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12-11-2019, 08:27 AM
(This post was last modified: 31-01-2021, 08:05 PM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
घर
हम लोग आ गए थे।
…………………………….
दरवाजा उन्होंने खोला , थोड़े थके लग रहे थे , थके तो हम लोग भी थे।
लेकिन मेरी निगाह सीधे 'नीचे वहीँ',
और मैं अपनी मुस्कान नहीं रोक पायी।
मॉम सीधे बैडरूम में ,साथ में मैं और पीछे पीछे वो ,
मम्मी फ्रेश होने गयी और नीचे हाथ डाल के मैंने 'उसे' पकड़ लिया ,
" लगता है अबकी सिग्नल डाउन हो गया , "
दबाते मसलते मैंने उन्हें चिढाया ,
वो भी न ,टिपिकल वो , लजाते ,शरमाते ,झिझकते
" चाय ला रहा हूँ अभी "
चाय ख़तम करने के साथ ही मम्मी ने अपना प्रोग्राम बता दिया ,
" मैं बहुत थकी हूँ , चार पांच घण्टे सोऊंगी , तू भी थोड़ा आराम कर ले ,ब्रेकफास्ट में कुछ बस सिम्पल सा। "
और पल भर में मम्मी खराटे लेने लगी ,साथ में मैं भी ,
वो अपने ,मेरे कमरे में
रात भर ज़रा भी नहीं सोये थे , लेडीज संगीत तो ढाई तीन बजे तक ख़तम हो गया था ,
मम्मी की सहेली का घर शहर से दस पंद्रह किलोमीटर बाहर , फ़ार्म हाउस क्या बड़ा सा रिसार्ट ,...
और असली खेल तमाशा तो उसके बाद शुरू हुआ ,
सिर्फ कुछ ख़ास एक्सक्लूसिव , मुझे जोड़ के पांच छह लोग ,
और साथ में हार्ड ड्रिंक
और अब मैं समझी की ये मामला एक्सक्लूसिव लेडीज क्यों था ,
चलते चलते मम्मी ने जिक्र कर दिया की हफ्ते दस दिन में हम लोग इनके मायके जाएंगे और लौट के साथ में इनकी ममेरी बहन को ,
और जैसे ही मम्मी की सहेली ने गुड्डी
के बारे में सुना उनकी आँखे एकदम कौंध गयी ,
" अकेले अकेले मजा लेगी रसमलाई का तू "
मुस्करा के मेरे गाल जोर से पिंच करके वो बोलीं
( एक रात में ही मौसी से हम लोग तू पर आ गए थे ,एकदम पक्की सहेली )
जवाब मेरी ओर से मम्मी ने दिया , एकदम नहीं , अरे भेज देगी तू भी उसे सिखा पढ़ा के पक्का कर देना।
मम्मी की सहेली को पुरुषों में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी ,सिर्फ कन्या रस ,और वो भी यंगर द बेटर।
….
रात भर चला वो खेल , मम्मी की सहेली ने ५-६ कच्ची कलियाँ इकट्ठी की थीं , सब की सब कच्ची अमिया वाली एकदम खटमिट्ठी
और हम सब ने मिलकर ,
लग रहा था , वो सब बस पहली या दूसरी बार ,...
कुछ के साथ तो मम्मी ने जबरदस्ती भी की अपनी सहेली के साथ मिलकर , ...
रात भर एक बूँद कोई सोया नहीं , ...
और कुछ भी बचा नहीं ,...
हर तरह की मस्ती
जब मैं सो के उठी , साढ़े दस बज रहे थे।
दो ढाई घण्टे की नींद ने मेरी थकान एकदम ख़तम कर दी थी। मम्मी अभी भी गाढ़ी नींद में सो रही थीं।
दबे पाँव मैं बाहर निकली , पूरे घर में सन्नाटा पसरा पड़ा था ,लेकिन घर एकदम चम् चम् चमक रहा था।
परफेक्ट डस्टिंग ,किचेन में मैंने झांका ,बरतन सारे धुले ,करीने से रखे यहाँ तक की जो हम लोगों ने चाय पी थी वो भी ,ब्रेकफास्ट की सारी तैयारी हो चुकी थी।
और उसी तरह दबेपांव मैं अपने कमरे में पहुंची।
हमारे डबल बेड पर वो अकेले ,गहरी नींद में ,
बदमाश , सोते हुए कितने सीधे लगते थे ,मुझसे कोई पूछे , सिर्फ बस रैप किये हुए ,लुंगी की तरह
और सोते में वो भी हल्का सा हट गया था ,
'वो 'दिख रहा था , सोया सोया
सच्ची मुझसे रहा नही गया , झुक कर मैंने हलके से गाँठ खोल के सरका दिया और अब ' वो ' पूरी तरह आजाद था।
झुक कर एकदम पास से मैं देखने लगी , और साथ में मेरी नाइटी भी सरक कर ,सर सर सर , जमीन पर
सोते हुए ' वो ' कितना सीधा लगता था ,एकदम भोला ,अच्छे बच्चे की तरह लेकिन जग जाय तो , कोई मुझसे पूछे क्या हाल कर देता था।
हलके से मैंने एक चुम्मी ले ली 'उसपर ' .और एक बार उनकी ओर नजर उठा के देखा ,वो सो रहे थे अभी भी।
सिर्फ अपने होंठों से पकड़ के ,वो मस्त मिठाई मैंने मुंह में ले ली और हलके हलके लॉलीपॉप चुभलाने लगी ,चूसने लगी।
क्या स्वाद था ,
कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।
मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।
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कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।
मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।
क्यूं ना हो, तलवार को अपनी असली म्यान की गन्ध जो आ गई। शायद.......
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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(12-11-2019, 05:35 PM)Black Horse Wrote: कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।
मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।
क्यूं ना हो, तलवार को अपनी असली म्यान की गन्ध जो आ गई। शायद.......
thanks next post soon
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Abb mom in law ( Jo ki story ki sabse dabangg hot MILF hai) ki Bari hai..Damad se Achhe se khatir karwaiye mom ki..badan tut Raha Hoga party ke baad..
Please continue... waiting.
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bahot mast update diya hai sach me maja aa gaya padh akr bas ab apni sas ke sath kab chalu hoga iska hi intjar kar rahe hai woh to baht hi hot garam ekdam chudai se bahar hoga
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(17-11-2019, 09:52 AM)roxanne_lara Wrote: Abb mom in law ( Jo ki story ki sabse dabangg hot MILF hai) ki Bari hai..Damad se Achhe se khatir karwaiye mom ki..badan tut Raha Hoga party ke baad..
Please continue... waiting.
yesssssssss aage aaage dekhiye
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(17-11-2019, 11:40 AM)anwar.shaikh Wrote: bahot mast update diya hai sach me maja aa gaya padh akr bas ab apni sas ke sath kab chalu hoga iska hi intjar kar rahe hai woh to baht hi hot garam ekdam chudai se bahar hoga
Thanks
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21-11-2019, 07:34 PM
(This post was last modified: 03-02-2021, 11:56 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
साजन मेरा , मैं सजनी उसकी
कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।
मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।
……………………………
और अब मैंने भी हाथ लगा दिया , हाथ नहीं सिर्फ दो उंगलियां 'उसके ' बेस पे , हलके से दबाया ,
अब वो कुनमुना रहा था हल्का सा जग गया था , थोड़ा थोड़ा कड़ा ,
और अबकी मैंने होंठ जोर से प्रेस किया , आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था
आधा सोया आधा जागा ,
मस्ती से मैं चूस रही थी , क्या मस्त स्वाद था।
और मैंने एकबार पलक उठा के देखा तो वो शैतान बच्चे की तरह टुकुर टुकुर देख रहे थे।
मेरी आँखों ने थोड़ा प्यार से ,थोड़ा हक़ से उन्हें डांटा ,बरज दिया ,खबरदार , बस लेटे रहो चुपचाप।
और वो अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप
' वो ' भी अब जग गया था , पूरे साथ इंच का , कड़ा खड़ा ,
और मैंने पूरी ताकत से अपना सर प्रेस किया ,
आलमोस्ट मेरे गले तक ,मेरी जीभ चारों ओर से उसे चाट रही थीं ,होंठ जम के चूस रहे थे।
मुझसे ज्यादा ये कौन समझ सकता था ,
जो मजा अपने घर में है
अपने बिस्तर पर है ,
और
अपने पति के साथ है , वह कहीं नहीं।
और पति अगर मेरे पति जैसा हो तो क्या कहना ,
अब मैं जम के चूस रही थी ,
उनको तो मैंने हिलने को भी मना किया था लेकिन बिचारे कितना कंट्रोल कर सकते थे ,
कुछ नहीं तो
नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के , मेरे होंठों के साथ ताल पर ताल मिला रहे थे ,
ऊपर के मेरे होंठों ने तो स्वाद चख लिया था पर भूखे तो नीचे वाले होंठ भी थे ,
ये कलाकंद खाये हुए उन्हें भी तो दो दिन बीत चुके हैं।
और वो मेरे अंदर थे ,मैं ऊपर वो नीचे।
कोई मुझसे पूछे क्या मजा आता है ,दिन दहाड़े ,सुबह सबेरे ,
अपने घर में ,अपने घरवाले के साथ सटासट ,गपागप
और घरवाला जब उनके जैसा हो , खूब प्यारा सा ,मीठा सा।
तो न गप्प करना तो गलत है न।
मैंने उनकी ओर देखा ,
दुष्ट, उनकी नदीदी भूखी आँखे कैसे टुकुर टुकुर मुझे देख रही थीं।
और झट से झुक के मेरे गुलाबी होंठों ने बस चूम के उनकी पलकों को खिड़कियां उठंगा दी ,नजर की।
वो और क्या देख रहे थे ,मेरे उभारों को। शादी के बाद पहले दिन से ही ,बल्कि शादी में भी चुपके चुपके , लेकिन
कहीं छुपता है क्या ऐसे देखना , मेरा भाभियाँ कितना चिढा रही थी , तेरे जुबना का तो दीवाना है ये , देख क्या हाल करता है इनका।
उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में , और मैंने झुक के अपने उभार उनके गालों पे रगड़ दिया , और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।
…………………
जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,शरारती मैं ,मैंने उन्हें दूर हटा लिया।
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21-11-2019, 07:59 PM
(This post was last modified: 03-02-2021, 12:06 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मस्ती साजन संग
और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।
…………………
जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,
शरारती मैं ,
मैंने उन्हें दूर हटा लिया।
सच में उन्हें तड़पाना मुझे बहुत अच्छा लगता है।
वो पूरी तरह अब मेरे अंदर थे ,
मेरी गुलाबी परी हलके हलके उन्हें भींच रही थी ,रगड़ रही थी ,निचोड़ रही थी।
और कुछ देर में मैंने धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी ,
नीचे से वो भी अपने नितम्ब उठा उठा के ,
उनकी कलाइयां अब आजाद थीं और मेरी पतली कमर उनके हाथों में ,
मैं पुश करती थी ,पूरी ताकत से और वो अपने मजबूत हाथों से पुल करते ,
सटासट ,गपागप ,हचक हचक के उनका खूब मोटा खूंटा मेरी सहेली के अदंर बाहर ,
पर कुछ पलों के बाद ,शायद उनको अहसान हो गया था ,मैं रात भर की जगी थकी
और वो ऊपर आ गए थे ,मैं नीचे।
और कुछ देर में ही मैंने सरेडंर कर दिया , जो मजा जितने में है उससे ज्यादा सरेंडर में।
अब मैं सिर्फ मजे ले रही थे और वो , मजे दे रहे थे।
मेरी देह के बारे में मुझसे ज्यादा अब उन्हें मालुम था।
जैसे कोई आटा गुंथे , मेरे दोनों जोबन गूंथे जा रहे थे। दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा।
उनका मोटा खूंटा रगड़ रगड़ के , हचक हचक के मेरी चूत फाड़ता हुआ घुस रहा था।
उनके होंठ कभी मेरे गालों को रगड़ते ,चूमते चाट लेते ,कचकचा के काट लेते।
दर्द तो बहुत होता पर प्यार के ये निशान ( इन्हें देख के चिढाने का कोई मौका मेरी सहेलियां नहीं छोड़ती थीं ) ,
मजा भी बहुत था इनमे।
गालों के निशान से कौन इनका मन भरने वाला था ,जब तक दांत के निशान मेरे उरोजों पर न पड़े।
न इन्हें कोई फर्क पड़ रहा था न मुझे की इस समय दिन के दस बज रहे थे ,
और पति पत्नी होने का यही तो फर्क है
जब मिंया बीबी राजी तो क्या करेगा ,
न मुझे जल्दी थी न इन्हें ,
बाहर से सावन की मीठी मीठी हवा अंदर आ रही थी और सावन के झूले के झोंके से हम दोनों धीमे धीमे पेंगे लगा रहे थे।
जब जड़ तक ' वो ' दुष्ट घुसता ,उसका बेस मेरी गुलाबी क्लीट को रगड़ देता ,मैं गिनगिना उठती ,
जोर से उन्हें भींच लेती,अपने कड़े कड़े उभार उनके सीने पे मस्सल देती।
और बदले में आलमोस्ट बाहर तक निकाल के जड़ तक एक बार वो फिर पेल देते ,
मेरे तीखे नाख़ून उनकी पीठ पर उनके शोल्डर ब्लेड्स को खरोंच खरोंच कर कहते ' और और "
और , और उन्होंने मेरी लंबी टांगो को उठा के अपने कंधो पर रख लिया ,एक हाथ उनका मेरे गोल गदराये नितम्ब पर और दूसरा कटीली कमरिया पर ,
फिर तो एकदम वो अपने असली रूप में ,
धक्के पर धक्का ,हर धक्का तूफानी धक्का ,सीधे मेरी बच्चेदानी पर ,
कभी मैं चीख उठती तो कभी सिहर उठती ,कभी दर्द से कभी मजे से,
उन के दोनों हाथ मेरे गदराये जोबन पे , और हर धक्का पहले से दूनी ताकत से ,
यही तो मैं चाहती थी।
और अब मैं कभी नीचे से चूतड़ उठा उठा के तो कभी लन्ड अपनी बुर में निचोड़ के , साथ दे रही थी।
और तभी कुछ खड खड़ की आवाज हुयी ,लेकिन बिना हटे उन्होंने जोर से मुझे दबोच लिया और पूरे घुसे खूंटे को जोर जोर अदंर गोल गोल घुमाने लगे।
कुछ ही देर में फिर आवाज हुयी , किचेन से , लगता है मम्मी जग गयी थीं और किचेन में थी।
मैं कुछ बोल पाती उसके पहले लन्ड उन्होंने ऑलमोस्ट बाहर निकाल लिया और जोर से ,हचक के , सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,
मेरी चीख निकल गयी और उन्होंने कचकचा के मेरी गोल गोल चूंची जोर से काट ली ,
उईईईईई आह्ह्ह्ह
हे तुम लोग भी काफी पियोगे , किचेन से मम्मी की आवाज आयी।
चीख किसी तरह रोकती मैं बोली ,
" हाँ मम्मी ,बस थोड़ी देर में हम दोनों बाहर आ रहे हैं। "
और फिर तो धक्का पेल चुदाई ,
न मुझे फर्क पड़ रहा था न इन्हें ,कि मम्मी जग गयी है , हमारे बेड रूम से सटे किचेन में हैं।
पांच मिनट तक रगड़ रगड़ उन्होंने ऐसा चोदा , मैं पहले झड़ी और साथ में फिर ये भी।
किसी तरह मैं पलंग से उठी ,कपडे समेटे ,ठीक किये और इन्हें भी उठाया ,
" चल न मम्मी बाहर काफी बना के वेट कर रही होंगी। "
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21-11-2019, 08:05 PM
(This post was last modified: 07-02-2021, 10:33 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मम्मी
" चल न मम्मी बाहर काफी बना के वेट कर रही होंगी। "
और सच में मम्मी ने घड़े भर काफी बनायी थी ,
मम्मी ने न कुछ पूछा न चिढाया ,
लेकिन जिस तरह उनकी ओर देखा , बस वो शर्मा गए ,और हम दोनों खिलखिला के हंस पड़े।
" मम्मी ,काफी बहुत अच्छी बनी है। "
उनकी टिपिकल लजाने पर बात टालने की आदत।
उन्होंने ५०० ग्राम मक्खन लगाया।
" और क्या मेरी मम्मी , हर चीज अच्छी बनाती है। "
मैं बोली , लेकिन बात में कोई उनसे जीत पाया है जो मैं जीत पाती।
वो दुष्ट , पागल , बिना इस बात की परवाह किये की मम्मी सामने बैठी हैं ,टकटकी लगा के मुझे देखते हुए बोले,
" सच में एक चीज तो बहुत अच्छी बनायी है। "
और अब मैं लजा गयी।
……………………………………………………………………………
" मम्मी ,मैं ब्रेकफास्ट लगा देता हूँ ,काफी के साथ साथ ही ,.. "
मुझे उनकी बात पे लजाते देख , मम्मी मुझे मीठी निगाह से देख रही थीं , उनसे बोलीं ,
" हाँ लेकिन सिंपल सा , ज्यादा नहीं और जल्दी। "
सिम्पल था लेकिन इलैबोरेट भी।
आमलेट ढेर सारा , चिकेन सैंडविचेज़ ,अल्फांसो की कटी सुनहरी बड़ी बड़ी जूसी पीसेज , फ्रेश जूस
मम्मी के आने पर जो उन्होंने छुट्टियां ली थीं ,वो ख़त्म हो गयी थीं।
" आज आफिस जाना होगा न " मैंने उन्हें याद दिलाया ,
" हाँ भी और नहीं भी " मुस्करा के वो बोले , और फिर एक्सप्लेन किया ,फर्स्ट हाफ आज वर्क फ्राम होम है और सेकेण्ड हाफ में जाऊंगा। " आमलेट का एक बड़ा टुकड़ा खाते वो बोले।
उनके वर्क फ्राम होम में आधा तीहा तो मैं निपटा देती थी , आखिर घर के काम में वो बिचारे इत्ती मेरी हेल्प करते थे तो थोड़ी बहुत हेल्प बनती थी न। ब्रेकफास्ट करते करते मैंने उनकी लैपी खोल ली अरे सारे पासवर्ड तो मेरी बर्थडे पर थे और कुछ ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड तो मेरी फिगर पर ३४-२७-३५। हाँ अडल्स्ट फिल्मों का उनका जो जखीरा था , और एडल्ट साइट्स के लिए मैंने चुना था और कौन उनकी फेवरिट ममेरी बहन , गुड्डी छिनार १७।
अल्फांसो की बड़ी सुनहरी पीस चूसते हुए मम्मी ने अपने होंठों के बीच से निकाल कर सीधे उनके मुंह में डाल दिया और वो गप्प कर गए।
शादी के समय जो उनकी आम से चिढ थी वो जग जाहिर थी और ऊपर से उनकी मायके वालियों ने खूब गा गा के बताया भी था, तो मम्मी को तो अच्छी तरह से मालूम था ऊपर से जो मेरी छुटकी ननदिया से बेट लगी थी ,उन्हें उनके मायके में आम खिलाने की , वो भी उन्हें मालूम थी।
" हे अगर इन्हें ऐसे तेरी ससुराल वालियां देख ले तो क्या हो , " खिलखलाते हुए माँ ने मुझसे पूछा।
" मम्मी सब की फट जायेगी। " हंस के मैं बोली।
" चल इससे याद आया , जिसकी सबसे ज्यादा फटी है , मेरी समधन से सोचती हूँ बात कर लूँ। ज़रा नंबर लगा। "
वो बोलीं ,
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mind blowing update kya choda hai saach me aise asie stoke lagane me jo maja hai apne bistar pe woh to sach me kuch aur hi hai bahot badhiya update lagta hi hame pagal hi kar dogi tum komal
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Can we expect some juicy changes here also from original during encounter with Saasu Ma, same as you did in Holi Ka Maza Sasural me ???
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(22-11-2019, 09:25 AM)anwar.shaikh Wrote: mind blowing update kya choda hai saach me aise asie stoke lagane me jo maja hai apne bistar pe woh to sach me kuch aur hi hai bahot badhiya update lagta hi hame pagal hi kar dogi tum komal
Thanks so muchhhhh, aapka saath ho to bas .....
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(22-11-2019, 12:46 PM)roxanne_lara Wrote: Can we expect some juicy changes here also from original during encounter with Saasu Ma, same as you did in Holi Ka Maza Sasural me ???
don't give me naughty ideas,...
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जो मजा अपने घर में है
अपने बिस्तर पर है ,
और
अपने पति( साथी ) के साथ है , वह कहीं नहीं।
एक दम खरी बात, कोमल।
खूबसूरत अपडेट।
आगे की प्रतीक्षा में
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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(23-11-2019, 06:59 PM)Black Horse Wrote: जो मजा अपने घर में है
अपने बिस्तर पर है ,
और
अपने पति( साथी ) के साथ है , वह कहीं नहीं।
एक दम खरी बात, कोमल।
खूबसूरत अपडेट।
आगे की प्रतीक्षा में
jald bahoot jald
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24-11-2019, 02:14 PM
(This post was last modified: 07-02-2021, 10:40 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
समधन -समधन
शादी के समय जो उनकी आम से चिढ थी वो जग जाहिर थी और ऊपर से उनकी मायके वालियों ने खूब गा गा के बताया भी था, तो मम्मी को तो अच्छी तरह से मालूम था ऊपर से जो मेरी छुटकी ननदिया से बेट लगी थी ,उन्हें उनके मायके में आम खिलाने की , वो भी उन्हें मालूम थी।
" हे अगर इन्हें ऐसे तेरी ससुराल वालियां देख ले तो क्या हो , "
खिलखलाते हुए माँ ने मुझसे पूछा।
" मम्मी सब की फट जायेगी। " हंस के मैं बोली।
" चल इससे याद आया , जिसकी सबसे ज्यादा फटी है , मेरी समधन से सोचती हूँ बात कर लूँ। ज़रा नंबर लगा। " वो बोलीं ,
" अरे मम्मी ,अपने दामाद से बोलिये न लगाने को , वैसे भी आप उन्हें अपनी समधन का यार बनाने वाली हैं " मैंने चुटकी ली।
और उनको भी चिढ़ाया ,
" अरे मॉम सिर्फ फोन लगाने को बोल रही हैं और कुछ नहीं ,लगा दीजिये न। "
" तू क्या सोचती है मेरे मुन्ने को देख झट से फोन लगाएगा , अरे अभी फोन लगायेगा और महीने भर में सब कुछ , न ये लगाने में हिचकेगा ,न मेरी समधन लगवाने में , "
उनके गाल पे चिकोटी काटती वो बोलीं।
मजबूरी में उन्होंने फोन लगाया और माम ने स्पीकर फोन आन कर दिया।
दोनों समधनों की चर्चा चालू हो गयी ,लेकिन बिचारी मेरी सास को ये नहीं मालूम था की स्पीकर फोन ऑन है और उनका बेटा ठीक उसके बगल में कान पारे बैठा है।
" आपकी याद बहुत आती है और सिर्फ मुझे नहीं ,मेरे सारे देवरों ,नन्दोइयों , बहनोईयोँ को , आपकी बहु के चाचा ,मौसा फूफा सब ,... "
मॉम ने बात शुरू की।
" मालुम है मुझे , और मुझे भी याद आती है , शादी में जब तीन दिन बरात में आपके गाँव गयी थी , तब से , और क्या उन्हें याद आता होगा , क्यों याद आता होगा , ये भी मुझे मालूम है। "
खिलखिलाते हुए मेरी सास बोलीं।
" बिचारे वो और बाकी गाँव वाले भी आपकी सेवा का मौक़ा खोज रहे हैं लेकिन आप दुबारा आयी ही नहीं। "
मम्मी एकदम मूड में आ गयी.
" अरे पूरे तीन दिन तक तो थी ,और मैंने न मना किया न , अब वो दूर दूर से देख के ललचाते रहे , तो उनकी गलती है न ,
जो सोया सो खोया ,... "
हँसते हुए मेरी सास ने भी उसी तरह जवाब दिया और फिर उलटा हमला बोल दिया ,
" और आप तो दुल्हन के चाचा ,फूफा ,मौसा से सेवा करवाती होंगी न , आखिर आप के देवर , ननदोई ,बहनोई लगेंगे रिश्ता भी है करवाने वाला। "
उन्होंने मेरी मम्मी से पूछा।
" रिश्ता तो आप से भी है बल्कि दुहरा है ,समधन का। और एक बार आपके गद्दर उभार देख के तो सब बौरा गए हैं और मुझसे बोलते हैं बस एक मौक़ा ,... दिलवा दूँ , ... आधा दर्जन से ऊपर समधी होंगे आप के। नाम ले के टनटना जाता है अभी तक उनसब का। "
मम्मी कौन हार मानने वाली थीं।
फिर जोड़ा उन्होंने ,
“अरे अभी गाँव में मौसम भी अच्छा है , गन्ने ,अरहर के खेत ,अमराई में झूला ,कबड्डी खेलने का बढ़िया मौसम है। "
मेरी सास जोर से हंसी।
इस तरह की बातें उन्हें भी बहुत भाती थीं , द्विअर्थी डायलाग , खुले हुए मजाक , 'अच्छी वाली गारियाँ ' .
" अरे पिछली बार तो आयी थी न तीन दिन रही ,कबड्डी के मैदान में आपके। लेकिन पकड़ने को कौन कहे , ... पर एक बात मानती हूँ आपके यार जबरदस्त हैं वहां , एक से एक पहवान पाल रखे हैं ,सोच के मुंह में पानी आ जाता है। "
मेरी सास बोलीं।
इतना अच्छा मौका तो मैं भी नहीं चूकती ,और वो तो मम्मी थीं , झटाक से बोलीं ,
" किस मुंह में ऊपर वाले या नीचे वाले , ... इसीलिए तो कह रही हूँ आ जाइये , मुंह का स्वाद भी बदल जाएगा। और एक जवाबी मैच भी ,
हाँ अबकी एक एक पे तीन तीन होगा , एक साथ तीन तीन चढ़ेंगे आपके ऊपर ,
फिर देखतीं हूँ कैसे नहीं आपकी चिकनी चिरैया चूं नहीं बोलती। जितने आपके अगवाड़े के दीवाने हैं उतने ही पिछवाड़े के भी। "
बात मम्मी की एकदम सही थी ,मेरी सासु के चूतड़ एकदम मस्त , नगाड़े जैसे , कोई शीघ्र पतन का रोगी हो तो देख के झड़ जाए।
" अभी तो तीरथ करने जा रही हूँ, गंगा नहाने। ये लोग आएंगे हफ्ते दस दिन के लिए बस उसी के एक दिन पहले। अब ये लोग आ जाएंगे तो घर पे कोई रहेगा ,वरना बड़ी बहू बिचारि अकेली ही रहती न , तो अच्छा मौक़ा मिला है। "
सासु माँ ने अपनी मजबूरी बतायी।
मम्मी की अंकगणित बहुत तेज थी ,झट से जोड़ लिया उन्होंने ,७ दिन बाद हम लोग जाएंगे , ८ दिन इनके मायके रहेंगे ,यानी पंद्रह दिन बाद मम्मी की समधन वापस अपने अड्डे पर। कन्विंस करने में मम्मी का जवाब नहीं था ,इतना बड़ा बिजनेस चलाती थीं , उन्होंने अपना तुरुप का पत्ता फेंका।
" अरे ये तो बहुत अच्छा है। फिर तो आपका पुराना किया धरा सब साफ़ हो जाएगा , लौटते ही नए यारों का खाता खोल दीजिये।
आप गंगा में डुबकी लगा के लौटिए, और यहाँ कोई तैयार बैठा है आपकी पोखर में डुबकी लगाने के लिए। "
और इसके साथ ही मम्मी ने इनके खूंटे को बाहर निकाल के खुल के मुठियाना शुरू कर दिया ,
और फिर एक तगड़ा झटका दिया तो इनका लीची ऐसा सुपाड़ा बाहर, मम्मी उसे अपने अंगूठे से रगड़ रही थीं।
बस तुरंत ही वो टनाटन।
मैं उनके लैपी पर काम कर रही थी ,दोनों समधनों की बात सुन रही थी ,
पर मम्मी की ये हरकत देख के अपनी मुस्कराहट नहीं रोक पाई।
" सुबह सुबह आप भी , ..." उधर से मेरी सास की अनिश्चित सी आवाज सुनाई पड़ी।
" सच कह रही हूँ , कहिये तो उसके औजार का फोटो भेजूं , अगर न पसंद हो तो ऑफर कैंसल। अरे आखिर कोई गंगा नहान तीरथ काहें करता है , पाप धोने के लिए ,लेकिन उसके लिए कुछ गड़बड़ करना भी तो चाहिए न। और आप लौट के आएँगी तो फिर तो , चलिए , उस के बाद,… “
उधर से कोई जवाब नहीं आया तो मम्मी ने फिर आग सुलगायी ,
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24-11-2019, 03:06 PM
(This post was last modified: 07-02-2021, 11:00 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
समधन का औज़ार
" सुबह सुबह आप भी , ..." उधर से मेरी सास की अनिश्चित सी आवाज सुनाई पड़ी।
" सच कह रही हूँ , कहिये तो उसके औजार का फोटो भेजूं , अगर न पसंद हो तो ऑफर कैंसल। अरे आखिर कोई गंगा नहान तीरथ काहें करता है , पाप धोने के लिए ,लेकिन उसके लिए कुछ गड़बड़ करना भी तो चाहिए न।
और आप लौट के आएँगी तो फिर तो , चलिए , उस के बाद,… “
उधर से कोई जवाब नहीं आया तो मम्मी ने फिर आग सुलगायी ,
" एकदम पत्थर है पत्थर ,तीन पानी झाड़ के झड़ेगा ,रात भर , आपको गौने की रात की याद दिला देगा। "
उधर से फिर मेरी सास की खिलखिलाने की आवाज आयी ,
" लगता है आपने ट्राई कर लिया है , अरे इस उम्र में कौन ,... और मैं बड़ों बड़ों का निचोड़ के रख देती हूँ ,
मजाक करने के लिए मैं ही मिली थी क्या "
" और क्या समधन से मजाक तो रिश्ता है है ,लेकिन ये सच्ची बात है , न हो तो बाजी लगा लीजिये , "
मम्मी ने उन्हें और उकसाया।
अब सास के भी खुजली तेज हो गयी थी ,बोलीं ,
" कौन है ? "
" अरे आप को आम खाने से मतलब है या पेड़ गिनने से , चलिए बोलिये लगी बाजी। "
मम्मी ने पत्ता फेंका।
" आम खाने से ,लगी बाजी। "
हँसते हँसते सासू जी बोलीं।
" तो चलिए पक्का , पंद्रह बीस दिन बाद बस आप लौट आइये , मुझे भी समधियाने का मजा लिए बहुत दिन हो गए हैं , मैं आती हूँ आप के पास। फिर आप को लेकर , आपके छोटे बेटे बहु के पास पांच सात दिन वहां सेवा करवायेगा , फिर गाँव के मजे।
हाँ आपने कर दी है , तो फिर उसने अगर तीन बार पानी झाड़ दिया न तो आप बिना कुछ ना नुकुर किये , आप की आँख पर पट्टी बाँध के,... "
मम्मी ने तो पुराना प्लान बोल दिया।
बात वो अपनी समधन से कर रही थीं लेकिन निगाहे उनकी अपने दामाद के ' वहां ' पर थीं।
एकदम क़ुतुब मीनार हो रहा था ,
एकबार फिर उन्होंने अपने प्लान की सफलता में उनकी सासु ने जोर से दबोच के रगड़ दिया।
" आप आएँगी न मेरे लौटने पर पक्का ,"
उधर से मेरी सासु की आवाज आयी।
" एकदम पक्का , आखिर मेरी समधन की सोनचिरैया को मजा दिलवाना है ,मेरा भी तो हक़ बनता है। "
मम्मी ने एश्योर किया।
" चलती हूँ ,नहाने जा रही हूँ। पक्का आइयेगा जरूर ,आपसे बात कर के बहुत मजा आया। "
हँसते हुए उधर से मेरी सास की फोन रखने की आवाज आयी।
इनके सास के चेहरे से खशी छलक रही थी , जोर जोर से मुठियाते जैसे इनके खड़े भूखे लिंग से बात करते ,उसे उकसाते बोली,
" सुन लिया न अब तो कोई शक नहीं न ,बहनचोद , बस बीस पच्चीस दिन के अंदर ही तुझे मस्त भोसड़े का मजा दिलवाऊंगी ,
जिस भोंसडे से निकला है न उसी के अंदर होगा मुझे मालूम है सोच सोच के ही पागल हो रहा हैं न
लेकिन मेरी समधन के जोबन हैं ही ऐसे। "
और साथ साथ उन्होंने मुझे भी हिदायत दी ,
" लेकिन उसके पहले इसकी वो ममेरी बहिनिया चुद जानी चहिये ,ये जिम्मेदारी तुम्हारी। आखिर भाभी हो तेरा हक़ भी है ,ननद की फड़वाने का। "
लेकिन मेरी निगाहें लैपी पर लगी थीं ,मुझे मिल गया था जो मैं ढूंढ रही थी। और मैं जोर जोर से मुस्करा रही थी।
ममी की बात लेकिन मैं सुन रही थीं।
" एकदम मम्मी अगवाड़ा पिछवाड़ा सब ,उसके यहां आने के दो चार दिन के अंदर ही , "
बिना लैपी पर से नजर हटाये मैं बोलीं।
वो टेबल का सब सामान हटा के किचेन में चले गए थे वहीँ से उन्होंने आवाज दी
" मम्मी ,लन्च में ,... "
……
" कुछ नहीं ,इतना जबरदस्त ब्रंच तो हो गया है ,अब बस मैं सोने जा रही हूँ ३-४ घंटे तो कोई मुझे उठाये नहीं। आज रात को रतजगा होना है एक लड़के की ऐसी की तैसी करनी है और उसकी प्रैक्टिस करनी है मादरचोद बनाने की। "
जब तक वो आये तो मम्मी अपने बेड रूम में थी
और मुस्कराते हुए मैंने उन्हें बुला के लैपी में दिखाया जो मैं इतने देर से खोज रही थी।
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तो दोनो समधनों ने मिलकर अगले एक महीने का प्लान बना लिया। पर सब को खिलाने के इंतजाम में खुद क्यूं भूखी बैठी है। एक राउंड इनका भी बनता है। बार बार खूंटे की KLPD कर देती है।
पर देखें कब।
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