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एक दिन अचानक
#1
banana एक दिन अचानक banana




















Heart Heart Heart Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
उस दिन जब हम बिग बाज़ार में थे. तो अचानक मेरी पत्नी की नज़र एक सुंदर सी औरत पर पड़ी और उसने आवाज़ लगायी.. रागिनी.., ये सुन कर वो औरत ने पीछे मुड़ कर देखा और मेरी पत्नी को देख कर जोर से चिल्लाई.. हाय संगीता.. कितने दिनों के बाद मिली तू... दोनों सहेली एक दुसरे से बात करती रही और मई रागिनी को देख रहा था.. मै तो अपनी आँख बंद करना ही भूल गया था.. इतनी खूबसूरत.. क्या फिगर है.. ऐसा लगा जैसे सब कुछ एकदम सांचे में तराश कर लगाया हो. उसकी नोंकदार चून्चियां.. पतली कमर और उभरे हुए नितम्ब.. उफ़ एक तो मै वैसे ही बहुत सेक्सी हूँ और ऐसे फिगर वाली सुंदर औरतें मेरी कमजोरी है. उसने एक काले रंग का सलवार सूट पहना था. जिसमे से उसके बदन का हर कटाव एक दम साफ़ नज़र आ रहा था. उसके गोरे रंग पर कला ड्रेस मनो उसके बदन की रेखाओं को उजागर कर रहा था. उसकी गोलाई और उभार से मेरी नज़र हटाने का नाम ही नही ले रही थी. तभी मेरी बीवी ने पलट कर मेरी तरफ़ देखा और कहा ये रागिनी है मेरी कॉलेज की फ्रेंड. मैंने हेलो कहा, उसने मुस्कुराके जवाब दिया.. अब मैंने उसने होंठो को देखा.. एकदम रस भरे गुलाबी होंठ. मानो कह रहे हो आओ मेरा रस चूस लो. इस पहली मुलाकात में ही रागिनी ने मेरे लंड को मानो चोदने की दावत दे दी थी. ये सोच मुझे परेशान करने लगी की इसे कैसे चोदा जाए. एक तरफ़ मै सोच रहा था की ये मेरी बीवी की ख़ास सहेली है.. कही कुछ गड़बड़ न हो जाए इसे चोदने के चक्कर में. सच तो ये था की मेरी बीवी भी काफी सेक्सी है लेकिन रागिनी उससे भी ज्यादा सेक्सी और सुंदर थी. उसे मेरे बिस्तर में ले कर नंगी करके चोदना ही मेरा सपना बन गया.. उस पहली मुलाकात के बाद. उस दिन तो दोनों ने मिलकर ही शौपिंग की लेकिन उसके बाद भी अक्सर दोनों साथ साथ ही घूमने जाती. रागिनी को नंगी करके चोदने का सपना सपना ही रहेगा ऐसा मुझे लगने लगा था क्योंकि वो बहुत ही नपे तुले स्टाइल में बात करती थी, कभी कोई वाहियात बात या कोई गन्दा मजाक नही करती थी. उसकी बातों से पता चलता था की वो अपने पति को भी बहुत प्यार करती थी. और उसके साथ खुश भी है. कभी कभी रात में अपनी बीवी को चोदते हुए मै कल्पना करता था की मेरी बांहों में रागिनी है और मै उसे चोद रहा हूँ. रागिनी की बातों से लगता था की वो थोडी पुराने खयालात की है और बहुत ही शर्मीली भारतीय गृहिणी है. उसके बाल बहुत लंबे थे जो की मुझे ज्यादा पसंद है. शरीर मानो अजंता की कोई मूर्ति हो. उसकी चून्चिया उसके चूतड और उसके गदराये जांघ जो की उसकी सलवार से महसूस होते थे. उसका चेहरा अंडाकृति था. गोरा और भरा हुआ. सबसे बड़ी बात जो मुझे बाद में पता चली की उसके २ बच्चे है. उसके शरीर की बनावट से वो 25 साल की युवती लगती थी. जबकि उसकी उमर थी 35 साल. मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड बहुत विचलित करते थे. मै सोचता था की उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलाने में और दबाने में कितना मजा आएगा. . .

और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुयी छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. 2 बच्चों की माँ लेकिन स्तन जैसे 20 साल की कुंवारी लड़की के.. ३६ साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लौस या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी. सब क्कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी... ऐसे ही दिन गुजर रहे थे. अचानक मेरी बीवी के पिताजी की तबियत ख़राब होने का समाचार आया. उसने मेरे बेटे को साथ लिया और दूसरे दिन सुबह की बस से चली गई.

इस बात को करीब एक हफ्ता हो गया. मै घर में अकेला ही था. मेरे ऑफिस में भी मार्च के महीने के लिए बहुत काम था..मुझे छुट्टी भी नही मिली थी. इसलिए सुबह जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ता था..एक दिन सुबह प्रात: कालीन विधि व स्नान करने के बाद मै काफी की चुस्की ले रहा था. की दरवाजे की बेल बजी मैंने हाथ में लिया हुआ पेपर रखा. मै सोच रहा था की इतने सुबह कौन आ गया. दरवाजे पर जाकर पहले खिड़की से बाहर देखा.. वहां और कोई नही मेरे सपनो की मलिका रागिनी खड़ी थी. मैंने दरवाजा खोला. . मै सोच रहा था की इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यो आई है जबकि उसे मालूम था की मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने मायके गई हुयी है और अभी करीब दो हफ्ते वही रहेगी..
मैंने दरवाजा खोला और कहा " गुड मोर्निंग रागिनी" वो वहीँ चुपचाप खड़ी रही.. मैंने कहा "वही खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नही कहोगी"?
"हाय" उसने कहा. वो मुस्कुरायी. " आपकी बीवी कहाँ है? और इस वक्त आप क्या कर रहे हो घर में? रागिनी ने पूंछा

"तुम्हे संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना की वो अपने मायके जा रही है. उसके पिताजी की तबियत ठीक नही थी. खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आ गई. " उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुयी चून्चियों पर बार बार जा रही थी. और मीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था. वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मै एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था.और हलके से मसल भी रहा था. .वो अन्दर आई. मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा फ़िर अन्दर जा कर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया. फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोडी हिम्मत जुटाते हुए कहा कहा.. "इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खुबसूरत लग रही हो.और मजाक में कहा "शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हे देख कर."

रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नही इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ. मेरी हिम्मत और बढ़ी. उसने काफ़ी ख़तम की और कहा "मै चलती हूँ" मैंने कहा "तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नही है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?"
"ओह्ह आप बुढ्ढे हो?" और वो मुस्कुराई मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी ये मुस्कराहट कुछ अलग थी. " क्या ये ही मौका है.. जिसका मै इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है.". मैंने सोचा.
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#3
वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया. ये पहला मौका था की हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे. मै सोफे पर उसके साथ बैठ गया. हम अपनी घर की बातें करने लगे. कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी. हमारी शादी को १५ साल हो चुके थे. मैंने बताया की अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है. मेरी जरुरत को इनता महत्व नही देती. और सेक्स के लिए भी बहुत उदासीन हो चुकी है. अब हमारे बीच में कुछ नया नही है. जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हो या व्याकुल रहे.
रागिनी ने कहा फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश." मै उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया. फ़िर मैंने उससे पूंछा "रागिनी अब तुम्हारे फॅमिली के बारे में बताओ. तुम्हारे पति भी तुम लोगो का बहुत ख्याल रखते है. तुम्हे खुश रखते है . है ना?" मैंने कहा.
मैंने रागिनी के चहरे पर उदासी देखी. एक गहरी साँस लेकर उसने कहा :सभी यही सोचते है की हम लोग खुश है."
"रागिनी क्या बात है? तुम दुखी लग रही हो. तुम्हारे चेहरे से लग रहा है की तुम खुश नही हो."
"नही.. नही.. ऐसी बात नही है.. सब कुछ ठीक ही है." उसने कहा.
"नही रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो. क्या तुम मुझे बताना नही चाहोगी?"
" मेरा प्रॉब्लम ये है की मेरी बीवी अब मुझमे इंटेरेस्ट नही लेती. तुम समझ रही हो न मै क्या कहना चाहता हु? उसे मेरी फिकर करना चाहिए. लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम नही है. हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नही है. मै उससे दूर जाना चाहता हूँ. लेकिन जा नही पाता. मुझे लगता है की शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले."
रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी. उसने कहा वो सब समझ रही है. कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी. भावुकता आने लगी बातचीत में. मै थोड़ा भावुक होने लगा तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा. और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी. उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा.

अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा "रागिनी मै ये कहना नही चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नही जाता जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हे देखा था उसी दिन से मै तुम्हे पाना चाहता हूँ. और ये सच है "
ये सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था. उसने कहा " तुम बहुत बदमाश हो. अच्छा हुआ यहाँ तुम्हारी बीवी नही है और उसने ये सुना नही. अगर वो ये सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती."
"क्या तुम उसे ये बताने वाली हो?" मैंने उससे ये मजाक में पूंछा.
"मै नही कहूँगी लेकिन......" उसने अपना वाक्य पूरा नही किया.
"रागिनी क्या मै तुमसे कुछ रिक्वेस्ट कर सकता हूँ? तुम उसे मानोगी?"
"ये तो आपके रिक्वेस्ट पर निर्भर करता है"
'अगर मै तुमसे कुछ मांगू तो?"
"क्या?"
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#4
"क्या तुम मुझे एक किस देना चाहोगी? अगर मै मांगू तो?"
"ये आप क्या कह रहे है? मैंने आपके लिए ऐसा कभी सोचा भी नही. " ये उसने गुस्से से नही लेकिन बहुत धीमे से और मेरी बात पर चौंकते हुए कहा.
"प्लीज़ रागिनी सिर्फ़ एक.. तुम्हारे इन रस भरे होंठो का एक चुम्बन ही तो मांग रहा हूँ मै. समझो मै भीख मांग रहा हूँ."
"भीक मांगने से कोई फायदा नही है. मै इसके लिए आपको मना करने वाली नही." और वो मुस्कुरा दी. .उसके सफ़ेद दांत उसके सुंदर चेहरे पर और चार चाँद लगते हुए दिखे." ठीक है लेकिन सिर्फ़ एक ही दूंगी.. और इस बात का पता न तो आपकी बीवी को और ना मेरे पति को चले. आप प्रोमिस करो की किसी से ये बात नही कहोगे." उसने कहा.
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#5
मेरी हिम्मत बढ़ी मै उठा और उसके बाजू में जा कर बैठ गयाउसके एकदम करीब. मैंने देखा मेरी इस हरकत से वो थोडी सी सिमट गई.. मैंने उसकी तरफ़ देखा. उसने नज़ारे झुका ली और अपने दोनों हाथ मसलने लगी. मैंने अपना चेहरा बढाया और उसके गालों पर से बालों को एक ऊँगली से हटाया. वो सिहर उठी. मैंने तभी मेरे होंठ उसके फूले हुए गालों पर रख दिए और "पुच्च" से एक चुम्बन लिया. वो कसमसाई. और तिरछी नज़र से सिर्फ़ मेरी तरफ़ देखा उसने किसी प्रकार का विरोध या सहमती नही दिखाई. मै जब उसके और करीब खिसका तो उसने कहा "बस" . मैंने कहा ये किस नही था. ये तो सिर्फ़ तुम्हे छू कर देखा मैंने होंठो से. अब मैने उसके कंधे पर हाथ रखा. मै उसके दाहिने तरफ़ बैठा था. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा. वो शायद इसके लिए तैयार नही थी. वो मेरी गोद में गिरने लगी. मैंने उसके दोनों हाथ पकड लिए. अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी. मैंने कहा तुम्हे तो मालूम है की असली किस कैसे और कहाँ किया जाता है.. और तुम ख़ुद ये करने के लिए तैयार हुयी हो.. कहते हुए मै उसकी बांहों को मेरी ऊँगली से हलके से नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा. उसके कंधे पर दबाव बढ़ते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया.. उसकी सांसे बिखरने लगी. वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी.. उसके मुंह से एक भी शब्द नही निकला.अब मैंने उसके चहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर मेरे होंठ रख दिए.मैंने बहुत हलके से उसके होंठो पर "चु..ऊ..क.," करके चुम्बन कर दिया. मै उसके बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया. उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे.. इसलिए वो अपना आँचल संवार नही पायी. और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए.वैसे मै उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चुन्चियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था.
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#6
मैंने उसके गालों को हलके हलके "पुच्च.. पुच्च.. " करते हुए चूमना जारी रखा था... फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फूस फुसाकर कहा.. "रागिनी तुम बहुत खुबसूरत हो. तुम्हे पाने के लिए मै बहुत बेताब हूँ." कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए .. उसके मुंह से हलके से सी.आह्ह..की आवाज़ निकली. मै उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था. वो थोड़ा सा कसमसाई. अब मैंने उसकी साडी को उसकी चुन्चियों से पुरी तरह हटा दी. वो हलके से विरोध कर रही थी.. "नही..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो" मैंने उसकी बात नही सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांयी चूंची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया.. मैंने पंजे में चूंची पकड़ी और हलके से दबाया तो उसके मुंह से आ...आ..आह.. निकल पड़ी...मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा.. "बस संजय.. इसके आगे नही.. इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते है..." मैंने उसकी बात नही सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे. उसका हाथ मेरे हाथ पर था. लेकिन कोई हरकत नही थी.. ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है..मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की...आह्ह.. उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूंचियों पर काले रंग का ब्रा.. मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया. वो सोफे पर पीछे झुक गई थी.. जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर हुए थे. मैंने उसकी चूंची पर किस किया. और उसके मुंह से सी..सी..स्..स्..स्. आह..ऐसी कराहें निकलने लगी.. उसके लाजवाब चूंचियां मेरे सामने थी.. जिनके मै सपने देखा करता था.. मैंने उसके गालों पर फ़िर से किस करते हुए उसके कान में कहा."रागिनी मै तुम्हे प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़." उसने कुछ कहा नही..वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी था. ये मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना. .अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके ब्रा का हूक निकल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथो से अपने स्तनों को ढंकना चाहा. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मै उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था..उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. ये सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे. मैंने कहा "रागिनी मुझे इन्हे जी भर के देखने और प्यार करने दो..कहते हुए मैंने उसके गुलाबी निपल को हाथ लगाया..और मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुंह से आउच..की आवाज़ निकली.. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी... मेरे हाथ की उँगलियाँ हलके हलके उसकी चूंचियों को सहला रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साडी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था.
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#7
संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा बोलो?

" फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नही आयेगा. और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है. इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा." कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.. और उसके होंठों पर एक लंबा किस किया.. उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी निपल...मैंने अपनी बनियान निकाल दी. मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी निपल रगड़ने लगा...
उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा "तुम बहुत बदमाश हो. एक दम गंदे." और फ़िर मेरे सीने से लग गई.. वो अपनी चूंचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी.मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना मुंह उसकी चूंचियों पर रखा और उसके निपल मुंह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था.. उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया.. और "आह्ह..बस..उफ़.. संजय.." करने लगी.. लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मै अब जोर से चूसने लगा..मैंने हलके से उसके बांये निपल में काट लिया ..ऊईई...उफ्फ्फ्फ़...बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नही.." कहते हुए वो उठाने लगी. मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा "नही रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जीभर कर प्यार करने दो." और मै फ़िर से उसके निपल मुंह में ले कर एक एक कर चूसने लगा. उसके मुंह से अब.."आआआआआह्ह्ह..हाँ..संजय.. जोर से... उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है.." कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी.
मैंने अब उसकी साडी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साडी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी... कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा... वो मचल उठी..मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरा.. वो उछल पड़ी.. मै चाहता था की उसके उछलने से उसकी चून्चियां भी उछले.. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुयी थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो.एकदम सख्त.. दोस्तों आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी. उसके इस रूप को देख कर... उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे... मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुंह के अन्दर ले कर चूसने लगा... आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश..इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी.. संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाव.. चुसो.. और उसने एक हाथ से अपनी चूंची पकड़ी और मेरे मुंह में निपल डालने लगी....
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#8
उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चुतद ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह... करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया.. मै समझ गया वो झड़ गई है..अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और मेरा मुंह उसके बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वोह मादक खुशबू.. पसीने और पावडर की मिलीजुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर मेरी जीभ फेरते हुए चाटने लगा. उसे गुदगुदी होने लगी.. मैंने दोनों बगलों को करीब १० मिनट तक छठा.. वो मचलती रही.. फ़िर मै दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मै पुरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुंह में ले सकता उतना मुंह में लेता और चूसता.. दोनों चूंचिया.. अब लाल हो चुकी थी.. दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे... रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मै उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मै नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर किस किया.. वो थोडी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड के नीचे डाल दिए. उसके चूतड किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था... मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नही.. बस.. मै.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ." और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई.. मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए. और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी... मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसने लगा..मुझे मालूम था की अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से.. मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसके चूंचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर चिपका दिए.. और जोरो से चूसने लगा.. उसके मुंह से.. उम् उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोडी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मै नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई. मैंने दोनों चूंचियों के मेरे हथेलीयों में भर लिया और उसके निपल मुंह में लिए.. कभी कभी मै उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैंने मेरा मुंह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभी का चुम्बन लेते हुए उसके जांघों को मेरे हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया. मेरे होंठ उसकी जांघो पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही..पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुयी चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और "पुच्च..पुच्च." किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी. अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया "नही संजय.. ये मत करो.. प्लिज्ज़. तुम्हारी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. ये ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे है.. रुक जाओ संजय." उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया. और उठ कर खड़ी होने लगी.
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#9
"रागिनी अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो की अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है" कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.. पेटीकोट नीचे खिसका.. अब उसने अपनी गांड उठाते हुए पेटीकोट को चूतड से निकाल दिया.. उफ्फ्फ्फ्फ़.. उसके वो भरी गदराये चूतड.. पतली कमर पर टिके हुए वो गोल गोल गोरे चूतड.. मैंने उन पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को नीचे किया.. और... रागिनी ने पैंटी नही पहनी थी.. मै तो जैसे पलक झपकाना भूल गया..और मेरी तो आँखे फटी रह गई.. क्या चूत थी.. दो केले के खंभे जैसी जांघों के बीच में गोरी चूत.. एक भी बाल नही.. मुझे मेरी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था की ये किसी ३५ साल की औरत की चूत है.. उभरी हुयी.. और चूत की सिर्फ़ दरार दिखा रही थी.. मेरी बीवी की चूत तो काली होने लगी थी चुदवा चुदवा कर.. लेकिन ये तो जैसे किसी २० साल की लड़की की कुंवारी चूत मेरे सामने थी.. मैंने जैसा सोचा था उससे कहीं ज्यादा सेक्सी चूत थी.. जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूत को घूरने लगी.. उसने शरमाते हुए सर झुकाया और अपनी चूत को हाथों से ढांक लिया. उसकी गुलाबी चूत मुझ से कुछ इंच दूर थी. मैंने धीरे से उसके हाथ हटाये और चूत पर मेरे होंठ रख दिए.. उसके बदन की थरथराहट मैंने महसूस किया... उसके मुंह से.. ओह्ह.. निकला... उसकी चूत से पानी बाहर बह रहा था.. और जैसे ही मैंने उसके पैरों को फैला कर मेरी जीभ चूत की गुलाबी फांक के अन्दर डाली.."आह..ह.ह.ह.ह.हह... सं.ज.ज..ज...य...य..य.य.य... म..त. क..रो...ओह..हह.ह.ह.ह.. मै..म..र..जाऊं..गी..ई..ई..." मै उसकी चूत को फैलाकर मेरे मुंह से फूँक मार रहा था.. जीभ से उसका रस चूस रहा था.. और वो.."हे भगवान्... ये क्या.. हो..रहा.. मुझे... ऐसा पहले..कभी नही हुआ.." वो मेरे चेहरे को और ज्यादा अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी.."संजय.. मत त...ड़..पा..ओ....आह..उफ़..स्.स्.स्.स्.स्.स्.स ्.स्. स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्..."
इधर मेरा लंड मानो मेरा बरमोडा फाड़ कर बाहर निकल आयेगा इस तरह उछल रहा था.. मैंने खड़े हो कर अपना बरमोडा खोल कर उसे नीचे किया अन्दर मैंने अंडरवियर नही पहना था. इसलिए मेरा लंड उछल कर एकदम से बाहर निकाल आया और सीधा रागिनी के मुंह के सामने डोलने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
रागिनी को इस रूप में देख कर मेरा लंड फटा जा रहा था.. उसकी फूली हुयी.. रस भरी चूत और उसके नितम्ब की मांसलता से मै बेकाबू हो रहा था... मेरे लंड को इस तरह बाहर आते देख कर अचानक रागिनी के मुंह से निकल गया"बाप रे. कितना लंबा और कितना मोटा है तुम्हारा.. मुझे संगीता ने कभी नही कहा की वो इतना मजा लेती है" . उसके चेहरे पर आश्चर्य झलक रहा था. मैंने कहा "रानी.. आज तुम भी इसका मजा लो". उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और वो उसके सुपाडे से घूँघट खोल कर उसे ऊपर नीचे करने लगी. सुपाड़ा भी बहुतु फूल गया था और उसके मुंह से लार टपक रही थी. रागिनी मेरे लंड को बहुत आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी.. उसने मेरी तरफ़ ऊपर देखा और मुस्कुराते हुए उसने सुपाडे पर किस किया और जीभ निकाल कर सुपाडे का स्वाद लेते हुए अपना मुंह खोल कर उसे मुंह के अन्दर लेने का प्रयास करने लगी... लेकिन्ये उसके बस की बात नही थी.. फ़िर भी किसी तरह उसने पूरे सुपाडे को अपनी थूक से गीला कर दिया था... फ़िर किसी तरह उसने सुपाड़ा मुंह के अन्दर ले लिया और अन्दर बाहर करने लगी.. मैंने उसका सर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू किए.. मेरे लंड में अब तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था. .. मै अपना लावा उसके मुंह के अन्दर ही निकाल दूंगा ऐसा महसूस हुआ.. लेकिन मै ऐसा नही करना चाहता था.. मै मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसकी जबरदस्त चुदाई करना चाहता था.. मेरा सपना आज सच करना था मुझे. मैंने उसके मुंह से लंड बाहर निकालते हुए कहा..रागिनी.. रुक जाओ... और लंड बाहर निकालते ही मैंने उसके होंठो को चूम लिया.. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया.. और मेरे कान के पास फुसफुसाई.."संजय.. मुझे तुम्हारे बेड पर ले चलो.. जहाँ तुम संगीता को ऐसे नंगी कर के प्यार करते हो " मैंने उसे मेरी बांहों में उठा लिया.. उसका वज़न करीब 55 किलो होगा.. फ़िर भी मैंने उसे गोद में उठाया और मेरे बेड पर ले जा कर पटक दिया. बेड पर उसने अपने पैर फैला दिए.. मैंने उसे खींच कर बेड के किनारे पर लिया... उसके पैर नीचे लटक रहे थे.. उसके नितम्ब के नीचे एक तकिया रखा उसकी उभरी हुयी चूत और ऊपर हो गई..
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#11
मै झुका और मैंने उसके गुलाबी चूत पर फ़िर से अपने होंठ रख दिए.. इतनी प्यारी चूत मैंने आज तक नही देखि थी. मैंने अब तक 8-10 कुंवारी चूतों की सील भी तोडी है और शादी शुदा की तो गिनती ही मुझे याद नही.. लेकिन रागिनी की चूत सबसे अलग थी.. दो बच्चों की माँ की चूत इतनी प्यारी.. मुझे पुरा विश्वास था की इसकी चूत चोदने में किसी कुंवारी चूत से कम मजा नही आएगा... मैंने उसके पैर फैलाये और नीचे अपने पंजों पर बैठ कर उसके जांघ मेरे कंधे पर रखते हुए अपनी जीभ फ़िर से उसकी रसीली चूत में लगा दी.. स्लर.र.र.प.प.प. . स्लर.र.र.प.प.प की आवाज़ करते हुए मै उसके बहते हुए नमकीन पानी को चूसते हुए मेरी जीभ की नोंक उसकी चूत में गोल गोल फिरते हुए मथने लगा. रागिनी अब बहुत गरम हो रही थी.. अपनी चूत को मेरी जीभ से एकदम चिपका रही थी.. ३-४ मिनट बाद वो चिल्लाई.. ओह्ह.ह.ह.ह. सं.ज ज ज य य य य ...ओह्ह..माँ.. तुम सच में बहुत सेक्सी हो.. संगीता.. किस्मत वाली है.. आह्ह.. अब.. डाल दो...ओ.ओ. . और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.. मैंने पूंछा क्या डाल दूँ..? उसने कहा " मत सताओ.. मै जल रही हूँ.. तुम्हारा ये डाल दो मेरी वाली में.." मै अब उसे तडपाना चाहता था.. मैंने कहा "किसमे क्या डालना है उसका नाम बोलो ना?".. उसने कहा.. " मुझे शर्म आती है.. मेरे मुंह से गन्दी बात मत कहलवाओ." मैंने कहा "ये गन्दी बात है? तुम जब तक नही कहोगी मै कुछ नही करूँगा.. और मै ऊँगली से उसकी चूत के उभर ए दाने को दबाते हुए रगड़ने लगा..चूत फड़कने लगी थी.. मैंने ऊँगली अन्दर डाली और उसकी चूत के अन्दर का g-स्पॉट को ढूंढ कर उसे कुरेदा.. रागिनी अब रुक नही सकती थी..उसने चीखते हुए कहा..सं..ज.ज.ज.य.य.य... मुझे मा..र..डा.लो..गे..क्या..आ..आ.आ..... करो ना.. मैंने कहा तुम बोलो जल्दी से.. अब मैंने खड़े हो कर लंड को अपने हाथ में पकड़ा और .सुपाडे को सहलाते हुए मसलने लगा.. उसने अपने पैर फैलाते हुए चूत का मुंह खोला.. लेकिन मै खड़ा रहा.."क्या हुआ" उसने पूंछा. मैंने कहा तुम कहो ना.. अब उसने कहा.. तुम्हारा लंड मेरी चूत में डालो और चोदो मुझे..उसका इतना कहना था की मैंने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और २-३ बार ऊपर नीचे रगडा और छोटे से लाल सुराख़ पर रखा.. उसकी चूंचियों को एक हाथ से सहलाते हुए मैंने हल्का सा लंड को अन्दर दबाया.उसने अपने पैरों को थोड़ा और फैला दिया ताकि मेरा मोटा लंड अन्दर जा सके.. लेकिन सुपाड़ा चूत के गीलेपन से अन्दर फिसल कर फंस गया.. उसकी चूत मुझे बहुत कसी हुई लगी..मैंने जैसे ही मेरे कमर को सख्त करके और अन्दर दबाया तो वो हलके से चीख उठी.. उई..ई.ई.ई... धीरे..बहुत मोटा है...मैंने उसके स्तन को दबाते हुए उसे प्यार किया और लंड को अन्दर धकेलता रहा.. गीली चूत में लंड फिसलता हुआ जा रहा था.. लेकिन उसकी चूत फ़ैल रही थी और उसे दर्द हो रहा था ये उसके चेहरे से पता चल रहा था.. मैंने अब लंड को थोड़ा पीछे खिंचा.. और उसके जाँघों को कस कर पकड़ते हुए पुरी ताकत सेलंड को अन्दर धकेला.. मेरा लंड उसकी चूत को पुरा चीरता हुआ.. सर..र.र.र.र.र.र.र.र.. से अन्दर फिसला और रागिनी अब अपनी चीख नही रोक पाई.. म..र..ग..ई..इ.इ.ई.ई.ई.ई...इ.ई.ई.ईई.ई.. मेरा लंड उसकी चूत में गहराई में घुस चुका था और अन्दर उसकी बच्चे दानी से टकराया था.. मै पूरा लंड अन्दर डाल कर रुक गया.. ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए और उसकी चूत को मेरे मोटे और लंबे लंड की आदत हो जाए.
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#12
थोडी देर बाद उसका दर्द कम हुआ.. उसने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुरायी.."संजय.. बहुत लंबा और बहुत मोटा है तुम्हारा लंड.. इतना दर्द तो मुझे सुहागरात में भी नही हुआ था.. और इतना भीतर तक आज तक कुछ नही घुसा" मैंने पूंछा 'मोहन (उसका पति) का छोटा है क्या"? उसने कहा.. तुम्हारे लंड का आधा भी नही होगा.. इसीलिए तो मुझे इतनी तकलीफ हो रही है.. ऐसा लग रहा है चूत एकदम भर गई है.. और किसी तेज़ धार वाले चाकू के काट कर तुमने लंड को अन्दर डाला है." मैंने कहा अच्छा लग रहा है ना?" उसने हाँ में सर हिलाया.. मैंने उसके होंठो को चूमा और अब मैंने आहिस्ता आहिस्ता लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.. अब उसके गदराये नितम्बो में हाथ लगते हुए मैंने उसे और ऊपर उठाया और मेरे धक्के की स्पीड बढ़ाने लगा.. उसके मुंह से आह..ऑफ़..चोदो संजय.. तुम्हरी बीवी की सहेली को चोदो..हाँ उफ्फ्फ क्या लंड है..आह्ह.. अब वो अपनी चूत से मेरे लंड को कसने लगी थी..मेरे गोटियाँ उसके गांड और चूतड पर टकरा के "थाप..थाप..थपाक" की आवाज़ निकल रही थी.. उसके गोरे गोरे.. चिकने चूतड और ऊपर उठाते हुए मैंने उसके पैर उसकी चूंचीयों तक मोड़ दिए और मेरा लंड और गहराई में पेलने लगा..मै लंड को पूरा बाहर खींच रहा था सिर्फ़ सुपाड़ा अन्दर रहता था.. और वापिस पूरा अन्दर डाल देता था.. मेरी स्पीड बहुत बढ़ गई थी.. तभी रागिनी चिल्लाई.."संजय .और जोर से.. हाँ.. जोर से. आह्ह.. आह्ह..मै.. गयी..ई.ई.ई..ई...इस तरह चीखते हुए उसने अपने चूतड ३-४ बार जोर से हवा में उछाले और shant पड़ गई.. मै समझ गया की वो झड़ गई है.. उसकी चूत से बहुत सारा पानी निकला.. मेरे लंड को अपने गरम गरम पानी से नहला दिया.. उसका पानी निकलने से चिकनाई और बढ़ गई..अब चूत से फच फच..फचाक की आवाज़ आने लगी..रागिनी ने मुझे अपने ऊपर खीच लिया.. और अपनी बांहे मेरी पीठ पर कस दी. उसके लंबे नाखून मेरी पीठ में गडा दिए.. और नोंचने लगी. .. मै भी उसे जम कर चोद रहा था.. उसके मुह से अब सिर्फ़ आह.. ओह्ह..उफ़.. श..श..स..स.स.स.. ऐसी आवाजें और तेज़ साँस निकल रही थी... मै थोड़ा उठा तो उसने अपने पैर मेरी गर्दन से लपेट दिए..उसके चूतड मैंने हवा में उठा लिए और मेरा लंड अन्दर बाहर होने लगा..मै उसके मांसल चूतड को अपनी उँगलियों से दबा रहा था.. मेरे नाखून उसे गडा रहा था. मेरा लंड पूरा उसकी गहराई तक जा रहा था. रागिनी अब मस्त हो चुकी थी.. अब तक उसकी चूत ने ३ बार पानी छोड़ दिया था..अब मेरे लंड ने उसकी चूत को भरने की तय्यारी कर ली थी.. वो और मोटा और कड़क हो चुका था..
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#13
मैंने उसकी गांड को दबाते हुए उसके होंठो पर झुका और उससे कहाँ "रागिनी मेरा होने वाला है.." कहते हुए मैंने बहुत जोर से अपना लंड उसकी चूत की गहराई में धकेल दिया जड़ तक और उसे दबा कर पिचकारी से मेरा लावा उसकी चूत में डालने लगा.. मालूम नही कितनी पिचकारी निकली... लेकिन उसकी चूत पूरी भर गई.. और मेरे वीर्य की गर्मी से रागिनी फ़िर से झड़ गई. और मुझसे बहुत जोर से चिपक गई. मै भी उसके ऊपर लेट गया .. ऐसे करीब 10 मिनट हम एक दूसरे से चिपके रहे.. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था..हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए गहरी साँस लेते हुए लेते हुए थे. उसका नरम और गदराया बदन मेरी बांहों में था. मै उसे हलके हलके चूम भी रहा था. उसके सख्त उरोज मेरे सीने में दबे हुए थे. मेरी बीवी को इस तरह सीने से लगाने पर उसकी चून्चियां मेरे सीने में दब कर चपटी हो जाती है.. लेकिन रागिनी के खड़े निपल मानो मेरे सीने के बालों को भेद कर छेद कर देंगे. ऐसा महसूस हो रहा था दो गरम नरम कबूतर मेरे और उसके सीने के बीच में दबे हुए है.. ये सब मिल कर मेरे लंड को पूरा ढीला होने से रोक रहे थे.. वो आधा सख्त रागिनी की चूत में फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो रहा था. मैंने अपना लंड बाहर निकाला.. उस पर मेरा और उसका दोनों का रस लगा हुआ था और उसकी चूत से भी मेरा क्रीम बहते हुए उसकी गांड की तरफ़ बह रहा था.
उसकी चूत एकदम लाल हो चुकी थी.. और मुंह भी खुल गया था... चूत थोडी फूल भी गई थी. मै उसके स्तन को अब हलके से सहला रहा था.. थोड़ा उठ कर उसके रसीले होंठो को फ़िर से चूमा.. " रागिनी कैसा रहा ये अनुभव,, ?
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#14
" बुरा नही था' उसने मुस्कुराते हुए कहा "लेकिन तुम्हारे इस मोटे और लंबे लंड ने मुझे आज पहली बार चुदाई का मजा क्या है ये दिखा दिया." कहकर उसने मेरे लंड पर हाथ रखा और उसे दबाया.
"रागिनी क्या पहली बार तुमने अपने पति के सिवा किसी दूसरे का लंड लिया?"
"हाँ.. मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था की मै ऐसा कभी करुँगी... मै सच कह रही हूँ."
" लेकिन अच्छा लगा ना?"
"हाँ, बहुत अच्छा.. मुझे तो अभी तक विश्वास ही नही हो रहा है की मैंने ऐसा किया है..लेकिन अगर तुम ये बात गुप्त रखोगे तो मै इसके बाद भी तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूँ" कहकर उसने मेरे होंठो को किस किया.. फ़िर उठ कर बैठी.."मुझे बाथरूम जाना है..मै अभी आती हूँ "और वो नंगी ही बाथरूम गई..मै उसके जाते हुए बदन को देख रहा था.. उसके नितम्ब और चूतड.. पतली कमर उफ्फ्फ..मै उसके चूतड देख कर फ़िर से गरम हो गया.. चूतड के बीच में लंड डाल कर घिसने का मजा ही कुछ और है... उसके वापिस आते ही मैंने कहा "रागिनी मुझे तुम्हारे चूतड और गांड देखना है.. मै वहाँ प्यार करना चाहता हूँ.."
"मुझे पूरी नंगी कर के सब कुछ तो देख लिया तुमने."
"रागिनी तुम्हारे चूतड सच में किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देंगे. शायद तुम्हारे पीछे चलने वाले मर्द तो अपने पंट में ही झड़ जाते होंगे" मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा और उसका मुंह घुमा दिया और उसके चूतड पर हाथ फेरते हुए कहा.
"अच्छा..
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#15
" बुरा नही था' उसने मुस्कुराते हुए कहा "लेकिन तुम्हारे इस मोटे और लंबे लंड ने मुझे आज पहली बार चुदाई का मजा क्या है ये दिखा दिया." कहकर उसने मेरे लंड पर हाथ रखा और उसे दबाया.
"रागिनी क्या पहली बार तुमने अपने पति के सिवा किसी दूसरे का लंड लिया?"
"हाँ.. मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था की मै ऐसा कभी करुँगी... मै सच कह रही हूँ."
" लेकिन अच्छा लगा ना?"
"हाँ, बहुत अच्छा.. मुझे तो अभी तक विश्वास ही नही हो रहा है की मैंने ऐसा किया है..लेकिन अगर तुम ये बात गुप्त रखोगे तो मै इसके बाद भी तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूँ" कहकर उसने मेरे होंठो को किस किया.. फ़िर उठ कर बैठी.."मुझे बाथरूम जाना है..मै अभी आती हूँ "और वो नंगी ही बाथरूम गई..मै उसके जाते हुए बदन को देख रहा था.. उसके नितम्ब और चूतड.. पतली कमर उफ्फ्फ..मै उसके चूतड देख कर फ़िर से गरम हो गया.. चूतड के बीच में लंड डाल कर घिसने का मजा ही कुछ और है... उसके वापिस आते ही मैंने कहा "रागिनी मुझे तुम्हारे चूतड और गांड देखना है.. मै वहाँ प्यार करना चाहता हूँ.."
"मुझे पूरी नंगी कर के सब कुछ तो देख लिया तुमने."
"रागिनी तुम्हारे चूतड सच में किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देंगे. शायद तुम्हारे पीछे चलने वाले मर्द तो अपने पंट में ही झड़ जाते होंगे" मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा और उसका मुंह घुमा दिया और उसके चूतड पर हाथ फेरते हुए कहा.
"अच्छा..66
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#16
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांडमै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा.."संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. " मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?" उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया." मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. " उसने कहा "नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा." मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा.." कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और.."आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा....ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य... आ..आ.आ...आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. " करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था.. मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
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#17
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांडमै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा.."संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. " मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?" उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया." मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. " उसने कहा "नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा." मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा.." कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और.."आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा....ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य... आ..आ.आ...आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. " करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था.. मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
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#18
इस तरह खड़े होने से उसके चौडे और उभरे हुए चूतड बहुत ही सेक्सी दिख रहे थे.. गांड का छेद और चूत दोनों उभर आए थे.. मैंने पहले उसके चूत और गांड दोनों पर मेरे लंड को बहुत अच्छे से रगडा और पहले मैंने उसकी चूत के ऊपर मेरा लंड टिकाया और उसकी पतली कमर को जोर से पकड़ कर दबाया.. मेरा लंड अन्दर घुसने लगा.. उसकी कसी हुयी चूत मेरा लंड धीरे धीरे अन्दर ले रही थी.. दुसरे झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.. और मै उससे चिपक कर उसकी चून्चियों को मसलने लगा.. इधर मेरे लंड के हलके हलके धक्कों से रागिनी करह रही थी.. संजय बहुत भीतर घुस गया है.. इस पोज़ में और ज्यादा अन्दर तक घुसा दिया तुमने.. आह्ह. मैंने कभी ऐसा नही किया.. चोदो..वो भी अपने चूतड पीछे धकेल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अपनी छोटी से चूत में. . अब मैंने बटर ऊँगली में लिया और उसकी गांड के छेद में फ़िर से लगाया और ऊँगली अन्दर डाल कर घुमाने लगा.. गांड का छेद कुछ खुल गया था.. अचानक मैंने लंड पूरा बाहर खींचा और उसे गांड के छेद पर रखा.. रागिनी के कुछ समझने के पहले मैंने उसकी पतली कमर को पूरी ताकत से जकड कर एक धक्का लगा दिया.."भच्च" की आवाज़ हुयी और लंड का सुपाड़ा गांड में घुस गया और रागिनी चीख कर छूटने का प्रयास करने लगी.. लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत थी.."ओह्ह..मा..र. डा.आ.आ.ला.आ.आ..आ...स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स् .स्.. . निकालो..संजय.. . मैंने कहा रुको रानी.. अभी मजा आयेगा.. और मै उसके चूतड दबाने लगा.. लंड को भी दबाते हुए अन्दर धकेल रहा था.. बटर होने की वजह से उसकी टाईट गांड में लंड फिसल रहा था. मेरा लंड भी छिल रहा था..आधे से ज्यादा अन्दर करने के बाद मैंने अब लंड को हलके से आगे पीछे करने लगा.. रागिनी की आंखों से आंसू .निकल आए थे. .लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था उसे मजा आने लगा था.. अब मैंने देर करना उचित नही समझा और लंड को बाहर खींच कर जोर का धक्का दिया और पूरा लंड जड़ तक उसकी गांड में समा गया.. रागिनी फ़िर से चीखी और सामने की तरफ़ गिरने को हुई तो मैंने सामने हाथ बढाया और उसकी चून्चियों को थाम लिया.. पूरा लंड अन्दर निकल कर मै उसकी गांड मार रहा था.. अब मैंने गांड और चूत दोनों को एक साथ छोड़ने का इरादा किया.. और लंड को गांड से निकाला और एक ही धक्के में चूत के अन्दर डाल दिया फ़िर वैसे ही चूत से बाहर निकला और गांड में एक धक्के में अन्दर पूरा लंड डाल दिया.. इस तरह से एक बार गांड में फ़िर एक बार चूत में.. मै मेरे लंड से रागिनी को छोड़ रहा था.. अब उसे भी मजा आ रहा था.. वो कहने लगी.."शादी के 15 साल में चुदाई का ऐसा मजा मुझे नही मिला" मैंने कहा रानी तुम्हारी गांड और चूतड इतने सुंदर है की मेरे जैसा मर्द जो की गांड का शौकीन नही है उसे भी आज तुम्हारे गांड में लंड डालने का दिल हो गया. " उसने पूंछा "सच मेरे चूतड इतने सुंदर है?" मैंने कहा "सुंदर कहना तो कम होगा.. ये खुबसूरत और बहुत ही उत्तेजक है" कहते हुए मै उसकी गांड और चूत चोदने लगा... करीब २० मिनट से ज्यादा हो गया था. रागिनी कहने लगी मेरे पैर दुःख रहे है.. मैंने कहा.. ठीक है. मैंने लंड बाहर निकला और सामने रखी चेयर पर बैठ गया.. उस चेयर में बाजू के हत्थे नही थे..मैंने रागिनी से कहा अब तुम अपनी चूत मेरे लंड के ऊपर रखो और दोनों पैर मेरे पैरों के साइड में फैला लो.. मेरी तरफ़ मुंह करके बैठो.. उसने कहा "नही संजय.. इतने मोटे पर मै नही बैठ पाऊँगी.. बहुत दर्द होगा.. और मैंने ऐसा कभी किया भी नही".. मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा.. तुम आओ तो.. वो दोनों पैर फैला कर मेरे लंड के ऊपर आई.. मैंने कहा.. अब अपने छेद को इसके ऊपर रखो.. उसने वैसा ही किया.. मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे बैठाने लगा.. जैसे ही सुपाड़ा अन्दर गया वो खड़ी होने लगी.. नही संजय.. ऐसे में ये बहुत अन्दर घुस जाएगा.. कितना लंबा और कड़क है.. मैंने उसे उठाने नही दिया.. और अब उसके निपल मेरे मुंह के सामने थे.. मैंने एक निपल मुंह में लिया और नीचे से धक्का दिया.. और उसकी कमर को नीचे दबाया.. मेरा लंड "गप्प्प" से पुरा अन्दर घुस गया.. मैंने दूसरा हाथ उसकी गांड के पास लगाया.. गांड का मुंह अब खुल गया था.. मैंने उसके होंठ ओने होंठ में लिए और उसके चूतड से पकड़ कर उसे मेरे सीने से चिपका लिया.. दोस्तों इस आसन में चुदाई का मजा ही अलग है. मै उसके होंठ चूस रहा था और वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड उठा कर चूत में लंड अन्दर बाहर कर रही थी.. मै कभी उसके होंठ.. कभी चूंची और कभी उसके कंधे चूमता..इस पोज़ में ५-७ मिनट में ही वो झाड़ गई.. अब मैंने उसे वैसे ही गोद में उठाया.. क्युकी मेरा लंड भी अब झड़ने वाला था.. उसे फ़िर से बेड के किनारे पर लिटाया.. चेयर से बेड तक जाते हुए लंड उसकी चूत में ही था.. बेड के किनारे पर उसे लिटाकर उसके पैर मेरे कंधे पर लिए और फ़िर तो मैंने १० मिनट तक उसकी चूत का बुरा हाल किया.. और आख़िर में लंड को उसकी चूत के अनादर गहरी में रख कर १ मिनट तक पिचकारी मारता रहा.. मुझे लगता है उस वक्त मेरे लंड ने जितनी पिचकारी निकली होगी उतनी पहले कभी नही निकली.. .. उसके बाद मै थक कर उसके ऊपर ही लेट गया. उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी. और मेरे साथ वो भी झड़ गई थी...मैंने उसे पकड़ कर बेड के ऊपर ले लिया वो मेरे सीने पर थी.. लंड चूत में.
मैंने उसे चूमते हुए कहा "आई लव यू रागिनी. मै बहुत दिनों से तुम्हे पाना चाहता था "
वो मुस्कुरायी और कहा " मै ये नही कहूँगी की मै तुम्हे पाना चाहती थी.. लेकिन आज के बाद जरुर तुम्हे हमेशा पाना चाहूंगी. तुमने मुझे सेक्स का जो मजा दिया है उससे मै अनजान थी.. और इसमे इतना मजा है ये मुझे पता ही नही था." कहते हुए उसने मुझे किस किया.
" तुम खुश हो न संजय? तुमने जो चाह वो मैंने तुम्हे दिया.. ज़िन्दगी में पहली बार मैंने पीछे से सेक्स का मजा लिया.. तुम पहले मर्द हो जिसने मेरे पीछे वाले में अपना ये मोटा वाला पूरा अन्दर डाला."
"मेरी रानी रागिनी मै खुश ही नही खुश किस्मत हूँ जो तुम्हारी लाजवाब चूत और मस्त गांड में मेरे लंड को जगह मिली." उसके बाद करीब एक घंटा हम दोनों वैसे ही नंगे पड़े रहे.. फ़िर वो उठी और बाथरूम गई.. वहां से बाहर आ कर उसने कपड़े पहने.."संजय. मुझे लगता है मैंने जरुरत से ज्यादा वक्त यहाँ बिता दिया है अब मै चलूंगी"
"काश तुम और रुक सकती.. शायद तुम ठीक कहती हो .. किसी को शक करने का मौका नही देना चाहिए.." मै भी उठा .. बाथरूम में गया. रागिनी ने ड्रेसिंग टेबल पर मेरी बीवी के मेकअप के समान से अपना हुलिया ठीक किया.. मै बाथरूम से नंगा ही साफ़ करके बाहर आया तो वो तैयार थी.. मैंने उसे फ़िर से बांहों में लिया और किस किया.. उसने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया.. मैंने उसे बताया की संगीता अभी और २ हफ्ते नही लौटेगी.. उसने कहा अब घर पर नही कही बाहर.. और तुमने मेरी जो हालत की है मै वैसे भी २-३ दिन कुछ नही कर पाउंगी.. जानते हो मै वहां हाथ लगा कर धो भी नही पा रही हूँ.. बहुत दर्द हो रहा है और बहुत फूल गई है.. वो तो अच्छा है मेरे पति महीने में एक बार ही करते है वो भी कभी कभी.. इसलिए . जब मै ठीक हो जाउंगी तो तुम्हे कॉल करुँगी.. मैंने घड़ी देखा .. अब ऑफिस आधे दिन के लिए ही जा सकता था. मैंने देखा रागिनी की चाल भी बदल चुकी है.. थोडी से लंगडा रही थी.. शायद गांड मरने की वजह से.. पैर भी फैला के चल रही थी.. फ़िर भी वो दरवाजे तक ई.. दरवाजा खोला .. और कहा.."thank you' और मुस्कुराकर चली गई..
दोस्तों, मै उस दिन की हर घटना को सपना समझ रहा था. लेकिन 2 दिन बाद ही रागिनी का फ़ोन आया की आज बच्चे आज अपने मामा के घर गए है और पति भी टूर पर है 3 दिन के लिए. इसलिए ऑफिस से सीधे मेरे घर आ जाओ..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#19
ok sir
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#20
https://www.gutenberg.org/
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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