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Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#21
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#22
अध्याय
 
माँठाकुराइन जैसा कहा मैंने वैसे ही किया| मैं उनके बगल में जाकर बैठ गई| वह बड़े प्यार से मेरे सर पर मेरी पीठ पर अपने हाथों से मुझे सहलाती हुई बोली, “क्या उम्र है तेरी, छोरी?”
मैंने कहा, “जी उन्नीस साल...

तेरी नदिया का बांध कब टूटा?”

यह सुनकर मैं थोड़ा शर्मा गई क्योंकि मुझे पता था माँठाकुराइन यह जानना चाहती थी कि मेरा मासिक किस उम्र से शुरू हुआ है| मैंने मुस्कुराते हुए सर झुका कर कहा, “जी आज से करीब सात आठ साल पहले से ही शुरू हो गया था…”

फिर तो सबकुछ ठीक ही चल रहा हैबड़ी हो गई है तू... तेरी जवानी का फल पक चुका है...  बहुत सुंदर भी है तू... मुझे तू पसंद है| यह लड़की तो सयानी हो गई है; देख छायामैं तो हूं एक तांत्रिक औरतमैं तेरे जोड़ों का दर्द ठीक कर दूंगी, लेकिन मेरी क्रिया कर्म के लिए मुझे ऐसी जवान कच्ची उम्र की लड़की की जरूरत थी| अच्छा हुआ यह लड़की तेरे साथ ही रहती है वरना मैं तो सोच रही थी कि बारिश की वजह से जितनी देर हो गई पता नहीं किसको बुला कर लाना पड़ेगा कौन मिलेगी इस वक्त? कहां मिलेगी? जैसा जैसा मैं कहूंगी क्या तू इस लड़की से वैसा वैसा करवाएगी, छाया?”

माँठाकुराइन वैध जी की तरह मेरा बड़ा सा जुड़ा दबा दबा कर देख रही थी मानो अंदाजा लगा रही हो कि मेरे बाल अगर खुल जाए तो कितने लंबे दिखेंगे| हालांकि जब मैंने उनको प्रणाम किस करने के लिए जमीन पर घुटने टेक कर बैठ के अपना माथा जमीन पर टिका कर अपने बालों को आगे की ओर फैला दिया था, तब शायद उन्होंने देखा होगा कि मेरे बाल बहुत ही लंबे हैं, पर उनका आशीर्वाद लेने के बाद ही मैं उठ कर खड़ी हो गई थी और अपने बालों को समेट कर जुड़े में बाँध लिया था तो शायद उन्होंने गौर नहीं किया होगा| कुछ भी हो उनका मुझे इस तरह से छूना मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था| क्या बड़ी हो जाने से, जवान हो जाने से, ऐसा ऐसा महसूस होता है?

जैसा आप कहेंगी माँठाकुराइन, मैं वैसा ही करूंगी और मेरी यह लड़की; मेरी लाडली... मेरा सब कहा मानती है| इसके बारे में आप चिंता मत करना| आपको इससे जो भी काम करवाना हो आप एक बार कह कर तो देखो यह जरूर कर देगी| बोलिए क्या हुकुम है इसके लिए?”, छाया मौसी बोलीं| वह शायद किसी भी सूरत में अपने इस जोड़ों के दर्द का इलाज करवाना चाहती थीं|

बड़ी खुशी की बात है और मेरी पसंद की मछलियां भी तो तू लाई होगी?”

जी हां, माँठाकुराइन; मुझे मालूम है इसलिए सुबह ही मैंने आपका सामान मंगवा लिया था

अरे वाह! तो देर किस बात की है? अपनी इस लड़की से बोल रसोई में जा कर के हम तीनों के लिए पीने के लिए ले कर आए और साथ में मेरी पसन्द की मछलियाँ भी

छाया मौसी ने बड़े प्यार से मेरी तरफ देखते हुए बोली, “जा माया जा, हम तीनों के लिए थाली में खाना परोस के ला| माफ करना बिटिया मैं तेरे से दासी बंदियों की तरह काम करवा रही हूं| कहां मैं तेरा ख्याल रखूंगी लेकिन इस कमबख्त जोड़ों के दर्द की वजह से मैं कोई काम ही नहीं कर पाती... और हां सुन रसोई में रखे थैले में एक शराब की बोतल होगी उसमें से एक गिलास में एक चौथाई शराब और बाकी पानी डालकर माँठाकुराइन के लिए लेकर आना और माँठाकुराइन की थाली मैं कम से कम चार मछलियां रखना|”

मैं उठ कर रसोई की तरफ़ जाने को हुई कि माँठाकुराइन बोलीं, “इसके बाल अभी भी गीले है| इससे कही कि अपने बॉल खोल दे| मौसम अच्छा नही है, मैं नही चाहती कि इसे ठंड लग जाए... मुझे अभी इसके बदन और जवानी की ज़रूरत होगी|”

छाया मौसी ने मुस्कुराकर बड़े प्यार से मेरे से कहा, “हां हां ठीक बिटिया- अपने बाल खोल दे
मैं उठ कर खड़ी हुई अपने बालों बालों का जुड़ा खोलने लगी कि कितने में माँठाकुराइन बोली नहीं, नहीं इसके बाल मैं खोलूँगी...

मैं भी मुस्कुरा कर उनकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई| माँठाकुराइन ने बड़े प्यार से मेरे बाल खुले और उन्होंने मेरी पीठ पर उनको फैला दिया मेरे बाल लंबे हैं, मेरे नितंबों के नीचे तक पहुंचते हैं यह देख कर उनको जरूर अच्छा लगा होगा|

वाह क्या काले घने लंबे रेशमी बाल है तेरे”, माँठाकुराइन ने तारीफ की|

उन्होंने मेरे बालों को सहलाया और फिर मेरे कूल्हे थपथपा कर बोली, “जा छोरी मेरे लिए कुछ पीने को लेकर आ...

मेरे रसोई में चली गई|

इतने में माँठाकुराइन छाया मौसी से बोली, “बड़ी हो गई है यह लड़की... जवान हो गई है... सुंदर है... इसका खून गर्म है, क्या इरादा है? क्या सोच रखा है इसके बारे में? कोई अच्छा सा लड़का देखकर के इसकी शादी करवा दोगी क्या?”

अब क्या बोलूं? मुझे एक न एक दिन मुझे इसे विदा तो करना ही होगा| इसके बाप का तो कुछ अता पता है ही नहीं... बस पैसे ही भेजता रहता है| इसकी शादी करवाने के लिए मुझे ही कुछ ना कुछ करना होगा|”, छाया मौसी ने कहा|

तूने तो इस लड़की को बिल्कुल सांस्कारिक तौर से पाल पोस कर बड़ा किया है, लेकिन तूने इसको पुराने जमाने की रखैल तहज़ीब  के बारे में नहीं बताया?”, माँठाकुराइन ने पूछा|

लेकिन यह सब तो दासी बांदियों के लिए होता था... और मैने तो इस लड़की को अपनी बेटी की तरह पाला है... इस लिए हमारी इस बारें में कोई बात ही नही हुई...”, छाया मौसी बोलीं|

अगर तूने इसकी शादी करा दी तो यह तो अपने ससुराल चली जाएगी... और तू तो बिल्कुल अकेली पड़ जाएगी| फिर तेरी देखभाल कौन करेगा? अभी घर में यह जवान लड़की है घर के सारे काम काज कर लेती है अच्छा होगा तो इसे अपने पास ही रख|”

लेकिन ऐसे कैसे मैं इसे अपने पास रखूं? एक न एक दिन तो इसकी शादी करानी ही होगी

वह बाद की बात है लेकिन फिलहाल कुछ सालों तक तू इसे अपने पास ही रख…”

यह आप क्या कह रही है माँठाकुराइन?” मौसी थोड़ा अचरज के साथ बोली|

मैं ठीक ही कह रही हूं यह तेरे पास रहेगी मैं भी इसका इस्तेमाल कर सकूँगी| तंत्र मंत्र की क्रिया कलापों में जवान लड़कियों की यौन ऊर्जा की जरूरत पड़ती है| इस लड़की के अंदर मुझे लगता है वह सब कुछ है जो मुझे चाहिए...  मैं आज ही इसे वश में कर दूंगी| जब तक तू चाहे है यह तेरी रखैल- तेरी दासी बनके रहेगी साथ में यह मेरी भी सेवा करेगी|”

लेकिन माँठाकुराइन मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं? आखिर यह किसी और की लड़की है मैं तो सिर्फ इसकी देखभाल करती हूं...”, छाया मौसी थोड़ा हिचकिचाई|

माँठाकुराइन ने छाया मौसी को डांटते हुए कहा, “बस बस ज्यादा हिचकिचा मत| तू मुझे ज़ुबान दे चुकी है और भूल गई मेरे कितने एहसान है तेरे ऊपर? बख्शी बाबू को मैंने ही राजी करवाया था तुझे घर में पनाह देने के लिए| अब तुझे अपना उधार चुकाने का वक़्त आ चुका है... तेरे पास यह जो लड़की है, मुझे चाहिएऔर तुझे इस लड़की को मुझे देना ही होगा...
 
क्रमश:
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#23
Hmm to ye ladki Ko dasi banane ke liye sauda ho gya
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#24
सुन्दर शुरुआत
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#25
Ghzab ki romanchak kahani yai
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#26
Wink 
(16-01-2019, 10:17 AM)Johnyfun Wrote: Hmm to ye ladki Ko dasi banane ke liye sauda ho gya

जी हां उसे क्या मालूम था कि उसकी किस्मत में यह सब लिखा हुआ है|  उसे तो सिर्फ इतना पता था कि मांठकुराइन उनके घर आने वाली है और उनकी दुआ से मौसी के जोड़ों का दर्द ठीक हो जाएगा... लेकिन माठकुराइन के इरादे तो कुछ और ही था
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#27
Heart 
(16-01-2019, 12:28 PM)Lala Ora Wrote: सुन्दर शुरुआत

जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आशा है की पूरी कहानी भी आपको अच्छी ही लगेगी कृपया साथ बने रहिएगा।  Heart Heart Heart
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#28
(16-01-2019, 01:46 PM)Johnyfun Wrote: Ghzab ki romanchak kahani yai

मेरी कहानी पढ़कर आपको अच्छी लगी इस बात की मुझे बहुत खुशी है और मुझे आशा है किस कहानी को पढ़कर आप निराश नहीं होंगे आपका बहुत बहुत धन्यवाद Heart Heart Heart
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#29
Zabrdast kahani hai agle update ke intezar mein
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#30
अध्याय ५        
 
छाया मौसी और माँठाकुराइन के बीच क्या बातचीत हुई इसका मुझे कोई अता-पता नहीं था| लेकिन रसोई में से मैं उनकी आवाज सुन रही थी| माँठाकुराइन ने जब डाँट कर मौसी से कुछ कहा यह भी मुझे सुनाई दिया था... खैर जो भी हो मैं एक थाली में मछलियां सजाकर और दूसरी थाली में दो गिलास और शराब की बोतल ले कर छाया मौसी के कमरे कमरे में दाखिल हुई, तो देखा कि माँठाकुराइन ज़मीन पर बैठी हुईं हैं अपने आगे उन्होने तीन मोमबत्तियाँ जला रखी है

उनका झोला उनके पास ही रखा हुआ है उसमें से उन्होने एक मिट्टी से बना लोटा निकाला और एक शीशी में से शायद कोई भस्मी जैसी कोई चीज़ निकली|

कमरा मोमबत्तियों की सुनहरी रौशनी से भरा हुआ था| खुली हुई खिड़कियों से ठंडी- ठंडी हवा आ रही थी और बाहर फिर से जोरों की बारिश शुरू हो गई थी- बिजली कड़क रही थी| छाया मौसी सेहरे पर एक अज़ीब सा भाव लिए पलंग पर बैठी हुई थी|

मैने दोनों थालियाँ माँठाकुराइन सामने रख दी|

माँठाकुराइन ने मुझसे कहा, “लड़की इस लोटे में कुए का पानी भरकर ला|”

लेकिन बाहर तो बारिश हो रही है, माँठाकुराइन”, मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा|

जानती हूं लेकिन मेरे तंत्र-मंत्र के लिए कुएं का पानी जरूरी है मुझे तेरी मौसी का इलाज करना है ना, इसलिए…”

मैंने मुस्कुराकर उनके हाथों से वह मिट्टी का लोटा लिया और भरी बारिश में आंगन के कोने में खुदे हुए कुएं से पानी लेने दौड़ती हुई गई| घर से बस में दो कदम ही बाहर  निकली थी कि भारी बारिश में मैं पूरा का पूरा भीग गई| वापस आते आते मैं यही सोच रही थी कि मौसी ने तो अपना इतना इलाज करवाया लेकिन उनके जोड़ों का दर्द आज तक ठीक नहीं हुआ, शायद तंत्र-मंत्र से वह ठीक हो जाए

मैं वैसे ही भागती हुई कमरे में दाखिल हुई|

मैंने देखा की छाया मौसी भी माँठाकुराइन के साथ नीचे ज़मीन पर बैठ  कर  शराब पी रही है|

जिंदगी में आज तक कभी मैंने छाया मौसी को शराब पीते हुए नहीं देखा था लेकिन आज देख रही थी और तो और न जाने क्यों मुझे लगा कि माँठाकुराइन मुझे एक अजीब सी ललचाई नजरों से देख रही है| उनकी आंखों में कुछ ऐसा था जिसे देख कर मैं थोड़ा डर सा गई| मुझे याद है एक दिन मैं बाजार से लौट रही थी, तब रस्ते में एक पेड़ के नीचे दो रिक्शावाले बैठे हुए थेवह मुझे कुछ इसी तरह से ही देख रहे थे| उनकी आंखों में एक हवस की प्यास थी, “अच्छा हुआ कि तू मेरी तांत्रिक क्रिया से बिल्कुल पहले इस अमावस की रात की बारिश में भीग कर नहा गई
मैंने पानी का लोटा उनके सामने रखा, इतने में माँठाकुराइन बोली, “मेरे सामने जरा घुटनों के बल बैठ जा लड़की मैं तेरे माथे पर इस भस्मि का तिलक लगा देती हूँ

उन्होंने जैसे ही मेरे माथे पर वह तिलक लगाया मेरा सर चकरा सा गया और आंखों के सामने कुछ देर के लिए अंधेरा सा छा गयाउस वक्त मुझे तो मालूम ही नहीं था की माँठाकुराइन ने वह तिलक मुझे वश में करने के लिए लगाया था और उसका असर भी होने लगा था...

मैं थोड़ा संभल कर बोली, “मैं कपड़े बदल कर आती हूं

इसकी कोई जरूरत नहीं, मैं यही चाहती हूं कि तू अपने सारे कपड़े यही उतार दे....  मैं तुझे नंगी देखना चाहती हूंमैं तेरी मौसी के लिए जो तांत्रिक क्रिया करने जा रही हूं उसके लिए तुझ जैसी एक जवान लड़की को अपनी सारी शरम भूल कर मेरे सामने बिल्कुल खुली नंगी होना पड़ेगा...

यह सुनकर मैं एकदम चौंक गई| अजीब सी बात है  माँठाकुराइन का ऐसा कहने पर भी मौसी ने उनसे कुछ नहीं कहा... लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी मैं पूरी तरह माँठाकुराइन के वश में आ चुकी थी|
मैं चुपचाप उठ कर खड़ी हो गई धीरे धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी|

लड़की तुझे याद होगा मैंने कुछ देर पहले ही रखैल तहज़ीब का जिक्र किया था; मैं जो तंत्र-मंत्र करने वाली हूं उसके लिए मुझे एक रखैल की जरूरत है; जो कि तेरे जैसे ही जवान हो, खूबसूरत हो और जिसका खून तेरे खून जैसा गर्म हो... और मैं उसे अपनी दासी- एक बाँदी- की तरह इस्तेमाल कर सकूं| रखेल तहज़ीब के तहत दासियाँ- बांदिया को बदन पर कपड़े रखने की इज़ाज़त नही होती है| इसलिए जबतक मैं ना कहूँ तू इस घर में नंगी ही रहेगी... न तो तू कपड़े पहनेगी  और ना ही अपने बालों को बांधेगी...  मेरे मुझे तेरे बाल बिल्कुल खुले के खुले चाहिए और हां तेरा बदन बिल्कुल नंगा... ”, माँठाकुराइन ने कहा|

छाया मौसी भी चुपचाप मुझे एक एक कर के अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटिकोट उतारते हुए देखा| मैंने कोई अंतर्वास नहीं पहन रखा था इसलिए अब मैं माँठाकुराइन के सामने मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी मेरे बाल भी खुले हुए थे

यह देख कर माँठाकुराइन बोली, “तुम लोगों के घर में घुसने से पहले, मुझे गुसलखाने से किसी के नहाने की आवाज़ आ रही थी| इसलिए मैं चुपचाप घर के पिछवाड़े में जा कर देखने की कोशिश की कौन है? उससे पहले मैने रास्ते में मैने इस लड़की को तेरे घर की तरफ जाते हुए देखा था... मुझे गुसलखाने के दरवाजे में छेद दिख जाई क्योंकि उनमे से रौशनी आ रही थी| उनमें से झाँक के मैंने देखा था कि यही लड़की नहा रही है| हालांकि इसकी पीठ मेरी तरफ थी लेकिन इसको देखकर मैंने ठीक ही समझा था कि यह लड़की अच्छे जात की है, क्या लंबे घने काले घने रेशमी बाल है इसके, बड़े-बड़े सुडौल दुद्दु (स्तन), अच्छे मांसल कूल्हेमुझे जैसी लड़की की जरूरत थी यह बिलकुल वैसी ही है|”

यह कहकर माँठाकुराइन ने अपने झोली से एक तस्वीर निकाली| यह तस्वीर एक बुजुर्ग औरत की थी उसके सर पर बड़ी बड़ी मोटी मोटी लंबी लंबी जटाएँ थी शायद यह माँठाकुराइन की गुरु रही होंगी... उन्होंने तस्वीर निकालकर छाया मौसी से कहा कि वह भी सिर्फ़ एक जंघीए के सिवाय अपने सारे कपड़े उतार दे और उनको कमरे के एक तरफ बैठने के लिया कहा|

फिर माँठाकुराइन ने छाया मौसी को वह तस्वीर पकड़ा दी और बोली कि वह इस तस्वीर को अपनी गोद में लेकर बैठे| उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि उनके आगे जो तीन मोमबत्तियां जल रही थी; मैं उन्हें छाया मौसी के पास एक त्रिकोण आकर में सजा के रखूं- एक मोमबत्ती उनके सामने और बाकी दो मोमबत्तियाँ उनके एक एक तरफ|
फिर माँठाकुराइन ने मेरे से कहा कि मैं अपनी छाया मौसी- जो कि अपनी गोद में वह तस्वीर लिए बैठी हुई थी- उनके सामने उकडूँ होकर बैठ जायुं|

माँठाकुराइन जैसे जैसा बोलती गई मैं बिल्कुल वैसा वैसा करती गई| उसके बाद माँठाकुराइन ने अपने लोटे से थोड़ा पानी लेकर पता नहीं क्या मंत्र बड़बड़ाती हुई के मेरे सर के ऊपर कुछ छींटे मारे- उनके ऐसा करते ही मेरे पूरे बदन में मानों एक तरह की बिजली सी दौड़ गई| इस बारे में अब कोई दो राय नही थी की बस्तव में वह एक ताकतवर और तजुर्बेदार तांत्रिक थी|

उसके बाद माँठाकुराइन ने अपने लोटेसे पानी लेकर के मेरी योनि और मेरा गुदा धोया और जो पानी बच गया था उन्होंने उसमें थोड़ी सी शराब मिलाकर उसे पीने को दी|

उस दिन के पहले मैंने कभी शराब नहीं पी थी| इसलिए शराब की झांस लगते ही मैं खांसने लग गई| लेकिन माँठाकुराइन मेरे बालों को सहला- सहला कर मुझे दिलासा देती हुई मुझे शराब और पानी का मिश्रण पीने को उकसाती रही|

मैंने बस थोड़ी सी ही शराब पी थी, पर मुझे नशा चढ़ गया था| कहीं मंत्रों का असर तो नहीं था? पता नहीं|
पर माँठाकुराइन का इंतजाम शायद अभी पूरा नहीं हुआ था| उन्होंने मुझे ज़मीन पर चित लिटा कर मेरे बालों को मेरे सर के ऊपर एक चादर की तरह फैला दिया| फिर उन्होंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगी होकर, उस लोटे में थोड़ा सा तेल- जो कि वह अपने साथ लेकर आई थी- वह डाला और लोटे को बिल्कुल मेरी योनि के सामने रख दिया| उसके बाद वह मेरे बालों पर पालती मारकर बैठ गईजैसे कि वह मेरे बालों का एक आसान बनाकर उसके ऊपर बैठी हो|

मैंने नशे की हालत में किसी तरह से नजरें उठाकर उनको देखा उनकी आंखें मानो उनके माथे के अंदर धँस गई थी... आंखों का सिर्फ सफेद हिस्सा ही दिख रहा था और वह अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएं कुछ मंत्र बड़बड़ा रही थी... और मेरी छाया मौसी एकदम जड़ बनी हुई सिर्फ़ एक जंघिया पहने माँठाकुराइन की गुरु की तस्वीर अपने गोद में लिए बैठी हुई थीउसके बाद मैं ना जाने कहाँ खो गई

क्रमश:
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#31
Waah bemisaal romanchak kahani hai. Ye maa thakurayin to lesbian lagti hai.....lol
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#32
(17-01-2019, 02:48 PM)Johnyfun Wrote: Waah bemisaal romanchak kahani hai. Ye maa thakurayin to lesbian lagti hai.....lol

आपका धन्यवााद। यह इस कहानी का एक twist है।
आगे कुछ और भी बाकी है। आशा है कि आप से मुझे रेटिंग और रेप्स मिलजाएंगे।
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#33
super exciting story evoking strong curiosity too

Great going
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#34
(17-01-2019, 07:31 PM)Bregs Wrote: super exciting story evoking strong curiosity too

Great going

Thank you. Your encouragements are a great source of inspiration for me. Heart  Heart Heart
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#35
अध्याय
 
जब मुझे होश आया तब मैंने देखा कि मैं जमीन पर ही पड़ी हुई हूं, मेरी गर्दन एक तरफ लुढ़की हुई है और मेरे खुले हुए मुंह से टपकते हुए लार से मेरे चेहरे का एक हिस्सा बिलकुल गीला हो गया था| मेरे सिर के बाल बिल्कुल उसी तरह खुले और फैले हुए थेजिन पर माँठाकुराइन अपना आसान लगा कर बैठी थी|

उसके बाद मैने देखा माँठाकुराइन और छाया मौसी कमरे की एक तरफ बैठी हुईं हैं| मोमबत्तियां तभी भी जल रही थी लेकिन उनका आकर काफ़ी छोटा हो गया था| मोम गल कर फैल गई थी|

मोमबत्ती से बने उस त्रिकोण के अंदर, जहां पहले छाया मौसी बैठी हुई थी, अब वहां वह लोटा रखा हुआ था और अभी भी छाया मौसी सिर्फ जांघिया पहने हुए ही बैठी थी; पर माँठाकुराइन ने अपने बदन पर एक साड़ी लपेट ली थी और वह छाया मौसी को बड़े प्यार से खाना खिला रही थी|

यह देख, छाया! देखा मैंने कहा था ना कि हमारी रखैल को थोड़ी ही देर में होश आ जाएगा?” मुझे धीरे-धीरे जागते देखकर के माँठाकुराइन बोली|

मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था... मुझे बहुत तेज प्यास भी लग रही थी| शायद माँठाकुराइन यह बात भाँप गई और उन्होंने गिलास में थोड़ी सी शराब डाली और उसमें थोड़ा सा पानी मिलाया और बोली, “अपने चेहरे से मुँह से टपकी हुई लार को पोंछ ले लड़की... उसके बाद थोड़ा सा पी भी ले... इससे तेरे सर का दर्द गायब हो जाएगा
मैं किसी तरह उठकर डगमगाते हुए उनके पास गई और आदत अनुसार अपने बालों को गर्दन के पीछे इकट्ठा करके एक जुड़ा बांधने को हुई; तभी माँठाकुराइन ने मुझे रोका, “अरी नहीं-नहीं लड़की! भूल गई मैंने तुझसे कहा था ना कि जब तक मैं ना कहूं, तुझे अपने बालों को बांधने की इजाजत नहीं है? और फिलहाल तू नंगी ही रहेगी चल अब हमारे सामने उकडूँ होकर बैठ जा और गटागट थोड़ी सी शराब पी लें....  नशा कर लेउसके बाद मैं अपने हाथों से तेरे को खाना खिलाऊंगी...

फिर वह छाया मौसी से बोली, “अभी तो इसे तेरी मालिश करनी है| तेरे सो जाने के बाद मैं भी इस से इसके नरम नरम हाथों से अपनी मालिश करवाऊंगी...

मैं उनके सामने उकडूँ हो कर बैठ कर, छोटे छोटे घूँट ले ले कर धीरे धीरे शराब पी रही थी|

माँठाकुराइन बड़े प्यार से मेरे बालों को सहलाती रही... मेरे स्तनों पर हाथ फेरती रही... उन्हें हल्के हल्के दबा दबा कर देखती रही फिर उन्होंने कहा, “बहुत अच्छे बड़े- बड़े से दुद्दु हैं इसकेबिल्कुल तने-तने से...

माँठाकुराइन ने अपनी झोली से एक उस्तरा निकाला और बोलीं, “मैं उस्तरे से अपनी इस रखैल के झाँटों (जघन के बालों) की सफाई करूंगी| देखा नहीं कैसा जंगल सा बना हुआ है इसके दो टांगों के बीच में? मुझे तो इसका भग (योनांग) भी दिखाई नहीं दे रहाऔर अभी तो मैंने इसकी जवानी का स्वाद भी नहीं चखा| काफी दिन हो गए मुझे अकेले रहते रहतेमैं अपनी मालिश करवाऊंगी इससे... खूब प्यार करूंगी इसको... जी भरके भोगुंगी इसकी ज़वानी को... इस खिलती हुई कली को मैं एक सुंदर सा फूल बना दूंगी और यकीन मान छाया उसके बाद यह सिर्फ तेरी ही होकर रह जाएगी| बस जब जब मैं तेरे पास आऊंबस रात भर के लिए इस लड़की को मेरे पास छोड़ देना... “, माँठाकुराइन मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से में हाथ फेरती हुई- मुस्कुराती हुई बोलीं|

मेरे सर का दर्द ठीक हो गया था मैं थोड़ा चंगा भी महसूस कर रही थी| लेकिन मुझे नशा चढ़ता जा रहा था, माँठाकुराइन की बातें न जाने क्यों मुझे अच्छी लग रही थी|

मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन सी जाग रही थी और मेरा मन में पता नहीं क्यों एक अजीब सा यौन एहसास भरता जा रहा था|


क्रमश: 
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#36
Waah ghzab ki romanchak kamukta se Bhari hui kahani hai. Maa thakurayin to pakki tharki hai kamsin Kali ka rasta peene Ko Betaab hui ja Rahi hai
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#37
bahut hi badiya story ban rahi hai

ab maa thakurayin kya kargei sali bahut rehasmayi se aurat hai
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#38
(18-01-2019, 11:21 AM)Johnyfun Wrote: Waah ghzab ki romanchak kamukta se Bhari hui kahani hai. Maa thakurayin to pakki tharki hai kamsin Kali ka rasta peene Ko Betaab hui ja Rahi hai

:D :D :D
हा -हा -हा...  आपने बिल्कुल सही समझा 
:D :D :D 
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#39
(18-01-2019, 07:57 PM)Bregs Wrote: bahut hi badiya story ban rahi hai

ab maa thakurayin kya kargei sali bahut rehasmayi se aurat hai

जी हाँ, इसी रहस्य का छौंका  मैंने कहानी की शुरुआत में ही लगा दिया था.... 
Shy Shy :D :D Heart Heart :D :D Shy Shy
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#40
waiting for next update ?
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