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Gay/Lesb - LGBT ननद भाभी
#1
ननद भाभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
प्यारे दोस्तो, मैं हैदराबाद से सुनील, उम्र 25 साल, अविवाहित, एक कम्पनी में नौकरी करता हूँ और अपने परिवार के साथ रहता हूँ।

मेरे परिवार में मेरे पिताजी, मम्मी और एक मेरा बड़ा भाई शादीशुदा है, दो साल पहले ही उसका तबादला चेन्नई में हुआ है। हम सब साथ में ही रहते हैं।

जिस फ्लैट में हम रहते हैं वो तीसरी मंजिल पर है और चौथी मंजिल पर एक परिवार रहता है, हमारे उनके साथ सम्बन्ध बहुत अच्छे हैं, हम उनको राज अंकल की फ़ैमिली कहते थे, उनके परिवार में राज अंकल 45 साल के, उनका एक लड़का गिरीश 24 साल का शादीशुदा, उसकी पत्नी रीना, उम्र लगभग 23 और एक लड़की 18 साल की नाम है डिम्पल। डिम्पल बीएससी कर रही है।

राज अंकल का लड़का बिजनेस मैन है और ज्यादातर टूर पर रहता है, समझ लीजिए कि महीने में 8 से 10 दिन का टूर रहता है।

बात तब की है जब मेरे भाई का तबादला हुआ, मेरे मम्मी पापा भी साथ में गए थे उनका घर सेट कराने के लिए, मैं घर में अकेला था। तब मेरी मम्मी राज अंकल की पत्नी और बहु रीना को कह गई कि सुनील का ख्याल रखें।

तो रीना भाभी ने कहा- मैं रोज़ सुबह उसको चाय और नाश्ता दे दूँगी, आप बेफिक्र होकर जाएँ। मम्मी-पापा भाई के साथ चले गए 15 दिन के लिए।

अगले दिन सुबह मेरे घर भाभी का फ़ोन आया, भाभी बोली- सुनील भाई, जल्दी से आ जाओ, सब लोग आपका इंतज़ार कर रहे हैं नाश्ते के लिए!

मैं ऊपर नाश्ता करने चला गया। हम लोगों ने नाश्ता ख़त्म किया ही था, मैं चाय पी रहा था, तब दरवाजे की घण्टी बजी और एक 60-62 साल का आदमी था और राज अंकल को देख कर बोले- भाई साहब, आपको समाचार मिला या नहीं? तो राज अंकल ने कहा- नहीं!

तो उस आदमी ने राज अंकल के पास में आकर धीरे से कुछ कहा तभी राज अंकल ने कहा- आप लोग गाड़ी लेकर आएँ, मैं और मेरी बीवी भी आपके साथ चलते हैं।

तभी राज अंकल अपनी पत्नी के पास जाकर बोले- तुम सामान पैक करो, हमें अभी गाँव जाना है, वहाँ पर सात से दस दिन रहना पड़ेगा।

तभी आंटी ने कहा- गिरीश भी टूर पर गया है, घर में कोई नहीं है। राज अंकल ने गिरीश को फ़ोन लगाया, पूछा- कब आ रहे हो? और जल्दी आने को कह कर फ़ोन काट दिया, आंटी से बोले- गिरीश भी दो दिन में आ जाएगा।

अंकल और आंटी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दो दिन के लिए हमारा घर का ध्यान रखना और हो सके तो तुम रात को सोने यहीं आ जाना! और वो लोग एक घण्टे के अन्दर चले गए।

मैं जल्दी से चाय पीकर अपने फ्लैट पर आ गया और दस मिनट के बाद ही भाभी ने दरवाजे की घण्टी बजाई, भाभी ने बताया- आपको पापा ने फ़ोन करने को कहा है। मैंने उनसे तुरंत नम्बर लिया और पूछा- अंकल, क्या काम है? तो बोले- बेटे, तुम आज से रात को मेरे घर पर ही सोना!

तभी आंटी ने फ़ोन लिया और कहा- बेटे, तुम हमारे घर का ख्याल रखना और किसी चीज़ की जरुरत हो तो ला देना। मैंने कहा- आंटी डोंट वरी! मैं पूरा ध्यान रखूँगा।

और फ़ोन रख दिया और भाभी को बताया कि मुझे अंकल ने कहा है आपके घर पर रहने के लिए। भाभी चली गई।

मैं तैयार हो कर ऑफिस चला गया और शाम को करीब 6 बजे घर आकर निक्कर-टीशर्ट पहन ली। तभी डिम्पल मेरे फ्लैट पर आई, मुझे पूछा- भैया, आप रात को खाने में क्या पसंद करेंगे?

मैंने कहा- मैं आज नहीं खाऊँगा। रात को आपके घर पर नौ बजे आ जाऊँगा।

उसने मुझ पर जोर डाला लेकिन मैंने कहा- मैं आज नहीं कल जरूर आपके साथ रात का खाना खाऊँगा। डिम्पल चली गई।

रात को लैपटॉप लेकर मैं उनके घर चला गया और वो दोनों मतलब भाभी और डिम्पल मेरा इंतज़ार कर रही थी। जैसे ही मैंने घण्टी बजाई तो डिम्पल ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर आने को कहा।

मैं जैसे ही अन्दर गया तो भाभी ने पूछा- जी, आप किया पीना पसंद करेंगे चाय, दूध या फ्रूट जूस? मैंने कहा- जी मैं चाय ले लूँगा। भाभी चाय बनाने रसोई में चली गई तो मैंने डिम्पल से पूछा- मेरा कमरा कौन सा रहेगा?

डिम्पल ने मुझे कमरा दिखाया और डिम्पल के पीछे पीछे कमरे में चला गया और लैपटॉप चार्ज करना लगा कर हॉल में सोफा पर बैठ गया। मैं आपको बता दूँ कि हमारी इमारत में सब फ्लैट तीन तीन कमरे के हैं। भाभी मुझे चाय देकर मेरे पास में बैठ गई और वो भी चाय पीने लगी। मैंने चाय खत्म की और भाभी से कहा- मुझे एक जग या बोतल पानी चाहिए।

भाभी उठी और एक जग भर कर पानी दिया। मैं हॉल में टी.


वी देखने लगा और मेरे साथ में डिम्पल और भाभी भी टी.वी. देखने लगी और साथ में बातें करने लगी। मैंने घड़ी देखी तो साढ़े दस बज रहे थे, मैंने कहा- अब हमें सोना चाहिए। रात को करीब दो बजे मुझे प्यास लगी तो मैं पानी पीने उठा तो याद आया कि मैं जग तो हॉल में ही भूल गया हूँ।

हॉल में आया तो देखा कि हॉल की लाइट जल रही थी और भाभी के कमरे में भी लाइट जल रही थी। मैं दबे पांव भाभी के कमरे के करीब गया और चाबी के छेद से अन्दर झांकने लगा।

जैसे ही मैंने अन्दर देखा, मैं घबरा गया। मैंने देखा कि अन्दर दोनों ननद भाभी नंगी 69 की अवस्था में एक दूसरी की चूत चाट रही थी। मैं कुछ देर ऐसे ही देखता रहा, फिर मैं सोने चला गया।

अपने कमरे में मैं उन दोनों के बारे में सोच रहा था और कब नींद आई पता नहीं चला।

जब भाभी ने मुझे अगले दिन उठाया तो देखा भाभी एक सेक्सी गाउन पहने हाथ में चाय लेकर खड़ी हैं, गाऊन का ऊपर का बटन खुला था। मैं तो देख कर ही जल्दी से बैठ गया और गुड मॉर्निंग कहा। चाय हाथ में लेकर भाभी से कहा- आप बहुत सुन्दर दिख रही हो इस गाउन में!

गाउन गुलाबी रंग का था और एकदम झीना, आर-पार दिखाई देने वाला। भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी क्योंकि उनके चुचूक साफ साफ दिखाई दे रहे थे।

मैंने भाभी को चाय के लिए धन्यवाद कहा और अपने घर आने लगा और जैसे ही चलने लगा तो देखा कि डिम्पल भी वैसा ही मगर दूसरे रंग का गाऊन पहने थी। मैंने उसको भी कहा- यू आर लूकिंग चार्मिंग एण्ड नाइस इन दिस ड्रेस!

और बाय बोल कर चला आया अपने फ्लैट पर, जल्दी से नहा कर ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गया। जैसे ही मैं ऑफिस जाने लगा और फ्लैट को लोक किया तो भाभी का फ़ोन आ गया और मुझसे नाश्ते के लिए कहा। मैं फ़िर उनके घर पर नाश्ते के लिए गया।

पूरा दिन ऑफिस में मेरा मन नहीं लगा और उन दोनों के बारे में सोचता ही रहा तो आधे दिन छुट्टी लेकर होटल में खाना खाकर जल्दी ही घर आकर में अपने कमरे में लेट गया।

शाम को लगभग सात बजे मुझे लगा कि कोई घण्टी बजा रहा है। मैं हड़बड़ा कर उठा और जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी खड़ी थी।

मैंने उनको अन्दर आने के लिए तो बोला तो भाभी बोली- नहीं, मैं कहीं जा रही हूँ, आप खाना कब खाएँगे? मैंने कहा- जी एक घण्टे के बाद चलेगा! तो भाभी बोली- ठीक है, मैं एक घंटे के अन्दर आ जाऊँगी।

एक घण्टे तक टी.

वी देखा तभी डिम्पल मुझे खाना खाने के लिए बुलाने आ गई। मैंने घर बन्द किया और डिम्पल के साथ उनके घर चला गया। खाना डाईनिंग टेबल पर लग चुका था, भाभी ने कहा- आओ! हम साथ बैठ कर खाना खाने लगे और साथ ही हम लोगों ने बहुत सारी बातें की।

भाभी ने मेरी निजी जिंदगी के बारे में पूछा लेकिन मैंने ज्यादा नहीं बताया, मैं ऑफिस की दो लड़कियों चोद चुका था पर मैंने उनको नहीं बताया।

मैंने भाभी और डिम्पल से पूछा तो उन दोनों ने कुछ नहीं बताया, बिल्कुल सती-सावित्री की तरह बनने लगी। मैंने भी जोर नहीं किया। मैंने खाना ख़त्म किया, भाभी से पूछा- मैं कुछ मदद करूँ?

तो डिम्पल ने कहा- नो थैंक्यू! और मैं हॉल में टी.वी. देखने सोफे पर बैठ गया।

कुछ देर टी.वी. देखने के बाद मैंने डिम्पल से गुड नाईट कहा और सोने चला गया, दरवाजा बन्द किया। आज मैंने पानी नहीं लिया क्योंकि मुझे मालूम था कि कल की तरह मुझे लाइव शो देखने को मिलेगा। और मैं एक बजने का इंतज़ार करने लगा।

जैसे ही घड़ी में 12.30 हुए, दरवाजे की घण्टी बजी और मैं सोचने लगा- इस वक्त कौन आया होगा? मेरे मन में तरह तरह के सवाल उठ गए लेकिन जैसे ही मैंने कमरे का दरवाजा खोला तो देखा कि भैया आए हुए हैं। मैं फ्रिज से पानी की बोतल निकाल कर पीने लगा।

भैया ने मुझसे बोला- कैसा है सुनील? मैंने कहा- मैं ठीक हूँ भाई, आप कैसे हैं? तो बोले- ठीक हूँ। मैं अपने घर जाने लगा और भाभी से कहा- मैं अपना लैपटॉप कल ले जाऊँगा।

तभी भाभी ने भैया से कहा- सुनील को पापा ने कहा था कि आपके आने तक ये हमारे घर पर हमारे यहाँ ही सोएँगे तभी । मैं भाभी और भैया को बाय बोल कर अपने घर पर जाने लगा। तभी भैया ने मुझे रोक कर कहा- अब मत जाओ, सुबह चले जाना।

बहुत जोर देने पर उनके घर पर रुका और मैं और भैया सोफे पर बैठ कर बातें करने लगे। तभी भैया ने कहा- मैं दो दिन के लिए आया हूँ, परसों सुबह जहाज से मुंबई चला जाऊँगा। मुझे जाना बहुत जरूरी है, कम से कम दो दिन के लिए!

भाभी ने खाने के लिए पूछा तो भैया ने कहा कि वो खाना खाकर आएँ है और चाय के लिए कहा। तब तक डिम्पल भी जाग गई और भाई से बात करने लगी। भाभी चाय लाई, हम चारों ने चाय पी और भैया ने कहा- मैं सोने जाता हूँ।

भैया अपने कमरे में चले गए और डिम्पल ने मुझे कहा- अगर आपको बुरा ना लगे तो आप पापा के कमरे में सो जाएँ। मैंने कहा- ठीक है। मैं उसके पापा के कमरे में चला गया और डिम्पल अपने कमरे में!

बीच रात में मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। इस कमरे में बाथरूम नहीं था बाकी के दोनों के कमरों में बाथरूम साथ में था। इसलिए जब मैं हॉल में आया तो मेरे होश उड़ गए और मेरा लण्ड खड़ा हो गया।









दूसरे भाग में समाप्त!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
thanks fight yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
thanks fight yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
thanks fight yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
Good start, lets hope for more action
Namaskar
Raj

Started writing also, please see my latest effort

Reel ka shauq…badal gya Parivar (xossipy.com)
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#7
(18-01-2024, 12:42 PM)RajV Wrote: Good start, lets hope for more action

Thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
बीच रात में मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। इस कमरे में बाथरूम नहीं था बाकी के दोनों के कमरों में बाथरूम साथ में था। इसलिए जब मैं हॉल में आया तो मेरे होश उड़ गए और मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

मैंने देखा कि डिम्पल भाभी के कमरे के पास झुकी चाबी वाले छेद से अन्दर देख रही थी, एक हाथ से अपनी चूची को मसल रही थी और दूसरा हाथ पजामे में डाल कर चूत को रगड़ रही थी। उसका टीशर्ट गले तक ऊपर उठा हुआ था।

मैंने अपने आप को संभाला और चुपके से डिम्पल के पीछे जा कर खड़ा हो गया। वो भैया-भाभी की चुदाई देखने में इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि कब मैं उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने अपने दोनों हाथ धीरे से डिम्पल की चूचियों के ऊपर रख कर मसलते हुए उसके कान में कहा- ज़रा मुझे भी दिखाओ क्या देख रही हो?

डिम्पल घबरा गई और पीछे देखा। मैंने जल्दी से डिम्पल के मुँह पर हाथ रखा और पीछे ले जाते हुए कहा- क्या देख रही हो? तो डिम्पल बोली- कुछ नहीं! मैंने डिम्पल को छोड़ दिया और धीरे से बोला- एक मिनट! मैं भी देख कर आता हूँ! और उसकी चूची को जोर से रगड़ दिया।

मैंने भैया के कमरे में छेद से देखा तो भैया भाभी की चूत चाट रहे थे और भाभी भैया का लण्ड चूस रही थी।

और जब मैंने डिम्पल को देखा तो वो अपना टीशर्ट ठीक कर रही थी। मैंने डिम्पल के पास में जाकर कहा- छी छी! तुम अपने भैया के, वो भी सगे भैया के कमरे में झांक रही हो? शरम नहीं आती? मैंने तुमको ऐसा नहीं सोचा था।

डिम्पल मेरे सामने सर झुकाए खड़ी थी, वो पूरी मेरी पकड़ में आ चुकी थी।

डिम्पल जैसे ही अपने कमरे में जाने लगी, मैं भी उसके पीछे पीछे हो लिया और जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगी, तभी मैंने रोक लिया और कहा- मैं तुम से बात करना चाहता हूँ।

मैं अन्दर गया और दरवाजा बन्द कर लिया। डिम्पल सर झुकाए खड़ी थी। मैंने उसे पूछा- तुम कितने दिनों से देख रही हो? सच सच बताना।

वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठा कर पूछा- तुम नहीं बताओगी तो मैं भैया को सब कुछ बता दूँगा।

तो वो बोली- प्लीज़! ऐसा मत करना, मुझे शर्म आ रही है।

मैंने उसको शान्त किया- देखो डिम्पल, इस उम्र में सब जायज़ है। डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा।

और उसका हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर बिठाया, कहा- मैं टॉयलेट जाकर आता हूँ, तुम बैठी रहना।

मैं टॉयलेट होकर जल्दी डिम्पल के पास आकर बैठ गया, डिम्पल तब भी सर झुकाए चुपचाप बैठी थी। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को ऊपर उठाया और उसके होंठों के पर ऊँगली से सहलाया, फिर पूछा- बताओ ना, कितने दिनों से देख रही हो?

डिम्पल ने कहा- आज पहली बार ही देखा है भैया, आज के बाद मैं कभी नहीं देखूँगी। प्लीज़ भैया, मुझे माफ़ कर दो आज! ऐसा कभी नहीं करुँगी मैं! और उठने लगी।

तभी मैंने डिम्पल का हाथ पकड़ कर बिठाया और पूछा- ओ के ,तो कल तुम और भाभी क्या कर रही थी? तो बोली- कुछ नहीं!

तो मैंने ही बता दिया- कल तुम और भाभी कही एक दूसरे की चूत चाट रही थी। डिम्पल मेरे मुँह से चूत शब्द सुन कर चौंक गई और बोली- नहीं, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। मैंने कहा- वो तो मुझे मालूम है कि तुम कैसी हो।

मैंने उसको पूरा बताया कि कैसे मैंने भाभी के कमरे में देखा, तो वो कुछ नहीं बोली। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर उसके होंठों पर चुम्बन किया और जैसे ही मैंने डिम्पल के होंठों से मेरे होंठ छुए, वो छटपटाने लगी और मुझे धक्का देने लगी। मैंने भी जोर से पकड़ कर रखा था और चुम्बन करते करते उसके नीचे वाले होंठ को थोड़ा सा दांतों से काट दिया तो उसने मुझे जोर से धक्का दिया लेकिन मैंने भी उसको कस कर पकड़ रखा था, मैं उससे बोला- क्यों इतने नखरे करती हो? देखो ना मेरा लण्ड को कितना तड़प रहा है!

और मैंने जल्दी से अपनी निक्कर अन्डरवीयर समेत नीचे सरका कर उतार दी और उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखा और हाथ हटाने नहीं दिया, ऐसे ही पकड़ कर लण्ड को मैंने आगे-पीछे करने लगा। तभी डिम्पल दूसरे हाथ से मेरे हाथ को हटाने लगी। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और दूसरे हाथ से उसको अपने ऊपर खींचा।

वह मेरे ऊपर गिर गई, मैंने उसको बाहों में ले लिया और उसको अपने नीचे कर लिया, मैं उसके ऊपर आ गया।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसका टीशर्ट को एक ही झटके में निकाल दिया, डिम्पल को ऊपर से नंगी कर दिया और उसकी दोनों चूची को जोर जोर से मसलने लगा।

डिम्पल कहने लगी- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत करो भैया! मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी।

मैंने उसको गले के ऊपर चूमते हुए कहा- एक बार मुझे प्यार करने दो, कल रात से तुम दोनों को एक दूसरे की चूत को चाटते हुए देखा है तो मेरी तो नींद और चैन ही गुल हो गए हैं।

मैं उसकी चूची पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा साथ में उसके गले और कान को चाटने लगा।डिम्पल भी तड़पने लगी और नहीं ऊँ! नहीं ऊह! करने लगी और मैं उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी चूची के चुचूक को जोर से मसलने लगा।

करीब दस मिनट के बाद मैं दूसरे चुचूक को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसका पजामा नीचे करने लगा।

डिम्पल पजामा उतरने नहीं दे रही थी, तभी मैंने उसे नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और एक झटके में उसका पजामा उतार कर फेंक दिया।तब मैंने दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों को फिर से चूमा।

डिम्पल को भी मज़ा आने लगा और वो भी अब धीरे धीरे नहीं नहीं आआआ भैया आआअ नो नो भैया आह मेरे साथ ऐसा मत करो कहने लगी और मेरा साथ देने से शर्मा रही थी और थोड़ा थोड़ा साथ भी देने लगी।

मैं डिम्पल के चेहरे, गाल, गर्दन, कान को चाटने लगा और कुछ देर उसको कुत्ते की तरह ऐसे ही चाट चाट कर पूरा गीला कर दिया। जब मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमाई तो उसको गुदगुदी होने लगी, वो मछली की तरह तड़पने लगी, मेरे बाल नोचने लगी।

पांच मिनट के बाद में मैंने साफ़ और सीधे सीधे डिम्पल से कहा- अब क्या इरादा है?

वो कुछ बोली नहीं। मैंने फिर पूछा- बोलो न मेरी रानी! तो वो बोली- भैया, मुझे छोड़ दो!

मैंने डिम्पल से कहा- क्यों? कल तो तुम भाभी की चूत को बड़ी मस्त हो कर चाट रही थी और अपनी चूत भाभी से चटवा रही थी?आज तुम मेरा लण्ड और मैं तुम्हारी चूत चाट लेता हूँ।

डिम्पल मुझे घूरते हुए बोली- भैया, आपको शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते हुए?

मैंने कहा- प्यार में शर्म क्यों? और तुम भी तो अपनी जवानी को सहन नहीं कर सकती इसलिए तुम भाभी से जवानी लुटवा रही थी। तुम्हें चाहिए एक लण्ड जो चूत को पसंद है। तेरी चूत के लिए मेरा लण्ड ही काफी है। और तुमको भी कोई चोदेगा जरूर! या फिर सारी उम्र ऐसे ही भाभी के साथ मस्ती करोगी? क्यों ना आज ही मैं तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दूँ? अब इतना नाटक ना करो और मेरे लण्ड से खूब खेलो और चुदवाओ!

मेरी इस गन्दी बात से डिम्पल झटका लगा और अपनी आंखे बंद करती हुए बोली- नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।

मैंने कहा- देखो डिम्पल!

और मैंने उसकी टांगों को अपने दोनों हाथों से अलग किया और एक हाथ उसकी चूत पर रखा, उसकी चूत गीली थी, मैंने डिम्पल से कहा- डिम्पल, अब तुम्हारी चूत भी मेरा लण्ड लेने को तैयार है, तो तुम्हें क्यों ऐतराज़ है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
और मैंने डिम्पल से कहा- मैं तुम्हारी चूत चाट रहा हूँ, तुम्हें अगर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसना है तो चूसो!
मैंने उसके बदन पर उल्टा होकर 69 की तरह लेट गया, चूत के दोनों होंटों को ऊँगलियों से अलग किया और जीभ अन्दर डाल कर चूत को चाटने लगा और एक हाथ से उसकी जांघें सहलाने लगा। डिम्पल सिसकारने लगी और पूरी मस्ती में आने लगी।
मैं भी जोर जोर से चूत चाटते हुए उसकी भगनासा को भी थोड़ा थोड़ा चाटने-काटने लगा।

डिम्पल और जोर से सिसकारी लेने लगी तो मैं उसकी चूत के होंठों को काटने लगा और कहा- मेरा लण्ड चूसना नहीं चाहती तो कोई बात नहीं लेकिन मेरा लण्ड सहला तो सकती हो। मैं जीभ को पूरा अन्दर डालते हुए और जोर जोर चाटने व काटने लगा तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा और डिम्पल भी अपनी चूत को उठा उठा कर मेरे मुँह पर मारने लगी और एक हाथ से मेरे सिर को नीचे दबाया और जोर से चिल्लाई- भैया, प्लीज़ भैया! मुझे छोड़ दो, छोड़ दो! और झर गई, जोर जोर से हाँफ़ने लगी।
तभी मैंने सोचा कि अब वक्त आ गया है, मैं सीधा हो गया।
इस सारे खेल के बीच डिम्पल ने ना तो मेरे लण्ड को हाथ लगाया और ना ही मुँह में लिया, मैंने भी उसके साथ जबरदस्ती नहीं की क्योंकि मुझे मालूम था कि आज नहीं तो कल जरूर लेगी।
मैंने डिम्पल से कहा- अब क्य करूँ रानी? तो बोली- कुछ मत करो, मुझे जाने दो! मैंने कहा- ओ के! पर एक शर्त है! बोली- क्या? मैंने कहा- एक बार मुझे चोदने दो! तो बोली- नहीं, यह नहीं हो सकता!

मैंने लण्ड को कुछ देर हाथ से हिलाया और एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा और साथ में कहा- मैं तुझे अब चोदने जा रहा हूँ।
और मैंने उसके ऊपर सीधा लेट कर एक हाथ से लण्ड को पकड़ चूत के मुँह पर रखा और दूसरा हाथ को उसके मुँह पर और एक जोर से झटका मारा। लेकिन लण्ड फिसल कर उसकी चूत से बाहर हो गया। मैं फिर एक हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर उसे चूमने लगा और एक हाथ से लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और धक्का मारा तो लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ चला गया।
डिम्पल मेरे पीठ पर मुक्के मारने लगी।
मैंने लण्ड को कुछ देर उसकी चूत में ही रखा और उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा। कुछ देर बाद मैंने लण्ड को बाहर निकाला और उसका मुँह पर एक हाथ रख कर दूसरे हाथ से लण्ड पकड़ कर उसकी चूत में डाल कर जोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर चला गया और डिम्पल बेहाल होने लगी।
मैंने लण्ड को पूरा अन्दर डाल कर कुछ देर ऐसा ही रखा, हाथ को उसके मुँह पर ही रख उसकी एक चूची को चूसने लगा। करीब दस मिनट चूची को चूसने के बाद डिम्पल ठंडी पड़ी और मैंने लण्ड को धीरे धीरे बाहर निकाला और फिर से धीरे धीरे अन्दर डाला और ऐसे ही मैं उसको चोदने लगा और डिम्पल मेरा हर धक्के पर आआ ऊऊऊ ईईई करने लगी। मैं भी चूची को बदल बदल कर चूस कर उसको धीरे धीरे चोदने लगा।
फ़िर मैंने डिम्पल की आँखों में आँखें डाल कर पूछा- अब कैसा लग रहा है?

तो डिम्पल ने मेरे मुँह पर थप्पड़ मारा और मैंने डिम्पल की चूची को चूसते हुए थोड़ा सा काट दिया और चोदने की स्पीड को धीरे धीरे बढ़ाने लगा और चोदने लगा।
अब डिम्पल भी मेरा साथ देने लगी और उसके मुँह से मीठी मीठी सिसकारी निकलने लगी, मैं समझ गया कि उसको भी मज़ा आने लगा है और मेरी हर धक्के पर मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी।
मैंने उसकी चूची को मुँह से निकाला और उसे कहा- मुझे लगता है तेरी चूत को मेरा लण्ड चाहिए और तुझे भी अच्छा लग रहा है। अब तो तुम मुझसे रोज़ चुदवाओगी!
तो डिम्पल अपनी आँखों को बंद करते हुए कुछ नहीं बोली।
मैं भी डिम्पल को जोर-जोर से चोदने लगा और हर धक्के का जवाब मुझे आ आ ऊ ऊह प्लीज़ भैया धीरे! भैया धीरे! में मिलने लगा।मैंने डिम्पल से पूछा- अब तो बता दो तुम और भाभी कितने दिनों से करती हो?
डिम्पल ने कुछ नहीं कहा और मैं उसकी चूची को चूसते हुए चोदने लगा। करीब पांच मिनट के बाद डिम्पल मेरे पीठ पर नाखून गड़ाने लगी और अपने कूल्हे हिलाने लगी और जोर से सिसकारते हुए निढाल हो गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ? तो बोली- होना क्या था? तुमने मेरी जान निकाल दी! मैं थक चुकी हूँ, मुझे छोड़ दो! मैंने कहा- आज की रात तो तुमको छोड़ने वाला नहीं, तुझे चोद-चोद कर तेरी चूत का भोंसड़ा बनाकर ही छोड़ूँगा। तो डिम्पल बोली- प्लीज़!

मैं उसकी चूत से लण्ड निकाल कर जोर से अन्दर कर फिर से जोर जोर से चोदने लगा और लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए उसकी चूत में झर गया और उसके ऊपर लेट कर उसको चूमने लगा।
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं उठा और बाथरूम में गया और वापिस आकर डिम्पल को बोला- तुम भी पेशाब कर आओ! तो डिम्पल शरमाते हुए बोली- हाँ!
मैंने डिम्पल को अपनी बाहों में लिया, उसको उठाया, बाथरूम में ले गया और बोला- जल्दी से कर लो! तो बोली- भैया आप बाहर जाओ, मैं कर लूँगी!
मैंने कहा- अब क्या शरमाना? अब तो हम दोस्त हैं। मतलब प्रेमी! समझ लो कि हम पति-पत्नी की तरह हैं, जल्दी से फ्रेश हो जाओ।
डिम्पल ने मेरी बात सुनने के बाद उलटी हो कर पेशाब किया और पानी से चूत को धोया और उठ कर जैसे ही घूमी, मैंने फिर से उसको बाहो में उठाया और fबिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने सोचा कि एक बार और हो जाए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
thanks yourock
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#11
(18-01-2024, 04:13 PM)neerathemall Wrote: thanks yourock

thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
ननद का बदन भाभी की चूत
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#13
(18-01-2024, 04:13 PM)neerathemall Wrote:
ननद का बदन भाभी की चूत

ननद का बदन भाभी की चूत
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
(18-01-2024, 04:14 PM)neerathemall Wrote: ननद का बदन भाभी की चूत

ननद का बदन भाभी की चूत
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#15
(18-01-2024, 04:14 PM)neerathemall Wrote:
ननद का बदन भाभी की चूत

हुआ कुछ यूँ था कि… नीलम नाम था उसका, हमारे पड़ोस में ही उसका परिवार किराए पर रहने के लिए आया था। मैं वैसे तो ज्यादा समय अपने काम में ही व्यस्त रहता था पर उस दिन शायद एक नई चूत का मेरी जिन्दगी में आगमन होना था।
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मैं सुबह के लगभग दस बजे नहा कर सूर्य को जल चढ़ाने के लिए अपने मकान की छत पर गया। जल चढ़ाने के बाद जैसे ही मैंने वापिस नीचे आने के लिए मुड़ा तो मेरी नजर अकस्मात् ही पड़ोस के घर की तरफ चली गई, वहाँ हो रही हलचल ने मेरा ध्यान खींच लिया था। मैंने थोड़ा आगे जाकर देखा तो लंड महाराज ने एकदम से करवट ली।
नीलम, लगभग अठारह उन्नीस साल की एक जवान और खूबसूरत लड़की बिल्कुल नंगी होकर बाथरूम में बैठी नहाने की तैयारी कर रही थी। हमारे मकान की पिछली तरफ था वो मकान और उसके पीछे के हिस्से में ही उसके बाथरूम और टॉयलेट थे। क्यूंकि वो नए नए आये थे तो उन्हें नहीं पता था कि मेरे घर की छत से उनके बाथरूम का नजारा स्पष्ट नजर आता है। नंगी जवान लड़की देख कर किस कमबख्त का ईमान नहीं डोल जाएगा! फिर मैं तो ठहरा चूत का रसिया!
लंड ने करवट ली तो पाँव वही जम गए, नीलम की पीठ थी मेरी तरफ, मस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन हो रहे थे, बार बार मन कर रहा था कि यह यौवना पलट जाए और इसके आगे का नजारा भी देखा जाए। और फिर जैसे उसने मेरे मन की बात सुन ली, उसने अपने आगे रखी पानी की बाल्टी उठाई और खुद घूम कर बैठ गई, उसकी गोरी गोरी संतरे के आकार की चूचियाँ देखते ही मेरे लंड ने बगावत कर दी और वो अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को उतावला होने लगा था। कपड़े धोते हुए जब वो हिल रही थी तो उसकी हिलती चूचियाँ कयामत लग रही थी, उसकी टांगों के बीच भूरे रंग की झांटों का झुरमुट नजर आ रहा था। मैं काम पर जाना भूल कर बस उसके सेक्सी बदन का आँखों से रसपान कर रहा था।
तभी मेरे घर के अन्दर से किसी ने मुझे आवाज दी। यही गलती हो गई कि मैंने भी जवाब में जोर से बोल दिया ‘अभी आया!’ मेरी आवाज सुनते ही नीलम की नजर मुझ पर पड़ी और उसने हड़बड़ा कर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया। यह देख कर कि नीलम ने मुझे देख लिया है मैं भी थोड़ा सकपका गया और जल्दी से वहाँ से नीचे भागा।
उस दिन से मेरा यह हर रोज का काम हो गया पर वो दुबारा मुझे नंगी नजर नहीं आई। जब भी उसकी मेरी आँखें मिलती, वो शरमा कर अन्दर भाग जाती। एक हफ्ता ऐसे ही निकल गया। हफ्ते बाद जब मैं ऊपर गया तो मुझे नीलम तो नजर नहीं आई पर लगभग तीस साल की भरे भरे शरीर वाली एक गोरी गोरी औरत के दर्शन हुए। उसको मैंने पिछले एक हफ्ते में पहली बार देखा था, खूबसूरती के मामले में यह नीलम से इक्कीस ही थी। बड़े बड़े चूचे, मस्त मोटी गांड, तीखे नयन-नक्श… कुल मिला कर मस्त माल थी।
अब मेरा लंड नीलम की चूत के लिए तड़पने लगा था पर कोई जुगाड़ नहीं बन रहा था। तड़पने का एक कारण यह भी था की बीवी की चूत भी बहुत दिन से नसीब नहीं हुई थी क्यूंकि आपका भाई उसके महीने पहले ही बाप बना था, बीवी ने बेटे को जन्म दिया था, एक महीना यह और लगभग दो महीने बच्चा होने से पहले से ही बीवी की चूत नहीं मार सकता था। बाहर वाला जुगाड़ चलता था पर घर पर रात को लंड महाराज बहुत परेशान करते थे।
अब पड़ोस में दो मस्त माल थे पर क्या करें, यार समय ही नहीं मिल रहा था सेटिंग करने का। करीब दस बारह दिन बाद एक दिन मैं घर पर बैठा अपना कुछ काम कर रहा था तो दरवाजे की घंटी बजी। घर पर उस समय कोई नहीं था और मैं लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। जब दो तीन बार घंटी बजी तो मैंने उठ कर दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही सामने नीलम खड़ी थी।
मुझे सामने देखते ही वो शरमा गई। मैंने दो तीन बार पूछा कि ‘क्या काम है?’ पर उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी।मैंने उसका कन्धा पकड़ कर हिलाया तो वो बोली- भाभी से कोई काम था। मैंने उसको अन्दर आने के लिए कहा तो वो मेरे पीछे पीछे अन्दर आ गई। आते ही उसने मेरी बीवी के बारे में पूछा तो मैंने बता दिया कि वो डॉक्टर के यहाँ गई है।
वो दुबारा आने का कह कर वापिस जाने लगी तो मुझे लगा कि मौका हाथ से जा रहा है पर जबरदस्ती भी तो नहीं कर सकता था। और फिर उसके मन की बात भी तो मुझे पता नहीं थी। फिर भी मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ कर उसको अपनी तरफ खींचा और बोला- तुम बहुत खूबसूरत हो और बहुत सेक्सी भी… तुम मुझसे दोस्ती करोगी?
मेरी इस हरकत से वो घबरा गई और अपना हाथ छुड़वाकर भाग गई। एक बार तो मेरी फटी कि कहीं यह घर जाकर किसी को कुछ बता ना दे। पर मैंने बाहर निकल कर देखा तो वो अपने घर के दरवाजे तक पहुँच कर रुक गई थी और मेरे घर की तरफ ही देख रही थी।मैंने उसको फ्लाइंग किस किया तो उसने शर्मा कर अपनी गर्दन झुका ली, उसके होंठों पर एक मुस्कान नजर आ रही थी। उसने भी शरमाते हुए फ्लाइंग किस किया और फिर शर्मा कर अपने घर के अन्दर चली गई।
आधा मामला पट गया था, अब तो समय और मौके की तलाश थी पर वही नहीं मिल रहा था। अब तो नीलम का हमारे घर हर रोज का आना जाना हो गया। पर परिवार के बीच में मैं उसको कुछ कह भी नहीं सकता था और कुछ करने का तो सवाल ही नहीं उठता। वो आती अपनी सेक्सी स्माइल से मेरे लंड को झटका देकर चली जाती। आठ दस दिन ऐसे ही निकल गए।



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एक दिन फिर वही मौका आया, मैं उस दिन भी घर पर अकेला था वो आई, मैंने झट से उसकी बांह पकड़ी और उसको अन्दर ले गया। वो घबरा रही थी पर मैंने उसको अपनी बाहों में भर कर धीरे धीरे उसके बदन को सहलाने लगा। वो कांप रही थी, पता नहीं डर के या मस्ती के मारे… पर मुझे उसके मक्खन जैसे बदन को सहलाने में बहुत मज़ा आ रहा था। बदन को सहलाते सहलाते मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
पहले पहल तो थोड़ा सा छटपटाई पर फिर वो भी मेरे चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी। करीब दस मिनट तक हम दोनों चिपके रहे, दिल तो कर रहा था कि पकड़ के चोद दूँ पर दिन का समय था और किसी भी समय मेरे घर के सदस्य वापिस आ सकते थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अचानक गेट पर कुछ हलचल हुई तो मैंने नीलम को छोड़ दिया। तभी दरवाजे पर नीलम की भाभी नजर आई, वो दरवाजा खोल कर अंदर आ गई थी। नीलम को मेरे साथ अकेला देख कर शायद उसे शक हो गया था तभी तो वो कुछ अजीब सी निगाह से मुझे और नीलम को देख रही थी। भाभी को सामने देख कर नीलम का भी रंग उड़ गया था जो भाभी के शक को यकीन में बदलने के लिए काफी था। नीलम चुपचाप बाहर निकल कर अपने घर चली गई।
भाभी अभी भी मेरे पास ही खड़ी थी जैसे पूछना चाहती हो कि मैं नीलम के साथ क्या कर रहा था। मैंने भाभी को बैठने के लिए कहा तो भाभी मेरी उम्मीद के विपरीत सोफे पर बैठ गई। मेरा मन बहाना तलाश करने में व्यस्त था, तभी भाभी ने पूछ ही लिया- आपकी बीवी कहाँ है? ‘वो डॉक्टर के पास गई है!’
‘तभी अकेले में मेरी ननद के साथ सेटिंग बना रहे थे?’ ‘यह आप क्या कह रही हैं?’ मैंने थोड़ा डरते हुए कहा। ‘देखिये शर्मा जी… वो ननद है मेरी और वो मुझ से कुछ भी नहीं छुपाती, उसने मुझे सब कुछ बता दिया है।’ ‘ओह्ह्ह…’ जी हाँ… मुझे सब पता है कि कैसे आप छत से उसे नहाते हुए देख रहे थे और कैसे आप फ्लाइंग किस उड़ा रहे थे।’ मेरी फट के हाथ में आने को थी, उसके चेहरे पर गुस्से के भाव साफ़ नजर आ रहे थे, मैंने माफ़ी माँगते हुए कहा कि ये सब दुबारा नहीं होगा।
अचानक ही उसने वो कह दिया जो अगर कोई औरत किसी लड़के को बोल दे तो वो शहंशाह से कम नही समझेगा आपने आप को। ‘देखिये शर्मा जी… मैं आपको गलत नही समझ रही क्यूंकि आप हैं ही इतने मस्त कि नीलम तो क्या मैं भी आपकी दीवानी हो गई हूँ।’ ‘क्य्यय्य्या…’
मेरे कानों में जैसे बम फूटा, मैंने मन ही मन में कहा कि मेरी तो गांड वैसे ही फट रही थी जबकि यह तो नीलम के साथ फ्री गिफ्ट वाली निकली। मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम सुमन बताया। ‘भाभी जी, सच कहूँ तो मुझे भी आप बहुत मस्त लगती है। पर नीलम भी मुझे प्यार करने लगी है तो…’ भाभी ने तेवर बदले- मुझे पता है शर्मा जी कि आपकी नजर में नीलम के लिए प्यार है या उसकी फाड़ने की चाहत.. पर समझ लो मेरे होते उसकी लेने के बारे में तो सोचना भी मत… सुमन ने थोड़ा धमकाते हुए कहा। ‘भाभी तुम तो वैसे ही परेशान हो रही हो, जब तक आपका आशीर्वाद नहीं होगा, मैं कुछ नहीं करूँगा।’
भाभी थोड़ा सीरियस मूड में आ गई- शर्मा जी… नीलम मेरी ननद ही नहीं, मेरी सहेली भी है। मैं नहीं चाहती कि वो शादी से पहले ही सेक्स के बारे में सोचे भी। आजकल की दोस्ती में चुदाई आम बात हो गई है तो डर लगता है। वो बोलती रही पर मेरी सुई तो उसने जो शब्द चुदाई बोला उस पर ही अटक गई थी कि कैसे सुमन ने बिना किसी हिचक के एक पराये मर्द के सामने चुदाई शब्द बोल दिया था।
मैंने घड़ी की तरफ देखा, मेरी बीवी के आने का समय हो रहा था, मैंने सुमन से पूछा- आप साफ़ साफ़ बोलो जो मन में है? ‘मैं यह कहना चाहती हूँ कि…’ ‘अरे भाभी जी बोलो भी…?’ ‘मैं यह कहना चाहती हूँ कि… अगर… अगर आप नीलम से प्यार करते हैं तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है पर अगर आपका मन उसके साथ सेक्स करने का है तो आप मुझे चोद सकते हैं… प्लीज उसको खराब मत करना।’
उसको यह बात बोलते बोलते पसीने आ गए और मुझे ये सब सुनकर कि कैसे एक औरत साफ़ शब्दों में अपनी चुदाई का निमंत्रण दे रही है। समझ में नहीं आ रहा था कि यह ननद के लिए प्यार था या सच में मेरी दीवानी हो गई थी। वो उठ कर जाने लगी ही थी कि तभी मेरी बीवी आ गई। इससे पहले मैं कुछ बोलता, वो बोल पड़ी- भाभी जी कुछ देर के लिए आपकी बड़े वाली कढ़ाअई देंगी?
बीवी ने बिना कुछ बोले उसको कढ़ाई पकड़ा दी और वो लेकर चली गई। उस रात बीवी ने उसके बारे में बात कर कर के मेरे दिमाग की दही कर दी कि वो अकेले में क्यों आई थी और अगर आई थी तो वो घर के अन्दर क्यों थी… तुमने गेट पर ही उसको क्यों नहीं बताया की मैं घर पर नहीं हूँ…??
जैसे तैसे उसको शान्त किया पर अगले ही दिन से सुमन और नीलम दोनों को चोदने की छटपटाहट होने लगी। अब तो ऑफिस से भी जितना जल्दी हो सकता घर वापिस आ जाता और छत पर जाकर सुमन या नीलम में से जो भी सामने होती ताड़ता रहता।
फिर एक दिन… सुमन मेरे पास आई और मेरा फोन माँगा, बोली कि मेरे मोबाइल में अभी बैलेंस खत्म हो गया है तो क्या वो मेरे फ़ोन से फ़ोन कर ले? मेरे बीवी भी वहीं खड़ी थी, मैंने मना कर दिया तो बीवी ने ही फ़ोन देने के लिए बोला तो मैंने फ़ोन दे दिया। उसने दो तीन बार एक नंबर मिलाया पर सामने वाले ने उठाया नहीं तो उसने मेरा फ़ोन वापिस कर दिया।
तीन दिन के बाद मेरी बीवी का भाई उसे लेने आ गया। बच्चा होने के बाद से वो अपने मायके नहीं गई थी। एक रात को रुकने के बाद वो मेरी बीवी को लेकर चला गया, अब मैं अगले लगभग एक महीने के लिए आज़ाद पंछी था।
उसी रात को खाना खाने के बाद मैं जब टहलने निकला तो मेरे फ़ोन की घंटी बजी। यह वही नंबर था जो सुमन ने मिलाया था। मैंने उठाया तो उधर से किसी औरत की आवाज आई। आवाज कुछ सुनी सुनी सी लग रही थी। खैर थोड़ी देर में ही उसने बता दिया की वो सुमन बोल रही है और उस दिन वो मेरा फ़ोन नंबर लेने के लिए आई थी पर बीवी के पास में होने के कारण उसने वो कॉल का बहाना बना कर अपने ही नंबर पर घंटी मारी थी ताकि नंबर उसके फ़ोन में आ जाए।
मैंने पहले तो सोचा कि यह फ़ोन पर वैसे ही बिल बनाएगी तो उससे पूछ लिया- कोई काम है क्या? वो तो जैसे मेरे इसी सवाल का इंतजार कर रही थी, झट से बोली- राज जी, आज मेरे पति की रात की ड्यूटी है और मैं रात को अपने कमरे में अकेली हूँ… और आप भी तो बीवी के जाने के बाद से अकेले हैं… तो क्यों ना आज रात आप मेरे घर आ जाओ।
‘अरे… भाभी जी पिटवाने का इरादा है क्या… पड़ोस में से किसी ने भी अगर देख लिया तो मेरा तो जलूस निकल जाएगा।’ ‘क्या राज जी, मैं औरत होकर भी नहीं डर रही और आपकी मर्द होकर भी फट रही है?’ ‘ऐसा नहीं है सुमन मैडम… घर पर बीवी के अलावा और लोग भी है… उनको भी तो कुछ बोलना पड़ेगा कि कहाँ जा रहा हूँ रात में!’ ‘बोल देना दोस्त के घर पार्टी है… और फिर थोड़ी देर घूम फिर के मौका देखते ही मेरे घर आ जाना। वैसे भी आपकी और हमारी छत नजदीक नजदीक तो है ही। अगर कोई दिक्कत हुई तो छत के रास्ते घर में चले जाना।’
मैं सोचता ही रह गया कि बहनचोद की चूत में क्या खुजली हो रही है जो सारी प्लानिंग करके बैठी है। ‘मैंने आपना आखरी पत्ता फेंका और बोला- नीलम की चूत के दर्शन भी करवाने का वादा करो तो पक्का आ जाऊँगा।’
ऐसा सुनते ही वो उखड़ गई और बोली- आना है तो आओ, नीलम की नहीं लेने दूंगी। कहकर उसने फ़ोन काट दिया। मैंने सोचा कि चलो चूत तो मिल ही रही है, सुमन की लेने के बाद एक ना एक दिन नीलम को भी चोद ही लेंगे।
मैंने सुमन के नंबर पर फ़ोन मिलाया तो पहली ही घंटी बजते ही सुमन ने फ़ोन उठा लिया। मैंने उससे पूछा कि मेरी बात पर गौर किया क्या? तो उसका जवाब सुन कर मेरे लंड ने पजामे में तम्बू बना दिया।
सुमन बोली- चूत तो तुम्हें मेरी ही मिलेगी पर तुम्हारे लिए इतना कर सकती हूँ कि तुम नीलम को किस कर सकते हो उसके बदन का ऊपर से मज़ा ले सकते हो। अगर मंजूर है तो रात को साढ़े दस बजे से ग्यारह बजे तक मेरे घर का दरवाजा खुला रहेगा… आगे आपकी मर्जी। कहकर उसने फिर से फ़ोन काट दिया।
मैं रात को घर पर सुबह तक आने की कह कर नौ बजे ही निकल गया। साढ़े दस बजे तक मार्किट में घूमने के बाद मैं वापिस सुमन के घर की तरफ चल दिया। पहले अपने घर और गली का जायजा लिया कि कोई मुझे सुमन के घर में घुसते हुए देख ना ले। जैसे ही मैं सुमन के घर के दरवाजे पर पहुँचा तो देखा कि सुमन पहले से ही दरवाजे पर खड़ी थी।
मैं झट से घर के अंदर घुस गया, मेरे अंदर आते ही सुमन ने मेन गेट बंद किया और मुझे घर के अन्दर ले गई। सामने के दरवाजे पर नीलम खड़ी थी। सुमन ने मुझे दस मिनट दिए नीलम से बात और मज़ा करने के लिए और साथ ही सख्त शब्दों में हिदायत भी दी कि चुदाई के बारे में सोचना भी मत। सुमन मुझे और नीलम को छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
मैं झट से घर के अंदर घुस गया, मेरे अंदर आते ही सुमन ने मेन गेट बंद किया और मुझे घर के अन्दर ले गई। सामने के दरवाजे पर नीलम खड़ी थी। सुमन ने मुझे दस मिनट दिए नीलम से बात और मज़ा करने के लिए और साथ ही सख्त शब्दों में हिदायत भी दी कि चुदाई के बारे में सोचना भी मत। सुमन मुझे और नीलम को छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई।
सुमन के जाते ही नीलम को मैंने अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपने होंठ नीलम के होंठों पर लगा दिए। नीलम तो शर्म के मारे सिमटती जा रही थी, उसके शरीर में सरसराहट स्पष्ट महसूस हो रही थी।
लगभग दस मिनट हम दोनों आपस में लिपटे रहे, अब तो नीलम भी खुल कर साथ दे रही थी। मेरे हाथ उसकी चूचियों और जाँघों पर आवारगी कर रहे थे, नीलम की चूत पानी पानी हो रही थी पर मजबूरी थी, सुमन के रहते कुछ कर जो नहीं सकते थे।
हम दोनों एक दूसरे में इतना मस्त थे कि सुमन कब आकर हमारे पास खड़ी हो गई, पता ही नहीं चला। उसने हम दोनों को अलग अलग किया और नीलम को बाहर जाने के लिए बोल दिया। नीलम किसी जिद्दी बच्चे की तरह झुँझलाई और फिर पैर पटकते हुए चली गई।

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नीलम के जाते ही सुमन मेरे गले से लग गई और एक हाथ से मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी। लंड तो पहले से ही लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था, कड़क लंड हाथ में आते ही सुमन भी मस्ती में झूमने लगी और बिना देर किये उसने मेरी पैंट अंडरवियर सहित नीचे खींच दी और तन के खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। मैं भी उसकी मस्त मुलायम चूचियों को मसल रहा था।
मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया तो नीलम दरवाजे की दरार में से झाँक कर हम दोनों की रासलीला देख रही थी। मैंने भी उसकी तड़प को और बढ़ाने के लिए सुमन के साथ खुल के मज़े लेने शुरू कर दिए। मैंने सुमन को उठाया और उसके कपड़े उसके बदन से कम करने शुरू कर दिए और अगले दो मिनट में ही हम दोनों पूर्ण नग्न अवस्था में थे। लंड कड़क होकर तनकर सुमन की चूत में घुसने को बेताब हो रहा था। मैंने सुमन को लंड चूसने के लिए बोला तो उसने बिना देर किये मेरे लंड का सुपारा अपने होंठों में दबा लिया और धीरे धीरे जीभ को घुमाते हुए लंड को चाटने और चूसने लगी।
सेक्स किये मुझे भी काफी दिन हो गए थे तो मैं भी मस्ती के समंदर में गोते लगाने लगा, मेरे मुँह से सीत्कारें निकलने लगी थी- आह्ह्ह… क्या चूसती हो मेरी जान… तुम पहले क्यों नही मिली मुझे.. चूसो… आह्ह्ह… और चूसो!
सुमन पाँच मिनट तक लंड चूसती रही और मैं उसकी मुलायम मुलायम चूचियों का मज़ा लेता रहा। अब मेरी भी इच्छा हो रही थी सुमन की चूत का रस पीने की तो मैंने सुमन को उठा कर बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत को जीभ घुसा कर चोदने लगा। सुमन तो जैसे पागल हो गई थी, उसके पति ने कभी भी उसकी चूत को चाट कर मज़ा नहीं दिया था। यह पहली बार था जब उसकी चूत को कोई चाट रहा था, सुमन की चूत पानी छोड़ रही थी।
थोड़ी देर चूसने के बाद मैं भी बेड पर आ गया और 69 की पोजीशन में आकर लंड सुमन के मुंह में दे दिया और खुद उसकी चूत के स्वादिष्ट पानी का रसपान करने लगा। सुमन मस्ती के मारे उछल उछल कर अपनी चूत को चटवा रही थी और लंड को पूरा मुंह में भर भर कर चूस रही थी।
मेरी नजर नीलम की तरफ गई तो वो भी अपनी सलवार उतार कर अपनी चूत को पागलों की तरह मसल रही थी। स्पष्ट था कि वो भी अब चुदने को मरी जा रही थी पर सुमन के डर से वो मजबूर थी। मैंने भी मन ही मन सोचा कि नीलम को भी अब चोदे बिना छोडूंगा नहीं।
दस मिनट चूत का रसपान करने और लंड चुसवाने के बाद अब मेरा लंड सुमन की चूत की सैर करने को तैयार था। मैंने लंड सुमन के होंठों से अलग किया और उसकी टाँगें उठाकर लंड को उसकी चूत के मुहाने पर सटा दिया, सुमन की चूत भी लंड लेने को तैयार थी, वो गांड को ऊपर उठा कर लंड को अन्दर लेने को बेताब ?
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मैंने भी बिना देर किये एक जोरदार धक्के के साथ आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। सुमन की चूत खेली खाई चूत थी, दूसरे ही धक्के में पूरा लंड जड़ तक सुमन की चूत में समा गया।
पूरा लंड घुसते ही बेड पर जैसे भूचाल आ गया, दोनों ही चुदाई के एक्सपर्ट थे, दोनों तरफ से धक्कों का जवाब जोरदार धक्कों से मिल रहा था। हम दोनों की सिसकारियाँ और सीत्कारें कमरे के माहौल को गर्म कर रही थी और हमारी चुदाई देख कर नीलम भी अपनी चूत को रगड़ रगड़ कर पागल हुई जा रही थी।
सुमन और मैं दोनों ही चुदाई में बुरी तरह से लिप्त थे, पूरा बेड हमारे धक्कों से हिल रहा था, सुमन की चूत से पानी का दरिया बह रहा था, वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी पर उसकी स्पीड और मस्ती में अभी भी कोई कमी नहीं आई थी और वो अभी भी गांड उछाल उछाल कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।
पाँच सात मिनट इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने सुमन को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड उसकी चूत में घुसा दिया और लगभग दस मिनट तक उसकी चूत की अपने लंड से रगड़ाई करता रहा। अब तो सुमन की भी बस होने लगी थी, वो अब इंतज़ार कर रही थी कि कब मेरे लंड का गर्म गर्म लावा उसकी चूत की आग को ठंडा कर दे।
इसके लिए उसको ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और बीस पच्चीस धक्कों के बाद मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य सुमन की चूत के अन्दर ही उगल दिया। मेरे वीर्य को महसूस करते ही सुमन एकदम से पस्त होकर बेड पर पसर गई, उसकी चूत झरझर करके झड़ रही थी। मैं भी उसके ऊपर ही लेट कर लम्बी लम्बी साँसें ले रहा था।
तभी हम शान्त भी नहीं हुए थे कि नीलम कमरे में आ गई, उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, आते ही वो सुमन के पास बैठ गई। सेक्स की आग उसकी आँखों में स्पष्ट नजर आ रही थी।
सुमन उसको देखते ही भड़क गई और उसको वहाँ से जाने के लिए कहने लगी पर नीलम ने उसके पाँव पकड़ लिए और मिन्नत करने लगी- भाभी, प्लीज एक बार मुझे कर लेने दो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी। पर सुमन मानने को तैयार ही नहीं थी। मैंने भी सुमन से कहा कि यार ले लेने दो इसको भी चुदाई का मज़ा… देखो तो कैसे तड़प रही है अपनी चूत फड़वाने को। पर सुमन टस से मस नहीं हुई।
नीलम ने यहाँ तक कहा कि अगर उसने उसे चुदवाने नहीं दिया तो वो भैया को बता देगी पर सुमन फिर भी नहीं मानी। बहुत देर की मिन्नत के बाद सुमन ने नीलम को सिर्फ अपनी चूत चटवा कर मज़ा लेने की इजाजत दी। बेचारी क्या करती वो इसी में खुश हो गई। मैं भी कुँवारी चूत का रस पाकर अपने आप को धन्य समझ रहा था। चुदाई के लिए तो सुमन थी ही और नीलम चूत चटवाने के लिए।
सुमन की इजाजत मिलते ही मैंने नीलम के नंगे बदन को बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। नीलम ने भी बिना किसी झिझक के मेरा लंड पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। मैंने नीलम को बेड पर लेटाया और 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड नीलम के मुंह में भर दिया और उसकी हल्की झांटों के बीच में छिपी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिरा दी। कुँवारी चूत का पानी जिसने भी पीया है उसको पता ही होगा कि कितना स्वादिष्ट होता है कुँवारी चूत का पानी।
मैं मस्त होकर नीलम की चूत को चाट और चूस रहा था और नीलम भी मस्ती के मारे सिसकारियाँ ले रही थी और धीरे धीरे मेरे लंड को चूस और चाट रही थी। सुमन हमारे पास ही नंगी लेटी हुई हम दोनों की रासलीला देख रही थी। बीच बीच में वो नीलम की चूचियाँ मसल देती तो कभी मेरे टट्टे सहला देती। हम दोनों की रासलीला देख कर सुमन भी फिर से गर्म होने लगी थी।
करीब दस पंद्रह मिनट की चूत चुसाई के बाद नीलम झड़ गई और मेरे लंड ने भी नीलम का गला अपने गर्म गर्म वीर्य से तर कर दिया जिसे वो पूरा चाट गई। पानी निकल जाने से नीलम कुछ शान्त हो गई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सुमन ने जैसे ही देखा कि हम दोनों का ही काम हो गया है तो उसने नीलम को अपने कमरे में जाने को कहा। नीलम अनमने से मन के साथ उठ कर कमरे से चली गई।
नीलम के जाते ही सुमन ने मेरा लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी। दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से कड़क हुआ तो सुमन मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर ऊपर से गांड उछल उछल कर मज़ा लेने लगी। उसकी चूचियाँ मेरे सामने झूल रही थी जिन्हें मैंने मुंह में भर लिया और चूसने लगा।
बेड पर फिर से भूचाल आ गया था, कभी सुमन ऊपर और मैं नीचे तो कभी मैं ऊपर और सुमन नीचे। करीब बीस मिनट तक चुदाई का दौर चला और फिर दोनों शान्त होकर लेट गये।
रात के तीन बज चुके थे, सुबह पाँच बजे सुमन के पति के आने का समय था। अब ना तो मैं सो सकता था और ना ही बाहर जा सकता था। अब किया क्या जाए? इसी उलझन में थे कि सुमन का पति बाहर आ गया। सुमन ने घड़ी देखी, अभी तो साढ़े तीन ही बजे थे और पति वापिस आ गया था। अब तो सुमन की फट गई। सुमन की ही क्या, अब तो मेरी भी फट गई। बदनामी के डर से मेरी हालत ख़राब हो रही थी।
कुछ सोच कर सुमन ने मुझे नीलम के कमरे में जाने को कहा। मैंने अपने कपड़े उठाये और नीलम के कमरे में चला गया। नीलम बेड पर नंगी लेटी हुई थी और सो रही थी।
मैंने उसके कमरे में जाकर अपने कपड़े पहने और नंगी नीलम के पास जाकर बैठ गया। नंगे बदन को देख कर मेरा शैतान फिर से हरकत में आ रहा था पर सुमन के पति के आने से जो टेंशन हो रही थी वो शैतान को शान्त करने क लिए काफी थी। करीब आधे घंटे बाद नीलम के कमरे के दरवाजे पर कुछ हलचल हुई तो मैं जाकर परदे के पीछे खड़ा हो गया। लाइट पहले से ही बंद थी। तभी दरवाजे पर सुमन नजर आई तो मैं परदे के पीछे से बाहर आ गया।
सुमन ने आते ही मुझे बताया कि उसके पति की तबियत ख़राब हो गई थी इसीलिए वो वापिस आ गया है और अब वो चाय पीकर सो चुका है। मैंने सुमन को पकड़ कर अपनी बाहों में भर लिया और प्यार करने लगा तो वो बोली- मेरे राजा, आज के लिए इतना ही काफी है। बाकी अगली बार करेंगे जब मौका मिलेगा।
मैंने बाहर आकर देखा तो लोग सुबह की सैर के लिए सड़क पर नजर आने लगे थे। मैं मौका देखकर बाहर आया और सैर करने वालों में शामिल हो गया। सुबह छ: बजे तक मैं पार्क में बैठा रहा और फिर अपने घर चला गया।
उसके बाद दुबारा एक बार और मौका मिला पर उस दिन इस से भी बुरा हुआ। मुझे नहीं पता था कि सुमन की सास यानि नीलम की माँ आई हुई है। सुमन ने मुझे बताया कि उसने अपनी सास को दूध में नींद की गोली दे दी है पर रात को करीब एक बजे जब सुमन और मैं चुदाई करने में मस्त थे, सुमन की सास कमरे में आ गई। उसने सुमन को और मुझे बहुत बुरा भला कहा और मुझे रात को एक बजे ही घर से बाहर निकाल दिया।
मेरी फटी हुई थी कि अब क्या होगा! कहीं सुमन की सास मेरे घर ना आ जाए। ऊपर से रात को एक बजे मैं घर भी नहीं जा सकता था। कुछ देर पार्क में बैठा पर अकेले कितनी देर बैठता। फिर बहुत सोच कर एक दोस्त को फ़ोन किया। यह मेरी किस्मत ही थी वो पेशाब करने के लिए उठा था और जाग रहा था।
मैंने उसको बात बताई तो वो बाइक पर मुझे लेने आ गया और फिर करीब तीन बजे मैं उसके कमरे पर जाकर सो गया। सुमन की सास ने बात आगे नहीं बढ़ाई। मैंने भी चैन की सांस ली।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#17
फिर दुबारा मैं कभी सुमन के पास नहीं गया। वो कई बार बुलाती थी पर मैं मना कर देता।

फिर एक दिन सुबह जब उठा तो पता लगा कि सुमन के घर में झगड़ा हो रहा है। पता लगा कि सुमन को उसके पति ने अपने बड़े भाई के साथ मस्ती करते हुए पकड़ लिया है और इसी बात को लेकर उनके घर में झगड़ा हो रहा है। फिर अगले दिन ही वो हमारे पड़ोस से मकान खाली करके चले गये।

अब मुझे नहीं पता की वो कहाँ गए हैं, मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि वो चले गए हैं पर इस बात का मलाल जरूर है कि नीलम की जवान चूत बिना चुदे ही मेरे पड़ोस से चली गई है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
(18-01-2024, 04:19 PM)neerathemall Wrote: मैं झट से घर के अंदर घुस गया, मेरे अंदर आते ही सुमन ने मेन गेट बंद किया और मुझे घर के अन्दर ले गई। सामने के दरवाजे पर नीलम खड़ी थी। सुमन ने मुझे दस मिनट दिए नीलम से बात और मज़ा करने के लिए और साथ ही सख्त शब्दों में हिदायत भी दी कि चुदाई के बारे में सोचना भी मत। सुमन मुझे और नीलम को छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई।
सुमन के जाते ही नीलम को मैंने अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपने होंठ नीलम के होंठों पर लगा दिए। नीलम तो शर्म के मारे सिमटती जा रही थी, उसके शरीर में सरसराहट स्पष्ट महसूस हो रही थी।
लगभग दस मिनट हम दोनों आपस में लिपटे रहे, अब तो नीलम भी खुल कर साथ दे रही थी। मेरे हाथ उसकी चूचियों और जाँघों पर आवारगी कर रहे थे, नीलम की चूत पानी पानी हो रही थी पर मजबूरी थी, सुमन के रहते कुछ कर जो नहीं सकते थे।
हम दोनों एक दूसरे में इतना मस्त थे कि सुमन कब आकर हमारे पास खड़ी हो गई, पता ही नहीं चला। उसने हम दोनों को अलग अलग किया और नीलम को बाहर जाने के लिए बोल दिया। नीलम किसी जिद्दी बच्चे की तरह झुँझलाई और फिर पैर पटकते हुए चली गई।

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नीलम के जाते ही सुमन मेरे गले से लग गई और एक हाथ से मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी। लंड तो पहले से ही लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था, कड़क लंड हाथ में आते ही सुमन भी मस्ती में झूमने लगी और बिना देर किये उसने मेरी पैंट अंडरवियर सहित नीचे खींच दी और तन के खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। मैं भी उसकी मस्त मुलायम चूचियों को मसल रहा था।
मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया तो नीलम दरवाजे की दरार में से झाँक कर हम दोनों की रासलीला देख रही थी। मैंने भी उसकी तड़प को और बढ़ाने के लिए सुमन के साथ खुल के मज़े लेने शुरू कर दिए। मैंने सुमन को उठाया और उसके कपड़े उसके बदन से कम करने शुरू कर दिए और अगले दो मिनट में ही हम दोनों पूर्ण नग्न अवस्था में थे। लंड कड़क होकर तनकर सुमन की चूत में घुसने को बेताब हो रहा था। मैंने सुमन को लंड चूसने के लिए बोला तो उसने बिना देर किये मेरे लंड का सुपारा अपने होंठों में दबा लिया और धीरे धीरे जीभ को घुमाते हुए लंड को चाटने और चूसने लगी।
सेक्स किये मुझे भी काफी दिन हो गए थे तो मैं भी मस्ती के समंदर में गोते लगाने लगा, मेरे मुँह से सीत्कारें निकलने लगी थी- आह्ह्ह… क्या चूसती हो मेरी जान… तुम पहले क्यों नही मिली मुझे.. चूसो… आह्ह्ह… और चूसो!
सुमन पाँच मिनट तक लंड चूसती रही और मैं उसकी मुलायम मुलायम चूचियों का मज़ा लेता रहा। अब मेरी भी इच्छा हो रही थी सुमन की चूत का रस पीने की तो मैंने सुमन को उठा कर बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत को जीभ घुसा कर चोदने लगा। सुमन तो जैसे पागल हो गई थी, उसके पति ने कभी भी उसकी चूत को चाट कर मज़ा नहीं दिया था। यह पहली बार था जब उसकी चूत को कोई चाट रहा था, सुमन की चूत पानी छोड़ रही थी।
थोड़ी देर चूसने के बाद मैं भी बेड पर आ गया और 69 की पोजीशन में आकर लंड सुमन के मुंह में दे दिया और खुद उसकी चूत के स्वादिष्ट पानी का रसपान करने लगा। सुमन मस्ती के मारे उछल उछल कर अपनी चूत को चटवा रही थी और लंड को पूरा मुंह में भर भर कर चूस रही थी।
मेरी नजर नीलम की तरफ गई तो वो भी अपनी सलवार उतार कर अपनी चूत को पागलों की तरह मसल रही थी। स्पष्ट था कि वो भी अब चुदने को मरी जा रही थी पर सुमन के डर से वो मजबूर थी। मैंने भी मन ही मन सोचा कि नीलम को भी अब चोदे बिना छोडूंगा नहीं।
दस मिनट चूत का रसपान करने और लंड चुसवाने के बाद अब मेरा लंड सुमन की चूत की सैर करने को तैयार था। मैंने लंड सुमन के होंठों से अलग किया और उसकी टाँगें उठाकर लंड को उसकी चूत के मुहाने पर सटा दिया, सुमन की चूत भी लंड लेने को तैयार थी, वो गांड को ऊपर उठा कर लंड को अन्दर लेने को बेताब ?
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मैंने भी बिना देर किये एक जोरदार धक्के के साथ आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। सुमन की चूत खेली खाई चूत थी, दूसरे ही धक्के में पूरा लंड जड़ तक सुमन की चूत में समा गया।
पूरा लंड घुसते ही बेड पर जैसे भूचाल आ गया, दोनों ही चुदाई के एक्सपर्ट थे, दोनों तरफ से धक्कों का जवाब जोरदार धक्कों से मिल रहा था। हम दोनों की सिसकारियाँ और सीत्कारें कमरे के माहौल को गर्म कर रही थी और हमारी चुदाई देख कर नीलम भी अपनी चूत को रगड़ रगड़ कर पागल हुई जा रही थी।
सुमन और मैं दोनों ही चुदाई में बुरी तरह से लिप्त थे, पूरा बेड हमारे धक्कों से हिल रहा था, सुमन की चूत से पानी का दरिया बह रहा था, वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी पर उसकी स्पीड और मस्ती में अभी भी कोई कमी नहीं आई थी और वो अभी भी गांड उछाल उछाल कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।
पाँच सात मिनट इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने सुमन को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड उसकी चूत में घुसा दिया और लगभग दस मिनट तक उसकी चूत की अपने लंड से रगड़ाई करता रहा। अब तो सुमन की भी बस होने लगी थी, वो अब इंतज़ार कर रही थी कि कब मेरे लंड का गर्म गर्म लावा उसकी चूत की आग को ठंडा कर दे।
इसके लिए उसको ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और बीस पच्चीस धक्कों के बाद मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य सुमन की चूत के अन्दर ही उगल दिया। मेरे वीर्य को महसूस करते ही सुमन एकदम से पस्त होकर बेड पर पसर गई, उसकी चूत झरझर करके झड़ रही थी। मैं भी उसके ऊपर ही लेट कर लम्बी लम्बी साँसें ले रहा था।
तभी हम शान्त भी नहीं हुए थे कि नीलम कमरे में आ गई, उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, आते ही वो सुमन के पास बैठ गई। सेक्स की आग उसकी आँखों में स्पष्ट नजर आ रही थी।
सुमन उसको देखते ही भड़क गई और उसको वहाँ से जाने के लिए कहने लगी पर नीलम ने उसके पाँव पकड़ लिए और मिन्नत करने लगी- भाभी, प्लीज एक बार मुझे कर लेने दो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी। पर सुमन मानने को तैयार ही नहीं थी। मैंने भी सुमन से कहा कि यार ले लेने दो इसको भी चुदाई का मज़ा… देखो तो कैसे तड़प रही है अपनी चूत फड़वाने को। पर सुमन टस से मस नहीं हुई।
नीलम ने यहाँ तक कहा कि अगर उसने उसे चुदवाने नहीं दिया तो वो भैया को बता देगी पर सुमन फिर भी नहीं मानी। बहुत देर की मिन्नत के बाद सुमन ने नीलम को सिर्फ अपनी चूत चटवा कर मज़ा लेने की इजाजत दी। बेचारी क्या करती वो इसी में खुश हो गई। मैं भी कुँवारी चूत का रस पाकर अपने आप को धन्य समझ रहा था। चुदाई के लिए तो सुमन थी ही और नीलम चूत चटवाने के लिए।
सुमन की इजाजत मिलते ही मैंने नीलम के नंगे बदन को बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। नीलम ने भी बिना किसी झिझक के मेरा लंड पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। मैंने नीलम को बेड पर लेटाया और 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड नीलम के मुंह में भर दिया और उसकी हल्की झांटों के बीच में छिपी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिरा दी। कुँवारी चूत का पानी जिसने भी पीया है उसको पता ही होगा कि कितना स्वादिष्ट होता है कुँवारी चूत का पानी।
मैं मस्त होकर नीलम की चूत को चाट और चूस रहा था और नीलम भी मस्ती के मारे सिसकारियाँ ले रही थी और धीरे धीरे मेरे लंड को चूस और चाट रही थी। सुमन हमारे पास ही नंगी लेटी हुई हम दोनों की रासलीला देख रही थी। बीच बीच में वो नीलम की चूचियाँ मसल देती तो कभी मेरे टट्टे सहला देती। हम दोनों की रासलीला देख कर सुमन भी फिर से गर्म होने लगी थी।
करीब दस पंद्रह मिनट की चूत चुसाई के बाद नीलम झड़ गई और मेरे लंड ने भी नीलम का गला अपने गर्म गर्म वीर्य से तर कर दिया जिसे वो पूरा चाट गई। पानी निकल जाने से नीलम कुछ शान्त हो गई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सुमन ने जैसे ही देखा कि हम दोनों का ही काम हो गया है तो उसने नीलम को अपने कमरे में जाने को कहा। नीलम अनमने से मन के साथ उठ कर कमरे से चली गई।
नीलम के जाते ही सुमन ने मेरा लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी। दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से कड़क हुआ तो सुमन मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर ऊपर से गांड उछल उछल कर मज़ा लेने लगी। उसकी चूचियाँ मेरे सामने झूल रही थी जिन्हें मैंने मुंह में भर लिया और चूसने लगा।
बेड पर फिर से भूचाल आ गया था, कभी सुमन ऊपर और मैं नीचे तो कभी मैं ऊपर और सुमन नीचे। करीब बीस मिनट तक चुदाई का दौर चला और फिर दोनों शान्त होकर लेट गये।
रात के तीन बज चुके थे, सुबह पाँच बजे सुमन के पति के आने का समय था। अब ना तो मैं सो सकता था और ना ही बाहर जा सकता था। अब किया क्या जाए? इसी उलझन में थे कि सुमन का पति बाहर आ गया। सुमन ने घड़ी देखी, अभी तो साढ़े तीन ही बजे थे और पति वापिस आ गया था। अब तो सुमन की फट गई। सुमन की ही क्या, अब तो मेरी भी फट गई। बदनामी के डर से मेरी हालत ख़राब हो रही थी।
कुछ सोच कर सुमन ने मुझे नीलम के कमरे में जाने को कहा। मैंने अपने कपड़े उठाये और नीलम के कमरे में चला गया। नीलम बेड पर नंगी लेटी हुई थी और सो रही थी।
मैंने उसके कमरे में जाकर अपने कपड़े पहने और नंगी नीलम के पास जाकर बैठ गया। नंगे बदन को देख कर मेरा शैतान फिर से हरकत में आ रहा था पर सुमन के पति के आने से जो टेंशन हो रही थी वो शैतान को शान्त करने क लिए काफी थी। करीब आधे घंटे बाद नीलम के कमरे के दरवाजे पर कुछ हलचल हुई तो मैं जाकर परदे के पीछे खड़ा हो गया। लाइट पहले से ही बंद थी। तभी दरवाजे पर सुमन नजर आई तो मैं परदे के पीछे से बाहर आ गया।
सुमन ने आते ही मुझे बताया कि उसके पति की तबियत ख़राब हो गई थी इसीलिए वो वापिस आ गया है और अब वो चाय पीकर सो चुका है। मैंने सुमन को पकड़ कर अपनी बाहों में भर लिया और प्यार करने लगा तो वो बोली- मेरे राजा, आज के लिए इतना ही काफी है। बाकी अगली बार करेंगे जब मौका मिलेगा।
मैंने बाहर आकर देखा तो लोग सुबह की सैर के लिए सड़क पर नजर आने लगे थे। मैं मौका देखकर बाहर आया और सैर करने वालों में शामिल हो गया। सुबह छ: बजे तक मैं पार्क में बैठा रहा और फिर अपने घर चला गया।
उसके बाद दुबारा एक बार और मौका मिला पर उस दिन इस से भी बुरा हुआ। मुझे नहीं पता था कि सुमन की सास यानि नीलम की माँ आई हुई है। सुमन ने मुझे बताया कि उसने अपनी सास को दूध में नींद की गोली दे दी है पर रात को करीब एक बजे जब सुमन और मैं चुदाई करने में मस्त थे, सुमन की सास कमरे में आ गई। उसने सुमन को और मुझे बहुत बुरा भला कहा और मुझे रात को एक बजे ही घर से बाहर निकाल दिया।
मेरी फटी हुई थी कि अब क्या होगा! कहीं सुमन की सास मेरे घर ना आ जाए। ऊपर से रात को एक बजे मैं घर भी नहीं जा सकता था। कुछ देर पार्क में बैठा पर अकेले कितनी देर बैठता। फिर बहुत सोच कर एक दोस्त को फ़ोन किया। यह मेरी किस्मत ही थी वो पेशाब करने के लिए उठा था और जाग रहा था।
मैंने उसको बात बताई तो वो बाइक पर मुझे लेने आ गया और फिर करीब तीन बजे मैं उसके कमरे पर जाकर सो गया। सुमन की सास ने बात आगे नहीं बढ़ाई। मैंने भी चैन की सांस ली।

















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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
yourockq yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
(30-01-2023, 11:14 AM)neerathemall Wrote:
ननद भाभी

cool2

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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