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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#1
चक्रव्यहू (1st Part)


        "कल तेरे ऊपर दस रूपए मेरी बाॅल के और बीस रूपए इन्ट्रेस्ट, कुल मिलाकर तीस रुपए हो जाएँगे और यदि तूने कल पूरे तीस रूपए नहीं दिए तो मैं कल तेरा स्कूल बैग तुझसे छीन लूँगा।" आठ वर्षीय हर्षित को उसी के हमउम्र, लेकिन उससे हष्ट-पुष्ट छात्र ने सख्त लहजे में चेतावनी दी तो हर्षित घबरा गया और उस छात्र से गिड़गिड़ाकर बोला- "मोहित भाई, मैं कल इतने पैसे कहाँ से लाऊँगा ?"
     
        "ये तुम्हें मेरी बाॅल गुम करने से पहले सोचना था। तू कल इज्जत से मेरे पैसे दे देना, नहीं तो मैं तेरा वो हाल करूँगा जो तू सोच भी नहीं सकता।" मोहित ने सख्त लहजे में जवाब दिया।

       "ओए, तू क्या कर लेगा इसका ? इसे हाथ तो लगाकर बता, मैं तेरा वो हाल करूँगी कि तेरी सात पुश्ते भी किसी को सताने की हिम्मत नहीं कर पाएगी।" हर्षित के साथ खड़ी उसकी सहपाठी निक्की ने किसी शाविका (शेरनी की बच्ची) की तरह गुर्राकर मोहित को चेतावनी दी। 

      "ये निक्की, तू बीच में मत आ, नहीं तो....?" 

      "तू मेरा क्या कर लेगा रे ?" कहकर निक्की ने मोहित की काॅलर पकड़ ली।

      "ये निक्की, प्लीज इसको छोड़ दे। ये बहुत खतरनाक लड़का हैं, तू इससे मत उलझ।" हर्षित ने निक्की से मोहित की काॅलर छुड़ाकर उसे समझाने का प्रयास किया।

      "अरे, इसकी तो ....।"

      "निक्की, तू मेरे साथ चल तो...प्लीज। मैं बताता हूँ न तुझे अपनी मजबूरी।"

      "हर्षित, तूने कोई गलत काम किया हैं क्या ?"

      "नहीं निक्की, मैं कोई गलत काम कर सकता हूँ क्या ?"

       "तो तू इससे डरता क्यूँ हैं ? मुझे छोड़ तो सही, मैं इसका वो हाल करूँगी कि वो जिदंगी भर याद रखेगा।"

       "निक्की, तू मेरी बात तो समझ। मुझे इसके पैसे देने हैं, इसलिए मैं इसकी बदतमीजी बर्दाश्त कर रहा हूँ।"

       "अरे, तुझे मेरे रहते हुए इससे कर्ज लेने की जरूरत क्या थीं ? पैसे की जरूरत थीं तो मुझसे बोल देता। मैं तुझे अपना गुल्लक फोड़ के देती थीं।

        "निक्की, तू अभी जा। मैं कल तुझे मेरी मजबूरी कल सुबह बताऊँगा। अभी तू जा।"

         "नहीं, मैं तुझे साथ लिए बिना नहीं जाऊंगी। तू मेरे साथ चल।"

         "मोहित भाई, मैं तुझसे कल मिलूंगा।"

         "कल मेरे पैसे .....।"

         "ओए, तू धमकी मत दे नहीं तो... ?" निक्की, मोहित की बात काटकर गुर्राती हुई बोली तो मोहित सहम गया। इसके बाद हर्षित इशारों में मोहित से कुछ वादा करके निक्की को साथ लेकर निकल गया।
                         ..................

        "निक्की, एक्चुअली बात ये हैं कि मोहित की बाॅल बीस-बाईस दिन पहले मेरे हाथ से गुम हो गई थीं और वो उसी के बीस रूपये और एक दिन का इन्ट्रेस्ट दस रूपये देने के लिए मुझे वार्निंग दे रहा था।" स्कूल से घर वापस लौटते समय हर्षित ने निक्की को बताया।

        "जब बाॅल गुम हुई, तब तुम लोगों के साथ मोहित भी खेल रहा था क्या ?" उसकी बात सुनकर निक्की ने सवाल किया।

        "हाँ।"

        "तब तो तुझे उसको पैसे देने की जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि साथ खेलते हुए कोई चीज गुम हो जाए या टूट-फूट जाए तो कोई किसी से पैसे नहीं माँग सकता हैं।"

        "ये बात मुझे भी पता हैं पर मोहित को पैसे देने पड़ेंगे क्योंकि वो काफी दिन पहले ही कह चुका था कि उसका बैट जिस किसी के हाथ से टूटेगा या बाॅल गुम होगी, उसे पूरे पैसे अगले दिन देने होंगे नहीं तो वो इन्ट्रेस्ट भी लेगा।

       "उस मोटे ने ऐसे गंदे रूल्स बना रखें हैं तो तू खेलता क्यूँ हैं उसके साथ ?"

       "यार, अब नहीं खेलता हूँ उसके साथ, पर जो गलती मुझसे हो चुकी हैं उसकी तो भरपाई करनी हीं पड़ेगी न ?"

        "हाँ, अब तू उसके गंदे रूल्स जानने के बाद भी उसके साथ उसके बैट-बाॅल से खेला तो भरपाई तो करनी हीं पड़ेगी। तू एक काम कर, अपनी मम्मा को अपनी गलती बता दे और उनसे ट्वेंटी रूपिस लेकर उस मोटे के मुँह पर मार दे और उसकी धौस-धमकी से छुटकारा पा लें। वो तुझे धमकी देता हैं न तो मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। वो जब भी ऐसा कुछ करता हैं न, तब कसम से मेरा मन उसका सर फोड़ देने का होता हैं पर मैं क्या करूँ, तुझे बार-बार मना करने के बाद भी तू उसके किसी न किसी चक्कर में फँस हीं जाता हैं।"

       "साॅरी यार, ये लास्ट टाइम हैं। इस बार उससे छुटकारा मिल गया तो मैं उससे हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाऊँगा, पर समझ में नहीं आ रहा हैं कि उससे छुटकारा मिलेगा कैसे ?"

       "मैंने तुझसे कहा न कि अपनी मम्मा को अपनी मिस्टेक बता दे और उनसे पैसे लेकर उस मोटे को दे दे।"

        "निक्की, मैं अपनी मम्मा को ये बात नहीं बता सकता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे पहले ही मोहित से दूर रहने की वार्निंग दे रखी हैं। उन्हें पता चलेगा कि मैं उनकी वार्निंग के बाद भी मोहित के साथ खेलने गया था तो वे मेरी जमकर पिटाई करेगी।"

        "तो तू अपने पापा को बता दे। तेरे पापा तो बहुत सीधे हैं और तुझसे बहुत प्यार भी करते हैं।"

        "हाँ, लेकिन उनके जेब में पाँच रूपये भी नहीं रहते। वे ट्वेंटी प्लस इन्ट्रेस्ट के टेन रूपिस कहाँ से देंगे ?"

        "तेरे पापा दिन-रात इतनी मेहनत करते हैं फिर भी उनकी जेब में पाँच रूपये नहीं रहते, क्यूँ  ?"

         "वो सिर्फ काम करते हैं, पैसे का हिसाब और लेन-देन बड़े पापा के पास होता हैं और बड़े पापा मुझे एक पैसे नहीं देनेवाले हैं क्योंकि वो मेरी स्कूल की फीस, पेन-कापी तक के लिए पैसे नहीं देते तो मेरी गलती की भरपाई के लिए कहाँ पैसे देंगे। उल्टे उन्हें पता चलेगा तो मेरे पापा से कहेंगे, 'बीवी की बात मानकर पढ़ा अपने बेटे को बड़े लोगों के बच्चों के स्कूल में, अभी तो छोटे-मोटे ही लफड़े कर रहा हैं। आगे देखना बड़े-बड़े कांड करेगा।' वो तो हमेशा से मुझे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के खिलाफ थे, पर मेरी मम्मा ने मेरी फीस, यूनिफाॅर्म और पेन-कापी की रिसपांसब्लिटिज अपने कंधों पर लेकर मेरा इस स्कूल में एडमिशन करवाया और इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए वे घर का काम करने के बाद काॅलोनी के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं। निक्की, तू नहीं समझ सकती यार कि मुझे उनके हर दिन गुल्लक में डालने के लिए दिए जानेवाले टेन रूपिस मोहित को देने का मुझे कितना दुख होता हैं।"

        "यानि, तू टेन रूपिस पर डे उस मोटे को दे रहा हैं ?"

        "हाँ।"

        "कबसे ?"

        "बीस-बाईस दिन से।"

        "अरे, लेकिन तुझे उसे तो ट्वेंटी रूपिस हीं देना था न ?"

        "हाँ, लेकिन ये ट्वेंटी रूपिस बाॅल गुम होने के अगले दिन एकसाथ देने थे जो मैं दे पाया, क्योंकि मेरे हाथ में हर दिन टेन रूपिस से ज्यादा नहीं आते हैं, इसलिए मोहित मुझसे हर दिन टेन रूपिस इन्ट्रेस्ट ले रहा हैं और ऊपर पूरे पैसे एकसाथ देने के लिए हर दिन बदतमीजी भी करता हैं।"

        "डोंट वरी, अब मुझे पता चल गया हैं न, इसलिए अब वो तुझे परेशान भी नहीं कर पाएगा और तुझसे मुफ्त के टेन रूपिस पर डे भी वसूल नहीं कर पाएगा। मैं कल हीं उसकी कम्प्लेन्ट स्कूल के प्रिंसिपल से कर दूँगी, फिर देखना कि उस मोटे की कैसी बोलती बंद होतीं हैं।"

         "प्रिंसिपल उसका कुछ नहीं कर पाएँगे, क्योंकि मोहित के पापा उन्हें साल में तीन-चार बार घर बुलाकर पार्टी देता हैं।"

         "तो फिर क्या करें ? तू कब तक उस मोटे को अपनी मम्मा की मेहनत की कमाई लुटाता रहेगा। मेरे पास भी कभी एकसाथ ट्वेंटी रूपिस नहीं होते हैं, नहीं तो तेरे हाथ में आनेवाले टेन और मेरे पास के ट्वेंटी रूपिस मिलाकर उस मोटे से तुझे छुटकारा दिला देती। उसके सामने मैंने गुस्से में कह तो दिया कि अपना गुल्लक तोड़कर पैसे दे दूँगी, पर तू भी जानता हैं कि मैंने अपना गुल्लक तोड़ा तो मेरी मम्मी मुझे तोड़ देंगी। पर तू चिंता मत कर मैं कल तक कोई न कोई आइडिया जरूर निकाल लूँगी। अब यहाँ से हम दोनों के रास्ते अलग हो रहे हैं, इसलिए तू अपना रास्ता पकड़ और मुझे अपने रास्ते से जाने दे, ठीक हैं ?"

        "ठीक हैं, बाय।"

        "बाय।" कहकर निक्की मेन रोड से आगे बढ़ गई और हर्षित कुछ देर तक उसे जाते हुए देखने के बाद एक पतली गली की ओर मुड़ गया।
                           ..................

         "हर्षित, भगवान जी ने मेरी प्रे सुनकर तेरी प्राॅब्लम साॅल्व कर दीं। मेरे पास उनकी कृपा से ट्वेंटी रूपिस आ गए हैं।" स्कूल प्रांगण प्रेयर से पहले निक्की और हर्षित एक-दूसरे से मिले तो निक्की ने चहकते हुए हर्षित को बताया।

        "तू सच बोल रही हैं न निक्की ?" हर्षित की प्रतिक्रिया ऐसी थी, जैसे उसे निक्की की बात पर यकीन नहीं हुआ।

       "तुझे पता हैं न कि मैं कभी झूठ नहीं बोलती, फिर क्यूँ पूछ रहा कि सच बोल रही हूँ न ?"

        "मुझे पता हैं कि तू कभी झूठ नहीं बोलती, पर मुझे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा हैं कि मेरी प्राॅब्लम इतने ईजी वे में साॅल्व हो गई। कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ ?"

         हर्षित की बात सुनकर निक्की ने उसके हाथ की चिकोटी काटी तो उसके के मुँह से 'आह' निकल गई और उसके चेहरे पर ढेर सारा दर्द उभर आया।

        "साॅरी, वो मैंने तुझे ये यकीन दिलाने के लिए तेरे हाथ की चिकोटी काटी थीं कि तू सपना नहीं देख रहा हैं, पर लगता हैं कि तुझे कुछ ज्यादा हीं दर्द दे दिया। हर्षित, आई एम रियली सो साॅरी फार इट।" निक्की ने गहरा अफसोस प्रकट किया।

         "साॅरी मत बोल यार, क्योंकि जो दर्द मुझे मोहित के पैसे देने की चिंता की वजह से होता था, उसके सामने ये कुछ भी नहीं हैं।"

          "हर्षित, तूने अकेले-अकेले कितना दर्द सहा यार ? अब आगे से कोई प्राॅब्लम हो तो मेरे साथ शेयर जरूर करना। अब ये ट्वेंटी रूपिस ले और अपने पास के टेन रूपिस मिलाकर उस मोटे के मुँह पर मार दे।"

         "निक्की, ये पैसे तेरे पास आए कहाँ से ?"

         "आम खाने से मतलब रख न यार, किस पेड़ के हैं इससे क्यूँ मतलब रख रहा हैं ?"

         "किस पेड़ के हैं ये भी पता करना जरूरी हैं निक्की। मेरी मम्मा कहती हैं कि किसी के गलत तरीके से लाए गए पैसे का यूज करना भी गलत हैं।"

         "तो तुझे ऐसा लगता हैं कि तेरी बेस्ट फ्रेंड निक्की पैसे लाने के लिए कोई गलत तरीका भी अपना सकती हैं ?"

         "नो यार, मैं तो ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता, पर तू बता देगी तो तेरा क्या नुकसान जाएगा ?"

         "मैंने कल शाम को जाते-जाते भगवान जी से पैसों के लिए प्रे की थीं तो उन्होंने कल शाम को ही मेरे मामाजी को मेरे घर भेज दिया और मामाजी ने आज सुबह वापस जाते समय हमेशा की तरह हण्ड्रेड रूपिस दिए, जिसमें से सिक्स्टी फाइव रूपिस मैंने मम्मी को दे दिए और ट्वेंटी तुझे देने के लिए, फाइव रूपिस गोलगप्पे के लिए और टेन रूपिस भगवान जी को विश पूरी करने के लिए नारियल देने के लिए ले आए। अब तो तुझे यकीन आ गया न कि मैंने पैसे लाने के लिए कोई गलत तरीका नही अपनाया ?"

         "हाँ।"

         "तो अब तो ले ले ये पैसे।"

         "थैंक्स। मैं तुझे जल्दी लौटा दूँगा।"

         "लौटाने की बात की तो हम दोनों की दोस्ती खत्म हो जाएँगी।"

          "निक्की, तू यहीं रूक, मैं बंटी से मिलकर आता हूँ।"

          "क्यूँ  ?"

          "ये मैं तुझे आकर बताऊँगा।"

          "मैं भी तेरे साथ आ रही हूँ।"

          "ठीक हैं, आ जा।" कहने के साथ हीं हर्षित एक दुबले-पतले अपने हमउम्र छात्र के पास पहुँच गया और उसने उस छात्र के द्वारा ऊपर फेकी गई बाल को ऊपर जम्प करके उसके हाथ में आने से पहले ही पकड़ ली।

          "हर्षित, मेरी बाॅल लौटा दे।" वह लड़का हर्षित से बाॅल छीनने की कोशिश करता हुआ चिल्लाकर बोला।

          "लौटा दूँगा, लेकिन पहले तुझे बताना होगा कि ये बाॅल तेरे पास आयी कहाँ से ?" हर्षित ने बाॅल उसकी पकड़ में आने से बचाते हुए उसके सामने शर्त रखी।

          "ये बाॅल मुझे मोहित ने गिफ्ट की हैं।"

         "ये वही बाॅल हैं न, जो उस दिन मेरे हाथ से गुम हुई थीं ?"

         "मुझे नहीं पता।"

         "बंटी, सच बोलेगा तो बाॅल वापस मिल जाएगी, नहीं तो बाॅल भी हाथ से जाएगी और ऊपर से तुझे जेल जाना पड़ेगा।" निक्की ने हर्षित के हाथ से बाॅल लेते हुए बंटी को समझाया।

          "मैंने क्या किया हैं जो मुझे जेल जाना पड़ेगा ?"

          "तूने हर्षित के साथ चीटिंग करने में अपने बाॅस मोहित का साथ दिया हैं। तुझे पता हैं न कि मेरे अंकल पुलिस में हैं ?"

           "हाँ, पर मैंने कुछ नहीं किया। ये काम तो मोहित और निखिल का हैं। उन दोनों को उसी दिन बाॅल मिल गईं थीं, लेकिन मोहित ने हर्षित से पैसे ऐठने और उसे अपनी मुट्ठी में रखने के लिए निखिल को बाॅल छिपाने.....।"

           "ये क्या बक रहा बे ?" कहीं से अचानक मोहित ने आकर बंटी को धमकाया तो वह चुप हो गया।

           "मोहित, तूने आने में थोड़ी देर कर दी। अब इसे चुप कराने से कोई बेनीफिट नहीं होनेवाला हैं क्योंकि ये सारा सच पहले ही उगल चुका हैं।" निक्की ने अपनी गहरी काली पुतलियों वाली आँखों से मोहित को घूरते हुए बताया।

           "तो तुम लोग क्या कर लोगे मेरा ?"

           "हम कुछ नहीं करेंगे, जो करना मेरे पुलिस अंकल करेंगे।"

           "पुलिस अंकल की धमकी मत दे मुझे, पुलिस बिना सबूत के किसी का कुछ नहीं कर सकती।"

           "लेकिन सबूत हो, तब तो बहुत कुछ कर सकती हैं न ?"

           "क्या सबूत हैं तेरे पास कि मैंने अपनी बाॅल छुपाने लगाकर इसके बदले में हर्षित से अब तक इन्ट्रेट के नाम पर दो सौ दस रूपये ऐठ लिए ?"

         "अभी तक नहीं था, पर अब सबूत कलेक्ट हो गया। इस आॅडियो-रिकार्डर में तेरे मुँह से एडमिट किया गया तेरा क्राइम रिकार्ड हो चुका हैं।"

         "इस सबूत को मैं अभी मिटा देता हूँ।" कहकर मोहित ने निक्की के हाथ से पाॅकेट साइज का आॅडियों-रिकार्डर टाइप का कोई आइटम छीनने का प्रयास किया, जिसमें वह सफल तो नहीं हुआ, उल्टे निक्की की एक जोरदार लात उसके पेट पर पड़ गई, जिसके बाद उसे अपना प्रयास छोड़कर दोनों हाथों से पेट पकड़कर बैठ जाना पड़ा।

           "बेटा, सब करना, पर निक्की से पंगा मत लेना। हाँ, कम्प्रोमाइज करना होगा तो लंच टाइम में मिल लेना, अदरवाइज तुझे और तेरे चमचो को जेल जाने से तेरा पैसे वाला बाप भी नहीं बचा पाएगा। चल हर्षित।" मोहित को चेतावनी देने के बाद निक्की ने हर्षित का हाथ पकड़ा और उस जगह की ओर लेकर चली गई, जहाँ प्रेयर की लाइन लग रहीं थीं।

           "अबे, खड़े-खड़े मेरा मुँह क्यों देख रहे हो ? कमीनो, मेरी उठने में हेल्प करो।" उन दोनों के चले जाने के बाद मोहित ने अपने साथियों को लताड़कर कहा तो आसपास खड़े उसके साथी झुककर उसे उठने में मदद करने लग गए।
                          ..................

        "हर्षित, अब वो मोटा तुझे पूरे इक्कीस दिन तक जो टेन रूपिस पर डे लौटाएगा, उसे शाम को चुपके से अपने गुल्लक में डाल दिया करना, जिससे तेरे पैसों का स्कैम्प कवर हो जाएगा।" स्कूल की छुट्टी के बाद घर वापस लौटते समय निक्की ने हर्षित को समझाया।

         "थैंक्स निक्की, तूने डेली मेरी मम्मा के दिए टेन रूपिस मेरे गुल्लक की जगह हर्षित के जेब में जाने से बचा लिए और मेरे अब तक उसे दिए पैसे भी वापस लौटाने के लिए मजबूर कर दिया। बाइ द वे, ये आॅडियो-रिकार्डर जिसमें तूने मोहित की चीटिंग रिकार्ड की, वो खरीदा कब ?" हर्षित ने उसका आभार व्यक्त करने के साथ ही एक सवाल भी कर लिया।

          "तो तू भी उस मोटे की तरह बेवकूफ बन गया। अरे बुद्ध, वो कोई रियल आॅडियो-रिकार्डर नहीं था, बल्कि मेले में खरीदा गया टाॅय आॅडियो-रिकार्डर था। वो तो मैंने उस मोटे को डराने के लिए बैग से निकालकर उसमें उसकी आवाज रिकार्ड करने का सिर्फ ड्रामा किया था। इन फेक्ट उसमें न कुछ रिकॉर्ड हो सकता हैं और न हीं 'ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार..' के अलावा कुछ बजता हैं। लेकिन तू किसी को ये बात बताना मत, क्योंकि ये बात फैली और उस मोटे को पता चल गईं तो वो तुझसे लिए पैसे नहीं लौटाएगा।"

          "ठीक हैं, मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगा, लेकिन जब वो मुझे सारे पैसे वापस लौटा देगा तो तू उसके सामने अपना रिकार्डिंग डिलीट करने का किया हुआ प्राॅमिश कैसे पूरा करेगी, क्योंकि तेरे पास तो कोई रिकार्डिंग हैं हीं नहीं।"

         "इसकी चिंता तू मत कर, मैं उस सिच्युएशन को अपने हिसाब से हैंडल कर लूँगी।"

         "अरे, लेकिन बता तो सही कि तू करेगी क्या ?"

         "करना क्या हैं, तेरे पूरे पैसे उससे वसुल होने पर कह दूँगी कि वो आॅडियो-रिकार्डर गुम हो गया हैं।"

         "और उसे लगेगा कि तू उसके साथ चीटिंग कर रही तो ?"

          "लगने दे, उसे ऐसा लगा तो भी क्या कर लेगा ?"

          "वो तुझसे बदला लेगा। तू उसे ठीक से जानती नहीं हैं, उसकी बड़े-बड़े गुंडे टाइप के लड़कों के साथ दोस्ती हैं और उसके पास एक रिवाल्वर भी हैं।"

          "हर्षित, मैं उससे सिगरेट पीने के लिए दोस्ती रखनेवाले उसके बड़े-बड़े गुंडे टाइप के निकम्मे लड़को को भी जानती हूँ और मैंने उसकी स्कूल के लड़कों को डराने के लिए खरीदी नकली रिवाल्वर भी देखी हैं, इसलिए मुझे तेरे और स्कूल के बाकी लड़के-लड़कियों की तरह उससे डर नहीं लगता हैं। अब तू फालतू बातें छोड़ और ये टेन रूपिस लेकर सामने वाली दुकान से एक नारियल ले आ। भगवान जी ने तेरी प्राॅब्लम साॅल्व करने के लिए मांगी मेरी विश पूरी कर दी हैं, इसलिए मुझे भी अपने प्राॅमिश के एकार्डिंग एक नारियल उन्हें गिफ्ट करना हैं।

         "प्राॅब्लम मेरी साॅल्व हुई हैं तो नारियल के लिए पैसे तू क्यों दे रही हैं ? मेरे पास भी टेन रूपिस हैं न, मैं उसमें नारियल ले आता हूँ।"

         "सुन, प्राॅब्लम भले हीं तेरी साॅल्व हुई हैं बट विश तो मेरी ही पूरी हुई हैं, इसलिए नारियल मेरे पैसों से खरीदा जाएगा।"

          "अरे, पर ....।"

          "हर्षित, नो आर्गुमेंट। ये पैसे पकड़ और नारियल लेकर आ और अपने पास के टेन रूपिस सीधे जाकर अपने गुल्लक में डालना।"

           "निक्की, तू बिलकुल मेरी मम्मा की तरह हिटलर हैं। जो एक बार कह दिया, फाइनल हो गया। ला, दे पैसे।" कहने हर्षित उसके हाथ से दस का नोट लेकर गुस्से से पैर पटकता हुआ उस दुकान पर चला गया, जिसकी तरफ थोड़ी देर पहले निक्की ने उसे जाने के लिए कहा था।"
                              ................

          "तेरा स्कूल छोड़कर जाना कैंसिल नहीं हो सकता क्या ?" हर्षित ने आशाभरी निगाहों से निक्की के चेहरे को देखते हुए पूछा।

          "नहीं, क्योंकि पापा का ट्रांसफर कैंसिल होने की कोई पासिब्लिटी नहीं बची और पापा यहाँ से दूसरी जगह जाएँगे तो मुझे और मेरी मम्मी को भी उनके साथ जाना पड़ेगा।" निक्की ने बेहद उदास स्वर में जवाब दिया।

         "निक्की, मेरा तेरे बिना स्कूल में मन नहीं लगेगा।"

        "मुझे भी दूसरे स्कूल में अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि तू वहाँ मेरे साथ नहीं होगा, पर हम कुछ कर भी तो नहीं सकते।"

         "तू वो पीपल के पेड़ के पासवाले मंदिर के भगवान जी से प्रे क्यों नहीं करती, वे तो तेरी हर विश पूरी करते हैं न ?"

         "हाँ, पर इस बार उन्होंने मेरी ये विश पूरी नहीं की। जबसे पापा के ट्रांसफर के बारे में सुना हैं, तभी से उनसे रोज आते-जाते मन में प्रे कर रही हूँ पर शायद वे मेरी ये विश पूरी नहीं करना चाहते हैं या फिर उनके लिए मेरी ये विश पूरी करना पाॅसिबल नहीं हैं।:

        "तू चली जाएगी तो मुझे भी ये स्कूल छोड़कर किसी और स्कूल में एडमिशन लेना पड़ेगा, क्योंकि तू नहीं रहेगी तो मोहित उससे वापस लिए पैसों की वजह से मेरा जीना मुश्किल कर देगा।"

        "तुझे उस मोटे के डर से स्कूल छोड़कर जाने की जरूरत नहीं हैं। मैंने आज सुबह हीं निहारिका मैम से तेरी केयर करने के लिए कह दिया हैं। वे तुझे घर से अपने साथ लेकर भी आएगी और यहाँ से तुझे साथ ले जाकर घर भी छोड़ दिया करेंगी। वे तेरे घर के सामने से हीं आती-जाती हैं न, इसलिए उन्हें तुझे साथ लाने-ले जाने में कोई प्राॅब्लम भी नहीं होगी।"

       "हाँ, वे जनरली आती-जाती तो मेरे हीं घर के सामने हैं, बट कभी-कभी वे मेरे घर के पीछेवाली शार्टकट से भी आ जाती हैं।"

        "हाँ, बट डोंट वरी, अब वे हमेशा तेरे घर के सामने से हीं आएगी-जाएगी।"

        "ठीक हैं, पर फिर भी मुझे तेरे बिना अच्छा नहीं लगेगा।"

        "तू रोनी सूरत बनाकर यही बात बार-बार मत रिपीट कर, अदरवाइज मुझे भी रोना आ जाएगा।"

        "तुझे भी रोना आता हैं ?"

        "कभी-कभी।"

        "मुझे लगा कि तुझे नहीं आता होगा, इसलिए अपनी प्राॅब्लम बता रहा था, पर अब नहीं बताऊँगा क्योंकि मम्मा कहती हैं कि किसी दोस्त या रिलेटिव्ज से अपनी ऐसी प्राॅब्लम शेयर नहीं करनी चाहिए, जिनका उनके पास कोई साॅलुशन न हो, क्योंकि हमारी प्राॅब्लम साॅल्व भी नहीं होती हैं और उन्हें बेवजह दुख भी पहुँचता हैं। अब तेरा जाना फाइनल हो गया हैं न, तो खुशी-खुशी चली जा। मैं निहारिका मैम की हेल्प से अपनी केयर कर लूँगा।" 

         "मेरे साथ न होने की वजह से रोएगा तो नहीं न ?"

         "नहीं।"

         "डेली लंच करेगा न ?"

         "हाँ।"

         "गुड ब्वाय।"

         "निक्की, तू मुझे फोन तो करेगी न ?"

         "हाँ बाबा, मुझे भी तुझसे बात किए बिना अच्छा थोड़ी हीं लगेगा।"

         "अब बाकी की बातें हम छुट्टी के बाद करेंगे। अब क्लासरूम चलते हैं, वैशाली मिस का पीरियड स्टार्ट होनेवाला हैं। वो हमसे पहले क्लासरूम में पहुँच गई तो आसमान सिर पर उठा लेगी।" 

         निक्की की बात सुनकर हर्षित बिना कुछ कहे अपना गमगीन चेहरा लिए उसके साथ क्लासरूम की ओर चल पड़ा।
           
            (Rest story read in next part which is coming come soon)
Images/gifs are from internet & any objection, will remove them.
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#2
चक्रव्यहू (2nd part)

       "अरे हर्षित, तुम इधर कहाँ जा रहे हो ?" अपने सामने खड़ी तेईस-चौबीस साल की नवयुवती की बात सुनकर नन्हे हर्षित के कदम थम गए।

         "मिस, मैं आपके घर हीं आ रहा था ?" हर्षित ने अपनी नजरें ऊपर उठाकर सवाल करनेवाली नवयुवती की ओर देखते हुए जवाब दिया।

         "क्यूँ ?"

         "मुझे लगा कि आपका मुझे साथ लेकर जाने का आज फर्स्ट डे हैं, इसलिए कहीं आप मुझे साथ ले जाने की बात भूलकर शार्टकट से चली गई तो मैं आज स्कूल नहीं जा पाऊँगा।"

         "ओह ! तो मेरा क्यूट बेबी इस वजह से मेरे घर आ रहा था। बेटा, मेरी मेमोरी इतनी कमजोर नहीं हैं कि मैं तुम्हें साथ ले जाना भूल जाती। अब ये बात अपने दिमाग में फिक्स कर लो कि मैं कभी भी तुम्हें साथ लिए बिना स्कूल नहीं जाऊँगी।"

         "और स्कूल से घर .....?"

         "स्कूल से घर भी साथ लेकर आ आया करूँगी, हैप्पी नाऊ ?"

          "यस मिस।"

          "लाओ, अब बैग मुझे दो और मेरे साथ चलो।"

          "नो मिस, मुझे बैग कैरी करने की हैबिट हैं।"

          "ठीक हैं, बैग अपने पास हीं रहने दो, पर अपना बास्केट मुझे दे दो।"

          "नो मिस, ये भी मैं ले जाऊँगा, आप बस स्कूल तक मेरे साथ रहिए।"

          "डोंट वरी, मैं स्कूल में भी तुम पर ध्यान दूँगी, अब हम लोग चलें ?"

          "यस मिस।" कहकर हर्षित अपनी टीचर के साथ चल पड़ा।

          "हर्षित, मेरी एक बात मानोगे ?" चलते-चलते हर्षित की टीचर ने उससे पूछा।

          "बोलिए ..?"

          "तुम मोहित से डरना बंद कर दो। मुझे तुम्हें उससे प्रोटेक्ट करने में कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, बट दूसरों पर डिपेंडेंसी अच्छी हैबिट नहीं हैं। तुम अपनी प्रोटक्शन के लिए कल तक निक्की पर डिपेंड रहे, वो स्कूल छोड़कर चली गई तो अब मुझ पर डिपेंड हो गए और मैं स्कूल छोड़ दूँगी तो कोई और आॅप्सन ढूँढोंगे। बेटा, ये लाइफ में मिलने वाले बुरे लोगों को काउंटर करने का सही तरीका नहीं हैं। इस टाइप के बुरे लोग तो हर कदम पर मिलते रहते हैं और हम हर समय तो एक बाॅडीगार्ड साथ लेकर चल नहीं सकते, इसलिए जरूरी हैं कि हम इतने ब्रेव बन जाए कि इस टाइप के बुरे लोगों को अकेले ही हैंडल कर सके। आर यू एग्री मी ?"

         "यस मिस, बट मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इतना ब्रेव बन पाऊँगा।"

         "तुम एक ब्रेव माँ के बेटे होकर ऐसी बात कैसे कर सकते हो ?"

         "मैं एक ब्रेव माँ का बेटा जरूर हूँ पर मैं अपनी मम्मा जैसा बिलकुल भी नहीं हूँ। मैं तो बिलकुल अपने पापा जैसा हूँ।"

          "कौन कहता हैं ऐसा ?"

          "मेरे बड़े पापा और बड़ी मम्मी।"

          "ओह ! यानि उनका अपने स्वार्थ के लिए तुम्हारे पापा को कान्फिडेंसलेस बनाकर मन नहीं भरा और वो लोग तुम्हें भी अपने पापा जैसा बनाकर तुम्हारा भी यूज करना चाहते हैं ? प्लान तो बहुत शानदार हैं, लेकिन तुम लोगों का ये प्लान सक्सेज नहीं होगा, क्योंकि तुम लोगों की बदकिस्मती से ये बच्चा अब निहारिका के ट्रेनिंग कैम्प में आ चुका हैं।"

        "मिस, आपने मुझसे कुछ कहा ?"

        "नहीं, मैं खुद से बातें कर रही थीं।"

        "मैं भी कभी-कभी खुद से बातें करता हूँ।"

        "यानि, हम दोनों के अंदर एक अजीब-सी आदत तो एक जैसी हैं। अब ये बताओ कि तुम्हारे अंदर और कौन-कौन सी स्ट्रैंज हैबिट्स हैं जो जनरली लोगों के अंदर नहीं होती, ताकि मुझे पता तो चले कि हम दोनों की कौन-कौन सी हेबिट्स सेम टू सेम हैं।"

          "मैं अकेला होता हूँ तो बैट लेकर घर के बड़े शीशे के सामने बड़े-बड़े शाॅट खेलने की एक्टिंग करता हूँ और कुछ देर बाद बैट उठाकर ऐसे सेलिब्रेट करता हूँ जैसे बैट्समैन सेंचुरी पूरी करने पर करते हैं।"

           "और ?"

           "और मेरा फिक्शनल मैच पूरा होने पर खुद को मैन आॅफ द मैच देकर अपना इंटरव्यू भी लेता हूँ।"

            "नाइस, मैं भी घर पर अकेली होती हूँ तो ऐसा कुछ करती हूँ। मैं कभी पुलिस आॅफिसर बनकर वर्चुअल क्रिमिनल्स को पकड़ती हूँ तो कभी झाँसी की रानी बनकर वर्चुअल अंग्रेजो के साथ लड़ती हूँ।"

           "हम दोनों की आदते कितनी मिलती-जुलती हैं न ?"

           "हाँ, इसलिए मुझे लगता हैं कि हम दोनों को एक-दूसरे के साथ दोस्ती कर लेनी चाहिए। इस बारे में तुम्हारा क्या कहना हैं ?"

           "मैं आपके साथ फ्रेंडशीप करने से मना कर दूँगा तो आपको बुरा लगेगा न ?"

           "बिलकुल नहीं, बट तुम मेरे साथ फ्रेंडशीप क्यूँ नहीं करना चाहते हो ? मैं तुम्हारी टीचर हूँ इसलिए या फिर तुमसे उम्र में काफी बड़ी हूँ इसलिए ?"

           "ये दोनों वजह सही नहीं हैं। मैंने तो अपनी दादी तक से दोस्ती कर लीं थीं।"

            "तो फिर मुझसे दोस्ती न करने की क्या वजह हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ इसलिए तुम मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहते ?"

           "नो मिस, आप तो मेरी फेवरेट टीचर हैं।"

           "तो बेटा, फिर क्या वजह हैं ?"

           "एक्चुअली बात ये हैं कि मैं जिस किसी से भी फ्रेंडशीप करता हूँ वो मुझे छोड़कर चला जाता हैं। मैंने लास्ट ईयर के फ्रेंडशीप डे पर अपनी दादी के साथ फ्रेंडशीप की तो वो थोड़े दिन बाद हीं मुझे छोड़कर चली गई और इसके बाद इस ईयर के फ्रेंडशीप डे पर मैंने निक्की से फ्रेंडशीप की थीं तो वो भी कल छोड़कर चली गई, इसलिए मुझे लगता हैं कि मैंने आपके साथ फ्रेंडशीप की तो आप भी मुझे छोड़कर चली जाएगी और मैं आपका साथ खोना नहीं चाहता।"

         "ओह हो, तो लिटिल मास्टर इस वजह से मेरे साथ दोस्ती करने से डर रहे हैं कि वो मुझसे दोस्ती करने पर मेरा साथ खो देंगे ?"

         "यस मिस।"

         "और मैं तुमसे प्राॅमिश करूँ कि मुझसे फ्रेंडशीप करने पर भी तुम्हें मेरा साथ नहीं खोना पड़ेगा तो ?"

         "तो मुझे आपसे दोस्ती करने में कोई प्राॅब्लम नहीं हैं।"

         "तो फिर दोस्ती के लिए बढ़ाओ अपना हाथ।"

         "आप बड़े हैं, इसलिए आप पहले अपना हाथ बढ़ाइए।"

         "लगता हैं, जनाब हर काम के किसी न किसी रूल्स के एकार्डिंग हीं करते हैं। निहारिका, कहीं तू इससे फ्रेंडशीप करके कोई गलती तो नहीं कर रही हैं ?"
         "आपने कुछ कहा मिस ?"
          "नहीं। लो, मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया।" कहकर निहारिका ने अपने कदमों को ब्रेक लगाकर हर्षित के सामने अपना हाथ बढ़ा दिया, जिसे हर्षित ने खुशी-खुशी थाम लिया।
                                ...............


        "हर्षित, अब तुम यहाँ से स्कूल तक अकेले जाओगे।" चलते-चलते अनायास अपने कदमों को रोककर निहारिका बोली तो हर्षित के चेहरे पर हवाईया उड़ने लग गई।

        "अरे, पर आपने तो कहा था कि आप मुझे घर से स्कूल तक मेरा साथ ......।" 

        "बेटा, मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ रही हूँ, सिर्फ कुछ सेकंड्स के लिए तुम्हें मुझसे आगे भेज रही हूँ ताकि मैं मोहित को तुम्हें तंग करते हुए रंगे हाथों पकड़ सकूँ और उसे उसकी हरकत के लिए सबक सिखा सकूँ। अब तुम आगे-आगे चलो, मैं जस्ट तुम्हारे पीछे आ रही हूँ।" निहारिका ने हर्षित की बात काटकर उसे अपनी बात समझाने की कोशिश की।

        "आप पक्का मेरे जस्ट पीछे आ जाएँगी न ?"

        "हाँ बाबा, मैं पक्का तुम्हारे पीछे आ रही हूँ। अब जल्दी जाओ, वो गेट के सामने हीं खड़ा हैं। उसने तुम्हें मेरे साथ देख लिया तो हमारा प्लान अनसक्सेज हो जाएगा।" निहारिका ने हर्षित को दुबारा समझाया तो वह अधूरे मन से अकेला आगे जाने तैयार हो गया और चेहरे पर दहशत के भाव करीब डेढ़ सौ मीटर दूर अपने स्कूल के गेट की ओर धीमे-धीमे कदमों से बढ़ने लगा।

         निहारिका उसके बीस-बाईस कदमों की दूरी तय करने पर लगभग उसी चाल से आगे बढ़ने लगीं।

         "बेटा, तेरे साथ साये की तरह रहनेवाली वो जंगली बिल्ली तो तुझे मुसीबत फँसाकर खिसक गई, अब तुझे मुझसे कौन बचाएगा ?" जैसे हीं हर्षित अपने स्कूल के गेट के पास पहुँचा, वैसे ही मोहित ने उसका रास्ता रोककर उसे डराने की कोशिश शुरू कर दीं।

         मोहित ने पहले अपनी निगाहें दौड़ाकर निहारिका को खोजने का प्रयास किया और जब उसे दस-बारह कदमों की दूरी पर खड़े छात्र-छात्राओं के एक ग्रुप के बीच निहारिका नजर आ गई, तब राहत की साँस लेते हुए मोहित को जवाब दिया- "देख मोहित, तू मुझे तंग करना बंद कर दे, अदरवाइज मुझे तेरी कम्प्लेन्ट करनी पड़ेगी।"

         "हे गाइस, ये मेरी कम्प्लेन्ट करेगा। अबे, ये कम्प्लेन्ट करने की बात तेरे दिमाग में आयी कहाँ से ? शायद तेरी वो नकचड़ी फ्रेंड तुझे समझाकर गई हैं कि मैं तुझे परेशान करूँगा तो कम्प्लेन्ट करने की धमकी दे देना, पर मैं कम्प्लेन्ट करने की धमकी से डरनेवालों में से नहीं हैं। जा बेटा, तुझे जिससे मेरी कम्प्लेन्ट करनी हैं, कर दे। इस स्कूल में मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, पर मेरा भेजा खिसक गया न तो तू तो गया काम से। मैं तेरा वो हाल करूँगा कि न तू स्कूल आने लायक रहेगा और न मेरी कम्प्लेन्ट करने लायक रहेगा। मैं इस बार सीधे तेरी दोनों टाँगे हीं तोड़ूँगा।"

        "वाह बेटा, क्या जबर्दस्त डेरिंग हैं ?" मोहित की बात खत्म होते हीं निहारिका ताली बजाते हुए उसके पास पहुँची तो कुछ पलो के लिए मोहित के चेहरे का रंग उड़ गया। निहारिका के मोहित के पास पहुँचते हीं आसपास मौजूद छात्र-छात्राएँ कोई बड़ा तमाशा होने की उम्मीद लिए उन लोगों के पास इकट्ठा होने लग गए।

       "मिस, मैं तो इसके साथ मजाक कर रहा था।" मोहित ने जल्दी से अपनी घबराहट पर काबू पाकर सफाई देने का प्रयास किया।

        "बेटा, मैं तुम्हारी डेरिंग की तारीफ कर रहीं हूँ और तुम इसे मजाक कहकर मेरी नजरों में बनी अपनी इमेज को खुद हीं वाश कर रहे हो।"

          "क्या आप वाकई मेरी डेरिंग की तारीफ कर रही हैं ?"

          "हाँ, क्योंकि मुझे इस टाइप की डेरिंग दिखाने वाले लोग बेहद पसंद हैं। मैं खुद भी अपनी स्टूडेंट लाइफ में कमजोर स्टूडेंट्स को दादागिरी दिखाकर अपनी मनमानी करती थीं।"

           "रियली ?"

           "हाँ।"

           "मुझे भी डरपोक लड़के-लड़कियों को टाॅर्चर करके अपनी मनमानी करने में बहुत मजा आता हैं।"

          "गुड ! अब तुम मुझे ये बताओ कि तुम्हारे टाॅर्चर का शिकार होने से बचने के लिए तुम्हें अपने पाॅकेट मनी से चाॅकलेट वगैरह खरीदकर देते हैं या नहीं ?"

         "यस मिस, कुछ स्टूडेंट्स तो घर से चोरी करके भी मुझे चाॅकलेट और आईस्क्रीम खिलाते हैं। इस डरपोक हर्षित ने भी कई बार अपनी मम्मी के दिए पैसे अपने गुल्लक में न डालकर उनका यूज मुझे चाॅकलेट और आईस्क्रीम खिलाने में किया।"

        "और तुमने इसके हाथ से खोई बाॅल मिल जाने के बावजूद इससे इस बात को छुपाकर इससे टू हण्ड्रेड एण्ड टेन रूपिस इन्ट्रेस्ट ले लिया था और फिर भी इसकी बाॅल के पैसे देने की लायब्लिटी खत्म नहीं हुई थीं।"

         "हाँ, पर उस निक्की की बच्ची ने मेरा ये गेम खराब कर दिया था। उसने चालाकी से मेरी बात की रिकार्डिंग कर ली और इससे मुझे पैसे देना बंद कराकर इसके सारे पैसे लौटाने लगा दिए थे।"

        "और तुम निक्की का बिना कुछ किए हीं ये बात भूल गए ?"

         "एक्चुअली, मैं वो बात भूला नहीं था। मैंने उसे अपने डैड के रिवाल्वर से उड़ाने की प्लानिंग कर ली थीं, बट अनफोर्च्युनेटली वो मेरा प्लान एग्जक्यूट करने से पहले ही यहाँ से चली गई, पर टेंशन की कोई बात नहीं हैं। उसका फ्रेंड हैं न, उसकी ओवर स्मार्टनेट का खामियाजा भुगतने के लिए।"

        "तुम इसके साथ क्या करने वाले हो ?"

        "फिलहाल तो इससे अपने पैसे विद इन्ट्रेस्ट वसुल करूँगा, उसके बाद सोचूँगा कि इसका और क्या करना हैं।"

         "बेटा, तुम्हारी बातें सुनकर मुझे पूरा यकीन हो गया हैं कि तुम अपने बाप का नाम एक न एक दिन जरूर रोशन करोगे, पर मैं तुम्हें इस स्कूल का नाम रोशन करने के लिए यहाँ नहीं पढ़ने दूँगी। मैं हमेशा किसी भी बच्चे को स्कूल से निकालने की पनिशमेंट देने के खिलाफ रही हूँ लेकिन तुम्हारी बातें सुनकर मुझे ऐसा लगता हैं कि तुम्हारी एज भले हीं थर्ड क्लास के बच्चों के बराबर हीं हैं, पर मेंटली अपने बाप का ब्याज का कारोबार सम्भालने के लिए प्रिपेयर हो चुके हो, इसलिए मैं प्रिंसिपल से मिलकर तुम्हें स्टडिज की रिस्पांस्ब्लिटिज से आज हीं फ्री कराने की कोशिश करती हूँ।"

        "मिस, ये चीटिंग हैं। आपने मुझसे प्यार-प्यार से सबकुछ उगलवा लिया और अब आप उसका मिसयूज कर रही हैं, बट ऐसा करके भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। हाँ, मैं चाहू तो आपको एक मिनट में नौकरी से निकलवा सकता हूँ और बहुत कुछ कर सकता हूँ।"

         "ओह हो, तो तुम्हारे हौसले इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि तुम अपने हमउम्र बच्चों के साथ-साथ अपने से बड़ों को भी धमकी देने से नहीं हिचकिचाते हो। मैंने तो सिर्फ तुम्हारे कैरेक्टर में सुधार के लिए तुम्हें स्कूल से निकलवाने की बात की थीं, लेकिन तुम मेरी बात से डरकर साॅरी बोलने और आगे से ऐसा करने का प्राॅमिश करने की जगह मुझे धमकी दे रहे हो, इसलिए मुझे अब तुम्हारी कम्प्लेन्ट करनी हीं पड़ेगी। बच्चों, गेट के सामने से हटो। आओ हर्षित।" कहने के साथ ही निहारिका ने हर्षित का हाथ पकड़ा और बच्चों को हटाती हुई स्कूल परिसर में दाखिल हो गई। मोहित और उसके कुछ साथियों को छोड़कर बाकि के बच्चे निहारिका के पीछे-पीछे परिसर में दाखिल होने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने में जुट गए।
                                  ............

        "मिस निहारिका, आई थिंक, आपको अपना सारा फोकस अपनी मेन ड्यूटी यानि स्टूडेंट को पढ़ाने पर लगाना चाहिए।" प्रिंसिपल की चेयर पर बैठे शख्स ने निहारिका की पूरी बात सुनने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त की।

      "सर, हर्षित जैसे स्टूडेंट्स को मोहित जैसे स्टूडेंट्स से बचाना हम लोगों ड्यूटी नहीं हैं क्या ?" निहारिका ने हैरानी जताते हुए सवाल किया।

       "नो मिस निहारिका, ये मेरी ड्यूटी हैं। आपको केवल स्टटूडेंट्स को अपने सब्जेक्ट्स की स्टडिज करवाना हैं और ऐसी कोई प्राॅब्लम नाॅलेज में आने पर मुझे इन्फार्म करना हैं, न कि किसी स्टूडेंट को इस तरह ओपन प्लेस पर टाॅर्चर करना हैं।"

        "सर, आप उस बदतमीज स्टूडेंट के खिलाफ कोई एक्शन लेने की जगह मुझ पर उसे टाॅर्चर करने का ब्लैम लगा रहे हैं। आई कांट बिलिव इट।"

        "मिस निहारिका, क्या वो बच्चा आपके पास आपसे बदतमीजी करने आया था ?"

        "नहीं, बट .....।"

        "बट-वट छोड़िए और अपनी गलती एक्सेप्ट कीजिए। मान लीजिए कि आपने उसकी हरकतों के लिए उसे अपने लेबल पर हैंडल करने की कोशिश न करके उसकी डायरेक्ट मुझसे कम्प्लेन्ट करने की होती तो वो आपको साथ बदतमीजी नहीं कर पाता।"

        "ओके सर, मैं मान लेती कि मुझसे गलती हुई लेकिन अब तो उसकी हरकतें आपके नाॅलेज में आ चुकी हैं। अब तो आप उसके खिलाफ एक्शन लीजिए।"

        "डोंट वरी, आप बाहर जाकर अपनी ड्यूटी कीजिए। मैं प्रेयर के बाद उसे बुलाकर आगे से ऐसी हरकतें न करने के लिए समझा दूँगा।"

        "सर, मुझे नहीं लगता कि वो लड़का प्यार से समझाने से अपनी हरकतें बंद करेगा।"

        "तो क्या करूँ, पुलिस को बुलाकर उस लड़के को उनके हैंड ओवर कर दूँ ?"

         "सर, मैं उसे पुलिस के हैंड ओवर करने के लिए नहीं कह रही हूँ। मैं तो सिर्फ इतना चाह रही हूँ कि उसके पैरेंट्स को बुलाकर उसकी हरकतों के बारे में इन्फार्म किया जाए और उन्हें वार्निंग दी जाए कि उनका बेटा इन हरकतों को रिपीट करेगा तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।"

       "मिस निहारिका, स्कूल मैनेजमेंट के रूल्स के एकार्डिंग मैं किसी स्टूडेंट के पैरेंट्स को तभी बुलाकर वार्निंग दे सकता हूँ, जब वो स्टूडेंट अदर स्टूडेंट या किसी टीचर को फिजिकली हर्ट करता हैं, न कि ऐसी छोटी-मोटी हरकतों के लिए।"

       "यानि, आप वेट करेंगे कि वो किसी को फिजिकली हर्ट करें ?"

        "मेरे पास और कोई आॅप्सन भी नहीं हैं। इस स्कूल में मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता।"

        "तो फिर आप हम लोगों की छोटी-मोटी कम्प्लेन्ट पर हमें क्यूँ वार्निंग देते हैं ? क्या आपको स्कूल मैनेजमेंट ने टीचर्स को इसके लिए छूट दे रखी हैं ?"

       "यस, मुझे टीचर्स को अपने एकार्डिंग हैंडल करने की स्कूल मैनेजमेंट से खुली छूट मिली हुई हैं, क्योंकि एक-दो टीचर्स के नाराज होकर स्कूल छोड़ देने से स्कूल मैनेजमेंट को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन एक भी स्टूडेंट स्कूल छोड़कर जाता हैं तो स्कूल मैनेजमेंट को एबाउट थर्टी थाऊजेंट्स पर ईयर की अर्निंग का लाॅस होगा और मोहित जैसा स्टूडेंट स्कूल छोड़कर जाता हैं तोहफा ये लाॅस और अधिक बढ़ जाएगा, क्योंकि वो उन चंद गिने-चुने स्टूडेंट्स में से हैं जिनके पैरेंट्स स्कूल को पर रेग्युलर फी के अलावा तगड़ा डोनेशन भी देते हैं, इसलिए मुझे किसी स्टूडेंट या उसके पैरेंट्स के साथ इस टाइप का बिहेवियचर करने की परमिशन बिलकुल नहीं हैं जिससे कोई पैरेंट्स नाराज होकर अपने बच्चे को स्कूल से निकाल लें, खासतौर पर मोहित जैसे स्टूडेंट्स और उसके पैरेंट्स के साथ तो ऐसा बिहेवियर तो गलती से भी नहीं करना हैं।"

        "मैं समझ गई सर कि मोहित जो कुछ कर रहा हैं, इसमें उसकी कोई गलती नहीं हैं क्योंकि उसके मन पनप रहे पाॅइजन के प्लांट को खाद-पानी तो हमारे स्कूल मैनेजमेंट से मिल रहा हैं जिसका इंतजाम खुद उसके फादर ने किया हैं। आपको और आपके स्कूल मैनेजमेंट को मैं सैल्युट करती हूँ। मैं इस स्कूल को अलविदा कहकर जा रही हूँ, एक घंटे बाद मेरा रजिग्नेशन लेटर आपके आॅफिसियल ई-मेल पर मिल जाएगा। नाइस टू मीट यू, गुड बाय।"

        "मिस निहारिका, आपको नौकरी छोड़कर जाना हैं तो शौक से जाइए, लेकिन जाने से पहले मेरी एक बात नोट कर लीजिए। आप कहीं भी अपने आदर्शों और उसूलो के साथ समझौता करके ही नौकरी कर पाएगी, क्योंकि नौकरी देने वालों के लिए अपने बेनीफिट्स मायने रखते हैं, न कि अपने एम्प्लाॅइस के आदर्श और उसूल। जब भी एम्प्लाॅयर के बेनीफिट्स और एम्प्लाॅइस के आदर्शों व उसूलो के बीच टकराव होता हैं, एम्प्लाॅइस को दो ही आॅप्सन्स दिए जाते हैं या तो अपने आदर्श और उसूल छोड़ दो या फिर नौकरी।"

         "और आपने हमेशा इनमें से पहला आॅप्सन चुन रखा हैं, हैं न ?"

          "हाँ, क्योंकि हर समझदार एम्प्लाॅइस यही करते हैं। इसकी वजह हैं, इस पढ़े-लिखे बेरोजगारो की फौज वाले देश में सीमित एम्प्लाॅयमेंट्स और जरूरत से ज्यादा एम्प्लाॅयमेंट्स चाहने वालों का होना।"

           "जो भी हो, मैं हमेशा सेकंड आॅप्सन हीं चुनना पसंद करूँगी।" कहकर निहारिका, हर्षित को साथ लिए प्रिंसिपल के आॅफिस से बाहर निकल गई।

          "मिस, हैप्पी टीचर्स डे।" आॅफिस से बाहर निकलते हीं एक प्यारी-सी छः-सात वर्षीय छात्रा ने निहारिका को शुभकामना देते हुए उसकी ओर एक गुलाब का फूल बढ़ा दिया।

         "थैंक्स बेटा, बट ये रोज अपनी किसी टीचर को दो।" जवाब निहारिका बड़े प्यार से बोली।

          "मिस, आप भी तो मेरी टीचर हैं।"

          "हैं नहीं बेटा, थीं। अब मैं तुम्हारी टीचर नहीं हूँ।"

          "निहारिका, क्या हुआ ? तुम ऐसी बात क्यों कर रही हो ?" पास खड़ी सत्ताईस-अट्ठाइस साल की एक युवती ने निहारिका के एकदम करीब आते हुए सवाल किया।

           जवाब में निहारिका ने सारा घटनाक्रम उसे संक्षेप समझा दिया। इस दौरान आठ-दस अन्य शिक्षिकाएँ और अस्सी-नब्बे छात्र-छात्राएँ उनके आसपास इकट्ठा हो गए।

           "निहारिका, तुम अकेली चुपचाप स्कूल छोड़कर नहीं जाओगी। या तो स्कूल मैनेजमेंट तुम्हारे आगे झुकेगा या फिर हम सब स्कूल छोड़ देंगे।" निहारिका की बात खत्म होते सवाल पूछने वाली युवती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

           "वैशाली दीदी, आप मेरी वजह से क्यूँ अपनी और दूसरों की नौकरी दाॅव पर लगा रही हैं ? यदि स्कूल मैनेजमेंट नही झुकेगा तो आपको बहुत दिक्कत हो जाएगी। बीच सेशन में आपको कहीं और नौकरी नहीं मिल पाएगी तो आपको घर के खर्च मैनेज करने बहुत परेशानी होगी, क्योंकि आपके हसबैंड की अकेले की सैलरी घर खर्च चलाने के लिए इनसफिसिएंट हैं। आई थिंक, इस टाइप की प्राॅब्लम्स ज्यादातर टीचर्स को हो जाएगी, इसलिए आप इस इश्यू को हवा देकर भड़काने की कोशिश मत कीजिए, अदरवाइज हमारे काफी बहन-भाइयों की घर की सुख-शांति छीन जाएगी।" निहारिका ने वैशाली को समझाने का प्रयास किया।

         "तुम बिलकुल सही बोल रही हो। इस स्कूल के फोर्टी फाइव टीचर्स में से आठ-दस छोड़कर बाकि सभी को नौकरी छीन जाने पर अपने डेली के घरेलू खर्च मैनेज करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें हम दोनों भी शामिल हो। लेकिन तुमने अपनी इस प्राॅब्लम को अपनी मजबूरी नहीं बनने दिया और बेझिझक होकर अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया, जबकि हम सबने अपनी इस प्राॅब्लम को अपनी मजबूरी का नाम देकर स्कूल मैनेजमेंट को अपनी मनमानी करने के खुला मैदान दे दिया। लेकिन अब हम अपनी मजबूरी का स्कूल मैनेजमेंट को और फायदा उठाने का चांस नहीं देंगे। तुमने जिस टाइप की प्राॅब्लम फेस की हैं, वैसी प्राॅब्लम्स हममें लगभग हर कोई फेस कर चुका हैं, लेकिन समय आ गया हैं कि हम सब नौकरी जाने पर आनेवाली प्राॅब्लम्स को भूलकर स्कूल मैनेजमेंट की मनमानी को चुनौती दे और स्कूल के नाम पर चल रहे इस काॅर्पोरेट कम्पनी को विद्या मंदिर बनाने की कोशिश करें। आप लोगों में से जितने मेरी बातों से एग्री करते हैं, अपने-अपने हाथ खड़े कर दीजिए।" वैशाली की बात खत्म होते तक आसपास खड़ी सारी टीचर्स ने अपने-अपने हाथ खड़े कर दिए।

       "गुड, अब आप लोगों में कोई जाकर स्टाॅफ से बाकी फिमेल और मेल सभी टीचर्स को बुलाकर ले आइए। उनमें कुछ लोग तैयार हो गए तो स्कूल मैनेजमेंट को टीचर्स को रिस्पेक्ट देने की हमारी इस मांग के साथ-साथ सैलरी इन्क्रीमेंट, आने-जाने के लिए फ्री वाहन, हर टीचर्स को डेली एक पीरियड का रेस्ट और पर मंथ बिना सैलरी काटे दो दिन की छुट्टी जैसी कुछ जरूरी मांगो को भी मानना पड़ेगा।"

                                       ................

        "विदेशी भाषा की शिक्षा देनेवाली अध्यापिका महोदया, कृपया आप अपने शालेय प्रबंधन समिति झुकाओ अभियान के प्रतिभागियों की सूची में अपनी मातृभाषा के इस निर्धन अध्यापक का नाम सम्मिलित मत कीजिएगा।" प्रिंसिपल के आॅफिस के सामने बाद में पहुँचे तीस-बत्तीस नये शिक्षक-शिक्षिकाओं में से एक कुर्ता-पैजामा पहने हुए अधेड़ आयु के शिक्षक ने कहा।

         "क्यों ? वैशाली ने आग्नेय नेत्रों से उन्हें घूरते हुए सवाल किया।

          "इस अभियान में सम्मिलित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के माता-पिता या पति-पत्नी में से कोई न कोई आय अर्जित करता हैं, इसलिए आप लोगों को इस संस्था से निष्कासित करने पर आप लोगों के परिवार के उदर-पोषण की तत्काल समस्या उत्पन्न नहीं होगी, किंतु मेरे चार प्राणियों के परिवार में हम ही एकमात्र आय अर्जित करनेवाले प्राणी हैं और हमारे पास संचित पूँजी के नाम सत्तावन रूपये जेब में, डेढ़-दो सौ रूपये घर पर एवं सात सौ सैतीस रूपये बचत खाते में हैं।"

          "मैडम, मुझे भी आप लोग अपने साथ काउंट न करें।" वैशाली के कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले ही एक स्पोटर्स ड्रेस पहने चुस्त और फुर्तीले नजर आनेवाले युवक ने अपनी बात रख दीं।

          "मिश्रा जी के इस मूवमेंट में पार्टिसिपेट न करने का वैलिड रिजन हैं, बट आप इसमें पार्टिसिपेट करने से क्यों मना कर रहे हैं ? आप तो स्कूल से मिलने वाली सैलरी से ज्यादा अपनी कराटे क्लासेस से कमा लेते हैं।"

          "हाँ, लेकिन तीन-चार सालों की कोशिश के बाद मेरी एक ठीक-ठाक के साथ शादी इस स्कूल में पीटी टीचर की नौकरी की वजह से ही सैट हुई हैं और बाइ चांस मेरी इस मूवमेंट में शामिल होने की वजह से नौकरी चली जाएगी तो मेरी बड़ी मुश्किल से तय हुई शादी टूट जाएगी।"

         "अरे यार, आपकी शादी टूटने की रिस्क हैं तो आप भी जाइए। क्योंकि आजकल आप जैसे कम सैलरी में प्राइवेट जाॅब करने वाल नौजवानों के लिए मनपसंद लाइफ खोजना दूसरी नौकरी खोजने से भी ज्यादा मुश्किल काम हैं।" मुस्कराकर उससे कहने के बाद वैशाली ने निहारिका से कहा- "हम लोग करीब दस मिनट से यहाँ खड़े हैं और प्रिंसिपल अपनी सीट पर ऐसे शांति से जमा हुआ हैं, जैसे उसने हम लोगों को यहाँ खड़े देखा हीं नहीं।"

        "उन्हें लग रह होगा कि आप लोग मुझे नौकरी छोड़कर जाने से रोकने के लिए समझा रहे होंगे, इसलिए हम सब लोगों को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। उन्हें प्रेयर की बेल बजने के बाद भी हमारे यहीं खड़े रहने पर इरादों का अहसास होगा।"

         "तो बेल बजवा देते हैं। वैसे भी प्रेयर का टाइम तो हो हीं गया हैं। पीटी सर, बेल बजवाइए और बच्चों को लाइन में लगवाइए। आज प्रेयर करवाने और सभी क्लासेस के बच्चों को सम्भालने की रिस्पांस्ब्लिटिज आपकी और मिश्रा जी की हैं।"

          "ओके मैडम।"
                                ..............

           "कांग्रेचुलेशंस, स्कूल मैनेजमेंट ने आप लोगों की सभी मांगे मान ली हैं। मुझे मोहित के फादर को बुलवाकर वैसी वाॅर्निंग देने की परमिशन दे दीं हैं, जैसी मिस निहारिका चाह रही थीं एंड स्कूल के नये रूल्स एंड रेग्युलेशंस और आप लोगों की न्यू सैलरी की लिस्ट का ई-मेल थोड़ी देर में मेरे पास आ जाएगा, जिसके बाद उसकी एक काॅपी आप लोगों को दे दी जाएगी। अब फर्स्ट पीरियड वाले सभी टीचर्स अपनी-अपनी क्लास में जाइए और बाकी के लोग लंच टाइम के बाद होनेवाले टीचर्स डे के फंक्शन की तैयारी में मेरी मदद करें।" प्रिंसिपल की बात सुनकर उसके आॅफिस के खड़े सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के चेहरे खुशी से खिल उठे।

            "सर, आप हम लोगों से नाराज तो नहीं हैं न ?" वैशाली ने सवाल किया।

            "नो वैशाली मैडम, मैं आप लोगों से बिलकुल भी नाराज नहीं हूँ बल्कि मैं तो आप सबसे काफी खुश हूँ क्योंकि आप लोगों की स्ट्राइक की वजह से स्कूल मैनेजमेंट ने आप लोगों की साथ-साथ मेरी भी सैलरी और अंदर फेसिलिटिज बढ़ा दी।"

          
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#3
"कांग्रेचुलेशंस सर।" एक साथ कई टीचर्स ने एकसाथ कहा।

           "थैंक्स फाॅर इट एंड स्पेशल थैंक्स फाॅर स्ट्राइक।"

           "सर, इस बार का बेस्ट टीचर का अवार्ड किसको मिलने वाला हैं ?" एक युवा शिक्षिका ने सवाल किया।

            "मिस कल्पना, मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा हैं कि आप अब से करीब पाँच मिनट पहले तक इस अवार्ड की मेन दावेदार आप थीं, क्योंकि आपके अथक प्रयासों की वजह से इंडिपेंडेस डे पर हमारे काफी स्टूडेंट्स पुलिस ग्राउंड पर आयोजित कल्चर एक्टीविटिज में फर्स्ट प्राइज विन करने में कामयाब हो पाए। लेकिन मेरी इन पाँच मिनट के भीतर मेरी अंतरात्मा ने मुझे इस बात के लिए कन्वेंस कर लिया कि इस अवार्ड की असली हकदार हमारे स्कूल की सबसे यंग टीचर मिस निहारिका हीं असली हकदार हैं। क्या आप सब मेरे इस डिसिजन से एग्री करते हैं ?"

           "यस सर।" अधिकांश शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एक स्वर में जवाब दिया, जिसमें कल्पना भी शामिल थीं।

           "मिस निहारिका, शायद आप मेरे इस डिसिजन से डिसएग्री कर रही हैं, क्योंकि आपने मेरे सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।"

           "यस सर, आपकी गेसिंग परफेक्ट हैं। मेरे विचार इस अवार्ड की असली हकदार कल्पना मिस हीं हैं।" निहारिका ने जवाब दिया।

          "सर, आई कम्प्लिटली डिसएग्री टू निहारिका मिस। बिकास सी इज योर राइट च्वाइस फाॅर दिस अवार्ड।" कल्पना ने जल्दी से अपनी बात रखी।

          "सर, आप इनकी बात पर ध्यान मत दीजिए और अवार्ड इन्हें हीं दीजिए।"

            "प्लीज मिस निहारिका एंड मिस कल्पना, आप शांति बनाए रखे। ये हमारे स्कूल का सबसे ग्रेटेस्ट मोमेंट हैं क्योंकि आज यहाँ पहली बार दो लोग इस बात के लिए लड़ रहे हैं कि किसी अवार्ड वो नहीं सामने वाला डिजर्व करता हैं जबकि इससे पहले मैंने हमेशा यहाँ लोगों को अवार्ड हासिल करने के लिए हीं लड़ते देखा। मिस निहारिका एंड मिस कल्पना, मैंने आप दोनों की प्राॅब्लम का साॅलुशन खोज लिया हैं। बेस्ट टीचर का अवार्ड मिस कल्पना को दिया जाएगा और मिस निहारिका को स्पेशल टीचर का अवार्ड दिया जाएगा। हैप्पी नाऊ आल आॅफ यू ?"

           "यस सर।" एक स्वर में जवाब देने वालों में निहारिका और कल्पना शामिल नहीं थीं क्योंकि दोनों एकदूसरे को बधाईया देने में व्यस्त थीं।
                              ................

        "क्या हुआ, आप दोनों इतने परेशान क्यूँ नजर आ रहे हैं ?" घर में कदम रखते हीं निहारिका की नजर अपने माता-पिता पर पड़ी तो ये सवाल अपने आप हीं उसके मुँह से निकल गया।

         "क्योंकि हम दोनों परेशान हैं।" जवाब निहारिका की माँ ने दिया।

          "हाँ, लेकिन आप लोग परेशान क्यूँ हैं ?"

          "तुम्हारे एक कारनामे की वजह से।"

          "निहाल की माँ, इससे ऐसे बात क्यों कर हो ? इसने जान-बूझकर तो हमारे लिए परेशानी खड़ी नहीं की न ?"

          "आप बीच में मत बोलिए, आपके अनुचित लाड़-प्यार और इसकी हर सही-गलत हरकत को सही ठहराने की आदत की वजह से ही ये लड़की हाथ से निकलती जा रही हैं, इसलिए आज मैं आपको बीच में एक शब्द नहीं बोलने दूँगी। आप चुपचाप बैठिए और चुपचाप बैठना नहीं हो रहा हैं तो बाहर घूमने चले जाइए।" निहारिका के पिता के बीच में हस्तक्षेप करने पर निहारिका की माँ का पारा और ऊपर चढ़ गया।

        "मुझसे तुम्हारी बकवास यहाँ बैठे-बैठे चुपचाप बर्दाश्त तो होगी नहीं और मैं बीच में बोला तो तुम बवाल खड़ा किए बिना मानोगी नहीं, इसलिए मैं बाहर चला जाता हूँ।" कहकर चेहरे पर आक्रोश के भाव लिए निहारिका के पिता घर से बाहर निकल गए।

         "इस नाकारा आदमी से कोई भी जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद रखना बेकार हैं। मैं न रहूँ तो ये आदमी इस घर को चिड़ियाघर और घर के लोगों को जानवर बनाकर रख देगा। जिसकी जो मर्जी हो ......।"

         "मम्मी, पापा को कोसना बंद करों और साफ शब्दों में मुझे बताओ कि मैंने किया क्या हैं ?" निहारिका के सब्र का बाँध टूट गया तो उसने अपनी को टोकते हुए अपना सवाल उनके सामने रख दिया।

         "तेरे कल अपने स्कूल के मास्टर-मास्टरनियों को भड़काकर मोहित के पापा को स्कूल बुलवाने की वजह से तेरा रिश्ता टूटने की कगार पर आ गया हैं और मैडम बड़े आराम से पूछ रही हैं कि मैंने किया क्या हैं।"

        "मोहित के पापा को स्कूल में बुलवाने की वजह से मेरा रिश्ता टूटने का क्या कनेक्शन हैं ?"

        "मुझसे सात कक्षाएँ ज्यादा पढ़ने के बावजूद तुझे इतनी-सी भी अक्ल नहीं आयी कि जो आदमी लड़के वालों के तुझे देखने आने से लेकर रिश्ता पक्का होने तक साथ रहा हो, उसका लड़के वालों के साथ कुछ न कुछ खास नाता तो होगा हीं न, कोई किसी ऐरे-गैरे को तो ऐसे मौकों पर अपने चुनिंदा लोगों के साथ लेकर आता नहीं हैं।"

        "मम्मी, मैं तुमसे पहले कह चुकी हूँ कि जो बात हैं, वो मुझे साफ शब्दों में बताओ, लेकिन फिर भी तुम बात को जलेबी की तरह गोल-गोल घुमा रही हो। क्या इस बात का जरा-सा भी अहसास नहीं हैं कि तुम्हारी बेटी पूरे पाँच घंटे खड़े-खड़े बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाने और डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर आने की वजह से काफी थकी हुई होगी ?"

        "तू ये सब करके मुझ पर कोई अहसान नहीं कर रही हैं। मैंने पहले ही तुझसे कहा था कि ये कम तनख्वाह में ज्यादा मेहनत वाली नौकरी मत कर, किसी कम्पनी के आॅफिस में कोई बैठे-बैठे काम करने वाली नौकरी ढूँढ ले। मेरी बात मान लेती तो न पैदल आने-जाने की नौबत आती, न खड़े रहकर काम करना पड़ता और न तुझे इतनी थकान होतीं, लेकिन तुझ पर तो मास्टरनी बनकर बच्चों के भविष्य निर्माण करने का शौक चढ़ा था। अब भुगत इसकी सजा।"

       "मम्मी, मैं फिलहाल तो तुम्हारी बेटी होने की सजा भुगत रहीं हूँ पर मैं अब और ज्यादा देर तक यहाँ खड़ी रहकर ये सजा भुगतने की हालत में नही हूँ। तुम दो मिनट के अंदर अपनी बात पूरी कर दो, अदरवाइज मुझे तुम्हारी पूरी बात सुने बिना ही अपने कमरे में जाना पड़ेगा।"

      "खड़ी रहना नहीं हो रहा हैं तो बैठ जा।"

      "बैठ गई तो तुम्हारा लैक्चर और लम्बा हो जाएगा, इसलिए मैं खड़े-खड़े हीं तुम्हारी बात सुन लेती हूँ और तुम एक बार टाॅपिक छोड़ देने के बाद उस टाॅपिक पर दुबारा जल्दी से आओगी भी नहीं, इसलिए मैं ही पूछ लेती हूँ। बताओ, जिस लड़के के साथ मेरा रिश्ता तय हुआ हैं, मोहित के पापा उसके कोई करीबी रिश्तेदार हैं क्या ?"

       "नहीं, लेकिन मोहित के पापा उस लड़के और उसके माँ-बाप के लिए करीबी रिश्तेदार से ज्यादा मायने रखते हैं क्योंकि उन लोगों के कारोबार में मोहित के पापा की काफी पूँजी लगीं हुई हैं। अब आयी कुछ बात तेरी समझ में या पूरी रामकथा सुनाऊँ ?"

         "पूरी रामकथा सुनाने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि मेरी समझ में पूरी कथा आ चुकी हैं। मोहित के पापा को मेरी डिमांड पर प्रिंसिपल ने मोहित की हरकतों के लिए खरी-खोटी सुनाई तो उसने अमित के डैड के कारोबार में अपने पैसे लगे होने का मिसयूज करके अमित के माँ-बाप पर इस बात के लिए प्रेशर डाला कि वे लोग मुझसे स्कूल के प्रिंसिपल को ये कहने के लिए बाध्य करे कि मैंने मोहित की झूठी शिकायत की थीं, ताकि प्रिंसिपल मोहित के पापा को दुबारा स्कूल बुलाकर खुद भी माफी मांगे और मुझे भी माफी मांगने के लिए मजबूर कर सकें। शायद ये प्लान मोहित के पापा के दिमाग में कल प्रिंसिपल के आॅफिस में अपने बेटे की करतूतो के लिए जलील होते समय हीं बन चुका था, इसीलिए उसने आॅफिस से बाहर निकलते ही मुझसे पूरे काॅन्फिडेंस कह दिया था कि तीन दिन के अंदर मैं और मेरे स्कूल का प्रिंसिपल उसे बुलाकर माफी मांगेंगे, पर उस इडियट को ये नहीं पता हैं कि वो ऐसी ओछी हरकत करके मुझे अगले सात जन्मों तक भी नहीं झुका पाएगा।"

       "बचकानी बातें छोड़ और मोहित के पापा जो चाहते हैं, वहीं कर, नहीं तो तेरा और अमित का रिश्ता टूट जाएगा। अमित ने मुझसे साफ-साफ कह दिया हैं कि कल तूने तेरे स्कूल के हैंड मास्टर के सामने मोहित की झूठी शिकायत करने की गलती कबूल नहीं की तो उनके पास ये रिश्ता तोड़ने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा, क्योंकि मोहित के पापा की ये मांग पूरी न होने की स्थिति में वे ये रिश्ता नही तोड़ते हैं तो पर वो उनके कारोबार में लगा अपना सारा पैसा वापस लेकर उन्हें सड़क पर ला देगा और तू न दुनिया की आखिरी लड़की नहीं हैं और न तेरे बाप की उनके सड़क पर आने से बचाने की औकात हैं, जो वे लोग तेरे उनकी बात न मानने पर तुझे अपने परिवार की बहू बनाकर सड़क पर आने का जोखिम उठाएँगे।"

        "मैं भी ऐसे परिवार की बहू बनने का जोखिम नहीं उठा सकती, जिनके लिए अपनी होनेवाली बहू के आत्म-सम्मान से ज्यादा अपने कारोबारी हित मायने रखते हैं।"

         "बेटी, ठंडे दिमाग से काम ले। ये आत्म-सम्मान, आदर्श और सिद्धांत जैसी चीजें की आज के जमाने में कोई अहमियत नहीं हैं। आज के जमाने में जिसके पास पैसा हैं, उसी की इज्जत होती हैं। मोहित के पापा को ही देखो, सभी को पता हैं कि वो एक नम्बर का मक्कार, बेईमान और मौकापरस्त आदमी हैं, लेकिन फिर भी हर कोई उसकी जी-हुजूरी करता हैं जबकि तेरे बाप के ईमानदार और नेक इंसान के बावजूद लोग उन्हें देखकर भी अनदेखा कर देते हैं। बेटी, बहुत दिनों की कोशिशों के बावजूद बड़ी मुश्किल से ये बिना दहेज की मांग वाला रिश्ता हमारे हाथ आया हैं। ये रिश्ता टूट गया तो उन्हें तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि बड़े लोग हैं, इसलिए उन्हें कोई भी लड़की दे देगा, पर हमें बहुत दिक्कत होगी। हमारे सारे रिश्तेदार उनके लाए रिश्तों में तुम दोनों बाप-बेटी के मीन-मेख निकालने की वजह से हमसे पहले दूर हो चुके हैं। समाज में भी हमारी इतनी ज्यादा अहमियत नहीं हैं, इसलिए कोई हमारे घर रिश्ता लेकर नहीं आता हैं। इसलिए उन लोगों की बात मान ले और उस स्कूल की नौकरी छोड़ दे। वैसे भी तुझे ढाई-तीन माह बाद ये घर और वो स्कूल छोड़कर ऐसी जगह जाना हैं, जहाँ से तू उस स्कूल में पढ़ाने नहीं आ पाएगी।"

         "मैं ......।"

         "मिस, एक मिनट के लिए बाहर आइए।" घर के बाहर आयी हर्षित की आवाज सुनकर निहारिका अपनी बात अधूरी छोड़कर बाहर निकल गईं।

         "बेटा, मैं अभी तुमसे कोई बात नहीं कर सकती। तुम्हारी जो भी प्राॅब्लम हैं, मैं कल स्कूल जाते समय सुनूँगी।" बाहर निकलते हीं निहारिका ने जमीन पर एक पैर टिकाकर अपनी छोटी-सी साइकिल पर बैठे हर्षित से कहा।

        "अरे मिस, ......।"

        "जो बच्चे एक बार में बड़ों की बात नहीं मानते, वो मुझे बिलकुल पसंद नहीं हैं, इसलिए तुम बिना कोई आर्गुमेंट किए अपने घर वापस चले जाओं, अदरवाइज मैं कल से तुम्हें अपने साथ स्कूल ले जाना बंद कर दूँगी। डू यू अंडरस्टैंड ?"

       "यस मिस।"  हर्षित ने डरी-सहमी आवाज में जवाब दिया, जिसे सुनकर निहारिका अपने घर में वापस चली गईं।

                                      .............

        "बेटा, तुम आज मेरा वेट किए बिना हीं अकेले ही स्कूल क्यूँ आ गए ?" निहारिका ने स्कूल परिसर में खड़े हर्षित से पूछा।

       "अब मुझे मोहित तंग नहीं करता हैं, इसलिए सोचा कि अकेले ही चला जाता हूँ।" जवाब देते समय हर्षित के चेहरे पर ऐसे भाव उभरे, जैसे उसे न चाहते हुए भी बात करनी पड़ रहीं हो।

        "इसका मतलब ये हुआ कि तुम्हें मेरे साथ आना-जाना पसंद नहीं हैं, तुम सिर्फ मोहित के सताने के डर की वजह से मेरे साथ आना-जाना करते थे, हैं न ?"

       "नो मिस, ऐसी कोई बात नहीं हैं।"

       "तो फिर अब कभी मुझे छोड़कर तो स्कूल नहीं आओगे न ?"

        "नो मिस, मैं अब डेली अकेले हीं आऊँगा-जाऊँगा।"

        "बट व्हाय ?"

       "आपको मेरी वजह से धीरे-धीरे चलना पड़ता हैं और अब तो आपको वाॅकिंग करके आने-जाने जरूरत भी नहीं हैं क्योंकि कल ही आपने बताया था कि स्कूल के सारे टीचर्स के लिए बस फ्री कर दी गई हैं।"

       "हाँ, लेकिन मैंने तुम्हें ये भी बताया था कि मैं बस से अप-डाउन फ्री कर देने के बाद भी तुम्हारे साथ वाॅकिंग करके आना-जाना कन्टिन्यू रखूँगी, क्योंकि मुझे वाॅकिंग करना पसंद हैं, ये बात भूल गए क्या ?"

       "नहीं, याद हैं।"

       "तो फिर ऐसी बात क्यूँ कर रहे हो ?

       "वो मैं आपको बाद में बताऊँगा। अभी मैं विवेक के साथ खेलने जा रहा हूँ, वो मुझे काफी देर से इशारे से बुला रहा हैं।"

        "बेटा, क्यूँ झूठ बोल रहे हो ? मैं जबसे तुम्हारे साथ खड़ी हूँ तबसे उसने तुम्हारी ओर देखा भी नहीं और तुम कह रहे हो कि वो तुम्हें इशारे बुला रहा हैं। कहीं तुम मेरी कल शाम की डॉट की वजह से गुस्सा होकर तो मुझसे दूर नहीं भाग रहे हो ?"

        "नो मिस, मुझे किसी की भी कोई भी बात पर गुस्सा नहीं आता हैं।"

        "क्यूँ , आई मीन इंसान को किसी के गुस्सा आनेवाली बात कहने पर गुस्सा भी होना चाहिए, फिर तुम्हें गुस्सा आनेवाली बात पर गुस्सा क्यूँ नहीं आता हैं ?"

         "क्योंकि मम्मा कहती हैं कि हम जैसे लोगों को भगवान जी ने गुस्सा दिखाने का राइट हीं नहीं दिया हैं। मैं अब खेलने जा रहा हूँ, बाय मिस।" कहने के बाद हर्षित दौड़कर अपनी उम्र के एक छात्र के पास चला गया।

          निहारिका उसे कुछ देर तक हैरान-परेशान सी देखती रही और फिर अपनी नम हो चुकी आँखों को साफ करती हुई धीमे स्वर में बोली- "साॅरी बेटा, मुझे नहीं पता था कि तुम इतने सेंसेटिव हो, अदरवाइज अपना फ्रस्टेशन तुम पर उतारने की गलती नहीं करती, बट आई प्राॅमिश टू यू नाऊ कि मैं अब तुम्हें कभी नहीं डाॅटूँगी और न हीं तुम्हें उम्र से पहले बड़ा होने दूँगी।"

         "निहारिका, लगता हैं कि तुम्हारी खुद से बातें करने की आदत कभी नहीं छूटेगी।" वैशाली ने पीछे से पास आकर निहारिका के कंधे पर हाथ रखकर कहा।

        "जी दीदी, मुझे भी ऐसा हीं लगता हैं।"

        "अरे, तुम इतनी परेशान क्यों लग रही हो ? कहीं तुम्हें उस बिगड़े हुए लड़के के रईस और बदतमीज बाप ने परेशान तो नहीं किया ?"

       "नहीं दीदी, ऐसी कोई बात नहीं हैं।"

       "ठीक हैं, लेकिन वो तुम्हें कभी परेशान करें तो बता देना, मैं उसके घर जाकर उसका बैण्ड बजा दूँगी।"

       "थैंक्स दीदी।"

       "आओ, प्रेयर की बेल बज चुकी हैं।"

       "जी दीदी।" कहकर निहारिका, वैशाली के साथ उस ओर कदम बढ़ाने लगी, जिधर प्रेयर के लिए स्टूडेंट्स और टीचर्स जमा हो रहे थे।
                             .....................

        "रूको बेटा, मैं भी तुम्हारे साथ चल रही हूँ ।" निहारिका तेज कदमों से हर्षित का पीछा करतीं हुई बोली तो हर्षित अपनी जगह पर रूक गया, लेकिन उसने निहारिका की ओर पलटकर नहीं देखा।

        "चलो।" निहारिका ने उसके बराबरी में पहुँचने के बाद कहा तो वह चुपचाप चल पड़ा।

       "कैसा रहा आज का दिन ?" चलते-चलते निहारिका ने सवाल किया।

       "अच्छा रहा।" हर्षित ने धीमे स्वर में जवाब दिया।

        "मुझे छोड़कर क्यूँ भाग रहे थे ? कोई अपने फ्रेंड को इस तरह छोड़कर भागता हैं क्या ?"

         "नहीं।"

         "तो साॅरी बोलो।"

         "साॅरी।"

          और प्राॅमिश भी करों कि आगे से ऐसा नहीं करोगे।"

          "प्राॅमिश।"

          "गुड, अब ये बताओ कि कल शाम को मेरे घर किसलिए आए थे ?"

          "मम्मा ने हलवा भेजा था आपके लिए, वही देने आया था।"

          "लेकिन तुम्हारे पास तो कोई थैला या पाॅलिथिन वगैरह कुछ था ही नहीं।"

           "एक पाॅलिथिन थीं।"

           "लेकिन मुझे तो नजर हीं नहीं आयी।"

           "साइकिल में लगे बास्केट में थीं, इसलिए आपको नजर नहीं आयी होगी।"

           "ओह ! मेरा प्यारा बेबी मेरे लिए हलवा लेकर आया था और मैंने उसे डाॅटकर भगा दिया। मैं बहुत गंदी हूँ न ?"

           "नहीं।"

           "अच्छा ये बताओ, तुम मेरे लिए लाया हलवा वापस लेकर गए और तुम्हारी मम्मा ने पूछा कि क्यूँ वापस ले आए तो तुमने क्या रिजन बताया ?"

            "मैंने बताया कि मिस के घर पर कोई नहीं हैं।"

            "और तुमने ये झूठ तुम्हारी मम्मा की नजरों में मेरी इमेज खराब होने से बचाने के लिए बोला न ?"

            "हाँ।"

           "और तुम अपनी मम्मा की नजरों में मेरी इमेज खराब होने से क्यूँ बचाना चाहते थे ?"

            "आप अच्छी टीचर हैं इसलिए।"

            "अरे, पर कल तो मैंने बेवजह तुम्हें डाॅटा था न ?"

            "तो क्या हुआ, आपने मेरी हेल्प भी तो की थीं न।"

            "अच्छा तो मैंने तुम्हारी मोहित से पीछा छुड़ाने में हेल्प की थीं, इस वजह से तुमने से मेरे डाॅटने का बुरा नहीं माना ?"

            "हाँ।"

           "और ये बात भी तुम्हें तुम्हारी मम्मा ने सिखाई होगी कि कोई हमारी हेल्प करता हैं तो उनके डाॅटने का बुरा नहीं मानना चाहिए ?"

           "हाँ।"

           "यार, वाकई तुम्हारी मम्मा बहुत ग्रेट हैं। पर शायद वे तुम्हें ये सिखाना भूल गई कि हमारे फ्रेंड से अनजाने हुई भूल की वजह से उसके साथ ऐसा बिहेवियर नहीं करना चाहिए, जैसा तुम आज सुबह से मेरे साथ कर रहे हो।"

          "यानि ?"

          "यानि, तुम आज सुबह से मेरी तरफ न देख रहे हो, न मुस्करा रहे हो और न मेरे साथ खुलकर बातें कर रहे हो। मुझे देखकर मेरे पास आने की बजाए मुझसे दूर भागने की कोशिश कर रहे हो। बेटा, मैं मानती हूँ कि मुझसे गलती हुई हैं, पर उसके लिए तुम्हें मुझसे कम्प्लेन्ट करके मुझे मेरी गलती का अहसास दिलाना चाहिए, न कि मेरे साथ इस टाइप का बिहेवियर करके मुझे हर्ट करना चाहिए। बेटा, तुम मेरे साथ ऐसा हीं बिहेवियर कन्टिन्यू रखोगे तो मुझे लगेगा कि मैं एक बहुत बुरी पर्सन हूँ क्योंकि मेरी मम्मी तो मुझे पहले ही दुनिया की सबसे बुरी लड़की का अवार्ड दे चुकी हैं और मेरे .....।"

          "आपकी मम्मी आपको बुरी लड़की क्यों समझती हैं ?"

          "इसके इतने सारे रिजन्स हैं कि बताते-बताते सारा सफर कट जाएगा, पर बात पूरी नहीं होगी, इसलिए मैं तुम्हें सिर्फ कल शाम से आज सुबह तक मेरी मम्मी के मुझे बुरी लड़की समझने का रिजन बताती हूँ। तुम केयरफुली मेरी पूरी बात सुनो, क्योंकि लास्ट में तुम्हें ये डिसिजन देना हैं कि वाकई बुरी लड़की हूँ या नहीं, आर यू रेडी फाॅर इट ?"

           "यस मिस।"

           "तो सुनो, कुछ दिनों पहले अमित के नाम के एक लड़के के साथ मेरी शादी तय हुई थी और हम दोनों की शादी की डेढ़ माह बाद की एक डेट भी फिक्स हो चुकी थीं, बट इस बीच अमित ने मेरे सामने एक गंदे इंसान के सामने झुकने की डिमांड रख दीं और उसे पूरी न करने पर शादी कैंसिल कर देने की धमकी भी दे दीं। मैंने अपने सेल्फ-रिस्पेक्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए उसकी ये इल्लिगल डिमांड पूरी नहीं की और उसने शादी कैंसिल कर दी। इस वजह से मेरी मम्मी मुझे बुरी लड़की समझ रही हैं। अब तुम बताओ कि क्या मैं बुरी लड़की हूँ ?"

          "पहले आप मुझे ये बताइए कि आपने अपनी मेरिज मुझसे किए प्राॅमिश की वजह से तो कैंसिल नहीं की न ?"

          "अरे नहीं बाबा, मैं तो अपनी मेरिज हो जाने के बाद भी तुमसे किए प्राॅमिश के एकार्डिंग तुम्हें कम्पनी देना कन्टिन्यू रख सकती हूँ तो फिर मैं तुमसे किए गए प्राॅमिश की वजह से अपनी मेरिज क्यूँ कैंसिल करूँगी ?"

          "आप अपनी मेरिज के बाद भी मुझे कम्पनी देना कन्टिन्यू रखेगी तो जो कोई भी आपके हसबैंड बनेंगे, उन्हें बुरा नहीं लगेगा ?"

           "किसलिए बुरा लगेगा ?"

           "आपका सारा टाइम उन्हें न देकर कुछ टाइम मुझे कम्पनी देने में खर्च करने के लिए ?"

            "ओ गाॅड, इस आठ साल के लड़के में कितनी समझ हैं ?"

             "मिस, आपने मुझसे कुछ कहा ?"

             "नहीं, मैं खुद से बात कर रही थीं।"

            "ये तो बहुत बुरी बात हैं।"

            "क्यूँ बुरी बात हैं, तुम भी तो खुद से बातें करते हो न ?"

          "हाँ, लेकिन मैं तभी खुद से बातें करता हूँ जब मेरे साथ बात करने वाला कोई नहीं होता हैं, बट आप तो मुझसे बातें करना ब्रेक करके खुद से बात करने लग गई।"

         "साॅरी बेटा, मैं तुम्हारे जितनी समझदार नहीं हूँ न और मेरे पास तुम्हारी जैसी हर सिच्युएशन को समझदारी से हैंडल करने का लेशन पढ़ाने वाली स्मार्ट मम्मा भी नहीं हैं, इसलिए मुझसे इस टाइप की मिस्टेक हो जाती हैं। लिव दिस अननेसेसरी आर्गुमेंट नाऊ एंड लैट्स कम टू द ओरिजनल टाॅपिक।"

          "ये आप मुझसे क्यों कह रही हैं ? खुद से कहिए न, क्योंकि अभी आन्सर देने की टर्न तो आपकी हैं।"

          "यू आर राइट, बट अब मैं खुद से कुछ कहकर तुम्हारे लैक्चर्स सुनने के मूड में बिलकुल नहीं हूँ इसलिए तुम्ही से बात करूँगी और मैं बात स्टार्ट कर रही हूँ तुम्हारे कोश्चन से। तुम्हारा कोश्चन ये था कि मैं अपना सारा टाइम अपने होनेवाले हसबैंड को न देकर कुछ टाइम तुम्हें कम्पनी देने में खर्च करूँगी तो मेरे होनेवाले हसबैंड को बुरा तो नहीं लगेगा, एम आई राइट ?"

         "यस मिस।"

         "और इसका आंसर ये हैं कि मैं ऐसे खड़ूस इंसान को अपना हसबैंड बनाऊँगी हीं क्यूँ जो मेरे फ्रेंड को कम्पनी देने की बात का बुरा मानेगा ?"

          "लेकिन किसे अपना हसबैंड बनाना हैं, ये डिसाइड करने का राइट तो आपके पास हैं हीं नहीं।"

           "तुम्हारी सारी बातें मुझे सेंसिबल लगती हैं, लेकिन ये बात बिलकुल नानसेंस लगीं। अरे बाबा, किसे अपना हसबैंड बनाना हैं, ये डिसाइड करने का राइट मुझे क्यूँ नहीं हैं ? मुझे जिस इंसान के साथ पूरी लाइफ गुजारनी हैं, उसे चूस नहीं करने का राइट मेरे पास नहीं होगा तो क्या मेरे पड़ोसी के पास होगा ?"

          "ये राइट न आपके पास हैं और न आपके पड़ोसी के पास हैं, ये राइट तो भगवान जी के पास हैं। उन्होंने जिस इंसान का नाम का आपका हसबैंड बनने के लिए डिसाइड किया होगा, वही आपका हसबैंड बनेगा।"

          "अच्छा तो ये बात भी तुम्हें पता हैं, क्या तुम्हें ये बात भी अपनी मम्मा से पता चली ?"

         "हाँ, ये बात उन्होंने मुझे डायरेक्ट नहीं बताई। वे एक दिन भगवान जी कह रहीं थीं तो मैंने सुन लीं।"

         "अच्छा, वैसे वे एग्जेक्ट कह क्या रही थीं ?"

         "यही कि हे भगवान, आपको मेरी किस्मत में इसी आदमी का नाम लिखना था, इसे मेरा पति बनाने से तो अच्छा होता कि आप मुझे जीवन भर कुँवारी हीं रहने देते।"

         "और उनकी ये बात सुनकर तुमने अनुमान लगा लिया कि किसे किसका हसबैंड बनना हैं, ये भगवान जी डिसाइड करते हैं ?"

          "हाँ।"

          "गुड यार, मैं तुम्हारे इस जबर्दस्त कैचिंग और गैसिंग पावर्स की तो आज वाकई फैन बन गई हूँ। तुम्हारी इन पावर्स की वजह से मेरी डेढ़-दो साल पुरानी उलझन दूर हो गई, अदरवाइज मैं पता नहीं कब तक इस उलझन में उलझी रहती कि मेरे लिए आए रिश्ते परफेक्ट न होने की वजह से उन्हें ठुकराकर मैंने कोई गलती तो नहीं कर दीं ? जब ऊपरवाले को ही डिसाइड करना हैं कि कौन मेरा लाइफ-पार्टनर बनेगा तो मैं इसके बारे में सोचकर क्यूँ अपना दिमाग खराब करूँ ? निहारिका, तू आज से इस मैटर पर सोचना बिलकुल बंद कर दे। जो तेरी किस्मत में होगा, सही समय आने पर अपने आप तुझे मिल जाएगा। पर यार, तू अपनी मम्मी और उसकी हाँ में हाँ मिलानेवाली रजनी आंटी का क्या करेगी ? वे दोनों तो तब तक तेरा पीछा नहीं छोड़ेगी, जब तक तूने जिन लड़कों के रिश्ते रिजेक्ट किए हैं, उनसे बेहतर लड़के के साथ तेरा रिश्ता तय नहीं हो जाता। एक काम करतीं हूँ, इन दोनों से बचने के लिए सुलेखा भाभी के साथ ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर देती हूँ। घर में ज्यादा समय तक रहूँगी हीं नहीं तो इन लोगों को मुझ पर तंज कसने का मौका हीं नहीं मिलेगा। सुलेखा भाभी को भी बच्चे ज्यादा हो जाने की वजह से उनकी हेल्प के लिए एक टीचर की जरूरत हैं, उन्होंने पंद्रह-बीस पहले उनकी क्लासेस ज्वाइन करने के लिए मुझे कहा था, पर क्या पता इतने दिनों में मेरे कोई जवाब देने की वजह से उन्होंने दूसरा आॅप्सन खोज लिया हो ? इस लड़के को इसके बारे में पता होगा, इसी से पूछ लेती हूँ। हर्षित, तुम्हारी मम्मा की ट्यूशन क्लासेस में उनके अलावा कोई और टीचर भी पढ़ाने आ रही हैं क्या ?"

          "नो मिस।"

          "थैंक्स गाॅड।"

           "आप भगवान जी को मेरी मम्मा को हेल्प को लिए कोई टीचर नहीं मिली, इसलिए थैंक्स बोल रही हैं ?"

          "नहीं बाबा, उन्होंने मेरे लिए तुम्हारी मम्मा की क्लासेस में जगह सेफ रखी हैं इसलिए उन्हें थैंक्स बोल रही हूँ।"

          "यानि, आप मेरी मम्मा की हेल्प करने वाली हैं ?"

           "हाँ।"

           "तब तो मुझे पीपलवाले मंदिर के भगवान जी को कल ही एक नारियल गिफ्ट करना पड़ेगा।"

            "क्यूँ ?"

            "मैंने उनसे ये विश मांगी थीं न कि मेरी मम्मा को हेल्प के लिए टीचर मिल जाएगी तो मैं उन्हें एक नारियल गिफ्ट करूँगा।"

            "ऐसा हैं तो तुम उन्हें आज ही नारियल गिफ्ट कर दो।"

            "बट आज तो मैं नारियल के लिए पैसे लेकर नहीं आया।"

            "तो मैं दे देती हूँ।"

             "पर विश तो मेरी पूरी हुई हैं तो आप अपने पैसे क्यों खर्च कर रही हैं ?"

             "क्योंकि मैं तुम्हारी टीचर के साथ-साथ तुम्हारी बुआ भी हूँ और इस वजह से तुम्हें जरूरत पड़ने पर पैसे देना मेरी ड्यूटी हैं।"

             "आप मेरी बुआ हैं तो हम लोगों के साथ क्यों नहीं रहती ?"

             "जरूरी नहीं हैं कि हमारी बुआ हमारे साथ हीं रहे ?"

             "पर मेरे घर के आसपास रहने वाले चेतन की भी बुआ और नेहा की भी बुआ तो उन्हीं के साथ रहती हैं।"

              "हाँ, पर तुम्हारे घर के सामनेवाले अंकित की बुआ तो उसकी फेमिली के साथ नही रहती ?"

              "वो तो उनकी शादी हो चुकी हैं इसलिए नहीं रह रही हैं, लेकिन आपकी तो शादी भी नहीं हुई, फिर भी आप हमारे साथ क्यों नहीं रहती हैं ?"

             "तुम्हारे इस कोश्चन का आन्सर मैं कल दूँगी, अभी तुम ये पैसे लो और साइडवाली शाॅप से नारियल लेकर आओ। और सुनो, थोड़ी फुर्ती दिखाओ, हम लोग स्लो चलने की वजह से वैसे हीं काफी लेट हो चुके हैं। हम घर पहुँचने में ज्यादा लेट हुए तो तुम्हें तो तुम्हारी मम्मा कुछ नहीं कहेगी, बट मेरी मम्मी सवालों की झड़ी लगा देगी। डू यू अंडरस्टैंड ?"

             "यस मिस।" कहकर हर्षित दौड़ता हुआ सड़क के किनारे मौजूद एक दुकान पर चला गया।
                           ...................

        पिंक कलर के घर के आँगन में खड़े कुत्ते को घर से निकली एक महिला ने गंदी-गंदी गालियाँ देते हुए डंडे से पीटा तो वह भागकर रोड के दूसरी तरफ एक नीम के पेड़ के नीचे बैठे भिखारी के पास पहुँच गया।

        "भाई, तुझे मैंने कितनी बार समझाया कि थोड़ा सब्र रखा कर, लेकिन तू रोज उस घर के आँगन में रोटी मिलने की आशा से घुस जाता हैं और रोज उस घर की निर्दयी महिला की गाली और मार खाता हैं। न तू उस घर में आँगन में जाना बंद कर रहा हैं और न वो महिला तुझे पिटाई करने की आदत छोड़ रही हैं। कभी-कभी तो मुझे लगता हैं कि तू उस घर से रोटी के लिए नहीं बल्कि उस घर की बड़ी बहू के हाथ से डंडे खाने हीं जाता हैं, क्योंकि तुझे अच्छी तरह से मालूम हैं कि उस कंकालन के रहते उस घर से कुछ भी मिल पाना नामुमकिन हैं। ये मालूम हैं न तुझे ?" भिखारी ने कुत्ते की बेवकूफी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उससे सवाल किया, जो शायद कुत्ते को समझ में आ गया और उसने 'हाँ' कहने के अंदाज में सिर भी हिलाया।
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#4
        "मालूम हैं तो इतने सारे घर को छोड़कर रोज उसी घर के आँगन में भिखारी की तरह क्यों खड़ा हो जाता हैं ?"

        "भो-भो।" शायद भिखारी का ये सवाल का कोई शब्द कुत्ते को चुभ गया, इसलिए ही शायद उसने गुस्से से भौककर अपना आक्रोश व्यक्त किया।

         "माफ कर दे भाई। भिखारी तो मैं हूँ तू तो मालिक हैं उस घर का, तभी शायद इतने घर छोड़कर रोज पिटाई होने पर उसी घर के आँगन में जाकर बैठता हैं।" भिखारी की बात सुनकर कुत्ता शांत हीं नहीं हुआ, बल्कि उसकी गर्दन भी गर्व से तन गई।

       "मेरी बात सुनते हीं इसके शरीर में आई अकड़ को देखकर तो ऐसा लगता हैं, जैसे सही में यही उस घर का मालिक हैं। कहीं ये पिछले जन्म में उस निर्दयी महिला का ससुर तो नहीं था, जो रोज इसकी पिटाई करती हैं ? इससे पूछकर देखता हूँ। भाई, तू अनोखेलाल हैं क्या ?"

         भिखारी के सवाल का जवाब कुत्ते ने 'हाँ' कहने के अंदाज में सिर हिलाकर दिया।

        "वाह रे ऊपरवाले, तेरी लीला की जितनी तारीफ की जाए कम हैं। जिस आदमी ने जीवनभर सिर्फ इसलिए कभी खुद भरपेट खाना नहीं खाया और कभी किसी भूखे भिखारी या भूखे जानवर को अपने घर से रोटी का एक टुकड़ा तक नहीं दिया कि उसके घर की अगली पीढ़ियों को किसी चीज की कमी न हो, लेकिन आज इस बेचारे को उसी घर की दूसरी पीढ़ी एक रोटी देने से बचने के लिए पीटकर भगा रही हैं। इससे भी मजेदार बात ये हैं कि इसने अपनी जिस बड़ी बहू को मायके से भारी-भरकम दहेज लाने की वजह से हमेशा सिर पर बिठाकर रखा, वही इसे देखते हीं इसकी पिटाई शुरू कर देती हैं और इसने अपनी जिस छोटी बहू को कम दहेज लाने की वजह से हमेशा तिरस्कृत किया, वही इसकी बड़ी बहू से छिपाकर मुझे हर रोज जो तीन रोटिया देती हैं, उसमें से एक रोटी इसे खाने को मिलती हैं और ये एक रोटी वह आदमी अपने हिस्से में से देता हैं, जिसे ये अपने घर की दहलीज पर भी पैर रखने देता था।" भिखारी की बात सुनकर कुत्ते का सिर अफसोस और शर्मिन्दगी से झुक गया।

         "भाई, अब दुखी होना बंद कर और जल्दी से उठकर घर के पीछे चला जा। छोटी बहू आ रही हैं, मैं चुपके से उससे रोटी लेकर घर के पीछे आता हूँ।" भिखारी की ये बात सुनते ही कुत्ता उठकर उसी पिंक कलर के घर की बगलवाली पतली गली में जाकर अदृश्य हो गया, जिस घर से उसे थोड़ी पहले भगाया गया था।

          कुत्ते के जाने के बाद भिखारी ने पास रखी फटे और मैले चादर की गठरी उठाई और जाकर उस पिंक कलर के घर की बाउंड्रीवाल की ओट में ऐसी जगह पर खड़ा हो गया कि उस घर के द्वार और आँगन में खड़े व्यक्ति को वह नजर न आए।

          कुछ पलों के बाद शक्ल-सूरत और हाव-भाव से काफी संस्कारी नजर वाली अट्ठाइस से तीस बर्ष के बीच की आयु की एक महिला बाउंड्री के गेट से बाहर निकली और गली में दोनों तरफ देखने के बाद भिखारी के पास पहुँची।

        "लीजिए।" कहने के साथ ही उस महिला ने अपनी साड़ी के पल्लू नीचे छिपा हाथ आगे बढ़ाकर अखबार लपेटकर पैक की गई रोटिया और एक ट्रांसपरेंट पाॅलिथिन में पैक सब्जी भिखारी को थमा दी।

       "आज कहीं बाहर जा रही हो बिटिया ?" भिखारी ने दोनों चीजें अपने कपड़ों में छिपाते हुए सवाल किया।

        "जी बाबा।" उस महिला ने जवाब दिया।

        "कहाँ ?"

        "बाद में बता दूँगी, अभी मेरे पास टाइम की थोड़ी कमी हैं।"

        "ठीक हैं। भगवान तुम्हारे और तुम्हारे बेटे की रक्षा करें।" कहकर भिखारी उसी पतली गली में चला गया, जिसमें कुत्ता गया था।

        "अरे वाह भाभी, आज तो आप बिलकुल नई-नवेली दुल्हन की तरह लग रही हैं, कहीं किसी फंक्शन में जा रही हैं ?" भिखारी के जाने के बाद वह महिला घर के भीतर जाने के लिए मुड़ी हीं थीं कि निहारिका का स्वर उसके कानों में पड़ा तो उसे अपने पैरों को ब्रेक लगाना पड़ा।

          "हाँ।"

          "कहाँ ?"

          "चलते-चलते बता दूँगी। मैं और विकास भी तुम्हारे साथ हीं बस स्टाॅप तक चल रहे हैं।"

          "यानि, हर्षित भी आपके साथ जा रहा हैं ?"

          "हाँ, आज तुम उसकी लिव एप्लीकेशन स्कूल में दे देना। मैं अपना बैग और हर्षित को लेकर आती हूँ।" कहकर वह महिला तेजी से कदम बढ़ाती हुई घर के अंदर चली गई।

                                          ..............

           भिखारी जिस पेड़ के नीचे बैठकर कुत्ते के साथ रोटियो का बँटवारा कर रहा था, वहाँ पर आसपास हीं कहीं जमीन की खुदाई होने की आवाज आ रही थीं जो सम्भवतः उसी पिंक कलर के मकान पीछे के छत विहिन भाग से आ रही थीं।

         "बड़ी मालकिन तो बहुत ज्यादा शातिर निकली, छोटी मालकिन को अखंड रामायण के पाठ में भेज दिया और घर के आधे से ज्यादा जेवर यहाँ गड़वा रही हैं, ताकि कभी दोनों भाइयों के बीच बँटवारा हो तो ये जेवर वो अकेली हड़प ले।" खुदाई की जगह से हीं आ रही किसी महिला की आवाज सुनकर भिखारी के कान खड़े हो गए।

          उसने सामने रखे भोजन से ध्यान हटाकर अपना पूरा ध्यान आवाज की दिशा की ओर केन्द्रित कर लिया।

         "बेवकूफ, ये गहने यहाँ छुपाने का इतना सीधा कारण नहीं हैं। इसके पीछे बड़ी मालकिन की जो योजना हैं, उसे सुनकर तेरे पैरों के नीचे की जमीन खिसक जाएगी।" उसी जगह से एक पुरुष का स्वर सुनाई दिया।

        "तू उस योजना के बारे में नहीं बताएगा क्या ?"

       "अरे, तू तो मेरी जान हैं। तुझे नहीं बताऊँगा तो तू मुझसे नाराज हो जाएगी और मैं बड़ी मालकिन की नाराजगी मोल ले सकता हूँ पर तेरी नाराजगी मोल नहीं ले सकता। पर मैं तुझे ये योजना इस शर्त पर बताऊँगा कि तू इसके बारे किसी को भी नहीं बताएगी।"

         "किसी को नहीं बताऊँगी, अब जल्दी से बता दे।"

          "आज रात में इस घर में कालिया गैंग लूटपाट करनेवाली हैं, लेकिन अपनी मर्जी से नहीं बल्कि बड़ी मालकिन के कहने पर। असल में बड़ी मालकिन इस लूटपाट की आड़ में छोटी मालकिन और उसके बेटे को कालिया गैंग के हाथों से मरवाने वाली हैं, ताकि छोटी मालकिन के घर और कारोबार में अपना हिस्सा लेकर अलग होने की माँग से उन्हें हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए, लेकिन बड़ी मालकिन ये भी नहीं चाहती हैं कि घर के सारे जेवर कालिया गैंग के हाथ लग जाए, इसलिए आधे से ज्यादा यहाँ छुपाने लगा रही हैं।"

            "क्या कह रहा हैं तू ?"

            "मैं बिलकुल सही बोल रहा हूँ। मैंने खुद बड़े मालिक और बड़ी मालकिन के कहने पर कालिया से बात की और उसे इस बात के लिए राजी किया कि वो आज रात को बारह से एक बजे के बीच अपने साथियों के साथ इस घर पर धावा बोलकर छोटी मालकिन और उनके बेटे का काम तमाम कर दे और घर के सारे गहने, पैसे और कीमती लूटकर ले जाए। कालिया को शक न हो कि उसके साथ धोखा किया गया हैं, इसलिए बड़ी मालकिन लगभग आधे से थोड़े कम जेवर उसके लिए छोड़ रही हैं।"

          "लेकिन छोटी मालकिन तो इन लोगों के किसी रिश्तेदार के घर गई हुई हैं।"

         "वो रात के आठ-नौ बजे के आसपास लौटकर आ जाएगी, उसके बाद घर बाकि सब लोग सुबह तक लिए रामायण पाठ में शामिल होने चले जाएँगे। घर में दोनों माँ-बेटे हीं रहेंगे, इसलिए इसलिए छोटी मालकिन और उसके बेटे की लूटपाट के दौरान हत्या हो जाने और परिवार के बाकी सदस्यों के बच जाने पर कोई सवाल भी नहीं उठाएँगा।"

        "मतलब, साँप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। पर इससे तेरा क्या फायदा होगा ?"

        "मुझे बीस हजार रूपए मिलेंगे, जिससे मैं तुझे तेरी मनपसंद झुमकी खरीदकर दूँगा।"

         "सचमुच तू बहुत अच्छा हैं। जब जो बोलती हूँ, खरीदकर दे देता हैं। एक मेरा पति हैं जो खुद कुछ खरीदकर देगा नहीं और कोई खरीदकर दे तो दस तरह के सवाल करेगा।"

         इतना सुनने के बाद भिखारी ने आगे की बातचीत से अपना ध्यान देकर कुत्ते से कहा- "आज तू मेरे हिस्से का भी खाना खा लें। मेरी अन्नदाता की जान खतरे में हैं, इसलिए मैं खाना खाने में समय खर्च न करके उसकी जान बचाने की कोशिश करूँगा। तू खाना खा, मैं जा रहा हूँ।"

        लेकिन भिखारी खड़ा होने के बाद अपने कदम आगे बढ़ा पाता,  इससे पहले ही कुत्ते ने उसकी धोती का एक किनारा पकड़ लिया।

        "तो तू भी मेरे साथ चलना चाहता हैं, चल भाई, एक से भले दो।" कहकर दोनों साथ चल दिए।

                                    ..............

         "डोंट वरी मैडम जी, मेरे रहते कालिया गैंग मेरी बहना और भान्जे को छू भी नहीं पाएगी, इसलिए आप अपना और मेरी बहना का बीपी बढ़ाना बंद कीजिए और घर जाकर आराम से सो जाइए, मैं सब सम्भाल लूँगा।" निहारिका की बात सुनकर सोफे पर लेटने जैसी स्टाइल में बड़े आराम से बैठे सत्ताईस-अट्ठाइस वर्षीय युवक ने लापरवाही के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की।

         "देखिए, आपकी सुलेखा भाभी के साथ जो भी रिश्तेदारी हैं, आप दोनों के बीच ही रखिए। मैं सुलेखा भाभी से बात कर रही हूँ इसलिए प्लीज आप बीच में मत बोलिए। डू यू अंडरस्टैंड ?" निहारिका ने उस युवक आक्रोशित लहजे में जवाब दिया।

         "जी मैडम जी।" कहकर उस युवक ने अपनी आँखें बंद कर लीं।

         "निहारिका, तुम्हें मेरे भाई ........।" निहारिका ने सुलेखा की बात काटकर अपनी बात शुरू कर दी- "भाभी, आप भी अपनी बकवास बंद कीजिए। ये तो बाहर के हैं, इसलिए इन्हें कालिया गैंग की ताकत समझ न आने की बात समझ में आती हैं, पर आप तो करीब दस साल से इसी शहर में रह रही हैं, इसलिए आपको कालिया गैंग की ताकत का अनुमान होना चाहिए, लेकिन आप भी मेरी बात सुनने के बाद ऐसे रिएक्ट कर रही हैं, जैसे ये आपके भाई किसी फिल्मी हीरो की तरह अकेले ही कालिया गैंग का सफाया कर देंगे। मुझे पता होता कि आप इतनी बेवकूफ हैं, तो मैं आपके घर के सामने बैठने वाले भिखारी से आपके जेठ-जेठानी का प्लान जानने के बाद तीन बार थाने के चक्कर नहीं लगाती और न इतनी रात तक आपके घर के सामने खड़ी रहकर आपका वेट करती। प्लीज भाभी, आप मेरी बात को सीरियसली लीजिए और पुलिस स्टेशन चलकर पुलिस प्रोटेक्शन की माँग कीजिए। अपने इस भाई की कही हुई बड़ी-बड़ी बातों पर यकीन करके अपनी और हर्षित की जान दाँव पर मत लगाइए।"

        "अरे, लेकिन तुम खुद तीन बार थाने जाकर ये बात बता चुकी हो और तुमसे पहले भिखारी बाबा भी एक बार थाने जाकर ये साजिश की जानकारी दे चुके हैं और पुलिस या तो भिखारी बाबा से इन्फार्मेशन मिलने की वजह से इस बात को सीरियसली नहीं ले रही हैं या फिर कालिया गैंग से टकराने से डर रही हैं और इसका मतलब ये हुआ कि मैं भी तुम्हारे साथ पुलिस स्टेशन जाऊँगी तो पुलिस हमारी मदद नहीं करेगी तो अब बताओ कि मैं अपने इस भाई के आश्वासन पर यकीन न करने के अलावा क्या करूँ ?"

      "आप और हर्षित मेरे घर चलकर सो जाइए।"

      "अरे, लेकिन ऐसा करके मैं और हर्षित सिर्फ आज हीं बच पाएँगे। आगे जो मुझ पर अटैक होंगे, उससे कैसे बचेंगे ? आज तो मुझे पता हो गया कि हम पर अटैक होनेवाला हैं, पर आगे तो पता भी नहीं चलेगा कि कब अटैक होनेवाला हैं, इसलिए आज हीं आर-पार हो जाने दो।"

      "ठीक हैं भाभी, लेकिन आपको मेरे भाई की तरह आपके इस लापरवाह भाई के भरोसे नहीं छोड़ूँगी। मैं रातभर यहीं आपके साथ रूकूँगी। वैसै भी अपनी मम्मी से अपनी एक सहेली के घर रातभर रूकने की बात कहकर निकली हूँ इसलिए मेरे रातभर घर नहीं जाने पर मेरी फेमिली को कोई टेंशन नहीं होगी। मैं रूक सकती हूँ न आपके घर पर ?"

       "ओके।" सुलेखा ने आँखें बंद किए युवक की ओर कुछ देर देखने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर अनिच्छा से कह दिया।
                
          (Read the story in next part which will be publishes tomorrow)
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#5
चक्रव्यहू (3rd Part)


      "भाभी, आपने जिनके भरोसे अपनी और अपने मासूम बेटे की जान दाॅव पर लगाई हैं, वे तो खा-पीकर गहरी नींद में सो गए, इसलिए हम दोनों को ही सोचना पड़ेगा कि अगले कुछ समय के भीतर आनेवाली मुसीबत से कैसे निपटना हैं।" निहारिका ने हैरान-परेशान स्वर में सुलेखा से कहा।

         "निहारिका, हम दोनों ने न तो हाथ-पैर चलाने की ट्रेनिंग ली हैं और न हमारे पास चलाने के लिए कोई हथियार हैं, फिर हम उन घातक हथियार लेकर आनेवाले खतरनाक लूटेरो से निपटने के लिए क्या प्लान कर सकते हैं ?" जवाब में सुलेखा ने अपनी लाचारी जाहिर की।

         "तो क्या हम उन लुटेरो को हम लोगों की जान लेने के लिए खुला मैदान दे दे ? अब मेरी समझ में आ गया हैं कि न आप कुछ करेगी और न आपका वो इर्रिस्पांसिबल भाई, इसलिए जो भी करना हैं, मुझे ही करना पड़ेगा। मैं पहले हर्षित को अपने घर छोड़कर आती हूँ और फिर काॅलोनी के सारे लोगों को जगाकर लाती हूँ।"

        "निहारिका, मेरी बात तो सुनो..।"

        "भाभी, प्लीज आप ..............।"

        "मैडम जी, समझदारी से काम लीजिए। आप मोहल्ले वालों को जगाकर ले आएगी तो वो लुटेरे अपनी प्लानिंग को पोस्टफोन कर देंगे, क्योंकि इस टाइप की गैंग किसी भी घर में वारदात करने के चार-पाँच घंटे पहले से अपने एक-दो आदमी भेजकर उस घर की निगरानी करवाते हैं और रास्ता साफ नजर के बाद हीं वारदात को अंजाम देते हैं। यदि मुझे मोहल्ले वालों को जगाने या पुलिस बुलाने का कोई फायदा नजर आता तो अब मैं खुद इन दोनों में से कोई एक काम कर लेता, लेकिन इन दोनों कामों से कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान हीं होना हैं।" सुलेखा के भाई ने अचानक कमरे में दाखिल हो कर निहारिका को समझाने का प्रयास किया।

         "क्या नुकसान होगा इन कामों से ?"

         "बता तो चुका हूँ कि लुटेरे अपनी साजिश को अंजाम देने की योजना स्थगित कर देंगे।"

         "हाँ, लेकिन इससे हमें नुकसान कहाँ होगा ? इससे तो हर्षित और भाभी के साथ-साथ हम दोनों की भी जान बच जाएगी। आपकी तरह मुझे भी अपनी जान जाने की कोई चिंता नहीं हैं क्योंकि मैं अपने घर के लोगों के लिए बोझ बन चुकी हूँ पर मैं आपकी तरह इन दोनों माँ-बेटे की जिंदगी को जोखिम में नहीं डाल सकती, इसलिए मैं .....।"

         "मैडम जी, दो मिनट रूककर मेरी पूरी बात सुन लीजिए। उसके बाद आपको जो करना हैं, कर लीजिएगा। देखिए, पुलिस या काॅलोनी के लोगों को बुलाने की वजह आज रात को उन लोगों के अटैक करने का तो खतरा टल जाएगा, लेकिन वो इन फ्यूचर इस टाइप का अटैक कब करेंगे, इसका हमें पता चलने की पाॅसिब्लिटी न के बराबर हैं क्योंकि हर बार इत्तफाक से कोई प्लानिंग सुनकर हमें अलर्ट नहीं करेगा। ये भी हो सकता हैं कि दीदी के जेठ-जेठानी उनके इस प्लान हमें जानकारी होने की बात जानने के बाद दीदी को रास्ते से हटाने के लिए कोई नया प्लान बना लें। चूँकि हमारे पास भिखारी बाबा के घर के नौकर-नौकरानी की बातें सुनकर हमें बताने के अलावा कोई ठोस एवीडेंस नहीं हैं, जिसके आधार पर हम दीदी के जेठ-जेठानी को जेल भिजवाकर इनका हमेशा के लिए उनसे पीछा छुड़ा सकते हैं, इसलिए हम लोगों के पास दीदी का उनके जेठ-जेठानी से हमेशा के लिए पीछा का एकमात्र यही तरीका हैं कि हम आनेवाले मेहमानों के रास्ते में काँटे न बिछाकर उनका स्वागत करें और उनको पकड़कर पुलिस के हवाले कर दे, ताकि पुलिस उनका मुँह खुलवाकर दीदी के जेठ-जेठानी को भी उनके साथ सलाखो के पीछे पहुँचा सकें।"

        "मैं आपकी बातों से हण्ड्रेड परसेन्ट एग्री करतीं हूँ बट हम लोग उस बेहद खूँखार और खतरनाक गैंग के लोगों को पकड़ेंगे कैसे ?"

        "उन्हें हम नहीं, सिर्फ मैं पकड़ूँगा। इस आॅपरेशन के समय आप लोग उस कमरे में अंदर से गेट बंद करके रहेंगे, जिसमें हर्षित को सुलाया गया हैं। इस घर सारे कमरों में से उसी का सबसे मजबूत हैं। यदि आप लोगों के इस घर से निकलकर जाने से उन लुटेरो के अलर्ट होने की पाॅसिब्लिटी नहीं होती तो मैं आप लोगों को किसी और घर में भेज देता, पर हमने ऐसा कुछ किया तो इस घर के जहरीले नागो को बेनकाब करने का गोल्डन चांस हाथ से निकल जाएगा, क्योंकि हम लोगों के घर में दाखिल होने के पहले से ही उन लोगों का एक आदमी इस घर पर नजर रख रहा हैं।"

        "आपको कैसे पता चला कि कोई आदमी इस घर पर नजर रखें हुए हैं ?"

        "मैडम जी, हम लोग तो बिना किसी प्री इन्फार्मेशन के सिर्फ पत्तों की चरमराहट से जान जाते हैं कि झाड़ियों के पीछे कोई जंगली जानवर छुपा हैं या आतंकवादी, तो फिर मेरे लिए पहले से बदमाशो के अटैक होने की बात पता होने पर घर के बाहर घूम रहे बंदे को देखकर ये डिसाइड करना कौन-सा मुश्किल काम हैं कि वो कोई घूमने-फिरनेवाला सामान्य व्यक्ति हैं या उन बदमाशो का साथी ?"

         "आप इंडियन आर्मी में हैं क्या ?"

         "हाँ, लेकिन मेरा भाई आर्मी का कोई जनरल सिपाही नहीं हैं, बल्कि एक स्पेशल कमांडो हैं। इसे आर्मी के आतंकवादियों के सफाए के लिए चलाए जाने वाले अभियान का कई बार नेतृत्व करने का मौका मिल चुका और उन अभियानो में अपनी सूझबूझ और बहादुरी दिखाने के लिए इसे कई मैडल्स भी मिल चुके हैं।"

         "ओ गाॅड, मुझे लगा कि ये कोई सिविलियन जाॅब करने वाले पर्सन हैं और हम दोनों को इम्प्रेस करने के लिए फालतू की ब्रेवनेस और स्मार्टनेस शो कर रहे हैं, इस वजह से मैंने पता नहीं इनको क्या-क्या कह दिया। भाभी, आपने भी नहीं बताया कि ये आर्मी वाले हैं ? अपने सवाल का सुलेखा के मुँह से जवाब सुनकर निहारिका के चेहरे पर हैरानी और शर्मिन्दगी के मिले-जुले भाव उभर आए।

         "बता तो रही थीं, लेकिन तुम मेरी बात सुनने के लिए तैयार हीं नहीं थीं तो सोचा कि पहले तुम्हें हीं जी भरकर बोल लेने देती हूँ। जब थककर चुप हो जाएगी, तब बता दूँगी, पर तुम दो-ढाई घंटे तक नाॅनस्टाॅप बोलने के बाद भी नहीं थकी।"

         "स्कूल टीचर हूँ न, इसलिए नाॅनस्टाॅप बोलने की हैबिट पड़ी हुई हैं। आपकी तरह सिर्फ ट्यूशन टीचर होती तो अब तक थक चुकी होती। आई एम सो साॅरी मिस्टर ...।"

         "करण नाम हैं इस बंदे का, पर आपको मुझे साॅरी बोलने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि आपने मेरे लिए जो कुछ भी कहा, सिर्फ आपको मेरी बहन और भान्जे की सुरक्षा की हद से ज्यादा चिंता होने की वजह से कहा। शायद आप स्कूल टीचर होने की वजह से भी न दीदी की बात को और मेरी बात को सीरियसली लेने के लिए तैयार नहीं हो रही थीं, क्योंकि स्कूल टीचर्स को अपने छोटे-छोटे स्टूडेंट्स को हैंडल करते-करते बड़ों को भी अपने स्टूडेंट्स की तरह ही हैंडल करने की हैबिट पड़ जाती हैं।"

       "ऐसा कुछ नहीं हैं, एक्चुअली .......।

       "जो भी हैं, उसे छोड़िए और दीदी के साथ बगल वाले कमरे में जाकर सो जाइए और दरवाजा अंदर से बंद कर लीजिए। मैं उन लोगों के स्वागत के लिए थोड़ी तैयारी करके घर की दो लाइट्स छोड़कर बाकी सब स्वीच्ड आॅफ कर रहा हूँ ताकि उन लोगों को ग्रीन सिग्नल मिल जाए और मैं आॅपरेशन पूरा करके तीन-चार घंटे रेस्ट कर सकूँ।"

        "हाँ भाई, तुम जल्दी से ये आॅपरेशन कम्प्लिट करों और आराम करों क्योंकि तुम डेढ़ हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बा सफर करके आ रहे हो, इसलिए तुम्हें आराम की सख्त जरूरत होगी।"

         "ओह, तो ये इस वजह से थोड़ी देर के लिए सो गए थे और मैं इतनी बेवकूफ हूँ कि मैंने बिना कुछ जाने इस बात के लिए भी .....।"

         "मैडम जी, ये बातें हम बाद में भी घर सकते हैं। यदि हम लोग इसी तरह बातें करने में टाइम वेस्ट करते रहें और वे लोग लाइट स्वीच्ड आॅफ होने का वेट न करके घर में घुस गए तो हम सबकी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि आप लोग उनके हाथ लग गए तो वे आप लोगों को अपना हथियार बनाकर मुझे भी उनके आगे सरेंडर करने पर मजबूर कर देंगे और हम सबकी जान चली जाएगी, इसलिए प्लीज बातें बंद कीजिए और दीदी के साथ बगलवाले कमरे में चली जाइए।"

        "एक लास्ट कोश्चन करने के बाद हम लोग पक्का साइडवाले रूम में चले जाएँगे।"

        "पूछिए ..?"

        "वे लोग हथियारों से लेस होकर आएँगे और आप लिव पर हैं इसलिए आपके पास आप उन लोगों का मुकाबला कैसे कर पाएँगे ?"

        "डोंट वरी मैडम जी, मुझे बिना हथियार के भी दस-दस हथियार बंद लोगों से एक साथ निपटने की भी ट्रेनिंग मिली हुई हैं।"

         "बट उन लोगों की काउंटिटी दस ज्यादा हुई तो ?"

         "मुझे उनकी काउंटिटी दस से ज्यादा होने की सम्भावना नहीं हैं क्योंकि वे अपनी इन्फार्मेशन के अनुसार इस घर में एक अकेली महिला और उसके आठ साल के बच्चे से निपटने के लिए चार या पाँच की टीम लेकर में आने की तैयारी में रहे होंगे और उनके आदमी ने उन्हें दीदी और हर्षित के साथ हम दोनों के भी इस घर में आने इन्फार्मेशन दी होगी तो उन्होंने अपनी टीम में ज्यादा से दो-तीन मेम्बर्स और बढ़ाएँगे, क्योंकि उन्हें ये पता नहीं हैं कि मैं इंडियन आर्मी का कमांडो हूँ। लेकिन बाइ चांस मेरी गैसिंग एक्युरेट साबित नहीं होती हैं और उन लोगों पंद्रह-बीस लोगों की गैंग लेकर आ जाते हैं तो भी मैं निपट लूँगा, बस आप लोगों से इतना सहयोग चाहिए कि आप लोग किसी भी स्थिति में तब तक अपने कमरे का गेट मत खोलना, जब तक मैं आप लोगों को गेट खोलने के लिए न कहूँ।"

          "आप बेफिक्र रहिए, हम लोग आपके कहने से पहले गेट नहीं खोलेंगे।

           "आप लोगों को एक काम और करना हैं, आप लोगों को उन लोगों के आने का अहसास होने पर दोनों में से किसी को अपने मोबाइल से पुलिस को इन्फार्म करना हैं, ताकि पुलिस उन्हें समेटने सही समय पर आ जाएँ और मुझे उन लोगों की ज्यादा देर तक निगरानी न करना पड़े। अब आप लोग जाइए, मुझे अभी के अभी इधर से गेट लाॅक करते-करते पीछे स्टोर रूम में जाना हैं। उन लोगों को उसी रूम में रोककर काबू में करना पड़ेगा, क्योंकि वे लोग पूरे घर में फैल गए तो उन्हें तलाश करके काबू पाना मुश्किल हो जाएगा।"

         "भाई, वे लोग के घर के पिछले दरवाजे से न आकर सामने के दरवाजे से आ गए तो ?" सुलेखा ने सवाल किया।

         "वे लोग पिछले दरवाजे से हीं आएँगे, क्योंकि स्टोर रूम के पिछला दरवाजे की चिटकनी खुली हुई हैं और स्टोर रूम का घर की तरफवाला दरवाजा बंद तो था, पर उसकी चिटकनी इतना कमजोर कर दिया गया हैं कि एक धक्के से गेट खुल जाए। ये सब आपके जेठ-जेठानी ने खुद या नौकरों से करवाया हैं, ताकि वे लोग पीछे की बाउंड्रीवाल फाँदकर स्टोर रूम से आसानी से घर में दाखिल हो सके। अब कोई सवाल नहीं करेगा और न कोई कुछ कहेगा, क्योंकि रात के पूरे बारह बज चुके हैं।"

        करण की बात खत्म होते ही सुलेखा और निहारिका बिना कुछ कहे अंदर चली गईं।

                                      .............

           घर के पिछले हिस्से की बाउंड्रीवाल के भीतर कुछ लोगों के बारी-बारी से कुदने की आहट सुनते हीं स्टोर रूम में एक पुरानी कुर्सी पर बैठा करण उठकर पिछले गेट के उस ओर दीवार के सटकर खड़ा हो गया, जिस तरफ दरवाजे का पल्ला खुलता था।

          कुछ पलों के बाद 'भड़ाक' की आवाज के साथ दरवाजा खुला और एक-एक करके तीन नकाबपोश लोग अंदर दाखिल हो गए, जिनमें से एक दो तीन-चार कदम आगे बढ़ते हीं इस तरह लड़खड़ाकर औंधे मुँह गिरा, जैसे उसका पैर किसी तार या रस्सी में उलझ गया हो। इसके कुछ सेकंड्स बाद उसके पीछे चलने वाला शख्स भी अपने साथी की तरह ही लड़खड़ाकर उसके बगल में औंधे मुँह गिर गया।

         "अबे अंधे हो गए क्या ?" तीसरे साथी ने उनसे एक कदम पीछे रूककर सवाल किया।

           लेकिन उसे उसके सवाल के जवाब की जगह कमर के पिछले भाग पर करण के दाहिने पैर की जोरदार ठोकर मिलीं, जिसके बाद वह चीखता हुआ उठने की कोशिश कर रहे अपने साथियों के ऊपर औंधे मुँह गिर गया।

          मगर करण ने उनकी ओर ध्यान न देकर पहले फुर्ती के साथ दरवाजा बंद किया और फिर उन तीनों की ओर लपका। इतनी देर आखिरी में गिरने वाला शख्स उठकर करण की ओर अपने हाथ में तमंचा तान चुका था, लेकिन उसके ट्रिगर दबाने से पहले ही करण के दाहिने पैर का बूट उसके तमंचे वाले हाथ पर इतनी जोर से पड़ा कि उसके हाथ से तमंचा छिटककर दूर गिर पड़ा और वह अपने दूसरे हाथ से तमंचेवाला हाथ थामकर फर्श पैर बैठ गया, लेकिन तब तक उसके साथी उठकर खड़े हो चुके थे।

         उन दोनों उठते हीं करण पर अपने-अपने तमंचों से फायर कर दिया, लेकिन उनके फायर करने से पहले ही करण पीठ के बल पर लेट चुका था और लेटे-लेट ही अपनी दोनों टांगो को विपरीत दिशा मेें झटका दिया, जिससे दोनों दो तरफ लड़खड़ा गिर गए और इसके बाद करण ने तीनों की बारी-बारी से बिना ज्यादा परिश्रम किए इतनी धुनाई कर दी कि कोई भी उठने के काबिल न रहा।

         करण ने उन तीनों के तमंचे उठाकर ऊपर लाफ्ट पर फेंक दिए और उनकी तलाशी लेकर कपड़ों के भीतर छिपे चाकू-छुरिया निकालकर उन्हें भी लाफ्ट पर फेंक दिया। इसके बाद उसने पिछले दरवाजे की तरफ ध्यान दिया, जिस पर बाहर से जोर-जोर से ठोकर मारी जा रही थीं। कमरे के पिछले दरवाजे से भी सुलेखा और निहारिका की आवाजें आ रही थीं, लेकिन करण उन्हें अनसुना करके पिछले गेट की ओर बढ़ा और गेट की चिटकनी खोलकर एक तरफ हट गया।

          अगले ही पल झटके के दरवाजा खुला और दो लोग औंधे मुँह जमीन पर गिर पड़े, लेकिन इन दोनों बेचारो को उठने का प्रयास करने का भी मौका नहीं मिला। उनके गिरते हीं करण ने उनकी बगल में लेटकर बारी-बारी से दोनों की कमर पर अपनी कोहनी से इतने करारे प्रहार किए कि दोनों की दर्दभरी चीखों के साथ-साथ उनके हड्डी-पसली चटकने की आवाज भी कमरे में गुँज उठी।

           उन दोनों की चीखें और तेज तब हो गई, जब उनके दो साथी उनको रौंदते हुए कमरे में दाखिल हो गए। उनके दोनों नए साथियों के गंदी-गंदी गालियाँ देते हुए कमरे में कदम रखने से पहले ही करण अपना काम करके रबर के गुड्डे की तरह उछलकर खड़ा हो चुका था। इससे पहले कि दोनों नव आगंतुक कुछ कर पाते, एक का करण के फौलादी घूसे ने और दूसरे का उसकी फ्लाइंग किक ने जबड़ा तोड़ दिया।

       उन दोनों की कुछ और मरम्मत करके फर्श पर लिटाकर परण ने सभी के हथियार छीनकर लाफ्ट पर फेंक दिए और पिछले द्वार की ओर देखकर ऊँची आवाज में पुकारा- "कोई और हो तो जल्दी से आ जाओ भाई।"

        प्रतिक्रिया में उसे कुछ भागते हुए कदमों की आहट सुनाई दीं।

       "तुम्हारे बाकी साथी तो रणछोड़दास साबित हुए। तुममें से इस गैंग का लीडर कौन हैं ?" एक फर्श पर पड़े लुटेरे की ओर देखकर करण बोला।

        जवाब में उस लुटेरे ने एक कोने में पड़े उस युवक की ओर इशारा किया, जिसने सबसे पहले करण पर तमंचा ताना था।

       "भाई, कैसे-कैसे भगोड़ो को तुमने अपनी गैंग में भर्ती कर लिया यार ?"

         
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#6
"देख, तू जो कोई भी हैं, तूने हमसे दुश्मनी मोल लेकर अपनी मौत को दावत दीं हैं। हमारे साथी भागे नहीं हैं, वे हमारे दूसरे साथियों को खबर करने गए हैं। हमारा सत्तर लोगों का गैंग हैं। अब वे पूरे एक साथ आकर इस घर पर हमला करेंगे और तुझे मारकर हम लोगों को छुड़ाकर ले जाएँगे।" गैंग के लीडर ने करण के सवाल का जवाब देकर उसे क्रोध और दर्द मिश्रित स्वर में धमकाने का प्रयास किया, लेकिन करण उसकी बात सुनकर वैसे हीं मुस्कराया, जैसे किसी कुत्ते के भौकने पर राह चलता हाथी मुस्कराता हैं। उसने उस युवक से ध्यान हटाकर पिछला द्वार बंद किया और पिछले दरवाजे की ओर देखकर कहा- "मेरे मना करने के बावजूद आप लोग मेरे कहने से पहले अपने कमरे से बाहर क्यों निकल गए ?"

         "मैंने भी इसे मना किया था, लेकिन ये गोली चलने की आवाज सुनते हीं गेट खोलकर बाहर आ गई, इसलिए मुझे भी इसके पीछे-पीछे आना पड़ा।" जवाब में सुलेखा का स्वर सुनाई दिया।

         "मिस्टर करण, आर यू ओके ?" सुलेखा की बात पर करण के कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले ही निहारिका का सवाल सुनाई दिया।

          "नहीं मैडम जी, मैं बिलकुल भी ओके नहीं हूँ क्योंकि इन सालों ने मेरे सारे अरमानो पर पानी फेर दिया। मैंने सोचा था कि इनके साथ मुकाबले में मुझे कुछ चोटें आएगी और मैं उन पर आपके कोमल हाथों से पट्टी करवाऊँगा, पर ये आपके सातो भाई एकदम ही कमजोर निकल गए। सालों ने मुझे बड़ी चोट पहुँचाना तो दूर, एक हल्की-सी खरोच तक नहीं पहुँचाई। आप जल्दी पुलिस को खबर कीजिए, मेरा इन गधे के बच्चों को देख-देखकर दिमाग खराब हो गया हैं।"

         "मैं इन लोगों के आते ही पुलिस को खबर कर चुकी हूँ, पुलिस पहुँचने में होगी। आप दरवाजा खोलिए, हम लोग भी उस कमरे में आना चाह रहें हैं।"

          "नहीं मैडम जी, पुलिस के आने से पहले इस कमरे में आप लोगों को इन्ट्री नहीं मिलेगी। क्या अपनी बहन को सामने देखकर इन लोगों को फिर से जोश आ जाए और ये लोग एक साथ मुझ पर हमला करके मेरी चटनी बना दे।"

           "स्नीकी आर्मी मेन।"

           "मैडम जी, हिन्दी में बोलिए। मेरा अंग्रेजी में हाथ थोड़ा तंग हैं, इसलिए आपकी बात मेरे पल्ले नहीं पड़ी।"

           "मैंने कहा था, 'डरपोक फौजी।"

           "तारीफ के लिए शुक्रिया।" कहने के बाद करण उसी पुरानी कुर्सी पर बैठ गया, जिस पर वह लुटेरो के आने से पहले बैठा हुआ था।

          कुछ देर बाद पुलिस ने आकर उन गुण्डों को उठाकर ले गई, जिन्हें करण ने अपनी जाँबाजी से मार-पीटकर अपनी कस्टडी में स्टोर रूम अवरुद्ध करके रखा था। पुलिस के आने के बाद काॅलोनी जो कुछ लोग घर में आए थे, वे पुलिस टीम के रवाना होने के दस मिनट बाद एक-एक करके चलें गए।

          फिर सुलेखा और निहारिका के साथ कुछ देर बातचीत करके करण भी उस कमरे में जाकर सो गया, जिसमें हर्षित सोया हुआ, लेकिन निहारिका और सुलेखा सुबह तक कई अलग-अलग विषयों पर बातचीत करती रहीं। उनकी बातचीत में थोड़ी देर के लिए विघ्न तब हुआ, जब सुलेखा के पति ने रात के करीब ढहाई बजे घर आकर उन दोनों ये खबर दी कि कालिया और उसके साथियों ने ये स्वीकार कर लिया हैं कि उन्होंने सामान्य लूटपाट के इरादे से नहीं, बल्कि सुलेखा के जेठ-जेठानी के कहने पर सुलेखा और उसके बेटे की हत्या करने के इरादे से उनके घर में प्रवेश किया था। इसके आधार पर पुलिस टीम ने रात में सुलेखा के जेठ-जेठानी और उनके मददगार नौकर-नौकरानी को अपनी हिरासत में लेकर उनसे भी उनके जुर्म कबूल करवा लिए हैं। कुछ देर बाद पुलिस टीम आकर निहारिका, सुलेखा और करण के बयान लेने सुबह आनेवाली हैं।

          सुबह पुलिस टीम के आकर इन तीनों बयान ले लेने के बाद निहारिका अपने घर चली गई।
                             ................

         "आज इतनी जल्दी क्यों आ गई तुम, अभी सवा दस हीं बजे हैं।" करीब दो घंटे बाद निहारिका दुबारा सुलेखा के घर आयी तो सुलेखा ने कहा।

         "हर्षित काफी धीमा चलता हैं न, इस वजह से कभी-कभी लेट हो जाते हैं न, इसलिए आज सोचा कि थोड़ा जल्दी निकल जाते हैं।" जवाब में निहारिका बोली।

          "तो मुझे कल शाम को बताना था न, मैं हर्षित को जल्दी तैयार कर देती।"

          "आपने उसे अब तक तैयार नहीं किया क्या ?"

          "तैयार तो कर दिया हैं, पर अभी खाना खा रहा हैं और उसे खाना खाने में काफी टाइम लगेगा, क्योंकि वो जितना धीमा चलता हैं, उससे भी धीमी गति से खाना खाता हैं।"

          "खाने दीजिए, मैं तब तक बैठकर आपके साथ गप-शप मार लेती हूँ।"

           "ठीक हैं, आओ, बैठो।"

           "आपके भाई साहब चले गए क्या ?" निहारिका ने सुलेखा के बगल में बैठने के बाद सवाल किया।

            "हाँ, आज सुबह हीं गया।"

            "क्यूँ ? आई मीन, बहन के यहाँ आए थे तो कम से कम चार-पाँच दिन रूकना चाहिए था।"

           "उसे इस बार काफी दिनों के बाद छुट्टी मिली हैं और वो अपने घर न जाकर सीधा मुझसे मिलने आ गया था, इसलिए उसके एक दिन से ज्यादा यहाँ रूकने पर चाचा-चाची नाराज हो सकते थे।"

           "यानि, वे आपके सगे भाई न होकर आपके चाचा-चाची के बेटे हैं ?"

          "समाजिक दृष्टिकोण से देखे तो मेरे चाचा-चाची का भी बेटा नहीं हैं।"

           "मतलब ?"

           "मतलब, ये हैं कि उसके माँ-बाप या उसके साथ मेरा कोई भी ब्लड रिलेशन नहीं हैं। वे लोग मेरी कास्ट के भी नहीं हैं। वे तो तुम्हारी कास्ट के हैं। सिर्फ वे लोग और मैं एक हीं गाँव के होने की वजह से मैं उसी तरह उसके माँ-बाप को चाचा-चाची और उसे भाई मानती हूँ, जैसे हम लोग एक हीं काॅलोनी होने की वजह से तुम हर्षित के पापा को भैया, मुझे भाभी और हर्षित को अपना भतीजा समझती हो।

         "अरे, लेकिन आप लोगों का आपसी लगाव देखकर तो कोई मान हीं नहीं सकता कि आप दोनों सगे भाई-बहन नहीं हैं।"

          "हाँ, जिसे पता न हो, वो तो हम दोनों को सगे भाई-बहन हीं समझता हैं।"

          "ये बात जानकर मुझे बहुत खुशी भी हुई और अचम्भा भी हुआ कि आप दोनों के बीच दूर का भी ब्लड रिलेशन न होने के बावजूद भी सगे भाई-बहन से ज्यादा गहरा प्यार हैं।"

         "ये बात जानकर खुशी होने की बात तो मेरी समझ में आ गई, लेकिन तुम्हें अचम्भा क्यों हुआ, ये मेरी समझ में नहीं आया ?"

          "भाभी, इतनी सिम्पल सी बात आपकी समझ में नहीं आयी ? अरे, आज के स्वार्थी जमाने में जहाँ लोग अपनी सगी बहन के लिए अपनी जान दाॅव पर नहीं लगाते हैं, वहाँ किसी शख्स का अपनी मुँहबोली बहन के लिए जान दाॅव पर लगाना अचम्भे की बात नहीं हैं तो क्या हैं ?"

          "किसी और के लिए ये अचम्भे की बात हो सकती हैं, लेकिन तुम्हारे लिए तो ये अचम्भे की बात नहीं होनी चाहिए।"

          "क्यूँ ?"

         "क्योंकि तुमने भी तो हम लोगों के साथ कोई खून का रिश्ता न होने के बावजूद हम दोनों माँ-बेटे के लिए अपनी जान दाॅव पर लगा दीं थीं।"

          "अरे भाभी, लेकिन मैंने तो कुछ किया हीं नहीं।"

          "किसी का कुछ करना या न करना उतना मायने नहीं रखता, जितना उसका भावनात्मक लगाव मायने रखता हैं।  तुम परसो रात को हम दोनों माँ-बेटे की सुरक्षा के लिए जिस तरह से परेशान हो रही थीं और हम दोनों भाई-बहन को केयरलेस समझकर हम पर जिस तरह से बिफर रही थी, वो देखकर मेरे साथ-साथ भाई भी हैरान हो गया। वो तुम्हारे जाने के बाद कह भी रहा था, 'दीदी, इस लड़की को आप दोनों माँ-बेटे से जितना लगाव हैं, उतना तो शायद मुझे भी आप लोगों से लगाव नहीं होगा।"

         "फिर तो आपके भाई साहब वाकई बहुत अच्छे हैं क्योंकि मैंने उस रात गुस्से में उनके बारे में कितना कुछ कह दिया और वे मेरी बुराई करने के बदले तारीफ करके गए।"

         "इसका मतलब ये हुआ कि तुम्हें मेरा भाई भा गया ?"

         "भाभी, इस टाइप से नहीं भाए, जैसा आप समझ रही हैं।"

         "साॅरी, मुझे लगा कि .......। चलो, जाने दो। कुछ और बोलूँगी तो तुम और ज्यादा बुरा मान जाओगी, इसलिए दूसरी बात करते हैं।"

         "अरे भाभी, बता तो दीजिए कि आपको क्या लगा। आई प्राॅमिश टू यू कि मैं आपकी कोई भी बात का बुरा नहीं मानूँगी।"

         "तो ठीक हैं, बता देती हूँ। दरअसल, मुझे लगा कि तुम दोनों एक-दूसरे पसंद करने लगे हो, इसलिए सोच रहीं थीं कि दोनों के माता-पिता से मिलकर तुम लोगों का स्थायी गठबंधन करा देती हूँ। भाई को तो तुम पसंद आ गई हो, पर तुम्हें भाई पसंद नहीं आया तो जाने दो।"

         "भाभी, आप एक मिनट मेरी बात सुनिए। आपको ऐसा लगता हैं न कि आपका भाई मेरे लायक परफेक्ट हैं ?"

          "हाँ, इसीलिए तो मैं बात आगे बढ़ाने के बारे में सोच रही थीं। मैं इतनी स्वार्थी तो हूँ नहीं कि सिर्फ अपने भाई को एक प्यारी-सी दुल्हन मिल जाए, इसलिए उसके तुम्हारे लायक न होने पर भी मैं तुम्हारी उसके साथ शादी तय कराने की बात सोचती।"

          "ऐसा हैं तो मेरी पसंद-नापसंद के बारे में सोचना छोड़िए और बात आगे बढ़ा दीजिए।"

          "नहीं, मैं ये बात आगे बढ़ाऊँगी, क्योंकि ये तुम्हारे लिए कोई ड्रेस खरीदने का फैसला नहीं हैं कि मैं तुम पर अपनी पसंद थोप दूँ।"

          "अरे भाभी, आज के दौर में भी हम जैसी साधारण परिवार की लड़कियों की च्वाइस नहीं पूछी जाती हैं। मेरी माँ आलरेडी एक बार अपनी च्वाइस का रिश्ता मुझ पर थोप चुकी हैं, बट मेरी किस्मत अच्छी थीं इसलिए उन लोगों ने हीं अनर्गल माँग रखकर वो रिश्ता तोड़ दिया।"

         "हाँ, पर मैं तुम्हारी माँ जैसी सोच वाली नहीं हूँ इसलिए मैं उसी लड़के के साथ अपनी इस खूबसूरत ननद की शादी करवाने की कोशिश करूँगी, जो इसका दिल चुरा लें। तुम बैठो, मैं देखकर आती हूँ कि हर्षित को कोई चीज की जरूरत तो नहीं हैं।" कहकर सुलेखा उठकर अंदर चली गई।

       "निहारिका, तूने भाव खाने के चक्कर में बहुत बड़ी गलती कर दीं। ये तेरी भाभी तो हिन्दी सीरियलों की आइडियल भाभी को तरह बिहेवियर कर रही हैं। लगता नहीं कि अब ये तुझे अपने भाई से शादी करने के लिए कन्वेंस करने की कोशिश करेंगी और बैठें-बिठाए उस फौजी की हमसफर बनकर अपनी नागिन जैसी खतरनाक मम्मी से पीछा छुड़ाने का मौका मिल जाएगा। अब तो एक हीं उपाय हैं कि तू अपनी इस भाभी से कह दे कि तू खुद उनके भाई को अपना हमसफर बनाना चाहती हैं।" 

      "अरे, ये मैं कैसे कह सकती हूँ, भाभी मुझे बहुत हीं संस्कारी लड़की समझती हैं। मैं अपने मुँह से अपने दिल की बात कह दूँगी तो उनकी नजरों में इमेज खराब हो जाएगी, इसलिए मैं ऐसा नहीं करूँगी।"

        "तो तू अपनी जिंदगी का को यूँ हीं दुनिया के समंदर में बिना पतवार की किश्ती की तरह भटकने के लिए छोड़ दे।"

        "अरे ऐसे अपनी जिंदगी को भटकने के लिए नहीं छोड़ुँगी मैं, क्योंकि मुझे मेरे कान्हा जी का सहारा हैं जो हर्षित का रूप लेकर मेरा दुख हरने आया हैं।"

         "अरे निहारिका, लेकिन वो तो बच्चा हैं।"

         "तो क्या हुआ, उन्होंने पिछले जन्म में बच्चे के रूप में हीं कितने बड़े-बड़े कारनामो को अंजाम दिया था। मुझे यकीन हैं कि ......, अब चुप हो जा मेरी भाभी आ रही हैं।" 

         दो प्रकार की आवाज में कुछ देर बड़बड़ करने के बाद निहारिका एकदम से चुप हो गई।
                               ..................

         "हर्षित, तुम्हारी मम्मा कह रही थी कि मुझे तुम्हारे मामा के साथ शादी कर लेनी चाहिए।" ये बात कहते समय निहारिका ने चेहरे पर कुछ इस तरह के भाव थे, जैसे उसे शब्दों के चयन में काफी मशक्कत करनी पड़ रहीं हो।

        "ये बात मुझे आररेडी पता थी, क्योंकि मैंने डायनिंग रूम में खाना खाते समय आप दोनों की सारी बातें सुन ली थीं। " हर्षित ने काफी लापरवाही के साथ निहारिका की बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

        "तुम्हारा इस मैटर पर क्या कहना हैं।"

        "वही जो मम्मा ने कहा था।"

        "यानि ?"

        "आपको इस बात को भूलकर ऐसे लड़के का वेट करना चाहिए जो आपका दिल चुरा ले।"

         "ओह गाॅड ! निहारिका, लगता हैं कि यहाँ भी तेरी दाल नहीं गलनेवाली हैं। तुझे लग रहा था कि ये लड़का तेरी बात सुनते हीं कहने लगेगा, 'मिस, मेरी मम्मा की बात मान लीजिए, लेकिन ये भी अपनी माँ की तरह हीं डिप्लोमेटिक बातें कर रहा हैं। लगता हैं कि इसे लालीपाॅप दिखाना पड़ेगा। हर्षित, मुझे लगता हैं कि मुझे तुम्हारी मम्मा की बात मान लेनी चाहिए। इससे हम दोनों को एक बड़ा बेनीफिट ये होगा कि मेरे शादी कर लेने के बाद भी हम दोनों को अपनी फ्रेंडशीप कन्टिन्यु रखने में कोई प्राॅब्लम नहीं होगी, क्योंकि तुम्हारे मामा तुमसे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए उन्हें उनकी वाइफ का कुछ टाइम तुम्हें देना बिलकुल बुरा नहीं लगेगा।"

          "बट, सिर्फ इस रिजन की वजह से आपको मामा के साथ शादी नहीं करनी चाहिए। कल शाम को मम्मा और मामा भी यही कह रहे थे।"

          "वे लोग किस बात को लेकर ऐसा कह रहे थे ?"

         "कल शाम को मम्मा ने मामा से पूछा था, 'क्या तुम निहारिका के साथ शादी करोगे' तो मामा ने उनसे कहा, मुझे तो कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, पर मुझे लगता नहीं हैं कि वो लड़की मेरे साथ शादी करने के लिए तैयार हो जाएगी।"

        "ओ गाॅड, ये इस छुटके का मामा मुझे क्यूँ इतनी वीआईपी लड़की समझ रहा हैं ? मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे कभी किसी का वीआईपी समझना भी बुरा लगेगा। बेटा, आगे की बात बताओ।"

        "फिर मम्मा ने कहा, मुझे भी उसके तैयार होने की उम्मीद कम हैं, क्योंकि तुम्हारे साथ शादी करनेवाली लड़की को तुम्हारे घर पर देहाती माहौल में रहना पड़ेगा और निहारिका शहर में पली-बढ़ी लड़की होने की वजह से देहाती माहौल में रहना पसंद नहीं करेंगी। ऊपर से तुम्हारे आर्मी में होने की वजह से उसे तुम्हारे रिटायर होते तक ज्यादातर समय तुम्हारे बिना हीं बिताना पड़ेगा, जो वो शायद हीं पसंद करेंगी।' इस पर मामा ने कहा, 'ऐसा हैं तो बात आगे मत बढ़ाइए।"

         "कसम से यार, आज तो मुझे ऐसे लोगों से हद से ज्यादा चिढ़ होने लगी हैं, जो सामनेवाले से पूछे बिना खुद ही डिसाइड कर लेते हैं कि सामनेवाला क्या पसंद करेगा और क्या नहीं। बेटा, मेरी समझ में ये नहीं आया कि इन बातों से तुम्हें ये कैसे पता चल गया कि सिर्फ हम दोनों की फ्रेंडशीप कन्टिन्यु रखने के लिए मुझे तुम्हारे मामा के साथ शादी नहीं करनी चाहिए।"

          "उनकी इन बातों से जब मुझे ये बात पता हीं नहीं चली तो आपके समझ में कहाँ से कुछ आएगा।"

          "तो जिन बातों से तुम्हें ये बात पता चली, वो बताओ न। बेमतलब की बातें करके टाइम पास क्यूँ कर रहे हो ?"

          "अरे मिस, आपने हीं तो कहा था कि आते-जाते कोई भी बातचीत करते रहना चाहिए, इससे सफर में बोरियत और थकान महसूस नहीं होती।"

           "उस बात को भूल जाओ और जो मैंने पूछा, वो बताओ।"

           "ठीक हैं। मुझे ये बात तब पता चली, जब मैंने मम्मा से कहा कि प्लीज मिस के साथ मामा की शादी करवा दीजिए क्योंकि इससे मिस को मेरे साथ फ्रेंडशीप कन्टिन्यु रखने में कोई प्राॅब्लम नहीं होगी, तब मम्मा ने कहा था कि ये मिस के साथ मामा की शादी करवाने का राइट रिजन नहीं हैं क्योंकि शादी जैसा रिश्ता जोड़ने के लिए लड़का-लड़की का एक-दूसरे को लाइक करना सबसे ज्यादा जरूरी हैं और उसके बाद मामा ने भी यही कहा।"

         "मन तो हो रहा हैं कि उन दोनों बहन-भाई का आज गला हीं दबा दूँ, पर गला दबाने से भी तो कुछ हासिल नहीं होगा। समझ नहीं आ रहा हैं कि क्या करूँ ? इस छुटके से बहुत उम्मीदें थीं, बट इसने भी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ये हाँ कह देता तो इसी की हाँ को बेस बनाकर भाभी को बात आगे बढ़ाने के लिए कह देती। निहारिका, लगता हैं कि तुझे लाज-शर्म का नकाब उतारना हीं पड़ेगा, तभी कुछ हो पाएगा। बहुत हो गया, अब मैं शाम को भाभी के घर ट्यूशन पढ़ाने जाऊँगी तो साफ-साफ शब्दों में कह दूँगी कि मुझे उनका भाई पसंद हैं।"
                                       .............

         "भाभी, मैं एक बहुत बड़ी परेशानी में बुरी तरह से फँस चुकी हूँ। प्लीज, मेरा उस परेशानी से पीछा छुड़ा दीजिए।" निहारिका ने सुलेखा की बगल में बैठकर उसे बेहद चिंतित स्वर में बताया।

        "क्या हुआ ?" निहारिका की बात सुनकर सुलेखा ने सवाल किया।

         "पहले आप प्राॅमिश कीजिए कि इस प्राॅब्लम से निकालने में आप मेरी हेल्प करेगी।"

         "ओके बाबा, मैं तुमसे प्राॅमिश करती हूँ कि मैं तुम जिस किसी प्राॅब्लम में फँसी होगी, मैं उससे बाहर निकालने में तुम्हारी हेल्प करूँगी। अब तो बता दो कि हुआ क्या हैं ?"

          "मेरे मम्मी-पापा ने मेरी शादी एक ऐसे लड़के के साथ तय कर दीं हैं, जिसे मैंने देखा तक नहीं।"

           "अच्छा तो तुम इसीलिए स्कूल से घर वापस लौटते ही बिना फ्रेश हुए ही भागकर मेरे पास आ गई ?"

            "हाँ भाभी।"

            "तुम मुझसे कैसी मदद की अपेक्षा रख रहीं हो ?"

            "आप अभी के अभी मेरे साथ चलकर मेरे मम्मी-पापा से मिलिए और मेरी उस अनजान लड़के के शादी कैंसिल कराकर अपने भाई के साथ तय करा दीजिए।"

           "निहारिका, मैं तुम्हारे मम्मी-पापा से कहकर जिस किसी लड़के के साथ उन्होंने तुम्हारी शादी तय की हैं, कैसिंल कराने की कोशिश तो कर सकती हूँ पर तुम्हारी शादी अपने भाई के साथ तय नहीं करा सकती।"

           "आपने सुबह जो रिजन बताया था, उसकी वजह से ?"

          "नहीं, उसकी शादी आज शाम के करीब चार बजे ही कहीं और तय हो चुकी हैं, इसलिए।"

           "इतनी जल्दी ?"

           "हाँ, क्योंकि हम दोनों भाई-बहन ने लड़की पहले से ही देखी थीं, बस चाचा-चाची को उस लड़की के माँ-बाप से मुलाकात करवानी थीं जो आज करा दीं और दोनों पक्षों को रिश्ता पसंद आ गया तो रिश्ता भी पक्का करा दिया। लड़की बिलकुल तुम्हारे जैसी ही हैं। तुम उसकी तस्वीर देखोगी तो तुम्हें यकीन नहीं होगा कि किसी का चेहरा तुम्हारे साथ इतना मैच हो सकता हैं। ये लो, देखकर बताओ कि वो हू-ब-हू तुम्हारे जैसी हैं या नहीं ?"

           "ये तो मेरी हीं तस्वीर हैं।"

           "वाकई ?"

           "भाभी, आप बहुत गंदी हैं।"

           "मैं कैसी हूँ, ये छोड़ो और ये बताओ कि तुम्हें मजा आया या नहीं ? मुझे तो बहुत मजा आया।"

          "अच्छी बात हैं, लेकिन आप भी याद रखना कि मैं आपको इस शरारत के लिए छोड़नेवाली नहीं हूँ। कभी ऐसा सबक सिखाऊँगी न कि आप जिंदगी भर नहीं भूलेगी। अब मैं जा रहीं हूँ।"

          "ट्यूशन पढ़ाने आओगी न ?"

          "नहीं।"

          "क्यों, ससुराल जाने के लिए आज से तैयारी शुरू करनी हैं, इसलिए ?"

          "नहीं, मुझे आप जैसे गंदे लोगों की हेल्प का शौक नहीं हैं, इसलिए।"

           "ठीक हैं, मत आना, पर ये तो पूछ लो कि मुझे कैसे पता चला कि तुम इस रिश्ते के लिए तैयार हो ?"

          "बिना पूछे नहीं बता सकती क्या ?"

          "हाँ, बता सकती हूँ।"

          "तो बताइए न।"

          "मुझे सुबह तुम्हारी अकेले में की गई बड़बड़ से ये बात पता चली।"

          "मिस, आप सुबह मम्मा के अंदर आने के बाद खुद से इतना लाउडली बातें कर रही थीं कि मम्मा के साथ-साथ मैंने भी सुन लीं थीं।" सामने बैठकर होमवर्क कर रहे हर्षित ने अचानक अपना चेहरा ऊपर उठाकर निहारिका को बताया तो उसके चेहरे पर छाई लालिमा और गहरा गई। वह अपनी नजरें नीचे करके कमरे के फर्श को कुछ इस तरह से देखने लगी, जैसे कहना चाह रही हो कि फर्श के नीचे की जमीन फटकर उसे अपने भीतर समा ले और माँ-बेटे की शरारती मुस्कराहटों से पीछा छुड़ा दे।

           "और इसके बावजूद भी तुम स्कूल जाते और स्कूल से घर आते समय इस बात को छुपाकर इस तरह बातें करते रहें कि जैसे तुमने मेरी बातें सुनी हीं नहीं ?" जब धरती माँ ने निहारिका की बात नहीं सुनी तो उसने अपने मन की शर्म को दिखावटी क्रोध के आवरण से ढकने का प्रयास करते हुए कहा।

          "साॅरी मिस, मुझे आपके साथ चीटिंग नहीं करनी चाहिए थीं, बट मुझे मम्मा ने आपसे इस बात को सीक्रेट रखने लिए कहा था, इसलिए मैंने ये बात आपको नहीं बताई।"

          "तो ठीक हैं बेटा, अब कल से अपनी मम्मा के साथ हीं स्कूल जाना।" कहकर निहारिका बनावटी गुस्से का इजहार करती हुई घर से बाहर निकल गई।

           आठ दिन बाद निहारिका और करण की सादगी के साथ शादी हुई। शादी की सारी रस्मे शांति के साथ निपट गई, लेकिन विदाई के समय निहारिका के हर्षित असामान्य लगाव की वजह दोनों पक्षों के लिए परेशानी खड़ी हो गई। वह हर्षित को सीने से लगाकर काफी देर तक रोती रहीं और कई लोगों के समझाने पर भी हर्षित को छोड़कर ससुराल जाने के लिए तैयार नहीं हुई। आखिर में सुलेखा और करण को उसे हर्षित से अलग करने के लिए ये आश्वासन देना पड़ा कि उसे हर्षित से उसे सिर्फ कुछ समय के लिए अलग किया जा रहा हैं, स्थायी रूप से कभी अलग नहीं किया जाएगा। 

       कुछ दिनों बाद जब निहारिका ससुराल से वापस आयी तो उसने सुलेखा को ये खुशखबरी दी कि करण और उसके माता-पिता ने बिना उसके कुछ कहे हीं उससे ये कह दिया कि जब तक करण छुट्टियों में गाँव पर रहेगा, तब तक और उसके न होने पर कुछ खास त्योहारों या पारिवारिक कार्यक्रमों के होने पर हीं निहारिका को अपने ससुराल में रहना होगा, बाकी समय वो अपनी नेटिव सिटी में रहकर अपना टीचरशीप का जाॅब कन्टिन्यु रख सकती हैं। ये खुशखबरी सुनकर हर्षित सबसे ज्यादा खुश हुआ, पर उसकी माँ ने ये कहकर उसकी खुशी को कुछ फीका कर दिया कि उसे अब निहारिका को बुआ नहीं मामी कहना होगा, क्योंकि वो निहारिका को अपनी बुआ या टीचर के अलावा कुछ मानने के लिए तैयार नहीं था।

        "मैं तो हर्षित को अपना भतीजा या स्टूडेंट भी नहीं मान सकती, बिकाॅज ये मेरा बेटा हैं।" निहारिका ने ये कहकर सुनकर और ज्यादा टेन्शन बढ़ा दिया।

         लेकिन सुलेखा भी एक काफी सुलझी हुई महिला थीं और उसने अपने परिपक्वता का परिचय देते हुए ये कहकर निहारिका को सरप्राइज कर दिया- "ये कहलाएगा तो मेरा हीं बेटा, पर माँ हमेशा तुम्हें हीं समझेगा।

        "थैंक्स भाभी।" कहकर निहारिका तुरंत सुलेखा के गले लग गई।
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#7
चक्रव्यहू (4th Part)


         "मैम, मुझे पहचाना ?" एक अजनबी नवयुवती ने निहारिका के ठीक सामने अपनी स्कूटी रोककर उससे सवाल किया तो उसके चेहरे पर कुछ इस तरह के भाव उभरे, जैसे वह अपनी मस्तिष्क पर जोर डालकर कुछ रिमाइंड करने की कोशिश कर रही हो।

        "नहीं, मुझे नहीं लगता हैं कि हम लोग कहीं मिले थे।" कुछ देर के तक दिमाग पर जोर डालने के बाद निहारिका ने जवाब दिया।

         "अरे मैम, ये क्या बात कर रही हैं आप ? आपने जिसे पूरे एक साल तक पढ़ाया, उसे देखकर आप कह रही कि हम लोग कहीं मिले हीं नहीं। चलिए, मैं आपको कुछ क्लूज दे देती हूँ। 'लिटिल फ्लॉवर्स स्कूल', 'थर्ड क्लास', 'वन लिटिल गर्ल लेफ्ट द स्कूल एंड शिफ्टिंग हर फ्रेंड्'स .....।"

          "कहीं तुम निक्की तो नहीं हो ?"

          "यू आर एब्सॅल्यूटली राइट नाऊ, मैं निक्की हीं हूँ"

         "अरे, तुम कितनी बदल गई हो यार ? तुम्हारी हाइट भी काफी बड़ गई और खूबसूरती भी।"

         "मैम, लेकिन आप बिलकुल भी नहीं बदली। बिलकुल वैसी हीं लगती हैं, जैसे साढ़े-बारह साल पहले लगती थीं।"

         "सब लोग यही कहते हैं, बट ये सही नहीं हैं बिकाॅज इन साढ़े-बारह सालों में मेरा वेट एबाउट टू केजी बढ़ गया हैं।"

          "अरे मैम, इन साढ़े-बारह सालों में आपका वेट तो सिर्फ़ टू केजी बढ़ा हैं जबकि मेरा वेट तो ट्वेंटी फोर केजी से बढ़कर फिफ्टी थ्री केजी हो चुका हैं। इट मींस, मेरा वेट ट्वेंटी नाइन केजी बढ़ चुका हैं।"

          "बेटा, तुम खुद के वेट बढ़ने को मेरे साथ कम्पेयर क्यूँ कर रही हो ? तुम्हारा वेट तुम्हारी नेचुरल बाॅडी ग्रोथ की वजह से बढ़ा हैं और मेरा फेट बढ़ने की वजह से बढ़ा हैं।"

           "आई एग्री विद यू।"

           "इस काॅलोनी में तुम्हारे रिलेटिव्ज या फ्रेंड्स वगैरह रहते हैं ?"

           "नो मैम, मैं खुद हीं अपनी फेमिली के साथ इस काॅलोनी में रहने आयी हूँ। यहाँ से आठ-दस घर के बाद जो लेमन ग्रीन कलर की बड़ी बिल्डिंग हैं, उसी में हम लोगों ने एक फ्लैट लिया हैं।

           "आप लोग शायद कुछ हीं दिन पहले हीं यहाँ शिफ्ट हुए हैं ?"

           "हाँ, हम लोगों को यहाँ सिर्फ वन वीक पहले हीं शिफ्ट हुए हैं, बट आप यहाँ कबसे रह रही हैं ?"

           "करीब दस साल से।"

           "यानी, मेरे उस शहर को छोड़ने के करीब ढहाई साल बाद हीं आपने भी वो शहर छोड़ दिया ?"

           "छोड़ दिया नहीं, छोड़ना पड़ा।"

           "क्यूँ ?"

           "साॅरी, मैं इसकी वजह तुम्हें नहीं बता सकती।"

           "बट व्हाय ?"

          "इसकी भी वजह नहीं बता सकती। अब इस 'क्यूँ-व्हाय' का पीछा छोड़ों और आओ मेरे साथ। हम लोग मेरे घर बैठकर चाय-काॅफी वगैरह लेते हैं और आराम से बातें करते हैं।"

            "अरे, लेकिन आप तो किसी काम से कहीं जा रहीं थीं न ?"

            "हाँ, लेकिन वो काम मैं बाद में भी कर सकती हूँ। तुम स्कूटी लेकर उस यलो बिल्डिंग के सामने चलो, मै भी तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ।"

           "अच्छा तो आप अपनी न्यू फेमिली के साथ इस बिल्डिंग में शिफ्ट हो चुकी हैं।"

           "हाँ।" कहने के साथ हीं निहारिका उसी ओर मुड़ गईं, जिस तरफ से आयी थीं।
                                       ............

           "मैम, ये आपकी बेटी हैं ?" निहारिका पानी का ट्रे लेकर कमरे में दाखिल हुई तो निक्की ने पलंग पर लेटकर टीवी देख रही करीब दस-ग्यारह वर्ष की बालिका की ओर इशारा करके पूछा।

          "हाँ।" निहारिका ने ट्रे टेबल पर रखते हुए जवाब दिया और पानी एक गिलास निक्की को देकर एक गिलास खुद उठा लिया।

         "मेरे हमारा स्कूल छोड़कर जाने के करीब दो साल बाद हर्षित ने मुझे फोन पर हुई बातचीत में बताया था कि भगवान जी ने उसके लिए एक छोटी-सी बहन भेजी हैं जो बहुत हीं क्यूट हैं। शायद आपकी इस बेटी की हीं बात कर रहा था।"

         "हाँ, उसने इसी की बात की होगी क्योंकि उसकी यही एक बहन हैं।"

         "क्या वो अभी भी आपके काॅन्टेक्ट में हैं ?"

         "हाँ।"

         "कहाँ रहता हैं वो ?"

         "बगलवाले फ्लैट में।"

         "रियली ?"

         "हाँ बाबा।"

         "वो ठीक तो हैं न ?"

         "क्यूँ , उसे क्या हुआ ?"

         "एक्चुअली मेरे हमारा स्कूल छोड़कर जाने के बाद हर्षित के साथ करीब ढहाई साल तक फोन पर बात होती रहीं, लेकिन इसके बाद उसकी मम्मा का मोबाइल लगातार स्वीच्ड ऑफ आने लगा और कुछ दिन 'नाॅट इन सर्विस' बताने लगा। इस वजह से मैं काफी परेशान हो गई थीं और अपने पापा को लेकर उससे मिलने उसके घर गई, लेकिन वहाँ जाकर पता चला कि उसकी फेमिली अपना मकान छोड़कर कहीं चले गए और उनका न्यू एड्रेस किसी के भी पास नहीं हैं। इस वजह से मुझे भगवान से उसकी केयर करने की प्रे करके अपने घर लौट जाना पड़ा, लेकिन मैं उसे आज तक नहीं भूल पाई। जब भी कभी उसकी याद आती थीं, ये सोच-सोचकर बहुत रोना आता था कि वो पता नहीं कहाँ और किस हाल में होगा। मैंने तो ये उम्मीद हीं छोड़ दीं थीं कि उससे अब कभी मुलाकात हो पाएगी, बट थैंक्स गाॅड कि जैसे हम दोनों मेरे पापा एक जगह से दूसरी जगह होनेवाले एक ट्रांसफर की वजह से हम करीब बारह साल पहले बिछड़े थे, वैसे हीं पापा के एक ट्रांसफर की वजह से मिल भी गए। क्या वो इस वक्त अपने घर में होगा ?"

         "नहीं, वो कहीं गया हैं।"

         "क्या आप मुझे उसका काॅन्टेक्ट नम्बर दे सकती हैं ?"

         "श्योर, बट तुम्हें उससे ईजी वे में बात करनी हैं तो मेरे मोबाइल से हीं काॅल कर लो, क्योंकि वो अननाउन नम्बर्स से आनेवाली काॅल जल्दी से रिसीव नहीं करता।"

          "यानी, उसकी अजनबियों के साथ घुलने-मिलने या बातचीत करने से बचने की आदत गई नहीं अभी तक ?"

         "यू आर राइट। ये लो, तुम ये मेरे मोबाइल से उससे बात करों, तब तक मैं हम लोगों के लिए चाय-काॅफी लेकर आती हूँ। तुम चाय लोगी या काॅफी ?"

          "आप जो लेगी, वही मेरे लिए भी ले आइए।"

          "ओके।" कहकर निहारिका पानी का ट्रे लेकर किचन में चली गई।
                                ....................

          निहारिका करीब पाँच मिनट बाद दुबारा कमरे में वापस लौटी तो उसके हाथ में चाय का ट्रे था। 

          "हर्षित से बात हो गई ?" उसनेे ट्रे टेबल पर रखने के बाद एक कप निक्की को थमाते हुए पूछा।

          "हाँ।"

          "बेटा, तुम हर्षित के साथ फ्रेंडशीप कन्टिन्यु रखना चाहती हो तो तुम्हें एक बात का ध्यान रखना होगा। तुम लोगों की फ्रेंडशीप उसकी मम्मा के नाॅलेज में नहीं आनी चाहिए, अदरवाइज तुम लोग न एक-दूसरे से मिल पाओगे और न फोन काॅल्स के थ्रू बातचीत कर पाओगे।"

         "क्यूँ ?"

         "उसकी मम्मा ने उसके किसी भी हमउम्र लड़की के साथ फ्रेंडशीप या अफेयर जैसे रिलेशन रखने पर पूरी तरह से बैन लगा रखा हैं।"

         "अफेयर तो ठीक हैं, बट उन्होंने फ्रेंडशीप पर क्यूँ बना लगा रखा हैं ?

          "साॅरी, मैं इसका भी रिजन नहीं बता सकती।"

         "नो प्राॅब्लम। आप अपने हीं बारे में कुछ बता दीजिए। आपके हसबैंड आर्मी शायद आर्मी में हैं। हर्षित ने एक बार .....।"

          "आर्मी में हैं नहीं, थे।"

         "इट मीन्स, अब रिटायर हो चुके हैं क्या ?"

         "नहीं, वे आतंकवादियों के साथ लड़ते हुए शहीद हो गए।"

         "आई एम सो साॅरी मैम। मुझे आपकी सूनी माँग और बिना मंगल सूत्र का गला देखकर कुछ पलों के लिए ऐसा कुछ लगा तो था, बट मुझे लगा या तो आपने शादी हीं नहीं की होगी या फिर आजकल की बहुत-सी मैरिड लेडिज की तरह माँग में सिंदूर और गले में मंगल सूत्र पहनना.......।"

           "नहीं बेटा, मैं प्योर ट्रेडिशनल इंडियन वीमेन हूँ। मैं मेरी शादी के बाद से मेरे हसबैंड के एक्सपायर होते तक मैं एक भी दिन चूड़ी, बिन्दी, मंगल सूत्र और सिंदूर के बिना नहीं रहीं, पर शायद ऊपरवाले को मेरा ये चीजें यूज करना पसंद नहीं आया, इसलिए उन्होंने मेरी शादी के करीब दो साल बाद हीं इन चीजों को यूज करने का राइट मुझसे छीन लिया।"

            "आपकी शादी मेरे स्कूल छोड़कर जाने के पाँच-छः माह बाद हुई थीं न ?"

            "हाँ।"

           "इट मीन्स, आप करीब दस साल से आप एज द विडो लेडी अपनी लाइफ गुजार रही हैं ?"

           "हाँ।"

          "आपको आपके हसबैंड के डिपार्टमेंट से पेंशन मिलती होंगी ?"

          "हाँ, लेकिन मैं उसका यूज नहीं करती हूँ। मैंने अपने बैंक एकाउंट में पेंशन का एमाउंट जमा होते हीं अपनी सास के एकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए बैंक को लिखकर दे दिया हैं।"

             "क्यूँ ?"

            "मेरे सास-ससुर को लगता हैं कि मेरे हसबैंड की शहादत की एवज मिलनेवाले एमाउंट और पेंशन पर उनका राइट हैं, इसलिए मैंने अपने हसबैंड को मिले मैडल्स को छोड़कर बाकि सबकुछ उन्हें हीं दे दिया और अपनी फेमिली के साथ आकर यहाँ रहने लग गई।"

         "तो फिर आप दोनों का मैंटेनेंस कैसे होता हैं ?"

         "वैसे हीं एक जाॅब की सैलरी से जो मैं शादी के पहले करती थीं।"

           "मैम, आप बुरा नहीं मानेगी तो मैं एक बात कहना चाहती हूँ।"

           "कहो ।"

          "आपको अब तक दूसरी शादी कर लेनी चाहिए थीं। बट अभी भी देर नहीं हुई हैं क्योंकि अभी भी आप तेईस-चौबीस साल की गर्ल्स जितनी यंग लगती हैं, इसलिए आपकी एज का कोई भी अच्छा शख्स आपका खुशी-खुशी हाथ थामने के लिए तैयार हो जाएगा।"

          "एडवाइज के लिए थैंक्स, बट मैं तुम्हारी एडवाइज पर अमल नही कर सकती क्योंकि मैं अपने हसबैंड की जगह किसी और को नहीं देना चाहती हूँ।"

          "लेकिन ......।"

          "निक्की, प्लीज डोंट आर्गुमेंट आॅन दिस सब्जेक्ट।"

         "ओके। मैम, हर्षित भी काफी बड़ा हो गया होगा न ?"

          "तुम इतनी बड़ी हो गई हो तो वो बड़ा क्यूँ नही हुआ होगा ? क्या वक्त उसके लिए ठहर गया था जो वो बड़ा नहीं हुआ होगा ?"

          "हो सकता हैं कि जैसे आपके लिए वक्त ठहर गया हैं, वैसे हीं उसके लिए भी वक्त ठहर गया हो।"

          "क्यूँ मजाक कह रही हो यार ?"

          "मैम, मैं मजाक नहीं कर रही हूँ। वाकई आपके लिए वक्त ठहर गया हैं। आप बिलकुल वैसी हीं लग रही हैं, जैसे आज से साढ़े बारह साल पहले लगती थीं। मैं तो जबसे आपसे मिलीं हूँ, तभी से आपसे थर्टी फाइव ईयर्स की एज में ट्वेंटी टू ईयर्स की लगने का सीक्रेट पूछना चाह रहीं हूँ। क्या आप मुझे अपनी एवरग्रीन ब्यूटी का सीक्रेट बताएगी ?"

          "मैं बता तो दूँगी, पर मुझे लगता नहीं हैं कि तुम अमल में ला पाओगी।"

           "आप बताइए तो सही।"

           "ओके। एवरग्रीन रहने के लिए तुम्हें रोज सुबह पाँच बजे उठना पड़ेगा और ......।"

            "बस रहने दीजिए। आप सही कह रही थीं कि मैं नहीं कर पाऊँगी।"

            "मैं भी तुम्हारी उम्र में कभी सोच भी नहीं सकती थीं कि रोज पाँच बजे उठकर आधा घंटा बाहर टहल सकती हूँ और फिर घर में आकर योग और मेडिटेशन कर सकती हूँ लेकिन शादी के बाद मेरे हसबैंड की जिद की वजह से ये सब शुरू करना पड़ा और फिर मुझे इन चीजों की आदत पड़ गई।"

          "मैम, आपकी बातें सुनकर मुझे ऐसा लगता हैं कि आपके हसबैंड और आपका रिलेशन बहुत हीं स्वीट रहा होगा।"

          "रहा होगा नहीं, बल्कि अभी भी हैं। वे अभी मेरे ख्वाबो और खयालो में आकर मुझसे बातें करते रहते हैं।"

           "आपकी ये बात सुनकर बहुत अच्छा लगा और अभी मेरा आपके साथ खूब बातें करने का मन हो रहा हैं, पर अब मुझे जाना पड़ेगा, क्योंकि लेट घर जाऊँगी तो मेरी मम्मी नाराज हो जाएगी, सो आई एम गोईंग नाऊ। थैंक्स फाॅर टी एंड नाइस कन्वर्सेशन, बाय।"

           "बाय बेटा, कभी टाइम मिले तो फिर आना।"

           "श्योर मैम।" कहकर निक्की घर से बाहर निकल गईं।
                                  ................

           "हर्षित, कौन थी वो लड़की ?" काॅलेज की बिल्डिंग से निकलते हुए निक्की ने सवाल किया।

          "तुम किसकी बात कर रही हो ?" हर्षित ने जवाब में पूछा।

          "वही, जो तुम्हें हनी से भी मीठी स्माइल देकर गई।"

          "निक्की, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम किसकी बात कर रही हो ?"

         
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#8
 "अरे, मैं यलो टाॅप और ब्लैक स्कर्ट वाली उस लड़की की बात कर रही हूँ जो हम लोगों को फर्स्ट फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर आते समय सीढ़ियों पर मिली थीं।"

         "उसका नाम मानसी हैं।"

         "अरे, मैंने उसका नाम नहीं पूछा था। मैं तो ये पूछ रही थीं कि वो तुम्हारे लिए कुछ खास हैं क्या ?"

         "नहीं।"

         "पर तुम दोनों के चेहरों पर एक-दूसरे को देखकर आए फेस एक्सप्रेशंस तो कुछ और हीं कह रहे थे।"

         "तुम्हारी इस नाॅनसेंस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं हैं।"

          "गुस्सा क्यूँ हो रहे हो यार, मैं तो सिर्फ टाइम पास कर रही थीं। बाइ द वे, तुम्हारी कोई न कोई गर्लफ्रेंड तो जरूर होंगी।"

           "तुम पूछ रही हो या बता रही हो ?"

           "न पूछ रही हूँ और न बता रही हूँ, मैं तो सिर्फ पाॅसिब्लिटी एक्सप्रेस कर रही हूँ। तुम्हारा क्या कहना हैं ?"

            "कुछ नहीं।"

            "यार, तुम कितने बदल गए हो ? खुद कुछ बोलते नहीं हो और मैं कुछ बोलती हूँ तो रूखा-सा जवाब देते हों। अच्छा होता कि मैं दुबारा तुमसे मिलीं हीं नहीं होती, कम से कम मेरे दिमाग में तुम्हारी क्यूट ब्वाय की इमेज तो बनी रहती।"

           "साॅरी, बट तुम्हारे साथ इस टाइप का बिहेवियर करने के लिए मैं कम और तुम ज्यादा रिसपांसिबल हो। तुम इस टाइप की नाॅनसेंस बात कर रही हो कि न चाहते हुए मुझे रूखे जवाब देने पड़ रहे हैं।"

         "कहीं ऐसा तो नहीं हैं न कि मेरे इस काॅलेज में आने से तुम्हारी फ्रीडम में बाधा पैदा हो गई हैं, इसीलिए तुम चिढ़चिढ़ा व्यवहार कर रहे हो ?"

         "ऐसा कुछ नहीं हैं। न तुम्हारे आने से मेरी फ्रीडम में कोई बाधा पैदा हुई हैं और न मैं इस वजह से चिढ़चिढ़ा व्यवहार कर रहा हूँ।"

          "हाँ, बट तुम्हें मेरी वजह से अपने अदर फ्रेंड्स को छोड़कर मेरी नाॅनसेंस बातें तो झेलनी पड़ रही हैं न ?"

           "तो क्या हुआ, अपनी बेस्ट फ्रेंड के लिए इतना तो करना हीं पड़ेगा न। और तुम हमेशा तो इस तरह मुझे दिनभर के लिए बुक करके तो रखोगी नहीं। थोड़े दिनों में तुम्हारे यहाँ कुछ न्यू फ्रेंड्स बन जाएँगे तो तुम्हारी मुझ पर डिपेंडेंसी अपने आप खत्म हो जाएगी।"

          "लिसन मिस्टर हर्षित, मैं यहाँ न कोई न्यू फ्रेंड्स बनाने वाली हूँ और न कभी तुम्हारा पीछा छोड़ने वाली हूँ। बाइ द वे, तुम मुझसे इतने साल तक अलग रहने के बाद भी मुझे अपनी बेस्ट फ्रेंड मानते हो, इसके लिए थैंक यू सो मच। मैं तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि तुम भी अभी तक मेरे बेस्ट फ्रेंड हो।"

           "अभी तक मतलब आगे नहीं रहूँगा क्या ?"

           "ये तो तुम्हारे ऊपर डिपेंड करेगा। यदि तुम मुझे इसी तरह कम्पनी देते रहोगे तो आगे भी मेरे बेस्ट फ्रेंड बने रहोगे और तुम मुझे छोड़कर अपने आसपास मंडराने वाली तितलियों पीछे भागे तो तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड रहोगे और न आॅडनरी फ्रेंड रहोगे।"

          "यार, तुम सिर्फ मेरी फ्रेंड हो न ? आई मीन, गर्लफ्रेंड, लवर वगैरह तो कुछ हो नहीं ?"

          "यू आर राइट।"

          "तो फ्रेंड की तरह बिहेवियर करो न, गर्लफ्रेंड या लवर की तरह बिहेवियर क्यों कर रही हो ? आई थिंक, तुम्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि मैं किसके पीछे भागता हूँ और किसके पीछे नहीं। तुम्हें तो सिर्फ इस बात से मतलब रखना चाहिए कि मैं तुम्हें एज द बेस्ट फ्रेंड जितना टाइम देना चाहिए, उतना दे रहा हूँ या नहीं। एम आई राइट ?"

           "राइट एण्ड साॅरी फाॅर माई स्टूपिड बिहेवियर।"

           "इट्स ओके नाऊ। आओ, मैं तुम्हें काॅफी पिलाता हूँ।"

           "थैंक्स यार, मुझे तो लग रहा था कि तुम आज भी मुझे कल जैसे हीं लंच टाइम में यहाँ-वहाँ ऐसे घुमाकर वापस क्लासरूम में छोड़ दोगे।"

            "निक्की, मैं इतना भी खड़ूस नहीं हूँ जितना तुम समझ रही हो।"

            "ये मैं बाद में डिसाइड करूँगी कि मैं तुम्हें जितना खड़ूस समझ रही हूँ, तुम उससे कम हो या ज्यादा। फिलहाल तो मैं तुम्हारा आॅफर एक्सेप्ट करके काॅफी पी लेती हूँ। क्या पता ज्यादा देर की तो जनाब का मूड बदल जाए और सामने नजर आ रही काॅफी भी हाथ से निकल जाए।"

         "ऐसा कुछ नहीं होगा, आओ।" कहकर हर्षित, निक्की के साथ काॅलेज के कैंटिन की ओर मुड़ गया।
                                   ..............

         "बाॅस, ऐसी इन्फार्मेशन लाया हूँ कि तुम्हारा मन खुश हो जाएगा।" काॅलेज कैम्पस में एक पेड़ की छाँव में अपने ग्रुप के बीच खड़े एक हट्टे-कट्टे युवा छात्र के करीब आकर लगभग उसी की उम्र एक दुबले-पतले छात्र ने चहकते हुए कहा।

        "क्यों बे नितिन, ऐसी कौन-सी खबर तेरे हाथ लग गई जो इतना उड़ रहा हैं ?" हट्टे-कट्टे छात्र ने सवाल करने के साथ हीं दुबले-पतले छात्र के कंधे पर इतनी जोर से हाथ मारा कि मारा कि वह गिरते-गिरते बचा।

         "बबलू, बेचारे की हालत देखकर उस पर हाथ पटका करो। कभी उसकी हड्डी-पसली टूट गई तो तुम्हारा एक इन्फाॅर्मर कम हो जाएगा।" एक स्टाइलिश युवा छात्रा ने मजाकिया अंदाज में ये बात कही तो नितिन को छोड़कर सब लोग ठहाका मारकर हँस पड़े।

         "अबे, बता न कि कौन-सी इन्फार्मेशन लाया हैं ?" कुछ पलों तक हँसने के बाद बबलू ने नितिन से सवाल किया।

        "नहीं बताऊँगा।"

         "मतलब दो-चार लात खाने के बाद बताएगा ?"

         "बाॅस, मारना मत, बता रहा हूँ।"

         "अब आया न, लाइन पर। अब नई-नवेली दुल्हन की तरह शर्माना बंद कर और तेरे पेट में जो कुछ हैं, उगल दे, नहीं तो मुझे उगलवाने के लिए तेरे पेट पर लात मारना पड़ेगा।"

        "बाॅस, बात ये हैं कि इस काॅलेज में कल एक लड़की ने एम एस-सी फर्स्ट सेम में एडमिशन लिया था और उसे मैंने अभी-अभी हर्षित के साथ घूमते देखा। मुझे लगता हैं कि हम इस मौके का सही इस्तेमाल करें तो तुम इस बार हर्षित को काॅलेज के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसीडेंट की पोस्ट से हटाकर इस पोस्ट पर काबिज हो सकते हैं।"

        "लगता हैं कि ये साला पागल हो गया हैं। अबे गधे, तुझे क्या लगता हैं कि किसी लड़की के साथ घूमने की बात फैलाकर हम अपने उस सबसे बड़े दुश्मन को इतना बदनाम कर सकते हैं कि उसके इलेक्शन हारने की नौबत आ सकती हैं ?"

         "बाॅस, तुम मेरी पूरी बात सुनोगे तो तुम्हें लगेगा कि मैं पगलाया नहीं बल्कि डबल स्याना हो गया हूँ। दरअसल बात ये हैं कि वो लड़की कोई आम लड़की नहीं हैं बल्कि हर्षित की बचपन की दोस्त निक्की हैं।"

         "अबे इडियट, उस लड़की के मेरे सबसे बड़े कम्पेटेटर हर्षित की बचपन दोस्त भी होने से इलेक्शन के रिजल्ट पर क्या फर्क पड़ेगा। क्या तुझे ऐसा लगता हैं कि हर्षित की बचपन की दोस्त के आ जाने से काॅलेज के सारे स्टूडेंट उसके दुश्मन बन जाएँगे ?"

          "बबलू , इसकी पूरी बात तो सुन लो यार। हो सकता हैं कि इसके दिमाग में वाकई ऐसा प्लान हो जिससे हम इस बार हर्षित को मात देने में सक्सेज हो जाए।"

         "रवीना, मुझे लगता तो नहीं हैं कि इस जोकर के पास कोई काम की बात होगी, पर तुम कह रही हो तो सुन लेता हूँ। चल भाई, अब तू एक हीं साँस में तेरे पेट में पड़ी सारी बात उगल दे, ताकि तुझे भी राहत मिल जाए और हमें भी।"

         "ओके बाॅस। मैं ये बता रहा था कि मैंने कैंटिन में काफी देर तक निक्की और हर्षित की आपसी बातचीत सुनी की और उससे दो नतीजों पर पहुँचा। एक तो ये कि उन दोनों की दोस्ती फेविकोल के जोड़ से भी ज्यादा मजबूत हैं और मैंने दूसरा नतीजा ये निकाला कि निक्की स्टेट लेबल तक बैडमिंटन खेलकर आ चुकी हैं। अब मेरे दिमाग में आया खुराफाती दिमाग में बना प्लान सुनो कि हम यदि ऐसी सिच्युएशन पैदा कर दे कि हर्षित को उसकी स्कूल की दोस्त निक्की और काॅलेज की दोस्त मानसी में से एक को चुनना पड़े तो आधी जंग हम वैसे ही जीत जाएँगे क्योंकि ऐसी सिच्युएशन पैदा होने पर हर्षित अपनी बचपन की दोस्त को चुनेगा और फिर उसकी काॅलेज की दोस्त उसे उस पैनल से निकलवा देगी, जिसका लीडर होने की वजह से हर्षित पिछले दो सालों से प्रेसीडेंट की पोस्ट पर बैठा हुआ हैं।"

         "तेरा आइडिया तो वाकई धासू हैं, पर यदि हर्षित ने निक्की को न चुनकर मानसी को चुन लिया तो हमारे हाथ में फिर से वही हार का कद्दू आ जाएगा।"

          "हाँ, लेकिन ऐसा नहीं होगा। मैंने हर्षित और निक्की की जितनी बातें सुनी, उससे मुझे लगता हैं कि हर्षित के लिए मानसी से ज्यादा निक्की मायने रखती हैं, इसलिए दोनों में से एक को चुनने की सिच्युएशन पैदा होने पर हर्षित जरूर निक्की को ही चुनेगा।"

         "ठीक हैं, लेकिन ऐसी सिच्युएशन पैदा होगी कैसे ?"

         "डोंट वरी बबलू, मेरी समझ में आ गया कि ऐसी सिच्युएशन कैसे पैदा की जा सकती हैं। बस तुम मुझे ये सिच्युएशन क्रिएट करने के लिए आज शाम तक फ्री छोड़ दो।" बबलू की बगल में खड़ी स्टाइलिश छात्रा ने कहा।

         "ओके रवीना, तुम आज शाम तक इस मिशन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए पूरी तरह से फ्री हो।

         "नितिन, तुमने उस लड़की की क्लास का क्या नाम बताया था ?"

         "एम एस-सी फर्स्ट सेम।"

         "सब्जेक्ट कौन-सा हैं ?"

         "ये तो मुझे नहीं पता।"

       "कोई बात नहीं, मैं पता कर लूँगी।" कहकर रवीना अपने ग्रुप का साथ छोड़कर काॅलेज की बिल्डिंग की ओर बढ़ गई।
                               .................

       "रवीना, तुम्हारे चेहरे की चमक बता रहीं हैं कि तुम्हारे खुराफाती दिमाग में कोई धासू प्लान बनकर तैयार हो चुका हैं।" अपने ग्रुप के साथ एक पेड़ के नीचे खड़े बबलू ने रवीना के करीब आते ही उसके चेहरे को देखते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की।

        "बबलू , तुम कितने स्लो हो यार। अरे, मेरे ब्रिलियंट माइंड में हर्षित की न्यू एण्ड ओल्ड फ्रेंड्स को आपस में लड़वाने का एक फुलप्रुफ प्लान तो नितिन की बात खत्म होते हीं बन चुका था। मैं तो दो घंटे के लिए उसे एग्जिक्युशन स्टार्ट करने गई थीं और फिफ्टी परसेन्ट एग्जिक्यूट भी कल चुकी हूँ।" जवाब में रवीना ने चहकते हुए बताया।

        "गुड, मुझे तुमसे यही उम्मीद थीं। अब जल्दी से बताओ कि तुम्हारा वो प्लान क्या था और उसे तुमने आधा प्लान एग्जिक्यूट कैसे किया ?"

          "मेरा प्लान ये था कि मानसी और निक्की के बीच एक बैडमिंटन का मैच करवा दिया जाए और उस मैच का हमारे काॅलेज के स्पोटर्स टीचर प्रोफेसर अभिजीत और हर्षित को अम्पायर्स बना दिया जाए, इससे होगा ये कि अभिजीत सर के मानसी को फेवर करके उसके फेवर में गलत डिसिजंस देंगे, जिसकी वजह से हमारे काॅलेज में सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के वंशज माने जानेवाले हर्षित महाशय को निक्की का फेवर लेकर अभिजीत सर से डिसिजन चेंज कराने के लिए झगड़ा करना पड़ेगा और वो मानसी को नजरों में विलेन बन जाएगा। इसके बाद मानसी अपनी पैनल की को-आॅर्डिनेटर होने का पाॅवर का मिसयूज करके अपने पैनल से हर्षित को बाहर का रास्ता दिखा देगी और तुम्हारा स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसीडेंट बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।"

         "रवीना, तुम्हारा प्लान सुनने में तो बहुत बढ़िया लग रहा हैं, पर मुझे लगता नहीं है कि सक्सेजफुली एग्जक्यूट हो जाएगा।"

          "क्यों ?"

          "हम लोग निक्की और मानसी को एक-दूसरे के साथ बैडमिंटन मैच खेलने के लिए तैयार कैसे करेंगे ?"

           "बबलू, अब मेरी समझ में आया कि तुम पिछले दो साल से हर्षित से शिकस्त क्यों खा रहें हो। इसकी वजह ये हैं कि तुम्हारा कम्पेटेटर हर्षित जितना स्मार्ट हैं, तुम उतने हीं स्टूपिड हो। बट, तुम्हारी किस्मत अच्छी हैं कि इस बार मैं तुम्हारे साथ हूँ। अब तुम इस टेंशन की वजह से अपने दिमाग के कुछ बचे हुए फ्यूज उड़ाना बंद करो कि उन दोनों को आपस में मैच खेलने के लिए तैयार कैसे करेंगे क्योंकि मैं उन दोनों के मैच का पूरा अरेंजमेंट करके आ गई हूँ।"

          "वेरी गुड, पर ये तुमने किया कैसे ?"

          "सुनो, हर्षित की न्यू एंड ओल्ड दोनों फ्रेंड्स का शटल क्वीन होने की वजह से मुझे ज्यादा दिमाग खर्च नहीं करना पड़ा। मानसी हमारे काॅलेज की गर्ल्स कैटिगिरी की बैडमिंटन चैम्पियन हैं, इसलिए उसका बिना कोई टेस्ट दिए किसी भी इंटरकाॅलेज टूर्नामेंट में हमारे काॅलेज की ओर से खेलने के लिए उसका सलेक्शन हो जाता हैं। लेकिन इस बार उसे ट्वेंटी सेवंथ सेप्टेम्बर से स्टार्ट होनेवाले सिटी इंटरकाॅलेज स्पोटर्स टूर्नामेंट में काॅलेज को रिप्रजेंट करने के लिए निक्की के साथ एक मैच खेलकर प्रूव करना होगा कि निक्की के इस काॅलेज में आने के बाद भी वही इस काॅलेज की गर्ल्स कैटिगिरी की बेस्ट बैडमिंटन प्लेयर हैं क्योंकि मेरी एडवाइज पर निक्की आज हीं स्पोटर्स डिपार्टमेंट में रिटन एप्लीकेशन देकर इस टूर्नामेंट में गर्ल्स कैटिगिरी के बैडमिंटन काॅन्टेक्ट में काॅलेज को रिप्रजेंट करने के लिए दावेदारी ठोक चुकी हैं और निक्की के बैडमिंटन की स्टेट लेबल की प्लेयर होने की वजह से स्पोटर्स डिपार्टमेंट के इंचार्ज प्रोफेसर माथुर ने उसकी दावेदारी को सीरियसली लेते हुए ये डिसाइड किया हैं कि वे दो दिन बाद निक्की और मानसी का मैच कराएँगे और उस मैच की जो विनर होगी, उसे काॅलेज को रिप्रजेंट करने का मौका देंगे।"

          "वाह ! क्या बात हैं। रवीना, तुमने तो सचमुच कमाल कर दिया। अब ये बताओ कि हम लोग हर्षित को इस मैच का अम्पायर कैसे बनाएँगे ?"

          "इसके लिए तुम्हें अभिजीत सर को पटाना पड़ेगा, क्योंकि स्पोटर्स टीचर होने की वजह से किसी भी मैच में एक रैफरी या अम्पायर वे खुद होते हैं और दूसरे किसी ऐसे प्रोफेसर या स्टूडेंट को भी वे हीं अपाईंट करते हैं जिसके नाम पर दोनों प्लेयर्स या टीमों को कोई ऑब्जेक्शन न हो। ये भी तय हैं कि उन्होंने इस जाॅब के लिए हर्षित का नाम एनाउंस किया तो न निक्की ऑब्जेक्ट करेगी और न मानसी, क्योंकि दोनों में से हर किसी को लगेगा कि हर्षित उसके साथ चीटिंग नहीं करेगा।"

          "फिर तो कोई प्राॅब्लम नहीं हैं क्योंकि अभिजीत सर को मैं आसानी से अपने शीशे में उतारकर उनसे हर्षित को सेकंड अम्पायर अपाईंट करा लूँगा और उन्हें मानसी के फेवर में गलत डिसिजंस देने के लिए भी कन्वेंस कर लूँगा।"

         "तुम्हे उन्हें मानसी के फेवर में डिसिजन देने के लिए कन्वेंस करने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि वे ऐसा अपनी मर्जी से खुद ही करने वाले हैं।"

         "तुम ये बात इतने यकीन के साथ कह रही हो ?"

         "क्योंकि मैं पिछले कई मैचेस में वे ऐसा कर चुके हैं। एक्चुअली, वे मानसी पर हद से ज्यादा फिदा हैं, इसलिए वे अपनी अदर मैचेस में आॅनेस्टली डिसिजंस देते हैं पर मानसी का मैच होने पर अपनी ड्यूटी और रेपुटेशन को दाॅव पर लगाकर खुलेआम उसका फेवर करते हैं। ये बात अलग हैं कि इस मेहरबानी के बावजूद मानसी उन्हें जरा-सा भी घास नहीं डालती।"

        "यानि, मुझे अभिजीत सर को केवल हर्षित को सेकंड अम्पायर अपाईंट करने के लिए अपने शीशे में उतारना हैं ?"

       "हाँ, लेकिन इसके लिए भी तुम्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। तुम्हें बस अभिजीत सर के दिमाग में ये बात डालनी हैं कि ये सब मानसी और हर्षित के बीच झगड़ा कराने के लिए किया जा रहा हैं। इसके बाद वे खुद ही खुशी-खुशी तुम्हारा साथ देने के लिए तैयार हो जाएँगे, क्योंकि वे मानसी और हर्षित की सीक्रेट कैमेस्ट्री को अपनी राह का रोड़ा समझते हैं।"

       "वाकई आज तो मुझे मानना पड़ेगा कि तुम्हारे जैसी ब्रिलियंट और जीनियस लड़की इस काॅलेज में तो क्या, पूरे शहर में नहीं होगी। मुझे लगता हैं कि हमारे प्लान के नाइंटी नाइन परसेन्ट सक्सेज होने के चांसेज बन चुके हैं। बस यदि इस प्लान के अनसक्सेज होने की ये एक परसेन्ट की पाॅसिब्लिटी खत्म हो जाए तो आज तुम्हारे मनपसंद रेस्टाॅरेंट में तुम्हारा डिनर आज तय हैं।"

      "अब तुम्हें इस प्लान के अनसक्सेज होने की कौन सी एक परसेन्ट पाॅसिब्लिटी लग रही हैं ?"

       "एक्चुअली मुझे लगता है कि हर्षित को पता चलेगा कि उसकी दो फ्रेंड्स ......।"

        "समझ गई कि तुम्हारे दिमाग में क्या डाऊट है। ये डाऊट मेरे दिमाग में भी आया था, इसलिए मैंने इसका भी ट्रीटमेंट कर दिया हैं। मैंने हर्षित की न्यू फ्रेंड के लिए इस मैच को प्रेस्टिज इश्यू बना दिया हैं और ओल्ड फ्रेंड के दिमाग में ये बात डाल दीं हैं कि वो इस मैच जीतकर हर्षित को मानसी जैसी बिगड़ी हुई रईसजादी के चंगुल से आजाद कर सकती हैं, इसलिए हर्षित के कहने पर भी कोई पीछे नहीं हटेगी।"

       "रवीना, यू आर रियली सो जीनियस गर्ल।"

       "तारीफ करने से काम नहीं चलेगा, मेरे लिए चार घंटे के मंदाकिनी होटल की सारी सर्विसेज फ्री करवानी पड़ेगी।"

        "नो प्राॅब्लम।"

        "और मेरे लिए भी।" नितिन से जल्दी से अपनी भी डिमांड रख दीं।

          "अबे, अपनी औकात में रहा कर। ये ले पाँच सौ रूपए और किसी ढाबे पर दो देशी के क्वार्टर्स के साथ चिकन फ्राई खा ले।" कहकर बबलू ने पाँच सौ का एक नोट नितिन के हाथ में थमा दिया।
                             ...................

        काॅलेज के बैडमिंटन कोर्ट के आसपास स्टूडेंट्स और काॅलेज स्टाॅफ का जबर्दस्त जमावड़ा था। कोर्ट के अंदर मानसी और निक्की के बीच जारी बैडमिंटन मैच निर्णायक मोड़ पर था, इसलिए दोनों के चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था। कोर्ट के बाहर खड़े अधिकांश 'मानसी-मानसी' चिल्ला रहे थे, जबकि अधिकांश छात्राएँ 'निक्की-निक्की' के नारे लगा रही थीं। काॅलेज के स्पोटर्स टीचर प्रोफेसर अभिजीत नेट के खम्भे के पास और हर्षित दूसरे खम्भे के पास खड़े होकर इस मैच में अम्पायर्स की भूमिका निभा रहे थे।

       निक्की ने मैच का पहला सेट 21-7 के बड़े अंतर से जीतकर बढ़त बना ली थीं, लेकिन मानसी ने दूसरा सेट 21-19 के मामूली अंतर से जीतकर निक्की बराबरी कर ली थी, इसलिए विजेता बनने के लिए दोनों तीसरा व निर्णायक सेट जीतने के लिए अपनी सारी उर्जा और खेल-कौशल झोंक रहीं थीं। इस वक्त तीसरे सेट में निक्की के 20 और मानसी के 19 पाईंट्स थे, इसलिए मानसी की एक गलती उसके मैच जीतने के सपने को चकनाचूर कर सकतीं थीं, जबकि निक्की की एक गलती मैच में मानसी को उसके बराबरी में लाकर खड़ी कर सकतीं थी।

       समर्थकों के शोर-शराबे के बीच निक्की ने सर्विस की, जिसका मानसी ने बेहतरीन तरीके से अंडरआर्म रिटर्न किया। इसके बाद निक्की ने मानसी पर दबाव बनाने के उद्देश्य से शानदार ढंग से शटलकाॅक को स्मैश किया और मानसी ने उसके ट्रैप में फँसकर ऊँचा रिटर्न कर दिया, फिर इसी टाइप के मौके का इंतजार कर रही निक्की ने जम्प करके पूरी ताकत से मानसी की पहुँच से दूर जबर्दस्त स्मैश मारा, जिसे डिफेंड करने के लिए मानसी ने काफी फुर्ती दिखाई, लेकिन  अपने भरपूर प्रयास के बावजूद शटल मानसी के रैकेट पर पूरी तरह से नही आयी और उसके रैकेट के एक सिरे से टकराकर कोर्ट की साइडलाइन के बाहर गिर गईं।

         प्रोफेसर अभिजीत ने तुरंत मानसी को एक पाईंट मिलने का इशारा कर दिया, जिसके बाद ब्वायस के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी, जबकि गर्ल्स 'चीटिंग-चीटिंग' चिल्लाने लगीं।

        "सर, ये तो खुली चीटिंग हैं।" हर्षित ने कोर्ट पार करके प्रोफेसर अभिजीत के पास पहुँचकर उसके इस डिसीजन पर अपना विरोध प्रकट किया।

          "कैसे चीटिंग हैं ? निक्की का शाॅट कोर्ट के बाहर गिरा तो पाईंट तो अपोजिट प्लेयर को ही मिलेगा न ?" प्रोफेसर अभिजीत ने अपने डिसिजन को जस्टिफाई करने की कोशिश करते हुए कहा।

         "सर, निक्की का शाॅट कोर्ट के बाहर गिरा जरूर, लेकिन अपने आप नहीं, बल्कि मानसी के रैकेट से शटल टकराने की वजह से डिफ्लेक्ट होकर गिरा हैं, इसलिए ये पाईंट निक्की को मिलना चाहिए।"

         "हर्षित इज टेलिंग राइट।" कई गर्ल्स ने एक स्वर में कहा।

         "नो, अभिजीत सर इज टेलिंग राइट।" गर्ल्स की बात के जवाब में कई ब्वायस ने एक स्वर में कहा।

          तभी 'हटिए-हटिए' कहते हुए छात्र-छात्राओं की भीड़ को चीरकर काॅलेज का प्रिंसिपल हर्षित और प्रोफेसर अभिजीत के पास पहुँच गए।

          "क्या प्राॅब्लम हैं ?" प्रिंसिपल के पूछने पर अभिजीत और हर्षित ने बारी-बारी से अपना-अपना पक्ष उनके सामने रख दिया।

           "आप लोगों में से बहुत से लोगों ने इस मैच की वीडियो की रिकार्डिंग की होगी ?" प्रिंसिपल ने दोनों की बातें ध्यान से सुनने के बाद छात्र-छात्राओं की ओर देखकर कहा।

         "यस सर।" कई छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में जवाब दिया।

         "तो आप लोगों में से कोई ऐसा स्टूडेंट मुझे इस शाॅट की रिकार्डिंग दिखाएँ, जिसके मोबाइल में शटल लैंड करने वाला स्कैन क्लियरली रिकार्ड हुआ हैं।"

           "सर, मेरे मोबाइल में ये स्कैन काफी क्लियरली रिकार्ड हुआ हैं। ये देखिए ..।" कहने के साथ एक छात्रा ने प्रिंसिपल को अपना मोबाइल थमा दिया।

           "प्रोफेसर अभिजीत, मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थीं।" मोबाइल में मैच के लास्ट शाॅट की वीडियो क्लिप दो-तीन बार देखने के बाद सामने खड़ी छात्रा को उसका मोबाइल लौटाते हुए प्रिंसिपल ने प्रोफेसर अभिजीत को लताड़ा।

         "सर, एक्चुअली ......।"

         "मुझे आपकी कोई सफाई नहीं सुननी हैं। आपको आपकी इस घटिया हरकत के लिए क्या पनिसमेंट देनी हैं, ये तो काॅलेज का मैनेजमेंट बोर्ड तय करेगा, लेकिन फिलहाल मैं अपने पाॅवर का यूज करके तुम्हें मैनेजमेंट बोर्ड की नेक्स्ट मीटिंग तक के लिए इसी वक्त सस्पेंड कर रहा हूँ। हर्षित तुम अपनी हेल्प के लिए किसी और को एक अम्पायर चुनकर आगे का मैच करवाओ।"

         "सर, दिस मैच इज ओवर। इस मैच को 3-2 से हमारे काॅलेज की न्यू स्टूडेंट मिस निक्की जीत चुकी हैं, आप आॅफिसियल एनाउंसमेंट कर दीजिए।" हर्षित की बात सुनते प्रिंसिपल ने पास खड़े अपने एक मातहत को माइक लेकर आने के लिए कहा, जबकि उन्हीं के पास खड़ी मानसी, हर्षित की बात सुनकर उसे कुछ देर तक ज्वलंत निगाहों से घूरने के बाद पैर पटकती हुई छात्र-छात्राओं को हटाकर ग्राउंड से बाहर निकल गई। उसके जाते हीं ब्वायस की तादाद भी धीरे-धीरे कम होने लग गई।
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#9
चक्रव्यहू (5th Part)

       "आई एम सो साॅरी हर्षित, मेरी वजह से तुम्हारी और मानसी के साथ कैमेस्ट्री बिगड़ गई। बिलिव मी, मुझे ऐसा होने का जरा-सा अहसास होता तो मैं सिटी इंटरकाॅलेज स्पोटर्स काॅन्टेस्ट में इस काॅलेज की ओर से रिप्रजेंट करने के लिए एप्लाई हीं नहीं करती।" तेज कदमों के साथ काॅलेज की बिल्डिंग की ओर बढ़ रहे हर्षित के साथ चलने का प्रयास करते हुए निक्की ने खेद प्रकट किया।

        "निक्की, तुमने कुछ गलत नहीं किया, इसलिए तुम्हें इतना अफसोस जाहिर करने की जरूरत नहीं हैं। अब रहा सवाल मेरी और मानसी की मेरी कैमेस्ट्री बिगड़ने का, तो मैं तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि हम दोनों के बीच कोई कैमेस्ट्री कभी थीं हीं नहीं।" निक्की की बात सुनने के बाद हर्षित ने अपने कदमों को ब्रेक लगाकर बताया।

        "क्या बात कर रहे हो यार। मुझे तो पता चला था कि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे और तुम अपने शर्मिले स्वभाव की वजह से तुम दोनों के इस रिश्ते को लोगों के सामने स्वीकार नहीं करते थे, जबकि मानसी ने अपने डैड से छुपाने के लिए इस रिश्ते को फ्रेंडशीप का नाम दे रखा था।"
        
          "किसने बताया तुम्हें ये ?"

           "रवीना ...।"

           "ओह ! तो ये मुझे मानसी से अलग करने के लिए बबलू एंड कम्पनी की चली गईं एक चाल थीं और तुम्हारे और मानसी के साथ-साथ मैं भी इसका मोहरा बन गया।"

           "तुम दोनों का तो पता नहीं, बट मैं किसी का मोहरा नहीं बनी। मैं अपने इन दो कोश्चन्स का आन्सर जानने के लिए रवीना के इस प्लान में शामिल हुई थीं कि इस काॅलेज की ब्यूटी क्वीन मानसी और काॅलेज के मिस्टर रिलाएबल हर्षित के बीच कनेक्शन क्या हैं और वैसा कोई कनेक्शन हैं जिसके होने से कोई से इनकार तो कोई नहीं करता हैं, बट किसी के पास कोई प्रूफ न होने की वजह से इसके होने का दावा भी नहीं करता हैं और यदि ऐसा कोई कनेक्शन हैं तो क्या ये कनेक्शन तुम्हारे लिए मेरी फ्रेंडशीप से ज्यादा मायने रखता हैं। और मुझे इस मैच से मेरे दोनों सवालों के जवाब मिल गए, बट आई एम सो साॅरी कि इसके चक्कर में मैंने तुम्हारा इर्रिप्रेबल लाॅस कर दिया, क्योंकि बात सिर्फ तुम्हारी किसी के साथ फ्रेंडशीप टूटने की होती तो मैं इस लाॅस की भरपाई करने की कोशिश करती, बट तुम्हारी लवर के तुमसे दूर हो जाने की भरपाई के लिए तो कुछ किया ही नही जा सकता क्योंकि किसी के फ्रेंड का कोई अल्टरनेट बन सकता हैं, लेकिन मोहब्बत के मामले में किसी का अल्टरनेट मिल पाना बहुत मुश्किल हैं।"

       "यू आर राइट, बट यदि मुझे मानसी का कोई अल्टरनेट मिल भी जाए तो भी मैं उसे एक्सेप्ट नहीं करूँगा।"

       "क्यूँ, उससे बेइंतहा प्यार करते थे, इसलिए ?"

       "प्यार तो मैं उससे वाकई बेइंतहा हीं करता था, लेकिन उसके किसी अल्टरनेट को एक्सेप्ट न करने की ये वजह नहीं हैं।"

       "तो फिर क्या वजह हैं ?"

       "अब मेरा प्यार-मोहब्बत जैसी चीजों से विश्वास उठ गया हैं।"

        "क्यूँ  ?"

        "जिस बंदे का अठारह माह तक बेहद केयर करके बड़ा किया मोहब्बत का पौधा स्वार्थ और कर्तव्य के बीच हुई मामूली-सी खीचातानी में पलभर में उखड़ जाए तो फिर उस बंदे का मोहब्बत से विश्वास उठ हीं जाएगा न ?"

        "हाँ, लेकिन तुम्हारी मोहब्बत का पौधा अभी उखड़ा नहीं हैं, सिर्फ मुरझाया हैं। यदि तुम मानसी से मिलकर उसे मनाने की कोशिश करोगे तो तुम्हारी मोहब्बत का ये पौधा फिर से हरा-भरा हो जाएगा। इस पौधे को फिर से हरा-भरा करने में मैं भी खाद-मिट्टी डालने में हेल्प कर सकती हूँ। मैं मानसी के मन में तुम्हारे प्रति पैदा हुई नाराजगी दूर करने के लिए सिटी इंटरकाॅलेज स्पोटर्स टूर्नामेंट में इस काॅलेज को रिप्रजेंट करनेवाले प्लेयर्स की लिस्ट से अपना नाम वापस ले लूँगी। मानसी को इस टूर्नामेंट रिप्रजेंट करने का चांस मिल जाएगा तो काफी हद तक उसकी नाराजगी दूर हो जाएगी और उसके मन में जो थोड़ी-बहुत नाराजगी बाकी रह जाएगा, उसे तुम साॅरी बोलकर दूर कर देना।"

         "न मैं उसे साॅरी बोलने वाला हूँ और न तुम्हें ऐसा कुछ करने दूँगा।"

         "क्यूँ  ?"

         "क्योंकि इनमें से कोई भी काम सही नहीं लग रहा हैं और जो काम मुझे सही नहीं लगता हैं, उसे मैं न खुद करता हूँ और अपने टच के लोगों को करने देता हूँ। और वैसे भी ये करके बेनीफिट कम और लाॅस ज्यादा होनेवाला हैं, क्योंकि मानसी के डैड के पास नाइन या टेन डिजिट में मौजूद वेल्थ एंड सीए की हेल्प के बिना काउंट न की जा सकने वाली मंथली इन्कम और मेरे पापा की सेवन डिजिट्स में काउंट होनेवाली वेल्थ एंड जैसे-तैसे फेमिली का मेंटेनेन्स होने लायक इन्कम की वजह से कभी न कभी हम दोनों का रिश्ता टूटना तय था और ये जितना लेट टूटता, उतनी हीं हम दोनों को ज्यादा तकलीफ होती, सो ....।"

        "ऐसा हैं तो तुम दोनों को अपनी लव-कैमेस्ट्री स्टार्ट हीं नहीं करनी चाहिए थीं।"

         "यू आर राइट, बट मानसी ये बात समझने के लिए तैयार हीं नहीं थीं। उसे लगता था कि उसके डैड उसकी खुशियों के लिए हम दोनों का रिश्ता एक्सेप्ट कर लेंगे, बट एक दिन उड़ते-उड़ते हम दोनों के अफेयर की खबर उसके डैड के कानों तक पहुँची और उन्होंने मानसी को किसी लड़के साथ न अफेयर रखने के लिए और खासतौर पर ऐसे लड़के के साथ जो उनके स्टेटस का नहीं हैं, हार्ड वार्निंग दी तो उसके होश ठिकाने पर आ गए और उसने हम दोनों के रिश्ते को दिल तक सीमित रखने और जनरल फ्रेंड की तरह ओपन प्लेस पर बातचीत करके सटिस्फाइड हो जाने के लिए मेरे काफी पहले दिए गए सजेसन को बिना कहें एक्सेप्ट कर लिया। बट इस तरह से भी हम लोगों की प्यार की गाड़ी सिर्फ दो साल की बची हुई काॅलेज लाइफ तक हीं केरी कर पाती, सो समझदारी इसी में हैं कि हम दोनों के रिश्ते पर यहीं फुल स्टाॅप लग जाने दो।"

        "अच्छा, इसीलिए तुमने इस मैच में पार्टिसिपेट करने से मुझेे या न मानसी को रोकने की कोशिश नहीं की और न हीं इस मैच में अम्पायरिंग करने इनकार किया। बट, क्या तुम्हें इस बात का अनुमान था कि ऐसी कोई सिच्युएशन बन सकती हैं जिससे तुम्हारा मानसी के साथ कुछ दिन बाद होनेवाला ब्रेक-अप इसी मैच में हो जाएगा ?"

         "सिर्फ अनुमान नहीं, मुझे तो इस बात का यकीन भी था कि आज ऐसा कुछ जरूर होगा।"

          "इस यकीन की वजह ?"

          "मानसी की अपनी हार को आसानी से पचा न पाने की आदत और अभिजीत सर की उसके लिए एकतरफा अंधी मोहब्बत।"

          "यदि इस मैच में मेरी जगह कोई और लड़की होती तो तुम क्या करते ?"

           "वही, जो आज किया, बट आज के मैच तुम नहीं होती तो मेरी जगह पर मैं भी नहीं होता और हो सकता हैं कि ये मैच हीं नहीं होता, क्योंकि कोई और लड़की मानसी को चेलेंज करती या काॅलेज-डिपार्टमेंट उसे किसी के साथ एक मैच खेलकर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए ऑर्डर जारी करता तो वो ये कहकर अपनी पिछले साल की चैम्पियनशिप दाँव पर लगाने से मना कर देती कि चैम्पियन को एक मैच में हरा देने से कोई चैम्पियन नहीं होता, उससे टकराने का शौक हैं तो काॅलेज के जनरल स्पोर्ट्स टूर्नामेंट तक वेट करें, बट उसे चैलेंज करने वाली तुम थीं, इसलिए उसने आवेश में आकर कुछ दिन और केरी हो जानेवाली अपनी चैम्पियनशिप दाँव पर लगाने के लिए तैयार हो गई।"

         "मैं थीं, मतलब ?"

         "उससे किसी भी गर्ल की मेरे साथ नजदीकियाँ बर्दाश्त नहीं होती और इस वजह से वो तुम्हें मेरे साथ पहली बार देखने के बाद से हीं मन हीं जल-भुन रही थीं, बट उसने ये बात मुझ पर इसलिए जाहिर नहीं होने दीं, क्योंकि मैं उसे काफी पहले समझा चुका हूँ कि जब तक हम दोनों का पूरी तरह से ब्रेक-अप नहीं हो जाता, तब तक ये तो सोचना भी मत कि किसी और लड़की को मैं अपने दिल में जगह दूँगा, बट उसने कभी बेवजह मुझ पर उंगली उठाई तो उसी समय हम दोनों का ब्रेक-अप हो जाएगा।"

         "इसलिए बेचारी हम दोनों को साथ देखकर भी तुम्हें स्माइल देकर निकल जाती थीं। ये सब जानकार मेरे मन में उसके लिए काफी सिम्पैथी पैदा हो रही हैं। क्या तुम्हारे मन में उसके लिए कोई सिम्पैथी पैदा नहीं हुई ?"

          "हुई।"

          "तो फिर तुम्हें .....।"

          "निक्की, प्लीज इस टाॅपिक पर कोई और बात कहकर मेरे हम दोनों की मोहब्बत की पूरी न हो पानेवाली दास्तान को यहीं क्लोज करने के लिए लिए गए अपने हार्ड डिसिजन को चेंज करने के लिए मत उकसाओ, क्योंकि ये मेरी दिल में बड़ी मुश्किल से बुझी मोहब्बत की आग दुबारा शोला बन गई तो हम दोनों के परिवारों की खुशियों को निगल जाएगी।"

          "ओके, आई लेफ्ट दिस टाॅपिक।"

          "थैंक्स, अब तुम ये बताओ कि आज तुम मुझे अपनी जीत की खुशी में काॅफी पिलाओगी या आज भी मेरे हीं पैसे खर्च कराओगी ?"

         "आज भी तुम्हारे हीं पैसे खर्च करवाऊँगी, क्योंकि मुझे इस जीत की जरा-सी खुशी नहीं हैं कि इसके लिए मैं तुम्हें काॅफी पिलाकर इसे सेलिब्रेट करूँ।"

         "पैसे बचाने के लिए बहाना अच्छा हैं।"

         "क्या तुम्हें ऐसा लगता हैं कि मैं थोड़े से पैसे बचाने के लिए बहाना बना रही हूँ ?"

          "नहीं।"

          "तो फिर मुझ पर ये झूठा ब्लैम क्यूँ लगाया ?"

          "तुम पर ब्लैम नहीं लगाया यार।"

           "तो फिर ?"

          "तुम काफी टेंशन में लग रही हो, इसलिए हल्की-फुल्की बातें करके तुम्हारा टेंशन दूर करने की कोशिश कर रहा था।"

          "थैंक्स। अरे, तुम्हें तो काॅफी पीनी हैं न ?"

           "हाँ।"

           "तो काॅलेज के तरफ क्यूँ जा रहे हो, कैंटिन के तरफ चलो न।"

           "काॅफी अभी नहीं, लंच ब्रेक में पिएँगे। अभी हम लोग लंच के पहले वाला एक पीरियड अटैंड करेंगे।"

          "कितने डिसिप्लीन्ड हो यार तुम ?"

           "जरूरी हैं, क्योंकि इंसान डिसिप्लीन में रहे बिना कुछ नहीं कर सकता।"

           "और ये बात तुम्हें तुम्हारी मम्मा ने सिखाई होगी।"

           "नहीं, ये बात मुझे मेरी बुआ ने सिखाई।"

           "बट, तुमने तो बचपन में मुझे बताया था कि तुम्हारी कोई बुआ हैं हीं नहीं ?"

            "जब मैंने तुम्हें बताया, तब वाकई मेरी कोई बुआ नहीं थीं। मेरी बुआ तो तुम्हारे स्कूल छोड़कर जाने के बाद मुझे मिली।"

            "शायद तुम निहारिका मैम की बात तो कर रहे हो ?"

            "हाँ, मैं उन्हीं ग्रेट लेडी की बात कर रहा हूँ। पर, अब तुम बातचीत बंद करो और अपने क्लासरूम में जाकर घास-फूस का अध्ययन करों, मैं गैलेक्सी की सैर करके आता हूँ।"

           "ओके, थैंक्स फाॅर गिविंग कम्पनी।" कहने के साथ ही निक्की अपने क्लासरूम में चली गईं।
                            .................

          "वो कैंटिन वाला क्या कह रहा था तुमसे ?" कैंटिन से थोड़ी दूरी पर एक टीन शेड के नीचे बेंच पर बैठने के बाद निक्की ने पूछा।

         "कह रहा था कि वो आज के बाद मुझे अपने कैंटिन में काॅफी नहीं पिला पाएगा।" हर्षित ने भावहीन स्वर में जवाब दिया।

           "क्यूँ, तुम उसे टाइमली पेमेंट नहीं करते हो क्या ?"

           "नही यार, मैं तो उसे हर समय इमिजेट पेमेंट करता हूँ।"

           "तो फिर वो ऐसा क्यूँ बोल रहा था ?"

           "उसे मानसी ने मुझे उसके कैंटिन में कुछ भी खिलाने-पिलाने पर उसका कैंटिन हीं बंद करवा देने की धमकी दीं हैं, इसलिए।"

          "ये काॅलेज मानसी के बाप का हैं क्या, जो वो यहाँ जो चाहेगी, वही होगा ?"

           "ये काॅलेज तो उसके बाप का नहीं हैं, पर ये काॅलेज जिस जगह पर बना हैं, वो जगह उसके बाप की हैं। काॅलेज मैनेजमेंट ने ये जगह उसके डैड से बीस साल के लिए लीज पर ली हुई हैं।"

           "ठीक हैं, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं हैं न कि इस वजह से मानसी इस काॅलेज में जो चाहे, वो कर सकती हैं ? काॅलेज मैनेजमेंट ने इस जमीन को लीज पर लेने की एवज में मानसी के बाप को इसका रेंट दिया होगा न ?"

           "हाँ, लेकिन फिर काॅलेज मैनेजमेंट को मानसी और उसके छोटे भाई की मनमानी सहन करनी पड़ेगी, क्योंकि लीज का पीरियड खत्म होने में सिर्फ डेढ़ साल का समय बचा हुआ हैं और यदि इन डेढ़ सालों में काॅलेज मैनेजमेंट ने मानसी के डैड को नाराज कर दिया तो वे लीज के पीरियड को आगे न बढ़ाकर मैनेजमेंट को उनकी जगह खाली करने के लिए कह देंगे, इससे काॅलेज मैनेजमेंट बेहद सीरियस प्राॅब्लम में फँस जाएगा। इस सीरियस प्राॅब्लम को अवाइड करने के लिए काॅलेज मैनेजमेंट के इन्ट्रंक्शंस के एकार्डिंग प्रिंसिपल और काॅलेज का बाकी का स्टाॅफ हमेशा मानसी और उसके भाई से पंगा लेने से बचने की कोशिश करता हैं। आज प्रिंसिपल को उनकी और काॅलेज की स्टूडेंट्स के बीच रेपुटेशन खराब होने के डर से मानसी के खिलाफ मजबूरी डिसिजन देना पड़ा, अदरवाइज उन्हें अपने आदर्शों और सिद्धांतों को अलग रखकर किसी के साथ भी मानसी या उसके भाई का डिसपुट होने पर हमेशा मानसी और उसके भाई का हीं फेवर लेने के लिए बाध्य होना पड़ता हैं।

          "यार, आई कान्ट बिलिव इट कि मानसी और उसकी फेमिली की इस टाइप की मेंटलिटी होने की बात जानने के बावजूद भी तुम मानसी से प्यार करते हो।"

         "निक्की, तुम्हारी ये बात तो हण्ड्रेड एंड वन परसेंट गलत हैं कि मैं मानसी से प्यार करता हूँ क्योंकि मेरे मानसी से प्यार करने की बात अब पास्ट बन चुकी हैं। अब बचा ये सवाल कि क्या मैं मानसी और उसकी फेमिली की इस टाइप की मेंटलिटी होने की बात जानने के बावजूद मानसी से प्यार करता था तो इसका आंसर ये हैं कि मैंने जब मानसी का प्रपोजल एक्सेप्ट किया था, तब मुझे नहीं पता था कि मानसी और उसकी फेमिली की मेंटलिटी इस टाइप की हैं। मुझे जब ये बात पता चली, तब तक हम दोनों का प्यार परवान चढ़ चुका था, लेकिन तब भी मैंने ये बात मेरे नाॅलेज में आते ही मानसी को ये वार्निंग दे दीं थीं कि वो जिस भी दिन इस टाइप की घटिया मेंटलिटी दिखाएँगी, उस दिन हम दोनों के रास्ते अलग हो जाएँगे और मानसी ने मेरी वार्निंग को सीरियसली लेते हुए अपना नेचर काफी हद तक सुधार लिया था, लेकिन आज उसके कैंटिन वाले को इस टाइप की धमकी देने की बात से मुझे लगता हैं कि वो मेरे साथ अपना रिश्ता तोड़कर अपने पुराने रंग में लौटने का मन बना चुकी हैं।"

         "ऐसा हैं तो वो सिर्फ तुम्हारी कैंटिन से चाय-काॅफी बंद करवाने से सटिस्फाइड नहीं होंगी, बल्कि तुम्हें कोई बड़ी चोट देने की कोशिश करेगी।"

          "मुझे भी ऐसा ही लगता हैं।"

          "इसके बाद भी तुम इस तरह से केयरलेस होकर बैठे हो, जैसे तुम्हें किसी का कोई डर हीं नहीं हो।"

           "तो क्या करूँ, काॅलेज छोड़कर भाग जाऊँ ?"

           "अरे बाबा, मैं तुम्हें काॅलेज छोड़कर भागने के लिए नहीं कह रही हूँ और न ही इस बात को लेकर टेंशन लेने के लिए कह रही हूँ। मैं तो तुम्हारे इतने ज्यादा निडर हो जाने की बात पर हैरानी जता रही हूँ। याद हैं तुम्हें कि तुम बचपन में कितने स्नीकी थे ?"

           "हाँ, याद हैं मुझे।"

            "और क्या-क्या याद हैं तुम्हें ?"

            "तुम्हारा मेरे लिए मोहित की काॅलर पकड़ना, मोहित को डराने के लिए टाॅय आॅडियो-रिकार्ड से उसकी बात की रिकार्डिंग करना, मेरा मोहित से पीछा छुटने पर पीपलवाले भगवान जी को अपने पैसे से नारियल चढ़ाना, अपने इस शहर से दूर जाने पर मेरी रिस्पांस्ब्लिटी निहारिका बुआ को सौंपकर जाना और भी बहुत कुछ याद हैं मुझे।"

           "थैंक्स यार। मुझे तो लगा कि तुम ये सब कुछ भूल गए होंगे।"

           "पर तुम तो ये सब भूल गई थी न ?"

           "नहीं।"

           "तो फिर मुझे काॅल करना क्यों बंद कर दिया था ?"

            "यार, तुम्हें मैं बता तो चुकी हूँ न कि तुम्हारी मम्मा का मोबाइल नाॅट रिचेबल ......।"

            "ओके-ओके, मुझे ये तुम्हारे बताने से पहले से भी पता था कि तुम मुझसे बिछड़ जाने के करीब टू एंड हाफ ईयर्स के बाद क्यों डिस्कनेक्ट हो गई थीं।"

           "तो फिर बार-बार मुझसे काॅल नहीं करने और मिलने नहीं आने को लेकर कम्प्लेन्ट क्यूँ करते रहते हो ?"

            "ये जानने के लिए कि तुम पहले की तरह मेरे हर सवाल का जवाब देकर मुझे सटिस्फाइड करने की कोशिश करती हो हो या मुझसे पीछा छुड़ाकर भाग जाती हो ?"

          "और मैं भी ये जानने के लिए तुम्हें परेशान करती हूँ कि सिच्युएशन चेंज हो जाने के बाद भी तुम मेरी हरकतें बर्दाश्त करते हो या नहीं ?"

           "रिजल्ट क्या निकला ?"

           "यही कि तुम ऊपर से तो बहुत ब्रेव और मैच्योर हो चुके हो, बट अंदर से वही आठ साल की उम्र के हर्षित हो। प्लीज, हमेशा ऐसे हीं रहना। तुम ऐसे ही रहोगे तो मेरे लाइफ टाइम बेस्ट फ्रेंड बने रहोगे।"

           "मैं अंदर से ऐसा तो बना रह सकता हूँ बट लाइफ टाइम तक हम लोगों की फ्रेंडशीप इसी तरह केरी हो पाना पाॅसिबल नहीं हैं।"

           "क्यूँ, क्या तुम कभी मुझसे फ्रेंडशीप तोड़ने वाले हो ?"

          "मैं तो नहीं तोड़ूँगा, बट तुम्हें अपनी शादी के बाद तोड़नी पड़ेगी, क्योंकि जमाना कितना भी माडर्न क्यों न हो जाए, जनरली किसी भी गर्ल का हसबैंड को ये पसंद नहीं करेगा कि उसकी वाइफ किसी अदर ब्वाय के साथ इतनी क्लोज फ्रेंडशीप रखें, जैसी तुम्हारी मेरे साथ हैं।"

          "आई एग्री विद यू , बट ये तुमसे किसने कह दिया कि मैं शादी करने वाली हूँ ?"

          
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#10
"किसी ने कहा तो नहीं बट जनरली हर इंसान शादी करते हैं, इसलिए मुझे लगा कि तुम भी शादी करोगी।"

          "यार, मेरी भी इच्छा थीं कि मैं शादी करूँगी, बट अब मैंने अपना डिसिजन बदल लिया हैं।"

           "क्यों ?"

        "मैं जिस लड़के से शादी करना चाहती थीं, मुझे अभी कुछ ही समय पहले पता चला कि मैं उसकी च्वाइस मैं नहीं कोई और हैं, इसलिए।"

         "क्या मैं जान सकता हूँ कि वो बेवकूफ लड़का कौन हैं ?"

         "श्योर, बट अभी नहीं, सही समय आने पर बता दूँगी एंड प्लीज तुम उसके बारे में बेवकूफ या इसी टाइप के ऐसे किसी वर्ड का यूज नहीं करोगे।"

         "ओके।"

         "थेंक्स। अब तुम मुझे ये बताओं कि तुम्हारी फेमिली और निहारिका मैम की फेमिली ने आज से एबाउट टेन ईयर पहले वो शहर एकसाथ क्यूँ छोड़ दिया ?"

          "मैं खुद इस कोश्चन का पिछले दस साल से आन्सर जानने की कोशिश कर रहा हूँ बट मुझे आन्सर के नाम पर अपने मम्मी-पापा और निहारिका बुआ से वहीं झुनझुना मिलता हैं जो अभी तुमने मुझे थमाया।"

           "यानी, तुमसे ये कहा जाता हैं कि अभी नहीं, सही समय आने पर तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब दे दिया जाएगा ?"

            "हाँ।"

            "तो तुम एक काम क्यूँ नहीं करते, .....?"

            "इस मैटर पर हम बाद में डिसकस करेंगे।"

            "अरे, एक मिनट ......।"

            "निक्की, नो मोर कोश्चन ऑर सजेशन नाऊ, क्योंकि पीरियड स्टार्ट होने का टाइम हो चुका हैं और अच्छे बच्चे अपना कोई पीरियड मिस नहीं करते। याद हैं न तुम्हें कि ये बात तुम हीं अक्सर मुझसे कहा करती थीं ?"

            "हाँ।"

            "तो उठो जल्दी से।" कहकर हर्षित खड़ा हो गया।
                              ...................

           "हर्षित, मानसी के मना करने के बावजूद कैंटिन वाले ने कल हमें काॅफी पिलाई तो उस बेचारे को आज हीं इसका खामियाजा भुगतना पड़ गया।" अगले दिन लंच ब्रेक में काॅलेज कैम्पस में मुलाकात होते हीं निक्की ने जानकारी दीं तो हर्षित के माथे पर बल पड़ गया।

         "क्यों, मानसी ने क्या किया उसके साथ ?" हर्षित ने पूछा।

          "मानसी ने उसकी प्रिंसिपल से कम्प्लेन्ट कर दी, जिसमें उसने ये एलीगेशन लगाया हैं कि कल शाम को उसके कैंटिन की काॅफी पीने की वजह से मानसी और उसके दोस्तों की तबियत खराब हो गई थी और मानसी की कम्प्लेन्ट पर प्रिंसिपल ने उस कैंटिन वाले को शाम तक अपना सामान समेटकर काॅलेज कैम्पस से निकल जाने का ऑर्डर दे दिया।"

        "यार, ये तो बहुत बुरा हुआ। बेचारा कल ही मुझसे कह रहा था कि उस पर अपने माँ-बाप, पत्नी और बच्चों को पालने की जिम्मेदारी नहीं होती तो वो मानसी का तुगलकी फरमान मानने से इनकार मुझे चाय-काॅफी पिलाना कन्टिन्यु रखता, पर उसका कैंटिन बंद हो जाने की वजह से उसकी फेमिली के मैन्टेनेंस की प्राॅब्लम खड़ी हो जाएगी, इसलिए मानसी का आॅर्डर मानना उसकी मजबूरी हैं। फिर भी उस बेचारे ने मेरी तुम्हारे सामने इन्सल्ट न हो, इस वजह कल हम दोनों को काॅफी पिलाने की रिस्क ले लीं। उसने मेरी इन्सल्ट की परवाह न करके मुझे कल से हीं अपने कैंटिन से कुछ भी देने से इनकार कर दिया होता तो बेचारे पर एम्प्लायमेन्ट छिन जाने का खतरा नहीं मंडराता।"

         "हर्षित, उस बेचारे ने तुम्हें इन्सल्ट से बचाने के लिए ये रिस्क ली थीं, इसलिए उसका रोजगार छिनने से बचाना तुम्हारा कर्तव्य हैं। प्लीज तुम अभी के अभी प्रिंसिपल के पास जाओ और उनसे अपना ऑर्डर कैंसिल करने के लिए कहो। तुम इस काॅलेज के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसीडेंट हो, इसलिए प्रिंसिपल को तुम्हारी बात माननी पड़ेगी।"

          "निक्की, इस काॅलेज के रूल्स के एकार्डिंग स्टूडेंट यूनियन की बाॅडी जिस एजुकेशनल सेशन के लिए चुनी जाती हैं, उसके एंड होते हीं इनिफेक्चुअल हो जाती हैं। चूँकि वो एजुकेशनल सेशन एंड हो चुका हैं, जिसके लिए मुझे प्रेसीडेंट चुना गया था, इसलिए फिलहाल मैं स्टूडेंट यूनियन का प्रेसीडेंट नहीं हूँ और इस वजह से प्रिंसिपल मेरी बात पर गौर नहीं करेंगे।"

        "इसका मतलब ये हुआ कि उस बेचारे को अपना सामान उठाकर इस कैम्पस बाहर जाने से रोकने का तुम्हारे पास का तुम्हारे पास कोई साॅलुशन नहीं हैं ?"

        "एक साॅलुशन हैं। यदि मैं मानसी के आगे झुक जाऊँगा तो वो अपनी कम्प्लेन्ट वापस ले सकती क्योंकि वो अपना पाॅवर सिर्फ मुझे झुकाने के लिए यूज कर रही हैं।"

        "हाँ, लेकिन तुम मानसी के सामने नहीं झुकोगे।"

        "उसके सामने झुकना तो मैं भी नहीं चाहता, पर उस कैंटिन वाले को सड़क पर आने से बचाने के लिए इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं हैं।"

        "अरे, सुनो तो ...?"

        "नहीं निक्की, प्लीज मुझे मत रोकों।" कहकर हर्षित कालेज की बिल्डिंग की तरफ चला गया। निक्की कुछ देर तक उसे हैरान-परेशान उसे देखती रहने के बाद उसके पीछे-पीछे चली गई।
                              ...................

        "मानसी, तुम अपना गुस्सा उस गरीब कैंटिन वाले पर क्यों उतार रहीं हो ?" दस-बारह छात्र-छात्राओं के बीच खड़ी मानसी के करीब आकर हर्षित ने सवाल किया।

        "उसने मेरी वार्निंग को इग्नोर करने की गलती की हैं तो इसका खामियाजा तो उसे भुगतना हीं पड़ेगा।" मानसी ने रूखे स्वर में जवाब दिया।

        "उसने इन्टेन्शली तुम्हारी वार्निंग को इग्नोर नहीं किया, बल्कि मेरी पब्लिकली इन्सल्ट न हो, इस वजह से उसने कल मुझे काॅफी दी थीं, लेकिन उसके बाद उसने मुझसे कह दिया था कि तुम्हारी वार्निंग की वजह से वो इसके बाद मुझे उसके कैंटिन से कुछ नहीं देगा।"

        "ये जानने के बाद तुम्हें इस बात का अहसास तो हो गया होगा न कि मेरे साथ के बिना तुम्हारी इस काॅलेज में क्या हैसियत हैं ?"

        "हाँ, और ये जानने के बाद मुझे तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट करने की बेवकूफी पर अफसोस भी हुआ।"

        "झूठ मत बोलो हर्षित, तुम्हें मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करने के लिए ये बात जानने के बाद अफसोस नहीं हुआ, बल्कि उसी दिन दिन से हो रहा हैं, जिस तुम्हारी बचपन की क्यूट फ्रेंड इस काॅलेज में आयी। तुम तो उसी दिन से मुझसे पीछा छुड़ाने का बहाना ढूँढ रहे थे जो तुम्हें कल मिला।"

        "ये झूठ हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हैं। निक्की सिर्फ मेरी फ्रेंड हैं और वो अभी यहाँ पर नई हैं, इसलिए मैं उसे कम्पनी दे रहा था।"

        "कल तक मैं भी यही समझ रही थीं, इसलिए मैंने तुम्हारे मुझे इग्नोर करके उसे साथ-साथ घुमाने पर कभी आॅब्जेक्शन नहीं लिया, पर कल तुमने बैडमिंटन कोर्ट में हर बार निक्की का फेवर लिया तो मेरी ये गलतफहमी दूर हो गई और मैं जान गई कि तुम मुझे अपने दिल से निकालकर मेरी जगह निक्की को दे चुके हो।"

        "मानसी, तुम्हारे दिल में मेरे प्रति जिस टाइप की गलतफहमी पैदा हुई हैं, वो मेरे कोई भी सफाई देने पर दूर नहीं हो सकती, इसलिए मैं इस मैटर पर कुछ न कहकर ये कहना चाहता हूँ कि यदि तुम्हें ऐसा लगता हैं कि मैंने तुम्हारे साथ चीटिंग की हैं तो तुम मुझे जो चाहे, वो सजा दे दो, लेकिन उस कैंटिन वाले को बख्श दो।"

       "ओके, मैं उसे माफ कर दूँगी लेकिन इसके लिए तुम्हें मुझसे ये प्राॅमिश करना होगा कि तुम इस साल भी स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसीडेंट की पोस्ट के लिए इलेक्शन के मैदान में उतरोगे।"

       "इससे तुम्हें क्या फायदा होगा ?"

       "मुझे तो कोई फायदा नहीं होगा, बट इससे ये डिसाइड हो जाएगा कि तुम पिछले दो इलेक्शन में अपनी रेपुटेशन की वजह से प्रेसीडेंट चुने गए थे या मेरे सपोर्ट की वजह से क्योंकि इस बार तुम्हे मेरा सपोर्ट नहीं मिलेगी।"

       "सीधे-सीधे कहो न कि तुम इस काॅलेज में सबको मेरी औकात दिखाना चाहती हो।"

        "हाँ, मैं कहना तो यही चाह रही थी लेकिन मुझे हम दोनों के पास्ट के स्वीट रिलेशन की याद आ गई, इसलिए मुझे अपनी बात को थोड़ा-सा घुमा दिया, ताकि मेरी बात भी तुम्हारी समझ में आ जाए और तुम्हारे दिल को ज्यादा चोट भी न पहुँचे।"

        "थैंक्स।"

         "थैंक्स बोलने से काम नहीं चलेगा, तुम्हें उस कैंटिन वाले को सड़क पर आने से बचाने के लिए मुझसे वो प्राॅमिश करना होगा, जो मैंने तुमसे करने के लिए कहा।"

        "ओके, मैं तुमसे प्राॅमिश करता हूँ कि मैं इस बार भी स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन में पार्टिसिपेट जरूर करूँगा।"

         "गुड, अब तुम जा सकते हो। मैं टाइमली प्रिंसिपल के पास जाकर उन्हें अपना ऑर्डर वापस लेने के लिए कह दूँगी।"

          "सुनो, तुम चाहो तो तुम सिटी इंटरकाॅलेज स्पोटर्स टूर्नामेंट में भी बैडमिंटन की गर्ल्स कैटिगिरी में इस काॅलेज को रिप्ररजेंट कर सकती हो। तुम कहो तो मैं निक्की को अपना नाम वापस लेने लगा दूँगा।"

          "इस टूर्नामेंट में तो अपने काॅलेज को रिप्रजेंट मैं ही करूँगी, पर इसके लिए मुझे तुमसे कहकर तुम्हारा और तुम्हारी फ्रेंड का अहसान लेने की जरूरत नहीं हैं। इस टूर्नामेंट में खेलना मेरा राइट हैं क्योंकि मैं इस काॅलेज की बैडमिंटन की गर्ल्स कैटिगिरी की पिछले साल की चैम्पियन हूँ और इस काॅलेज के रूल्स के एकार्डिंग काॅलेज में जब तक न्यू सेशन का स्पोटर्स टूर्नामेंट नहीं हो जाता, तब तक पिछले चैम्पियन्स को ही किसी भी इंटरकाॅलेज टूर्नामेंट में रिप्रजेंट करने के लिए फर्स्ट प्रायर्टी देना हैं, लेकिन काॅलेज के स्पोटर्स डिपार्टमेंट इस रूल्स को इग्नोर करके मेरे और निक्की के बीच मैच करवाया और निक्की के ये मैच जीतने पर मेरी जगह पर गलत तरीके से सलेक्शन कर दिया था, इसलिए प्रिंसिपल ने उस मैच को अनाॅफिसियल डिक्लियर करके निक्की के सलेक्शन को रिजेक्ट कर दिया, जिससे मेरे इस काॅलेज को रिप्रजेंट करने का रास्ता साफ हो गया।"

         "कांग्रेचुलेशंस।"

         "थैंक्स। वैसे कांग्रेचुलेशंस तो तुम्हें भी कहना चाहिए।"

         "किसलिए ?"

         "फिलहाल अभिजीत सर सस्पेंड चल रहें और काॅलेज के पास कोई अदर स्पोटर्स टीचर नहीं हैं, इसलिए प्रिंसिपल ने इस टूर्नामेंट में के लिए तुम्हें सभी गेम्स की तैयारियों के लिए काॅलेज का आॅफिसियल कोच अपाईंट किया हैं।"

        "और इस रिस्पांस्ब्लिटी के लिए मेरे नाम की सिफारिश तुमने हीं की होगी।"

         "नहीं, मैंने सिर्फ तुम्हारा नाम सजेस्ट किया था लेकिन प्रिंसिपल को तुम्हारा नाम सुनते ही परफेक्ट लगा, इसलिए उन्होंने इस रिस्पांस्ब्लिटी के लिए तुम्हारा नाम तुरंत फाइनल कर दिया और तुम्हारे लिए उन्होंने ये स्पेशल एडवायजरी भी जारी की हैं कि तुम्हें मुझ पर सबसे ज्यादा ध्यान देना हैं क्योंकि इस टूर्नामेंट में उन्हें सबसे ज्यादा उम्मीद मुझसे ही हैं। अब तुम ये बताओ कि हम लोग कबसे इस टूर्नामेंट की तैयारी शुरू करे ?"

         "तुम जबसे चाहो, तबसे अपनी तैयारी शुरू कर सकती हो, पर मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं करूँगा क्योंकि मेरे पास इस टेम्परेरी कोच की रिस्पांस्ब्लिटी उठाने के लिए टाइम नहीं हैं।"

         "तो ठीक हैं, तुम प्रिंसिपल से जाकर यही बात कह दो, ताकि उनकी तुम्हारे बारे में ये गलतफहमी दूर हो जाए कि तुम एक ऐसे आइडियल और आॅनेस्ट स्टूडेंट हो, जो इस काॅलेज का नाम रोशन करने के लिए कुछ भी कर सकते हो।"

         "हर्षित, तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे। तुम्हें प्रिंसिपल ने जो रिस्पांस्ब्लिटी दी हैं, यू विल डू ऑनेस्टली।" निक्की ने हर्षित के कंधे पर हाथ रखकर अपनी बात कही।

         "अरे, लेकिन ......?"

         "हर्षित, आर्गुमेंट क्लोज करों और चलो यहाँ से।" कहकर निक्की, हर्षित का हाथ खीचते हुए उसे मानसी और उसके ग्रुप से दूर ले गईं।
                             .................

       "निक्की, ये किस टाइप का बर्थडे पार्टी हैं यार ? मुझे यहाँ तुम्हारे अलावा कोई और नजर हीं नहीं आ रहा हैं।" हर्षित ने सरसरी निगाहों से उस कमरे का मुआयना करते हुए कहा, जो शायद निक्की के घर का ड्राइंगरूम था।

        "यहाँ मेरे अलावा कोई और इसलिए नजर नहीं आ रहा हैं क्योंकि बर्थडे पार्टी रात के साढ़े-आठ बजे शुरू होनेवाली हैं।" निक्की ने उसकी बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा।

       "तो तुमने मुझे तीन घंटे पहले हीं क्यों बुला लिया ?"

       "इसलिए, ताकि मैं अपना ट्वेंटी फर्स्ट बर्थडे को स्पेशल बर्थडे बनाने के लिए तुम्हारे साथ डिसकस कर सकूँ। क्या तुम मेरे इस ट्वेंटी फर्स्ट बर्थडे को स्पेशल बनाने के लिए मेरी हेल्प करोगे ?"

       "श्योर।"

       "थैंक्स, बैठो।"

       "निक्की, मैं तुम्हारे बर्थडे को स्पेशल बनाने में तुम्हारी हेल्प करने के लिए हाँ नहीं कहता तो तुम मुझे अपने घर से भगा देती क्या ?"

        "ये कैसी बात कर रहे हो हर्षित, मैं तो तुम्हें अपने घर से भगाने की बात तो मैं सोच भी नहीं सकती।"

         "इतना टेंशन मत लो यार, मैं मजाक कर रहा था।" 

        "ठीक हैं, पर प्लीज अब कुछ देर के लिए सीरियस हो जाओं।"

         "ओके, आई एम सीरियस नाऊ। बताओ कि तुम्हारे इस बर्थडे को स्पेशल बनाने के लिए मैं क्या हेल्प कर सकता हूँ ?"

         "मुझे तुम्हारी बस इतनी-सी हेल्प चाहिए कि तुम ऐसा कुछ करों कि आज मुझे मेरा ड्रीमब्वाय यानि मेरे सपनों का राजकुमार मेरे लिए अपने प्यार का इजहार कर दें।

         "यार, मैं तुम्हारे ड्रीमब्वाय को जानता तक नहीं तो मैं उसे तुम्हारे लिए अपने प्यार का इजहार करने के लिए कैसे कन्वेंस सकता हूँ ?"

         "गुड कोश्चन, बट तुम्हारे लिए मेरे उस ड्रीम ब्वाय को कन्वेंस करना अपने आपको कन्वेंस करने से ज्यादा मुश्किल नहीं हैं।"

        "निक्की, मैं समझा नहीं कि तुम क्या कहना चाह रही हो ?"

        "पर मुझे तो ऐसा लगता हैं कि तुम मेरी बात का मतलब समझकर भी नासमझ बन रहे हों। चलो कोई बात नहीं, मैं तुम्हें साफ शब्दों में हीं समझा देती हूँ ताकि तुम्हारे पास बात को दाएँ-बाएँ घुमाने का बहाना हीं न बचे। एक्चुअली, मैं तीन साल पहले तक तो अपने हर बर्थडे पर तुम्हें एज द बेस्ट फ्रेंड हीं मिस करती रहीं, बट अपने एट्टीन्थ बर्ड डे पर तुम्हें याद करके मेरी आँखों में आँसू आए और मेरी फ्रेंड्स ने मुझसे पूछा कि कौन हैं वो तो मेरे मुँह से तुम्हारा नाम निकल गया। इसके बाद उन लोगों ने मुझ पर बेसिर-पैर का ये ब्लैम लगा दिया कि मैं अपने बचपन के दोस्त हर्षित यानि तुमसे प्यार करती हूँ और सब लोगों की नजरों से बचकर उससे चुपके-चुपके मिलती रहती हूँ, बट कभी भी किसी लड़के के साथ इस टाइप से मेरा नाम जोड़ने पर भड़क जाने वाली मैं सिर्फ 'ऐसा कुछ नहीं हैं' बोलकर बेवजह शरमाने लग गई और उन्हें उनके इस बेसलेस ब्लैम के सच होने का यकीन हो गया।

         इसके बाद मेरी फ्रेंड्स मुझे तुमसे मिलाने के लिए परेशान करने लगी। मैं चाहकर भी पता नहीं क्यूँ उन्हें ये नहीं बता सकीं कि मुझे खुद को हीं तुमसे मिले सालों बीत चुके हैं और मुझे ये तक नहीं पता हैं कि मैं तुमसे कभी मिल भी पाऊँगी या नहीं। उल्टे मैंने तो उनसे ये कह दिया कि तुम बेहद शर्मिले होने की वजह से किसी से नहीं मिलना चाहते हो। इसके बाद उन लोगों ने मिलने की जिद तो छोड़ दी, पर तुम्हारे बारे पूछती रहती थीं और मैं जो मन में आता था, उन्हें बताती रहती थीं। मैंने अपनी इमेजिनेशन के बेस पर तुम्हारी उनके सामने जो इमेज क्रिएट की थीं, उसके एकार्डिंग तुम अपने काॅलेज के ऑइडियल एंड पापुलर स्टूडेंट थे, बट मुझे जरा सा भी यकीन नहीं था कि तुम इस टाइप के बन चुके होंगे। मुझे लगता था कि तुम बचपन में जैसे थे, वैसे हीं होंगे। बाइ द वे, मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं थीं कि तुम्हारी पर्सनाल्टी किस टाइप की हैं, क्योंकि अपनी फ्रेंड्स के साथ तुम्हारे बारे में बचपन की कुछ रियलिस्टिक बातों को छोड़कर बाकी सारी काल्पनिक बातें करते-करते तुम्हारे लिए मेरा प्यार दीवानगी उस की हद पार कर चुका था, जहाँ पहुँचने के बाद किसी भी इंसान को उस पर्सन की पर्सनाल्टी नहीं बल्कि सिर्फ उसका साथ मायने रखता हैं, जिसे वो प्यार करता हैं। मेरी प्राॅब्लम तो ये थीं कि तुम्हें खोजू कैसे ? मैंने कई सोशल मीडिया पर भी तुम्हें खोज-खोजकर थक गई, बट तुम किसी प्लेटफार्म पर नहीं मिले और तुम्हें खोजने का कोई दूसरा माध्यम भी नहीं था, सो मैं ये मान बैठी थीं कि इतनी बड़ी दुनिया में मैं तुम्हें कभी नहीं खोज पाऊँगी।
        
          बट जब मेरे पापा का इत्तफाक से इस बार उसी शहर में ट्रांसफर हुआ और हम लोग इत्तफाक से उसी काॅलोनी में रहने आए, जहाँ तुम रहते थे तो मुझे यकीन हो गया कि हम लोग एक-दूसरे के लिए हीं बने हैं। पर जब मुझे अहसास हुआ कि तुम और मानसी एक-दूसरे से प्यार करते हो तो मेरा दिल टूट गया और मुझे लगा कि मैं सिर्फ तुम्हारी दोस्त हीं बनकर हीं रह जाऊँगी, बट मानसी ने एक छोटी-सी बात के लिए तुम्हारी इन्सल्ट करके तुमसे अपना रिश्ता तोड़ लिया तो मुझे दुबारा ऐसा लगने लगा कि तुम्हारा साथ मेरे ही में नसीब में लिखा हैं, इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं अपने इस बर्थडे पर तुमसे एज द बर्थडे गिफ्ट लाइफ टाइम के लिए तुम्हारा साथ माँग लूँगी। क्या तुम मेरे बर्थडे पर अपनी बेस्ट फ्रेंड को उसकी च्वाइस की गिफ्ट दोगे ?"

        "इसका आन्सर मैं तुम्हें बाद में दूँगा, अभी तुम जल्दी से गेट खोल दो क्योंकि तुम्हारी हिटलर मम्मी मुझे इस ट्रांसपरेंट विंडो में से गेट के बाहर खड़ी नजर आ रहीं हैं।"

       "ओह नो यार, ये भूतनी इतनी जल्दी मार्केट से वापस क्यूँ आ गई ? कहते हैं कि माँ बिना कहे बेटी के दिल की बात समझ जाती हैं पर लगता हैं कि ये कहावत इन जैसी माँ के लिए नहीं बनी हैं।" कहते हुए बुरा-सा मुँह बनाकर निक्की गेट खोलने चली गई।
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#11
चक्रव्यहू (6th Part)


        "आंटी, आज निक्की काॅलेज क्यों नहीं आयी थीं ?" गेट खोलने वाली महिला से हर्षित ने पूछा तो उसने एक तरफ हटते हुए जवाब में कहा- "पहले तुम अंदर आ जाओ, फिर बताती हूँ।"

        "बेटा, अच्छा हुआ कि तुम आ गए। मैं खुद तुम्हें बुलाने वाली थीं, पर मेरे पास तुम्हारा कोई काॅन्टेक्ट नम्बर भी नहीं था और मुझे तुम्हारा घर भी पता नहीं था, इसलिए मेरे पास तुम्हारा वेट करने के अलावा कोई चारा नहीं था।" हर्षित के अंदर आने के बाद गेट खोलने वाली महिला ने उसे बताया।

        "क्यों, क्या हुआ ?"

        "निक्की कल रात को तुम्हारे जाने के बाद से बहुत अजीब बर्ताव कर रही हैं। वो रात को बिना खाना खाएँ अपने कमरे में चली गई और तब से अभी तक उस कमरे से बाहर नहीं निकली। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर रखा हैं और मेरी बात का 'हाँ' और 'ना' के अलावा कोई जवाब भी नहीं दे रही हैं। उसके पापा ने भी ऑफिस जाने से पहले उससे बात करने की काफी कोशिशें की, लेकिन उनकी कोशिशों का भी कोई नतीजा नहीं निकला। समझ में नहीं आ रहा हैं कि इस लड़की का क्या करूँ ?"

        "डोंट वरी आंटी, मैं उससे बात करके देखता हूँ।" कहकर हर्षित ने एक कमरे के सामने जाकर उसके दरवाजे पर दस्तक दी और बोला- "निक्की, प्लीज ओपन द डोर।"

        "हर्षित, तुम चले जाओं, मैं गेट नहीं खोलूँगी।" उसे अंदर से जवाब मिला।

        "अरे यार, तुम क्यों इस तरह बेवजह आंटी को परेशान कर रहीं हो ?"

        "तुम्हें अपनी आंटी की इतनी चिंता हैं तो उनकी केयर करने के लिए अपने घर ले जाओ। मेरा सर क्यूँ खा रहे हो ?"

        "अरे, लेकिन बताओ तो सही कि तुम गुस्सा किस वजह से हो ?"

        "देखो, तुम वजह पता होने के बावजूद अनजान बनने का ड्रामा करके मुझे परेशान करोगे तो मैं मम्मी के सामने हीं वजह बता दूँगी।"

        "तुम्हें अपने गले को तकलीफ देने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि मैं खुद हीं तुम्हारी कल रात से की जा रही इस नौटंकी की वजह आंटी को बता रहा हूँ।"

        "ओके, बता दो।"

        "क्या बात हैं बेटा ?" गेट खोलने वाली महिला ने हर्षित से पूछा।

         "आंटी, ये बात सुनने में आपको बहुत अजीब लगेगी बट मेरे पास इसे आपके साथ शेयर करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं हैं, इसलिए बता रहा हूँ। एक्चुअली बात ये हैं कि निक्की को एक लड़के से प्यार हो गया हैं और .....।"

          "बस, अब तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं हैं। तुम सिर्फ कैसे भी करके इस दरवाजे को तोड़ दो और चले जाओ। इसके बाद मैं पाँच मिनट के अंदर उसका प्यार का भूत उतार दूँगी।"

         "आंटी, आपको निक्की को लेकर परेशान होने या उसे सबक सिखाने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि उसे जिस लड़के प्यार हुआ हैं, वो मैं हीं हूँ और मैंने उसका प्रपोजल एक्सेप्ट भी नहीं किया।"

       "अच्छा, इसलिए ये कल रात से भूखी-प्यासी रहकर तुम पर अपना प्रपोजल एक्सेप्ट करने के लिए प्रेशर बना रहीं हैं।"

       "हाँ, क्योंकि मुझे पता था कि ये महाशय कल रात से यहीं रूके हुए हैं।" कमरे का गेट खोलकर निक्की ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।

       "ये यहाँ रूका हुआ नहीं था, पर तुम्हें पता था कि तुम्हारे आज काॅलेज न जाने और इसकी काॅल रिसीव न करने पर ये तुम्हारे बारे में पूछने जरूर आएगा और मुझसे इसे तुम्हारी कल रात से अभी तक की गई नौटंकी के बारे में पता चल जाएगा।"

        "हाँ, मुझे ये पता था, पर मुझे इस बात की उम्मीद बिलकुल नहीं थी कि हर्षित और आप मेरे सच्चे प्यार को नौटंकी कहेगी।"

        "क्या जमाना आ गया हैं ? दूध के दाँत टूटते नहीं और लोगों को प्यार हो जाता हैं। हर्षित, तुमने इसकी अनर्गल माँग को ठुकराकर बहुत सही किया। आज से तुम मेरे बेटे हो और ये ...........।"

        "मेरी बहू हैं, यही कहना चाह रही थीं न आप ?"

        " हे भगवान, कितनी बेशर्म हैं ये लड़की ? ऐसी लड़की देने से तो अच्छा था कि .....।"

         "मुझे हर्षित जैसा एक बेटा दे देते, ताकि मैं इसे अपनी बहू बनाकर उम्रभर इस पर ताने मार-मारकर अपना खाना पचाती रहती, पर अफसोस की बात हैं कि गायत्री देवी की न हर्षित पुत्र रत्न पाने की इच्छा पूरी हुई और न निक्की जैसी किसी मासूम-सी लड़की को अपनी बहू बनाकर जिंदगी भर उस पर तंज कसते रहने की, बाय।" कहकर निक्की ने दुबारा अपने कमरे का गेट बंद कर लिया।

          "आन्टी, आप उसे समझा-बुझाकर गेट खुलवा लीजिएगा और कुछ खिला-पिला दीजिएगा। मैं जा रहा हूँ।" माँ-बेटी की बातचीत के दौरान हीं काफी असहज हो चुके हर्षित ने निक्की के गेट बंद करते हीं वहाँ से खिसक जाने की कोशिश की।

         "इसे कुछ समझाने-बुझाने या खिलाने-पिलाने के लिए मुझसे मत कहो क्योंकि घंटों खुशामद करके इसे मनाना मेरे बस की बात नहीं हैं।"
          
         "कोई बात नहीं, मैं उसे मना लूँगा।"
          
         "बेटा, मेरी नेक सलाह मानो और उसे उसके हाल पर छोड़ दो। जब भूख उसके बर्दाश्त से बाहर हो जाएगी तो खुद हीं कुछ खा-पी लेगी। तुमने आज यदि उसकी खुशामद करके उसे सर पर चढ़ा लिया तो वो हमेशा तुम्हें वैसे ही अपने इशारो पर नचाएगी, जैसे उसके पापा को नचाती हैं।"
         
        "नचाने दो आंटी, नादान की दोस्ती की हैं तो उसकी सजा तो भुगतनी हीं पड़ेगी।"

         "ठीक हैं, तुम नहीं मान रहे तो फिर नाचों इसकी उंगलियों के इशारों पर।" कहकर गायत्री दूसरे कमरे में चली गई।
                              ................

        "तुम्हारी स्कूटी में कोई प्राॅब्लम आ गई क्या ?" अगले दिन हर्षित ने निक्की के कमरे में दाखिल होते हुए सवाल किया।

       "नहीं।" निक्की ने अपना काॅलेज का बैग पैक करते हुए जवाब दिया।

       "तो मुझे काॅल करके क्यों कहा कि तुम आज मेरे साथ काॅलेज जाओगी ?"

        "क्योंकि मुझे आज तुम्हारे साथ काॅलेज जाना हैं। तुम्हें मुझे अपने साथ लेकर जाने में कोई प्राॅब्लम हैं ?"

        "मुझे कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, बट मेरी मम्मा ने तुम्हें मेरी बाइक पर बैठकर जाते देख लिया तो फिर हम दोनों कभी नहीं मिल पाएँगे।"

         "क्यूँ ?"

        "उन्हें मेरी किसी भी सेम एज गर्ल के साथ नजदीकियाँ पसंद नहीं हैं।"

         "ओके, बट व्हाय ?"

         "इसका रिजन मुझे नहीं पता। बाइ द वे, आज तुम डेली की तरह अपनी स्कूटी से काॅलेज न जाकर मेरे साथ क्यों जाना चाहती हो।"

         "क्योंकि मैं आज से लड़कियों की तरह रहना शुरू कर रही हूँ और मैं इसकी शुरुआत अपनी स्कूटी से कहीं भी अकेले आना-जाना बंद करके करना चाह रही थीं।"

         "ओह ! इसका मतलब ये हुआ कि मैडम ने मेरी कल शाम को मजाक में कही बात को दिल पर ले लिया।"

         "हाँ, और अब मैं हमेशा ट्रेडिशनल इंडियन गर्ल्स की तरह ही रहूँगी।

         "ओके, बट तुमसे ये किसने कह दिया कि ट्रेडिशनल इंडियन गर्ल्स की तरह रहने के लिए अपने व्हीकल से कहीं अकेले आना-जाना बंद करना जरूरी हैं ?"

         "तो क्या करना जरूरी हैं ?"

         "कुछ खास नहीं, बस माथे पर बिंदी और आँखों में काजल, कान में कुण्डल, हाथों में कंगन और पाँवो में पायल, चेहरे पर सौम्यता और व्यवहार में विनम्रता होनी चाहिए।"

          "यार, मानसी ने तो कभी ऐसा कुछ नहीं किया, फिर भी तुमने उसे अपने दिल में जगह दे दी थीं और मुझे दिल में जगह देने के लिए इतनी सारी कंडिशन्स रख रहे हो। कहीं इसकी वजह ये तो नहीं हैं कि वो बहुत हाई क्लास फेमिली की लड़की हैं और मैं लोअर मिडिल क्लास फेमिली की लड़की हूँ ?"

           "ऐसा कुछ नहीं हैं और तुम्हारी ये सोच भी गलत हैं कि मैं तुम्हें अपने दिल में जगह देने के लिए तुम्हारे सामने कोई कंडिशन रख रहा हूँ क्योंकि मैंने तुम्हें ये जो कुछ बताया, वो मेरा प्यार पाने की कंडिशन्स नहीं हैं बल्कि ट्रेडिशनल इंडियन गर्ल्स की क्वालिटिज हैं जो तुम्हारे मुझसे पूछने की वजह से मैंने तुम्हें बताई, न कि मैंने तुम्हें तुम्हारी मर्जी न होने के बावजूद भी अपनाने के लिए बताई। तुम्हारी ये बात भी गलत हैं कि मानसी हाई क्लास फेमिली की हैं, इसलिए मैंने उसके सामने बिना कोई कंडिशन रखें उसे अपने दिल में जगह दे दीं थीं और तुम एक जनरल फेमिली की लड़की हो, इसलिए मैं तुम्हें अपने दिल में जगह देने के लिए तुम्हारे सामने इतनी सारी कंडिशन्स रख रहा हूँ। मैंने मानसी के सामने सिर्फ एक हीं कंडिशन रखी थीं और वही तुम्हारे सामने रख रहा हूँ जो ये हैं कि कभी ऐसा कोई काम मत करना, जिसके वजह से मेरे और तुम्हारे रास्ते अलग हो जाए क्योंकि ऐसा होने पर मजबूरन मुझे अपना रास्ता छोड़कर तुम्हारे पीछे आने की जगह तुम्हारा साथ छोड़ने का विकल्प चुनना पड़ेगा।"

         "हर्षित, मैं तुमसे प्राॅमिश करतीं हूँ कि मैं कभी ऐसा कोई काम नहीं करूँगी, जिसकी वजह तुम्हारे और मेरे रास्ते अलग हो जाएँगे और तुम्हें मेरा साथ छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, पर तुम मेरी एक इतनी-सी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लो कि मुझसे अनजाने में कभी कोई भूल हो गई तो मुझे उसका अहसास दिलाकर मुझे कोई भी सजा दे देना, पर मेरा साथ मत छोड़ना।"

        "डोंट वरी, मैं बिना वार्निंग दिए तुम्हारा साथ नहीं छोड़ूँगा।"

         "बट तुमने मानसी साथ तो उसे वार्निंग दिए बिना हीं छोड़ दिया था।"

         "तुम गलत बोल रही हो। मानसी का साथ मैंने नहीं छोड़ा, बल्कि उसने खुद मेरे रास्ते से अलग रास्ता चुनकर मेरा साथ छोड़ दिया।"

         "पर ऐसा कभी नहीं करूँगी।"

         "थैंक्स।"

         "थैंक्स नहीं, वो सेंटेंस कहो जिसे सुनने के लिए मेरे सदियों से कान तरस रहें हैं।"

          "सदियों से ?"

          "हाँ यार। मेरी ख्वाहिश हैं तो ढहाई-तीन साल ही पुरानी, पर ऐसा लग रहा हैं कि मेरी ये ख्वाहिश सदियों पुरानी हैं क्योंकि जब हमें किसी से प्यार हो जाता हैं तो उसके साथ पाने के लिए बिताए गए इंतजार के एक-एक पल बरसों से भी ज्यादा और एक-एक दिन सदियों से भी ज्यादा लम्बे लगते हैं।"

          "एक कोश्चन करूँ ?"

          "श्योर।"

          "यदि मानसी का इगो हम दोनो के प्यार के बीच नहीं आता और वो मेरा साथ नहीं छोड़ती तो तुम क्या करती ?"

         "वही जो ढहाई-तीन साल से करती आ रही थीं।"

          "यानी ?"

          "अकेले में आँसू बहाकर मन का बोझ हल्का करती रहती।"

         "ये आँसू बहाने की आदत तुम्हारे अंदर कब से आ गई ?"

          "जबसे मुझे मेरे लड़की होने का अहसास हुआ।"

          "यानि, ढहाई-तीन साल से ?"

          "हाँ।"

          "तुम परसो रात को भी रोई थीं क्या ?"

          "हाँ।"

          "साॅरी यार, मैंने तुम्हें तुम्हारे बर्थडे के दिन खुशियाँ देने की जगह रूलाया।"

         "बर्थडे के दिन नहीं, बर्थडे की रात में तुमने मुझे रूलाया। बर्थडे के दिन दिनभर तो मैं ये सोचकर खुश थीं कि आज मेरी सदियों पुरानी तमन्ना पूरी हो जाएगी।"

        "अब तो तुम्हारी वो तमन्ना पूरी हो गई न ?"

        "कहाँ यार, तुमने मुझसे अपने प्यार का इजहार किया हीं नहीं तो मेरी तमन्ना कैसे पूरी हो जाएगी ?"

        "कर तो दिया यार। डायरेक्ट भले ही नहीं किया, पर इनडायरेक्ट तो मैं कल हीं तुमसे अपने प्यार का इजहार कर चुका हूँ।"

         "बट मैं डायरेक्ट तुम्हारे मुँह से सुनना चाहती हूँ।"

         "निक्की, बिना कहे ऐसे हीं समझ लो न।"

         "अरे, पर तुम कह दोगे तो क्या नुकसान हो जाएगा ?"

         "नुकसान तो कुछ नहीं होगा, पर मुझे कहने में झिझक हो रही हैं।"

         "हर्षित, तुम इतने शर्मिले क्यूँ हो ?"

         "क्योंकि ये एक संस्कारी लड़का हैं, तुम्हारी तरह ढीठ और बेशर्म नहीं हैं।" गायत्री ने कमरे में दाखिल होते हुए निक्की के सवाल का जवाब दिया तो निक्की ने बुरा-सा मुँह बनाकर दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ लिया।

          "सुनो, तुम तो बिगड़ हीं गई हो, अब तुम अपने बराबर इसे मत बिगाड़ों। तुम्हें ये मैं लास्ट बार वार्निंग दे रही हूँ। इसके बाद भी मुझे तुम्हारी ऐसी हरकत नजर आयी तो मुझे इस लड़के को बिगड़ने से बचाने के लिए तुम्हारा इससे मिलना बंद कराना पड़ेगा। बात समझ में आयी या नहीं ?"

         "आ गई।" कहने के साथ हीं निक्की अपना बैग और स्कूटी की चाबी उठाकर बाहर निकल गई।

          "साॅरी आंटी।" कहने के साथ हीं हर्षित के चेहरे पर अफसोस के भाव उभर आएँ।

         "बेटा, तुम क्यों साॅरी बोल रहे हो ? तुमने तो कुछ गलत किया हीं नहीं।" 

          "जी आंटी, बट निक्की के पैर फिसलने की वजह तो मैं हूँ न ?"

          "हाँ, लेकिन ये तो अच्छा हुआ बेटा कि उसका पैर सेफ जगह पर फिसला।"

          "बट आंटी ....।"

         "कुछ मत बोलो बेटा, बस इतना समझ लो कि निक्की अब तुम्हारी जिम्मेदारी हैं। हाँ, पर यदि तुम निक्की को अपने लायक नहीं समझते हो तो मुझे बता दो, मैं उसे समझा-बुझाकर तुमसे दूर कर दूँगी।"

      
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#12
    "आंटी, ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। एक्चुअली आप भले हीं निक्की को गलत समझती हैं, बट मेरी नजरों में निक्की बेहद समझदार, काफी इन्ट्लीजेन्ट और हद से ज्यादा अच्छी लड़की हैं। उसका मेरे साथ रिश्ता जुड़ना उसका नहीं, बल्कि मेरा गुड लक हैं।"

        "इस बात के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा कि तुमने ऊपर से जिद्दी और गैरजिम्मेदार नजर आनेवाली मेरी बेटी के व्यक्तित्व की छुपी हुई खासियतों को समझा और उसकी कद्र की।"

        "थैंक्स आपको भी कि आपने मुझे निक्की के लायक समझा। ओके आंटी, अब मैं जा रहा हूँ। आप निक्की की ओर से बेफिक्र रहिए। मेरा आपसे प्राॅमिश हैं कि हम दोनों एक-दूसरे के लाइफ-पार्टनर बनते तक एक-दूसरे के साथ उसी तरह रहेंगे, जैसे आज तक रहते आ रहे थें।"

        "थैंक्स बेटा।" इतना सुनने के बाद हर्षित भी कमरे से बाहर निकल गया ।
                           .....................

          "यार, मुझे लगता हैं कि हमारे काॅलेज की उम्मीद की ये आखिरी ज्योति भी बुझ जाएगी।" लम्बे-चौड़े ग्राउंड में बैडमिंटन कोर्ट के करीब बैठे हर्षित से निक्की ने कहा तो हर्षित के चेहरे पर नजर आ रहे निराशा के बादल और घने हो गए।

         "मुझे भी ऐसा हीं लग रहा हैं।" हर्षित ने निक्की की बात पर अनमने स्वर में प्रतिक्रिया व्यक्त की।

         "तो कुछ करों न, इस तरह से हाथ पर हाथ रखकर क्यूँ बैठे हो ? आज मानसी भी ये मैच हार गई तो तुम्हारे सर पर सुपर फ्लाप कोच का ठप्पा लग जाएगा।"

        "अरे, मैं क्या कर सकता हूँ यार ? हमारे काॅलेज के स्पोर्ट्स टीचर के चेहरा देखकर प्लेयर्स का सलेक्शन करने की गंदी पाॅलिसी की वजह हर गेम्स का लेबल इतना नीचे गिर चुका हैं कि उसे ऊपर उठाने के लिए काफी लांग पीरियड तक काम करने की जरूरत हैं और मुझे सिर्फ पंद्रह दिनों का टाइम मिला था। इन पंद्रह दिनों में भी इस लड़की ने प्रैक्टिश की जगह मुझ पर तंज कसने पर ज्यादा फोकस किया और अभी भी मैडम अपने गेम पर कान्संस्ट्रेट करने की जगह हमें एग्रेशन दिखाने में लगी हुई हैं।"

       "तुम्हारी बात बिल्कुल सही हैं। ये इसी वजह से पहला सेट हार चुकी हैं और दूसरे सेट में भी काफी बड़े मार्जिन से पिछड़ रहीं हैं, अदरवाइज ये इतनी खराब प्लेयर नहीं हैं, जितना खराब खेल रहीं हैं। इसने इसी तरह से खेलना जारी रखा तो ये मैच तीसरेे सेट तक भी कैरी नहीं होगा। तुम कहो तो मैं कुछ करके इसे समझाने और कुछ टिप्स देने की कोशिश कर सकती हूँ।"

        "ऐसा कुछ कर सकती हो तो जरूर करों यार, क्योंकि इसके ये मैच हारने पर हमारे काॅलेज का इस टूर्नामेंट में कोई भी मैडल न पाने का खराब रिकॉर्ड बन जाएगा और हमारे साथ-साथ इस ग्राउंड में मौजूद हमारे काॅलेज के सैकड़ों स्टूडेंट्स और पूरे काॅलेज-स्टाफ का सिर शर्म से झुक जाएगा। पर सुनो, मानसी को टिप्स देने के चक्कर में तुम्हें कुछ उल्टा-सीधा सुनना पड़ जाए तो उसका गुस्सा मेरे ऊपर मत उतारना।"

         "ठीक हैं, मैं अपनी रिस्क पर उसे एडवाइज देने की कोशिश कर लेती हूँ लेकिन इस काम के बदले तुम्हें मुझे कुछ देना पड़ेगा।"

          "ओके, मैं इस काम की एवज में तुम मेरी बाइक पर मेरे गले में हाथ डालकर बैठने की डिमांड छोड़कर तुम जो चाहोगी, वो दूँगा। बोलो, तुम्हें क्या चाहिए ?"

         "कुछ नहीं।"

          "क्यों ?"

          "जो मैं माँगना चाह रही थीं, उसे तो तुमने पहले हीं ब्लैक लिस्ट में डाल दिया तो अब मैं किस चीज की डिमांड करूँ ?"

         "तो क्या तुम मानसी को फ्री आॅफ काॅस्ट एडवाइज दोगी ?"

         "ऐसा ख्वाब में भी मत सोचना, क्योंकि बिना किसी बेनिफिट के ऐसे फालतू काम करने के लिए मेरे पास टाइम नहीं हैं।"

         "तुम कितनी सेल्फिस हो यार ?"

         "सेल्फिस नहीं हूँ मैं, पर मुझे तुम्हारी तरह बेवजह महानता दिखाने का शौक भी नहीं हैं।"

          "जाओं, मैं तुम्हारी डिमांड पूरी करने के लिए तैयार हूँ पर तुम्हें ये सब करने की छूट सिर्फ एक दिन के लिए मिलेगी।"

         "ठीक हैं, मैं जा रही हूँ।"

         "वाटर बाटल और तौलिया लेकर जाओं, अदरवाइज अम्पायर्स तुम्हें उससे बात करने के लिए मैच ब्रेक नहीं करेंगे।"

         "ओके बाॅस।" कहकर निक्की ने हर्षित की चेयर के सामने बैग पर रखा तौलिया और बगल में रखी पानी की बाटल उठाई और बैडमिंटन कोर्ट के उस ब्लॉक के करीब जाकर खड़ी हो गई, जिस तरफ मानसी मौजूद थीं।

         "अरे, मैंने तो पानी माँगा हीं नहीं, फिर तुम क्यों पानी लेकर आ गई ?" मैच में एक पाईंट गँवाने के बाद मानसी ने अम्पायर से इशारो में शार्ट ब्रेक लेने की परमिशन लेकर निक्की के करीब आकर रूखे स्वर में कहा।

        "मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं।" जवाब में निक्की ने भावहीन स्वर में कहा।

        "पर मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी हैं।"

         "मानसी, मेरी बात को समझने की कोशिश करों। इस वक्त तुम यहाँ खुद को या अपनी फेमिली को रिप्रजेंट नहीं कर रही हो, बल्कि तुम हमारे काॅलेज को रिप्रजेंट करनेवाली एक प्लेयर के तौर पर इस मैच में पार्टिसिपेट कर रही हो। तुम्हारे ऊपर इस ग्राउंड पर मौजूद हमारे काॅलेज के सैकड़ों स्टूडेंट्स और पूरे काॅलेज-स्टाफ की आशाभरी निगाहें टिकी हुई हैं, इसलिए तुम्हें एक-दो लोगों को अपना एग्रेशन दिखाने के लिए इतना इर्रिस्पांसिबल तरीके से खेलने का राइट नहीं हैं। इस समय तुम्हें सारे पर्सनल डिसपुट्स को भूलकर एक सींसियर और प्रोफेशनल प्लेयर की तरह गेम को सीरियसली लेने की जरूरत हैं।"

         "मैं भी वही करने की कोशिश कर रही हूँ लेकिन सामने वाली प्लेयर मुझसे काफी ज्यादा अच्छा खेल रही हैं तो मैं क्या कर सकती हूँ ?"

         "सामने वाली प्लेयर तुमसे ज्यादा अच्छा नहीं खेल रही हैं, बल्कि तुम उससे खराब खेल रही हो। तुम जरूरत ज्यादा अटैक कर रही हो और इस वजह से जल्दी थककर उसे बैठें-बिठाए पाईंट्स हासिल करने के मौके दे रही हो।"

        "हाँ, मुझे भी ऐसा हीं लग रहा हैं, पर अब क्या हो सकता हैं ?"

          "बहुत कुछ हो सकता हैं, उसे अभी भी ये सेट जीतने के लिए तीन पाईंट्स चाहिए और किसी भी अच्छे प्लेयर के लिए सेट मे वापसी करने के लिए इतना चांस काफी हैं।"

          "मेरा खोया हुआ कान्फिडेस वापस दिलाने के लिए थैंक्स। क्या तुम मुझे इस सेट में वापसी करने के लिए कुछ टिप्स दे सकती हो ? तुम स्टेट लेबल की प्लेयर हो, इसलिए तुम्हारे टिप्स मेरे बहुत काम आ सकते हैं।"

         "मैं तुम्हें कुछ टिप्स देने के लिए हीं तुम्हारे पास आयी हूँ। ये लो, तुम अपने फेस का पसीना साफ करके पानी पीओ, फिर मैं बताती हूँ कि तुम्हें इस सेट में कैसे वापसी करनी हैं और अगला सेट किसे जीतना हैं।"

         "थैंक्स।"

         "सुनो, सामने वाली लड़की तुमसे ज्यादा पाॅवरफुल लग रही हैं, पर चुस्ती-फुर्ती के मामलें में वो तुमसे काफी वीक नजर आ रही हैं, इसलिए तुम सर्विस के जस्ट बाद अटैक करने की जगह पहले डिफेंसिव खेलकर उसे थकाने की कोशिश करों और फिर अटैक करों। और सुनो, अंडर आर्म डिफेंसिव शाॅट खेलते समय शटल को ज्यादा ऊँची मत उठाया करों क्योंकि उसका जम्प स्मैश मेरे जैसा हीं बेहद पाॅवरफुल हैं और वो तुम्हारी इसी गलती का फायदा उठाकर जम्प स्मैश के थ्रू आसानी से पाईंट्स बटोर रही हैं। आई थिंक, इस मैच को जीतने के लिए इतनी टिप्स काफी हैं। अब तुम अपने मन में ये प्रूव करने का जुनून लेकर आगे के गेम पर कान्संस्ट्रेट करों कि तुम यहाँ अपनी एबिलिटी के दम पर खेल रहीं हो, न कि किसी की सिफारिश या फेवर की वजह से, बेस्ट आॅफ लक।" मानसी से अपनी बात कहने के बाद निक्की उससे तौलिया और पानी की बाॅटल लेकर हर्षित के पास वापस आ गई।

         दुबारा मैच शुरू हुआ तो मानसी अपनी प्रतिद्वंद्वी पर पूरी तरह से हावी हो गई और उसने लगातार दस पाईंट हासिल करके दूसरा सेट जीत लिया। इसके बाद उसने तीसरे सेट में तो एकतरफा जीत दर्ज करके मैच 2-1 से अपने नाम कर लिया।

         मैच खत्म होने के बाद मानसी ग्राउंड पर उभरने वाली 'मानसी-मानसी' की आवाज और उसे बधाई देने के लिए खड़े छात्र-छात्राओं को नजरअंदाज करके भागकर निक्की के पास पहुँचीं और उसके गले गईं।

        "थैंक यू सो मच निक्की, ये मैच मैं सिर्फ तुम्हारी टिप्स की वजह से जीती हूँ। यू आर सो अमेजिंग एंड सो ग्रेट मोटिवेटर।" निक्की से गले मिलकर अलग होने के बाद मानसी ने उससे कहा।

       "नहीं यार, ये मैच जीतने में तुमने बहुत एफड लगाया, इसलिए इस मैच जीतने का पूरा क्रेडिट तुम्हें हीं जाता हैं। कांग्रेचुलेशंस फाॅर योर सो नाइस विन।"

        "थैंक्स, बट अब मेरे अगले मैच की तैयारी तुम्हें ही करानी पड़ेगी।"

        "डोंट वरी, मैं तुम्हारी अगले हीं मैच कीं हीं नहीं, बल्कि उसके अगले मैच और उसके अगले टूर्नामेंट की भी तैयारी करा दूँगी।"

         "थैंक्स निक्की।" कहने के बाद हर्षित पर एक उपेक्षाभरी निगाह मारकर मानसी आने बढ़ गई।
                              ................

         "हर्षित, क्या मैं जान सकतीं हूँ कि तुम इस वक्त कहाँ हो ?" काॅलर ने सवाल किया।

         "घर से काॅलेज के लिए निकल रहा हूँ।" हर्षित ने अनमने ढंग से जवाब दिया।

          "ओके। एक्चुअली, मैंने तुम्हें ये इन्फार्म करने के लिए काॅल की कि आज स्टूडेंट यूनियन के इलेक्शन में पार्टिसिपेट करने के इच्छुक सभी कैंडिडेट्स के लिए अपने फाॅर्म जमा करने की लास्ट डेट हैं और इस बार भी हमारी पैनल ने इस इलेक्शन में प्रेसीडेंट के लिए तुम्हें हीं कैंडिडेट बनाने का डिसिजन लिया हैं, इसलिए तुम जल्दी से काॅलेज आकर मुझसे अपनी कैंडिडेटशीप का लेटर ले लों।"

        "थैंक्स मानसी, बट मुझे लगता हैं कि मुझे इस बार प्रेसीडेंट का कैंडिडेट बनाने का डिसिजन हमारी पैनल का नहीं हैं, बल्कि तुम्हारा अकेले का हैं जो तुमने पैनल पर जबरन थोपा हैं।"

        "यू आर एब्सॅल्यूटली राइट। इस बार पैनल के ज्यादातर मेम्बर्स तुम्हें कैंडिडेटशीप दिए जाने के लिए रखे गए मेरे प्रपोजल का अपोज कर रहे थे, बट मैंने अपने को-ऑर्डिनेटर होने के स्पेशल पाॅवर का यूज करके तुम्हारी कैंडिडेटशीप फाइनल कर दीं।"

         "और मुझ पर ये अहसान तुमने इसलिए किया कि मैं हम लोगों की पैनल से कुछ और समय तक जुड़ा रहूँ और तुम्हें मुझे हिकारतभरी निगाहों से घूरने और मुझ पर तंज कसने का मौका मिलते रहे, एम आई राइट ?"

         "नो, यू आर एब्सॅल्यूटली रांग दिस टाइम। एक्चुअली मैंने ये अहसान तुम पर इसलिए किया, ताकि इस इलेक्शन से भागने का तुम्हारे पास कोई बहाना न रहे। यदि मैं तुम्हें इस बार हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप नहीं दिलाती तो तुम्हें इस इलेक्शन से ये कहकर भागने का बहाना मिल जाता कि जिस पैनल से तुम तीन साल से जुड़े हो और जिसकी कैंडिडेटशीप मिलने की वजह से दो बार प्रेसीडेंट बन चुके हो, उससे बगावत करके इलेक्शन लड़ने के लिए तुम्हारा जमीर आपको इजाजत नहीं दे रहा हैं।"

         "मानसी, तुम्हारी आशंका बिलकुल बेबुनियाद हैं। ये बात सही हैं कि मेरा जमीर मुझे अपनी पैनल से बगावत करके इलेक्शन लड़ने की इजाजत नहीं दे रहा हैं पर मैंने तुमसे प्राॅमिश किया हैं कि इस बार मैं तुम्हारी सपोर्ट के बिना इलेक्शन लड़कर काॅलेज में अपनी हैसियत का टेस्ट दूँगा, इसलिए मैंने इस बार बिना किसी पैनल की सपोर्ट लिए इलेक्शन लड़ने का फैसला किया हैं।"

          "तो क्या आप हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप एक्सेप्ट नहीं करोगे ?"

           "नहीं, क्योंकि इसका मतलब इस बार भी तुम्हारी सपोर्ट लेना होगा और तुम्हारी सपोर्ट लेकर जीतने में न मुझे मजा आएगा और न मेरे हारने पर तुम्हें मजा आएगा, इसलिए इस बार मैं एज द इंडिपेंडेंट कैंडिडेट इलेक्शन फेस करूँगा, ताकि जीता तो तुम्हारी ये ओपिनियन फाल्स प्रूव हो जाए कि मैं पिछले दो साल से स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसीडेंट तुम्हारी सपोर्ट की वजह से रहा हूँ और हारा तो तुम्हें सेलिब्रेट करने का मौका मिल जाए।"

         "हर्षित, तुम्हारा इंडिपेंडेंटली इलेक्शन फेस करने का इरादा था तो तुम्हें मुझे इसके बारे में इलेक्शन प्रोसेस शुरू होते हीं इन्फार्म करना चाहिए था, लेकिन तुम लास्ट डेट तक साइलेंट रहे और एज द इन्डीपेंडेन्ट कैंडिडेट आॅर एज द अदर पैनल्स कैंडिडेट तुमने फाॅर्म भी सबमिट नहीं किया, इसलिए मैंने तुम्हारी इस खामोशी को हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप के लिए इंतजार समझकर आपका नाम फाइनल कर दिया। अब तुम इस तरह लास्ट डेट पर  कैंडिडेटशीप ठुकरा दोगे तो इस बार हमें इस सबसे इम्पाॅर्टेंट सीट को वेकेंट छोड़नी पड़ेगी, क्योंकि आज के आज किसी दूसरे कैंडिडेट का सलेक्शन करना पाॅसिबल नहीं हैं, इसलिए प्लीज तुम मेरे साथ अपने पर्सनल डिसपुट्स भूलकर हमारी पैनल की भलाई के लिए अपनी कैंडिडेटशीप एक्सेप्ट कर लो। मैं तुमसे प्राॅमिश करती हूँ कि मैं तुम्हें किसी भी तरह से परेशान नहीं करूँगी और तुम्हें डायरेक्ट सपोर्ट भी नहीं करूँगी, ताकि तुम्हारी हार-जीत सिर्फ तुम्हारी और हमारी पैनल की हो।"

         "सुनो मानसी, मेरी बात समझने की कोशिश करों। मुझे कैंडिडेटशीप देने में पैनल की भलाई नहीं होगी, बल्कि संगठन का नुकसान हीं होगा, क्योंकि मेरा तुम्हारे साथ ब्रेक-अप होने के बाद से पैनल के ज्यादातर मेम्बर्स मेरे खिलाफ हो चुके हैं और वे लोग किसी भी सिच्युएशन में मेरी कैंडिडेटशीप को दिल से एक्सेप्ट नहीं करेंगे, जिससे हमारी पैनल गुटबाजी की शिकार हो जाएगी और इससे पैनल को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, इसलिए तुम मुझे कैंडिडेटशीप लेने के लिए कन्वेंस करने की जगह अपनी एनर्जी कोई दूसरा कैंडिडेट खोजने में लगाओ। वैसे मेरे ख्याल से तुम्हें कोई कैंडिडेट खोजने की जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि तुम खुद हीं एक बेटर आॅप्सन हो। तुम प्रेसीडेंट की पोस्ट के लिए फाइट करोगी तो ये पोस्ट तो हमारे संगठन की झोली में आना तय हो जाएगा, क्योंकि तुम्हें अपनी पाॅपुलर्टी के साथ-साथ मेरे तुम्हारे साथ चीटिंग करने की वजह से तुम्हारी विक्टिम गर्ल की इमेज का भी बेनीफिट मिलेगा।"

         "यानि, तुम मानते हो कि तुमने मेरे साथ चीटिंग की हैं ?"

          "हाँ।"

         "यानि, मेरा ये शक सही था कि तुम निक्की के हमारे काॅलेज में आने के बाद से मेरे साथ ब्रेक-अप करने का बहाना ढूँढ रहे थे ?"

          "नहीं, तुम्हारा शक पूरी तरह बेबुनियाद हैं।"

          "तो फिर तुमने अभी-अभी किस चीटिंग की बात एडमिट कीं ?"

           "मुझे तुम्हारे और निक्की के बीच हुए मैच में अभिजीत सर के तुम्हारे फेवर में दिए गए रांग डिसिजन का अपोज नहीं करना चाहिए था।"

            "क्यों ?"

            "क्योंकि तुम्हारा और मेरा रिश्ता, निक्की और मेरी फ्रेंडशीप एंड मेरी ड्यूटी से ज्यादा बड़ा था, पर मैं तुम्हारे और मेरे रिश्ते का लिहाज करते हुए खामोश रहने की जगह अपनी आॅनेस्टी दिखाने की आदत से लाचार होकर उस डिसिजन का अपोज कर बैठा।"

          "तुम मेरी सोच पर तंज कस रहे हो ?"

          "नहीं यार, मैं आज के युग की सच्चाई बता रहा हूँ। आज के युग में अपने करीबी लोगों का स्वार्थ और हमारे कर्तव्य के बीच टकराव होने पर कर्तव्य को चुनना बहुत बड़ा गुनाह हैं, पर मैं भी क्या करूँ, मुझे बार-बार ये गुनाह करके इसकी सजा भुगतने की आदत पड़ चुकी हैं।"

         "क्या तुमने वाकई सिर्फ वो डिसिजन गलत होने की वजह से हीं उसका अपोज किया था ?"

         "हाँ।"

         "तो तुमने अब तक मेरी ये गलतफहमी दूर करने की कोशिश क्यों नहीं की कि तुमने वो डिसिजन अपनी बचपन की दोस्त के खिलाफ होने की वजह से उसका अपोज किया था ?"

        "क्योंकि मुझे उस डिसिजन पर मेरे ऑब्जेक्शन लेने और प्रिंसिपल के उस डिसिजन को बदल देने के बाद तुम्हारा मेरे लिए दिखाया गया रवैया बहुत हीं खराब लगा था क्योंकि मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थीं कि तुम अपने फेवर के एक गलत डिसिजन का अपोज करने की वजह से अपने बीच के इतने प्यारे रिश्ते को भूलकर इतनी नफरत करने लग जाओगी, इसलिए मैंने तुमसे डिस्टेंस बना लेना हीं सही समझा।"

          "मैं तुम्हारे उस गलत डिसिजन का अपोज करने की वजह से तुमसे नफरत नहीं कर रही थी, बल्कि इस गलतफहमी की वजह से तुमसे नफरत कर रही थीं कि तुम अपनी बचपन की दोस्त के काॅलेज में आते हीं मेरा साथ छोड़कर उसके साथ नजदीकियाँ बढ़ानी शुरू कर दीं, लेकिन तुमने मेरी इस गलतफहमी को दूर करने की जगह निक्की को साये की तरह अपने साथ रखकर इसे और ज्यादा बढ़ा दीं थीं। बाइ द वे, क्या वाकई तुम्हारा उसके साथ ऐसा रिलेशन नहीं हैं, जैसा मैं समझ रही थीं ?"

          "जिस समय तुम ये एलिगेशन मुझ पर लगाया था, उस समय तो वो सिर्फ मेरी फ्रेंड थीं, बट .....।"

           "बट ?"

          "अब हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं।"

          "हर्षित, मुझे सताने के लिए मजाक कर रहे हो न ?"

          "नहीं, ये सच हैं।"

          "अरे यार, तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ? तुम तो कहा करते थे कि मैं तुमसे नफरत भी करने लग जाऊँगी, तब भी तुम मुझसे लाइफ टाइम तक प्यार करते रहोगे, लेकिन तुमने तो मेरी एक-डेढ़ माह की दिखावटी नफरत की वजह से ही मुझे भूलाकर किसी और को गले लगा लिया।"

           "मानसी, ज्यादातर इंसान भावनाओं में बहकर कही गई बातों को ज्यादा दिनों तक नही निभा पाते हैं और हजारों में से कोई इक्का-दुक्का इंसान निभाना भी चाहें तो उसके सामने अक्सर ऐसी सिच्युएशन बन जाती हैं कि उसे उन बातों को भूलने के लिए मजबूर होना पड़ता हैं और मेरे सामने भी इस टाइप की सिच्युएशन बन गईं थीं कि मुझे तुमसे कही गई बातों को भूलना पड़ा।"

         "हर्षित, आई कान्ट बिलिव इट कि तुम मेरे प्यार को भूल चुके हो। मुझे लगता हैं कि तुम अपने साथ किए मेरे गंदे बिहेवियर के लिए मेरी लम्बी क्लास ले रहे हो। ऐसा हैं तो मुझे कोई प्राॅब्लम नहीं हैं। तुम जितनी चाहे, उतनी लम्बी क्लास ले लो और चाहो तो मुझे पनिसमेंट भी दे दो क्योंकि मैं ये सब डिजर्व करती हूँ। मुझे तुम्हें क्लिरिफिकेशन का चांस दिए बिना तुम्हारे साथ इतना गंदा बिहेवियर नहीं करना चाहिए था। मैं समझ सकतीं हूँ कि तुम्हें सबके सामने कई बार नीचा दिखाने की कोशिश की तो तुम कितने हर्ट हुए होंगे, बट बिलिव मी कि मैंने ये सब तुम्हें हर्ट करने के लिए नहीं किया, बल्कि इसलिए किया कि तुम इन सब चीजों से परेशान होकर मुझे क्लियरिफिकेशन दो और कहो कि तुम सिर्फ मुझसे प्यार करते हो। मैं जानती हूँ कि मेरा तुमसे क्लिरिफिकेशन माँगने का ये तरीका बहुत खराब था, पर मेरा यकीन करों कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए नफरत कभी पैदा हुई हीं नहीं।

         मेरे दिल में तुम्हारे लिए इतना ज्यादा प्यार भरा हुआ हैं कि उसमें तुम्हारे लिए नफरत पैदा होने की गुंजाइश हीं नहीं हैं। मेरे प्यार की इंतहा का तुम इस बात से अनुमान लगा सकते हो कि मेरे दिल में तुम्हारी लाॅयल्टी को लेकर डाउट पैदा होने के बावजूद भी मैं तुम्हें अपने साथ रखना चाहती थीं। मुझे तुम्हारे साथ रहने का मौका मिल सके, इसलिए हीं मैंने प्रिंसिपल से कहकर पिछले टूर्नामेंट के लिए तुम्हें कोच अपाईंट करवाया था और हमारी पैनल के करीब एट्टी परसेन्ट मेम्बर्स के अपोज करने के बावजूद मैंने तुम्हारी कैंडिडेटशीप भी इसीलिए हीं फाइनल की हैं। 

        अरे यार, मैं तुम्हें अपने दिल की बातें बताने के चक्कर में ये तो भूल हीं गईं कि तुम्हें काॅलेज आकर अपना फाॅर्म भी सबमिट करना हैं। अब मैं काॅल डिस्कनेक्ट कर रही हूँ ताकि तुम जल्दी से काॅलेज आ सको। सुनो, निक्की को भी साथ लेकर आना। मुझे उसके साथ तुम्हारे फ्रेंडशीप रखने से कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, बट उसे समझा देना कि वो तुम्हारे साथ सिर्फ फ्रेंड की तरह ही बिहेव करें। वो मुझे जलाने के लिए कुछ दिनों से तुम्हारे साथ ऐसा बिहेव कर रही हैं, जैसे कोई गर्लफ्रेंड अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ करती हैं। उसके तुम्हारे साथ ऐसे बिहेव करने की वजह से मुझे बहुत तकलीफ होती हैं। मेरी ये बात सुनकर तुम यकीनन ये सोच रहे होंगे कि मैंने तुम्हें मुझे जो तकलीफ हुई, उसके बारे में तो बता दिया, पर तुम्हें मेरे मिसबिहेव की वजह से जो तकलीफ हुई, उसके बारे में कुछ कहा हीं नहीं, इसलिए इसके बारे में भी बोल देती हूँ।

         हर्षित, मेरे मिसबिहेव की वजह से तुम्हें जो तकलीफ हुई, उसके लिए मैं तुम्हें 'साॅरी' नहीं बोलूँगी क्योंकि सिर्फ 'साॅरी' बोलने से हिसाब बराबर नहीं होगा। मैं तुम्हें मेरी वजह से पहुँचीं तकलीफ का हिसाब तुम्हारी वो सब ख्वाहिशे पूरी करके करूँगी, जो मैं अनकम्फर्टेबल फील होने की वजह से अभी तक पूरी नहीं कर पायी। मैं तुम्हारी खुशी के लिए कल से हीं बिल्कुल ट्रेडिशनल इंडियन गर्ल्स की तरह रहना शुरू कर दूँगी और ये भी प्राॅमिश करती हूँ कि अब कभी तुम्हारे साथ कभी मिसबिहेव नहीं करूँगी। तुम कभी मेरा ट्रस्ट ब्रीच कर दोगे, तब भी नहीं, क्योंकि तुम मेरे लिए दुनिया में सबसे ज्यादा मायने रखते हो और ये बात मुझे तुम्हें खो देने का अहसास होने पर पता चली। इससे पहले मैं खुद भी नहीं जानती थीं कि तुम मेरे लिए इतने ज्यादा इम्पाॅर्टेन्ट हो चुके हो। मैंने एक-डेढ़ माह तुमसे दूर रहकर ये भी जान लिया कि मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊँगी।

         मेरी एक आखिरी बात सुन लो, उसके बाद मैं फाइनली कन्वर्सेशन ब्रेक कर रही हूँ। मैं ये कह रही हूँ कि अब हम लोग अपने प्यार को किसी से छुपाकर नहीं रखेंगे क्योंकि इसका अब कोई सेंस नहीं रह गया हैं। हम दोनों का ब्रेक-अप होने के बाद हमारे टच के सारे लोग जान गए हैं कि हम दोनों के बीच दोस्ती नहीं बल्कि प्यार था। और हाँ, तुम मेरे डैड की चिंता मत करना, क्योंकि मैं इस बार उनसे भी आर-पार करने का मन बना चुकी हूँ। ओके, अब मैं काॅल डिस्कनेक्ट करती हूँ। तुम जल्दी से काॅलेज आ जाओं, मैं तुम्हारा वेट कर रही हूँ।" 

          दूसरी ओर से काॅल डिस्कनेक्ट होते तक हर्षित के चेहरे पर ढेर सारे तनाव के चिन्ह उभर चुके थे। उसने अपना मोबाइल जेब के हवाले किया और थोड़ी देर तक कुछ सोचने के बाद वह अपनी बाइक टर्न करके उसी दिशा में वापस लौट गया, जिस दिशा से वह आया था।
                              ...................

         "बुआ, आप अभी के अभी मेरे साथ चलिए।" हर्षित ने हड़बड़ाकर घर में दाखिल होते हुए कहा।

        "क्यूँ, क्या हुआ ?" हर्षित की बात सुनकर आराम से टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही निहारिका के माथे पर अचानक बल पड़ गया।

        "घबराने लायक कोई मेटर नहीं हैं, पर आपका इस वक्त मेरे साथ चलना बहुत जरूरी हैं।"

        "अरे, लेकिन ये तो बता दो कि तुम मुझे किस काम के लिए साथ लेकर जा रहे हो ?"

        "वो मैं आपको बाद में बताऊँगा।"

        "बड़ा अजीब लड़का हैं। चलो, तुम काम बाद में बता देना, लेकिन ये तो बता दो कि मेरे स्कूल टाइम तक तुम मुझे वापस छोड़ दोगे या नहीं, क्योंकि स्कूल टाइम तक वापस आना पाॅसिबल नहीं होगा तो मुझे अपने स्कूल में फोन करके इन्फार्म करना पड़ेगा और रिंकी के लिए घर की चाबी भाभी के पास छोड़नी पड़ेगी।"

        "आपके स्कूल टाइम तक वापस आना नहीं होगा और मम्मा भी घर में नहीं हैं, इसलिए घर की चाबी किसी और के पास छोड़ दीजिए और एक काम और कीजिए, रिंकी के लिए आपने जो खाना रखा होगा, उसे किसी ऐसी जगह छुपा दीजिए कि आपके अलावा कोई खोज न पाए।"

          "अरे, पर मैं खाना छुपा दूँगी तो रिंकी खाएगी क्या ?"

          "यार बुआ, कभी कोई बात बिना सवाल किए भी मान लिया करों। मैं क्या रिंकी का दुश्मन हूँ जो उसे भूखी रखने के लिए आपको खाना छुपाने के लिए कहूँगा।"

           "मुझे लगता हैं कि तुम आज रिंकी के लिए मार्केट से कोई स्पेशल फूड लाने वाले हो, इसलिए तुम नहीं चाहते हो कि वो आज घर का खाना खाएँ, एम आई राइट ?" 

          "फिलहाल तो आप यही समझ लीजिए। अब सोच-विचार करने में टाइम वेस्ट मत कीजिए, जल्दी से खाना छुपाकर आइए।"

          "ओके डियर।"

           निहारिका के किचन में जाने के बाद हर्षित ने मोबाइल निकालकर निक्की के नाम से सेव नम्बर पर काॅल की और काॅल रिसीव होते हीं सवाल किया- "कहाँ हो ?"

          "काॅलेज जाने के लिए घर से निकल रही हूँ। तुम कहाँ हो ?"

           "मैं बुआ के घर पर हूँ। उनकी अचानक तबियत खराब हो गई, इसलिए मुझे अभी उन्हें हास्पीटल लेकर जाना पड़ेगा और तुम्हें उनकी बेटी के लिए खाना लेकर आना पड़ेगा। बुआ की तबियत खराब होने की वजह से वे आज खाना भी नहीं बना पायी, इसलिए आज मेरे साथ-साथ तुम्हें भी काॅलेज जाना कैंसिल करना पड़ेगा। तुम आज काॅलेज नहीं जाओगी तो तुम्हें कोई प्राॅब्लम तो नहीं होगी न ?"

          "मुझे तो कोई प्राॅब्लम नहीं होगी, पर तुम काॅलेज नहीं जाओगे तो मानसी से किए प्राॅमिश को पूरा करने के लिए फाॅर्म कैसे भरोगे ? एक काम करों, तुम काॅलेज चले जाओं। मैं दस-पंद्रह मिनट में मैम के घर आकर उनकी बेटी के लिए खाना भी छोड़ दूँगी और उसके बाद उन्हें हास्पीटल भी ले जाऊँगी।"

           "अरे यार, मैंने तुमसे एडवाइज लेने के लिए तुम्हें काॅल नहीं की हैं। मैंने तुम्हें जितनी हेल्प करने के लिए कहा, उतनी कर दो। उनकी हालत काफी सीरियस हैं, इसलिए मैं उन्हें तुम्हारे यहाँ पहुँचते तक और सीरियस होने के लिए छोड़कर नहीं जा सकता। प्लीज, अब तुम मुझसे कोई सवाल मत करों, तुम सिर्फ ये बताओ कि तुम आ रही हो या नहीं ?"

          "अरे, कैसी बात कर रहे हो तुम ? ऐसी सिच्युएशन में मैं इतनी-सी हेल्प करने से मना कैसे कर सकती हूँ। तुम उन्हें लेकर हास्पीटल जाओ, मैं दस-पन्द्रह मिनट में खाना लेकर उनके घर पहुँच जाऊँगी।"

           "थैंक्स निक्की।"

           "चक्कर क्या हैं ? अपनी अच्छी-खासी स्वस्थ बुआ को क्यूँ बीमार बता रहे हो ?" निक्की से पीछा छुड़ाने के तुरंत बाद हर्षित को निहारिका के सवालों का सामना करना पड़ गया।

          "आपको बीमार बताकर साथ इसलिए ले रहा हूँ ताकि आपकी जान लेने के बाद लोगों ये बता सकूँ कि बीमारी की वजह से हास्पीटल पहुँचने के पहले हीं आपने दम तोड़ दिया। अब आप केवल 'हाँ' या 'ना' में बताइए कि आप मेरे साथ चल रही हैं या नहीं ?"

           "अरे भड़क क्यूँ रहे हो यार ? मैं बिना कुछ पूछे तुम्हारे साथ चल रही हूँ।"

            "थैंक्स, बट बीमार की तरह डगमगाकर धीमी चाल से चलते हुए बाहर निकलिए और ......।"

             "बाइक पर भी बीमार लोगों की तरह बैठना हैं, यही न ?"

              "हाँ।"

              "ये सब करने के बदले में मुझे क्या मिलेगा ?"

              "आइसक्रीम को छोड़कर आप जो चाहेगी, मैं आपको खिला दूँगा।"

              "ऐसा हैं तो फिर मैं तुम्हारे साथ नहीं आ रही हूँ।"

              "अरे बुआ, ड्रामा मत करों यार। मैं आपकी मनपसंद आइसक्रीम खिला दूँगा। दस साल की बच्ची की माँ और एक रिस्पेक्टेट स्कूल की टीचर होने के बाद भी हरकते बच्चों जैसी हीं करती हैं।"

              "हर्षित, तुमने मुझसे कुछ कहा ?"

              "इतना लाऊडली तो कहा कि आइसक्रीम खिला दूँगा, फिर भी आपने नहीं सुना क्या ?"

               "ये तो मैंने सुना, लेकिन उसके बाद तुमने जो कहा, मैं वो नहीं सुन पायी।"

               "ज्ञान की देवी माँ सरस्वती, वो मैं आपको बाद में बता दूँगा, अभी आप इस सेवक की विनती स्वीकार करके यहाँ से बाहर निकलने की कृपा कीजिए। आप इसी तरह यहीं खड़ी रहकर मेरे साथ वार्तालाप में समय व्यर्थ गवाएगी तो आपकी शिष्या चंडिका देवी आकर मुझ पर चढ़ाई कर देंगी।" 

            "ठीक हैं बालक, मैं तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार करके यहाँ से प्रस्थान कर रही हूँ। तुम भी अविलंब इस कुटिया के द्वार बंद करके मेरे पीछे-पीछे आ जाओ।" कहकर निहारिका धीमे-धीमे कदमों से बीमार व्यक्ति की तरह डगमगाकर चलती हुई बाहर निकल गई।
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#13
चक्रव्यहू (7th Part)


        "अब तो बता दो यार कि माजरा क्या हैं ?" आइस्क्रीम शाॅप के सामने खड़ी निहारिका ने पास खड़े हर्षित से पूछा।

         "आपको आपकी फेवरेट आइस्क्रीम मिल चुकी हैं न ?" हर्षित ने उसके सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा।

        "तो पहले शांति के साथ इसे खा लीजिए, तब तक मैं मेरे मोबाइल आ रही एक काॅल रिसीव कर लेता हूँ और फिर आपको सारा माजरा बताता हूँ।"

         "ओके।"

         "हाँ मानसी, बोलो ...।" हर्षित ने काॅल रिसीव करके कहा।

         "क्या बोलूँ यार, मैं पिछले एक घंटे से से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ लेकिन न तुम्हारा कहीं कोई अता-पता नजर आ रहा हैं और न तुम मेरी काॅल रिसीव कर रहे हो। पता हैं तुम्हें, इस वजह से मैं कितनी परेशान हो गई थी ?"

         "मानसी, एक्चुअली बात हैं कि मेरी तुम्हारे साथ बात होने के बाद मेरे पास मेरी बुआ की काॅल आयी और उन्होंने बताया कि उनकी अचानक तबियत खराब हो गई तो मुझे काॅलेज आना कैंसिल करके उन्हें हास्पीटल लेकर आना पड़ा। इसी वजह से मैं तुम्हारी काॅल भी रिसीव नहीं कर पा रहा था।"

          "साॅरी, मुझे इसका कोई आइडिया नहीं था कि ऐसा कुछ हुआ होगा, इसलिए मैंने तुम्हारे साथ थोड़ी हार्ड टोन में बात कर लीं। आई एम रियली सो साॅरी फार इट।"

          "इट्स ओके।"

         "अब कैसी तबियत हैं उनकी ?"

         "पहले से ठीक हैं, बट अभी उनका ट्रीटमेंट चल हीं रहा हैं।"

         "उनके पास तुम्हारी अलावा उनकी केयर करने वाला कोई नहीं हैं क्या ?"

          "नहीं यार, इसीलिए तो मैं यहाँ रूका हुआ हूँ।"

          "कब तक फ्री हो जाओगे ?"

          "डेढ़-दो घंटे तो लग हीं जाएँगे।"

          "अरे यार, तब तक तो यहाँ फाॅर्म सबमिट करने का टाइम खत्म हो जाएगा।"

          "हाँ यार।"

          "तो फिर क्या करें ?"

          "एक काम करों, प्रेसीडेंट की पोस्ट के लिए तुम अपना फाॅर्म भर दो।"

          "नहीं यार, इस पोस्ट के लिए तुम ही राइट पर्सन हो। मैं तुम्हारे जैसी ऑनेस्ट और ऑइडियल स्टूडेंट नहीं हूँ, इसलिए इस पोस्ट के लिए तुम्हें ही फाॅर्म सबमिट करना होगा।"

           "यार, मैं तुम्हारी बात मान लेता था, लेकिन ये पाॅसिबल नहीं हो पाएगा, क्योंकि मैं बुआ को यहाँ अकेली छोड़कर काॅलेज नहीं आ सकता।"

           "तो एक काम करतीं हूँ, मैं वहाँ तुम्हारी बुआ की केयर करने के लिए आ जाती हूँ और मेरे आते हीं तुम काॅलेज के लिए निकल जाना।"

            "ऐसा करने पर भी मैं अपना फाॅर्म सबमिट नहीं कर पाऊँगा, क्योंकि हम लोग जिस हास्पीटल में हैं, वहाँ पहुँचने के लिए तुम्हें कम से आधे घंटे का समय लग जाएगा और इतना हीं समय मुझे यहाँ से काॅलेज पहुँचने में भी लगेगा। उसके बाद फाॅर्म लेकर फिल-अप करने और प्रिंसिपल से वेरिफाई कराने में ही फाॅर्म सबमिट करने का टाइम खत्म हो जाएगा, इसलिए प्लीज इस बार मेरी जगह पर तुम ही फाॅर्म भर दो। मैं हमेशा तुम्हारी बात मानता हूँ इसलिए प्लीज इस बार मेरी ये बात मान लो। तुमने टाइमली फाॅर्म जमा नहीं किया तो उस कमीने बबलू का प्रेसीडेंट बनना तय हो जाएगा और वो प्रेसीडेंट बन गया तो काॅलेज का अच्छा-खासा माहौल खराब कर देगा।"

          "हर्षित, कहीं ऐसा तो नहीं हैं न कि तुम मेरे मिसबिहेव की वजह से ....?"

          "अरे नहीं यार, इस मेटर पर हम लोगों की बात हो चुकी हैं, फिर मैं क्यों इस मेटर को इश्यू बनाकर इलेक्शन से बचने की कोशिश करूँगा ?"

           "मैं फाॅर्म सबमिट करूँगी तो तुम मेरे लिए कैम्पेनिंग करोगे न ?"

          "अरे यार, ये भी कोई पूछने वाली बात हैं क्या ? तुमने लगातार दो साल तक मेरे लिए कैम्पेनिंग की तो मैं तुम्हारे लिए कैम्पेनिंग करने से मना कैसे कर सकता हूँ ?"

          "हाँ, लेकिन तुमसे इसलिए अपने फेवर में कैम्पेनिंग करने के लिए नहीं कह रही हूँ कि मैंने तुम्हारे लिए कैम्पेनिंग की थीं, बल्कि इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ये मेरा राइट हैं।"

          "ओके, अब तुम काॅल डिस्कनेक्ट करों और फाॅर्म सबमिट करने की प्रोसेस स्टार्ट करों। बेस्ट आॅफ लक।"

          "थैंक्स, बट मैं तब तक काॅल डिस्कनेक्ट नहीं करूँगी, जब तक तुम मुझे आई लव यू नहीं बोलोगे।"

          "यार, मैं ये नहीं बोल सकता क्योंकि मेरे आसपास काफी लोग मौजूद हैं।"

           "तो ठीक हैं, मैं ही बोल देती हूँ। आई लव यू हर्षित।"

           "ओके, बाय।"

            "बाय।"

           "हर्षित, तुम्हारे भेजे में भूसा भरा हैं क्या ?" मोबाइल पर विकास की बातचीत खत्म होते हीं निहारिका ने आँखें तरेरकर उसे घूरते हुए दबे स्वर में कहा।

            "क्यों, मैंने किया ?"

            "पब्लिक प्लेस पर खड़े होकर मोबाइल पर इतना लाऊडली झूठ बोल रहे थे कि यहाँ खड़े काफी लोगों को क्लियरली सुनाई दे रहा था और बड़ी मासूमियत से पूछ रहे हो कि तुमने किया क्या ? तुम्हारी बात सुनकर लोग तुम्हें और मुझे अजीब नजरों से देखकर मुस्करा रहे थे। एक लड़का जो कुछ सेकंड्स पहले यहाँ से गया, वो तो आइस्क्रीम वाले के कान में कह रहा था कि कितना फ्राॅड लड़का हैं ये, एक गर्लफ्रेंड को आइस्क्रीम खिला रहा हैं और दूसरी को उसी के सामने बता रहा हैं कि मैं हास्पीटल में अपनी बुआ का ट्रीटमेंट करा रहा हूँ। यार, आज वाकई तुमने अपने साथ-साथ मेरी भी आठ-दस लोगों के सामने नाक कटा दीं।"

            "यार बुआ, आप अपनी नाक कटने का ब्लैम मेरे ऊपर मत लगाइए क्योंकि आपकी नाक मेरी मोबाइल पर लाऊडली बात करने की वजह से नहीं कटी, बल्कि आपकी फिटनेस की वजह से कटी। आप मुझसे उम्र में चौदह-पंद्रह साल बड़ी होने के बावजूद भी अपनी बेहतरीन फिटनेस की वजह से मेरी हमउम्र नहीं लगती तो मेरे लाऊडली बात करने की वजह से सिर्फ मेरी नाक कटती, आपकी नहीं। आप मेरी बुआ हैं तो बुआ की तरह दिखा करों न ?"

           "अब तुम इन लोगों के सामने चीख-चीखकर मुझे बुआ मत बोलो यार, नहीं तो और ज्यादा बेइज्जती हो जाएगी। ये लोग सोचेंगे कि रिश्ते में तुम्हारी बुआ होने बावजूद मैंने तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनना एक्सेप्ट कर लिया। तुम जल्दी से उसे आइस्क्रीम के पैसे दो और चलो यहाँ से।"

            "ठीक हैं।" कहने के साथ ही हर्षित ने अपना पर्स निकाल लिया।
                                  ...............

            "तुम्हें टाइमपास करने के लिए यही एक जगह नजर आयी क्या ?" हरे-भरे पार्क में एक आम के पेड़ की छाँव में बैठने के बाद निहारिका ने आसपास के माहौल का मुआयना करते हुए कहा।

           "यार बुआ, अब यहाँ क्या प्राॅब्लम हैं ?" जवाब में निहारिका सामने बैठे हर्षित ने बुरा-सा मुँह बनाकर पूछा।

           "इस पार्क में मुझे हर जगह लवर-कपल्स हीं नजर आ रहे हैं।"

           "तो उनसे हमें क्या प्राॅब्लम हैं ?"

           "वे लोग हमें भी हमें भी अपने जैसा हीं समझेंगे तो ?"

           "यार बुआ, जिसे जो समझना हैं, समझने दो क्योंकि मैं अब इतना परेशान हो गया हूँ कि आपको कहीं और नहीं ले जा सकता हूँ। हम सिर्फ आधा घंटा यहाँ बैठकर कैसे भी टाइम पास कर लेते हैं, फिर सीधे घर वापस लौट जाएँगे।"

           "ठीक हैं। अब तुम मुझे बताओ कि ये मैटर क्या हैं, जिसकी वजह से तुम उन दोनों लड़कियों को मेरा ट्रीटमेंट कराने में बिजी होने की बात कहकर मुझे पिछले डेढ़ घंटे से मुझे यहाँ-वहाँ घुमा रहे हो ?"

           "समझ में नहीं आ रहा हैं कि आपको वो मैटर बताऊँ कैसे ?"

           "अपने मुँह से बोलकर बता दो या फिर मेरे मोबाइल पर मैसज करके बता दो।"

           "प्लीज बुआ, इस वक्त मजाक मत कीजिए, क्योंकि मैं बहुत ज्यादा टेंशन में हूँ।"

           "ओके, बट अब तुम बिना टाइम वेस्ट किए मुझे सीधे और साफ शब्दों में अपने टेंशन की वजह बताओगे। पिछले डेढ़ घंटे से मेरा ये सोच-सोचकर दिमाग खराब हो गया कि हमेशा सीधी राह से चलनेवाला ये नीट एंड क्लीन कैरेक्टर का लड़का किस चक्कर में फँस गया हैं जो इसे एक साथ दो-दो लड़कियों से झूठ बोलना पड़ रहा हैं।"

          "बुआ, एक्चुअली बात ये हैं कि मैं दुनिया के सबसे डेंजर ट्राईंगल में फँस गया हूँ और मेरी समझ में नहीं आ रहा हूँ कि इस ट्राईंगल से बाहर कैसे निकलूँ ?"

          "तुम शायद लव-ट्राईंगल की बात कर रहे हो, हैं न ?"

          "यू आर राइट।"

         "हर्षित, तुम इतने समझदार होकर भी इस टाइप के नाॅनसेंस मैटर में कैसे फँस गए ?"

            "जब इंसान का खराब टाइम होता हैं, तब उसकी सारी समझदारी रखी की रखी रह जाती हैं और वो न चाहते हुए भी इस टाइप के लफड़े में फँस जाता हैं।"

            "डोंट वरी, मैं इससे निकलने में तुम्हारी हेल्प करूँगी। तुम मुझे नाॅनस्टाॅप पूरा मैटर बताओ, ताकि मैं ये सोच सकूँ कि तुम्हें इस उलझन से बाहर निकालने के लिए क्या किया जा सकता हैं।"

            "बुआ, एक्चुअली हुआ ये कि आज से करीब डेढ़-दो साल पहले मेरे काॅलेज की मानसी नाम की एक लड़की ने मुझे प्रपोज किया था जिसे मैंने थोड़ी ना-नुकुर करने के बाद एक्सेप्ट कर लिया था। इसके बाद करीब डेढ़ माह पहले तक हम दोनों के बीच अफेयर चलता रहा, लेकिन डेढ़ माह पहले एक छोटी-सी बात को लेकर मानसी मुझसे रूठ गई और उसके बाद उसने मेरे साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से मैंने ये मान लिया था कि हम दोनों का रिश्ता खत्म हो चुका हैं। इसके बाद आज से करीब एक माह पहले निक्की ने अपने बर्थडे पर मुझे प्रपोज किया, जिसका मैं कोई जवाब दिए बिना हीं घर वापस आ गया।

          एक्चुअली, निक्की मेरी बचपन की फ्रेंड हैं और मेरा मानसी के साथ ब्रेक-अप होने को करीब पंद्रह ही हुए थे, इसलिए उसके मुझे प्रपोज करने पर उसके लिए मेरे मन में वैसी फीलिंग आयी हीं नहीं थीं, जैसी मानसी के प्रपोज करने पर आयी थीं, इस वजह से मैं निक्की का प्रपोजल एक्सेप्ट करने के मूड में नहीं था, लेकिन निक्की मेरी कोई बात सुनने-समझने के लिए तैयार हीं नहीं थीं। उसने अपनी बर्थडे पार्टी खत्म होने के बाद खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया और दूसरे दिन शाम के पाँच बजे तक अपने कमरे से बाहर हीं नहीं निकली। उसके काॅलेज न आने और मेरी काॅल भी रिसीव न करने की वजह से मैं शाम को उसके घर पहुँचा और उससे बात की तो मुझे लगा कि वो किसी भी सिच्युएशन में पीछे नहीं हटेगी, इसलिए अपनी बचपन की दोस्ती का लिहाज करते हुए उसकी खुशी के लिए उसका प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया।

          लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं हैं कि मुझे मजबूरी में निक्की का प्रपोजल एक्सेप्ट करने का कोई अफसोस हैं क्योंकि मुझे मानसी के साथ की तुलना में निक्की का साथ हर तरह से ज्यादा कम्फॅर्टेबल लगता हैं। मानसी काफी बड़े बिजनेसमेन की बेटी होने की वजह से उसका रहन-सहन और आचार-विचार मुझसे काफी अलग हैं, इसलिए उसके और मेरे विचारों में अक्सर टकराव होता रहता था, पर हम दोनों की आँखों पर प्यार की पट्टी बँधी होने की वजह से कभी वो एडजेस्ट कर लेती थीं और कभी मैं एडजेस्ट कर लेता था, पर मुझे इस बात का अहसास था कि हम दोनों का प्यार अपने अंजाम तक पहुँचेगा, क्योंकि हम दोनों के विचारों और रहन-सहन में अंतर होने के साथ-साथ हम दोनों हम दोनों के परिवारों की आर्थिक-सामाजिक हैसियत में भी भारी अंतर था। लेकिन मेरे और निक्की की बीच की ऐसी कोई मेजर प्राॅब्लम नहीं हैं, क्योंकि बचपन के मेरे आठ-नौ साल के बुरे दौर को निकाल दे तो हम दोनों की परवरिश लगभग एक जैसे माहौल में हुई हैं, इसलिए हम दोनों के रहन-सहन और आचार-विचार में ज्यादा अंतर नहीं हैं।

         हम दोनों के बीच चंद दिनों में परफेक्ट लवर-कपल जैसी कैमिस्ट्री बन जाने की एक वजह ये भी हैं कि उसने मेरे बचपन के बुरे दौर में हमेशा मेरा साथ दिया था और वक्त की बेरहम आँधियों के हम दोनों को दो अलग-अलग जगह पर उड़ा ले जाने के बावजूद मुझे नहीं भूली, इसलिए मुझे उससे अतिरिक्त लगाव हैं और उसने बचपन में मेरी लाइफ का काफी खराब दौर देखा था, इसलिए उसे भी मुझसे अतिरिक्त लगाव हैं। हम दोनों में से किसी की भी फेमिली से हमारे रिश्ते को रेड-सिगनल मिलने की सम्भावना नहीं हैं, इसलिए मैं हम दोनों अपने रिश्ते के फ्यूचर लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हूँ।"

        "हर्षित, तुमने अभी तक जो कुछ बताया, उसमें मुझे कहीं भी प्राॅब्लम जैसी कोई बात नजर नहीं आयी तो फिर तुम बेवजह इसे लव-ट्राईंगल कहकर टेंशन क्यूँ ले रहे हो ?"

        "बुआ, मैं पागल नहीं हूँ जो इसे बेवजह लव-ट्राईंगल का नाम देकर टेंशन लूँगा। इस मैटर में वाकई लव-ट्राईंगल की सिच्युएशन क्रिएट हो चुकी हैं जिसके बारे में मैं अब बतानेवाला हूँ लेकिन क्या मैं इससे पहले एक मिनट का ब्रेक लेकर इत्मीनान से चंद साँसे ले सकता हूँ ?"

          "श्योर।"

           एक-डेढ़ मिनट तक खामोश रहने के हर्षित ने दुबारा अपनी बात शुरू की- "एक्चुअली, आज मेरा ये अनुमान गलत साबित हो गया कि मेरी तरह ही मानसी भी अपनी ओर से हम दोनों के बीच का रिश्ता हमेशा के लिए खत्म कर चुकी हैं। आज सुबह करीब ग्यारह बजे मैं घर से काॅलेज के लिए निकल रहा था, तभी मानसी ने मुझे काॅल की और ये कहकर मेरा बीपी बढ़ा दिया कि वो मेरे बिना नहीं जी सकती। मैंने उसे बताने की कोशिश की, उसके मुझसे दूर हो जाने के बाद निक्की मेरी जिंदगी में आ चुकी हैं, लेकिन उसने मेरी बात को मजाक समझकर हवा में उड़ा दी और मेरे प्रति इस तरह की दीवानगी का इजहार किया कि मेरी उससे दुबारा ये बात कहने की हिम्मत हीं नहीं हई। अब मेरी समझ नहीं आ रहा हैं कि क्या करूँ ? मैं निक्की को अपनी लाइफ से निकालकर मानसी को दुबारा अपनी लाइफ में इन्ट्री भी नहीं दे सकता और मानसी से ये भी नहीं कह सकता कि अब मेरे दिल और मेरी लाइफ में उसके लिए कोई जगह नहीं हैं।

         मैं आज आपको बीमार बनाकर ट्रीटमेंट के बहाने लेकर इधर-उधर इसलिए घूम रहा हूँ, ताकि मैं आज काॅलेज जाकर अपनी पैनल की ओर से स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन का फाॅर्म भरने से बच जाऊँ, क्योंकि मैं ये फाॅर्म भर देता तो हमारी पैनल की को-ऑर्डिनेटर होने के नाते मानसी से इलेक्शन तक मेल-जोल रखना हीं पड़ता और मैं ऐसा करता तो निक्की आसमान सर पर उठा लेती और मैं मानसी से मेल-जोल नहीं रखता तो वो समझ जाती कि मेरे दिल में उसके लिए कोई जगह नहीं हैं।"

         "बेटा, मैं तुम्हारी सारी प्राॅब्लम समझ गई। अब तुम इसका साॅल्युशन सुनो। तुम एक बार अपने दिल को कड़ा करके मानसी को सच्चाई बता दो। सच्चाई जानने के बाद उसे कोई शाॅक लगता हैं तो लगने दो, क्योंकि मेरे एकार्डिंग तो गलती उसी की हैं, इसलिए यदि किसी को सजा भुगतनी हैं तो उसे भुगतनी चाहिए। उसकी गलती की सजा तुम क्यूँ  भुगत रहे हो ?"

          "मैं भी ऐसा हीं कुछ सोच रहा हूँ, पर अगले एक सप्ताह तक मैं मानसी को एक्चुअल सिच्युएशन नहीं बता सकता क्योंकि मैंने ऐसा किया तो मानसी काॅलेज के स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन में कैम्पेनिंग नहीं करेंगी और उसके साथ-साथ हमारी पैनल के बाकी कैंडिडेट्स भी इलेक्शन हार जाएंगे और एक बहुत हीं गंदी पैनल के कैंडिडेट्स इलेक्शन जीतकर काॅलेज में उत्पात मचाएँगे।"

           "अरे, लेकिन तुम एक सप्ताह तक निक्की के साथ काॅलेज जाओगे और वो तुम्हारे साथ एज द लवर बिहेव करेंगी तो मानसी तो बिना बताएँ भी जान जाएँगी कि उसकी जगह अब निक्की ले चुकी हैं। तुम इस सिच्युएशन को कैसे काउंटर करोगे ?"

           "सिर्फ इसी सिच्युएशन को नहीं, बल्कि एक और मुश्किल सिच्युएशन को भी काउंटर करने की प्राॅब्लम मेरे सामने खड़ी हैं। पहले मानसी मुझसे छुप-छुपकर मिलती थीं लेकिन आज मुझसे कह दिया कि वो अब मुझसे ओपनली मिला करेंगी, इसलिए मेरी समझ में नही आ रहा हैं कि वो ऐसा करेंगी तो मैं निक्की से क्या कहूँगा ? मैंने आज तो निक्की को काॅलेज जाने से रोक लिया, पूरे एक सप्ताह तक क्या कहकर उसे काॅलेज जाने से रोकूँगा ?"

         "इसका साॅल्युशन ये हैं कि तुम निक्की से ये सारी बातें साफ-साफ बता दो, जो तुमने मुझे बताई हैं। मुझे पूरा यकीन हैं कि निक्की तुम्हें अपने काॅलेज और तुम्हारे छात्र-संगठन की भलाई के लिए एक सप्ताह तक तुमसे दूर रहकर तुम्हें मानसी से मेल-जोल रखने की परमिशन दे देगी।"

         "यदि निक्की इतनी समझदार होती तो मैं सुबह हीं उसे सारी बातें बता देता और आराम से घर पर बैठे-बैठे मानसी को बता देता कि मैं आपका ट्रीटमेंट करा रहा हूँ क्योंकि वो देखने नहीं आती थी कि मैं हास्पीटल में आपका ट्रीटमेंट करा रहा हूँ या घर पर हूँ। मैंने ये सारा ड्रामा तो हमारे काॅलोनी वाली मैडम के सवाल-जवाब से बचने के लिए किया। मैं ये ड्रामा न करके निक्की को डायरेक्ट बता देता कि मैं इस वक्त मानसी का दिल नहीं तोड़ सकता, इसलिए उससे झूठ बोलकर आज काॅलेज नहीं जा रहा हूँ तो उसे लगता कि मानसी के मेरे साथ इतना बुरा बर्ताव करने और उसके मुझ पर चाहत का दरिया उड़ेल देने के बावजूद भी मेरे दिल में मानसी के लिए जगह बची हुई हैं क्योंकि उसके लिए काॅलेज और संगठन की भलाई जैसी बातें पर्सनल रिलेशनशीप से ज्यादा मायने नहीं रखती हैं।

          "बेटा, एक बात सच-सच बताना कि अब तुम्हारे दिल में वाकई मानसी के लिए कुछ नहीं बचा हैं या तुम अपने दिल में उसके लिए कुछ होने के बावजूद मुझसे छुपा रहे हो ?"

          "मेरे दिल में उसके लिए वैसा तो कुछ नहीं बचा हैं, जैसा उससे ब्रेक-अप से पहले था, लेकिन वो डेढ़ साल तक अपने रईसी ठाठ और नखरों को परे रखकर मेरा साथ बड़ी शिद्दतसे निभाती रही और उसने आज हम दोनों के रिश्ते को बचाने के लिए अपने इगो को एक तरफ रखकर खुले दिल से अपने मिसबिहेव के लिए अफसोस जाहिर किया, इसलिए मेरे दिल में उसके लिए कुछ भी न हो, ये कैसे हो सकता हैं ? मेरे दिल में उसके लिए एक साॅफ्ट कार्नर अब भी बचा हुआ हैं इसलिए मैं उसे अपना और उसका रिश्ता खत्म हो जाने का अहसास तो दिलाना चाहता हूँ लेकिन इस तरह से कि उसे इस बात अहसास भी हो जाए और उसे शाॅक भी न लगे।"

           "बेटा, मैं तुम्हें बचपन से जानती हूँ इसलिए मैं तुम्हारी भावनाओं को बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ पर तुम भी एक बात अच्छी तरह से समझ लो कि तुमने अपने साॅफ्ट इमोशंस के चक्कर में फँसकर मानसी को सच्चाई अहसास कराने में ज्यादा देर की तो तुम्हें निक्की भी गलत समझने लग जाएगी और मानसी भी। उन दोनों को हीं लगेगा कि तुम एक साथ उन दोनों के साथ प्यार का खेल खेल रहें हो, इसलिए जितनी जल्दी हो सके, तुम उतनी जल्दी इस सच्चाई से पर्दा उठा दो।"

         "ठीक हैं, मैं काॅलेज के इलेक्शन का रिजल्ट एनाउंस होते हीं मानसी को सच्चाई बता दूँगा। उसका इलेक्शन जीतना तो लगभग तय हीं हैं, इसलिए मैंने इस दिन को चुना हैं। इस दिन वो काॅलेज के स्टूडेंट यूनियन की प्रेसीडेंट बनने के जश्न में डूबी रहेगी, इसलिए ये सच्चाई जानकार ज्यादा शाॅक्ड नहीं होगी।"

         "और तुम एक सप्ताह तक निक्की को काॅलेज जाने से कैसे रोकोगे ?"

         "आपकी हेल्प से। उससे आप अभी जाकर कहेगी कि आपको डॉक्टर ने एक सप्ताह तक बेड रेस्ट करने के लिए कहा हैं और आपका स्कूल मैनेजमेंट आपको इतने दिन की लिव्स इस शर्त पर देने के लिए तैयार हैं कि आप अपनी जगह पर सप्ताह भर के लिए किसी ग्रेज्युएट लड़की को पढ़ाने भेजेगी और आपके पास उसे अपनी जगह पर भेजने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं हैं।"

          "और स्कूल मैनेजमेंट से क्या कहूँगी ?"

          "कह देना कि डॉक्टर ने सप्ताह भर बेड रेस्ट करने के लिए कहा और आप नहीं चाहती हैं कि आपकी अब्सेंसी की वजह से स्टूडेंट्स की पढ़ाई का नुकसान हो, इसलिए आप एक सप्ताह के लिए अपनी जगह पर निक्की को पढ़ाने भेज रही हैं।"

          "यार, तुम्हारे पास तो हर प्राॅब्लम्स के साॅलुशंस हैं, बट इस प्राॅब्लम का तो डेफिनेटली तुम्हारे पास कोई साॅलुशन नहीं होगा कि यदि निक्की को पता चल गया कि मेरी जगह पर किसी को भेजने के लिए स्कूल मैनेजमेंट ने नहीं कहा, बल्कि मैंने स्कूल मैनेजमेंट से ऐसा कहा तो मैं निक्की से क्या कहूँगी ?"

          "इसका भी मेरे पास साॅलुशन हैं। आप निक्की से भी वही कह दीजिए, जो मैंने आपको स्कूल मैनेजमेंट से कहने के लिए कहा हैं। मुझे यकीन हैं कि निक्की बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होने से बचाने के लिए न सही, बट उसे आपकी तरह छोटे बच्चों को पढ़ाने का शौक होने की वजह से आपकी जगह पढ़ाने के लिए तैयार हो जाएगी। वो हम दोनों की शादी के बाद यही करने वाली हैं।"

          "सुनो, ये जो तुम मुझसे करवाना चाह रहें हो, इसमें मेरी रेपुटेशन खराब होने की रिस्क तो नहीं हैं न ?"

          "अरे यार बुआ, ये कैसी बात कर रही हैं आप ? मुझे यदि आपकी रेपुटेशन खराब होने का खतरा नजर आता तो मैं आपको ये काम करने लिए कह सकता क्या ? क्या आप जानती नहीं हैं कि मुझे आपकी रेपुटेशन की तो अपनी मम्मा की रेपुटेशन से भी ज्यादा चिंता हैं ?"

         "जानती हूँ इसीलिए तो बिना ज्यादा सोचें-समझें तुम्हारे उल्टे-सीधे प्लान में शामिल हो जाती हूँ। अब तुम भी एक बात जान लो।"

          "यही न कि आपको भी मेरी अपनी बेटी के बराबर परवाह हैं ?"

           "बेटी के बराबर नहीं, बल्कि बेटी से भी ज्यादा, पर मैं ये बात नहीं, बल्कि कुछ और कहना चाह रही थीं।"

           "वो भी बात मुझे पता हैं। आप ये कहना चाह रही थी कि आपको सप्ताह भर हर दिन आपकी एक फेवरेट आइसक्रीम खिलानी पड़ेगी।"

         "हर्षित, मानना पड़ेगा कि तुम वाकई बेहद समझदार हो।"

         "बुआ, प्लीज नो चापलूसी। आप जानती हैं कि मुझे चापलूसी बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं। चलिए, अब हमारे जाने का टाइम हो गया हैं।"

         "क्यूँ , मेरा ट्रीटमेंट कम्प्लिट हो गया ?"

         "हाँ।" जवाब देने के साथ हीं हर्षित उठकर खड़ा हो गया।
                                 ..................

          "हर्षित, हम लोग डेढ़ माह बाद पहली बार नार्मल ढंग से मिले हैं और तुम हो कि मुझसे बातें करने की जगह अपने आप में ही खोए हुए हो। कहीं ऐसा तो नहीं हैं कि तुम मेरे मिसबिहेव को नहीं भूला पा रहे हो ?" मानसी की बात सुनकर हर्षित कुछ इस तरह चौंका, जैसे उसे अचानक किसी ने गहरी नींद से जगा दिया गया हो।

       "नहीं मानसी, ऐसी कोई बात नहीं हैं। एक्चुअली, मैं अपनी पर्सनल प्राॅब्लम की वजह से कुछ परेशान हूँ इसलिए मैं तुम्हारे साथ ठीक से बात नहीं कर पा रहा हूँ। आई एम सो साॅरी फाॅर इट।" हर्षित ने अनमने ढंग से मानसी की बात का जवाब दिया।

        "यार, मुझे तुम्हारा मेरे साथ बात नहीं करना इतना बुरा नहीं लगा, जितना तुम्हारा ये कहना बुरा लगा कि तुम अपनी पर्सनल प्राॅब्लम की वजह से परेशान हो, इसलिए तुम्हें साॅरी बोलना हैं तो अपनी इस मिस्टेक के लिए बोलो, क्योंकि मैं तुम्हें कई बार समझा चुकी हूँ कि मुझसे रिश्ता जुड़ने के बाद मेरा और तुम्हारा कुछ भी पर्सनल नहीं रहा हैं, न खुशी और न दुख या परेशानी, लेकिन तुम अपनी खुशियाँ तो मेरे साथ शेयर कर लेते हो, बट हमेशा अपने दुख और परेशानी मुझसे छुपाकर मुझे बेगानेपन का अहसास कराते रहते हो। हर्षित, प्लीज मेरी फीलिंग को समझो यार, मैं तुम्हारी इस आदत से वाकई बहुत ज्यादा हर्ट हो जाती हूँ। बताओ, मैं ऐसा क्या करूँ कि तुम्हारा दिल मुझसे अपनी सारी प्राॅब्लम्स शेयर करने के लिए मजबूर हो जाए और मै सही मायनों में तुम्हारी सुख-दुख की साथी बन जाऊँ ?"

       "मैं इसके बारे में तुम्हें बाद में बताऊँगा, तुम पहले मुझे ये बताओ कि तुमने इलेक्शन कैम्पेनिंग शुरू करने के लिए तुम्हारे माइंड में कोई धासू आइडिया हैं या इसके लिए मुझे अपने थके हुए दिमाग को हीं कुछ कसरत करवानी पड़ेगी।"

       "इलेक्शन कैम्पेनिंग शुरू करने के बारे में हम बाद में डिसकस करेंगे, पहले तुम मेरे इस कोश्चन का आन्सर दो कि मैं तुम्हें आज कुछ चेंज नजर आ रही हूँ या पहले जैसी ही लग रही हूँ ?"

        "पहले जैसी ही लग रही हो।"

        "हर्षित, तुम्हारे इस एक सेन्टेंस का आन्सर सुनकर मुझे कितनी तकलीफ हो रही हैं, इसका तुम अनुमान भी नहीं लगा सकते। इतनी तकलीफ तो मुझे तब भी नहीं हुई, जब कल तुम्हारे साथ फोन पर हुई बातचीत में तुमने मुझसे कहा कि अब निक्की तुम्हारी लाइफ में आ चुकी हैं, क्योंकि मुझे तुम्हारी उस बात पर यकीन हीं नहीं हुआ, लेकिन मैं अब जान चुकी हूँ कि मैं तुम अब वाकई मेरे नहीं रहे। जानते हो, मैंने तुम्हारे इस एक सेन्टेंस के आन्सर से कैसे जान लिया कि मैं तुम्हें हमेशा के लिए खो चुकी हूँ ?

        
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#14
तुम्हारी खामोशी बता रहीं हैं कि तुम्हें ये बात मेरी समझ में आने की वजह भी जानने में कोई इन्ट्रेट नहीं हैं, फिर भी मैं तुम्हें बता देती हूँ। मैं तुम्हें खुश करने के लिए आज अपनी इच्छा से ठीक वैसी ड्रेस और ज्वैलरी पहनकर आयी हूँ जो हम दोनों के डेढ़ साल के अफेयर के दौरान तुम्हारे कई बार कहने पर भी कभी नहीं पहनी, लेकिन पिछले एक घंटे से मेरे साथ होने के बावजूद तुम्हारा मेरी ड्रेस और ज्वैलरी पर न अपने आप ध्यान गया और न अभी मेरे पूछने पर ध्यान गया, जबकि पहले तुम मिलते हीं मेरी ड्रेस पर ध्यान देते थे। गलती से भी मैं कभी जरा-सी भी शाॅर्ट ड्रेस पहन लेती थीं तो तुम बहुत बुरा मुँह बना लेते थे और तुम्हारे एकार्डिंग ड्रेस पहनकर आने पर तुम्हारे चेहरे प्यारी-सी मुस्कान खिल उठती थी।  बट अब ......, जाने दो। 

        मैं लास्ट में इतना हीं कहूँगी कि तुम्हारी न्यू च्वाइस बहुत अच्छी हैं और मुझे इस बात को लेकर तुमसे कोई कम्प्लेन्ट भी नहीं हैं कि तुमने मुझे अपने दिल और लाइफ से निकालकर मेरी जगह निक्की को दे दीं। इस बात को लेकर यदि मुझे किसी से कोई कम्प्लेन्ट हैं तो सिर्फ अपने आप से हैं और कम्लेंट ये हैं कि मैं तुम्हारे रूप में मिले कुदरत के अनमोल उपहार को सम्भालकर नहीं रख सकी। तुम ये न समझना कि कुछ दिनों पहले मैंने अपनी रईसी या खूबसूरती के घमंड की वजह से तुम्हें खुद से दूर जाते देखकर भी तुम्हें रोकने की कोशिश नहीं की, क्योंकि तुम्हें न रोकने की वजह दूसरी हैं और वजह ये हैं कि मुझे अपने प्यार पर हद से ज्यादा यकीन था। मुझे पूरा विश्वास था कि यदि निक्की और तुम्हारे बीच वैसा कुछ नहीं होगा, जैसा मैं समझ रही थीं तो तुम चंद दिनों तक मुझसे दूर रहकर मेरे पास वापस आ जाओगे और शायद तुम वापस आ भी जाते थे, लेकिन निक्की ने तुम्हारे दिल में इन्ट्री मारकर मुझे हमेशा के लिए बाहर कर दिया। मैं उसे सिर्फ बैडमिंटन कोर्ट की मुझसे बेहतर प्लेयर समझती थीं, लेकिन वो प्यार के प्लेग्राउंड की भी मुझसे बेहतर प्लेयर निकल गईं। उसने बड़े प्यार से मेरी हेल्प करके मुझे बैडमिंटन की सिटी चैम्पियनशिप का झुनझुना दिला दिया और मुझसे मेरा प्रिसियस डायमंड छीन लिया, पर मुझे उससे भी कोई शिकायत नहीं है। अब तुम अपनी लाइफ को अपने एकार्डिंग जीने के लिए स्वतंत्र हो। बस तुमसे इतनी-सी रिक्वेस्ट हैं कि हमेशा खुश रहना, क्योंकि तुम खुश रहोगे तो मैं भी खुश रहूँगी और तुम दुखी रहोगे तो मैं भी दुखी रहूँगी। तुम मेरी ये लास्ट रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करोगे न ?

         क्या हुआ,  तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ? प्लीज कुछ बोलो न। मैं लास्ट टाइम तुम्हारे मुँह से कुछ सुनना चाहती हूँ। क्या तुम मेरी ये लास्ट विश पूरी नहीं करोगे ?"

       "मानसी, मैं इस समय कुछ भी बोल पाने की सिच्युएशन में नहीं हूँ। प्लीज, तुम मुझे अकेला छोड़ दो।"

        "ठीक हैं, बाय .....साॅरी, गुडबाय। कहकर मानसी थके-थके कदमों से चलती हुई कैंटिन से बाहर निकल गई।
                                     .............

        "मुझे पहचाना तुमने ?" कल्पना ने स्कूल-परिसर में अपनी स्कूटी स्टार्ट कर रही निक्की के करीब आकर सवाल किया तो निक्की ने कल्पना के चेहरे को कुछ पलों तक गौर से देखा और जवाब दिया- "अरे मैम, मैं आपको कैसे भूल सकती हूँ। मैं ही नहीं बल्कि आपने जिन-जिन स्टूडेंट्स पढ़ाया, उनमें से कोई भी आपको नहीं भूल सकता। आप यहाँ कैसे ? आई मीन, आप हम लोगों का ओल्ड सिटी छोड़कर इस शहर में कैसे आ गई ?"

         "लाइफ की सेकेंड इनिंग स्टार्ट करने के लिए यहाँ आना पड़ा।"

         "यानी, यहाँ आपका यहाँ ससुराल हैं ?"

          "हाँ।

          "व्हाट आर को-इन्सीडेंट! इस शहर में पापा का ट्रांसफर हुआ था, तब मैंने सोचा नहीं था कि इस शहर में आकर मेरे बचपन की यादें ताजा हो जाएगी। निहारिका मैम और हर्षित के बाद इस शहर में मिलनेवाली तीसरी पर्सन हैं। सुनाइए, आपकी लाइफ की सेकेंड इनिंग कैसी चल रहीं हैं ?"

          "सेकेंड इनिंग भी फर्स्ट इनिंग की तरह हीं अच्छी चल रहीं। तुम सुनाओ, तुम्हारी लाइफ की जर्नी कैसी कट रहीं हैं ?"

        "अभी तक लाइफ की जर्नी काफी अच्छी कटी और आप जैसे मेरे सभी बड़ों का आशीर्वाद मेरे साथ यूँ हीं बना रहा तो आई होप कि आगे की जर्नी इससे भी अच्छी कटेगी।"

        "तुम्हारे बाकी के बड़ों का तो मुझे नहीं पता, पर मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ पहले से भी ज्यादा अच्छी तरह बना रहेगा, क्योंकि अब मेरे साथ तुम्हारी डेली मुलाकात होती रहेगी तो मुझे तुम्हें डेली आशीर्वाद देने का चांस मिलेगा। आज मुझे अपनी स्टूडेंट को एज द टीचर मेरे हीं साथ पढ़ाते देखकर बहुत खुशी हुई।"

         "थैंक्स मैम, बट मुझे लगता हैं कि आपको मिसअंडरस्टैंडिंग हो रही हैं। एक्चुअली, मैं यहाँ सिर्फ वन वीक लिए निहारिका मैम की जगह ड्यूटी करने आ रहीं हूँ।"

         "शायद इसीलिए प्रिंसिपल ने तुम्हारा टीचर-स्टाॅफ और स्टूडेंट्स से इन्ट्रोडक्शन करवाया। वैसे निहारिका को हुआ क्या हैं ?"

          "उन्हें मलेरिया हो गया हैं और डाॅक्टर ने उन्हें कम से कम वन वीक के लिए कम्प्लिट बेड रेस्ट करने के लिए कहा हैं।"

          "अरे, उसे अचानक ऐसे कैसे मलेरिया हो गया ? परसो तो बिल्कुल फिट एंड फाइन थीं। दिनभर नार्मल तरीके से स्कूल में पढ़ाया उसने।"

          "उनकी कल सुबह करीब ग्यारह बजे उनकी अचानक तबियत खराब हो गई और उन्हें हास्पीटल ले जाया गया तो मेडिकल चेक-अप के बाद पता चला कि उन्हें मलेरिया हुआ हैं।"

          "अरे, पर मुझे वो कल दोपहर बारह बजे के आसपास भी न्यू मार्केट एरिया के एक आइस्क्रीम शाॅप के सामने हर्षित के साथ बिल्कुल नार्मल खड़ी नजर आयी थीं। एक्चुअली, कल मेरे बेटे का बर्थडे था और उसके बर्थडे की शाॅपिंग के लिए स्कूल से लिव लेकर न्यू मार्केट गई थीं, तभी वो मुझे नजर आयी थीं। मैं आॅटो में बैठी हुई थीं, इसलिए मैं रूककर उससे बात नहीं कर पायी। हो सकता हैं कि ट्रीटमेंट कराने के बाद वो आइस्क्रीम खाने के लिए गई होगी और आइस्क्रीम सामने देखकर फीवर की वजह से उसकी खोई हुई एनर्जी वापस आ गई होगी। वैसे भी उसका एनर्जी लेबल इतना हाई हैं कि फीवर होने पर भी वो हमसे ज्यादा फिट एंड फाइन नजर आती हैं और उसे आइस्क्रीम सामने नजर आ जाए तो फिर तो उसके अंदर छोटे बच्चों जैसी स्फूर्ति आ जाती हैं। अच्छा, अब मैं चलती हूँ, बाहर स्कूल बस का ड्राइवर मेरा इंतजार कर रहा होगा, बाय।"

         "बाय।" कहकर निक्की ने कल्पना के चेहरे से अपना ध्यान हटा लिया और बेवजह इधर-उधर नजरें दौड़ाती हुई गहरी सोच में डूब गई।
                         ..................

        "हर्षित, मैं निहारिका मैम के बारे में तो काॅन्फिडेंटली कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि मैं उनके टच में लम्बे समय तक नहीं रही, लेकिन तुम पर मुझे खुद से भी ज्यादा यकीन हैं, बट मेरी समझ में ये नहीं आ रहा हैं कि तुम्हारे सामने अचानक ऐसी कौन-सी प्राॅब्लम आ गई, जिसे तुमने मुझसे शेयर करने की जगह उसे निहारिका मैम के साथ शेयर किया और अपने साथ-साथ उन्हें भी मुझसे झूठ बोलने के लिए कहा ?" निक्की ने हैरान-परेशान स्वर में अपनी बात कही।

        "निक्की, उस प्राॅब्लम के बारे में कल तुम्हें काॅलेज में बताऊँगा क्योंकि इस वक्त घर में हम दोनों के अलावा मेरी कजिन भी मौजूद हैं और मैं नहीं चाहता हूँ कि वो इस प्राॅब्लम को लेकर हम दोनों के बीच होनेवाली कन्वर्सेशन सुने।" निक्की की बात के जवाब में हर्षित ने कहा।

         "यानि, कल मुझे निहारिका मैम की जगह ड्यूटी करने स्कूल नहीं जाना हैं, बल्कि तुम्हारे साथ काॅलेज जाना हैं ?"

         "हाँ।"

         "अरे, पर उन्होंने तो मुझे एक वीक तक स्कूल जाने के लिए कहा था।"

         "ये उन्होंने मेरे कहने पर तुमसे कहा था और मैंने अपनी जिस प्राॅब्लम की वजह से उनसे ये कहने के लिए कहा था, उसे साॅल्व करने के लिए मुझे वन वीक तक तुम्हारे बिना काॅलेज जाने की जरूरत थी, लेकिन वो प्राॅब्लम आज हीं अपने आप साॅल्व हो गई। अब तुम इस सब्जेक्ट पर कोई बात नहीं करोगी। तुम्हें जो कुछ पूछना हैं कल पूछ लेना, ओके ?"

        "ओके, बट इसके लिए तुम्हें मुझे एक कप स्पेशल काॅफी पिलानी पड़ेगी।"

        "काॅफी पीनी हैं तो किचन में जाओ और बना लो।"

        "नहीं यार, मैं इस हालत में नहीं हूँ कि किचन में जाकर काॅफी बना सकूँ क्योंकि मैं दिनभर बच्चों को पढ़ाकर बहुत बुरी तरह से थक चुकी हूँ।"

         "यानि, आज मुझे हीं तुम्हारे लिए काॅफी तैयार करनी पड़ेगी।"

         "तुम क्यों परेशान हो रहे हो यार ?"

         "तो किससे कहूँ, मम्मा तो मार्केट गईं हुई हैं और एक घंटे से पहले उनके वापस लौटने की सम्भावना नहीं हैं और एक घंटे तक तुम रूकोगी भी नहीं।"

        "तुमने अभी-अभी कहा न कि घर में तुम्हारी कजिन हैं, तुम उससे क्यूँ नहीं कहते ?"

         "उससे कहने का कोई फायदा नहीं होनेवाला हैं।"

         "क्यूँ, काफी छोटी हैं क्या ?"

         "काफी छोटी नहीं, काफी बड़ी हैं। वो मुझसे और तुमसे लगभग दो साल बड़ी हैं।"

         "फिर भी एक कप काॅफी नहीं बना सकती ?"

         "अरे यार, वो खुद के लिए एक गिलास पानी नहीं ले सकती और तुम पूछ रहीं हो कि दूसरे के लिए एक कप काॅफी नहीं बना सकती।"

          "वो इस टाइप की क्यूँ हैं ?"

          "उसके माँ-बाप नहीं हैं, इसलिए मम्मा ने उसे हद से ज्यादा सर पर चढ़ाकर रखा हैं। अब इस बात को छोड़ों और आराम से टीवी देखो, मैं पाँच मिनट में तुम्हारे लिए काॅफी बनाकर लाता हूँ।" कहकर हर्षित अंदर चला गया।

         "निक्की, तुम यहाँ से निकलोगी तो इस काॅलोनी की गली और मेनरोड का तिराहे पर कपड़ों का जो सेल लगा हैं, तुम मुझे पाँच के लिए उसके सामने मिलना। मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऐसी इन्फार्मेशन हैं, जिसे जानना तुम्हारे लिए बहुत जरूरी हैं।

          और सुनो, हर्षित को मत बताना कि मैंने तुम्हें मुझसे मिलने के लिए कहा, नहीं तो वो तुम्हें मुझसे मिलने भी नहीं देगा और मुझे इस घर से निकलवा देगा। अब मैं जा रहीं हूँ, तुम जल्दी से काॅफी पीकर उस सेल के सामने आ जाओं, जहाँ मैंने तुम्हें आने के लिए कहा।" हर्षित जिस गेट से अंदर गया था, उसके बगलवाले गेट से तेईस-चौबीस वर्ष की उम्र की एक युवती ने निकलकर धीमे स्वर में निक्की से ये सब कहा तो उसके चेहरे पर उलझन के भाव उभर आए और उसने अपनी उलझन दूर करने के लिए उस युवती से कुछ पूछने की कोशिश की, लेकिन वह युवती उसके मुँह खोलने से पहले ही वह युवती घर से बाहर निकल गई।

                                   ...............

         "मानसी, हम सब लोग अपने-अपने फाॅर्म वापस ले रहे हैं।" काॅलेज-कम्पाउंड में नीम के पेड़ के आसपास बने गोल चबुतरे पर उदास बैठी मानसी के पास दस-बारह छात्र-छात्राओं को साथ लेकर एक छात्र ने कहा तो मानसी ने अपनी नजरें उठाकर उस छात्र की ओर देखा और बरसों से बीमार व्यक्ति की तरह दर्दभरी आवाज में कहा- "क्यों, क्या हुआ चेतन ?"

          "अरे, न तुम कैम्पेनिंग में इन्ट्रेस्ट नहीं ले रही हो और न हमारा वो एक्स प्रेसीडेंट हर्षित कैम्पेनिंग में हमारी हेल्प कर रहा हैं तो हम इलेक्शन के मैदान में खड़े रहकर क्या करेंगे ? तुम दोनों में से कोई एक भी हमारे साथ होता तो हम लोग अपोजिट ग्रुप के साथ फाइट करने की कोशिश करते, पर हमें इसकी पाॅसिब्लिटी नजर नहीं आ रही हैं, इसलिए अपने संगठन के हम सब कैंडिडेट्स ने फैसला किया हैं कि हम इलेक्शन के मैदान से खुद ही हट जाए, ताकि हम पर शर्मनाक हार का दाग न लगे।"

           "ऐसा हैं तो मैं भी अपना फाॅर्म वापस ले लेती हूँ।"

           "ठीक हैं, तुम भी अपना फाॅर्म वापस ले लो। चलो गाईस, हम सब लोग इमिजेटली अपने-अपने फाॅर्म वापस ले लेते हैं, नहीं तो फाॅर्म वापस लेने का भी चांस हाथ निकल जाएगा और मजबूरन हमें मैदान में खड़े रहकर ऐतिहासिक हार झेलना पड़ेगा। सब लोग अपने-अपने फाॅर्म वापस लेने के लिए एग्री हैं न या कोई मैदान में खड़ा रहकर फाइट करना चाहता हैं ?"

            "अरे यार, जब हम लोगों के सेनापति ने हथियार डाल दिए हैं तो लड़ने का कोई सेंस नहीं रहा।" चेतन की बात के जवाब में एक छात्रा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसके बाद सभी छात्र-छात्राओं ने चेतन की बात पर कुछ इसी तरह प्रतिक्रिया व्यक्त की और फिर वे लोग वापस जाने के मुड़ने लग गए।

           "रूको।" लेकिन जैसे हीं मानसी का स्वर उनके कानों पड़ा, सब लोग एक-एक करके दुबारा मानसी की तरह मुड़ गए और आशाभरी निगाहों से मानसी के चेहरे की ओर देखने लगे।

           "मैं तुम लोगों कैम्पेनिंग करने के लिए तैयार हूँ बट मेरे अकेली के तुम्हारे साथ कैम्पेनिंग करने से कुछ नहीं होगा। हमें अपने स्टार कैम्पेनर को हमारा साथ देने के लिए तैयार करना होगा।" मानसी का एक सेन्टेंस सुनकर छात्र-छात्राओं के ग्रुप में फैली उत्साह की लहर उसकी पूरी बात सुनते ही गायब हो गई।

           "मानसी, उससे तो कोई भी उम्मीद रखना बेकार हैं।" चेतन ने मानसी की बात पर सबसे पहले प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसके बाद शेष छात्रों ने भी उसकी बात समर्थन किया।

          "क्यों, उसे क्या हुआ ?"

          "ये तो तुम्हें पता होना चाहिए। तुम्हीं ने तो कल उसे पता नहीं कौन-सी कड़वी घुट्टी पिलाई कि वो तुम्हारे साथ बात करके कैंटिन से बाहर निकलते ही मुँह लटकाकर सीधा घर चला गया और आज भी काॅलेज आने के बाद से लाइब्रेरी में मुँह लटकाकर बैठा हुआ हैं। मानसी, क्या तुम उसके साथ अपने डिसपुट्स इलेक्शन के बाद नहीं सुलझा सकती थी ?"

          "हाँ, लेकिन मैंने कल उससे कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं कहा, बल्कि मैंने तो उसे चक्की के दो पाट के बीच पिसने से बचाने के लिए अपने रिश्ते से पूरी तरह से आजाद कर दिया था, पर फिर भी पता नहीं क्यों वो खुश होने की जगह हद से ज्यादा उदास हो गया था। मैंने उससे इसकी वजह भी जानने के कोशिश की थीं, लेकिन वो मुझे कुछ बताने के लिए तैयार हीं नहीं हुआ। इस वजह से मुझे न चाहते हुए भी उसे उसके हाल पर छोड़ना पड़ा, बट तब मुझे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थीं कि उसकी सैडनेस इतनी लम्बी हो जाएगी क्योंकि वो जनरली काफी शाॅर्ट पीरियड में रिकवरी कर लेता हैं। चलो, हम सब लोग उसी के पास चलकर उसकी सैडनेस का रिजन पूछते हैं।"

         "मानसी, आई थिंक हमें हर्षित के पास नहीं, बल्कि उसकी न्यू गर्लफ्रेंड निक्की के पास चलना चाहिए।" एक ने छात्रा ने कहा तो मानसी के पैरों पर ब्रेक लग गया।

         "क्यों ?"

         "क्योंकि हर्षित की आज की सैडनेस का रिजन उसी का पैदा किया हुआ हैं। उसने आधे घंटे पहले हर्षित पर किसी और लड़की के साथ अफेयर रखने का एलीगेशन लगाकर उसके साथ जमकर झगड़ा किया, जिसके बाद हर्षित बेहद उदास होकर लाइब्रेरी में जाकर बैठ गया और किसी के भी साथ बात नहीं कर रहा हैं।"

          "निधि, तुम्हारी बात सुनकर मुझे लगता हैं कि निक्की को किसी ने ये बता दिया होगा कि कल डेढ़-दो घंटे तक हर्षित मेरे साथ था और ये बात जानकर निक्की को ये मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई होगी कि हर्षित का उसके साथ-साथ मेरे साथ भी अफेयर चल रहा हैं और उसने भड़ककर हर्षित को उल्टा-सीधा कह दिया होगा। चलो, हम लोग पहले निक्की की मिसअंडरस्टैंडिंग दूर करते हैं और फिर उसे लेकर हर्षित के पास चलते हैं। उन दोनों के बीच सबकुछ ठीक हो गया तो हमारा स्टार कैम्पेनर हमारे साथ खड़ा हो जाएगा और फिर हमें इलेक्शन जीतने से बबलू एंड कम्पनी तो क्या, उन लोगों की सात पुश्ते भी नहीं रोक पाएगी।" अपनी बात समाप्त करने के साथ हीं मानसी काॅलेज की बिल्डिंग की ओर कदम बढ़ाने लग गई। उसके साथियों ने भी उसका अनुसरण करने में देर नहीं लगाई।
                         ..................

        "निक्की, तुम हर्षित को गलत समझ रही हैं। वो कल डेढ़-दो घंटे तक मेरे साथ था जरूर, लेकिन हम दोनों के बीच ऐसी कोई बात नहीं हुई, जैसा तुम समझ रही हो। एक्चुअली, मुझे लग रहा था कि मैं उससे अपने मिसबिहेव के लिए माफी माँग लूँगी तो वो दुबारा हम दोनों के रिलेशन पहले जैसे हो जाएँगे, इसीलिए मैंने तीन दिन पहले हमारे संगठन की ओर से स्टूडेंट्स यूनियन का कैंडिडेट डिक्लियर कर दिया और उसे परसो सुबह काॅल करके इसके बारे में इन्फाॅर्म भी कर दिया। साथ ही मैंने उससे अपने डिसपुट्स खत्म करने की भी कोशिश की, लेकिन उसने मुझे ये कहकर एक जोरदार शाॅक दे दिया कि अब उसकी लाइफ में तुम आ चुकी हो। उस समय मुझे लगा कि वो मेरे मिसबिहेव की वजह से मुझे सताने के लिए ऐसा कह रहा हैं, इसलिए मैंने उसकी बात को इग्नोर कर दिया और उसे जल्दी काॅलेज आने के लिए कहकर बेफिक्र हो गई। 

         लेकिन करीब एक-डेढ़ घंटे तक वो काॅलेज नहीं आया और जब मैंने उसको दुबारा काॅल की तो उसने मुझसे कह दिया कि वो उसकी बुआ के ट्रीटमेंट में बिजी होने की वजह से फाॅर्म सबमिट करने काॅलेज नहीं आ सकता, इसलिए उसकी जगह मैं फाॅर्म भर दूँ और मैंने उसकी बात मानकर उसकी जगह पर अपना फाॅर्म भर दिया, पर कल डेढ़-दो घंटे का उसने मेरे साथ जैसा बिहेवियर किया, उससे मैं समझ गई कि परसो फोन पर उसने मुझसे जो कुछ कहा था, वो सच था और उसने उस दिन काॅलेज आकर अपना फाॅर्म सबमिट न करने आ पाने का रिजन बताया था, वो मुझसे दूरियाँ बनाएँ रखने के लिए बनाया गया झूठा रिजन था। ये बात मेरी समझ में आने के बाद मैंने उसे अपनी ओर से आजाद कर दिया, ताकि वो तुम्हारे साथ खुश रह सके। आई होप कि अब तुम्हारी सारी गलतफहमियाँ दूर हो गई होंगी।" मानसी ने अपनी बात खत्म करने के बाद प्रश्नवाचक नजरों से देखा।

        "मानसी, मेरी सारी गलतफहमियाँ तो पहले हीं दूर हो चुकी हैं, पर मुझे लगता हैं कि तुम्हें हर्षित के कैरेक्टर को लेकर जो गलतफहमी हैं, वो आसानी से दूर नहीं होनेवाली हैं।" निक्की ने व्यंग्यात्मक लहजे में मानसी की बात का जवाब दिया तो मानसी के साथ-साथ ग्रुप के दर्जनभर छात्र-छात्राओं के चेहरे पर हैरानी के भाव उभर आए।

       
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#15
 "निक्की, ये क्या बकवास कर रही हो तुम ? अरे, हर्षित के कैरेक्टर पर तो उसके दुश्मन भी कोश्चन मार्क नहीं लगाते, फिर तुम तो उसकी बचपन की दोस्त और उसकी प्रजेंट लवर हो। उसने तुम्हारा दिल न टूटे, इसलिए इनडायरेक्टली मुझसे दुबारा रिश्ता जोड़ने से मना कर दिया और तुम ही उस पर इतना गंदा एलिगेशन लगा रही हो। आई कान्ट बिलिव इट।"

         "मानसी, मैं उसके चेहरे से मासूमियत का नकाब हटा दूँगी न तो तुम्हारे पैरों के नीचे की जमीन खिसक जाएगी, पर मैं नहीं चाहती हूँ कि उसके इस चेहरे के बारे में ज्यादा लोग जाने, क्योंकि उसकी बदनामी के छीटे हम दोनों के दामन पर भी पड़ेंगे। लोग सोचेंगे कि हम दोनों कितनी स्टूपिड लड़कियाँ हैं जो एक ऐसे लड़के को एक-दूसरे से छीनने की कोशिश में लगी हुई थीं जो किसी भी शरीफ लड़की के काबिल नहीं हैं, इसलिए यदि तुम ये राज जानना चाहता हूँ तो अपने ग्रुप के सारे लोगों को यहाँ से दूर भेज दो। इसके बाद मैं तुम्हें सबकुछ साफ-साफ बता दूँगी, क्योंकि मैं भी चाहती हूँ कि तुम इस घिनौने राज को जान लो, ताकि तुम्हारे दिल में हर्षित को खोने का अफसोस न रहे और तुम उसे भूलकर नार्मल लाइफ जी सको।"

         "तुम सब लोग कैंटिन में जाकर कुछ खा-पी लो, बिल मैं आकर दे दूँगी।" मानसी की बात सुनकर उसके सभी साथी उस जगह से काॅलेज के कैंटिन की ओर चले गए, जहाँ निक्की और मानसी आमने-सामने खड़ी थीं।

        "हाँ निक्की, अब बोलो कि तुम क्या बताना चाह रही थीं ?" कुछ पलों की खामोशी के मानसी ने दुबारा बातचीत का सिलसिला शुरू किया।

       "एक्चुअली बात ये हैं कि परसो हर्षित ने अपनी जिस बुआ के ट्रीटमेंट का बहाना बनाकर तुम्हें काॅलेज आने से इनकार कर दिया था, उन्हीं के साथ हर्षित के इल्लिगल रिलेशन हैं।"

        "व्हाट ?"

        "कल जब मुझे पहली बार ये बात चली थीं, तब मैं भी ऐसे हीं चौंकी थीं।"

         "अरे, लेकिन ये बात सच कैसे हो सकती हैं यार ? हर्षित का मेरे साथ डेढ़ साल तक अफेयर रहा और इस बीच उसने कभी भी अपनी लिमिटेशन क्राॅस नहीं की, जबकि मैंने उसे कई बार इनडायरेक्टली इनवाइट भी किया और मौके भी दिए। जो लड़का अपनी हम उम्र लवर के साथ अपनी लिमिटेशन क्राॅस नहीं कर सकता, वो अपनी खुद की बुआ के साथ इल्लिगल रिलेशन कैसे बना सकता हैं ? आई कान्ट बिलिव इट। मुझे पता नहीं हैं कि तुम्हें ये नाॅनसेंस इन्फार्मेशन कहाँ से मिलीं, बट फिर भी मैं पूरे काॅन्फिडेंस के साथ कह सकती हूँ कि ये फिजूल की बकवास के अलावा कुछ नहीं हैं।"

         "मानसी, तुम मेरी पूरी बात सुन लो, फिर किसी डिसिजन पर पहुँचना।"

          "ओके, मैं तुम्हारी पूरी बात सुनूँगी, ताकि तुम्हें बता सकूँ कि तुम कहाँ गलत हो ? अब तुम नाॅनस्टाॅप अपनी बात पूरी कर सकती हो।"

           "मानसी, एक्चुअली बात ये हैं कि हर्षित की जिस बुआ की मैं बात कर रही हूँ वो उसकी सगी बुआ नहीं हैं और न हीं हर्षित का  ......।"

           "उनसे कोई ब्लड रिलेशन हैं। हर्षित उन्हें सिर्फ इस वजह से उन्हें अपनी सगी बुआ की तरह मानता हैं क्योंकि उन्होंने हर्षित के बचपन के दिनों में उसकी और उसकी फेमिली की बहुत हेल्प की थीं। वे हर्षित की स्कूल टीचर भी थीं और उसका बहुत ध्यान रखती हैं, इसलिए स्कूल छोड़ देने के बाद भी हर्षित के उनकी बुआ के साथ रिलेशन बने हुए हैं। वे हर्षित की टीचर और बुआ होने के साथ-साथ उसकी अच्छी फ्रेंड भी हैं और इसकी वजह ये हैं कि वे हर्षित से एज में चौदह-पंद्रह साल बड़ी होने के बावजूद उसकी फिलिंग को उसके सेम एज के दोस्तों से बेहतर समझती हैं। ये सब मुझे हर्षित कई बार बता चुका हैं, इसलिए इन बातों को छोड़ों और मेन पाईंट पर आओ।"

        "ओके, आई एम कमिंग टू द मेन पाईंट। एक्चुअली, कल तक मैं भी ऐसा ही कुछ समझती थीं, जैसा तुम समझ रही हो, पर मुझे कल हर्षित के बड़े पापा की बेटी ने इन दोनों के रिश्ते की असलियत के बारे में बताया तो तुम समझ भी नहीं सकती कि मुझ पर क्या बीती। हुआ ये कि मुझे कल शाम को हर्षित के मुझसे झूठ बोलकर अपनी बुआ के ट्रीटमेंट के उन्हें न्यू मार्केट में ले जाकर आइस्क्रीम खिलाने की बात पता चली तो मैं हर्षित के घर उससे मुझसे झूठ बोलने का रिजन पूछने गई थीं, पर उसने अपनी कजिन के घर में होने की बात कहकर मुझे इसका रिजन अगले दिन बताने के लिए कन्वेंस कर लिया। इसके बाद उसकी कजिन ने मौका देखकर मुझसे पाँच मिनट के लिए अकेले में मिलने के लिए कहा और मैं उससे उसकी बताई जगह पर मिली तो उसने मुझे ये सब बताया।

          मानसी, तुम्हारे चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा हैं कि तुम्हें अब भी मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ, बट कोई बात नहीं। मैं तुम्हें अब जो बताऊँगी, उसके बाद तुम्हें मेरी बात पर यकीन करना हीं पड़ेगा। तुम जिन बेसेस पर इस बात पर यकीन नहीं कर रही हो, इस बात की एवीडेंस भी उन्हीं बेसेस में छुपी हुई हैं। हर्षित ने जैसे तुम्हारे इन्विटेशन्स के बावजूद कभी अपनी लिमिटेशन्स क्राॅस नहीं की, उसी तरह तुमसे ब्रेक-अप होने और मुझसे रिलेशन जुड़ने के बाद मुझे भी एक हद से ज्यादा करीब नहीं आने दिया, लेकिन इसका रिजन ये नहीं हैं कि वो निहायत हीं शरीफ और संस्कारी लड़का हैं, बल्कि इसका रिजन ये हैं कि उसके पास एक ऐसी पर्मानेन्ट लवर हैं जो हम दोनों से उम्र में चौदह-पंद्रह साल बड़ी होने के बावजूद अपनी बेहतरीन फिटनेस की वजह से हमारी हमउम्र लगती हैं। इसके अलावा वो हम दोनों से ज्यादा खूबसूरत भी हैं और हर्षित को हम दोनों से बेहतर समझती हैं। इस वजह से हर्षित को हममें से किसी की या किसी और हमउम्र फिमेल पार्टनर की जरूरत हीं नहीं हैं। तभी वो कभी किसी हमउम्र लड़की में जरा-सा इन्ट्रेस्ट नहीं लेता। मैंने आज सुबह जल्दी काॅलेज आकर अपनी कुछ जान-पहचान की लड़कियों से पूछताछ की तो मुझे पता चला कि तुमसे पहले इस काॅलेज की काफी लड़कियाँ उसे प्रपोज कर चुकी हैं, जिनमें से कुछ का फेस और फिगर तुमसे भी अच्छा था। क्या मुझे मिली ये इन्फार्मेशन गलत हैं ?"

          "नहीं, तुम्हें मिली इन्फार्मेशन एक्युरेट हैं।"

          "और ये इन्फार्मेशन सही हैं या गलत कि उससे अपना प्रपोजल एक्सेप्ट कराने के लिए तुम्हें भी काफी पापड़ बेलने पड़े और उसके तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट करने के बाद दूसरों को अपने इशारो पर नचाने वाली तुम उसके इशारो पर नाचती रही ?"

         "ये भी सच हैं। इनके अलावा एक सच्चाई ये भी हैं कि हम दोनों के बीच डिसपुट्स पैदा होने पर हमेशा मैंने ही कम्प्रोमाइज किया और हम दोनों के रिश्ते को बचाने के लिए अपनी काफी सारी हैबिट्स भी चेंज की, बट उसने न कभी कोई कम्प्रोमाइज किया और न कभी अपनी कोई हैबिट चेंज नहीं की।"

         "क्या इन बातों पर गौर करके अब तुम्हें ऐसा नहीं लग रहा हैं कि उसने तुमसे परेशान होकर मजबूरी में तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट किया था और वो मजबूरी में इस रिश्ते को ढो रहा था ?"

         "मुझे पहले तो ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ, पर अब लग रहा हैं कि ऐसा हीं कुछ था, क्योंकि उसे जैसे हीं मौका मिला, उसने मेरा साथ छोड़ने में पलभर की देर नहीं की, पर उसके एक छोटी-सी बात को लेकर मुझसे डिस्टेंस बनाने की वजह तुम लग रही थी, इसलिए ......।"

         "मानसी, ये वजह भी गलत हैं क्योंकि उसने तुमसे जब डिस्टेंस बनाया, तब हम लोग सिर्फ फ्रेंड थे। मैंने तो उसे पंद्रह दिन पहले मेरे बर्थडे पर प्रपोज किया था और उसने तुमसे डेढ़ माह पहले हीं डिस्टेंस बना लिया था। एक बात तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि मेरे प्रपोजल को भी उसने आसानी से एक्सेप्ट नहीं किया था। उसने मेरे बर्थडे पर मेरे प्रपोजल को सुनकर भी अनसुना कर दिया था और पार्टी के दौरान मेरी आँखों में कई बार आँसू देखकर भी नहीं पिघला। इसके बाद मैंने लगातार अठारह घंटों तक अपने कमरे में बंद रहकर भूख हड़ताल की और मेरी मम्मी ने उसे इसके बारे में बताया, तब उसने इनडायरेक्टली मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करने का इंडिकेशन दिया। पर तुम्हें ये जानकर हैरानी होगी कि आज तक मुझे अपने खुलकर मस्ती करने की छूट नहीं दीं। वो तो मैं हीं कभी-कभी जबर्दस्ती उसके साथ मस्ती कर लेती थीं जिसके लिए मुझे उसके लम्बे-लम्बे लैक्चर्स सुनने पड़ते थे।

         अब तुम मेरे कुछ कोश्चन्स सुन लो, उसके बाद अपनी ओपिनियन बताना। मेरा फर्स्ट कोश्चन ये हैं कि निहारिका मैम ने शादी के सिर्फ दो साल विडो होने के बाद अब तक दूसरी शादी क्यूँ नहीं की ? दूसरा कोश्चन ये हैं कि उनकी दूसरी शादी करने की इच्छा नहीं थीं तो उन्होंने अपने आप को अब तक इतना फिट क्यूँ रखा ? तीसरा कोश्चन ये हैं कि हर्षित को अपनी हमउम्र लड़कियों में इन्ट्रेस्ट क्यूँ नहीं हैं और मेरा फोर्थ एंड लास्ट कोश्चन ये हैं कि हर्षित ने यदि काॅलेज के इलेक्शन में एज द कैंडिडेट पार्टिसिपेट करने से बचने के लिए तुम्हें निहारिका मैम की बीमारी का बहाना बताया था, ताकि उसका तुमसे डिस्टेंस बना रहे तो उसे यही बहाना मुझे बताने की क्या जरूरत थी ?"

         "यानि, उसने तुम्हें भी यही बहाना बताया ?"

         "हाँ।"

         "निक्की, तुम्हारी सारी बातें सुनकर मुझे भी पूरा यकीन हो गया हैं कि हर्षित की कजिन की बताई हुई बात सच हैं। थैंक यू सो मच कि तुमने मुझे अपना समझकर इस सच्चाई से वाकिफ करवाया, अदरवाइज मुझे जिंदगी भर हर्षित को खो देने का अफसोस रहता।"

          "यानि, अब तुम्हारे मन उसे खोने का कोई अफसोस नहीं रहा ?"

           "नहीं।"

          "तो अब उठो और इलेक्शन कैम्पेनिंग की तैयारी शुरू करों।"

           "मैं भी यही सोच रही हूँ क्योंकि मेरी पैनल के अदर कैंडिडेट्स के दुखी और मायूस चेहरे मुझसे देखे नहीं जाते। बेचारे मेरे डिस्पाईन्टेड होकर बैठ जाने से बेहद हताश हो गए हैं। क्या तुम कैम्पेनिंग में मेरी हेल्प करोगी ?"

           "श्योर, बिकाज वी आर फ्रेंड्स नाऊ।"

            "थैंक्स।" कहकर मानसी ने निक्की ओर हाथ बढ़ा दिया, जिसे निक्की ने बिना देर किए थाम लिया।
                            ..................

        "मानसी, हर बार की तरह इस बार भी बबलू एंड कम्पनी ने इस काॅलेज के लगभग सिक्स्टी परसेन्ट लड़कों को अपने फेवर में कर लिया हैं। मुझे मिली इन्फार्मेशन के एकार्डिंग वो और उसके खुराफाती दोस्त अपने पुराने हथकंडे यूज करके हर क्लास के मोस्ट पापुलर ब्वायस को अपनी टीम में शामिल करने में कामयाब हो चुके हैं, इसलिए अब हमें भी हर बार की तरह सेवंटी परसेन्ट गर्ल्स को अपने फेवर में करना होगा, तभी हम लोगों के इलेक्शन जीतने की उम्मीद बनी रहेगी।" अपने ग्रुप के साथ काॅलेज के कैंटिन में बैठे चेतन ने अपने सामने बैठी मानसी के सामने संजीदगी के साथ अपनी बात रखी।

          "मैं भी यही सोच रही थीं, बट मुझे लगता हैं कि इस बार हमारे लिए सेवंटी परसेन्ट गर्ल्स को अपने फेवर में करना आसान नहीं होगा, क्योंकि इस बार हर्षित हमारे साथ नहीं हैं।" चेतन की बात के की बात पर मानसी ने कुछ चिंतित स्वर में अपनी राय रखी।

          "क्यूँ, क्या इस काॅलेज की सेवंटी परसेन्ट गर्ल्स इतनी बेवकूफ हैं कि एक मोस्ट पापुलर ब्वाय के किसी पैनल के साथ होने से उस पैनल के फेवर में वोटिंग करती थीं और उसके उस पैनल के साथ न होने से उस पैनल के फेवर में वोटिंग नहीं करेगी ?" ये सवाल मानसी के बगल में बैठी निक्की ने किया।

         "हाँ, कुछ ऐसा हीं समझ लो, लेकिन इस काॅलेज के हर किसी मोस्ट पापुलर ब्वाय के किसी पैनल के साथ होने से गर्ल्स की मेज्योरिटी मिलने की गारंटी नहीं हैं। ये सिर्फ दो साल से हर्षित के इस काॅलेज के मोस्ट पापुलर स्टूडेंट्स के बाद से हीं ऐसा हो रहा हैं। जब मैं और हर्षित इस काॅलेज में मोस्ट जूनियर्स थे, उस समय के इस काॅलेज के सबसे पापुलर स्टूडेंट अभिषेक की अपील को इस काॅलेज की न गर्ल्स इतना सीरियसली लेती थीं और न ब्वायस और मुझे लगता हैं कि हर्षित के बाद भी जो कोई इस काॅलेज का मोस्ट पापुलर स्टूडेंट बनेगा, उसकी भी अपील को कोई इतना सीरियसली लेगा, क्योंकि हर्षित की पर्सनाल्टी में जो अट्रेक्शन हैं, वैसा अट्रेक्शन मैंने अपनी पूरी लाइफ में किसी स्टूडेंट की पर्सनाल्टी में नहीं देखा। उसकी अपील से सिर्फ इस काॅलेज की गर्ल्स हीं नहीं बल्कि ब्वायस और काॅलेज का पूरा स्टाॅफ सीरियसली लेता हैं। 

         मैंने हर्षित से पर्सनली हर्ट होने की वजह से भले हीं उसकी पापुलर्टी पर उंगली उठाकर उसे प्रूव करने का चेलेंज दे दिया था, बट मैं अच्छी तरह से जानती हूँ कि हमें पिछले दो इलेक्शन में जो सेवंटी टू एट्टी परसेन्ट गर्ल्स और फोर्टी टू फोर्टी फाइव परसेन्ट ब्वायस के वोट मिले थै, उसका सबसे बड़ा रिजन हर्षित का खुद एज द कैंडिडेट इलेक्शन में खड़े होना और हमारे बाकि कैंडिडेट्स के लिए भी कैम्पेनिंग करना था, लेकिन उसके हमारे साथ होने के बावजूद हमें ब्वायस की मेज्योरिटी नहीं मिलने का ये मतलब नहीं हैं कि वो ब्वायस के बीच वो ज्यादा पापुलर नहीं हैं। एक्चुअली, वो ब्वायस के बीच भी लगभग उतना ही पापुलर हैं जितना गर्ल्स के बीच हैं, लेकिन हमारी अपोजिट पैनल पैसे, शराब, लड़कियों जैसे ओछे हथकंडे यूज करके ब्वायस के बीच हर्षित की पापुलर्टी को काफी हद तक काउंटर कर लेती हैं, पर फिर उसकी पापुलर्टी की वजह से हमें ब्वायस के फोर्टी टू फोर्टी फाइव परसेन्ट वोट मिल हीं जाते थे। इसलिए उसके इस बार हमारे साथ न होने की वजह से हमारे सामने सिर्फ गर्ल्स की मेज्योरिटी को अपने फेवर में करने का हीं चेलेंज नहीं हैं, बल्कि ब्वायस की माइनर्टी को भी अपने फेवर में बनाए रखने का चेलेंज हैं। समझ भी नहीं आ रहा हैं कि इन चुनौतियों का सामना हम लोग कैसे करें ?"

         "मानसी, आई थिंक हमारे पास जो आॅप्शन उपलब्ध नहीं हैं, उस पर विचार न करके हम जो कुछ कर सकते हैं, उस पर विचार करना चाहिए।"

          "यू आर राइट निक्की, बट मेरे दिमाग में ऐसा कोई सालिड आइडिया नहीं आ रहा हैं, जिनसे इन चुनौतियों से निपटा जा सके। क्या तुम कोई सालिड आइडिया मुझे दे सकती  हो ?"

           "एक सालिड आइडिया तो हैं मेरे दिमाग में, बट पहले तुम एक बात बताओ कि इस काॅलेज के स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसीडेंट की सीट कितने सालों से ब्वायस के पास हैं ?"

            "हमारे काॅलेज में जो लिस्ट लगी हैं, उसके एकार्डिंग छः साल पहले कोई निशा शर्मा नाम की एक गर्ल एक साल के लिए प्रेसीडेंट रही, उसके बाद से ये सीट ब्वायस के पास हीं हैं।"

            "गुड, हमें इसी पाईंट को अपने कैम्पेनिंग का मुख्य अस्त्र बनाना हैं। आई मीन, हमें इस इलेक्शन की मेन पोस्ट के लिए हमारी पैनल की कैंडिडेट एक गर्ल के होने का एडवांटेज लेना चाहिए। हमें अपनी कैम्पेनिंग में सबसे ज्यादा इसी बात का प्रचार करना चाहिए कि पिछले छः सालों से प्रेसीडेंट की सीट ब्वायस के पास हैं तो इस बार ये सीट एक गर्ल को मिलनी चाहिए। खुशकिस्मती से हमारी अपोजिट पैनल से तुम्हारे अपोजिट एक ब्वाय खड़ा हैं, उस पैनल से भी गर्ल खड़ी होती तो ये फंडा काम नहीं आता, बट ऐसा नहीं हैं, इसलिए ये हमारे काम आएगा। हम इस फंडे का यूज करके एट्टी परसेन्ट से भी ज्यादा गर्ल्स को अपने फेवर में कर सकते हैं। कैसा लगा मेरा आइडिया ?"

           "एकदम धासू। वाकई मानना पड़ेगा कि माइंड एप्लाई करने में तुम हर्षित से कम नहीं हो।"

           "मानसी, प्लीज मुझे उसके साथ कम्पेयर मत करों।"

           "ओके एंड साॅरी फार इट। अब चलो, हम सबसे पहले हम कुछ ऐसी पापुलर गर्ल्स से मिलते हैं जो वीमेन इम्पाॅवरमेन्ट की हमेशा पैरवी करतीं रहती हैं। चलो गाईस, निक्की के दिए आइडिया का इम्प्लिमेंटेशन स्टार्ट करके बबलू एंड कम्पनी की बैंड बजा देते हैं। यदि इस आइडिया से मुझे एट्टी परसेन्ट गर्ल्स का सपोर्ट मिल जाता हैं तो हमारी पूरी पैनल को जीतने से कोई नहीं रोक पाएगा, क्योंकि इस काॅलेज के इलेक्शन का ट्रेक रिकॉर्ड हैं कि जो वोटर जिस पैनल के प्रेसीडेंट के कैंडिडेट को वोट देता हैं, जनरली वो उसी पैनल के बाकी कैंडिडेट्स को भी वोट देता हैं।" अपनी बात खत्म करते हीं मानसी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई। जिसके बाद निक्की के साथ-साथ मानसी के बाकी साथी भी फुर्ती के साथ उठकर खड़े हो गए और मानसी के साथ कैंटिन से बाहर निकल गए। सभी के चेहरों और चाल-ढाल में एक नया जोश और उत्साह नजर आ रहा था।
                          ..................

         "साॅरी मानसी, मैंने इस इलेक्शन में न्यूट्रल रहने के फैसला किया हैं, इसलिए मैं इस बार तुम्हारी या तुम्हारी पैनल की कोई हेल्प नहीं कर पाऊँगी।"अपने सामने खड़ी छात्रा की बात सुनकर मानसी और उसके ग्रुप के छात्र-छात्राओं के चेहरों पर मायूसी छा गई।

          " रागिनी दी, क्या मैं जान सकतीं हूँ कि वीमेन इम्पाॅवरमेंट की जबर्दस्त सपोर्टर होने के बावजूद आप एक गर्ल को सपोर्ट करने से क्यों इनकार कर रही हैं ?" पलभर की खामोशी के बाद मानसी ने सवाल किया।

         "मानसी, वीमेन इम्पाॅवरमेंट की सपोर्टर होने का ये मतलब नहीं हैं कि मैं राइट या रांग देखे बिना मैं किसी भी लड़की के कोई भी मिशन को सपोर्ट कर दूँ।"

          "दी, आपके कहने का मतलब हैं कि या तो मैं गलत लड़की हूँ या फिर मेरा मिशन गलत हैं। अब आपके दिल की बात जुबान पर आ हीं गई हैं तो ये भी बता दीजिए कि मैं गलत लड़की हूँ या फिर मेरा इस इलेक्शन में एज द प्रेसीडेंट कैंडिडेट फाइट करना गलत हैं ?"

           "गर्ल्स हो या ब्वाय, किसी का भी स्टूडेंट्स यूनियन का इलेक्शन लड़ना तो गलत हो हीं नहीं सकता, क्योंकि ये तो हर स्टूडेंट का राइट हैं। लेकिन मेरे कहने का मतलब ये भी नहीं हैं कि तुम गलत लड़की हो। तुम एक अच्छी लड़की हो, बट पिछले कुछ दिनों से तुम हर्षित के साथ जैसा मिसबिहेव कर रही हो, उसकी वजह से मेरी अंतरात्मा मुझे तुम्हें या तुम्हारी पैनल के लिए कैम्पेनिंग करने की इजाजत नहीं दे रही हैं, बट तुम इतनी उम्मीद के साथ मेरे पास अपनी पैनल को लेकर आयी हो तो मैं तुम्हें और तुम्हारी पैनल को निराश नहीं करूँगी। मैं तुमसे प्राॅमिश करती हूँ कि मैं अपने खुद के सारे वोट तुम्हें और तुम्हारी पैनल को हीं दूँगी।"

           "थैंक्स दी।"

          "बेस्ट आॅफ लक।" कहकर रागिनी ने मानसी से हाथ मिलाया और उसके ग्रुप से कुछ कदमों की दूरी पर खड़ी दो छात्राओं के पास जाकर बात उनके साथ बातचीत में मशगुल हो गईं।

            "यार मानसी, इतनी स्टूपिड गर्ल्स हिन्दुस्तान के किसी कोने में नहीं मिलेगी, जितनी इस काॅलेज की गर्ल्स हैं। हम लोग जितनी भी गर्ल्स से मिल रहे हैं, वे सब की सब एक हीं बात कह रही हैं, 'मानसी, तुमने हर्षित के साथ जो किया, उसकी वजह से मेरा दिल तुम्हें सपोर्ट करने के लिए तैयार नहीं हो रहा हैं। आई कान्ट बिलिव इट कि इतनी सारी गर्ल्स एक कैरेक्टरलेस लड़के के प्रति इतनी ब्लाइंड फैथ रख सकती हैं।" रागिनी के उनके पास से हटते हीं निक्की ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा।

           "निक्की, धीरे बोलो यार क्योंकि रागिनी दी पास हीं खड़ी हैं। उन्होंने हमारे ग्रुप में से किसी के मुँह से हर्षित के बारे में कुछ भी उल्टा-सीधा सुन लिया तो वे बहुत बुरी तरह से भड़क जाएगी, जिसके बाद वे खुद भी हमारी पैनल को वोट नहीं करेंगी और हमारे सौ-डेढ़ दूसरे वोटर्स को हमारे खिलाफ कर देगी। वे इस काॅलेज में किसी भी फिमेल स्टूडेंट या प्रोफेसर के साथ कुछ भी गलत होने पर उनके फेवर तुरंत खड़ी हो जाती हैं, इसलिए वे भी इस काॅलेज की गर्ल्स के बीच काफी पापुलर हैं।"

           "मानसी, मेरी तारीफ करने के लिए मेनी-मेनी थैंक्स, बट मुझे बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा हैं कि मेरी तारीफ करने के बावजूद तुम्हें मेरी वजह से इस इलेक्शन में काफी डिसएडवांटेड उठाना पड़ेगा।" मानसी की बात खत्म हीं रागिनी उन लोगों के पास पलटकर आयी और मानसी को एक जोरदार झटका दिया।

           "साॅरी दी, एक्चुअली निक्की को पता नहीं था कि आप हर्षित को अपना छोटा भाई मानती हैं, इसलिए उसके खिलाफ कोई भी उल्टा-सीधा बोले तो आपसे बर्दाश्त नहीं होता। प्लीज, हम लोगों को माफ कर दीजिए। आफ्टर आल हम लोग भी तो आपसे छोटे होने की वजह से आपके लिए हर्षित जैसे हीं हैं।"

             "मानसी, तुम्हारी ये बात गलत हैं कि लोग मेरे लिए हर्षित जैसे हो क्योंकि तुम लोगों में और हर्षित में जमीन-आसमान का अंतर हैं। वो कभी किसी के बारे में बुरा बोलता हैं और न किसी का बुरा करता हैं जबकि तुमने तो उससे डेढ़ साल तक अफेयर होने के बावजूद एक छोटी-सी बात को लेकर उसकी कई बार सरे-आम इन्सल्ट कर डाली और ये तुम्हारे साथी तुम्हारे साथ खड़े रहकर तुम्हारी हौसला अफजाई करते रहे। ये मत सोचना कि ये मुझे हर्षित ने बताया। वो इतना सुलझा हुआ और प्यारा लड़का हैं कि ऐसी बातों को ज्यादा तूल नहीं देता। मुझे ये बात काॅलेज के दूसरे लड़के-लड़कियों ने बताई, जिसके बाद मैं तुम्हें तुम्हारी इन घटिया हरकतों के लिए कड़वी घुट्टी भी पिलानेवाली थीं, पर मुझे लगा कि मैं ऐसा करूँगी तो भाई मुझसे नाराज हो जाएगा, इसलिए मैंने आज तक तुम्हारी उसके साथ की गई हरकतों के लिए तुम्हें कभी कुछ नहीं कहा।

          तुम्हारी ये बात भी गलत हैं कि मैं उसे अपना छोटा भाई मानती हूँ इसलिए मुझसे उसके बारे में कही जानेवाली उल्टी-सीधी बातें मुझसे बर्दाश्त नहीं होती, क्योंकि सच ये हैं कि वो बेहद हम्बल, ऑनेस्ट और क्यूट लड़का हैं, इसलिए मुझसे उसके बारे में कही जानेवाली उल्टी-सीधी बातें बर्दाश्त नहीं होती। अब रहा सवाल तुम लोगों को माफ करने का तो मैं तुम लोगों को तभी माफ करूँगी, जब तुम ये साबित कर दोगे कि भाई कैरेक्टरलेस हैं और इस काॅलेज की बहुत-सी लड़कियाँ भाई के कैरेक्टरलेस होने के बावजूद उसकी ब्लाइंड फालोवर्स हैं, इसलिए उन्हें स्टूपिड कहना गलत नहीं हैं।"

          "दी, मैं आपका ये चेलेंज एक्सेप्ट कर रही हूँ लेकिन हर्षित को कैरेक्टरलेस प्रूव करने के लिए मुझे आपकी हेल्प की जरूरत पड़ेगी।" मानसी के कुछ बोलने से पहले हीं निक्की ने रागिनी की बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर दीं।

           "मानसी, ये लड़की कौन हैं और किस बेस पर इतनी काॅन्फिडेंट हैं कि हर्षित को कैरेक्टरलेस प्रूव कर देगी ?" रागिनी ने निक्की से कुछ कहने की जगह मानसी से सवाल किया।

           "आपके एक सवाल का जवाब तो मैं सबके सामने दे सकती हूँ बट आपके दूसरे सवाल का जवाब इन सबके सामने नहीं दे सकती, इसलिए मैं, आप और निक्की काॅलेज के पीछेवाले गार्डन में चलकर बात करते हैं। गाईस, तुम लोग थोड़ी देर रेस्ट कर लो, मैं और निक्की दस मिनट में आते हैं। आइए दी, आओ निक्की।" कहकर मानसी ने अपने कदम आगे बढ़ा दिए।
                              ................

         "निक्की, तुमने हर्षित और निहारिका बुआ पर जो घटिया इल्जाम लगाया हैं, उसे सुनकर मैं काफी शाॅक्ड हूँ। मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती थीं कि किसी महिला और किसी लड़के के बीच बने इतने पवित्र रिश्ते के बारे में भी कोई इतनी घटिया बात कर सकता हैं। मैं हर्षित को तो सिर्फ तीन साल से जानती हूँ लेकिन निहारिका बुआ को मैं आठ-दस साल से जानती हूँ। वे और हर्षित की फेमिली जिस बिल्डिंग में किराए से रहती हैं, वो मेरे अंकल की हैं और मेरे अंकल और उनकी फेमिली भी उसी बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर पर निहारिका बुआ के जस्ट बगल वाले ब्लॉक में ही रहती हैं, लेकिन अंकल या उनकी फेमिली से किसी ने भी कभी ऐसी कोई बात मुझे नहीं बताई और न उस काॅलोनी में उन दोनों के पवित्र रिश्ते पर कभी किसी ने उंगली उठाई। मैंने ये वाहियात बात आज पहली बार तुम्हारे मुँह से सुनी हैं और सुनते हीं मैं इस बात से जितनी शाॅक्ड हुई, उससे भी ज्यादा ये सोचकर हैरान हुई कि हर्षित जैसा सुलझा हुआ लड़का इतने लम्बे समय तक क्या सोचकर तुम्हें अपनी आल टाइम बेस्ट फ्रेंड मानता रहा और उसने तुम्हारे अंदर ऐसा क्या देख लिया कि मानसी के साथ पैदा हुई दूरियाँ कम करने की कोशिश करने की जगह उसने तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया ? ये सब जानने के बाद मुझे तो लगने लगा हैं कि यकीनन भाई के जीनियस माइंड के किसी इम्पाॅर्टेंट पार्ट में कोई न कोई फाॅल्ट आ गया हैं।" गार्डन की हरी-भरी मुलायम घास पर निक्की और मानसी के सामने बैठी रागिनी ने हैरान-परेशान स्वर में कहा।

           "दी, आपको हर्षित पर ब्लाइंड फैथ हैं, इसलिए आप ऐसा कह रही हैं। आप मेरे एक छोटे-से प्लान को एग्जक्यूट करने में मेरी हेल्प कर देगी तो सारी सच्चाई आपके सामने आ जाएगी।" रागिनी की बात पर निक्की ने गजब आत्मविश्वास के साथ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

           "मेरे सामने ऐसी कोई सच्चाई आने का प्रश्न हीं नहीं उठता, जैसा तुम सोच रही हो क्योंकि मैं जानती हूँ कि ऐसा कुछ हैं हीं नहीं, लेकिन भाई और निहारिका बुआ पर लगाए गए तुम्हारे घटिया इल्जाम को फाॅल्स प्रूव करना मेरी ड्यूटी हैं, इसलिए मैं तुम्हारी हेल्प करने के लिए तैयार हूँ। बोलो, ये एलिगेशन सच्चा हैं या झूठा, ये जानने के लिए तुम्हें मेरी क्या हेल्प चाहिए ?"

          "दी, आपको एक रात के लिए निहारिका मैम के बैडरूम में चुपके से एक हिडन वीडियो कैमरा फिट करके उसे सुबह चुपके से निकालना पड़ेगा।"

           "ये मैं नहीं कर पाऊँगी, क्योंकि बाइ चांस निहारिका बुआ ने अपने बैडरूम में फिट कैमरे को देख लिया तो उनकी नजरों में मेरी लाइफ टाइम के लिए इमेज खराब हो जाएगी। हाँ, मैं तुम्हें अपने साथ निहारिका बुआ के बगलवाले ब्लॉक में रातभर रहकर उनके घर में होनेवाली एक्टीविटिज सुनकर आब्जर्व करने में हेल्प कर सकती हूँ क्योंकि मेरे अंकल अपनी पूरी फेमिली के साथ चार-पाँच दिन के लिए बाहर गए हुए हैं और उन्होंने अपने घर की चाबियाँ मेरे घर पर छोड़ी हैं ताकि हमारा कोई फेमिली मेम्बर जाकर सुबह-शाम उनके घर के पूजाघर में दीपक जला आए।"

          "ठीक हैं, आज रात तो यही करके देख लेते हैं। आप आज शाम को सात से आठ बजे के बीच मेरे घर आ जाइए, मैं अपनी मम्मी को आपके घर जाने का बहाना बताकर आपके साथ आपके अंकल के घर आ जाऊँगी।"

         "मानसी, क्या तुम भी आज रात हम लोगों के साथ मेरे अंकल के घर पर बिताना चाहोगी ?"

         "दी, एक्चुअली मेरे मन में भी इस एलीगेशन की सच्चाई जानने में काफी इन्ट्रेस्ट पैदा हो गया हैं और मैं भी आज रात आपके अंकल के घर पर रहकर इस एलीगेशन की सच्चाई को पर्सनली वाच करना चाहती हूँ बट इसके लिए मेरी मम्मी से परमिशन लेने में आपको मेरी वैसी हीं हेल्प करनी होगी, जैसी निक्की आपसे चाहती हैं।"

          "अरे, तुम लोगों ने अपनी पैरेंट्स की नजरों में अपनी कैसी इमेज बना रखा हैं कि तुम्हें एक रात के लिए अकेले कहीं जाने के लिए इस टाइप के बहाने बनाने पड़ते हैं। मुझे तो दस दिन के लिए भी अकेले कहीं जाने के लिए मेरे मम्मी-पापा से पूछना तक नहीं पड़ता हैं।"

         "यार दी, निक्की को अकेले कहीं जाने के लिए अपने पैरेंट्स को इस टाइप के बहाने क्यों बनाने पड़ते हैं, ये तो मुझे नहीं पता, मुझे अपने बारे में इतना पता हैं कि मैंने अपनी लाइफ कभी ऐसा कुछ नहीं किया कि उन्हें मुझे लेकर कभी कोई डाऊट करना पड़े और मेरे पैरेंट्स मुझ पर डाऊट भी नहीं करते हैं, बट जमाना इतना ज्यादा खराब हैं कि वे मेरी सुरक्षा के लिए इस तरह अकेले कहीं जाने के लिए परमिशन देने से पहले पूरी तरह से सटिस्फाइड होना जरूरी समझते हैं।"

           "मुझे अपनी मम्मी से आसानी से परमिशन न मिल पाने की भी वजह कुछ ऐसी हीं हैं और मुझे लगता हैं कि इसमें कुछ गलत भी नहीं हैं। शायद आपके पैरेंट्स मेरी सुरक्षा को लेकर केयरलेस हैं क्योंकि उन्हें यकीन होगा कि आप किसी सिच्युएशन को आसानी से हैंडल कर सकती हैं।"

            "निक्की, तुम्हारी गैसिंग एकदम परफेक्ट हैं। मेरे पैरेंट्स को इतना यकीन हैं कि मैं कभी मुसीबत में फँसने लायक कोई काम कर ही नहीं सकती और बाइ चांस मैं किसी मुसीबत में फँस भी गईं तो निकलने में केपेबल हूँ। मैं कोशिश करती हूँ कि हर लड़की मेरी तरह बनें, बट किसी को मेरी तरह बनने में इन्ट्रेस्ट हीं नहीं हैं। चलो, छोड़ों इस बात को और ये बताओ कि शाम को मुझे पहले किसके घर आना हैं ?"

          "निक्की का घर तो उसी काॅलोनी में हैं जहाँ हमें जाना हैं, इसलिए आप पहले मेरे घर आ जाना और फिर हम दोनों निक्की के घर चलें जाएँगे।"

         "ओके, तुम पाँच बजे तक मुझे अपना और निक्की एड्रेस और काॅन्टेक्ट नम्बर लिखकर देना। अब मैं जा रही हूँ।" कहकर रागिनी जवाब की प्रतिक्षा न करके फुर्ती के साथ उठी और काॅलेज की बिल्डिंग की ओर चल पड़ी।
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#16
चक्रव्यहू (8th Part)


        "क्या हुआ हर्षित, तुम कुछ बोल क्यूँ नहीं रहे हो ?" निहारिका ने सोफे पर अपने बगल में गुमसुम बैठे हर्षित से पूछा।

        "कुछ नहीं हुआ बुआ, मैं आज काॅलेज के बाद अपने क्लब की टीम के साथ कल के एक इम्पाॅर्टेंट मैच की प्रैक्टिश करने चला गया था, इसलिए थोड़ा-सा थका हुआ हूँ और इस वजह से हीं आपको ऐसा लग रहा होगा कि मैं परेशान हूँ बट ऐसी कोई बात नहीं हैं।" हर्षित ने अनमने ढंग से जवाब दिया।

        "बेटा, तुम आठ साल के थे, तबसे तुम्हारी एक्टीविटिज नोट कर रही हूँ इसलिए मैं तुम्हारा चेहरा देखकर जान जाती हूँ कि तुम खुश हो या दुखी। साथ हीं ये भी जान जाती हूँ कि तुम सच बोल रहे हो या झूठ। जानते हो कैसे ?"

        "नहीं।"

        "तुम खुश होते हो तो सामनेवाले के चेहरे की ओर देखकर बातें करते हो और दुखी होते हो तो बात करते समय तुम्हारी नजरें कहीं और होती हैं। अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम सच बोल रहे हो या झूठ, ये मैं कैसे जान लेती हूँ। एक्चुअली, तुम जब सच बोलते हो तो सामनेवाले की आँखों में आँखें डालकर बातें करते हो और तुम्हारी बातों में सेल्फ-काॅन्फिडेंस भी झलकता हैं जबकि तुम झूठ बोलते हो तो दाएँ-बाएँ देखकर बातें करते हो और तुम्हारी बातों में काॅन्फिडेंस बिलकुल भी नजर नहीं आता। एम आई राइट ?"

       "बुआ, ये आपका कोश्चन बिल्कुल नाॅनसेंस हैं क्योंकि आप कभी कोई रांग बात बोलती हीं हैं। मैंने आपके जैसी ग्रेट पर्सन अपनी पूरी लाइफ में नहीं देखी। अरे, आप तो मेरे लिए बचपन में सुनी गई कहानी की उस परी की तरह हैं जो एक बच्चे को दुखी देखकर अपना परीलोक छोड़ देती हैं और अपना पूरा जीवन उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए समर्पित कर देती हैं। मुझे आपका साथ बिलकुल उस परी की तरह ही लगा। बचपन में मुझे आपके साथ की जरूरत थीं जो युवावस्था तक पहुँचते-पहुँचते आदत में बदल चुकी हैं, इसलिए मैं आज दिनभर से सोच-सोचकर पागल हो गया हूँ कि मैं आपके साथ के बिना कैसे जी पाऊँगा ?"

         "ऐसा क्यूँ बोल रहे हो ? तुम मेरा साथ छोड़कर कहीं जा रहे हो क्या ?"

          "हाँ बुआ।"

          "व्हाट ?"

          "मैं समझ सकता हूँ कि ये बात सुनकर आपको कितना गहरा शाॅक लगा होगा। मुझे भी आपसे ये कहते हुए अच्छा नहीं लगा और न हीं आपका साथ छोड़ना मुझे अच्छा लग रहा हैं, बट मुझे जाना हीं होगा।"

          "हर्षित, ये तुम कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो ? अरे, तुम्हें इस तरह अचानक कहाँ जाने की जरूरत पड़ गई ?"

           "मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ।"

           "ये अचानक आर्मी ज्वाइन करने का फितुर तुम्हारे दिमाग में कहाँ से आया ?"

           "अचानक नहीं बुआ, मेरी बचपन से हीं आर्मी ज्वाइन करके देश की सेवा करने की तमन्ना हैं।"

           "पर तुमने मुझे तो कभी अपनी इस तमन्ना के बारे में बताया हीं नहीं।"

           "आपको नहीं बताया, बट बचपन से हीं मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ ।"

           "ठीक हैं, मैं मान लेती हूँ कि तुम्हारी बचपन से हीं आर्मी ज्वाइन करने की तमन्ना हैं, लेकिन अब तुम भी ये मान लो कि तुम्हारी ये तमन्ना कभी पूरी नहीं होगी।"

          "क्यों, क्या मैं आपको आर्मी ज्वाइन करने के लिए फिजिकली या मेंटली अनफिट लगता हूँ।"

          "नो बेटा, मुझे तुम्हारी फिटनेस पर कोई डाऊट नहीं हैं।"

          "तो फिर आपने ऐसा क्यों कहा कि मेरी आर्मी ज्वाइन करने की तमन्ना कभी पूरी नहीं होगी ?"

          "क्योंकि मैं तुम्हें आर्मी ज्वाइन करने की परमिशन किसी कीमत पर नहीं दूँगी।"

           "क्यों ?"

           "क्योंकि आर्मी ज्वाइन करने का मतलब हैं, अपनी जान जोखिम में डालना और तुम जानते हो कि मैं तुम्हें ऐसा कोई काम करने की परमिशन किसी कीमत पर नहीं दे सकती, जिसमें तुम्हारी लाइफ को कोई भी नुकसान पहुँचने की आशंका हो।"

           "बुआ, आपकी इस बात ने मुझे काफी हर्ट किया, क्योंकि मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता था कि आप इतनी सेल्फिस होगी। आप सोचिए कि इस तरह हर कोई अपने फेमिली मेम्बर्स को ये सोचकर आर्मी ज्वाइन करने नहीं देगा कि इसमें जान का जोखिम हैं तो हमारी कन्ट्री की हिफाजत कैसे होगी ?"

            "बेटा, तुम ये लेक्चर मुझे तो न हीं दो तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं एक शहीद फौजी की विडो हूँ। मैंने अपनी मैरिज से लेकर अपने पति के दुनिया छोड़ते तक उन्हें यही सोचकर एक बार भी आर्मी छोड़ने के लिए नहीं कहा कि इसी तरह हर महिला अपने स्वार्थ या अपनी खुशी के लिए अपने पति को आर्मी छोड़ने लगा देगी तो कन्ट्री की हिफाजत कौन करेगा। चूँकि मैंने अपने पति को उनके लाइफ टाइम तक आर्मी की सर्विस करने से नहीं रोका, इसलिए मेरे पास तुम्हें आर्मी ज्वाइन करने से रोकने का राइट रिजर्व हैं, क्योंकि हर फेमिली अपनी दो पीढ़ियों में से केवल अपने एक फेमिली मेम्बर को कन्ट्री की हिफाजत के लिए आर्मी को समर्पित कर दे तो भी देश की सुरक्षा को कभी कोई आँच नहीं आएगी।"

          "आपका कहना बिल्कुल सही हैं, बट मामा तो मेरे फेमिली मेम्बर नहीं थे और ......।"

          "हाँ, पर वे मेरी फेमिली की मेम्बर थे और तुम भी मेरी फेमिली के मेम्बर हो, इसलिए वे और तुम एज द मेम्बर्स आॅफ वन फेमिली काउंट किए जाएँगे। हाँ, मेरा तुम्हारे साथ ब्लड रिलेशन न होने की वजह से तुम खुद को मेरी फेमिली का मेम्बर नहीं मानते हो तो .....।"

          "बुआ, ये कैसी बात कर रही हैं आप ? मैं पलभर के लिए अपनी उस फेमिली का मेम्बर होने से इनकार कर सकता हूँ जिसमें मेरा जन्म हुआ, लेकिन आपकी फेमिली का मेम्बर होने से इनकार करने की तो मैं इमेजिनेशन भी नहीं कर सकता हूँ। आपको मैं भले हीं बुआ कहता हूँ बट इन फेक्ट आप मेरी लिए ठीक वैसी हीं माँ हैं, जैसी भगवान कृष्ण के लिए यशोदा मैया उनकी माँ थी।"

          "थैंक्स, बट यशोदा मैया ने जैसे भगवान कृष्ण को उन्हें छोड़कर जाने की परमिशन दे दीं थीं, वैसी परमिशन मैं तुम्हें कभी नहीं दूँगी, इसलिए अच्छे बच्चे की तरह मेरी बात मान लो और अपनी स्टडी पर काॅन्संस्ट्रेट करों, ओके ?"

         "नो बुआ, आपको मुझे आर्मी ज्वाइन करने की परमिशन देनी हीं पड़ेगी।"

          "मम्मा, आप भैया को आर्मी ज्वाइन करने की परमिशन मत देना।" दस-ग्यारह साल की आयु की रिंकी ने अंदरवाले कमरे से निकलकर उन दोनों के करीब आते हुए कहा।

          "बेटा, तुम सोई नहीं अभी तक ?" निहारिका ने उसकी ओर ममताभरी निगाहों से देखते हुए सवाल किया।

         "आप जानती हैं कि भैया से कहानी सुने बिना मुझे नींद नहीं आती और आज भैया ने मुझे कहानी नहीं सुनाई तो मुझे नींद कैसे आ सकती हैं ?"

         "बेटा, तुमसे कह चुकी हूँ कि आज भैया काफी परेशान हैं, इसलिए आज तुम बिना कहानी सुने हीं सोने की कोशिश करों, लेकिन तुम्हारा चेहरा देखकर लगता हैं कि तुमने सोने की कोशिश ही नहीं की।"

         "मम्मा, जब मुझे पता हैं कि मुझे भैया से कहानी सुने बिना नींद नहीं आएँगी तो मैं ट्राई करके अपनी एनर्जी वेस्ट क्यूँ करूँ ?"

         "बेटा, अब तुम धीरे-धीरे बड़ी हो रही हो, इसलिए भैया से कहानी सुनते-सुनते सोने की अपनी हैबिट चेंज करने की कोशिश करों। मान लो, भैया ने दो-तीन साल बाद शादी कर लीं और इसकी वाइफ भी कहानी सुनते-सुनते सोने की हैबिट वाली निकल गई तो ये तुम्हें कहानी सुनाकर सुलाने आएगा या उसे कहानी सुनाकर सुलाएगा ?"

         "मैं भैया को ऐसी लड़की से शादी करने ही नहीं दूँगी, जिसे कहानी सुनते-सुनते सोने की हैबिट हो, क्योंकि भैया से कहानी सुनने का राइट सिर्फ मेरा हैं। एम आई राइट भैया ?"

         "डेफिनेटली, दिस इज योर रिजर्व राइट। अब तुम वापस अपने कमरे में जाओं, मैं पाँच मिनट बाद आकर तुम्हें कहानी सुनाऊँगा।" हर्षित ने रिंकी की बात का जवाब देते हुए कहा।

            "प्राॅमिश ?"

            "प्राॅमिश।"

            "आपको मुझसे एक और प्राॅमिश करना होगा।"

            "बोलो, और कौन-सा प्राॅमिश करना हैं मुझे ?"

             "आप आर्मी ज्वाइन नहीं करेंगे।"

             "रिंकी,  तुम मुझे आर्मी ज्वाइन करने से सिर्फ इसलिए रोकना चाहती हो न कि मैं आर्मी ज्वाइन कर लूँगा तो मैं तुम्हें सुलाने के लिए कहानी नहीं सुना पाऊँगा ?"

            "नहीं भैया, इसका रिजन ये नहीं हैं। कहानी तो मैं आपके आर्मी ज्वाइन करने पर भी आपसे वीडियो काॅलिंग करके सुन सकती हूँ। एक्चुअली, मैं अपने पापा की तरह आपको खोना नहीं चाहती हूँ इसलिए ......।"

            "रिंकी, प्लीज रोना नहीं, अदरवाइज मेरा तुम्हारी आँखों में कभी आँसू न आने देने का वो प्राॅमिश टूट जाएगा जो मैंने पहली बार तुमसे राखी बँधवाने पर तुमसे किया था।" कहने के साथ हीं हर्षित ने रिंकी को अपनी ओर खींचकर गोद में बिठा लिया।

             "तो फिर जल्दी से ...।"

             "आई प्राॅमिश टू यू कि मैं आर्मी ज्वाइन नहीं करूँगा। अब जल्दी से मुस्कुरा दो।" हर्षित की बात सुनते हीं रिंकी के मासूम चेहरे पर प्यारी-सी मुस्कुराहट उभर आयी। जिसे देखने के बाद हर्षित का चेहरा खिल उठा, जबकि निहारिका की आँखों में संवेदनशील भावनाओं की अधिकता की वजह से आँसू आ गए।

                                         ..............

            "हम लोग सोने चले या कुछ और सुनना हैं ?" निहारिका, हर्षित और रिंकी जिस कमरे में बातें कर रहे थे, उसके बगलवाले कमरे में दोनों कमरों के बीच मौजूद बंद गेट के पास चेयर लगाकर बैठी रागिनी ने अपने सामने खड़ी निक्की और मानसी से धीमे स्वर में पूछा।

           "दी, मेरे दिमाग से तो इन लोगों की इतनी बातें सुनकर डाऊट पूरी तरह से निकल गया, लेकिन मुझे इन लोगों की बातचीत बहुत प्यारी लग रहीं हैं, इसलिए मैं इन लोगों की बातें एंड तक सुनूँगी। आपको नींद आ रही होंगी तो आप जाकर सो जाइए।" मानसी ने रागिनी की बात का जवाब दिया।

           "ओके, मैं अंदर जाकर सो रही हूँ। तुम लोगों का जब मन हो, आकर सो जाना।"

           "निक्की, तुम्हें नींद आ रही होंगी तो तुम भी जाकर सो जाओ।" रागिनी के अंदरवाले कमरे में जाने के बाद मानसी ने निक्की से कहा।

           "क्या हुआ ?" कोई जवाब नहीं मिलने पर मानसी ने गौर से निक्की का चेहरा देखते हुए पूछा।

           "कुछ नहीं।"

           "अरे, तुम तो रो रहीं हो।"

           "रोना तो आएगा ही यार, क्योंकि मैंने कारनामा हीं ऐसा किया हैं कि उसके लिए जिंदगी भर रोना और पछताना पड़ेगा।"

           "डोंट वरी, सब ठीक हो जाएगा। आई होप कि हम लोग हर्षित से मिलकर माफी माँगेंगे तो वो तुम्हें जरूर माफ कर देगा।"

           "हो सकता हैं कि वो मुझे माफ कर दे, बट मुझे लगता हैं कि मैंने जो थर्ड क्लास एलिगेशन उस पर लगाया हैं, उसकी वजह से मैं उससे कभी नजर मिला पाऊँगी। ये तो अच्छा हुआ कि उसने निहारिका मैम को इसके बारे में नहीं बताया, अदरवाइज वे मेरे बारे ......।"

           "निक्की, एक मिनट रूको। मुझे लगता हैं कि हमें इमिजेटली हर्षित को काॅल करके उससे रिक्वेस्ट करनी चाहिए कि वो निहारिका आंटी को इस एलिगेशन के बारे में कुछ न बताएँ, क्योंकि हो सकता हैं कि वो रिंकी को सुलाने के बाद अभी या कल सुबह उन्हें इसके बारे में बता दे।"

           "हाँ, लेकिन उसे काॅल मत करों, क्योंकि काॅल करके इस बारे में उससे बात करने पर मैम को पता चल सकता हैं। तुम एक काम करों, उससे इंस्टा या व्हाट्स-एप पर काॅन्टेक्ट करों।"

            "ठीक हैं, मैं उसे इन्स्टा पर मैसज करती हूँ।" कहकर मानसी ने एक चेयर पर पड़ा अपना मोबाइल उठा लिया।

                                        ............

             "तुम्हारी गुड़िया रानी सो गई ?" हर्षित अंदरवाले कमरे से निकलकर ड्राइंगरूम में आया तो निहारिका ने टीवी स्क्रीन से नजर हटाकर उससे पूछा।

            "जी बुआ।" हर्षित ने जवाब दिया।

            "तुम भी कभी-कभी परेशान हो जाते होंगे न, ये बिना सैलरी की ड्यूटी करते-करते ?"

             "नहीं बुआ, ये ड्यूटी करते हुए मैं कभी परेशान नहीं होता हूँ बल्कि मैं तो ये ड्यूटी करते हुए ये सोचकर संतुष्ट होता हूँ कि आपने और मामा ने करीब तेरह साल पहले मेरी और मेरी मम्मा की जान बचाकर हम लोगों पर जो अहसान किया था, उसके बदले में आप लोगों की इकलौती बेटी के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान लाने का मौका देकर आप मुझ पर एक और अहसान कर रही हैं।"

           "देखो हर्षित, यदि तुम ये ड्यूटी तुम पर और तुम्हारी मम्मा पर मेरे और रिंकी के पापा के किए गए किसी अहसान का बदला चुकाने के लिए कर रहे हो तो तुम्हें कल से आने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि मुझे ऐसा कोई अहसान याद नहीं हैं। मैं तो ये सोचकर तुम्हें ये ड्यूटी करने दे रही थीं कि तुम मेरी बेटी को अपनी छोटी बहन मानने की वजह से ये अपना फर्ज समझकर रहें हो, पर तुम तो ......।"

            "साॅरी बुआ, अब कभी मुझसे ऐसी गलती नहीं होंगी।"

             "इट्स ओके, बैठो।"

             "नहीं बुआ, रात के दस बज चुके हैं इसलिए मुझे अब घर जाना चाहिए।"

            "ठीक हैं जाओ, लेकिन जाने से पहले ये बता दो कि कहीं तुम उस लव ट्राइंगल में फँसे हुए होने की वजह से तो आर्मी ज्वाइन करके यहाँ से खिसकना नहीं चाहते थे न, जिसके बारे में तुमने मुझे दो दिन पहले बताया था ?"

             "नहीं।"

             "तो फिर और कौन-सी नई वजह आ गई ?"

             "साॅरी, मैं वो वजह आपको नहीं बता सकता।"

             "ठीक हैं, मत बताओ लेकिन ये तो बता दो कि तुम फिलहाल मानसी और निक्की को एक हीं कैम्पस में एक साथ कैसे हैंडल कर रहे हो ? एक्चुअली, तुमने बताया था न कि तुम अपने काॅलेज में स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन होते तक मानसी को महसूस नहीं होंने देना चाहते हो कि तुम्हारी लाइफ में अब निक्की आ चुकी हैं क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो गया तो इलेक्शन में ठीक से कन्टेस्ट नहीं कर पाएगी और तुम उसे ये महसूस नहीं कराते हो तो वो तुमसे नजदीकियाँ बढ़ाने की कोशिश करेगी और इससे निक्की तुमसे रूठ जाएगी, मैं ये इसलिए पूछ रही हूँ।"

          "बुआ, आप इस बात लेकर टेंशन लेना बंद कर दीजिए क्योंकि मैं लव ट्राइंगल से भी बाहर निकल चुका हूँ और नाइंटी डिग्री के प्लेन एंगल से भी बाहर निकल चुका हूँ।"

          "मतलब ?"

          "मतलब ये हैं कि कल मानसी ने बिना बताए हीं वो सबकुछ रियलाइज कर लिया, जो मैं उसे इलेक्शन की प्रोसीजर कम्प्लिट होते तक नहीं बताना चाहता था और उसने कल हीं मुझे गुड बाय भी कह दिया था। उसके बाद आज निक्की ने भी गुड बाय कह दिया।"

          "मानसी के तुम्हें गुड बाय कहने की वजह मुझे समझ आ गई लेकिन निक्की ने तुम्हें क्यूँ गुड बाय कहा, ये मेरी समझ में नहीं आ रहा हैं ?"

          "आपको समझकर क्या करना हैं ?"

          "कुछ नहीं। मेरे लिए इतना हीं जानना काफी हैं कि तुम टेंशन भरी सिच्युएशन से बाहर निकल गए हो। तुम्हारी लाइफ में कौन आयी थीं, कौन चली गई और कौन आनेवाली हैं, इन बातों में मुझे कोई इन्ट्रेस्ट नहीं हैं। बस तुम मेरी एडवाइज हमेशा याद रखना कि किसी को खुश करने या किसी को मानसिक तनाव झेलने से बचाने के लिए खुद को फिर कभी इस टाइप की सिच्युएशन में मत फँसाना और हो सके तो अफेयर जैसी नाॅनसेंस चीजों से दूर रहना, क्योंकि इस टाइप की चीजें तुम्हें बिल्कुल भी सूट नहीं करतीं। तुम्हारे लिए अच्छा यही हैं कि तुम अपनी पढ़ाई पर काॅन्संस्ट्रेट करों और फिर अपनी सारी एनर्जी करियर बनाने में लगा दो। उसके बाद अपने जैसी एक सौम्य, खूबसूरत और समझदार लड़की देखकर शादी कर लेना।"

           "एडवाइज के लिए थैंक्स बुआ। मैं खुद भी ऐसा हीं कुछ सोच रहा था। अफेयर को लेकर मेरा अब तक का एक्सपीरियंस इतना खराब रहा हैं कि मैं अब कभी दुबारा किसी से दिल लगाने की बात सोच भी नहीं सकता। अब मुझे घर जाने की परमिशन दीजिए, गुड नाइट।"

          "गुड नाइट माइ स्वीट चाइल्ड।" निहारिका के मुँह से जवाब सुनने के बाद हर्षित घर से बाहर निकल गया।

                            ...............

           "मैंने काॅलेज का चप्पा-चप्पा छान मारा, लेकिन हर्षित कहीं भी नजर नहीं आया।" काॅलेज-कैम्पस में खड़ी निक्की और मानसी के पास आकर चेतन ने जानकारी दी तो उन दोनों के चेहरे पर छाए परेशानी के बादल और गहरा गए।"

            "कहाँ चला गया यार ये ? कैसे पता लगाए कि ये जनाब हैं कहाँ ? उसने मोबाइल भी स्वीच्ड ऑफ कर रखा हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि .......।"

            "मानसी, वो जरूर अपने क्लब की टीम के लिए मैच खेलने गया होगा। तुम्हें याद हैं, वो निहारिका मैम से कल ....।" मानसी ने आँखों के इशारे से निक्की को चेतन की उपस्थिति का अहसास दिलाया तो निक्की ने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।

          
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#17
  "तुझे आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं हैं, मैं इतने क्लू से समझ गई कि वो कहाँ होगा।" मानसी ने तुरंत मोर्चा सम्भाल कर उससे कहा और फिर चेतन से बोली-  "तुम्हारे पास हर्षित के दोस्त पंकज का काॅन्टेक्ट नम्बर हैं ?"

             "नहीं।" 

             "तो ऐसा करों, अभी के अभी अपने किसी सोर्स से ये पता करके हम लोगों को बताओं कि एनएसबी क्लब की क्रिकेट टीम का मैच आज कितने बजे से किस ग्राउंड पर हैं ?"

             "सरदार पटेल स्टेडियम में साढ़े-बारह बजे से स्टार्ट हो चुका हैं।" चेतन ने एक-डेढ़ मिनट किसी फोन पर बात करने के बाद मानसी को बताया।

            "और खत्म कितने बजे होगा ?"

            "ये नहीं पूछा, बट आई एम श्योर कि साढ़े तीन बजे तक खत्म हो जाएगा, क्योंकि क्लब लेबल के ज्यादातर मैचेस ट्वेंटी-ट्वेंटी ओवर्स के होते हैं और लगभग तीन घंटे में खत्म हो जाते हैं।"

            "थैंक्स फाॅर इन्फार्मेशन। हम लोग हर्षित से मिलने स्टेडियम जा रहे हैं। यदि उसकी टीम आज का मैच जीत जाएगी तो वो जीत के साथ-साथ हमारे उसकी टीम को सपोर्ट करने जाने की खुशी में हम लोगों को जल्दी से माफ कर देगा। हमारे उसे साथ लेकर वापस लौटते तक तुम हमारे ग्रुप के अदर मेम्बर्स के साथ जाकर थोड़े हाथ-पैर चलाओ।"

            "ओके।" 

            "चले ?" चेतन के कुछ कदम दूर जाने के बाद मानसी ने निक्की से पूछा।

            "यार, मैं सोच रही हूँ कि तुम अकेली हीं चली जाती तो बेटर होता, क्योंकि मैं साथ रहूँगी तो......?"

            "डोंट वॅरी, कुछ नहीं होगा।"

            "अरे, लेकिन ......।"

            "अब मैं तुम्हारा कोई लेकिन-वेकिन नहीं सुनूँगी। तुम सीधी तरह मेरे साथ आ जाओं, अदरवाइज मुझे तुम्हें घसीटते हुए ले जाकर अपनी कार में बिठाना पड़ेगा। तुम आ रही हो या ......?"

            "ये लड़की वाकई पागल हो गई हैं।" 

            "पता चल गया न कि मैं पागल हो गई हूँ तो अब पैर आगे बढा लो, अदरवाइज मैं तुम्हारे साथ वही सब करूँगी जो एक पागल इंसान अपनी बात न मानने वाले के साथ करता हैं।"

              "चलो।" कहकर निक्की ने पाॅर्किंग की ओर अपने कदम बढ़ा दिए।
                                 .............

            "यार, तुम्हारी गेसिंग तो एकदम परफेक्ट निकली। लोगों का जोश और उत्साह देखकर लगता हैं कि अभी काफी मैच बचा हुआ हैं।" सरदार पटेल स्टेडियम में दर्शकों के बीच खड़ी निक्की ने बगल में खड़ी मानसी से उत्साहित स्वर में कहा।

            "बट तुम्हारी गेसिंग पूरी तरह से इनकरेक्ट हैं।" जवाब में मानसी नर्वस स्वर में बोली।

            "यू मीन टू से कि मैच खत्म हो चुका हैं ?"

            "मैच में तो अभी दस बाॅल डाली जानी बाकी हैं, बट इसका रिजल्ट तय हो चुका हैं।

            "हर्षित की टीम जीत रही हैं या हार रही हैं ?"

             "हार रही हैं।"

             "मजाक कर रहीं हो न तुम ?"

             "काश ! मैं ऐसा कह पाती कि मैं .....।"

             "एक मिनट, कमेंटेटर मैच के बारे में कुछ बता रहा हैं, .............तुमने सुना, वो कह रहा था कि एनएसबी क्लब के कैप्टन हर्षित ऐसी सिच्युएशन में भी कई बार अपनी टीम को मैच जीता चुके हैं ?"

             "हाँ, लेकिन उसने इससे आगे जो कहा, वो तुमने नहीं सुना। उसने इससे आगे ये कहा कि लेकिन इस बार वे भी अपनी टीम को नहीं जीता पाएँगे क्योंकि उन्हें उनके साथी खिलाड़ियों का कोई भी सहयोग नहीं मिल पा रहा हैं।"

            "अरे, लेकिन उसके साथी खिलाड़ी उन्हें सहयोग नहीं कर रहें हैं तो वे खुद बैटिंग क्यूँ नहीं कर रहा हैं ? क्यूँ दूसरी तरफ खड़े होकर अपने साथियों के आऊट होने का तमाशा देख रहा हैं ?"

            "बहन, ये क्रिकेट मैच हैं। हम लोगों के बैडमिंटन के डबल्स का मैच नहीं हैं कि एक प्लेयर ठीक से सर्विस नहीं कर पा रहा हैं तो दूसरा प्लेयर सर्विस की रिस्पांस्ब्लिटी अपने सोल्डर पर ले सकता हैं। इसमें नाॅन स्ट्राइक एंड पर खड़ा बैट्समेन तभी बैटिंग कर सकता हैं, जब उसे सामने वाला बैट्समेन स्ट्राइक दे या ओवर चेंज होने पर उसे स्ट्राइक मिले।"

            "तो क्या हर्षित को स्ट्राइक कभी नहीं मिलेगी ?"

            "शायद अब तो ओवर चेंज होने पर हीं मिलेगी क्योंकि उसके सामने खेलने वाले प्लेयर्स तो अपना विकेट तक नहीं बचा पा रहे हैं, रन लेकर स्ट्राइक कहाँ से देंगे ?"

            "ओवर चेंज होने के बाद ये कुछ नहीं कर पाएगा क्या ?"

             "नहीं, क्योंकि तब तक मैच पूरी तरह से हाथ से निकल जाएगा।"

             "तो ये सामने वाले प्लेयर को उसे स्ट्राइक देने के लिए मोटिवैट क्यूँ नहीं कर रहा हैं ?"

             "शायद उसको हम दोनों की वजह से पिछले तीन-चार दिनों से जो मानसिक तनाव झेलना पड़ा हैं, उसकी वजह से वो आज मेंटली एंड फिजिकली मैच पर इतना काॅन्संस्ट्रेट नहीं कर रहा हैं, जितना वो नाॅर्मल कंडीशन में करता हैं।"

             "ऐसा हैं तो हम लोगों को ग्राउंड में चलकर उसे ये बताना चाहिए कि हम लोगों को अपनी गलती का अहसास हो गया, ताकि उनका खोया हुआ काॅन्फिडेंस वापस आ सके।"

              "आई एग्री विद यू बट हम लोग ग्राउंड में नहीं जा सकते क्योंकि रनिंग मैच में सिर्फ टीम मेम्बर्स और सपोर्टिंग स्टाॅफ हीं ग्राउंड में जा सकते हैं।"

              "इतना तो मैं भी जानती हूँ लेकिन हमें कैसे भी करके जाना हीं होगा। एक काम करते हैं, हम लोग अम्पायर से ये कहकर उनसे बात करने की परमिशन ले लेंगे कि हम लोग हर्षित के फ्रेंड्स हैं और हमारे पास उसकी मम्मा ने काॅल करके उन्हें एक मैसेज देने के लिए कहा हैं।"

              "ठीक हैं, चलों जल्दी से। अभी-अभी एक और विकेट गिरा, इस वजह से मैच रूका हैं। हमें नए बैट्समेन के क्रीज पर पहुँचने से पहले हर्षित के पास पहुँचना होगा।" कहने के साथ हीं मानसी दर्शक दीर्घा से बाहर निकलने का प्रयास करने लगी। निक्की ने भी अविलंब उसका अनुसरण करना शुरू कर दिया।

              स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। स्टेडियम में मौजूद ज्यादातर दर्शकों के चेहरे मुरझाए हुए थे जबकि काफी कम दर्शक खुशी और उत्साह से झूम रहे थे, पर सबकी निगाहें ग्राउंड के उस हिस्से पर टिकी हुई थीं, जहाँ निक्की और मानसी मैच के दोनों अम्पायर्स से बात कर रही थीं। उन चारों के आसपास कुछ प्लेयर्स भी इकट्ठा हो चुके थे।

              "देखिए, आप लोग बात को समझने की कोशिश कीजिए। हम इस टूर्नामेंट के रूल्स के एकार्डिंग आप लोगों को इस वक्त मिस्टर हर्षित से बात करने की परमिशन नहीं दे सकते हैं। आप लोगों को उन्हें जो भी मैसेज देना हैं, मैच के बाद दे दीजिएगा। अब आप लोग जाइए।" एक अम्पायर ने निक्की और मानसी को समझाने का प्रयास किया।

             "अरे, ये क्या कर रहे हैं आप ? ये लोग अपने फ्रेंड से बात करना चाहती हैं तो कर लेने दीजिए, अदरवाइज ये दोनों आप लोगों को हमेशा इस बात के लिए कोसती रहेगी कि आप लोगों ने इन्हें इनके फ्रेंड से मिलने नहीं दिया, इसलिए इनके फ्रेंड अपनी टीम को मैच नहीं जीता पाए।" निक्की और मानसी के अम्पायर को दुबारा कुछ कहने से पहले पास खड़ा एक ऊँचे कद का हट्टा-कट्टा प्लेयर मुस्कुराकर बोल पड़ा।

            "आप लोग बाद में कोई ऑब्जेक्शन तो नहीं लेंगे ?"

            "ये दस मिनट पहले मिलना चाहती तो हम लोग जरूर ऑब्जेक्शन लेते, लेकिन इस वक्त हमारे ऑब्जेक्शन लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता हैं क्योंकि ये लोग हमारी अपोजिट टीम के कैप्टन को अच्छा खेलने के लिए मोटिवैट करने से मैच के रिजल्ट पर कोई असर नहीं पड़ने वाला हैं।"

              "आप लोगों को कोई ऑब्जेक्शन नहीं हैं तो हमें भी कोई दिक्कत नहीं हैं, लेकिन ये बात आपको हमें लिखकर देनी होगी।"

              "ठीक हैं, मैं लिखकर दे रहा हूँ। तब तक आप इन्हें इनके फ्रेंड से मिल लेने दीजिए।"

              "जाइए, आप लोग मिस्टर हर्षित से जल्दी से मिलकर मैदान से बाहर निकल जाइए।" अम्पायर के मुँह से इतना सुनते हीं निक्की उसे 'थैंक्स' बोलकर मानसी के साथ ग्राउंड के उस भाग की ओर बढ़ गई, जहाँ हर्षित अपने नवागंतुक साथी बैट्समेन के साथ खड़ा उनकी ओर देख रहा था।
                              ..................

         "तुम लोग यहाँ किसलिए आए हो ?" निक्की और मानसी को आग्नेय नेत्रों से घूरते हुए हर्षित ने पूछा।

        "तुम्हें सपोर्ट करने।" मानसी ने झिझकते हुए जवाब दिया।

         "तो स्टेडियम में बैठकर सपोर्ट करना चाहिए था न, यहाँ ग्राउंड में आकर अपना और मेरा मजाक बनाने की क्या जरूरत थीं ?"

          "यार हर्षित, हम लोग अम्पायर्स से लड़-झगड़कर आपको मैच जीतने के लिए टिप्स देने आए हैं और तुम हो कि हम लोगों का अहसान मानने की जगह हमें डाँट रहे हो।" इस बार जवाब देते समय मानसी के लहजे से झिझक नदारद हो चुकी थीं।

         "तुम दोनों में से किसी ने कभी क्रिकेट का बैट पकड़कर देखा हैं ?"

          "नहीं, लेकिन हम दोनों शटल क्वीन हैं।"

          "मैडम, बैडमिंटन और क्रिकेट में अंतर होता हैं।"

          "हाँ, बट दोनों के मैचेस जीतने के लिए पैशन और सेल्फ-काॅन्फिडेंस का होना जरूरी हैं जो इस वक्त तुम्हारी बाॅडी लैंग्वेज और फेस एक्सप्रेशंस में कहीं भी नजर नहीं आ रहा हैं। हम उसे हीं जगाने आए हैं।

         "इससे कोई फायदा नहीं होनेवाला हैं क्योंकि हमारे लिए ये मैच जीतना इम्पाॅसिबल हो चुका हैं।"

         "हर्षित, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ? तुम तो हमेशा कहते थे न कि इस दुनिया में कोई भी काम इम्पाॅसिबल नहीं होता हैं।"

         "हाँ, लेकिन हर वक्त हर काम पाॅसिबल भी नहीं होता हैं, जैसे अब इस मैच को जीतना हमारे लिए पाॅसिबल नहीं हैं क्योंकि हमें इसे जीतने के लिए हमें सात बाॅल में सैतीस रनों की जरूरत हैं और स्ट्राइक पर पंकज हैं जो हमारी टीम में एज द बाॅलर खेलता हैं और उसके सामने जो बाॅलर बाॅलिंग कर रहा हैं, उसकी पिछली पाँच बाॅल पर हमारी टीम के तीन रैकेटनाइस बैट्समैन सिंगल तक नहीं ले पाए, इसलिए एक बाॅलर से उसकी बाॅल पर चौके-छक्के या दो रन लेने की उम्मीद करना बेकार हैं। ये अपना बेस्ट अटैम्प भी करेगा तो उसकी लास्ट बाॅल पर ज्यादा से ज्यादा सिंगल ले पाएगा, पर इससे अगले ओवर में ये स्ट्राइक पर पहुँच जाएगा और ये उस लास्ट ओवर की सिक्स बाॅल पर लगातार सिक्स सिक्सर लगाकर थर्टी सिक्स रन बना लेगा, ये सोचना भी बेकार हैं और इसे सेकंड लास्ट ओवर की लास्ट बाॅल पर सिंगल लेने से मना करता हूँ तो भी ये मैच जीतना इम्पाॅसिबल हो जाएगा, क्योंकि फिर मेरे सामने सिक्स बाॅल में थर्टी सेवन रन बनाने की चुनौती होगी जो इम्पाॅसिबल हैं। अब तुम बताओ कि इस सिच्युएशन में पैशन और सेल्फ-काॅन्फिडेंस जगाने से क्या हो जाएगा ?"

           "बहुत कुछ हो सकता हैं। तुम अपने पार्टनर से कहो कि लास्ट बाॅल पर चौका-छक्का या टू रन लेने की कोशिश करें और ये ऐसा नहीं कर पाता हैं तो तुम अगले ओवर में सिक्स बाॅल पर सिक्स लगाकर मैच को टाई करा लो, उसके बाद टाई ब्रेकर से मैच जीतने की कोशिश करों।"

            "इस टूर्नामेंट में मैच टाई होने पर टाई ब्रेकर से मैच की हार-जीत तय करने का रूल नहीं हैं।"

            "तो टाई होने पर विजेता कैसे तय किया जाएगा ?"

            "मैच में जिस टीम का नेट रन रेट बेहतर होगा, उसे विनर डिक्लियर कर दिया जाएगा।"

           "और इस मैच में नेट रन रेट किसका बेहतर हैं ?"

            "हमारी अपोजिट टीम का। उन्होंने उन्नीस ओवर और तीन बाॅल खेलकर आल आऊट होने से पहले एक सौ नब्बे रन बनाए थे, जबकि हम लोगों इतने ही रन बनाने के लिए पूरे बीस ओवर खेलना पड़ेगा।"

           "तो तुम एक काम करों, लास्ट ओवर की शुरुआत की दो या तीन बाॅल पर लम्बे-लम्बे छक्के लगाकर बाॅलर को चिढ़ाओं। इससे हो सकता हैं कि बाॅलर अपना पेशंस खोकर कोई वाइड या नो बाॅल कर दे और तुम सैतीस रन बनाकर मैच जीतने में कामयाब हो जाओ।"

           "मानसी, बच्चों जैसी बात मत करों यार। हो सकता हैं कि तुम्हारी बताई ट्रिक से बाॅलर कोई नो या वाइड बाॅल करके एकाध एडिशनल रन दे दे, बट फिर भी लगातार सिक्स बाॅल पर सिक्स सिक्सर्स लगाना इम्पाॅसिबल हैं।"

           "बिल्कुल इम्पाॅसिबल नहीं हैं, क्योंकि अलग-अलग लेबल के कई मैचेस बहुत से बैट्समैन ऐसा कारनामा कर चुके हैं और तुमने भी तो एक बार हमारे काॅलेज की ओर से खेलते हुए आईजी काॅलेज की टीम के खिलाफ लगातार सिक्स बाॅल पर सिक्स सिक्सर्स लगाए थे, फिर तुम क्यों कह रहे हैं कि ये काम इम्पाॅसिबल हैं ?"

          "इसलिए, क्योंकि इसका फर्स्ट रिजन ये हैं कि आईजी काॅलेज की टीम और कन्ट्री की क्लब लेबल की वन आॅफ द बेस्ट क्रिकेट टीम माने जानेवाली इस टीम में काफी अंतर हैं और सेकंड रिजन ये हैं कि किसी भी लेबल के मैचेस लगातार सिक्स बाॅल पर सिक्स सिक्सर लगाना हर वक्त पाॅसिबल नहीं हैं। खासतौर पर तब, जब ये करना जरूरी हो। लास्ट ओवर में टारगेट चेस करते समय ऐसा कारनामा किसी भी लेबल के किसी भी मैच में आज तक नहीं हुआ।"

          "लेकिन तुम्हें आज ये कारनामा करके दिखाना पड़ेगा, क्योंकि ऐसा नहीं करेंगे तो काफी लोगों का दिल टूट जाएगा। देखो, स्टेडियम में मौजूद लोगों के चेहरे अपनी लोकल टीम को हारते देखकर कैसे मुरझा गए हैं। क्या तुम नहीं चाहोगे कि ये सब लोग ........?"

           "सुनिए, अब आप लोग जाइए, क्योंकि हमारे लिए अब आप लोगों को बातचीत के लिए और टाइम देना पाॅसिबल नहीं हैं।" मानसी की ये बात पूरी होने से पहले ही एक अम्पायर ने उन लोगों के करीब आकर कहा तो मानसी अपनी बात ये अधूरी छोड़नी पड़ी और वो हर्षित को 'बेस्ट ऑफ लक' बोलकर निक्की के साथ ग्राउंड से बाहर निकल गई।

             मैच दुबारा शुरू हुआ। हर्षित के न्यू पार्टनर बैट्समैन पंकज ने पारी की उन्नीसवे ओवर की आखिरी बाॅल पर काफी जोरदार ढंग से बल्ला चलाया, लेकिन बाॅल चालीस गज के दायरे में मिड ऑन पर खड़े फिल्डर ने अपनी फुर्ती दिखाकर रोक लीं, इस वजह से एनएसबी की टीम को कोई भी रन नहीं मिल पाया। इसके बाद हर्षित ने पंकज के पास आकर कुछ समझाया।

          एक शाॅर्ट ब्रेक के बाद मैच का आखिरी ओवर शुरू हुआ तो स्ट्राइकर एंड पर हर्षित खड़ा था। बाॅलर ने अपनी पहली बाॅल ऑफ स्टम्प से हल्की-सी बाहर डाली, जिसे हर्षित ने थोड़ा-सा लेग स्टम्प की तरफ हटकर तिरछे बल्ले से से लांग ऑफ की तरफ उठाकर मारा, जिसके परिणामस्वरूप बाॅल लांग ऑफ के ऊपर से होती हुई स्टेडियम में बैठे दर्शकों के बीच पहुँच गई। इसके तुरंत बाद नाॅनस्ट्राइकर एंड पर खड़े अम्पायर ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर सिक्सर लगने का इशारा किया। ये देखकर काफी देर से खामोश बैठे दर्शक में हल्की-सी उत्साह की लहर देखने को मिलीं।

            "भाई, तूने और तेरे साथियों ने आज हमारे बैट्समैन को जितना परेशान किया हैं, ये उसके बदले की पहली किस्त थीं। अभी तुझे ऐसी हीं पाँच किस्ते और चुकानी पड़ेगी।" बाॅल वापस ग्राउंड पर आने पर जैसे हीं बाॅलर अपने बाॅलिंग मार्क की ओर जाने लगा, वैसे ही नाॅनस्ट्राइकर एंड पर खड़े पंकज ने उससे धीरे से ये बात कहकर छेड़ दिया।

           "अच्छा !" अपनी बाॅल पर जबर्दस्त छक्का पड़ जाने की वजह से पहले से गुस्से से उबल रहे बाॅलर ने रूककर पंकज को घूरते हुए जवाब में कहा।

            "हाँ भाई,  हमारे कैप्टन की जिस किसी बाॅलर पर वक्र दृष्टि पड़ जाती हैं, वो उसकी बाॅलिंग की इतनी धज्जियाँ उड़ाता हैं कि अगले कई मैचेस में बाॅलिंग करते समय उस बाॅलर के हाथ-पैर काँपते हैं। लगता हैं, आज उसकी दृष्टि तुझ पर पड़ गई हैं, इसलिए आज तेरा भी बहुत बुरा हाल होनेवाला हैं। भाई, तू अपनी बेइज्जती बर्दाश्त करने के लिए तैयार हो जा, क्योंकि अब तेरी अगली बाॅल पर इससे भी लम्बा छक्का पड़ने वाला हैं।"

            "ये तो अगली बाॅल पर पता चलेगा कि छक्का पड़ेगा या कुछ और होगा, पर तेरी जानकारी के लिए बता देता हूँ कि जो राज की बात आज तक सिर्फ मेरे शहर के लोग जानते थे, वो आज तेरे शहर का हरेक शख्स जान जाएगा और वो राज की बात ये हैं कि जो कोई भी परेश की बाॅल पर छक्का मारता हैं, अगली बाॅल पर न उसके सिर के ऊपर का हेलमेट उसका जबड़ा टूटने से बचा पाता हैं और न ऊपरवाला। अब तक आठ लोग ऐसी गलती करके उसका खामियाजा भुगत चुके हैं, अगली बारी तेरे कैप्टन की हैं।" कहकर बाॅलर अपना तमतमाया चेहरा लिए अपने बाॅलिंग माॅर्क की ओर बढ़ गया।

           परेश ने दूसरी बाॅल पिच के लगभग मध्य भाग में काफी ताकत से पटकी, जो पिच होकर तेजी से हर्षित के कंधे तक उठी, लेकिन हर्षित बाॅल के पिच होते ही उस बाॅल को हैंडल करने के लिए पोजिशन ले चुका था। उसने बाॅल के अपने करीब आते ही थोड़ा-सा लेग स्टम्प की तरफ हटकर उस पर अपर कट खेल दिया, जिससे बाॅल हवा में उड़ती हुई थर्डमेन के फिल्डर के पीछे बाउंड्रीलाइन के बाहर गिरी। इस बार हर्षित के इस छक्के का दर्शकों ने काफी जोरदार ढंग से स्वागत किया।

          "क्यों भाई, तू इसी खामियाजे की बात कर रहा था क्या ?" पंकज ने तुरंत परेश के करीब आकर उस पर तंज कसा।

           "तू सिर्फ एक मिनट रूक, तुझे मेरे अगली बाॅल डालते ही पता चल जाएगा कि मैं किस खामियाजे की बात कर रहा था।" पंकज की बात का किसी जहरीले नाग की तरह फुँफकार कर जवाब देने के बाद परेश पैर पटकता हुआ अपने बाॅलिंग मार्क पर पहुँचा।

            अम्पायर का इशारा मिलते हीं उसने दौड़ते हुए बाॅलिंग क्रीज के करीब आकर बीच पिच पर इतनी जोर से बाॅल पटकी कि वो टप्पा खाने के बाद पहले हर्षित के सिर के ऊपर से और फिर विकेट कीपर के भी सिर के ऊपर से गुजरकर ग्राउंड पर गिरी और तेजी से लुड़कती हुई बाउंड्रीलाइन के बाहर पहुँच गई। अम्पायर ने पहले अपना एक हाथ कंधे की सीध में फैलाकर नो बाॅल का, फिर हाथ सीधा खड़ा करके बाई का और फिर हाथ हिलाकर चौके का इशारा किया, जिसका स्टेडियम में मौजूद एनएसबी के समर्थकों ने जबर्दस्त ढंग से स्वागत किया।

           इसके बाद पंकज दौड़कर हर्षित से गले मिल लिया, जबकि उनकी अपोजिट टीम के कैप्टन ने परेश के पास जाकर उसे जमकर लताड़ा।

           इस नो बाॅल पर बाई के रूप में एनएसबी की टीम को बाउंड्री मिलने के बाद कमेंटेटर्स के अंदर भी जबर्दस्त जोश का संचार हुआ। दर्शकों के शोर के बीच काफी धीमी आवाज कमेंट्री कर रहे कमेंटेटर की आवाज अचानक तेज हो गई। वह कह रहा था- "कुछ देर पहले तक एकतरफा लगनेवाले मैच में एकाएक रोमांचक मोड़ आ गया हैं। इस ओवर के स्टार्ट होने से पहले एनएसबी क्रिकेट क्लब की टीम को मैच जीतने के लिए छः बाॅल में सैतीस रनों की आवश्यकता थीं, जो एक इम्पाॅसिबल टार्गेट था, लेकिन इस टीम के कप्तान के लगातार दो बाॅल पर दो शानदार छक्के मारने और उसके बाद एमजी क्रिकेट क्लब की टीम के फास्ट बाॅलर द्वारा एक नो बाल पर बाई का चौका देकर एनएसबी को एक पाँच अतिरिक्त रन और एक एडिशनल बाॅल खेलने का मौका दे देने की वजह से अब एनएसबी को मैच जीतने के लिए चार बाॅल में बीस रनों की आवश्यकता रह गई हैं जो इस टीम के कप्तान के फाॅर्म और पिछला रिकॉर्ड को देखकर इम्पाॅसिबल लक्ष्य नहीं रह गया हैं, लेकिन ये लक्ष्य अभी भी काफी मुश्किल लग रहा हैं। अगले कुछ मिनटों में ये देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सी टीम इस मैच को जीतने में कामयाब होती हैं।"

           कुछ पलों के बाद ग्राउंड परेश ने अगली बाॅल डाली, जिसे हर्षित ने परेश के सिर के ऊपर से उछालकर बाउंड्रीलाइन के पार भेज दिया। इसके बाद परेश की लेग स्टम्प पर डाली गई बाॅल को हर्षित ने स्केवर लेग के ऊपर से बड़ी आसानी से दर्शकों के बीच पहुँचा दिया। 

          परेश की यार्कर डालने के प्रयास में फुलटाॅस की गई अगली बाॅल को हर्षित ने आड़े बैट से लांग ऑन बाउंड्री के बाहर भेजकर अपनी टीम को लक्ष्य के काफी करीब पहुँचा दिया। अब उसकी टीम को मैच जीतने के लिए एक बाॅल में सिर्फ दो रनों की जरूरत थीं।

          परेश ने अपने कप्तान के साथ कुछ देर सलाह-मशविरा करने के बाद मैच की आखिरी बाॅल डालने के लिए दौड़ना शुरू किया तो दर्शकों का शोर-गुल अचानक बंद हो गया। सभी लोग अपनी साँसें रोककर मैदान की ओर टकटकी लगाकर देख रहे थे, लेकिन जैसे ही परेश की बाॅल को हर्षित ने अपने बैट से एक बार फिर हवाई मार्ग से बाउंड्रीलाइन से बाहर पहुँचाया, वैसे हीं स्टेडियम में मौजूद एनएसबी के समर्थक खुशी से झूम उठे।

                             ................

          "प्लीज मानसी, निक्की ने कल मुझ पर जो एलीगेशन लगाया था, उसके बारे में कोई बात मत करों।" स्टेडियम के बाहर पार्किंग में खड़े हर्षित ने अपने सामने खड़ी मानसी से रिक्वेस्ट करने के अंदाज में अपनी बात कही।

         "ओके, नहीं करूँगी बट तुम्हें निक्की को माफ करना पड़ेगा।" मानसी ने उसकी बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा।

          "यार, उसने कोई गलती हीं नहीं कीं हैं तो मैं उसे माफ किस बात के लिए करूँ ? एक्चुअली, गलती तो मैंने की हैं उससे फ्रेंडशीप करके और उसका प्रपोजल एक्सेप्ट करके, इसलिए माफी मुझे उससे माँगनी चाहिए। क्या मेरी ओर से उससे माफी माँग सकती हो ?"

          "मैं समझ सकतीं हूँ हर्षित कि निक्की के कल तुम पर लगाए एलीगेशन के बाद तुम्हें उस पर कितना गुस्सा आ रहा होगा, क्योंकि तुम उसके साथ बचपन की काफी शाॅर्ट पीरियड की जिस फ्रेंडशीप की वजह से उसे तब तक मिस करते रहे, जब तक उसका तुम्हें दुबारा साथ नहीं मिल गया और तुमने उसका दिल न टूटे, इस वजह से तुमने मेरे और तुम्हारे बीच पैदा हुए डिस्टेंस को मिटाने की जगह उसका हाथ थाम लिया, लेकिन उसने किसी के बहकावे में आकर तुम्हें बिना सफाई का मौका दिए तुमसे रिश्ता तोड़ने में पलभर की भी देर नहीं कीं। मगर म, इसमें उसकी गलती कम और तुम्हारी उस कजिन की ज्यादा हैं, जिसने उसे ये फाल्स इन्फार्मेशन दी थीं, इसलिए प्लीज उसे माफ कर दो। तुम उसे माफ नहीं करोगे तो वो पता नहीं कितने दिनों तक इसी तरह गुमसुम और उदास रहेगी, जैसी आज काॅलेज आने के बाद से हैं। वो बेचारी कल रात भी तुम्हारे और निहारिका आंटी के रिश्ते की सच्चाई का अहसास होने के बाद से पूरी रात रोती रही। तुम उसका गौर से चेहरा देखोगे तो खुद जान जाओगे कि उस पर क्या बीत रही होगी। प्लीज, एक बार उसके पास जाकर कह दो कि तुमने उसे माफ कर दिया।"

          "कह दूँगा, लेकिन मेरी एक शर्त हैं कि मैं इन फ्यूचर उसके साथ कोई रिलेशन नहीं रखूँगा।"

           "ये तुम दोनों की आपसी कन्सेंट पर डिपेंड करता हैं कि तुम दोनों एक-दूसरे साथ कोई रिलेशन रखना चाहते हो या नहीं, इसलिए मैं इस मैटर पर कुछ नहीं कहूँगी। बट वो इतनी लवली गर्ल हैं कि उसके तुम्हारे दिल से मेरी जगह छीनने के बावजूद मेरे दिल में उसके लिए सिम्पैथी पैदा हो चुकी हैं, इसलिए मैं उसे उसकी मिस्टेक के लिए तुमसे माफी दिलाकर ही रहूँगी। इसके अलावा तुम्हें मेरी एक और रिक्वेस्ट माननी पड़ेगी। तुम्हें लाइफ टाइम के लिए मुझे अपनी बेस्ट फ्रेंड बनाना होगा। निक्की ने तुम्हारी लवर का टाइटल मुझसे छीना था, इसलिए मैं उससे तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड का टाइटल छीनकर हिसाब बराबर करना चाहती हूँ। क्या तुम मुझे लाइफ टाइम के लिए अपनी फ्रेंडशीप का टाइटल दोगे ?"

           "हाँ, लेकिन इस शर्त पर कि तुम मेरी और निक्की की काॅमन फ्रेंड होने का मिसयूज करके कभी भी हम दोनों को एक छतरी के नीचे लाने की कोशिश नहीं करोगी और तुम कभी भी निक्की और मेरे बीच खत्म हो चुके रिश्ते के बारे में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट चर्चा नहीं करोगी।"

       
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#18
   "मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर हैं, बट तुम्हें भी मेरी ये बात माननी पड़ेगी कि तुम कभी मुझे अपने और निक्की में से किसी एक की फ्रेंडशीप चुनने के लिए नहीं कहोगे, क्योंकि तुम ऐसा कहोगे तो मैं बहुत बड़े धर्मसंकट में फँस जाऊँगी। मैं तुम्हारी फ्रेंडशीप तो छोड़ हीं नहीं पाऊँगी, पर निक्की की फ्रेंडशीप छोड़ने का भी मुझे कम दुख नहीं होगा।"

            "मानसी, तुम्हारी तबीयत तो ठीक हैं न ?"

            "क्यों, मेरी तबीयत को क्या हुआ ?"

            "तुम आज काफी बहकी-बहकी बातें कर रही हो, इसलिए मुझे लगा कि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं हैं।"

            "मजाक उड़ा रहे हो मेरा ?"

            "नो यार, मैं तो चंद दिनों में ही तुम्हारी पर्सनाल्टी में आया ये जबरदस्त बदलाव देखकर हैरानी जता रहा हूँ।"

            "मेरी पर्सनाल्टी में आए बदलाव से मैं खुद भी हैरान हूँ। तुम जानना चाहोगे कि तुम काफी कोशिशों के बावजूद मुझे जैसी नहीं बना पाए, वैसी मैं किस वजह से खुद-ब-खुद ही बन गईं ?"

             "हाँ।"

             "एक्चुअली परसो जब मुझे तुम्हें हमेशा के लिए खो देने का अहसास हुआ, तब मैंने अपने अंदर की उस मानसी से गुस्सा होकर उसे हमेशा-हमेशा की लिए मार डाला, जिसकी वजह से मैंने तुम्हें खो दिया। अब जो मानसी तुम्हारे सामने खड़ी हैं, उसे तुम अपना फिमेल वर्जन समझ सकते हो।"

            "ये सुनकर बहुत अच्छा लगा।

            "थैंक्स। अब जल्दी से मेरे इस कोश्चन का आन्सर दो कि क्या अब हम दोनों एक-दूसरे के बेस्ट फ्रेंड हैं ?"

           "हाँ, बट मैं तुम्हारी ओर फ्रेंडशीप के लिए हाथ बढ़ाने से पहले जो कंडीशन रखनेवाला हूँ, उसे सुनने के बाद हो सकता हैं कि तुम अपना हाथ वैसे ही छुपा लो, जिस तरह तुमने आज से करीब उन्नीस-बीस माह पहले छुपाया था।"

            "और तुम्हारी कंडीशन भी शायद वही होगी, जो उस समय तुमने मेरे सामने रखी थीं, 'दोस्ती को सिर्फ दोस्ती तक हीं सीमित रखना होगा ?"

              "हाँ।"

              "मैं इस बार तुम्हारी ये कंडीशन खुले दिल से एक्सेप्ट करती हूँ। बाइ द वे, तुम ये कंडीशन मेरे सामने नहीं भी रखते, तब भी मैं फ्रेंडशीप की लिमिटेशन क्राॅस नहीं करती। जानना चाहते हो क्यों ?"

             "क्यों ?"

             "मैं अब तुम्हारे साथ दुबारा पुराना रिश्ता जोड़कर किसी को वही दर्द नहीं देना चाहती हूँ जैसा उसने मुझे दिया था, क्योंकि मैं अच्छी तरह से जान गई हूँ कि हमसे हमारा प्यार कोई छीन ले तो कितनी तकलीफ होती हैं।"

            "मानसी, मुझे नहीं लगता हैं कि तुम मेरे साथ फ्रेंडशीप करने के लिए सीरियस हो, अदरवाइज तुम मेरी पहली कंडीशन को फ्रेंडशीप होने से पहले हीं ब्रीच नहीं करती।"

            "ओह नो यार, मैं तो भूल हीं गई थीं कि मुझे तुम्हारे और निक्की के रिलेशन के बारे में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तुम्हारे साथ चर्चा नहीं करनी हैं। आई एम सो साॅरी फार इट।"

            "इट्स ओके।"

            "चलो, जनाब का मूड कुछ अच्छा हैं इसलिए जल्दी माफी मिल गई, अदरवाइज पता नहीं कितनी देर मनाना पड़ता ? चल मानसी, अब जल्दी से हाथ बढ़ाकर इससे फ्रेंडशीप डन कर ले, अदरवाइज पता नहीं ये कब; कौन-सी बात पर नाराज हो जाए और ये गोल्डन चांस हाथ से निकल जाए।"

           "यार, खुद के साथ हीं बात करनी हैं तो आराम से अपनी कार में बैठकर करों न, मेरे पास खड़ी होकर मेरा टाइम क्यों वेस्ट कर रहीं हो ?"

           "साॅरी बाॅस, दिस इज माइ लास्ट मिस्टेक फार टूडे। अब कम से कम आज दिनभर तो कोई मिस्टेक नहीं करूँगी।" मानसी ने अपने कान पकड़कर मासूम-सा चेहरा बनाकर कहा तो न चाहते हुए भी हर्षित के चेहरे पर मुस्कुराहट उभर आयी।

             "ओके बाॅस, अब मैं चलती हूँ। निक्की कार में मेरा वेट कर रही हैं। तुम हमारी कैम्पेनिंग टीम को आज से ज्वाइन कर रहे हो या ........?"

            "आज का मेरा पूरा दिन हमारे क्लब मेम्बर्स के लिए बुक हैं। मैं कल सुबह ........।"

            "ओके, थैंक्स।" कहकर मानसी अपनी कार की ओर बढ़ गई।
                           ...................

         "हर्षित, तुम्हारा चेहरा देखकर लगता हैं कि तुम्हें भी कोई पाॅजिटिव रिस्पांस नहीं मिला।" अपने ग्रुप के साथ काॅलेज के कैंटिन में बैठी मानसी ने हर्षित के दाखिल होते हीं उसके चेहरे को गौर से देखते हुए अपना अनुमान व्यक्त किया।

         "यू आर राइट मानसी, इस काॅलेज में हम लोगों के आपसी झगड़ों की वजह से हम लोगों की पैनल की इमेज इतनी खराब हो चुकी हैं कि इस बार हमारी पैनल को वोटिंग करने के लिए की जानेवाली मेरी अपील को कोई सीरियसली लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ज्यादातर लोग मेरी अपील पर डायरेक्ट कोई रिस्पांस देने से बच रहे हैं, लेकिन यहाँ का माहौल बता रहा हैं कि हमारे फेवर में इस बार वैसी बम्पर वोटिंग होने की न के बराबर पाॅसिब्लिटी हैं, जैसी पिछले दो इलेक्शन में हुई थीं।" हर्षित ने मानसी की बात का हताश स्वर में जवाब दिया।

           "हर्षित, झूठ मत बोलो यार। इस काॅलेज में हमारी पूरी पैनल की इमेज खराब नहीं हुईं हैं, बल्कि सिर्फ मानसी की इमेज खराब हुईं हैं जिसके लिए रिस्पांसिबल भी यही हैं। ये इस कैंटिन वाले पर तुम्हें चाय-काॅफी पिलाने की वजह से झूठा एलीगेशन नहीं लगाती और तुम्हें पब्लिकली उल्टा-सीधा नहीं सुनाती तो हमारे इलेक्शन हारने की नौबत कभी नहीं आती, बट इसके लिए तुम भी काफी हद तक रिस्पांसिबल हो। तुम हमारी पैनल की प्रेसीडेंट की कैंडिडेटशीप एक्सेप्ट कर लेते तो भी ऐसी सिच्युएशन पैदा नहीं होती, लेकिन तुम फाॅर्म सबमिट करने की लास्ट डेट को अपनी बुआ की बीमारी का बहाना बताकर मैदान से भाग गए और ऊपर से इस पोस्ट के लिए मानसी को फाॅर्म सबमिट करने के लिए कहकर हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर दीं। एनी वे, तुम दोनों को जो करना था, तुम लोग कर चुके हो। अब हमें अपने एकार्डिंग चलने के लिए फ्री कर दो। हो सकता हैं कि हम लोग तुम दोनों से अलग होकर कैम्पेनिंग करेंगे तो कुछ मैजिक हो जाए और हम लोगों की इज्जत बच जाए।" मानसी के लेफ्ट साइड में बैठे चेतन की बात खत्म होते मानसी के चेहरे पर गहरी पीड़ा के उभर चुके थे।

           वह कुछ कहने के लिए मुँह खोलने हीं वाली थीं कि तभी उसके राइट साइड में बैठी निक्की ने उसे हाथ के इशारे से रोककर अपनी बात शुरू कर दीं- "चेतन, तुम्हें एक ऐसी लड़की को उल्टा-सीधा बोलते हुए जरा-सी भी शर्म नहीं आ रही हैं जो इमोशनली हर्ट होने के बावजूद अपना सारा दर्द भूलकर तुम लोगों के साथ सिर्फ इसलिए खड़ी हुई, क्योंकि उससे तुम लोगों के चेहरे पर छायी मायूसी देखी नहीं जा रही थी। और सुनो, तुमने ये तो बता दिया कि मानसी ने क्या-क्या गलतियाँ की, लेकिन तुमने ये नहीं बताया कि जब मानसी ने ये गलतियाँ की, तब तुमने इसके साथ होने के बावजूद इसे रोकने की कोशिश क्यूँ नहीं की ?"

          "निक्की, तुमने बिल्कुल सही पाईंट पकड़ा। इसने ये सब करने से मानसी को कभी रोकने की कोशिश नहीं की। उल्टा ये तो ये सब करने के लिए हमेशा मानसी को उकसाता रहा, क्योंकि ये हमेशा से चाहता था कि हर्षित हम लोगों के ग्रुप से निकल जाए, ताकि इसे हमारे ग्रुप की लीडरशीप करने का मौका मिल सके। इसने अपने इसी गोल को अचिव करने के लिए हम सबको इस बार हर्षित पर मानसी के साथ चीटिंग करने का एलीगेशन लगाकर हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप न देने के लिए कन्वेंस किया और अब हर्षित के इलेक्शन में कैंडिडेट न होने की वजह से इसे हमारी पैनल के साथ अपनी हार नजर आ रही हैं तो इसने गिरगिट की तरह रंग बदलकर इसके लिए मानसी और हर्षित को रिस्पांसिबल ठहरा दिया। साॅरी चेतन, मुझे तुम्हें गिरगिट के साथ कम्पेयर नहीं करना चाहिए था क्योंकि रंग बदलने में तुम गिरगिट से भी ज्यादा माहिर हो।" निधि के व्यंग्य बुझे तीर के सटीक प्रहार से चेतन का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। वह बिना कुछ कहे अपनी जगह से उठा और कैंटिन से बाहर निकल गया।

          "जहाज डूबता हैं तो सबसे पहले चूहे कूद कर भागते हैं।" चेतन जब बाहर निकल रहा था, तब भी निधि उसे घृणित नजरों से देखते हुए एक व्यंग से बुझा तीर उसकी ओर छोड़ा, लेकिन उसका भी चेतन ने कोई जवाब दिया।

           "यू आर राइट निधि, ये कहावत इस जैसे लोगों के लिए ही बनी हैं, पर मैं तुम लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि हम लोगों की स्थिति इतनी भी खराब नहीं हैं, जितनी मैंने इस कैंटिन में आते हीं बताई थीं। वो तो मैंने ये देखने के लिए हमारी पोजीशन जान-बूझकर कुछ ज्यादा ही खराब बता दी थीं कि कौन-कौन लोग दिल से हमारी पैनल के साथ हैं और कौन-कौन लोग सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए साथ हैं। जो दिल से साथ थे, वे लोग रूके हुए हैं और जो सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए हम लोगों के साथ था, वो हमारे बीच से जा चुका हैं इसलिए मैं अब तुम लोगों को रियल पोजीशन बता देता हूँ।

             एक्चुअल पोजीशन ये हैं कि फिलहाल हमारी पैनल और बबलू एंड कम्पनी की पैनल को लगभग बराबर सपोर्ट मिल रहीं हैं, लेकिन यदि हम इस इलेक्शन का बायकाट करने वाले लोगों को वोटिंग करने के लिए कन्वेंस कर लेते हैं तो हमारी पैनल को क्लियरली लीड मिल जाएगी, क्योंकि जो ढहाई-तीन सौ लोग हमारी पैनल की आपसी खीचतान की वजह से हमसे निराश होकर इस इलेक्शन का बायकाट करने का डिसिजन ले चुके हैं, वे हम लोगों के फेवर के लोग हैं। हमें एक-एक करके उन सभी से पर्सनली मिलकर इस बात का यकीन दिलाना होगा कि हम लोग बबलू एंड कम्पनी से काफी अलग हैं और उनके हमें भी बबलू एंड कम्पनी की तरह समझकर इलेक्शन का बायकाट करने से बबलू एंड कम्पनी जीतकर काॅलेज का माहौल खराब कर सकती हैं। आई होप कि काॅलेज का माहौल खराब होने से बचाने के लिए हमसे डिस्पाईन्टेड हुए लोग भी हमारे फेवर में वोटिंग करने के लिए तैयार हो जाएँगे।" हर्षित की बात सुनकर उसके आसपास बैठे सभी लोगों के चेहरों पर कुछ इस तरह के राहत के भाव उभर आए, जैसे मरूस्थल में भटक-भटककर प्यास से बेहाल हो चुके मुसाफिरों को आसपास कहीं से पर्याप्त पानी होने की सूचना मिलने पर उनके चेहरों पर राहत के उभर आते हैं।

           "मेरे पास भी एक बेहतरीन आइडिया हैं।" हर्षित की बात खत्म होते हीं निक्की ने उसकी तरफ देखकर कहा।

           "मानसी, मैं शर्मा सर का पीरियड अटैंड करने जा रहा हूँ। मैंने लगातार चार दिनों तक कोई भी पीरियड अटैंड नहीं किया, इस वजह से मेरे लिए आज कोई न कोई पीरियड अटैंड करना जरूरी हैं। मैं अब से ठीक पैतालीस मिनट बाद लंच टाइम में तुमसे मिलूँगा, तब तक तुम बाकी लोगों के फार्मुले सुन लो और इनमें से कोई काम का लगे तो मुझे बता देना।" निक्की की बात को अनसुना करके हर्षित ने अपनी बात कही और कैंटिन से बाहर निकल गया।

           "डोंट वरी निक्की, थोड़े दिनों में सब ठीक हो जाएगा।" हर्षित के बाहर निकलते हीं मानसी ने निक्की का हाथ पकड़कर उसे सांत्वना दी।

           "मुझे तसल्ली देने के लिए थैंक्स, बट मुझे नहीं लगता हैं कि कभी कुछ ठीक होगा।" निक्की ने जवाब में कहा।

          "अरे, थोड़ा पेशंस रखो यार, सब ठीक हो जाएगा।"

           "यार मानसी, इतने शार्ट पीरियड में तुम्हारे, निक्की और हर्षित के बीच इतनी जल्दी-जल्दी रिलेशन चेंज हुए हैं कि इनके बारे में जानकर इंग्लैंड का मौसम भी शर्मिन्दा हो जाएगा। पहले हर्षित का तुम्हारे साथ अफेयर था और निक्की के साथ फ्रेंडशीप थी, फिर तुम्हारा हर्षित के साथ ब्रेक-अप हुआ और हर्षित का निक्की के साथ अफेयर शुरू हुआ, इसके बाद हर्षित और निक्की के बीच डिस्टेंस पैदा हो गया और तुम्हारी निक्की के साथ फ्रेंडशीप हो गई और फिर आज तुम्हारी भी हर्षित के साथ फ्रेंडशीप हो गई, पर इन सबसे इन्ट्रेस्टिंग ये लग रहा हैं कि तुम अपने एक्स और उसकी प्रजेंट लवर के बीच के पैदा हुए डिस्पुट्स दूर करने की पूरी ताकत से कोशिश कर रही हो। कसम से मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती थीं कि एक लड़के और दो लड़कियों के बीच इतने स्ट्रेंज रिलेशन हो सकते हैं।"

            "निधि, तुम हम तीनों के बीच बार-बार बदल रही कैमेस्ट्री को लेकर हम तीनों का मजाक उड़ा रही हो ?"

             "अरे नहीं यार, मैं तो तुम्हारे इतनी जल्दी निक्की के प्रति अपनी नाराजगी भूलाकर उसकी क्लोज फ्रेंड और हमदर्द बनने और निक्की के मन में तुम्हारे लिए पैदा हुई ब्लाइंड फैथ पर हैरानी जता रही हूँ।"

            "बट मुझे इसमें हैरानी जैसी कोई बात नजर नहीं आ रही हैं, क्योंकि हम तीनों के बीच बनी कैमेस्ट्री की वजह बेहद सिम्पल और नार्मल हैं। मैंने रियलाइज कर लिया कि मैं हर्षित को एज द लवर हमेशा के लिए खो चुकी हूँ इसलिए उसके और उसकी प्रजेंट लवर के बीच पैदा हुए डिस्टेंस को दूर करने की कोशिश कर रही हूँ और निक्की को मुझ पर हद से ज्यादा ट्रस्ट इसलिए हो गया क्योंकि वो जानती हैं कि मैं उसके साथ अपने सारे डिस्पुट्स भूलकर उसके और हर्षित के बीच पैदा हुए डिस्टेंस को दूर करने के लिए ऑनेस्टली ट्राई कर रही हूँ।"

          "ठीक हैं, बट तुम्हारे अंदर इतना चेंज आने की वजह क्या हैं ? मैंने पहले तो कभी तुम्हें इस टाइप की सोशल एक्टीविटिज में इस तरह इमोशनली अटैच होते हुए नहीं देखा। अचानक ऐसा क्या हो गया कि तुम विकास का फिमेल वर्जन बन गईं ?"

            "मैंने कल रात .......।"

            "मानसी, प्लीज कल ......।"

            "डोंट वरी निक्की, मैं वो राज डिस्क्लोज नहीं कर रही हूँ जिसे तुम सीक्रेट रखना चाहती हो। मैं तो इसे सिर्फ ये बता रही हूँ कि कल रात मुझे एक लड़के और उसकी दिल के रिश्ते की बुआ के बीच के होली लव के बारे में पता चला तो मुझे लगा कि रिश्तों के मामलों में मैं बहुत गरीब हूँ और तभी मैंने फैसला किया कि अब मैं सिर्फ प्यार बाँटती रहूँगी, ताकि मुझे भी कोई इतनी शिद्दत से प्यार करने लग जाए, जैसा उस लड़के से उसकी दिल के रिश्ते की बुआ करती हैं और मैंने निक्की को अपनी सगी बहन की तरह प्यार करना शुरू करके अपने इस फैसले का इम्प्लिमेंटेशन भी स्टार्ट कर दिया। अब इन बातों को छोड़ो और इलेक्शन कैम्पेनिंग में तेजी लाने के लिए किसी के पास कोई आइडिया हो तो बताओ। निक्की, तुम थोड़ी देर पहले कुछ कह रही थीं, तुम हीं पहले अपना आइडिया हमारे सामने रख दो।"

           मानसी की बात खत्म होने के बाद निक्की अपनी बात उसे समझाने लगी।
                            ..................

            "भइया, दीदी कह रही थीं कि वे नीचे आने की कंडीशन में नहीं हैं, इसलिए आप उनसे मिलने ऊपर उनके कमरे में चलें जाइए।" एक सावली-सी नवयुवती ने घर के हाल में खड़े हर्षित के पास आकर बताया तो उसके चेहरे पर हल्का-सा तनाव उभर आया।

          "चलो, मुझे उनका कमरा दिखा दो।" कुछ पलों तक सोच-विचार करने के बाद हर्षित ने कहा।

         "आइए ।" कहकर वह नवयुवती उसी जीने की ओर बढ़ गई, जिससे उतरकर हाल में आयी थीं। हर्षित भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ा।

         "यही हैं दीदी का रूम।" फर्स्ट फ्लोर पर पहुँचने के बाद एक कमरे की ओर इशारा करके बताया और वह नवयुवती वापस लौट गई।

           हर्षित ने उस कमरे के सामने पहुँचकर उसके गेट पर हल्की-सी दस्तक दी, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला तो कुछ झिझक के साथ हर्षित ने गेट पुश किया और अंदर दाखिल हो गया। 

         "निधि, ये क्या बचपना हैं यार ?" अंदर पलंग पर तकिए में मुँह छिपाकर लेटी लड़की पर नजर पड़ते ही हर्षित ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, लेकिन उस लड़की से उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

         "निधि, आर यू ओके ?" कुछ पलों की खामोशी के बाद हर्षित ने कुछ चिंतित स्वर में पूछा।

          "मैं बिल्कुल भी ओके नहीं हूँ हर्षित। प्लीज हेल्प मी।"  लड़की ने पलटकर हर्षित की ओर देखते हुए जवाब दिया जो हर्षित के ग्रुप की लड़की निधि थीं।

          "निधि, तुम बेझिझक अपनी वो प्राॅब्लम मेरे साथ शेयर कर सकती हो, जिसे शेयर करने के लिए तुमने मुझे यहाँ बुलाया।"

            "हर्षित, मेरी समझ में नहीं आ रहा हैं कि मैं अपनी प्राॅब्लम तुम्हारे साथ शेयर कैसे करूँ ? पता नहीं मेरी प्राॅब्लम सुनकर तुम मेरे बारे में क्या सोचोगे, बट इसे किसी राइट पर्सन के साथ शेयर नहीं करूँगी तो साॅल्व भी नहीं होगी, इसलिए तुम्हें बता हीं देती हूँ।

           एक्चुअली बात ये हैं कि हमारे ग्रुप के चेतन के साथ मेरा पिछले आठ-नौ माह से अफेयर चल रहा हैं और इस दौरान हम दोनों के बीच लगभग हर दिन फिजिकल रिलेशन भी बनते रहें, लेकिन कल उसके ग्रुप छोड़ देने पर मैंने उसे उल्टा-सीधा बोल दिया तो उसने इतनी-सी बात के लिए मुझसे रिश्ता तोड़ दिया और मैंने कल शाम को फोन करके डेली की तरह मेरे घर आकर मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए कहा तो उसने साफ मना कर दिया जिसके बाद रातभर में मुझे अहसास हो गया कि मैं सेक्स एडिक्ट हो गई हूँ और हर चौबीस घंटे में एक बार किसी के साथ फिजिकल रिलेशन बनाए बिना नहीं रह सकती हूँ। मैं अपनी इस प्राॅब्लम से निजात पाने के लिए आज एक साइकेट्रिस्ट के पास गई थीं तो उसने मेरा ट्रीटमेंट तो स्टार्ट कर दिया, लेकिन साथ हीं एक ये बात कहकर मेरी प्राॅब्लम बढ़ा दी कि उसके ट्रीटमेंट का नतीजा लगभग वन मंथ के बाद नजर आएगा और तब तक मुझे किसी न किसी जरूरत के अनुसार मुझे किसी न किसी के साथ फिजिकल रिलेशन बनाते रहना होगा। मैंने अपने एक अच्छे और भरोसेमंद दोस्त अपनी ये प्राॅब्लम को बताई और वन मंथ तक जरूरत के अनुसार मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए तैयार कर लिया, लेकिन वो फिलहाल कल तक के लिए बाहर हैं, इसलिए तुम सिर्फ आज एक बार मेरी ये नीड पूरी कर दो। मैं पिछले चौबीस घंटे से पानी से बाहर निकाली हुई मछली की तरह छटपटा रही हूँ। प्लीज हेल्प मी।"

        "ओके, मैं तुम्हारी हेल्प करने के लिए तैयार नहीं हूँ बट उस वे में नहीं, जिस वे में तुम चाह रही हो। तुम कल काॅलेज आकर स्टूडेंट्स को जमा करके मुझ पर ये एलीगेशन लगा देना कि मैंने चेतन को मानसी से अपनी पेनल का सेकेट्री का कैंडिडेट डिक्लियर कराने की एवज में तुमसे कई बार फिजिकल रिलेशन बनाए और अब मैं चेतन के लिए कैम्पेनिंग करने के बदले भी तुमसे यही सर्विस चाह रहा हूँ, इससे तुम्हारा और चेतन का मेरी इमेज खराब करके बबलू एंड कम्पनी को इलेक्शन जीतने में हेल्प करने और बदले में उनके सपोर्टर्स के वोट लेकर चेतन को इलेक्शन जिताने का मिशन पूरा हो जाएगा, क्योंकि मैं ये एलिगेशन पर कोई सफाई देने की जगह इसे बिना ना-नुकुर किए एडमिट कर लूँगा और इस एलिगेशन की विश्वसनीयता पर कोई कोश्चन मार्क लगने के चांसेज हीं खत्म हो जाएँगे, बट प्लीज तुम ये मनगढँत स्टोरी सुनाकर अपनी हेल्प के नाम पर मेरे और अपने कैरेक्टर पर बदनुमा दाग मत लगाओ। आई एम गोईंग नाऊ।"

         "हर्षित, प्लीज एक मिनट रूको।"

          "बोलो ...।"
   
          "हर्षित, ये सच हैं कि मैं सेक्स एडिक्ट नहीं हूँ और मैं अपने इस इस टाइप के एडिक्शन से परेशान होकर नहीं बल्कि वीडियो रिकार्डिंग करने के लिए तुम्हारे साथ फिजिकल रिलेशन बनाना चाहती थीं, बट ये मैं अपनी मर्जी से नहीं करना चाह रहीं थीं, बल्कि चेतन के पास मेरी एक कमजोर नस दबी होने की वजह से उसके कहने पर मजबूरी में कर रही थीं। एक्चुअली, मैंने उसके साथ ये सोचकर चार-पाँच बार फिजिकल रिलेशन बना लिए थे कि वो एक अच्छा लड़का हैं, इसलिए मेरे साथ कभी चीटिंग नहीं करेगा। उसने मुझसे प्राॅमिश भी किया था कि वो अपना करियर बनाने के बाद मुझसे हीं शादी करेगा, लेकिन .....।"

           "वो अपने प्राॅमिश से मुकर गया, यही न ?"

           "मुझे पता नहीं हैं कि वो अपने प्राॅमिश से मुकर गया हैं या नहीं और मुझे ये जानने में कोई इन्ट्रेस्ट भी नहीं हैं क्योंकि अब मैं खुद उससे न तो शादी करना चाहती हूँ और न इन फ्यूचर उसके साथ कोई रिलेशन रखना चाहती हूँ लेकिन चेतन ने हिडन कैमरे हम दोनों के अंतरंग पलों की वीडियो क्लिप्स बना लीं हैं और मुझे उसने उसे इंटरनेट पर अपलोड करने की कल शाम को धमकी देकर तुम्हारे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने और उसकी रिकार्डिंग करने के तैयार किया, ताकि इस रिकार्डिंग के दम पर तुम्हें अपनी पेनल के पीछे से अपना हाथ खींचने के लिए मजबूर कर सके और बबलू एंड कम्पनी के साथ क्राॅस काम्बिनेशन करके इलेक्शन जीत सके। तुम्हारे बाद उसने मुझे यही काम बबलू के साथ भी करने के लिए कहा हैं, बट बबलू को मुझे कोई कहानी नहीं सुनाकर मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के एग्री नहीं करना हैं, क्योंकि बबलू तो ऐसा ऑफर खुद हीं ढूँढता हैं।"

           "यार, मैं तो इस बात की इमेजिन भी नहीं कर सकता था कि हमारे काॅलेज के स्टूडेंट्स इस मामूली से इलेक्शन के विनर बनने के लिए इस टाइप के घिनौने हथकंडे भी यूज करने की कोशिश कर सकते हैं। ये सुनकर मैं तो एकदम शाॅक्ड हो गया।"

            "मुझे भी कल शाम जब चेतन ये बातें कही तो मैं भी इसी तरह से शाॅक्ड हुई थीं। मुझे तो चेतन की बात सुनने के बाद यकीन हीं नहीं हुआ कि उसने ये बात मुझसे सीरियसली कही हैं। मैं पागलों की तरह बार-बार उससे कहती रही कि वो मुझे सताने के लिए मेरे साथ मजाक कर रहा हैं, लेकिन जब उसने मुझे अपने मोबाइल में हम लोगों के प्राइवेट मोमेंट्स की वीडियो क्लिप्स दिखाकर अपनी बात रिपीट की तो मेरे पैरों के नीचे की जमीन हीं खिसक गईं, क्योंकि मैं कभी ख्वाब में नहीं सोच सकती थीं कि जिस पर ट्रस्ट करके मैंने अपने पैरेंट्स तक के विश्वास को तोड़ दिया और मेरे सबसे ज्यादा कीमती अपनी अस्मिता तक को दाॅव पर लगा दिया, वो हम दोनों के प्राइवेट मोमेंट्स की रिकार्डिंग कर सकता हैं और उस क्लिप के सहारे अपनी किसी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए मुझे ब्लैकमेल करके किसी दूसरे के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए मजबूर कर सकता हैं।"

           "निधि, चेतन ने तुम्हारे साथ वाकई बहुत गलत किया, लेकिन इसके लिए अफसोस जाहिर करने से कोई बेनीफिट नहीं होनेवाला हैं, इसलिए हमें इस बात पर अफसोस करने की जगह ये सोचना चाहिए कि चेतन से वो वीडियो क्लिप्स कैसे हासिल की जाए।"

            "यू आर राइट हर्षित, बट मैंने पहले आपको अपनी प्राॅब्लम इसलिए नहीं बताई, क्योंकि चेतन के मेरे साथ विश्वासघात करने के बाद मेरे लिए किसी पर भी विश्वास कर पाना बेहद मुश्किल काम था, पर पता नहीं क्यों मुझे बाद में ऐसा लगा कि तुम पर विश्वास करके तुम्हें अपनी प्राॅब्लम बता देनी चाहिए, इसलिए मैंने तुम्हें अपनी प्राॅब्लम बता दीं। अब ये  तुम्हारे ऊपर डिपेंड करता हैं कि तुम मुझे इस प्राॅब्लम से बाहर निकलने में मेरी हेल्प करते हो या नहीं। मैं तुम्हें मेरी हेल्प करने के लिए मजबूर नहीं करूँगी, बट इतना जान लो कि तुमने मेरी हेल्प नहीं की तो मेरे पास सुसाइड करने के अलावा कोई आॅप्सन नहीं रह जाएगा।"

           "डोंट वरी, मैं ऐसी सिच्युएशन नहीं बनने दूँगा कि तुम्हारे पास सुसाइड करने के अलावा कोई ऑप्शन न बचें। हम लोग आज हीं पुलिस के .......।"

            "यार, हम लोग पुलिस के पास नहीं जाएँगे क्योंकि पुलिस के पास गए तो चेतन वो वीडियो क्लिप्स इन्टरनेट पर अपलोड कर देगा और मैं और मेरी फेमिली किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी। बाइ चांस पुलिस क्विक एक्शन लेकर उसे वीडियो क्लिप्स इन्टरनेट पर अपलोड करने से रोक लेगी और उससे उन वीडियो क्लिप्स की क्लिप्स की सारी काॅपिज हासिल करने में कामयाब भी हो जाएगी तो भी मेरी फेमिली और बाकी परिचित लोग तो ये जान ही जाएँगे कि मैं वो सारी हदे पार कर चुकी हूँ जो मुझे नहीं करनी चाहिए थी, इसलिए कोई ऐसा प्लान बताओ भाई, जिससे हम चेतन को हम उन वीडियो क्लिप्स की सारी काॅपिज डिलीट करने पर मजबूर कर दे और मेरी लाइफ के इस ब्लैक यूनिट के बारे में किसी को पता भी न चले।"

            "ऐसा तो एक हीं कंडीशन में पाॅसिबल हो सकता हैं।"

            "तो मुझे वो कंडीशन बताओ न यार, प्लीज।"

            "फिलहाल तुम चेतन की बात मान लो और वो जैसा कह रहा हैं, वैसा ....।"

             "वही तो कर रही थीं बट शायद तुमने इस फ्लावर पोट में छुपा वीडियो रिकार्डर देख लिया, इसलिए अब मैं आधा काम तो वैसे भी नहीं कर पाऊँगी।"

           "मैं ये हिडन वीडियो रिकार्डर नहीं भी देख पाता तो भी तुम्हारी इस नाॅनसेंस स्टोरी पर यकीन करके ऐसा कुछ नहीं करता जो तुम चेतन के कहने से मुझसे करवाना चाह रहीं थीं और न तुम मुझसे ऐसा कुछ करवाने की कोशिश करोगी। तुम्हें चेतन को ये बताना हैं कि मैंने तुम्हारा हिडन कैमरा देख लिया था, इसलिए मैं तुम्हारे जाल में नहीं फँसा। मुझे यकीन हैं कि वो सुनने के बाद तुम्हें कुछ न कहकर बाकी का आधा काम करने के लिए कहेगा और हमारे जाल फँस जाएगा। अब मैं तुम्हें समझाता हूँ कि इससे आगे क्या करना हैं।"

            "ओके, बोलो..।" हर्षित  का जवाब सुनने के बाद हर्षित उसे अपना प्लान समझाने लगा।
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#19
चक्रव्यहू (9th Part)


          "हर्षित, कहीं ऐसा तो नहीं हैं कि तुम्हें किसी और ट्रेप में फँसाने के लिए निधि की ये कोई नई चाल हैं ?" हर्षित की पूरी बात गम्भीरता से सुनने के बाद मानसी ने सवाल किया।

           "नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं हैं। पहले तो निधि मुझे चेतन के बिछाए ट्रेप में फँसाने की कोशिश कर रही थीं, बट बाद में मुझे उस लड़की की आँखों सच्चाई नजर आयी, इसलिए मुझे लगता हैं कि वो वाकई चेतन के ट्रेप में फँसी हुई हैं।" हर्षित ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा।

          "ठीक हैं, तुम्हें इतना काॅन्फिडेंस हैं तो मैं भी मान लेती हूँ कि निधि वाकई चेतन के ट्रेप में फँसी हुई हैं। अब तुम मुझे ये बताओ कि उसे इस चेतन के उस ट्रेप से निकालोगे कैसे ?"

          "मैं एक आइडिया दूँ ?" मानसी के बगल में बैठी निक्की ने हर्षित की ओर देखकर सवाल किया, जिसे सुनकर हर्षित ने ऐसे रिएक्ट किया, जैसे उसने सुना हीं नहीं हो।

          "ए मिस्टर, निक्की कुछ पूछ रहीं हैं तुमसे ?" चंद पलों तक हर्षित के कुछ बोलने का इंतजार करने के बाद मानसी ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाकर कहा।

          "मेरे पास आलरेडी एक प्लान हैं, इसलिए मुझे किसी का कोई आइडिया नहीं बल्कि तुम्हारी हेल्प चाहिए। क्या तुम मेरी हेल्प करोगी ?"

          "श्योर, इट्स माइ प्लीजर। बोलो, तुम्हें मेरी क्या हेल्प चाहिए ?"

           "आई थिंक, फिलहाल तो तुम्हारे लिए सिर्फ इतना हीं जानना काफी हैं कि तुम्हें मेरे साथ आज शाम के ठीक पाँच बजे निधि के घर जाना हैं। वहाँ क्या करना हैं, ये मैं तुम्हें रास्ते में समझा दूँगा, ओके ?"

          "ओके, बट मुझे लगता हैं कि हमें अपने साथ रागिनी दी या उनके जैसे किसी दबंग पर्सन को हेल्प के लिए अपने साथ रखना चाहिए, ताकि किसी वजह से सिच्युएशन बिगड़ जाए तो भी हम लोग या निधि किसी परेशानी में न पड़े ?"

          "हम लोग रागिनी दी को अपने प्लान में शामिल नहीं कर सकते, क्योंकि वे हमारे मना करने के बावजूद चेतन और बबलू की पुलिस में कम्प्लेंट किए बिना नहीं मानेगी और निधि पुलिस में कम्प्लेंट करने के लिए बिल्कुल भी एग्री नहीं हैं। रागिनी दी जैसे किसी दूसरे शख्स को भी हम अपने प्लान शामिल नहीं कर सकते, क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं हैं कि वो शख्स निधि के चेतन के साथ फिजिकल रिलेशन बना लेने की बात को सीक्रेट रखेगा। बाइ द वे, हम लोगों की हेल्प के लिए अपने रिलायबल फ्रेंड पंकज को निधि के घर पहुँचने के लिए कह दिया हैं, वो वहाँ राइट टाइम पर पहुँच जाएगा। अब मैं क्लास अटैंड करने जा रहा हूँ, हम लोग फिक्स साढ़े-चार बजे पार्किंग में मिलेंगे।"

         "सुनो, हम लोग अपने साथ निक्की को लें चले ?"

         "यार, हम लोग पिकनिक जा रहे हैं क्या, जो जिसकी जरूरत न हो उसे भी साथ ले चले ?"

          "अरे, लेकिन मुझे लगता हैं कि निक्की हमारी काफी हेल्प कर सकती हैं क्योंकि ये काफी ब्रिलियंट और ब्रेव गर्ल हैं।"

           "मानसी, तुम मेरा साथ देना चाहती हो तो साढ़े चार बजे पार्किंग में आ जाना, अदरवाइज मैं किसी और को अपने साथ ले जाऊँगा।" कहकर हर्षित ने झटके के अपनी चेयर छोड़ी और तेज कदमों से लाइब्रेरी से बाहर निकल गया।

           "निक्की, तुम हर्षित के आज के बिहेवियर से काफी हर्ट हुई न ?" हर्षित के जाने कुछ पलों के बाद मानसी ने हमदर्दी भरी निगाहों से निक्की की आँखों में झाँकते हुए सवाल किया।

           "नहीं।" निक्की ने चेहरे पर जबरन मुस्कुराहट लाते हुए जवाब दिया।

           "निक्की, यदि तुम ऐसा सोचती हो कि तुम अपनी फाॅल्स स्माइल से अपने दिल का दर्द मुझसे छुपा लोगी तो तुम्हारी सोच बिल्कुल गलत हैं क्योंकि मैं हर वक्त तुम्हारी इस फाॅल्स स्माइल के पीछे छुपा दर्द नोट कर लेती हूँ।"

          "मानसी, तुम मेरे पीछे क्यूँ अपना टाइम वेस्ट करतीं हो ? प्लीज, तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़कर अपनी लाइफ इन्जाॅय करों।"

            "अरे, मैं ऐसे-कैसे तुम्हारा पीछा छोड़ दूँ यार ? तूने मुझे जो कभी न भरनेवाला जख्म दिया हैं, उसके लिए मैं उम्रभर तेरे साथ रहकर तुझे यूँ ही सताती रहूँगी और मरने के बाद भी भूतनी बनकर तुझे सताने आ जाऊँगी। अब उठ और कैंटिन में चलकर मुझे अपने पैसे से गर्मागरम काॅफी पिला। तेरी वजह से उस साले चिढ़चिढ़े लड़के ने मुझ पर बरसकर मेरा मूड आॅफ कर दिया। साॅरी निक्की, मैंने भावनाओं में बहकर तुम्हें तू और तुझे जैसे प्रोनाऊन्स से एड्रेस कर दिया।"

          "नो प्राॅब्लम, मुझे तुम्हारा इस तरह एड्रेस करना बहुत अच्छा लगा। तुम मुझे हमेशा इसी तरह एड्रेस किया करों, क्योंकि मुझे मेरा कोई क्लोज इस तरह से एड्रेस करता हैं तो मुझे अलग ही तरह के अपनेपन का अहसास होता हैं।"

          "ऐसा हैं तो मैं तुम्हें हमेशा इसी तरह एड्रेस करूँगी,  पर मेरी एक शर्त हैं कि तुम भी मुझे इसी तरह से एड्रेस करोगी।"

          "ओके।"

          "सिर्फ ओके बोलने से काम नहीं चलेगा, काॅफी भी पिलानी पड़ेगी।"

           "अरे हाँ बाबा, पिला दूँगी।"

           "कब ?"

           "अभी।"

           "तो उठ न।"

           "ले यार, उठ गई।"

           "थैंक्स। अब अपने आप आगे कदम बढ़ाएँगी या उसके लिए भी इन्विटेशन देना पड़ेगा ?"

          "तू आगे-आगे चल, मैं तेरे पीछे-पीछे आती हूँ। बुजुर्गों ने कहा हैं कि जिस इंसान से आपको खतरा हो, उसे आपको अपनी नजरों के सामने रखना चाहिए और मुझे तुझसे सबसे ज्यादा खतरा हैं, इसलिए मैं तुझे हमेशा अपनी नजरों के सामने हीं रखूँगी।"

         "ओ गाॅड ! लगता हैं कि ये लड़की अपने लवर की इग्नोरेंस की वजह से पागल हो चुकी हैं। मैं इसकी हेल्प कर रही हूँ और ये मुझ पर ही शक कर रही हैं। अब पागल की दोस्ती की हैं तो उसकी ऊटपटांग हरकते झेलनी तो पड़ेगा हीं। ओ मेरी माँ, मैं आगे-आगे चल रही हूँ, तेरा मन हो तो मेरे पीछे-पीछे आ जाना, अदरवाइज तेरे लिए यहीं काॅफी भेज दूँगी।" कहकर मानसी लाइब्रेरी से बाहर निकल गई।

                           ...................


       "निधि, तुम्हारे मम्मी-पापा छः बजे से पहले तो नहीं आएँगे न ?" जिस वक्त हर्षित ने हाल में मौजूद वाल-क्लाक पर नजर मारकर सवाल किया, उस वक्त के हाल में मौजूद वाल-क्लाॅक का घंटे का काँटा पाँच और मिनट का काँटा बारह को पार करने के लिए प्रयासरत थे। उस वक्त हाल में हर्षित और निधि के अलावा मानसी और इन लोगों की हीं उम्र का एक और नवयुवक पंकज भी मौजूद था।

        "नहीं, मम्मी अपने ऑफिस से शाम के लगभग साढ़े छः बजे और डैड करीब आठ बजे वापस आते हैं।" निधि ने जवाब दिया।

          "ठीक हैं। अब सब लोग उस प्लान एक बार फिर ध्यान से सुन लो, ताकि किसी से कोई मिस्टेक न हो। अब से ठीक पाँच मिनट बाद पंकज फर्स्ट फ्लोर पर मौजूद जूही के बेडरूम में छुप जाएगा और मैं मानसी के साथ इसी फ्लोर के किसी रूम में छुप जाऊँगा। पंद्रह-बीस मिनट बाद जब चेतन और बबलू यहाँ आएँगे तो निधि, चेतन से कुछ देर तक इन दोनों के प्यार का वास्ता देकर इसे बबलू के साथ फिजिकल बनाने के लिए मजबूर न करने की रिक्वेस्ट करेगी और फिर जब वो इसकी की बात नहीं मानेगा तो ये सरेंडर होने की एक्टिंग करके बबलू को अपने साथ फर्स्ट फ्लोर पर मौजूद अपने बेडरूम में लेकर जाएगी। उसके बाद मैं और मानसी इस हाल में आकर चेतन को इस नकली रिवाल्वर से डराकर उससे उसका मोबाइल ले लेंगे और ये कहकर पुलिस को काॅल करने का नाटक करेंगे कि पुलिस को बुलाकर चेतन के मोबाइल में मौजूद उसके और निधि के प्राइवेट मोमेंट्स की वीडियो क्लिप्स और हाल में मौजूद हिडन कैमरे में हुई निधि और उसकी बातचीत की रिकार्डिंग पुलिस के हवाले कर देते हैं, ताकि चेतन के साथ-साथ बबलू भी कानून के शिकंजे में फँस जाए और मानसी का प्रेसीडेंट बनने का रास्ता साफ हो जाए।

          इसी बीच निधि अपने बेडरूम से निकलकर यहाँ पहुँचेगी। ये सबसे पहले मानसी और मुझ पर चीटिंग का एलीगेशन लगाकर मुझसे रिवाल्वर छिनेगी और फिर उसी रिवाल्वर से मुझे और मानसी को डराकर हमसे चेतन का मोबाइल ले लगी। इसके बाद ये चेतन से ये कहेगी कि यदि पुलिस के हाथ इन दोनों के प्राइवेट मोमेंट्स की वीडियो क्लिप्स लग गई तो इसकी तो सिर्फ बदनामी होगी, पर चेतन को बदनामी झेलने के साथ-साथ जेल की चक्की भी पिसनी पड़ जाएगी। निधि की बात सुनकर चेतन डर जाएगा और अपने मोबाइल में जिस-जिस फोल्डर्स में उसने वो वीडियो क्लिप्स छिपा रखें होंगे, उसके बारे में बता देगा। फिर निधि वे वीडियो क्लिप्स डिलीट करके उसका मोबाइल तोड़ देगी, ताकि चेतन का उन वीडियो क्लिप्स को दुबारा रिकवर करने का रास्ता भी बंद हो जाए। तुम लोगों को ये बात तो समझ में आयी या नहीं कि बबलू के साथ अपने बेडरूम में जाने के जस्ट बाद उससे छुटकारा पाकर नीचे कैसे आ जाएगी ?"

        "हाँ।" मानसी, निधि और पंकज ने एकसाथ हर्षित के सवाल का जवाब दिया।

        "अब तुम लोगों में से किसी के दिमाग में कोई कोश्चन हो तो पूछ सकता हैं ?"

          "हर्षित, मैं ये पूछना चाह रही हूँ कि ये भाई अकेले बबलू से निपट लेंगे ? एक्चुअली, मैं ये कोश्चन इसलिए पूछ रही हूँ क्योंकि बबलू इनसे काफी हेल्दी हैं।"

          "डोंट वरी मानसी, इसने भी कराटे में ब्राऊन बेल्ट हासिल किया हुआ हैं, इसलिए ये बबलू जैसे पाँच से एकसाथ निपटनेे में कैपेबल हैं।"

           "फिर ठीक हैं, लेकिन इसने भी कराटे में ब्राऊन बेल्ट हासिल किया हुआ हैं, का क्या मतलब हैं ? आई मीन, इनके अलावा और किसके पास ब्राऊन बेल्ट हैं ?"

           "भाई के पास भी ......।"

           "होता, यदि भाई को क्रिकेट खेलने का शौक नहीं तो। पंकज, तू यही कहना चाह रहा था न ?"

           "हाँ भाई।"

           "अब तुम निधि के बेडरूम में जाकर छुप जाओं। निधि, तुम इसे अपना बेडरूम दिखाकर नीचे आ जाओं। हम लोग भी साइड वाले रूम में जा रहे हैं, आओ मानसी।

           "हर्षित, तुम मुझे जितनी बेवकूफ समझते हो, मैं उतनी बेवकूफ हूँ नहीं। मैं ये भी जान गई हूँ कि तुम्हारे पास भी कराटे का ब्राऊन बेल्ट हैं और ये भी जान गई हूँ कि तुम ये बात मुझसे क्यों छुपाना चाह रहे थे। तुम ये बात मुझसे इसलिए छुपाना चाह रहे थे न कि कहीं मैं तुमसे कराटे सीखने के लिए तुम्हारे पीछे न पड़ जाऊँ ?" साइडवाले कमरे में दाखिल होने के बाद मानसी ने कहा।

           "नहीं यार, एक्चुअली ....।" हर्षित ने दाएँ-बाएँ देखते हुए अपनी सफाई पेश करने की कोशिश की।

           "हर्षित, जब मैं तुम्हारा झूठ आसानी से पकड़ लेती हूँ तो फिर तुम झूठ बोलने में अपनी एनर्जी क्यों वेस्ट कर रहे हो ? सीधी तरह से मान क्यों नहीं लेते कि मेरी बात सही हैं ?"

          "तुम सही बोल रही हो। मैं एक्जेक्ट इसी वजह से तुमसे ये बात छुपाता रहा कि तुम्हें ये बात पता चल जाएगी तो तुम मुझसे कराटे सीखने की जिद पकड़ लोगी और तुम्हें मना कर पाना मेरे लिए इम्पाॅसिबल हो जाएगा।"

            "गुड ! इट मीन्स, अब मुझे तुम्हें कराटे सिखाने के लिए कन्वेंस नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि तुम्हें पता हैं कि मुझे मना कर पाना इम्पाॅसिबल हैं, सो आई होप कि तुम मुझे मना कर पाने में अपनी एनर्जी वेस्ट न करके सीधी तरह से कह दोगे कि तुम मुझे कल से कराटे की ट्रेनिंग देना स्टार्ट कर रहे हो।"

           "मै ऐसा कुछ नहीं करने वाला हूँ।"

           "इट मीन्स, तुम काॅलेज के एनुअल फँक्शन की स्पीच में वीमेन इम्पाॅवरमेंट की बात सिर्फ स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स की क्लैप्स और वाहवाही लूटने के लिए करते हो।"

           "नो मैडम, मेरी गर्ल्स एंड वीमेन को पाॅवरफुल बनते देखने की विश रियल हैं।"

           "तो फिर मुझे सेल्फ डिफेंस के लिए कराटे की ट्रेनिंग क्यों नहीं देना चाहते हो ?"

           "क्योंकि तुम्हारी कराटे सीखने की विश एक्चुअल नहीं हैं।"

           "तुम्हें कैसे पता कि मेरी ये विश एक्चुअल नहीं हैं ?"

           "क्योंकि तुम्हारी ये विश एक्चुअल होती तो तुम इसे अब तक पूरी कर चुकी होती, लेकिन पलभर के लिए मैं मान भी लूँ कि तुम्हारी ये विश रियल हैं तो भी मैं इसे पूरी करने में तुम्हारी हेल्प नहीं करूँगा, क्योंकि तुम्हारे पास इसे पूरी करने के लिए काफी ऑप्शन्स मौजूद हैं। तुम्हारे पास सबसे आसान और कम्फॅर्टेबल ऑप्शन ये हैं कि तुम रागिनी दी की क्लास ज्वाइन कर लो। वे गर्ल्स के लिए सुबह-शाम फ्री आफ काॅस्ट क्लासेस चलाती हैं और वे तुम्हें मुझसे ज्यादा अच्छी तरह से सीखा पाएगी क्योंकि उन्होंने कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल किया हैं जबकि मेरे पास सिर्फ ब्राॅऊन बेल्ट हीं हैं।"

          "यार, तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया कि मैं उन हिटलर दी के पास कराटे सीखने जाऊँगी ?"

         "क्यों, तुम्हें उनसे क्या प्राॅब्लम हैं ?"

         "मुझे उनसे प्राॅब्लम हीं प्राॅब्लम हैं। जब भी मिलती हैं, कोई न कोई लैक्चर सुनाकर हीं जाती हैं। कभी कहती हैं, 'मानसी, ये तुमने कैसी अजीब-सी हेयर स्टाइल बना रखी हैं' और कभी कहती हैं, 'मानसी, तुमने ये कैसी अजीब-सी ड्रेस पहन रखी हैं।' एक दिन तो उन्होंने मुझे ब्लैक गाॅगल्स लगाने की वजह से ही लैक्चर्स दे डाले। कह रही थी, 'मानसी, तुम यहाँ पढ़ने आती हो या स्टाइल मारने ?' अब तुम खुद हीं सोचो कि जो मुझे कभी-कभी मिलने पर इस टाइप के लैक्चर्स सुनाने से नहीं चुकती हैं तो मेरे रेग्युलरली उनके पास जाने पर वे मेरा क्या हाल करेगी ?"

          "मानसी, मैं भी तुम्हें अक्सर लैक्चर देता रहता हूँ फिर तुम मेरे साथ क्यों रहती हो ?"

          "तुम इस कोश्चन का आन्सर तो न हीं पूछो तो अच्छा होगा, क्योंकि न मेरे लिए इसका आन्सर देना सही होगा और न तुम्हें इसका आन्सर सुनना अच्छा लगेगा।"

          "तुम्हारी बात सुनकर मैं इस कोश्चन का आन्सर भी जान गया हूँ और ये बात भी मेरी समझ में आ गई कि मुझे इस कोश्चन का आन्सर सुनना क्यों अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आया कि तुम्हारे लिए इस कोश्चन का आन्सर देना क्यों सही नहीं होगा ? आई मीन, तुम पर ऐसा कौन-सा बाउंडेशन हैं कि तुम मेरे इस कोश्चन का आन्सर नहीं दे सकती ?"

          "मुझ पर बाउंडेशन की दो-तीन वजह हैं। इसका सबसे मेन रिजन ये हैं कि मैं ऐसी बातें करके तुम्हें टेंशन नहीं देना चाहती हूँ। दूसरा रिजन ये हैं कि मैं ऐसी बातें करूँगी तो तुम मुझसे डिस्टेंस बना लोगे और फिर मैं न तो जी पाऊँगी और न मर पाऊँगी, क्योंकि मेरे लिए तुम्हारा प्यार उतना जरूरी नहीं हैं, जितना जरूरी तुम्हारा साथ हैं। इसका तीसरा रिजन निक्की हैं। वो तुमसे बेइंतहा प्यार करती हैं इसलिए मैं पास्ट बन चुकी हमारी मोहब्बत को दुबारा हवा देकर तुम दोनों के बीच नहीं आना चाहती हूँ।"

          "मानसी, तुम्हारी इतनी मैच्योर और इतनी सुलझी हुई बातें सुनकर मुझे यकीन हीं नहीं हो रहा हैं कि तुम दो माह पहले तक इर्रिस्पांसिबल और अनमैच्योर बिहेव करनेवाली मानसी हो। तुमने उस दिन काॅलेज के कैंटिन में भी मुझे गुड बाय कहने से पहले इसी तरह मैच्योर और सुलझे हुए अंदाज में बातें की थीं, पर तब मुझे लगा था कि तुम अपना दिल टूट जाने की वजह से इमोशंस में बहकर इस टाइप की बातें कर रही हो, पर अब मुझे लग रहा हैं कि तुम वाकई मैच्योर हो चुकी हो। मुझे इस बात का अहसास होते ही तुम्हें खो देने का बेहद दुःख हो रहा हैं।"

          "हर्षित, तुम ये कैसी बातें कर रहे हो ?  तुमने मुझे खोया कहाँ हैं ? मैं तो तुम्हारे साथ हूँ एंड आई प्राॅमिश टू यू कि मैं एक अच्छी दोस्त और हमदर्द बनकर हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी। मेरा निक्की को सहारा देने का मेन पर्पस भी यही हैं कि तुम्हारे और उसके बीच का डिस्टेंस खत्म होने पर वो हम दोनों की फ्रेंडशीप पर कोई ऑब्जेक्ट न कर सकें। ये भी सच हैं कि मुझे उसकी हालत पर तरस आता हैं, इसलिए मैं तुम लोगों के बीच का डिस्टेंस दूर करने की कोशिश कर रही हूँ बट ये सेकंडरी रिजन हैं। इसका मेन रिजन मैं तुम्हें बता चुकी हूँ।"

          "तुमने जिस ऑनेस्टी के साथ निक्की के साथ फ्रेंडशीप और सिम्पैथी रखने का एक्चुअल रिजन एक्सेप्ट किया, उसकी वजह से मेरी नजरों में तुम्हारी इम्पाॅर्टेंसी और बढ़ गई हैं, बट तुम्हारी मेरे और निक्की के बीच डिस्टेंस खत्म करने के लिए की जा रही कोशिश व्यर्थ जानेवाली हैं, क्योंकि मैं उसे हमेशा-हमेशा के लिए अपने दिल से निकाल चुका हूँ।"

          "हर्षित, प्लीज ऐसा मत कहो। उसे अपनी भूल सुधारने का सिर्फ एक चांस दे दो। यदि इसके बाद वो इस टाइप की कोई मेजर मिस्टेक करती हैं तो मैं तुम दोनों के .....।"

           "मानसी, प्लीज स्टाॅप द कन्वर्सेशन क्योंकि मुझे लगता हैं कि वे लोग आ गए हैं।"

           "हाँ, मुझे भी डोरबेल का साउंड सुनाई दिया था।" धीमे स्वर में इतना कहने के बाद मानसी चुप हो गई।

                               .............

          "तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो ?" हर्षित और मानसी बगलवाले कमरे से निकलकर हाल में बैठे चेतन के पास पहुँचे तो चेतन ने बौखलाकर खड़े होते हुए उनसे सवाल किया।

          "हम लोग यहाँ तुम्हारे इस गंदे खेल को रोकने आएँ हैं जो वो कमीना बबलू के तुम्हारी हेल्प से निधि के साथ खेलना चाहते हैं।" मानसी ने उसके सवाल का जवाब दिया।

          "अरे यार, नाॅनसेंस बात क्यों कर रही हो ? इसे सीधे-सीधे बताओ न कि हम लोग यहाँ बबलू को जेल की हवा खिलाने आएँ हैं, ताकि तुम्हारे प्रेसीडेंट बनने का राह में कोई रोड़ा हीं न रहे।" मानसी की बात खत्म होते हीं हर्षित बोल पड़ा।

          "क्या तुम लोगों को यहाँ निधि ने बुलाया हैं ?"

          "हम लोग इतने कम्फॅर्टेबली निधि के घर के अंदर मौजूद हैं ती इसका तो यही मतलब हुआ न कि हम लोग इस घर में  की परमिशन से हीं मौजूद हैं ?"

          "यानि, वो बंद कमरे के स्केन से लोगों का एंटरटेंट करने का मन बना चुकी हैं ?"

           "नहीं भाई, उसने हमें तुम्हारे पास से वो स्केन डिलीट करवाने के लिए हमें बुलवाया हैं लेकिन हम लोग पुलिस बुलाकर तुम्हें उस स्केन के साथ अरेस्ट कराना चाहते हैं ताकि ये प्रूव हो सके कि बबलू के कहने पर तुम उस स्केन को पब्लिक के साथ शेयर करने की धमकी देकर निधि को उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए मजबूर कर रहें थे। भाई, भागने की कोशिश मत करों, अदरवाइज कुत्ते की मौत मारे जाओगे।" हर्षित ने अपने जेब से रिवाल्वर निकालकर चेतन की ओर तानते हुए उसे चेतावनी दी तो चेतन के बाहरी गेट की तरफ बढ़ते कदमों को ब्रेक लग गया।

           "लाओ, अपना मोबाइल हमें दो, नहीं तो तुम्हारी ऊपर की टिकिट काट दूँगा।" उसके रूकते हीं हर्षित ने उसे ऑर्डर दिया और फिर मानसी कहा- "इससे इसका मोबाइल लो, ताकि ये पुलिस के आने से पहले इसमें से वो वीडियो क्लिप्स डिलीट न कर सकें।"

            "ओके बाॅस। लाओ भाई, अच्छे बच्चे की तरह अपनी स्मार्टनेस दिखाए बिना मुझे अपना मोबाइल दे दो।"

            "नहीं, मैं अपना मोबाइल तुम्हें किसी हाल में नहीं दूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि हर्षित मुझे गोली नहीं मार सकता।"

            "क्यों, तुम क्या मेरी होनेवाली बीवी के भाई हो जो मैं अपनी शादी टूट जाने के डर से तुम्हें गोली नहीं मारूँगा ?"

             "तुम मानसी को स्टूडेंट यूनियन की प्रेसीडेंटशीप दिलाने जैसे छोटे से मकसद को हासिल करने के लिए मेरा मर्डर करके लाइफ टाइम के लिए जेल नहीं जाना चाहोगे, इसलिए तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते।"

             "तुम गलतफहमी का शिकार हो रहे हो। मुझे तुम्हें मारने के लिए एक दिन के लिए जेल नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि मैं तुम्हें मारने के बाद मैं बबलू को उड़ा दूँगा और ये रिवाल्वर निधि के हाथ में दे दूँगा और मानसी को लेकर यहाँ से निकल जाऊँगा। इसके बाद निधि पुलिस बुलाकर कह देगी कि तुम और बबलू उसके घर में जबरन घुसकर उसके साथ रेप करने की कोशिश कर रहा था, इसलिए निधि ने तुम लोगों से तुम्हारी ही रिवाल्वर छीनकर उसने तुम लोगों को गोली मार दी। हमने ये रिवाल्वर विदाउट लायसेंस ब्लैक में खरीदा हैं इसलिए इसका ऑनर वही मान लिया जाएगा, जिसका होना बताया जाएगा। अब मैं टेन तक काउंट टेली करूँगा। इस बीच तुमने अपना मोबाइल मानसी को नहीं सौंपा तो तुम्हें ऊपर का टिकट थमा दूँगा। द काउंट स्टार्ट नाऊ, वन .....।" हर्षित के वन बोलते हीं चेतन ने मानसी के हाथ में अपना मोबाइल दे दिया। इसके बाद हर्षित ने गिनती बोलना बंद करके मानसी से कहा- "मानसी, अब तुम अपने मोबाइल से पुलिस को काॅल करके वो सब बताओ जो मैंने तुम्हें बताने के लिए कहा था।"

             "ओके बाॅस।" कहकर मानसी ने अपने मोबाइल से किसी काॅन्टेक्ट नम्बर पर काॅल करके तुरंत डिस्कनेक्ट कर दिया और दो-तीन मिनट तक मोबाइल कान से लगाकर किसी के साथ बातचीत की एक्टिंग करती रही। इसके बाद काॅल डिस्कनेक्ट करने की एक्टिंग करके हर्षित से बोली- "मैंने पुलिस को सारी सिच्युएशन समझा दीं हैं और यहाँ का एड्रेस भी नोट करा दिया हैं, पुलिस पंद्रह मिनट के अंदर यहाँ पहुँच जाएगी।"

             "हर्षित, ये तो चीटिंग हैं।" मानसी की बात खत्म होते ही निधि ने सीढ़ियों से उतरकर उन लोगों के पास आते हुए कहा।

             "ये चीटिंग नहीं हैं। इसको और बबलू को सबक सिखाने के लिए इन्हें पुलिस के हवाले करना जरूरी हैं।" हर्षित ने निधि की बात का जवाब देते हुए कहा।

             "निधि, इसकी बात पर यकीन मत करना। ये मुझे और बबलू को सबक सिखाने के लिए नहीं, बल्कि मानसी को स्टूडेंट यूनियन का प्रेसीडेंट बनवाने के लिए ये सब कर रहा हैं क्योंकि बबलू जेल जाएगा तो काॅलेज के रूल्स के अनुसार उसकी कैंडिडेटशीप इनवैलिड हो जाएँगी और मानसी बिना वोटिंग के ही प्रेसीडेंट डिक्लियर कर दी जाएँगी, इसलिए तुम इस वक्त मेरा साथ देकर इनके इस प्लान को नाकामयाब कर दो। मैं तुमसे प्राॅमिश करता हूँ कि मैं हम दोनों के प्राइवेट मोमेंट्स की वीडियो क्लिप्स डिलीट कर दूँगा। यदि तुमने इस वक्त मेरा साथ नहीं दिया तो मैं और बबलू तो जेल जाएँगे, लेकिन तुम भी बदनामी के छीटे पड़ने से अपने दामन को नहीं बचा पाओगी, इसलिए मौके की नजाकत को देखकर समझदारी से काम लो।" हर्षित की बात पर निधि के रिएक्ट करने से पहले ही चेतन ने उसे अपनी बात समझा दीं। इसके बाद निधि ने हर्षित पर झपट्टा मारकर उसके हाथ से रिवाल्वर छीन लीं और उस पर रिवाल्वर तानकर मानसी से बोली- "लाओ, चेतन का मोबाइल मुझे दो।"

            मानसी ने बिना कुछ कहे निधि को चेतन का मोबाइल दे दिया। इसके बाद निधि ने चेतन से कहा- "मोबाइल का अनलाॅकिंग पासवर्ड बोलो।"

           चेतन ने बिना एक पल गवाए उसे पासवर्ड बता दिया।

          "अब जल्दी से ये बताओ कि वो वीडियो क्लिप्स किस फोल्डर में हैं ?" निधि ने मोबाइल स्क्रीन अनलाॅक करने के बाद पूछा।

           "एक काॅपी एसडी कार्ड के हंटिग बर्ड के नाम से बने फोल्डर में हैं और एक काॅपी गुगल ड्राइव पर अपलोड की हैं।" चेतन के बताने के बाद निधि ने दोनों जगह से उन दोनों के अंतरंग पलों की वीडियो क्लिप्स डिलीट कर दी।

            "तुम्हारे लैपटाप, पेन ड्राइव या कहीं और कोई काॅपी हो तो उसके बारे में भी बता दो, ताकि हम लोग टाइमली उन्हें डिलीट कर सकें, नहीं तो एक बार तुम पुलिस के हत्थे चढ़ गए और पुलिस ने तुमसे उन वीडियो क्लिप्स की जानकारी ले ली तो मेरी हेल्प के बावजूद न तुम बचोगे और न मैं बदनामी से बच पाऊँगी।" निधि के समझाने पर चेतन ने अपने जेब में एक पेनड्राइव निकालकर उसे दे दिया और कहा- "तुम इसे अपने लैपटाप से कनेक्ट करके इसमें मौजूद क्लिप्स डिलीट कर दो। इसके अलावा कहीं और कोई काॅपी नहीं हैं।"

          "निधि, पेन ड्राइव की क्लिप्स आराम से डिलीट करना, पहले तुमने इसके गुगल ड्राइव से जो क्लिप्स डिलीट की हैं, उसे बीन से भी डिलीट कर दो, अदरवाइज ये कमीना इसे दुबारा रिस्टोर कर लेगा।" हर्षित ने निधि को समझाया।

           "हर्षित, ये तुम्हें हीं करना पड़ेगा, क्योंकि मुझे बीन-वीन के बारे में नहीं पता हैं।" निधि ने अपनी बात कहने के साथ हीं चेतन का मोबाइल हर्षित के हाथ में दिया तो चेतन का चेहरा देखने लायक था।

         "निधि, मैंने वो वीडियो क्लिप्स बीन से भी डिलीट कर दी हैं और इसके मोबाइल का डाटा फैक्ट्री भी रिसेट कर दिया हैं, इसलिए इस मोबाइल या किसी और सोर्सेस से वो वीडियो क्लिप्स रिकवर होने की सारी पाॅसिब्लिटिज खत्म हो गईं हैं, लेकिन एंड्राइड मोबाइल में कुछ ऐसे हिडन टूल्स होते हैं जिनकी हेल्प से साइबर एक्सपर्ट पूरी तरह डिलीट कर चुके कन्टैंड्स को भी रिकवर कर लेते हैं, इसलिए इसमें से सिम कार्ड निकालकर इसे दे दो और मोबाइल तोड़कर फेंक दो।" कहकर हर्षित ने मोबाइल वापस निधि को थमा दिया।

         निधि ने मोबाइल में से दोनों सिम निकालकर चेतन के शर्ट की जेब में डाल दीं और मोबाइल भरपूर ताकत से फर्श पर पटककर पूरी तरह से यूजलेस कर दिया।

       "अब इसे और इसके पार्टनर को जाने दे ?" कुछ पलों की खामोशी के बाद हर्षित ने पूछा।

        "यार, ये कैसी स्ट्रेंज बात कर रहे हो तुम ? ये बेचारा मुझे मेरे प्यार के बदले में बहुत हीं नायाब तोहफ़ा देने आया था और तुम इसे बिना खातिरदारी किए जाने देने की बात कर रहे हो। पहले मुझे इसकी कुछ खातिरदारी करने दो, फिर इसे छोड़ना।" हर्षित की बात का जवाब देने के बाद निधि बरामदे से एक सैंडिल उठाकर ले आईं और गुस्से से उफनती हुई चेतन की ओर बढ़ी।

          निधि का रौद्र रूप देखकर चेतन के हाथों के तोते उड़ गए, लेकिन फिर भी उसने जैसे-तैसे कुछ हिम्मत बटोरकर निधि को डराने की कोशिश करते हुए कहा- "देखो निधि, ये-ये जो तुम मेरे साथ करना चाह रही हो, इसकी तुम्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

          "तुझसे जो बनेगा, कर लेना लेकिन अभी तो मैं तुझे सबक सिखाकर हीं रहूँगी, ताकि तुझे ये हमेशा याद रहे कि किसी लड़की की मासूमियत का मिसयूज करने का अंजाम बहुत बुरा होता हैं।" चेतन की धमकी से विचलित हुए बिना निधि ने पहले उसकी धमकी का मुँह से जवाब दिया और फिर अपनी सैंडिल से देना शुरू कर दिया।

          "हर्षित, अब जाने दो इसे।" चेतन की चीख-चीखकर दी जा रही धमकियों को नजरअंदाज करके उसकी सैंडिल से जमकर धुलाई करने के बाद निधि ने हाँफते हुए हर्षित से कहा।

        "इसके पार्टनर को भी इसके साथ भेजना पड़ेगा। तुम्हें उसकी भी तो खातिरदारी नहीं करनी हैं ?"

        "नहीं, उसकी तुम्हारा दोस्त पहले हीं जमकर खातिरदारी कर चुका हैं।"

         "तो ऊपर जाकर पंकज से कहो कि उसे नीचे ले आए।"

         "ओके।"

        "रूको, पंकज खुद हीं उसे लेकर नीचे आ रहा हैं।" हर्षित की बात पूरी होने के कुछ पलों के बाद पंकज, बबलू की काॅलर पकड़कर उसे खीचता हुआ हाल में ले आया।

                               ...............

       
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#20
  "थैंक यू सो मच हर्षित, थैंक्स मानसी एंड थैंक यू पंकज फाॅर हेल्प मी।" निधि ने बारी-बारी से हर्षित, मानसी और पंकज की ओर कृतज्ञ निगाहों से देखकर आभार व्यक्त किया।

        "निधि, सिर्फ थैंक्स बोलने से काम नहीं चलेगा।" जवाब में मानसी कहा।

        "तो और क्या करना होगा मुझे ?"

        "इसे कप काॅफी पिलानी पड़ेगी और पंकज को एक कप चाय। मुझे छोड़कर मेरी कम्पनी का कोई भी शख्स किसी भी तरह की कोई सर्विस फ्री आफ कास्ट नहीं देता हैं।" निधि की बात का मानसी से पहले हर्षित ने हीं जवाब दे दिया।

         "ओ गाॅड ! मैं तो उस कमीने के चंगुल से आजाद होने और उसकी जमकर धुलाई करने की खुशी में तुम लोगों से चाय-काॅफी के लिए पूछना हीं भूल गई, आई एम सो साॅरी। तुम लोगों ने ये जरूर सोचा होगा कि ये लड़की भी कितनी सेल्फिस हैं, हम लोगों की इतनी बड़ी हेल्प के बदले सिर्फ थैंक्स बोलकर खिसका रही थीं। तुम लोग पाँच मिनट बैठों, मैं सबके लिए चाय-काॅफी लेकर आती हूँ। हर्षित, तुम भी अपनी च्वाइस बता दो।"

          "जो तुम अपने लिए लेकर आओगी, वही मेरे लिए भी ले आना। और सुनो ...।"

           "बोलो ...?"

          "क्या मैं इस हाल में लगे कैमरे में हुई रिकॉर्डिंग एक दिन के लिए अपने पास रख सकता हूँ ? एक्चुअली, मैं ये रिकार्डिंग बबलू की गर्लफ्रेंड रवीना को दिखाना चाहता हूँ ताकि वो बबलू की असलियत जान ले और उसके चंगुल से खुद भी निकल जाएँ और अपने ग्रुप की दूसरी लड़कियों को उससे अलर्ट रहने के लिए कह दे।"

          "हर्षित, तुम सबके बारे कितना सोचते हो। यू आर रियली ग्रेट पर्सन। तुम्हें ये रिकार्डिंग जितने दिनों के लिए अपने पास रखनी हैं, रख लो। हाँ, इसकी एक काॅपी मेरे लैपटाप में डाल देना, ताकि मुझे कभी उस कमीने चेतन के साथ बिताए वक्त को लेकर अपराधबोध या शर्मिन्दगी महसूस हो तो मैं उसकी सैंडिल से की गई धुलाई वाला स्केन देखकर खुद को तसल्ली दे दिया करूँगी।"

         "ठीक हैं, तुम मुझे अपना लैपटाप लाकर दे दो, मैं अभी एक काॅपी उसमें डाल देता हूँ।"

        "पहले मैं तुम लोगों के लिए चाय-काॅफी ले आती हूँ फिर लाकर दे दूँगी।"

       "ओके।" हर्षित का जवाब सुनने के बाद निधि अपने घर के किचन में चली गई।

                             ...............

         "हर्षित, तुमने क्लासरूम में जाने से पहले जो निधि के घर की कल की रिकार्डिंग रवीना को दिखाई थीं, उसका इतना जबर्दस्त रिसपांस मिला हैं कि सुनकर तुम भी हैरान हो जाओगे।" अपने काॅलेज के कैम्पस में एक पेड़ के नीचे खड़े हर्षित के पास आकर मानसी ने बताया तो हर्षित उत्सुकता से उसके चेहरे की ओर सवालिया निगाहों से देखना लगा।

          "रवीना ने सौ-डेढ़ सौ स्टूडेंट्स के सामने बबलू की अपनी सैंडिल से वैसी हीं जबर्दस्त धुलाई की, जैसी कल निधि ने अपने घर पर चेतन की थीं। इस धुलाई के बाद से अभी तक बबलू इस काॅलेज में कहीं नजर आया। मुझे लगता हैं कि अब वो या काॅलेज चेंज कर लेगा या फिर सिर्फ एग्जाम देने आएगा।"

         "यानि, तुम्हारा स्टूडेंट यूनियन का प्रेसीडेंट बनना तय हो गया ?"

          "इस इलेक्शन में सिर्फ मेरा हीं जीतना तय नहीं हुआ, बल्कि हमारी पैनल से चेतन को छोड़कर बाकि सभी कैंडिडेट्स का जीतना तय हो गया हैं क्योंकि रवीना उसके सारे सपोर्टर्स से उसकी पोस्ट को छोड़कर बाकि सारी पोस्ट के लिए हमारी पैनल के फेवर में क्राॅस वोटिंग कराने के लिए तैयार हो गई हैं, पर उसकी एक शर्त हैं कि हमें भी उसके फेवर में अपने सपोर्टर्स से क्राॅस वोटिंग करानी पड़ेगी। बताओ कि हमें उसका ऑफर एक्सेप्ट करना हैं या नहीं ?"

          "नहीं।"

          "अरे, वो ऑफ्टर इलेक्शन अपनी पेनल के करीब सिक्स्टी परसेन्ट मेम्बर्स के साथ हमारी पेनल में शामिल होने के लिए भी एग्री हैं। यदि ऐसा हुआ तो हमारे कन्ट्री को तोड़ने का ख्वाब पालने वाले लोगों के हाथ का कठपुतली बन चुकी उनकी पेनल की जड़ें इस काॅलेज से हमेशा के लिए उखड़ जाएगी और तुम्हारा काॅलेज की पाॅलिटिक्स में शामिल होने का पर्पस पूरा हो जाएगा।"

          "तुम्हारा कहना बिल्कुल सही हैं, लेकिन इसमें प्राॅब्लम ये हैं कि हम अपने इस पर्पस को अचिव करने के लिए अपनी पैनल के किसी कैंडिडेट का दिल नहीं तोड़ सकते।"

          "चेतन का भी नहीं ?"

           "यू मीन, रवीना के अपोजिट हमारी पैनल से चेतन खड़ा हैं ?"

           "हाँ, तभी तो रवीना इतनी ज्यादा भड़की। उसे बबलू और चेतन की जुगलबंदी के बारे में मालूम होते ही ये बात बिना समझाए हीं समझ में आ गई कि बबलू अपनी अय्याशी के लिए उसकी सीट का सौदा चेतन के साथ कर चुका था।"

           "ऐसा हैं तो रवीना का ऑफर एक्सेप्ट कर लो।"

           "कर लो मतलब, तुम रवीना के साथ बात नहीं करोगे ?"

           "नहीं।"

          "क्यों ?"

          "आठ-दस माह पहले बबलू के ग्रुप में शामिल होने के बाद से वो मुझे रेग्युलरली क्रीटिसाइज कर रहीं और मैं भी इस इलेक्शन में अपनी पेनल के लिए कैम्पेनिंग के दौरान उसे जमकर अपने निशाने पर ले चुका हूँ, इसलिए मुझे उसके साथ डायरेक्ट हाथ मिलाना ठीक नहीं लग रहा हैं।"

         "तो फिर उसके साथ डील भी फाइनल नहीं हो पाएगी क्योंकि उसने एक कंडीशन ये भी रखी हैं कि वो ये डील अपनी ओर से तभी फाइनल करेगी, जब हमारी पैनल की ओर से तुम उससे इस डील के लिए डन करोगे ?"

        "क्यों ?"

        "उसे तुम्हारे अलावा हमारी पेनल के किसी भी मेम्बर पर भरोसा नहीं हैं।"

         "ऐसा हैं तो मैं उससे मिलने के लिए तैयार हूँ बट हम लोगों की मीटिंग सीक्रेट रहना चाहिए।"

          "डोंट वरी, मैं उसे ये बात पहले ही बता चुकी हूँ कि तुम उससे तब तक पब्लिकली मिलने के लिए एग्री नहीं होंगे, जब तक वो ऑफिसियली हमारे संगठन में शामिल नहीं हो जाती।"

         "इस बात पर उसने क्या कहा ?"

         "उसे इस बात से कोई मतलब नहीं हैं कि तुम उससे कहाँ मीटिंग करते हो, उसे तो बस तुम्हारे मुँह से इस डील के लिए डन सुनना हैं।"

         "तो ऐसा करों, फोन पर ही उसकी मुझसे बात करा दो।"

         "ठीक हैं, बट एक-डेढ़ घंटे बाद कराऊँगी क्योंकि अभी हमारे लिए निक्की के घर जाना ज्यादा जरूरी हैं।"

          "किसलिए ?"

          "उसकी तबीयत काफी सीरियस हैं।"

          "ये बात उसने काॅल करके तुम्हें बताई ?"

          "नहीं, वो आज काॅलेज नहीं आयी, इसलिए से मैंने ही उसके काॅलेज न आने की वजह जानने के लिए उसे काॅल की थीं। बताओ, हम लोग उसके घर अभी जा रहे या कुछ देर बाद ?"

           "यार, तुम किसी और को लेकर उसके घर चली जाओं, मैं .........।"

          "हर्षित, मैंने तुमसे एडवाइज नहीं माँगी, उसके घर जाने के लिए टाइम पूछा हैं।"

          "अरे, लेकिन मैं उसके घर जाकर क्या करूँगा ?"

          "तुम्हें उसका हालचाल पूछना हैं और उसके साथ ऑनेस्टली अपने रिलेशन पहले की तरह ठीक करना हैं।"

          "मानसी, दिस इज नाॅट पाॅसिबल।"

          "तुम्हें ये करना पड़ेगा क्योंकि तुम्हारी नेग्लीजेंसी की वजह से वो अंदर से पूरी तरह से टूट चुकी हैं और तुमने उसे जल्दी से सहारा नहीं दिया तो हो सकता हैं कि .....।"

          "ऐसा हैं तो मैं तुम्हारे साथ उसके घर चलने के लिए तैयार हूँ बट आर यू श्योर कि वो बीमार होने का नाटक नहीं कर रही हैं ?"

           "आई एम एब्सॅल्यूटली श्योर कि वो नाटक नहीं कर रही हैं, क्योंकि उसे नाटक करना होता तो उस समय से हीं स्टार्ट कर देती, जिस समय हम दोनों को रागिनी दी के अंकल के घर पर उस एलीगेशन के फाॅल्स होने का अहसास हुआ था जो उसने तुम्हारी कजिन के बहकावे में आकर तुम पर लगाया था, क्योंकि उस समय उसे रोते देखकर मैंने उससे कहा था कि वो बेहोश हो जाने की एक्टिंग करेगी तो मैं तुम्हें बुलाकर उसे तुमसे बड़ी आसानी से माफी दिला दूँगी, लेकिन उसने साफ शब्दों में ऐसा करने से इनकार कर दिया। सो आई थिंक, शी इज सो ऑनेस्ट गर्ल।"

          "उसकी ऑनेस्टी पर मुझे भी कोई डाऊट नहीं हैं, बट ....।"

           "हर्षित, मैं आज तुम्हारा कोई बट-वट नहीं सुनूँगी, डू यू अंडरस्टैंड ?"

            "यस मैडम।"

            "तो अब ऑर्गुमेंट एंड करों और सीधे मेरे साथ चलो।"

            "जी मैडम, आइए।" कहकर हर्षित काॅलेज की पाॅर्किंग की ओर चल पड़ा।
                          ....................

          "अरे, तू गेट पर क्यूँ खड़ी हैं, मेरे पास आ न। मैं कब से तेरा इंतजार कर रही हूँ ?" मानसी पर नजर पड़ते हीं निक्की ने उससे आत्मीयता के साथ डाँटते हुए कहा। साथ हीं पलभर पहले तक उसके चेहरे पर नजर आ रहें गहरी पीड़ा के चिन्ह अचानक गायब हो गए।

         "अरे, लेकिन मैंने तो तुझे फोन पर ये बताया ही नहीं था कि मैं तुझसे मिलने आ रही हूँ, फिर भी तू मेरा इंतजार कर थीं ?" मानसी ने अपने हाथ का फलों का थैला कमरे में मौजूद टेबल पर रखने के बाद पलंग पर लेटी निक्की के करीब आते हुए आश्चर्य व्यक्त किया।

        "तूने बताया नहीं था, फिर मैं जान गई थीं कि तू मुझसे मिलने आनेवाली हैं। अरे, तू खड़ी क्यूँ हैं, बैठ न।"

         "कैसी हैं तू ?" निक्की के आग्रह मानसी ने पलंग पर उसके साइड में बैठकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा।

         "तेरे आने से पहले तक तन और मन दोनों में काफी दर्द महसूस हो रहा था, पर तुझे देखने के बाद से काफी रिलीफ महसूस हो रहा हैं।"

         "कुछ पलों के बाद तेरे तन और मन का बचा हुआ पेन पूरी तरह से गायब हो जाएगा।"

        "क्यूँ, तू मेरी लिए कोई जादुई बूटी लेकर आयी हैं क्या ?"

         "हाँ।"

         "अरे, तू खड़ी क्यूँ हो गई, चार-पाँच किलोमीटर का सफर करके मुझसे मिलने आयी हैं तो दस-पंद्रह मिनट तो मेरे पास बैठकर बातें कर।"

          "सिर्फ दस-पंद्रह मिनट नहीं, मैं तेरे पास पूरे एक घंटे तक बैठकर बातें करूँगी, लेकिन उस जादुई बूटी से तेरा इलाज करने के बाद, जिसे मैं अपने साथ लेकर आयी हूँ। मैं एक मिनट के अंदर वो बूटी तेरे पास भेज रही हूँ।"

          "अरे, तू मुझे पहले बता तो दे कि ......?" निक्की की बात पर ध्यान न देकर मानसी कमरे से बाहर निकल गई तो निक्की अपनी बात अधूरी छोड़कर कमरे के गेट की ओर उत्सुक निगाहों से देखने लगी।

           चंद पलों के बाद उसे गेट पर हर्षित नजर आया तो उसके चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता के भाव उभर आएँ।

          "कैसी हो ?" हर्षित ने निक्की के करीब आकर सवाल किया तो निक्की के चेहरे पर एकाएक खुशी की जगह ढेर सारा दर्द नजर आने लगा।

          उसने अजीब-सी निगाहों से हर्षित के चेहरे को देखते हुए अपने हाथ पलंग पर टेककर उठने का प्रयास किया तो हर्षित ने 'लेटी रहो' कहकर उसे रोक दिया और उसके पास बैठकर उसे देखते हुए कहा- "निक्की, ये क्या हालत बना रखी हैं यार ?"

         निक्की ने उस इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया। बस पूर्ववत अजीब-सी नजरों बिना पलके झपकाए उसे देखती रही।

         "मुझसे नाराज हो ?" कुछ क्षणों तक उसके जवाब इंतजार करने बाद हर्षित ने उससे एक और सवाल किया, जिसका उसने सिर हिलाकर 'ना' में जवाब दिया। इसके बाद हर्षित ने उससे एक और सवाल किया- "तो फिर मेरे साथ बात क्यों नहीं कर रही हो ?"

        "हर्षित, प्लीज मुझे माफ कर दो।" उसके इस सवाल पर निक्की ने उसका हाथ थामकर बेहद गमगीन स्वर में उससे आग्रह किया।

        "मैं तुम्हें पहले हीं माफ कर चुका हूँ।"

        "तो फिर तुम मुझे लगातार इग्नोर क्यूँ कर रहे हो ? कोई उस लड़की के साथ ऐसा करता हैं क्या, जो उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हैं ? मुझसे जो गलती हुई हैं  उसकी मुझे चाहो, वो सजा दो, लेकिन प्लीज इस तरह से इग्नोर मत किया करों क्योंकि मैं सबकुछ सह सकती हूँ लेकिन मैं तुम्हारी इग्नोरेंस बर्दाश्त नहीं कर सकती। यदि तुम मेरे साथ अफेयर कन्टिन्यु नहीं रखना चाहते तो मुझे कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, पर तुम मेरे साथ ठीक से बात भी नहीं करोगे तो मेरे पास अपनी लाइफ खत्म कर देने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचेगा।" 

          निक्की कीं बातें सुनने के बाद हर्षित गम्भीर स्वर में बोला- "तुम तो कहती थीं कि तुम्हारी जिंदगी अब तुम्हारी नहीं रहीं, मेरी हो चुकी हैं, फिर तुम अपनी कौन-सी जिंदगी को खत्म करने की बात कर रही हो ?"

         "उस जिंदगी की, जिसे तुम उसकी एक गलती की वजह से अपने दिल से पूरी तरह से दूर चुके हो।"

         "मैं उस जिंदगी को वाकई अपने दिल से दूर कर चुका होता तो आज उसका हालचाल जानने क्यों आता ?"

         "इट मीन्स, तुमने मुझे अपने दिल से हमेशा के लिए दूर नहीं किया हैं ?"

        "कोई अपनी परछाई को खुद से दूर कर सकता हैं क्या ?"

        "थैंक यू सो मच हर्षित। तुम्हारे इस एक सेन्टेंस के जवाब ने मुझे इतनी खुशी दी कि तुम इमेजिन भी नहीं कर सकते। तुम्हारे मुँह से यही बात सुनने के लिए हीं तो मेरे कान कब से तरस रहे थे। थैंक यू सो मच वन्स अगेन।"

         "अब मैं जाऊँ ?"

         "अरे, तुम ऐसे कैसे जा सकते हो ? इस बार तुम्हें कुछ खाने-पीने के बाद हीं जाने की परमिशन मिलेगी।"

         "कौन कुछ खिलाएगा-पिलाएगा ? तुम यहाँ बीमार पड़ी हो और आंटी बाहर परेशान बैठी हुई हैं।"

         "डोंट वरी, इस घर में इन दोनों बीमार बेटी और परेशान माँ के अलावा मानसी नाम की एक बेहद क्यूट लड़की भी मौजूद हैं जो न तो बीमार हैं और न परेशान। आज वही तुम्हारी खातिरदारी करेगी, बस बदले में तुम्हें मेरी इस बीमार फ्रेंड को बाथरूम तक ले जाने में मेरी हेल्प करनी पड़ेगी।" एक ट्रे में तीन गिलास जूस लेकर दाखिल हुई मानसी ने ये कहने के बाद अपने हाथ में पकड़ा ट्रे टेबल पर रख दिया और उन दोनो के करीब आकर मानसी से पूछा- "आर यू एग्री फार इट ?"

         "यार, तुमने बिना कोई सर्विस चार्ज लिए किसी को कोई भी सर्विस न देने की कसम खा रखी हैं क्या ?" हर्षित ने उसके सवाल के जवाब में काउंटर कोश्चन किया।

        "हाँ, बट आज अपनी कसम तोड़ रही हूँ क्योंकि मैं इस वक्त अपनी सर्विस के बदले तुम्हारी हेल्प लेकर तुम्हारे लैक्चर्स सुनने के मूड बिल्कुल भी नहीं हूँ। अब सामने से हटो, मुझे इसे फ्रेश कराने के लिए बाथरूम लेकर जाना हैं।" मानसी की बात सुनकर हर्षित पलंग से उठकर खड़ा हो गया।
                           .....................

          "मानसी, अपने मोबाइल पर गेम खेलकर टाइम पास कर, मैं तेरे लिए काॅफी बनाकर लाती हूँ।" कहकर निक्की खड़ी हुई और अपने घर के किचन की ओर मुड़ी, लेकिन एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पायी, क्योंकि पीछे से मानसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।

         "तू काॅफी बनाने बाद में जाना, पहले वो जरूरी बात बता जिसके लिए तूने मुझे काॅल करके बुलाया हैं।" मानसी ने उसे वापस उसकी जगह पर बिठाते हुए कहा।

         "अरे यार, मैं सोच रही थी कि तुझे काॅफी पिलाकर तेरा मूड बनाने के बाद तुझसे वो बात कहूँगी तो तुझे ज्यादा अच्छी तरह से समझ में आएगी।"

         "तू मेरा मूड बनाने की टेंशन छोड़कर अपनी बात स्टार्ट कर, क्योंकि तुझसे इतने लांग इंटरवल के बाद मुलाकात होने की वजह से तुझे देखते ही आज मेरा मूड अपने आप हीं बन गया हैं।"

        "मानसी, एक्चुअली मैं एक प्राॅब्लम में फँस गई हूँ जिसका साॅलुशन तेरे पास हैं।"

        "अच्छा तो इस वजह से तूने मुझे मिलने बुलाया हैं। मुझे लगा कि काॅलेज छोड़ने के बाद से हम लोगों की एक भी बार मुलाकात नहीं हुई, इसलिए तूने मुझसे जरूरी बात करने का बहाना बनाकर ऐसे हीं बुलाया हैं। कितनी बेवकूफ हूँ न मैं ?"

        "मानसी, तुझे मेरे बेवजह नहीं बुलाने की बात पर तंज कसना बहुत भारी पड़ेगा, क्योंकि अब मैं तुझे डेली मुझसे मिलने बुलाया करूँगी।"

         "लेकिन अब मैं तुझसे मिलने तेरे घर कभी नहीं आऊँगी।"

         "क्यूँ , मेरे घर में एसी नहीं हैं, इसलिए ?"

         "नहीं, तेरे दिल में मेरी फ्रेंडशीप के लिए कोई रिस्पेक्ट नहीं हैं, इसलिए।"

         "तुझे ऐसा क्यूँ लगता हैं ?"

         "तू मेरे बार-बार बुलाने पर एक बार भी मेरे घर नहीं आयी और बड़ी मासूमियत से पूछ रही हैं कि मुझे ऐसा क्यूँ लगता हैं।"

         "साॅरी यार, मेरा तेरे घर आने का मन तो बहुत करता हैं बट ....।"

          "बट ?"

        
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