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Misc. Erotica सब चलता है
#21
update ?
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#22
महल वाकई में बहुत बड़ा था , मैं और शबनम उस बुड्ढे के पीछे चलते चलते महल के गलियारों से बने हुये बागीचे में पहुचे , जहाँ पर रानी साहिबा बैठी हुयी थी । आज के समय में भी उन्होने अपनी रजवाडों जैसी शान बरकरार रखी थी ।

शबनम ने झुक कर सलामी दी तो मैने भी उनको अभिवादन किया । उन्होनें मूझे बैठने का इशारा किया तो मैं उनके सामने पड़ी हुयी बांस की कुर्सी पर बैठ गया ।

"हमने तुमको एक बहुत खास काम से बुलाया है ।" कह कर वो उठी और मूझे अपने पीछे आने का इशारा किया

मैं और शबनम उनके पीछे हो लिये , अब हम महल के ऊपरी हिस्से में जा रहे थे ।

वो एक बहुत बड़ा कमरा था , बिस्तर के बीचोंबीच कोई एक चादर ओढ़ कर लेता हुआ था ।

रानी साहिबा ने चादर खींच दिया , उफ्फ क्या गुलाबी रंग मानो दूध में मिलाया हो ।

पर बिस्तर पर से जैसे ही चादर हटा, एक दुर्गन्ध पूरे कमरे में फैल गयी । उस लड़की के सारे कपड़े मल मूत्र से सने हुये थे ।

" इसकी सफाई करो , और नहला कर नीचे लाओ । " रानी साहिबा की आवाज में गुस्सा और दर्द एक साथ महसूस किया मैने ।

वो तेजी से वहाँ से निकली और हम भी उनके पीछे हो लिये ।

नीचे दरबान ए खास में तब तक हमारे खाने पीने का बंदोबस्त हो चुका था पर मेरी अब सारी इक्षा मर गयी थी ।

जारी है ....
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#23
Hmm nice start
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#24
महल में रानी साहिबा ने मूझे नाश्ते के दौरान उस औरत या लड़की राधा के बारे में सब बताया , वो उसका ईलाज मैं करू बस इतना ही चाहती थी ।

उसके बाद हम वहाँ से वापिस डिस्पेंसरी आगये , आज कुछ ज्यादा मरीज तो थे नहीं इसलिये मैं अपने कमरे में आकर लेट गया और कब आँख लगी पता नहीं चला ।

शाम तक सोता रहा जब आँख खुली तो देखा शबनम आँखें फाड़े मूझे देख रही है , उसकी निगाहों का पीछा किया तो वो मेरा तना हुआ लन्ड जो शॉर्ट के नीचे तक निकला हुआ था , उसको देख रही थी । मैने फिर आँखे बन्द कर ली और अपना एक हाथ लेजाकर लन्ड को खुजली करते हुये , शॉर्ट को और ऊपर को खींच दिया जिससे आधे से ज्यादा लन्ड अब शबनम के ठीक सामने था ।

उसका गला सूख गया था , आँखे और मुँह दोनो खुले हुये थे , वो उठ कर तखत के पास आगयी ।

शबनम ने उधेड़बुन में अपना हाथ बढ़ाया और जैसे ही उसकी एक ऊँगली ने लन्ड के सुपाडे को छुआ , लन्ड उछलकर उसकी हथेली में आगया और तभी दरवाजे पर दस्तक हुयी । वो हड़बड़ा कर बाहर को चली गयी और मैने करवट बदल ली ।

कोई साधारण सा मरीज था जिसको शबनम ने ही निपटा दिया । पर अब तक लन्ड महराज भी शान्त हो गये थे ।

मैं भी उठ कर हाथ मुँह धो रहा था , तभी वो आयी ।

" आप उठ गये , मैं अपने लिये चाय बना रही हूँ । अब दोनो साथ में पियेंगे । " और वो शर्माते हुये चली गयी ।

मेरा लन्ड अपने नये शिकार की गंध पा चुका था ।

जारी है ....
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#25
Nice start
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#26
Super bro
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#27
Bahut khoob
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#28
लगता हैं, शबनम से शुरुआत होने जा रही हैं। करिये जल्दी धमाकेदार शुरुआत कीजिये।
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#29
update bade bade de do yar kahani to bahot badhiya hai
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#30
चाय पीकर मैने शबनम से कहा , "शब्बो जी , मैं जब से आया हूँ यहॉ आस पास कोई दुकान नहीं देखी । क्या यहाँ पर कोई दुकान नहीं है ? "

"अरे है ना डाक्टर साहब । वो पगडंडी जो उस टीले की तरफ जा रही है उसके दूसरी तरफ वाले गाँव के रास्ते पर है एक दुकान । " उसने वो टीले की तरफ इशारा करते हुये कहा ।

"मैं आता हूँ जाकर । "कहा और मैं उस ओर चल पड़ा लगभग आधा किलोमीटर थी वह दुकान ....

दुकान क्या बस एक टप्पर डाला हुआ था , दोनों तरफ पर्दे लटक रहे थे । एक बुड्ढा बाहर निकला और बोला , "चाय पानी कर लो बाबू साहब , अगले गाँव तक कोई टपरी नहीं है। चार कोस पर है गाँव । "

"मूझे अगले गाँव नहीं जाना है , इसी गाँव में रहना है मूझे । " मैने जवाब दिया

"ओह तो आप ही नये डॉक्टर बाबू हैं । " कहते हुये अन्दर चला गया , मैं भी उसके पीछे पीछे गया ।

एक दुबली पतली सी सांवली औरत चाय बना रही थी , उसके स्तन उसकी चोली से बाहर उबल रहे थे , जैसे जैसे वो चाय की केतली को स्टोव पर हिला रही थी वैसे उसके स्तन भी मचल रहे थे ।

"बैठ जाओ बाबू , ऐसे मत देखो । " उसने देखा मूझे मुस्कुराते हुये देख कर कहा तो मैं झेंप गया ।

"जी एक सिगरेट मिलेगी । " मैने उसकी आँखो में देखते हुये कहा

उसने कहा कुछ नहीं पर एक डिब्बे में से एक सिगरेट निकाल कर अपनी हथेली पर रख कर मेरी ओर बढ़ाया । मैने सिगरेट उठायी और उसकी हथेली को भी सहलाया , तो उसने अपना हाथ पीछे कर लिया और धीरे से बोली , " संभल कर बाबू , ये शहर नहीं है। "

"मूझे गाँव और गाँव के लोग पसंद हैं । " मैने भी जवाब दिया

तभी बुड्ढा बाहर चाय देकर आया और उस औरत से बोला , " ओ री माया , डाक्टर बाबू हैं अपने गाँव के , जल्दी चाय बना इनके लिये । "

"अभी बनाती हूँ जी । " माया ने जवाब दिया
अब चौंकने की बारी मेरी थी , माया उस बुड्ढे की बीवी थी ।

बुड्ढा दूसरी तरफ चाय देने गया तो मैने माया से कहा , "ये तुम्हारा पति है। "

"हाँ , तो तुमको क्या लगा बाप है ! " उसने कहा और बड़ी बड़ी भूरी आँखो से मूझे देखने लगी

थोड़ी देर खामोशी छा गयी , मै सिगरेट पीते हुये चाय पीने लगा ।
(दोस्तो सिगरेट के साथ चाय पीने से गारंटी के साथ पेप्टिक अल्सर होता है । सावधान )

चाय खतम होते ही मैने पैसे दिये जो उसने बहुत जोर देने के बाद लिये ।

मैं जाने लगा तो वो इतना ही बोली , "आइएगा जरूर । "

मैं उसको इशारा करता हुआ बाहर निकला तो बुड्ढा बोला , " सुनिए डाक्टर साहब । "

"हाँ बोलो बाबा । "मैंने जानबूझकर उसको बाबा कहा

"जी .... वो ...... मु ...मुझे .... मर्दानगी वाली दवा चाहिए । "उसने झेंपते हुये कहा ।

"ठीक है ... हॉस्पिटल आकर ले जाना । " मैंने मुस्कुराते हुये कहा और पलट कर तेज कदमों से वापिस चल दिया ।

वापिस आया तब तक शबनम खाना बना चुकी थी । थोड़ी देर गाँव और आसपास की जानकारी लेते हुये बाते की और फिर खाना खा कर दोनों वहीं लेते हुये बाते करते करते सो गये ...

जारी है ......
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#31
(03-11-2019, 12:27 AM)bhavna Wrote: लगता हैं, शबनम से शुरुआत होने जा रही हैं। करिये जल्दी धमाकेदार शुरुआत कीजिये।

आती रहिए ।
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#32
Good going super story in making
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#33
सुबह मेरी आँख खुली तो शबनम सोयी हुयी थी । वो एकदम सीधी लेती हुयी थी उसके बड़े बड़े स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे । उसका कुर्ता ऊपर को उठ गया था , उसकी गहरी नाभि और थोड़ा बड़ा पेट साफ नुमाया हो रहा था । वो बहुत गोरी है , उसकी पटियाला सलवार से झांकती हुई गोरी पिंडलियों पर बालों का नामो निशान भी नहीं था । उसने अपना एक पैर सिकोडा और वो पैर ज्यादा समय ऊपर नहीं रहा ।

पैर के बगल को ढलकते ही उसकी योनि का उभार भी नुमाया हो गया । कटि प्रदेश उभरा हुआ , घने बाल जो उसकी सफेद सलवार के ऊपर तक अपनी उपस्थिति का एहसास अपने काले रंग से करवा रहे थे ।

उसने एक हाथ उठाया और अपनी योनि को खुजलाने लगी , वो नींद में ही थी । और उसने हाथ हटाया नहीं बल्कि योनि की लम्बाई में हाथ सलवार के ऊपर से ही फेरने लगी ।

बीचोंबीच एक ऊँगली से वो योनि की दरार में घिस रही थी । वो मेरे सामने ही सोते हुये हस्तमैथुन कर रही थी और मैं तखत पर लेता करवट लिये हुये अपने तने हुये विशाल लन्ड पर पूरी लम्बाई में उसकी लय से ताल मिला रहा था ।

उसकी सफेद सलवार पर योनि का गीला पन अब दिखने लगा था , वो अब एक हाथ से अपने कुर्ते के ऊपर अपने स्तनों को मसलने लगी । और उसकी योनि से बहुत सारा कामरस उसकी सलवार को भिगो रहा था ।

उसका बदन अब अकड़ने लगा था , वो अब स्खलन के नजदीक थी । उसका पूरा बदन कांपने लगा और निप्पल तन गये ।

उसकी सिसकियाँ निकल रही थी । उसको अब मेरे वहाँ होने सोने या जागने का कोई फर्क नहीं था ।

उसके नितंब अब हवा में थे और वो कंपन के साथ नीचे को आगयी । और दोनों पैरों को सिकोड़ कर आपस में सटा लिया ।

वो झड़ चुकी थी , और अब शायद वो उठने का सोच रही थी , मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली ।

सिर्फ ये एहसास किया वो उठी और बाहर चली गयी ।

जारी है ....
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#34
Mast story hai
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#35
(03-11-2019, 09:25 PM)Johnyfun Wrote: Mast story hai

dhanyawad
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#36
exciting story in making
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#37
Nice n fantastic update
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#38
अच्छी शुरुआत हुई है जी इसे लगातार जारी रखिए
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#39
(04-11-2019, 01:13 AM)asha10783 Wrote: अच्छी शुरुआत हुई है जी इसे लगातार जारी रखिए

वेलकम
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#40
Waiting dear ?
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