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बड़ी बहन के साथ डर्टी सेक्स-
#1
बड़ी बहन के साथ डर्टी सेक्स
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
यह बात करीब चौदह साल पहले की है, जब मैं 26 साल का था और वह 28 साल की थी. हमारी मम्मी को मरे हुए तीन साल हो चुके थे और पापा रिटायर्ड हो चुके थे. मैं एक प्राइवेट कंपनी में सर्विस करता था और वह स्कूल में टीचर थी. उसकी पहली शादी छह महीने में ही टूट चुकी थी क्योंकि उसकी ससुराल वाले लालची थे और पति नामर्द था.

उस वक्त मैंने नया नया पोर्न साइट्स देखनी शुरू किया था. पहले मैं बॉलीवुड हीरोइन की नंगी फोटो देखता था, फिर मैंने सेक्स कहानी पढ़नी शुरू की. धीरे धीरे मैं इन्सेस्ट स्टोरीज को पसंद करने लगा. इसमें मां-बेटा, भाई-बहन, बाप-बेटी के बीच हुए सेक्स की कहानी लिखी होती थीं. इस तरह की सेक्स कहानी पढ़ते पढ़ते न जाने मैं कबसे अपनी बहन की तरफ आकर्षित होने लगा … मुझे इसका होश ही नहीं रहा.

मेरी बहन की हाइट करीब 5 फुट दो इंच की है और शरीर थोड़ा भारी है. वो देखने में कोई खास सुन्दर नहीं है, पर उसकी चूचियां और गांड काफी मोटी हैं. उसकी जांघें भी काफी मांसल थीं. वह ज्यादातर खुले खुले से सलवार सूट पहनती थी.

हालांकि पापा ने घर में झाड़ू पौंछा आदि के लिए काम वाली लगा रखी थी, पर शाम को रोज एक बार निधि खुद झाड़ू पौंछा करती थी, ताकि घर साफ़ रहे.

जब वो झाड़ू मारने के लिए नीचे झुकती थी, तो उसकी कमीज में से उसकी मोटी मोटी चूचियां बाहर आने को हो जाती थीं. फिर जब वो पौंछा मारती, तो पीछे से अपनी कमीज को थोड़ा ऊपर कर लेती थी, इस वजह से उसकी सलवार में से उसकी मोटी गांड और बीच की दरार दिखने लगती थी.

उसकी मोटी मोटी चूचियां और गदरायी हुई गांड देखकर मेरा मन मचलने लगा और मैं अपनी बहन को गन्दी नज़रों से देखने लगा. हालांकि मैंने बहुत बार अपने को समझाया कि यह गलत है, पर जवानी का जोश और बहन के बदन के आगे मैं सब भूल जाता. मेरी काम वासना अपनी बहन की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगी.

एक रात मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी बहन के कमरे में चला गया. वो अपने बिस्तर पर बिना किसी चादर के सो रही थी. मैं घूर घूर कर उसके सीने को ऊपर नीचे होते हुए देखने लगा. फिर मुझे अपनी बहन के बारे में गन्दी बात सोचकर थोड़ा डर लगा और थोड़ी शर्म भी आयी, पर मज़ा भी आया. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी थी. मैंने पजामे के ऊपर से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया. मुझे बहन को देखकर मुठ मारते हुए बड़ा मज़ा आ रहा था. उस रात मेरी ज्यादा हिम्मत नहीं हुई और मैं वापस आकर सो गया.

अगली रात मैं फिर उसके कमरे में गया. उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थीं. आज मैंने थोड़ी हिम्मत करके लंड को पजामे से बाहर निकाला और मुठ मारने लगा. इतने में उसने करवट बदली, तो उसकी कमीज थोड़ी ऊपर को हो गयी और उसकी मोटी गांड मेरे सामने हो गयी. ये देख कर मुझे बहुत गन्दी वाली ठरक चढ़ गयी. मेरा मन कर रहा था कि अभी के अभी उसको यहीं चोद दूं. मैंने अच्छी तरह से अपनी मुठ मारी और धीरे से अपना लौड़ा उसकी शर्ट से पौंछ दिया. इसके बाद मैं अपने कमरे में आकर सो गया. रात को फिर एक बार मैंने अपनी बहन के बारें में सोचते हुए मुठ मारी.

इस तरह से करीब पांच रातों तक मेरा यही रूटीन बन गया था. दिन प्रतिदिन मेरी ठरक अपनी बहन की तरफ बढ़ रही थी. मेरा दिमाग उसके साथ गन्दी हरकतें करने के बारे में सोचता रहता.

एक रात को हम सब टीवी देख रहे थे. पापा ने मुझसे कहा- फ्रिज से सबके लिए सेब निकाल ला.

मैं गया और तीन सेब निकाल लिए. पर मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैंने अपनी बहन के सेब को अपने पजामे में घुसा दिया और अपना लंड उस पर रगड़ दिया. उसका सारा सेब मेरे माल से गीला हो गया. जब वह सेब खा रही थी, तो मेरा माल उसके थूक के साथ चिपक कर उसके मुँह में चला गया. मुझे ये देखकर बड़ा मज़ा आया.

फिर एक दिन हम रविवार को दिन में लंच कर रहे थे. खाना खाते हुए निधि का कोई फ़ोन आया और वह उठ कर चली गयी. पापा टीवी देख रहे थे. मैंने चुपके से अपना लंड निकाला और उसकी दाल की कटोरी में मुठ मार दी. फिर उसकी दोनों रोटियां ली और उन्हें पजामे में घुसाकर लंड पर रगड़ दिया और अपने माल से उसकी रोटियां चिपड़ दीं. वो आई और उसने बड़े स्वाद से दाल रोटी खा ली.

एक दिन उसने मुझसे पानी मांगा. मैंने उसके गिलास में थोड़ा सा पेशाब मिला दिया. वो गट गट करके पी गयी. इस तरह मेरी ठरक और हिम्मत बढ़ती जा रही थी. सबसे ज्यादा मज़ा मुझे उसके साथ ऐसे गंदे काम करने में आने लगा था.

एक रात मैं जब उसके कमरे में मुठ मारने गया, तो देखा आज उसकी शर्ट काफी ऊपर हो रखी थी. उसका नंगा पेट साफ़ दिख रहा था. वो एकदम सीधी पीठ के बल सो रही थी. मैंने हिम्मत करके उसकी शर्ट थोड़ी और ऊपर कर दी ताकि उसकी चूचियां देख सकूं. पर मैं ज्यादा ऊपर नहीं कर सका क्योंकि उसकी चूचियां काफी बड़ी थीं. फिर भी नीचे से उसकी ब्रा और उसमें से झांकते हुए थोड़े थोड़े चूचे दिख गए.

कुछ पल मैंने उसके खुले जिस्म का नजारा लिया और अपनी उत्तेजना बढ़ाने लगा. फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा थोड़ा सा खोल दिया और हल्की सी सलवार नीचे कर दी. उसकी ब्लू कलर की कच्छी की झलक दिख गयी. इसके बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और अपनी आंखें बंद करके जोर जोर से मुठ मारने लगा. आज मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था. आज मैंने अपने लौड़े को उसकी सलवार के नाड़े से रगड़ कर साफ़ किया और अपने कमरे में आ कर सो गया.

अगले दिन ऑफिस के टॉयलेट में भी मैंने दो बार अपनी बहन के नाम की मुठ मारी. उसकी फोटो को अपने लंड पर रगड़कर मैं मुठ मारने का मजा लिया.

शाम को जब मैं घर आया, तो पापा बाजार गए हुए थे और निधि टीवी देख रही थी. मैंने कपड़े चेंज किए.

तब तक निधि ने मेरे लिए चाय बना दी.
चाय पीते पीते अचानक से वह मुझे बोली- आशु ये रात को जो तू हरकतें करता हैं, इन्हें बंद कर दे. मैं कई दिनों से देख रही हूँ, तुझे शर्म नहीं आती, मैं तेरी बहन हूँ.

उसके मुँह से ये सुनकर मेरी तो हवा ख़राब हो गई. मुझसे कुछ बोला ही नहीं गया.

वो गुस्से में उठ कर चली गयी. मुझे डर लगा कि कहीं ये पापा को ना बता दे.

कुछ देर बाद मैं हिम्मत करके उसके पास गया और उससे सॉरी बोलकर प्रॉमिस किया कि दुबारा ऐसा नहीं करूंगा. बस तुम पापा को मत बताइयो.
उसने कहा- ठीक है.

मैंने भी अपने को कण्ट्रोल किया. यह सोचकर कि अपनी बहन के साथ ऐसा करना गलत है.
बात आयी गयी हो गयी.

करीब बीस दिन निकले होंगे, पापा को किसी की डेथ पर आउट ऑफ़ स्टेशन जाना पड़ा. रात को मैं और निधि घर पर अकेले थे. मुझे आज उसे अकेले देखकर फिर ठरक चढ़ रही थी, पर हिम्मत नहीं हो रही थी.

रात करीब ग्यारह बजे मुझसे रहा नहीं गया और मैं पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए उसके कमरे की तरफ चला गया. मैंने फिर से उसकी शर्ट को ऊपर किया. पर आज जैसे ही मैंने उसकी शर्ट को ऊपर किया, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे जोर से धक्का दे दिया.

वो बोली- साले कुत्ते हरामजादे . … बाज नहीं आया तू अपनी हरकतों से!
मैं रोने लगा और बोला- निधि प्लीज माफ़ कर दे. प्लीज माफ़ कर दे.
वह फिर मेरी पास आ कर बोली- आशु, इस तरह की गन्दी बातें तू कहां से सीख कर आया है? अपनी सगी बहन के साथ ऐसा करते तुझे शर्म नहीं आती.

उस रात उसने मुझे काफी कुछ सुना दिया और गालियां दीं. पर मैं रोये जा रहा था और बार बार माफ़ी मांग रहा था. तब भी एक ख़ास बात ये थी कि रोते रोते भी अपनी बहन को देखकर मेरा लंड टाइट हो रहा था. मैं अपने लंड को हाथों से छिपाने की कोशिश कर रहा था.

निधि ने यह सब देख लिया. वह गुस्से में बोली- तू कुत्ता ही रहेगा हरामजादे … साले बहनचोद जा मर … बाथरूम में जाकर हल्का हो जा.

उसने मुझे एक धक्का दिया … पर उस वक्त मेरे में न जाने कहां से हिम्मत आ गयी और मैंने उसको बोला- निधि प्लीज मेरी हेल्प कर दे. मुझे बहुत ठरक चढ़ रही और मेरा लंड नहीं बैठ रहा है. क्या तू मेरी मुठ मार सकती है. प्लीज मना मत करना. जितनी मर्जी गालियां दे दे … या चाहे तो पापा को बता देना.

वह रोने लगी और बोली- आशु तू यह क्या बोल रहा है … बहन हूँ मैं तेरी!
मैंने कहा- निधि, मैं जानता हूँ, पर मेरा लंड मान ही नहीं रहा है. यह बार बार तुझे देखकर खड़ा हो जाता है. प्लीज मेरी मुठ मार दे … प्लीज अपने भाई की मुठ मार दे.

मुझे इस तरह से रोते गिड़गिड़ाते देख कर वो थोड़ी नरम हो गई. उसने बोला- ठीक है पर सिर्फ एक बार ही करूंगी.

मैंने झट से अपना लंड पजामे से बाहर निकाला और उसके हाथ में दे दिया. जैसे ही लंड उसके हाथ में आया, वह एकदम सख्त रॉड की तरह हो गया. निधि अपना मुँह दूसरी तरफ करके मेरा लंड हिलाने लगी. मुझे अपनी बड़ी बहन से मुठ मरवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था.

कुछ पल बाद मैंने उससे कहा- निधि, प्लीज इसे मुँह में ले ले ना.

वो मना करने लगी, पर मैंने उसको घुटनों पर बिठाकर लंड उसके मुँह में दे दिया.

मैंने उसका सर पकड़ लिया और लंड पूरा उसके मुँह में डाल दिया. लंड घुसाने के बाद मैं तेजी से अपनी बहन के मुँह को चोदने लगा. वो छटपटा रही थी, पर उसे ऐसे देखकर मुझे और ठरक चढ़ रही थी और मेरे धक्के तेज होते जा रहे थे.

करीब दस मिनट तक में अपनी बहन का मुँह चोदता रहा. अब मैं झड़ने वाला था. मैंने कस कर उसका सर पकड़ लिया और पूरा माल उसके मुँह में गिरा दिया. इतना डिस्चार्ज मैंने आज तक कभी नहीं किया था. माल उसके मुँह से बाहर आ कर उसकी शर्ट पर और सलवार पर भी गिर गया. कुछ माल नीचे ज़मीन पर गिर गया. मैंने अपनी उंगलियों से उसकी शर्ट और सलवार पर पड़े माल को साफ़ किया और वही उंगलियां चाट कर साफ़ करने को उसके मुँह में दे दीं. उसने कुछ नहीं कहा, बस उंगलियां चाट दीं.

उसके चेहरे पर भी एक अजीब सी ख़ुशी दिखाई दे रही थी, जिसे वो अपने चेहरे पर बनावटी गुस्से से छिपाने की कोशिश कर रही थी.

फिर मैंने निधि को ज़मीन पर पड़ा माल चाटकर साफ़ करने को कहा. मेरी इस हरकत से वो बहुत गुस्से में आ गई. वो मान नहीं रही थी, पर मैंने उसके बाल पकड़कर उसका मुँह ज़मीन पर लगा दिया.

वो मान ही नहीं रही थी, तो मैंने अपना एक पैर उसके सर पर रखा और उसे माल चाटने के लिए कहा. तब उसने जीभ निकाल कर मेरा माल चाटना शुरू किया.

मुझे उसके साथ ये सब गंदे काम करने में बड़ा मज़ा आया.

निधि अब ज़मीन से खांसते हुए उठी. मेरा थोड़ा माल अभी भी उसके होंठों पर चिपका हुआ था. वो मुँह साफ़ करने सीधे टॉयलेट की तरफ चली गयी. वापस आकर उसने मुझे मुँह पर दो थप्पड़ मार दिए. ये उससे गन्दा काम करवाने के लिए मारे थे.

वो जोर से बोली- साले कुत्ते, अब तो तू अपनी बहन का मुँह चोद कर हल्का हो गया होगा या अभी भी मन नहीं भरा.

मैंने उसे थैंक्यू कहा और उसके गले से लग गया. उससे चिपकने से मेरा लंड फिर टाइट होने लगा.

मैं बोला- निधि मैं हल्का तो हो गया, पर मन अभी भरा नहीं. तुझसे लंड चुसवाकर मेरी ठरक और बढ़ गयी. अगर तो बुरा न माने, तो मैं तुझे पूरी नंगी देखना चाहता हूँ. तेरे नंगे बदन से खेलना चाहता हूँ. तेरी चूचियां मुँह में लेकर तेरा दूध पीना चाहता हूँ, तेरी चूत और गांड को चाटना चाहता हूँ. तेरे साथ बहुत गन्दी गन्दी हरकतें करना चाहता हूँ.

वो मेरी तरफ देखने लगी.

मैंने आगे कहा- एक बात बता क्या तुझे अपने भाई का लंड चूसकर मज़ा नहीं आया … बता ना निधि बता ना.

मेरी बातें सुनकर वो एकदम से गरम हो गयी.

मैंने फिर कहा- निधि प्लीज एक बार बता ना … तुझे मज़ा आया कि नहीं मेरा यानि अपने भाई का लंड मुँह में लेकर … मुझे पता है कि तेरा पति तेरी चूत की आग को ठंडा नहीं कर पाता था और तू रात रात भर ठरक से तड़पती थी. तेरा ससुर भी तुझे गन्दी नज़रों से देखता था. एक बार उसने अकेले में तेरी चूची भी दबा दी थीं … और कई बार तूने उसको अपनी बिना धुली कच्छी चाटते हुए देखा था. एक बार तो जब तुम दोनों सो रहे थे, तो वो अपना लंड हाथ में लिए तेरे कमरे में आ गया था और उसने वहीं पर मुठ मारी थी. तुझे भी अपनी ठरक मिटवाने के लिए उसकी ऐसी हरकतें अच्छी लगती थीं. बता न निधि बता?

मैंने बिना रुके उसको गन्दी गन्दी बातें बोल दीं. मुझे उससे डर्टी सेक्स की बातें करते हुए बड़ा मज़ा सा आ रहा था.

मेरी ये बातें सुनकर वो एकदम हैरान हो गयी और थोड़ी शर्मा भी गयी. उसकी इस अदा ने मुझे साफ़ बता दिया था कि आज मेरी बहन चुदने के लिए राजी हो गई है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
उसको शरमाते हुए देख मेरी थोड़ी हिम्मत बंधी और मैंने झट से उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर अपनी मुट्ठी कस दी. उसकी सिसकी निकल गयी और वो छूटने की कोशिश करने लगी. मैं जोर जोर से उसकी चूत को भींचने लगा.

वो तड़प उठी और मुझे गालियां देने लगी- कुत्ते हरामी छोड़ मुझे … साले मेरा मन तो है मगर तूने मुझे परेशान किया तो मैं नहीं चुदूंगी.

अब मैंने बिना टाइम खराब करे अपने दोनों हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाल दिए. एक हाथ से मैं उसकी कच्छी के ऊपर से उसकी चूत सहलाने, भींचने लगा और दूसरे हाथ को उसकी मोटी गांड पर घुमाने लगा. मैंने उसके चूतड़ काफी देर सहलाये और उन्हें दबाया भी. मेरी बहन मेरी हरकतों से गर्म हो गई थी और उसकी कच्छी काफी गीली हो गयी थी. चुत से उसका रस टपक रहा था. निधि भी अब ठरक से तड़प रही थी. वो मुझे मना कर रही थी, पर उसकी आवाज में अब दम नहीं था.

मैंने दोनों हाथ बाहर निकाल लिए. मेरी उंगलियों पर उसकी चूत का रस लगा हुआ था. मैंने उन पर अपना थूक लगाया, फिर अपने लंड का माल लगाया और उसके मुँह में चूसने के लिए दे दिए. जब तक उसने पूरा चूस चाट कर साफ़ नहीं किया, मैंने उंगलियां उसके मुँह से बाहर नहीं निकालीं.

मैंने फिर उससे पूछा- क्यों निधि मज़ा आया न!
ये कह कर मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा. उसके होंठों के पास अभी भी थोड़ा से मिक्स्ड माल चपका हुआ था. मैंने अपनी जीभ से चाटकर उसे साफ़ किया.

अब वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डालकर मज़ा ले रही थी. हम दोनों अपने अपने थूक एक दूसरे के मुँह में डाल रहे थे.

फिर मैं पीछे हटा और उसको बोला- चल निधि अब नंगी हो जा.

उसने शरमाते हुए अपनी शर्ट निकाली. ठरक चढ़ने से उसके चूचे काफी बड़े और चूचक एकदम सख्त हो गए थे और ऐसा लग रहा था कि उसकी ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगे.

इसके बाद मैंने उसे सलवार उतारने को कहा, तो वो मना करने लगी और अपने दोनों हाथों को आगे कर लिया.

मैंने जोर लगा के उसके दोनों हाथ वहां से हटाए और झटके से उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया. वो एकदम से नीचे गिर गयी.

वाओ … मेरी बहन केवल कच्छी और ब्रा में क्या मस्त जबरदस्त चुड़क्कड़ माल लग रही थी. मेरी सोच से कहीं ज्यादा खूबसूरत और गदराया हुआ बदन था उसका. उस पर वो मेरी बड़ी बहन है यह सोचकर तो मेरा लंड बेकाबू हो गया था.

वो शरमाते हुए अपने हाथों से अपनी चूचियां और चूत को ढकने की कोशिश करने लगी.

फिर मैंने निधि को ज़मीन पर पीठ के बल लिटा दिया और उसके हाथ उसके सर के ऊपर कर के चेयर से बांध दिए. फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाया और उन्हें भी अलग अलग चेयर से बांध दिया.

वो कहने लगी- आशु, तू ये क्या कर रहा है मेरे भाई … तुझे सेक्स करना है तो कर ले …ये सब क्या कर रहा है?
मैंने कहा- मेरी बहना, आज हम दोनों वाइल्ड सेक्स करने वाले हैं.

वो कुछ नहीं बोली … शायद उसे भी जंगलियों जैसा सेक्स करने का मन था.

मैंने अपना पजामा और बनियान निकाल दी और पूरा नंगा हो गया. मेरा लौड़ा पूरे जोश में नब्बे डिग्री पर खड़ा था. मैं अपने लंड को हाथ में ले कर उसके पास आया. मैंने अपने दाएं पैर से उसकी मांसल जांघों को सहलाना शुरू कर दिया, वो मस्ती में तड़पने लगी. फिर धीरे धीरे मैंने अपना पैर उसकी कच्छी पर उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसकी चूत को अपने पैर से मसलने लगा.

‘उह आह उह हाए … ईईईईई … ओह माआआअ आह ओह मां..’ उसकी कामातुर सिसकारियां निकलने लगीं. यह करते करते मैं साथ में मुठ भी मार रहा था.

उसकी चूत को अच्छे से मसलने के बाद मैंने अपना पैर उसके पेट पर चलाया और फिर उसकी मोटी मोटी चूचियों को मसलने लगा.

वो पागल हो उठी, पर बंधी होने के कारण कुछ कर नहीं पा रही थी, सिर्फ छटपटा रही थी. मैं उसकी चूचियों का काफी देर तक कस कस कर मर्दन करता रहा और वो दर्द और ठरक से तड़पती रही. अब मैंने अपना पैर उसके मुँह में दे दिया और उसको चूसने को कहा. वो मेरा पैर चूसने लगी. मेरी मुठ अभी चालू थी और मैं बस छूटने वाला था.

फिर मैं नीचे बैठा और अपना लंड उसके मुँह के ऊपर सटाकर अपना माल छोड़ दिया. वो सारा माल पी गयी.

मेरी बहन की चूत काफी पानी छोड़ चुकी थी और उसका पानी उसकी जांघों पर बह रहा था. उसकी चुत के पानी ज़मीन भी काफी गीली हो गयी थी.

अब मैंने उसकी ब्रा उतार दी. मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचे दबाने और चूसने लगा. उसके निप्पल कॉफी सख्त हो गए थे और दर्द कर रहे थे. मैंने उसके निप्पलों को अपने मुँह में लिया और जोर जोर से चूसने लगा. उसकी सिसकारियां निकल रही थीं. चूमते चूमते मैं नीचे की तरफ आया और उसकी कच्छी को चाटने लगा. फिर मैंने उसकी कच्छी निकाल दी और चूत को चाटने लगा. चुत चाटने के साथ ही मैंने उसकी चूत में दो उंगलियां भी डाल दीं. वो तड़प उठी.

इधर एक हाथ से मैं उसके चूचे मसल रहा था. उसके कड़क निप्पलों को मसलने में बड़ा मज़ा आ रहा था. पर निधि दर्द के मारे जोर जोर की आवाजें निकाल रही थी. मुझे डर लगा कि इसकी तेज आवाज सुनकर कोई पड़ोसी न आ जाए. मैंने उसकी गन्दी कच्छी उसके मुँह में ठूंस दी … इसकी आवाज एकदम से घुट गई.

अब मैंने जोर जोर से उसकी चूत चाटनी शुरू की. मेरी जीभ और उंगलियां उसकी चूत के अन्दर तक जा रही थीं. ठरक से निधि के निप्पल और सख्त हो गए.

फिर मैंने अपने दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच में उसके एक निप्पल को पकड़ा और पूरा जोर लगा कर मरोड़ दिया. इससे निधि की एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ी, पर मुँह में कच्छी होने के कारन ज्यादा आवाज नहीं आयी.

अपनी कुतिया बहन को मीठे दर्द से तड़पते हुए देख कर मुझे बहुत ठरक चढ़ रही थी. मैंने कई बार उसके निप्पलों को जोर जोर से निचोड़ा, उसकी चूचियां मुँह में लेकर चूसीं, उसकी चूत चाटी, उंगली डाल कर उसकी चूत की मुठ मारी. मुझे बेहद मज़ा आ गया था. मेरा लंड तो पानी पर पानी छोड़ रहा था.

कोई आधे घंटे तक ये सब करने के बाद हम दोनों थक चुके थे.

निधि बोली- आशु मुझे टॉयलेट जाना है प्लीज मुझे खोल दे.

मैंने निधि को खोल दिया. पर वो जैसे ही जाने लगी, मैंने उसे पकड़ लिया. वो बोली- क्या कर रहा … टॉयलेट तो जाने दे.

मैं बोला- तू कुतिया है साली कुतिया. तू कुतिया की तरह पेशाब करेगी.

मैंने उसके गले में उसकी सलवार का नाड़ा एक कुत्ते के पट्टे की तरह डाल दिया. अब मैंने उसको कुतिया की तरह दोनों हाथ और पैरों पर टॉयलेट तक चलने को कहा.

मैं उसका पट्टा पकड़ कर चलने लगा. बीच बीच में उसकी चूतड़ों पर दो तीन थप्पड़ मार दिए. वो ये सब एन्जॉय कर रही थी.

जब वो टॉयलेट में पहुंची, तो बोली- अब तो छोड़ दे हरामी.
मैं बोला- नहीं तू कुतिया की तरह एक टांग उठा कर पेशाब करेगी.

वो मना करने लगी, तो मैंने उसका पट्टा खींचा और उसके मुँह पर एक थप्पड़ मारा- चल साली कुतिया कर पेशाब!

सुर्र सुर्र सुर्र. वो हंसते हुए टांग उठा के पेशाब करने लगी. उसको देख कर मेरा भी पेशाब करने का मन हो गया.

जब निधि पेशाब कर चुकी, तो मैंने मैंने उसकी पूरी नंगी बॉडी पर पेशाब किया.
अब मैंने पानी डाल कर उसको धोया और पट्टा खींचते हुए वापस कमरे में आ गया. कमरे में आकर मैंने उसको कुतिया की तरह बेड पर चढ़ने के लिए बोला. वो अपनी गांड बाहर की तरफ करके कुतिया की तरह बैठ गयी.

अब मैंने उसे अपनी चूत को सहलाने के लिए बोला. वह कुतिया बनकर उंगली डाल कर अपनी चूत सहलाने लगी. अब मैंने उसका पट्टा गले से खोल कर उसके बालों में बांध दिया. इसके बाद जब मैंने पट्टा खींचा, तो उसके बाल खिंचने लगे और उसे बहुत दर्द होने लगा. मैंने फिर से उसकी रस से भरी गन्दी कच्छी उसके मुँह में डाल दी … ताकि चीखने की आवाज ज्यादा जोर से नहीं आए. फिर मैंने उसका पट्टा जोर से खींचा और उसकी चूतड़ों पर कस कर एक बेल्ट मारी. वो दर्द के मारे तड़प गयी. मगर वो भी कहने लगी- आह … साले आज फिर मैंने लगातार तीन चार बार बेल्ट और मार दीं. इससे उसकी गांड लाल हो गयी. वो छोड़ने को बोलने लगी.

मैंने उसका पट्टा खींचा और बोला- साली कुतिया बहुत तड़पाया है तूने … आज जाकर मेरे नीचे आयी तू … और क्या बोली थी तू उस दिन कि कुत्ते हरामजादे शर्म कर अपनी बहन से गन्दी हरकतें करते हुए. देख आज मैंने तुझे कुतिया बना दिया.

ऐसा कह कर मैंने फिर से बेल्ट कस कस कर उसकी चूतड़ों पर मारी.

वो कलप कर रह गई.

मैंने कहा- सुन कुतिया … जब तक मैं नहीं बोलूंगा, तू अपनी चूत सहलाती रहेगी. वो काफी देर तक चूत सहलाती रही और मैं बीच बीच में उसकी चूतड़ों पर बेल्ट मारता रहा. दर्द से तड़प तड़प कर वो निढाल हो गयी. इतने पर भी उसकी कामुकता कम नहीं हुई थी और उसकी चूत में से काफी रस बह रहा था.

अब मैंने उसके मुँह से कच्छी निकाली, तो उसको थोड़ी सांस सी आयी. उसकी चूत काफी गीली थी.

मैंने अपना फनफनता हुआ लौड़ा उसकी चूत पर रखा और घच्छ से अन्दर डाल दिया. उसकी चूत गीली होने की वजह से मेरा लंड एक बार में ही पूरा अन्दर चला. काफी देर चूत चोदने के बाद मैंने अब उसे सीधा लेटा दिया और उसकी गर्दन बिस्तर से नीचे लटका दी. फिर मैंने उसके और अपने माल से सना हुआ लंड उसके मुँह पर रखा और अन्दर को पेलने लगा. मैंने अपना आधा लंड उसके मुँह में पेल दिया. उसको सांस नहीं आ रही थी और आंखों से आंसू आ रहे थे.

मैंने दबा कर उसका मुँह चोदना शुरू किया.

उसके गले से घरूप घरूप घरूप … की आवाजें आने लगीं. दस मिनट तक मैंने उसका मुँह चोदा. मैंने अपना लंड उसके मुँह पर, उसकी आंखों में, उसके नाक पर, उसके कानों में, उसकी गर्दन और उसके बालों पर भी रगड़ा और फिर सारा माल उसको पिला दिया.

अब मैंने उसे फिर से कुतिया बनाया. वो कहने लगी- आशु प्लीज और मत चोद मुझे बहुत दर्द हो रहा है … प्लीज आशु प्लीज आशु.

पर मेरे पर तो वासना की आग ने काबू कर लिया था. मुझे अपनी बहन सिर्फ और सिर्फ एक चुदाई की मशीन एक रंडी दिख रही थी. उसके रोने और सिसियाने से मेरी ठरक और बढ़ गयी थी.

मैंने अब बिना टाइम ख़राब करे, अपना लौड़े पर थूक लगाया और उसकी गांड में घुसा दिया. उसकी गांड अभी भी कुंवारी थी, तो दर्द के मारे उसकी चीख निकल गयी. फिर मैं उसका पट्टा खींचते हुए जोर जोर से गांड मारने लगा. बीच बीच में उसकी चूतड़ों पर थप्पड़ और बेल्ट मार देता.

अपनी बहन को एक कुतिया रंडी की तरह चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था. वो दर्द मिश्रित मजे से चीखती रही और मैं उसे चोदता रहा. करीब बीस मिनट तक मैंने उसको कुतिया बना कर उसकी गांड मारी. फिर मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में डाल दिया और उसे पीने को कहा. उसने मेरे रस को पिया और लंड चाट कर साफ़ कर दिया.

फिर थक कर हम दोनों नंगे ही सो गए. सुबह छह बजे मेरी आंख खुली, तो देखा निधि उठ चुकी थी. वो स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही थी. मैं भी तैयार होने लगा. हम दोनों चुप थे. रात की बात याद करके मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी और ठरक से लौड़ा भी टाइट हो रहा था. खैर हमने नाश्ता किया और अपने अपने काम पर चले गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#4
yourock congrats
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
(29-01-2023, 12:18 AM)neerathemall Wrote:
बड़ी बहन के साथ डर्टी सेक्स

14 sal pahle
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
Good story
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#7
(25-02-2024, 12:53 AM)sri7869 Wrote: Good story

Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#8
[Image: 40838249_097_bedb.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#10

[Image: 40838249_130_82b9.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#11
[Image: 40838249_135_8d84.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
[Image: 40838249_188_2644.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#13
[Image: 40838249_170_7c41.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#14
[Image: 40838249_114_032c.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#15
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#17
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#18
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#19
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#20
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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