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Adultery घर की बात सेक्स कहानियाँ
#1
मैं आप लोगों को आज अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।। मेरा नाम राहुल है और मैं एक बिज़नसमैन हूँ। मेरे घर में हम चार लोग हैं- पिताजी, माँ, मैं, और मेरी छोटी बहन !


बात आज से 4 साल पहले की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मेरी बहन दसवीं में थी। मेरे पिताजी अक्सर घर देर से ही आते थे क्योंकि बिज़नस की वज़ह से उन्हें देर हो जाती थी और माँ ज्यादातर अपने घर के काम में या फिर टीवी देखने में व्यस्त रहती थी। मेरी बहन जिसका नाम रिया है अधिकतर पढ़ाई करती रहती थी।

मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा था। मगर एक दिन मैं अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था कि एकदम से रिया मेरे कमरे में आ गई मैंने उसको देखते ही कंप्यूटर बंद कर दिया मगर उसने सब देख लिया था लेकिन वो कुछ बोली नहीं। मैं उससे कुछ नहीं कह पाया, वो हिम्मत करके मेरे पास आई और बोली- भईया मुझे यह सवाल नहीं आ रहा, इसको हल करने में मेरी मदद करो। मैंने कहा- ठीक है !

लेकिन मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मैंने उसका सवाल हल कर दिया। फिर वो जाने लगी तो मैंने उससे बोला- जो भी तुमने देखा है, वो किसी को मत बताना !

तो वो बोली- भईया, मैं किसी को नहीं बताउंगी पर यह सब अच्छी चीज़ नहीं हैं, आप मत देखा करो !

मैंने उससे कहा- ठीक है !

फिर वो चली गई लेकिन उस दिन मुझे उसे देख कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ, मेरे दिल में उसके लिए गलत ख्याल आने लगे। मैं आपको बता दूँ कि रिया देखने में बहुत ही सेक्सी है। उसका फिगर 34-26-34 है, रंग हल्का साँवला है। जो भी उसको एक बार देख ले, उसका लंड अपने आप ही खड़ा हो जाए।

दो दिन बाद दोपहर के वक़्त माँ घर का काम निपटा कर सो रही थी और मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। इतने में रिया आई और बोली- भईया उठो, मुझे एक सवाल समझ नहीं आ रहा, मुझे समझा दो।

तो मैं उठ कर उसे सवाल समझने लगा। लेकिन आज उसके मेरे पास बैठने से मुझे कुछ-कुछ हो रहा था, उसकी खुशबू मेरी साँसों में भर रही थी। मैं सवाल पर ध्यान नहीं लगा पा रहा था कि इतने में वो बोली- भईया, क्या बात है ?

तो मैं बोला- मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए मैं यह सवाल नहीं कर पा रहा हूँ !

तो वो बोली- भईया, नींद तो मुझे भी आ रही है ! ऐसा करते है ख़ी कुछ देर के लिए सो जाते हैँ, बाद में सवाल कर लेंगे।

इतना कह कर वो आपने कमरे की तरफ जाने लगी तो मैंने उससे कहा- रिया, कहां जा रही है? यहीँ पर सो जा ! थोड़ी देर में तो उठ कर सवाल करना ही है।



तो वो बोली- ठीक है !

फिर वो मेरे बगल में आकर सो गई। मैं भी सोने का नाटक करने लगा। लेकिन नींद तो आ ही नहीं रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने आपना एक हाथ हिम्मत करके उसके चूचों पर रख दिया और कोई हरकत नहीं की ताकि उसको ऐसा लगे कि गलती से नींद में रखा गया हो।

थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज चलने लगी। फिर मैंने हिम्मत करके उसकी टांग के बीच अपनी टांग फंसा दी। अब वो मेरी पकड़ में थी, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी पर उसने अभी तक कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।

मैंने अपने हाथ से उसके चूचे मसलना चालू कर दिया, कुछ देर बाद वो बोली- भईया, यह क्या कर रहे हो?

तो मैंने उससे साफ़ साफ़ कह दिया- मैं तुझे प्यार करता हूँ और जब भी तू मेरे सामने आती है तो मैं अपने होश खो बैठता हूँ।

वो बोली- भईया, यह सब सही नहीं है ! अगर किसी को पता चल गया तो? और वैसे भी हम भाई-बहन हैं।

मैंने उससे कहा- किसी को पता नही चलेगा ! और भाई-बहन हैं लेकिन हैं तो लड़का-लड़की ! इतना तो सब में ही चलता है ! आखिर एक दिन तो तुम्हें किसी न किसी से चुदना ही है तो अपने भाई से ही क्यों नहीं !


इतना कह कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा विरोध भी कर रही थी। तो मैंने उससे कहा- तुम मेरा साथ दो तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और घर की बात घर में ही रहेगी।

तो उसने करवट ली और मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा ला दिया और बोली- ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए !

मैंने उससे कहा- तू फिक्र मत कर !

फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे। फिर उसके बाद मैंने उसका कुरता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार दी।

क्या क़यामत लग रहे थे उसके चूचे !

मैंने एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसल रहा था और उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। फिर उसने मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपने हाथ से दबाने लगी। मुझे लगा जैसे कि मैं जन्नत में पहुँच गया।

इतनी में मैंने उसकी जींस और पेंटी नीचे सरका दी। फिर उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के बगल में लेटे थे। मैंने देर न करते हुए उसे अपनी बाहों में समेट लिया और कहा- मैं तुम्हारे बदन की गर्मी लेना चाहता हूँ, इसका अहसास लेना चाहता हूँ !

रिया बोली- केवल आप ही नहीं मैं भी यही चाहती हूँ !

उसका इतना कहना था कि मैं तो खुशी से पागल हो गया। फिर मैंने अपनी जीभ से उसका पूरा बदन चाटा, फिर मैं उसकी टांगों के बीच गया और उसकी गुलाबी पंखुड़ी वाली चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसकी चूत में हल्के-हल्के बाल थे। मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी, वो तो जैसे पागल ही हो उठी और उसके पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया।

वो बोली- भईया, मैं मर जाउंगी !

और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी तो वो बोली- भईया, मुझे भी आपका लंड चूसना है !

तो हम 69 की मुद्रा में आ गए। अब हम दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे और फिर हम दोनों एक एक करके झड़ गए। इसके बाद हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेट गए। थोड़ी ही देर में हम फिर से गर्म हो गए और मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा तो वो बोली- भईया, अब नहीं रहा जाता ! अपना लंड अन्दर डाल दो !

मैं उसकी टांगो के बीच आ गया, उसकी चूत अभी कुँवारी थी और मैं उसे दर्द नहीं पहुँचना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने पहले अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया, फिर उसकी चूत पर भी थूक से मालिश कर दी। मेरा लुंड सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है।


उसके बाद मैंने अपना लंड रिया की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अन्दर करने लगा, पर जा नहीं रहा था इसलिए मैंने एक हल्का सा धक्का लगा दिया तो रिया जैसे तड़प सी गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई। मेरे लंड का सुपारा अन्दर जा चुका था। फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उसके चूचे मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने हल्के-हल्के लंड अन्दर डालना चालू किया और बीच बीच में हल्का सा धक्का भी मार देता था जिससे कि उसकी चीख निकल जाती थी। लेकिन मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख रखे थे जिससे उसकी चीख बाहर न जाये। अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत बहुत ही कसी थी और मैं हल्के-हल्के अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। शुरु में तो उससे थोड़ा दर्द हुआ पर फिर उसे भी मज़े आने लगे और वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।

अब हम दोनों चुदाई का पूरा आनंद ले रहे थे। वो कह रही थी- भईया और जोर से !

मैं भी रिया से कह रहा था- देख ! बहन को अपने भाई से चुदने में कितना मज़ा आता है !

वो बोली- हाँ भईया, सही में बहुत मज़ा आ रहा है ! यह तो सबको करना चाहिए ! लेकिन दुनिया के ये झूठे रिवाज़ हमें रोके रखते हैं। भईया, मैं तो ये सोचती हूँ कि कोई भी किसी के साथ भी चुदाई कर सकता है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो रिश्ते में क्या लगते हैं, आखिर वो हैं तो मर्द और औरत ही !

और हम ऐसे ही बातें करते करते चुदाई का आनंद लेते रहे। शायद रिया एक बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी चरम सीमा तक पहुँच चुका था और फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ एक दूसरे में समां गए और अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और एक दूसरे को पूरी ताकत से पकड़ लिया।

फिर हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया। हम लोग उस वक़्त भी बिलकुल नंगे थे, मुझे रिया के चूतड़ दिखाई दिए बिल्कुल गोल-गोल और मुलायम ! बिल्कुल गोरे-गोरे और चिकने !

मेरा लंड फिर से जोर मारने लगा। मैं उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और ले जाकर उसे फिर से बिस्तर पर डाल दिया।

वो बोली- भईया, अब क्या?

मैंने उससे कहा- बहन, मुझे तेरी गांड मारनी है !

तो वो बोली- नहीं भईया ! मुझे बहुत डर लगता है, गांड मरवाने में तो बहुत दर्द होगा !

तो मैंने उससे कहा- मैं दर्द नहीं करूँगा, आराम आराम से करूँगा !

वो बोली- भईया, मार लेना मेरी गांड, लेकिन अभी नहीं, अभी बहुत देर हो गई है और माँ भी उठने वाली होगी हम गांड का प्रोग्राम किसी और दिन करेंगे।


मैं मान गया और उसके होठों का एक लम्बा चुम्मा लिया और उसके चूचे भी दबाये। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर रिया चाय बनाने चली गई।

मैंने और रिया ने मिलकर चाय पी। फिर वो अपने कमरे में चली गई।

मैंने रिया की गांड कैसे मारी, यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा।
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#2
बढ़िया कहानी......अगले अपडेट की प्रतीक्षा
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#3
waiting for the next update....
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#4
Nice start 
Hot story 
Keep it up
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#5
Good start
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#6
(07-02-2024, 12:15 AM)Pentagon Wrote: बढ़िया कहानी......अगले अपडेट की प्रतीक्षा

Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#7
 भाई बहन फिर से




!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#8
(05-03-2024, 01:59 PM)neerathemall Wrote:
 भाई बहन फिर से




!

पहले मैं आप लोगों को अपनी फ़ैमिली के बारे में बताता हूँ.
हमारे घर में चार लोग हैं.
पापा, मां, मैं (उम्र 25 साल) और मेरी एक बहन, जो कि अभी 20 साल की है. उसका नाम रिया है.

मेरी बहन रिया देखने में बहुत ही खूबसूरत है. उसका फ़िगर 34-28-36 का है.
उसका गोरा रंग और ऐसा क़ातिलाना फ़िगर देख कर अब तक ना जाने कितने मर्दों की नली से रस निकल चुका है.

वह ज़्यादातर जींस और टॉप पहन कर बाहर निकलती है और जब लोग उसे देखते हैं तो पक्का उसे मन ही मन चोदने लगाते हैं.
आख़िर ऐसी खूबसूरत लड़की को देख कर किसका लंड खड़ा नहीं होगा.

यह वर्जिन सिस्टर चुदाई कहानी 2 साल पहले की है.
दीपावली का त्योहार आने वाला था तो मां ने हम लोगों को साफ़ सफ़ाई के काम में लगाया था.
साफ़ सफ़ाई करते वक्त मेरी बहन को एक किताब मिली जो उसने मुझे दिखायी. 

जब हमने उस किताब को खोला तो देखा कि उसमें सेक्स कहानियां और सेक्स आसनों के बारे में लिखा था.
ये देखकर मेरी बहन पूछने लगी- ये क्या है?
तब मैंने उससे कहा- कुछ नहीं है. 

ये कह कर मैंने वह किताब बंद करके अपने पास रख ली.
वह गुस्सा होकर वहां से चली गयी.

शाम को साफ़ सफ़ाई करने के बाद हम सब लोगों ने मिल कर खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने कमरे में चले गए.
मेरी बहन और मैं एक ही कमरे में सोते थे तो मैंने कमरे की लाइट बंद करके नाइट बल्ब जला दिया और उसके सोने का इंतज़ार करने लगा ताकि सुबह मिली किताब को पूरा पढ़ सकूँ.

जब बहन सो गयी तो मैंने धीरे से फ़ोन की लाइट जलायी और वह किताब पढ़ने लगा.
नाइट बल्ब में इतनी रोशनी नहीं होती है कि किताब आसानी से पढ़ी जा सके.
इसलिए मैंने मोबाइल की टॉर्च जला ली थी.

उसमें एक कहानी बहन और भाई के सेक्स की भी थी.
जिसको पढ़ कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा. 

जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती गई, मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा होकर चड्डी से बाहर निकलने को होने लगा. 
मैंने अपने लंड को अपनी चड्डी से निकाल दिया और मुट्ठ मारने लगा.
मगर दिक़्क़त तब हुई, जब कहानी तो ख़त्म हो गयी मगर मेरी वासना अभी तक शांत नहीं हुई.

तभी मेरी नजर मेरी सोती हुई बहन की नंगी गोरी और चिकनी टांगों पर पड़ी.
उसकी टांगों को देख कर मैं और ज़ोर ज़ोर से मुट्ठ मारने लगा.

मेरी बहन घर पर ज़्यादातर शॉर्ट्स पर ही रहती है पर मैंने पहले कभी भी उसको ऐसी नजरों से नहीं देखा था.
पर पता नहीं आज क्यों मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और देखते ही देखते मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.

सच में आज लंड से पानी भी काफ़ी मात्रा में निकला था.
उसके बाद बहन की गोरी टांगों को देखते देखते पता नहीं कब नींद लग गयी, पता ही नहीं चला.

सुबह जब बहन ने मुझे जगाया, तब मेरी नींद खुली.
वैसे तो रोज मुझे जगाने का काम मेरी बहन ही करती थी, पर पता नहीं आज क्यों उसके जगाने का तरीक़ा कुछ उखड़ा हुआ था. 

शायद वह कल की बात को लेकर अब तक गुस्सा थी.
पर अब मेरा मन तो उसकी जवानी के मज़े लेने का होने लगा था, तो मुझे अब कुछ भी करके उसके गुस्से को प्यार में बदलना था.

जब मैं उठकर कमरे से बाहर निकला, तब तक घर से पापा काम पर जा चुके थे और मां किचन में खाने की तैयारी में लगी हुई थीं.
तभी बहन मां को आवाज लगाती हुई बोली- मां, मैं नहाने जा रही हूँ. तब तक आप खाना बना दीजिए. फिर मुझे स्कूल भी जाना है.
अब मैं हॉल पर बैठ कर फ़ोन चलाने लगा. कुछ देर में जब बहन नहा कर निकली तो मैं उसको देखता ही रह गया.
गीले बाल, सफ़ेद तौलिया उसने बूब्स के ऊपर से बांधी हुई थी जकि मुश्किल से उसकी गोरी जांघों तक पहुंच रही थी.
उसके गोरे शरीर पर पानी की वे चमकती बूँदें उफ्फ … क्या मस्त माल लग रही थी.

उसको ऐसे देखते थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कि मेरी तोप ने भी पोजीशन लेनी शुरू कर दी थी.
उसके कमरे में जाते ही में सीधा बाथरूम में घुस गया और मुट्ठ मारने लगा. 

तभी मेरी नजर उसकी नीले रंग की ब्रा पर पड़ी.
फिर मैं उसकी ब्रा को अपने लंड में लपेट कर मुट्ठ मारने लगा और पूरा माल उसकी ब्रा पर ही गिरा दिया.

थोड़ी देर में मैं फ़्रेश होकर बाहर निकल आया और खाने के लिए बैठ गया.
बहन भी बैठ कर खाना खा ही रही थी. 

तभी मैंने उससे पूछा- तू गुस्सा क्यों है?
उसने कुछ जवाब नहीं दिया.

मैंने दुबारा उससे पूछा तो उसने कहा- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है.
मैंने धीरे से उससे कहा- तू कल की बात को लेकर अब तक गुस्सा है ना! चल तेरा गुस्सा ख़त्म करता हूँ. आज रात को मैं तुझे वह दूँगा, जिसके लिए तू गुस्सा है.
यह सुनते ही उसके चेहरे पर ख़ुशी झलक उठी.
वह बोली- सच भाई?
मैंने कहा- हां एकदम सच.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
फिर वह स्कूल के लिए निकल गयी और मैं घर पर रह कर शाम का इंतज़ार करने लगा.
आज का दिन काटे नहीं कट रहा था.
किसी तरह दिन ख़त्म हुआ. शाम हुई, सबने खाना खाया और सोने के लिए मैं अपने कमरे में आ गया.

थोड़ी देर में बहन भी कमरे में आ गयी आज उसने एक हल्की सा जालीदार लाल टॉप और नीचे शॉर्ट्स पहना हुआ था. 
वह कमरे में आने के बाद मेरे बग़ल में आकर बैठ गयी और लालच भरी निगाहों से मेरी तरफ़ देखने लगी.
तब मैंने उससे कहा- अभी थोड़ी देर रुको, पहले सभी को सो जाने दो.

दस बजे के पास घर पर मम्मी पापा सो गए थे.
तब मैंने धीरे से उसे उठाया तो वह तुरंत उठ कर बैठ गयी.

फिर मैंने उसे वह किताब निकाल कर पढ़ने को दी और उसे अपने बग़ल मैं बैठ लिया.
वह बहुत ही शांति से सेक्स कहानियां पढ़ने लगी.

मैंने उससे कहा- तुम लेट कर आराम से पढ़ो.
वह भी बिना कुछ बोले लेट कर पढ़ने लगी.

थोड़ी देर बाद मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके गोरी जांघ पर रख दिया जिस पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
शायद वह कहानी में इतना खो गयी थी कि उसे पता ही नहीं चला.

फिर मैंने अपना दूसरा हाथ धीरे से उसके सिर पर रखा और उसके काले बालों से खेलने लगा.
कुछ देर बाद मैंने धीरे से एक हाथ उसके बूब्स पर रखा और उन्हें दबाने लगा.
तभी वह बोली- भाई ये क्या कर रहे हो?

मैंने उससे कहा- देखो रिया तुम कहानी पढ़ कर जो महसूस कर रही हो, उससे ज़्यादा मज़ा इसमें आएगा.
तो वह बोली- पर आप मेरे भाई हो!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#10
इस बात पर मैंने उसे भाई बहन की सेक्स कहानी खोल कर पढ़ने के लिए बोला.
वह पढ़ने के बाद बोली- भाई क्या ये सब सच में होता है?
मैंने कहा- और नहीं तो क्या!

फिर मैं धीरे से उसके बूब्स दबाने लगा और उससे कहने लगा- देखो रिया अब तुम बड़ी हो गयी हो. तुम्हें हर चीज की जानकारी होनी चाहिए इसलिए मैं तुम्हें सब कुछ सिखाऊंगा.
इस बात पर वह कुछ नहीं बोली और उसने धीरे से सिर हिला दिया.

अब मैंने बिना टाइम जाया किए उसके मुलायम होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा.
थोड़ी देर में वह भी मेरा साथ देने लगी.

फिर धीरे से मैंने अपने दोनों हाथों से उसके टॉप को उतार दिया.
उसने काली रंग की ब्रा पहनी हुई थी, जो उसके गोरे मम्मों को आधा ही ढक पा रही थी.
उस काली ब्रा से बाहर झांकते हुए आधे दूध बड़े ही क़यामत ढा रहे थे.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध दबाने लगा, तो वह भी सिसकारियां लेने लगी.

‘उफ़्फ़ आह आह उफ़्फ …’ करने के साथ ही वह अपने होंठों को भी काट रही थी.
मैं अपने हाथों को और नीचे ले गया और धीरे से उसके शॉर्ट्स को खोलने लगा.

जल्दी ही मैंने उसके शॉर्ट्स को उतार दिया.
शॉर्ट्स के अन्दर उसने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
हल्की रोशनी में गोरे बदन पर काली रंग की ब्रा और पैंटी उफ़्फ़्फ … मेरी बहन क्या माल लग रही थी.
उसे ऐसे देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उस पर टूट पड़ा.

मैंने उसके होंठों को चूमने से शुरूआत की.
वह भी मेरा जम कर साथ दे रही थी. 

कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में तो कभी मेरी जीभ उसके मुँह में.
फिर मैं उसकी गर्दन पर किस करते हुए उसको मम्मों को चूसने और काटने लगा. 

वह आहें भरने लगी- उफ़्फ़ ओह्ह आह.
मैंने अपने थूक से उसके दोनों मम्मों की … और पूरे पेट की मसाज सी कर दी.
थूक की मसाज के बाद उसका बदन पूरा चमक रहा था.

इसके बाद मैं अपनी दोनों उंगलियां पैंटी के बग़ल से ही उसकी चूत में घुसाने लगा.
उसने झट से अपने पैरों को सिकोड़ लिया.

फिर मैं अपने सिर को नीचे ले जाकर उसके दोनों टांगों के बीच ले गया
उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
लग रहा था कि वह भी लंड के लिए तड़प रही थी.

मैंने अपनी जीभ को धीरे से उसकी चूत में लगाया और चाटने लगा.
उसकी चूत में जीभ लगाते ही जैसे उसकी जान ही निकल गयी हो … उसकी सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज उठा ‘उफ्फ आह उम्म शीईई आराम से भैया.’
वह मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी.

थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं तुरंत उसका पूरा रस पी गया.
शायद ही मैंने उतना स्वादिष्ट रसपान पहले कभी किया था. 

वह भी ढीली पड़ गयी.
उसकी गुलाबी चूत के होंठ उफ … क्या क़यामत लग रहे थे.

फिर मैंने अपनी चड्डी उतार दी और अपना सात इंच लम्बा लंड उसके हाथ में थमा दिया.
लंड में हाथ लगाते ही वह आंखें फाड़ कर बड़ी सोच के साथ उसे घूरे जा रही थी. 

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
वह बोली- भाई इतना बड़ा … मुझे डर लग रहा है!

मैंने उससे कहा- अरे कुछ नहीं होगा, तुम पहले इसे चूसो.
पहले तो वह मना करती रही, पर बाद में काफ़ी कहने पर मान गयी.

जैसे ही उसने अपने जीभ से लंड को छुआ आह … मेरा लंड तो फटने को हो रहा था.
उसने मेरे लंड को पूरे मज़े के साथ मुँह में लेना शुरू कर दिया. 

बीच बीच में मैं उसका सर पकड़ कर पूरा अन्दर तक लंड डाल देता, जिससे उसकी सांस रुक जाती और वह छटपटाने लगती.
दस मिनट की मुँह चुदाई के बाद वह मुझसे बोली- भाई मेरी चूत में खुजली हो रही है, जल्दी से अब कुछ करो.
मैंने भी बिना देर किए उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी गोरी गांड के पीछे एक तकिया सैट कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#11
उसकी गुलाबी चूत पूरी भीगी हुई थी.
मैंने बिना देर किए अपना लंड उसकी चूत के छेद पर लगाया और एक ज़ोर का झटका दे मारा.

उसकी चूत शायद कभी चोदी नहीं गयी थी क्योंकि झटके के बाद भी मेरा लंड थोड़ा सा ही उसकी चूत में घुस पाया और वह चिल्लाने लगी.
उसकी आंखों में पानी भर आया.

मैंने थोड़ी देर इंतज़ार किया और फिर से एक झटका मारा. मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए सीधा अन्दर प्रवेश कर गया और उसकी चीख निकल गयी.
मैं डर गया कि कहीं कोई सुन ना ले इसलिए मैं तुरंत उसके होंठों को चूमने लगा और उसके दर्द के कम होने का इंतज़ार करने लगा. 
जैसे ही उसका दर्द कम हुआ, मैंने धीरे धीरे अपना लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
कुछ देर में उसे भी मज़ा आने लगा.
वह भी अपने दोनों पैरों को मेरी कमर पर लपेट कर मज़े लेने लगी- उफ़्फ़ आहह हम्म्म शीई ओह आह और तेज … और तेज यस ऐसे ही चोदो … आह फाड़ दो मेरी चूत आज … आह!

उसकी कामुक आवाज़ें निकलने लगीं.
बहन की गर्म आवाजें मुझे और भी परवान चढ़ा रही थीं. मैंने भी उसे हचक कर चोदना शुरू कर दिया. 

वह और तेज चिल्लाने लगी- फ़क मी … और तेज आज भोसड़ा बना दे मेरी चूत का … आह!
वह उस वक्त बिल्कुल चुदी चुदायी लड़की के जैसी चुद रही थी, लग रहा था कि बहुत लंड ले चुकी हो.
क़रीब 30 मिनट की जबरदस्त चुदायी के बाद मैंने अपना माल उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
agle update ki pratiksha hai...
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