर देखा तो वही लड़की पेन मेरी तरफ बढ़ाकर हल्का मुस्कुरा रही थी.
मैंने पेन लिया.
“थैंक यू” उसने कहा और बगल मे ही कुर्सी पर बैठ गयी.
मैं ठहरा छोटे शहर का लड़का मैं थोड़ा संकुचित हो गया.
“क्यू भई, तेरी भी लड़कियों से बात करने मे फटती है क्या?”
मैं हंसा. मेरी वास्तव मे फट तो रही थी लेकिन मैं दिखाना नहीं चाहता था.
“जी, नहीं. वो बात नहीं है...”
वो ज़ोर से हंस दी. “अबे जी बोलना अपनी बीवी को, मुझे तो बस चारु बुला.”
तभी कैंटीन मे दुर्गेश आता हुआ दिखाई दिया. दुर्गेश लोकल बंदा था और मुझे पहले से जानता था. इस कॉलेज मे एड्मिशन लेने का एक reason इस कॉलेज मे दुर्गेश का होना भी था. दुर्गेश मेरा बचपन का दोस्त था। मुँहफट गुंडा किस्म का था लेकिन दिल का बड़ा ही साफ था. इसी शहर मे उसके परिवार का बड़ा रसूख था, बहुत बड़े industrialist फॅमिली से था वो.
वो शायद चारु से पहले ही मिल चुका था.
“अब, तू यहाँ क्या कर रही है. ये बहुत शरीफ लड़का है, तेरी टाइप का नहीं है” वो कुर्सी लेकर बैठता हुआ चारु को बोला.
“हाँ भोंसडीके सबसे बड़ा शरीफ तो तू ही है ना जो पहले ही दिन लकड़ी कि चूत मे घुसना चाह रहा था.” चारु ने बड़े अनायास बोला.
मैं बुरी तरह चौंका. जहां से मैं था वहाँ लड़कियों को बात करते ही कम सुना था, गाली देना तो सपने मे भी नहीं सोच सकता था. चारु ने शायद मेराव रिएक्शन देख लिया था.
फिर हंस पड़ी – देख इसकी तो सुन के ही फट रही है.
दुर्गेश बोला “अबे टेरेको ये कहाँ से मिल गयी.?”
“अरे लाइन मे आगे खड़ी थी पेन नहीं था तो मैंने दे दिया, लौटाने आई थी.” मैंने कहा.
“क्यूँ दे दिया यार” दुर्गेश ने मज़ाक मे कहा “साली नहीं आती कॉलेज मे तो ही ठीक था. इसकी रूममेट कि जगह इसी को चोदना चाहिए था. क्यूँ है न ?” दुर्गेश ने चारु से कहा.
“अबे रीतू को तू नहीं जानता, चुदवाना भी है फिर सबको बताना भी है” चारु ने कहा.
मुझे समझ मे आया कि दुर्गेश ने चारु कि roomamte के साथ कर लिया है. इन मामलों मे वो काफी तेज़ था !
“चल आज तेरे साथ कर लेता हूँ” दुर्गेश ने मज़ाक मे कहा. “बता ?? चलेगी कार मे?”
मैं उठ गया. “तुम लोग continue करो मैं लाइब्ररी जा रहा हूँ”
दोनों हंस दिये.

***

चारु कि बात सोचते सोचते मैं रूम के बाल्कनी मे आ गया था. नीचे से अभी भी नंगा ही था. ढलते शाम कि हवा लण्ड को हल्के हल्के सहला रही थी. 17वीं मंज़िल मे मुझे देखे जाने का डर नहीं था. मैंने लण्ड को हल्के से सहलाया. और ऊंचे बिल्डिंग की छत पर मैंने क्या क्या किया था उन सबको याद करने लगा. लाल कलर की panty, सूडोल गांड, छोटे छोटे बूब्स मेरी आँखों के सामने कौंध गए. अनायास ही लण्ड सख्त होने लगा.
 
 
 
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#27
nice update
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#28
Bold story...
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#29
Hot story. Different but good
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#30
mast......
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#31
please post , ...very good beginning
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#32
Great start. Please update.
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#33
बात तब की है जब मैं 11वीं मे था. नई जगह पर शिफ्ट हुए थे. नोएडा में. पिताजी का ट्रान्सफर एक बैंक से दूसरे बैंक मे होता रहता था. इससे पहले चेन्नई मे थे. चेन्नई के मुक़ाबले नोएडा बहुत ज़्यादा मॉडर्न था. जहां चेन्नई में सभी लड़कियां ढीली ढाली सलवार ही पहनती थी वहीं नोएडा मे सब कुछ एक दम अलग था. उम्र का पड़ाव भी ऐसा था जहां नज़र खुद ब खुद लड़कियों की गांड, और चुचचीयों की तरफ चला जाता था. नोएडा आने से पहले, चेन्नई मे, लड़कियां ऐसी होती ही नहीं थी कि उनकी गांड कि या चुच्ची कि तरफ जाये. केवल एक आंटीयाँ ही थीं जिनको देखकर हिलाता था. चेन्नई के पानी मे पता नहीं क्या था. लड़कियां ज़रा भी माल नहीं होती थी. लेकिन शादी होकर चुदने के बाद ही पता नहीं क्यों आंटियों कि गांड और चुचचे मोटे हो जाते थे. कमर पर भी थोड़ी चर्बी चढ़ जाती थी.

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[Image: 5e67464c70eb3facc771ff23ad349b19.jpg]

Society की आंटीयों के अलावा घर मे काम करने वाली आंटी को भी देखता था. 
[Image: house-maid-service-500x500.png]
मल्लू के हिसाब से काफी गोरी थी. मल्लू के जैसे उतनी मोटी भी नहीं थी. थोड़ा मैंटेन भी रखती थी खुद को. जब हो झुक झुक कर पोंछा लगाती, या गांड मटकाकर चलती तो मेरा जवान लण्ड उसकी चूत मे घुसने के लिए आतुर हो जाता !! और रही सही कसर मस्तराम की कहानियों ने पूरी कर रखी थी. उनको पढ़कर तो मन करता इसको बस एक बार लण्ड दिखा दो, ये खुद ब खुद ही चूसने आ जाएगी. वो सुबह आती और रात तक रहती. घर का सारा काम करती थी. उसको प्रिया दीदी बुलाता था मैं.

दोपहर को हमारे ही drawing room मे सोती थी. कुछ घंटों के लिए. एक दिन दोपहर को घर पर कोई नहीं था. मम्मी पिताजी दोनों ऑफिस मे थे. और मैं तो था ही सिंगल child. मैंने सोचा आज प्रिया दीदी को देख कर मूठ मारता हूँ. सोचकर ही बहनचोद लण्ड खड़ा हो गया. क्यूकी मैं मस्तराम की कहानी का पात्र तो था नहीं. कि जिसको मर्ज़ी चोदता फिरूँ. दीदी drawing room मे सोफ़े पर सो रही थी. मैंने अपने कमरे का दरवाजा हल्का सा खोला और उसमे से हलक सा झांक कर दीदी को देखने कि कोशिश की. लेकिन वहाँ से दीदी दिखाई नहीं दे रही थी. साला मूड ही खराब हो गया. सोचा आज भी पॉर्न देखकर ही मुट्ठ मारना पड़ेगा. लेकिन उस दिन मेरे सर पर हवस सवार था. शायद ज़िंदगी मे पहली बार. मैंने सोचा आज तो प्रिया दीदी को देखकर ही मुट्ठ मारेंगे.
मैं कमरे से निकला और drawing room मे रखे dining table की ओर गया. हाथ मे एक किताब थी. मैंने सोचा था dininig table पर किताब पढ़ने के बहाने से बैठूँगा और वहाँ से सोती हुई प्रिआ दीदी को देखकर मुट्ठ मारूँगा. Table पर बिआता तो देखा दीदी उल्टी तरफ मुंह करके सो रही थी. मेरी तरफ उनकी गांड थी. मैंने सोचा अच्छा ही हुआ. इसकी उभरी हुई गांड और बिखरे बाल देखकर हिला लेता हूँ.
[Image: 6554aa786c1dd733e18cb042214424d3.jpg][Image: photo0453d.jpg]

मैं table पर बैठा और शॉर्ट्स के अंदर हाथ घुसा कर लण्ड को चड्डी के बाहर निकाला. और हल्के हल्के मसलने लगा. हथेली की मुट्ठी बनाकर लण्ड के ऊपर नीचे घूमा रहा था. उस दिन दीदी ने पीली लेगिंग पहनी हुई थी. जो उनकी जांघ और गांद के ऊपर ज़ोर से लिपटी थी. उनकी गोरी टांगों के नीचे एक पाजेब भी थी. जो कि उनको हद्द से ज़्यादा सेक्सी बना रही थी. उनकी गांड कि गोलाई देखकर लगता था कि एक छोटा सा मटका है. मन कर रहा था उसके गांड कि छेद मे उंगली दे दूँ और उनको गोदी मे बिठाकर चोदूँ. ऐसा मैंने एक पॉर्न क्लिप मे देखा था.
मैं मुट्ठ पेले जा रहा था. तभी दीदी थोड़ा सा हिलीं. एक पल के लिए मैं डर गया कि कहीं जाग तो नहीं गयी. हालांकि अगर जाग भी जाती तब भी बहाना तो रैडि था. रूम मे मन नहीं लग रहा था तो मैं यहाँ आ गया था. लेकिन दीदी उठी नहीं बस अपनी लेग्गिंग के अंदर हाथ डाल लिया.
उनकी आँखें अभी भी बंद थी. लेकिन वो अपने हाथ को धीरे धीरे चला रही थी लेग्गिंग के अंदर.

मैं समझ गया कि दीदी भी हस्त मैथुन कर रही है. या यूं कहें चूत मे उंगली कर रही है. मेरी हालत खराब हो गयी और मैं और ज़ोर ज़ोर से मुट्ठी मारने लगा. उधर दीदी के हाथ भी तेज़ चलने लगा. मेरा लण्ड ज़िंदगी मे पहली बार इतना सख्त हुआ था. मैं कुर्सी पर बैठे बैठे मुट्ठ मार रहा था, लेकिन जब मैं झड़ने के एक दम करीब पहुँच गया तो मैं खुद ही कुर्सी पर उछलने लगा. जैसे मैं हवा को ही चोद रहा हूँ.

मेरी पैर कि उँगलियाँ भिंच गईं. पैर से, जांघों से होते हुए कुछ आता हुआ महसूस हुआ और लण्ड से धार बनकर निकलने लगा. पहला शॉट हवा मे बहुत ऊपर तक गया. मेरे मुंह से अपने आप ही – प्रिया, प्रिया, मेरी रंडी प्रिया निकलने लगा. उधर दीदी कि टांगें भी अकड़ गयी थी और उनका कमर भी झटके ले रहा था. लेकिन मैं कुर्सी पर निढाल होकर बैठ गया. लण्ड से अभी भी cum निकले जा रहा था.

जब झड़ना बंद हुआ एक ज़ोर का थकान महसूस हुआ जो कि मुट्ठ मारने का बाद होता है और साथ ही एक डर और शर्म भी आई. मैं उसी हालत मे, लण्ड बिना ढके भाग कर अपने कमरे मे आ गया. लण्ड अभी भी सख्त था. मैं बिस्तर पर गिर कर सो गया.

शाम को उठा तो एक डर के साथ. कहीं प्रिया दीदी ये बात सबको न बोल दे. लेकिन मेरेको चाय देते वक़्त हो कुछ नहीं बोली. बस हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. चाय रखकर जाते हुए बोली – भैया, अगली बार अपने कमरे मे ही करना.

मैंने बोलना चाहा कि – तुमने भी तो उंगली कि मेरे सामने. लेकिन बोला नहीं. इस बात को वो आगे नहीं खींच रही थी यही बहुत था.

कुछ दिनों के बाद पिताजी का ट्रान्सफर हो गया. नोएडा मे सब कुछ अलग था. एयरपोर्ट से सोसाइटी तक आते आते ही मैंने इतना कुछ देख लिया था कि घर जाते ही मुट्ठ मारना चाहता था.
चाहे वो यंग लड़की हो, या newly married, या aunty या साड़ी मे, या ऑटो मे बैठी हर कोई जैसे माल लग रही थी.

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मैं समझ गया कि यहाँ तो मुट्ठ कि नदियां बहने वाली हैं !!!!! 

***

वो बातें याद कर कर के मैं वहीं होटल के 17वी फ्लोर कि बाल्कनी मे ही लण्ड को मसलने लगा.
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#34
दोस्तों ये वाला पार्ट आने मे काफी देर हो गयी. माफी चाहती हूँ. Semester closing का काम चल रहा था. ये वाला पार्ट मैंने डुगगु के साथ मिलकर लिखा है. इस कहानी पर मिले response से वो भजी काफी खुश है. साथ रहने के लिए शुक्रिया.
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#35
(02-12-2019, 04:32 PM)komaalrani Wrote: nice update

thank you didi.
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#36
(03-12-2019, 12:08 AM)bhavna Wrote: Bold story...

thank you bhavna ji
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#37
(03-12-2019, 01:18 AM)Curiousbull Wrote: Hot story. Different but good

thank you curious bull
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#38
(02-12-2019, 01:52 PM)duttluka Wrote: nice......

thank you duttluka ji
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#39
(29-11-2019, 06:01 PM)komaalrani Wrote: धन्यवाद आपको मेरी कहानियां याद रहीं , मैं यहाँ भी अपनी कुछ कहानियों के साथ मौजूद हूँ , आपके प्रयास का स्वागत , बस पोस्ट करती रहिये , मैं आपकी एक रेगुलर पाठिका रहूंगी , पक्का। 

komal 

Komaalrani didi, Duggu here. 
You were one of our favourites. The stories that you wrote are legendary. We liked it a lot during our xossip days. 
We spent many a memorable moments reading and sometimes enacting your stories. 
Your comment on a story that savi is writing, is beyond our expectations and really really heartening. 
I know we will never meet in real life (or who knows I maybe knowing you in real life but not your secret identity, same goes for all of us !!), but you will 
always have our love and respect.
Thanks. 

~ DUGGU
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#40
Guys and ladies

This is Duggu here from Savi's ID. Thank you for encouraging her to write and for being there.
Love you all.

Duggu
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