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Adultery होली पे मनाई दिवाली // from : Xossip
#1
// होली पे मनाई दिवाली //

दोस्तों में होली के शुभ मौके पर एक और शानदार कहानी लेकर आया हूँ। यह कहानी मेरी एक कल्पना है और किरदार असली ........ तो मजा लीजिये एक और लंड खड़ा कर देने वाली कहानी का।

 
किरदार
 
1) रिक्की - यानि के मैं खुद। एक आम लड़का जो दिखने में बहुत खुबसूरत तो नहीं पर गुड लूकिंग है। कद काठी से आम सा दिखने वाला 20 वर्षीय युवक
 
2) प्रियंका - रिक्की की पड़ोसन। शक्ल तो कुछ ख़ास नहीं पर रंग दूध से भी ज्यादा गोरा और रिक्की को जो सबसे ज्यादा पसंद है वो उसकी पतली सी कमर और कमर के ख़त्म होते ही एकदम परफेक्ट गांड। उम्र -24 साल शादी हो चुकी है अभी कोई तीन महीने पहले ही
 
3) दिव्या - प्रियंका की छोटी बहन और रिक्की की पड़ोसन। दिखने में नार्मल पर हलकी सी सांवली और एकदम परफेक्ट बूब्स ......36 साइज़ और फिर भी गोल सख्त और हमेशा सीधे तने हुए
 
4) आनंद - प्रियंका का पति। दिखने में ढीला डाला सा इंसान जो कभी भी एक्टिव नहीं हो सकता (बिस्तर पे भी नहीं इतनी हॉट बीवी होने के बाद भी नहीं )
 
5) मयंका - प्रियंका और दिव्या की बड़ी बहन। दिखने में एकदम आंटी, मोटी और दो बच्चो की माँ
 
6) शेखर - मयंका का पति। दिखने में ठीक ठाक पर बड़ा दिलफेंक इंसान।
 
7) शर्मा अंकल और शर्मा आंटी - मयंका, प्रियंका और दिव्या के माँ बाप।
 
8) कनिका - इसके बारे में बाद में बात करेगे
 
 
तो कहानी शुरू करते है मार्च का महिना चल रहा था और होली आने वाली थी। मेरे मोहल्ले के लोगो ने इस बार होली पर मथुरा जाने का प्रोग्राम बनाया। मैं बहुत खुश था की वह पर विदेशी भी होगे मैं होली के बहाने उन पर हाथ फेर लुगा। घर पर शाम को खाना खाने के बाद हम बैठे हुए थे तभी शर्मा अंकल और आंटी घर पर आये। शर्मा अंकल ने पापा को बोला - ये प्रोग्राम भी इस बार ही बनाना था सबको?
मैं - क्यों अंकल क्या हुआ ?
अंकल - बेटा, आनंद जी और प्रियंका आ रहे है पहली होली मानाने अब हम जा भी नहीं सकते और होली पर आप सब लोग चले जायेगे तो सुना सुना सा रहेगा। मजा ही नहीं आएगा।
पापा- अगर ऐसा है तो भाई साहब हम भी नहीं जायेगे।
पापा की बात सुनकर मुझे मेरे सारे अरमान ख़त्म होते नजर आये। पर फिर एक ख्याल आया जो होता है अच्छे के लिए होता है पापा मम्मी नहीं जायेगे तो मैं खुले सांड सा घूम सकुगा।
 
मैं - पापा आप लोग नहीं जा रहे तो मैं चला जाता हु।
अंकल- बेटा तुम किधर जाने की बात कर रहे हो, कही नहीं जा रहे तुम भी। तुम्हारे दीदी जीजाजी आ रहे है और तुम ........ (मैं मन ही मन में - मादरचोद पहले तो अपनी हॉट बेटी चूतिये से ब्याह दी फिर ये चाह रहा है चूतिये का स्वागत करने के लिए मेरे खड़े लंड पर हथोडा मार लू )
मैं - पर अंकल ....
पापा - बेटा शर्मा जी सही कह रहे है हम सब यही रुकेगे।
मैं मुह लटका कर अपने रूम में चला गया। मैं उदास हो गया था और ये भी जनता था की शर्मा अंकल की बात पापा नहीं टालने वाले ......
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#2
Rainbow 
मैं मुह लटका कर अपने रूम में चला गया। मैं उदास हो गया था और ये भी जनता था की शर्मा अंकल की बात पापा नहीं टालने वाले ......

 
मेने कंप्यूटर पर गेम खेलने का सोचा पर दिमाग अभी भी मथुरा के हसीन सपनो में उलझा था .... मेने सोचा था उधर इतनी भीड़ होगी किसी भी विदेशी महिला के साथ होली खेलने शुरू कर दुगा उसके बाद पहले तो उसके चहरे पर फिर गर्दन पर और फिर उसके बूब्स पर हाथ फेर लेता पर ये सब अब सपना ही रहने वाला था
मेने कंप्यूटर बंद किया और खिड़की पर जा कर बैठ गया। मेरे कमरे की लाइट बंद थी मैं खिड़की से आसमान में देख रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे बगल वाली छत पर से कुछ खुसफुसाहट सुनाई दी मेने जब ध्यान दिया तो समझ आया की वो दिव्या है। पहले तो मेने ध्यान नहीं दिया पर जब मेने घडी देखी तो 11 बज रहे थे मुझे पता ही नहीं चला था की मैं 2 घंटे से ऐसे ही गम मना रहा हूँ
फिर मेने सोचा ये दिव्या इतनी रात में किस्से बात कर रही है नीचे से कुछ सुनाई नहीं दे रहा था इसलिए मैं छत पर चला गया। मैं चुपचाप गेट खोल कर बिना लाइट जलाये छत पर गया और खड़ा होने की जगह नीचे बैठ कर दीवार तक गया अब मेरे और दिव्या में बस दो कदम की दूरी थी। मैं उसकी बाते सुनने लगा वो अपने बॉयफ्रेंड से बात कर रही थी। मैं लड़के का नाम तो नहीं जान पाया क्युकी वो उसे जानू बुला रही थी। (आगे की बाते दिव्या की जुबानी)
दिव्या - जानू तुम होली पर नहीं आ सकते तुमको बताया ना दीदी और जीजाजी लोग आ रहे है। अगर वो नहीं आते तो कुछ होता पर अब कोई चांस नहीं है ............................... चलो होली के लिए तो तुम्हे मेने नाराज कर दिया पर अभी तो तुम्हे खुश कर सकती हु ना चलो अभी तुम्हारा फेवरेट काम करते है फ़ोन सेक्स ........ मैं अपना मोबाइल हैंड्स फ्री मोड में कर देती हु फिर तुमको फुल मजे देती हु। यह कह कर उसने फ़ोन का लाउड स्पीकर चालू कर दिया -
जानू - तुमने क्या पहना है
दिव्या - टी शर्ट और पजामा
जानू - और अन्दर
दिव्या - ब्रा और पेंटी
जानू - कौनसे
दिव्या - लाल नेट वाली ब्रा और सफ़ेद पेंटी जिस पर फूल बने हुए है
जानू- लाल ब्रा क्यों पहना
दिव्या - आज लाल सूट पहना था ना इसलिए
जानू- अच्छा अब अपना पजामा और टी शर्ट उतारो
दिव्या - मैं छत पर हु तुम पागल तो नहीं हो
जानू- रात को कौन देखने वाला है तुम्हे और घर वाले सो गए होगे प्लीज
दिव्या - ठीक है रुको मुझे चेक करने दो ( यह कह कर दिव्या निचे चली गयी )
मेने झट से मोबाइल निकला उसका कैमरा ओन किया और उसे ऐसे रख दिया की ज्यादा से ज्यादा शर्मा अंकल की छत दिखे
मैं अभी फिर से झुक ही था की दिव्या आ गयी और छत का गेट बंद कर दिया
दिव्या- हाँ जान मैं आ गई
जानू- कपडे उतारो
दिव्या - तुम नहीं मानोगे
जानू- तुमको बोला था की कमरे से ही बात कर लों
दिव्या - नहीं मम्मी पापा को शक हो जायेगा की रोज रात को किस्से बात करती हु
जानू- कपडे उतारो ना देखो मैं तो पूरा नंगा हो गया हु
दिव्या- ठीक है बाबा ( और उसने अपने कपडे उतार दिए )
मैं जो अभी तक छुपा हुआ था अब मुझसे रहा नहीं गया मेने देखने की कोशिश करी पर कुछ नजर नहीं आया मैं वापिस छुप गया
जानू- उतार दिये
दिव्या- हाँ अब सिर्फ ब्रा पेंटी में हु
जानू- अब ब्रा के ऊपर से ही राईट बूब को दबाओ
दिव्या- सीईइ जानू मुझे कुछ हो रहा है
जानू- बहनचोद अभी हाथ लगते ही कुछ हो गया और सुबह जब मेने चूसा था तब भी तुझे दुनिया का ख्याल था
दिव्या- जान तुम पागल हो पार्किंग में कोई आ जाता तो
जानू- क्या होता तेरे मस्त बूब देख कर पागल हो जाता और क्या
दिव्या- तुम मेरी तरफ से अपना लंड पकड़ो और उसे धीरे धीरे सहलाओ
जानू- तेरी यही अदा तो जानलेवा है
दिव्या - और तुम ...
जानू- अच्छा अब अपनी ब्रा खोल दो और अपने निप्पल के चारो और उंगली फिराओ
दिव्या- जान मैं पागल हो रही हु
जानू- फिर अपनी पेंटी खोलों
दिव्या- वो तो मेने पहले ही खोल दी
जानू- जान अपने दुसरे हाथ से चूत में उंगली करो ना
दिव्या- आह्ह्ह मैं पागल हो रही हु
जानू- मैं आने वाला हु
दिव्या- आह्ह सीईईईईईइ आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्क
जानू- मैं तो हो गया
दिव्या- मैं भी होने वाली हु आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईइ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह और दिव्या भी झड गई
दिव्या- ये हलकी हलकी हवा तो मुझे हॉर्नी बना रही है अगली बार हम भी खुले में ही करेगे
जानू- क्या करेगे
दिव्या- चुदाई, मुझे खुली हवा मैं इतना मजा आ रहा है की अभी तुम होते तो मैं तुम्हारा लंड खा जाती ... तभी नीचे से कुछ आवाज आई।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
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#3
दिव्या- चुदाई, मुझे खुली हवा मैं इतना मजा आ रहा है की अभी तुम होते तो मैं तुम्हारा लंड खा जाती ... तभी नीचे से कुछ आवाज आई।

दिव्या - जान कोई आ रहा है मैं कल बात करती हु और फ़ोन काट दिया
मैं भी अब तक उनकी रास लीला सुन कर मुठ मार चूका था मेने झट से देखा मुझे दिव्या की ब्रा पेंटी में एक झलक दिखी और उसके प्यारे बूब मेरी आँखों में कैद हो गए।
मैं भी निचे आ कर सो गया।
अगले दिन सभी लोग मथुरा के लिए निकल गए बस अब गली में हम, शर्मा जी का परिवार और कनिका का परिवार बच गया था। अब आप सबको कनिका के बारे में बता दू
 
कनिका मोदी :- बेहद खुबसूरत पतली पर तराशा हुआ जिस्म और कातिल मुस्कान ये खूबी थी उसकी। उम्र :- 21 साल।
 
उनके परिवार के नहीं जाने की दो वजह थी 1 उसका भाई अस्पताल में था उसे मलेरिया हो गया था और उसकी हालत कुछ ज्यादा ख़राब थी 2 कनिका के पति की मौत हुए अभी 10 महीने ही हुए थे ( कनिका ने लव मेरिज कर ली थी पर एक हादसे में उसका पति मर गया था)
 
अब फिर से कहानी पे आते है
 
अब मैं रात का इंतजार करने लगा क्युकी मुझे लग रहा था की आज तो दिव्या नंगी मिल ही जाएगी आज तो उसको किसी के देखने का डर नहीं होगा तो मेने एक प्लान बनाया और पहले तो एक लकड़ी की सीडी को लगा दिया ताकि मैं बिना गेट खोले ही छत पर जा सकू फिर घर पर बोल दिया की मैं दोस्त के जा रहा हु लेट हो सकता हु . शाम को 7 बजे मैं निकल गया और ऐसे ही टाइम पास करने लगा और रात को करीबन 10 बजे गली में घुसा मेने देखा की गली सुनसान है पर शर्मा जी की छत भी तभी मुझे ध्यान आया की शर्मा जी और मोदी अंकल दोनों के बिच वाला घर जो जैन अंकल का था अगर मैं उसमे चला गया तो मजे आ जायेगे क्युकी उनका घर थोडा सा ऊँचा है इससे मैं आराम से दिव्या को देख सकुगा और वो नहीं।
 
यह सोच कर मैं उनके घर में घुस गया रात हो गयी थी और गली में ज्यादा लोग थे नहीं इसलिए मुझे कोई डर नहीं था। मैं पहले डोली से खिड़की पर गया फिर पाइप के सहारे छज्जे पर और फिर छत पर चला गया बड़े ही मजे से हो गया। मैं दिव्या का इंतजार कर रहा था पर कोई नहीं आ रहा था तभी मुझे मोदी अंकल की आवाज आई :- बीटा हम जा रहे है गेट अच्छे से बंद कर लो और हम फ़ोन नहीं करे तब तक खोलना नहीं आज गली सुनी है। मैं झट से उस तरफ गया तो देखा मोदी अंकल और आंटी कार से अस्पताल जा रहे थे और गेट पर कनिका थी जिसने एक पतला सा क्रीम कलर का टॉप पहना था और काली मिनी स्कर्ट पहनी थी।
 
उनके घर पर मेन गेट पर रोड लाइट थी इसलिए सब नजर आ रहा था उसका टॉप इतना पतला था की उसका ब्रा भी दिख रहा था। मेरा लंड खड़ा हो गया पर कनिका अंकल आंटी के जाते ही अन्दर चली गयी अब मैं बेचैन हो गया था मेने फिर से शर्मा जी के घर में देखा तो मुझे उनके घर पर शेखर की कार दिखी और मेने सर पीट लिया की इतनी गांड मरवाई और ये याद ही नहीं रहा की ये मादरचोद भी आ रहे है। मेरे खड़े लंड पे चोट हो गयी वो भी हथोरे से। मैं घर जाने के लिए निचे उतरने लगा मैं जैसे ही छज्जे पर उतरा मुझे कनिका की रोने की आवाज आई मेने देखा वो आवाज सामने के रोशनदान से आ रही है मेने उसमे से देखने की कोशिश की पर मुझे कनिका नहीं दिखी क्युकी मुझे सिर्फ कमरे का एक कोना ही दिख रहा था तो मेने ध्यान से सुनाने की कोशिश की।
 
कनिका :- अहह्ह्ह्ह्ह्ह (सिसकिया) तुम मुझे छोड़ कर क्यों चले गए देखो मैं कैसे घुट रही हु कल होली है तुम मुझे होली पर कैसे रगड़ देते थेअहह्ह्ह्ह्ह्ह (सिसकिया) मेरे सारे कपडे फाड़ कर पुरे बदन पर रंग लगते थे अहह्ह्ह्ह्ह्ह (सिसकिया)फिर मुझे छोड़ते थे और फिर खुद रगड़ रगड़ कर नहलाते थे फिर छोड़ते थेअहह्ह्ह्ह्ह्ह (सिसकिया) अब कल तुम्हारी याद आएगी तो मैं क्या करू ये केला भी मेरी प्यास नहीं भुझा पायेगा।
मैं यह सुन कर चौंक गया और ये समझ गया की कनिका क्या कर रही है मैं उधर ही लटके हुए उसे देखने की कोशिश करने लगा पर मेरी किस्मत ख़राब थी मुझे कुछ नहीं दिखा। मैं उतर गया और घर में जाने लगा तभी मुझे एक शरारत सूझी। मेने अपना मोबाइल निकालने के लिए जेब में हाथ दिया तो याद आया मोबाइल तो रात से ही छत पर है मैं भाग कर घर में गया और सीडी से छत पर गया मोबाइल उठाया वो बंद हो गया था मेने उसे जेब में रखा और जैसे ही मिचे उतरा मुझे शर्मा जी के गार्डन में दो लोग दिखे मैं छिप कर देखने लगा वो प्रियंका और शेखर थे।
 
शेखर प्रियंका के के होठ चूस रहा था और उसका टॉप उठाने की कोशिश कर रहा था
 
प्रियंका - क्या कर रहे हो कोई आ जायेगा
 
शेखर - पहले भी तो यही करता था तब तो मजे लेती थी अब पति ज्यादा प्यारा हो गया देखू तो सही जिन निम्बू को खरबूजा बने उनका क्या हाल है और उसने टॉप ऊँचा कर दिया और ब्रा में से एक बूब निकाल कर चाटना शुरू कर दिया प्रियंका शेखर के सर को सहलाने लगी और सिस्कारिया भरने लगी। शेखर ने जैसे ही दूसरा बूब बहार निकाला प्रियंका उसे धक्का दे कर भाग गयी। शेखर भी उसके पीछे गया पर वो अन्दर चली गयी मैं थोड़ी देर इंतजार करता रहा फिर घर में चला गया।
 
अन्दर जाते ही पापा ने मोबाइल के बारे में पूछा मेने कहा वो ख़राब हो गया है शायद चालू नहीं हो रहा।
मम्मी ने खाना दिया और दोनों सोने चले गए मेने घडी देखि तो पता चला पोने बारह बज गए थे मैं खाना खाते टाइम सोच रहा था ये सब क्या हुआ था आज मेरी नजरो के सामने .
 
अगले दिन होली थी। सुबह सुबह घर पे घंटी बजी मेने गेट खोल तो मोदी अंकल थे। मेने उन्हें बैठाया और पापा भी आ गए।
 
मोदी :- भाई साहब हम लोग हॉस्पिटल में है और कनिका अकेली घर में है कुछ बात हो तो देख लेना मेने शर्मा जी को कहना सही नहीं समझा क्युकी उनके मेहमान आये हुए है। आपको तकलीफ दे रहा हु।
 
पापा :- अरे कोई बात नहीं अपनी ही बच्ची है।
 
और चाय पी कर मोदी अंकल चले गए। मैं भी होली खेलने की तैयारी करने लगा अपने कलर वगेहरा संभाले और पुराने कपडे पहन लिए फिर निकल गया शर्मा जी के घर के लिए पर मम्मी ने वापिस बुला लिया और कहा नाश्ता कर के जाना। मेने कहा 10 बज गए है लेट हो रहा है पर वो नहीं मानी और मुझे रुकना पड़ा जब मैं निकला तब 11 बज गए थे। मैं चुपके से शर्मा जी के घर में पंहुचा और गेट की जगह दिवार कूद कर अन्दर गया अन्दर मुझे प्रियंका और शेखर होली खेलते दिखे और कोई नहीं दिखा। मैं वही छुप गया मुझे पता था की अब कल रात की तरह कुछ हो सकता है और मैं बिलकुल सही था।
 
शेखर ने इधर उधर देखा और गुलाल उठा कर उसके टॉप को उठा कर उसके पेट पर लगाने लगा। प्रियंका पीछे हटी तो उसने उसे पीछे घुमा कर पकड़ लिया। अब प्रियंका और शेखर का मुह मेरी तरफ था और वो दोनों एक दुसरे से चिपके हुए थे शेखर ने अपने हाथ फिर से टॉप उठा कर उसके पेट पर रख दिए और इस बार टॉप कंधे तक उठा दिया और उसके बूब्स को गुलाल मलने लगा। प्रियंका ने मस्ती में आँखे बंद कर रखी थी और शेखर ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स मसल रहा था फिर मेने देखा शेखर और प्रियंका हिल रहे है मेने ध्यान दिया तो पता चला शेखर अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ रहा था और वो भी अपनी गांड हिलाकर उसका साथ दे रही थी।
 
शेखर अचानक उसके ब्रा को झटके से ऊपर कर दिया और प्रियंका के मस्त गोरे गोरे बूब्स बहार आ गए उसके बदन पे लगा गुलाल और साफ़ सुथरे बूब्स क्या नजारा था .......... शेखर ने अपने हाथ रोके नहीं थे और प्रियंका भी अपने बूब्स पर उसको आराम से रंग लगाने दे रही थी तभी शेखर ने उसके निप्पल को जोर से पकड़ कर खीच दिया इससे प्रियंका की चीख निकल गयी और वो उसके हाथ से निकलने की कोशिश करने लगी। शेखर ने अपने दोनों हाथ उसके पेट पर लपेट दिए।
 
इससे प्रियंका हिल नहीं सकी और उसका ढीला टॉप निचे आ गया पर उसका ब्रा उसके बूब्स के ऊपर ही था। प्रियंका हर हालत में छूटना चाहती थी उसने पास में रखी टेबल पर से गुलाल उठा लिया अब शेखर ने बचने के लिए उसके हाथ पकडे प्रियंका और उसके बीच में छिना झपटी होने लगी इसके कारन गुलाल प्रियंका की आँख में चला गया और वो रूआसी हो गयी उसकी आँखे जल रही थी शेखर ने उसको बोला मैं पानी लेकर आता हु वो जैसे ही अन्दर गया मेने देखा प्रियंका नार्मल तरीके से खड़ी हो गयी पर उसकी आँखे बंद थी। मैं समझ गया उसने नाटक किया था।
 
मेने मौका सही समझा और पीछे से उसको पकड़ा और पहले जैसे वो और शेखर थे उसी तरह से अब मैं उसके साथ था वो बोली जीजू छोड़ दो ना कोई आ जायेगा। मेने कुछ नहीं कहा और उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स को दबाने लगा .
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#4
मेने मौका सही समझा और पीछे से उसको पकड़ा और पहले जैसे वो और शेखर थे उसी तरह से अब मैं उसके साथ था वो बोली जीजू छोड़ दो ना कोई आ जायेगा। मेने कुछ नहीं कहा और उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स को दबाने लगा .

 
मेने मौका सही समझा और पीछे से उसको पकड़ा और पहले जैसे वो और शेखर थे उसी तरह से अब मैं उसके साथ था वो बोली जीजू छोड़ दो ना कोई आ जायेगा। मेने कुछ नहीं कहा और उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स को दबाने लगा .
उसको तो यही लग रहा था की उसका जीजा है, मैं नहीं। मेने उसके दोनों बूब्स अपने हाथो में पकडे हुए थे उसके बूब्स एकदम परफेक्ट तरीके से मेरे हाथ में समाये थे मानो एक दुसरे के लिए ही बने हो। मेने पहले तो धीरे धीरे दबाया फिर एक बूब को जोर से दबोच दिया इससे उसके मुह से जोर से सिसकारी एह्ह्ह्ह्हआह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी। अब वो पीछे की और खिसक गयी और अपनी गांड मेरे लंड से घिसने लगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उसका गांड घिसना। मेने उसके दोनों निप्पलो को एक एक उंगली से हल्का हल्का छेड़ना शुरू कर दिया। वो मेरी हरकत से पूरी तरह गरमा गयी ये बात उसके बदन में आये करंट के झटके ने बता दी। मेने भी उसके निप्पलो को जैसे मंदिर के घंटे बजाते है वैसे ही अपनी ऊँगली के टिप से बजाना चालू रखा। उसने तभी अपना हाथ पीछे किया और झटके से मेरे पजामे में डाल दिया, अंडरवियर तो जैसे था ही नहीं या वो इतनी चालू थी की अंडरवियर का होना नहीं होना मामूली सा था। अब मेरा लंड उसके हाथ में था। जैसे ही उसने मेरा लंड पकड़ा वो रुक गयी उसको समझ में आ गया ये शिखर नहीं कोई और है, अब मेरे भी हाथ रुक गए। उसने अपना मुह पीछे घुमाया और फिर बिना नज़र मिलाये सीधा कर लिया। और दुसरे हाथ से मेरे हाथ जो उसके बूब पर था उसपे रख कर दबाया। मैं समझ गया हरी झंडी मिल गयी है और मेने मेरी हरकत फिर से शुरू कर दी। वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
उसने मुझसे से पूछा : वाह तू तो बड़ा हो गया और तेरा और भी (यह कहते हुए उसने मेरा लंड जोर से दबा दिया)
मैं : आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुझे कैसा लगा??
प्रियंका : चूतिये। अगर अच्छा नहीं लगता तो तुझे करने देती।
मैं : तुझे कैसे पता चला की शेखर की जगह कोई और है?
प्रियंका : तेरा लंड जो है वो साइज़ में तो शेखर जितना ही है पर मोटा है, मेरे पति का मादरचोद का लंड नहीं खिलौना है।
मैं : वाह रे मेरी रंडी। तेरे तो हाथ में भी xray है।
अब मेने उसके निप्पल के चारो और ऊँगली फेरना शुरू कर दिया और वो उत्तेजित होती जा रही थी उसका हाथ मेरे लंड पे दवाब दे कर बता रहा था। तभी मेने उसके दोनों निप्पलो को हाथ में ले कर जोर से मसल दिया, उसकी चीख निकलने लगी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से होठो को दांतों में डाल कर दबाया। मेरी इस हरकत पे उसने मेरा लंड छोड़ा और मेरे दोनों हाथ निचे खीचे पर मैं भी तो हरामी हु न मेने झट से एक हाथ उसके पयामे में डाल कर उसकी चूत को भींच लिया। वो फिर से चीखी इस बार वो अपनी आवाज दबा नहीं पाई। अन्दर से आंटी ने आते हुए कहा क्या हुआ? और प्रियंका ने मुझे धक्का दे कर जमीन पर गिरा दिया।
आंटी के पीछे शेखर और दिव्यंका भी थे।
आंटी : क्या हुआ? और बेटा तू निचे कैसे गिर गया?
प्रियंका : वो मम्मी वो मम्मी .....
मैं : कुछ नहीं आंटी इसको डरा रहा था और इसने मुझे डर के मारे निचे गिर दिया
सभी हसने लगे और प्रियंका मुझे घूर के देखने लगि.
आंटी: चलो सब अन्दर पहले कुछ खा लो।
सभी अन्दर जाने लगे।
मैं : प्रियंका मेम उठा तो दो।
वो घूम कर आई और बोली अब मुझसे 10 कदम दूर रहना
मैं : क्यों? मेरी होली तो अधूरी है ?
प्रियंका : तो किसी और के साथ मना मादरचोद
मैं : क्यों तू कल रात की तरह शेखर से चुदवायेगी?
प्रियंका का चेहरा फीका पड गया वो बोली : तू माहिर खिलाडी है तू मेरी चीख निकला देता है, शाम को तू कार ले आना कही और चलके मजे ले लेना।
मैं : ठीक है
अब हम दोनों अन्दर गए और सब ने खाना खाया। फिर शेखर ने कहा चलो होली खेलते है तो प्रियंका और दिव्यंका ने मना कर दिया और वो अपने कमरे में नहाने चली गयी , मैं भी उधर रुक कर क्या करता मैं भी बहार आ गया। बहार आ कर मेने देखा ......
बहार आ कर मेने देखा तीन लोग कनिका के घर में घुस रहे है और सभी होली के रंगों से सराबोर है। मैं भी उनके पीछे हो लिया और छुपकर सब देखने लगा। उन्होंने घंटी बजाई तो कनिका गेट पे आई।
पहला आदमी : गेट खोलो।
कनिका : हम होली नहीं खेल रहे है आप लोग कल आएगा।
दूसरा आदमी : ओह्ह हम तो भूल ही गए थे सॉरी बेटी। हम लोग जाते है।
पहला आदमी : क्या हमको पानी मिलेगा पीने के लिए?
कनिका : अभी लायी और यह कह कर वो घर में चली गई।
कनिका एक जग में पानी लायी और जैसे ही उसने गेट खोल कर कदम बाहर निकला। पहले आदमी ने उसका हाथ पकड लिया और उसके हाथ से जग ले लिया। दूसरा उसके पीछे पहुच गया और उसको पकड़ लिया, तीसरे आदमी ने गेट को बाहर से बंद कर दिया। कनिका को समझ आ गया की वो फँस गई है और वो गिदगिदाने लगी।
कनिका : प्लीज अंकल मुझे छोड़ दो मेरे पति को गुजरे हुए कुछ ही महीने हुए है मैं होली नहीं खेल सकती ......
पहला आदमी : तुम मत खेलो तुम हमको मत लगाना रंग ..... हम तो खेल सकते है हम ही लगा देते है।
कनिका : अंकल पापा मुझे मार डालेगे मुझे छोड़ दो प्लीजज्ज्ज्ज्ज्ज ......
पहला आदमी : अगर ऐसी बात है तो हम तुमको सिर्फ गुलाल लगा देते है।
कनिका ने जैसे ही चीखने की कोशिश की दुसरे आदमी ने उसका मुह बंद कर दिया।
तीसरा आदमी : साली नहीं मान रही तेरी इच्छा।




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मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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कनिका ने जैसे ही चीखने की कोशिश की दुसरे आदमी ने उसका मुह बंद कर दिया।

तीसरा आदमी : साली नहीं मान रही तेरी इच्छा।
 
अब मैं तो रंग से ही होली खेलुगा। उसने जेब से रंग निकल कर हाथ में लिया और पहले आदमी ने जग से थोडा सा पानी उसके हाथ में डाल दिया। जैसे ही वो कनिका को रंग लगाने लगा। पहला आदमी बोला अरे इसके पापा इसे मार डालेगे मुह पे मत लगाना ...... इसके बदन पे लगा ले और बहुत ही जोर से तीनो हसने लगे। तीसरे आदमी ने झट से उसके टॉप में निचे से हाथ डाल दिए और उसको रंगने लगा। कनिका किसी भी तरह उनसे छूटने की कोशिश करने लगी पर वो बस कसमसाने के अलावा कुछ नहीं कर पाई।
 
अब पहले आदमी ने भी अपने हाथ उसके टॉप में ऊपर से डाल दिए और उसके बूब्स को रंगने लगा। जिसने हाथ निचे से डाला था उसने अपने हाथ टॉप के अन्दर से ही उसके पीछे ले गया और उसकी पीठ रंगने लगा। जिस आदमी ने कनिका को पकड़ा हुआ था वो उसकी गर्दन को और कानो को चूम रहा था और जीभ उसकी गर्दन पे और कानो में चला रहा था। तभी जिस आदमी के हाथ पीछे थे उसने हाथ निकाले और बोला : यार इसके कपडे बिच में आ रहे है।
 
जिसने कनिका को पकड़ा था वो बोला : यार इसके कपडे फाड़ दे फिर ये चीख भी नहीं पायेगी और मेरे भी हाथ फ्री हो जायेगे।
 
उसका बोलना की कनिका का टॉप और ब्रा एक साथ फाड़ दिए। जिस आदमी का हाथ अभी भी कनिका पे था उसका हाथ दिखने लगा वो बुरी तरह से कनिका के बोबे मसल रहा था। तभी उसने अपना हाथ हटाया और एक कदम पीछे हो गया। अब दोनों कनिका की नंगी जवानी देखने लगे।
 
पहला आदमी : यार ये बस दिखावा कर रही है देख इसके बोबे कुछ और ही कह रहे है।
जिसने कनिका को पकड़ा था उसने अपना एक हाथ कनिका के बोबे पे रख दिया और दबाने लगा फिर बोला : हाँ रंडी के बोबे तन गए है और फिर उसने कनिका को एक हाथ से कमर से पकड़ लिया।
 
कनिका : प्लीज मुझे बक्श दो भगवन के लिए मुझे छोड़ दो प्लीजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
दूसरा आदमी : अभी भी नाटक चल तेरी चूत से पूछते है और वो कनिका की डेनिम की केप्री खोलने लगा। कनिका जोर जोर से पैर मरने लगी ताकि वो उस आदमी को रोक सके इस पर तीसरे ने अपना पजामा निचे करके लैंड बाहर निकल का उसको रंगता हुआ बोला : अब तुझे अन्दर तक रंग लगायेगे।
 
मैं समझ गया वो अब होली के नाम पर कनिका की इज्जत लुटने वाले है तो मैं जोर से चीखा : मादरचोद छोड़ दो लड़की को।
आदमी : अबे पकड़ इस चूतिये को और दो आदमी मेरी तरफ आने लगे। मैं थोडा सा डर गया था तभी मुझे बाग़ में पाइप दिखा मेने झट से उसे उठा लिया और बहुत जोर से घुमाने लगा। पाइप जा कर एक आदमी के मुह पे लगा और उसके मुह और नाक से खून बहने लगा। दोनों वही रुक गए मैं पाइप घुमाते हुए उनकी तरफ बड़ा तो वो तीनो भाग गए। कनिका भाग कर मेरे गले लग गयी और रोने लगी। मेरे हाथ कनिका की नंगी पीठ पर घूम रहे थे। मेरा लंड जो अभी शांत भी नहीं हुआ था फिर से जोर मरने लगा पर मेने अपने आपको संभाला।
मैं : कनिका कुछ नहीं हुआ चलो चुप हो जाओ।
कनिका : नहीं वो फिर आ जायेगे।
मैं नहीं आयेगे मैं यही पे ही हु जब तक मोदी अंकल नहीं आते तुम मत डरो मत ... मैं हु तुम्हारे पास। चलो अब कपडे पहन लो।
मेरी बात सुनकर कनिका को होश आया की वो नंगे बदन मुझसे लिपटी हुयी है। वो फ़ौरन घूम गई और अपने दोनों हाथ अपने बूब्स पे रख लिए।
मैं : कनिका चलो अन्दर जा कर कपडे पहन लो।
कनिका जैसे ही जाने लगी उसकी केप्री जिसका बटन छीना झपटी में टूट गया था निचे खिसक गई। वो लडखडा कर पीछे गिरने लगी मेने उसे पकड़ा। मेने देखा उसने पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी क्लीन शेव चूत मेरे सामने थी। उसके हाथ उसके बूब्स पे थे और मेरी आँखे उसकी चूत पर।
वो फिर से रोने लगी जिससे मैं होश में आया मेने उसे सीधा किया और उसकी केप्री को उसके घुटने से उठा कर ऊपर किया। ऐसा करते वक़्त मेरे हाथ उसके गांड की फांक में से गुजरे। हम दोनों के बदन में जैसे कोई झटका लगा पर मैं इतना गिर नहीं सकता कि किसी लड़की का ऐसे फायदा उठालू। मेने उसकी केप्री के बटन को बंदकिया
कनिका जैसे ही जाने लगी उसकी केप्री जिसका बटन छीना झपटी में टूट गया था निचे खिसक गई। वो लडखडा कर पीछे गिरने लगी मेने उसे पकड़ा। मेने देखा उसने पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी क्लीन शेव चूत मेरे सामने थी। उसके हाथ उसके बूब्स पे थे और मेरी आँखे उसकी चूत पर।
वो फिर से रोने लगी जिससे मैं होश में आया मेने उसे सीधा किया और उसकी केप्री को उसके घुटने से उठा कर ऊपर किया। ऐसा करते वक़्त मेरे हाथ उसके गांड की फांक में से गुजरे। हम दोनों के बदन में जैसे कोई झटका लगा पर मैं इतना गिर नहीं सकता कि किसी लड़की का ऐसे फायदा उठालू। मेने उसकी केप्री के बटन को बंद किया। .................... अब आगे
 
कनिका भी रो रही थी और चाह रहा था वो चुप हो जाये पर मेरा लंड उसको चोदना
मैं : कनिका तुम जल्दी से चेंज कर लो और पहले नहा लो अंकल के आने से पहले हम सब सही कर देगे किसी को पता भी नहीं चलेगा। तुम बाथरूम में जाओ मैं बहार से साफ़ करता हु
कनिका को मेरी बात सही लगी और वो बाथरूम में चली गयी मेने झट से वाईपर उठाया और बाहर साफ़ कर दिया। जब मैं अंदर आया तो देखा कनिका सिर्फ टॉवेल लपेटे हुए बाथरूम के बाहर खड़ी रो रही थी उसका इतना सेक्सी रूप देख कर मेरे लंड ने पेंट को तम्बू बना दिया।
मैं : (अपने आप को सँभालते हुए ) क्या हुआ क्यों रो रही हो
कनिका : उन्होंने मेरी पीठ से लेकर गर्दन सब जगह रंग लगा दिया है वो मैं कैसे साफ़ करुँगी
मैं : वो तो कपड़ो में छिप जायेगा
कनिका : नहीं मेरे कपडे डीप नैक के है
मैं : फिर क्या करे (मेने सोचा बेटा चांस मार ले ) मैं तुम्हारी पीठ को रगड़ देता हु
कनिका : तुम ????? मैं तुम्हारे सामने कैसे नहा सकती हु
मैं : अभी जो कुछ भी हुआ उसके बाद तुम्हारे पास मुझसे छुपाने को कुछ नहीं है और मैं सिर्फ तुम्हारी मदद करना चाहता हु ताकि अंकल तुम्हे गलत न समझे। बाकि तुम्हारी मर्जी।
मैं : अभी जो कुछ भी हुआ उसके बाद तुम्हारे पास मुझसे छुपाने को कुछ नहीं है और मैं सिर्फ तुम्हारी मदद करना चाहता हु ताकि अंकल तुम्हे गलत न समझे। बाकि तुम्हारी मर्जी।
मेने यह कह कर घूम कर वापिस बाहर कि और चल दिया और मन ही मन सोच रहा था डायलॉग तो मार दिया पर कही इतना शानदार मौका हाथ से न निकल जाये। अभी मैं दो कदम ही चला था कि...............
कनिका : रुको
मैं : बोलो
कनिका : तुम जो बोल रहे हो वो अपनी जगह सही है पर जो कुछ हुआ वो एक हादसा था पर अब
मैं (उसकी बात काटते हुए ) तुमको कुछ और समझ आ रहा हो तो बताओ
कनिका कुछ नहीं बोलती। मुझे और मेरे लंड दोनों को उम्मीद बन गयी।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#6
Bug 
कनिका ने जैसे ही चीखने की कोशिश की दुसरे आदमी ने उसका मुह बंद कर दिया।

तीसरा आदमी : साली नहीं मान रही तेरी इच्छा।
 
अब मैं तो रंग से ही होली खेलुगा। उसने जेब से रंग निकल कर हाथ में लिया और पहले आदमी ने जग से थोडा सा पानी उसके हाथ में डाल दिया। जैसे ही वो कनिका को रंग लगाने लगा। पहला आदमी बोला अरे इसके पापा इसे मार डालेगे मुह पे मत लगाना ...... इसके बदन पे लगा ले और बहुत ही जोर से तीनो हसने लगे। तीसरे आदमी ने झट से उसके टॉप में निचे से हाथ डाल दिए और उसको रंगने लगा। कनिका किसी भी तरह उनसे छूटने की कोशिश करने लगी पर वो बस कसमसाने के अलावा कुछ नहीं कर पाई।
 
अब पहले आदमी ने भी अपने हाथ उसके टॉप में ऊपर से डाल दिए और उसके बूब्स को रंगने लगा। जिसने हाथ निचे से डाला था उसने अपने हाथ टॉप के अन्दर से ही उसके पीछे ले गया और उसकी पीठ रंगने लगा। जिस आदमी ने कनिका को पकड़ा हुआ था वो उसकी गर्दन को और कानो को चूम रहा था और जीभ उसकी गर्दन पे और कानो में चला रहा था। तभी जिस आदमी के हाथ पीछे थे उसने हाथ निकाले और बोला : यार इसके कपडे बिच में आ रहे है।
 
जिसने कनिका को पकड़ा था वो बोला : यार इसके कपडे फाड़ दे फिर ये चीख भी नहीं पायेगी और मेरे भी हाथ फ्री हो जायेगे।
 
उसका बोलना की कनिका का टॉप और ब्रा एक साथ फाड़ दिए। जिस आदमी का हाथ अभी भी कनिका पे था उसका हाथ दिखने लगा वो बुरी तरह से कनिका के बोबे मसल रहा था। तभी उसने अपना हाथ हटाया और एक कदम पीछे हो गया। अब दोनों कनिका की नंगी जवानी देखने लगे।
 
पहला आदमी : यार ये बस दिखावा कर रही है देख इसके बोबे कुछ और ही कह रहे है।
जिसने कनिका को पकड़ा था उसने अपना एक हाथ कनिका के बोबे पे रख दिया और दबाने लगा फिर बोला : हाँ रंडी के बोबे तन गए है और फिर उसने कनिका को एक हाथ से कमर से पकड़ लिया।
 
कनिका : प्लीज मुझे बक्श दो भगवन के लिए मुझे छोड़ दो प्लीजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
दूसरा आदमी : अभी भी नाटक चल तेरी चूत से पूछते है और वो कनिका की डेनिम की केप्री खोलने लगा। कनिका जोर जोर से पैर मरने लगी ताकि वो उस आदमी को रोक सके इस पर तीसरे ने अपना पजामा निचे करके लैंड बाहर निकल का उसको रंगता हुआ बोला : अब तुझे अन्दर तक रंग लगायेगे।
 
मैं समझ गया वो अब होली के नाम पर कनिका की इज्जत लुटने वाले है तो मैं जोर से चीखा : मादरचोद छोड़ दो लड़की को।
आदमी : अबे पकड़ इस चूतिये को और दो आदमी मेरी तरफ आने लगे। मैं थोडा सा डर गया था तभी मुझे बाग़ में पाइप दिखा मेने झट से उसे उठा लिया और बहुत जोर से घुमाने लगा। पाइप जा कर एक आदमी के मुह पे लगा और उसके मुह और नाक से खून बहने लगा। दोनों वही रुक गए मैं पाइप घुमाते हुए उनकी तरफ बड़ा तो वो तीनो भाग गए। कनिका भाग कर मेरे गले लग गयी और रोने लगी। मेरे हाथ कनिका की नंगी पीठ पर घूम रहे थे। मेरा लंड जो अभी शांत भी नहीं हुआ था फिर से जोर मरने लगा पर मेने अपने आपको संभाला।
मैं : कनिका कुछ नहीं हुआ चलो चुप हो जाओ।
कनिका : नहीं वो फिर आ जायेगे।
मैं नहीं आयेगे मैं यही पे ही हु जब तक मोदी अंकल नहीं आते तुम मत डरो मत ... मैं हु तुम्हारे पास। चलो अब कपडे पहन लो।
मेरी बात सुनकर कनिका को होश आया की वो नंगे बदन मुझसे लिपटी हुयी है। वो फ़ौरन घूम गई और अपने दोनों हाथ अपने बूब्स पे रख लिए।
मैं : कनिका चलो अन्दर जा कर कपडे पहन लो।
कनिका जैसे ही जाने लगी उसकी केप्री जिसका बटन छीना झपटी में टूट गया था निचे खिसक गई। वो लडखडा कर पीछे गिरने लगी मेने उसे पकड़ा। मेने देखा उसने पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी क्लीन शेव चूत मेरे सामने थी। उसके हाथ उसके बूब्स पे थे और मेरी आँखे उसकी चूत पर।
वो फिर से रोने लगी जिससे मैं होश में आया मेने उसे सीधा किया और उसकी केप्री को उसके घुटने से उठा कर ऊपर किया। ऐसा करते वक़्त मेरे हाथ उसके गांड की फांक में से गुजरे। हम दोनों के बदन में जैसे कोई झटका लगा पर मैं इतना गिर नहीं सकता कि किसी लड़की का ऐसे फायदा उठालू। मेने उसकी केप्री के बटन को बंदकिया
कनिका जैसे ही जाने लगी उसकी केप्री जिसका बटन छीना झपटी में टूट गया था निचे खिसक गई। वो लडखडा कर पीछे गिरने लगी मेने उसे पकड़ा। मेने देखा उसने पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी क्लीन शेव चूत मेरे सामने थी। उसके हाथ उसके बूब्स पे थे और मेरी आँखे उसकी चूत पर।
वो फिर से रोने लगी जिससे मैं होश में आया मेने उसे सीधा किया और उसकी केप्री को उसके घुटने से उठा कर ऊपर किया। ऐसा करते वक़्त मेरे हाथ उसके गांड की फांक में से गुजरे। हम दोनों के बदन में जैसे कोई झटका लगा पर मैं इतना गिर नहीं सकता कि किसी लड़की का ऐसे फायदा उठालू। मेने उसकी केप्री के बटन को बंद किया। .................... अब आगे
 
कनिका भी रो रही थी और चाह रहा था वो चुप हो जाये पर मेरा लंड उसको चोदना
मैं : कनिका तुम जल्दी से चेंज कर लो और पहले नहा लो अंकल के आने से पहले हम सब सही कर देगे किसी को पता भी नहीं चलेगा। तुम बाथरूम में जाओ मैं बहार से साफ़ करता हु
कनिका को मेरी बात सही लगी और वो बाथरूम में चली गयी मेने झट से वाईपर उठाया और बाहर साफ़ कर दिया। जब मैं अंदर आया तो देखा कनिका सिर्फ टॉवेल लपेटे हुए बाथरूम के बाहर खड़ी रो रही थी उसका इतना सेक्सी रूप देख कर मेरे लंड ने पेंट को तम्बू बना दिया।
मैं : (अपने आप को सँभालते हुए ) क्या हुआ क्यों रो रही हो
कनिका : उन्होंने मेरी पीठ से लेकर गर्दन सब जगह रंग लगा दिया है वो मैं कैसे साफ़ करुँगी
मैं : वो तो कपड़ो में छिप जायेगा
कनिका : नहीं मेरे कपडे डीप नैक के है
मैं : फिर क्या करे (मेने सोचा बेटा चांस मार ले ) मैं तुम्हारी पीठ को रगड़ देता हु
कनिका : तुम ????? मैं तुम्हारे सामने कैसे नहा सकती हु
मैं : अभी जो कुछ भी हुआ उसके बाद तुम्हारे पास मुझसे छुपाने को कुछ नहीं है और मैं सिर्फ तुम्हारी मदद करना चाहता हु ताकि अंकल तुम्हे गलत न समझे। बाकि तुम्हारी मर्जी।
मैं : अभी जो कुछ भी हुआ उसके बाद तुम्हारे पास मुझसे छुपाने को कुछ नहीं है और मैं सिर्फ तुम्हारी मदद करना चाहता हु ताकि अंकल तुम्हे गलत न समझे। बाकि तुम्हारी मर्जी।
मेने यह कह कर घूम कर वापिस बाहर कि और चल दिया और मन ही मन सोच रहा था डायलॉग तो मार दिया पर कही इतना शानदार मौका हाथ से न निकल जाये। अभी मैं दो कदम ही चला था कि...............
कनिका : रुको
मैं : बोलो
कनिका : तुम जो बोल रहे हो वो अपनी जगह सही है पर जो कुछ हुआ वो एक हादसा था पर अब
मैं (उसकी बात काटते हुए ) तुमको कुछ और समझ आ रहा हो तो बताओ
कनिका कुछ नहीं बोलती। मुझे और मेरे लंड दोनों को उम्मीद बन गयी।
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मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#7
कनिका : तुम जो बोल रहे हो वो अपनी जगह सही है पर जो कुछ हुआ वो एक हादसा था पर अब

मैं (उसकी बात काटते हुए ) तुमको कुछ और समझ आ रहा हो तो बताओ
कनिका कुछ नहीं बोलती। मुझे और मेरे लंड दोनों को उम्मीद बन गयी।
मैं : हाँ अगर तुम दुनिया कि सोच रही हो तो यहाँ कोई और है नहीं और उनको तुम्हारे बदन पे रंग दिखा तो वो तुम्हे ही गलत बोलेगे उन घटिया लोगो को नहीं। हाँ अगर मुझ पर विश्वास नहीं है तो बात अलग है
कनिका : नहीं मुझे तुम पर पूरा भरोसा है पर.
मेने आगे बढ़ते हुए कहा : फिर कुछ मत सोचो
मेने कनिका का हाथ पकड़ा और उसको बाथरूम कि तरफ ले गया। कनिका ने मेरा कोई विरोध नहीं किया और वो खुद ही मेरे आगे बाथरूम में घुस गयी. हम दोनों बाथरूम में थे वो मेरे से एक कदम आगे खड़ी थी सर पर बालो का जुड़ा बांध रखा था उसके निचे उसकी गर्दन, कंधे और पीठ जो गुलाबी रंग से सनी थी जिस पर गीले बालो से कुछ बुँदे थी जो उसके चिकने सेक्सी रंगीन बदन पर बेशकीमती मोतियो कि तरह सज रही थी.
फिर भूरे रंग का तोलिया था जो उसने बूब्स छुपाने के लिए ऊपर बांध रखा था जो उसकी गांड तो छुपा रहा था पर सिर्फ नाम का जरा सी कोशिश से ही उसकी चूत नाम कि बुलबुल दिख जाती। फिर उसकी चिकनी मांसल जांघे थी. मैं उसको देख रहा था और मेरा लंड बगावत मचा रहा था कि घुस जाओ उस अँधेरी गलियो में.अगर मैं चाहता तो फायदा उठा सकता था पर मैं जनता था कि संतोष करके आराम से इस मुर्गी को खाया तो सारी जिंदगी खा सकता हु। कनिका शावर के निचे जा कर कड़ी हो गयी पर वो तोलिया नहीं उतार पा रही थी मैं जनता था ये उसकी शर्म है जो उसको रोक रही थी. मेने आगे बढ़कर उसके हाथ ऊपर किया और उसके बूब्स के बीच बनी घाटी जहा उसके तोलिये का छोर दबा था उसको निकला (मेने निकलते वक़्त ये ध्यान रखा कि उसको अटपटा नहीं लगे और मैं उसको थोडा सा हरकत करके उतेजित कर सकू ) इसलिए मेने अपना हाथ उसके लेफ्ट बूब के थोडा सा ऊपर उसके दिल पे रखा उधर हाथ रखते ही मुझे उसकी तेज धड़कनो का अहसास हो गया फिर मेने अपनी एक उंगली और अंगूठा उसकी क्लीवरेज जहा उसकी तोलिये छोर थी उसमें डाल कर कनिका का रिएक्शन देखा वो ऊपर कि तरफ देख रही थी और उसकी धड़कन ट्रैन से तेज हो गयी थी. मेने भी मोका भुनाने कि सोची और अपनी उंगलियो को थोड़ा सा चौड़ा कर के उसके बूब्स के ऊपरी हिस्से को हलके से दबाया।
मैं : कनिका मैं ये खोल दू क्या? अगर तुम्हे बुरा लग रहा हो तो रहने दू।
मैं उसकी हसरतो को टटोल रहा था और उसके शायद हो सकने वाले संकोच को भी ख़त्म कर रहा था साथ साथ अपनी उंगलियो को हिला हिला कर उसके बूब्स को महसूस कर मजे लूट रहा था यानि एक साथ तीन शिकार।
 
कनिका : व् व् व् व् वो.…………(जैसे वो नींद से जगी हो ) हाँ कर लो जो करना है मेरे पास कोई चारा नहीं है
उसकी इस बात से मैं समझ गया वो अंदर से टूट रही है और वो अपने अंदर फट रही है मैं कमीना हु पर घटिया नहीं इसलिए मेने लंड कि नहीं मानी और दिमाग से काम लिया। मेने उसका तोलिया निकाल दिया और उसके हाथो को उसके बूब्स पे रख दिया। मेरी इस हरकत से उसको कुछ अच्छा महसूस हुआ।
कनिका : थैंक्स
मेने शावर चालू किया और उसके भीगने पर शावर बंद कर के साबुन लगाना शुरू किया। मेरे हाथ लगते ही उसके बदन में ऐसे हरारत हुई जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो। मैं जानता था ये सब होगा मेरा लंड भी बहुत तेज झटका खा रहा था और मुझे बहका रहा था पर मैं जनता था कि हर एक कदम बड़ी सावधानी से रखना था इसलिए मेने सलीके से साबुन लगाना शुरू किया। पीठ के ऊपरी हिस्से में तो कोई दिक्कत नहीं हो रहे थी पर नीचे कमर के पास साबुन लगाने पर मैं सही से रगड़ नहीं पा रहा था पर मैं कुछ नहीं बोल रहा था। कनिका को भी मेरी परेशानी महसूस हो गयी.
कनिका : तुम को दिक्कत हो रही है ना मैं झुक जाती हु।
कनिका ने अपने हाथ उठा कर दीवार पर रख लिए और दीवार का सहारा ले कर झुक गयी पर उसके पैर दीवार से एक कदम पहले थे जिससे उसकी वो मस्त गांड जिसके बारे में सोच कर ही मेने न जाने कितनी बार मुठ मारी थी वो मस्त गांड मेरे आँखों के सामने थी और हाथो से कुछ ही दूर थी पर मैं अपने आप को रोक रहा था और मेरा लंड अपना सर चड्डी में ठोक रहा था.
अब मेने उसकी पूरी पीठ पर हाथ फैलाना शुरू किया पर मैं अपने हाथ उसकी कमर से थोडा ऊपर ही रोक रहा था मेरे हाथ उसकी पीठ के बीच में घूम रहे थे पर उसकी कमर और कंधे नहीं छू रहे थे।
कनिका : तुम शरमाओ मत अच्छी तरह से करो
कनिका की आवाज में अब मायूसी नहीं थी एक अजीब सी ख़ुशी थी मेने अभी भी खुद को सम्भालना सही समझा कि जब थोड़े सी देर में इतनी खुल गयी कि खुद आगे होकर छूट दे रही है तो खुद ही चूत भी देगी इसको भी तो लंड चाहिए। मैं उसके कंधो को रगड़ने लगा उसके कंधो को रगड़ने के लिए मुझे उसके करीब जाना पड़ा अब मेरा लंड उसकी गांड के लेफ्ट साइड में छू रहा था.
कनिका : हाँ ऐसे ही और नीचे का भी ध्यान रखना (अब उसकी आवाज में खनक थी)
मेने उसकी कमर पर किनारे से पकड़ कर अंगूठो से उसकी कमर की मसाज शुरू करी। ऐसा करने से उसको बहुत अच्छा लगा और मेरे छूने से उसकी कामवासना भी भड़क रही थी और मेरे व्यवहार से उसको मुझ पर भरोसा भी हो रहा था। अब मेने चांस लेने कि सोची और अपने हाथ धीरे धीरे निचे की तरफ ले जाने लगा और उसके कूल्हे सहला रहा था पर बड़ी जल्दी से हाथ हटा भी लेता जिससे उसको लगे गलती से हुआ होगा। मेरी हरकते रंग लेन लगी उसके बदन से रंग उतर रहा था और एक दूसरा रंग उसके ऊपर चढ़ रहा था।
कनिका : ऐसे ही ऊपर का भी रंग हटाओ
मेने अब थोडा आगे बढ़ना शुरू किया और वही करता रहा अब जब मैं उसके कंधो तक पंहुचा तब मेरा लंड उसकी गांड के फूल में टक्कर मार रहा था। वो चड्डी और पजामे में कैद था पर फिर भी उसने कनिका की गांड पर दस्तक दे दी। मेरा दिमाग इस सब की इजाजत नहीं दे रहा था पर :-
जब लंड खड़ा होता है.…… दोस्तों
जब लंड खड़ा होता है.…… दोस्तों
जब लंड खड़ा होता है.……
तो वो दिमाग से बड़ा होता है।।
मेरे लंड का जवाब भी कनिका की गांड ने पिछे होकर दिया उसकी इस हरकत से मेरे सभी सब्र के बाँध टूट गए और अब मैं अपनी औकात पर आ गया। अब मेरे हाथ उसकी बगलो के निचे थे और वही अंगूठो से पीठ पर मसाज चल रही थी पर अब मेरी उंगलिया भी हरकत करके उसके हवा में झूलते हुए बूब्स की मसाज करने लगी।
कनिका : उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह (उसके मुह से एक दबी हुई सिसकी निकली )
उसकी सिसकी ने मेरे दिल के सभी तार छेड़ दिए और मेने भी उसके बूब्स को हल्का सा दबा कर छोड़ दिया। अब कनिका अपनी गाण्ड मेरे लंड पर घिसने लगी मेने अब अपने हाथो से उसके अधर में झूलते हुए बूब्स को सहारा दिया और उनकी मसाज शुरू कर दी। कनिका अपनी गांड मेरे लंड पर जितना घिस रही थी मेरी हालत उतनी ख़राब हो रही थी क्युकी मेरी चड्डी आज मेरे लंड के विकराल रूप की वजह से तंग हो गयी थी जिसका पूरा अहसास मेरी आंडो पर होने वाले दवाब से पता चल रहा था. मेने अपने हाथ से उसकी गांड को पकड़ा और और उसकी कोमल मखमली गांड को निचोड़ने लगा और कुछ देर में एक उंगली को उसकी गांड कि गहराई कि ओर अग्रसर कर दिया जैसे ही मेरी उंगली उसकी गांड के छेद से टकराई उसके बदन को झटका लगा और वो सीधी हो गयी और पीछे आकर मुझसे सट गयी अब उसने अपनी गर्दन पीछे करके पहले मेरे गाल को चूमा फिर हम दोनों के होठ मिल गए। उसकी इस हरकत से मेरी उंगली उसकी गांड में घुसने में नाकाम हो गयी। कनिका ने पहले मेरे दोनों हाथ अपने बूब पर रख कर दबाने चालू किये (हम अभी भी एक दूसरे के होठो का रसपान कर रहे थे बिना अलग हुए हमारे होठ आपस में सिल गए थे ) जैसे ही मेने उसके बूब्स मसलना शुरू किया उसने अपने हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को पजामे और चड्डी कि कैद से आजादी दिला दी और मेरे लंड से खेलने लगी. मैं भी उसके निप्पल से खेल रहा था मेने उसके लेफ्ट बूब के निप्पल को बहुत जोर से उमेठा इससे उसके होठ मेरे होठो से अलग हुए और वो जोर से चीखी : आआह्हह्हह्हह्ह
अब उसने पलटी खायी और पहली बार उसकी चूत और मेरा लंड एक दूसरे के आमने सामने थे, मेरे लंड ने उसकी गुलाबी चूत को सलामी दी. कनिका मेरी और बड़ी पर मैं पीछे हो गया
कनिका : क्या हुआ (उसकी हालत बिना पानी के मछली जैसी हो गयी)
मैं : ताजमहल से ज्यादा तराशी हुयी इस खूबसूरती को एक नजर भर के देख तो लू
कनिका (अपने के हाथ से अपनी चूत और दूसरे से अपने दोनों बूब्स को छुपाने कि नाकाम कोशिश करते हुए ) मुझे शर्म आती है
मैं : हाय ये झाकते बूब और ये छुपी चूत
आज मेरे दिल को लेगे लूट
मैं फिर से कनिका के पास गया और कनिका मुझ पर भूखी शेरनी कि तरह झपटी और मेरे होठो को चूमने और काटने लगी और फिर अपनी जीभ मेरे मुह में घुसा दी उसके मुह का लार्वा मेरे मुह में घुल रहा था और इससे जो नशा हो रहा था वो किसी भी तरह के नशे से ज्यादा नशीला था. मेरे हाथ उसके बदन पर फिर रहे थे मेने एक हाथ उसकी भट्टी कि तरह तपती हुयी चूत पर रखा दिया। पहले उसके बहुत जोर से भींचा फिर उसको सहलाने लगा
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#8
मैं फिर से कनिका के पास गया और कनिका मुझ पर भूखी शेरनी कि तरह झपटी और मेरे होठो को चूमने और काटने लगी और फिर अपनी जीभ मेरे मुह में घुसा दी उसके मुह का लार्वा मेरे मुह में घुल रहा था और इससे जो नशा हो रहा था वो किसी भी तरह के नशे से ज्यादा नशीला था. मेरे हाथ उसके बदन पर फिर रहे थे मेने एक हाथ उसकी भट्टी कि तरह तपती हुयी चूत पर रखा दिया। पहले उसके बहुत जोर से भींचा फिर उसको सहलाने लगा

कनिका : उउउउउउउनन्न्ननम्म्म्म्म्म (उसकी जीभ मेरे होठ और दांतो में जकड़ी हुयी थी जिससे उसकी सिसकिया जन्म लेने के साथ ही दम तोड़ रही थी)
अब मेने अपनी उंगली उसकी गीली चूत में घुसा दी और उसकी चूत की गहराई से सफाई करने लगा। वो मेरे बाल सहला रही थी कभी पीठ पर उसकी जीभ अभी भी मेरे मुह में थी जिसे मैं चूस रहा था। हम दोनों जैसे सांस लेना भूल गए थे या साँसों कि हमको जरुरत ही नहीं थी. मेरी उंगली उसकी चूत की खुदाई में लगी हुयी थी जैसी ही उसकी चरम सीमा पास आयी उसका एक हाथ मेरे बालो को पकड़ कर मेरे सर को खुद की तरफ धकेलने लगी जैसे वो भी अपनी जीभ से मेरे मुह कि गहराई नापना चाहती हो और दूसरे हाथ से मेरे पीठ पर अपने हाथ से नाख़ून चुभने लगी। कुछ देर बाद वो और उसकी चुत के विस्फोट के साथ ठंडी हो गयी। उसकी चूत ने तो पानी का विस्फोट किया और कनिका ने "आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहीईईईईईईईईईईईई आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की जबरदस्त चीख का। उसने फिर मुझ को खुद अलग किया और घुटनो के बल बैठ गयी। उसने मेरा पजामा और चड्डी जो सिर्फ थोड़े से निचे हुए थे उनको उतार दिया फिर मुझे धक्का देकर दीवार के सहारे भिड़ा दिया और मेरे लंड अपने हाथ में लेकर उसको घूर रही थी और आहे भर रही थी। मैं खड़ा हुआ उसको ऊपर से देख रहा था साबुन के झाग जो रंग से गुलाबी थे उसके मखमली बदन को और गुलाबी और शरबती बना रहा था और उसका भीगा हुआ साफ़ चेहरा वाह……………… क्या नजारा था।
कनिका ने अब अपना खेल शुरू किया उसने मेरे लंड के टोप को जीभ से सिर्फ छेड़ा उसकी इस हरकत से मेरे पुरे बदन में सनसनी फ़ैल गयी फिर उसने अपनी जीभ टोप पर चारो तरफ फिराई। मेरे टोप को मुह में लिए और लोलीपोप कि तरह चूसते हुए बाहर निकला फिर झट से अपने होठो से मेरे टट्टो (आंडो ) को दबा कर चूसने लगी। मैं सातवे असमान पर था और वो मेरे लंड से किसी भी माहिर पोर्न स्टार से बेहतर तरीके से खेल रही थी। कनिका सिर्फ मेरे लण्ड के टोप और आंडो से खेल रही थी पूरा लंड नहीं चूस रही थी जो मेरी हालत पतली कर रहा था। उसने जैसे ही टोप को फिर से मुह में लिया मेने उसका सर पकड़ कर झटका दिया और आधा लण्ड उसके मुह में घुसा दिया। कनिका ने अपने मुह हो राईट में झटका जिससे मेरा लण्ड उसके मुह से प्ााा (जैसे बोतल खुलने पर आवाज होती है ) करके बहार आगया।
कनिका : अगर तुम मेरे मुह में झड़ गए तो मेरी आत्मा प्यासी रह जायेगी मुझे चोद दे
अब मेने भी बिना देर किये उसको वही बाथरूम में ही लेटाया और उसकी टांगे चौड़ी करके उसकी चूत में लंड घुसना शुरू किया अभी मेरा लंड घुसा भी नहीं था तभी बाहर से कार के हॉर्न कि आवाज आयी कनिका झटके से मुझसे दूर हो गयी
कनिका : पापा आ गए
मैं : मादरचोद
कनिका : अब क्या करे अपनी हालत देखो और गेट भी खुला है अब क्या करे ……
अब मेने भी बिना देर किये उसको वही बाथरूम में ही लेटाया और उसकी टांगे चौड़ी करके उसकी चूत में लंड घुसना शुरू किया अभी मेरा लंड घुसा भी नहीं था तभी बाहर से कार के हॉर्न कि आवाज आयी कनिका झटके से मुझसे दूर हो गयी
कनिका : पापा आ गए
मैं : मादरचोद
कनिका : अब क्या करे अपनी हालत देखो और गेट भी खुला है अब क्या करे …………
~
~
~
 
मेने उसको जल्दी से प्लान बताया और खुद अपने कपडे पहन कर वापिस से वाइपर उठा कर गेट कि तरफ भगा। अभी गेट पर पंहुचा ही था कि उसके माँ बाप आ गए और उन्होंने मुझे देखते ही चौकते हुए सवाल ही सवाल दाग दिए।
मोदी अंकल : तुम यहाँ ? क्या कर रहे हो ? और ये वाइपर तुम्हारे हाथ में कैसे ? और ये रंग कैसे फैला हुआ है ?
मोदी आंटी : बीटा तुम यहाँ ? कनिका किधर है ?
मैं : वो व्वव्वव्व वो अंदर है
अंकल : तुम क्या कर रहे हो यहाँ पर
मैं : व्वव्वव्वव्वव्वो आआअअंकल ……………………………
इतने में अंदर से कनिका भाग कर आयी
कनिका : (सीधा माँ के लिपट कर ) मम्मी आज इसने मुझे बचा लिया
आंटी : क्या हुआ बेटी ?
कनिका ने रोते हुए उन तीन लोगो के बारे में बता दिया
अंकल : (मेरी तरफ देखते हुए ) ये तुम्हारे होठो पे क्या हुआ है ?
कनिका के होश उड़ गए मेने बात सम्भाली।
मैं : अंकल वो जब उन तीनो से लड़ाई हुई थी तब लग गयी होगी
आंटी : मैं तुम्हे दवाई लगा देती हु
मैं : नहीं आंटी अभी बस घर ही जा रहा हु
अंकल : बेटा तुम ये हाथ में वाइपर लेकर क्या कर रहे हो ?
मैं : अंकल वो ये सब साफ़ कर रहा था ये रो रही थी कि आप को पता चला तो आप गुस्सा होगे इसलिए
अंकल : देखो बच्चो हम तुम्हे समझते है और तुम्हे गलती पर ही डांटते है बिना बात नहीं
मैं : ठीक है अंकल अब मैं चलता हु
मैं घर आया और सीधा बाथरूम में घुस गया और अपने लोडे को हिला कर ही खाली किया। मैं सोच रहा था क्या चुतिया दिन है दो बार मौका लगा और भी हाथ में लेकर ही हिला रहा हु। पर एक बात कि ख़ुशी थी चलो अब मुझे कनिका मिल गयी बस मौका मिलने पर उसकी चूत भी मिल जायेगी।
मैं घंटे भर बाद बाहर आया तो देखा मेरा मोबाइल बज रहा था फ़ोन प्रियंका का था
मैं : हाँ बोलो
प्रियंका : किधर था कितनी देर से फ़ोन मिला रही हु
मैं : नहा रहा था
प्रियंका : सुन शाम को आ जाना
मैं : क्यों मैं नहीं आता (मैं थोडा सा नाराज था आज जो हुआ )
प्रियंका : शाम को दोनों बाजार चलेगे और मेरे साथ चलेगा तो हलवा मिलेगा नहीं तो हाथ से मलेगा
मैं : हाँ मैं चलूगा (मैं उसकी बात का मतलब समझ कर खुश था )
अब मैं खाना खा कर सो गया और शाम के सपने देखने लगा।
4
 
 
शाम को लगभग 5 बजे मुझे मम्मी ने जगाया और बोली : प्रियंका, आई है उठ जा!
मैं जागते हुए सोचा : कितनी बड़ी रंडी है साली चुदने कि इतनी खुजली कि खुद ही आ गयी.
मैं उठा और बहार आया वो सोफे पे थी! उसका चेहरा तो साफ़ था पर उसके कुर्ते के गले से दिख रहा सीना जिस पर मेने अपने हाथो से रंग मला था उस पर रंग लगा हुआ था!
प्रियंका : सुन आधे घंटे में घर आ जाना और तैयार होकर आना ऐसे ही मत आ जाना। अभी मैं जा रही हु और देख फिर से बुलाना नहीं पड़े.समझ गया ना
मैं समझ गया वो मुझे कंडोम के लिए कह रही है और मुझे भी तो उसको चोदने की तलब थी तो मैं कैसे देर करता।
 
मेने हाथ मुह धोया और नाश्ता करके पहले कंडोम लेने गया फिर शर्मा जी के घर गया. मुझे लगा था कि घर में कोई नहीं होगा पर मैं गलत था सब लोग गार्डन में ही बैठे गप्पे लड़ा रहे थे. मैं भी उनके साथ बैठ गया.
प्रियंका : सुन अभी तू मुझे मार्किट ले कर चलेगा इसलिए तुझे बुलाया है.
यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया बहनचोद फिर से चुदाई नहीं वो भी एक दिन में दूसरी बार
करीबन 15 मिनट बाद हम घर से शर्मा जी कार से निकले हमारे साथ दिव्यंका भी थी इसलिए मैं चुपचाप गाड़ी चला रहा था. पहले तो उन्होंने थोड़ी शौपिंग करी फिर दिव्यंका को ब्यूटी पार्लर जाना था तो हमने उसको उधर छोड़ा और जैसे ही हम आगे बड़े
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#9
करीबन 15 मिनट बाद हम घर से शर्मा जी कार से निकले हमारे साथ दिव्यंका भी थी इसलिए मैं चुपचाप गाड़ी चला रहा था. पहले तो उन्होंने थोड़ी शौपिंग करी फिर दिव्यंका को ब्यूटी पार्लर जाना था तो हमने उसको उधर छोड़ा और जैसे ही हम आगे बड़े

प्रियंका : क्या हुआ मेरी जान मुह क्यों लटका है ? किसी ने गांड मार दी ?
मैं : मादरचोद चुप रह मुझे मत कुरेद कही बीच बाज़ार तेरा बलात्कार नहीं कर दू ?
प्रियंका : देखु तो सही कितना बैचेन है तेरा लौड़ा (यह कहकर उसने मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी )
मुझे अच्छा तो लग रहा था पर अब मुझे सिर्फ चुदाई करनी थी
मैं : हाथ हटा ले रंडी
प्रियंका : क्यों गाड़ी नहीं चल रही मेरे राजा
मैं : रंडी हाथ हटा ले और मेने उसका हाथ हटा दिया
प्रियंका : हरामी सुबह तो बोबे रगड़ लिए अब नाटक कर रहा है देख अभी तक रंग नहीं गया
मैं : नाटक मैं कर रहा हु या तू
प्रियंका : मादरचोद तुझसे चुदवाने के लिए मरी जा रही है ये चूत और तू अब गांड मरा रहा है
मैं : रंडी क्या रोड पर चुदवाएगी ?
प्रियंका : ओह्ह्ह अब समझ आया इसलिए मेरा राजा नाराज है पर चूतिये तुझे यहाँ मैं साथ में चुदाई के लिए लाई हु इस गांड मराई में तो मेरा पति एक्सपर्ट है
मैं (खुश होते हुए ) पर चुदायेगी कहा पर
प्रियंका : चल इधर मोड़ ले
मैं : इधर तो स्टेडियम है पूरा खुला है खुले में कैसे …………… कोई भी आ सकता है
प्रियंका : जानु आज कोई नहीं आएगा क्युकी इस वक़्त यहाँ पर सिर्फ पीने वाले आते है और आज सबने सुबह ही चढ़ा ली होगी
मैं : वाह मेरी रांड तू तो कमाल है मेने अपना एक हाथ उसके कुर्ते में डाल दिया और बूब मसलने लगा
प्रियंका : रुक पहले गेट से उलटे हाथ पे ले ले और फिर वो छोटी सी गली है उसमे लेले
मैं : कितनी बार चुद गयी यहाँ पर
प्रियंका : गाड़ी पर ध्यान दे गली बहुत छोटी है
मेने गली में से गाड़ी निकाली और फिर जैसे ही घुमा उधर एक टीन शेड था और बहुत अँधेरा था
मेने उधर गाड़ी रोक दी और प्रियंका उतर कर चल दी मैं चुप चाप देख रहा था वो गयी और एक टिन का पतला सा टुकड़ा उस रस्ते पर रख दिया ताकि कोई आ नहीं सके। मैं उसकी तैयारी देख कर हैरान था
प्रियंका : तू क्या खड़ा हुआ देख रहा है हमारे पास टाइम नहीं है चल पिछली सीट को बाहर निकाल ले
मेने वैसा ही किया
मैं जैसे ही पलटा तो प्रियंका मुझ पर टूट पड़ी उसने मुझे गाड़ी पे धक्का दिया और मेरे होंठ चूसने लगी वो मेरे होंठ ऐसे चूस रही थी मुझे लग रहा था कि अभी मेरे होंठ बाहर निकल जायेगे लगभग 2 - 3 मिनट के बाद उसने मुझे छोड़ा
मैं : तू तो ऐसी लग रही है जैसे महीनो से नहीं चुदी
प्रियंका : हाँ तू सही कह रहा है बहुत दिन हो गए चुदे हुए
मैं : कल रात को चूतिये ने नहीं चोदा तुझे
प्रियंका : वो भड़वा सिर्फ खुद झड़ जाता है और मुझे छोड़ देता है प्यासा, पहले तो मैं झड़ जाती थी पर अब नहीं
फिर मेने टाइम वेस्ट करते हुए उसको पकड़ा और उसका कुरता उतार दिया फिर झट से उसके ब्रा के कप को निचे करके उसके बूब को चूसने लगा
उसने मेरे सर में हाथ फिरना शुरू कर दिया फिर मेने अपने दाँत से उसके बूब को पकड़ा और जीभ से उसके निप्पल पर फिरने लगा वो पागल हो गयी और मेरे सर को अपने बूब पर दबाने लगी
प्रियंका : आह ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआअह्हह्हह
मेने अपना हाथ उसकी सलवार में डाल दिया उसने पेंटी नहीं पहनी थी और मेने अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी और उसको गोल गोल घूमने लगा प्रियंका मेरी हरकतो से बहुत गर्म हो रही थी और अपने हाथो से उसने मेरा लौड़ा पेंट के ऊपर से पकड़ रखा था फिर उसने मेरी पेंट खोल दी और अंडरवियर भी निकल दिया।
अब मेने एक और उंगली उसकी चूत में घुसा दी और फिर से गोल गोल घूमने लगा वो अब पागल हो गयी उसने मेरा लौड़ा तो छोड़ दिया और मेरी गांड पकड़ कर खुद कि तरफ खीचने लगी प्रियंका चीखने लगी : आआह्हह्हह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म मैं झड़ने वाली हु आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और फिर मेरे हाथ उसकी चूत से निकली चाशनी से भीग गए अब उसने बिना देर किये अपना बूब मेरे मुह से छुड़ाया और निचे बैठ गयी और मेरा लौड़ा मुह में लेकर चूसने लगी. वो मेरे लंड पर अपनी जीभ फिरने लगी मेरी उत्तेजना बहुत बड़ गयी मेने उसके बाल पकड़ लिए और उसने मेरे आंड अपने मुह में ले लिए और ऐसे चूसने लगी जैसे सारा वीर्य वो वही से चूस लेगी। फिर उसने मेरा लंड छोड़ दिया और झट से सीट पर लेट गयी उसने टांग फैला दी और बोली : आ जा डाल दे तेरा लौड़ा और बुझा दे मेरी प्यास ( वो उस कार कि लाइट में नंगी टांगे फैलाये बिलकुल ब्लू फ़िल्म की रांड लग रही थी )
मैं भी उसके गुलाम कि तरह उसका हुक्म मान कर उसके पास गया, और उसकी टांगे अपने कंधो पर रखा और जोर से झटका मारा
प्रियंका : बाहर निकाल
मैं : जान अभी मजा आयेगा बस थोडा सा दर्द होगा
प्रियंका : भड़वे दर्द होगा तेरी माँ को, तेरे जैसे कितने ले लिए और चूस लिए इस चूत ने ……………… कंडोम पहन ले
मेने झट से पेंट से कंडोम निकाला और फिर से उसकी टांगे उठा कर एक झटके से पूरा लंड घुसा दिया प्रियंका कि चीख आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी
मैं : तू अभी कुछ बोल रही थी
प्रियंका : आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मजा आआआअ रहाआआ है बकवास मत कर बस चुदाई कर
मैं भी पूरा लंड निकाल निकाल कर उसकी चूत में घुसा रहा था और वो मेरे हर झटके पे चीख रही थी अब मेने झुक कर उसके बूब को चूसना शुरू कर दिया और प्रियंका आआह्हह्हह्हह उह्ह्म्म्म्म्म्म जोरररर से और जोर से ऊउह्ह्ह्ह्म्म्म आआआह्हह्हह्हह्ह।
उसने मेरा मुह ऊपर किया और मेरे होठ चूसना शुरू कर दिया उसने अपनी जीभ मेरे मुह में डाल दी और मेरे पुरे मुह में घूमने लगी उसकी जीभ आज वो कमाल कर रही थी इतना मजा आ रहा था कि बयां नहीं हो सकता शब्दो में
फिर उसके हाथ मेरी पीठ पर जकड गए और उसके नाख़ून मेरी पीठ में धंसा दिया मैं समझ गया वो झड़ने वाली थी मेने अपनी स्पीड बड़ा दी और कुछ ही झटको में मैं और वो एक साथ झड़ गए और मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया.
थोड़ी देर बाद मैं उठा वो अभी भी सीट पर ही पड़ी थी उसकी दोनों टांगे सीट से निचे लटकी हुयी थी और उसकी खुली हुयी चुद से मेरा वीर्य और उसका रस मिल कर रिस रहा था मैं उस मनमोहक द्रश्य को देखता रह गया
प्रियंका : क्या घूर रहा है चल खड़ा कर हाथ दे
मेने उसको सहारा देकर खड़ा किया और फिर सीट को कपडे के पोछ कर फिर से गाड़ी में लगा दी और फिर उस जगह से निकल पड़े
गाड़ी में
प्रियंका : आज जो मेने मजा लिया वो मुझे कभी नहीं मिला तू क्या चुदाई करता है तूने मुझे जीत लिया
मैं : तो क्या इनाम देगी मुझे
प्रियंका : अब मैं कल नहीं जाने वाली अब यही रुक कर तुझसे चुदवाना और तेरा बच्चा कोख में ही लेकर जाउंगी
मैं हैरान था ये बात सुनकर पर तभी हम ये बाते करते हुए ब्यूटी पार्लर पहुच गए थे और दिव्यंका बाहर ही खड़ी थी वो गाड़ी में बैठ गयी।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#10
nice storty
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