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Adultery प्यासी भाभी की गन्दी चुदाई
#1
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प्यासी भाभी की गन्दी चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरा नाम रेणु है और मेरी उम्र 27 वर्ष की है.
कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं अपने बारे में आपको बता देती हूँ.

मेरा फिगर 34-30-38 का है. रंग गोरा, वजन 55 किलो और लंबाई 5 फिट 4 इंच की है.
मैं अपने फिगर का खासतौर पर ख्याल रखती हूं और रोजाना जिम जाकर वर्कआउट करती हूं.

मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक हैं.
हमारी शादी को 5 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक हमें कोई बच्चा नहीं हुआ है.

जब मेरी शादी हुई थी, तो घर पर मेरे सास-ससुर भी थे लेकिन इन 5 सालों में वो दोनों ही गुजर गए.

अब इस बड़े बंगले में केवल मैं और मेरे पति ही रहते हैं.

घर का काम करने के लिए 2 नौकरानियां हैं जो दिन भर काम करने के बाद अपने घर चली जाती हैं.

मेरे पति के पास पैसों की कोई कमी नहीं है. यदि कोई कमी है तो बस समय की!
मेरे पति के पास मेरे लिए जरा सा भी समय नहीं रहता.

जब कभी किसी पार्टी में जाना होता है तो वही एक ऐसा पल होता है, जहां हम दोनों कुछ पल साथ में बाहर बिताते हैं.

वो घर से भी जल्दी काम पर जाते हैं और रात देर से ही आते हैं.
फिर भी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि वो मुझे सेक्स का सुख नहीं देते.

हम दोनों आए दिन सेक्स का मजा लेते ही रहते हैं.
मुझे सेक्स का मजा शादी के बाद ही मिला और मेरी पहली चुदाई मेरे पति ने ही की थी.

अब दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि जब मुझे मेरे पति हर तरह से खुश रखते हैं, तो फिर ऐसा क्या हुआ मेरी जिंदगी में, जो मैं आप लोगों को बताने वाली हूँ.

वास्तव में मेरे पति सेक्स में मुझे संतुष्ट तो कर देते हैं और मैं उनसे खुश भी हूँ.
लेकिन सास ससुर के गुजरने के बाद मैं घर पर अकेली ही रहने लगी थी.

कभी कभी ही कोई रिश्तेदार का आना होता था या हम कहीं बाहर जाते थे, जिससे मेरा मन बहलता था.

मैं दिन भर घर पर अपने फोन में ही लगी रहती थी. मेरी सेक्स के प्रति दिलचस्पी तो थी ही इसलिए मुझे मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखने की आदत पड़ गई.

पोर्न फिल्म देखने का मुझ पर ये असर पड़ा कि मेरा मन भी वैसा ही करने के लिए होने लगा.
मतलब जिस प्रकार से पोर्न फिल्म में एक दूसरे के गुप्तांगों को चूमते चाटते हैं, वैसा मेरा मन होने लगा.

लड़कियां लड़कों के वीर्य को अपने मुँह में लेती हैं. वीर्य को जिस्म पर मसलती हैं. ये सब देख कर, पता नहीं क्यों, मेरा भी मन वैसा ही करने के लिए होने लगा.

मैंने इसके लिए अपने पति को भी कई बार कहा कि चलिए कभी डर्टी सेक्स करते हैं.
लेकिन उनका इस तरह से कभी मन नहीं किया, उन्हें ये सब बिल्कुल ही गंदा लगता था.

विश्वास मानिए दोस्तो, शादी के 5 साल हो गए लेकिन उन्होंने आज तक मेरी चूत को चूमा तक नहीं था.
वो बस मुझे नंगी करते हैं, होंठों और चूचियों को दबाते चूमते हैं और मुझे चोदना शुरू कर देते हैं.

धीरे धीरे मुझे इस तरह के सेक्स से बोरियत सी होने लगी और मुझे सेक्स में कुछ नया करने की चाहत होने लगी.
लेकिन इसके लिए मेरे पति कभी तैयार ही नहीं हुए.

मैंने अपनी एक खास सहेली से इस बारे में बात की तो उसने मुझे किसी कॉल बॉय से रिलेशन करने के लिए कहा.
लेकिन मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी. इसमें मुझे काफी ज्यादा रिस्क लगा.
सेक्स से ज्यादा मुझे मेरे घर की इज्ज़त प्यारी लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
किसी तरह से मन को मार कर पति के साथ सेक्स का आधा अधूरा मजा लेती रही.

फिर मेरी उसी सहेली ने मेरे लिए ऐसा कुछ किया जिससे कि मेरी सेक्स लाइफ पूरी तरह से बदल गई और अब मैं भी सेक्स का पूरा मजा लेती हूँ.

हुआ यूं कि हम दोनों सहेलियां एक दिन घर पर ही बैठी हुई वाइन पी रही थीं.

वाइन पीते हुए ही उसने मुझसे मेरी सेक्स प्रॉब्लम के बारे में पूछा तो मैंने उससे वही बात फिर से बताई.
मेरी समस्या को सुन कर वो कुछ सोचने लगी और मैं उसके जवाब का इंतजार करने लगी.

उस वक्त मेरे घर की एक नौकरानी घर का काम कर रही थी.
उसे देखते हुए पता नहीं कैसे, उसके मन में एक ख्याल आया.

उसने मुझसे कहा- क्यों न मैं तेरे लिए एक नौकर का इंतजाम कर दूँ, जो तेरे घर का भी काम करे और साथ ही तेरी चूत का भी काम करे!
इस पर मैंने उससे कहा- मेरे घर पर पहले से ही दो नौकरानियां हैं और इसके अलावा मेरे पति किसी और को काम पर नहीं रखेंगे.

वो वाइन की ग्लास लेकर बाल्कनी से बाहर देखती हुई कुछ और सोचने लगी.
फिर मुझसे बोली- यार, तेरा बगीचा कितना गंदा रहता है, इसकी साफ सफाई क्यों नहीं करवाती?
मैंने उससे कहा-उसमें ज्यादा फूल पौधे नहीं लगे हैं और जो कचड़ा रहता है, तो महीने में बस एक बार साफ करवाते हैं.

इस पर उसने फिर से मुझे एक आइडिया दिया.

वो बोली- क्यों न तू अपने बगीचे में ढेर सारे पौधे लगवा ले और उसकी देखरेख करने के लिए मैं तेरे लिए एक मस्त आदमी का इंतजाम कर देती हूं. उसके लिए तू अपने पति को मना ले, बस इसके बाद तेरी हर समस्या का समाधान हो जाएगा. ये बात घर के अन्दर तक ही रहेगी.

मैंने भी सोचा कि ये तरीका अच्छा भी है और सेफ भी. इसके लिए मैं पति को भी आसानी से मना सकती हूं.

बस क्या था, उसी रात मैंने पति से कहा- मुझे अपने बगीचे में फूल पौधे लगवाने हैं और इसकी देखरेख करने के लिए क्या मैं किसी को काम पर रख सकती हूं?
उन्होंने बड़ी आसानी से मुझे इसकी इजाजत दे दी.

अगले दिन मैंने अपनी सहेली को घर बुलाया और उसे सब बात बताई.

मैंने उससे पूछा कि ऐसा आदमी कहां मिलेगा, जो मेरे साथ ये सब करने के लिए तैयार हो और ये सब बात अपने तक ही रखे.

इस पर उसने कहा- इसकी बिल्कुल भी चिंता मत कर. एक बंदा है मेरे पहचान का, जो ये सब काम करने के लिए तैयार हो जाएगा. फिर तुझे चोदने के लिए तो कोई भी आदमी तैयार हो जाएगा क्योंकि तू इतनी मस्त माल है. वैसे भी तेरी जैसी अमीर औरत को कोई गरीब परिवार का आदमी चोदेगा, तो अपनी जी जान लगाकर चोदेगा और तेरा अंग अंग चाटने के लिए तैयार रहेगा.

उसकी बात को मानते हुए मैंने उसे इस काम के लिए हां कह दिया.

उसके बाद एक दो दिन बाद ही हम दोनों बाजार जाकर ढेरों फूल पौधे खरीद लाए.
बस अब इंतजार था तो उस आदमी के आने का, जिससे मेरी सहेली ने बात की थी.

मैं उसे देखने के लिए बहुत उत्सुक थी.

दो दिन तक तो वो नहीं आया.
मेरी सहेली ने बोला कि अगले दिन वो उसे लेकर आ रही है.

अगले दिन मैं बेहद ही उत्सुकता से उन दोनों का इंतजार कर रही थी.
उस दिन पहली बार मेरी पूरी बॉडी में मानो चीटियां रेंग रही थीं.

दोपहर में एक बजे मेरे घर की डोरबेल बजी.
मैं उस वक्त सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी.
मेरी नौकरानी ने जाकर दरवाजा खोला और मेरी सहेली अन्दर आई.

उसे अकेली अन्दर आते देख मेरा दिल टूट सा गया.
मैंने इशारे से ही उससे पूछा कि क्या हुआ, अकेली आई है?

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे ऊपर बाल्कनी में ले गई.

बाल्कनी में जाकर उसने बगीचे की तरफ इशारा किया और मैं बगीचे में देखने लगी.
वहां एक आदमी फूलों को देख रहा था.

मुझे उसकी उम्र 45 साल के आसपास लगी.
वो बिल्कुल काले रंग का आदमी था.

पहली नजर देखते ही मुझे अज़ीब सा लगा.
मैं तुरंत बोली- ये है क्या? ये तो कितना बड़ा है मुझसे … और कितना काला है ये!

वो- बड़ा और काला हुआ, तो इससे क्या हुआ … कौन सा तुझे इससे शादी करनी है? ये ऐसा आदमी है, जो तेरी हर इच्छा को पूरी कर देगा. अगर बाद में तुझे पसन्द नहीं आया तो दूसरा कोई देख लेंगे, लेकिन एक बार तू ट्राई तो कर. अगर इसने तुझे खुश न किया तो मुझे बोलना.

मैं थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गई कि क्या करूँ, फिर अपने मन में सोचा कि चलो, ये इतना बोल रही है तो इसकी बात मान लेती हूँ.

इसके बाद हम दोनों ही नीचे कमरे में आ गए और उस आदमी को अन्दर बुलाया.
वो अन्दर आया, तो खड़ा हो गया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा.
मेरी नजर बस उसके फौलाद जैसे काले बदन पर ही टिकी हुई थी.

कसम से वो काफी हट्टा-कट्टा और बेहद मजबूत शरीर का था.
मेरी सहेली ने उसका नाम सुब्बाराव बताया, वो एक तमिल आदमी था.

दिखने में वो भले ही काले रंग का था लेकिन वो काफी मेंटेन मतलब साफ सुथरे शरीर का था.
उसने हाफ बांह की शर्ट और चुस्त पैंट पहन रखी थी.

उसकी हाफ बांह की शर्ट से उसकी बांहों की मसल्स गजब की दिख रही थीं, जैसे किसी पहलवान की होती हैं.
उसकी उम्र 48 साल की थी. वो शहर में अकेला ही रहता था और घरों में काम करता था.

पता नहीं क्यों, मुझे तो उससे बात करने में काफी शर्म आ रही थी.
इसलिए मेरी सहेली ने ही उससे बात की और 16 हजार रुपये महीने में वो हमारे यहां काम सब करने के लिए तैयार हो गया.

मैं उसे देखते हुए तरह तरह की बातें सोच रही थी; जैसे कि यार ये मुझसे कितना बड़ा है. ये 48 साल का है और मैं 27 की … मतलब ये मुझसे 21 साल बड़ा है.
मैं तो इसके सामने बेहद मासूम लग रही हूँ. कहां मैं 55 किलो की हूँ और ये कम से कम 90 किलो का होगा.

इसके साथ ही मैंने सुना है कि मद्रासी लोगों का लंड काफी मोटा और बड़ा होता है. अगर ये सच हुआ, तो ये मेरी हालत खराब कर देगा.

मैं उसे देखते हुए यही सब बात सोच रही थी.

हम लोगों में बात हो गई.
उसने कल से ही काम पर आने के लिए बोला और चला गया.

उसके जाने के बाद मेरी सहेली ने मुझे और ज्यादा समझाया. उसने मेरे अन्दर के डर को कम किया.

मैंने उससे पूछा- क्या तू इसको जानती है … और क्या इससे सेक्स के बारे में सब बात कर ली है?
उसने कहा कि मैंने सब बात कर ली है, तभी उसे लेकर आई हूं. इसको मैं दो साल से जानती हूँ. ये पहले मेरी एक सहेली के घर पर काम कर चुका है.

अगले दिन सुबह से ही सुब्बाराव काम पर आने लगा.

पहले ही दिन मैंने अपने पति से उसकी मुलाकात करवाई और पति ने अपने तरीके से उसकी जांच पड़ताल की.

इस बीच मेरे पति ने उससे पूछा- तुम रहते कहां हो?
उसने अपने रहने की जगह बताई.

इस पर मेरे पति ने कहा कि वो जगह तो यहां से 20 किलोमीटर दूर है? अगर तुम चाहो तो तुम हमारे घर के पीछे बने सर्वेन्ट हाउस में रह सकते हो और इसके लिए तुम्हें कोई किराया भी देने की जरूरत नहीं है. तुम यहां रहोगे, तो हमारे बगीचे के साथ साथ घर का भी और काम कर सकते हो. हमारे घर में सेफ्टी भी रहेगी.

इस बात पर उसने तुरंत ही हां कह दी.

लेकिन मेरे पति को कहां कुछ पता था कि मैंने किस काम के लिए उसे काम पर रखा था और वो अब केवल मेरी सेफ्टी करने वाला था.

दो दिन में ही वो हमारे घर में आकर रहने लगा.

धीरे धीरे समय आगे बढ़ता रहा और उसे हमारे घर पर काम करते हुए एक महीना हो गया.

इस बीच न मेरी उसे कुछ कहने की हिम्मत हो रही थी और उसने ही मुझे कुछ कहा.

फिर एक दिन मेरी सहेली घर आई और उसने मुझसे पूछा- क्या हुआ, तुम दोनों के बीच कुछ हुआ या नहीं?
जब मैंने उसे सब कुछ बताया, तो वो भी मेरे ऊपर हंसने लगी.

मैं करती भी क्या, ऐसा कुछ मैंने पहले कभी नहीं किया था इसलिए मेरे अन्दर काफी ज्यादा डर था.

फिर मेरी सहेली मुझसे बोली- एक काम कर, जिस दिन तेरे पति बाहर जाए उस दिन घर पर पार्टी करते हैं. मैं तू और सुब्बाराव. उस दिन मैं तेरे अन्दर का डर बाहर निकाल दूँगी.
मैं भी इसके लिए तैयार हो गई.

उसके ठीक एक हफ्ते बाद मेरे पति का कंपनी के काम से विदेश जाने का प्लान बना.
उन्होंने मुझे भी साथ चलने के लिए कहा, लेकिन मैंने जाने से मना कर दिया.

यह बात मैंने अपनी सहेली को बताई और उसने मुझे सब कुछ समझा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक हैं, इसलिए आए दिन उन्हें कंपनी के काम से विदेश आना-जाना लगा रहता था.

इसी तरह से उस वक्त भी मेरे पति को एक हफ्ते के लिए विदेश जाना पड़ा.
इसका फायदा उठाते हुए मेरी सहेली ने मेरे घर पर एक छोटी सी पार्टी करने के लिए कहा, जिसमें केवल हम तीन लोग ही रहने वाले थे.

जिस दिन मेरे पति विदेश गए, उस दिन शाम को मैंने पार्टी करने का प्लान बनाया.
दोपहर में मेरे पति चले गए और मैंने होटल से ही शाम के खाने का ऑर्डर कर दिया.

इसके साथ ही मेरी सहेली ने वाइन का इंतजाम किया.
शाम को 7 बजे मेरी सहेली मेरे घर आ गई और हमने सभी तैयारी करने के बाद 8 बजे सुब्बाराव को बुलाया.

मेरी सहेली ने पहले से ही सुब्बाराव को सब बता दिया था कि आज रात क्या होने वाला है.

शुरू में हम तीनों ने वाइन पीना शुरू किया.
उस वक्त मैंने एक पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी.

मैं सुब्बाराव की नजरों को भांप रही थी.
सुब्बाराव की नजर मेरी कमर की ओर ही जा रही थी क्योंकि साड़ी में कमर साफ साफ दिख रही थी.

धीरे धीरे वाइन का दौर चलता रहा और हम तीनों को ही नशा छाने लगा.
इसके बाद हम तीनों ने साथ में खाना खाया.

खाना खाने के बाद भी मेरी सहेली ने एक एक और वाइन का पैग तैयार किया और इस बार उसने मुझे कहा- तू सुब्बाराव की गोद में बैठकर वाइन पी.
सुब्बाराव सोफे पर बैठा हुआ था और मैं जाकर उसकी गोद में बैठ गई.
उसने अपने हाथों से मुझे वाइन पिलाई.

इतने में मैंने महसूस किया कि मुझे मेरी गांड में कुछ चुभ रहा है.
मैं समझ गई कि ये सुब्बाराव का लंड है जो फ़नफ़ना रहा था.

मौके का फायदा उठाकर सुब्बाराव ने भी अपना एक हाथ मेरी कमर में डालकर मुझे सहारा दिया हुआ था.

वाइन खत्म होने के बाद मेरी सहेली अपने घर जाने के लिए तैयार हुई और मैं उसे बाहर तक छोड़कर आई.
वापस आकर मैंने दरवाजा बंद किया और सुब्बाराव के बगल में आकर बैठ गई.

अब मेरे अन्दर का सारा डर निकल गया था और मेरे जिस्म में बस वासना की लहर दौड़ रही थी.
मेरा मन कर रहा था कि आज सुब्बाराव मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे वो मजा दे, जिसके लिए मैं तड़प रही थी.

सुब्बाराव भी अब मुझसे खुल गया था और उसने शुरुआत करते हुए मेरे हाथों को अपने हाथ में लिया और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे हाथ को चूमने लगा.
ऐसे ही अब सुब्बाराव मेरे और करीब आता गया और मेरे चेहरे के पास आकर मेरे गालों को चूमने लगा.

मैंने भी अपनी आंखें बंद करके उसे हर चीज करने की इजाजत दे दी.
वह मेरे गालों को चूमते हुए मेरे होंठों तक पहुंच गया और जल्द ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया; कभी ऊपर के होंठ को कभी नीचे के होंठ को वो बारी बारी से चूसने लगा.

मेरे हाथ भी उसकी पीठ पर चले गए और मैं उसे अपनी तरफ खींचने लगी.

जल्द ही सुब्बाराव ने मुझे खड़ी कर लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन, कान हर जगह अपने चुम्बनों की झड़ी लगा दी.
इसके साथ ही उसका एक हाथ मेरी कमर को सहला रहा था.

उसकी बांहों में झूलती हुई मैं अभी से ही काफी जोश में आ गई थी और दुनिया की परवाह किए बिना बस चाह रही थी कि आज सुब्बाराव मेरी ऐसी चुदाई करे, जिसके लिए मैं न जाने कबसे तड़प रही थी.

उस वक्त मुझे इतना भी पता नहीं चला कि सुब्बाराव ने मेरी साड़ी निकाल दी है.

जब मेरी नजर नीचे गई, तो मेरी साड़ी नीचे पड़ी हुई थी और मैं ब्लाउज पेटीकोट में ही थी.
जल्द ही सुब्बाराव ने भी अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी और अब वो केवल लोवर में ही था.

मैंने उसके चौड़े फौलादी सीने को देखा, जिससे साफ पता चल रहा था कि वो एक मजबूत मर्द था.

उसने मेरी कमर में अपना एक हाथ डाला और मेरे गले को चूमते हुए मेरे सीने तक पहुंच गया.
मैं उसकी बांहों में झूल रही थी.

जल्द ही उसने मेरे ब्लाउज का हुक खोलकर मेरे ब्लाउज को भी अलग कर दिया.
मेरे दोनों दूध ब्रा के अन्दर से ही दिखने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
सुब्बाराव ने तुरंत ही मेरे पेटीकोट की डोरी खींच दी, जिससे मेरा पेटीकोट मेरे पैरों में जा गिरा और अब मैं ब्रा पैंटी में उसकी बांहों में मचल रही थी.

मैं सोचने लगी कि कहीं ये मुझे यहीं तो नंगी नहीं कर देगा.
मैंने उसे ऐसा करने से रोका और बेडरूम की तरफ इशारा किया.

उसने भी मेरे इशारे को समझते हुए मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे बेडरूम में ले गया.
अन्दर मेरा आलीशान बिस्तर लगा हुआ था, जिसमें मोटे फोम का गद्दा और मखमली चादर बिछी हुई थी.

सुब्बाराव ने मुझे पलंग के पास खड़ा किया और अपने दोनों हाथ पीछे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़ते हुए अपनी तरफ खींचा.

मैं भी अपने दोनों हाथ उसके गले में डालकर उसके सीने से लग गई.
मेरे तने हुए दोनों दूध उसके मजबूत चौड़े सीने में दबे जा रहे थे.

उसने एक बार फिर से मेरे मखमली होंठों को चूमना शुरू कर दिया और मैं भी उसका पूरा साथ देती हुई अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह में डालने लगी.
मैं इतनी उतावली हो गई थी कि अपने दूध को उसके सीने में रगड़ने लगी.

उसका लंड लोवर के अन्दर से ही पूरी तरह से तना हुआ था और मेरी जांघों के बीच घुसा जा रहा था.
मैं भी उसके लंड पर अपनी चूत को छुआ रही थी.

उसका लंड लोवर के अन्दर था इसलिए मुझे उसका सही सही अंदाजा नहीं लग रहा था लेकिन मैं इतना समझ गई थी कि उसका लंड मेरे पति से काफी मोटा था.
जल्द ही उसने मेरी ब्रा को निकाल दिया और मेरे दोनों दूध आजाद हो गए.

सुब्बाराव ने जैसे ही मेरे बड़े बड़े तने हुए मम्मों को देखा, उससे रहा नहीं गया और वो मेरे मम्मों पर टूट पड़ा.
वो बेहद उतावला होकर मेरे दोनों मम्मों को बारी बारी से चूस रहा था और उसने कई बार अपने दांत मेरे मम्मों पर गड़ा दिए थे.

वो मेरे निप्पलों को बड़ी बेदर्दी से चूस रहा था, मुझे मीठा दर्द हो रहा था और साथ ही उसके ऐसा करने से ही मेरे पूरे बदन में आग लग चुकी थी.
मैं ऐसा ही चाहती थी कि कोई मेरे जिस्म को निचोड़ ले औऱ सुब्बाराव बिल्कुल वैसा ही मेरे साथ कर रहा था.

उसके इस तरह से दूध चूसने से मेरे तन में आग लग चुकी थी. मैंने एक झटके में ही उसके लोवर के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ लिया और उसे मसलने लगी.

मेरे ऐसा करने से सुब्बाराव और ज्यादा जोश में आ गया. उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को कस कर जकड़ लिया और मेरे सीने को अपने मुँह में चिपका कर मेरे दोनों चूचों को बुरी तरह से चूमने लगा.

मैं भी उसके लंड को लोवर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में भर ली और दबाते हुए लंड को आगे पीछे करने लगी.
जल्द ही मैंने उसके लोवर की डोरी ढीली कर दी और उसके लोवर के अन्दर हाथ डालकर उसके लंड को बाहर निकाल लिया.

जैसे ही मैंने उसके लंड को देखा, मेरे मुँह से निकल गया- ओह माय गॉड!

दोस्तो, मेरे पति का लंड साढ़े पांच इंच का है, लेकिन सुब्बाराव का लंड तो कम से कम 8 इंच लंबा था और ये काफी मोटा भी था.

इस प्रकार का लंड मैंने अभी तक केवल पोर्न फिल्मों में ही देखा था.
उसका सुपारा सामने से बिल्कुल खुला हुआ था, उसमें सामने कोई चमड़ी नहीं थी.

मैंने सोचा कि ये तो आज मेरी चूत का बैंड बजा देगा. मेरी चूत में आज तक केवल मेरे पति का ही लंड घुसा था. इस लंड के सामने उनका लंड कुछ भी नहीं था.
एक बार फिर से सुब्बाराव ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और दोनों हाथों से मेरी पीठ, कमर, चूतड़, जांघ सबको सहलाने लगा.

जल्द ही उसका लोवर जमीन पर पड़ा हुआ था और वो पूरी तरह से नंगा हो चुका था.
उसके विशाल मजबूत बदन के आगे मेरा नाजुक बदन केवल आधा ही था.

मेरी चूत उस समय तक इतना ज्यादा पानी छोड़ने लगी थी कि मेरी पैंटी सामने की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
मैं लगातार उसके लंड को अपनी हथेली में लेकर आगे पीछे करती हुई जोर जोर से सहला रही थी.

वो भी मेरे पूरे बदन को चूमता जा रहा था और अपने दोनों एक हाथ से मेरे मम्मों को बड़ी बेदर्दी से मसल रहा था.

जल्द ही उसने अपना एक हाथ मेरी चूत के नीचे से डालकर मुझे हवा में उठा लिया और मुझे बिस्तर पर लुड़का दिया.
मैं बिस्तर पर जाकर लेट गई और सुब्बाराव भी मेरे ऊपर आ गया.

उसने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को मसलना और चूमना शुरू कर दिया और धीरे धीरे पेट और कमर को चूमते हुए मेरी पैंटी तक पहुंच गया.
उसने एक झटके में ही मेरी पैंटी को निकाल दिया और मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया.

उसने एक नजर मेरी चूत को देखा जो पूरी तरह से पानी में गीली हो चुकी थी.
मेरी चूत पर झांट का एक भी बाल नहीं था, मैंने आज सुबह ही चुत की सफाई की थी.
मेरी गुलाबी चूत अब और ज्यादा चमक रही थी.

वैसे भी मैं अपनी चूत पर अच्छे से साफ सफाई रखती हूं और मेरी चूत को देखकर ही कोई भी जोश से भर सकता है.

सुब्बाराव ने मेरी दोनों टांगों को एक झटके में फैला दिया जिससे मेरी चूत खुलकर उसके सामने आ गई.
सुब्बाराव मेरी चूत की तरफ झुका और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरी चूत में चलाने लगा.

उस अहसास को मैं कभी भी नहीं भूल सकती क्योंकि आज पहली बार किसी मर्द ने मेरी चूत को चाटा था और मैं बस यही चाहती थी कि कोई मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे मजा दे दे.
पोर्न फिल्में देखने के कारण ही मेरे अन्दर Xxx डर्टी पोर्न करने की भावना आई थी और आज मुझे वो सुख मिल रहा था.

बीच बीच में सुब्बाराव अपनी एक उंगली को चूत में डालता और मेरी चूत के पानी को चूत में चारों तरफ लगाकर फिर से चाटता.
कसम से उसने मेरी दिल की तमन्ना पूरी कर दी थी. जिस तरह से मैं चुदाई करना चाहती थी, वो बिल्कुल वैसा ही कर रहा था.

वो मेरी चूत को उंगलियों से फैला कर अन्दर तक अपनी जीभ डाल रहा था और मैं अपनी आंखें बंद किए हुए उस आनन्द को ले रही थी.
मेरी दोनों जांघें बुरी तरह से कांप रही थीं और मैंने दोनों हाथों से चादर को जकड़ी हुई थी.

बीच बीच में मेरे अन्दर इतनी ज्यादा उत्तेजना पैदा हो जाती कि मैं अपनी गांड को जोर जोर से उचकाने लगती.
जल्द ही मेरी कामोत्तेजना ने जवाब दे दिया और मैं सुब्बाराव के मुँह में ही झड़ गई.

सुब्बाराव ने बिना कुछ सोचे मेरी चूत से निकल रहे पानी को चाट चाट कर साफ कर दिया.
वो बस मेरी चूत चाटने में ही व्यस्त था और जल्द ही मैं फिर से गर्म हो गई.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और अब मुझे लंड की जरूरत थी.
मैंने अपने हाथ उसके सर पर रखा और उसे ऊपर आने का इशारा किया.

मेरे इशारे को समझते हुए वो मेरे ऊपर आ गया.
मैंने भी अपनी दोनों जांघें फैलाकर उसे अपने आगोश में भर लिया.

हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और इस बीच सुब्बाराव ने अपना सुपारा मेरी चूत में रख दिया.
उसके सुपारे की गर्मी पाकर मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया- आह सीईईई!

हम दोनों ही एक दूसरे की आखों में देख रहे थे और उसने अपना सुपारा चूत में डालना शुरू कर दिया.
जैसे ही उसका मोटा सा सुपारा चूत के छेद को फैलाता हुआ अन्दर गया, मैं जोर से कराह उठी ‘ऊऊईईई मम्मीईई … आहह … मर गई बहुत मोटा है … आह धीमे.’

मगर वो बिल्कुल भी नहीं रुका और लंड को अन्दर पेलता चला गया.
उसका लंबा लंड मेरी चूत में बिल्कुल अन्दर तक जाकर बैठ गया. उसका इतना मोटा लंड मेरी चूत में इस तरह से घुसा हुआ था कि हवा तक जाने की जगह नहीं थी.

मुझे बेहद दर्द हो रहा था.
मैं अपने हाथ से उसे रोकने की कोशिश कर रही थी, मगर रोक नहीं रही थी.

अब उसने धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मेरी भी चूत जबरदस्त गर्म थी, जिससे सुब्बाराव के मुँह से भी आह आह की आवाज निकल रही थी.
इधर उसके धक्के तेज हो रहे थे और मैं बुरी तरह से ‘आह आह मम्मीई ईईईईई आह आहाह … ओओह …’ कर रही थी.

जल्द ही सुब्बाराव ने अपनी पूरी रफ्तार पकड़ ली और मैं बुरी तरह से चीखने लगी ‘ऊईई मम्मीईई … आहाह आहाह ओह आहह …’

सुब्बाराव ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर मुझे बुरी तरह से जकड़ लिया था और अपनी पूरी ताकत से मेरी चुदाई कर रहा था.
मेरा चेहरा उसके चौड़े सीने के नीचे दबा जा रहा था और उसके इतने भारी भरकम शरीर के नीचे मैं पिसी जा रही थी.

वो इतने जोर से धक्के लगा रहा था कि उसके हर धक्के से मेरा पूरा बदन कांप जाता था.
वैसे तो मेरे पति हर बार मुझे संतुष्ट कर देते हैं लेकिन आज पहली बार मुझे इतनी बेदर्दी से कोई चोद रहा था.

उसका लंबा लंड बुरी तरह से मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था और उस मोटे लंड के घर्षण के कारण जल्द ही मैं झड़ गई.
फिर भी सुब्बाराव बिना रुके मुझे चोदे जा रहा था.

जल्द ही सुब्बाराव रुक रुक कर तेज धक्के लगाने लगा मतलब वो लंड बाहर तक निकालता और अपनी पूरी ताकत से अन्दर तक पेल देता.
उसके ऐसा करने से मैं बुरी तरह से जोर जोर से चीख रही थी.

ऐसा उसने 10 से 15 बार किया और फिर लंड को बाहर निकाल कर जोर जोर से हिलाने लगा.
मैं एकटक उसके लंड को देख रही थी और जल्द ही उसके सुपारे से तेज पिचकारी निकली और सीधा मेरे मम्मों पर आकर गिरी.
उसका वीर्य बेहद ही गर्म था.

वो लंड हिलाए जा रहा था और उसका पानी मेरे मम्मों और पेट पर गिर रहा था.
जब तक एक एक बूंद नहीं निकल गया, वो लंड हिलाता रहा.

मेरा सीना और पेट पूरी तरह से चिपचिपा गया था लेकिन मुझे जरा भी गंदा नहीं लग रहा था बल्कि मैं अपने हाथ से उसके पानी को अपने मम्मों में मलने लगी.
मुझे ऐसा करता देख सुब्बाराव अपने दोनों हाथों से अपने पानी को मेरे पूरे मम्मों और पेट में लगा कर मालिश करने लगा.

उसके बाद वो मेरे बग़ल में लेट गया और मैं उठकर बाथरूम गई और अपने आपको आईने में देखने लगी.
मेरा पूरा बदन उसके पानी लगने से चमक रहा था और जैसे जैसे उसका पानी सूख रहा था, वो और गाढ़ा होता जा रहा था.

मैंने टिश्यू पेपर लेकर अपने बदन को साफ किया और बाथरूम करने के बाद वापस बिस्तर पर आकर लेट गई.
उस वक्त तक सुब्बाराव का लंड सिकुड़ चुका था और वो उसके पेट के ऊपर पड़ा हुआ था.

मैं बस उसके लंड को देख रही थी और सुब्बाराव आंख बंद
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
हम दोनों एक बार चुदाई करने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए थे और मैं उसके सो चुके लंड को देख रही थी.

उसका लंड सिकुड़ा हुआ भी काफी बड़ा लग रहा था.
मैं इतना जान गई थी कि मेरी चूत जो कि अभी तक लंड की भूखी रहा रही थी, वो पूरी तरह से खुश रहा करेगी.

दोस्तो, आधा घंटा आराम करने के बाद मेरे अन्दर फिर से चुदाई का कीड़ा जागने लगा.
सुब्बाराव उस वक्त भी आंख बंद किए हुए लेटा हुआ था.

मैंने एक करवट ली और सुब्बाराव के और पास पहुंच गई.
अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए मैंने उसके सीने में रखा, जिससे सुब्बाराव की आंख खुल गई.

उसने मेरी तरफ देखा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई.
बेबाक तरीके से उसने मुझसे पूछा- कैसा लगा मैडम आपको?
मैं- बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा, आज तुमने मुझे वो मजा दिया है, जो मैं चाहती थी.

सुब्बाराव- तो इसका मतलब है कि मैं आपको अच्छा लगा?
मैं- हां बिल्कुल, क्यों नहीं. लेकिन ये बात इतनी ज्यादा गुप्त रहनी चाहिए कि कभी किसी को भनक तक नहीं लगनी चाहिए कि हम दोनों ऐसा काम करते हैं.

सुब्बाराव- बिल्कुल भी नहीं मैडम जी, आप इसके लिए पूरी तरह से बेफिक्र रहिए. मैं पूरी तरह से कोशिश करूंगा कि आपको हर तरह से खुश करूं.

उससे बात करते हुए मेरा हाथ उसके सीने पर चल रहा था और मैंने उससे कहा- सुब्बाराव, तुम अपने सीने के बाल साफ करवा लो.
वो- क्यों मैडम जी?
मैं- बस ऐसे ही, मुझे सीने के बाल पसंद नहीं हैं.
वो- जी बिल्कुल मैडम जी, कल ही साफ हो जाएंगे.

मैंने उससे पूछा- सुब्बाराव, तुम्हें मैं कैसी लगी?
वो- सच बताऊं मैडम जी, आप इतनी खूबसूरत हो कि आपके साथ ये सब करना मेरे लिए नसीब की बात है. आप जैसी परी को भोगना मेरे जैसे छोटे आदमी के लिए बहुत बड़ी बात है. आपका हर अंग किसी कयामत से कम नहीं है और खासकर आपकी चूत इतनी गुलाबी है कि ऐसी चूत मैंने आज पहली बार देखी है.

अब मेरा हाथ सुब्बाराव के लंड पर चला गया जो ढीला पड़ा हुआ था. मैंने उसे अपनी मुट्ठी में भर कर सहलाना शुरू कर दिया.
जल्द ही उसके लंड में कसाव आना शुरू हो गया.

मैंने सुब्बाराव से बोला- तुम मेरे साथ बिल्कुल खुलकर सेक्स करना, बिल्कुल भी शर्माना मत, जो बोलना हो बोल देना, जितना ही गंदा करना हो, मेरे साथ करना. मुझे कभी बुरा नहीं लगेगा.

इसके बाद उसने कहा- एक बात पूछ सकता हूँ मैडम जी?
मैं- हां पूछो.

वो- क्या आपने लंड चूसा है?
मैं उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराई और बोली- आज तक तो नहीं, लेकिन चूसना जरूर चाहती हूँ.

इतना बोलने के बाद मैं उठी और उसके लंड की तरफ बढ़ गई.
उसके लंड के पास अपना चेहरा ले जाकर अपने होंठों से उसके लंड को एक बार चूमा.

लंड से एक अजीब सी गंध आ रही थी लेकिन वो गंध पाकर मुझमें और ज्यादा उत्तेजना आ गई.
वो बेहद ही कामुक गंध थी.

मैं अपने होंठों को लंड पर चारों तरफ चलाने लगी और एक हाथ से उसके अंडकोष को सहलाने लगी.
जल्द ही सुब्बाराव का लंड अपने पूरे आकार में आ गया.

इधर सुब्बाराव अपना एक हाथ बढ़ाकर मेरी बड़ी और चिकनी गांड को सहला रहा था.

अब मैं उसके सुपारे को गौर से देखने लगी और अपनी जीभ निकाल कर सुपारे पर चलाने लगी.
उसका लंड काला जरूर था लेकिन मुझे बेहद रोमांचित कर रहा था.

उसे देखकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी अफ्रीकन नीग्रो के साथ हूँ.
मैंने पोर्न फिल्मों में देखा था कि अफ्रीकी काला आदमी एक गोरी विदेशी लड़की के साथ सेक्स करता है. सुब्बाराव भी मुझे कुछ कुछ वैसा ही लग रहा था.

मैं अपनी जीभ उसके सुपारे पर चलाती जा रही थी.
जल्द ही मैंने उसका सुपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और किसी कुल्फी की तरह आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.

यह मेरे लिए पहला अनुभव था कि मैं किसी का लंड चूस रही थी लेकिन पोर्न फिल्में देखने से मुझे सब पता था कि लंड कैसे चूसा जाता है.

कुछ देर तक उसके लंड को चूसने के बाद मैं पूरी तरह से सुब्बाराव के ऊपर लेट गई.
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ चुके थे और अब मेरी गांड सुब्बाराव की तरफ थी.

सुब्बाराव ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और अपने मुँह को मेरी गांड में लगाकर मेरी चूत में अपनी जीभ चलाने लगा.
जल्द ही मेरी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया.

इधर मैं भी उसके लंड को पूरी तरह से अपने मुँह में भरती हुई चूसने लगी.
उसका लंड मेरे गले तक उतर जा रहा था.

काफ़ी देर तक हम दोनों इसी पोजीशन में एक दूसरे के लंड और चूत को चाटते रहे.

फिर मैं उसके ऊपर से उठी और मुड़कर अपने दोनों पैरों को फैला कर उसके सीने की तरफ आ गई.
मैंने अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी.

उसने भी मेरी गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया.

जैसे ही उसने मेरी चूत को मुँह में डाला, मैं अपनी कमर हिलाने लगी और सुब्बाराव मेरी चूत को बुरी तरह से चूसने लगा.
वो मेरी चूत से निकलते हुए पानी की एक एक बूंद को पीता जा रहा था.
मुझे उस वक्त असीम आनन्द मिल रहा था.

जब मैं चूत चुसवाने के बाद संतुष्ट हो गई तो मैं उसके मुँह के ऊपर से हट गई.

अब मुझे मेरी चूत में लंड चाहिए था और अब मैं लंड की सवारी करना चाहती थी.
लेकिन सुब्बाराव को समझ नहीं आया और वो उठने लगा.

तभी मैंने उसे धक्का देकर वापस से लेटने के लिए कहा.
अब मैंने अपनी टांगें फैलाईं और उसके लंड के ऊपर चढ़ गई.

मैंने लंड को थामा और सुपारे को अपनी चूत पर मसलने लगी.
ऐसे करते हुए मैंने सुपारे को अपनी चूत के अन्दर ले लिया और लंड पर बैठती चली गई.

जल्द ही पूरा लंड मेरी चूत में समा गया था.

इसके बाद मैं थोड़ा झुक गई और सुब्बाराव ने मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
उसका हाथ बेहद ही कड़क था क्योंकि वो मेहनत वाला काम करता था.

उसकी हथेलियां काफी खुरदुरी थीं और जब वो अपनी खुरदुरी हथेली मेरे कोमल मुलायम मम्मों पर चला रहा था तो मुझे बेहद मजा आ रहा था.

अब मैं अपने चूतड़ों को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी और लंड अपने आप अन्दर बाहर होने लगा.
धीरे धीरे मैंने अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया.

मुझे इस तरह से बेइंतहा आनन्द मिल रहा था जैसा मुझे आज तक नहीं मिला था.
जल्द ही मैं बुरी तरह से लंड पर कूदने लगी और लंड अन्दर लेने लगी.

सुब्बाराव मेरे पूरे बदन को सहलाते हुए मुझे और ज्यादा गर्म कर रहा था.
जल्द ही मैं थककर उसके ऊपर लेट गई.

फिर सुब्बाराव ने मुझे उठाया और मुझे घोड़ी बना दिया; वो मेरे पीछे घुटनों के बल आ गया.
उसने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से थामा और लंड को चूत में लगाकर एक बार में ही अन्दर तक पेल दिया.

‘आआह आआ… आई मम्मीईई …’

उसने तुरंत ही धक्के लगाना शुरू कर दिए और चटचट करते हुए चुदाई शुरू कर दी.
पूरे कमरे में चट चट की तेज आवाज गूंज उठी.

मैं बुरी तरह से बिलखने लगी, उसका हथौड़े जैसा लंड गपागप मेरी चूत को चीर रहा था.

‘ऊईईईई आहाह आआऊच आआह ऊऊऊह आआऊच आआई मम्मीईई.’

बीच बीच में वो मेरे चूतड़ों में चपत भी लगाता जा रहा था और मजे के साथ मुझे चोदता जा रहा था.
जल्द ही मैं झड़ गई.

लेकिन वो लंबी रेस का घोड़ा था, मेरी दनादन चुदाई करता जा रहा था.

काफी देर तक उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा और फिर मुझे उठाकर बिस्तर से नीचे ले आया.
नीचे लाकर उसने मेरे हाथों को अपनी गर्दन में फंसाया और एक झटके में मुझे अपनी गोद में उठा लिया; मेरे दोनों पैरों को अपनी कमर में फंसा लिया और अपने लंड को चूत में पेल कर दोनों हाथों से मेरी गांड को थाम लिया.

अब वो मुझे ऐसे ही अपने लंड पर उचकाने लगा.
उस पोजीशन में उसका लंड चूत की अंतिम गहराई तक पहुंच रहा था क्योंकि मेरी दोनों जांघें पूरी तरह से फैली हुई थीं.

गपागप गपागप लंड मेरी चूत में घुस रहा था.

इसके साथ ही उसने मेरे एक निप्पल को दांत में दबा लिया था.
मुझे बेहद दर्द हो रहा था लेकिन इससे कहीं ज्यादा मुझे मजा भी आ रहा था.

करीब दस मिनट तक ऐसे ही बिना रुके वो मुझे चोदता रहा और इस बीच मैं दूसरी बार भी झड़ गई.

फिर उसने मुझे नीचे उतारा और कपड़े से मेरी चूत को साफ किया जो कि पानी से भर चुकी थी.
इसके बाद उसने मुझे पेट के बल बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी गांड तक पहुंच गया.

मेरे चूतड़ों को फैलाते हुए उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर लगा दी और उसे चाटने लगा.

इसके कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा- मैडम, क्या मैं आपको पीछे से मतलब आपकी गांड को चोद सकता हूँ?










मैंने मना कर दिया ।




































इति
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
(01-02-2023, 09:22 AM)neerathemall Wrote:
प्यासी भाभी की गन्दी चुदाई

thanks yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
Good story
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#9
Namaskar thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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