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Adultery मैं तो शादीशुदा हूँ
#1
मैं तो शादीशुदा हूँ

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरा नाम रूद्रमान सिंह है, मैं पंजाब का रहने वाला पक्का जाट हूँ, पका हुआ शरीर है, मैं स्कूल में, फिर कॉलेज में कबड्डी का खिलाड़ी भी रह चुका हूँ।
मेरी उम्र तेतीस साल है, शादीशुदा हूँ, मेरे दो बेटे भी हैं, मेरी पत्नी एड्मेंटन कनाडा में है।

जैसे कि सभी जानते हैं कि हम पंजाबी विदेश में सेटल होना पसंद करते हैं, अधिकतर परिवार विदेश में भी और भारत में भी, दोनों जगह पाँव जमाना चाहते हैं, ऐसा ही हमारे साथ है, मेरी पत्नी के दोनों भाई कनाडा में हैं और फिर मेरे सास-ससुर भी वहीं चले गए और उसके बाद मेरे सालों ने अपनी बहन को स्पोंसर किया तब वो पेट से थी, तीन महीने की गर्भवती थी, मेडिकल जालंधर में था, हमने किसी तरीके क्लीयर करवा दिया। पहला बेटा दो साल का था, माँ के साथ उसका भी वीसा आया और दूसरा बेटा वहीं पैदा हुआ, यही हम चाहते थे, अब वो जन्म से ही वहाँ का नागरिक बन गया और बच्चे के साथ वहाँ नियम बहुत प्यारे हैं, माँ को भी ग्रीन कार्ड मिल गया और अब मेरे भी पेपर्स भर दिये हैं, इस साल के मध्य तक शायद मैं भी कनाडा चला जाऊँगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
यहाँ मेरी सरकारी नौकरी है, मैं ग्रामीण विभाग में बी.डी.ओ के पद पर हूँ। वैसे तो हमारा फार्महाउस गाँव में है और वहाँ पापा जी खेती-बाड़ी के काम की देखभाल करते हैं, मैं भी आता जाता रहता हूँ, क्योंकि अमृतसर शहर में हमारी बहुत बड़ी कोठी है, मेरा बड़ा भाई यू.एस.ए में है। दोस्तो, मैं शहर में रहता हूँ और पूरे मजे करता हूँ।

वैसे तो मैंने कई औरतों को पटाया हुआ है, दो तीन भाभियाँ भी मेरे साथ सेट हैं, मेरी मर्दानगी देखते ही दिखती है, मेरा लौड़ा मेरी सबसे बड़ी ताकत है, मेरा नौ इंच का लौड़ा औरत को हर पक्ष से संतुष्ट करता है।

मुझे सरकारी घर भी मिल सकता था लेकिन में आजादी पसंद हूँ, शहर में शाम को पैग-शैग चलता है, मैं खाना खाने होटल चला जाता हूँ। मोहल्ले की ही दो भाभियाँ मैंने सेट कर रखी हैं, एक का पति फौजी है, दूसरी का पति है तो यहीं है लेकिन बहुत दारु पीता है, वो अपने पति के अलावा दो बच्चों के साथ रहती है, जब से उसको मैंने देखा मेरा दिल उसकी लेने को करने लगा था, वो भी मुझ पर मरने लगी थी, लेकिन हम लोगों का एक दूसरे के घर आना जाना नहीं है, क्यूंकि वो लोग दो महीने पहले ही हमारे क्षेत्र में आये हैं और मेरी पत्नी वैसे भी कनाडा है, इसलिए बस गली से गुज़रते हुए एक दूसरे की आँखों को पड़ गए, अब मेरा दिल उसको चोदने को करने लगा। कमाल की हसीना है वो, उसकी चूची देख देख मेरा लौड़ा खड़ा होने लगता था।

एक दिन वो शाम को पास से दूध लेने जा रही थी, मैंने बाईक निकाली और उसके पीछे गया उसको दिखा कर मैंने एक पेपर पर अपना नंबर लिख फेंक दिया, उसने उठा लिया। मैं बहुत खुश हुआ, अब मुझे इंतजार था उसके फ़ोन का!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
उसने वापस घर आते मुझे फ़ोन किया, उसने अपना नाम प्रिया बताया, बोली- आपने नंबर क्यूँ फेंका?
‘एक जवान मर्द जवान औरत को क्यूँ नंबर देगा?’
‘लेकिन मैं तो शादीशुदा हूँ!’
‘वो तो मैं भी हूँ!’

अब हम फ़ोन पर बातें करने लगे, उसने बताया कि उसका पति बहुत दारु पीता है और उसको कभी कभी पीट भी देता है।

मोहल्ले का काम था हम दोनों ही कोई बचकानी हरक़त करने के मूड में नहीं थे, वो औरत थी, मैं एक ऑफिसर, इसलिए मैंने कोई तरकीब सोचनी चालू की।

एक दिन में गली में सैर कर रहा था अपने कुत्ते के साथ, उसके घर के सामने निकला, दो तीन चक्कर गली के लगाए, इतने में उसका घरवाला अपनी बाईक पर घर लौटा रहा था, उसने काफी पी रखी थी, वो जब मेरे पास को आया तो बोला- सत श्री अकाल भाजी!

मैंने उसको उसी लहजे में जवाब दिया। उस वक्त मैं नहीं जानता था कि वो ही प्रिया का घरवाला है।

वो बोला- आप बी.डी.ओ साब हैं?
हाँ! और आप?
‘हम तो भाई क्लर्क हैं! आप बड़े आदमी!’
‘नहीं, ऐसी बात थोड़ी होती है, इस ज़माने में सरकारी नौकरी कहाँ मिलती है?’

उसने काफी पी रखी थी, मुझे उसके बारे ज्यादा मालूम नहीं था, मैंने पूछा- आपका घर कहाँ है?
‘यही इसी गली में! वो आगे ट्रांसफार्मर के सामने वाला घर है!’

मेरा माथा ठनका ,वो घर तो प्रिया का है, खुद को कहा, सोचा- इसका मतलब यह उसका पति है!
‘आपने काफी पी रखी है, घर छोड़ देता हूँ!’
‘नहीं नहीं जी बस! वैसे कभी आना, पैग शैग लगायेंगे!’
‘ज़रूर-ज़रूर! मैं तो कभी भी कहो आ जाऊँगा ,आओ मैं तुम्हें पैग लगवाता हूँ, आज तुम मेरे घर के सामने हो!’

जोर देकर मैं उसको घर ले गया, नौकर ने दो ग्लास लगाये, एक एक मोटा पटियाला बना दिया- पकड़ो!
चीयर्स कर दोनों ने गटक लिए। वो पहले ही ज्यादा पिए था, दो तीन मिनट में हिलने लगा।
‘मैं घर छोड़ देता हूँ, बाईक यही लगा दे, मैं छोड़ दूंगा!’

उसको सहारा देकर उसके घर गया।
यह रास्ते में मिले, लगता ज्यादा पी ली है!
वो प्रिया थी- यह रोज़ का काम है, आओ आप!

मैं उसको लेकर उसके कमरे तक चला गया, उसको लिटा दिया, जूते उतार मैंने कंबल दिया।
‘धन्यवाद!’ प्रिया बोली।
‘कैसी बात करती हो भाभी? मैं बस डौगी को लेकर सैर कर रहा था कि ये दिख गए।’
‘बैठिये ना!’
‘नहीं चलता हूँ! बच्चे वो सो गए?’
‘सुबह स्कूल जाना होता है ना!’
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया- भाभी जी, आप बहुत सुंदर हो, फ़ोन पर आवाज़ रोज़ सुनता हूँ, आज सामने हो!
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#5
कमाल का रूप पाया है आपने! जितनी सुरीली आवाज़ फ़ोन पर सुनता हूँ, उससे कहीं ज्यादा कशिश सामने है, जिस ख़ूबसूरती को रोज़ रास्ते में या छत पर खड़ा देखा करता हूँ वो उससे कहीं ज्यादा है। आई लव यू!

‘वो तो है! लेकिन कहीं हम बदनाम हो गए तो फिर?’
‘कौन करेगा? वो तब करेगा अगर हम बचकानी हरक़त करेंगे, तुम देख ही लो, हम कितने दिनों से बात कर रहे हैं, मैंने कभी तेरे घर के सामने आकर तुझे देखा है? मैं वैसा बंदा नहीं हूँ जानेमन! मेरे भी दो बच्चे हैं!’ मैंने उसका हाथ थाम दोनों हाथों में लिया, प्यार से सहलाया- क्या नाज़ुक-नाज़ुक हाथ हैं आपके!
‘मैं क्या नाज़ुक नहीं हूँ?’
वो तो क्यूँ नहीं हो? आखिर तभी इस जवाहरी ने खरे सोने को दूर से ही परख लिया! मैंने धीरे से उसको बाँहों में कस उसके होंठ चूम लिए।
वो भी कसमसा सी गई।
क्या हुआ कुछ नहीं? आज से चेहरे की उदासी भगा दे, तू हंसती हुई अच्छी लगती है! मैंने उसकी गर्दन पर चुंबन लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
वो मचल उठी।

मैंने उसका कमजोरी भाम्प की, उसका यौन-बिन्दु मालूम चल गया मुझे!

दो-तीन बार वहाँ चूमा तो प्रिया गर्म होने लगी। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके सपाट चिकने पेट पर फेरना चालू किया, उसकी साड़ी का पल्लू सरका कर नीचे गिरा दिया, ब्लाऊज़ में उसकी जवानी देख मेरा लौड़ा और ज्यादा मचलने लगा।

वो भी मानो प्यासी थी! मेरे हाथ ने जब उसके पेट को छुआ तो वो पूरी गर्म हो गई।
मैंने हाथ उसके पेटीकोट में घुसा दिया।
इस पर वो बोली- यह सब मत करो! यह उठ गए तो बवाल मच जाएगा।
‘यह अब नहीं उठने वाला! ऐसा कर कि दरवाज़ा खुला रखना, मैं जरा घर को ताला लगा कर और इसका जो बाईक मेरे घर खड़ा है, उसको भी ले लाता हूँ!’
‘नहीं नहीं! उसको मत लाना, रात है, उसकी आवाज़ से कहीं कोई जग गया तो?’
‘चल ठीक है!’

मैंने अपने घर जाकर एक पटियाला-पैग खींचा और मुँह में हरी इलाईची रख कर ताला-वाला लगा कर आया, घर से मैंने रास्ता देख लिया कि सब साफ़ है, मैं उसके घर में घुस गया।
आज मुझे भाभी चोदनी थी।

जब मैं गया तो देखा वो फ्रेश होकर नाईटी पहन कर मेरे सामने खड़ी थी, महीन सी सी-थ्रू नाईटी के अन्दर उसकी लाल पेंटी, लाल ब्रा साफ़ दिख रही थी। मुझे लड़की के अक्सर लाल, काले अंडर-गारमेंट बहुत आग लगाते हैं!
‘क्या देख रहे हो? कहाँ खो गए?’
‘कहीं नहीं! तेरे रूप का नज़ारा देख रहा हूँ! मदहोश कर देने वाली भाभी की जवानी देख रहा हूँ!’
‘इस कमबख्त ने तो…! इतनी कीमती चीज़ को ऐसे जाया कर रहा है…’

मैंने उसको बाँहों में समेटा, उठाया, सीधा गेस्ट रूम में लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया, दरवाज़े की चिटकनी लगाई और उसके बगल में लेट गया। मैंने उसे बड़ी बत्ती बंद करके हल्की रोशनी वाला बल्ब जलाने को कहा।
उसने लाल बल्ब जला दिया ट्यूबलाइट बंद करके! और इतराते हुए चल कर मेरे पास आई।
मैंने उसकी नाईटी उतार फेंकी और उसकी लाल ब्रा में हाथ घुसा दिया!
क्या माल था दोस्तो! मेरा लौड़ा फूंके मारने लगा! मुलायम सच में रुई जैसी!

‘आप मुझे बहुत पसंद हो! जिस दिन से मेरी नज़र आपसे टकरा गई, उसी दिन से मैं सोचने लगी कि काश मुझे ऐसा मर्द-पति मिला होता!’
‘मैं हूँ ना! आज से उदासी रफू-चक्कर कर दे!’

मैंने उसकी ब्रा की हुक खोल दी और अलग कर दिया। मैंने एक-एक कर दोनों चुचूक चूसे! गुलाबी से कोमल से चुचूक थे! कभी उसका पूरा मम्मा मुँह में ले लेता और हिला हिला उसकी आग भड़काता।

मेरा दूसरा हाथ अब उसकी पेंटी में था, लाल पेंटी में उसकी मक्खन जैसी जाँघें थी, उसकी फुद्दी गीली हो चुकी थी।
‘तेरी फुद्दी गीली क्यूँ है?’
‘आपकी वजह से!’

मैंने उसकी पेंटी भी सरका कर उतार दी, उसने भी मेरा लोअर खोल दिया, मेरा लौड़ा पकड़ लिया- हाय! कितना बड़ा है!
‘क्यूँ? कभी इतना बड़ा मिला नहीं?’
बोली- कसम से! कभी नहीं!
‘इसके इलावा तुमने और किसी का नहीं लिया?’
वो चुप रही।

मैं जान गया कि वो औरों से भी चुद चुकी थी।
मुझे क्या था, मैंने कहा- मेरा चूस!
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#7
वो उसी पल खिसकते हुए नीचे गई और मेरा लौड़ा सहलाने लगी- सच में यह बहुत बड़ा है!
‘पसंद है?’
‘हाँ!’
‘तो चूम लो ना रानी!’ मैंने उसके होंठों पर रगड़ते हुए कहा।

उसने उसी पल मुँह खोल दिया और मैंने घुसा दिया और वो चूसने लगी।
क्या चूसती थी वो! जैसे इस काम में पी एच डी हो!
वो चटकारे ले लेकर मेरा लौड़ा चूस रही थी।

उसके बाद मैंने भी उसके घुटनों से पकड़ कर उसकी टांगें फैलाई और उसकी चूत, उसकी फुद्दी चाटनी चालू कर दी।
वाह क्या मलाई थी! उससे ज्यादा उसकी फुद्दी की खुशबू-महक और उसकी कोमल-कोमल जाँघें!
आज तक मैंने कितनी ही चूतों को चोदा, कितनो की महक ली! लेकिन इसकी अलग थी।

फिर मैंने उसके भोसड़े में अपना औज़ार घुसा दिया।
‘वाह क्या चूत है तेरी! प्रिया!’
‘अह भाईसाब! कितने दिन बाद मुझे तृप्ति मिल रही है!’
‘क्या? भाई साब कह रही है?’
‘ओ के बाबा! माफ़ कर दो!’

बोली- जोर जोर से करो ना! प्लीज़ फाड़ दो इसको!
अह! अह! एकदम से मुझसे चिपक गई।
मैंने भी उसको कस लिया।
दोनों एक साथ छुटे!

‘कितने दिनों के बाद मेरी प्यास बुझी है! सच में इतना बड़ा मैंने कभी नहीं लिया था! ना शादी से पहले ना बाद में!’
‘आज से तुम मेरी जान बन गई हो प्रिया! जब चाहे चली आना!’

अब मैंने उसके पति से दोस्ती कर ली। कभी वो मेरे घर बैठ पीता और वहीं लुढ़क जाता और मैं घर में ताला लगा कर उसके बेडरूम में!
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#8
यह भाभी तो मेरी हो गई, अब तो हर रात उसको मेरे लौड़े की आदत पड़ गई। मेरे ज़रिये वो अपने शौक भी पूरे करने लगी। मेरा डिपार्टमेंट है ही ऐसा कि थोड़ा बहुत हाथ इधर उधर झाड़ भी दूँ तो फर्क नहीं पड़ता था।
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#9
उधर मेरी नज़र में एक और खूबसूरत औरत चढ़ गई, बस यह जानना था कि वो रहती कहाँ है, इतना पता था साली है शादीशुदा और चालू भी लगती थी। उसे मेरे बारे में सब मालूम था, बस मुझे उसके बारे में मालूम करना था।

लेकिन मैं करता भी कैसे? औरत घर होती उससे जान पहचान निकलवा देता !

वो अक्सर शाम को सब्जी लेने जाती थी, यूँ कहो कि मुझे देखने आती थी। नज़रों नज़रों में बात काफी आगे चली गई। उसके कपड़े देखने लायक होते थे गहरे गले के कमीज पहनती थी पीछे जिप वाले ! उसके मम्मे देखने लायक थे, एक बात बताऊँ- मेरी कमजोरी है औरत की छाती ! वो ऐसे सूट पहनती जिससे उसके आधे उभार उभर-उभर बाहर आने को होते थे, दिल करता था वहीं दबोच लूँ साली को !

आखिर मैंने उस तक पहुँचने का माध्यम ढूंढ ही लिया लेकिन उसके लिए मुझे किसी को मक्खन लगाना पड़ना था, वो थी मेरी कामवाली कमलेश ! वैसे तो वो साली भी किसी से कम नहीं थी, मुझे कहीं से मालूम चला वो उसके घर भी काम करती है, बस अब उसका घर देखना था, लड़का होता तो पीछा कर लेता, इतनी ठाठबाठ अफसरी थी तो !

कमलेश का रंग सांवला था, लेकिन उसकी फिगर बहुत मस्त थी। पहले मैंने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था, जिस दिन से मुझे उससे काम निकलवाना था और उस दिन जब मैंने उसे देखा, मुझे लगा उसको मसल कर मजा भी ले लूँगा और उसके ज़रिये साली उस रांड तक पहुँच जाऊँगा।

उस दिन से मैंने कमलेश पर डोरे डालने शुरु किये, वो साली तो मुझ पर पहले से मरती थी, मैंने सोचा कि उस पर जयादा वक़्त बर्बाद नहीं करना, सीधा पकड़ लेना है साली को !

वो जब काम करती, अपनी चुन्नी उतार परे रख देती ! साली जब झाड़ू मारने के लिए झुकती तो अपने मम्मे हिलाते हुए झाड़ू लगाती, फिर पोचा भी !

एक दिन दोपहर को मैंने उसको कहा- मेरा खाना भी बना दिया कर ! उसके लिए अलग पगार मिलेगी !

बोली- आज शाम से कर लूंगी !

हाँ ! उस वक़्त ज़रा साफ़ सफाई रख कर आया करना ! कह मैंने वासना आँखों से छोड़ दी।

शाम को जब कमलेश आई तो मैं देखता रह गया, क्या पटाखा थी ! मेरा लौड़ा फोड़ देने वाली थी !

“बोली- साब, बनाना क्या है?”

जो तू बना देगी, खा लेंगे ! कह कर मैं मुस्कुरा दिया- ऐसा कर, आज मिक्स दाल बना दे ! साथ चावल, सलाद वगैरा काट लेना !

बोली- साब, पहली बार है ! आपके स्वाद का मालूम नहीं है, नमक-मसाला वगैरा !

“नमक हिसाब से डालना ! तू खुद नमकीन है, मिर्ची भी हिसाब से, तू भी मिर्ची है !”

“क्या साब आप भी?”

मेरा दिल करने लगा कि उसको दबोच लूँ साली को। हौंसला बढ़ाने के लिए मैंने दारु की बोतल बार से निकाली, बर्फ डाली, तभी प्रिया की कॉल आने लगी, बोली- जानू, आज वो शहर से बाहर हैं, दिल बहुत है करवाने को !

“हाँ हाँ ! आ जाऊँगा रानी ! घबरा मत !”

मैंने पटियाला डाल एक सांस में खींच लिया, बैठे बैठे दूसरा भी ! मुझे दारु जल्दी नहीं चढ़ती, मैं हौंसला करके रसोई में घुस गया और कमलेश के कंधे पर हाथ रख दिया।

वो सिकुड़ सी गई।

“बहुत खुशबू आ रही है खाने में से?”

“साहब खुशबू तो महंगे मसालों से है !”

“हाँ, मगर मसाले डालने भी आने चाहिए !” दूसरा हाथ भी उसके कंधे पर टिका दिया।

वो और सिकुड़ी।

“क्या हुआ कमलेश? कुछ कुछ होता है क्या?”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#10
“होता है, कसक उठने लगती है !”

“कहाँ पर होती है? कहाँ उठती है?”

“हर अंग अंग में !”

मैंने करीब जाकर उसके दाहिने कंधे पर अपना मुँह रखते हुए हल्की सी चुम्मी उसके कान के नीचे ली।

वो हिलकर रह गई।

बाँहों में लेते हुए उसके सपाट से चिकने से पेट पर अपने हाथ ले गया।

जब मैंने उसको सहलाया, वो गर्म होने लगी- साब, क्या कर रहे हैं?

“प्यार कर रहा हूँ !”

“यह सही नहीं है ! मैं किसी की बीवी भी हूँ !”

“तो मैं किसी का पति भी हूँ रानी ! वैसे दिन में जब तू आती है, संवरती नहीं है ! इस वक़्त बिल्कुल अलग लग रही है !

“क्या करूँ? दिन में सँवरने लगी तो मेरे बच्चे भूखें मर जायेंगे, उनका पेट कौन पलेगा?”

“तेरा मर्द क्या करता है?”

“रिक्शा चलाता है, जो कमाता है वो दारु और जुए में उड़ा देता है।”

“कितने घरों में काम करती हो?”

“बहुत हैं साब !”

मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए एक हज़ार का नोट निकाला और उसकी ब्रा में घुसा दिया- रख ले इसको ! काम आएगा।
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#11
जब मैंने उसको सहलाया, वो गर्म होने लगी- साब, क्या कर रहे हैं?

“प्यार कर रहा हूँ !”

“यह सही नहीं है ! मैं किसी की बीवी भी हूँ !”

“तो मैं किसी का पति भी हूँ रानी ! वैसे दिन में जब तू आती है, संवरती नहीं है ! इस वक़्त बिल्कुल अलग लग रही है !

“क्या करूँ? दिन में सँवरने लगी तो मेरे बच्चे भूखें मर जायेंगे, उनका पेट कौन पलेगा?”

“तेरा मर्द क्या करता है?”

“रिक्शा चलाता है, जो कमाता है वो दारु और जुए में उड़ा देता है।”

“कितने घरों में काम करती हो?”

“बहुत हैं साब !”

मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए एक हज़ार का नोट निकाला और उसकी ब्रा में घुसा दिया- रख ले इसको ! काम आएगा।

मैंने उसकी चोली की डोर खींच दी.

“हाय साब ! यह क्या करने लगे?”

“बहुत सेक्सी लग रही हो पीछे से !”

“वो क्या होता है साब?”

“मतलब तेरी नाज़ुक सी पीठ पर यह डोरी बहुत दिलकश लगती है !”

“तो फिर खोल क्यूँ दी?”

“दिलकश लगी, तभी खोली !”

“साब। अब आप जाओ ! क्यूँ रसोई में खुद को तकलीफ देते हैं?”

“आज तेरा घर वाला कहाँ है?”

“पड़ा होगा घर में लुढ़क कर !”

“और तेरा क्या होगा रात को?”

“क्या मतलब?”

“मतलब कि तेरा काम कैसे संवारता है वो साला?”

“साब, लगता है कि आपने ज्यादा चढ़ा ली है !”

“साली तुझे ऐसा क्यूँ लगता है?”

“आप बहक रहे हो ना !”

मैंने उसको वही से बाँहों में उठा लिया, गैस बंद कर मैंने उसको अपने कमरे में लेजा कर फेंका !

“साहेब, यह सब क्या है?”

“सीऽऽ… चुप ! मेरी कमलेश रानी ! क्यूँ पसीने में जवानी खराब करने को तुली है?”

मैं बिस्तर पर लिटा उसको चूमने लगा। मैंने उसकी डोरी पहले खोल दी थी, अब मैंने उसकी चोली ही उतार दी। उसने नीचे काली ब्रा पहनी थी।

“वाह ! क्या लग रही हो !?

वो शरमा सी गई- साब बाहर के सारे दरवाज़े खुले पड़े हैं, बंद करके आती हूँ !

“नहीं ! रुक, मैं करता हूँ !”
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#12
मैंने सारे दरवाज़े बंद किये, जब कमरे में घुसा तो वो उलटी लेटी हुई थी।

मैंने उसको दबोच लिया, उसकी पीठ चूमी, फिर उसको घुमा दिया, उसके मम्मे दबाने लगा।

“हाय कमलेश रानी ! क्या माल है तेरे पास !”

मैंने उसके काले काले अंगूर चूसे !

तो वो पगला गई- साब ! लेट हो गई तो घर वाले देखने आ जायेंगे !

“साली, वो शराब पीकर लुढ़का होगा ! वो कहाँ से आ जाएगा?”

“साब, बच्चे थोड़े ही लुढ़क रहे होंगे?”

“ऐसा कर ! तू जा ! उनको खाना-वाना खिलवा दे और वापस लौट आ ! उन्हें सुला कर आ जाना रानी ! यह पैसे जो मैंने दिए हैं, एक हज़ार हैं, पति के हाथ मत दे देना ! उड़ा देगा !”

कमलेश गई, एक घंटे बाद लौटी। अब उसने सूट पहना था, बोली- यह रात आपकी !

मैंने अपनी पत्नी की एक पारभासक नाईटी उसको दी, उसको बाथरूम में उठा ले गया, टब में उसे फेंक, खुद भी घुस गया। वहीं मैंने उसको खूब चूमा, उसको चाटा, वहीं मैंने उसके मुँह में लौड़ा दिया, फिर उठाया, अपने हाथों से उसके सांवले जिस्म को पौंछा, ब्लैक ब्यूटी थी !

मैंने धीरे धीरे उसके चुचूक चूसे, वो गर्म हुई, मैंने उसकी टांगें खोल एक झटके में आधा घुसा दिया।

“अह साब ! बहुत बड़ा है !”

“मजा आया रानी?”

“बहुत ! लेकिन थोड़ा प्यार का दर्द है !” बोली- यही असली मर्द की निशानी होवे जो औरत को दर्द दे ! मारो साब ! मेरी ज़ोर से मारो !

मैंने भी तूफ़ान की तरह उसको ठोका, पूरी रात उसको ठोका, उसकी गांड मारी, मम्मे चोदे ! चूत चोदी !

सुबह मैंने पांच सौ का एक और नोट उसकी ब्रा में घुसाते हुए कहा- रानी तेरी मदद की ज़रुरत है मुझे !

“मेरी मदद? क्या साब?”

“बस जिस घर में तू काम करती है, पिछली गली में रहती है !”

बोली- हाँ वो पम्मो क्या?

हाँ ! उसका नाम पम्मो है, साली बहुत मस्त है, कभी मुझे देख होंठों पर जुबान फेरती है, कभी अपने दांतों से होंठ काट कर मेरा लौड़ा खड़ा करवा निकल जाती है, नज़रों से हम एक दूसरे को चाहते हैं, बस उसका मेरा मिलन नहीं हो रहा !”

“कोई बात नहीं साब ! समझो वो आपके नीचे लेटी ही लेटी ! मेरे पास उसका नंबर है !”

वो बाहर गई और अपने लिफ़ाफ़े से एक डायरी निकाली छोटी सी, उसमें उसका नंबर लिखा था।

“साब, सबके नंबर हैं, जिस दिन छुट्टी करनी होती है, फ़ोन कर देती हूँ ! इसलिए रखें हैं नंबर !”

“कमलेश, तू तो काम की कामवाली है !”
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#13
“क्या साब आप भी ना !”
उसके जाने के बाद मैंने पम्मो का नंबर लगाया, उसकी सुरीली आवाज़ में हेलो सुन मेरा दिल धक्-धक् करने लगा- पम्मो जी, आप कैसी हो?
“आप कौन बोल रहे हैं?”
“आपका दीवाना ! तेरी जवान जवानी का रोगग्रस्त रोगी हूँ जिसको देख रोज़ होंठ काट निकल जाती हो हमें छलनी करके !”
“ओह समझ गई ! मेरा नंबर किधर से मिला?”
“बस हम जिस चीज़ के पीछे जाते हैं, उसको तह तक खोद देतें हैं !”
“बी डी ओ साब ! आप भी ना ?”
“रानी, ऐसे मत सार ! बहुत तकलीफ में हूँ ! मेरे पास आकर इलाज़ कर दे !”
“मैं बदनाम हो जाऊँगी?”
“कभी नहीं ! मेरा भी रुतबा है, स्टेटस है !”
“लेकिन कैसे?”
“तू तैयार होकर हनुमान मंदिर के पीछे एक चाय की दुकान है, दस बजे आ जा !”
“ठीक है !”
मैं बहुत खुश था, वो सही समय से पहले ही आ गई।
थोड़ी देर बैठ कर चाय पी और उसको अपनी कार में बिठा लिया जिसके शीशे काले हैं, मैं जब घर से निकला था, गेट खुला रखा था, सीधी कार अंदर !
पहले उतरा, गेट लॉक किया, मौका देख उसको जल्दी से अंदर घुसवा मैंने सभी दरवाज़े बंद कर दिए।
“बहुत तड़पाया है तुमने !”
“सच बताना, नंबर?”
“हाँ, कमलेश से लिया है !”
“ओह !”
मैंने उसको बाँहों में लिया- तुम बहुत सेक्सी हो पम्मो ! तुम करती क्या हो?
“कुछ नहीं ! घरेलू औरत हूँ, पति गुज़र गया था, दो बच्चों के साथ आपकी पिछली गली में माँ पापा के साथ रहती हूँ !”
“ओह !”
मैंने एक एक कर उसके कपड़े उतारे ! क्या सॉलिड माल थी !
मैं तो मर मिटा ! उसकी छाती दूध से सफ़ेद ! मक्खन से भी कोमल !
जब उसने मेरा लौड़ा देखा तो देखती रह गई- इतना बड़ा है आपका?
“क्यूँ? डर गई क्या?”
“ना तो ! मैं क्यूँ डरूँ? यह तो मजा देगा ! ज़ालिम कहाँ छुपा था यह?”
“पति को क्या हुआ था?”
“उसने आत्महत्या की थी !”
मैंने उसकी सलवार उतारी, उसकी चूत देख बावला हो गया !
उसने मेरे लौड़े को खुद मुँह में लेकर चुप्पे लगाये, खुद खेलने लगी। वो बहुत चुदक्कड़ लगी मुझे !
मैंने भी उसका कोई अंग नहीं छोड़ा और आखिर में मैं उसके अंदर समा गया।
क्या औरत थी? उसकी गहराई में मेरा शेर मजे करने लगा !
पूरा दिन मैंने पम्मो को ठोका !
जब अलग हुए बोली- इसीलिए अपने होंठ काटती थी, आपका लौड़ा लेना था !
“यह तो तेरा है आज से !”
“रात को दरवाज़ा खुला होगा, आ जाना !”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#14
Yaha kharam ya aage bhi hai

Awesome bro awesome
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#15
(17-06-2022, 02:09 PM)neerathemall Wrote:
मैं तो शादीशुदा हूँ


कुआंरे  न प ढ़े
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
(17-06-2022, 02:09 PM)neerathemall Wrote:
मैं तो शादीशुदा हूँ

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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