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Romance काला इश्क़!
#41
(25-10-2019, 04:38 PM)smartashi84 Wrote: Superb... will be following up this story. Keep it up man.

thank you...  Heart  Heart  Heart
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#42
कुछ दिन और बीते, हम इसी तरह रोज मिलते पर जॉब के लिए ऋतू ने मुझसे आगे कोई बात नहीं की| संडे आया तो ऋतू ने जिद्द कर के मेरे घर आ गई, और आज तो वो बहुत जयदा ही खुश लग रही थी| आज वो पहली बार स्कर्ट पहन के आई थी और अपनी कुर्ती ऊपर उठा कर ऋतू ने मुझे अपनी नैवेल दिखाई| मेरी नजर उसकी नैवेल पर पड़ी तो मैं टकटकी बांधें उसी को देखता रहा| "क्या बात है आज तो मेरी जान मेरी जान लेने के इरादे से आई है!!!" ये कहते हुए मैंने ऋतू को अपनी छाती से चिपका लिया|
"वो प्रेगनेंसी वाले दिन के बाद मुझे तो लगा था की आप मुझे अब शादी तक छुओगे ही नहीं! आपको सडके करने को ही इतना सज-धज कर आई हूँ! सससस.....आ...आ...ह...नं... सच्ची कितने दिनों से आपके लिए प्यार के लिए तड़प रही थी|" ऋतू ने कसमसाते हुए कहा|

"पागल! तुझे प्यार किये बिना तो मैं भी नहीं रह सकता! उस दिन जब तूने मुझे प्रेगनेंसी की बात बताई तो मैं मन ही मन सोच कर बैठा था की अब जल्दी ही तुझे भगा कर ले जाऊँ|" मैंने ऋतू को बाएं गाल को चूमते हुए कहा|

"सच्ची?" ऋतू ने खिलखिलाते हुए कहा|

"हाँ जी! बहुत प्यार करता हूँ मैं अपनी ऋतू से|" ये कहते हुए मैंने ऋतू के होंठों को चूम लिया|


अब आगे ......

मेरे होठों के सम्पर्क में आते ही ऋतू मचलने लगी और उसने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन के पीछे ले जाके लॉक कर दिया| ऋतू उचक कर मेरे होठों को चूस रही थी और मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत प्यार आ रहा था| मैंने उसे गोद में उठा लिया और किचन कॉउंटर पर ला कर बिठा दिया| ऋतू अब बिलकुल मेरे बराबर थी, और उसका मेरे होठों को चूमना जारी था| ऋतू के होंठ तो आज मुझ पर कुछ ज्यादा ही कहर डाल रहे थे, वो अपने होठों से मेरे होठों को बारी-बारी निचोड़ रही थी| इधर मेरे दिलों-दिमाग में उसकी नाभि ही छाई हुई थी| हाथ अपने आप ही उसकी नाभि के ऊपर थिरकने लगे थे| एक अजीब सी खुमारी थी, उस पर ऋतू की जिस्म की महक मुझे बहका रही थी| मैंने फिर से ऋतू को गोद में उठाया और पलंग पर ला कर लिटा दिया और खुद भी उसके ऊपर छा गया| अब मैंने अपने निचले होंठ और जीभ के साथ उसके निचले होंठ को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा| ऋतू की उँगलियाँ मेरे बालों में रास्ते बनाने लगी थी| निचले होंठ कर रस निचोड़ कर मैंने उसके ऊपर वाले होंठ को भी ऐसे ही निचोड़ा| मेरे हाथ अब नीचे आ कर उसके कुर्ते के ऊपर से स्तनों को दबाने लगे और उन्हें धीरे-धीरे मसलने लगे| मैं रुका और अपने घुटनों पर बैठ गया और ऋतू का हाथ पकड़ के उसे बिठाया| मुझे आगे उसे कुछ कहना नहीं पड़ा और उसने खुद ही अपना कुरता निकाल के फेंक दिया| मैं ने भी ताव में आकर अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी और फिर से ऋतू के ऊपर चढ़ गया और उसके होठों को अपने होठों में भींच कर चूसने लगा| ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थाम लिया और उसने भी अपनी जीभ से हमला कर दिया| मेरे मुँह में दाखिल हुई उसकी जीभ मेरी जीभ से लड़ने लगी| मैं ने अपने दाँतों से उसकी जीभ पकड़ ली और ऋतू थोड़ा छटपटाने लगी! इधर मेरी उँगलियों ने ऋतू की ब्रा के स्ट्राप को नीचे खिसका दिया| मैंने Kiss तोडा और ऋतू के कंधे को चूम लिया, जवाब में ऋतू ने अपनी उँगलियों को मेरे बालों में फँसा दिया| मैंने अपनी उँगलियों से अब उसकी ब्रा को उसके कंधे से होते हुए नीचे लाना शुरू कर दिया, ऋतू ने अपनी पकड़ मेरे बालों पर ढीली की और अगले ही पल उसकी ब्रा उसके सीने से अलग हो कर जमीन पर पड़ी थी| ऋतू मेरी आँखों में प्यास देख रही थी और मैं भी उसकी आँखों में वही प्यास देख रहा था| मैंने झुक कर ऋतू के बाएँ स्तन को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा| और ऋतू ने फिर से अपनी उँगलियाँ मेरे बालों में फँसा दीं| "काश...ससस..ससस...आ.आ..ननहहह....मैं आपको अपना दूध पिला सकती|" ये कहते हुए ऋतू सिसकारियां लेने लगी! उसकी टांगें भी हरकत करने लगीं और मेरी टांगों से लिपटने लगीं| ऋतू की बात आज मुझे बहुत उत्तेजक लग रही थी और मुझे ऐसा लगने लगा की वो मुझे जान-बुझ कर उत्तेजित कर रही है| "ससस...आ..आ..ह...ह....न...न... जानू! एक बार काट लो ना!" उसका कहना था और मैंने उसके बाएँ स्तन को काट लिया; "आआह्ह्ह्ह.....हहह...स..ससससस...ननन... न!!!!!" उसकी दर्द भरी कराह सुन मुझे और उत्तेजना हुई और मैंने ऋतू का दायाँ स्तन मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा| "ससस....आ...न.....ह... इसे भी...काटो....ना...प्लीज!" ये सुनते ही मैंने उसके दाएँ चूची को डाँट से काट लिया; "ईईई....माँ....आह....ससस...आ..न..हह...!!!" उसकी कराह निकली और मैं उत्तेजना से भर गया और वापस बाएँ स्तन की चूची को भी काट लिया| "ईईई...माँ......ाआनंनं.....ससस!!!! जानऊउउउउउउउ!!!!" ऋतू ने अपना दबाव मेरे सर पर और बढ़ा दिया|


अगले दस मिनट तक मैं यूँ ही कभी उसके एक स्तन को चूसता तो कभी दूसरे स्तन को! ऋतू ने धीरे-धीरे अपनी पकड़ मेरे सर पर से कम की तो मैं नीचे खिसका और उसकी नैवेल पर रूक गया| अपने होठों से मैंने उसकी नैवेल को चूमा, अगले ही पल मैंने अपनी जीभ उसमें डाल दी" इसके परिणाम स्वरुप ऋतू का पूरा जिस्म ऊपर की तरफ उठ गया| मैंने अपने निचले होंठ को उसकी नैवेल पर ऊपर से नीचे रगड़ना शुरू कर दिया| जीभ से मैं उसकी नैवेल को कुरेदने लगा, ऋतू से अब ये दोहरा हमला बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वो छटपटाने लगी थी| पाँच मिनट तक उसकी नैवेल की चुसाई कर मैं और नीचे खिसका तो वहां तो अभी स्कर्ट का कब्ज़ा था| ऋतू ने तुरंत ही नाडा खोला और स्कर्ट अपनी गांड से नीचे खिसका दी और बाकी का काम मैंने किया| अब तो सिर्फ ऋतू की पैंटी बची थी| पैंटी देख कर मैं उस पर झुका और ऋतू की बुर को चूमना चाहा| पर ऋतू ने मुझे रोक दिया और अपनी पैंटी निकाल कर अपनी दोनों टांगें खोल दी| उसकी ये हरकत देख मेरे मुख पर मुस्कराहट छ गई और मुझे देख ऋतू ने अपने दोनों हाथों से अपने मुँह को ढक लिया| मैं झुक कर ऋतू की बुर को चूमने लगा तो उसने फिर मुझे रोक दिया, वो उठ के बैठी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया| "आज मेरे जानू को और इंतजार नहीं करवाऊँगी|" इतना कह कर उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया और मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गई| अपनी चारों उँगलियों को ऋतू ने अपने थूक से चुपड़ा और अपनी बुर की फांकों को गीला करने लगी, अपनी दो उँगलियों से उसने अपनी ही थूक से अपनी बुर को अंदर से गीला कर दिया|


उसने अपने थूक से सने हाथों से मेरा पाजामा बुरी तरह खींचना शुरू कर दिया, वासना उस पर इस कदर हावी थी की वो तो मेरा पाजामा फाड़ने को भी तैयार थी| आखिर पाजाम निकालते ही उसने उसे दोर्र फेंक दिया और मेरे कच्छे को देख कर बोली; "सच्ची आज के बाद मेरे होते हुए आप कभी कच्चा मत पहनना! नहीं तो मैं आपके सारे कच्छे फाड़ दूँगी!" ऋतू का उतावलापन आज साफ़ दिख रहा था| मेरा कच्छा तो उसने नोच कर निकाला और गुस्से से कमरे के दूसरे कोने में फेंक दिया, फिर से उसने अपना गाढ़ा थूक अपनी चारों उँगलियों पर निकाला और पहले मेरे लंड पर चुपड़ने लगी और फिर बाकी का अपनी बुर में घुसेड़ दिया! ऋतू का ये रूप देख कर मैं हैरान था!

ऋतू अब धीरे-धीरे अपनी बुर को मेरे लंड के ठीक ऊपर ले आई और धीरे-धीरे बुर को नीचे मेरे लंड पर दबाने लगी| मेरा सुपाड़ा पूरा अंदर जा चूका था और ऋतू के बुर की गर्मी मुझे अपने लंड पर महसूस होने लगी थी| मैं जानता था की अगर मैंने नीचे से जरा भी झटका मारा तो ऋतू की हालत दर्द के मारे खराब हो जायेगी, इसलिए में बिना हिले-डुले पड़ा रहा|

ऋतू ने बहुत हिम्मत दिखाई और धीरे-धीरे और नीचे आने लगी और मेरा लंड और अंदर जाने लगा| जब आधा लंड अंदर चला गया तो ऋतू रुक गई और मुझे लगा जैसे इसके आगे वो नहीं बढ़ेगी| ऋतू की चेहरे पर दर्द की लकीरें थीं और मुँह से दर्द भरी आह निकल रही थी| "स..आह...हम्म....मम...हह...आअह्ह्ह...अंह..!!!" ऋतू की बुर में उठ रहा दर्द उसकी जुबान से बाहर आ रहा था| जितना लंड अंदर गया था उतना ही अंदर लिए उसने ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया और मैं मन मार कर रह गया की वो मेरा पूरा लंड अंदर न ले सकी| अगले पांच मिनट तक ऋतू मेरे पेट पर अपना हाथ रख कर अपनी गांड ऊपर नीचे करती रही और मेरा बेचारा आधा लंड ही उसकी बुर की गर्मी की सिकाई पा रहा था| ऋतू को मेरे चेहरे से मेरी प्यास दिख रही थी और वो जानती थी की मेरा पूरा लंड उसकी बुर की गर्माहट चाहता है तो उसने ऊपर-नीचे होना रोक दिया और मेरे ऊपर लेट गई| "मुझे लगा की वो स्खलित हो गई है इसलिए आराम कर रही है पर उसने मुझे चौंकाते हुए पुछा; "जानू! आप ऐसे क्यों हो? अपना दर्द मुझसे क्यों छुपाते हो? मैं जानती हूँ की मैं आपको सेक्स में वो सुख नहीं दे पाती जो आप चाहते हो पर आपने कभी मुझसे क्यों कुछ नहीं कहा? आपके छूटने से पहले मैं स्खलित हो जाती हूँ पर आप हैं की.....क्या पराया समझते हो मुझे?"

ये सुन कर मुझे एहसास हुआ की मैं ऋतू से सेक्स में उसका पूरा साथ ना देने से थोड़ा दुखी था पर कभी उससे कहने की हिमायत नहीं जुटा पाया| "जान! ऐसा नहीं है! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, मेरे लिए तुम्हारे दिल का प्यार जर्रूरी है! सेक्स मेरे लिए मायने नहीं रखता! तुम्हें उससे ख़ुशी मिलती है और तुम्हें खुश देख मैं भी खुश हो लेता हूँ| बचपन से ले कर जब तक मैं घर पर था तब तक हम साथ खेले-खाये, बड़े हुए पर मेरे कॉलेज के वजह से मुझे शहर आना पड़ा और तब शायद तुमने खुद का ख़याल रखना बंद कर दिया| या शायद घर पर सब के तानों के दुःख के कारन तुम अच्छे से खाना नहीं खाती थी, इसीलिए तुम्हारा शरीर अंदर से कमजोर है और शायद इसीलिए तुम सेक्स में ज्यादा देर तक नहीं साथ दे पाती! पर उससे मेरा प्यार तुम्हारे लिए कभी कम नहीं हुआ! हाँ कुछ दिन पहले तुम ने मेरे दिल को बहुत ठेस पहुँचाई थी, पर उस किस्से के बाद तो हम और नजदीक ही आये हैं ना? मेरी बात सुन कर ऋतू मेरी आँखों में देखते हुए बोली; "मैं जानती हूँ आप मुझसे कितना प्यार करते हो और मेरे दिल को चोट न पहुंचे इसलिए आप ने मुझे कभी ये नहीं बताया| पर उस दिन जब में उस डॉक्टर के साथ अंदर गई चेक-अप के लिए तब मैंने उन्हें साड़ी बात बताई और उन्होंने मुझे कुछ बातें बताई! मैं वादा करती हूँ की आज के बाद मैं आपका पूरा साथ दूँगी!"


''आपको वादा करने की कोई जर्रूरत नहीं है!" ये सुन कर ऋतू मुस्कुराई और मेरे होठों को चूम लिया| मेरे लंड अभी भी आधा ऋतू की बुर में था और ऋतू ने धीरे-धीरे अपनी कमर को मेरे लंड पर दबाना शुरू किया| धीरे-धीरे ...धीरे-धीरे ...धीरे-धीरे ...धीरे-धीरे और आखिर में पूरा लंड ऋतू की बुर में समां गया| दर्द के मारे ऋतू की आँखें बंद हो चुकी थी और आँसूँ की धरा बह निकली थी| "ससससस.....आअह्ह्ह्ह......मा....म...म.म.म.म....मममम.....ंन्न......ह्ह्ह्हह्ण....!!!" ऋतू का दर्द देख कर मन दुखी होने लगा था और लंड मियाँ अंदर बुर की गर्मी पा कर मचलने लगे थे| "जान! दर्द हो रहा है तो मत करो!" मैंने ऋतू से कहा पर उसने अपनी ऊँगली मेरे होठों पर रख दी| "ससस...आज...मेरे जानू.....को....सब....ससस...आअह्ह्ह..हहह्णणम्म्म....ममम...!!" ऋतू की दर्द भरी सिसकारियाँ अचानक ही मादक सिसकारियाँ बन चुकी थी| दो मिनट तक वो बिना हिले-डुले मेरे लंड को पानी बुर में भरे, आँखें मूंदे हुए बैठी रही| फिर उसने अपने दोनों हाथों को मेरी छाती पर रखा और अपनी कमर धीरे-धीरे ऊपर लाई, लंड का सुपाड़ा भर अंदर रहा गया था और फिर ऋतू धीरे-धीरे अपनी कमर को वापस नीचे लाई! दो मिनट में ही उसकी बुर ने रस छोड़ दिया, और वो गर्म-गर्म रस मेरे लंड को और भी गर्म करने लगा| ऋतू जैसे ही ऊपर उठी उसका रस बहता हुआ बाहर आया पर इस बार ऋतू रुकी नहीं और उसने लय-बद्ध तरीके से अपनी कमर ऊपर-नीचे करनी शुरू कर दी| 5 मिनट और फिर ऋतू उकड़ूँ हो कर बैठ गई और तेजी से उसने अपनी गांड ऊपर नीचे करने शुरू कर दी| अब तो मेरा लंड बड़ी आसानी से फिसलता हुआ उसकी बुर में अंदर-बाहर हो रहा था और ऋतू को भी बहुत जोश चढ़ आया था| अगले दस मिनट तक वो बिना रुके ऐसे ही ऊपर-नीचे करती रही और मेरी और मेरे लंड की हालत खराब कर दी| मेरे जिस्म में एक ऐठन आई और वही ऐठन ऋतू के जिस्म में भी आई और दोनों एक साथ अपना रस बहाने लगे, वो रस ऋतू के बुर में पहले भरा और काफी-कुछ रिस्ता हुआ बहार आने लगा|


ऋतू थक कर पस्त हो गई और मेरे ऊपर ही लुढ़क गई| हम दोनों की सांसें बहुत तेज थी, और लंड मियाँ अब भी ऋतू की बुर के अंदर फँसे पड़े थे| पाँच मिनट के बाद जब दोनों की सांसें सामान हुई तो आज मेरे चेहरे की संतुष्टि देख ऋतू को खुद पर गर्व होने लगा| मैंने करवट ले कर उसे अपने ऊपर से उतारा और अपनी बगल में लिटा दिया, इसी बीच मेरा लंड भी बहार आया| ऋतू की बुर से चम्मच भर गाढ़ा तरल बहंता हुआ बाहर आया जिसे देख कर मुझे बहुत आनंद आया| मैं वापस ऋतू की बगल में लेट गया, ऋतू ने मेरी तरफ करवट की और अपनी बायीँ टांग उठा कर मेरे लंड पर रख दी| वो अब भी उस गाढ़े तरल से अनजान थी!
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#43
update 25 

हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और दस मिनट बाद मैंने ऋतू से बात शुरू की;

मैं: मेरी जान ने बड़े मन से डॉक्टर की साड़ी टिप्स फॉलो की, ऐसी क्या टिप्स दी थी उन्होंने?

ऋतू: (शर्माते हुए) उन्होंने कहा था की अपने पति को एक्साइट करो! कुछ मर्दों को बातों से एक्साइटमेन्ट होती है तो, किसी को नोचने-काटने से, किसी को चूमने-चूसने से होती है!

मैं: अच्छा?

ऋतू: हाँ जी! मुझे ये भी बताया की जल्दी स्खलित नहीं होना चाहिए बल्कि जितना रोक सको उतना बेहतर है! जब लगे की क्लाइमेक्स होने वाला है, तभी रुक जाओ और अपने पार्टनर को Kiss करते रहे| थोड़ा सब्र से काम लो और जल्दीबाजी मत दिखाओ! और तो और मुझे उन्होंने प्राणायाम भी करने को कहा और हस्तमैथुन नहीं करने को कहा|

मैं: तुम हस्थमैथुन करती थी?

ऋतू: जब आप नहीं होते थे तब करती थी! पर उस दिन के बाद मैंने बंद कर दिया, आपको पता है कितना मुश्किल होता है? आप को तो पता नहीं क्या सिद्धि प्राप्त है की आप खुद को इतना काबू में रखते हो! मुझे तो आपके पास आते ही आपके जिस्म की महक बहकाने लगती है| मन करता है आपके सीने से चिपक जाऊँ!!!!

मैं: जानू! सब तुम्हारे प्यार का असर है, वही मुझे कहीं भटकने नहीं देता|

अब तक ऋतू को बिस्तर पर गीलापन महसूस हो गया था, इसलिए वो उठ बैठी और हम दोनों का गाढ़ा-गाढ़ा रस देख कर बुरी तरह शर्मा गई| वो उठी और थोड़ा बहुत रस उसकी बुर से बहता हुआ उसकी जाँघों तक पहुँच गया था| खेर ऋतू बाथरूम से मुँह-हाथ और बुर धो कर आई और फिर मैंने भी मुँह-हाथ और लंड धोया! जब में बहार आया तो ऋतू चाय बना रही थी और जैसे ही मैंने कच्छा उठाया पहनने को तो ऋतू आँखें बड़ी कर के देखने लगी, मैंने मुस्कुरा कर कच्छा वपस जमीन पर पड़ा रहने दिया| "क्यों कपडे पहन रहे हो? मेरे सामने शर्म आती है?" ऋतू ये कह कर हँसने लगी| मैं उसके पीछे आया और उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड लिया| मेरा सोया हुआ लंड ऋतू की गांड से चिपका और मैं उसके कान में खुसफुसाते हुए बोला; "सॉरी जान!"   


"अच्छा आप खिड़की के नीचे बैठो, में चाय ले कर आती हूँ||" मैं वापस खिड़की के नीचे बिना कपडे पहने ही बैठ गया| ऋतू ने मुझे चाय दी और पलंग से चादर उठा कर धोने डाल दी और फिर मेरी गोद में नंगी ही बैठ गई| ऋतू की गांड ठीक मेरे लंड के ऊपर थी; 

ऋतू: अच्छा ...मुझे आपसे ...एक बात कहनी थी| (ऋतू ने बहुत सोचते-सोचते हुए कहा|)

मैं: हाँ जी कहिये| (मैंने ऋतू के बालों में ऊँगली फिराते हुए कहा|)

ऋतू: मुझसे अब आपसे दूर रहा नहीं जाता| आपका कहाँ की नई जिंदगी शुरू करने के लिए पैसों की जर्रूरत है वो सच है पर ये तो कहीं नहीं लिखा होता की ये सारा बोझ आप ही उठाएंगे? मैं भी आपका ये बोझ बाँटना चाहती हूँ, मैं भी जॉब करुँगी! ताकि जल्दी पैसे इक्कट्ठा हों और मैं और आप जल्दी से यहाँ से भाग जाएँ|


ऋतू की बात सुन कर मैं हैरान था क्यों की वो बेसब्र हो रही थी और इस समय मेरा उसपर चिल्लाना ठीक नहीं था, तो मैंने उसे समझते हुए कहा;

मैं: जान! मैं बिलकुल मना नहीं करता की आप जॉब मत करो! मैंने तो आपको अपना प्लान बताया था ना? अगले साल से आप भी पार्ट टाइम जॉब शुरू करना! फिलहाल मैं कल ही सर से अपनी सैलरी बढ़ाने की बात करूँगा नहीं तो मैं जॉब स्विच कर लूँगा|

ऋतू: प्लीज जानू!

मैं: जान! समझा करो! आप पढ़ाई और जॉब एक साथ नहीं संभाल पाओगे! कॉलेज की अटेंडेंस भी जर्रूरी है ना? फिर हॉस्टल के टाइमिंग भी तो इशू है|

ऋतू: मैं सब संभाल लूँगी, सैटरडे और संडे करुँगी तो कॉलेज की अटेंडेंस में भी कुछ फर्क नहीं पड़ेगा| हॉस्टल की टाइमिंग के लिए मैं आंटी जी से बात कर लूँगी और उन्हें मना भी लूँगी| प्लीज मुझसे अब ये दूरी बर्दाश्त नहीं होती!

मैं: जॉब करोगी तो सैटरडे-संडे हम दोनों कैसे मिलेंगे? तब कैसे रहोगी मुझसे बिना मिले? और ये मत भूलो की हमें कभी-कभी सैटरडे-संडे घर भी जाना होता है, उसका क्या? रास्ते में अकेले आना-जाना कैसे मैनेज करोगी?

ऋतू: मैं आप ही की कंपनी में जॉब करुँगी तो हम एक साथ और भी टाइम बिता पाएंगे और रही घर जाने की बात तो आपके बस इतना बोलने से की आप ऑफिस के काम में बिजी हो तो कोई कुछ नहीं कहेगा| आप बोल देना की मेरे एग्जाम है...कुछ भी झूठ बोल देना...ज्यादा हुआ तो कभी-कभी चले जायेंगे| एटलीस्ट मुझे एक बार कोशिश तो करने दीजिये, एक बार अनु मैडम से बात तो करने दीजिये!

मैं: अच्छा जी तो सब सोच कर आये हो?! मेरे ऑफिस में जॉब करोगे तो मेरे साथ-आना जाना तो छोडो वहां मुझसे बात भी नहीं कर सकती तुम!

ऋतू: क्यों भला?

मैं: वहाँ किसी ने पूछा तो क्या कहूँ? ये मेरी भतीजी है! या फिर तुम मुझे सब के सामने 'चाचा' कह पाओगी?

ऋतू: तो हम वहाँ बिलकुल अजनबी होंगे?

मैं जी हाँ!

ऋतू: हाय! ये तो बेस्ट हो गया फिर! दुनिया की नजर से छुप-छुप कर मिलना, बातें करना बिलकुल फिल्मों की तरह|

मैं: फिल्मों का कुछ ज्यादा ही भूत नहीं चढ़ गया?

ऋतू: नहीं ...आपके प्यार का भूत है...जो सर से उतरता ही नहीं|

मैं: ऋतू ...देख कल को ये बात खुल गई तो ...सब कुछ खत्म हो जायेगा, प्लीज बात को समझ! (मैंने गंभीर होते हुए ऋतू के सर को चूमा|)

ऋतू: मैंने आज तक आपसे जो माँगा है आपने दिया है, एक आखरी बार मेरी ये जिद्द पूरी कर दो और मैं वादा करती हूँ की आगे से कभी कोई जिद्द नहीं करुँगी|

मैं: ठीक है, पर आपको मुझसे एक और वादा करना होगा|

ऋतू: बोलिये

मैं: कॉलेज खत्म होने से पहले हम शादी नहीं करेंगे| तुम अपनी पढ़ाई को हरगिज़ डाव पर नहीं लगाओगी|

ऋतू: ओफ्फो!!! जानू आप ना सच में बहुत सोचते हो! किस ने कहा की मैं अपनी ग्रेजुएशन कम्पलीट नहीं करुँगी?! मैं शादी के बाद भी तो कॉरेस्पोंडेंस से पढ़ सकती हूँ ना? फिर तो आप कहोगे तो मैं पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लूँगी| एक्चुअली करना ही पड़ेगा वरना आगे जॉब कहाँ मिलेगी! 


ऋतू ने बड़ी सरलता से ये बात कही पर ये बात मेरे गले नहीं उत्तर रही थी|


मैं: तुमने वादा किया था ना की कॉलेज की नेक्स्ट टोपर तुम बनोगी! मेरी तस्वीर के साथ तुम्हारी तस्वीर लगेगी... भूल गई? (ये कह कर मैं उठ खड़ा हुआ और हाथ बाँधे खिड़की से बहार देखने लगा|)

ऋतू: (मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ते हुए|) ठीक है जान! जब तक मेरी ग्रेजुएशन पूरी नहीं होती तब तक हम शादी नहीं करेंगे| पर उससे एक दिन भी जयदा नहीं रुकूंगी मैं!

ये कहते हुए ऋतू ने मेरी नंगी पीठ को चूमा| उसके स्तन मेरी पीठ में गड रहे थे, मैं ऋतू की तरफ घूमा और उसके होठों को चूम लिया| उसका निचला होंठ मैंने अपने होठों और जीभ से चूसना शुरू कर दिया था| 


अगले दिन मैंने सर से अपनी सैलरी को ले कर बात की;

मैं: गुड-मॉर्निंग सर!

बॉस: गुड- मॉर्निंग! अमिस ट्रेडर्स के नए इनवॉइस आये हैं, उन्हें चढ़ा देना|

मैं: जी...आपसे कुछ बात करनी थी|

बॉस: हाँ बोलो|

मैं: सर मुझे सैलरी में रेज (raise) चाहिए| 

बॉस: क्यों?

मैं: सर मुझे आपके पास काम करते हुए तकरीबन 3 साल हो गए हैं और इन सालों में मेरी सैलरी में एक भी बार रेज नहीं हुआ|

बॉस: पहले तुम रेगुलर तो बनो| आये-दिन छुट्टी मारते हो, शाम को ऑफिस खत्म होने से पहले ही चले जाते हो| ऐसे थोड़े ही चलेगा!

मैं: सर मेरी छुट्टियाँ पहले से कम हो गई हैं, आखरी बार छुट्टी तब ली थी जब मुझे डेंगू हो गया था| वो छुट्टियाँ भी विथाउट पे थी! शाम को जल्दी जाता हूँ तो बाद में वापस आ कर काम भी तो खत्म कर देता हूँ| आज तक आपको किसी भी काम के लिए मुझे दो बार नहीं कहना पड़ा है, इसलिए सर प्लीज सैलरी रेज कर दीजिये|

बॉस: देखते हैं...अभी जा कर अमिस ट्रेडर्स का डाटा चढ़ाओ| 

मैं: सॉरी सर, पर अगर आप सैलरी रेज नहीं करना चाहते तो मैं रिजाइन कर देता हूँ|

मैंने सर को अपना रेसिग्नेशन लेटर दे दिया|

में: सर इसमें 1 महीने का नोटिस पीरियड है, अगले महीने से मैं जॉब छोड़ देता हूँ|

इतना कह कर मैं चला गया| बॉस बहुत हैरान था क्योंकि उसे ऐसी जरा भी उम्मीद नहीं थी| तकरीबन 3 साल का एक्सपीरियंस था मेरे पास और कहीं भी जॉब कर सकता था, इसलिए मुझे जरा भी परवाह नहीं थी| इधर बॉस की फटी जर्रूर होगी क्योंकि ऐसा मेहनती 'मजदूर' उसे कहाँ मिलता जो एक आवाज में उसका सारा काम कर देता था| मैंने दोपहर को लंच भी नहीं किया और बिल एंटर करता रहा| लंच के बाद मैडम आईं और जब उन्हें सर से ये पता चला की मैं रिजाइन कर रहा हूँ तो पता नहीं उन्होंने सर को क्या समझाया की सर खुद मुझे बुलाने के लिए आये| मैं उनके केबिन में हाथ बंधे खड़ा हो गया, मैडम और सर मेरे सामने ही बैठे थे;

बॉस: अच्छा ये बताओ की रेज क्यों चाहिए तुम्हें? पार्ट टाइम टूशन तो तुम पढ़ा ही रहे हो और अभी सिंगल हो तो तुम्हारा खर्चा ही क्या है?     

मैं: सर 20,000/- की सैलरी में 8,000/- तो रेंट है, घर का खर्चा जिसमें खाना-पीना, बिजली-पानी सब जोड़-जाड कर 6-7 हजार हो जाता है| बाइक का तेल-पानी और मेंटेनेंस 1500/-,तो बचे 3,500/-! तीन साल में मेरी सेविंग कुछ 60-65 हजार ही हुई है| घर तो मैं ने पैसे भेजना बंद कर दिए! अब आप ही बताइये की आगे शादी करूँगा तो घर कैसे चलेगा मेरा?


मेरा जवाब सुन कर मैडम के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई पर सर के पास कोई जवाब नहीं बचा था|


बॉस: ठीक है मैं 2,000/- बढ़ा देता हूँ!

मैं: सॉरी सर! एटलीस्ट मुझे 5,000/- का रेज चाहिए| (अब मैं बार्गेन करने पर उत्तर आया तो मैडम के चेहरे पर और मुस्कराहट चा गई|)

बॉस: क्या? मैं इतना रेज नहीं कर सकता|

मैं: सरमार्किट में 30,000/- का ऑफर मिल रहा है मुझे, मैं तो फिर भी आपसे 25,000/- मांग रहा हूँ, वो भी 3 साल बाद! हर साल अगर 2,000/- भी बढ़ाते तो भी अभी आपको 6,000/- बढ़ाने पड़ते!

बॉस: नहीं! 3,000/- बढ़ा दूँगा इससे ज्यादा नहीं!

मैं: सर आप शुक्ल जी को 35,000/- देते हैं, ना तो वो ऑफिस से बहार का काम करते हैं ना ही ऑफिस के अंदर रह कर कोई काम करते हैं| जब तक आप उन्हें चार बार न कह दें वो फाइल खत्म करते ही नहीं|

बॉस: उनकी फॅमिली है, बच्चे हैं!

मैं: तो सर काबिलियत का कोई मोल नहीं? अगर फॅमिली का ही मोल है तो मैं अपने सारे परिवार को यहीं बुला लेता हूँ! फिर तो मुझे ज्यादा पैसे मिलेंगे ना?

बॉस: क्या करोगे 5,000/- बढ़वा के? तुम्हारे परिवार के पास इतनी जमीन है!

मैं: सर मैं उनके टुकड़ों पर नहीं पलना चाहता, अपना अलग स्टैंड है मेरा| अगर जमीन ही देखनी होती तो मैं यहाँ 20,000/-की नौकरी करता?

बॉस: चलो अगर मैं सैलरी बढ़ा दूँ तो तुम्हें ये शाम को जल्दी जाना बंद करना होगा! 

मैं: सर मैं अगर जल्दी जाता हूँ तो वापस आ कर सारा काम खत्म कर देता हूँ और अगले दिन आपको फाइल टेबल पर मिलती है| बाकी ऑफिस में सोमवार से शुक्रवार काम होता है मैं तो फिर भी 6 दिन आता हूँ|

बॉस ने ना में सर हिलाया और मैंने भी आगे कुछ नहीं कहा और वापस अपने डेस्क पर बैठ गया और काम करने लगा| शाम को मैंने इनवॉइस की फाइल सर को कम्पलीट कर के दी और ऋतू से मिलने निकल पड़ा| ऋतू को जब ये सब बताया तो वो ये सुन कर मायूस हो गई| उसने अभी तक अनु मैडम से अपनी जॉब की बात नहीं की थी वरना बॉस मेरी सैलरी कतई रेज नहीं करता, क्योंकि उसे ऋतू का स्टिपेन्ड (stipend) भी देना पड़ता और मेरी सैलरी रेज भी करनी पड़ती| "लगता है आपके साथ ऑफिस में काम करना सपना रह जायेगा|" उसने मायूस होते हुए कहा| मैंने ऋतू की ठुड्डी पकड़ के ऊपर उठाई और उसकी आँखों में ऑंखें डाले कहा; "ये अकेला ऑफिस तो नहीं है ना जहाँ हम दोनों साथ काम कर सकते हैं, ये नहीं तो कोई दूसरा ऑफिस सही|"     


पर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, करीबन एक हफ्ते बाद एक और एम्प्लोयी ने बॉस के काइयाँपन से तंग आ कर रिजाइन कर दिया| उसी दिन सर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहा;

बॉस: मानु मैं तुम्हारी सैलरी रेज कर रहा हूँ, लेकिन अगले महीने से!

मैं: ठीक है सर...थैंक यू!

मैं ख़ुशी-ख़ुशी बहार आया और अपना काम करने लगा की तभी मैडम आ गईं; "अरे पार्टी कब दे रहे हो?"

"अगले महीने mam ... सैलरी अगले महीने से बढ़ेगी!"

"ये ना!! सच्ची बहुत कंजूस हैं! चलो कोई बात नहीं अगले महीने पार्टी पक्की! अच्छा सुनो...वो प्रोजेक्ट के डिटेल आ गई हैं मेरे पास तो उस पर डिस्कशन करना है, लंच के बाद| ठीक है?

"जी mam"

मैडम के जाते ही मैंने ऋतू को कॉल किया और उसे खुशखबरी दी और उसे नए प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया| "अभी के अभी मैडम को कॉल कर और कॉफ़ी पीने के बहाने कॉलेज के आस-पास बुला और उनसे जॉब की बात छेड़ और जैसे समझाया था वैसे ही बात करना|" ये सुन कर ऋतू बहुत खुश हुई और उसने तुरंत ही मैडम को फ़ोन मिलाया और उसके कुछ देर बाद मैडम भी निकल गईं| आगे जो कुछ हुआ उसके बारे में ऋतू ने मुझे खुद बताया;

ऋतू: Hi mam!

अनु मैडम: Hi!!!

दोनों एक टेबल पर बैठ गए और mam ने दो कॉफ़ी आर्डर की|

ऋतू: I’m sorry to bother you mam!

अनु मैडम: Oh no no no… that’s okay! I always look for reason to escape from office! So what do you do? Where do you stay?

ऋतू: I’m a B Com student and I live in the hostel nearby. I actually neede your help. Umm…I’m actually looking for some work. Actually…umm…. I don’t want to be a burden on my family…I thought I can … you know earn something…. And learn from the experience… can you help me find a part time job? Like Saturdays and Sundays… Maybe in your company? Here’s my 10th and 12th marksheet! (ऋतू ने बहुत सोच-सोच कर और घबराते हुए बोला|)

ये सुन कर मैडम कुछ सोच में पड़ गईं और फिर बोलीं;

अनु मैडम: Ok join me from Saturday! I’ve a project and I was thinking of someone of your caliber to work with. But, stipend will be 1,000/- only, since you’re not joining us for 6 days a week!

ऋतू:  No problem mam, that’s not an issue. Thank you mam! Thank you!!!!

लंच के बाद जब मैडम आईं तो वो बहुत खुश लग रहीं थीं, उन्होंने मुझे और रेखा को अपने केबिन में बुलाया|

अनु मैडम: एक लड़की और हमें ज्वाइन कर रही है, पर वो सिर्फ सैटरडे और संडे ही आ पायेगी|

रेखा: क्यों mam?

अनु मैडम: यार! काम जयदा है और यहाँ कोई भी नहीं है जो PPTs और EXCEL पर फटाफट काम करता हो| ये लड़की अभी स्टूडेंट है और कुछ काम सीखना चाहती है| मानु जी आप संडे आ पाओगे? क्योंकि मंडे to सैटरडे तो ऑफिस का काम ही चलेगा पार्ट टाइम में आप दोनों काम करो तो मैं आपको कम्पेन्सेट भी करवा दूँगी|

मैं: ठीक है mam ... no problem.

राखी; ठीक है mam ... कोई दिक्कत नहीं|

शाम को जब मैं और ऋतू मिले तो आज मैंने उसे कस कर अपनी बाहों में भर लिया| ऋतू को समझते देर ना लगी की उसकी नौकरी पक्की हो गई है| मैंने उसे कुछ बात बातें की सब के सामने उसे मुझसे मेरा नाम ले कर बात करनी है और किसी को जरा भी शक नहीं होना चाहिए की हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं, ये सुन कर ऋतू बहुत एक्साइट हो गई! कुछ दिन और बीते और आखिर सैटरडे आ ही गया, ऋतू ने अपने हॉस्टल में आंटी जी से बात कर ली और उन्हें वही तर्क दिया जो उसने अनु मैडम को दिया था| आंटी जी ने बात कन्फर्म करने के लिए मुझे कॉल भी किया और मैंने उन्हें विश्वास दिला दिया की ऋतू कोई गलत काम नहीं कर रही है, पर उन्हें ये नहीं बताया की वो मेरी ही कंपनी में काम करेगी| सैटरडे सुबह मैं जल्दी से ऑफिस पहुँच गया, ठीक 10 बजे ऋतू की एंट्री हुई| नारंगी रंग के सूट में आज ऋतू क़यामत लग रही थी|
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#44
update 26

[Image: n8pewse7tg9p.jpg]

ऋतू को देखते ही ये बोल अपने आप मेरे मुँह से निकलने लगे;

"एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे

          खिलता गुलाब, जैसे

          शायर का ख्वाब, जैसे

         उजली किरन, जैसे

            बन में हिरन, जैसे

            चाँदनी रात, जैसे

            नरमी बात, जैसे

  मन्दिर में हो एक जलता दिया, हो!"

मेरी बगल में ही राखी खड़ी थी और ये गाना सुनते ही मुझे कोहनी मारते हुए बोली; "क्या बात है मानु जी?!!" अब मुझे कैसे भी बात को संभालना था तो मैंने बात बनाते हुए कहा; "सच में यार ये हूर-परी कौन है?"
 "पता नहीं! चलो न चल के इंट्रो लेते हैं इसका|" राखी ने खुश होते हुए कहा|


"ना यार! कहीं बॉस की कोई रिश्तेदार निकली तो सर क्लास लगा देंगे दोनों की|" अभी हम दोनों  ये बात कर ही रहे थे की ऋतू के ठीक पीछे से अनु मैडम और सर आ गए| और उन्हें देख कर हम दोनों अपने-अपने डेस्क पर चले गए| मैडम ने बॉस से ऋतू का इंट्रो कराया और बताय की प्रोजेक्ट के लिए ऋतू ने 'as a trainee' ज्वाइन किया है| फिर मैडम ने मुझे और राखी को बुलाया और ऋतू से इंट्रो कराया; "ऋतू ये दोनों आपके टीम मेट्स हैं, राखी और मानु|" ऋतू ने राखी से हाथ मिलाया और मुझे हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा| ये देख कर राखी के चेहरे से हँसी छुप नहीं पाई और उसे हँसता देख मैडम ने उससे पूछा भी की वो क्यों हँस रही है पर वो बात को टाल गई| "और मानु ये हैं रितिका, फर्स्ट ईयर कॉलेज स्टूडेंट हैं|" अब मैंने भी अपनी हँसी किसी तरह छुपाई और बस "नमस्ते" कहा| ये देख कर ऋतू के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ गई| "अरे हाँ..आपकी डायरी इन्हीं ने लौटाई थी|" मैडम ने मुझे डायरी वाली बात याद दिलाई| "ओह्ह! Really!!! Thank You रितिका जी!!" मैंने मुस्कुरा कर ऋतू को थैंक यू कहा| 

मेरा ऋतू को रितिका कहने से उसे थोड़ा अटपटा सा लगा जो उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था|       

                                                खेर मैडम ने ऋतू को ब्रीफ करने के लिए हम दोनों तीनों को अपने केबिन में बुलाया और ऋतू को राखी के साथ प्लानिंग और एनालिसिस में लगा दिया और मेरा काम इनकी प्लानिंग और एनालिसिस के हिसाब से PPTs और Excel Sheet तैयार करना था| अभी चूँकि मुझे पहले बॉस का काम करना था तो मैं उसी काम में लगा था| पर मेरी नजरें काम में कम और ऋतू पर ज्यादा थी| ऋतू को वादा करने से पहले मैं कभी-कभी चाय-सुट्टा पीता था, उसी वक़्त राखी भी आ जाया करती थी पर वो सिर्फ चाय ही पीती थी| आज भी वही हुआ, राखी खुद भी आईं और साथ में ऋतू को भी ले आई|

राखी: अरे मुझे क्यों नहीं बोला की आप चाय पीने जा रहे हो?  

मैं: आप लोग बिजी थे! (मैंने ऋतू की तरफ देखते हुए कहा और मुझे अपनी तरफ देखता हुआ पा कर ऋतू का सर शर्म से झुक गया|) 

राखी: अच्छा?? (मेरे ऋतू को देखते हुए राखी ने जान कर अच्छा शब्द बहुत खींच कर बोला| जिसे सुन ऋतू की हँसी छूट गई|)

मैं: और बाताओ क्या-क्या सीखा रहे हो आप रितिका जी को? (मैंने इस बार राखी की तरफ देखते हुए कहा|)

राखी: घंटा! मैडम तो बोल गई की प्लानिंग करो एनालिसिस करो पर साला करना कैसे है ये कौन बताएगा? (राखी के मुँह से 'घंटा' शब्द सुन ऋतू हैरान हो गई|)

मैं: तो 2 घंटे से दोनों कर क्या रहे थे?

राखी: कुछ नहीं.... कुछ इधर-उधर की बातें| आपकी बातें!!! (राखी ने मुझे छेड़ते हुए कहा|)

मैं: मेरी बातें? 

राखी: और क्या? जब मैं पहलीबार ज्वाइन हुई तब मुझसे तो आपने कभी बात नहीं की? और रितिका को देखते ही गाना निकल गया मुँह से?

ये सुन कर मैं जानबूझ कर शर्मा गया और ऋतू हैरानी से आँखें बड़ी करके मुझे देखने लगी|

ऋतू: कौन सा गाना गए रहे थे सर?

राखी: एक लड़की को देखा तो....


मैं कुछ नहीं बोला और एक घूँट में सारी चाय पी कर वापस ऊपर आ गया, और मुझे जाता हुआ देख राखी ठहाके मार के हँसने लगी| आज ऋतू के मुझे 'सर' कहने पर मुझे एक अजीब सी ख़ुशी हुई और वो भी शायद समझ गई थी| लंच के बाद मैं दोनों के साथ रिसर्च, प्लानिंग और एनालिसिस में उनके साथ लग गया| मैंने दोनों को पुराना डाटा दिखाया और उसकी मदद से रेश्यो निकालना बता कर मैं अपने डेस्क पर वापस आ गया| कुछ देर बाद अनु मैडम भी आईं और वो भी मेरे इस बदले हुए बर्ताव से थोड़ा हैरान थीं| उन्होंने मुझे दोनों की मदद करते हुए देख लिया था इसलिए मेरी सराहना करने से वो नहीं चूँकि; "अरे भैया तुम दोनों से ज्यादा होशियार है मानु! कुछ सीखो इनसे, अपना काम तो करते ही हैं साथ-साथ दूसरों की मदद भी करते हैं|" ये बात मैडम ने शुक्ल जी को सुनाते हुए कही|

शाम को जब जाने का नंबर आया तो मैं सोचने लगा की कैसे ऋतू को घर छोड़ूँ? अब मैं सामने से जा कर तो पूछ नहीं सकता था इसलिए मुझे कुछ न कुछ तो सोचना ही था! तभी मैडम ने उसे खुद ही लिफ्ट ऑफर कर दी और मैं बस ऋतू और मैडम को जाता हुआ देखता रहा| राखी पीछे से आई और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली; "आज लिफ्ट मिलेगी?" मैंने बस मुस्कुरा कर हाँ कहा और फिर ऋतू की जगह राखी को अपने पीछे बिठा कर उसके घर छोड़ा| मेरे घर पहुँचने के घंटे भर बाद ऋतू का वीडियो कॉल आया, वो बाथरूम में बैठे हुए खुसफुसाई;

ऋतू: I Love You जानू! uuuuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmmmmmmaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh !!!!!

मैं: क्या बात है बहुत खुश है आज?

ऋतू: जानू! बर्थडे के बाद आज का दिन मेरे लिए सबसे जबरदस्त था! कल के दिन के लिए सब्र नहीं कर सकती मैं|

मैं: अच्छा जी? जब मुझसे नाराज हुई थी और हमने पहली बार 'प्यार' किया था वो दिन जबरदस्त नहीं था? (मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा|)

ऋतू: वो दिन तो मेरे जीवन का वो स्वर्णिम दिन था जिसका ब्यान मैं कभी कर ही नहीं सकती| उस दिन तो हमने एक दूसरे को समर्पित कर दिया था| हमारा अटूट रिश्ता उसी दिन तो पूरा हुआ था|

मैं: वैसे आज मुझे तुम्हारे 'सर' कहने पर बड़ी अजीब सी फीलिंग हुई! पेट में तितलियाँ उड़ने लगी थी!

ऋतू: आपका नाम ले कर आपको पुकारने का मन नहीं हुआ, इसलिए मैंने आपको 'सर' कहा| एक बात तो बताइये, आपने सच में मुझे देख कर गाना गाय था?

मैं: हाँ, तू लग ही इतनी प्यारी रही थी की गाना अपने आप मेरे मुँह से निकल गया|

ये सुन कर ऋतू मुस्कुराने लगी| फिर इसी तरह हँसी-मजाक करते-करते खाने का समय हो गया और खाना मुझे ही बनाना था पर बुरा ऋतू को लग रहा था| "हमारी शादी जल्दी हुई होती तो मैं आपके लिए खाना बनाती|" ऋतू ने नाराज होते हुए कहा| "जान! शादी के बाद जितना चाहे खाना बना लेना पर तब तक थोड़ा-बहुत एडजस्ट तो करना पड़ता है|" मैंने ऋतू को मनाते हुए कहा|

"वैसे कितना रोमांटिक होगा जब आप और मैं एक साथ एक ही ऑफिस जायेंगे?! स्टाफ के सारे लोग हमें देख कर जल-भून जायेंगे!" ऋतू की बात सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई|

"लोगों को जलाने में बहुत मजा आता हैं तुम्हें?" मैंने पूछा|

"अब आपके जैसा प्यार करने वाला हो तो जलाने में मजा तो आएगा ही|" ऋतू ये कहते हुए हँसने लगी| तभी बहार से मोहिनी की आवाज आई; "अरे अब क्या बाथरूम में बैठ कर एकाउंट्स के सवाल हल कर रही है?! जल्दी बहार आ, खाना लग गया है|" ऋतू ने हड़बड़ा कर कॉल काटा और मुझे बहुत जोर से हँसी आ गई| बाद में उसका मैसेज आया; "बहुत मजा आता है ना आपको मेरे इस तरह छुप-छुप कर आपसे बात करने में?!" मैंने भी जवाब में हाँ लिखा और फ़ोन रख कर खाना बनाने लगा| खाना खा कर बड़ी मीठी नींद सोया और सुबह जल्दी से तैयार हो गया, सोचा की आज ऋतू को मैं ही ऑफिस ड्राप कर दूँ पर फिर याद आया की किसी ने देख लिया तो? तभी दिमाग में प्लान आया की मैं ऋतू को बस स्टैंड पर छोड़ दूँगा वहाँ से वो पैदल आ जाएगी| पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, ऋतू को मैडम ही लेने आ रही थी| मैं अपना मन मार के ऑफिस पहुँचा, पर वहां कोई नहीं था तो मैं नीचे चाय पीने लगा, तभी वहां राखी आ गई और वो भी मेरे साथ चाय पीने लगी| 

अनु मैडम और ऋतू एक साथ गाडी से निकले और हमारे पास ही आ कर खड़े हो गए और चाय पीने लगे| चाय पी कर हम सब एक साथ ऊपर आये और सीधा मैडम के केबिन में बैठ गए| कल के काम पर डिस्कशन के बाद मैडम ने तीनों को अलग-अलग बिठा दिया और राखी को प्लानिंग और ऋतू को एनालिसिस का काम दे दिया| मैं बैठा कुछ PPTs स्टडी कर रहा था, मैडम भी मेरे पास आ गईं और कल जो कुछ थोड़ा बहुत काम हुआ था उसके ग्राफ्स बनाने में मदद करने लगी| मैडम को पमरे साथ बैठा देख ऋतू को अंदर से जलन होने लगी थी, वो बहाने से बार-बार आ रही थी और मैडम से कुछ न कुछ पूछ रही थी| हालाँकि ऋतू बहुत कोशिश कर रही थी की उसकी जलन मुझ पर जाहिर ना हो पर मैं उसकी जलन महसूस कर पा रहा था| आखरी बार जब ऋतू मैडम से कुछ पूछने आई तो मैडम उठ खड़ी हुई; "मानु आप ये PPTs का आर्डर ठीक करो मैं जरा रितिका को एक बार सारा काम समझा दूँ वरना बेचारी सारा टाइम इधर-उधर भटकती रहेगी|”  

ऋतू को आधा घंटा समझाने के बाद मैडम ने मुझे उसकी हेल्प करने को कहा और खुद बाहर चली गईं| अब मैंने ऋतू के साथ बैठ कर उसे कुछ फाइल्स वगैरह के बारे में बताया, क्योंकि उसे कंप्यूटर उसे थोड़ा-बहुत ही आता था जो भी उसने अभी तक कॉलेज में सीखा था| आज मैंने उसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के बारे में बताय और टाइप करने के लिए कुछ शॉर्टकट बताये| ये सब ऋतू ने अब्दी ध्यान से सुना और अपने राइटिंग पैड में लिख लिया| जब मैं उठ के जाने लगा तो ऋतू ने मेरा हाथ चुपके से पकड़ लिया और मुझे खींच कर बिठा दिया| वो खुसफुसाती हुई बोली; "कहाँ जा रहे हो आप? बैठो ना थोड़ी देर और!" मैं भी बैठ गया पर हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, बस एक दूसरे को देख रहे थे| ऋतू ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया था और उसके हाथों की तपिश मुझे मेरे ठन्डे हाथों पर होने लगी थी| उसके होंठ थर-थरा रहे थे और मेरा मन भी उन्हें चूमने को व्याकुल था! आज अगर ऑफिस नहीं होता तो हम दोनों मेरे घर पर एक दूसरे के पहलु में होते!

"यहाँ कोई एकांत जगह नहीं है जहाँ आप और मैं थोड़ा टाइम....." ऋतू इतना कहते हुए रुक गई| मुझे उसका उतावलापन देख कर हँसी आ रही थी; "जान! ये ऑफिस है मेरा! यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता, किसी ने देख लिया ना तो ???"     

         ये सुन कर ऋतू का दिल टूट गया, "अच्छा चाय पियोगी?" ये सुन कर ऋतू की आँखों में चमक आ गई| हम दोनों उठ के नीचे आये और मैंने ऋतू को मेरी वाली स्पेशल चाय पिलाई| हम अभी चाय पी ही रहे थे की राखी आ गई; "अच्छा जी! मेरे से चोरी-छुपे चाय पी जा रही है?" उसने हम दोनों को छेड़ते हुए कहा|

"मैंने सोचा की आज रितिका जो को मानु वाली स्पेशल चाय पिलाई जाए|" मैंने बात बनाते हुए कहा|

"वो तो बिना सिगेरट के पूरी नहीं होती!" ये कहते हुए राखी ने चाय के साथ एक सिगरेट ली और काश ले कर मेरी तरफ बढ़ा दी| ये देख कर ऋतू हैरान हो गई, उसे लगा शायद मैंने उससे किया वादा तोड़ दिया है| 

"सॉरी! मैंने छोड़ दी|" मेरा जवाब सुन कर राखी हैरान हो गई?

"हैं??? आप ही ने तो इलाइची वाली चाय के साथ ये कॉम्बो बनाया था और अब खुद ही नहीं पी रहे?" राखी की बात सुन कर ऋतू दुबारा हैरान हो गई|

"पर अब छोड़ दी| अब जीने की आदत हो गई है|" ये मैंने ऋतू को देखते हुए कहा| इस बार तो राख ने मेरी चोरी पकड़ ही ली; "अच्छा जी!!! रितिका जी को खुश करने को कह रहे हो!" ये सुन कर हम तीनों ठहाका लगा कर हँसने लगे| बस इसी तरह हँसी-मजाक में वो दिन निकला और मैडम ने ही राखी और ऋतू को घर छोड़ा और मैं अकेला घर वापस आ गया| 
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#45
Very nice. Awaiting further updates.
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#46
(04-11-2019, 10:46 AM)smartashi84 Wrote: Very nice. Awaiting further updates.

Thank you... next update coming up!!!
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#47
update 27 

इसी तरह ऋतू और मेरे प्यार भरे दिन बीतने लगे, सोमवार से शुक्रवार उससे शाम को मिलना और फिर शनिवार और इतवार साथ-साथ ऑफिस में पूरा दिन गुजारना| घर से फ़ोन आता तो मैं कह देता की मैं नहीं आ पाउँगा क्योंकि बॉस छुट्टी नहीं दे रहा है| ऋतू के आने के बाद ऑफिस में एक ग्रुप बन आगया था| मैं, अनु मैडम, राखी और ऋतू का एक ग्रुप और बाकी लोगों का एक ग्रुप! मैडम भी ऋतू के काम से बहुत खुश थीं और प्रोजेक्ट भी आधा खत्म भी हो गया था| मैडम तो इतनी खुश थीं की उन्होंने कहा की ऋतू की ग्रेजुएशन के बाद वो हमारा ऑफिस ही ज्वाइन कर ले| पर ये तो मेरा मन जानता था की ऋतू की ग्रेजुएशन के बाद तो हम दोनों ही यहाँ नहीं होंगे!


 आज का दिन बहुत अलग था, चूँकि आज शनिवार था तो आज ऋतू भी ऑफिस आई हुई थी| 11 बजे राख ऑफिस में आई और उसके हाथ में मिठाई का डिब्बा था| सबसे पहले बॉस को और फिर मैडम को उसने खुशखबरी दी की उसकी शादी तय हो गई है| ऑफिस में सब का उसने मुंह मीठा कराया और मेरा नंबर आखरी था| ऋतू से प्यार होने से पहले मैं राखी को बहुत पसंद करता था, पर कभी उससे काम के इलावा कोई बात नहीं की| हम दोनों ने जो भी थोड़ा बहुत खुल के बातें की वो सब राख के मुंबई मिलने के बाद था| शायद इसीलिए उसकी शादी की बात सुन कर थोड़ा दुःख हुआ! पर अगले ही पल मुझे ऋतू का हँसता हुआ चेहर दिखा और मुझे होश आया की मेरे पास तो ऋतू का प्यार है! मन में ख़ुशी थी इस बात की, की राखी की शादी हो रही है पर दुःख शायद इस बात का था की पिछले कीच दिनों में हम जो थोड़ा बहुत खुल कर बातें करने लगे थे वो अब कभी नहीं हो पायेगी! मैं अपना ये गम छुपाये हुए था पर शायद ऋतू समझ चुकी थी| लंच में हम दोनों नीचे चाय पीने गए थे की तभी ऋतू ने मुझे एक तरफ अकेले में आने को कहा|

ऋतू: राखी वही लड़की है न जिसे आप बहुत प्यार करते थे?

मैं: पसंद करता था!

ऋतू: समझ सकती हूँ की आपको कैसा लगा होगा आज!

मैं: I’m happy for her!

ऋतू: Tha I know, but what about your inner wound! It must be hurting you from inside?!

मैं: It did hurt, but then I saw your beautiful smiling face and realized I’ve the most loving person with me.

ये सुन कर ऋतू के गाल शर्म से लाल हो गए| आगे हम कुछ बातें करते उससे पहले ही राखी आ गई और उसकी और ऋतू की बातें शुरू हो गई| दोनों कपड़ों को ले कर कुछ बातें कर रही थीं, मैंने आखरी घूँट चाय का पिया और फिर वहाँ से निकल आया| वो पूरा दिन ऋतू मेरे आस-पास मंडराती रही, किसी न किसी बहाने से मुझसे कुछ भी पूछने आती और मुझे हँसाती बुलाती रहती| उस दिन ऋतू को नजाने क्या सूझी की उसने मैडम से जल्दी जाने की बात बोली, अब मैडम तो उसे घर छोड़ने के लिए निकलना चाहती थीं क्योंकि उनको बॉस के सामने काम करना बिलकुल पसंद नहीं था| बॉस हमेशा उनपर धौंस जमाते और काम करवाते रहते थे| इसलिए मैडम इसी फिराक में रहती की कहीं न कहीं किसी न किसी बहाने से ऑफिस से निकल जाएँ| पर ऋतू ने बड़ी शातिर चाल चली; "mam वो मुझे अमीनाबाद मार्किट जाना है! वहाँ आपकी कार कैसे जाएगी? वहाँ तो पार्किंग भी नहीं मिलती? आप अगर सर (मेरी तरफ इशारे करते हुए) से कह दें तो वो मुझे वहाँ छोड़ देंगे?!" ऋतू ने जब मेरी तरफ इशारा किया तब मैं उसी तरफ देख रहा था पर जैसे मैडम ने मेरी तरफ देखा मैंने तुरंत नजरें फेर लीं| मेरी खुशकिस्मती की मैडम समझ नहीं पाईं और उन्होंने मुझे आवाज लगा कर बुलाया; "मानु जी! जरा हमारी रितिका की मदद कर दो| उसे अमीनाबाद मार्किट जाना है, आप उसे वहाँ छोड़ दो|" ये सुन कर बिलकुल हैरान था; "पर mam वहाँ तो इस वक़्त बहुत भीड़ होती है?"

"हाँ जी तभी तो आपको कह रही हूँ, आप रितिका को वहाँ छोड़ कर घर निकल जाना|" मैडम ने कहा|

"पर mam ...वो सर???" माने थोड़ी चिंता जताई|   

"कौन सा आप पहली बार जल्दी निकल रहे हो, मैं कह दूँगी की आज आपकी टूशन क्लास थोड़ा जल्दी थी|" मैडम की बात सुन कर रितिका का मन प्रसन्न हो गया और उसकी ख़ुशी उसके चेहरे से झलकने लगी| मैंने अपना बैग उठाया और हम दोनों नीचे आने को उतरने लगे| पर मैं जानबूझ कर चुप रहा ताकि मैडम को ये ना लगे की ये हमारी मिली-भगत है| नीचे आ कर मैंने ऋतू से कहा; "बहुत दिमाग चलने लगा है आज कल तेरा?" ऋतू बस हँसने लगी और आ कर मेरी बाइक पर पीछे बैठ गई| "अच्छा जान कहाँ है?" मैंने पूछा| "बाज़ार जायेंगे और कहाँ?" ऋतू ने थोड़ा इठलाते हुए जवाब दिया| मैंने बाइक उसी तरफ भगाई, वहाँ पहुँच कर ऋतू ने मुझे एक दूकान के सामने रुकने को कहा| मेरा हाथ पकड़ के मुझे वो अंदर ले गई और मेरे लिए शर्ट पसंद करने लगी| पर बेचारी जल्दी ही मायूस हो गई; "क्या हुआ जान!" मैंने उससे प्यार से पूछा तो उसने बताया की जो स्टिपेन्ड मिला था उससे वो मेरे लिए एक शर्ट लेना चाहती थी पर शर्ट की कीमत 1200/- से शुरू थी| "अरे पगली! ये तो स्टिपेन्ड है सैलरी थोड़े ही?! जब सैलरी मिलेगी तब ले लेना शर्ट, अभी हम तेरे लिए कुछ बालियाँ खरीदते हैं| पर ऋतू का मन नहीं था इसलिए मैंने उसे बहुत मस्का लगाया और उसके लिए मैंने बहुत सुंदर इमीटेशन वाली जेवेलरी खरीदवाई| पैसे ऋतू ने ही दिए और अब वो बहुत खुश थी; "पहली सैलरी जब मिलेगी ना तो आपके लिए मैं बिज़नेस सूट खरीदूँगी!" उसने मुझे चेताया और अमीने भी उसकी बात में हाँ मिला दी| उस दिन उसे मैंने ठीक 6 बजे उसके हॉस्टल छोड़ दिया और घर वापस आ गया| मन अब हल्का था और इसका सारा श्रेय ऋतू का जाता है| अगर वो मेरी जिंदगी में ना होती तो मैं अभी कहीं बैठ कर दारु पी रहा होता| कुछ और दिन बीते और आखिर मेरा जन्मदिन आ गया पर वो आया संडे के दिन! शुक्रवार को ही ऋतू ने मुझे कह दिया था की मैं संडे की छुट्टी ले लूँ पर जब मैंने अनु मैडम से छुट्टी मांगी तो उन्होंने कहा; "मानु जी! संडे को तो वीडियो कॉन्फ्रेंस है और हम सबको वहीँ बैठना है और आप ही तो उन्हें ग्राफ्स और PPTs समझाओगे! ये (बॉस) तो उस दिन यहाँ होंगे नहीं!" अब मैं आगे क्या कहता इसलिए मैंने उनकी बात मान लीं और ऋतू को लंच में फ़ोन कर के बता दिया| ऋतू का तो मुँह बन गया और वो मुझसे 'थोड़ा' नाराज हो गई| अगले दिन जब वो आई तब भी मुझसे कुछ नहीं बोली और मुझे गुस्सा दिखाते हुए मुँह इधर-उधर झटकती रही! उस दिन बॉस ने सारा काम मेरे मत्थे थोप दिया था और खुद शुक्ल जी और बाकियों को ले कर इलाहबाद निकल गए| मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर एहि सोच कर संतोष कर लिया की कम से कम ऋतू तो मेरे सामने है ना| अब उसे मनाने के लिए मैं ही उसकी डेस्क के आस-पास मंडराता रहा|

             "जान! मेरा प्यार बच्चा! मुझसे नाराज है?" मैंने सबसे नजर बचाते हुए ऋतू से तुतलाती हुई जुबान में कहा| ये सुन कर ऋतू के चेहरे पर हँसी छा गई| "जानू! प्लीज कल छुट्टी ले लो, आपका बर्थडे अच्छे से सेलिब्रेट करना है!" ऋतू ने बहुत सारा जोर दे कर कहा| "बाबू! मैडम ने कहा है की कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग है और हम तीनों आना है| इसलिए मुझे तो क्या आपको भी छुट्टी नहीं मिलेगी| ऐसा करते हैं की ऑफिस के बाद कहीं बाहर चलते हैं!" मैंने ऋतू को समझाते हुए कहा| "पर हॉस्टल में क्या कहूँगी?" ऋतू ने पूछा| अब इसका तो कोई इलाज नहीं था मेरे पास! "एक आईडिया है! आज जा के आंटी से कह देना की कल तुम्हें गाँव जाना है, मैं तुम्हें ठीक 7 बजे लेने आऊँगा और फिर तुम अपना छोटा सा बैग मेरे घर पर रख देना| उसके बाद ऑफिस और फिर बाद में पार्टी!" ये सुन कर ऋतू इतनी खुश हुई की उसने मुझे गले लगाने को अपने हाथ खोल दिया पर जब उसे एहसास हुआ की वो ऑफिस में है तो उसने ऐसे जताया जैसे वो अंगड़ाई ले रही हो| अगले दिन सारा काम प्लान के हिसाब से हुआ, मैं ऋतू को लेने अपनी बाइक पर हॉस्टल पहुँचा और वो मोहिनी को बाय बोल कर मेरे साथ निकल पड़ी| हमने घर पर ऋतू का बैग (जिसमें ऋतू जब गाँव जाती थी तो कुछ किताबें ले जाय करती थी|) रखा और फिर मैंने कपडे बदले और दोनों ऑफिस आ गए| आज मैंने ऋतू के सामने पहली बार शर्ट और टाई बंधी थी, शर्ट अंदर टक (tuck) थी और टाई लटक रही थी| ऋतू का मन बईमान हो रहा था और वो बार-बार सब की नजरें बचा कर मुझे कभी kiss करने का इशारा (Pout), तो कभी आँख मार देती| जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग शुरू हुई तो मैडम ने सबसे पहले अपना ओपनिंग स्टेटमेंट दिया और उसके बाद ऋतू और राखी ने अपने एनालिसिस के बारे में बताया और मैं उन्हीं के साथ खड़ा हो कर ग्राफ्स दिखा रहा था| इसी एनालिसिस और ग्राफ्स के साथ मैंने अनु मैडम के क्लोजिंग स्टेटमेंट की PPT चला दी|   

                   प्रेजेंटेशन के बाद मैडम बहुत खुश थीं और वो राख और ऋतू के गले लग कर अपनी ख़ुशी प्रकट कर रही थीं| पर मुझसे वो गले नहीं मिलीं बल्कि हैंडशेक किया और बधाई दी!  “Guys I’d like to celebrate this day, not only we nailed the presentation but its our beloved Manu’s birthday!”  मैडम की बातें सुन कर मैं हैरान हो गया और अचरज भरी आँखों से उन्हें देखने लगा| “You thought you can escape without giving us treat?? Hunh??” मैं अब भी हैरान था और इधर राखी आ कर मेरे गले लग गई और 'Happy Birthday Dear' बोली| मैं अब भी हैरान था की मैडम को कैसे पता? "Mam, but how did you …..” मेरी बात मैडम ने पूरी होने ही नहीं दी और बोल पड़ीं; "I’m really sorry! एक ही जगह काम करते हुए हमें 3 साल होगये पर आज तक मैंने कभी आपको बर्थडे विश (wish) नहीं किया, न कभी मैंने आपसे पूछा न कभी इस बारे में सोचा पर उस दिन अचानक से मेरी नजर आपकी फाइल पर पड़ी और आपका resume पढ़ा तब पता चला| सच में हम लोग अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हैं की अपने करीबी लोगों के, अपने colleagues के बर्थडे तक याद नहीं रखते| खेर अब ऐसा नहीं होगा और आज की पार्टी मेरी तरफ से!"  मेरा ध्यान अब भी मैडम की बातों पर था और ऋतू मेरी तरफ देख कर हैरान थी| मैडम मेरे पास आईं और मुझे 'Happy Birthday मानु जी!' बोला और गले लग गईं, मैं अब भी कोई react नहीं कर पा रहा था| मेरे मुँह से बीएस 'Thank You Mam' निकला|

अनु मैडम को मेरे गले लगा देख ऋतू को जलन होने लगी और वो मेरे पास आई 'Happy Birthday Sir!!!' बोल कर मेरे गले लग गई| मैंने भी बहुत गर्म जोशी से उसे कस के गले लगा लिया और 'Thank You' बोला| “Let’s go to a pub!” मैडम ने बड़ी गर्म जोशी में कहा और राखी तुरंत तैयार हो गई पर मैं और ऋतू अब भी खामोश खड़े थे| "रितिका आप ड्रिंक करते हो?" मैडम ने ऋतू से पूछा| "किया तो नहीं मैडम पर आज जर्रूर करुँगी|" ऋतू ने भी बड़ी गर्म जोशी से जवाब दिया| "और आप मानु जी, आज तो आपको भी पीनी होगी!" मैडम ने मुझे हुक्म देते हुए कहा| मैंने नजर बचाते हुए ऋतू की तरफ देखा तो वो पहले से ही मेरी तरफ देख रही थी और जैसे ही हमारी नजर मिली तो उसने सर हिला कर हाँ कहा| मैंने भी मैडम को जवाब सर हिला कर हाँ कहा| मैडम ने और मैंने अपनी-अपनी गाड़ियाँ ऑफिस के पार्किंग लोट में ही छोड़ दी और मैंने कैब बुलवाई, मैं ड्राइवर के साथ और बाकी तीनों पीछे बैठ गए| पब का चुनाव मैंने ही किया, ये एक brewery थी और यहाँ की बियर बहुत ही मशहूर थी| हम चारों ने दो काउच वाला टेबल पकड़ा, अब मैडम एक काउच पर बैठ गईं और राखी दूसरे काउच पर| बचे मैं और ऋतू, तो ऋतू तो मैडम के बगल में बैठने से रही| आखिर वो राखी की बगल में बैठ गई और मैं मैडम के बगल में, ड्रिंक्स मेनू मैडम और मैंने उठाया; "भई मैं तो 30ml chivas लूँगी आप लोग देख लो क्या लेना है|" इतना कह कर मैडम ने मेनू रख दिया|

"Mam पहले एक-एक Lager Beer लेते हैं, It’s their sepeciality and I promise You’re gonna love it!” मैडम ने झट से मेरी बात मान ली और मैंने 4 Lager Beer आर्डर की| "क्या बात है मानु जी? बड़ी नॉलेज है आपको बीयर्स की?" राखी ने मुझे छेड़ते हुए पूछा| "कॉलेज के दिनों में कभी-कभी दोस्तों के साथ आता था|" मैंने कहा| जब बियर आई, सबने cheers किया और एक-एक सिप लिया तो मैडम की आँखें हैरानी से फटी रह गई| "मानु जी! You’re a geniuos! मानना पड़ेगा की आपकी ड्रिंक्स के मामले में चॉइस बहुत बढ़िया है!"

राखी की तारीफ करने से नहीं चुकी; "सीरियसली मानु जी! ना तो ये कड़वी है ना ही इसकी महक इतनी स्ट्रांग है! मैंने आजतक जितनी भी बियर पि ये वाली उनमें बेस्ट है|"

"अरे रितिका तुम्हें अच्छी नहीं लगी?" मैडम ने रितिका से पूछा| "Mam पहलीबार के लिए ये एक्सपीरियंस बहुत बढ़िया है| मैं सोच रही थी की ये बदबू मारेगी और मुझे कहीं वोमिट ना होजाये पर ये तो बहुत स्मूथ है|" ऋतू ने मेरी तरफ देखते हुए कहा| अब खाने की बारी आई तो ऋतू को छोड़ कर हम तीनों नॉन-वेज निकले| हम सब के लिए तो मैंने चिकन विंग्स मंगाए और ऋतू के लिए हनी चिल्ली पोटैटो, आज पहली बार उसने ये डिश खाई और उसे पसंद भी बहुत आई| बियर का मग खत्म करते ही, सब पर बियर सुरूर चढ़ने लगा| लाउड म्यूजिक का असर राखी और ऋतू पर छाने लगा, अगला राउंड फिर से रिपीट हुआ| इस बार तो बियर खत्म होते ही राखी उठ खड़ी हुई और डी.जे. के सामने खड़ी होकर झूमने लगी और गाने पर थिरकने लगी| दो मिनट बाद

 वो ऋतू को भी खींच कर ले गई और बियर का नशा ऋतू पर थोड़ा ज्यादा ही दिखने लगा और दोनों ने झूमना शुरू कर दिया| गाने अभी अंग्रेजी बज रहे थे, मैं और मैडम अकेले बैठे बस गाने को एन्जॉय कर रहे थे|
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#48
update 28

कुछ देर बाद मैडम ने पूछा की क्या मैं हार्ड ड्रिंक लूँगा तो मैंने हाँ कह दिया| मैडम ने दो Chivas 30ml मंगाई! हमने चियर्स किया और पहला सिप लिया| मैंने आज पहलीबार इतनी महंगी दारु पि थी और उसका स्वाद वाक़ई में बहुत अच्छा था| बिलकुल स्मूथ और गले से उतरते हुए बिलकुल नहीं जल रही थी| टेस्ट भी बिलकुल स्मूथ... मैं तो उसके सुरूर में खोने लगा था| इतने दिनों बाद दारु मेरे सिस्टम में गई थी और पूरा सिस्टम ख़ुशी में नाच रहा था! मैडम को अब अच्छा नशा हो गया था और वो उठ कर खड़ी हुईं और वेटर को बुला कर उसके कान में कुछ कहा और फिर मेरा हाथ पकड़ के मुझे खड़ा किया| मैडम मुझे जबरदस्ती डांस फ्लोर पर ले गईं और उन्होंने थिरकना शुरू कर दिया| डी.जे. ने आखिर मैडम का गण बजा दिया; "आजा माहि... आजा माहि...आ सोनिये वे आके ..." ये सुनते ही मैडम ने जो डांस किया की मैं बस देखता ही रह गया, ऋतू और राखी भी मैडम के साथ डांस करने लगे|  मैडम मेरी तरफ देखते हुए डांस कर रही थी और  लिप सिंक कर के गा रही थीं; "आजा माही... आजा माही... आ सोनेया वे आके अज मेरा गल लग जा तू!" ये सुन कर मुझे बड़ी शर्म लग रही थी, पर ऋतू का ध्यान इस बार नहीं था|

              मैंने भी थोड़ा डांस करना शुरू कर दिया था और तीनों के साथ डांस कर रहा था| अगला गाना बजा; "Angel eyes" और फिर तो मैडम और मैंने मिलके साथ डांस किया| मैडम ने आकर मुझे गले लगा लिया और मेरा हाथ उठा कर अपनी कमर पर रख लिया और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दि और हम दोनों थिरकने लगे| ऋतू ने जब ये देखा तो उसने कुछ रियेक्ट नहीं किया बस मुझे आँख मार दी और अपना डांस चालु रखा| "my baby’s got ooooooooooooooo” मैं और मैडम एक साथ लिप सिंक कर के गा रहे थे| फिर गाने की लाइन आई; "तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया, बैठे ही बैठे मैंने दिल खो दिया!" तो मैडम ने मेरी आँखों में आँखें डालते हुए गाने लगी| मैंने मैडम की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया, देता भी क्या? मुझे लग रहा की मैडम तो बस गाना गा रही हैं, सच में मुझसे प्यार का इजहार थोड़े ही कर रहीं हैं! वैसे ये सुनने में रोमांटिक तो लग रहा था पर हम तो पहले ही ऋतू के हो चुके थे!

                                    अगला गाना चेंज हुआ तो मैडम शर्मा गईं और अपना पेग पीने चली गईं और इधर ऋतू मेरे पास आ कर नाचने लगी| अगला गाना ये प्ले हुआ; "गज़ब का है दिन सोचो ज़रा ये दीवानापन देखो ज़रा तुम हो अकेले हम भी अकेले मज़ा आ रहा है कसम से.. कसम से.." बस फिर क्या था मैंने और ऋतू ने किसी की भी परवाह किये बगैर एक दूसरे को कस कर बाहों में भरा और गाने पर थिरकने लगे|

अब मैडम भी अपना पेग खत्म कर के वापस आ चुकी थीं,  मैंने भी धीरे-धीरे ऋतू से दूरी बना ली और मैडम को शक नहीं होने दिया| अगला गाना बजा; "थोया-थोया" और अब तक राखी जो लड़कियों वाले ग्रुप में नाच रही थी वो मेरे पास आ गई;

"तूने क्या किया मेरी जान-ए-जा

एक नज़र में ही दिल चुरा लिया

मुझको क्या हुआ कोई जाने न

तुझको देखा तोह होश खो दिया" राखी ने ये लाइन मेरी तरफ ऊँगली करते हुए गाई| अब जब मेरी बारी आई तो मैंने भी गाने की आगे की लाइन गाई;

"तेरी हर नज़र तेरी हर अदा

क्या कहु तुमपे दिल है यह फ़िदा

तुझसे है ज़मीन तुझसे आसमान

तुझसे बढ़कर नहीं कोई नशा" और हम सारे नाचने लगे| अब बारी थी मेरी की मैं भी अपना पेग खत्म कर दूँ तो मैं तीनों को नाचता हुआ छोड़ के अपना पेग पीने लगा| तभी वहां नेक्स्ट गाना लगा; “Shape of you” मैं जल्दी से वपस डांस फ्लोर पर आ गया और चारों जोश से भर के नाचने लगे, "I'm in love with your body…

Oh—I—oh—I—oh—I—oh—I" ये लाइन चारों एक साथ चीखते हुए गा रहे थे| इस गाने के खत्म होने के बाद चारों चूँकि तक चुके थे इसलिए सारे वापस आ कर काउच पर 'फ़ैल' गए! जब सबकी सांसें दुरुस्त हुईं तो राखी ने कहा की उसे एक और बियर चाहिए और ऋतू ने कहाँ मुझे कोई हार्ड ड्रिंक try  करना है| मैं हैरानी से ऋतू की तरफ देखने लगा, मैंने सोचा की मुझे उसे समझाना चाहिए तो मैंने बात बदलते हुए कहा; "आप में से किसी को brewery tank देखना है?" ऋतू ने जल्दी से अपना हाथ उठाया पर उसके अलावा किसी ने कोई जोश नहीं दिखाया| मैडम ने भी कहा की बाद में देखेंगे अभी मैं ड्रिंक्स का आर्डर दे दूँ| "रितिका जी, आप आज LIIT try कर के देखो|" मैंने कोशिश की कि ऋतू हार्ड ड्रिंक ना ले वर्ण वो आज क्या रायता फैलाती ये मैं जानता था| "ये हार्ड ड्रिंक है?" ऋतू ने फटक से पूछा| "नहीं... its Long Island Ice Tea"

"पर बियर के बाद चाय कौन पीटा है!" ऋतू ने बड़े भोलेपन से पूछा|

  ऋतू की बात सुन कर मैं बहुत जोर से हँसा, राखी और यहाँ तक कि मैडम को भी नहीं पता था कि LIIT क्या होती है! "ये कोई चाय नहीं है बल्कि दो-तीन तरह कि हार्ड ड्रिंक्स को मिला कर बनाया जाता है| टेस्ट में ये मीठी होती है पर नशा बियर के मुकाबले थोड़ा ज्यादा होता है|"  ये सुन कर तीनों ने try करने की हामी भरी और मैंने तीनों के लिए ये मंगाई और अपने लिए 'ale beer' मंगाई| जब आर्डर सर्व हुआ तो तीनों मेरी तरफ देखने लगे और पूछने लगे की मैंने क्या मंगाया है? "ये 'ale beer' है| ये थोड़ी स्ट्रांग है, टेस्ट में हलकी सी कॉफ़ी की महक आती है|" ये सुनना था की सबसे पहले मैडम ने एक सिप लिया और दूसरा सिप ऋतू ने लिया और लास्ट सिप राखी ने लिया|

"ये तो थोड़ी कड़वी है!" ऋतू ने मुँह बनाते हुए कहा| उसके इस बचकानेपन पर मुझे हँसी आ गई| आधी बियर खत्म कर मैं वाशरूम के लिए उठा और ऋतू भी उठ खड़ी हुई और फिर हम दोनों वाशरूम आ गए| अंदर घुसने से पहले ही मैंने ऋतू का हाथ पकड़ लिया और उसके कान में बोला; "हार्ड ड्रिंक मत लेना!" उसने सवालियां नजरों से पूछा की आखिर क्यों नहीं लेना तो मैंने उसे समझाया; "नशे में अगर तुमने कुछ बक दिया तो काण्ड हो जायेगा!" पर उसने मेरी बात को दरगुजर किया और वाशरूम में घुस गई| मैं भी वाशरूम में घुस गया पर मन ही मन तैयारी कर चूका था की बीटा आज तो काण्ड होना तय है! खेर वापस आया तो मैडम ने कहा की सब brewery tank देखना चाहते हैं| मैं उन्हें काउंटर के पीछे ले गया और उन्हें स्टेनलेस स्टील से बने टैंक दिखाए| तीनों वो देख कर खुश हो गए, दरअसल ये तो दारु थी जिसका थोड़ा-थोड़ा नशा सब पर छाने लगा था| हम वापस आ कर बैठे ही थे की डी.जे.  ने गाना लगाया 'साइको सैयां'| अब ये सुन के तो तीनों पागल हो गए और मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले आये और तीनों मेरे से चिपक कर नाचने लगे| मैं भी शराब के सुरूर में तीनों के साथ कदम से कदम मिला कर डांस करना शुरू कर दिया| उसके बाद तो डी.जे ने एक के बाद ऐसे गाने बजाये की हम चारों ने बिना रुके आधा घंटा डांस किया| आखिर कर तक कर हम चारों काउच पर बैठे और मैडम ने लास्ट राउंड खुद आर्डर किया| Chivas के 2 30ml पेग और मेरे और अपने लिए मैडम ने 60ml large पेग मंगाया| मेरा कोटा सबके मुकाबले काफी बड़ा था इसलिए मैं अब भी होश में था| जबकि ऋतू और राखी तो ढेर हो चुके थे, दोनों को बहुत तगड़ा नशा हो चूका था| मैंने मैडम से चलने को कहा तो उन्होंने bill मंगवाया और बिल आया 8,000/- का आया| अब मैं और मैडम बिल भरने  के लिए जिद्द करने लगे पर मैडम ने बात नहीं मानी और खुद ही बिल भरा| जब मैडम उठ कर खड़ी हुईं तो नशा उन पर जोर दिखाने लगा और वो लडख़ड़ाईं, मैंने उन्हें संभालना चाहा तो मेरा हाथ सीधा उनकी कमर पर जा पहुंचा| फिर मैडम ने जैसे-तैसे खुद को सम्प्भाला, पर ऋतू और राखी तो काउच पर ऐसे फैले हुए थे जैसे की कोई लाश! मैंने दोनों को उठाया और चलने को कहा तो दोनों से खड़ा नहीं हुआ जा रहा था| मैडम ये देख कर हँसने लगी, अब मैंने दोनों को जैसे-तैसे सहारा देकर उठाया और दोनों ने अपनी एक-एक बाँह मेरे गले में डाल दी| मैं दोनों के बीच में था और मैंने दोनों को उनकी कमर से संभाल रखा हुआ था| ऋतू और राखी का सर मेरे सीने पर था और मैडम ने इस मौके का फायदा उठा कर अपना फ़ोन निकला और मेरी इस हालत में फोटो खींची और फिर हम चारों की सेल्फी भी ली| जैसे-तैसे मैं दोनों को बहार ले कर आया और मैडम भी लड़खड़ाते हुए बहार आ कर खड़ी हो गई|

"मानु जी ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई !!! कैब बुला..... लो ..... नाआ...." मैडम ने शब्दों को खींच-खींच कर बोलना शुरू कर दिया| पर मैं कैब बुलाऊँ कैसे? ऋतू और राखी दोनों मेरे सीने से चिपकी हुई थी| मैंने दोनों को हिला- डुला कर होश में लाना चाहा, जैसे ही दोनों को थोड़ा होश आया की दोनों ने उलटी करनी शुरू कर दी| दोनों ही मुझसे अलग हो कर अलग-अलग दिशा में जा कर उलटी करने लगी, अब मैंने फटाफट फ़ोन निकाला और कैब बुक कर दी| मैंने पानी की बोतल ला कर ऋतू और राखी को दी और तभी कैब आ गई| अब तो मुझ पर भी दारु का असर चढ़ना शुरू हो गया था पर उतना नहीं था जितना मैडम और ऋतू पर था| मैं आगे बैठा और बाकी तीनों बड़ी मुश्किल से पीछे बैठे| किसी का हाथ किसी पर था तो किसी का मुँह किसी की गोद में! ड्राइवर भी हँस रहा था और कह रहा था साहब कैसे छोड़ोगे सब को? मैंने उसे पहले मैडम को घर छोड़ने के लिए कहा और गाडी उस तरफ चल पड़ी| मैडम का घर आया तो मैंने मैडम को जगाया, उनकी तो आँख भी नहीं खुल रही थी| कुनमुनाते हुए वो उठीं और शायद उनको थोड़ा होश था तो वो बोलीं की आज रात सब उन्हें के घर सो जाते हैं| मैंने मना किया तो मैडम ने कहा की ऋतू को हॉस्टल इस हालत में कैसे छोड़ोगे? और राखी को उसके घर कैसे छोड़ोगे? उसके घर वाले बवाल करेंगे| आखिर मैडम ने राखी के घर फ़ोन कर के बोल दिया की राखी उन्हीं के घर रुकेगी रात और कल सुबह आ जायेगी घर|

                                           मैं और मैडम पहले गाडी से उतरे पर बाकी दोनों देवियाँ बेसुध पड़ी थीं| मैंने ऋतू को खींच कर बाहर निकला और मैडम ने राखी को, ऋतू को मैंने गोद में उठा लिया और जैसे ही उसे मेरे जिस्म का एहसास हुआ उसने अपने दोनों हाथों को मेरे गले में डाल दिया| मैडम ने मुझे जब इस तरह से ऋतू को उठाये हुए देखा तो वो आँखें चढ़ा कर मुझे छेड़ते हुए बोली; "क्या बात है मानु जीईईईईईईईईई !!!" मैंने बस मुस्कुरा दिया और आगे कहता भी क्या| मैडम ने राखो को अपने शरीर का सहारा दे रखा था और उसका दाएं हाथ मैडम के गले में था| मैडम आगे और मैं पीछे था, दरवाजा खोल कर मैडम अंदर आईं और मुझे एक कमरे की तरफ इशारा किया, मैं वहीँ पर ऋतू को ले कर घुस गया| मैडम भी मेरे पीछे पीछे राखी को ले कर आईं और राखी तो बेड पर औंधी पड़ गई (कुछ इस तरह)| 


[Image: g2577kuizg3b.jpg]

पर ऋतू ने अपनी बाहों को मेरे गले में कस रखा था| जब मैं उसे लिटाने लगा तो वो मुझे kiss करने के लिए pout करने लगी| ये मैडम ने देखा तो वो दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी हो गईं और देखने लगीं की क्या मैं उसे Kiss करूँगा या नहीं?!  चाहता तो मैं भी ऋतू को चूमना था पर मैडम के होते हुए ये नहीं हो सकता था| मैंने मैडम की तरफ मुँह घुमा लिया ताकि ऋतू मुझे Kiss न कर सके| मैडम ये देख कर हँस पड़ी और मैं भी हँस दिया| जैसे-तैसे मैंने ऋतू के हाथों को अपनी गर्दन से छुड़ाया और मुड़ के जाने लगा तो वो बुदबुदाते हुए बोली; "जानू!...उम्म्म... ममम.... प्लीज...!!!" अब मैं क्या कहूं क्या करूँ कुछ समझ नहीं आया पर शुक्र है की मैडम ने इसका कोई गलत मतलब नहीं निकाला और बोली; "आज कुछ ज्यादा ही नशा हो गया रितिका को, ये भी होश नहीं है की वो कहाँ है और किसके साथ है|" मैंने बस जवाब में 'जी' कहा और हम बाहर हॉल में आ गए, अब बात ये थी की मैं सोऊँगा?  पर मैडम तो आज कुछ ज्यादा ही मूड में थी, उन्होंने 1000 Pipers की बोतल निकाली और दो पेग बना कर ले आईं|                        

                             मैं तो आज जैसे सातों जन्म की दारु की प्यास बुझा लेना चाहता था क्योंकि जानता था की कल से ऋतू मुझे पीने नहीं देगी| इसलिए मैंने पेग लिया और खड़ा-खड़ा ही पीने लगा और मैडम के घर को देखने लगा| उनसे नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी इसलिए मैं बस नजरें चुरा रहा था| "मानु जीईईईईईई!!! आप मेरे रूम में सो  जाइये मैं यहाँ हॉल में काउच पर सो जाउँगी|" अब भला मैं ये कैसे मान सकता था; "नहीं Mam आप अंदर सो जाइये मैं यहाँ सो जाऊँगा|"

"आज तो आप बर्थडे बॉय हैं, आज तो आपका ज्यादा ख्याल रखना चाहिए|" मैडम ने सिप लेते हुए कहा|

"Mam अब तो 12:30 बज गए, मेरा दिन ख़तम! अब तो मैं वापस से पहले वाला मानु ही हूँ|" मैंने अपने पेग का आखरी घूँट पीते हुए कहा|

"चलिए ना आपकी न मेरी, हम दोनों ही सो जाते हैं!" मैडम ने थोड़ा दबाव बनाते हुए कहा और मेरा हाथ पकड़ के मुझे कमरे की तरफ ले जाने लगी| पर मैं वहीँ रूक गया और बोला; "Mam अच्छा नहीं लगता! ऋतू...मेरा मतलब रितिका और राखी भी हैं घर पर| वो कल सुबह उठेंगी तो कुछ गलत न सोचें| इसलिए प्लीज Mam आप अंदर सो जाइये मैं बहार सो जाता हूँ|" मैंने मैडम से विनती की तो मैडम मेरी आँखों में देखने लगी; "सच्ची मानु जी! आप ..... कुछ ज्यादा ही .... खय... (ख़याल)… सोचते हो|" मैडम ने किसी तरह से बात को संभालते हुए कहा| वो जानती थी की मेरे मन में उनके लिए प्रेमियों वाल प्यार नहीं बल्कि एक अच्छे दोस्त जैसे मान सम्मान है| इसलिए वो मुस्कुरा दीं और मुझे अंदर से तकिया ला कर दिया और फिर सोने चली गईं| मैं भी काउच पर जूते-मोजे उतार के लेट गया और फ़टक से सो गया| शराब का नशा अब दिमाग पर बहुत चढ़ रहा था, रात के करीब 2 बजे होंगे की मुझे किसी के हाथ का स्पर्श अपने होठों पर हुआ|
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#49
superb.
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#50
update 29

                                                 ये कोई और नहीं बल्कि ऋतू थी जो अभी भी नशे में थी और अपने बिस्तर से उठ कर मेरे सिरहाने खड़ी थी| पर मुझ पर तो दारु का नशा सवार था इसलिए मैं बस उस हसीं पल का लुत्फ़ उठा रहा था, जिसमें ऋतू मेरे होठों को बारी-बारी चूस रही थी| उसके हाथों ने मेरी कमीज के बटन खोलने शुरू कर दिए थे और मैं अब भी होश में नहीं आया था| सारे बटन खोल कर ऋतू मेरी टांगों की तरफ आई और झुक कर मेरी पैंट की ज़िप खोली, फिर बेल्ट खोलने की कोशिश में उसने मुझे थोड़ा हिला दिया जिसके कारन मेरी नींद टूटी और मैं कुनमुनाया; "उम्म्म...ममम" पर ऋतू को जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा और वो फिर से मेरी बेल्ट खोलने लगी| पर चूँकि बेल्ट बहुत टाइट थी तो उसे खोलने में ऋतू को कठनाई हो रही थी| उसने हार मानते हुए मुझे ही हिलाना शुरू कर दिया, 3-4 बार हिलाते ही मेरी आँख खुल गई| पर हॉल में कम रौशनी थी जिससे मैं ये नहीं देख पाया की कौन है और खुसफुसाते हुए पूछ बैठा; "कौन है?" जवाब में ऋतू ने मेरे होठों को फिर से अपने मुँह में भर लिया और मेरे ऊपर के होंठ को चूसने लगी| अब मुझे समझते देर न लगी की ये ऋतू है, पर दिमाग नशे से इतना सुन्न था की मैं जल्दी रियेक्ट नहीं कर पाया| पर फिर भी इतनी सुद्ध तो थी की मैं अपने घर नहीं बल्कि मैडम के घर पर हूँ और वहाँ मेरे और ऋतू के अलावा दो लोग और हैं| मैंने बड़ी मुश्किल से ऋतू के होठों से अपने होठों को छुड़वाया और खुसफुसाते हुए बोला; "जान! क्या कर रहे हो? हम mam के घर पर हैं! कोई आ जायेगा...." पर मेरी बात पूरी होने से पहले ही ऋतू मेरे ऊपर लेट गई और फिर से अपने होठों से मेरे होठों को कैद कर लिया| अब तो मुझे भी जोश आ ने लगा था पर खुद को काबू करने लगा| दो मिनट मेरे होंठ चूसने के बाद ऋतू ने खुद ही उन्हें छोड़ दिया और मेरी छाती पर सर रख कर बोली; "जानू! आज बहुत मन कर रहा है! बड़े दिन हुए आपने मुझे प्यार नहीं किया?!"

"जान! हम mam के घर पर हैं, कोई आगया तो?" मैंने ऋतू को समझाते हुए कहा|

"कोई नहीं आएगा जानू! Mam और राखी दोनों गहरी नींद में हैं और मैंने Mam के कमरे का दरवाजा बंद कर दिया है| प्लीज मान जाओ ना!" अब मेरा प्यार मुझसे इतने प्यार से मिन्नत कर रहा है तो मैं भला उसका दिल कैसे तोड़ सकता था| "तो आप नहीं मानने वाले ना?!" मैंने ऋतू के बालों में हाथ फेरा और उसे उठ कर खड़ा होने को कहा| मैंने एक बार खुद इत्मीनान किया की मैडम और राखी सो रहे हैं ना?! फिर दोनों कमरों के दरवाजे को मैंने धीरे से बंद कर दिया, वापस आया तो ऋतू काउच पर लेटी थी और उसने अपने डिवाइडर का नाडा खोल कर नीचे खिसका दिया था| उसकी पैंटी भी घुटनों तक उतरी हुई थी, अब मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट खोल दी और कच्छा नीचे किया और लंड पर खूब सारा थूक चुपेड़ा| अपने घुटने मोड़ कर मैं ऋतू के ऊपर छा गया और हाथों से पकड़ के लंड उसकी बुर के द्वार से भीड़ा दिया| मैं जानता था की जैसे ही मैं लंड ऋतू की बुर में पेलुँगा वो दर्द से चिल्लायेगी इसलिए मैंने सबसे पहले उसके होठों को अपने मुँह से ढक दिया| मैंने अपनी जीभ उसके मन में डाल दी और ऋतू उसे चूसने लगी, इसका फायदा उठाते हुए मैंने नीचे से अपने लंड को उसकी बुर में उतार दिया| सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर गया था की ऋतू ने मेरी जीभ को दर्द महसूस होने पर काट लिया| अब 'आह' कहने की बारी मेरी थी पर वो आवाज निकल नहीं पाई, जोश आया तो मैंने नीचे से एक और झटका मारा और आधा लंड बुर में पहुँच गया| ऋतू ने मेरी जीभ छोड़ दी और उसकी सीत्कारें मेरे मुँह में ही दफन हो कर रह गई| कुछ  "गुं..गुं..गुं..!!!" की आवाजें बाहर आ रहीं थी|


ऋतू का दर्द मुझसे कभी बर्दाश्त नहीं होता था, इसलिए मैं तुरंत रूक गया| मैंने उसके होठों के ऊपर से अपना मुँह हटा लिया, मेरे हटते ही कुछ पल में ऋतू की सांसें सामान्य हुई और वो बोली; “जानू! प्लीज ... रुको मत! पूरा अंदर कर दो!!!!" ऋतू की बात सुन उसका मेरे लिए प्यार मैं समझ गया और वापस उस पर झुक गया| धीरे-धीरे बिना रुके मैंने अपना पूरा लंड उसकी बुर में पहुँचा दिया| अब मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया, ऋतू से ये सुख बिना आवाज किये बयान करना मुश्किल था| उसने अपने दाहिने हाथ की कलाई अपने मुँह पर भर ली और उसे काटने लगी| उसकी सीत्कार उसके मुँह में ही कैद होने लगी और इधर मेरी रफ़्तार तेज होने लगी थी| 10 मिनट तक ही ऋतू टिक पाई और फिर वो झड़ने लगी, पर इससे पहले की मैं झड़ता राखी के कमरे का दरवाजा खुला और वो बाहर आई| उसपर नजर सबसे पहले ऋतू की पड़ी और उसने मुझे एक डीएम से अपने ऊपर से ढकेल दिया| जब मेरी नजर ऋतू की नजर के पीछे-पीछे गई तो राखी मुझे वाशरूम जाती हुई दिखी और मैं भी हड़बड़ा कर उठा और फटाफट अपनी पैंट पहनने लगा| ऋतू ने भी अपने कपडे ठीक किये और अंदर कमरे में भाग गई| ये तो शुक्र था की हॉल में रौशनी कम थी और काउच जिस पर हम दोनों थे वो दरवाजे के साथ वाली दिवार के साथ था| राखी ने हम दोनों को नहीं देखा और वो सीधा ही वाशरूम में घुस गई थी| जब वो बाहर आई तो मैं चुप-चाप ऐसे लेटा था जैसे सो रहा हूँ, उसने आ कर मेरी टाँग हिला कर मुझे उठाया; "रितिका कहाँ है?" ये सुन कर तो मैं अवाक रह गया, मुझे लगा की उसने मुझे और ऋतू को सेक्स करते हुए देख लिया! मैंने फिर भी अनजान बनते हुए, कुनमुनाते हुए कहा; "प....पता नहीं!"

"अंदर तो नहीं है? आप लोग उसे वहीँ तो नहीं छोड़ आये ना?" ये सुन कर मुझे सुकून हुआ की उसने कुछ देखा नहीं! मैं तुरंत उठ के बैठ गया और ऐसे दिखाने लगा की मुझे सच में नहीं पता की वो कहाँ है| मैंने हॉल की लाइट जलाई; "आप ने वाशरूम देखा?" पर तेज लाइट से जैसे ही कमरे में रौशनी हुई  हम दोनों की आँखें चौंधिया गईं और राखी ने अपनी आँखों पर हाथ रखा और बोली; "मैं अभी वहीँ से तो आ रही हूँ|" मैं जान बुझ कर उसी कमरे में घुसा और देखा ऋतू वहीँ सो रही है; "अरे ये तो रही!" मैंने फिर से चौंकने का नाटक करते हुए कहा| राखी अंदर आई और एक दम से चौंक गई; "ये यहाँ कैसे आई? मैं जब उठी तब तो यहाँ कोई नहीं था?" उसने जा कर ऋतू को छू कर देखा और फिर उसे जगाने लगी तो ऋतू चौंक कर उठ गई और हैरानी से हम दोनों को देखने लगी| "तू यहाँ तो नहीं थी जब मैं उठी?" राखी ने ऋतू से पूछा|

"मैं किचन में थी पानी पीने, जब वापस आई तो आप यहाँ नहीं थे| क्या हुआ?" ऋतू की बात सुन कर राखी की हँसी छूट गई|

"यार तुमने सच में डरा दिया मुझे! मुझे लगा की कोई भूत-प्रेत है यहाँ!" अब ये सुन कर हम तीनों हँस पड़े|


खेर वो दोनों वापस लेट गए और मैं पहले बाथरूम में घुसा और जा कर लंड हिलाया और पानी निकाल कर सो गया| सुबह सात बजे मैडम ने मुझे उठाया और हमारी Good Morning हुई फिर उन्होंने कॉफ़ी का मग मुझे दिया| "नींद तो आई नहीं होगी आपको?" मैडम ने मुझसे पूछा|

"Mam नींद तो जबरदस्त आई पर राखी ने रात को भूत देख लिया!" मेरी बात सुन कर मैडम एक दम से हैरान हो गईं| फिर मैंने उन्हें सारी बात बताई तो मैडम हँस पड़ी| हमारी हँसी सुन कर ऋतू और राखी दोनों बाहर आ आगये| मैडम ने उन्हें भी कॉफ़ी दी और हमारी कल रात के बारे में बातें शुरू हुईं| जब मैडम ने ऋतू को बताया की वो नशे में मुझे मैडम के सामने Kiss करने वाली थी तो वो बुरी तरह झेंप गई! "आय-हाय! शर्मा गई लड़की! अब तो नाम बता दे की कौन है वो लड़का?" ऋतू की नजरें झुकी हुई थी और उसने बस इतना ही कहा; "है एक...." बस इसके आगे वो कुछ नहीं बोली और कॉफ़ी का कप रख कर वाशरूम चली गई|

राखी: वैसे मानु जी, आपके शराब के ज्ञान को सलाम! (राखी ने मुझे छेड़ते हुए कहा|)

अनु मैडम: सब तरह शराब चखी है आपने| (मैडम ने राखी की बात में अपनी बात जोड़ दी|)

मैं: Mam कॉलेज के दिनों में ...... ये सब try की थी| (मैंने थोड़ा झिझकते हुए जवाब दिया|)

राखी: पर पैसे कहाँ से लाते थे तब?

मैं: पार्ट टाइम में टूशन पढ़ाता था| उससे जो पैसे कमाता था उससे ये शौक़ पूरे होते थे|

अनु मैडम: अरे वाह! तभी से Independent हो आप!

राखी: और भी कोई शौक़ है इसके अलावा?

अब मैं सोच में पड़ गया की कुछ बोलूँ या नहीं पर तभी ऋतू आ गई और उसने जाने की इज्जाजत माँगी|

अनु मैडम: अरे पहले नाश्ता तो करो!

फिर मैडम, राखी और ऋतू सब एक साथ किचन में घुस गए और मैं भी फ्रेश हो कर मैडम की बालकनी में खड़ा हो गया और सुबह की धुप का मजा लेने लगा| नाश्ता कर के हम सब को निकलते-निकलते 9 बज गए| मैडम ने आज मुझे और राखी को छुट्टी दे दी और ये सुनते ही ऋतू की आँखें चमक उठी| मैंने कैब बुक की और सबसे पहले राखी का ड्राप पॉइंट डाला और फिर लास्ट में मेरा और ऋतू का| राखी जब उतरी तो वो मेरे पास आई और मुझे कान पकड़ के सॉरी बोला| मैं भी बड़ा हैरान था की ये मुझे क्यों सॉरी बोल रही है| "कल रात शायद नशे में मैंने आपसे कोई बदसलूकी की हो तो उसके लिए सॉरी|"

"पर आपने कुछ नहीं किया! रिलैक्स!" मैंने उसे आशवस्त किया की कुछ भी नहीं हुआ| फिर जब हम घर पहुँचे तो ऋतू फुल मूड में थी| दरवाजे बंद होते ही ऋतू ने मुझे जोर से खींचा और पलंग के सामने खड़ा कर दिया और फिर जोर से धक्का दे कर मुझे पलंग पर गिरा दिया| मैं अभी सम्भल भी नहीं पाया था की ऋतू मेरे ऊपर कूद पड़ी और मेरे पेट पर बैठ गई| फिर झुक कर उसने मेरे होठों को अपने होठों से मिला दिया फिर अपना मुँह खोला और अपनी जीभ से मेरे ऊपर वाले होंठ को सहलाया| उसे अपने मुँह में भर के चूसने लगी, मेरे हाथों ने उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया| अब बारी थी मेरी, मैंने भी थोड़ा जोश दिखाया और उस के Kiss का जवाब देने लगा| मैंने अपने हाथों से उसे कास के अपने से चिपका लिया और पलट कर अपने नीचे ले आया| नीचे आ कर मैंने उसके डिवाइडर को निकाल कर फेंक दिया और उसकी कच्छी उतार के पहले उसे सूँघा, फिर उसे भी फेंक दिया| ऋतू की नंगी बुर मेरे सामने थी और ऐसा नहीं था की मैं वो पहली बार देख रहा था, बल्कि जब भी देखता था तो सम्मोहित हो जाता था|


[Image: 273tf4gb5n7n.jpg]

मेरा मुँह अपने आप ही ऋतू की बुर पर झुकता चला गया और जोश आते ही मैंने अपने मुँह को जितना खोल सकता था उतना खोल कर ऋतू की बुर को अपने मुँह से ढक दिया| जीभ सरसराती हुई अंदर चली गई और ऋतू के बुर में लपलपाने लगी| इतने भर से ही ऋतू की बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया और उसने मेरे कमीज के कॉलर को पकड़ के ऊपर खींच लिया| अब मैंने तो अभी भी पैंट पहनी थी पर ऋतू इतनी बेसब्री थी की उसने पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को टटोलने लगी| लंड पकड़ में आते ही उसने उसे बहार निकाला और अपनी बुर के मुख से भिड़ा दिया| ऋतू के बुर का पानी पहके मेरे लंड के सुपाडे से टच हुआ था मेरे जिस्म में झुरझुरी छूट गई| मैंने पूरी ताक़त से एक झटका मारा और लंड फिसलता हुआ और चीरता हुआ ऋतू के बुर में पहुँच गया| "माँ...आ..आ..आ..आ ..आ..आ...आ..मम...आह....हह..हहा...आय....!!"  ऋतू के मुँह से जोरदार चीख निकली और उसने अपने दाँत मेरे कंधे पर गड़ा दिए! तब जा कर मुझे ऋतू के दर्द का एहसास हुआ| ऋतू के दाँत अब भी मेरे कंधे पर गड़े हुए थे और मैं बिना हिले-डुले ही उसपर पड़ा रहा| पॉंच मिनट तक हम दोनों इस तरह बिना हिले-डुले पड़े रहे, फिर धीरे-धीरे ऋतू ने अपने दाँत मेरे कंधे पर से हटाये और नीचे से उसने अपनी बुर को सिकोड़ा| ये मेरे लिए संकेत था, मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया और अगले दो मिनट में ही मेरी स्पीड बढ गई और ऋतू फिर से झड़ गई! उसके झंडने से मेरे लंड की स्पीड और भी ज्यादा बढ़ गई, पर ऋतू ने मुझे रोकना चाहा और मेरी छाती पर दबाव दे कर मुझे खुद से दूर करने लगी| पर मैं फिर भी लगा रहा, शायद ऋतू से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था और उसने मुझे बहुत जोर से झटका दे कर खुद से अलग कर दिया| मुझे उसके इस बर्ताव से बड़ी खीज हुई और मैं उसके ऊपर से हट गया और दूर जा कर खड़ा हो गया| मेरी सांसें तेज थी और गुस्से से चेहरा तमतमा रहा था, ऋतू की नजर मुझ पर पड़ी तो वो शं गई और दूसरी तरफ मुँह कर के लेटी रही|

                 दरअसल ऋतू के जल्दी छूट जाने से और मुझे बीच मजधार में छोड़ देने से मैं बहुत गुस्से में था|
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#51
update 30 (1) 

मेरा गुस्सा अब बेकाबू होने लगा था और मुझे कैसे भी शांत करना था| मैंने अपनी कमीज, पैंट सब उतार फेंकी, नंगा बाथरूम में घुस गया और शावर चला कर उसके नीचे खड़ा हो गया| पानी की ठंडी-ठंडी बूँदें सर पर पड़ीं तो गुस्सा थोड़ा कम हुआ और लंड 'बेचारा' सिकुड़ कर बैठ गया| दस मिनट तक मैं शावर के नीचे आँखें मूंदें खड़ा रहा, पर गुस्सा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था| बदन का पानी पोंछ कर जब बहार निकला तो सामने ऋतू सर झुकाये खड़ी थी| मैं उसके बगल से निकल गया और अपने कपडे पहनने लगा| ऋतू पीछे से आई और मुझे अपनी बाहों में भर कर बोली; "सॉरी!" मैंने उसके हाथ अपने जिस्म से अलग किये और बोला; "क्यों मेरे जिस्म में आग लगा रही है, जब उसे बुझा नहीं सकती! मैंने तो नहीं कहा था न की आके मेरे से चिपक जा?" मैंने बड़े रूखे तरीके से उसे दुत्कारा| ऋतू ने सर झुकाये हुए ही अपने कान पकडे और फिर से सॉरी बोला| पर मेरा तो कल रात से दो बार KLPD हो चूका था तो उसका गुस्सा तो था| मैंने आगे कुछ नहीं बोला और ऋतू का बैग उठाया और उसे रेडी होने को कहा पर वो वहाँ से हिली ही नहीं| "सॉरी जानू! आज के बाद कभी ऐसा नहीं करुँगी!" ऋतू ने फिर से कान पकड़ते हुए कहा| अब तक जिस गुस्से को मैंने रोक रखा था वो आखिर फुट ही पड़ा;

"क्या दुबारा नहीं करुँगी? हाँ? बोल??? कल रात को मन किया था न मैंने? बोला था ना की हम mam के घर पर हैं, पर तुझे चैन नहीं था! आखिर मुझे क्या मिला? तू तो जा कर सो गई और मैं बाथरूम में जा कर masturbate कर के सो गया| अभी भी, मैंने तुझे छुआ तक नहीं और तू ही आ कर मुझसे चिपकी थी ना? तेरी तो जिस्म की आग बुझ गई, पर मेरा क्या? अगर मुझे masturbate ही करना था तो सेक्स क्यों? अगर तुझे कोई बिमारी होती तो मैं फिर भी समझता, ये तो तेरा उतावलापन है जिसके कारन प्यासा मैं रह जाता हूँ| उस दिन तो बड़े गर्व से कह रही थी की डॉक्टर ने ये सिखाया है, वो सिखाया है अब क्या हुआ उस सब का? सिर्फ यही नहीं you know shit about sex! Don’t even know how to give a proper blowjob! And if I’m licking you down there you never let me do it, always pull me up on you! कितने महीनों से कर रहे हैं हम ये? बोल??? 6 महीने से!!! और इन 6 महिनों में कितनी बार Porn देखा तूने मेरे फ़ोन में? उससे कुछ नहीं सीखा? और तेरी वो दोस्त काम्य जो तुझे अपने सेक्स के किस्से बड़ी डिटेल में बताया करती थी? उससे कभी कुछ नहीं सीखा तूने? You’ve never ever satisfied me once in these 6 months but still I’m with you, do you know why? Because I fucking love you dammit!!!” ऋतू सर झुकाये सब सुनती रही और फिर आकर मेरे सीने से लग गई| उसकी आँखें छलछला गईं और मेरे अंदर जो गुस्सा था वो अब शांत हो गया| मैंने उसे अब भी नहीं छुआ था और मैं उससे कुछ बोलता उससे पहले ही बॉस का फ़ोन आ गया| मैंने ऋतू को खुद से अलग किया और फ़ोन उठाया| 


ऋतू ने अपने कपडे बदले और मेरी फ़ोन पर बात खत्म होने तक वो फिर से सर झुकाये खड़ी हो गई| बात कर के मैंने ऋतू को उसके हॉस्टल छोड़ा और मैं वापस ऑफिस आगया| मुझे ऑफिस में देखते ही मैडम का पारा चढ़ गया और वो बॉस पर बरस पड़ी; "मैंने मानु जी को छुट्टी दी थी फिर क्यों बुलाया उन्हें?" ये सुन कर बॉस एक दम से उनका चेहरा देखने लगा| मैं उस समय बॉस के साइन कराने खड़ा था और मैं भी थोड़ा हैरान था| सर इससे पहले की मैडम पर बरसते मैंने उन्हें अपनी उपस्थिति से अवगत कराते हुए कहा; "Mam वो AMIS Traders की GST की लास्ट डेट थी!" सर चुप हो गए बस मैडम को घूर के देखने लगे| मैंने जल्दी से फ़ोन निकाला और मैडम को कॉल मिला कर फ़ोन वापस जेब में डाल लिया| मैडम का फ़ोन बजा और उन्होंने देख लिया की मेरा ही कॉल है इसलिए बिना कुछ बोले फ़ोन कान से लगा कर बाहर चली गई| कुछ देर बाद मैडम मेरे डेस्क पर आईं और सामने बैठ गईं और बोलीं; "मानु जी आप कहीं और जॉब ढूँढ लो! यहाँ रहोगे तो अपने बॉस की तरह हो जाओगे|" मैडम का मूड बहुत ख़राब था तो मैंने उन्हें हँसाने के लिए कहा; "Mam फिर तो आपका प्रोजेक्ट अधूरा रह जायेगा और फिर हमारी फ्रेंडशिप का क्या?"

"दूसरी जॉब से हमारी फ्रेंडशिप थोड़े ही खत्म होगी? और रही प्रोजेक्ट की तो जाए चूल्हे में!" मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा|

"इतनी मेहनत की है आपने Mam की उसे waste करना ठीक नहीं| इस प्रोजेक्ट के बाद मैं कोई और ऑप्शन ढूँढता हूँ|" मैंने मैडम की बात का मान रखते हुए कहा|

"अच्छा एक बात बताओ, अगर मैंने अपनी अलग कंपनी शुरू की तो मुझे ज्वाइन करोगे?" मैडम ने उत्सुकता वश पूछा|

"बिलकुल Mam ये भी कोई कहने की बात है?! कम से कम आप सैलरी तो अच्छी दोगे!" मैंने हँसते हुए कहा और मैडम ये सुन कर हँस दी| शाम को मैं निकलने वाला था की ऋतू का फ़ोन आया; "जानू! अब भी नाराज हो?" ऋतू ने तुतलाते हुए पूछा| मुझे उसके इस बचपने पर हँसी आ गई| "नहीं" बस इतना बोला की मैडम मुझे आती हुई दिखाई दी| मैंने ऋतू को कहा की बाद में बात करता हूँ और फ़ोन काट दिया| "मानु जी! मुझे Market ड्राप कर दोगे?" मैं फिर से हैरान था और मेरी हैरानी भांपते हुए मैडम बोली; "आपके बॉस गाडी ले गए!" अब ये सुन कर मुझे थोड़ा इत्मीनान हुआ और मैडम मेरे पीछे एक तरफ दोनों पैर रख कर बैठ गईं|


अनु मैडम: वैसे मानु जी आप बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?

मैं: जी Mam कहिये|

अनु मैडम: आप इतना डरते क्यों हो?

मैं: डरता हूँ? मैं कुछ समझा नहीं mam?

अनु मैडम: अभी मैंने आप से लिफ्ट मांगी तो आप हैरान थे? कल भी जब मैंने आपको बर्थडे विश किया तब भी, डांस करने के समय भी! आपके बॉस से भी जब मैंने कंप्लेंट की कि उन्होंने क्यों आपको आज बुलाया जब कि मैंने आपको छुट्टी दी है तब भी आप बहुत हैरान थे! दोस्ती में तो ये सब चलता है ना?

मैं: Mam आप विश्वास नहीं करेंगे पर पिछले कुछ महीनों से मेरे साथ जो कुछ हो रहा है वो मेरे साथ कभी नहीं हुआ| बचपन से मैं बहुत सीधा-साधा लड़का था....

अनु मैडम: (मेरी बात काटते हुए) वो तो अब भी हो|

मैं: शायद! Anyway मेरे दोस्त सब लड़के ही रहे हैं और लड़कियों से मेरी फ़ट.... I mean डर लगता था| फिर आप मेरे गाँव कि हिस्ट्री तो जानते ही हैं, अब ऐसे में मैंने कभी किसी लड़की से सिवाय किसी काम ...I mean work related बात ही की है| मुझे डर इसलिए लगता है की सर आपकी और मेरी दोस्ती को कभी नहीं समझ सकते| हम रहते ही ऐसे समाज में हैं जहाँ एक लड़का और एक लड़की दोस्त नहीं हो सकते| तो ऐसे में आपका मेरी साइड लेना किसी को सही नहीं लगेगा|

अनु मैडम: तो इसका मतलब हमें सिर्फ वही करना चाहिए जो सब को अच्छा लगे? अपनी ख़ुशी के लिए कुछ भी नहीं?

मैं: मैडम प्लीज मुझे गलत मत समझिये, But I fear for you! I don’t want to cause any troubles in your married life.

अनु मैडम: I understand! And that’s very sweet of you! But I assure you, you’re not the reason ….. anyway….. ummm…. Let’s have some पानी के बताशे!

मैंने बाइक एक चाट वाले के पास रोकी और मैडम और मैंने compete करते हुए पानी के बताशे खाये| विनर मैडम ही निकलीं और हारने की सजा मैडम ने ये रखी की इस संडे को मैं उन्हें 'टुंडे कबाबी' खिलाऊँ| इस तरह हँसते हुए मैं उन्हें बाजार छोड़ कर घर निकल गया| घर पहुँचते ही ऋतू का फ़ोन आया और उसने पूछा; "पानी के बताशे कैसे लगे?"
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#52
अब तक आपने पढ़ा: 

मैंने बाइक एक चाट वाले के पास रोकी और मैडम और मैंने compete करते हुए पानी के बताशे खाये| विनर मैडम ही निकलीं और हारने की सजा मैडम ने ये रखी की इस संडे को मैं उन्हें 'टुंडे कबाबी' खिलाऊँ| इस तरह हँसते हुए मैं उन्हें बाजार छोड़ कर घर निकल गया| घर पहुँचते ही ऋतू का फ़ोन आया और उसने पूछा; "पानी के बताशे कैसे लगे?"    

update 30 (2)  

         ये सुन कर मैं हैरान तू हुआ पर मैंने जवाब ऐसा दिया की ऋतू और चिढ जाए| "लाजवाब थे! इतना स्वाद तो मुझे आज तक कभी आया ही नहीं!" मेरी ये डबल मीनिंग वाली बात ऋतू समझ गई| "जानूउउ उउउउउउउउउउउउ!!! मैं आप पर शक़ नहीं कर रही! मैं आप पर खुद से ज्यादा भरोसा करती हूँ| दरअसल काम्य ने आपको मार्किट में बताशे खाते हुए देखा और मुझे फोन कर के चढाने लगी की तेरा 'बंदा' यहाँ किसी और लड़की के साथ बताशे खा रहा है!" ऋतू के मुँह से 'बंदा' शब्द सुन कर मुझे बहुत जोर से हँसी आ गई| "क्या हुआ? हँस क्यों रहे हो?" ऋतू ने थोड़ा हैरान हो कर पूछा| "मैं तुम्हारा 'बंदा' हूँ?" मैंने ऋतू को छेड़ते हुए पूछा| "वो कॉलेज में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड को बंदा-बंदी कहते हैं|"

"जानता हूँ! मैं भी उसी कॉलेज में पढ़ा हूँ!" मैंने हँसते हुए कहा|

"हाँ...तो ... वो मुझे चढाने लगी की आप किसी और को घुमा रहे हो! तो ये सुन कर पहले तो मुझे बड़ी हँसी आई फिर मैंने उसे डाँट दिया ये कह कर की मैं अपने प्यार पर पूरा भरोसा करती हूँ| वो मुझे कभी धोका नहीं दे सकते! तू चुप-चाप अपना काम कर! इतना कह कर मैंने फ़ोन रख दिया|" 

"अच्छा जी? बहुत भरोसा करते हो मुझ पर?"

"हाँ जी! इतने दिन आपके साथ ऑफिस में काम कर के देख लिया की कैसे आप खुद को सँभालते हो| आजतक आपने कभी राखी या अनु मैडम से कोई गलत तरह की बात नहीं की| हमेशा उनसे अदब से बात करते हो, कल भी पार्टी में आप नशे में थे तब भी आप खुद को संभाले हुए थे| ये आपका मेरे लिए प्यार नहीं तो क्या है? आजतक कभी मुझे राखी ने नहीं कहा की आपने कभी उसे किसी गलत नजर से देखा हो या उस से कोई अभद्र बात कही हो| एक बार आप पर शक़ करने की गलती कर चुकी हूँ पर अब चाहे भगवान् भी आ कर मुझे कह दें की आपने किसी लड़की के साथ कुछ गलत किया है तो भी मैं नहीं मानूँगी|" ऋतू की बात सुन कर मैं समझ गया था की ऋतू राखी के जरिये मेरा बैकग्राउंड चेक करवा रही थी, ठीक है भाई कर लो जितनी चेकिंग करनी हो आपने!

                                           खेर इस तरह वो दिन सिर्फ बात करते हुए निकला| हम मिलते तो रोज थे पर सिर्फ बातें ही होती थीं ना तो ऋतू मुझे छूने की कोशिश लारती और न ही मैं उसे छूता था| मैंने ये सोच कर ही संतोष कर लिया की शादी के बाद ऋतू को सेक्स की अच्छी से 'कोचिंग' दूँगा, उसे सब सिखाऊँगा की कैसे अपने पार्टनर को खुश किया जाता है| दिन गुजरते गए और आखिर वो दिन आ गया जब राखी कि शादी थी| शाम को हम सब को जाने का न्योता था और मैंने ऋतू को लेने और छोड़ने की जिम्मेदारी ली| अब पहले तो उसे लेहंगा-चोली खरीदवाया और अपने लिए मैंने बस एक ब्लैज़र लिया| हॉस्टल वाली आंटी जी ने ऋतू को थोड़ी ज्यादा छूट दे रखी थी, उसका कारन ये था की ऋतू हॉस्टल में सिर्फ और सिर्फ अपने काम से काम रखती थी और पढ़ाई में मन लगाती थी| कुछ उन्हें मेरा भी ख़याल था इसलिए ऋतू ने जब कहा की वो लेट आएगी तो आंटी जी ने मना नहीं किया| उसके हॉस्टल की लड़की ऋतू से बहुत जलती थी की इतने कम समय में वो आंटी जी की चहेती बन गई| ऋतू को पिक करने के लिए मैं थोड़ा जल्दी निकला और उसे चौक पर बुला लिया| मैं पहले से ही वहाँ उसका इंतजार कर रहा था| जैसे ही मेरी नजर ऋतू पर पड़ी मैं उसे बस देखता ही रह गया! 



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वहाँ पर जो कोई भी खड़ा था वो बस ऋतू को ही ताड़े जा रहा था| "क्या देख रहे हो आप?" ऋतू ने शर्माते हुए पूछा| "हाय! आज तो क़हर ढा रही हो! दुल्हन से ज्यादा तो लोग तुम्हें ही देखेंगे!" मेरी बात सुन कर ऋतू के गाल शर्म से लाल हो गए और वो आ कर पीछे बैठ गई और बोली; "आप तैयार क्यों नहीं हुए? ऐसे ही जाने वाले हो क्या?" मैंने सोचा थोड़ा मजाक कर लेता हूँ तो मैंने कह दिया की; "हाँ मैं ऐसे ही जाऊँगा, सैलरी नहीं बची इसलिए अपने लिए कुछ नहीं खरीदा|"

"पर आपने तो कहा था की आपने ब्लैज़र लिया है?" ऋतू ने चौंकते हुए कहा|

"झूठ बोला था वरना तुम लेहंगा-चोली नहीं लेती|" अब ये सुन कर ऋतू को बहुत गुस्सा आया| "गाडी रोका! मुझे नहीं जाना कहीं! वापस छोड़ दो मुझे हॉस्टल!"    

"अरे बाबू शांत हो जाओ, मैं मज़ाक कर रहा था| हम अभी घर जा रहे हैं वहाँ मैं चेंज करूँगा तब निकलेंगे|" मैंने ऋतू को प्यार से समझाया| घर पहुँच कर ऋतू ने अपने लहंगे को थोड़ा नीचे बाँधा जिससे उसका नैवेल दिखने लगा| छरहरा बदन पर उसका अपना ये नैवेल दिखाना आज नजाने कितनो की जान लेने वाला था| अब मैं सबसे पहले नहाने गया, नहा के बहार सिर्फ कच्छे में आया और अलमारी से अपनी शर्ट निकाली| मुझे ऐसे देख कर ऋतू ने अपनी ऊँगली दाँतों तले दबा ली और सिसक कर रह गई| मैंने सोचा की अभी जाने में बहुत समय है तो अभी से क्या कपडे पहनने पर ऋतू जिद्द करने लगी की मुझे अभी पहन के दिखाओ| अब उसकी बात मानते हुए मैंने वाइट शर्ट, पैंट, ब्लैज़र और लोफ़र्स पहन के उसे दिखाया|


[Image: men-blazers-500x500.jpg]


 मुझे पूरा तैयार देख कर ऋतू की आँखें फ़ैल गईं; "जानू! मानना पड़ेगा की आप की पसंद कपड़ों के मामले में बहुत बढ़िया है| I’m so lucky to have you as my husband!”

"Really??? Well thank you mademoiselle!” मेरी बात सुन कर ऋतू शर्मा गई और आ कर मेरे सीने से लग गई| "एक बात कहूँ जानू?" ऋतू ने मेरे सीने से लगे हुए ही कहा, जवाब में मैंने बस; "हम्म" कहा|

"आज हम दोनों कहीं कैंडल लाइट डिनर करने चलें? उसके बाद शादी में चले जायेंगे|" ऋतू मेरे आँखों में देखते हुए कहा| अब भला मैं अपने प्यार को कैसे मना करता| मैंने फटाफट कैब बुक की और ऋतू को मैं 'Oudhyana- Vivanta By Taj' ले आया| ये लखनऊ का सब से बड़ा 5 स्टार रेस्टुरेंट है, वहाँ की चमक देख कर ऋतू की आँखें जगमगा उठीं| मेरे कॉलेज के दिनों में मैं यहाँ से कई बार गुजरा था और यही सोचता था की शादी होगी तब यहाँ जर्रूर आऊँगा| एक वेटर हमें हमारे टेबल तक ले जाने को आया| मैं और ऋतू किसी प्रेमी जोड़े की तरह बाँहों में बाहें डाले चल रहे थे| टेबल पर पहुँच कर मैंने ऋतू की कुर्सी खींची और फिर उसे बिठाया और फिर मैं उसके ठीक सामने बैठ गया| खुला गर्डन था और वहाँ बहुत सारे टेबल लगे हुए थे, हमारी तरह वहाँ कुछ प्रेमी जोड़े थे और बाकी सब foreigners और कुछ अमीर आदमी आये थे| ऋतू आज पहली बार इतनी महंगी जगह आई थी और उसकी आँखें वहाँ की चकाचौंध में खो गईं और वो सब कुछ देखने लगी| वेटर मेनू ले कर आया पर ऋतू की आँखें तो अब भी वहाँ के नज़ारे देखने में लगी थी| धीमी-धीमी आवाज में वहाँ म्यूजिक गूँज रहा था, मैंने ऋतू का हाथ पकड़ा तो उसकी आँखें भर आईं थी| मैं उठ कर खड़ा हुआ और उसे अपने सीने से लगा लिया| 

         
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#53
update 31 

"t ... thank you !!!!" ऋतू ने रोते-रोते कहा| "But baby why are you crying?” मैंने उससे पूछा तो ऋतू ने अपने आँसूँ पोछे और बोली; "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं कभी ऐसी जगह आ पाऊँगी| ऐसी जगह जहाँ के Main Gate के अंदर घुसने की भी मेरी औकात नहीं है, वहाँ आप मुझे डिनर के लिए लेके आये हो! Thank You!"

"मेरी जानेमन इससे भी कई ज्यादा कीमती है!"




[Image: images.png]

अगले ही पल मैंने अपनी दायीं टाँग मोड़ी और घुटने को जमीन से टिकाया, बायीं बस मोड़ी और ऋतू का बयां हाथ अपने बाएं हाथ में लेते हुए उससे पूछा; " मैंने तुम पर बहुत बार चीखा हूँ, चिल्लाया हूँ यहाँ तक की तुम पर हाथ भी उठाया है पर ये सच है की मैं प्यार सिर्फ और सिर्फ तुम्हीं से करता हूँ| उस दिन जब मैंने तुम्हें पहलीबार दिल से गले लगाया था उसी दिन मैंने तुम्हें अपना दिल दे दिया था| मैं वादा करता हूँ की तुम्हें जिंदगी भर खुश रखूँगा, तुम्हें कभी कोई तकलीफ नहीं दूँगा, तुम्हें पलकों पर बिठा कर रखूँगा| (एक लम्बी साँस लेते हुए) Will you marry me???" ये सुन कर ऋतू की आँखें छलक आईं और उसने हाँ में गर्दन हिलाई और बैठे-बैठे ही मेरे गले लग गई| वहाँ मौजूद सभी लोगों ने तालियाँ बजाई और तब जा कर हम दोनों को होश आया की हम दोनों बाहर आये हैं| ऋतू ने शर्म के मारे अपना मुँह दोनों हाथों से छुपा लिया| तभी वहाँ एक अंकल आये और मुझसे बोले; "Come on man let’s put a ring on her!” 
“But I don’t have any ring with me! I didn’t plan this far!” मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने फ़ौरन वेटर को बुलाया और उसके कान में कुछ खुसफुसाये| उसके बाद ऋतू से बोले; “May the love you share today grow stronger as you grow old together.” इतने में वही वेटर वापस आ गया और उसने उन्हें एक छोटी सी डिब्बी दी जिसमें एक वाइट सिल्वर की वेडिंग रिंग थी! उन्होंने मुझे वो डिब्बी दे दी और ऋतू को पहनाने को कहा| मैं और ऋतू हैरानी से उन्हें देखने लगे; "A gift for the beautiful couple.” उन्होंने कहा|
“Sorry sir, but I can’t take this!” मैंने उन्हें मना किया| “Oh comeon dear! Its just a small gift! Take it!” उन्होंने जबरदस्ती करते हुए वो डिब्बी मेरे हाथ में पकड़ा दी| “No..No..Sir… I’ll pay you for this!” वो मुस्कुराने लगे और अपनी जेब में से एक कार्ड निकाला और मुझे दे दिया; "ये लो...जब टाइम हो तब आ कर पैसे दे जाना पर अभी तो ये Moment ख़राब मत करो|" मैंने उनके हाथ से कार्ड ले कर रख लिया और वापस प्रोपोज़ करने का पोज़ बनाया और ऋतू से पूछा; "Will you marry me?” ऋतू ने शर्मा कर हाँ कहा और फिर मैंने उसे वो रिंग पहना दी और ऋतू कस कर मेरे सीने से लग गई| मैंने उसके सर को चूमा और पूरा गार्डन तालियों से गूँज उठा| ौंसले ने फिर से हमें आशीर्वाद दिया और वापस अपने टेबल पर अपने दोस्तों के साथ बैठ कर शराब एन्जॉय करने लगे| ऋतू बहुत खुश थी और उसकी ये ख़ुशी देख कर मैं भी बहुत खुश था| हमने खाना खाया और फिर मैं उन अंकल को दुबारा Thank You बोल कर निकल आया| अब बारी थी राखी की शादी अटेंड करने की, कैब बुक की और उसके आने तक ऋतू मुझसे चिपकी खड़ी रही| कैब में जब हम बैठे तो ऋतू मेरे बाएं कंधे पर सर रख कर बैठ गई और उसी रिंग को देखे जा रही थी| "अब इसे उतार दो, वरना सब पूछेंगे की किसने दी?" मेरी बात सुन कर ऋतू जैसे अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आई| "ना! मैंने नहीं उतारने वाली!" उसने मुँह बनाते हुए कहा| "तो सब से क्या कहोगी?"  मैंने पूछा| "कह दूँगी मेरे लवर ने दी है|" ये कह कर वो मुस्कुराने लगी| "और जब उस लड़के का नाम पूछेंगे तब?"


"वो सब मैं देख लूँगी! आप उसकी चिंता मत करो|" इतना कह कर ऋतू फिर से उसी रिंग को देखने लगी| मैंने भी सोचा की अपने आप संभालेगी, मैं तो कुछ कह भी नहीं सकता और रायता फैलना है तो फ़ैल ही जाए! जो होगा देख लूँगा! ये सोच कर मैं भी इत्मीनान से बैठ गया| बैंक्वेट हॉल आने लगा तो मैंने ऋतू से कहा की वो अपना मेक-अप ठीक कर ले, फिर हम दोनों जब कैब से उतरे तो ऋतू ने फिर से मेरी बाहों में बाहें डाल ली| हम दोनों कपल लग रहे थे और ये अभी के लिए थोड़ा ज्यादा था| मैंने ऋतू के कान में खुसफुसाते हुए कहा; "जान! यहाँ बॉस भी आएंगे तो थोड़ा सा डिस्टेंस मेन्टेन करो|" ये सुन कर ऋतू ने नकली गुस्सा दिखाया और मेरा हाथ छोड़ दिया| अभी अंदर घुसे भी नहीं थे की मुझे मेरे ऑफिस के colleagues मिल गए और बेशर्मों की तरह ऋतू को घूरे जा रहे थे| "बॉस और अनु mam आगये?"  मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया की वो अंदर हैं इसलिए मैंने ऋतू को अंदर जाने को कहा| पर उसका मन अंदर जाने को कतई नहीं था| मैंने उसे आँखों से इशारा कर के समझाया की ये लोग मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं, तब जा कर ऋतू मानी| उसके जाते ही सब मेरे ऊपर टूट पड़े, "साले कैसे फँसा लिया तूने?" मैं उनकी सारी बातें बस टालता रहा ये कह की मैंने ऐसा कुछ नहीं किया बस कैब शेयर की थी हमने| पर कमीने तो कमीने ही होते हैं, मैं किसी तरह से उनसे बच के अंदर आ गया| अंदर आ कर देखा तो एक टेबल पर सर, अनु मैडम और ऋतू बैठे हुए बात कर रहे थे| मुझे देखते ही सर बोल उठे; "तुम दोनों साथ आये हो फिर आगे-पीछे क्यों एंटर हुए? हम क्या बेवक़ूफ़ बैठे हैं यहाँ?"

"सर वो बाहर शुक्ल जी मिल गए थे उन्होंने रोक लिया| वैसे साथ आने में कैसे शर्म?" इतना कह कर मैं वहीँ बैठ गया पर मन ही मन ऋतू को कोसने लगा की उसे कोई और जगह नहीं मिली बैठने को?! इधर सर उठ कर कुछ खाने के लिए गए और अनु मैडम को मेरी तारीफ करने का मौका मिल गया; "मानु जी! आज तो बहुत हैंडसम लग रहे हो!" 

"Thank you mam!" मैंने शर्माते हुए कहा| "आपको तो रोज ऐसे ही रेडी हो कर ऑफिस आना चाहिए|" ऋतू ने मज़ाक करते हुए कहा|

"हाय!! फिर हम दोनों (अनु मैडम और ऋतू) काम कैसे करेंगे?" अनु मैडम ने ठंडी आह भरते हुए कहा| ये सुन कर हम तीनों हँस पड़े, इतने में सर कुछ खाने को ले आये और सीधा ऋतू को ऑफर कर दिया| ये देख कर मैं थोड़ा हैरान हुआ पर फिर मैं समझ गया की आज ऋतू लग ही इतनी सुन्दर रही है की हर एक की नजर सिर्फ उसी पर है| मैं अपने लिए कुछ खाने के लिए लेने को उठा तो मेरे पीछे-पीछे अनु मैडम भी उठ गईं| जब मैंने मैडम को ढंग से सजा-सांवरा देखा तो मैंने भी उनकी तारीफ करते हुए कहा; "वैसे mam you’re looking fabulous today! ये सुन कर मैडम भी शर्मा गईं और बोलीं; "उतनी सुंदर तो नहीं जितनी आज रितिका लग रही है| उसका लेहंगा तुम ने ही सेलेक्ट किया था ना?" मैंने बिलकुल अनजान बनते हुए कहा; "नहीं तो mam!" मैडम ने शायद मेरी बात मान ली या फिर उन्होंने जानबूझ कर उस बात को और ज्यादा नहीं कुरेदा|

खेर मैं और मैडम खाने-पीने की सभी चीजों का मुआइना कर रहे थे, की तभी उनकी नजर मसाला डोसे पर गई और वो मुझे खींच कर वहाँ ले गईं| मैं एक्स्ट्रा बटर डलवा कर उनके लिए डोसा बनवाया और अपने लिए मैं आलू-चीज पफ ले आया| जब मैंने उन्हें ऑफर किया तो उन्होंने एक पीस खाया और बोलीं; "मानु जी आपकी पसंद का जवाब नहीं! हर चीज में आपकी पसंद awesome है!" मैंने बस उन्हें Thank You कहा और फिर उनके डोसा खत्म होने के बाद वापस आ कर बैठ गए| चूँकि हमें आने में थोड़ा समय लगा था तो सर पूछने लगे; "कहाँ रूक गए थे तुम दोनों?" मेरे कुछ बोलने से पहले ही मैडम बोल पड़ीं; "डोसा खा रहे थे!" अब ये सुन कर सर चुप हो गए| खेर दूल्हे की बारात आई और तभी खाना खुल गया और सभी लोग लाइन में लग गए| सर सबसे पहले और उनके पीछे अनु मैडम, फिर मैं और मेरे पीछे ऋतू| आज पहली बार ऋतू इतनी बड़ी और महंगी शादी में आई थी और खाने के लिए जो चीजें रखी थीं वो उसके नई थी, उसने वो कभी चखी भी नहीं थी| ऋतू ने कहा की उसे दाल-चावल खाने हैं तो मैंने उसे हँसते हुए समझाया की वो सब यहाँ नहीं मिलता| मैंने उसे पहले दाल महारानी, पनीर लबाबदार और 2 रोटी दिलवाई और मैंने अपने लिए चिकन और नान लिया| हम वापस बैठ कर खा रहे थे, मैडम ने भी चिकन लिया था और सर ने वेज लिया था| "तुम सारे नॉन-वेज यहाँ बैठो मैं और रितिका कहीं और बैठेंगे|" अब ये सुन कर मुझे बुरा लगा क्योंकि मैं नहीं चाहता था की ऋतू कहीं और जाए| इसका जवाब खुद ऋतू ने ही दिया; "पर सर सारे टेबल फुल हैं! " ये सुन कर मैडम के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई पर उन्होंने जैसे-तैसे अपनी हँसी छुपाई| अब मैडम ने मुझे इशारा किया और मैं उनका सिहारा समझ गया| हम दोनों ने एक-एक लेग पीस उठाया और जंगलियों की तरह खाने लगे| हमें ऐसा करते हुए देख सर मुँह बिदकाने लगे और बोले; "ढंग से खाओ! ये क्या जंगलियों की तरह खा रहे हो?" इतना कह कर वो उठ के चले गए और इधर मैं, मैडम और ऋतू हँसने लगे| मैडम की नजर आखिर रिंग पर चली गई और उन्होंने ऋतू से पूछ लिया; "रितिका ये रिंग आपको किसने दी?" अब ये सुनते ही मैंने अपनी आँखें फेर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैंने सुना ही ना हो| "वो mam ......" इसके आगे वो कुछ नहीं बोली और शर्माने लगी| "अच्छा जी! उसने तुम्हें प्रोपोज़ कर दिया? और तुमने हाँ भी कर दी?" मैडम ने थोड़ा जोर से बोला ताकि मैं भी उनकी बात सुन लूँ| "प्रोपोज़? किसने किसे किया?" मैंने जान बुझ कर ऐसे जताया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं| "मानु जी! आपका पत्ता तो कट गया!" मैडम ने मेरे मज़े लेते हुए कहा| मैं जान बुझ कर जोर से हँसा ताकि उन्हें ये इत्मीनान हो जाए की मेरे और ऋतू के बीच में कुछ नहीं चल रहा|

                      

खाने के बाद आखिर दुल्हन का आगमन हुआ, दुल्हन के जोड़े में राखी बहुत ही प्यारी लग रही थी| फिर शुरू हुआ नाच गाने का मौका और डी.जे ने एक के बाद एक गाना बजा कर माहौल में जान डाल डी| मैडम ने सर से नाचने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया| मैं उठ के खड़ा हुआ और ऋतू और मैडम को अपन साथ जबरदस्ती डांस के लिए ले गया और हम तीनों ने बड़े जोर-शोरों से नाचा| सर से हमारी ये ख़ुशी देखि नहीं गई और उन्होंने हमें इशारे से  हमें वापस बुलाया और कहा की अब हमें चलना चाहिए| निकलने से पहले हमें शगुन तो देना था इसलिए हम सारे स्टेज के ऊपर चढ़ गए| दूल्हे से मैंने हाथ मिलाया और फिर राखी से मैंने हाथ जोड़ कर नमस्ते की पर वो हमेशा की तरह ही मुझसे गले लग गई| उसके पति को थोड़ा अटपटा सा लगा पर उसने कहा कुछ नहीं| इधर राखी ने खुद ही माहौल को हल्का करने के लिए कहा; "मानु जी इतने हैंडसम लग रहे हो की मैं तो सोच रही हूँ की दूल्हा चेंज कर लूँ|" ये सुन कर सारे हँस दिए और इधर राखी का दूल्हा भी राखी के मज़े लेने लगा और बोला; "सही है! तू अपने मानु जी से शादी कर ले और मैं उनकी गर्लफ्रेंड से!" ये सुन कर मैं और ऋतू दोनों एक दूसरे को देखने लगे और बाकी सब हँसने लगे| मैं और ऋतू ये सोच रहे थे की ये हरामखोर अपनी शादी छोड़ कर हमारे पीछे पड़े हैं!


खेर शगुन दे कर, और फोटो खिचवा के हम जाने लगे तो राखी ने सब को रोक दिया और सर से बोली; "सर अभी तो 12 ही बजे हैं! प्लीज थोड़ी देर और रुक जाइये!" उसका दूल्हा भी बोल पड़ा; "सर अभी तो ड्रिंक्स भी चालु नहीं हुई हैं!" अब फ्री की ड्रिंक्स और मेरे सर उसे छोड़ दें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता|   
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#54
update 32 

ड्रिंक्स का राउंड शुरू हुआ पर ना तो ऋतू ने पी और न ही मैडम ने| मैं भी नहीं पीना चाहता था पर हमारे ऑफिस के सारे male colleagues आ कर बैठ गए| शुक्ल जी बोले; "अरे भाई मानु ऑफिस में तो तुम्हारा ग्रुप दूसरा सही पर यहाँ तो हमारे साथ शामिल हो जाओ|" अब उनकी बात सुन कर मुझे मजबूरन उनके साथ बैठना पड़ा और इधर सर ने व्हिस्की आर्डर कर दी| वेटर 5 गिलास व्हिस्की के लार्ज वाले ले आया| लार्ज पेग देख कर ऋतू हैरान हो गई और मन ही मन डरने लगी की पता नहीं आज क्या होगा| पर वो लार्ज पेग पीने के बाद मेरा सिस्टम उतना नहीं हिला जितना की आमतौर पर लोगों का हिल जाता था| सिद्धार्थ (मेरा colleague) का तो एक पेग में ही बंटाधार हो गया और उसने साफ़ मना कर दिया|


शुक्ल जी, मैं, अरुण (मेरा colleague) और सर अब भी टिके हुए थे| हम चारों पर ही जैसे असर नहीं हुआ था, शुक्ल जी ने वेटर को बुलाया और उसे देसी लाने को कहा| वेटर ने साफ़ मना कर दिया की उनके पास देसी नहीं है| "बेटा हमें इन महंगी शराबों से नहीं चढ़ती, हमें तो देसी चाहिए| तू ये ले पैसे, एक बोतल ले आ और बाकी पैसे तू रख ले|" शुक्ल जी का ये बर्ताव देख कर मैडम और ऋतू का मुँह बन गया पर सर उनकी तारीफ करने लगे| "सॉरी! शुक्ल जी मैं अब और नहीं पीयूँगा|" मैंने कहा पर शुक्ल जी तो आज फुल मूड में थे| "अरे भाई! क्या तुम एक देसी से घबरा गए? मर्द बनो!" शुक्ल जी की बात सुन कर ऋतू और अनु मैडम मेरे बचाव में एक साथ कूद पड़े| "शराब पीने से कब से मर्दानगी आने लगी?" मैडम ने कहा| "रहने दीजिये न सर फिर घर भी तो जाना है|" ऋतू बोली पर तभी सर बोल पड़े; "अरे भाई! कौन सा रोज-रोज पीते हैं| आज इतना अच्छा दिन है और रही बात घर छोड़ने की तो मैं छोड़ दूँगा|" अब मैं अगर पीने से पीछे हट जाता तो शुक्ल जी और बाकी के सभी लोग मुझे जिंदगी भर मैडम और ऋतू के नाम से छेड़ते रहते इसलिए मैं भी कूद पड़ा; "चलो देखते है शुक्ल जी आपकी देसी कितनी दमदार है|" ये सुन कर तो शुक्ल जी हैरान हो गए, आखिर देसी आई और मैंने जान-बुझ कर लार्ज पेग बनाये| मैं समझ गया था की ये सब शुक्ल जी का ही प्लान है ताकि मैं पी कर लुढक़ जाऊँ और वो मुझे उम्र भर इस बात का ताना देते रहे| पर वो नहीं जानते थे की मानु का कोटा बहुत बड़ा है! देसी के पहले पेग के बाद ही अरुण और सर ने हाथ खड़े कर दिए और अब बस मैं और शुक्ल जी ही बचे थे| बाकी बची आधी बोतल को मैंने बराबर-बराबर दोनों के गिलास में डाल दिया| "ऋतू ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे रोकना चाहा पर मुझपर तो शराब का सुरूर छाने लगा था| मैंने ऋतू की तरफ देखा और ऐसे दिखाया जैसे मैं अभी भी पूरे होश में हूँ| इधर डी.जे. ने भी हमारा ये कॉम्पिटिशन होते हुए देख लिया और उसने गाना लगा दिया; दारु बदनाम कर दी! अब ये सुनते ही शुक्ल जी फुल जोश में आ गए और खड़े हो गए और बाकी बची पूरी दारु एक साँस में पी गए|

ये देख कर दूल्हा-दुल्हन और बाकी सब वहीँ आ गए की यहाँ कौन सी प्रतियोगिता हो रही है! सारे के सारे हमें घेर कर खड़े हो गए पर ये क्या शुक्ल जी तो 5 मिनट बाद ही ढेर हो गए! अब बचा सिर्फ मैं, मैंने भी जोश में आते हुए पूरी की पूरी दारु एक साँस में गटक ली! सब के सब ये सोचने लगे की मैं अब गिरा..अब गिरा...पर मैं टिका रहा| गाने की आवाज और तेज हो गई और डी.जे. माइक पर जोर से चिल्लाया; "Give a big hand for this gentleman!” सारे तालियाँ बजाने लगे और मैंने भी सर झुका कर सबका अभिवादन स्वीकार किया| उस समय मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे कोई अवार्ड मिल रहा हो! पर ठीक तभी मेरे बॉस ने एक चाल चली, उन्होंने डी.जे. से माइक लिया और मेरे पास ले कर आ गए और बोले; "मानु आज तो इस मौके पर तुम्हारी शायरी बनती है|" शायरी का नाम सुनते ही सब ने शोर मचाना शुरू कर दिया| राखी ने भी बड़े प्यार से रिक्वेस्ट की और सर ने इसी का फायदा उठाते हुए मुझ पर और दबाव डाल दिया; "भाई अब तो दुल्हन ने भी रिक्वेस्ट कर डी| अब तो सुना दो, कम से कम उसका दिल तो मत तोड़ो|" अब मेरी हालत ऐसी थी की शराब दिमाग पर चढ़ चुकी थी, मैं ये तो जानता था की मैं कहाँ हूँ पर क्या शेर बोलना है उस पर मेरा काबू नहीं था| अब दिल और जुबान के तार एक साथ जुड़ गए और मैंने अपनी आँख बंद की और और बोला;


हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, 


ज़रूरी बात कहनी हो कोई वादा निभाना हो, 

उसे आवाज़ देनी हो उसे वापस बुलाना हो, 

हमेशा देर कर देता हूँ मैं,

मदद करनी हो उस की यार की ढांढस बंधाना हो,

बहुत देरीना रास्तों पर किसी से मिलने जाना हो,

हमेशा देर कर देता हूँ मैं,

बदलते मौसमों की सैर में दिल को लगाना हो, 

किसी को याद रखना हो किसी को भूल जाना हो,

हमेशा देर कर देता हूँ मैं,

किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो,

हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो,

हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में.....    


ये गजल किस के लिए थी वो सब समझ चुके थे और माहौल को हल्का करते हुए राखी का दूल्हा बोला; "मानु जी! वैसे अभी देर नहीं हुई है!" मैं बस मुस्कुरा दिया और मैं जा कर उसके गले लगा और उसे बोला; ‘You’re a lucky guy, she’s a keeper! Best wishes from me and wish you a very happy married life!” मैंने उसे दिल से बधाई दी और माहौल हल्का हो गया| दूल्हा-दुल्हन के माँ-बाप को ये बाद जर्रूर लगी होगी इसलिए मैंने बस हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी और मैं निकल आया| मेरे पीछे-पीछे ही सर मैडम और ऋतू भी आ गए| मैंने कैब बुला ली थी और सर और मैडम तो अपनी कार से ही जाने वाले थे| मैंने उन्हें good night बोला और हम दोनों चल दिए| कैब में बैठ कर हम दोनों खामोश थे, अब मुझे अपनी सफाई देनी थी पर जब दिमाग और जुबान का कनेक्शन टूट चूका था तो अब सिर्फ सच ही बाहर आना था| "ऋतू...तुझे कुछ कहना नहीं है?" मैंने ऋतू से बात शुरू करते हुए पूछा| "कहना नहीं पूछना है|" ऋतू ने मेरी तरफ मुँह करते हुए कहा और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को थाम लिया| नशे के कारन मेरी आँखें थोड़ी बंद होने लगी थी पर ऋतू ने मुझे थोड़ा झिंझोड़ा और मैं कुछ होश में आया| "आप अब भी उससे प्यार करते हो?" ऋतू ने मुझसे पूछा पर आज जो भी जवाब आना था वो दिल से ही आना था| "नहीं! मैं....बस....तुमसे...प्यार करता हूँ|" मैंने जवाब दिया और मेरा जवाब सुन कर ऋतू कस कर मेरे सीने से लग गई| मैंने भी आँखें बंद कर लीं और दिल को इत्मीनान हो गया की ऋतू और मेरे बीच में अब कोई भी गलतफैमी नहीं बची| कुछ देर ऐसे ही मेरे सीने से लगे हुए रहने के बाद ऋतू ने पूछा; "सर को सब पता था ना?" पर मैं तो जैसे सो ने लगा था पर ऋतू ने फिर मुझे नींद से उठाते हुए झिंझोड़ा और तब मेरे मुँह से टूटे-फूटे शब्द निकलने लगे; "मैंने....कभी...उन्हें नहीं....बताया|" पर ऋतू को तो अब सारी बात सुननी थी|  ऋतू ने अपने पर्स से एक सेंटर शॉक निकाली और मेरे मुँह में डाल दी| दाँतों तले जैसे ही मैंने उस च्युइंग गम का दबाया की खटास के झटके से मेरी आँख खुल गई| मैंने अजीब सा मुँह बनाते हुए ऋतू को देखा, ठीक वैसा ही मुँह जैसे की आप किसी नन्हे से बच्चे को नीम्बू चटा दो| ऋतू खिलखिला कर हँस दी और फिर बोली; "अब बताओ, सर को पता था की आप राखी से प्यार करते थे?"

मैंने कभी उन्हें इस  बारे में नहीं बताया, बल्कि उन्हें क्या किसी को नहीं बताया| जब मैंने ऑफिस ज्वाइन किया था तो मेरे आने से कुछ महीने पहले ही राखी ने ज्वाइन किया था| हम दोनों के बीच में कभी कोई बात नहीं हुई, जो भी बात हुई वो काम से रिलेटेड थी| अब चूँकि मैं नया जोइनी था और थोड़ा नौसिखिया तो सर ने मुझे और राखी को एक साथ एक कंपनी का डाटा दे दिया| लंच ब्रेक में भी हम दोनों साथ ही बैठे होते पर बातें बहुत कम ही होती| चाय पीने के समय मैं अकेला ही जाता और एक दिन राखी ने मुझे सिगरेट पीते हुए देख लिया और तब से हमारी थोड़ी बहुत बात शुरू हुई| बातें बड़ी साधारण ही होती, थोड़ी बहुत कॉलेज की बातें बस! अब ऑफिस के सारे मेल एम्प्लाइज को तो तुम जानती हो उन हरामियों ने हम दोनों के बारे में बातें करना शुरू कर दिया| शायद सर ने सुन लिया और उन्हें ये लगा की हम दोनों का कोई चक्कर चल रहा है| इसीलिए उन्होंने हम दोनों को अलग-अलग डाटा दे कर दूर कर दिया| काम का लोड ज्यादा था तो अब हमारी बातें सिर्फ लंच टाइम में होती या कभी कभार वो मुझे चाय पीते हुए मिल जाती|" ऋतू मेरी बातें बड़े इत्मीनान से सुन रही थी, और जब मैंने बोलना बंद किया तो वो बोली; "ये सब शुक्ल जी और सर ने मिल के किया है! ये उन्हीं का प्लान था की कैसे आपको बदनाम करें! पहले शुक्ल जी ने आपको जबरदस्ती चढ़ा दिया की शराब पीनी है और लास्ट का दांव सर ने चला| छी! कितने गंदे लोग हैं!" ऋतू ने गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा|

"Welcome to the corporate culture!!! यहाँ कोई भी किसी को तरक्की करता हुआ देख कर खुश नहीं होता| अब मुझे सैलरी में रेज मिला तो शुक्ल जी की किलस गई!" मैंने कहा| बातों-बातों में ऋतू का हॉस्टल आ गया और मैंने उसे गेट पर छोड़ा और वापस उसी कैब में अपने घर निकल गया| घर आया ही था की दो मैसेज फ़ोन में आये, पहला ऋतू का की वो हॉस्टल पहुँच गई और आंटी जी ने उसे कुछ नहीं कहा और दूसरा अनु मैडम का; "मानु जी! रियली सॉरी! आज जो कुछ हुआ उसके लिए मैं इनकी तरफ से माफ़ी माँगती हूँ| अभी इन्होने मुझे अपना सारा घटिया प्लान बताया!" एक पल को तो मन किया की कल ही जा कर अपना रेसिग्नेशन बॉस के मुँह पर मार आता हूँ पर फिर ये सोच कर चुप हो गया की अभी कुछ महीनों के लिए ऋतू के साथ इस प्रोजेक्ट पर और काम कर लेता हूँ बाद में छोड़ दूँगा| यही सोचते हुए मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला|
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#55
update 33

सुबह बहुत देर से उठा करीब आठ बजे होंगे, जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और ऑफिस पहुँचा| जाहिर है ऑफिस पहुँचने में थोड़ी देर हो गई पर आज बॉस ने मुझे कुछ नहीं कहा| बाकी दिन जब मैं लेट हो जाता तो बॉस कुछ न कुछ सुना देता था पर आज चुप था| जब मैं केबिन में गुड मॉर्निंग करने घुसा तब भी बस गुड मॉर्निंग का जवाब दिया पर कोई भी फाइल उठा कर मुझे नहीं दी| मैं भी वापस आ कर अपनी डेस्क पर बैठ गया और अपना सिस्टम चालु किया, सोचा की मैडम वाले प्रोजेक्ट पर ही थोड़ा काम कर लेता हूँ| तभी मेरी नजर शुक्ल जी पर पड़ी, और दिन तो उनके टेबल पर एक-आधी ही फाइल होती थी पर आज तो ढेर सारी थी! मैं समझ गया की मेरी फाइल्स भी सर ने उन्हें दे दी है तो अब बारी मेरी थी उनके मज़े लेने की! मैं उठा और उनके टेबल पर पहुँच गया;

मैं: अरे सिद्धार्थ भाई, आपने शुक्ल जी को ब्लैक कॉफ़ी नहीं मँगवा के दी? उनका हैंगओवर कैसे उतरेगा?

ये सुनते ही अरुण और सिद्धार्थ हँसने लगे अब शुक्ल जी को भी ढोंग करते हुए झूठी हँसी हसनी पड़ी|

मैं: क्या शुक्ल जी आप मेरे जैसे बच्चे से हार गए? वो भी देसी पीने में? बॉस से हारे होते तो मैं फिर भी मान लेता!

शुक्ल: अरे भाई....वो ....दरअसल ...खाली पेट थे ना?

मैं: खाली पेट? वो भी शादी में? काहे?

अरुण: अरे शुक्ल जी काहे झूठ बोल रहे हो? सबसे ज्यादा खाना तो आप ही दबाये हो! (ये सुनते ही हम सारे हँसने लगे|)

सिद्धार्थ: शुक्ल जी ने पूरे शगुन के पैसे वसूल किये हैं|

मैं: शुक्ल जी महराज धन्य हो आप! मुझे लुढ़काने के चक्कर में खुद लुढ़क गए!

शुक्ल: बिटवा थोड़ा ज्यादा उड़ रहे हो!

उन्होंने मुझे टोंट मारना चाहा पर उनके आगे बोलने से पहले ही मैं बरस पड़ा;

मैं: मैं कहाँ उड़ रहा हूँ जी! मुझे उड़ाने का प्लान तो आप लोग बनाये थे, पर आप जानते नहीं हो मुझे ठीक से! जितनी आपकी उम्र है उतने घाटों का पानी पी चूका हूँ| अगली बार खुंदस निकालनी हो तो थोड़ा ढंग का प्लान बनाना|

मेरी आवाज ऊँची हो चली थी जो बॉस ने भी सुनी पर वो सिर्फ मुझे देख कर ही चुप हो गए| ठीक उसी समय मैडम एंटर हुईं और उन्होंने शायद मेरी बात सुन ली थी इसलिए अपने दाहिने हाथ की छोटी ऊँगली से मेरे हाथ को चलते हुए पकड़ा और मुझे अपने साथ अपने केबिन की तरफ ले आईं और बोलीं; "मानु जी क्यों अपना मुँह गन्दा करते हो? ये छोटे लोग हैं और इनकी सोच भी छोटी है, किसी की तरक्की इनसे देखि नहीं जाती|" मैंने मैडम की बात का जवाब नहीं दिया बल्कि मुड़ के अपने डेस्क की तरफ जा रहा था की उन्हें लगा जैसे मैं उनसे नाराज हूँ| मैडम मेरे टेबल के नजदीक आईं और मुझसे पूछने लगीं; "मुझसे नाराज हो?"

"नहीं तो mam! आपसे भला किस बात की नाराजगी?! मुझे बदनाम करने का पालन आपने थोड़े ही बनाया था|" मैंने तपाक से जवाब दिया|

"वैसे मानु जी! हीरे पर धुल गिराने से उस की चमक कम नहीं होती!" मैं मैडम के बात का मतलब समझ गया इसलिए मैंने आगे उनसे इस बारे में कुछ नहीं कहा| मैडम वापस अपने केबिन में चलीं गईं और मैं प्रोजेक्ट के काम में लग गया| कुछ देर बाद मैडम आईं और बोलीं; "मानु जी आप मुझे हज़रतगंज छोड़ दोगे? वहाँ GST ऑफिस में मुझे कुछ काम है|"

"Mam आप मुझे बोल दीजिये मैं चला जाता हूँ|" मैंने कहा|

"नहीं मैं ही जाऊँगी, यहाँ रहूँगी तो इनकी (बॉस की) शक्ल देखनी पड़ेगी|" मैडम ने मुँह बनाते हुए कहा| पर मुझे दिक्कत ये थी की बॉस का क्या सोचेंगे पर तभी मैडम बोलीं; "क्या सोच रहे हो?"   

  अब मैं क्या बोलता, मैं था और मैडम को चलने के लिए कहा| मैडम अपने केबिन में कुछ फाइल्स लेने गईं और मैं नीचे उतर आया, पार्किंग से बाइक निकाल के बाहर आया और इतने में मैडम भी नीचे आ गईं| मैडम ने पिट्ठू बैग टाँगा हुआ था, वो आज बाइक पर दोनों तरफ टांगें कर के बैठ गईं और उनके दोनों हाथ मेरे सीने से आ चिपके| आज तो उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी और नंगे स्तन बस एक कुर्ते के पीछे से मेरी कमीज में गड़े हुए थे| उनके इस स्पर्श से मेरे जिस्म में करंट दौड़ गया, मेरे लिए ये बहुत अनकम्फर्टेबले हो रहा था पर हिम्मत नहीं हो रही थी की मैडम को बोल सकूँ| मैं जानबूझ कर आगे को झुका ये ड्रामा करने को की मैं बुलेट के इंजन को छू कर कुछ ढूँढ रहा हूँ| इससे मैडम की पकड़ थोड़ी ढीली हो गई और हम दोनों के बीच थोड़ा सा गैप आ गया| मैडम भी समझ गईं की मैं नाटक कर रहा हूँ इसलिए उन्होंने खुद से "सॉरी!!!" बोला| मैं उन्हें ज्यादा ऑक्वर्ड फील नहीं करवाना चाहता था इसलिए मैंने बाइक स्टार्ट की और हम हज़रतगंज के लिए निकले| पूरे रास्ते मैडम ने मुझसे कोई बात नहीं की, आधे घंटे का रास्ता चुप-चाप निकला| GST ऑफिस पहुँच कर मैडम ने कहा की मैं ऑफिस वापस चला जाऊँ| पर वो आज बहुत उदास महसूस कर रहीं थीं, अब उनका दोस्त था तो उन्हें ऐसे अकेला छोड़ना सही नहीं लगा| "Mam आपकी टुंडे कबाब की ट्रीट बाकी है! आज खाएं?" मेरी बात सुनते ही मैडम की चेहरे पर ख़ुशी लौट आई| उन्होंने बताया की उन्हें कम से कम आधे घंटे का काम है और तब तक मैंने भी सोचा की अपना एक काम निपटा लूँ, इसलिए मैंने उनसे इज्जाजत मांगी और निकल आया| जेब से उन अंकल जी का कार्ड निकाला जिन्होंने कल मुझे वो रिंग दी थी| एड्रेस आस-पास का ही था तो मैं उनकी दूकान जा पहुँचा, दूकान क्या वो तो शोरूम था! अब मुझे लगा की बीटा जितनी सेविंग थी सब गई! एंकल जी कॅश काउंटर पर खड़े थे और मुझे देखते ही मेरे पास आये और मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे काउच पर बिठा दिया और आ के मेरे बगल में ही बैठ गए| मेरे बारे में पूछा की मैं कहाँ का रहने वाला हूँ, यहाँ कब से हूँ, क्या जॉब करता हूँ वगैरह-वगैरह| मैंने भी उन्हें सब बता दिया और फिर बात आई रिंग की कीमत की! "बेटा मैं अब भी कह रहा हूँ की तुम्हें पैसे देने की कोई जर्रूरत नहीं!" अंकल जी ने बड़े प्यार से कहा|

"अंकल जी मैं बड़ा गैरतमंद इंसान हूँ! आपसे इस तरह से इतनी महंगी चीज लेना ठीक नहीं! फिर मैं नहीं चाहता की आपको मेरी वजह से नुक्सान हो!" मैंने भी बड़े प्यार से उन्हें अपनी मजबूरी समझाई|

"ठीक है बेटा! वो रिंग ज्यादा महंगी नहीं थी, वाइट सिल्वर की थी, वो दरसल किसी और क्लाइंट के लिए बनाई थी पर उस रात को तुम-दोनों को देख कर मुझे मेरी जवानी के दिन याद आ गए| अब तुमसे पैसे लेने को दिल नहीं करता पर तुम बहुत गैरतमंद हो इसलिए तुम मुझे बस लगत दे दो: 7,000/-, चाहो तो बाद में दे देना इतनी भी कोई जल्दी नहीं है|"

"अंकल जी मैं कार्ड लाया था तो ....आपके पास मशीन हो तो?!" मैंने थोड़ा डरते हुए पूछा की खाएं वो कुछ गलत न समझें पर वो निहायती शरीफ थे उन्होंने तुरंत मशीन मंगवाई और पेमेंट होने के बाद मुझे बिल भी देने लगे तो मैंने मन कर दिया| उनसे बिल ले कर मैं उनकी बेज्जत्ती नहीं करना चाहता था| "तो बेटा शादी कब कर रहे हो?" अंकल ने पूछा|

"जल्द ही अंकल जी!" इतना कह कर मैंने उनसे विदा ली और वापस GST ऑफिस के बाहर पहुँचा| मैडम को बिठा कर सीधा अमीनाबाद पहुँचा और हमने टुंडे कबाब खाये| पर मैडम को अभी भी भूख लगी थी और वो कहने लगीं की किसी रेस्टुरेंट चलते हैं जहाँ बैठ कर खाना खा सकें| हम दोनों एक रेस्टुरेंट में आये और बैठ गए, मैडम का मुँह अब पहले की तरह खिला-खिला था इसलिए खाना भी उन्हीं ने आर्डर किया|
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#56
update 34 

खाने में मैडम ने बस एक थाली ही आर्डर की थी, दरअसल उन्हें मुझसे कुछ बात करनी थी जो खड़े-खड़े कबाब खाते हुए मुमकिन नहीं थी| आर्डर आने से पहले ही मदमा ने अपनी बात शुरू की;

अनु मैडम: मैं अपनी इस शादी में पिछले २ साल से घुट रहीं हूँ! कॉलेज खत्म होने के बाद मेरा मन शादी करने का कतई नहीं था, बल्कि मैं तो घूमना-फिरना चाहती थी पर मेरे परिवार वालों की सोच बड़ी रूढ़िवादी थी, मेरा घूमना-फिरना उन्हें कतई पसंद नहीं था इसलिए मेरी शादी जबरदस्ती कर दी गई| कुमार (मेरे बॉस का मिडिल नाम) बहुत बोर और लालची इंसान है, उसके दिमाग में हर वक़्त पैसे ही पैसा घूमता है| दहेज़ के लालच में शादी की और इतने सालों में हम ने कभी प्यार के हसीन पल साथ नहीं बिताये! अपना अकेलापन दूर करने को मैंने पीना शुरू कर दिया और खुद उसी मायूसी में घुटती रही| ये घुटन दिन पर दिन बढ़ने लगी थी और मैं सोचने लगी थी की सुसाइड कर लूँ, पर फिर वो मुंबई वाला ट्रिप हुआ और मुझे तुम्हारे रूप में एक अच्छा दोस्त मिल गया|

इतने में वेटर एक थाली ले कर आ गया|

मैं: Mam आपने सर से इस बारे में बात की? I mean if you tell him, he might change himself …… (मैडम मेरी बात काटते हुए बोलीं)

अनु मैडम: I did but he’s too damn adamant to accept his behavior and instead blames me for it and expects me to change! This relationship is beyond repairable …and I’m gonna end it soon! I can’t live with this asshole anymore!

अब ये सुन कर मुझे बुरा लगने लगा और मैं कुर्सी पर पीठ टिका कर बैठ गया, मैडम ने पूरी का एक कौर खाया और मेरी तरफ देखते हुए बोलीं;

अनु मैडम: Don’t blame yourself for it, you’re not responsible for any of this! I told you all this cause I wanted to ask you a question?

अब ये सुन कर मेरी फटी पड़ी थी, मुझे लग रहा था की मैडम मुझे कहीं I Love You न बोल दें!

अनु मैडम: Do you support me in this decision …... as a friend?

मैं: I do mam! ….. As a friend I do!

अनु मैडम: Thank you! In case I need to crash a day or two, I’ll let you know!

ये कहते हुए मैडम हँसने लगीं और मैं भी झूठी हँसी हँसने लगा| मन ख़राब था पर मैं अपने चेहरे पर नकली हँसी बनाये हुए था, मैं नहीं चाहता था की मैडम का घर टूटे! हम अभी बाइके पर बैठ ही थे की किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मैंने पलट के देखा तो ये मोहिनी थी!

"कहाँ घूम रहे हो?" उसने हँस कर पूछा| पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बोल पड़ी; "अच्छा जी! गर्लफ्रेंड घुमा रहे हो!!!!" उसकी बात सुन कर मैडम हँस पड़ीं और मैंने उसे प्यार भरे गुस्से से डांटते हुए कहा; "पागल! Office Mam हैं मेरी!"

"ओह..सॉरी...सॉरी..सॉरी..!!!" मोहिनी ने कान पकड़ते हुए कहा| "Its ok dear !!!" मैडम ने भी हँसते हुए कहा|

"तो यहाँ क्या कबाब खाने आये थे आप लोग?" मोहिनी ने पूछा|

"हाँ जी! GST ऑफिस से काम निपटा कर सोचा की चलो कबाब ही खा लें|" मैडम ने जवाब दिया|

"आप यहाँ क्या कर रही हो? बॉयफ्रेंड का इन्तेजार??" मैंने मोहिनी को छेड़ते हुए कहा|

"अरे कहाँ बॉयफ्रेंड! सारे अच्छे लड़के तो आपकी तरह ब्रह्मचारी हो गए हैं!" मोहिनी ने पलट कर मुझे ही छेड़ दिया|

"किसने कहा मैं ब्रह्मचारी हूँ? इतने साल टूशन पढ़ने के टाइम तो कभी मुझे कुछ कहा नहीं? बल्कि तब तो मेरे मजे लेती थी?!" मैंने कहा और मेरी बात सुन कर मैडम हैरानी से मुझे देखने लगी|

"अरे तब माँ होती थी ना! पर अब आपके पास टाइम ही नहीं है!" मोहिनी ने कहा|

हमारी इस हँसी-ठिठोली के मजे मैडम ने बहुत लिए और वो जी भर के हँस रही थी| फिर मुझे याद आया की कहीं मोहिनीं ऋतू के बारे में कहीं न बक दे, इसलिए मैंने उससे विदा ली|

मैडम और मैं बस हलकी-फुलकी बातें करते हुए ऑफिस पहुँचे, मैंने अपना बैग उठा कर सर को; "मैं जा रहा हूँ|" बोल कर निकल गया| सीधा अपनी जानेमन से मिलने उसके कॉलेज वाली लाल बत्ती पर उसका इन्तेजार करने लगा| ऋतू हमेशा की तरह मुस्कुराती हुई आई और पीछे बैठ गई| हम एक कैफ़े में पहुँचे और फिर मैंने उसे आज की सारी घटना बता दी| मेरी बात सुन कर उसे जरा भी हैरानी नहीं हुई और वो भी पूरे जोश में मैडम का सपोर्ट करते हुए बोली; "Mam ने जो भी कहा वो सही कहा! खुश रहें का हक़ सब को है, अब अगर बॉस उन्हें खुश नहीं रख पाते तो वो अपना जीवन क्यों बर्बाद करें? और इस सब में आपकी बिलकुल भी गलती नहीं है, आप नहीं होते तो मैडम सुसाइड कर लेतीं! भगवान् ने आपको उनकी जिंदगी में भेजा ही इसलिए था की आप उन्हें एक अच्छे दोस्त की तरह संभाल सकें!" मैं आगे कुछ बोल न सका, ऋतू का भरोसा खुल कर मेरे सामने आ रहा था| "अच्छा एक जरूरी बात! परसों काम्या का जन्मदिन है और उसने हम दोनों को रात की पार्टी में इन्वाइट किया है| इसलिए आपको अच्छे से तैयार हो कर आना है|" ऋतू ने जोश में आते हुए कहा|

"आजकल पार्टी कुछ ज्यादा नहीं हो रही? मेरी बर्थडे पार्टी, फिर राखी की शादी और अब ये काम्या का बर्थडे?! थोड़ा पढ़ाई में भी ध्यान दो! वैसे आंटी जी को क्या बोलोगी?" मैंने ऋतू को थोड़ा डाँटते हुए कहा|

"उन्हें मैंने पहले ही बता दिया है की घर पर पूजा है इसलिए आप और मैं 3 दिन के लिए जा रहे हैं|" ऋतू ने बड़ी सरलता से कहा|

"पागल हो क्या? तीन दिन? कहाँ है ये पार्टी?"  मैंने हैरानी से पूछा|

"जयपुर!!!" ऋतू ने उत्साह से भरते हुए कहा| मैं अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से ऋतू को घूरने लगा की ये लड़की पागल तो नहीं हो गई|

"ऋतू तुझे हो गया है? तेरे कुछ ज्यादा पर निकल आये हैं? कहाँ तो गाँव में चुप-चाप रहने वाली लड़की आज शहर की फूलझड़ी बन गई है!" मैंने ऋतू को थोड़ा डाँटते हुए कहा| ये सुन कर ऋतू का सारा उत्साह फुर्र हो गया और उसकी गर्दन झुक गई|       

        "गाँव में मैं 'जी' कहाँ रही थी? वहाँ जो भी खुशियां मिली वो सिर्फ आपने दी, वो खुशियाँ बस तरीकों के साथ आती थी| एक लिमिटेड टाइम के लिए, कुछ भी करने से पहले दस बार सोचना की कहीं घर वाले नाराज न हो जाएँ और मेरी शादी न कर दें! पर यहाँ आ कर मुझे पता चला की लाइफ को जिया कैसे जाता है! आप अगर मुझे यहाँ ना लाते तो मैं वही गाँव की गंवार बन के रह जाती| मानती हूँ की कई बार मैं अपनी सारी हदें पार कर देती हूँ, शायद इसलिए की ये खुशियाँ मेरे लिए due थीं और बड़ी लेट मिलीं|" ऋतू ने सर झुकाये हुए ही दबी आवाज में कहा| मैं ऋतू का दर्द समझ सकता था पर ये जो Wild हरकतें वो कर रही थी वो हमारे प्लान पर पानी फेर देतीं| "ऋतू देख मैं समझ सकता हूँ पर तू जिस स्पीड पर भाग रही है वो हमारे आने वाले जीवन के लिए खतरनाक है! अगर घर में बात जारा सी भी लीक हो गई तो बवाल खड़ा हो जायेगा|" मैंने ऋतू को समझाया| ऋतू ने बस सर झुकाये हुए ही हाँ में गर्दन हिलाई और मैं उठ कर उसके बगल में बैठ गया और उसे अपने सीने से लगा लिया| 5 बजने वाले थे तो मैं उसे ले कर निकल पड़ा और उसे हॉस्टल छोड़ा और फिर अपने घर आ गया|   

                            रात के करीब दस बजे होंगे और मैं अंडे की भुर्जी बना रहा था की मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई| मैंने दरवाजा खोला तो सामने काम्या खड़ी थी, मुझे देखते ही वो "Hi!!!" बोली| मैं उसे यहाँ देख कर भौंचक्कारह गया और हकलाते हुए "H ...H ...Hi!!!" निकला| “Can I come in?” काम्या ने पूछा तो मैंने दरवाजे पर से हाथ हटाया और उसे अंदर आने दिया और खुद दरवाजे पर ही खड़ा रहा| वो अंदर आ कर मेरे घर को देखने लगी और तब उसका ध्यान अंडा भुर्जी पर गया और उसने फटाफट किचन सिंक में हाथ धोये और खुद ही एक प्लेट में अपने लिए भुर्जी निकाल ली और ब्रेड का पैकेट खोलने वाली थी तो मैंने उसे बताया की टिफ़िन में परांठा है| उसने फ़ौरन वो निकाला और बिना कुछ आगे बोले खाने लगी| मैं चौखट से अपनी पीठ टिका कर खड़ा हो गया और उसे खाते हुए देखने लगा| आधा परांठा खाने के बाद उसे याद आया की वो किस काम के लिए आई थी; "मानु जी! प्लीज चलो ना मेरे बर्थडे पार्टी पर जयपुर? आप नहीं जाओगे तो रितिका भी नहीं जायेगी!"

"सॉरी जी! पर ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी|" मैंने कहा पर वो आज पूरा मन बना कर आई थी|

काम्या: ओह come on! ये बस एक couple get together है! आप दोनों के बिना हमें कैसे मजा आएगा?

मैं: No offence, but I don’t even know you! I mean except that you’re her friend?

काम्या: That’s the best part, you and me… I mean… we can get to know each other!

मुझे काम्या की बात बहुत अजीब लगी!

मैं: I’m sorry, बॉस छुट्टी नहीं देगा|


काम्या: अरे ऐसे कैसे? इतनी मेहनती आदमी को छुट्टी नहीं मिलेगी तो कैसे चलेगा? मैं बात करती हूँ आपके बॉस से!" काम्या ने भुर्जी खाते हुए कहा| 

मैं: Oh please! Don’t be a kid!

काम्या: ओह! समझी.... आप जानबूझ कर जाना नहीं चाहते! ठीक है मैं यहाँ से तब तक नहीं हिलूँगी जब तक आप हाँ नहीं कहते|

मैं: As you wish!

मैंने सोचा की ये कर भी क्या लेगी, कुछ देर बाद तो इसे जाना ही होगा वरना अपने घर में क्या बोलेगी? मैंने इधर ऋतू को फ़ोन मिलाया पर उसने उठाया नहीं, शायद वो सो चुकी थी| आधे घंटे तक मैं चौखट से अपनी पीठ टिकाये खड़ा रहा और काम्या मेरे पलंग पर आलथी-पालथी मारे बैठी रही|

काम्या: मानु जी! मुझे घर भी जाना है! प्लीज मान जाओ, मेरे लिए न सही पर ऋतू के लिए| उस बेचारी ने कभी जयपुर नहीं देखा वो थोड़ा घूम लेगी तो आपका क्या जायेगा? मैं उसे साथ ले जाती पर वो सिर्फ आपके साथ जाना जाती है|

अब मैं सोच में पड़ गया की ये खतरा कैसे उठाऊँ? घर पर ये बात खुलती तो काण्ड होना तय था! तभी ऋतू का फ़ोन आया और उसने मुझे फ़ोन स्पीकर पर करने को कहा; " काम्या? तेरी हिम्मत कैसे हुई उनको तंग करने की? मैंने तुझे बोला था न की हम नहीं जा रहे तू चली जा? फिर तू इतनी रात गए वहाँ क्या कर रही है?" ऋतू काम्या पर बरस पड़ी|

   "ऋतू बस! .... शांत हो जा! हम दोनों जा रहे हैं|" मेरी बात सुन कर काम्या खुश हो गई तो ऋतू खामोश हो गई| मैंने फ़ोन स्पीकर मोड से हटाया और अपने कान से लगाया| "अपनी जानेमन की ख़ुशी के लिए कुछ भी!" ऋतू को अब भी यक़ीन नहीं हो रहा था; "उस इडियट ने तो आपको तंग नहीं किया ना? मैंने उसे आपके पास जाने को नहीं बोला, मुझे तो पता भी नहीं था की वो आपके घर पर आई हुई है| अभी उसका मैसेज पढ़ा की वो आपके घर पर आपको मानाने आई है और आप मान नहीं रहे| इसलिए मैंने अभी कॉल किया!"

"जान! मैं किसी दबाव में नहीं कह रहा, बस इस पागल लड़की की बात से एहसास हुआ की मैं तुम्हारे साथ कितनी ज्यादती कर रहा था|" मैंने कहा और मेरे काम्या को पागल लड़की कहने पर वो हँस दी!

"पर घर का क्या?" ऋतू ने चिंता जताई|

"क्यों तुमने तो पहले ही बहाना ढूँढ रखा है?!" मैंने थोड़ा प्यार भरा टोंट मारा| "थैंक यू जानू! I love you!!!" ऋतू की ख़ुशी लौट आई और मुझे नहीं लगता की वो उस रात सोइ भी होगी! इधर रात के पोन ग्यारह हो रहे थे और अभी इस पागल लड़की को घर भी जाना था| "चलो आपको घर छोड़ दूँ|" मैंने ऋतू का फ़ोन काटते ही काम्या से कहा| “Thank you… Thank you… Thank you… Thank you… Thank you” कहते हुए वो मेरे नजदीक आ गई और मेरे गले लग गई पर मैंने उसे छुआ भी नहीं| "अच्छा बस मैडम! चलिए!" इतना कह कर मैंने खुद को उससे छुड़वाया और उसे घर छोड़ने निकला| मेरे घर से उसका घर करीब 20 मिनट दूर था, अब रात में कहीं कुत्ते पीछे न पड़ जाएँ इसलिए मैंने बाइके निकाली और उसे उसके घर के सामने छोड़ा| वो मुझे बाय बोल कर उछलती-कूदती हुई चली गई| मैं भी घर लौट आया और ब्रेड और ठंडी भुर्जी खा कर सो गया| 
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#57
Good going,keep it coming.
Story build up is fabulous......
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#58
Really good story i enjoy it.
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#59
(12-11-2019, 07:47 PM)uttu7887 Wrote: Good going,keep it coming.
Story build up is fabulous......

(12-11-2019, 09:49 PM)Arv313 Wrote: Really good story i enjoy it.

Kindly like my posts and rate the thread 5 stars Angel
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#60
update 35

अगले दिन मैं उठ कर, नाहा धो कर ऑफिस पहुँचा और बॉस के सामने अपनी छुट्टी की अर्जी रख दी| "सर मुझे 4 दिन की छुट्टी चाहिए, घर पर पूजा-पाठ है! मैं मंडे ज्वाइन कर लूँगा|" सर ने मुझे देखे बिना ही ठीक है कह दिया, मैं भी वापस बाहर आ कर डेस्क पर पहले से ही रखी फाइल्स निपटाने लगा| लंच टाइम मैं उठ कर बाहर जा रहा था की अनु मैडम आ गईं और मुझसे बोलीं; "मानु जी! आपके सर ने बताया की आप कल गाँव जा रहे हो? कोई इमरजेंसी तो नहीं?"

"नहीं mam, वो घर में पूजा है इसलिए जा रहा हूँ| And sorry इस संडे प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पाउँगा, मैं संडे शाम तक लौटूँगा| आज मैं PPTs फाइनल कर दूँगा और वो आपने उन्हें पिछले पाँच साल के फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स मँगवा लिए?" पर मैडम का तो जैसे मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं था, उनकी आँखें मुझ पर टिकी थीं पर ध्यान कहीं और था! मैं ने हवा में मैडम के चेहरे के सामने हाथ हिला कर मैडम की तन्द्रा भंग करते हुए पूछा; "क्या हुआ mam?" उन्होंने बस कुछ नहीं कहा और वो अपने केबिन की तरफ चली गईं मैं भी कुछ सोचते हुए नीचे आ गया और चाय पी रहा था| मैंने जेब से फ़ोन निकाला और घर फ़ोन किया ये जानने के लिए की वहाँ सब कुछ कैसा है? कहीं पता चले की वहाँ से कोई शहर आ टपके और काण्ड हो जाए! पिताजी ने फ़ोन उठाया तो वो मुझ पर ही बरस पड़े; "तुम दोनों के पास इतना भी समय नहीं की घर आ जाओ? पढ़ाई और काम-धंधे में इतने व्यस्त हो की घर की कोई चिंता ही नहीं? पहले तो हफ्ते में दो दिन के लिए तुम्हारी शक्ल दिख जाती थी अब तो महीने होंको आये तुम्हें देखे हुए? तुम लोगों की सूरत तो छोडो आवाज सुनने को कान तरस गए और तुम लोग हो की बस अपनी मस्ती में मस्त हो! इसीलिए तुम दोनों को शहर भेजा था?"  पिताजी की बात जायज थी पर यहाँ ऋतू और मेरे काम के कारन हम गाँव नहीं जा आ रहे थे|

"पिताजी आपसे हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगता हूँ! मैं या ऋतू आप सब की दी हुई आजादी का गलत फायदा नहीं उठा रहे, दरअसल मेरे ऑफिस में आज कल एक नया प्रोजेक्ट चल रहा है और इसलिए मैं सैटरडे-संडे ओवरटाइम कर रहा हूँ| कुछ महीनों में वो खत्म हो जायेगा तो मैं फिर से सैटरडे-संडे आ जाऊँगा| बल्कि मैं इस संडे ऑफिस के कुछ काम से आ रहा हूँ और ऋतू को घर छोड़ जाऊँगा, उसके कॉलेज की छुट्टियाँ हैं| मैं ताऊ जी से भी माफ़ी मांग लूँगा, पर अफ्ले आप तो माफ़ कर दीजिये|" मेरी सेंटीमेंटल बातें सुन कर पिताजी को तसल्ली हुई और उनका गुस्सा शांत हो गया| अभी मैंने कॉल रखा ही था की ऋतू का फ़ोन आ गया|

"जानू! मुझे बहुत डर लग रहा है! अगर हमारे पीछे से घर से कोई यहाँ आ गया तो?" ऋतू ने डरते हुए कहा|

"ये सब पहले नहीं सोचा था?" मैंने ऋतू को ताना मरते हुए कहा| "मैं तो साफ़ कह दूँगा की ये लड़की (ऋतू) मुझे बरगला कर ले गई थी!" मेरी बात सुनते ही ऋतू के मुंह से "Hwwwwwwwwwwww!!! " निकला और में जोर से हँस दिया| मिनट भर तक पेट पकड़ के हँसने के बाद मैं बोला; "तू चिंता मत कर, मैंने अभी घर कॉल किया था और घरवाले अभूत गुस्सा हो रहे थे| बड़ी मुश्किल से मैंने पिताजी को समझाया है और वादा किया है की इस संडे तुझे घर छोड़ दूँगा कुछ दिनों के लिए, क्योंकि तेरे कॉलेज की छुट्टी है|" ये सुनते ही ऋतू बोली; "ये अच्छा है! मुझे ही फंसा दो आप?! मैं वहाँ अकेली इतने दिन आपके बिना क्या करुँगी?!"

"जयपुर का प्लान किसने बनाया था?" मैंने पूछा और ऋतू समझ गई की ये उसकी गलती की सज़ा है| "अगली बार अगर इस तरह का पन्गा खड़ा किया न तो देख ले फिर?!" मैंने ऋतू को सचेत करते हुए कहा|

"I promise अगलीबार कुछ भी करने से पहले आप से पूछूँगी| वैसे आज कितने बजे मिल रहे हैं?"

"आज मुश्किल है, प्रोजेक्ट की PPTs पूरी करनी है वरना मैडम अकेले कैसे करेंगी और हाँ.... याद से मैडम को कल फ़ोन कर के बता देना की तुम इस संडे नहीं आने वाली और प्लीज ये मत कहना की घर पर पूजा है! वो बहाना मैंने मारा है|" मेरी बात खत्म हुई और ऋतू वापस कॉलेज लेक्चर अटेंड करने चली गई| मैं भी चाय पी कर वापस आ गया और डेस्कटॉप पर काम करने लगा| उस दिन मैडम से मेरी बात सिर्फ मेल पर ही हो रही थी क्योंकि मैडम लंच के बाद निकल गईं थी| अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस पहुँचा तो बॉस और मैडम को लगा की मेरा जाना कैंसिल हो गया; "जी शाम की बस है और वो PPT वाला काम फाइनल करना था इसलिए आ गया|" इतना कह कर मैं कल वाली PPTs में मैडम के बातये हुए करेक्शन कर रहा था| लंच के बाद मैं सर को बोल कर निकल गया, मैडम पहले ही जा चुकी थीं| मैं घर पहुँच कर तैयार हो कर एक बैग में अपने कुछ कपडे ले कर निकला और ऋतू के हॉस्टल पहुँचा| आंटी जी चूँकि वहीँ थीं तो उन्होंने जबरदस्ती रोक लिया और चाय पिलाई और पूछने लगी; "क्या घर में सत्य नारायण की पूजा है?" अब मैं बड़ा ही धार्मिक आदमी हूँ इसलिए मैं जान बुझ कर चुप रहा और ऋतू की तरफ देखते हुए मैंने चाय का कप अपने होठों से लगा लिया; "जी आंटी जी!" ऋतू बोली| चाय पी कर हम निकले और एक ऑटो में बैठ गए| "भगवान् के नाम से झूठ बोला है तूने, इस पाप की भागीदार तू ही है|" मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा| "कोई नहीं जी! आपके प्यार के लिए ये पाप भी सर आँखों पर|" ऋतू ने जवाब दिया|

                                                  हम दोनों ही बस स्टॉप पहुँच गए पर काम्या और उसका बंदा अभी तक नहीं आये थे| बस आने में अभी करीब आधा घंटा था और मैं और ऋतू आराम से बैठे बातें कर रहे थे| इतने में मैडम का फ़ोन आया और मैं उनका कॉल लेने के लिए बाहर आ गया और हमारी बातें कुछ मेल वगैरह की हो रही थीं| तभी काम्या और उसका बंदा आ गए और सीधा ऋतू के पास बैठ गए| मेरी नजर अभी उन पर नहीं पड़ी थी, इतने में मेरी तरफ एक लड़का चलता हुआ आया| आँखों पर काला चस्म, लेदर जैकेट और मुँह में च्युइंग गम खाते हुए वो मेरे पास रूक गया| मैंने मैडम से एक मिनट होल्ड करने को कहा, उनका कॉल होल्ड पर डालते हुए उसकी तरफ देखते हुए सवालियां नजरों से देखने लगा और तभी वो खुद बोल पड़ा; "Hi! I'm Rohit!" उसने हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया पर मैं अब भी सोच में था की ये कौन है? मेरी उलझन समझ कर वो खुद बोला; "I'm Kamya's boyfriend!" ये सुन कर मैं उसे ऊपर से नीचे फिर से देखने लगा और उसे कहा; "Just a sec! Mam I’ll call you back.” और मैंने मैडम का कॉल काटा और उस अजीब से चूतिये को देख कर मेरी हँसी बाहर आने को बेचैन हो गई| ठण्ड अभी शुरू नहीं हुई थी ये चुटिया लेदर जैकेट पहन के आया था| "You must be Manu?! Ritika’s boyfriend.” उसने बड़े अमेरिकन एक्सेंट के साथ कहा और मेरी हँसी मेरे चेहरे पर झलकने लगी पर मैंने वो फिर भी जैसे-तैसे दबाई और हाँ में सर हिलाया| इतने में काम्या आगई और उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई और बड़ी अकड़ से मेरी तरफ देखने लगी; "How did you like him?” मैं जानता था की मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला तो मेरे मुँह से हँसी निकल जायेगी इसलिए मैंने बस थम्ब्स अप का निशाँ दिखाया और जाने लगा| तभी रोहित मुझे रोकते हुए बोला; "I’m going to get some mineral water, would you like some?” मैंने बस ना में सर हिलाया और ऋतू के पास आ कर बैठ गया| ऋतू ने मेरी तरफ देखा और पूछा; "कैसा लगा रोहित?"

"नजाने क्या मजबूरी रही होगी काम्या की!" मेरे मुँह से बस इतना निकला की ऋतू और मैं दहाड़े मार के हँसने लगे| वहाँ बैठे सारे लोग हमें देख रहे थे और तभी काम्या भी आ गई| उसे देख हमें और भी हँसी आ रही थी और वो बेचारी अनजान हमसे हँसी का कारन पूछ रही थी| ऋतू ने बात घुमा दी और ये बोल दिया की ऑफिस की बात थी! थोड़ी देर में रोहित पानी की बोतल ले आया और हमारे सामने बैठ गया| तभी उसकी नजर ऋतू की रिंग पर गई और उसने पूछ ही लिया, अपनी अमेरिकन एक्सेंट में; "That's a nice ring, who gave you?" ऋतू के जवाब देने से पहले ही काम्या ने उसकी पीठ पर थपकी दी और बोली; "Duffer मानु जी ने दी और किस की हिम्मत है जो रितिका को रिंग देगा?" इतना कहते हुए काम्या ने कॉलेज के पहले दिन वाला काण्ड दोहरा दिया जिसे सुन कर रोहित चुप हो गया| बेचारा complex फील करने लगा तो मैंने सोचा की कोई और टॉपिक छेड़ा जाए; "So guys what’s the plan? Where are we staying and what are we doing?”

“Chill bro! I got it!” रोहित ने कूल बनते हुए कहा|

“Oh really? But can you share it with us?” मैंने कहा तो रोहित बड़े ऐटिटूड में बोला; "Once we reach Jaipur we’re gonna check into a hotel, rest and head out for party at night!”

“Okay! But what’s the name of the hotel we’re checking into? And what’re we doing for 3 days?” मैंने रोहित की गलती निकालते हुए पूछा|

"Sex …Sex….Sex” उसने बड़े casually जवाब दिया, पर ये सुन कर रितिका और काम्या गुस्से में उसे देखने लगीं|

“What? I thought we’re going for sex?” ये सुनते ही काम्या ने अपना पर्स उठाया और उस के मुँह पर मारा| “भोसड़ी के मेरा बर्थडे मानाने जा रहा है या हनीमून?" काम्या के मुँह से गाली सुनते ही मेरी तगड़ी वाली हँसी छूट गई और ऋतू आँख फाड़े मुझे देखने लगी|

“Yaar I was joking!” रोहित ने हँसते हुए कहा पर काम्या का गुस्सा खत्म नहीं हुआ; "साले तुझे बोला था न रितिका के सामने जुबान संभाल के बात करिओ, पर नहीं तूने तो अपनी गांड मरवानी है! सारे बनाये हुए इम्प्रैशन की माँ चोद दी तूने बहनचोद!"  "तू कभी नहीं सुधरेगी!" ऋतू ने काम्या को गुस्से से देखते हुए अपने दाँत पीसते हुए कहा| मेरा हँसनाबंद हो चूका था, अब मुझे सब समझ आने लगा था| कॉलेज ज्वाइन करने से पहले मैंने ऋतू को समझाया था की अपने दोस्त सोच समझ कर बनाना| नशेड़ी,गंजेड़ियों, लौंडियाबाजों से दूर रहना और अगर लड़की से दोस्ती की तो कम से कम वो गाली न देती हो! काम्या गाली देती थी और ऋतू मुझसे ये बात छुपाना चाहती थी| मैंने ऋतू की तरफ देखा और दबी हुई आवाज में कहा; "Seriously??!" ऋतू ने कान पकडे और मुझे सॉरी कहा पर अब कुछ हो भी क्या सकता था|

"Jokes apart, होटल कौन सा बुक हुआ है?" मैंने पूछा|

"वहाँ पहुँच कर देखते हैं!" रोहित अब भी बड़ा निश्चिन्त था| माने आगे कुछ नहीं कहा और चुप-चाप अपना फ़ोन निकाला और Oyo पर दो रूम बुक किये| फिर फ़ोन दोनों की तरफ घुमाया और उन्हें दिखाते हुए बोला; "Rooms बुक हो गये हैं|"

"देख साले और सीख मानु जी से!" काम्या ने रोहित को घुसा मारते हुए कहा| बस के आने कस टाइम हो चूका था और गनीमत है की उसकी टिकट्स काम्या ने बुक करा दी थी| Volvo Super Deluxe आ कर खड़ी हुई और हम चारों अपनी-अपनी सीट्स पर बैठ गए| काम्या और रोहित ठीक हमारे सामने वाली सीट्स पर थे|खिड़की पर ऋतू बैठी थी, मैं aisle सीट में और उधर रोहित खिड़की पर और काम्या aisle सीट पर| 10 मिनट बाद ही बस चल पड़ी और रोहित ने मुझे देखते हुए अपना हाथ काम्या के कन्धों पर रख दिया| पर मुझे कोई दिखावा करने की जर्रूरत नहीं थी, ऋतू खुद ही मेरे कंधे पर सर रख चुकी थी और अपने दोनों हाथों से उसने मेरे दाएँ हाथ को पकड़ लिया| “Did you plan all this?” मैंने ऋतू से बड़े प्यार से पूछा| पर वो मेरी बात समझ नहीं पाई और बोली; "मैं कुछ समझी नहीं?"

"काम्या को मेरे घर मुझे मानाने के लिए भेजना?"

"बिलकुल नहीं!" ऋतू ने चौंकते हुए कहा|

"तो फिर वो मेरे घर कैसे आई? किसने एड्रेस दिया उसे मेरा?"

"उसने बाजार में आपको कई बार देखा था और एक आध-बार वो आपके घर के पास से गुजरी तब उसने आपको घर में घुसते-निकलते हुए देखा था| जब मैंने उसे आपसे इंट्रोडस करवाया था तब बाद में उसने बताया की वो तो आपको जानती है, मेरा मतलब की आप कहाँ रहते हो ये जानती है!"

"अच्छा जी?!" मैंने ऋतू को चिढ़ाते हुए कहा और ऋतू फिर से मेरे सीने पर सर रख कर बैठ गई|
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