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Misc. Erotica सब चलता है
#1
Heart 
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#2
कजरी घुटनों के बल तखत पर थी और अपनी कोहनी में मुँह झुकाये हुए सिसकियाँ ले रही थी , अपने दर्द को दबाये हुए सौ रुपये के लिये मेरा मूसल जैसे लन्ड से अपनी चूत का भुर्ता बनवा रही थी । बेचारी करती भी क्या मेरा एक फुट लम्बा और मोटा लन्ड जो था । वह तो खेली खायी थी नहीं तो मेरे लन्ड की मार से मर ही गयी होती । आआह भईया अब बस करो ..... सिसियाते हुए कजरी की चूत से गरम लावा फूट रहा था ।

मैं भी झड़ने के करीब था ..... गूर्र्र्र्र्र मेरे गले से इतना ही निकला और मेरे बदन में कंपकंपी आगयी ..... सारा खून लन्ड की तरफ जा रहा था ।

मेरी एक उंगली कजरी की गाँड में धंस गयी और मेरे वीर्य उसकी चूत में भरने लगा ।

मैं हांफते हुए उसके बगल में पसर गया , वो अभी भी कूल्हे उठाए उसी हालत में थी ।

जैसे ही वो सीधी हुई उसकी चूत से ढेर सारा वीर्य उसकी जाघों से होते हुए नीचे गिरने लगा ।

कजरी ने सब साफ किया और जाते जाते दरवाजा बन्द करके चली गयी ।

वो मेरी 46 साल की दुबली पतली सांवली सी कामवाली थी जिसका पति 24 साल पहले गुजर गया था ।

जारी है ........
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#3
कजरी के जाने के बाद मैं भी उठा और नहा धो कर अपने ऑफीस जाने की तैयारी करने लगा ।
दोस्तो पहले मैं अपने बारे में थोड़ा आपको बता देता हूँ । मेरा नाम राजा है 23 साल का हूँ और उoप्रo के एक छोटे से कस्बे में इसी साल mbbs करके पोस्टिंग हुयी है ।

मेरी सारी परेशानी की जड़ मेरा लम्बा मोटा लन्ड है जिसके कारन आज तक कोई लड़की से मेरी सेटिंग नहीं हो पायी जिसने भी लन्ड देखा ऐसा भागी कि पलट कर वापिस नहीं आयी ।

वो तो भला हो इस कजरी का जिसने एक सुबह मूझे बाथरूम में मूठ मारते हुए देखा और मेरे लन्ड की दीवानी हो गयी ।

खैर कजरी के जाने के बाद मैं हॉस्पिटल जाने के लिये निकल पड़ा और वहाँ पहुँच कर पता चला कि मेरा ट्रान्स्फर एक बीहड़ गाँव में कर दिया गया है ।

मरता क्या ना करता जैसे तैसे दिन निकाला और शाम को कमरे पर आया तो बुझे मन से जाने की तैयारी करने लगा

जारी है .....
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#4
Badhaoo kahani ko . Mast hai
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#5
(29-10-2019, 08:16 PM)jamanuram Wrote: Badhaoo kahani ko .  Mast hai

पूरी कोशिश रहेगी
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#6
Start mast h
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#7
Waiting
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#8
nice start......

pls continue......
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#9
सी एम ओ के यहॉ से अपने पेपर और जरूरी जानकरी लेकर निकल पड़ा ... हाँ जाते जाते एक बार और कजरी के साथ चुदाई करना नहीं भुला । अब ना जाने कब चूत के दर्शन होंगे ।

बस पकड़ कर तीन घन्टे लगे उस बियाबान में पहुचने में , जैसे ही बस से उतरा ....

"आप नये डाक्टर बाबू हैं ...? " खनकती हुयी मादा आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर किया ।

वो भरे बदन वाली 34-35 साल की साधारण से सलवार में माथे पर बड़ी गोल बिन्दी , गोरा रंग गोल चेहरा ।
उसने आगे बढ़ कर मेरा एक बेग ले लिया , "मैं अस्पताल की दाई .... सफाई कर्मचारी और अब आपकी कुक भी हूँ । "

बोलते हुये वो आगे बड़ी और मैं उसके मटकते हुये कूल्हे देखते हुये पीछे पीछे चलने लगा ।

"क्या नाम है तुम्हारा ? " मैने उसके बगल में आते हुये कहा

"जी शबनम , पर सब मुझको शब्बो कह कर बुलाते हैं । "

हम दोनो तेज कदमों से चलते हुये आखिर दो घंटो में अस्पताल पहुँच गये । मैं तो बहुत थक गया था , अपने कमरे में सामान रख कर पसर गया ।
कब आंख लगी पता नहीं चला ।

बहुत देर तक सोता रहा , उठा तो शाम का अंधेरा घिर आया था और मूझे भूख भी लगी थी । बहुत अच्छी खुशबू भी आरही थी , खाने की ।

मैं हाथ मुँह धोकर निकला तभी शब्बो ने किचन से मूझे खाना लाकर दिया , " क्या बनाया है , बहुत अच्छी खुशबू आरही है ! "

"मिक्स सब्जी रोटी और दाल चावल । " उसने मूझे थाली पकड़ाते हुये कहा । " वो अपनी थाली भी ले आयी और वही सामने नीचे बैठ कर खाने लगी ।

खाना बहुत अच्छा बना था । खा कर मैं दोबारा पसर गया , मैने अब ध्यान दिया कि उसका कोई अलग कमरा नहीं है । वो थोड़ी देर में सब काम निपटा कर अपना बिस्तर लायी और वहीं नीचे लगा कर लेट गयी ।
मैं भी सो गया

जारी है .....
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#10
रात काे जोर जोर से दरवाजा पीटने की आवाज से आँख खुली , दरवाजा शबनम ने ही खोला । वो चार लोग थे एक औरत भी थी , वही बोली " बच्चा फंस गया है , जल्दी कुछ करो । "

"साब जल्दी आओ " बोलते हुये वो बाहर डिस्पेंसरी की तरफ भागी ।
हमने जाकर देखा तो जच्चा और बच्चा दोनो की हालत खराब हो रही थी , किसी तरह से हम दोनो ने फँसा हुआ बच्चा निकाला और वो दोनो अब ठीक थे ।

उसके बाद शबनम उन सब पर चिल्लाने लगी "पहले और समय पर हॉस्पिटल नहीं ला सकते थे अभी दोनो मर जाते तो कौन जिम्मेदार होता । लड़की इतनी छोटी उमर की है अभी उसकी उमर खेलने की है ना कि माँ बनने की । "

मैने उसको किसी तरह शान्त किया वो सब भी चले गये । घड़ी देखी सुबह के पांच बजने को थे । मैने अपने जूते पहने और टहलने निकल गया । वहाँ से आकर नहाया और तब तक शबनम ने सब्जी पराठा बना लिया था । खाया और डिस्पेंसरी में जाकर बैठ गया ।
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#11
बहुत ज्यादा लोग अस्पताल नहीं आते थे । इक्का दुक्का ही लोग थे ज्यादतर पुरुष ही थे । तभी एक पुराने मॉडेल की एंबेसेडर कार आकर रुकी तो शबनम उस कार की तरफ गयी , कुछ देर तक वो बात करती रही फिर मेरी तरफ कुछ देख कर इशारा किया ।

फिर कार का दरवाजा खुला और एक शानदार रोबीली औरत उसमे से उतर कर आयी और बैठ गयी ।

"डाक्टर साहब ! मैं रानी प्रभा देवी हूँ । आपको हमारे महल चलना होगा। " उनका लहजा आदेशात्मक ही था ।

मैं कुछ बोलता उसके पहले ही शबनम बोल पड़ी , " मैं अपने साथ लेकर समय पर आऊँगी । "

शाम के चार बजे होंगे मैं शबनम के साथ महल के दरवाजे पर था। इस वीराने में ऐसा महल कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था । शबनम को वहाँ पर सभी लोग जानते थे ।

"रानी साहिबा , आपका ही इन्तेजार कर रही हैं । " एक बुड्ढा हमको अन्दर आने का इशारा करते हुये बोला ।
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#12
Nice story...
[+] 2 users Like bhavna's post
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#13
Nice story update pls
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#14
Great start
[+] 1 user Likes Johnyfun's post
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#15
Nice start
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#16
Great...Story
Please continue..
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#17
nice........
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#18
Badiya kahani hai
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#19
nice story in making
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#20
Waiting
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