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Fantasy मेरी कमसिन दोस्त
#1
मेरी कमसिन दोस्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
सेक्स एक ऐसी चीज है कि किसी को किसी के साथ भी मिल सकता है। सेक्स कभी उम्र नहीं देखता, एक छोटी उम्र की लड़की भी अपने से कही बड़े मर्द के साथ बिस्तर पर जा सकती है।

और एक बड़ी उम्र की महिला भी छोटे लड़के से सेक्स का मजा ले लेती हैं।

ऐसी कई सच्ची घटना है जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं जा सकता मगर दुनिया में ऐसा होता है।

जिसे वो सुख मिला वो ही इसको समझ सकता है।
मेरी भी कहानियां ऐसी ही सत्य घटनाओं के ऊपर ही होती है क्योंकि बनावटी कहानियों को लिखना और पढ़ना दोनों में कोई मतलब नहीं।

अगर आपको मजा लेना है और दूसरों को मजा देना है उसके लिए एक सच्ची कहानी ही काफी है।
मेरा भी यही प्रयास रहता है कि कहानी पढ़ कर आपको वो मजा मिले जो मजा लोग तलाश करते हैं।

तो दोस्तो चलते हैं आज की कहानी में!

यह कहानी मेरे अन्तर्वासना में मिले दोस्त चन्द्र कुमार की है।
उन्होंने ही मुझे अपनी ये कहानी भेजी है।

कहानी के सभी शब्द उनके द्वारा ही लिखे गए हैं बस कहानी को कामुक बनाने के लिए कुछ शब्दों को मैंने इसमें डाल दिया है।
वैसे कहानी में कोई छेड़छाड़ नहीं की है।
तो पढ़ते हैं उनकी कहानी!
















दोस्तो, मेरा नाम चंद्रकुमार है और मैं इंदौर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 45 वर्ष है शरीर से भी काफी लंबा चौड़ा आदमी हूँ।

इंदौर में मेरी एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है जिसमें से किराये की आमदनी से मेरा जीवन मस्त ऐश से चलता है।
साथ ही साथ मैं एक वकील भी हूँ।



साथियो, मैं सेक्स बहुत ज्यादा पसंद करता हूँ जैसा कि सभी लोग करते हैं.

मगर कुछ सालों तक मेरी किस्मत ऐसी थी कि चूत के दर्शन किये मुझे कई महीने हो जाते थे।

मैं एक शादीशुदा आदमी हूँ मगर मेरी पत्नी एक ठंडी बोतल है जो कभी गर्म नहीं होती थी.
अगर मेरा मन चुदाई का करता भी तो मना कर देती और अगर बहुत बार बोलने पर तैयार भी होती तो बिस्तर पर किसी लाश की तरह बस लेटी रहती।
उसे चोदना किसी पुतले को चोदने के बराबर था।

मेरी सेक्स लाइफ बिलकुल ही बोरिंग सी थी। मेरी कोई महिला मित्र भी नहीं थी कि उसके साथ कुछ कर सकूं।
और जिंदगी के इस उम्र में अब कोई ऐसी दोस्त बनना भी मुश्किल ही था।

मैं अपने दोस्तों से काफी जलता था क्योंकि मेरे सभी दोस्तों की पत्नी होने के बाद भी गर्लफ्रेंड थी।

मेरे पास पैसों की कमी नहीं थी मगर किश्मत ही ऐसी थी कि मेरे जीवन में चुदाई का सुख नहीं था।



मगर दोस्तो, 2015 का साल मेरी जिंदगी का वो साल था जिसने मेरी उबाऊ भरी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया।

अब मैं अपनी जिंदगी का वो राज बताने जा रहा हूँ जिसको अभी तक मैंने किसी के सामने नहीं रखा था।
क्योंकि मैंने किसी से वादा किया था कि ये बात हमेशा राज रहेगी।



ये बात साल 2015 के जुलाई महीने की है, तब मैं 40 वर्ष का था।

मैं हमेशा की तरह महीने की एक तारीख को अपने कॉम्प्लेक्स की दुकानों से महीने का किराया वसूल करके अपने घर की तरफ वापस लौट रहा था।
मौसम बरसात का था और चारों तरफ घने बादल छाए हुए थे, कभी भी तेज बारिश शुरू हो सकती थी।

मैं अपनी कार को मध्यम गति से चलाते हुए चला जा रहा था।

उस वक्त मैं एक प्राइवेट कॉलेज के पास से गुजर रहा था, बाहर काफी भीड़ थी क्योंकि कॉलेज में दाखिला शुरू हो चुका था।

मैं कॉलेज से कुछ ही दूरी पर आया था कि मैंने देखा कि एक लड़की ने ऑटो को हाथ दिया जो कि मेरे बिलकुल आगे ही था मगर वो नहीं रुका।

पता नहीं क्यों … मगर मेरा मन कर गया कि इस बेचारी लड़की को लिफ्ट दे दिया जाए.
क्योंकि काफी तेज बारिश के आसार नजर आ रहे थे।

मैंने अपनी कार रोड से साइड में ली और उसके बगल में रोक दिया और पूछा- कहाँ जाओगी आप?
उसने कहा- नहीं अंकल, मैं ऑटो ले लूंगी.

मगर मैंने कहा- बारिश होने वाली है. अगर चलना है तो चल सकती हो।
उसने थोड़ा सोचा और बोली- मुझे वहाँ तक छोड़ दीजिए।

मैंने पीछे के दरवाजे के लॉक खोल दिया और वो दरवाजा खोल कर पीछे बैठ गई।

वो बहुत परेशान लग रही थी मैं अपने सामने लगे शीशे से उसको देख रहा था।
वो बार बार किसी को फोन लगा रही थी मगर शायद फोन उठ नहीं रहा था।

उसके कपड़ों से देखने पर पता चल रहा था कि वो किसी सामान्य या गरीब घर से थी। वह सलवार सूट पहने बार बार अपने दुपट्टे को सम्हाल रही थी।

मगर उसका चेहरा बहुत ही प्यारा था। बिना मेकअप के भी वो काफी सुंदर लग रही थी।
वो न तो पतली थी और न ही मोटी बिलकुल सही शरीर था उसका जिस उम्र की वो थी उस हिसाब से!

उसके पतले से होंठ बिना लिपस्टिक के भी बिलकुल गुलाबी रंग के थे।
गाल इतने गोरे थे कि छूने भर से खून आ जाये।

मगर वो काफी कम उम्र की थी 18 या 19 साल से ज्यादा की नहीं थी।
इसलिए उसके प्रति मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं आ रहे थे।
बस उसकी परेशानी की वजह जानना चाह रहा था।

मैंने उससे पूछा- कॉलेज आई थी क्या?
“जी!”
“दाखिला करवाने?”
“जी”
“हो गया?”

मगर इस बार उसने जवाब नहीं दिया।
मैं चुप रहा और उसका फोन लग गया.
वो फोन में अपनी किसी सहेली से बात करने लगी।

फोन में वो अपनी सहेली से पैसों के लिए निवेदन कर रही थी, मगर उसको पैसों की क्या आवश्यकता थी इसका खुलासा नहीं हो पाया था।
मैं बस उसकी बात सुनता जा रहा था।

अपनी सहेली से निवेदन करते करते उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे।
फिर कुछ समय बाद उसने फ़ोन काट दिया और अपने रुमाल से अपने आँसू पौंछने लगी।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उससे क्या बोलूं. पता नहीं उसे कितने पैसों की जरूरत थी और क्यों!

मगर मैंने फिर भी पूछा- तुमको पैसों की आवश्यकता क्यों है? कोई परेशानी है क्या?
मगर उसने बस ‘नहीं’ शब्द ही कहा।

उसकी आँखों से आँसू लगातार बहे जा रहे थे।

अब मुझसे उसके आँसू देखे नहीं गए और मैंने कार सड़क के बगल में खड़ी कर दी.

अब मैं उसकी तरफ मुड़ा और प्यार से पूछा- बताओ क्या परेशानी है? जो भी बात हो तुम खुल कर बताओ; शायद तुम्हारी कोई मदद हो जाये।

उसने अपने आंसू पौंछते हुए जवाब दिया- अंकल, मैं यहाँ इंदौर में अपने चाचा के यहाँ रहती हूं. मेरे मम्मी पापा गांव में रहते हैं। उन्होंने मेरे दाखिले के लिए 12000 रुपये दिए थे। मैं आज सुबह जब आ रही थी तो पता नहीं कैसे पर सारे पैसे कही गिर गए या किसी ने चुरा लिये। मैं घर में ये नहीं बता सकती हूं क्योंकि अब मेरे मम्मी पापा पैसे नहीं दे पाएंगे और दाखिले की आखरी तारीख भी बस दो दिन बाद ही है। मेरी पढ़ाई तो गई। अब मुझे वापस गांव जाना पड़ेगा।

दोस्तो … उसकी बातों से मेरी अंतरात्मा हिल गई. मैंने तुरंत उससे कहा- तुम चिंता बिलकुल मत करो, तुम्हारी पढ़ाई नहीं रुकेगी।
और मैंने अपने जेब से 12 हजार रुपये निकाल कर उसे दिए।

मगर उसने लेने से मना कर दिया।

तब मैंने उसे समझाया- देखो ये पैसे मैं तुम्हे उधार के तौर पर दे रहा हूँ। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और धीरे धीरे करके मुझे लौटा देना।

उसके बाद भी हम दोनों के बीच काफी बात होती रही मैं उसे पैसे लेने के लिए मनाता रहा।

आखिरकार उसने पैसे ले लिये और मुझसे मेरा फोन नम्बर भी ले लिया।

उसने अपना नाम मोनिका बताया। उसकी उम्र अभी 19 साल थी।

उसके बाद मैंने कार चालू की और एक चाय की दुकान पर हम दोनों ने चाय पी।फिर मैंने उसको उसके घर तक छोड़ा उसका घर बाहर से ही काफी सामान्य लग रहा था।

इसके बाद मैं अपने घर आ गया।

कुछ दिन तक तो मैं उसके बारे में सोचता रहा।
कई बार उसके कॉलेज के सामने से गुजरते वक़्त कॉलेज की तरफ देखता मगर वो नहीं दिखती।

फिर करीब 20 दिन बाद एक रात मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था. घड़ी में 11 बज रहे थे और मैं फोन पर पुरानी फ़ोटो देख रहा था.
मेरी पत्नी सो चुकी थी।

तभी एक नए नंबर से मेरे व्हाटसअप पर एक संदेश आया।
मैंने उसका जवाब देते हुए संदेश भेजा ‘आप कौन?’

तो वहाँ से एक प्यारी सी फ़ोटो आई।
मैंने फ़ोटो देखा तो तुरंत ही पहचान गया।
वो मोनिका ही थी।

इस तरह हम दोनों ने एक दूसरे का हाल चाल जाना।
उसका दाखिला हो चुका था और उसने कॉलेज जाना भी शुरू कर दिया था।
उसने कई बार मुझे धन्यवाद कहा।

काफी देर तक हम दोनों ने चैटिंग की और एक दूसरे के घर के बारे में जानकारी ली।
उसके पिता एक किसान थे और वो काफी सामान्य परिवार से थी।

उसने अपनी बहुत सी फ़ोटो भी अपने माता पिता के साथ भेजी।

दोस्तो, वास्तव में मोनिका दिखने में काफी सुंदर थी और एक अच्छे दिल की लड़की थी।

उस दिन के बाद तो रोज रात में और दिन में जब भी समय मिलता हम दोनों फोन में चैट किया करते।

जब कभी भी मैं उसके कालेज समय में उधर से गुजरता तो उसको उसके घर तक छोड़ दिया करता।

मोनिका के रूप में मुझे एक बहुत ही अच्छी दोस्त मिल गई थी।

करीब 3 महीने बाद मोनिका ने मुझे मिलने के लिए बुलाया।

जब मैं उससे मिलने गया तो उसने 6 हजार रुपये मुझे देना चाहा मगर मैंने वो पैसे नहीं लिए।
बल्कि उसको एक अच्छे कोचिंग सेंटर में एडमिशन करवा दिया और वहाँ का पूरा खर्च मैं पूरा करने वाला था।

ऐसे ही हम दोनों की प्यारी सी दोस्ती आगे बढ़ती चली गई और उसने अपनी पढ़ाई का एक वर्ष पूरा कर लिया।

मार्च माह में उसकी परीक्षा हुई और अब जुलाई तक उसके कॉलेज की छुटियाँ हो गई।

वो पढ़ाई में काफी तेज थी और उस वर्ष प्रथम श्रेणी से पास हुई।
उसकी इस सफलता से मुझे काफी ज्यादा खुशी मिली।

बीते एक साल में वो काफी कुछ बदल गई थी मतलब अपने शरीर के हिसाब से।
अब वो 20 साल की हो चुकी थी और उसका शरीर पहले से कुछ भर गया था।

उसके सामने के दोनों उभार भी सामने की ओर बढ़ गए थे और उसका पिछवाड़ा भी पहले से काफी बड़ा और चौड़ा हो गया था।
अब वो और भी ज्यादा सुंदर दिखने लगी थी।

सबसे ज्यादा मुझे उसकी हँसी पसंद थी क्योंकि उसके हंसने से दोनों गालो पर गढ़े पड़ते थे।

वो मेरी इतनी अच्छी दोस्त बन गई थी कि हम दोनों आपस में एक दूसरे के घर की समस्याओं के बारे में खुल कर एक दूसरे से बात करते.
मगर कभी भी अपनी इस दोस्ती के बारे में किसी को नहीं बताया न उसने और न मैंने!

दोस्तो, मोनिका को मैं मोना कह कर पुकारता था और वो मुझे अंकल कहती थी।

मोनिका के मेरी जिंदगी में आने से मैं अपने पुराने दोस्तों से भी थोड़ा अलग हो गया था.
उनके द्वारा कई बार पूछने पर भी मैंने कभी मोनिका के बारे में किसी से जिक्र नहीं किया।

मोनिका दिखने में इतनी सुंदर जरूर थी मगर मेरे दिल में उसके लिए कभी कोई गलत ख्याल नहीं आये।
भले ही मैं इतना सेक्सी आदमी हूँ कि बिना मुठ मारे सोता ही नहीं था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
मगर ऐसा हुआ और इस हद तक हुआ कि मोनिका मेरे जिंदगी की सबसे हसीन लड़की बन गई; उसने मुझे वो सारे सुख दिए जो मुझे मेरी पत्नी से कभी नहीं मिला।
तो आगे बढ़ते हैं।

अभी तक मेरी और मोनिका की दोस्ती पहले की तरह ही चल रही थी।
मैं उसका पढ़ाई के साथ साथ और कुछ अन्य कामों में मदद कर देता था।
हम दोनों के बीच पैसों की कोई बात ही नहीं थी।

तो उसके कॉलेज का पहला साल गुजर चुका था परीक्षा का परिणाम आ गया था।
उसकी गर्मियों की छुट्टियां चल रही थी।

वैसे तो छुट्टियों में उसे अपने गाँव जाना था मगर किसी कारण से वो नहीं गई।
मई का महीना चल रहा था. मेरी पत्नी मेरे बेटे को लेकर मायके गई हुई थी क्योंकि मेरे बेटे की भी छुट्टियाँ चल रही थी.
वो जुलाई तक वहीं रहने वाली थी।

रोज की तरह मैं और मोनिका रात में फोन पर चैट कर रहे थे।
वो दिन था 13 मई 2016

अचानक मुझे याद आया कि 2 दिन बाद मोनिका का जन्मदिन आने वाला था. क्योंकि कुछ दिन पहले ही आये उसके कालेज के रिजल्ट में मैंने उसकी जन्म की तारीख देखी थी।
मैंने इस बात को मोनिका को बताया तो उसने कहा- पता है मुझे! मगर मैंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया।
इस बात पर मैंने कहा- इस बार तुम्हारा जन्मदिन मैं मनाऊँगा और तुम इसके लिए बिल्कुल भी मना नहीं करोगी।
उसने पहले तो थोड़ा न नुकुर किया मगर मेरे बार बार कहने पर तैयार हो गई।

पहले तो मैंने बाहर कहीं जन्मदिन मनाने के लिए कहा.
पर वो तैयार नहीं हुई।

फिर मैंने उसे कहा कि अगर वो आ सकती हैं तो मेरे घर आ जाये वैसे भी मेरा घर खाली है।
इस बात पर वो राजी हो गई और मुझसे बोली- क्या मैं कुछ दिन आपके यहाँ आपके साथ रह भी सकती हूं?
पर मैंने कहा- अगर तुमको कोई परेशानी न हो तो क्यों नहीं रुक सकती। मगर तुम अपने चाचा जी को क्या बताओगी?

इस पर उसने कहा- मैं अपनी एक सहेली की मदद लूंगी और उसके घर रुकने के बहाने से मैं आपके यहाँ रुक जाऊँगी।
मैंने उससे बोल दिया- मुझे कोई दिक्कत नहीं … तुम जैसा ठीक समझो।

अगली रात मतलब 14 मई 2016 को उसने बताया कि उसने घर पर बात कर ली है और उसके चाचा जी ने हाँ कह दिया है।
अब अगली सुबह मतलब 15 मई को उसे मेरे यहाँ आना था।
सुबह हुई और मैंने घर की साफ सफाई करने के बाद बाजार में एक अच्छा सा केक मोनिका के लिए आर्डर कर दिया।
बाजार से लौटते वक्त मोनिका के लिए एक अच्छी सी लाल रंग की ड्रेस भी ले आया।
दोपहर एक बजे मोनिका ने मुझे फोन किया और उसके बताए हुए जगह पर जाकर मैं उसे कार से अपने घर ले आया।
घर पर आकर उसे अपना पूरा घर दिखाया.
हम दोनों ने बाहर से खाना मंगाया और साथ में खाना खाया।

उसका मेरे घर पर होना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि वो मेरे लिए बहुत ही खास बन चुकी थी; मैं उसे अपनी सबसे अच्छी दोस्त मानता था।
वो अपने साथ एक बैग लायी थी जिसमें उसके कपड़े थे. वो मेरे यहाँ चार पाँच दिन तक रुकने वाली थी।
दोस्तो, आप लोग सोच रहे होंगे कि एक जवान लड़की को घर बुलाया था तो मेरे मन में जरूर कुछ गलत रहा होगा या मोनिका के मन में कुछ गलत रहा होगा.
मगर मैं कसम खा कर कहता हूँ हम दोनों के मन में ऐसा कुछ भी नहीं था।
बस हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत अच्छा लगता था और दोनों ही एक दूसरे को अच्छा दोस्त मानते थे।

किसी तरह शाम हुई और मैं 7 बजे बाजार जाकर आर्डर किया हुआ केक लेकर आ गया।
आने के बाद मैंने मोनिका को वो लाल ड्रेस दी जो मैंने उसके लिए लाई थी और उसे तैयार होने के लिए कह दिया।
मोनिका बोली- मैं नहा लेती हूँ; फिर इसे पहनूंगी।
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी इच्छा।
और वो नहाने चली गई।

मुझे सिगरेट पीने की आदत है तो मैं सिगरेट का पैकेट लेकर घर की छत पर चला गया।
छत पर काफी अंधेरा था रात के साढ़े आठ बजे रहे थे।

मेरे घर की बनावट ऐसी है कि तीन तरफ कमरे और एक तरफ बाथरूम और टॉयलेट, बीच में आंगन है।
मैं छत पर जहाँ खड़ा हुआ था वहाँ से बाथरूम का साफ साफ दिख रहा था।

मैंने सोचा कि जैसे ही मोनिका बाहर आएगी, मैं भी नीचे आ जाऊँगा।
मैं काफी समय तक सिगरेट पीता रहा।

और जब मोनिका बाहर निकली तो उसे देखता रह गया।
वो निकली तो उसने एक छोटा सा तौलिया अपने बदन पर लपेट रखा था जो उसके सीने और सामने के गुप्तांग को बस छुपा रहा था।

उसे देखते ही मैं दो कदम पीछे हटा और अंधेरे में हो गया।
उस वक्त मोनिका ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था क्योंकि उसकी शमीज और चड्डी बाहर तार पर टंगी हुई थी।
उसने सोचा होगा कि मैं अंदर कमरे में हूँ.

और एक बार चारों तरफ देखने के बाद उसने जल्दी से अपना तौलिया हटा दिया।
उस देसी लड़की को नंगी देखकर तो मेरा लंड फड़फड़ा गया।

जितनी वो ऊपर से गोरी थी उससे दुगनी गोरी वो अंदर से थी।
उसकी उभरी हुई चूची और उन पर छोटे छोटे गुलाबी रंग के निप्पल।
बिल्कुल चिकनी जांघें और जाँघों के बीच में छोटी सी उसकी पुद्दी कयामत से कम नहीं लग रही थी।


उसने जल्दी से अपनी चड्डी पहनी और फिर समीज पहनी और फिर तौलिया लपेट कर कमरे में चली गई।
ये सब देखकर तो किसी भी ब्रह्मचारी का मन डोल जाता।

उस वक्त से मोनिका के प्रति मेरी सोच ही बदल गई थी.
अब वो मेरे लिए एक ऐसी लड़की थी जिसे पाना किसी के लिए भी सौभाग्य की बात होती।

उसका ये रूप देख मेरा लंड काबू में ही नहीं था।
किसी तरह से मैंने अपने लंड को अपनी चड्डी में दबाया और नीचे चला गया।

नीचे कमरे में जाकर देखा तो उस वक्त तक मोनिका ने मेरी लाई ड्रेस पहन ली थी।
अब मैं उसे कुछ अलग तरह से ही देख रहा था।
उसकी गोरी गोरी बांह और नीचे से दिख रहे गोरे पैर मेरी उत्तेजना को और बढ़ाने लगे थे।

पहली बार मैं मोनिका को इतनी गंदी निगाह से देख रहा था।
मैंने उस दिन से पहले तक कभी भी उसकी चूचियों के उभार को इतने गौर से नहीं देखा था।

बार बार उसे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था।
कसम से कमाल का फिगर था उसका!
30 की चूची 26 की कमर और 34 की गांड कयामत थी वो!

कसम से दोस्तो … उस वक्त मैं उसे सिर्फ एक लड़की नहीं बल्कि चोदने लायक लड़की की तरह देख रहा था।
अचानक से वो बोली- मैं तैयार हूं; बताइए अंकल कैसी लग रही हूं मैं?
“बहुत ही सुंदर दिख रही हो मोना तुम … तुमसे सुंदर आज तक किसी को नहीं देखा।”

“इतनी भी सुंदर नहीं हूँ अंकल!”
“सच में बहुत ही अच्छी लग रही हो. तुम्हारे जैसी कोई दूसरी हो भी नहीं सकती।”

“ज्यादा तारीफ मत करिए; नहीं तो मेरा भाव बढ़ जाएगा।”
“ऐसा नहीं है. तुम इतनी सुंदर लग रही हो कि अगर मैं तुम्हारी उम्र का होता तो शादी कर लेता तुमसे!”

“अच्छा ???”
“हाँ तो क्या!!!”

“अब कोई फायदा नहीं; आप अपनी पत्नी के पति हैं और मैं आपकी दोस्त! अब ये मजाक छोड़िए और चलिए केक काटते हैं।”
“हाँ हाँ चलो!”

फिर मैंने एक तश्तरी में केक सजाया और अपने कमरे में लाकर मेज पर रखा।
केक के सामने मोनिका खड़ी थी और उसके बगल में मैं!
मैंने चाकू उठाया और मोनिका के हाथ में पकड़ा कर उसके हाथों को पकड़ते हुए बोला- चलो अब काटो!
उसने प्यार से केक काटा.
और मैंने तुरंत ताली बजा कर उसे जन्मदिन की बधाई दी।

केक का एक टुकड़ा उसने अपने हाथों में लिया और अपने हाथों से मुझे खिलाया।
मैंने भी उसे अपने हाथों से केक खिलाया।

उस वक्त उसकी आँखों में आँसू आ गए और बहते आंसुओ के साथ उसने मुझसे कहा- अंकल, आप कितने अच्छे हैं. आज तक मुझे ऐसा दोस्त नहीं मिला जो मेरी इतनी परवाह करता हो। आज पहली बार मैंने अपना जन्मदिन मनाया है नहीं तो गांव में तो ये सब कहाँ होता था।
मैं उसके आँखों से आंसुओ को पौंछते हुए बोला- ऐसा कभी नहीं सोचना, तुम्हारे लिए मैं जितना करू उतना कम है। तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो. और दोस्ती में इतना कर दिया तो कोई भी ज्यादा नहीं है।
“आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है. पता नहीं आपका ये कर्ज कभी चुका भी पाऊँगी या नहीं!”
“कोई कर्ज नहीं है. ये सब हमारी दोस्ती है. तुम खुश रहो; इतना मेरे लिए बहुत है. कर्ज की बात दुबारा मत बोलना।” ऐसा कहते हुए मैंने उसे गले से लगा लिया।

पहली बार उसे अपने गले से लगाया था उसके जिस्म की खुशबू पाकर मेरा लंड एक बार फिर से फड़फड़ा गया।
एक जवान कमशिन लडक़ी की खुशबू ही किसी को उत्तेजित करने के लिए काफी होती है।

उसने भी अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर लगा कर मुझे गले लगाया था उसके तने हुए कड़ी कड़ी चूची मेरे सीने से लगकर दब रहे थे।
पहले अगर ऐसा होता तो मेरे अंदर कुछ नहीं होता मगर उसे नंगी देखने के बाद उसके प्रति मेरा नजरिया ही बदल गया था।
मैं भी उसकी पीठ पर अपना हाथ फिरा रहा था और उत्तेजना में उसे अपने सीने पर दबा रहा था।
मेरा लंड उसके पेट से टकरा रहा था और जरूर इसका उसको भी पता चल रहा होगा क्योंकि मेरा लंड कोई छोटा मोटा लंड नहीं है। सात इंच लम्बा और काफी मोटा लंड उस वक्त अपने पूरी लंबाई में खड़ा था।
मगर मोनिका का बर्ताव सामान्य ही था जैसे उसे मेरे लंड का स्पर्श ही न हो रहा हो।
कुछ समय तक हम ऐसे ही गले लगे रहे फिर हम अलग हुए।
हम दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और मैंने मोनिका का चेहरा हाथ में लिया.
मन तो कर रहा था कि उसके होंठ चूम लूं.
लेकिन ऐसा करना सही नहीं था।

मैंने उसके माथे पर एक प्यार भरा चुम्बन किया और फिर हम दोनों ने खाना खाया।
खाना खाने के बाद हम दोनों काफी देर तक बात करते रहे।
फिर मोनिका ने कहा कि उसे नींद आ रही हैं।

मैंने उसे कपड़े बदल कर सोने के लिए कह दिया और मैं अपनी सिगरेट का पैकेट लेकर छत पर चला गया।
करीब आधे घंटे बाद जब मैं कमरे में आया तो मोनिका बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसकी आंख लग गई थी।
मैं कमरे के दरवाजे से ही उसे देख रहा था।

मैंने कभी सोचा नहीं था कि वो इस तरह कपड़े पहन कर सोयेगी।
उसने नीचे एक पतली सी लेगी और ऊपर बस ही समीज पहनी हुई थी।

जो नहीं जानते उनको बता दूँ कि समीज छोटी लड़कियाँ पहनती हैं जो ब्रा नहीं पहनती।
हालांकि मोनिका इतनी छोटी भी नहीं थी. मगर अभी तक समीज ही पहनती थी।

उस वक्त मोनिका का एक हाथ ऊपर की तरफ था जिससे उसके गोरे गोरे अंडरआर्म मस्त लग रहे थे।
समीज से उसके उभरे हुए चूची के निप्पल तने हुए झलक रहे थे।

उसकी लेगी पतली सी थी और उसमें से उसकी चड्डी साफ झलक रही थी।
नाभि के नीचे देखने पर उभरी हुई उसकी बुर का साफ साफ पता चल रहा था।

मैंने भी अपने कपड़े बदले और लोवर बनियान पहन कर उसके बगल में लेट गया।
अपना चेहरा मैंने उसकी तरफ ही कर रखा था और उसे देखे जा रहा था।

सच मानिए दोस्तो … उस वक्त मेरे लंड की हालत बहुत खराब हो रही थी। मैं बिल्कुल भी सहन नहीं कर पा रहा था।
मैं उठा और बाथरुम जाकर पहली बार मोनिका को याद करते हुए मुठ मारी।
जब मैं वापस आया तो पसीने से भीग चुका था. मैंने एयरकंडीशन को तेज कर दिया और उसके बगल में सो गया।
अचानक से रात में मेरी आँख खुली और मैंने देखा तो रात के 2 बज रहे थे।
मोनिका मुझसे बिल्कुल सटी हुई थी और उसका एक पैर मेरे ऊपर था।

मैं जान गया कि उसको ठंड लग रही हैं क्योंकि कमरा काफी ठंडा हो गया था।
मैंने एक कंबल लिया और मोनिका के साथ ओढ़ लिया।
इस तरह वो मेरे और करीब आ गई और मुझसे चिपक कर सो गई।

उसके चिपकने से मुझे अब कहाँ नींद आने वाली थी।
मैंने भी इस मौके का फायदा लिया और अपना एक पैर उनके ऊपर रख कर उसे अपने सीने से लगा लिया।

मेरा एक हाथ उसके पीठ पर था।
मैं धीरे धीरे उसकी पीठ सहला रहा था।

पता नहीं क्यों पर मेरी हिम्मत अब बढ़ गई थी और मैंने समीज के नीचे से अपना हाथ डाल कर उसकी कमर और पीठ सहलानी शुरू कर दी।
कहते भी हैं न दोस्तो … वासना अंधी होती है ये जब हावी होती है तो कोई रिश्ता, छोटा बड़ा कुछ भी नहीं देखती।
मेरा लंड फिर से फनफना गया।
मुझे विश्वास था कि वो गहरी नींद में सोई हुई है.
मेरी हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी.

मैंने उसकी समीज को काफी ऊपर तक उठा दिया था मगर उसकी चूचियाँ अभी समीज के अंदर ही थी।
उसकी पीठ और कमर पूरी तरह से खुल गई थी।

मैं अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाता जा रहा था।
अब मेरे हाथ उसके उभरे हुए चूतड़ों तक जा पहुँचा था और लेगी के ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ फिरा रहा था।
मैं गर्म होता जा रहा था; अब मुझे अच्छे बुरे का ख्याल नहीं आ रहा था।
मोनिका सोई हुई थी इसलिए उसके विरोध का कोई भी डर नहीं लग रहा था।

कुछ समय तक उसकी गांड सहलाने के बाद मैंने अपना हाथ पीछे से उसकी लेगी के अंदर डाल दिया। उसके गद्देदार चूतड़ों को छू कर मैं मस्त हो चुका था।
हल्के हल्के उसके चूतड़ों को दबा रहा था।

अब मैंने अपनी उंगली उसके गांड की दरार पर चलानी शुरू कर दी। पहले उसकी गांड के छेद को अपनी उंगली से हल्के हल्के कुरेदना शुरू किया।
फिर उंगली नीचे लेजाकर उसकी पुद्दी पर चलना शुरू कर दिया।
अब मोनिका के बदन पर कुछ हलचल मची और मैं रुक गया।
मैं डर गया था कि वो नींद से जाग गई है अब ये पता नहीं क्या बोलेगी।

मगर कुछ ही समय में वो शांत हो गई।
मेरी हरकत फिर से शुरू हो गई और मैं उसकी पुद्दी को सहलाने लगा।

मगर इस बार मैंने देखा कि उसकी पुद्दी पानी छोड़ने लगी थी।
मैं जान गया कि उसका बदन भी गर्म हो रहा था.
मतलब वो अब सोई हुई नहीं थी और बस लेटी हुई थी।

मैं बिल्कुल शांत हो गया।
मेरे अंदर एक डर सा आ गया था कि पता नहीं अब वो क्या सोचेगी मेरे बारे में क्योंकि वो मुझे बहुत मानती थी।

मेरा हाथ अभी भी उसकी चड्डी के अंदर ही था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ क्या नहीं।
मैं बस शांत लेटा रहा और सोने का नाटक करने लगा जैसे कि मुझे कुछ पता ही न हो!

दोस्तो, आगे आप पढ़ेंगे कि उसके बाद कुछ हुआ? या हम दोनों शांत हो गए।
अगर कुछ हुआ तो कैसे मोनिका तैयार हुई और हम दोनों के बीच क्या क्या हुआ कि उस रात से हम दोनों की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मुझे पूरा यकीन हो चुका था कि जरूर मोनिका की नींद खुल चुकी है और वो सोने का नाटक कर रही है.
क्योंकि उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

मैं चुपचाप लेटा रहा मेरा हाथ उसके चड्डी के अंदर ही था।

कुछ समय बाद मैं आहिस्ते आहिस्ते अपना हाथ चड्डी से बाहर निकालने लगा।

मेरे ऐसा करने से मोनिका के शरीर में फिर से हलचल हुई तो मैंने अपना हाथ बीच में ही रोक दिया।

मैं उसकी आँखों की तरफ देखा आँखे बंद थी मगर उसकी आँखों में हलचल थी।
इससे मैं समझ गया ये जाग रही है।

उसका एक हाथ मेरी बांह पर था उसकी उंगलियां हल्के हल्के चल रही थी।

मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी के अंदर ही रखा।
और धीरे धीरे उसके चूतड़ को दबाता और सहलाता जा रहा था।

उसने मेरी बांहों में अपने नाखून गड़ाने शुरू कर दिए।
मैं समझ गया कि बस ये भी गर्म हो रही है।

अब मेरे अंदर भी वासना की धार बढ़ गई।
मुझे उसके द्वारा कोई विरोध न मिलने से मेरी हिम्मत दुगनी हो गई।

मैंने फिर से उसकी पुद्दी में अपनी उंगलियां रगड़नी शुरू कर दी।
उसकी गर्म साँसें मेरे सीने से टकराने लगी।

मेरी हिम्मत अब बढ़ने लगी और मैंने उसकी लेगी को नीचे सरकना शुरू कर दिया।
ऐसा करने से उसने अचानक से मेरा हाथ पकड़ लिया।
उसकी आँखें खुल गई; उसने मेरी तरफ देखा, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।

उसके मुँह से पहला शब्द निकला- नहीं अंकल नहींईई ईई बस्स!
और वो अपनी लेगी और समीज को ठीक करते हुए शरमा कर पलट गई।
उसने तुरंत ही कंबल खींच कर ओढ़ लिया।

मैं गर्म हो चुका था और उसके तरफ से कोई विरोध न मिलने से मेरी हिम्मत काफी बढ़ गई थी। मैं उसके पीछे से उससे लिपट गया और कंबल के अंदर चला गया।

“नहीं नाआ आआ अंकल! ये क्या हो गया आपको?”
“क्यों अच्छा नहीं लग रहा क्या?”
वो कुछ नहीं बोली।

मैं पीछे से उससे लिपट गया।
उसकी लेगी के ऊपर से उसकी जांघ को सहलाते हुए उससे पूछा- कुछ पूछूं क्या तुमसे मोना?

“क्या?”

“तुमको बुरा तो नहीं लग रहा है? अगर बुरा लग रहा हो तो मैं कुछ नहीं करूंगा।”
“वो बात नहीं है अंकल! आपके ऊपर बहुत विश्वास है मुझे … पर मैंने ये सब के लिए कभी नहीं सोचा था। मगर आपका मन है तो मुझे कोई परेशानी नहीं है. आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया है उतना तो कोई भी नहीं करता। मैं आपका दिल नहीं तोड़ सकती मगर आपको मुझसे एक वादा करना पड़ेगा।”

“क्या?”

“आज से हम दोनों एक नए रिश्ते की शुरुआत कर रहे हैं, हम दोनों के बीच का रिश्ता कभी किसी के सामने नहीं आना चाहिए। ये रिश्ता हम दोनों के बीच ही रहना चाहिए।”

उसकी बातें सुनकर मैंने जवाब दिया- जैसा तुम बोलोगी, वैसा ही होगा. मैं वादा करता हूँ कि ये रिश्ता इतना गुप्त रहेगा कि हम दोनों के अलावा किसी के सामने उजागर नहीं होगा। मगर जितना तुम सोच रही हो ये सब उतना आसान नहीं होने वाला।

“क्यों?”
“क्योंकि हम दोनों में काफी फर्क है. तुम अभी बिल्कुल अनछुई हो मेरे हिसाब से तुम काफी कमसिन हो। शुरुआत में तुमको काफी तकलीफ होने वाली है। क्या तुम शहन कर पाओगी?”

“आप जो भी करेंगे … मुझे आप पर भरोसा है कि आप मुझे तकलीफ नहीं होने दोगे. अगर तकलीफ हुई भी तो मैं हर तकलीफ सहने के लिए तैयार हूं।”

उसकी इन बातों को सुनकर अब मुझे पूरी तरह से छूट मिल चुकी थी।

मैंने तुरंत ही उसे पलटा लिया और उसके ऊपर हो गया और बोला- मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मेरी प्यारी सी जान को कोई तकलीफ नहीं हो।

हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और मैंने उसके मखमली होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
वह भी अपना एक हाथ मेरे बालों पर लाकर बालों को सहलाने लगी।

मैंने बहुत ही प्यार से उसके दोनों होंठों को बारी बारी से चूमना शुरू कर दिया।
बहुत ही पतले और मुलायम होंठों को चूमने का अलग ही मजा मिल रहा था।

कुछ ही देर में मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर डाल दी और उसकी जीभ पर चलाने लगा।
अपने दोनों हाथो से उसके गालों को थाम कर उसके होंठों को चूमता जा रहा था और वो भी अपने हिसाब से मेरा साथ दे रही थी।

मैं जानता था कि ये अभी कुँवारी ही है और इसकी चूत में इतनी ताकत नहीं होगी कि मेरे जैसे मर्द का लंड झेल पाए।

उसके लिए मैंने सब कुछ सोच लिया था कि इसकी चूत को किस तरह से खोलना है और इसकी पहली चुदाई करनी है कि ये लम्बे समय तक मेरा साथ निभाती रहे।
इतने सालों बाद मुझे ऐसी साथी मिल गई थी जो मेरी वासना को पूरा कर सकती थी।
मैं बहुत किस्मत वाला था जो उसकी जैसी लड़की मुझे मिल पाई थी।

काफी समय तक उसके होंठों को चूमने के बाद मेरे हाथ अब उसकी शमीज को निकालने के लिए बढ़ चुके थे।
जैसे ही मैंने उसकी समीज ऊपर उठना शुरू किया उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- अंकल लाइट बंद कर दीजिए. मुझे बहुत शर्म आएगी।

“कुछ शर्म नहीं आएगी. तुम बस अपनी आँखें बंद कर लो. मुझे तुम्हारी हर खूबसूरती को पास से देखना है।”

उसने आँखें बंद कर ली।

अब मैंने उसकी समीज को ऊपर करते हुए उतार दिया।
उसके प्यारे से नन्हे नन्हे टमाटर जैसी चूचिया खुल कर सामने आ गई।

गोरी गोरी चूचियों पर छोटी सी गुलाबी निप्पल आआआआह देख कर ही चूमने का मन कर जाए।
मैंने पहले उसकी चूचियों को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया काफी सख्त दूध थे उसके!

फिर मैंने उसके एक निप्पल को अपने जीभ से चाटते हुए मुँह में भर लिया।
मेरे ऐसा करते ही उसके मुँह से निकला- आआ आआह अंकल … आआआआह!

उसका पूरा बदन समुद्र की लहर की तरह हिलौरें मारने लगा।
मैं बारी बारी से उसके दोनों निप्पलों को चूमता जा रहा था और वो बिस्तर पर मचलती रही थी।
कुछ ही पलों में उसकी चूचिया लाल हो गई।

मैंने अपना हाथ नीचे बढ़ा कर उसकी लेगी को नीचे खींचना शुरू कर दिया।
उसने अपनी गांड को हवा में उठा कर लैगी उतारने के मेरी सहायता की।
मैंने भी अपनी बनियान और लोवर उतार दिया अब हम दोनों ही केवल चड्डी में रह गए थे।

अब मैं उसके नंगे बदन से लिपट गया और उसने भी मुझे अपनी बांहों में कस लिया।

मैं अपना पूरा वजन उसके ऊपर नहीं डाल रहा था क्योंकि वो मेरे वजन को सह नहीं पाती।
उस वक्त मेरा वजन 96 किलो था और मोनिका 45 किलो की थी।

मैं अपने घुटनों के बल होकर उसके होंठों गालों को पागलों की तरह चूम रहा था।
वो भी अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ सहला रही थी।
मेरा लंड चड्डी के अंदर से ही उसके पेट को सहला रहा था।

अब तक वो काफी गर्म हो चुकी थी. मगर मैं उसे इतना गर्म करना चाहता था कि जब मेरा लंड उसकी छोटी सी पुद्दी में घुसे तो उसे वो सम्हाल सके।

मैं जानता था कि आज उसकी पहली चुदाई होनी है और उसके लिए मेरे लंड को सह पाना इतना भी आसान नहीं होने वाला था।
वो अभी 19 साल की कमसिन कली थी।

अब मैं उसकी चूची को चाटने हुए उसके पेट को चूमने लगा. उसकी छोटी सी नाभि के अंदर अपनी खुरदुरी जीभ डालता तो उसका पूरा बदन कांप उठता।

ऐसे ही उसे चूमते हुए मैं उसके पैर की अंगुलियों तक पहुंच गया था।

मैंने उसके एक पैर को हाथों में उठा लिया और बारी बारी से उसकी उँगलियों को मुँह में डालकर चूमता रहा।

इसी तरह चूमते हुए उसकी गोरी जांघ चूमता हुआ मैं उसकी पुद्दी तक चला जाता।

काफी समय तक उसके दोनों पैरों को इसी तरह चूमता रहा।

उसकी हरे रंग की चड्डी सामने से बिल्कुल गीली हो चुकी थी।

अब मैंने उसको सीधा लिटा दिया और एक बार में ही उसकी चड्डी निकाल दी।
अब उसकी छोटी सी गुलाबी पुद्दी मेरे सामने थी।

उसकी पुद्दी पर हल्के भूरे रंग के हल्के बाल उगे हुए थे जिसको देख कर ही पता चलता था कि वो अभी भी कच्ची कली है।
पुद्दी की झांटें अभी तक काली भी नहीं हुई थी।
इस प्रकार की कमसिन लड़की थी मोनिका।

मैंने उसके दोनों पैरों को फैलाया और उसकी पुद्दी पर झुकता चला गया।
पहले पुद्दी की पंखुड़ियों को फैलाया।

सामने मुझे दो छोटे छोटे दाने नजर आए और उनके पास ही उसका छोटा सा छेद आह इतनी गुलाबी पुद्दी देख मेरे मुंह से पानी निकल आया।
पर एक ख्याल आया कि मोनिका कैसे अपने आप को सम्हाल पाएगी आज तो उसकी पुद्दी में मेरा मूसल जैसा लंड जाना था।

मैंने अपनी जीभ उसकी पुद्दी पर लगा दी और नीचे से ऊपर की ओर करते हुए बड़े प्यार से उसको चाटने लगा।
आह क्या स्वाद था उसकी कुँवारी पुद्दी का!
पुद्दी की मादक महक मुझे और भी ज्यादा उतेजित कर रही थी।

मेरे चाटने से मोनिका जोर जोर से कांपने लगी। उसकी जांघें ऐसे हिलने लगी जैसे उसे जोरों की ठंड लग रही हो।
उसकी सिसकारियों से सारा कमरा गूंज उठा- आआह आआ आआह आआ आआह अंकल आओह ऊफ़्फ़ ऊऊफ़्फ़ … आआह अंकल बस्स सश्स … नहीं ईईई आआह ऊईई ईईई अम्माआआह बस करो अंकल!

मेरे इस तरह पुद्दी चाटने से वो 2 मिनट में ही झड़ गई. उसने मेरे सर को जोर से पकड़ लिया.
पर मैं बस उसकी पुद्दी चाटता रहा।

उसकी पुद्दी से निकलता हुआ एक एक कतरा चाटता जा रहा था।
और वो किसी मछली की तरह तड़प रही थी।

मोनिका चाह रही थी कि मैं अब उसकी पुद्दी चाटना बंद कर दूँ मगर मैं उसे और भी ज्यादा गर्म करना चाहता था।

कुछ ही देर में वो काफी गर्म हो गई अपने हाथों को कभी बिस्तर पर पटकती कभी अपने मुँह में अपनी उंगलियां दबा लेती।
बार बार अपने पैरों को पटकने लगी।

अब वो जोर से बोल पड़ी- बस सश्शस अंकल्ल रुक जाओ ओ अब सहन नहीं होता मुझसे बसस्स करो!

अब मेरा देर करना ठीक नहीं था इसलिए मैंने अपनी चड्डी निकाल दी. मेरा मूसल जैसा लौड़ा बाहर निकल आया।

उसके सामने अगर उसकी पुद्दी को देखा जाता तो दोनों का कोई मेल ही नहीं था।

मगर आज मेरे लौड़े को एक मदमस्त पुद्दी मिलने वाली थी, इसलिए वो भी अपने पूरे जोश में था।
मैं मोनिका के ऊपर लेट गया और उसके हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।

मेरे लंड को पकड़ते ही उसकी आंख खुल गई और मेरी आँखों में देखते हुए बोली- मम्मीईईईई इतना बड़ा? कैसे जाएगा अंकल ये?
“सब चला जायेगा … बस तुमको थोड़ी तकलीफ सहनी पड़ेगी। उसके बाद दुबारा कभी वो तकलीफ तुम्हारी जिंदगी में नहीं आएगी. बस एक बार कुछ समय के लिए बस तुम अपने आपको सम्हाल लेना।”

“आप जैसा बोलेगे वैसा करूंगी बस अंकल ज्यादा तकलीफ मत देना!”
“मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा कि तुमको कम से कम तकलीफ हो।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
मैंने मोनिका को बहुत गर्म कर दिया था अब उससे रुक पाना मुश्किल होता जा रहा था।
मेरे लंड को हाथ पर पकड़े हुए कुछ घबरा भी गई थी. मगर उसे मुझ पर भरोसा था कि मैं उसे ज्यादा तकलीफ नहीं दूँगा।

अब मैं भी जल्द से जल्द उसे चोद देना चाहता था और उसको शांत कर देना चाहता था.
मगर मैं जानता था कि उसके लिए ये सब आसान नहीं होने वाला।

मैं सोच रहा था कि किस तरह से उसकी चूत की सील तोड़ू क्योंकि चूत का छेद बहुत छोटा था और मेरा लंड काफी मोटा।
अगर मैं जल्दबाजी दिखाता हूँ और जोश में आकर लंड उसकी पुद्दी में पेल देता हूँ तो पुद्दी बुरी तरह फट सकती थी।

मुझे काफी सावधानी बरतने की जरूरत थी।

तब मैं बिस्तर से उठा और सरसों का तेल लेकर आया.
क्योंकि सरसों का तेल काफी चिकना और गाढ़ा होता है और वो एक अच्छा चिकनाई प्रदान करता है।

मैंने पहले उसकी पुद्दी में अच्छी तरह से तेल लगाया, अपनी उंगली से छेद के अंदर तक तेल लगा दिया।

उसके बाद अपने लंड पर काफी सारा तेल लगाया और उसके बाद मैं मोनिका के ऊपर लेट गया।

मैंने मोनिका से अपने पैरों को अच्छे से फैलाने के लिए कहा तो उसने पैर फैला दिए।
उसकी पुद्दी अच्छे से लंड के सामने आ गई।

मैंने एक हाथ से लंड को छेद पर लगाया और अच्छे से मोनिका को जकड़ लिया।
मैंने लंड पर थोड़ा दबाव दिया मगर लंड फिसल कर उसके पेट की तरफ चला गया।

मेरा पहला प्रयास सफल नहीं रहा।

मैंने फिर कोशिश की; मगर लंड कभी पेट की तरफ तो कभी गांड की तरफ फिसल जाता।

फिर मैंने एक हाथ से लंड को थामे रखा और छेद पर लगाये रखा।
इस प्रकार पकड़ कर मैं लंड पर हल्का हल्का दबाव देने लगा।

लंड का सुपारा उसके छेद को फैलाने लगा मुझे सब अच्छे से महसूस हो रहा था।
जैसे ही सुपारा छेद में घुसा, मोनिका अपनी गांड मटकाने लगी।

मैंने उस पर अपने शरीर का वजन डाल दिया ताकि वो निकल न जाये और लंड से हाथ हटा कर नीचे से उसकी पीठ को जकड़ लिया।
अब वो बिल्कुल भी हिल नहीं सकती थी।

अब मैंने जोर देना शुरू किया और लंड फिसलता हुआ एक इंच ही अंदर गया होगा कि लंड पर काफी जोर पड़ने लगा।
लंड अब अंदर नहीं जा रहा था।

मैं समझ गया कि अब इसकी सील टूटेगी।
दो तीन बार मैंने लंड आगे पीछे किया और अचानक ही थोड़ा तेज़ धक्का दिया।

लंड पुद्दी को फाड़ चुका था और आधा लंड अंदर घुस चुका था।

मोनिका बहुत जोर से चिल्लाई- मम्मीईई ईईईई ईईईईई आआआ आहह हहहह नहींईई ईईईई ईईई निकालो आआआआह!

तुरंत ही उसके आँखों से आँसू निकल पड़े चेहरा लाल हो गया।
पूरे बदन से पसीना निकलने लगा।

वो बस किसी तरह मुझसे छूटना चाह रही थी मगर हिल भी नहीं पा रही थी।
बस जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी।

मुझे उस पर दया आई और मैंने उसे छोड़ना चाहा मगर फिर सोचा अगर ये निकल गई तो दुबारा शायद ही तैयार हो। इसलिए मैंने अपना दबाव बनाए रखा और धीरे धीरे लंड पर दबाव डालने लगा।

तेल के कारण लंड धीरे धीरे फिसलता हुआ चूत की गहराई में उतरता चला गया।
उसकी चीखें तेज़ होती गई मगर मैं उसे अनसुना करते हुए पूरा लंड उसकी छोटी सी पुद्दी में पेल दिया।

पूरा लंड उसकी पुद्दी में समा गया था।

उसे इतना दर्द हो रहा था कि उसकी आवाज भी अच्छे से नहीं निकल पा रही थी।
उसका गला सूख गया था.

मैं लगातार उसके गालों को चूमता जा रहा था.
मगर वो बस चिल्लाए जा रही थी- निकाल लीजिए अंकल … प्लीज निकाल लीजिए। नहीं सहन होता निकाल लीजिए!

उसकी बातों को मैं बस सुनता रहा।

मैं उसकी पुद्दी को खोलने में कामयाब हो गया था बस मुझे उसके दर्द के कम होने का इंतजार करना था।
मैं पुद्दी में लंड डाले चुपचाप लेटा हुआ था।

उसने मुझसे छूटने की हर कोशिश कर ली मगर सफल नहीं हो पाई।
वो बस रोये जा रही थी।

धीरे धीरे उसके रोने की आवाज कम हुई और वो अटक अटक कर रो रही थीं।

तब मैंने आधा लंड बाहर खींचा और एक बार में फिर से पेल दिया।
“ऊईईई ईई मम्मीईई ईई मर गईईई ईईई आआ आआहह हहहहहह!”

लंड पुद्दी में पूरी तरह से जम गया लंड के सुपारे में उसकी बच्चेदानी का स्पर्श साफ साफ महसूस कर पा रहा था।

पुद्दी में लंड इतना टाइट था कि हवा तक नहीं जा सकती थी।

अब मैंने बहुत हल्के हल्के लंड को आगे पीछे करना चालू किया बहुत ही आराम से।

मैं उससे बात भी करने लगा ताकि उसका ध्यान दर्द की तरफ से हट सके- बस मोना … थोड़ा और सह लो बस हो गया!
“हा हहह हहह अंकल …ओह!”

“अब कुछ नहीं होगा. बस सब हो गया।”

“हहह हाहह हहह!”

काफी देर तक मैं बस उसे बातों में उलझाता रहा और धीरे धीरे लंड आगे पीछे करता रहा।

आखिरकार मेरी मेहनत और मोनिका की सहनशक्ति सफल हुई और उसका दर्द कम होता चला गया।

उसकी आवाज में अब एक अलग ही मादक स्वर आ गया।
वो आँखें बंद करते हुए लंड के आगे पीछे होने का मजा लेने लगी।

तब मैंने उससे पूछा- अब अच्छा लगा न?
“हाँ अंकल!”

“मजा आ रहा है?”
“हाँ!”
“अब तेज़ करूं क्या?”
“ज्यादा तेज नहीं!”
“हाँ उतना ही करूंगा जितना सह लो।”

फिर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ानी शुरू की और उसके ऊपर से अपनी पकड़ को ढीला किया।

अभी भी लंड काफी कस कर अंदर जा रहा था मगर उसकी तकलीफ काफी कम हो गई थी।
मैं अभी भी अपनी पूरी ताकत नहीं लगा रहा था बस लंड को थोड़ा तेज़ गति दे रहा था।

उसकी आहें अब निकलने लगी- आह आआआ आह आऊह आह ओह्ह हहह आआम्मह अंकल आआह!

धीमी गति से चोदते हुए मुझे कुछ मिनट ही हुए थे कि उसने मुझे जोर से जकड़ लिया।
मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है और वो मुझसे चिपक कर झड़ गई।
मगर मैं उसी रफ्तार से उसकी चुदाई करता रहा।

मैं जानबूझकर उसे धीमे चोद रहा था क्योंकि अभी उसका पहली बार था और उनकी पुद्दी अच्छे से खुली नहीं थी।

15 मिनट तक उसे वैसे ही चोदता रहा और फिर मैंने भी अपना पूरा माल उसके अंदर ही गिरा दिया।

मैं चुपचाप उसके ऊपर ही लेटा रहा।
वो बहुत थकी हुई लग रही थी।
लंड अभी भी उसके अंदर ही था।

काफी देर बाद लंड ढीला होकर खुद ही बाहर निकल गया।

फिर मैं उठा और कपड़े से उसकी पुद्दी को साफ किया उसकी पुद्दी का खून चादर पर गिरा हुआ था।

कुछ समय बाद हम दोनों बाथरूम गए।
और वापस आकर एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

क्योंकि उस रात मैं उसकी और चुदाई नहीं करना चाहता था।

अभी वो मेरे साथ कुछ दिन रुकने वाली थी मैं कल से उसका असली मजा लेने वाला था।
इसलिए मैंने उसे दुबारा नहीं बोला।

सुबह हम दोनों 9 बजे सो कर उठे उसकी पुद्दी सूज गई थी और थोड़ा दर्द भी था।
बारी बारी से हम दोनों फ्रेश हुए चाय पी और बैठ कर बाते करने लगे।

उस दिन से हम दोनों की ही जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आ गया था अब पुरानी दोस्ती एक नए रिश्ते में बदल चुकी थी।

उस वक्त उसने वही शमीज और लेगी पहन रखी थी।
उसका गोरा बदन अब ज्यादा ही दमक रहा था।

दिन के 12 बज चुके थे और उसे शमीज में देख देख कर मेरा मन फिर से उसकी चुदाई को आतुर होने लगा।
अब उसकी निगाहें भी पहले की तरह नहीं थी।
वो बहुत ही मादक तरीके से मुझे देख रही थी।

मैंने होटल में खाने का ऑर्डर दिया और कुछ ही समय में खाना आ गया।
इससे पहले कि हम दोनों खाना खाये उससे पहले सोचा कि पहले नहा लें, फिर आराम से खाना खाते हैं।

पहले मोनिका नहाने की तैयारी करने लगी उसने अपनी चड्डी और शमीज ली और बाथरूम की तरफ जाने लगी।
मैंने उसे आवाज दी और अपने पास बुलाया.

और जैसे ही वो मेरे पास आई मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया।
“अरे अंकल ये क्या कर रहे?”
“कुछ नहीं … बस आज दोनों साथ में नहाएंगे।”

“नहीं नहीं … मुझे शर्म आएगी।”
“अब कैसी शर्म … अब शर्म छोड़ दो।”

उसको लेकर मैं बाथरूम चला गया।
और कुछ पल में ही हम दोनों नंगे हो गए।

मैंने सोचा कि क्यों न उसकी पुद्दी के बालों को साफ कर दिया जाए।
मैंने क्रीम निकाली और उसके पुद्दी के ऊपर लगा दी कुछ ही पलों में उसकी पुद्दी बिल्कुल साफ हो गई।

मैं उसकी पुद्दी पर अपने होंठ लगा कर चूमते हुए बोला- वाह … अब तो ये और खूबसूरत दिखने लगी।

सच में उसकी पुद्दी अब और भी ज्यादा गोरी दिखने लगी थी।

इसी तरह हम दोनों आपस में लिपट कर झरने के नीचे नहाते रहे।
एक दूसरे के बदन पर शेम्पू लगाया. मेरा लंड पूरी तरह फ़नफना रहा था।

मैंने मोनिका को अपने से लिपटाया और उसका एक पैर उठा कर लंड उनकी पुद्दी में डाल दिया।
वो बस सहम कर रह गई।

धीरे धीरे मैंने अपनी रफ्तार तेज की और अब उसे भी ज्यादा तकलीफ नहीं हो रही थी।
वो भी बस मजे ले रही थी।

काफी देर तक मैंने उसे चोदा.
और जब हम दोनों का ही पानी निकल गया तो नहा कर बाहर आ गए।

फिर हम दोनों ने खाना खाया और उसके बाद शुरू हुई मोनिका की असली चुदाई।

मैंने उसे बेडरूम में ले जाकर नंगी बिस्तर पर लेटा दिया।
मैं फ़्रिज से रात का बचा हुआ केक से क्रीम लाकर उसकी पुद्दी और निप्पल पर लगा दिया।
और बारी बारी से क्रीम चाटते हुए उसकी पुद्दी और निप्पलों को चूसता रहा।

जब वो अच्छी तरह से गर्म हो गई तो इस बार मैंने उसे अपने ऊपर लिटा लिया.

अब वो भी मेरे बदन को चूमते हुए मेरे लंड तक पहुँची और बिना शरमाये ही मेरे लंड को मुख में भर लिया।

उसे इसका अनुभव नहीं था मगर फिर भी वो मुझे पूरा मजा दे रही थी।
आज पहली बार किसी लड़की ने मेरा लंड चूसा था।
मेरी पत्नी से तो मैं ऐसी कभी उम्मीद भी नहीं कर सकता था।

मोनिका ने मेरी सेक्स लाइफ को एक नई ऊर्जा दे दी थी।

उसके बाद मैंने मोनिका को घोड़ी बना दिया और अपनी पूरी रफ्तार से उसकी चुदाई की।
अब वो पूरी तरह से इस खेल का मजा ले रही थी।

जितने दिन वो मेरे घर पर रही हम दोनों बस चुदाई ही करते रहे।
जल्द ही मैंने उसकी गांड भी खोल दी और अब वो गांड और पुद्दी दोनों जगह से पूरा मजा लेती और देती।

मेरा एक मकान जो कि पहले किराए से चलता था, उसमें मैंने सारी व्यवस्था कर दी और जब भी हम लोग चुदाई करते तो उसी मकान में ही करते।

हम दोनों का ये राज उसकी एक सहेली के अलावा किसी को नहीं पता. उसकी सहेली ही हम दोनों की मदद किया करती है।

दोस्तो, आज 2020 आ गया और हम दोनों को मिले 5 साल पूरे हो गए हैं।
आज भी हम दोनों का रिश्ता यू ही चल रहा है.
बस फर्क इतना आया है कि मोनिका अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और यहीं इंदौर में एक कंपनी में जॉब करती है।

पहले जो कमसिन सी लड़की समीज पहना करती थी वो आज 36 साइज का ब्रा पहन रही है। उसकी कमर 26 से 32 हो गई है और उसकी गांड 34 से 38 की हो चुकी है।

उसकी प्यारी सी छोटी सी पुद्दी अब अच्छी खासी बुर बन गई है।

वो एक कमसिन लड़की से एक गदराई हुई लड़की बन चुकी है। जो लड़की 5 साल पहले 45 किलो की थी आज 67 किलो की गदराई जवानी बन चुकी है

जितना मैंने उसे 5 सालो में चोदा है, उतना तो मैंने शादी के बाद से अपनी पत्नी को भी नहीं चोदा होगा।

मेरी चुदाई से 3 बार वो प्रेग्नेंट हुई मगर दवाई का सहारा लेकर सब कुछ ठीक कर लिया।

उसने मुझे अपना सब कुछ दिया और मैंने भी उसके लिए कभी कुछ कमी नहीं रखी।
हम दोनों ही एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करते हैं।
हमारा प्यार हमेशा दुनिया से छुपा रहा और उम्मीद है कि आगे भी छुपा रहेगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
(01-02-2023, 11:49 AM)neerathemall Wrote: yourock congrats thanks
मेरी कमसिन दोस्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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