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पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी
#1
ये कहानी मेरे परिवार की स्टोरी है। मेरा नाम शुभम है। हमारे घर के बगल में एक दिवेदी अंकल रहा करते थे। मेरे पापा के वो अच्छे दोस्त थे। उनका पुराना नाम राजेश दिवेदी था। वो एक प्रिवेट कम्पनी में मनेजर थे और महीना का १० लाख कमाते थे। उनकी बीबी ने उनको छोड़ दिया था और उनके किसी दोस्त के साथ दिवेदी अंकल की बीबी भाग गयी थी और खूब चुदवाती थी।

मैं और मेरी बहन उस समय नादान थे। मैं १५ साल का था और मेरी बहन किसी कच्ची कली जैसी १७ साल की माल थी। हम लोग दिवेदी अंकल के घर रोज शाम को खेलने जाते थे। हम दोनों भाई बहन बहुत मासूम थे और दुनिया में कितने बुरे बुरे लोग भी रहते है हम भाई बहन को ये बात नही पता थी। हम भाई बहन दिवेदी अंकल को बहुत अच्छा इन्सान समझते थे। क्यूंकि वो हर शाम को हमारे लिए खिलौने और तरह तरह की खाने पीने की चीज लेकर आते थे। अंकल हम दोनों के लिए फल, मिठाइयाँ, चोकलेट, जूस, और तरह तरह की टॉफी लेकर आते थे। एक दिन शाम को मैं और मेरी बहन वैशाली दिवेदी अंकल के घर खेलने के लिए गये हुए थे। "अंकल??..अंकल?? ..कहा है आप????' मैंने आवाज लगाई। पर अंकल कही नही दिखाई दिए।

हम भाई बहन अंदर कमरे में गये तो दिवेदी अंकल पूरी तरह से नंगे थे। उनका लंड खड़ा था और वो कुछ अपने लंड से कर रहे थे। हम दोनों को देखकर वो थोडा डर गये थे। उन्होंने तुरंत एक तकिया उठा पर अपना लंड छुपा लिया। हम भाई बहन बहुत मासूम और सीधे थे। हम कुछ दुनियादारी नही जानते थे।

"अंकल !!...ये कपड़े उतारकर क्या कर रहे है???" अंकल बोले

कुछ देर तक वो कुछ नही बोले। पर मैं हल्का हल्का जान गया था की वो मुठ मार रहे थे। फिर अचानक उनकी नजर मेरी जवान १७ साल की कच्ची कली और माल मेरी बहन वैशाली पर पड़ी। असल में जबसे दिवेदी अंकल की बीबी उनके किसी दोस्त के साथ भाग गयी थी और वहां पर चुदवाती थी। अब अंकल अकेले हो गये थे और उनके पास मारने के लिए अब कोई चूत नही थी। इसलिए वो हाथ से मुठ मारकर काम चलाते थे। पर जब आज उन्होंने मेरी जावन बहन को देखा तो वो उसे चोदने के बारे में सोचने लगे। दिवेदी अंकल को कहीं दूसरी जगह चूत ढूंढने की जरूरत नही थी, क्यूंकि चूत तो उनके सामने ही थी।

"शुभम बेटा!! आज मैं तेरे सामने तेरी जवान बहन को चोदूंगा!!" अंकल मुझसे बोले। मैं तो हँसने लगा और मेरी जवान बहन भी खिलखिलाकर हँसने लगी। क्यूंकि हम दोनों अभी तक यही समझ रहे थे की ये चोदना कोई खेल होता होगा। कई बार दिवेदी अंकल हम लोगो के साथ आइस पाइस खेलते थे। कभी हम लोगो को अपने पैर पर बिठाकर घोडा घोडा खेलते थे और हवा में उपर उछालते थे। इसलिए हम दोनों यही समझ रहे थे की शायद ये चोदन कोई खेल होता होगा।

"ऐ वैशाली!! आज तुमको दिवेदी अंकल चोदेंगे!!" मैंने हँसते हुए कहा। उसके बाद उन्होंने वैशाली को अपने पास बुला लिया और उसका हाथ पकड़कर चूमने लगे। मैं बहुत खुश था। क्यूंकि मैं यही समझ रहा था की ये चोदना कोई बहुत बढ़िया गेम होगा। वैशाली उन दिनों टी शर्ट और जींस पहनती थी। उसकी छातियाँ काफी बड़ी बड़ी हो गयी थी। क्यूंकि मेरी बहन चुदने लायक सामान हो गयी थी। वैशाली को अंकल ने अपने पास बुला लिया और इधर उधर उसको किस करने लगे। फिर उसके गुलाबी और खूबसूरत होठो को दिवेदी अंकल चूमने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने वैशाली के दोनों हाथ उपर कर दिए और उसकी उनकी लाल टी शर्ट को निकाल दिया। मेरी बहन ने समीज पहन रखी थी। अंकल ने वो भी निकाल दी उसके बाद मेरी बहन वैशाली उपर से नंगी हो गयी। उसकी रसीली छातियाँ अब दिवेदी अंकल के सामने थी। फिर अंकल वैशाली को सोफे पर ले गये और अपने सीने से लगा लिया। मेरी बहन को ये नही मालूम था की वो चुदने वाली थी। वो तो यही समझ रही थी की ये कोई बढ़िया गेम चल रहा है।

अंकल बिलकुल पागल हो गये थे। वो वैशाली के गाल, गले और सब जगह चूम रहे थे। अंकल मेरी बहन को चोदना चाहते थे और चुदाई की हवस मैं उनकी आँखों में साफ देख सकता था। दिवेदी अंकल की उम्र कोई ४५ साल की रही होगी। उन्होंने मेरी बहन को अपने सीने से लगा रखा था। वैशाली की चिकनी नंगी पीठ पर अंकल के हाथ किसी सांप की तरह यहाँ वहां दौड़ रहे थे। वो वैशाली को अपना घरेलू माल समझ रहे थे और उसे चोदने वाले थे। मेरी नंगी बहन के खूबसूरत जिस्म की खुसबू दिवेदी अंकल ले रहे थे और मजा मार रहे थे। वो बड़ी देर तक वैशाली की नंगी नंगी छातियों को देखकर अपनी आँखें सेकते रहे। फिर आखिर वो जादुई पल आ गया जब अंकल ने अपने पड़े पड़े हाथ मेरी बहन की मस्त मस्त सफ़ेद चुचियों पर रख दिए।

किसी लाल पके टमाटर की तरह दिवेदी अंकल मेरी बहन के मस्त मस्त बेहद खूबसूरत दूध मजे लेकर दाबने लगे। मैं उस समय दोस्तों १६ साल का था। मैं काफी नादान था दोस्तों। पर पता नही क्यों मुझे ये गेम अच्छा लग रहा था। मैं नही जानता था की इस गेम का क्या नाम था।

"दबाइए अंकल!!.और तेज तेज मेरे दूध दबाइए!!..मुझे इस गेम में बड़ा मजा आ रहा है!!" वैशाली बोली

उसके बाद तो दिवेदी अंकल की चुदास आसमान के जितनी ऊँची हो गयी। वो मेरी बहन के दोनों मुलायम मुलायम दूध अपने हाथ से दाबने लगे। उनको इस वक़्त बहुत मजा मिल रहा था। फिर वो जोर जोर से मेरी बहन की छातियाँ मजे लेकर दाबने लगे। कुछ देर बाद दिवेदी अंकल ने वैशाली को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बड़े बड़े दूध को मुँह में भर लिया। वैशाली की कड़ी कड़ी छातियाँ ३४" की तो आराम से होंगी। दोस्तों जब मैंने दिवेदी अंकल को अपनी बहन की चुचियाँ पीते हुए देखी तो पता नही क्यों मुझे बड़ा रोमांच मिल रहा था। बहुत मजा आ रहा था मुझे। दिवेदी अंकल उम्र में कितने बड़े थे, पर मेरी १७ साल की बहन के दूध वो किसी बच्चे की तरह पी रहे थे। वैशाली की छातियाँ बहुत बड़ी बड़ी और बहुत सेक्सी थी। मैं तो जान नही पाया की कब मेरी बहन चोदने पेलने और खाने लायक हो गयी। दिवेदी अंदर ने वैशाली के दूध पूरा मुँह के अंदर तक ले रखे थे।

मैं ताली बजाने लगा।

"अंकल!! आप मेरी बहन के दूध पी लीजिये!!" मैं कहने लगा और ताली बजाने लगा। जबकि मुझे इस बात पर नही हँसना चाहिए था क्यूंकि अंकल मेरी बहन की इज्जत लूटने वाले थे, उसे किसी माल की तरह रगडकर चोदने वाले थे। ये कोई अच्छी बात नही थी। पर दोस्तों, मैं नादान और नासमझ लड़का था। अपनी बहन को चुदते देखना कोई अच्छी बात नही होती है। पर मैं इस सब को कोई गेम समझ रहा था। दिवेदी अंकल मजे से मेरी बहन की छातियाँ बदल बदलकर पी रहे थे। वो जन्नत के मजे लूट रहे थे। हाथ ने वैशाली के टमाटर को मन चाहे तरह से दबा रहे थे। मेरा लंड भी ये सेक्सी गेम देख कर खड़ा हो रहा था। फिर अंकल के हाथ धीरे धीरे मेरी बहन की पतली कमर की तरफ बढ़ने लगे। अंकल ने वैशाली के पतले पेट और कमर पर काई बार कामुक अंदाज में हाथ फेरा और जे लेकर चिकनी कमर को सहलाने लगे। फिर अंकल ने वैशाली को सोफे पर लिटा दिया और उसके पतले पेट को चूमने लगा। मैं १४ साल का था, कुछ नही जानता था की ये सब क्या हो रहा है, पर मुझे इस गेम में खूब मजा मिल रहा था। फिर अंकल बड़ी देर तक विशाली के पेट सहलाते रहे। वैशाली सोफे पर लेट गयी। अंकल उसका पेट चूमने लगे। बड़े सेक्सी और कामुक अंदाज में अंकल उसका पेट चूम रहे थे। वैशाली भी अंगराई लेने लगी। फिर अंकल ने अपनी जीभ मेरी चुदासी और लंड की प्यासी बहन की नाभि में डाल दी और उसे सताने लगी।

मैं खड़ा खड़ा देख रहा था की वैशाली को इसमें बड़ा मजा मिल रहा था। वो अपनी गांड उठाने लगी थी। वो इस वक़्त पूरी तरह से नंगी नही थी, उसने अपनी नीली जींस पहन रखी थी। फ़िलहाल अंकल मेरी बहन की ढोडी [नाभि] पीने में मस्त थे। वो कभी उस गहरी नाभि में अपनी ऊँगली डालते, तो कभी अपनी जीभ। बड़ी देर तक ये गेम चला। उसके बाद दिवेदी अंकल के हाथ वैशाली की जींस पर आ गये। वो जींस के उपर से ही वैशाली की चूत सहलाने लगी। कुछ देर बाद वैशाली को कुछ कुछ होने लगा।

"करिये अंकल!!..मेरे यहाँ पर अपना हाथ लगाकर सहलाइए!..बहुत अच्छा लग रहा है!!" वैशाली बोली

ये सुनकर दिवेदी अंकल बहुत खुश हुए। वो फिर से जींस के उपर से उसकी चूत सहलाने लगे। वैशाली इनती नासमझ थी की उसको ये भी नही पता था की अंकल उसकी चूत में हाथ लगा रहे है। वैशाली चूत शब्द ने अज्ञान थी। वो चूत और लंड के बारे में और उसके रिश्ते के बारे में कुछ नही जानती थी। फिर कुछ पलों बाद अंकल ने वैशाली की जींस खोल दी और निकाल दी। वैशाली ने पेंटी पहन रखी थी। अंकल उसकी पेंटी के उपर से उसकी बुर सहलाते रहे बड़े देर तक। उसके बाद वैशाली की चूत रसीली हो गयी और उसका माल निकलने लगा। चूत के रस से पैंटी भीग गयी। अंकल ने वैशाली के दोनों पैर खोल दिए और अपना सर वैशाली की चूत के अंदर डाल दिया और उसकी लाल रंग की गीली पेंटी को चाटते रहे। वो अपनी जीभ निकलकर किसी कुते की तरह मेरी बहन की पेंटी चाटने लगे। कुछ देर बाद दिवेदी अंकल ने वैशाली की पेंटी निकाल दी, तो उसकी चूत का बुरा हाल था।

चूत अपने ही रस से डबडबा आई थी। दिवेदी अंकल ने अब फुल एंड फाईनली अपनी जीभ मेरी बहन वैशाली की बुर पर रख दी और उसको पीने लगे। ऐसा लग रहा था की मेरी बहन की चूत बहुत मीठी चीनी जितनी मीठी होगी। जो अंकल उसको मजे लेकर पी रहे थे। वैशाली अब मेरे सामने थी और पूरी तरह नंगी हो गयी थी। माँ कसम ...वो चोदने खाने वाला माल लग रही थी। दिवेदी अंकल तो जन्नत के मजे लूट रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने मेरी बहन के गुलाबी भोसड़े में अपना लंड डाल दिया। इतना जोर का धक्का लौड़े से वैशाली के भोसड़े में मारा की एक बार में ही उसकी सील टूट गयी और अंकल का लंड उनकी बुर की गहराई नापने लगा। मेरी बहन रोने लगी। अंकल ने उसका दर्द नही देखा और उसे पका पक चोदने रहे। वैशाली बड़े बड़े मोटे मोटे आशुं बहाने लगी। अंकल ने उसके आशू पी लिए।

मेरे सामने मेरी बहन एक उम्र दराज आदमी से चुद रही थी। और मैं इसे कोई गेम समझ रहा था। पर जो भी हो दोस्तों, मुझे इस चुदाई के गेम में बड़ा मजा मिल रहा था। अंकल ने विशाली को अपने कब्जे में ले रखा था। वो कहाँ ४० ४५ किलो की दुबली पतली लडकी थी, वही अंकल १ कुंतल के आदमी थे। उनके बजन से मेरी बहनियां चुदी जा रही थी, मरी जा रही थी और दबी जा रही थी। वैशाली के सफ़ेद मखमली जिस्म पर सिर्फ का कब्जा था। वो पक पक मेरी बहनिया को चोद रहे थे। जब जल्दी जल्दी अंकल का लंड वैशाली की चूत से टकराता था वो पक पक की आवाज निकलती थी। मेरी बहन चाह कर भी वहां से भाग नही सकती थी। कुछ देर बाद अंकल ने ने अपना मुँह वैशाली के मुँह पर रख दिया और उसके खूबसूरत होठ पीते पीते उसको पेलने लगा। चट चट पट पट की आवाज के साथ अंकल वैशाली के भोसड़े में ही शहीद हो गए।

अब मेरी बहन को दर्द नही हो रहा था। बाद में उसने मजे से अंकल का लंड अपनी हसीन चूत में खाया था।

"वैशाली बेटे! ..ये गेम तुमको कैसा लगा???" अंकल ने पूछा

"..बहुत मजा आया अंकल!!" वैशाली बोली

"...पर इस गेम का नाम क्या है??' वैशाली ने पूछा

"बेटे!!...इस गेम का नाम है..ठंडा लौड़ा गर्म चूत में!!" अंकल बोले

"ठंडा लौड़ा गर्म चूत में!!..ये तो काफी अच्छा नाम है!" वैशाली खुस हो गयी।

उसके बाद दोस्तों, दिवेदी अंकल मेरे साथ वो सब करने लगे। मुझे चूमने चाटने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे नंगा कर दिया। और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। फिर अंकल मेरे ओंठ चूसने लगे।

"शुभम बेटा! चलो अब मेरा लंड चूसो!!" दिवेदी अंकल बोले

मैं मजे लेकर उनका लंड चूसने लगा। अंकल ने एक गन्दी पिक्चर टीवी पर लगा दी जिसमे एक गांडू वाली पिक्चर चल रही थी। उन्होंने मुझे वो देख देख कर उनका बड़ा हथौड़े जैसा लंड चूसने को बोला। दोस्तों, मैंने ऐसा ही किया। कुछ देर बाद दिवेदी अंकल का असलहा बहुत बड़ा हो गया। बड़ी मुस्किल से मेरे छोटे से मुँह में दाखिल हो पा रहा था। फिर अंकल ने जोर का धक्का दिया और पूरा लंड मेरे मुँह में गच से अंदर घुस गया। अंकल ने मेरे सर को दोनों कानो पर कसके पकड़ लिया और मेरा मुँह चोदने लगे। मेरी बहन वैशाली जो अभी अंकल से चुद चुकी थी ताली बजाने लगी। "ये...ये हुई ना बात!!" वैशाली बोली।

दोस्तों, कुछ देर बाद अंकल ने मुझे कुत्ता बना दिया।

"बेटी वैशाली !! मैं तेरे भाई के साथ भी वही गेम खेलने जा रहा हूँ जो अभी तेरे साथ खेल रहा था!" दिवेदी अंकल बोले

"कौन सा...वो ठंडा लौड़ा गर्म चूत में वाला गेम अंकल???" वैशाली से खुस होकर पूछा

"हाँ बेटा...पर इस बार गेम में नाम कुछ बदल गया है। इस बार इसका नाम ठंडा लौड़ा गर्म गांड में हो गया है" अंकल बोले

"ये..." मेरी बहन वैशाली बहुत खुश हो गयी

"बेटी किचन से जाकर सरसों का तेल ले आना!" दिवेदी अंकल बोले। कुछ मिनट में वैशाली किचन से सरसों के तेल की पूरी बोतल ही उठा लाई। अंकल ने ढेर सारा तेल मेरी गांड और अपने लंड में मल दिया। उसके बाद आधे घंटे तक मेरी गांड मारी। उनको खूब मजा मिला, पर मुझे बहुत दर्द होने लगा। हम दोनों भाई बहन ने अपने अपने कपड़े पहन लिए। दिवेदी अंकल ने हम दोनों को ढेर सारे खिलौने दिए और कई चोकलेट दी।

"बच्चों !! इस गेम के बारे में अपने पापा मम्मी से मत कहना!" अंकल बोले। दोस्तों, उसके बाद उन्होंने ५ साल तक मेरी गांड मारी और वैशाली का चूत चोदन किया। आपको ये कथा कैसी लगी
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#2
Nice please continue
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