Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
4.35%
1 4.35%
Kisi maard ko mana nahi kare
4.35%
1 4.35%
Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
34.78%
8 34.78%
bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
#1
Heart 
welcome

Hi friends.. Mera naam hain Sandhya.. 45 years.. fit as i do yoga.. and professional working women, shaadi shuda hoon or 2 bacche bhi hain.


Muze sex bahut pasand hain.. or main bahut njoy karti hoon.
Mera first sex ** saal ki umaar main hua tha or taab se aaj taak maine bahut baar, bahut saare maardon ke saat sex njoy kia hain. Main apna anubhav yahaa aap saab sexy logon ke saat share karna chahati hoon. Main laptop se type kar rahi hoon..agar..english to hindi yahan par type kar sakaate to please bataye..main hindi main likhana jyaada pasand karungi.

To chalo shuru karate hain.. yah kahani kareeb 28 saal puraani hain jaab main **th main thi or padhati thi.

Main mumbai se hoon, our mere Ghaar main chhota bhai jo mere se 3 saal chhota hain or meri maa or papa dono his working hain. Main padhai main kaafi hoshiyaar hoon..**th main topper rahi, aab ** vi main hi **th ke classes start ho gaye..bahut busy hoon.

main ** saal ki hoon, height kaafi acchi hain, 5-7, bahut gora rang hain.. main konkani goan marathi hoon..aap mere rang ka andaaja laga sakaate hain. 60 kgs, fit..or lagbhag puri college ke ladke muz par marate, muze dekhane aate.. or meri figure dekhkar tadap jaate..

main bahut simple rahati hoon..pura  padhai main dhyaan tha..par rang roop aisa dia..ki maardon ki najaar.. or harkatein chupi nahi rahati..

Mere pados main Dahiya parivaar tha, Vivek uncle kareeb 40 ke, unki wife anju or 2 chotte bache. Vivek uncle ekdum hot, haryanvi, masculine, tall 6-2 feet or ekdum sportman lagate .. hamesha international business tour par rahaate,, office ke kaam se. Jaab bhi wapaas aate hamessha mere liye or bhai ke liye chocolates lekar aate.

Ek din maa- papa ko emergency main gain jaana pada..family death ki wajaah se.. mere classes ke karan main akeli thi, or maa ne  anju aunty se kahakar gayi ki 2-4 din main vapas ayenge..mera dyaan rakhana.

Garmi ke din.. mumbai ki humidity...main dopahaar ko saab kaam nibata kar padh rahi thi, maine sirf gown pehena tha.. andaar kuch nahi tha.. muze kaam kapade main accha lagata tha..
Tabhi door ki ring sunayi di..maine darwaaja khola..bahar vivek uncle ...aayine na uncle..aap kaab aaye london se.. Vivek uncle ne bataya..aaj hi aaya hoon..tumhare liye khaas choclates laya hoon. Maine kaha..dikhaiye..or maine uncko thanda paani pilaaya or sofe par bithaya. Uncle ne  sirf ek T shirt or shorts pehena tha...mumbai main aaise hi summer main saab kum kapade pehente hain..bahut hot lag rahe.

Uncle ne chocolates ka box kholo..alcohol chocolates laye..humaane duno ne mil kar ek ek choclate khaya..bada kadwa tha..muze sir main sunn ho gayi..isse pehele kabhi drinks ya alcohol khaya nahi tha. Uncle ne sikhaya ..dheere se mooh main rakho..araam se pighalne do or  dheere dheere swad lekaar khaoo..ekdum se maat kha lo..

main samaj gayi..dusra chocolate araam se khaaya..muze accha laga... 3-4 choclates ke baad muze light feel hone laga..accha lagaane laga. Box main bahut saari variety this.. Uncle ne kaha..wah yah chocolate ekdum lajawaab tasty hain. Maine kaha muze dijiye.. Unhon ne muze pass bulakar..mooh kholne kaha.. or ekdum se upne mooh main ki chocolate mere mooh main daal di. main kuch soch pati..itni jaaldi saab ho gaya..muze choclate acchi lagi.. main shocked thi..par accha lag raha tha..pata nahi kyun.

Issi tarah uncle ne fir se dusri chocloate khilaayi or iss baar unke lips mere lips se lage rahe..or jeebh bhi andaar gayi.. muze nasha sa ho gaya.. par saab bahut accha lag raha tha..

Uncle ne kaab muze apni godi main bitha lia..kaab mera gown nikaal kar nicche faka..or kaab main unki godi main nangi baithkar unke mooh se choclate kha rahi thi.. muze pata nahi chala..
Jaab hosh aaya .. main unki godi main puri nangi thi..woh muze kiss kar rahe..unka ek haat mere boobs par tha or dusri meri ballon waali choot par...jo aab taak kunwaari thi..

Doston main kya karti..saab ekdum achanaak ho gaya...dimaag kaha raha tha galaat hain..par dil saab maan raha tha..saab accha lag raha tha...

Aaab agar aapko yaha taak kahaani acchi lagi to like kare..feedback de...main aage ka kissa jaldi bataungi..
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#2
friends this is my first time to post story.. if you dont encourage me..i will stop writing.. please send likes and feedback
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#3
Acha start hai… aise hi likhte rahiye.

Updates regular or spicy hon gay to sab log enjoy karain gay
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#4
Story Update 2:

अंकल के गोदी मैं बैठकर उनकी मुँह से चॉक्लेट खाकार मैं होश गवा बैठी थी।  पहेली बार किसी मर्द के होठ मेरे होटों से टकराये थे।  उनकी जीभ मेरे मुँह मैं जाकर सैर कर रही थी।  मैं पिघल रही थी।।  विवेक अंकल के बदन की मर्दानी खुशबू मुझे अच्छी लग  रही थी।   उन्होंने मेरे ओठों को चूसना जारी रखा, मैं भी उनकी जीब को चूसती रही और उनके जीभ पर रखी चॉक्लेट चाटती। उन्होंने मेरी गाउन निकल दी थी और मैं एकदम नंगी उनके गोदी मैं बैठी थी।  उनके हलके हाट मेरी चूचियों को दबा रहे थे।  मैं बहुत गरम हो गयी और मुझे AC मैं भी पसीना आ रहा था।  तभी किस करते हुए उनका दूसरा हाथ उन्होंने मेरी फुद्दी पर रख दिए।  मेरी फुद्दी बहुत फुल्ली हुई , गुलाबी और काले बालों  वाली थी।  विवेक अंकल मेरी फुद्दी के बालों से खेलने लगे और  हाथ फेरने लगे।  उन्हों ने पूछा कैसे लग रहा गुड़िया, मैं घर जाऊ ? मैंने कहा अंकल बहुत अच्छा लग रहा है , अभी तो आये अभी जा रहे।  प्लीज रुकिए , उन्होंने कहा अच्छा लग रहा तो और भी तुम्हे कुछ सीखा दू , किस करना तो आज मैंने तुझे सीखा दिया , अगर सीखने की इच्छा हैं तो हिचक मत राणी।  मैं एक मिनट मैं गुड़िया से राणी बन गयी उनकी।  मुझे बहुत अच्छा लगा।  मैंने जवाब मैं फिर से उनको किस करना  शुरू कर दिया और इसबार मैं उनके ओंठों को चूस रही थी , मैंने हलके से उनके ओंठ काट लिए , जिस पर वह एकदम सिसक गए और गरम हो गए।  ऐसी बात हैं, तू तो सीखने के लिए तड़प रही हैं, रुक २ मिनट ।  फिर उन्होंने मुझे अपनी गोदी से उठाया और अपना टी शर्ट निकल दिए , उफ़ क्या बॉडी थी, गोरी कसरत वाली और बालों वाली , मुझे ऐसे बालों वाले , नेचुरल आदमी बहुत पसंद है।  फिर उन्होंने दूसरे झटके मैं अपनी बरमूडा शॉर्ट्स निकल दी , वह नंगे हो गए।  है राम।।।।  यह क्या , मैं पहेली बार किसी मर्द को नंगा देख रही थी।  उनके गोरे  बदन पर उनका काला लंड  , साप की तरह लटक रहा था।।  इतना मोटा और बड़ा लंड  मैंने कभी नहीं देखा था , बाद मैं उन्होंने बताया था की उनका लंड  ८ इंच है।  मैं शर्मा रही थी पर नजरें उनके नंगे बदन पर थी।  विवेक अंकल फिर सोफा पर बैठ गए और मुझे उनकी गोदी मैं बिठा लिए ओर वह मेरे बूब्स चाटने लगे और निप्पल्स चूसने लगे।  मुझे उनका लोहे जैसे कड़क लुंड अपनी गांड पर फील हुआ।  उनका दूसरा हात मेरे फुद्दी के दाने से खेल रहा था।  उन्होंने एक ऊँगली डाली, मुझे दार्द हुआ।  विवेक अंकल ने कहा, कुंवारी हो क्या, कभी सेक्स नहीं किया ?, मैंने ना मैं जवाब दिया।  उन्होंने कहा डरो मत मैं साब सीखा दूंगा।  फिर वह धीरे धीरे मेरे नाभि को चाटने लगे , और मैं  उन्हें कुछ भी मना  नहीं कर पा रही थी , मैंने बेशरम हो कर सब लाज लज्जा छोड़ दी और उनके बदन पर, उनकी छाती पर किस कर रही थी।  फिर उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिए और मेरे पैर ऊपर अपनी छाती पर लेने को कहा जिस से उनको मेरी फुद्दी साफ़ पूरी दिखाई दी।  वाह राणी तुम्हारी फुद्दी कितनी सुन्दर हैं , ऐसी फुद्दी मैंने आज तक नहीं देखि और वह भी सील पैक है।  उन्होंने धीरे से अपना  मुँह मेरी फुद्दी पर लगा दिया  और जीभ से मेरे दाने को चाटने लगे।  मेरे अंदर  तूफ़ान भर  गया , मैं उनका सर मेरी चुत पर रगड़ने लगी।  विवेक अंकल बहुत प्यार से धीरे धीरे मेरी चुत चाट रहे थे और अपनी जीभ अंदर दाल रहे थे, मेरी चुत बहुत गिल्ली हो गयी थी और पानी का झरना बहा रहा था।  वाह रानी इतना पानी तो बहुत कम चुत से बहता है , तुम तो बड़ी नेचुरल सेक्स की देवी निकली।  मुझे यह सब सुनने मैं अच्छा लग रहा था और विवेक अंकल पर और भी ज्यादा प्यार आ रहा था   तभी मेरे अंदर की हवा ने  तूफ़ान का रूप ले लिया और मैंने  उनका सर दबाते हुए जोर से उनके मुँह मैं पानी छोड़ दिया । वह बहुत देर तक प्यार से मेरी चुत  चाटते रहे और देखते रहे।  तेरी कुंवारी चुत गजब की हैं राणी, इसका उद्घाटन तो मैं ही इस सील को काट कर करूँगा।  मैंने शर्मा के कहा की मैंने कब मना किया अंकल, मै आपको आज कोई  चीज के लिए मना  नहीं करुँगी। मुझे पता नहीं क्या हो गया था , सब सेल्फ रेस्पेक्ट खो दिया और बेशरम हो गयी थी।  विवेक अंकल खुश हुए और प्यार से मुझे चूमा और मेरी चुत को फिर से चूमा और  फिर उठकर किचन से पानी लेकर आये और मुझे पिलाये।  अब कैसा लग रहा रानी, मैंने कहा बहुत अच्छा अंकल, ऐसे कभी पहले फील नहीं हुआ। वोह बोले अभी तो यह शुरवात है।   मैंने देखा उनका काला मोटा लंड  ाअब पूरा १८० deg  खड़ा हैं और उसपर शहद जैसे बून्द बहार आ रहे।  मैंने पूछा अंकल यह क्या हैं।  उन्होंने कहा रानी यहतो मर्द का शहद हैं, तुम्हे तो चखना चाइये इसको।  मैंने शर्मा के  कहा आप कुछ भी कह रहे हो।  उन्होंने कहा एकबार कोशिश  करो, नहीं पसंद आया तो मत स्वाद लो।  मैं अंकल को नाराज नहींकरना चाहती थी और शायद अल्कोहल चॉक्लेट की वजह से मैं कुछ खुल गयी थी।  मैंने उनका कड़क मोटा गरम लंड  हाथ मैं लिया और शहद का बूंद चाट लिया।  थोड़ा खट्टा , नमकीन अच्छा स्वाद आया, मैं फिर से चाटा , तो एक बूँद वापस आ गयी। विवेक अंकल बोले रानी ऐसी हे चाटों और इसको लोल्लिपोप की तरह चुसोगी तो और भी शहद मिलेगा।  मैंने विवेक अंकल का लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिया, मुझे उनके शहद का taste बहुत पसंद आ गया।  फिर अंकल ने कहा पूरा मुँह खोल के, बिना दांत लगाए जितना अंदार मुँह मैं लोगी उतना शहद ज्यादा आएगा, और मैं भी कोशिश करने लगी , पर उनके लंड का आधा हिस्सा भी मैं मुँह मैं नहीं ले पायी ।  उनके काला मोटा लंड फुफकार कर नाच रहा था और बहुत जहरीला शहद बहा रहा था जिससे मुझे और भी नशा हो रहा था ।  एक एक बूँद पीकर मैं पागल हो रही थी , उनके लंड को देख कर , उसके  स्वाद से , उनकी मर्दानी खुशबू से । अंकल अपना सर ऊपर कर के आहें भर रहे थे ।  वाह राणी तूने तो मेरे लंड को चूसकर स्वर्ग दिया , काश तू पहले मिल जाती, तेरी आंटी तो इसको छूती भी नहीं।  यहाँ सुनकर मैं ओर भी प्यार से उनके लंड को चूसने लगी, उनके बालों वाले टट्टे से खेलने लगी , उनके टट्टे बड़े सफरचंद के साइज के थे ।  उन्होंने कहा राणी मेरा पाणी बहार आएगा , तुम पूरा पाणी पी लोगी जैसे मैंने तुम्हारा पाणी पिया था।  मैं  मना नहीं कर पायींओर हा कर दिया।।  उन्होंने अपने एक हात से  मेरा सर पकड़ लिया और दूसरे हात से मेरे बूब्स दबाने लगे और अपना लंड मेरे मुँह मैं जोर से पेलते रहे।  अब उनका तीन  चौथाई लंड  मेरे मुँह मैं जा रहा था और एक बड़ी से आह भर कर उन्होंने मेरे मुँह से लंड बहार निकला और उनके लंड का सारा पाणी मेरी जीभ और मुँह पर डाल दिए , मैं भी चॉक्लेट जैसे उसको निगल गयी।  अजीब स्वाद और खुशबू थी, पर उतना बुरा भी नहीं था , और विवेक अंकल का रिस्पांस देखकर मैं ख़ुश हो गयी और उनके लंड से उनका सब पानी चाटने लगी और पी गयी ।  उन्होंने मुझे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया  और अपनी बाँहों मैं सुला दिया, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, उनकी बदन की खुशबू, गर्माहट , उनके लंड , सब बहुत अच्छा लग रहा था , मैं उनको किसी चीज के लिए मना नहीं कर पायी थी।  वह मुझे हर जगह किस और पप्पी ले रहे थे और बात कर रहे थे।  उन्होंने कहा रानी तू तो एकदम खुले दिमाग की निकली , बहुत सारी औरतें लमर्दों का लंड का पाणी पीना छोडो , उनके लंड को चूसती भी नहीं हैं, पर तुम सब एन्जॉय  करती हो और यही खुला ऐटिटूड सेक्स के बारे मैं आगे रखना , तुम बहुत खुश रहेगी ।  उनकी यह बात सच साबित हुई और मैं आज कह सकती हूँ की मैं सेक्स के मामले मैं सच मैं बहुत खुशनसीब  निकली।   उन्होंने मुझे पूछा की तुमको शहद ( precum ) का स्वाद पसंद आया, और sperms का भी ? मैंने कहा की मुझे अच्छा लगा और जब आप खुश हो रहे थे तब और भी अच्छा लग रहा था।    विवेक अंकल बहुत खुश हुए, सोते सोते उन्होंने मुझे फिर से किस के प्रकार - द्देप किसिंग, फ्रेंच , लंड को कैसे चूसना , ६९ , मर्द की निप्पल्स कैसे चूसना , सब सिखाया।  अब उनको मुझे चोदना था।  उनका औजार अब फिर से तैयार  था और नाग की तरह फुफकार रहा था।  उनके लुंड से फिर से precum (शहद ० टपकने लगा था और मैं अपने आप को रोक नहीं पायी उसका स्वाद लेने को। उनका काला लुंड और उनका गुलाबी टोपा किसी लोल्लिपोप की तरह लगा रहा थ।।  मोटा और खूंखार।  उन्होंने मुझे बताया था की अंजू भाभी उनका लुंड नहीं चूसती, बहुत पुराने ख्याल की है।  मैं उनको पूरा आनंद देना चाहती थी ।  ललचाई नज़रों से मैं उनके मोठे लंड को देख रही थी , वह पास आये और उनका लंड मेरे मुँह के पास दे दिया। उन्होंने उल्टा मुड़कर मेरे चुत पर अपना मुँह रख दिया और हम ६९ करने लगे।  

दोस्तों अंकल ने मेरी सेक्स की ट्रेनिंग चालू कर दी थी।  उनसे बहुत कुछ सीखा और मेरा पहिला एक्सपीरियंस इतना अच्छा रहा , की सेक्स के प्रति मेरे विचार और दिमाग खुल गया , मुझे सेक्स करते वक्त कभी कुछ करना या कोई चीज करना भी बुरा नहीं लगा और मैं सेक्स हर तरह से एन्जॉय करने लगी।  आदमी और औरत की बॉडी का हार हिस्सा बड़ा खूबसूरत होता हैं , और बॉडी का कोई फ्लूइड / रस बुरा नहीं होता।  

आगे मैं क्या हुआ, अंकल ने मेरी चुदाई कैसे की और क्या क्या सिखाया यह जानने के लिए like  कीजिये, रिस्पांस बताइये।।
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#5
(30-09-2022, 09:50 PM)hirarandi Wrote: Acha start hai… aise hi likhte rahiye.

Updates regular or spicy hon gay to sab log enjoy karain gay

Thank you hira ji... aap ki encouragement se part 2 upload kar dia
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#6
(30-09-2022, 09:50 PM)hirarandi Wrote: Acha start hai… aise hi likhte rahiye.

Updates regular or spicy hon gay to sab log enjoy karain gay

हाय दोस्तों.. मेरा नाम है संध्या.. 45 साल.. मैं योग करती हूं.. और पेशेवर कामकाजी महिलाएं, शादी शुदा हूं या 2 बच्चे भी हैं।
मुझे सेक्स बहुत पसंद है.. या मैं बहुत नजॉय करता हूं।
मेरा पहला सेक्स ** साल की उमर मैं हुआ था या तब से आज तक मैंने बहुत बार, बहुत सारे मर्दों के सात सेक्स आनंद किया है। मैं अपना अनुभव यहां आप साब सेक्सी लोगों के सात शेयर करना चाहता हूं। मैं लैपटॉप से टाइप कर रही हूं..अगर..इंग्लिश टू हिंदी यहां पर टाइप कर सकाते तो प्लीज बताएं..मैं हिंदी मैं लिखना ज्यादा पसंद करूंगी।

तो चलो शुरू करते हैं.. यह कहानी करीब 28 साल पुरानी है जब मैं **वीं मैं थी या पढती थी।

मैं मुंबई से हूं, हमारे घर में छोटा भाई जो मेरे से 3 साल छोटा है या मेरी मां या पापा दोनो उनके काम कर रहे हैं। मैं पढाई मैं काफ़ी होशियार हूं..**वीं मैं टॉपर रही, अब ** वी मैं ही **वीं की कक्षाएं शुरू हो गए..बहुत व्यस्त हूं.

मैं ** साल की हूं, ऊंचाई काफ़ी अच्छी हैं, 5-7, बहुत गोरा रंग हैं.. मैं कोंकणी गोवा मराठी हूं..आप मेरे रंग का औराजा लगा सकाते हैं। 60 किलो, फिट..या लगभाग पुरी कॉलेज के लड़के मुज पर मरते, मुझे देखने आते.. या मेरी फिगर देखते तड़प जाते..

मैं बहुत सिंपल रहती हूं..पुरा पढाई मैं ध्यान था..पर रंग रूप ऐसा दिया..की मर्दों की नजर.. या हरकतें छुपी नहीं रहती..

मेरे पैडोस मैं दहिया परिवार था, विवेक अंकल करीब 40 के, उनकी पत्नी अंजू या 2 छोटे बच्चे। विवेक अंकल एकदम हॉट, हरियाणवी, मर्दाना, लंबा 6-2 फीट या एकदम स्पोर्ट्समैन लेगेट .. हमेश इंटरनेशनल बिजनेस टूर पर रहते, ऑफिस के काम से। जब भी वापस आते हैं हमारे लिए या भाई के लिए चॉकलेट लेकर आते हैं।

एक दिन मां-पापा को इमरजेंसी मैं जाना पड़ा..पारिवारिक मौत की वजह से.. मेरे क्लासेस के करन मैं अकेली थी, या मां ने अंजू आंटी से कहकर गई की 2-4 दिन मैं वापस आएंगे..मेरा ध्यान रखना.

गरमी के दिन..मुंबई की नमी...मैं दोपहर को सब काम निपाता कर पढ़ रही थी, मैंने सिर्फ गाउन पहनना था.. और कुछ नहीं था..मुजे कम कपडे मैं अच्छा लगा था..
तबी दरवाजे से घंटी की आवाज दी मैंने दरवाजा खोला..बहार विवेक अंकल...आई ना अंकल..आप कब आए लंदन से..विवेक अंकल ने बताया..आज ही आया हूं..तुम्हारे लिए खास चॉकलेट्स लाया हूं। मैंने कहा..दिखाये..या मैंने उनको ठंडा पानी पिलाया या सोफ़े पर बिठाया। अंकल ने सिरफ एक टी शर्ट या शॉर्ट्स पहनना था...मुंबई मैं ऐसे ही समर मैं सब कम कपडे पहंते हैं। विवेक अंकल बहुत हॉट लग रहे हैं।

अंकल ने चॉकलेट्स का बॉक्स खोलो..अल्कोहल चॉकलेट्स लेकर आए थे मेरे लिए खास..हम दोनो ने मिल कर एक चॉकलेट खाया..बड़ा कदवा था..मुजे सर मैं सुन्न हो गई..इससे पहले कभी ड्रिंक्स या अल्कोहल नहीं लिया था। अंकल ने पढ़ाया..धीरे से मुंह मैं रखूंगा..आराम से पिघलने दो या धीरे धीरे स्वद लेकर खाउ..एकदम से मात खा लो..

मैं समाज गई..दूसरा चॉकलेट आराम से खाया..मुजे अच्छा लगा... 3-4 चॉकलेट के बाद मुझे हल्का महसूस होने लगा.. अच्छा लगा लगा. बॉक्स मैं बहुत साड़ी वैरायटी यह .. अंकल ने कहा ..वाह ये चॉकलेट एकदम लाजवाब स्वादिष्ट हैं। मैंने कहा मुझे दिजिये.. विवेक अंकल ने मुजे पास बुलाकर..मुह खोलने कहा.. या एकदम से उनके मुह में की चॉकलेट मेरे मुह मैं दाल दी. मैं कुछ सोच पाटी..इतनी जल्दी साब हो गया..मुजे चॉकलेट अच्छी लगी.. मैं शॉक्ड थी..पर अच्छा लग रहा था..पता नहीं क्यों।

इसी तरह अंकल ने फिर से दुसरी चॉकलेट खिलाड़ी या इस बार उनके होंठ मेरे होंठ से लगे रहे.. या उनकी जीभ भी मेरे मुह के और गई.. मुजे नशा सा हो गया.. पर साब बहुत अच्छा लगा रहा था..

अंकल ने कब मुझे अपनी गोदी मैं बिठा लिया..काब मेरा गाउन निकला कर फेका..या कब मैं उनकी गोदी मैं नंगा बैठाकर उनके मुंह से चॉकलेट खा रही थी.. मुझे पता नहीं चला..
जब होश आया.. मैं उनकी गोदी मैं पूरी नंगी थी..वो मुजे किस कर रहे..उनका एक हाथ मेरे बूब्स पर था या दूसरी मेरी बालो वाली चुत पर...जो अब तक कुंवारी थी..

दोस्तो मैं क्या कर सकती थी..सब एकदम अचानक हो गया...दिमाग कहा रहा था गलत है..पर दिल सब मान रहा था..सब अच्छा लग रहा था...

आब अगर आपको यहां तक कहानी अच्छी लगी तो लाइक करें..फीडबैक दे...मैं आगे का किस्सा जल्दी बताऊंगी..
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#7
PART 3 UPDATE 

मेरे लिए सब नया था . मैं और अंकल ६९ की पोजीशन मैं थे . मैं विस्मय भरी नज़रों से उनके लम्बे मोटे काले लण्ड  को देख रही थी . इतने खूबसूरत आदमी का लण्ड इतना काला कैसे यही मैं सोच रही थी और उनके गुलाबी टोपे को लोल्लिपोप की तरह चूस रही थी, चुम रही थी . उनका लण्ड बहुत कड़क और फुफकार रहा था और उसमे से मीठा शहद मुझे पीला रहे थे . अंकल ने धीरे से पूछा रानी तुम्हारे पीरियड्स कब आये .. उन्होंने  कहा की उनके पास अभी कंडोम नहीं, शाम को वह मुझे बच्चा न होने की गोलिया लेकर देंगे. मैंने भी है कर दी . मैं तैयार थी , मेरी चुत बहुत गिल्ली हो गयी थी और उनके लण्ड के लिए छटपटा रही थी.  तभी उनकी फ़ोन की रिंग हुई , अंजू आंटी का फ़ोन था, उन्होंने उसे बताया की वह काम के सिलसिले मैं उनके दोस्त से मिलने आये हैं और शाम को लेट हो जायेंगे . मैं खुश हो गयी . उन्होंने पलट कर मुझे लिप्स पर किस किया और मेरे ओंठ चूसने लगे . वह पूरा मेरे ऊपर आ गे थे और उनका भरी भरकम लण्ड मेरे चुत पर रगड़ रहा था . विवेक अंकल थोड़ और निचे खिसके और मेरी चूचियों को सुक करने लगे . उन्होंने डेरे से मेरे दोनों पेअर इनके कन्धों पर ले लिए और उनका लण्ड मेरी चुत पर रगड़ने लगे . मैं पागल हो गयी. रानी इतनी सुन्दर चुत आज तक नहीं देखि , सच कहता हूँ आज टाक १०० से ज्यादा औरतों की चुदाई कर चूका हूँ . मैं खुश हुई , जानू अंदर डाल दो ना, विवेक अंकल बोले - बताओं क्या डालू, मैंने इशारा कर के उनका लण्ड पकड़ लिए, और कहा यह डाल दे .  उन्होंने कहा . ऐसे नहीं रानी , प्यार से कहो ही लण्ड डाल दे. मैंने कहा जानू मेरी चुत मैं आपका मोटा लण्ड डाल दो . विवेक अंकल वाइल्ड हो गए .. हाँ मेरी रंडी , यह लो मेरा लण्ड , सिर्फ तेरा हैं और उन्होंने जोर से धक्का दिया और उनके लण्ड का टोप मेरी चुत मैं फंस गया . मुझे बहुत दर्द हुआ , मेरी ज़िल्ली टूट गयी थी , मैंने उनको कास के पकड़ लिया . अब विवेक अंकल मेरे जानू बन गए थे और मैं गुड़िया से उनकी रानी और अब रंडी बन गयी थी. उन्होंने मेरी चूचिया चूसने शुरू कर दी , बोले आराम से रानी, डरना मत, बहुत  एन्जॉय करोगी . उनके चूसने से मुझे अच्छा लगा और मेरी चुत से फिर से पानी का झरना बेहेने लगा .. इससे उनको आसानी हो  गयी और उन्होंने फिर से एक हल्का झटका मारा और उनका लण्ड मेरी चुत मैं आसानी से आधा चला गया. उन्होंने फिर से मेरे बूब्स चूसने चालू किये और हलकी दांत से काट लिया .मैं आह कर के तड़पने लगी और मेरी चुत जवानी का रस बहाने लगी थी . अब उन्होंने धीरे से पूरा लण्ड  निकल दिया और फिर से हल्का झटका दिए और अपना लण्ड अंदर बहार करने लगे . अब मुझे मजा आने लगा .. मैं भी धीरे धीरे से अपनी गांड उछाल कर उनका सात देने लगी . उनका लण्ड अभी ३ चौथाई ही गया था मेरी चुत मैं . अब विवेक अंकल बहुत गरम हो गए थे , उनका हरयाणवी मर्द जाग गया था और असली औकात मैं आ गए थे . ले रंडी पूरा लुंड ले , बेहेन की लोडी , क्या मस्त गरम टाइट चुत है तेरी . मैं कब से तुझे चोदने के सपने देख रहा था , आज मौका मिल गया , अब तुझे रोज घोड़ी और कुतिया बना कर चोदूँगा . तू मेरी रांड है . बोल तू मेरी कोण हैं ? मैंने कहा  मैं आपकी रांड हूँ  , ऐसे नहीं  ..  बोलो की मैं विवेक की रांड हूँ .. मैंने कहा दिया मैं अपने जानू विवेक की रांड हूँ .. वह बड़े खुश हुए और जोर जोर से मुझे धक्के मरकर चोदने लगे. मैं चीखकर पाणी छोड दी . वाह मेरी रांड , कितनी गरम चुत है तेरी , इतना गरम पाणी , और गिल्ली चुत आजतक मैंने किसी औरत  की नहीं देखीं और उन्होंने एक बड़ा झटका दिए जिसे उनका पूरा लण्ड मेरी बुर मैं चला गया . मैं जोर से चीखी पर उनके ओंठ फिर से मेरे मुँह को बंद कर दिया . उन्होंने वापस बड़े प्यार से धीरे धीरे पूरा लण्ड बहार निकाला और फिर से अंदर डाल दिया . वह मुझे अब फुल स्ट्रोक के सात चोदने लगे . मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं फिर से छटपटाने लगी .   मैं भी गरम हो गयी .. हाँ विवेक जानू , मैं तेरी रांड हूँ .. जो चाहे कर ले . कभी कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी . सच मैं मेरी रांड . ठीक हैं .. मैं भी देखूंगा ,  तुज़से साब करवा लूंगा .. और अब वह जोर से आहें भरने लगे .. मेरी चुत भी पाणी छोङने तैयार थी .. मैं उनकी पीठ पर कस के पकड़ कर अपने नाख़ून चुभो दिए और वह ाआअह .. करके मेरे अंदर गरम पिचकारी छोङने लगे .. उसी समय मैंने भी अपना पाणी छोड दिया .. करीब  १ मिनट तक मेरी चुत मैं उनका गरम लावा गिरता रहा . उनका  गरम लावा मेरी चुत के गहराइयों मैं जा चूका था और मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी . वह मेरे ऊपर वैसे ही पड़े रहे और फिर धीरे से बाजु सरक गए . 

मैं बहुत खुश थी .. आज मैं औरत बन गयी थी . वह भी मेरे पसंद की मर्द से .. सब स्वाभाविक हुआ .. ना कोई प्लानिंग ना कोई प्यार , बस दो नंगे जिस्म , एक दूसरे मैं  लुफ्त ,सब सीमा लाँघ दी और एक दूसरे की बाँहों मैं सो गए . चॉकलेट खाने से चुदाई का सफर तीन घंटे चला , मैं बड़ी संतोष के सात उनकी बाँहों मैं सो गयी. 

करीब दो घंटे बाद आँख खुली , विवेक अंकल मुझे निहार रहे थे और हलके से मेरे बदन पर हाथ फेर रहे थे. संध्या तुम गजब की सुन्दर हो , मैं बहुत लकी हूँ जो मुझे तुम मिली . मैंने भी कहा की जानू मैं भी बहुत लकी हूँ . वह उठे और बाथरूम से  गीजर मैं से थोड़ा गरम पाणी लाये , मुझे बोले संध्या बोरोलीन या कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लाओ . मैं बिस्तर से उठी तो देखा की बिस्तर पर  खून के दाग लगे थे . मैं मुस्करा दी .. यह तो कभी ना कभी होना था . उन्होंने गरम पाणी मैं टॉवल भीगा कर मेरी चुत को साफ़ किया और अच्छी से सेका  , मेरी चुत बहुत सूज गयी थी और लाल दिख रही थी , उन्होंने एंटीसेप्टिक  क्रीम लगा कर चुत की हलकी मालिश की , मुझे अच्छा लग रहा था , दर्द भी चला गया था . 
मैंने हम दोनों के लिए चाय बना दी . उन्होंने कपडे पहनसे मना कर दिया . हम दोनों नंगे थे और  उनकी गोदी मैं बैठ कर एक ही कप मैं  दोनों ने चाय पी.  उन्होंने कहा आज आराम करो , तुम्हारी चुत की जखम कल तक ठीक हो जाएगी . मैं कल सुबह ऑफिस के बहाने सीधे यहाँ आजाऊंगा और तुम तैयार रहना. मैं भी खुश हो गयी . उन्होंने कहा क्या तुम मेरे लिए एक बात कर सकती हो . मैंने कहा मैं आपको कभी मना नहीं करुँगी . उन्होंने कहा क्या तुम तुम्हारी चुत के बल साफ करोगी ? मैंने कहा मैंने कभी किआ नहीं , उसपर वह बोले ठीक हैं, मैं ही तुम्हारे चुत के बाल कल साफ कर दूंगा 
फिर उन्होंने मेरे नंगे जिस्म को हर तरफ से चूमा और चाटा और कपडे पेहेन कर चले गए . शाम को उन्होंने मुझे गर्भे निरोधक गोली ला कर दी और खाना भी ले कर आये.  मैं भी थक गयी , जल्दी खाना खाकर सो गयी और कल के मीठे मीठे सपने देखने लगी .
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#8
PART ४ अपडेट 

अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गयी . सबसे पहले मेरी चुत के खून के दाग से भरी बेडशीट वाशिंग मशीन मैं धोने डाली . मेरे और विवेक का खाना बना डाला और नहाने चली गयी . मेरी चुत अब नार्मल हो गयी थी .. न कोई खून न कोई सूजन , बस उसपर अब दो बड़े ओंठ आये थे , बिलकुल फेस की ओंठ की तरह . नहा कर मैंने अच्छी लाल रंग की गाउन पेहेन ली .. मेरे गोरे रंग की वजह से मुज़पर बहुत जच रही थी . मैंने खुद को आईने मैं देखा , अजीब चमक थी चेहरे पर .. यु तो मैं एकदम सीधा रहती , ना कोई मेक-उप ना कोई सजना धजने मैं इंटरेस्ट था . पर आज मैंने हलकी लाल रंग की लिपस्टिक भी लगा ली और हल्का मेक उप भी कर लिया . मैं विवेक के लिए सुन्दर दिखना चाहती और उसके लिए  सज भी गयी. रोज सुबह भगवन की पूजा के लिए फूलवाली आंटी ताज़े फूल देकर जाती , मैंने उसे देवी माँ के लिए बड़ा गजरा भी देने को कहा , वह मोगरा का गजरा देकर गयी जो मैंने अपने लम्बे काले बालों मैं पेहेन लिया . मैं बार बार घडी देखने लगी और उनका इंतजार करने लगी . क्या मैं सच मैं अब विवेक अंकल की रंडी बन गयी थी ? दोस्तों प्रतिक्रिया जरूर दे ..

दोस्तों आप जरूर बताओ ..

ठीक ९ बजे दरवाजे पर घंटी बजी और मैं ख़ुशी से दरवाजा खोलने गयी . दरवाजा खोलते ही मैं अवाक् रह गयी .. विवेक अंकल फुल ऑफिस यूनिफार्म मैं सूट मैं थे , बहुत हैंडसम लग रहे थे . वह मुझे देख कर झट  से अंदर आ गए और दरवाजा बंद कर दिया . वाह रानी तू गजब दिख रही आज , मुझ पर आज बिजली गिराने का इरादा हैं ? उन्होंने अंदर आकर उनकी ऑफिस बैग एक कोने मैं रख दी ओर  कोट उतार कर खुर्ची पर लटका दिया. सोफे पर बैठकर मुझे खींच लिया , मैं भी उनकी गोदी  मैं शर्मा कर बैठ गयी . बहुत देर तक वह मुझे किस करते रहे ओर मेरे बालों से खेलते रहे, गजरे की महक उनको गरम कर रही थी . उन्होंने मेरे ओंठ चूसना चालू किया ओर जीभ अंदर डाल दी  ओर दूसरे हातों से मेरी गाउन खोल दिया ओर बाजु मैं फेक दिया . अब मैं एकदम बेशरम होकर नंगी उनकी गोदी मैं बैठी थी ओर वह फुल फोरमॉल कपडे मैं टाई पहने थे ओर मेरी  जीभ चूस रहे थे . उनके हात मेरे बूब्स को  मसल रहे थे .

फिर उन्होंने प्यार से मेरे चहरे को पकड़ कर नजरें मिला कर पूछा .. संध्या आज क्या चाहती हूँ .. उनकी वह नशीली  ऑंखें मेरे अंदर तक जड़ गयी ओर मैं बहुत नंगा महसूस करने लगी ओर शर्मा गयी . मैंने कहा .. अंकल मैं सिर्फ आपको खुश देखना चाहती हूँ .. जो चीज अंजू  आंटी आपको नहीं देती वह सब आपको देना चाहती हूँ. मैंने शर्मा कर मुँह उनकी बगल मैं छुपा दिया ओर उनकी खुश्बू महसूस करने लगी .

उन्होंने प्यार से मेरे चहरे पर सब जगह चूमने लगे ओर कहा . रानी ऐसे ही होगा .. पर मेरी दो शर्त हैं . मैंने कहा शर्त बताओ मैं सब करुँगी . उन्होंने कहा .. पहली शर्त .. जब भी हम सात मैं हो .. हम कोई कपडे नहीं पेहेनेगें ओर पूरा नंगा  रहेंगे .. मैंने  उनकी टाई को अपनी ओर जोर से खींचकर कह दिया . मंजूर हैं अब दूसरी शर्त बताओ . उन्होंने कहा .. दूसरी शर्त .. तुम मुझे विवेक अंकल नहीं कहोगी .. सिर्फ विवेक या जानू ओर मैं तुम्हे मेरी राणी कहूंगा .. मैं शर्मा गयी .. हाँ मेरे जानू .. यह भी मंजूर .. ओर मुझे पैंट के नीचे से उनका मुसलदार लण्ड मेरी गांड पर चुभता फील हुआ . उन्होंने भी उनके कपडे निकल दिए ओर पूरा नंगा होकर बैठ गए . मेरे लिए उनका लण्ड  कोई नया खिलौना था , जिसे देखकर मैं खुश हो जाती , मुझे उनके लण्ड को हाथ लगाना , खेलना , चूमना , चूसना  सब करने का मन होता .

उन्होंने मुझे गरम पानी लाने कहा ओर अपने बैग से उन्होंने शेविंग का सामान निकाल कर टेबल पर रख दिया . मुझे कहा .. राणी अब तुम सोफे पर लेट जाओ ओर दोनों पैर ऊपर कर दो..छाती से चिपका लो. फिर उन्होंने कहा .. क्या मैं  शेव करने से पहले तुम्हारी बालों वाली चुत की फोटो ले लू .. क्यों की आज के बाद तुम कभी यह बाल नहीं रखोगी ओर हमेशा अपनी चुत साफ़ ओर चिकनी रखोगी . मैंने मुस्करा कर कह दिया जो आप सही समाजो .. उन्होंने उस पोजीशन मैं मेरी चुत की अलग अलग एंगल्स से ८ -१ ० फोटो खींच ली 

फिर शेविंग ब्रश पर  फॉम लगा कर मेरे चुत पर लगा दिए अच्छी से .. मुझे ब्रश के कारन चुत मैं आग लग गयी ओर मेरे चुत से पानी का झरना बहने लगा . उनका फेस मेरी चुत से बहुत करीब था , मुझे अपनी चुत पर उनकी गरम साँसे फील हो रही थी .. कोई पराये मर्द ने पहेली बार मुझे नंगा देखा था ओर वह भी इतने करीब से . मुझे बड़ी अजीब फीलिंग आ रही थी ओर अच्छा भी लग रहा था . 
बड़ी हलकी हाथों से विवेक शेविंग ब्लेड से धीरे धीरे मेरे बाल शेव करने लगा . मैं बहुत गरम हो गे थी . मैंने देखा की विवेक की जांघें मेरे सर के ऊपर हैं ओर उसका लण्ड पूरा तना हुआ हैं ओर उसके लाल टोपे पर शहद की बूंदें चमक रही थी. मैंने धीरे से सर उठाया ओर उसे चाट लिया ओर उसका लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिए . विवेक बड़े खुश हो गए .. बोले . ले रंडी .. खा ले मेरा ले .. पूरा निगल जा
मैंने धीरे धीरे लॉलीपॉप की तरह विवेक का मोटा लुंड चूस रही थी .. ओर वह बड़ी सावधानी से धीरे से मेरी चुत के बाल शेव कर रहा था. फिर वह उठा ओर गरम पानी से मेरी चुत साफ़ की ओर बोलै ..देखो राणी .. तेरी चुत अब कितनी सुन्दर लग रही .. मैं बैठ गयी ओर अपनी चिकनी चुत को देखने लगी .. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था .. लाल गुलाबी .. मेरी चुत ओर मेरी फटी हुई झिल्ली किसी खिले हुए फूल की तरह दिख रहे थे .. विवेक से रहा नहीं गया अपना मुँह मेरे चुत पर रख कर चाटने लगा .. अब उसे चाटने मेरी फटी हुई झिल्ली  भी मिल गयी थी , वह उसको चाट रहा था , चबा रहा था , मुझे बहुत झुरझुरी हुई .. ओर मैं उसका सर मेरी चुत पर दबा कर रगड़ने लगी .. वह भी अपने जांघें मेरी सर की तरफ ले कर आया ओर मेरी मुँह मैं अपना लोडा घुसा दिया .. हम बहुत देर तक इस पोजीशन मैं ६९ का आनंद उठा रहे थे .. विवेक मुझे प्रोत्साहन देता .. पूरा लुंड मुँह के अंदर लेने को .. सांस रोक कर कैसे मुँह मैं पूरा लुंड अंदर लेना , उसने मुझे बताया .. मैं कोशिश की ओर आखिर मैं उसका पुर ८ इंच का मोटा लोडा मेरे गले मैं घुस गया .. मेरी चुत मैं  कम्पन हो रही थी .. ठीक एकसात हम दोनों झड गए .. विवेक मेरा सब पानी चाट रहा था ओर मैं भी विवेक का सब वीर्य .. गाढ़ा माल निगल गयी. हम  दोनों एक सात चिपक कर सो गए .. विवेक ने कहा .. एक बात बताऊ राणी .. तुम बहुत सेक्सी लड़की हो .. तुम बहुत गिल्ली हो जाती ओर पानी भी छोड़ती हो ..ओर तुम्हे एक के बाद एक मल्टी ओर्गास्म्स भी आते हैं . दुनिया मैं सिर्फ ५० प्रतिशत  औरतों     को ओर्गास्म्स आते हैं ओर सिर्फ १ -२ प्रतिशत औरतों को मल्टी ओर्गास्म्स का सुख मिलता हैं.

विवेक की बात सुन कर मैं खुश हो गयी .. विवेक ने कहा चलो सात नहाते हैं .. उसके बाद मैं सिर्फ तुम्हे ओरल सेक्स सिखाऊंगा ओर फिर खाने के बाद तुम्हे चुदाई का गेम सिखाऊंगा .. हम दोनों बाथरूम चले गए ..शावर मैं एक दूसरे को चूमा चाटी करते , साबुन लगाते ओर विवेक मेरी चुत चाटता ओर मैं उसका लण्ड ओर टट्टे . अचानक मेरी चुत चाटते विवेक ने मुझे उल्टा कर के झुकाया ओर मेरी गांड फैला कर मेरी गांड दबा दबा कर छेद चाटने लगा . मैंने कहा क्या कर रहे हो विवेक ,, यह गन्दा हैं .. विवेक ने कहा राणी .. तुम इतनी खूबसूरत हो तेरी कोई चीज गन्दी कैसे हो सकती हैं, बस एन्जॉय करो ओर उसने मेरी गांड की छेद मैं जीभ डाल दी . मुझे बहुत अच्छा महसूह हुआ ओर चुत मैं फिर से झुरझुरी होने लगी . मैं बी अब गांड विवेक के मुँह पर दबाने लगी .. विवेक ने कहा .. वह राणी .. क्या खुश्बू हैं, तेरी गांड की महक ही मस्त हैं .. मैंने कहा ..चलो झूंटे.. गांड से भी कभी महक आती हैं .. विवेक ने कहा तेरी कसम जानू .. तू खुद एकबार एक्सपीरियंस ले ओर फिर बता  . ऐसे बोल कर विवेक उल्टा झुक  कर खड़ा हो गया ओर अपनी गांड पकड़ कर अपने हाथों से फैला दी .. मैं दंग रह गयी .. उसकी गोरी गांड पर बहुत बाल थे ओर बहुत खूबसूरत लग रही थी .. उसकी गांड की छेद एकदम पिंक था ओर बालों से भरी थी .. जो कोई सुन्दर चुत जैसे लग रही थी. मैंने धीरे से मुँह उसकी गांड की चिर के पास ले गयी .. मुझे अजीब मरदाना खुश्बू महसूस हुई .. अपने आप को रोक नहीं पायी उस खुश्बू से ओर अपना मुँह उसकी गांड की छेद पर रखकर चाटने लगी .. मुझे उसकी खुश्बू ओर स्वाद बहुत पसंद आया . विवेक मेरे ऐसे करने से पगला गया ओर मुझे उठाया ओर शावर में  घोड़ी बना कर कर उसका मोटा लण्ड मेरी चुत मैं डाल दिया .. मेरी चुत पहले से बहुत भीगी थी .. उसका आधा लण्ड आसानी से चला गया .. दर्द हो रहा था पर कल से कम .. उसने मुझे से पीछे से पकड़ रखा था, मेरे बूब्स दबाता , आगे से मेरा दाना दबाता , ओर धीरे धीरे लुंड अंदर डालता .. पूरा लण्ड अंदर डालने के बात उसने मुझे सीधा खड़ा किया ओर मेरे चेहरा पकड़ कर मुझे किस करने लगा .. ले रंडी.. पूरा लुंड मेरा सिर्फ एक दिन मैं निगल गयी .. ले ले मेरा सारा माल अपनी चुत मैं .. बन जा मेरी बच्चे की माँ ..

मैंने भी जोश मैं कहा दिया .. हाँ  कमीने ..पीला दे मुझे तेरा माल .. बना दे अपने बच्चों की माँ .. मैं तेरी रंडी हूँ .. चुदवा ले मुझे ..ओर ठीक उसी समय हम दोनों एक सात झड गए .. विवेक का वीर्य अंदर मेरी बच्चेदानी तक फील करती .. ओर यह नेचुरल सेक्स क्यों लोग पसंद करते हैं यह भी पता चला .

विवेक ने धीरे से लण्ड मेरी चुत से  बहार निकाला .. आज सिर्फ माजा आया था ..दर्द गायब हो गया था .. नेरी चुत से विवेक का वीर्य नीचे जांघों से बेहेने लगा .. विवेक इन अपनी हाथों से वीर्य इक्कठा किया ओर मेरे मुँह मैं हाट डाल दिया .. मैं उसका हाथ चाट रही थी ओर उसके ओर मेरे दोनों के पानी का मिश्र का स्वाद ले रही थी .. मुझे अब यह स्वाद भी पसंद आने लगा था .
हम बाथरूम से बहार आये .. एक दूसरे को टॉवल से पोछा .. विवेक मुस्करा रहा था .. कहा .. मेरी रंडी बनकर कैसा लग रहा हैं ? मैंने शर्मा कर कहा बहुत अच्छा .. ओर उनसे फिर से लिपट गयी 

हमें भूक लग गयी थी . विवेक ने कहा अब आज की चुदाई इतनी ही राणी.. अब हम खाना खाएंगे .. फिर उसके बाद मैं तुम्हे आज सिर्फ ओरल सेक्स सिखाऊंगा .. मुझे तेरी जिस्म का हर एक अंग अंग चाटना हैं, स्वाद लेना हैं, तुझे भी लण्ड  का स्वाद पसंद हैं , आह बस खाने के बाद सिर्फ मीठा ही मीठा होगा .

मैं मुस्करा दी ... कितनी एनर्जी हैं विवेक मैं , कितना ख्याल हैं ओर इज्जत हैं उसको मेरी .. हां सेक्स के वक्त वह वाइल्ड जरूर बन जाता हैं बार सके बात बहुत प्यार से बातें करता हैं.

खाना विवेक को बहुत पसंद आया .. मैंने प्यार से बनाया था .. उसने जिद की की मैं अपने हातों से खिलाऊ , मैं एक एक निवाला उसको भर्ती ओर वह प्यार से खाता ओर मुझे भी खिलाता.

खाने के बाद वह बिस्तर पर लेट गया .. ओर मुझे पास बुला कर अपनी बाँहों मैं भर लिया .. मैं उसकी बालों वाली बगल मैं चेहरा छुपा कर चिपक गयी .. उसकी बगल से अजीब मर्दाना खुश्बू आ रही थी, जिससे मुझे फिर से नशा होने लगा. विवेक बैठ गया ओर कहा.. आओ राणी मेरी गोदी मैं बैठ जाओ .. मैं अपने दोनों पैर  उसके कमर पर लिपट कर उसकी जांघों मैं बैठ गयी .. मुझे अपनी गांड पर उसका सख्त लण्ड महसूस हुआ .

फिर उसने मेरा चेरा प्यार से सहलाया ओर मुझे किस करने लगा .. उसने मुझे फ्रेंच किस कैसे होता वह बताया .. भले अंजू आंटी ठंडी थी पर ऑफिसियल बहार देश की टूर मैं अकेला विवेक बहुत एन्जॉय करता ..रोज रत को नयी पार्टनर के सात सेक्स एन्जॉय करता .. जिसके कारन वह पहुंचा हुआ खिलाडी था .. सेक्स एक्सपर्ट था.. उसने कोई बात मुज़से छिपाई नहीं .. मैं खुश थी की मुझे ऐसा मर्द मिला जिसने मेरी चुत की झिल्ली का कचूमर बना दिया .. अगर इतना सेक्सी आदमी सेक्स एन्जॉय करता हैं तो उसमे बुरा क्या हैं ? विवेक ना कहा .. ठीक कहा राणी .. ओर यही बात औरतों के लिए भी लागू हैं....   अगर तेरी जैसी सेक्स लड़की , सेक्स एन्जॉय  करती हैं , तो गलत क्या हैं ? ओर इतनी खूबसूरत चुत को हक़ है की वह हर टाइप के मर्द ओर लण्ड से मजे ले .. मुझे बात ठीक लगी ओर यही बात मेरे जीवन का आधार बन गयी ..

डीप किस करते वक़्त विवेक ने मेरा मुँह खोला ओर थूक दिया .. मैं एकदम सरप्राइज थी .. पर मैं सारा थूक  निगल गयी ओर मुझे अच्छा लगा .. फिर विवेक ने कहा आजा राणी .. अब तू मेरे टट्टे चाट .. कुछ नहीं सिर्फ टट्टे चाटोगी..कम से किम १५ मिनट . मैं उसके जांघों के पास आ गयी .. विवेक ने पैर फैला दिए ओर ऊपर छाती से लगा लिए .. उसका लण्ड  आज पूरा शेव  ओर चिकना लग रहा  था .. ओर उसके टट्टे एकदम बड़े बड़े गोलगप्पे की तरह ऊपर नीचे उछल रहे थे .  मैं जीभ बहार निकली ओर उसके टट्टे चाटने लगी .. बहुत मजा आ रहा था ..विवेक गरम हो चूका था ओर आँहे भर रहा था ..  १० मिनट बाद मैंने महसूस किया की टट्टे की अपनी महक ओर खुश्बू हैं ओर स्वाद भी .. जो मुझे पसंद आ रहा था ..ओर मैं उसके दोनों टट्टे एक सात मुँह मैं लेने की कोशिश कर रही थी .. 

आह राणी रुक जाओ अब..नहीं तो मेरा पानी नीकल जायेगा ..क्या मस्त चाटती हो .. तू एकदम रंडी की तरह .. ओर उसने मुझे अपनी बाँहों मैं उठा लिया .. अब वह अपना मुँह मेरे बूब्स मैं घुसा दिया ओर चाटने लगा .. वाह राणी क्या मस्त बड़े आम हैं तेरे .. आज तो उसको चूस चूस  कर तेरा दूध पी लूंगा .. वह तेरी चूचियां .. कितनी बड़ी हैं.. एक इंच लम्बी .. बहुत बार तेरी शर्ट से देख लेता ओर मूठ मारता की कब यह बड़ी बड़ी चूचिया मेरी मुँह मैं आएगी ..आज मेरा सपना पूरा हो गया 

विवेक मेरी चूचियां चूसने लगा ..मेरे शरीर मैं अजीब कसक जाग उठी.. ओर मैं छटपटाने लगी .. मैंने विवेक को दूर करने की कोशिश की पर वह नहीं माना ओर मेरी चूचियां जोर जोर से चूसने लगा .. मैं कण्ट्रोल नहीं कर पायी ओर उसका सर जोर से दबा लिया ओर मेरे शरीर मैं कही झटके आये ओर मैं जोर से झड गयी ओर मेरी चुत से पानी की गंगा बही जो विवेक ने चाट कर साफ कर दिया, विवेक ने कहा .. देखो राणी .. मैं जानता था की तुम्हारे यह लम्बी निप्पल्स बहुत सेंसिटिव होंगी.. सिर्फ इसको चूसने से तुम झड गयी ओर तेरी चुत ने भी पानी की गंगा बहा दी , मैं भी हैरान थी .. आज तक ऐसे कभी नहीं हुआ था .. विवेक मेरी शरीर को ओर मेरी जरूरतों को मुज़से भी अच्छी तरह से जान गया था .  

मैं थक गयी थी .. आज तीसरी बार मैं झड गयी थी .. मैं निढाल हो कर विवेक के नंगे बदन पर छिएक गयी ओर उसके छाती पर सर रखकर सो गयी .. 

करीब एक डेढ़ घंटे के बाद जब आँख खुली तो विवेक भी सोया था .. मेरा हात उसकी चेस्ट पर था .. मैंने नीचे देखा ..मेरा खिलौना .. उसका लण्ड एकदम कड़क हो गया था .. ओर उसके लुंड के लाल टोपे पर शहद की बून्द चमक रही थी .. मैंने प्यार से उसके लण्ड पर हाथ रखा ओर सहलाया .. एक बड़ा शहद का बून्द बहार आया .. मैं मुँह निचे कर के उसको चाट लिया .. मेरे जीभ के स्पर्श से उसका लण्ड सिहर गया ओर एक बड़ा झटका मारा .. मैंने भी प्यार से पूरा गुलाबी काला लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिया.

अब मैं विवेक को जगाना नहीं चाहती थी .. इसलिए सिर्फ उसके लण्ड को मुँह मैं अंदर ले कर उसकी पेट पर सर रख कर सो गयी .. कभी ज्यादा अंदर लेती , कभी कम..अब उसका आधा लुंड मेरी मुँह मैं था .. मैं ना उसको चूस रही थी ना जीभ फिरा रही थी.. मुझे विवेक को जगाना नहीं था.

इसी पोजीशन मैं दस  मिनट मैं मैंने विवेक का तीन चौथाई लण्ड मुँह मैं ले लिया था .. ओर अपनी साँसों पर कण्ट्रोल रखा था .. मैंने ओर ज्यादा कोशिश की ओर उसका पूरा लण्ड मेरे गले तक फस  गया .. मुझे बैचनी हुई .. साँस रुक गयी .. पर मैंने धीरे धीरे सांस लेने की कोशिश की ओर मुँह ओर ज्यादा खोल दिया .. अब मुझे साँस लेना आसान हो गया .. ओर विवेक का पूरा लण्ड मेरी मुँह मैं था ओर मेरे लिप्स उसके पेट पर चिपक गए .. मैंने धीरे से मुँह दूर किया ..ओर फिर से लण्ड मुँह से  बहार कर के फिर से निगल गयी .. मैं लगातार ऐसे कोशिश करती रही ओर विवेक का लण्ड अब फड़फड़ा रहा था ओर जोर से झटके दे रहा था .. क्या विवेक जाग गया था ? मैंने मूड कर देखा .. विवेक प्यार से मुस्करा रहा था .. बोला ..राणी अगली ट्रेनिंग तुम्हारी यही थी..पर तू तो अपने आप सिख गयी..पूरा लुंड मुँह मैं कैसे ले. विवेक अब जोर जोर से मेरा मुँह को चोदने लगा ... उसने मेरी जांघों को पीछे खींच लिया ओर मेरी चुत ओर गांड दोनों को चाटने लगा .. ओर एक बड़ा झटका देकर अपना पानी मेरे मुँह मैं छोड़ दिया .. मैंने भी प्यार से सारा पानी पी लिया ओर उसका लुंड चूस चूस कर सारा पानी निगल गयी..

विवेक ने मुझे उठाया ओर प्यार से अपनी बाँहों मैं लिया..कहा ..राणी..तू सच मैं मेरी राणी हैं.. इतने जल्दी सब सिख गयी.. आजतक कोई मेरा लण्ड पूरा मुँह मैं नहीं ले पाया .. तूने वह कर दिया जो कोई ना कर पाया ..ना अंजू ना कोई दूसरी औरत . मैं बहुत खुश हो गयी  ओर वह मेरा मुँह खोल कर प्यार से उनका पानी मेरे मुँह से चूसने लगे .. कभी वह उनका गाढ़ा पाणी अपने मुँह मैं लेते .. कभी फिर से मेरे मुँह मैं डाल देते    .. ऐसा मुझे अजीब नहीं लगा क्यूंकि हम चॉक्लेट ऐसे खा चुके थे..बाद मैं उन्होंने मुझे बताया की इसको कम स्वैपिंग भी कहते हैं.
तभी मुझे माँ की कॉल आयी .. संध्या हम कल रात को ट्रैन मैं बैठ रहे हैं..परसो सुबह आएंगे. मैं दुखी हो गयी.. अब सिर्फ एक दिन ही था मेरे पास , विवेक ने कहा चिंता मत करो कुछ हल ढून्ढ लेंगे. हमने एक सात नंगे बैठकर  चाय पी , विवेक के जाने का टाइम हो गया था .. फिर कल वापस आऊंगा का वादा कर के चले गए.. जाते जाते उन्होंने मेरी ब्लू कलर की पैंटी उठायी ओर अपनी  ऑफिस बैग के एक कप्पे मैं छुपा कर रख दी .. कहने लगे .. जब भी टूर पर जाऊंगा , इसको सूंघूंगा ओर तेरी याद से मूठ मारूंगा, तेरी तरफ से मुझे यह गिफ्ट .. मैं भी हंस दी.. कहा ओर मेरे लिए क्या गिफ्ट दोगे आप .. उन्होंने उनकी जॉकी की ब्रीफ्स .. रेड कलर वाली मेरे मुँह पर फेंक दी.. यह तेरे लिए .. इसे सूंघकर मेरे लण्ड को याद करना  ओर हस के चले गए .. 

मैंने सोचा .. मर्द को खुदसे ज्यादा प्यार उसके अपने लण्ड से होता हैं.. उनको याद ना करू पर उनके लण्ड को जरूर याद करू .. वाह रे मर्दों .. क्या तुम्हारी दुनिया..स्टार्ट ओर एन्ड सब लण्ड पर आकर ख़तम होती हैं .. मैं समज गयी थी की किसी भी मर्द को वही औरत पसंद आती हैं जो उससे नहीं पर उसके लण्ड से बेपनाह मोहोब्बत करे ... 

मैं  खाना खाकर बेड पर लेट गयी .. थक  गयी थी .. बाजू मैं मुझे विवेक की निकर - जॉकी दिखी .. मैंने उसे उठाया ओर मुँह के पास लेकर सूंघने लगी.. वही खुश्बू .. वही स्वाद ..विवेक के लण्ड का  मैंने उसको अपने तकिया पर रख दिया ओर उस पर मुँह रख कर सो गयी.. अपने विवेक जानू की खुश्बू सूंघती हुए  ..ओर तीसरे दिन का इंतजार करने लगी..

दोस्तों क्या मैं सही कर रही थी ? प्लीज फीडबैक  रिस्पांस दे ओर लाइक्स भी..
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#9
PART 5 अपडेट 

मैं सोने की कोशिश कर रही थी पर विवेक की निकर की खुशबु मुझे बार बार उनके लण्ड की याद दिला रही थी. मैं फिर से गरम होने लगी .. मैंने एक लूज़ टी शर्ट पहना था और एक बहुत ही छोटी सी शॉर्ट्स .. मैंने दोनों निकाल के फेक दिए और अपने हातों से चूत सहलाने लगी .. शेव की वजह से मेरी चूत  बहुत ही चिकनी और सेंसिटव हो गयी थी.. मुझे बहुत अच्छा फीलिंग आ रहा था .. मेरी चूत बहुत कोमल और नाजुक लग रही थी .. ऐसे भी विवेक ने चोद चोद कर उसको माखन जैसे मुलायम बना दिया था .. मैं प्यार से अपनी चूत को सहला रही थी और चरम सीमा पर थी तभी दरवाजे पर बेल रिंग हो गयी ..  मैंने सोचा इतने रात को कौन आया होगा .. मैंने झट  से टी शर्ट और शॉर्ट्स पेहेन ली और keyhole  से देखा.. मुझे विवेक खड़े दिखाई दिया . मैंने झट से दरवाजा खोला और विवेक एक टूरिस्ट बैग लेकर जल्दी अंदर आ गया ताकि कोई  सामने वाले फ्लैट्स के पडोसी न देख ले . मैं हैरान थी . विवेक टी शर्ट और जीन्स पहने था ..मुझे छोटी चड्डी मैं देखकर हवस भरी नज़रों से देख कर बोले .. ओह राणी तुम इस वेस्टर्न कपड़ों मैं गजब लग रही हो .. मैंने हंस कर पूछा .. क्या विवेक , अंजू आंटी ने घर से निकाल दिया क्या ? वह बोलै नहीं राणी..परसो सुबह तुम्हारे पेरेंट्स आ जायेंगे , हमें आज रात का ही मौका हैं , इसको हाथ  से कैसे निकलने दे.. इसलिए मैंने अंजू से बहाना बनाया की मेरी कल सुबह पुणे अर्जेंट बिज़नेस मीटिंग हैं और आज रात को ही मुझे निकलना पड़ेगा, और मैं परसो सुबह तक आ  जाऊंगा. विवेक  की बात सुन कर  मैं जोर से हसने लगी .. वाह क्या दिमाग पाया हैं .. विवेक ने कहा .. अंजू को मेरी ऐसी अर्जेंट मीटिंग की आदत हैं..पर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं चला जाता हूँ. उसे मेरे हसने से गुस्सा आया था .. हरयाणवी मर्द था ..गुस्सा नाक पर होता हैं और लण्ड से बहार निकलता हैं..  हां हां हां 

मै विवेक के  एकदम पास गयी .. उसके गाल पर पप्पी दे दी और कहा ..तुम जाना चाहते हो तो जाओ .. वह और भी चिढ़ गया ..तुम मुझे ऐसे जाने को कहोगी  तो कैसे जाऊंगा ..? मैं फिर से उस के बहुत पास गयी .. अब मेरे बूब्स विवेक की  छाती पर चिपक रहे थे .. मैं उसे फिर से गाल पर पप्पी देने गयी.. पर इसबार वह सर घुमा लिए और उसके लिप्स  मेरे लिप्स पर लिपट गये और वो जोर से चूस कर किस करने लगा . उसने मेरे ओंठ चूसने चालू किया और मुझे दूसरे हाथ से कस कर पकड़ के रखा ताकि मैं दूर न भाग सकू . अब मेरा वार उलट गया था और मुझ पर भारी पड़ रहा था .. उसने मेरे मुँह मैं जीभ डाल दी  और मेरी चूत कसमसा गयी और गिल्ली होने लगी.. मैं भी उसके लिप्स को चूसने लगी और तभी उसने मुझे दूर हलके से धकेल दिए और बोला बताओ तो राणी अब सच मे चला जाऊ मैं? मेरी चूत गरम हो गयी थी और गंगा बहा रही थी.. मैं फिर बहुत धैर्य जोड़ कर बोली .. हाँ जाओ ना.. आपकी मर्जी ..  विवेक मुझे पैनी नजर से घूर रहा था और नटखट अंदाज मैं मुस्करा  रहा था . अब वह मुझ पर वार कर रहा था .. विवेक मेरे बहुत करीब आया .. उन्होंने अपनी जीन्स की बटन खोल दी और ...जीन्स पूरी नीचे गिरा दी .. अब वह घुटने तक पूरा नंगा था .. उसका लण्ड फूलकर नाग जैसे फुफकार मर रहा था .. और लण्ड के लाल टोपे पर शहद का बूँद चमक रहा था .. वह मेरे एकदम करीब आया और मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया . उसका लुंड बहुत गरम था और फनफना रहा था .. मुझे शहद की बूँद गुलाम बना चुकी थी .. भूकी नजरों से मैं उसके लण्ड को देख रही थी .. और विवेक बड़ी गौर से मेरी आँखों मैं देख रहा था .. उसकी पैनी नजर मुझे बेबस कर रही थी .. मैं उसके कदमो पर बैठ गयी और उसका लण्ड पकड़ कर बूँद चखने जीभ बहार निकाल दी .. और तभी वह  मेरे हाथों से अपना लण्ड छुड़ाकर पीछे हट गया .. बोला .. अब बोलो राणी सच मे चला  जाऊ मैं ? मैंने कहा नहीं मेरे राजा मैं तो मजाक कर रही थी. उसने कहा नहीं तू झूटी हैं ,  मैं तो जाऊंगा ..तुम्हे मुझे रोकने के लिए मिन्नतें करनी पड़ेगी .. मैंने कहा प्लीज जानू मत जावो ..  रुक जाओ .. ववेक ने कहा - क्यों रुखु , तू मेरी कोण हैं बता ? मैंने कहा विवेक जानू मैं तुम्हारी रंडी हूँ .. प्लीज मत जाओ , मुझे तुम्हारा लुंड चूसने दो ,, वह खुश हो गया .. ठीक हैं राणी .. पहले शर्त कम्पलीट करो .. दोनों पूरा नंगा हो जाते हैं ..

पूरा नंगा होकर विवेक सोफे पर बैठ गया और बोला .. आओ मेरी रंडी .. मेरी जंघा पर बैठ जाओ .. विवेक का लुंड पूरा आसमानी सलामी दे रहा था .. मैं प्यार से उसके गोदी मैं उसके जांघों पर बैठ गयी ..

दोस्तों तभी मुझे महाभारत की कहानी याद आयी .. आज पहली बार कहानी कि प्रमुख घटना समाज मैं आयी थी .  दुर्योधन ने भी द्रौपदी से कहा था .. आओ तुम्हे राणी बनाऊंगा और अपनी धोती खोल कर ..आओ मेरी जंघा पर बैठ जाओ कहा था .. इसपर मेरा निष्कर्ष नीचे लिखा हैं.. आप जरूर बताये की आप को क्या सही लगता हैं ..

१. दुर्योधन अपनी धोती खोल कर अपना मोटा तगड़ा लण्ड द्रौपदी  को दिखा कर उसे अपने लण्ड पर बिठाना चाहता था 
२. उस समय के लेखक संस्कारी थे इसलिए लण्ड की बजाये दुर्योधन ने द्रौपदी को जंघा पर बैठने कहा - ऐसे लिखा 
३. दुर्योधन जंघा पर बिठा कर द्रौपदी को चोदना चाहता था .. भरी  राज महफ़िल मैं 
४ दुर्योधन सेक्स मैं एक्सपर्ट था , भारी राजसभा मैं अपने बाप, दादा, सैनिक, भाई, माँ, सब के सामने वाह द्रौपदी को अपने लण्ड पर बैठने ककि न्योता  देता हैं, उसका कॉन्फिडेंस देखो / इतना कॉन्फिडेंस किस्मे देखा हैं?
५.   द्रौपदी दुर्योधन के लुंड पर बैठ कर ज्यादा सुखी होती , वह रोज उसे मनसोक्त चोदता 
६.  दुर्योधन की जंघा पर ना बैठकर द्रौपदी  ने अपना नुकसान करवा लिया , ५ पांडवों से भी अच्छा वह द्रौपदी की चूत को चोद चोद कर माखन बना देता 
७. दुर्योधन ने कहा था - मेरे लण्ड पर बैठो , तुम्हे अपनी रंडी बनाऊगा , पुराणे संस्कारी लेखकों ने -  लण्ड को जंघा ओर रंडी को राणी लिख दिया 


आप अपना जवाब जरूर भेजे .. खैर अभी तो मैं विवेक की जांघों पर बैठने के लिए तरस रही थी .. मैं बड़े प्यार से अपनी गांड मटका मटका के विवेक के पास गयी और उनके जांघों पर बैठ गयी ..

विवेक ने कहा राणी तेरे लिए सरप्राइज हैं और उसने अपनी  बैग मैं से एक अच्छी ब्रांडेड मेहेंगी वाली वाइन बोतल निकाल ली और कुछ खाने का चकना भी .. वाह विवेक तुम तो पूरी तैयारी से आये हो .. तुम्हे पता हैं अल्कोहल से मैं कण्ट्रोल मैं नहीं रहती . विवेक ने कहा राणी किसने कहा कण्ट्रोल करो अब हम दोनों मैं कोई सीक्रेट नहीं हैं ..बात सही थी .. मैंने एक गिलास लाया और एक प्लेट ..
हम दोनों एक ही गिलास मैं वाइन पी रहे थे ..एक दूसरे के मुँह से वाइन पी रहे थे .. और मैं पूरी नंगी विवेक की जंघा पर बैठी थी . मुझे अब हल्का महसूस हो रहा था और हम बहुत चुम्मा चाटी कर रहे थे  मैं विवेक के मुँह को चूसकर वाइन पीती और ववेक मेरी मुँह से वाइन पीता. मैं अब गरम हो रही थी और मेरी चूत से पाणी बह रहा था . विवेक ने कहा देखो राणी तुम्हारे चूत के पाणी से मेरी जंघा पूरी गिल्ली हो गयी .. सच मैं उसकी जंघा पूरी चिपचिपी हो गयी थी .. तभी मुझे बड़ी जोर से पेशाब (सुसु) लगी और मैं उठने लगी. विवेक ने कहा इतने जल्दी कहा जारी हैं जान अभी तो रात बाकी हैं , मैंने कहा मुझे सुसु करनी हैं .. उसने कहा बाद मैं कर लेना जब बहुत ज्यादा प्रेशर हो जाये.. मैंने पूछा ऐसे क्यों..उसने कहा मुझ पर भरोसा नहीं ? मैं फिर से उसकी गोदी मैं बैठ गयी और हम दोनों फिर से वाइन पिने लगे .. विवेक ने कहा जानू देखो .. मेरा लण्ड कितना फुदक रहा, इसको प्यार करो ना .. मैं नीचे बैठ गयी और विवेक के लुंड को चूसने लगी और उसके बड़े टट्टे चाटने लगी . विवेक ने धीरे से वाइन गिलास से छोटी सी वाइन की धार अपने लण्ड पर डाली और कहा. राणी देखो सब वाइन पे लेना ..गिरने मत दो .. मैं विवेक के लुंड और टट्टे पर गिरा सारा वाइन चाट चाट कर पीने लगी .. बहुत मजा आ रहा था .. अलग  स्वाद और नशा हो रहा था .. आह राणी क्या बढ़िया रंडी की तरह चाट रही हो..और वह मुझे वाइन पिलाता गया और मैं उसके लुंड को चाट चाट कर वाइन पी जाती . फिर उसने कहा यहाँ ऊपर सोफे पर आ जाओ और लेट जाओ.. विवेक ने धीरे से अब वाइन मेरे बूब्स पर डाली और मेरे निप्पल्स भी चूसना चालू कर दिया .. हाई मैं मर जाती .. मेरे निप्पल्स कितने सेंसिटिव हैं आपको पता हैं .. बहुत देर तक विवेक मेरे निप्पल्स वाइन डाल कर चूसता रहा और मेरी चूत का बम धड़ाम से फट गया और पानी का झरना बहने लगा ..  ओह माँ .. करके मैं छटपटाने लगी .. और विवेक का सर पकड़ कर मेरी चूत पर रगड़ दिया .. जब मैं थोड़ी शांत हुई, चैन की सांस आयी..पर विवेक रुकने वाला नहीं था .. उसने आप वाइन मेरी चूत पर डाल कर चूत चाटने लगा .. मेरी चूत का दाना फूल कर आधे इंच का हो गया था .. विवेक उसे चूसता , चबाता , कभी हलके से काटता .. और मेरी चूत मैं फिर से तूफ़ान आने लगा .. विवेक मेरी चूत का सारा पानी वाइन के सात चाट कर पी गया .. अब मेरी चूत का दाना उसकी वार का शिकार था  .. वह मेरे दाने को अपनी जीभ से , दातों से मसल रहा था .. मेरे अंदर का तूफान बढ़ रहा था , मैंने फिर से विवेक का सर दबा दिया और .. हाई माँ मर गयी मैं .. करके फिर से मेरा झरना उसके मुँह मैं बहा दिया .. वोह राणी क्या मीठा शहद पीला रही हो .. १० मिनट मैं दो बार झड़ गयी ..  जैसे थोड़ शांत हुई.मुझे बड़ी जोर से सुसु लगी .. मैं खड़ी हो गयी पर विवेक ने पकड़ लिए..क्या हुआ जानू .. मैंने कहा विवेक अब कण्ट्रोल नहीं होता .. मुझे जाने दो नहीं तो मैं यही सुसु कर दूंगी .. उसने भी हरयाणवी मर्दानी अंदाज मेंकहा तो फिर कर दो यही पर सुसु ..क्या दिक्कत हैं. मैंने कहा प्लीज जाने दो तुम जो कहोगे करुँगी .. विवेक ने कहा ऐसा हैं..पक्का ..तो आओ मेरे सात बाथरूम मैं . मैं समज नहीं पा रही थी की  विवेक की मन मैं क्या  चल रहा हैं और सुसु का प्रेशर मुझे कुछ सोचने नहीं दे रहा था . बाथरूम जाकर विवेक बाथरूम की फ्लोर पर पीठ के बल सो गया और कहा जानू जल्दी इधर आओ और मेरे  लुंड के ऊपर तुम्हारी चूत रख दो .. मैंने अपने दोनों पैर विवेक की कमर की बाजु मैं रख दी और उसकी लण्ड के ऊपर चूत रख दी .. उसके लण्ड का लाल टोपा अब मेरी चूत को छू रहा था .. और उसने कहा राणी अब करो सुसु . मेरे से बिलकुल कण्ट्रोल नहीं हो रहा था और एक जोर की धार से मेरी सुसु बहार निकाल गयी और विवेक के लण्ड को नहलाने लगी .. विवेक - वाह राणी .. तेरी गरम सुसु  ने मेरे लण्ड  को पत्थर जैसे फौलादी बना दिया . विवेक अपने लण्ड  को मेरी सुसु मैं हिलाने लगा .. मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी पर मुझे एकदम नया लग रहा था और अच्छा भी .. बहुत देर तक मैं अपनी सुसु की धार विवेक के लण्ड और टट्टे पर डाल रही थी .. विवेक फटी आँखों से मेरी चूत से बहती सुसु की धार को देख रहा था .. मेरी सुसु मैं उसका लुंड, टट्टे, गांड, कमर, पेट सब भीग रहा था .. मेरी धार अब कम हो रही थी पर विवेक की नजरें मेरी सुसु और चूत पर थी .. मैं खुश हो गयी की सुसु अब ख़तम हो गयी .. पर विवेक ने अब तक मेरी गांड अपने हाथों  पकड़ ली और जैसे मेरी सुसु बंद हुई  उसने एक झटके मैं मेरी गांड नीचे कर के अपना फौलादी लण्ड मेरी चूत मैं घुसा दिया . मुझे यह एक्सपेक्टेड नहीं था . मैं ूई माँ कर के चीला उठी .. दर्द की एक जबरदस्त चीख से .. मेरी सुसु से चिप - चिपाया विवेक का लण्ड पूरा अंदर मेरी चूत मैं घुस गया था .
ओह मेरी  राणी,  तेरी चूत एकदम अंगार की भट्टी हैं.. अब तू धीरे धीरे ऊपर नीचे उछाल .. बोल के विवेक ने फिर मेरी गांड अपने दोनों हातों से नीचे से पकड़ ली और मुझे धीरे धीरे ऊपर नीचे करना लगा .. मुझे अब मजा आने लगा था .. मैं अपने मन मर्जी से ऊपर नीचे होती और विवेक के लण्ड से अपनी चूत कुटती. मुझे पता चल गया की विवेक अब मेरी कण्ट्रोल मैं हैं.. उसका रिमोट अब मेरी हातों मैं हैं. 

मैं गांड उछाल  उछाल कर विवेक के लण्ड पर फुदक रही थी .. हम दोनों इतने गरम हो गये की बहुत जल्दी झड़ गये .. और विवेक ने सारा पाणी मेरी चूत के अंदर चोद दिया . मैं थक कर विवेक के ऊपर गिर गयी .. हम दोनों एक दूसरे को  किस करने लगे .. विवेक ने धीरे से मेरे कान मैं कहा .. राणी मजा आ गया ना .. मैंने कहा हां  जानू बहुत मजा आ गया .. विवेक ने कहा राणी अब सुसु .. मुझे भी जोर से आ  रही हैं   .. बोलो क्या करू .. मैंने कहा तुम भी मेरी चूत पर सुसु कर दो .. हम अलग हुए .. मैं नीचे बैठ गयी .. विवेक खड़े हो कर सुसु की धार मेरी चूत पर गिराने लगा .. उसकी गरम सुसु की धार से मेरी चूत फिर से गरम हो गयी .. उसने कुछ सुसु की धार मेरे पेट और बूब्स पर भी डाल दी .. मैंने भी गरम होकर उसके सुसु से मेरे बूब्स और चूत कि मसाज कर दिया . हम दोनों बहुत खुश थे ,, विवेक ने मुझे उठाया और शावर खोल दिया .. हम दोनों एक सात नहाने लगे ..साबुन से साफ करने लगे ..

अब हम दोनों टॉवल से सुखकर बिस्तर पर आ गये .. रात के बारह बज गये थे .. नशा अभी भी थोड़ा थोड़ा था ..मैं थक कर विवेक की बाँहों मैं सो गयी . विवेक के साथ चिपक कर स्पून पोजीशन मैं सो गयी.. मेरी बैक विवेक की छाती से चिपकी थी .. उसका एक हाथ  मेरी बूब्स पर था ..और एक पैर मेरी कमर पर.. मेरी गांड पर उसका लण्ड रगड़ रहा था .. मैं चैन की नींद सोने लग गयी ..

रात को बीच मैं आंख खुली तो चूत मैं कुछ फसा था .. विवेक ने धीरे से अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत मैं डाल दिया था .. मुझे अच्छा लग रहा था .. विवेक धीरे धीरे मुझे धक्का मर रहा था .. बहुत देर तक यह सिलसिला चला .. मैं पता नहीं कितने बार झड़ गयी .. विवेक ने दूसरे दिन बताया की उस दरम्यान  मैं २ बार झड़ी और उसने भी  मेरी चूत मैं पाणी गिरा डाला था  .. 

सुबह उठी विवेक सो रहा था .. मेरी गिल्ली चूत से विवेक का सफ़ेद पाणी नीकल रहा था . एकदम मुलायम और माखन जैसे चिकनी चूत हो गयी. मुझे मेरी चूत पर बड़ा गर्व महसूस हुआ ..

उस दिन हम दिन भर यही सेक्स का गेम खेलते रहे .. हमारी सेक्सुअल केमिस्ट्री और बॉडी केमिस्ट्री जबरदस्त फिट हो गयी थी. विवेक ने कहा की आगे जब भी मौका मिलेगा, ऐसे ही एन्जॉय करेंगे . पर तुम पढाई मैं भी ध्यान देना ,, तुम अगर अच्छी डिग्री और  अच्छा करियर बनाओगी तो इंडिपेंडेंट रहोगी, अपने पैरो पर कड़ी रहोगी और सब मर्दो को नचाओगी .. अगर डिपेंडेंट हो गयी तो हस्बैंड या कोई ओर मर्द की गुलाम बन के रह जाओगी .. बात मुझे सही लगी 

उस दिन कई बार सेक्स करके रात को १२ बजे विवेक (पुणे से मीटिंग ख़तम कर के) अपने घर गया .
मैंने भी घर की साफ सफाई की..बेडशीट्स चेंज किया..सुबह पेरेंट्स आने वाले थे .. उन्हें कोई भनक नहीं लगनी देनी थी .. 

उसके बाद जब भी मौका मिल जाता हम सेक्स एन्जॉय करते .. कभी अंजू आंटी बच्चों के लेकर मायके जाती , या कभी मेरे फॅमिली वाले .. पर इतना फ्री मौका फिर कभी नहीं मिला ..12th  के बाद मैं भी दूसरे शहर मैं गोवेर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज आ गयी .. हॉस्टल मैं रहने लगी..

२ साल बाद विवेक अंकल भी जॉब चेंज कर के बैंगलोर चले गये .. उनसे एक बहुत सुन्दर रिश्ता बन गया .. जो बेहद खूबसूरत रहा .. विवेक ने कभी मेरा फ़ायदा नहीं उठाया नाही मुज़से  कभी जबरदस्ती की .. पर मुझे बहुत सीखा दिया .. उन्ही के कारन मैं खुद कि सेक्स लाइफ इतना एन्जॉय कर पायी . आगे चलकर जोब मे,  या बहार कही भी मर्दों की दुनिया मैं बड़ी कॉन्फिडेंटली मर्दों को हैंडल करती गयी 

हॉस्टल आकर जल्दी मेरा बॉयफ्रेंड भी बन गया .. उसकी कहानी और मेरी शादी  और दूसरे अनुभवों को कहानी अगले हिस्से मैं बताउंगी ..

लाइक्स और रिस्पांस जरूर देना दोस्तों ..
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#10
Thank you sonu ji..aise hi badhaava dete rahiye...
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#11
स्टोरी अपडेट - ६

अपने होशियारी और मेहनत से मुझे 12th  मैं अच्छे मार्क्स आये और मुझे  टॉप इंजीनियरिंग   कॉलेज मैं एडमिशन मिल गयी. तब जमाना अलग था - न मोबाइल, न फ़ोन्स न सोशल मीडिया, इंजीनियरिंग मैं भी बहुत कम लड़कियां एडमिशन लेती थी - केवल ५ - १० % लड़किया होती, इसलिए पुरे कॉलेज के लड़के इन्ही लड़कियों पर आँख जमाये बैठते ,

विवेक ने मुझे चोदकर लड़की से औरत बना दिया था और मेरा रूप रंग और ज्यादा खिल गया था . मैं जैसे पहले दिन कॉलेज गयी, सब लड़के मुझे भूकी वासना भरी नज़रों से देखने लगे. ऐसे ही इंजीनियरिंग कॉलेज मैं रैगिंग बहुत होती हैं और सुन्दर लड़की की सब से ज्यादा - हर कोई इंट्रोडक्शन करना चाहता था . सीनियर लड़कियां कम थी पर बड़ी कमीनी थी - रैगिंग  लेने मैं पीछे नहीं थी . मैं खुश थी मुझे इतना अच्छा कॉलेज मिला. घर से यहाँ आते वक्त विवेक ने कहा था , संध्या सिर्फ पढाई नहीं करना , मस्ती भी करना , कॉलेज के यह पल बहुत हसीन होते हैं, जिंदगी मैं दुबारा नहीं आएंगे .
कॉलेज ज्वाइन करके ८-१० दिन हो गए थे, अब रोज रैगिंग और इंट्रो से लगभग सभी सीनियर्स लड़कों को जान गयी थी, एक दिन कॉलेज के सीढ़ियों पर कुछ कमीनी सीनियर्स लड़कियों ने मुझे रोक लिया . ऐ संध्या इधर आ ..मैं उनके पास चली गयी  और विश किया - गुड मॉर्निंग to  आल madams , यही रैगिंग मैं  फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को  बताया गया था. रैगिंग कुछ इस तरह हुई ..
सीनियर: तेरा कोई बॉयफ्रेंड है
मैं: नहीं मैडम
सीनियर: क्यों नहीं हैं ? सेक्स की इच्छा नहीं होती?
मैं: होती हैं
सीनियर: फिर क्या कराती हो? चुत से खेलती हो? ...
वगैरे वगैरे.. फिर
सीनियर: जा यह गुलाब का फूल ले और वहा प्लेग्राउंड मैं जो लड़के खेल रहे हैं , उनमे से किसी एक लड़का जो भीतुजे पसंद हो उसको  प्रोपोज़ कर, हम देख रहे हैं, भाग न जाना. यह रैगिंग मैं कॉमन था.. बहुत सारे लड़कियों के सात हुआ था , बहुत सारे फर्स्ट ईयर के लड़के भी मुझे प्रोपोज़ कर चुके थे , मैं इस खेल को जानती थी 
मुझे पता था यह कमीनी लड़किया छोड़ेंगी नहीं .. ऐसे भी वह मेरी सुंदरता से जलती थी , उन्हें देखना था की कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की किसको प्रोपोज़ करती हैं, सब सीनियर लड़के भी आ गए और गौर से देखने लगे, .
प्लेग्राउण्ड की बैठने की सीढ़ियां थी.. वहा बहुत सरे सीनियर लड़के बैठे थे .. सब मेरी तरफ देख रहे थे , मेरे हाथ मैं गुलाब का फूल देख कर समझ गए की मैं वहा क्यों आ रही थी.
मैं चलते जा रही थी और सोच रही थी किसको फूल दिया जाये, मैंने तय कर लिया की जिस लड़के को देखकर मेरी चुत गिल्ली हो जाये उसी को प्रोपोज़ करुँगी और अब इस खेल मैं उतरना ही हैं फिर से तो पूरी शिद्दत के साथ मैदान मैं उतरूंगी .
वह कही सीनियर लड़के सिर्फ वेस्ट और शॉर्ट्स मैं थे, खेल की प्रैक्टिस कर रहे थे, कुछ बहुत हट्टे काटते बॉडीबिल्डर , खिलाडी , और सेक्सी थे . कुछ बेशरम ओर बिंदास कमीने  सीनियर लड़के  मुझे देखकर अपनी शॉर्ट्स पर से अपने लण्ड को सहला भी रहे थे .. ओर मुझे गन्दी नज़रों से देखकर नंगा कर रहे थे . तभी  मेरी आँखें उन आँखों से भीड़ गयी जो मुझे चिर के रख दी .. क्या नशीली खूबसूरत ऑंखें थी .. काला - सावला  रंग था, घुंगराले बाल, मोटे ओंठ , ६ फ़ीट ऊँचा, अच्छी बॉडी और मसल्स , और हेयरी बॉडी . मैं ने उसका नाम सुना था  ओर इंट्रो से जानती थी  - हरीशकुमार  रेड्डी - आंध्र प्रदेश से विजयवाड़ा से था, किसान जमींदार घराने से , 3rd  ईयर का टोपर , और खेल मैं भी रनिंग मैं स्टेट चम्पिओन था मैं बिना नजरें झुकाये , उसकी आँखों मैं आंख मिला के उसके एकदम पास गयी और उसको फूल देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया . सभी लड़के हक्का बक्का रहा गए - उन्हें लगा मैं किसी गोरे चिट्टे को प्रोपोज़ करुँगी . हरीश भी मुझे मुस्करा कर देख रहा था . रैगिंग के रूल के हिसाब से प्रोपोज़ मैंने ही करना था . मैंने हरीश  से कहा - सर आप मुझे पहुत पसंद हैं, यह गुलाब का फूल आपको देती हूँ और क्या आप मेरे बॉय फ्रेंड बनेंगे ? कुछ सीनियर लड़के हंस दिए ..उन्हें मजा आ रहा था, एक दो ने सिट्टी तक बजा डाली . अब वहा कमीनी सीनियर लड़किया भी मजा देखने आ गयी थी और आजु बाजु सीनियर लड़को की भीड़ जमा हो गयी थी. मुझे भी मजा आ रहा था , पर यह भी सच था की हरीश के लिए मेरे मन मैं हवस पैदा हो गयी थी और उसको देखकर चुत गिल्ली हो रही थी. हरीश कोई बहुत सुन्दर या मॉडल नहीं था , बस  एक आम मर्द की तरह आर्डिनरी दिखता था - पर बहुत स्मार्ट था ओर मुझे उसके लिए एक अलग  ही आकर्षण उसके लिए फील हो रहा था .. अब सोचती हूँ तो थोड़ा - साउथ फिल्म सुपरस्टर  एक्टर , बाहुबली फेम प्रभास की तरह दिखता था .
हरीश के कमीने सीनियर दोस्त और लड़कियों  को मौका ही चाहिए था ओर उन्होंने मुझे कई सवाल किये , जैसे - यह क्यों पसंद हैं? इसमें तुझे क्या दिखा ? इसको किस करेगी ? जब तक हरीश मेरे उत्तर से संतुष्ट नहीं  होता तब तक वह मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं करेगा ओर ना ही गुलाब का फूल लेगा . मैंने भी बिना डरे बड़ी बेशर्मी से सब के जवाब दिए ओर हरीश का गुणगान करती रही .  . 
इतने देर तक हरीश चुप था और बड़ी कमीनी हवस भरी नजर से  मुस्करा कर देखकर मुझे नंगा कर रहा था .. मैं समझ गयी थी की लोहा गरम हैं ओर हरीश पूरा मेरी जाल मैं फस गया हैं ओर वह मना नहीं करेगा.  पर उसके मर्दानगी का ईगो / अभिमान अब आसमान छू रहा था , कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की ने उसे प्रोपोज़ किया था ओर वह भी पूरी कॉलेज  के सामने - भले सब जानते थे की यह रैगिंग चल रही हैं .  कहते हैं की औरत का 6th  सेंस होता हैं और मुझे पता चल गया था की  हरीश ही वो मर्द  हैं जिसके सात मेरी केमिस्ट्री  बहुत रंग लाएगी . अब हरीश बोला, यार रुका, प्रोपोज़ मुझे किया हैं , सवाल भी अब मैं ही करूँगा . मुझे पहले लगा हरीश थोड़ा शर्मीला होगा, पर यह बिंदास लगा ..उसकी मर्दानगी जोश मैं थी . वह मेरे बहुत करीब आया .. मुझे उसके शरीर की महक आ रही थी ओर मेरी चुत फिर से गिल्ली होने लगी . हरीश ने  कमीने अंदाज से पूछा - मेरे लिए क्या क्या करोगी ? सीधा सवाल था पर बहुत कुछ था उसमे .. मैंने कहा - सर आप के लिए सब करुँगी - जो भी आपको पसंद हैं हरीश ने मुस्कुरा कर कहा - मुझे सेक्स पसंद है - उसकी इस बात से मैं शर्मा गयी - तभी दूसरा सीनियर बोला - हाय जान- क्या शर्माती है .. कसम से लोडा खड़ा हो गया . इंजीनियरिंग कॉलेज के लड़के ऐसे ही बिंदास होते हैं और बड़े कमीने भी,  मैंने हरीश से कहा - सर आपको कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी . सब सीनियर्स मेरे जवाब से खुश हुए ओर सिट्टी  बजाने लगे .  हरीश अब और भी बोल्ड और कॉंफिडेंट हो गया . हरीश - एक किस देगी ? अब सारा माहौल सन्नाटे मैं बदल गया .. सब देखने लगे की मैं क्या रिस्पांस देती हूँ . मुझे पता था क्या करना - भले ही मजाक चल रहा था पर इस समय हरीश के मर्दानगी ईगो को संतुष्ट करना जरुरी था, मुझे कुछ बड़ा कदम लेना था . मैं हरीश के एकदम करीब गयी, नजरें मिला कर , हरीश ने मेरे हाथ से गुलाब का फूल ले लिया था, मैं ने हलके से उसके गाल पर पप्पी दे दी और वहा से भाग गयी और हॉस्टल रूम मैं चली गयी .. पप्पी देने के बाद वहा बहुत शोर मचा और सिट्टिया बजायी गयी .. हरीश को उसके दोस्तों ने चैंपियन की तरह उसे कंधे  पर उठा लिया और नाचने लगे थे . दोस्तों यह २७ साल पहले की बात हैं , और ज़माने के हिसाब से मैं बहुत बोल्ड ओर बेधड़क काम कर के आयी थी .
दूसरे दिन कॉलेज में कैंटीन जा रही थी, साब लड़के मुझे मुस्कुरा कर नंगी नजरों से देख रहे थे .. कुछ सनीयर्स कह रहे  थे .. क्या हॉट माल हैं यार .. मेरे किस की घटना पुरे  कॉलेज मैं आग की तरह फ़ैल गयी थी ..जो सीनियर्स कभी कॉलेज भी नहीं आते वह भी आज मुझे देखने आ गए - कोण हैंयह खूबसूरत संध्या ..   तभी पीछे से आवाज आयी - मैंने देखा हरीश मेरी तरफ आ रहा था , मैं रुक गयी, हरीश ने कहा चलो चाय पीते हैं.. मैं उसके सात कैंटीन चली गयी, वहा पर हम बातें करते रहे - एक दूसरे के बारे में जानकारी लेते रहे . हरीश ने कहा - संध्या तुम बहुत सुन्दर हो, मुझे लगा नहीं था की तुम मुझे प्रोपोज़ करोगी ओर पप्पी भी लोगी. रैगिंग मैं मजाक ही सही पर मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ . मैंने शर्मा कर कहा - हरीश तुम सच मैं मुझे अच्छे लगे , इसलिए तेरी पप्पी ली. तुम अब दोस्त से बढ़कर हो मेरे लिए  अब हरीश मुझे प्यार से देख  रहा था - उसकी नजर फिर से मुझे नंगा महसूस करा रही थी . मेरी चुत फड़फड़ा रही थी . ऐसे बॉडी रिएक्शन सिर्फ कुछ मर्दों के संग रहने से ही होता हैं .  हरीश ने कहा मुझे असली किस चाहिए जान , गाल पर किस करने से अब कुछ नहीं होगा . मैंने कहा - हरीश तुम लड़के हो, पहल भी तुम ही करोगे , मैंने तुम्हे किसी चीज से मना नहीं किया .मुझे बोल्ड ओर कॉंफिडेंट बिंदास लड़के पसंद हैं .  हरीश खुश हो गया .. बोला शाम को मेरी प्लेग्राउंड मैं रनिंग की प्रैक्टिस होती हैं वही आ जाओ - ७ बजे . मैं खुश हो गयी ओर क्लॉसेस अटेंड करने चली गयी. हरीश रोज  ५-७ बजे प्लेग्राउंड मैं रनिंग की प्रैक्टिस करता था . जब मैं ७ बजे तैयार होकर पहुंची तब सूरज ढल चूका था, अँधेरा होने को था, ओर ग्राउंड पर भीड़ भी बहुत कम हो गयी थी. मैंने देखा हरीश रनिंग कर रहा था ओर उसने मुझे देख लिया था ओर दौड़कर मेरे पास आ रहा था, सिवाय १-२  लड़कों के के , प्ले ग्राउंड पूरा खली ओर सुनसान था 
हरीश  मेरे पास आया - वह सिर्फ वेस्ट (बनियान ) ओर एक बहुत छोटी शॉर्ट्स मैं था , ओर पसीने से लथपथ था ..उसकी  टाइट बनियान ओर छोटी सी शॉर्ट्स पसीने से पूरी गिल्ली हो गयी थी औरउसकी बॉडी को चिपक गईथी ..जिसे उसके छाती ओर गांड का उभार, ओर लुंड का उभार भी स्पष्ट दिखाई दे रहा था .   उसने मुझे आकर कसकर अपनी बाँहों मैं पकड़ लिया . मैंने एक टॉप ओर स्कर्ट पहना था .. उसके पसीने से मेरा टॉप गीला हो गया ओर मेरी ब्रा दिखने लगी थी . हरीश ने ऐसे ही मुझे ५ मिनट पकड़ के रखा - तुम तो बहुत सुन्दर लग रही हो मेरी जान , तुम्हे खाने का मन कर रहा .. मैंने कहा तो फिर खा लो ना, किसने मन किया .. पसीने  की वजह सी उसके शरीर से महक आ रही थी जो मुझे पागल कर रही थी . 
हरीश की हाइट अच्छी  थी, उसके गीले शॉर्ट्स से अब मुझे उसका गरम मोटा लण्ड अपनी पेट पर रगड़ता हुआ  महसूस हुआ , मेरी चुत फिर से गिल्ली हो गयी . वहा खड़े खड़े हरीश की गरम साँसे मेरे लिप्स पर आ गयी ओर उसने मुझे चूमना चालू किया .. उसने मुरे ओंठ चूसना चालू किया ओर अब मैं भी उसके ओंठ चूसने लगी ओर मेरा एक हाथ उसके शॉर्ट्स पर उसके लण्ड पर रख दिया .. मुझे महसूस हुआ की हरीश का लण्ड भी विवेक जैसे ही होगा - मोटापा ओर साइज मैं . तभी हरीश का आधा लण्ड शॉर्ट्स के लेग - साइड से आधा बहार निकल गया  ओर मैं उसे सहलाने लगी .. अब हरीश का एक हाथ मेरे टी शर्ट से अंदर मेरे बूब्स से खेल रहा था ओर दूसरा हाथ मेरे स्कर्ट को उठाकर मेरी पैंटी पर था. हरीश बोला - वाह राणी तेरी पैंटी तो पूरी गिल्ली हैं .. क्या हो गया . मैंने भी उसके लण्ड को हलके से दबाया ओर बोला - इस हरीश का जादू हैं . वह खुश हो गया .. तभी कुछ खेलते लड़कों की आवाज आयी .. मैंने कहा हरीश - यहाँ नहीं, कही ओर चलते हैं.
हरीश ने कहा ठीक हैं संध्या , चलो वहा गार्डन मैं घूमते हैं , प्लेग्राउंड के पास एक अच्छा गार्डन था , वहा कुछ झाड़ियां भी थी . हरीश मेरा हाथ लेकर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर चल रहे थे .. बीच मैं ही हरीश मेरा हाथ खींचकर अपने लण्ड पर रगड़ देता .. मैंने कहा - हरीश तुम बहुत नोट्टी ओर गंदे हो .. वह हंसकर बोला -  जानेमन अभी तो तूने देखा नहीं मैं कितना गन्दा हूँ, ओर उसने  रुक कर अपनी  शॉर्ट्स नीचे घुटने पर कर दी ओर मेरा हाथ अपने नंगे लण्ड पर रख दिया . गार्डन मैं कोई नहीं था . विवेक का लुंड बहुत तनाव में था  ओर फड़फड़ा रहा था ओर बहुत गरम लग रहा था. में भी बेशरम होकर उसके लण्ड को सहलाने लगी ओर हरीश से कहा - गंदे तुम हो , यह नहीं .. यह तो बहुत प्यारा हैं ओर मैं फिर से उसके टट्टे दबा दिए..वह आह करके ख़ुशी से करहा उठा. हरीश ने कहा वाह जानेमन, तू बड़ी कमीनी हैं, मुझे ज्यादा प्यार मेरे लण्ड से .. मैंने भी हां कर दो ओर हंस दी, जिसपर हरीश बहुत खुश हुआ ओर उसके कला मोटा  लण्ड नाग की तरह फनफनाने लगा . मेरी चुत फिर से गिल्ली होने लगी थी . तभी मेरा स्कर्ट ऊपर करके, हरीश ने मेरी पैंटी मैं अपना हाथ डाल दिया ओर मेरी चुत को प्यार से  सहलाने लगा .. मैं  मेरी चुत के बाल शेव करती थी ओर एकदम चिकनी थी.. हरीश बोला - वाह संध्या तेरी चुत एकदम चिकनी हैं, ओर तैयार हैं , क्या  मेरा लण्ड इसमें डाल दू ? मैंने हरीश को रोका -  नहीं हरीश ऐसे यहाँ नहीं, मैं तुमसे प्यार करती हूँ, हमारा पहला सेक्स अच्छा होना चाहिए , अकेले मैं, बिस्तर मैं, बंद कमरे में , सुहाग रात की तरह.

हरीश ख़ुशी से पगला गया , उसने कहा तुम सही कह रही हो .. पर इसका क्या करे.. हरीश ने अपने खड़े  लण्ड को मेरे हाथ पर दबा दिया . मैंने कहा मैं भी इसको प्यार से सहला दूंगी , जैसे तुम अभी मेरी चुत को प्यार कर रहे हो ओर सहला रहे हो . हम बगीचे में एक बेंच पर बैठ गए , हरीश ने अपनी शॉर्ट्स घुटने के निचे अपने पैर की तरफ खिसका दी ओर बेंच पर नंगा होकर बैठ गया .. फिर उसने मुझे खड़ा कर के मेरी पैंटी भी निकाल ली  , मैं अब सिर्फ स्कर्ट मैं थी , अंदर से नंगी . मैं हरीश का लण्ड अपने दोनों हाथों से हिलाने लगी ओर मेरे दिमाग में हरीश के लण्ड  ओर विवेक के लण्ड से तुलना करने लगी . विवेक के बाद हरीश मेरी लाइफ का दूसरा मर्द था  ओर मेरे लिए यह मेरा दूसरा लण्ड था .दोनों मैं बहुत फरक था - हरीश सिर्फ २१ साल का था ओर विवेक अब ४२ के थे.  हरीश का लण्ड विवेक जैसे ८ इंच का था , पर उसका टोपा भी काला था जब की विवेक के काले लण्ड का टोपा  गुलाबी था . हरीश के लण्ड से precum नहीं निकला था अब तक , ओर उसकी foreskin भी  विवेक के लुंड के हिसाब से बहुत ज्यादा थी . हरीश के टट्टे भी एकदम मस्त थे - काले ओर बालों वाले . हरीश का लुंड भी काले बालों से भरा था ओर उसकी झाटों की अलग ही सुंदरता थी, जब की विवेक का लुंड शेव की वजह से झांटें नहीं रखता ओर चिकना था ओर सुन्दर भी..   ..मैं एक हाथ से हरीश का लण्ड सहलाने लगी ओर दूसरे हात से उसके टट्टे के साथ खेलने लगी . हरीश जवान था - २१ साल का , इसलिए उसके लण्ड में अजीब जवानी की कसक थी . हरीश की बड़ी बड़ी उँगलियाँ मेरी चुत से खेल रही थी ओर हम दोनों एक दूसरे को पागलों  की तरह किस कर रहे थे . तभी हरीश ने मेरी ब्रा नीचे सरका  दी ओर मेरा टॉप ऊपर कर के , मेरे बूब्स आजाद कर दिए . हरीश बोला - जानेमन तुम्हारे मम्मे कितने बड़े हैं ओर खूबसरा हैं, मैं आम की तरह इसको चूसूंगा  ओर वह अपना मुँह लगा कर जोर जोर से मेरी निप्पल्स  चूसने लगा ..  उसकी दूसरी हाथों की ऊँगली मेरे चुत के दाने से खेल रही थी ओर उसको मरोड़ रही थी . हरीश जवान था , सेक्स की धुन में जंगली हो गया ओर जोर जोर से मेरे बूब्स को मसल कर मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, उसने दूसरे हाथ की ऊँगली मेरे चुत के अंदर डाल दी थी , हरीश की हाथों का पंजा बहुत बड़ा था , उसकी उंगलिया बहुत लम्बी  ओर मोटी थी , किसी लुंड के आकार से कम नहीं थी .. उसकी ऊँगली  मेरी चुत मैं एक लण्ड का काम कर रही थी . हरीश मेरे निप्पल्स जोर जोर से चूस रहा था ओर  मेरी चुत गरम कर रहा था जिसके कारन मेरी प्यासी चुत  पानी बहा रही  था . मैं जोर जोर से आहे भरने लगी .. ओर हरीश का सर मेरे बूब्स पर जोर से दबा दिया .. मैं झड़ने के करीब थी -- तभी हरीश ने मेरी निप्पल को जोर से काट लिया .. मैं उह माँ .. मर गयी ..कर के जोर से कापने लगी ओर मेरी चुत झड़ने लगी ओर पाणी की गंगा बहाने लगी ..  हरीश बहुत खुश हुआ .. जल्दी से मेरे पैर की तरफ बैठ गया .. मेरी जंघा फैला कर मेरी चुत चाटने लगा .. चाट चाट कर मेरी चुत का सारा पानी पी गया ओर फिर खड़ा हो कर उसके लुंड मेरे लिप्स पर लगा दिया .. संध्या अब तू मेरा लुंड चूस ले ..अब रहा नहीं जा रहा .. 

मैंने भी हरीश की गांड पर अपने दोनों हात रख दिए ओर उसे  पास खींच लिया ओर उसके लुंड के टोपे को मुँह मैं लेकर लोल्लिपोप की तरह चूसने लगी . हरीश के लण्ड की महक मुझे पागल कर रही थी . दोस्तों मैंने महसूस किया की हर मर्द का लण्ड अलग होता हैं, उसकी अपनी महक होती ओर खुश्बू ओर उसकी स्वाद भी . विवेक अंकल ओर हरीश दोनों के लण्ड का साइज ओर आकर एक जैसे था, काले , पर विवेक के लुंड का टोपा लाल था ओर हरीश के लुंड का टोपा कला , इसलिए दोनों का स्वाद भी अलग था . हरीश के लण्ड  पर बहुत चमड़ी थी , मुझे बहुत अच्छी लगी, मैं प्यार से सिर्फ उसके टोपे की चमड़ी को चूसने लगी, चबाने लगी , बड़ी सॉफ्ट चमड़ी थी ..मेरी नाक बार बार हरीश की झाटों मैं जा रही थी .. वहा हरीश की मर्दानी महक  आ रही थी . मुज़से रहा नहीं गया .. मैंने .. १-२ मिनट उसके झाटों पर अपनी नाक रागादि ओर उसकी महक का आनंद लिया ओर फिर उसके झांटे की आसपास की जगह चाटने लगी . मर्दानी  स्वाद..आहे.. मुझे पागल कर रही थी ..
हरीश मेरे ऐसे चूसने से तिलमिला गया यह संध्या मेरे निकलने वाला हैं.. लण्ड को छोड दो    बहार निकाल दूंगा .. बोल के तड़फ उठा .. बाद मैं हरीश ने बताया की उसे लगा की मैं उसके लण्ड का पाणी मुँह मैं नहीं लुंगी. उसने दोस्तों से सुन रखा था की लड़किया लण्ड मुँह मैं नहीं लेती ओर पाणी भी .. वाचक यहाँ ध्यान  मैं रखे की वह जमाना २७ साल पहले का था  ओर सेक्स के बारे मैं अभी भी कन्सेर्वटिवे सोच थी ओर खुलापन नहीं था .  
मैंने हरीश की गांड अपने दोनों हाथों से ओर भी ज्यादा कस कर पकड़ ली ओर जोर जोर से उसके लण्ड को चूसने लगी .. फिर मैंने  विवेक ने सिखाया हुआ तरीका अपनाया ओर धीरे धीरे हरीश का पूरा लण्ड मेरे मुँह मैं ले लिया .. हरीश का लण्ड भी अब मेरे गले तक फस गया . हरीश को यह अपेक्षित नहीं था .. वो हक्काबक्का रहा गया ओर .. उत्तेजित हो कर जोर से आहे भरने लगा ओर उसकी पिचकारी का पाणी मेरे मुँह मे धार छोड़ने लगा  .. हरीश का लण्ड झटके पर झटके देकर मेरे मुँह मैं पाणी डाल रहा था .. हरीश ने काम से काम १५-२० झटके दिए होंगे . मैंने महसूस किया की हरीश का वीर्य बहुत गाढ़ा ओर चिप चिपा था ओर ज्यादा था - विवेक के वीर्य की तुलना  मैं  .विवेक का लण्ड  ८ - १० झटके देकर पाणी छोड़ता था जब की हरीश के लण्ड के करीब २० झटके हो गए थे. उस दिन मुझे जवान मर्द ओर एक परिपक़्व (matured  मर्द की वीर्य (पानी) मैं फरक का अंदाजा आया .  ऊपर से हरीश एक खिलाडी - स्पोर्टमैन भी था ओर वही ताकत उसके लण्ड मैं भी थी . दोनों मर्द अपनी जगह सही ओर औरत को ख़ुशी देते हैं , दोनोका स्वाद अलग ओर  अच्छा होता हैं. 

झड़ने के बाद हरीश ने मुझे उठा कर जोर से कस कर छाती से लिपट लिया .. मुझे पागलों की तरह किस करने लगा .. संध्या मैं बहुत लकी हूँ .. तुम बहुत सुन्दर ओर हसीन ओर सेक्सी हो ..  आई लव यू ..
मैंने भी उसको आई लव यू बोल दिया .. रात काफी  हो गयी थी .. ९ बजे हॉस्टल पहुंचना था -  समय का रेस्ट्रिक्शन था  , हम जल्दी कपडे ठीक  कर के ..हॉस्टल की तरफ चलने लगे .. हरीश ने मेरा हाथ उसके हाथ में कस कर पकड़ा था ओर उसने मुझे गर्ल्स हॉस्टल तक पहुंचा दिया .. वह गेट के बहार फिर से मुझे देर तक किस किया ओर मेरी चुत पर हाथ रख कर ..गुड नाईट कह ओर हरिश बोला -  तुम रोज ७ बजे प्लेग्राउंड आ जाना .. मैं तुझे  रोज प्यार करना चाहता हूँ .. मैंने भी प्रॉमिस कर दिया ओर हरीश के लण्ड को प्यार से दबा दिया .. हरीश का लण्ड फिर से खड़ा होकर मुझे सलामी से रहा था .. मैं हसकर हॉस्टल के अंदर रूम मैं चली आयी ..

दोस्तों .. हरीश का ओर मेरा साथ कब तह रहा ? उसके बाद मेरा कोई बॉय फ्रेंड बना ? मेरी शादी किस के साथ हुई? क्या शादी   के बाद भी  मैं गैर मर्दों से मिलती रही .. यह सब मैं आपको जरूर बताउंगी ..

प्लीज मेरी कहानियों  को रेटिंग दीजिये ओर लाइक्स ओर कमैंट्स भी करे ..
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#12
दोस्तों - हीर  जी ओर सोनू जी .. थैंक ओर कमैंट्स के लिए .. प्लीज मेरी  कहानी पढ़े ओर कमैंट्स ओर रेटिंग्स दे.. आपको क्या अच्छा लगता ओर क्या जानना चाहते हो यह भी बताये .. मेरी यह पहले कहानी हैं..
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#13
स्टोरी अपडेट - ७

मेरी ओर हरीश का लव अफेयर चालू हो गया था ओर पूरी कॉलेज  को पता चल गया  था .  मैं रोज हरीश से मिलने प्लेग्राउंड जाती, फिर हम बगीचे मैं प्यार करते ओर वह रोज मुझे हॉस्टल तक चलके छोड जाता. मुझे अब हरीश की पसीने  से गीली बॉडी ओर उसकी महक की एडिक्शन हो गयी थी . पर हमें सेक्स करने के लिए सही जगह नहीं मिल रही थी, ना उस समय आज के जैसे कपल फ्रेंडली होटल्स थे ओर बहार सुनसान जगह बहुत रिस्की होता था, मवाली लड़के घूमते फिरते थे .. हम दोनों रोज बातें करते की कैसे अकेले मैं हमें कुछ मिल पल मिल जाये ओर हम दोनों का मिलन सही मायने से हो जाये. मैं भी हरीश से चुदने के लिए बेताब थी , ओर हरीश का नाग भी मेरी बिल मैं विष घोलने को बेताब था. 

मेरे क्लास मैं अब सब लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गयी थी . सब मुझे हरीश के नाम से चिढ़ाते ओर मजाक करते थे .राजवीर पंजाब के भटिंडा से सरदार परिवार से था .. वह भी एक हॉकी प्लेयर था , बहुत मजाकिया ओर हसमुख स्वाभाव का था .  हत्ता कट्टा सरदार , गोरा चिटा ओर बालों वाला बदन , ओर ऊपर पगड़ी ओर हलकी दाढ़ी , बहुत मरदाना लगता था . हमेशा मुझे हरीश के नाम से छेड़ता था . कोई भी बात बेझिझक बोल देता बिना कुछ सोचे समजे ओर उसकी यही बात मुझे पसंद थी . ऐसे मर्द सच्चे होते हैं - मन मैं कुछ नहीं रखते . सब के सामने क्लास मैं बिंदास हमेशा मुज़से कहता था - क्या यार तेरे जलवे सिर्फ हरीश के लिए , मुझे भी एक किस दे दे , मैं हंस कर - जा पगले - कह कर  टाल देती..एक दिन क्लास मैं सबके सामने बोला - क्या यार हरीश के सात इतना टाइम स्पेंड करती हो . कुछ टाइम मेरे लिए भी निकाल दे , मैंने भी पूछा - तुझे टाइम दिया तो क्या करेगा , बिंदास हो कर राजवीर बोला - सब कुछ दूंगा, तुझे खुश कर दूंगा .मैंने भी उसे हंसकर - चुप हरामी गाली दी ओर चली गयी वो मेरा अच्छा दोस्त बन गया था , पर उसकी शरारत कभी नहीं रुकती. मुझे अब कॉलेज के लड़को की फ़्लर्ट की आदत पद  गयी  थी.  सिर्फ राजवीर ही नहीं , कई दोस्त मुज़से मजाक मैं ऐसे फ़्लर्ट करते थे . सब से ज्यादा फ़्लर्ट 3rd  ओर 4th (फाइनल) ईयर के लड़के करते , उनके कॉलेज के आखरी साल बचे रहने से वो  लड़की को पटाने के लिए डेस्पेरेट हो जाते है 

तभी सितम्बर महीना आया ओर भगवन ने जैसे मेरी सुन ली . कॉलेज के स्पोर्ट्स इवेंट्स चल रहे थे , ओर हरीश को इंटरकॉलेज स्पोर्ट कम्पटीशन के लिए करीब के सिटी मैं २ दिन के लिए जाना था . कॉलेज उसको होटल ओर खाने पीने का अलाउंस दे रही थी .हरीश ने जिद  की  की मैं भी उसके सात जाऊ ओर दोनों एक कमरे मैं एक होटल मैं रहेंगे. पर मेरे पास हॉस्टल वार्डन को २ दिन बहार जाने के लिए कोई बहाना नहीं था. हमें कोई मार्ग नहीं मिल रहा था . अब हरीश को जाने के लिए सिर्फ २ दिन रह गए थे ओर मेरे पास कोई पालन नहीं था. पर भगवन ने मेरी सुन ली ओर  उस रात पता चला की वार्डन साहिबा दूसरे दिन गांव जाने वाली हैं, उनकी माँ की तबियत अचानक ख़राब हो गयी ओर वो हॉस्पिटल मैं दूसरे शहर मैं एडमिट हैं. हम खुश हो गए , मैंने मेरी रूम पार्टनर  अनीता को  पहले से पटा लिया  था , वह सब से  क्लास मैं कहेगी की मेरी तबियत ठीक नहीं हैं, मैं आराम कर रही हूँ . ओर हॉस्टल के peon  को हरीश ने पैसे देकर पटा लिआ ओर उसने एडवांस मैं ही रजिस्टर पर मेरी अटेंडेंस लगा दी . दूसरे दिन मैंने बैग मैं सिर्फ ब्रश ओर जरुरी सामान रखा, एक एक्स्ट्रा कपडा,ओर एक दो स्पेशल कपडे (जो मैं आपको बाद मैं बताउंगी )  ओर कॉलेज के बहाने चुप चाप मैं गेट से बहार चली गयी . कुछ दुरी पर हरीश अपनी बाइक पर मेरा वेट कर रहा था . रास्ता सिर्फ ४ घंटे का था , इसलिए हम दोनों  ने बाइक से जाने का प्लान बना लिया. हरीश के पास रॉयल एनफील्ड की बुलेट थी , उस ज़माने मैं बहुत कम लोग अफ़्फोर्ड कर सकते थे . मैं हरीश के पीछे चिपक कर बैठ गयी ओर हरीश ने गाड़ी मुख्य रोड पर ले ली 

हरीश ने टी शर्ट ओर जीन्स  पहना था ओर मैंने भी टी शर्ट ओर जीन्स ही पहनी थी .. अब मैं हरीश के सात शरारत करने लगी .. रोड खाली   था , ओर हरीश के हात हैंडल पर बिजी थे पर मेरे हात खाली थे ,  मैंने हरीश को कस कर पीछे से पकड़ लिआ ओर मेरे बूब्स उसके पीठ पर रगड़ दिए ,, वह सिसक गया - बोला - जानेमन मस्ती मत कर, मुझे रोड पर ध्यान देने दे .. मैंने कहा .. फिर दो ना ध्यान .. मैंने कब मना किआ ओर मैंने मेरे हात उसके टी शर्ट को ऊपर कर के अंदर डाल दिए ओर उसके चेस्ट के बालों से खेलने लगी ..वह बोला रुक जा तू - तेरे से इंटरेस्ट के सात सब वसूल करूँगा, बंद कमरे मैं . मैंने कहा - कर लेना सब वसूल - ओर मैंने जोर से उसके दोनों निप्पल्स अपने ऊँगली से दबा दिए . वह जोर से.. आह .. कमीनी . मार डालेगी क्या .. मैंने कहा - नहीं जानू  -  ऐसे कैसे तुझे मरने दूंगी .. ओर फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किआ ओर जीभ फिरा कर उसको प्यार से चाटने लगी .. उसके कान भी  धीरे से चबाये .. उसको सब अच्छा लग रहा था पर .. जानबूझ कर नखरे कर रहा था .. मैंने  अब अपने हाथ उसके पेट पर फेरना चालू किआ ओर उसकी नाभि से खेलती रही .. ओर धीरे से हाथ उसके जीन्स के ऊपर उसके लण्ड पर रख दिया .. उस्का लण्ड बहुत टाइट ओर खड़ा हो कर फनफना रहा था ..टाइट जीन्स की वजह से मैं उसके जीन्स के अंदर हाथ नहीं डाल पा रही थी .. मैंने धीरे से उसकी जीन्स की ज़िप खोल दी ओर अपना हाथ अंदर डाल दिया .. उसके खड़े लण्ड की वजा से उसकी निकर बहुत टाइट थी - मुझे उस पोजीशन में उस्का लण्ड बहार निकालना मुश्किल हो रहा था . मैं वैसे हे उसके लण्ड  को बहार से सहला ओर दबा रही थी. इस बीच कुछ कार ओर ट्रक वाले भी हमें क्रॉस कर के आगे गए .. बड़ी सावधानी बरतनी पड़ी .. हरीश बोला - मन कर रहा है तुझे यही रास्ते में उतार  कर  बीच सड़क पर नंगा कर के चोद दू .. मैंने प्यार से उसे कस कर पकड़ लिया ओर उसकी गर्दन को चूमकर बोली - में मना नहीं करुँगी तुझे मेरी जान .
हम एक ढाबे पर खाना खाने रुक गए .. वहा पर कुछ खटिया भी पड़ी थी .. वहा सीमेंट की टंकी पर वाटर पंप चल रहा था .. हम वहा हात पाँव  धोने - गए .. वहा कुछ सरदारजी ट्रक वाले नहा भी रहे थे .. पानी बहुत ठंडा था .. फ्रेश हो गयी ..हरीश वहा बाथरूम मैं सुसु - पेशाब  करने चला गया . तभी सामने  मुझे एक हट्टा कट्टा मोटा सरदार नहाते नजर आया ओर  वो अपनी बॉडी पर साबुन लगा था , मुझे अकेली देखकर वह कमीने अंदाज मैं मुस्कराया ओर उसने अपनी गीली निकर निचे खिसका दी ओर अपने  लण्ड को साबुन लगाने लगा. वह अच्छा गोरा चिट्टा था ओर उसके सारे बदन पर काले काले बाल थे .. उस्का लण्ड देखकर मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी .. इतना बड़ा लण्ड मैंने कभी देखा नहीं था .. मैं शर्मा कर वहा  से  भाग आयी. हमने दोनों ने खाना  खाया ओर फिर से बुलेट पर चल दिए .. अब सिर्फ एक घंटे का सफर बाकी था . 
में फिर से बाइक पर बैठ गयी .पर अब  मेरी चुत नंगे सरदार को देखकर बहुत गिल्ली हो गयी थी . मुझे बार बार सरदारजी का नंगा बदन ओर उस्का भयंकर लण्ड दिखाई देता .. ओर राजवीर का भी चेहरा आँखों मैं आता .. क्या राजवीर का  भी लण्ड ऐसे ही होगा  ? मेरे दिमाग मैं अब राजवीर को लेकर गंदे ख्याल आने लगे थे  - मेरे दिमाग मैं राजवीर की नंगी तस्वीर बनना शुरू हुई .  

मैंने उसी उत्तेजना मैं फिर से हरीश के जीन्स की ज़िप खोल दी .. ओर मेरा हाथ में सीधा उस्का नंगा तना हुआ लण्ड आ गया . मैं सकपका गयी ..अरे यह क्या .. हरीश जोर जोर से हसने लगा . अब खेलो राणी ..जितना जी चाहे खेल मेरे लण्ड से .. कमीनी तुझे अब ऐसे चोदूंगा  रूम ले जाकर , तू भी यद् रखेंगी .. हरीश ने ढाबे के बाथरूम मैं पेशाब करते वक्त अपनी निकर निकाल दी थी ताकि मुझे आसानी हो. मैं भी यही चाहती थी . मेरे दिल की बात हरीश तक अपनेआप पहुँच जाती थी . मैं अपने दोनों हातों से हरीश के लण्ड से खेलने लगी .. उस्का इतना बड़ा लण्ड किसी को भी रास्ते पर चलने वाले को दिख सकता था ... पर नसीब से रोड पूरा खाली था  सिवाय कुछ कार ओर ट्रक के .. ओर आजु बाजु खेत थे ओर रास्ते के दोनों बाजु बड़े बड़े पेड़ थे. मैंने हरीश के टोपे को पकड़ लिआ ओर प्यार से मसाज करने लगी ओर दूसरे हात  से उसके टट्टे दबाने ओर खेलने लगी .. हरीश बहुत उत्तेजित हो गया था .. ऐसे रोड पर पब्लिक प्लेस मैं हमने कभी नहीं किया था .  हरीश का लुंड अब जोर जोर  से फुफकार रहा था . ओर मैं जान गयी की किसी भी वक्त वो अपना पाणी निकाल देगा .
तभी अचानक हरीश ने बाइक स्लो की.. ओर रास्ते के बाजु एक बड़े पेड़ की पास रुका दी..मैं कुछ बोलू उससे पहल वह बोला जल्दी उतरो जानू .. ओर खुद भी बाइक से उतर गया ओर बाइक वहा स्टैंड पर लगा दी .. वह खींच कर मुझे  बड़े पेड़ के पीछे ले गया .. जल्दी नीचे बैठो संध्या .. ओर उसने मेरे मुँह मैं अपना लण्ड दे दिया . मुझे मालूम था हरीश अपने चरम सीमा पर हैं ओर कभी भी पानी निकाल देगा .. पर रास्ते पर रिस्की था इसलिए मैं जल्दी से जल्दी उसका पाणी  निकालना चाहती थी .  मैंने धीरे से उसका पूरा लण्ड मुँह मैं ले लिया ओर आगे पीछे करने लगी .. मुझे मालूम था की पूरा लण्ड मुँह मैं जायेगा तो हरीश जल्दी अपना पानी निकाल देगा . हरीश अब होश खो बैठा था ..उस्का लण्ड फुफकार मार रहा था .. मैंने भी जोर से उस्का पूरा लण्ड चूसना शुरू किया ओर उस्का पूरा ८ इंच का नाग अपने गले मैं फसा लिया .. हरीश बोला - ले कमीनी . पी ले मेरा रास. बन जा मेरी बच्चों की माँ .. ओर उसके बाद उसके लण्ड  ने एक के बाद एक ऐसे अनेक झटके दिए ओर उसके वीर्य का फवारा मेरे मुँह मैं उमड़ आया . मुझे उसके वीर्य का स्वाद पसंद था . हरीश को मुझे उसका पाणी पिलाना बहुत पसंद था  ..मैं भी उसके लण्ड से पूरा एक एक बूँद चूस चूस कर पी गयी . अब हरीश शांत हो गया, उसने मुझे खड़ा किया ओर बहुत देर तक मुझे किस करता रहा .. मुझे वहा सुनसान सड़क पर डर लग रहा था .. मैंने कहा हरीश यहाँ बहुत रिस्की हैं.. जल्दी यहाँ से चलो .

हम बहुत जल्दी होटल पहुँच गये . हरीश अक्सर इस होटल मैं स्पोर्ट्स कम्पटीशन की दौरान रुकता था . होटल मैनेजर से पहचान हो गयी थी ओर हरीश ने उससे पहल ही बात कर रखी थी  . इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं हुई. कम्पटीशन दूसरे दिन थी .चुकी हरीश स्टेट लेवल चैंपियन था उसको डायरेक्ट फाइनल इवेंट्स मैं एंट्री थी ..क्वालीफाइंग  राउंड्स उसको नहीं देने थे . हमारे पास अब पूरा दिन ओर रात थी, हरीश ने रूम मैं आते  ही मुझे कस कर पकड़ लिया .. ओर मेरे टी शर्ट निकाल कर फेक दी ..ओर मेरे मम्मे चूसने लगा .. उस ने मेरा एक एक कपडा निकाल कर फेक दिया ओर खुद भी नंगा हो कर बिस्तर पर लेट गया .. हरीश बोला - जानेमन अब दो दिन ऐसे ही रूम मैं फुल टाइम नंगा रहेंगे .. कभी कपडे नहीं पहनेगे. मैंने कहा ठीक  हैं..जैसे तेरी मर्जी .. उसने मुझे जोर से अपने ओर खींच लिया..आओ जानू .. आज मेरा सपना पूरा होगा..तुम्हारा ओर मेरा मिलन होगा ..मैंने उसको धीरे से सर पर चूमा .. कहा ..बस जानू मुझे १५ मिनट दो .. तुम तब तक बहार से मेडिकल की दुकान से यह गोलिया (गर्भा निरोधक - जो मुझे विवेक खिलाता था  ) ले कर आओ ओर कुछ जूस ओर खाने का सामान भी, हरीश ने कहा अब रुका नहीं जाता, उसने कंडोम लाया था .. मैंने कहा बस सिर्फ १५ मिनट .. ओर मुझे उसका वीर्य मेरे बच्चेदनी मैं चाहिए .. हामरे बीच रबर का कंडोम नहीं रहेगा ... जाओ जल्दी से. हरीश थोड़ा नाराज हो गया पर बिना कंडोम के चोदने की ख्याल से खुश हो गया . 
हरीश  के जाने के बाद मैंने अपनी बैग से स्पेशल सामान निकाला. १५ मिनट के  बाद हरीश आया  ओर दरवाजे पर रिंग की .. मैंने शरमाते हुए दरवाजा खोल दिया .. हरीश मुझे देखता ही रहा गया .. wow  .. क्या बात हैं  - बस इतना ही कहा पाया ओर रूम के अंदर आकर दरवाजा लगा दिया. हरीश ने मुझे प्यार से अपनी बाँहों मैं जकड लिया  ओर बोला - मेरी जानेमन ऐसा सरप्राइज मैंने कभी सोचा भी नहीं था .. आई  लव यू 

दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... मेरा स्पेशल सामान क्या था ? हरीश  ने मुझे देख कर wow  क्यों कहा , हमारी फर्स्ट सेक्स कैसे रही .. सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर  रेटिंग्स भी जरूर दे ..

आपकी संध्या 
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#14
स्टोरी अपडेट - ८ 

दोस्तों यह बात सच हैं की हरीश और मैं कई बार ओरल सेक्स कर चुके थे . हरीश को मेरे चूत के ओंठ मतलब (वैजिनल लिप्स) चूसने मैं भी बहुत मजा आता था . यह भी सच हैं की यह ओंठ चुत की सील फटने की वजह से होते हैं .. अब विवेक के मोटे तगड़े लण्ड ने मेरी सील को तोड़ मरोड़ के ऐसे मेरी ज़िल्ली फाड़ दी थी की मेरी चुत के लिप्स एक खूबसूरत  फूल की तरह लगते थे .  


हरीश ने इतनी बार मेरी चुत चाटी और देखी और उसको पता था की मैं वर्जिन नहीं हूँ . उसको मेरी फटी झिल्ली साफ दिखाई देती और वह उसको बड़ी प्यार से चाटता और चूसता . उसे इस बात से फरक नहीं पड़ता की मैं वर्जिन या कुंवारी नहीं थी . हम प्यार का इजहार करते, पर कभी एक -  दूसरे से कभी  शादी या किसी बंधन का वादा  नहीं करते . ना ही कभी हरीश ने मुझे मेरे विर्जिनिटी या टूटी सील का राज पूछा न ही मैंने कभी उसका पास्ट पूछने की कोशिश की.. हम सिर्फ आज मैं जीना चाहते थे और बहुत खुश थे . 

हरीश ने मुझे बाँहों मैं ले लिए था .. संध्या तुम इतनी सुन्दर हो . यह सरप्राइज मैंने कभी नहीं सोचा .. आई लव यू 

मैंने लाल कलर की खूबसूरत सारी  पहनी थी , जो मैंने कॉलेज की फंक्शन्स के लिए घर से लेकर आयी थी . वह डिज़ाइनर सारी थी और थोड़ी ट्रांसपेरेंट जिससे मेरा स्लीवलेस बैकलेस ब्लाउज साफ़ दिखता था . मैंने सारी एकदम नीचे लो वैस्ट पहनी थी . मेरी कमर के काफी नीचे और मेरी चुत से थोड़ा ऊपर . मैंने मेरे झाटें साफ़ राखी थी नहीं तो इस सारी के ऊपर सब को मेरी झाटें जरूर दिख जाती. सारी के ऊपर मेरी नाभि और पेट खुला था. खैर झाटों से मैं बच गयी पर अपनी गांड की दोनों कूल्हों की चिर को छुपा ना सकी. मैंने सिर्फ पेटीकोट पहना था और अंदर कोई पैंटी नहीं पहनी थी. मैंने मेरे लिप्स पर लाल रंग की लिपस्टिक लगा राखी थी, आँखों मैं मस्कारा और एक बड़ी लाल रंग की बिंदी  भी लगा ली थी . मैंने अपने बाल खुले रखे थे और अपने बालों मैं एक बड़ा सा मोगरे का गजरा भी लगा लिया था , जो मैंने पहले ही कॉलेज के मंदिर के बहार खरीद लिया था . मुझे पता था की यह सब मेहनत  बेकार जाने वाली हैं क्यूंकि ५ मिनट मैं हरीश मुझे नंगा कर देगा ..पर वह ५ मिनिट भी बेशुमार कीमती थे. मेरे इस रंग रूप को देखकर हरीश मदहोश हो गया और उसका खड़ा लुंड मेरी गांड पर चिपक गया . हरीश ने मुझे खींच कर बाँहों मैं ले लिए और मुझे जोर जोर से किस करने लगा , मेरे ओंठों को चूसने लगा .उसने मेरे खुली गांड की दरार पर हाथ फेरा और मेरी गांड हाथों से दबा के मसल दी . वह बार बार मेरे बालों को और मेरे गजरे सूंघता  और अपनी उंगलितों से गजरे पर लगे मोगरे के फूलों  को तोड़ मरोड़ देता . मेरा स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज़ उसे पागल कर रहा था .. वह मेरी बगल और पीठ को चुम रहा  था और चाट रहा था . मैंने उसका टी शर्ट निकल दिया और उसकी बरमूडा भी ..वह  अब मेरे सात बिलकुल नंगा था . क्या सन  था - मैं बिलकुल एक दुल्हन की तरह कपडे मैं थी और वह पूरा नंगा होकर मुझे प्यार कर रहा था . उसे मेरे कपडे निकालने मैं कोई जल्दी नहीं थी . हरीश बोला - मेरी जान तुम इस कपड़ों मैं जन्नत की पारी लग रही हो , कोई भी मर्द आज तुम्हे प्यार करने से नहीं रोक पाता ..वह मेरे पीठ पर किस करते करते निचे  कमर तक गया और फिर मेरी गांड की दरार को चाटने लगा ... उसने मेरी पेटीकोट और सारी और भी नीचे सारखा दी.. ताकि मेरी गांड की दरार को और भी  नीचे चाट सके .. वह मेरी गांड को चाट रहा था, काट भी रहा था .. फिर उसने मुझे बेड पर सुला दिया .. और मेरी सारी और पेटीकोट खोल कर अपना सर अंदर डाल दिया ... वह मेरी जंघे चाट रहा था , काट रहा था .. मेरे जांघें  फैला कर मेरी चुत के अजु बाजु काट रहा था , चाट रहा था और चूमी ले रहा था . उसने सर बहार निकल लिया और मेरे ब्लाउज़ को नीचे खींच लिया .. मैंने कोई ब्रा नहीं पहनी थी .. वह मेरे दोनों आम पकड़ कर चूसने लगा .. मेरी निप्पल्स चूसने लगा और काटने लगा  ..  फिर एक झटके मैं उसने मरा ब्लाउज़ निकाल दिया और सारी भी पेटटीकट के सात  नीचे खिसका कर निकाल दी .. अब मैं मेरे हरीश की बाँहों मैं पूरी नंगी थी और उससे चुदने का इंतजार करने लगी .. मेरी चुत गिल्ली हो गे थी .. वो हरीश के लण्ड  का स्वागत करने के लिए ख़ुशी से पाणी बहा रही थी. हरीश का  मुसलदार लण्ड मेरे चुत के दाणे को रगड़ रहा था . हरीश ने भी ना आव देखा ना ताव .. उसके लण्ड के सुपडे को मेरी चुत की मुँह पर  सटा दिया और एक जोरदार धक्का लगा दिया .. मैं जोर से दर्द से करहा उठी .. उह माँ .. उसका लण्ड अभी आधा ही गया था . विवेक के बाद ६ महीने के बाद सेक्स कर रही थी, इन ६ महीनो मैं मेरी चुत बिना लण्ड  के टाइट हो गयी थी , हरीश ने कहा सब्र करो डार्लिंग .. शरू मैं दर्द होगा..फिर मजा आएगा ..वह मेरे ओंठ चूसने लगा और दूसरे हातों से मेरे मम्मे दबाने लगा . मैं फिर से उत्तेजित हो गयी और हरीश की गांड अपने दोनों हाथों  से  पकड़ कर खुद के ऊपर खींच लिया .  हरीश आह कर के कसमसा गया .. उसका पूरा लण्ड मेरी टाइट चुत मैं प्रवेश कर गया था ..हरीश बोला ..मेरी जान ..तेरी चुत कितनी टाइट और कसी हुई हैं..  लगता हैं मेरा लण्ड अपने भट्टी की आग में जला देगी. मैंने कहा-  नहीं मेरे राजा देखो  अभी इस भट्टी से में कैसे तेरे लण्ड को सकून देती हूँ . मेरी चुत बहुत गिल्ली थी और अपना पाणी बहाकर उसके लण्ड का प्रवेश का इंतजार कर रही थी.  हरीश का लण्ड एक बड़े केले जैसे  था और मेरे दाणे से भी रगड़ रहा था . इसके कारन मेरी चुत बहुत गरम हो गयी और उत्तेजित भी.. हरीश का लुंड मुझे हर जगह अंदर से छू रहा था और मैं  बेबस हो गयी थी . हरीश मेरे पैर ओर भी  ऊपर कर दिये और मेरी छाती पर चिपका दिये.. जिससे मेरी चुत और भी खुल गयी और उसका लण्ड आसानी से पूरा अंदर चला गया .. मैं फिर से  कन्हा उठी .. हाई मेरे राजा .. मiर डालोगे क्या .. हरीश ने बड़ी कमीनी नजरों से मुस्कराते कहा .. नहीं रानी मैं तुझे मरने नहीं दूंगा .. सूत सहित तेरा प्यार वापस लौटाऊंगा .. मेरा ही तीर मेरे ऊपर उलट आया था अब.मैंने भी उसको पकड़ के चूमना शुरू किया और उसकी गर्दन पर जोर से चूमकर / चूस कर एक बड़ा निशान बना दिए .. हरीश इससे  और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और मुझे जोर जोर से चोदने लगा .. मेरी चुत का बांध अब टूट गया और मैं जोर से ाआअह  कर के झड़ गयी .. मेरी चुत से बहुत सारा पानी निकल गया .. जिससे हरीश के लुंड को और भी आसानी हो गयी .. हरीश अभी भी नहीं झाड़ा था. वो कुछ देर रुक गया और मेरी निप्पल्स को प्यार से चूसने लगा . मैं भी शांत हो गयी थी ..पर मेरे हाथ हरीश के सर पर उसके बालों को सहला रहे थे , उसके पीठ पर घूम रहे थे और उसकी गांड भी सहला रहे थे . बड़ा ही प्यारा,  कोमल और सेंसुअल सिन था . हरीश ने धीरे से मेरी जीभ चूसना शुरू किया और फिर मुझे भी उसकी गिल्ली जीभ चूसने दी .. उसकी गिल्ली जीभ चूसने मैं बाद मजा आ रहा था .. मुझे लग रहा था की जैसे मैं उसकी जीभ नहीं , उसका लण्ड चूस रही हूँ , और उसका दूसरा लण्ड मेरी चुत मैं फुफकार रहा था .. हमारे बीच में  बड़ा ही संवेदलशील और कामुक सम्भोग हो रहा था. मैं अब फिर से गरम हो गयी और उत्तेजित भी . हरीश मुझे अपने लण्ड से धीरे धीरे धक्के देकर चोद रहा था . उसके टट्टे मेरी चुत के नीचे टकरा रहे थे . उसके लण्ड के  धक्के कभी रुके नहीं थे .. एक स्पोर्टमैन होने की वजह से गजब का स्टैमिना और कण्ट्रोल था .. उसका कण्ट्रोल तभी छूटता जब मैं उसका पूरा लण्ड अपने गले तक मुँह मैं लेती.

मैंने अब उत्तेजना मैं अपने हातों से उसके बाल पकड़ लिए और उसको खींच कर फिर से उसके लिप्स चूसने लगी .. मेरी इस हरकत से वह गरम हो गया और जोर से  धक्के मारने लगा .. अब वह उसका पूरा लण्ड बहार निकाल कर फिर से पूरा अंदर घुसेड़ देता . वह अपने फौलादी लण्ड से बड़े और फुल स्ट्रोक मार कर मेरी चुत पेल रहा  था . मैं इससे और भी उत्तेजित हो गयी.. मैं उसकी छाती को किस करने लगी और जोर से उसके निप्पल्स और छाती को चूसने लगी ... वह और भी कामुक हो गया ..गालिया देने लगा .. ले रानी पूरा लण्ड ले ले .. आज तेरी चुत मैं अपना पाणी डाल दूंगा .. बोल तैयार हो ? मैंने कहा हाँ मैं पूरी तैयार हूँ .. हरीश बोलै .. मेरे बच्चे की माँ बन जाएगी ... मैंने कहा हाँ .. तेरे  १५ - २० बच्चों की माँ बन जाऊंगी .. वह अब हाफ रहा था .. करीब  एक घंटे से मुझे चोद रहा था .. मैं एक बार झाड़ गयी  थी और अब दूर बार झड़ने को तैयार थी .. मैं उसकी छाती को चाट रही थी..मैंने उसके निप्पल्स  को जोर से चूसा और अपने दातों से काट लिया .. वह जोर से चिल्लाया .. कामिनी .. ले ले ..पूरा पानी पी ले ..और जोर से मेरी चूत में उसके लुंड ने  कई झटके देकर पाणी की फंवारें छोड़ दिया  .. आह .. आह कर के मैं गिनती रही..हर एक झटके से उसके लण्ड का गरम लावा मेरे चूत मैं जाता रहा .. हरीश क़े मोटे लम्बे जहरीले  नाग ने अपना जहर मेरी चुत मैं उगल दिया था  इसी वक्त मेरी चुत भी फिर से  झड़ गयी थी और जोरदार पानी छोड गयी थी ..हरीश मदमस्त होकर मेरे ऊपर लेट गया ..उसने अभी अपना लण्ड बहार नहीं निकाला था .. मैं भी शांत  हो कर  उसको कस के पकड़कर उसके बालों पर हात फेर रही थी . उसका गरम वीर्य मेरी चुत को अंदर तक सेंक रहा था . थोड़ी देर तक हम वैसे  ही एक दूसरे की बाँहों मैं नंगे पड़े रहे, हरीश का लुंड भी सिकुड़ कर मेरी चुत से बहार आ  गया था .. हरीश ने मेरा चेहरा अपने दोनों हातों मैं ले लिया..मेरे सर पर पप्पी ली... और कहा . आई लव यू बेबी .. मैंने भी उसको हलके से किस कर लिया और बोला - आई लव यू  टू. फिर वह मेरे ऊपर से उठकर बाजु मैं लेट  गया ..मैं भी उसके बाँहों मैं अपना सर रख कर सो गयी .

दोस्तों इस तरह आखिर में  तीन महीनों  के इंतजार का बाद हम एक हो गये थे  ..हमारा मिलन हो गया था .  हमारे बीच का सम्भोग सिर्फ कामुक ही नहीं सवेदनशील भी था .. उसमे प्यार भी था .. जो कोई अपेक्षा नहीं रखता था .

दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ...  क्या हरीश और मेरा प्यार सच्चा था ?  क्या राजवीर के बारे मैं मेरे दिमाग मैं गलत ख्याल आना गलत था ?  क्या मैं हरीश सको धोका दे रही थी ?आगे क्या हुआ और हमारा रिश्ता कैसे रहा यह  सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर  रेटिंग्स भी जरूर दे ..

आपकी संध्या 
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#15
स्टोरी अपडेट ९ 


हम दोनों पसीने से लथपथ थे . जब आँख खुली तब देखा की हरीश अभी भी सोया था . मेरा सर उसके छाती पर था और एक हाथ उसके नाभि पर . मैं सोचने लग गयी - हरीश एक चैंपियन स्पोर्टमैन था . उसको खेलने में मजा आता और मुकाबले मैं अगर मजबूत प्रतिद्वंदी हो तो खेल का मजा और भी ज्यादा आता हैं . मुझे हरीश के लिए सेक्स में एक मजबूत खिलाडी बनना पड़ेगा, जिससे उसका मजा और रूचि टिकी रहे और बढ़ती रहे, मेरी चुत से अभी भी हरीश का  वीर्य और मेरा पाणी का मिश्रण बहा रहा था .. बेडशीट पर बहुत बड़ा  गीले पाणी का दाग पड़ गया था - जो चिपचिपा और सूखने लगा था.  . 

हरीश का लण्ड अब सो रहा था फिर भी ५-६ इंच लम्बा और मोटा था. अजीब बात थी की उसके लण्ड  की चमड़ी  (foreskin ) उसके सुपडे को पूरा ढक कर आगे आधा एक इंच ढीली  निकल आती थी .   मेरा हात उसके पेट पर से उसके लण्ड पर चला गया और मैं उसकी ढीली  चमड़ी से खेलने लगी . मैं उसके लण्ड  की चमड़ी को अपने उँगलियों  मैं दबाती, घुमाती, मसल देती. उसके चमड़ी को  आगे पीछे कर के उसके लण्ड के सुपडे को बहार निकलती और फिर से उसे ढक देती. कितनी मुलायम और लचीली चमड़ी दी.. उसके कठोर और कड़क लण्ड पर . यही चमड़ी उसके लण्ड का साथ देती जब वह चुत से रगड़ कर घिस जाती  और सब से ज्यादा घिस कर यही चमड़ी उसके लण्ड को भी और मेरी चुत को भी सब से ज्यादा मजा देती . मैं बड़ी प्यार से उसके चमड़ी के सात खेल  रही थी  और देखते ही देखते हरीश का लण्ड फिर से तैयार हो कर पूरी सलामी ठोक रहा था . हरीश उठ गया था और मेरे बालों पर से हाथ फेर रहा था .. मेरा गजरा आधा बिखर गया था - कुछ  फूल टूट गए थे , कुछ फूल मसल गए थे पर उसकी सुगंध और भी ज्यादा बढ़ गयी थी . हरीश उन मसले फूलों की  खुश्बू ले रहा था  और उनको अपने चहरे पर मसल रहा था . 

हरीश बोलै - मेरी जान क्या कर रही हो , मैंने कहा - छोटे हरीश से खेल रही हु .. वह हंस कर पूछा - अच्छा राणी मुझे बता -  तुझे मेरा लण्ड पसंद.  मैंने कहा  -  हां बहुत पसंद हैं .. फिर हरीश ने कहा - बताओ तो  - कोन ज्यादा पसंद हैं - मैं या यह  छोटा हरीश .. मैंने भी उसको छेड़कर कहा दिया - मुझे तो छोटा हरीश सबसे ज्यादा पसंद है .. हरीश ख़ुशी से चहक उठा और मुझे चूमने लगा .. उसने मेरे दोनों बूब्स हातों में लिए .. रानी  इतने प्यारे आम हैं..और वह उन्हें चूसने और चाटने लगा .. मेरे  एक निप्पल्स को उसने मुँह मैं ले लिया और अपनी जीभ से रगड़ने लगा .. मेरे दोनों बूब्स को चाट चाट कर उसने अपनी थूक से पूरा गिला कर दिया ... फिर वह उठा .. मेरे छाती  के दोनों बाजु अपने घुटने रख दिए ..उसने मेरे दोनों बूब्स एक सात पकड़ लिए और जोड़ दीये ..    और दोनों बूब्स की दरार मैं अपने लोहे जैसे कड़क लण्ड को घुसेड़ कर मेरी बूब्स पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा . मेरे लिए यह बहुत नया था पर अच्छा लग रहा था . मेरे बूब्स पर लण्ड रगड़ने से मैं गरम हो रही थी .. और हरीश के लण्ड का टोपा मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था .. हरीश ने कहा - रानी मेरे लुंड के टोपे को अपने जीभ  से चाटो  . और मैंने अपनी जीभ बहार निकल दी .. जैसे हरीश आगे धक्के  मरता वैसे मेरी जीभ उसके लुंड के सुपडे पर  रगड़ जाती.. और जब वह पीछे होता .. उसका सूपड़ा मेरे बूब्स को  रगड़ देता . हरीश बहुत उत्तेजित हो गया .. कहा - वाह राणी तेरे मम्मे एकदम मुलायम हैं .. माखन की तरह .. इनको फेट-फेट-कर पूरा घी निकल दू .. मैंने कहा - हाँ मेरे राजा - निकल दे घी ..पीला दे मुझे तेरा घी.. मैंने भी हरीश के गांड अपने दोनों हाथों से पकड़ राखी थी और उसके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी .. तभी मैंने मेरा सर ऊपर उठाया और उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया - हरीश मदहोश हो गया - आह राणी .. क्या मस्त लण्ड चूसती हैं तू .. वह और जोर जोर से मेरे मम्मे अपने गरम लण्ड से रगड़ने लगा. मैं भी हर धक्के के सात उसके लण्ड को मुँह मैं ले लेती . हरीश बहुत देर तक मेरे मम्मे चोदते रहा .. मुझे अब एक अच्छे प्रतिद्वंदी के तरह अलग पैतरा आजमा कर उसको चरम सीमा तक ले जाना था .. नहीं तो खेल ख़तम नहीं होगा और वह ऐसे ही घंटो तक मेरी मम्मे को चोदते रहेगा . मैंने धीरे से अपने मम्मे पर से उसके हाथ हटा दीये और उसकी आंखों मैं नजरें मिला कर  उसका मोटा लण्ड पूरा मुँह मैं ले लिया . हरीश को मेरा यह दाव अपेक्षित नहीं था .. मेरे गले मैं उसका लण्ड फास गया और मैं प्यार से उसको चूसने लगी .. वह ख़ुशी से आवेश मैं आकर अपना लण्ड पूरा बहार निकालता और फिर से अंदर मेरे गले तक घुसेड़ देता . अअअअअ आह .. कर के उसके लण्ड ने बड़ा झटका लगाया और कई झटकों के सात मेरे मुँह मैं एक के बाद एक अपने गाढ़े वीर्य का फंवारा छोड़ दिया .. मैं भी उसका गाढ़ा वीर्य चूसते रही..और गटक गयी .. मैंने उसके लण्ड को तब तक मुँह से बहार नहीं निकाला - जब  तक आखरी बूँद नहीं पी ली . 

हरीश ने अपना लण्ड मेरी मुँह से बहार निकाला   और अब उसने पीछे हो कर मेरी टांगे  फैला दी और..अपना मुँह मेरी चुत पर रख दिया . हरीश एक अच्छा खिलाडी था .. जानता था की उसको मुझे भी परस्त करना है ..  मेरी चिकनी चुत को आजु बाजू सब तरह से चाट रहा था .. फिर उसने मेरे चुत के लिप्स पर अपने ओंठो के लिप्स रख दीये और पूरी चुत चूसने लगा .. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और मेरी चुत ख़ुशी के मारे गरम हो कर गीली हो रही थी .. फिर हरीश ने अपनी जीभ से मेरे दाणे को चाट कर मुँह मैं ले लिया .. मेरा दाणा भी फूलकर कड़क हो गया था .. हरीश बोलै - आह मेरी जान .. तेरी कोमल चुत पर यह दाणा किसी छोटे से एक सेंटीमीटर के लण्ड जैसे दिख  रहा हैं  ..ऐसे लग रहा मैं एक छोटूसा लण्ड चूस रहा हूँ - हरीश प्यार से मेरा कड़क मोटा दाना चूसने लगा .. मैं कसमसा गयी.. मेरी चुत मैं आग लग गयी थी .. मैंने कहा - हरीश  प्लीज छोड़ दो .. पर वह और जोर से मेरे दाणे को चूसने लगा और अपने दोनों हातों से मेरी  गांड दबाने लगा .अब उसकी उंगलिया मेरे गांड की छेद से खेल रही थी .. मेरे सब्र का बांध टूटने वाला था .. तभी हरीश ने मेरे दाणे को हलके से अपने दातों से चबा दिया .. और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड मैं हलके से डाल दी.. मैं हाई .. आआह्ह आह्हः .. करके उसके सर को अपने चुत   पर जोर से दबा दी और..मेरे चुत  झड़ने से पाणी की गंगा बहने लगी .. हरीश वैसे ही मेरी चुत को चाट चाट कर सब पाणी पीते रहे .. वाह राणी ये तो स्वर्ग का अमृत हैं..इतना मीठा शहद .. मेरी चुत का सारा पाणी चाट कर वह मेरे बाजु लेट गया और मुझे अपनी बाँहों मैं कस कर पकड़ लिया .. हम एक दूसरे से लिपट गए और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे .. 

अब शाम हो गयी थी .. हमें  भोउक भी लगी थी और खाना भी खाना था .. हरीश ने पूछा -  जानम खाने के सात थोड़ी बियर पियोगी .. थकान चली जाएगी .. मैंने कहा सिर्फ थोड़ी से मंगा लो -  काल तुम्हारा खेल का कम्पटीशन भी हैं ..

हरीश ने फ़ोन पर ही खाना आर्डर किया और २ ठंडी बियर भी मंगवा ली ..हम बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के लिए नहाने लगे .बाथरूम बहुत छोटा था , मुश्किल से हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए चिपक कर .. एक दूसरे  को साबुन लगाने लगे .. हरीश ने कहा - राणी तुम्हारे गोरे शरीर पर तो मेरे दातों के और चूसने से बहुत लाल लाल निशान पड़ गए .. और वह मुझे एक - एक  निशान दिखाने लगा .. जैसे की  उसने अपना निशान मुझ पर लगा कर मुझे उसका बना दिया था. मेरी चुत भी लाल हो कर सूज गयी थी .. मैंने देखा की हरीश के गर्दन , छाती पर भी वैसे निशान थे .. और उसके पीठ और गांड पर मेरे नाख़ून के खरोंच थी..हम दोनों हंस दीये - बराबर की  टक्कर वाले खिलाडी हैं .

हम बाथरूम से बहार आकार एक दूसरे को टॉवल से सुखाने लगे .. तभी दरवाजे पर  बेल बजी .. मैं जल्दी से अपने कपडे लेने भागी .. तभी हरीश ने मुझे पेट से पकड़ लिया - नहीं राणी कपडे नहीं . मैं चौंक गयी .. हरीश प्लीज रूम सर्विस बॉय हमें नंगा नहीं देख सकता .. हरीश बोलै नहीं राणी -हम दोनों ने यह फैसला किया था की रूम मैं पूरा  टाइम नंगा रहेंगे . अब हम हमारा फैंसला  नहीं तोड़ सकते .. 

मैं हरीश की तरफ देखने लगी .. वह बड़ी शरारती और कमीने अंदाज में  मेरे दोनों हातों को अपने हातों मैं पकड़कर मुस्करा रहा था ..

दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ...  क्या रूम सर्विस बॉय ने मुझे नंगा देखा ? बियर के सात हमारी रात कैसे कटी ? हरीश की स्पोर्ट्स कम्पीटीशन मैं क्या हुआ ?   यह  सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर  रेटिंग्स भी जरूर दे ..

आपकी संध्या 
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#16
Koi mere maa behen pe story likhega jisme me school me padhane wala cuckold son hu
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#17
(03-10-2022, 01:35 PM)cuckbhai Wrote: Koi mere maa behen pe story likhega jisme me school me padhane wala cuckold son hu

jarur likhongi bhai..muze aap accha sa title  suggest kare . new thread pan apne naam se likhungi. story may incest , bi-sex cuck , sab chalge na?
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#18
Story achchhi he. lekin hiroin pyar se sab se chudva rhi he. ,monotonas Hoti ja rhi he. Khuchh nkhra kuchh jabrdasti kuchh situation jis se majboor hoke jabardasti chudwana pade create kro to bahut maja aayega.
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#19
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apki Sandhya
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#20
Very well writen and exciting imagination
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