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Romance मोहे रंग दे
(28-10-2019, 11:25 AM)Black Horse Wrote: ूू

हमारी भूली हुई धरोहर को संजोकर रखने वाले के लिए यह तो बहुत कम है। 
दिवाली पर एसी नज़्म मिल जाए तो दिवाली की शुभकामनाएं में चार चांद लग जाते हैं। ‌ ‌

मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी

अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं


.....

सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या





हफ़ीज़ बनारसी

....


यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़
तेरे ख़्याल की खुश्बू से बस रहे हैं दिमाग़..

फ़िराक़

.........................

दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत

यह इक चिराग़ कई आँधियों पे भारी है..


वसंत बरेलवी
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हिम्मत बनाये रखें, हम जानते है कि

यह इक चिराग़ कई आँधियों पे भारी है..
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रबड़ी

[Image: rabri-recipe22.jpg]

रबड़ी उनको पसंद नहीं थी। 

 

सिर्फ नापंसद नहीं थी , बल्कि सख्त नापसंद , मैंने देखा था रिसेप्शन वाले दिन , उनकी इमरती की प्लेट में किसी ने जरा सा एक आधी चमच रबड़ी डाल  दी ,

 

बस प्लेट उन्होंने जस की तस छोड़ दी।

[Image: rabdi-imarti-buzzntravel-1410614168-540x540.jpg]

 

मैं फ्रिज के सामने खड़ी देख रही थी , एक बड़े से बाउल में रबड़ी रखी थी ,  एक पाँव से ज्यादा ही थी।  

पांच सौ ग्राम आयी थी , सासू जी ने थोड़ी सी ही खायी थी बाकी सब बची थी। 

 

क्या करूँ , कुछ समझ में नहीं  आ रहा था। 



 

फिर मैंने तय कर लिया  , 

कोमल. अब ये लड़का क्या पसंद करता है क्या नापसंद , उसको नहीं तय करना है , ये कोमल तय करेगी। 


[Image: K-2-2698d0f1959307ca6c00be3137c8ef44.jpg]

 

मैं मुस्करायी , 

उनकी नो नो वाली पूरी लिस्ट मेरे दिमाग में घूम गयी।

 

बस मैंने ड्राई फ्रूट वाले डिब्बे खोले , और कतरे हुए काजू , बादाम , पिस्ता, केसर ,...

 

और तभी मुझे एक और डिब्बा दिख गया बड़ा छोटा सा और मेरे चेहरे पर हंसी दौड़ गयी , मंझली ननद ने उस डिब्बे का राज बताया था ,

 

जो  रोज  रात को सुहाग रात के पहले दिन से हमारे कमरे में दूध रखा जाता था ,  उसमें ये ,... 

पता नहीं क्या क्या हर्ब्स थीं , ... शिलाजीत , अस्तावर , ... 

मंझली ननद ने बताया तो हम दोनों हँसते हुए लोट पोट हो गए

 

' शक्तिवर्धक , वीर्यवर्धक , कामोत्तेजक , मदन चूर्ण '

 

मैंने एक मिटटी का बड़ा सा सकोरा उठाया और पहले सबसे नीचे वही उसी डिब्बे से , 


 ढेर  सारी , और फिर बाउल  से रबड़ी , और उसके ऊपर कतरे  काजू बादाम , केसर , पिस्ता 

और फिर उसी हर्ब वाले डिब्बे से और ढेर सारा छिड़क दिया , ...

[Image: Rabdi-4-500x500.jpg]


 

मैंने बस एक सावधानी बरती , एक अल्युमिनियम फ्वायल से उसे कवर कर लिया ,

 

फिर वो दूध वाला ग्लास और मिटटी का रबड़ी से भरा सकोरा लेकर दबे पांव ऊपर कमरे में ,...

 

कमरे में घुसते ही पहले मैंने ट्रे अंदर मेज पर रखा और दरवाजा बंद कर लिया। 

 

बेताब , बेसबरा , उनका चेहरा एकदम , .... भुकरा बोले , पूरे आठ मिनट हो गए हैं। 



 

बस अब मैं नहीं कहीं जाउंगी पक्का , 

और दूध का ग्लास उनके मुंह पर लगा दिया ,

 

लेकिन वो भी , ... तुम भी पियो ,...

 

आधा ग्लास दूध , उसमें भी , ... मैंने पीया थोड़ा सा और फिर सीधे चुम्मी से उनके मुंह में और बाकी ग्लास भी।

[Image: kiss-17969831.gif]

 

" सकोरे में क्या है " 


लगता है उनकी छठी इन्द्रिय जग गयी थी।

 

" कुछ भी हो तुमसे मतलब , ... मेरे उसके लिए है , तुम चुप रहो ,... और सीधे से लेट जाओ , आँखे बंद। "

 

अच्छे बच्चे की तरह वो लेट गए , और मुंह भी खोल दिया , आँख बंद

 

नाइटी तो मेरी उनको दूध पिलाते ही निकल गयी थी , 

बस मैंने एक निप अपना उनके खुले मुंह में डाल दिया ,

 

यही तो वो चाहते थे , ...

 

' न हिलना न आँख खोलना "


मैंने उन्हें चेताया , वरना

 

सर हिला के उन्होंने एकदम मेरी शर्त मानने की हामी भरी ,

 

बस , ... मैंने सकोरे में से रबड़ी , खूब गाढ़ी थी , ... अपने दूसरे उभार पर अच्छी तरह , निपल से लेकर ऊपर तक ,....

[Image: jethani-whipped-cream-6891345755-mamelon...slip-4.jpg]

 

" लो अब ये वाला लो ,' 

 

और एक निप निकाल के रबड़ी से लिपडा लिथड़ा अपना उभार सीधे उनके मुंह में

 

और  अबकी मैंने पूरी ताकत से , सिर्फ निप्स ही नहीं आधे से ज्यादा बूब्स भी उनके मुंह में, अब वो सपड़ सपड़ चाट  रहे   थे , 


आधे से ज्यादा मेरा मस्त उभार  उनके मुंह में ठूंसा हुआ था ,

 

एकदम उसी तरह जिस तरह से वो अपने मूसलचंद को मेरी गुलाबो में पूरी ताकत से ठेलते थे , उसी तरह पूरी ताकत से  मैंने भी ठेल रखा था। 


[Image: nips-sucking-18378503.gif]

 

खूब गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मेरे जोबन से लिपटी , अब मेरी चूँची से सीधे उनके मुंह में ,

 

उनका मुंह तो बंद था , पर मेरा मुंह तो खुला था , बस मैंने सीधे उनके कान के पास ले जाकर ,

 
जिस दिन छत पर मैंने खुल कर गारी  गायी थी


 खास तौर से उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , गुड्डी का नाम लेकर , 


[Image: guddi-cute-6f9df4ab3705d8c48a47e94b4406c954.jpg]


उन गारी गानों का असर मैं देख चुकी थी , बस , मैं चालू हो गयी। 
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गुड्डी --- गारी 

[Image: school-14484667-1113083218739947-3035903...3520-n.jpg]





खास तौर से उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , गुड्डी का नाम लेकर , उन गारी गानों का असर मैं देख चुकी थी , बस , मैं चालू हो गयी। 

 
चलो देख आयीं , आजमगढ़ का जीजी आई सी  , चलो देख  आयीं   आजमगढ़ का जी जी आई सी ,

[Image: GGIC-college-1533546548.jpg]

 
जहाँ पढ़े हमारे सैयां की बहना , जहाँ पढ़ें हमारी ननदी छिनार , ... अरे गुड्डी छिनार
 
अरे गुड्डी स्साली , न पढ़ें में तेज , न पढ़ावे में तेज ,
 
अरे गुड्डी स्साली , न पढ़ें में तेज , न पढ़ावे में तेज ,

[Image: Pakistan-School-Girls-Photos-Pakistani-C...ot-com.jpg]
 
अरे गुड्डी छिनार , नौ नौ लौंडे फँसावे में तेज ,
 
हमरे सैयां से चुदवावे में तेज ,
 
चलो देख आयीं , आजमगढ़ का जीजी आई सी  , चलो देख  आयीं   आजमगढ़ का जी जी आई सी ,



 
जहाँ पढ़े हमारे सैयां की बहना , जहाँ पढ़ें हमारी ननदी छिनार , ... अरे गुड्डी छिनार
 
अरे गुड्डी छिनार, हमरे सैंया क लौंड़ा घोंटे में तेज ,


[Image: Guddi-nips-tumblr-pbuncap5-Nw1wrpxd5o1-540.jpg]
 
अपने भैया से चोदवावे में तेज ,
 
 
जब तक वो मेरे एक जोबन से रबड़ी सपड़ सपड़ चाट रहे थे , मैंने बाकी रबड़ी अपने दूसरे उभार पर अच्छी तरह , ...
 
और   कुछ देर बाद मैंने एक निकाल कर दूसरा उभार उनके मुंह में ठेल दिया और साथ में छेड़ा भी ,
 
" अरे नन्दोई खाएं वो भी बिना गाली के , कैसे होता ,.. "
 
" मैं नन्दोई , कैसे " 


उनके मुंह से निकला पर आगे कुछ  बोलने के पहले , मैंने अपना दूसरा जोबन उनके मुंह में ठेल दिया ,

[Image: nips-G-24584280f0e4eee20467ef711fc35de6.jpg]
 
और एक बार फिर वो रबड़ी सपड़ सपड़ मेरे जोबन पर और उनकी बात का मैंने जवाब दिया
 
" आखिर मेरी छुटकी ननदिया पर चढ़ोगे तो नन्दोई ही होंगे , ... "
 
और अपनी बात की ताकीद के लिए उनके मोटे खूंटे को मुठियाने लगी ,

[Image: Guddi-holding-cock-tumblr-n0pfh2dp3s1qaoeoqo1-400.gif]

 
और जैसे मूसलचंद से पूछ रही हूँ , बोली , 

" बोल फाड़ोगे न मेरी ननद की कोरी कच्ची बुरिया , बहुत चुदवासी हो रही है वो , ... "
 
उन्होंने जवाब अपने अंदाज में दिया , कस कस के अब वो मेरे जोबन को चूस रहे थे चाट रहे थे ,
 
मूसलचंद मेरी मुट्ठी में एकदम कड़क , ... जैसे मौका मिलते ही मेरी नन्द को , गुड्डी रानी को चोद देंगे ,
 
और मैं चालू हो गयी
 
चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय
 
हमारे सैंया क बहिनी घूमे बाजार , अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार , करे सोलह सिंगार


[Image: Guddi-be22430b7358e1a2610294b08f585f77.jpg]
 
अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार करे सोलह भतार , छिनरो कहे एको नहीं
 
 
चंदा छिप जाय बीच बदरियन में , चंदा छिप जाय बीच बदरियन में ,
 
अरे गुड्डी छिनारिया घूमे बाजार करे सोलह भतार , छिनरो कहे एको नहीं
 
दस आगे लगावें , दस पीछे भतार , दस खड़े मुठियावें उनके भतार ,
 
दस रहरियों में , दस गन्ने के खेत में उनके भतार ,
 
....
 
गारी का असर और वो भी गुड्डी के  नाम का जबरदस्त पड़ा , दूने जोश  से अब वो रबड़ी चाट रहे थे , मेरे निप्स चूस रहे थे , 

मैं हलके हलके मुठिया रही थी , कभी  चूम  कभी इयर लोब्स हलके से काट लेती , 

साथ में उनके निप्स भी स्क्रैच कर देती , हलके हलके मैं उनके कान में फुसफुसा रही थी ,
 
"ऐसे ही मेरी ननदिया की कच्ची अमिया भी चूसना मजे ले ले कर , अरे आराम से चुसवायेगी वो और नहीं तो मैं हूँ न उसका हाथ पैर  पकड़ने को। बड़ा मजा आएगा तुझे उन कच्चे टिकोरों को कुतरने में ,  

अरे इस उम्र में उसकी जो कस के मिजोगे मसलोगे , मजे ले ले के चुसोगे न उसकी , देखना जबरदस्त जोबन आएगा उसका 

वो भी बहुत जल्द, अरे चूँचिया उठान का मजा ही  अलग है ,  


[Image: Girl-468fbc9259f0dc608968b4b996bbe5db.jpg]

हाँ हाँ और कस के चाटो , बोला न दिलवाऊंगी उसकी , सिर्फ छोटी छोटी चूँचियाँ ही नहीं उसकी कच्ची गुलाबी चूत भी , ... "
 
लंड उनका बस पागल नहीं हुआ , एकदम कड़क , सुपाड़ा पूरा फूला ,  एकदम मोटा कड़क , ... 


[Image: sixteen-cock-2.jpg]


र मैंने उनकी ममेरी  बहन का नाम  लेकर एक और गारी चालू कर दी , 
 
अरे हमारे वीर बलिया ,
 
अरे लीपी पोती  ओखरिया  , अरे लीपी पोती  ओखरिया  ,
 
अरे उसपे राखी पेटरिया ,  अरे उसपे राखी पेटरिया , 
 
पेटरी उतारे गयीं हमरे सैयां जी क बहिनी , अरे


 
 
पेटरी उतारे गयीं गुड्डी छीनरिया  , भोंसड़ी में गड़ गयी लकडिया
 
अरे हमारे वीर बलिया ,
 
अरे लीपी पोती  ओखरिया  , अरे लीपी पोती  ओखरिया  ,
 
अरे उसपे राखी पेटरिया ,  अरे उसपे राखी पेटरिया , 
 
पेटरी उतारे गयीं हमरे सैयां जी क बहिनी , अरे
 
 
पेटरी उतारे गयीं गुड्डी स्साली  , गंडिया में गड़ गयी लकडिया
 
दौड़ा दौड़ा हो हमरे आनंद भैया , हमरे छोटे भैया ,
 
भोंसड़ी से खींचा लकडिया , अरे मुंहवा से खींचा लकडिया ,
 
अरे गांडियो से खींचा लकडिया ,
 
 
 
दो दो बार  मेरे दोनों उभारों से , सकोरे की आधी से ज्यादा रबड़ी मेरे साजन के पेट  में चली गयी थी।  


मैंने अपनी ब्रा उनके आँखों पर कस के बांध रखी थी , लेकिन स्वाद तो ,...
 
 
मैं अब बिस्तर पर लेटी थी ,   वो मेरे ऊपर  ,    जब तक वो एक जो,
 
बन से रबड़ी सपड़ सपड़ चाट कर साफ करते मैं दूसरे उभार पर ,... और खुद उनका मुंह खींच कर उसके ऊपर ,...
 
अब कसोरे में बस थोड़ी सी रबड़ी बची थी लेकिन तब भी एक कटोरी से ज्यादा ही होगी।
 
मुझे एक शरारत सूझी , अभी थोड़ी देर पहले ही तो उन्होंने मेरी कटोरी से होनी मलाई सफाचट की थी ,  और वो भी एक कटोरी से कम क्या रही होगी , बस
 
मैंने बची खुची रबड़ी अब अपनी खूब फैली , खुली जांघों के बीच , सीधे मेरी चुनमुनिया पर , ... 


और हाथ से अच्छी तरह लथेड़ भी दिया ,  गुलाबो  के दोनों होंठ फैला कर , कुछ उसके अंदर भी

[Image: cum-soaked-P-2.jpg]

 
और उन्हें जबरदस्ती ठेल कर , सीधे उनके होंठ मेरी सहेली के ऊपर , ... और हाँ अब मैंने उनकी आँखों के ऊपर बंधी अपनी ब्रा खोल दी , ....  मैं सरक कर एकदम पलंग के किनारे पर थी और वो फर्श पर बैठे , ... उनके होंठ मेरी चिकनी चमेली पर से रबड़ी ,
 
 
चूत चटोरे तो वो जबरदस्त थे ही , अब थोड़ी देर में मेरी हालत खराब , चूतड़ पटक रही थी  सिसक रही थी
 
हाँ अब उनकी आँखे भी खुली थीं , कमरे में रौशनी भी थी , खिड़कियां बंद भले ही थी पर , परदे सारे खुले और  उस दिन पूनम की रात थी , ...
 
और वो खुली आँखों से देखते , मेरी चूत पर लिथड़ी चुपड़ी रबड़ी चाट रहे थे ,  और मैं चूतड़ उचका उचका के , चटवा रही थी , कस के मैंने उनके सर को पकड़ आकर अपनी बुर पर दबा रखा था , जीभ से उन्होंने मेरी दोनों फांको को खोला और उसके अंदर की भी रबड़ी ,  जीभ अंदर घुसेड़ कर
 
 
" हाँ ऐसे  ही चाटो न मेरे राजा , जल्द  ही अपनी ननद की भी इसी बिस्तर पर दिलवाऊंगी , ... बोल न चोदेगा न गुड्डी को हचक हचक के , ... "
 
बस मेरा इतना कहना काफी था , उन्होंने मेरी दोनों टांगों को उठा के अपने कंधे पर रखा , सारी तकिया कुशन मेरे चूतड़ के नीचे , मैं पलंग के किनारे लेटी और वो फर्श पर खड़े , ... मेरी जाँघे खूब फैली ,
 
उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उईईईईई नहीं , .... पहले धक्के में ही मेरी जोर की चीख निकल गयी।
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" हाँ ऐसे  ही चाटो न मेरे राजा , जल्द  ही अपनी ननद की भी इसी बिस्तर पर दिलवाऊंगी , ... बोल न चोदेगा न गुड्डी को हचक हचक के , ... "

 
बस मेरा इतना कहना काफी था , उन्होंने मेरी दोनों टांगों को उठा के अपने कंधे पर रखा , सारी तकिया कुशन मेरे चूतड़ के नीचे , मैं पलंग के किनारे लेटी और वो फर्श पर खड़े , ... मेरी जाँघे खूब फैली ,



 
उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उईईईईई नहीं , .... पहले धक्के में ही मेरी जोर की चीख निकल गयी।


[Image: fucking-CU-12195176.jpg]
 
अगले धक्के में उनका सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पर , और मैं चीख  रही थी सिसक रही थी , दोनों हाथों से चादर को  कस  के पकडे थी ,
 
और इस समय सब कुछ भूल कर वो सिर्फ मुझे चोद रहे थे , न उनके हाथ मेरे जोबन पर , न कुछ चुम्मा बस सिर्फ धकापेल चुदाई ,


[Image: stand-fucking-16876010.gif]
 
कुछ देर में  मैं भी उनका साथ दे रही नीचे से अपने नितम्बो को उचका उचका के ,
 
कभी चीख रही थी कभी सिसक रही थी , और पंद्रह बीस मिनट तक लगातार ,
 
मैं अब तक समझ गयी थी दूसरी बार ये   बहुत अधिक टाइम लेते हैं ,
 
और उस तूफ़ान मेल चुदाई का असर हुआ की मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गयी , 


[Image: Fucking-ruff-tumblr-m6xgmfr0ox1qeskczo1-500.gif]


पर बजाय धक्के धीमे करने के  धक्का उनका , सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पर
 
और  फिर आलमोस्ट पूरा निकाल कर के ,  एक तो वो मोटा भी कितना , ... बीयर कैन सा मोटा , 

मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा , रगड़ता दरेरता फाड़ता  चूत में घुसता तो जान निकल जाती और लम्बा भी पूरा बांस ...
 
थोड़ी देर में मैं झड़ रही थी और उसके बाद भी उनका सुपाड़ा बच्चेदानी पर बार बार
 
मैं रुकती फिर झड़ना शुरू कर देती।



….जब मैं झड़ झड़ के थेथर हो गयी तो वो रुके ,  और उन्होंने अपना खूंटा बाहर निकाल लिया ,
 
( ये कोई पहली बार नहीं था की एक राउंड  में ही वो मेरी पोज़ बदल बदल कर चुदाई करें ) ,


 
और मैं उन्हें पकड़ कर खड़ी हुयी , उनकी ओर पीठ कर के , ...
 
मेरी निगाह एक बार फिर  रबड़ी वाले सकोरे पर पड़ी , अभी भी उसमें थोड़ी सी रबड़ी दीवालों से लगी बची थी ,
 
मुझे एक शरारत सूझी , ... उन्हें दिखाते हुए सब  रबड़ी मैंने अपनी उँगलियों में लपेटी , और एक बार फिर से अपनी गुलाबो पर , ...
 
यही नहीं , रबड़ी में लिथड़ी एक ऊँगली मैंने अपनी कसी चूत में पूरी ताकत से ठेल दी कर चार पांच बार पूरी तरह अंदर बाहर करने के बाद , गोल घुमाते , उन्हें दिखाते ललचाते निकाला , और सीधे उनके होंठों के पास , ...
 
खुद मुंह खोल कर के मेरी चूत से निकली , रबड़ी से लिथड़ी , अपने मुंह में ले कर मस्ती से चूसने लगे , ...
 
 
और जब उन्होंने ऊँगली बाहर निकाली , तो एकदम साफ़ चिक्क्न , ...
 
मैंने मुस्कराते हुए उनका कंधा दबा दिया और इशारा वो अच्छी तरह समझ गए ,
 
बस घुटनों  के बल बैठ कर , एक बार  फिर उनके होंठ मेरे निचले होंठों से चपक गए ,


[Image: pussy-licking-M-creampie18405450.gif]
 
सच में क्या मस्त चूसते चाटते थे वो , मेरी दोनों फांको को अपने होंठों के बीच दबोच कर जब वो चूसते थे तो बस जान नहीं निकलती थी , ... और ऊपर से उनकी जीभ भी न , कभी मेरी प्रेम गली के अंदर घुस कर अंदर का हाल लेती , जैसे उनका खूंटा जब अंदर घुसता था , देह एक गिनगीना जाती थी , ... 


एकदम उसी तरह ,... उनकी जीभ भी लंड से कम किसी तरह नहीं थी , और ऊपर से जब वो क्लिट पर फ्लिक  करते थे , ...


[Image: Pussy-licking-man-tumblr-o89jy1zn-J11ujuybio2-500.gif]
 
और अभी सब वो एक साथ कर रहे थे , ...
 
मेरी उँगलियों में अभी कुछ रबड़ी बची थी , बस मैंने ,... 


अपने पिछवाड़े वाले छेद  के चारो ओर  और कुछ सीधे उस गोल छेद पर भी , अच्छी तरह लपेट दिया ,

[Image: asshole-tumblr-p0vc6pkj-YM1wcyq6do1-1280.jpg]

 
मेरे कुछ कहने की जरुरत नहीं थी , आज ये लड़का एकदम पागल था ,
 
बस लम्बे छेद से उनकी जीभ सरक कर गोल छेद के चारो ओर , जितनी रबड़ी मेरे पिछवाड़े लगी थी सब चाट चाट कर , ... 



और उसके बाद जीभ की टिप गोल छेद के अंदर ,
 
और साथ में दो ऊँगली मेरी गुलाबो के अंदर , खचाखच , खचाखच , सटासट , सटासट ,
 
अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर , ... 

एक ओर जीभ 


[Image: ass-licking-M-tumblr-orkimx8-Vwm1sf68sto4-500.gif]


और दूसरी ओर उनकी दो उँगलियाँ , ... 



और जैसे इतनी मस्ती काफी नहीं थी , उनका अंगूठा मेरे क्लिट  के ऊपर कस कस के रगड़ने लगा ,
 
मेरा बस मन कर रहा था , ये लड़का अब , ...
 
अब बस अपना मोटा लंड मेरी चूत के अंदर पेल दे , हचक हचक के चोदे , ...
 
और वो लड़का उसे बिना मेरे कुछ कहे मेरे दिल की हर बात मालूम पड़ जाती थी , आखिर मेरा दिल उसी के पास तो था ,..
 
और वो मूसलचंद  झड़ा भी  तो नहीं था  एकदम बौराया ,  उन्होंने अपनी मुट्ठी में उसे पकड़ा ( वो मोटा मेरी मुट्ठी में तो आता नहीं था ) और म
 
मुझे लगा अब पेलेंगे , कस कर ठेलेंगे ,.... लेकिन वो बदमाश आज  मुझे सिर्फ तंग करने के मूड में था , ...



 
बस वो मोटा सुपाड़ा मेरी योनि के मुहाने पर रगड़ रहा था ,

[Image: fucking-CU-14922089.jpg]

 
मेरी चूत में आग लगी थी , पर, .... वो आज बजाय आग बुझाने के आग में घी डालने में तुला हुआ था ,
 
मेरी देह गिनगीना रही थी , मस्ती से आँखे बंद  हो रही थीं ,  मैं खुद अपनी पीछे कर के अपनी गीली हो रही बिलिया  उनके मोटे खूंटे पर रगड़ रही थी ,
 
बस मन कर रहा था ,... वो नालायक किसी तरह अंदर घुसेड़ दे , ,,,, मैंने खुद अपने हाथों से अपनी दोनों फांको को फैलाया पर ,
 
अबकी उस शैतान ने सुपाड़े को हलके से मेरे क्लिट पर रगड़ दिया ,...
 
मेरी पूरी देह में आग लग गयी , मुझसे नहीं रहा गया , मैंने अपनी गर्दन पीछे मोड़ी और बड़ी बड़ी आँखों से इसरार करते खुद बोली ,
 
" हे डालो न ,.... "
 
पर वो आज बदमाश , जितना मैंने उसे छेड़ा था सबका सूद सहित बदला लेने पर तुला था , हलके से मुस्कराकर उसने मुझे चूम लिया और पूछा ,
 
" क्या , ... डालूं ".
 
मैं समझ गयी आज ये मुझे बुलवा के छोड़ेगा , और ऐसी आग लगी थी , 

कुछ देर पहले जो नीचे बैठ कर कस कस के जो उसने चूसा था और अब जिस तरह से वो रगड़ रहा था , अपना सुपाड़ा , 

मैं हिचकचायी पर हलके से बोली ,
 
" यही ,... ये ,... अपना लंड ,... "
 
एक हाथ  से उसने कस के मेरे जोबन दबोच लिए , और दूसरे हाथ में तो मोटा मूसल वो पकड़ के रगड़ रहा था ,... सीधे मेरी बिल पे ,
 
" कहाँ " ... उसने फिर पूछा। 
 
मेरे तो मन में आये उसकी माँ बहन को दस दस मोटी मोटी गाली सुनाऊँ , पर जिस तरह से एक बार उसने कस के रगड़ा , मैं बोल पड़ी ,
 
" मेरी चूत में "
 
बस , क्या मस्त धक्का मारा उसने , इतनी जोर की चीखी निकली मेरी जरूर घर में नीचे तक पहुंची होगी , आधे से ज्यादा मूसल अंदर था ,
 
दरेरते , रगड़ते , फाड़ते
 
मन भी करता था , दर्द से जान भी निकलती थी , ...
 
मैं खड़ी तो रही पर अपना एक घुटना मोड़ कर मैंने अब पलग पर रख लिया ,
 
और मेरी जाँघे थोड़ी और खुल गयीं , बस उसने एक करारा धक्का और मारा , साथ में मेरे जोबन की रगड़ाई मसलाई चालू हो गयी ,
 
तीसरे धक्के के साथ उसका मोटा सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पर , क्या जोर का धक्का मारा था , खूब जोर की चीख निकली मेरी
 
उईईई उईईईईई उईईई नहीं नहीं ओह्ह्ह जान निकल गयी ,
 
पर उस पर कुछ भी फर्क नहीं पड़ा , पड़ता भी कैसे , मैंने तो खुद ही अपनी कसम उसे धरायी थी , पहली रात में ही
 
" चाहे मैं चिल्लाऊं , रोऊँ , खून खच्चर हो जाऊं , भले ही मरे दर्द के मैं बेहोश हो जाऊं , ... तुम्हे मेरी कसम , मुझे ये पूरा चाहिए , चाहिए तो चाहिए , एकदम यहाँ तक , "
 
और मैंने उस मोटे मूसल के बेस तक हाथ से बता दिया और तीन तिरबाचा भरवाया , अपनी तीन बार कसम खिलवाई थी ,
 
और अब तो उसे ये मेरा राज मालूम हो गया था की मुझे जितना दर्द होता है , उतना ही ज्यादा मज्जा आता है ,
 

 [Image: Fukcing-standing.gif]
 
पहली बार मैं खड़ी खड़ी चुदवा रही थी , लेकिन उसने जिस तरह से मुझे पकड़ रखा था , मेरा सारा बोझ उसके हाथों में , उसकी देह पर ,
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कुछ तो बात है कोमल रानी आपकी कहानीयो‌ मे,
जोयह समझ में नहीं आता कि कहानी के हिसाब से फोटो चुनती हो या फोटो के हिसाब से कहानी,
पर लिखती कमाल हो।
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(29-10-2019, 09:47 PM)Black Horse Wrote: कुछ तो बात है कोमल रानी आपकी कहानीयो‌ मे,
जोयह समझ में नहीं आता कि कहानी के हिसाब से फोटो चुनती हो या फोटो के हिसाब से कहानी,
पर लिखती कमाल हो।

kuchh nahi bahut kuchh hai komal ki kahaniyo me...
itna ki taarif ke liye shabd kam pad jate hai...
harek baariki ka dhyan....
ye unki ada lajawab aur kamaal hai
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(29-10-2019, 09:47 PM)Black Horse Wrote: कुछ तो बात है कोमल रानी आपकी कहानीयो‌ मे,
जोयह समझ में नहीं आता कि कहानी के हिसाब से फोटो चुनती हो या फोटो के हिसाब से कहानी,
पर लिखती कमाल हो।

यह सब आपकी तारीफ़ का कमाल है , और आपकी नज़र का फेर , वरना मैंने तो बस कलम घसीट हूँ , जैसा हुआ , देखा सुना , वैसा लिख दिया
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(30-10-2019, 05:11 PM)chodumahan Wrote: kuchh nahi bahut kuchh hai komal ki kahaniyo me...
itna ki taarif ke liye shabd kam pad jate hai...
harek baariki ka dhyan....
ye unki ada lajawab aur kamaal hai

aap bhi na ...


chaliye agli post varana kahenge ki bich men chood diya , ..poori baat nahi batayi
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खड़ी खड़ी 


[Image: kamsutra-standing.jpg]






पहली बार मैं खड़ी खड़ी चुदवा रही थी , लेकिन उसने जिस तरह से मुझे पकड़ रखा था , मेरा सारा बोझ उसके हाथों में , उसकी देह पर ,

 
जिस पर मैंने अपनी पूरी जिंदगी का बोझ डाल दिया था ,
 
और अब जब लंड पूरी तरह अंदर घुस गया था , 

उनका एक हाथ मेरे जोबन पर और दूसरा मेरी कमर पर , जहाँ से उनकी ऊँगली सरक कर मेरी गुलाबो का हालचाल ले लेता था ,

[Image: standing-20089544.gif]

 
मेरी गुलाबो खुद सिकुड़ कर उनके खूंटे को दबोच रही थी , जैसे अब बाहर नहीं निकलने देगी ,
 
मैंने पीछे मुड़ कर उन्हें चूम लिया ,

 थोड़ी देर में जिस तरह उन का मूसल मेरे अंदर घुसा था , उनकी जीभ मेरे मुंह में , और मैं कस कस के चूस रही थी ,
 
 इसी स्वाद के लिए तो मैं तरस रही थी हफ्ते भर से , 

ऊपर वाले होंठ में , 

[Image: kiss-15990458.gif]

नीचे वाले होंठ में

[Image: fucking-CU-17537737.jpg]

 
उन्होंने दोनों हाथों से कस के मुझे पकड़ लिया था और अब हलके हलके धक्के मार रहे थे ,
 
सच में खड़े खड़े चुदवाने का मजा ही अलग था ,
 
उनकी तरह मुझे भी डॉगी पोज में मजा बहुत आता था , इसलिए इन्हे चिढ़ाकर , उकसा कर , उनकी बहनों का नाम ले ले कर , ...
 
पर जब वो कुतिया बना के मुझे लेते थे तो बस , मैं उन्हें देख नहीं पाती थी ,
 
अभी तो मैं मुड़ के न सिर्फ उन्हें देख रही थी बल्कि कस के के उन्हें चूम रही थी , 


[Image: standing-14803032.jpg]


अपने मुंह में घुसी उनकी जीभ कस के चूस रही थी ,
 
मेरा एक हाथ भी , गुलाबो पर , ... और उसमें अंदर बाहर हो रहे मूसल को छू देता था ,
 
में अपनी देह उनकी देह पर रगड़ रही थी


[Image: standing-21943487.gif]
 
मैं पलंग के सिरहाने खड़ी थी , एक हाथ से सिरहाना पकड़े , उसका सपोर्ट लिए , 

मैंने एक पैर मोड़ कर , घुटने के बल , पलंग पर रख दिया था ,
 
और एक हाथ उस लड़के की गर्दन पर , .... जो बहुत बहुत बदमाश था , ... और उतना ही प्यारा भी ,...
 
धक्के लगाने का काम अगर उसका था 


तो मुड़ कर चुम्मा लेने का मेरा , कभी उसकी जीभ मेरे मुंह में , तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में , कभी मैं उसके होंठों को जीभ को चूसती , 

तो कभी वो ,

[Image: standing-21595494.gif]
 
इस चुम्मा चाटी के साथ जो उसकी फेवरिट चीज़ थी , और जो मेरी देह में भी आग लगा देती थी , 


वो काम उसका एक हाथ कर रहा था , 

जोबन मर्दन , 


[Image: 18a7bd501fed67543994e9e178a5465d.jpg]

कभी वो हलके हलके सहलाते तो कभी अचानक पूरी ताकत से रगड़ने मसलने लगते , तो कभी अंगूठे से निपल फ्लिक करते ,
 
और हाँ , धक्के रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ,
 
 
 
पहली बार मैं खड़े हो कर चुदवा रही थी
 
पहली बार वो खड़े हो कर चोद रहे थे ,
 
एक नया मजा ,
 
लेकिन साथ में वो दुष्ट मुझे आज झड़ने नहीं दे रहा था , ...एक बार तो मैं पहले ही झड़ गयी थी ,

[Image: Fucking-standing-19087080.gif]
 
 
मुझे याद है मायके में एक बड़ी उम्र की भाभी थीं , वो , ... उन्होंने एक बात बतायी थी , ...

 १०० में दो चार लड़कियां ही होंगी , जिनका मर्द उन्हें झाड़ने के बाद ही झड़ता होगा , वरना तो ,... 

तो लड़की को झूठ मूठ का बहाना बनना पड़ता है , वरना मरद को बुरा लगता है , और अगर कभी मरद ने पहले औरत को झाड़ दिया ,...

 तो समझो वो औरत बहुत सौभाग्यशाली है , 


यहाँ तो पहली रात से ही कम से कम तीन बार मैं झड़ जाती तो कहीं उनका नंबर आता और वो भी हर बार हम दोनों साथ
 
मेरी देह बार बार गिनगीना जाती , १५ मिनट से ऊपर हो गए थे उन्हें खड़े खड़े मुझे चोदते , साथ में मस्त जोबन मर्दन , ...


 
पर जब उन्हें अहसास होता है मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ , वो धक्के और तेज कर देते , पर आखिरी मिनट ,

 जब मेरी आँखे मूंदने लगती , देह ढीली पड़ने लगती


 
वो बदमाश कचकचा के वो कभी मेरी चूँची कचकचा के काट लेते तो कभी गालों पे दांत गड़ा देते , हफ्ते भर तो ये निशान छूटने वाली नहीं थे ,
 
लेकिन उस समय दर्द के मारे मेरा झड़ना रुक जाता , ... ओर
 
वो जहाँ काटते वही चूम चूम के जैसे मरहम लगा देते , तो कभी चाट के , ... पर थोड़ी देर में अगली बार फिर , ठीक उसी जगह दुगुनी जोर से काट लेते ,
 
फिर तो उस निशान के मिटने का सवाल ही नहीं था ,
 
और मैं चाहती भी नहीं थी , की ये मीठे मीठे निशान मिटे उनके अगले बार आने तक इन्ही निशानों को देख के ये पल रोज रोज याद आएंगे ,
 
सासु जी और जेठानी की तो कोई बात नहीं , वो देखेंगी , मुस्कराएंगी , ... और मैं शर्म से अपनी निगाहें नीचे कर लूंगी  ,
 
हाँ छेड़ने वाली तो सिर्फ ननदें होती हैं , ...और यहाँ सिर्फ वही गुड्डी थी , एलवल वाली। 
 
 
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे पलंग पर ही निहुरा दिया और पीछे से घच्चाघच , सटासट
 
लेकिन एक पोज में न उनका मन भरता न मेरा , कुछ देर में हम दोनों पलंग पर थे , 





वो मेरे ऊपर , मुझे दुहरा कर ,

[Image: fucking-ruff-18556438.gif]

 
क्या क्यों धुनिया धुनाई करेगा , हर बार पूरा खूंटा बाहर निकलता , हर बार उस मोटे सुपाड़े का धक्का मेरी बच्चेदानी पर ,
 
थोड़ी देर में मैं झड़ने लगेगी , और कस के मैंने उन्हें अपनी बांहों में बाँध लिया ,
 
साथ में वो भी ,
 
बड़ी देर तक वो झड़ते , ... रुकते , फिर झड़ने लगते ,  और फिर
 
हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे चिपके , सटे न वो अलग होना चाहते थे न मैं ,...


और मैं अपने नितम्बों को पूरी ताकत से ऊपर उठाये , जाँघों को फैलाये, उनकी हर बूँद रोप रही थी , जिससे एक बूँद भी बाहर न छलके ,
 
छलकने का सवाल भी नहीं था , 


उनका मोटा लौंड़ा , किसी सकरी बोतल में घुसे मोटे कॉक की तरह , अंदर धंसा ठूंसा , घुसा, सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी से चिपका , 
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मैं साजन की , साजन मेरा 



[Image: erotic-sex-3721.jpg]


थोड़ी देर में मैं झड़ने लगी , और कस के मैंने उन्हें अपनी बांहों में बाँध लिया ,

 
साथ में वो भी ,
 
बड़ी देर तक वो झड़ते , ... रुकते , फिर झड़ने लगते ,  और फिर
 
हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे चिपके , सटे न वो अलग होना चाहते थे न मैं ,...


और मैं अपने नितम्बों को पूरी ताकत से ऊपर उठाये , जाँघों को फैलाये, उनकी हर बूँद रोप रही थी , 

[Image: Fucking-G-cum-tumblr-inline-p0ckto4-Ohi1u5h4gs-540.gif]


जिससे एक बूँद भी बाहर न छलके ,
 
छलकने का सवाल भी नहीं था , 


उनका मोटा लौंड़ा , किसी सकरी बोतल में घुसे मोटे कॉक की तरह , अंदर धंसा ठूंसा , घुसा, सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी से चिपका , .
 
और जब धीरे धीरे उन्होंने अपने मूसल को बाहर निकाला , मैंने अपनी चूत को एकदम भींच लिया , जाँघों को भी कस के सिकोड़ लिया ,
 
जिससे कैसे भी , एक भी बूँद छलक कर बाहर न जाय ,
 
और फिर , ... अब एक बार फिर मैं उनके ऊपर थी , 


सीधे उनके सर के पास , कस के मेरी जांघों ने सँड़सी की तरह उनके सर को दबोच लिया , 

मेरी उँगलियों ने  उनके गालों को दबा कर , ... गौरेया की तरह उन्होंने चोंच खोल दी ,

[Image: face-sitting-gif-21374640.gif]
 
और मेरे निचले होंठ , उनके ऊपर के होंठों के बीच ,
 
और मैंने धीरे धीरे अपने निचले होंठों को ढीला कर दिया ,
 
बूँद बूँद कर मलाई ,.... बल्कि रबड़ी मलाई ,...
 
थोड़ी देर पहले ही तो मैंने अंदर बाहर सब रबड़ी वहां लिथड़ी थी और सपड़ सपड़ सब उन्होंने चाटा था , 

और अब जो भी बची खुची थी , उन्ही की मलाई से मिलकर रबड़ी मलाई ,
 
"मलाई तो तुम्हे कई बार खिलाया है , रबड़ी भी अभी चटवाया है , अब ज़रा ये रबड़ी मलाई का स्पेशल स्वाद भी चख लो , "
 
मैंने उन्हें चिढ़ाया , 

और जैसे कई मेच्योर मर्द नयी  लौंडिया के मुंह में कस कस  मोटा लंड पेलता है , बस उसी तरह पूरी ताकत से झुक कर उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर , मैं जोर जोर से धक्के मार रही थी , 


[Image: face-sitting-19630444.gif]


और उन्होंने भी कस के अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर पेल दी , फिर तो अंदर भी जो बचा था , एक एक बूँद ,
 
और जो जीभ निकली , तो बाहर मेरी गुलाबो के दोनों फांकों पर सपड़ सपड़ सारी रबड़ी मलाई उन्होंने चाट ली। 
 
मैंने भी जोर जोर से अपनी बुर उनके होंठों पर रगड़ना शुरू किया और साथ में छेड़ना भी ,
 
" मजा आ रहा है न चाटने में मेरी ननद के , 

[Image: Girl-de7e9004c0d95df17721388d13178862.jpg]


गुड्डी रानी के यार , ... 


अरे सोच उसकी भी ऐसे ही चटवाउंगी , 

अभी तो उसकी कच्ची नयी नयी चूत पे झांटे भी नहीं ठीक से आयी हैं , 

[Image: guddi-pussy-r-GYWN8ob-Ml.jpg]

एकदम माखन मलाई है गुड्डी छिनार की , 

बस ऐसे ही सपड़ सपड़ उसकी भी चाटना , फाड़ने से पहले , कच्ची अमिया और कच्ची चूत दोनों का मजा , है न ,... "
 
जैसे उन्हें करेंट लग गया हो चूसने चाटने की रफ्तार दस गुना बढ़ गयी , 


अपने दोनों होंठों के बीच मेरी चूत के दोनों होंठों को दबा दबा के कस कस के वो चूसने लगे ,
 
मैं समझ रही थी , ... ये असर मेरी चूत का नहीं , मेरी उस कच्ची उम्र वाली ननद का है , ... और कन्फर्म करने के लिए मैंने सर मुड़ा के देखा तो
 
१०० % मेरा शक सही था , ... झंडा एकदम खड़ा , तन्नाया ,


[Image: face-sitting-gif-19780042.gif]
 
तो इसका मतलब इस लड़के के मन में कच्चे टिकोरों को कुतरने का शौक है ,...
 
मैंने हाथ बढ़ाकर उनके मोटे तन्नाए खूंटे को पकड़ लिया और लगी कस कस के रगड़ने मसलने , और जोर जोर से चिढ़ाने लगी 
 
"एकदम इसी तरह से पहले चूसना चाटना , और जब गरमा जाए तो बस हचक के फाड़ देना एक ही धक्के में , दिलवाऊंगी मैं पक्का , 

मेरी सबसे छोटी ननद जो है। "
 
 
वो अब जिस तरह से चाट रहे थे उसी ताकत से मैं भी अपनी चूत उनके मुंह पर रगड़ रही थी ,
 
लेकिन मुझे लगा की अब बस थोड़ी देर में मेरी हालत खराब हो जायेगी , और इस लिए ,... 


उसी समय खिड़की बंद थी लेकिन पर्दा खुला था शरद की चांदनी एकदम छलक कर कमरे में फैली हुयी थी , लगता है हवा का जोर , ... 

कोई खिड़की हलके से खुल गयी , और जनवरी की रात की ठंडी हवा
 
अब मैं एकदम उनके पास सटी चिपटी लेटी थी और हम दोनों एक ही रजाई ओढ़े , दुबके 

शादी के पहले लड़कियों को ज्ञान देने वालों की कमी नहीं रहती। 
 
सहेलियां , भाभियाँ, चाची, मौसी , बुआ ,... कईयों ने बताया , 

अरे मर्दों को , बस बोलते बहुत हैं बस दो चार मिनट में फुस्स , और फिर औरत की ओर पीठ कर के ऐसे सो जाएंगे जैसे जानते ही न हों ,
 
मैं मुंह बंद किये सुनती रहती थी ,
 
दोनों बातों में ये एकदम अलग , जबतक मेरी चूल ढीली न हो जाए , 

एकदम चुद चुद के मैं थेथर न हो जाऊं , आधे पौन घंटे तक उसके बाद ही ,... 

और पीठ तो आज तक उन्होंने नहीं की ,
 
हाँ मैं जरूर उनकी ओर पीठ कर लेती थी , 

और ये उनको लिए भी , ... 




बस पीछे से कस के वो मुझे दबोच लेते थे , बल्कि मेरेजोबन को , उनका एक हाथ सोते समय भी हमेशा मेरे उभारो पर ही रहता था ,
 
और वो दुष्ट बदमाश मूसलचंद , मेरे पिछवाड़े धंसा रहता , 

सोते हुए भी एकदम चिपका रहता , ...पहली रात से साथ सोते जागते लेटते, ... 

और रात में क्या दिन में भी , बिस्तर पर पहुँचते ही , ... कोई कपडे की दीवार हम दोनों के बीच नहीं रहती , ... 

और आज भी वही ,
 
सच बोलूं , तो जित्ता मजा उनसे चुदवाने में आता था , उससे कम मजा उनसे चिपक के , उनके सीने में दुबक के सोने में नहीं आता था ,

[Image: Sleep-original.jpg]
 
बात उन्होंने शुरू की , और बात क्या वही बात जो मैं पहले दिन से वो बात करते थे , ...
 
" मुझे ये लड़की चाहिए ,.. "
 
मैं उनसे कह कह के थक गयी थी , ... मिल तो गयी ,... 


लेकिन जो प्यास भूख उनके मन में मैंने पहले दिन देखी थी , 

अपनी सहेली की शादी में ,... जब मैं छत पर सहेलियों के साथ खड़ी थी , और ये बरात के लड़कों के साथ , ... 

[Image: Teej-sajal-ali-photos-4.jpg]


जो , जैसे उन्होंने देखा था ,... और ऊपर से मेरा बीड़ा सीधे उनके ऊपर लगा था ,.. 


सारी बारात , सभी लोग जयमाला के लिए चले गए , वहां पर सन्नाटा , लेकिन , ये लड़का एकदम जैसे जमींन से चिपका , ...सिर्फ मुझे देख रहा था ,...
 
और मैं उन्हें ही क्यों कहूं , मैं भी , छत से मेरी सारी सहेलियां उतर गयी थीं , पर मैं वहीँ खड़ी की खड़ी इन्हे देखती ,... वापस लौट के मेरी एक कजिन आयी मुझे बुलाने
 
वही प्यास आज तक , ...


 
उनकी उँगलियाँ मेरे निपल्स पर थीं , 

[Image: Joru-K-nipples-8-1.jpg]


मैंने खींच कर बस उन्हें चूम लिया , ... 




और जैसे उन्हें मेरा जवाब मिल गया ,  फिर मैं उनकी ओर मुड़ गयी ,
 
उनसे उनकी  ट्रेनिंग के बारे में पूछने ,
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रात बाकी ... बात बाकी 



[Image: night-78437d131c21e5a92bcaa6c024c1fac4.jpg]





फिर मैं उनकी ओर मुड़ गयी ,

 
उनसे उनकी  ट्रेनिंग के बारे में पूछने ,
 
पांच हफ्ते की ट्रेनिंग थी , ... मैं  गाँव वाली , मुझे इतना अंदाज था , फागुन शुरू होने के १५ -२० दिन पहले ख़तम हो जायेगी। 
 
 और  हर हफ्ते  ये अगर इसी तरह आते रहे तो किसी तरह टाइम कट जायेगा।
 
लेकिन उन्होंने जोर का झटका जोर से दिया ,
 
" ट्रेनिंग हो सकता है , एकाध हफ्ता बढ़ जाए , असल में तीन दिन के लिए जेनेवा का एक प्रोग्राम बन गया है , सीनियर मैनेजमेन्ट से मिलने के लिए , ... लेकिन घबड़ा मत , वो भी होगा तो वीक के बीच में ही , ... इसलिए वीकेंड में वो आ ही जाएंगे , ... "
 
फिर उन्होंने कई बातें बतायीं लेकिन ये भी जोड़ दिया की कुछ अभी पक्का नहीं है , ट्रेनिंग के तीसरे हफ्ते तक पक्का होगा , ...

 एक तो पोस्टिंग कब से और कहाँ होगी , 


दूसरी बात ये अच्छी थी की ट्रेनिंग ख़तम होने और पोस्टिंग के बीच एक से डेढ़ महीने का टाइम मिलेगा। 

 ट्रेनिंग में उन लोगों की बहुत रगड़ाई  होती है , रोज रात में भी करने के लिए काम और वीकेंड में भी कम से कम सात आठ घण्टे का काम ,
 रिपोर्ट , ...
 
मैं चौक उठी , लेकिन लेकिन आप तो यहाँ , तो क्या कल दिन में , कैसे ,...
[Image: Teej-af591cd2063a235c1fe47f5a4b2e423a.jpg]

 
उन्होंने मुझे दबोच लिया और कस के चूमते बोले , यहाँ तो बस यही एक काम है , फिर मुझे दबोच कर समझाया ,
 
" यार तू भी न , कल रस्ते में , बनारस पहुँचने में ढाई घंटा लगेगा , फिर ढाई घण्टा की फ्लाइट , एयरपोर्ट से ट्रेनिंग सेंटर दो घंटे , बस सात घंटे हो गए न , वहां पहुँच  के आधे घंटे में मेल कर दूंगा , सिंपल "
 
ये लड़का भी न कितना लालची है , मेरे लिए ,... मैंने सोचा , 

और उनके चुम्मे के जवाब में मैंने भी चुम्मा दिया 

[Image: kiss-cu-11conhuvfmwj3m5726enp3yw8rrsvxv1...oygdok.jpg]

और कुछ अपना हाल चाल सुनाती उस के पहले उन के दिल की बात उन्होंने कह दी।
 
" यार दिन का टाइम तो किसी तरह निकल जाता है , पर रात में बहुत मुश्किल होती है , ये ट्रेनिंग भी न ,... "
 
और मैंने भी ताकीद की , और अपनी हाल चाल बतानी शुरू कर दी ,
 
सब लोग बहुत ख्याल करते हैं , जेठानी जी , सासु जी , दिन में , ... दिन में मैं नीचे ही रहती हूँ , ...पिछले हफ्ते दो बार तो गुड्डी भी आयी साथ में उसी दोनों सहेलियां भी , एक दिन मेरा देवर अनुज भी आया था , खूब गप्पें मारी हम लोगों ने , दिन तो किसी तरह कट जाता है , लेकिन रात में , बहुत मुश्किल होती है ,
 
 
वो लड़का जो एक जमाने में इतना शर्मीला था , उसे २४ घण्टे लग गए थे सिर्फ , मुझसे मेरा नाम पूछने में , .. और आज मौका देख के , वो एकदम , पूछने लगा, मेरे उभार कस के पकड़ के दबा के , 
 
" क्यों रात में क्या होता है  , किसकी याद आती है "
 
बेशर्म उससे ज्यादा मैं थी , ... और फिर पकड़ने वाली चीज सिर्फ मेरे ही पास थी क्या , मैंने सोते खूंटे को पकड़ लिया , और बोली ,
 
" इसकी " 
 
 सुपाड़ा ढंक गया था , मैंने एक झटके से खोल दिया , और अंगूठे से उसे रगड़ते हुए बोली। 
पर दिल की बात मुंह पे आ ही गयी ,
 
" यार ये ट्रेनिंग किस बात की होती है , तेरी बहुत याद आती है , मैं कह देती हूँ  , एकदम नहीं रहा जाता , एक मिनट भी नहीं , बस इसके बाद जहाँ तुम रहोगे वहीँ मैं रहूंगी , अकेले एकदम मन नहीं लगता , "
 
और कस के उन्हें दबोच के मैं उनके सीने में दुबक गयी ,
 
उन्होंने कस के मुझे भींच लिया , और बहुत देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे ,


 [Image: holding-cock-sleep-download.jpg]
पर वो मुस्टंडा मेरी मुट्ठी में ही फूलने लगा , और उनके हाथ भी मेरे जोबन पर ,...
 
मैं समझ गयी इस लड़के का मन क्या कर रहा है , ... और मन तो मेरा भी कर रहा था , फिर हर बार वही क्यों  पहल करे , ... बस मैं सरक कर , ...
 
और थोड़ी देर पहले जो मेरी मुट्ठी में था , अब मेरे होंठों के बीच , पहले तो सिर्फ सुपाड़ा , मजे लेके चूसती चुभलाती रही
 
सच में बहुत मजा आने लगा था मुझे उसे चूसने में , ... दोनों होंठो से दबा के , जब जीभ फिराती थी न कड़े कड़े मांसल बड़े से सुपाड़े पर
 
और तंग करने के तरीके क्या उन्हें ही आते थे , ... जीभ की टिप जब मैं पेशाब वाले छेद पर रगड़ देती थी , घुसेड़ने की कोशिश करती थी , एकदम से वो गिनगीना जाते थे
 
 
आज भी मैं बस उसी तरह से सिर्फ सुपाड़ा मुंह में लेकर चूस चुभला रही थी ,


[Image: bj-slow-11641080.gif]
 
लंड एकदम तन गया था , लेकिन मैं कौन अब उससे डरने वाली थी , दो दो बार अभी घोंट भी चुकी थी , एकदम जड़ तक और निचोड़ कर एक एक बूँद रस भी अपने अंदर ले चुकी थी ,
 
अंगूठे और तर्जनी से लंड के बेस को भी मैं रगड़ने लगी , और धीरे धीरे मेरे होंठ के बीच आधे से ज्यादा खूंटा मैंने घोंट लिया ,...
 
आज उस लड़के ने सरेंडर कर दिया था , जो कर रही थी मैं कर रही थी , ... उसके बेस को रगड़ते दबाते , मेरी ऊँगली उसके बॉल्स पे छू गयी ,
 
और मेरे दिमाग में एक शरारत आ गयी , ...
 
जब से ये गए दिन , दोपहर तो इनकी भौजी के साथ बीतती थी , ... और नीली पीली फिल्मों की वो बहुत शौक़ीन , पांच दिन में १०-१२ तो हम लोगों ने साथ साथ देख ही ली थी , और ब्लो जॉब तो हर में होता था , उसी में से एक में देखा
 
और मेरी जेठानी ने हंस के बोला था , उन्होंने न सिर्फ ट्राई किया है बल्कि जेठ जी को पसंद भी बहुत है ,
 
बस मेरे होंठों ने सुपाड़े को छोड़ , बॉल्स ( रीतू भाभी होतीं तो डाँट पड़ती ,  पेल्हड़ नहीं बोल सकती ) को पहले तो सिर्फ लिक किया , ...

[Image: balls-sucking-20784239.gif]
 
सच में इन रसगुल्लों को चूसने का मेरा बहुत मन करता था , बस आज मौका मिल गया , 

और मैं कस कस के पहले तो सिर्फ जीभ से लिक करती रही , फिर बॉल्स सक करने लगी , पहले एक फिर दूसरी फिर दोनों ,
 
बेचारा खूंटा तन्नाया भूखा , बौराया , ... 

पर मेरा पक्का दोस्त था वो , इन्हे मेरी याद दिलाया करता था ,
 
बस कोमल के कोमल कोमल हाथों में , सैंया का मोटा खूंटा , और मैं बॉल्स चूसने के साथ हलके हलके मुठियाने भी लगी ,
[Image: BJ-balls.gif]


 
 जिस तरह से वो फनफना रहे थे , गिनगीना रहे थे , ... मुझे अगर पहले पता चलता इस लड़के को बॉल्स चुसवाने में इतना मज़ा मिलता है तो मैं कब का ,
 
मैं जोर जोर से चूस रही थी , और अब जितनी  जोर से चूस रही थी उनके रसगुल्लों को उतने   ही कस के उनका खड़ा पागल लंड भी मुठिया रही थी ,
 
और चूसते चूसते मेरी जीभ , उनके पिछवाड़े , .. छेद पर नहीं , छेद के पास ,  बस छू गयी और अबकी मैं गिनगीना गयी
 
मुझे इनकी सलहज की बात याद गयी ,
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मुझे इनकी सलहज की बात याद आ गयी ,

क्या ?????????

सच में, बीच में छोड़ कर उत्सुकता जगा देती हो।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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लाजवाब
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(01-11-2019, 12:11 PM)Black Horse Wrote: मुझे इनकी सलहज की बात याद आ गयी ,

क्या ?????????

सच में, बीच में छोड़ कर उत्सुकता जगा देती हो।

मिलता तो है ,... हाँ थोड़ा इंतजार करा कर , 


और इंतज़ार का भी एक मज़ा है , ...तब तक गेस करिये , इनकी प्यारी सलहज और मेरी प्यारी रीतू भाभी ने क्या कहा होगा ,.... 
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अब नन्द भोजाई की बात और कोई कैसे जान सकता है।

पर एक बात है कि आप फोटो के हिसाब से कहानी बताने की कला में आपका कोई जवाब नहीं। पिछली पेज की आखिरी फोटो और इस पेज की चौथी फोटो के अंतर और उसके साथ लिखी कहानी ने इसे स्पष्ट कर दिया।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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आपकी अन्य कहानियो में एक मेन हीरो और बाकी साइड में कुछ और पुरुष पात्र होते थे
लेकिन इसमें शादी के माहौल में सबको बराबर का मौका दिया
ये एक बड़ा बदलाव है.
Hats off to you
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jabardast upadte komal ekdam badhiya mast
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(01-11-2019, 12:11 PM)Black Horse Wrote: मुझे इनकी सलहज की बात याद आ गयी ,

क्या ?????????

सच में, बीच में छोड़ कर उत्सुकता जगा देती हो।

सोचिये सोचिये , ...भौजाई ने ननद को क्या सिखाया होगा , ... रीतू भाभी ऐसी सलहज कुछ मस्ती की , बदमाशी की बात ही होगी , ... 

बस अगली पोस्ट में पता चल जाएगा ,
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next post soon...tabatak guess kariye meri Bhabhi ne kya kaha tha
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