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मेरे जीवन के गहरे राज
#1
भाइयो बात कुछ ऐसी हे की मेरी शादी को लगभग दो साल होने आये हे, मेरी बीबी और में दोनों अपनी हैप्पी मैरिड लाइफ एन्जॉय कर रहे हे, दोनों अभी बच्चा नहीं चाहते, इसलिए मेरी वाइफ डेली पिल्स खाती हे, और हम खूब सेक्स एन्जॉय करते हे, हम लगभग सभी तरह से सेक्स एन्जॉय करते थे, कभी बेडरूम में कभी रात में छत पर कभी बारिश में अकेले सुनसाँन जगह पर, कभी कही पुराने किले या कोई कम भीड़ भाड वाली जगह जाते तो मेरी बीबी की चड्डी गीली हो जाती उसके मन में भी हर समय सेक्स ही चढा रहता रात में जब भी हम अकेले कार से लोटते तो वो मेरा लंड पन्त में से निकाल कर चुसना शुरू कर देती, और घर में घुसते ही तूफानी चुदाई शुरू हो जाती    सभी  मेरी वाइफ भी खुले दिमाग वाली हे, उसे पता हे की मेरी कमजोरी बड़े मम्मे वाली और थोड़ी बड़ी उम्र की भाभिया हे, हम जब भी सेक्स करते हे तो मुझे मेरी वाइफ के थोड़े छोटे बोबे चुसना अखरता हे, उसे भी यह बात मालुम हे, इसलिए वो हमारे आस पास वाली बड़े मम्मो वाली भाभियों और परिचित महिलाओं के बारे में बात कर मुझे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर देती हे, जिससे उसे चुद्वाते समय ज्यादा मज़ा आता हे
हम जब कभी बाहर घुमने जाते हे तो मेरी वाइफ बड़े बोबे वाली लडकिया और भाभियों को धुंड धुंड कर मुझे बताती हे और फिर हमारी यह बात होती हे की क्या इसके मम्मे वास्तव में बड़े हे या यह पैडेड ब्रा पहनी हे, एस मामले में मेरा अनुभव ज्यादा सही रहता हे और में ज्यादा सटीक बता पता हूँ
यदि कोइ छोटे बोबे वाली महिला पति के साथ दिखाए देती हे तो में कहता हु की देख मेरे जैसा पति जिसकी बीबी की बोबे पोचे हे यानी पैडेड ब्रा पहनी महिला जिसमे अन्दर छोटे छोटे बोबे ब्रा में छुपे हुवे हे और मेरी वाइफ मुझे चिमटी खोदती /
मेरे परिवार में जब भी हम जाते तो मेरी भाभिया, चचिया बहने उम्र में थोड़ी बड़ी भतीजियो जिनके बोबे बड़े बड़े हे, उन्हें देख देख मेरी वाइफ कहती अच्छी तरह आँखे सेक लो जब मुझे चोदो तब दिमाग में इनके बोबे ध्यान में रखना तुम्हारा कडकनाथ मस्त मजा देगा मुझे
ऐसा ही मेरे ससुराल में होता हे वहा मेरे बड़े साले की वाइफ भरे बदन की हे और मुझसे कुछ साल बड़ी ही होंगी, उसके बोबे बड़े कड़क हे थोड़ी ज्यादा ही मॉडर्न हे बेक लेस ब्लाउज डीप नैक ब्लाउज चोडे गले वाले ब्लाउज पहनना उसकी पसंद हे, साड़ी इतनी निचे बांधती हे की यदि कोइ जोर से निचे खेच दे तो निचे के सामान के दर्शन हो जावे उसकी गांड भी भरी भरी हे, मांसल गोरा बदन देखते ही लंड टाइट हो जाता हे /
में जब भी ससुराल जाता हूँ तो मेरे साले की वाइफ मेरे आसपास ही मंडराती रहती हे खाना खिलाने के नाम पर चिपकती रहती हे, मेरा साला जो किसी फैक्ट्री में प्रोडक्शन देखता हे, उसके समय का कुछ हिसाब किताब नहीं रहता, कभी दिन की शिफ्ट तो कभी रात की शिफ्ट रहती हे, घर पर ज्यादा समय नहीं दे पाता हमसे मिलना भी कभी कभी ही हो पता हे
हम जब भी ससुराल से लोटते हे तो मेरी बीबी मेरा लंड हाथ में ले कर कहती हे, की बेचारा कब से तरस रहा हे मेरी भाभी की चुचियो और चूत को देखने के लिए लेकिन हाय री किस्मत अपने कड़क नाथ की भाभी लिफ्ट ही नहीं दे रही, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हे, मेरे साले की औरत चोर नज़रो से मुझे हमेशा घूरती रहती हे, अकेले मोका देखते ही धीरे धीरे फुसफुसाकर मुझे डबल मीनिंग में बातचीत करती रहती हे  मुझे शुरू से ही लगता था की भाभी भैया याने मेरा बड़े साले के बिच सब कुछ सही नहीं हे एक तो शादी के पाच साल बीतने के बावजूद बच्चे नहीं हे, दूसरा भाभी हमेशा ही भैया के नाम पर चिड्ती रहती थी
मेरी ससुराल पास के ही शहर में हे उन्हें कही जाने के लिए मेरे शहर में आना पड़ता हे क्योंकि रेलवे स्टेशन हमारे यहाँ ही हे, अभी पिछले महीने मेरा साला अपनी पत्नी को हमारे घर छोडने आया और बोला की रात वाली गाडी में इसे बैठा देना, क्योंकि भाभी को मायके जाना था, साले साहेब की नाईट ड्यूटी चल रही थी इसलिए वो खुद भाभी को ट्रेन में बैठने तक रुक नहीं सकते थे, दिन भर भाभी हमारे घर रुकी शाम को ऑफिस से आने के बाद में उन्हें स्टेशन छोड़ने गया, ट्रेन थोडा लेट थी, भाभी से आज मेने अकेले में पहली बार इतनी देर बात चित करी, मेने पाया की वह एस घर यानी मेरे ससुराल में सुखी नहीं हे खासकर मेरे साले साहेब से, उसे घुमना फिरना बहुत पसंद हे, लेकिन साले साहेब के पास समय ही नहीं हे, वह जान बुझकर मुझसे चिपक रही थी, में थोडा दुरी बनाता तो फिर किसी बहाने से चिपकती, खेर रेल आ ही गयी, और वो अपना मोबाइल नंबर मुझे देते हुवे बोली आपसे बात चित होती रहेगी,
उस रात में घर आ गया बीबी सोने की मुड में थी तो में भी सो गया, अगली सुबह मेने अकेले में भाभी को फ़ोन लगाया तो उसने बताया की खैरियत से पहुच गयी हे, लेकिन साले साहेब ने फ़ोन पर गाड़ी में बैठने और पहुचने का पूछा भी नहीं उसका दुःख मना रही थी, दोपहर से व्हात्त्सप्प पर उसके मेस्सगेस आने लगे, लेकिन मेने कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया, ना ही मेरी वाइफ को बताया,
अब भाभी रोज ही मुझे कॉल, कभी विडियो काल करती, विडियो कॉल अकेले में करती, जिसमे या तो वह बेड रूम में उलटी लेती रहती या कभी मायके के घर की छत पर अकेले टहलती हुयी बात करती, अधिकतर उसके विडियो कॉल में उसके साड़ी का पल्ला अस्त व्यस्त रहता उसकी मस्त बड़ी बड़ी छातियो की नुमाईश होती, वह जान बुझकर मुझे अपना बदन दिखाती थी, एक दिन छत पर विडियो चैटिंग कर रही थी, तो उसने सलवार सूट पहन रखा था जिसमे उसकी मोती मोती झंघे लेगिंग में से गज़ब मस्त लग रही थी, कुर्ती भी बहित टाइट पहनी थी, बोली मेरी छोटी बहन के कपडे हे, थोड़े टाइट हे,
मुझे कभी कभी ऑफिस के काम से दो या तिन दिन के लिए टूर पर जाना पड़ता हे, कभी टूर आगे भी बढ़ जाता हे, चार या पञ्च दिन लग जाते हे, यदि लंबा टूर होता हे तो में अपनी वाइफ को उसके मायके छोड़ आता हूँ, ताकि वो अकेली बोर ना हो, अभी कोरोना के कारण टूर नहीं था, लेकिन अब स्थिति पहले से सामान्य हे, इसलिए मेने सभी व्यापारियों से मिलने का प्लान बनाया जिसमे मुझे हफ्ता भर भी लग सकता था, मेने अपनी यात्रा को पत्नी को बताया, तो वो बोली में भी लम्बे समय से मायके नहीं गयी, तो में उसे उसके मायके छोड़ टूर पर निकल गया, चार दिन बाद लगभग आधा टूर करने के बाद थकान सी महसूस होने लगी, ऊपर से बीबी से दूर होने के कारण शरीर की आवश्यकताए भी महसूस हो रही थी, भले ही बात कितनी ही कर लू लेकिन अभी तक मेने अपनी पत्नी के आलावा कभी किसी दूसरी औरत के साथ सम्बन्ध नहीं  बनाया हे, लेकिन अभी रोज रात में भाभी विडियो कॉल लगाती और अपने साड़ी के पल्ले को जानबूझकर गिरा देती, और बातें करती, उसे भी मालूम था की में अभी अकेले टूर पर हूँ
भाभी को मायके गए लगभग एक महीना होने आया था, और अब उनके लोटने का का समय हो रहा था, मुझसे बोली यदि आपको तकलीफ ना हो तो में भी आ जाती हूँ, साथ में चल चलेगे, में क्या बोलता हां भर दी, उनके मायके से सीधे आने वाली ट्रेन हफ्ते में एक दिन ही हे, इसलिए, वो भोपाल तक आ कर मेरे साथ ही हमारे शहर जाना चाहती थी, मेने कहा मेरा कोई फिक्स वापसी डेट नहीं हे, जैसे ही काम निपटेगा, लौट जाउंगा, लेकिन वो नहीं मानी, में आज सुबह ही भोपाल की होटल में चेक एन किया था, और काम के सिल सिले में निकल गया, दोपहर में भाभी मेरी होटल आ गयी, उन्होंने अपने घर यानी मेरे साले साहेब को कुछ नहीं बतया की वो मेरे साथ लोतेगी, होटल मेरी फिक्स हे, भोपाल जब भी जाता हूँ उसी में रुकता हूँ, वहा का स्टाफ मुझे अच्छे से जानता हे, में उन्हें सुबह बोल कर गया था की, हो सकता हे मुझेसे मिलने कोई आये, क्योंकि मेरे कुछ मिलने जुलने व्यापारी मुझसे होटल में ही मिलने आ जाते हे, और दोपहर में होटल मेनेजर का फ़ोन आया की आपकी वाइफ आ गयी हे, उन्हें रूम में भेज दूँ, में खुद हैरान रह गया मेरी वाइफ कहा से आ गयी, मेने होटल मेनेजर से कहा बात करना ज़रा, उसने फ़ोन भाभी को पकड़ा दिया, और वो बोली आप इन्हे बोल दीजिये, की मुझे रूम की चाभी दे दे, वास्तव में जब भी रूम छोड़ता हूँ हाउस कीपिंग स्टाफ के लिए रूम की चाभी होटल काउंटर पर दे जाता हूँ, मेरे कहने पर उन्होंने चाभिया भाभी को दे दी, थोड़ी देर बाद भाभी का फ़ोन आया, की में जल्दी होटल आ जाऊ, घुमने चलेंगे
मेरा काम अभी ख़त्म नहीं हवा था, एक दो दिन और रुकना था,लेकिन भाभी के आने से मेने सोचा की रात में ही निकल जाउंगा, घर के लिए,  शाम में लगभग पांच बजे में होटल लौटा, काउंटर पर पहुचते ही मेनेजर ने मुझसे मेरी वाइफ का नाम पूछा, मेने बताया तो उसने रजिस्टर में मेरे नाम के साथ मिस्टर एंड  मिसेस जोड़ दिया
में जैसे ही रूम में आया तो देखा भाभी बेड पर बेथ कर  टीवी देख रही थी, आज पहली बार भाभी और में अकेले एक रूम में थे पहले तो में थोडा झिझका लेकिन जब उसने कुछ शर्म आदि का भाव नहीं लाया तो में सामने ही बैठ गया, मेने कहा भाभी आप को रात वाली ट्रेन से बैठा देता हं, मुझे अभी घर जाने में समय लगेगा तो बोली मुझे कोन सी जल्दी हे, आप अपना समय लो, बस किसी को यानी घर पर मत बताना की में आपके साथ हूँ, मेने कहा यह संभव नहीं तो बोली दीदी यानी मेरी वाइफ को भी मत बताना आप दिन भर काम करना, शाम को हम भोपाल घुमने जाया करेंगे, लेकिन मुझे ऐसा करना सही नहीं लगा, मेने कहा ठीक हे आप मेरे साथ साथ ही चलना लेकिन अभी दुसरा रूम ले देता हूँ आप उसमे शिफ्ट हो जाना, उसने कहा क्या मुझमे कीड़े पड़े हे या में काटती हूँ, मेने कहा की नहीं ऐसी बात नहीं, लेकिन हमें एक रूम में रहना नहीं चाहिए,  लेकिन वह नहीं मानी, यह तो अच्छा था की रूम में दो बेड थे लेकिन अलग अलग थे, में थोडा थका हूवा था, फ्रेश होने वाशरूम में गया इतनी देर में भाभी ने इन्तरकाम  से होटल के काउंटर पर रूम चेंज करने का बोल दिया, जिसमे एक ही बड़ा बेड हो, मुझे आवाज़ आ रही थी लेकिन मुझे लगा की  शायद भाभी कुछ खाने का आर्डर कर रही हे, कुछ देर में जब में बाथरूम से बहार निकला तो देखा वेटर ने पूरा सामान सामने के रूम में शिफ्ट कर दिया हे, और भाभी बस मेरे बाहर आने का ही इंतेजार कर रही थी, होटल मेनेजेर तो दोपहर से ही भाभी को मेरी बीबी समज रहा था, उसने मुझसे पूछना उचित नहीं समझा होगा,
अब में क्या प्रतिक्रया देता वेटर के सामने कुछ नहीं बोल सकता था, उसके जाने के बाद भाभी बोली आप बिलकुल भी डिस्टर्ब मत होना, अपना काम आराम से निपटाओ, बस शाम में थोडा जल्दी  आ जाना मुझे भी भोपाल घुमना हे, आपके साले साहेब पिछले पांच साल में मुझे एक बार भी कही लेकर नहीं गए,
मेने कहा ठीक हे भाभी, लेकिन वही रूम ठीक था, कम से कम बेड तो अलग थे, अब मुझे सोफे पर सोना पडेगा, तो बोली रात में देख लेंगे, अभी तो घुमने चले, मेने फटा फट कपडे चंगे किये, और बाहर आ गया भाभी को बोला आप भी चेंज कर लो, थोड़ी देर बाद जब वो बाहर निकली तो में उन्हें में बस देख्य्ता ही रह गया पारदर्शी साड़ी नाभि से लगभग छह से आठ इंच निचे बंधी थी, ब्लाउज बड़े गले का पूरी पीठ खुली थी, उन्हें एस रूप में पहले कभी नहीं देखा था, मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी, मुह से बोल नहीं निकल रहे थे, भाभी इतनी सुंदर हे में सोंच भी नहीं सकता था
बाहर आते ही भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और होटल की सिडीया उतरने लगी, मेने हाथ नहीं छुडाया काउंटर के सामने से जब हम निकले तो मेनेजर हम दोनों का आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था, उसकी निगाहें भाभी के सफ़ेद मांसल पेट से हट ही नहीं रही थी गांड भी कड़क थी में खुद कभी भाभी को आगे से देखता तो कभी पीछे से, बाहर आते आते उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ में बाहों के पास से पकड़ लिया और बिलकुल चिपक कर चलने लगी, उनके बदन से भीनी भीनी परफ्यूम की मादक महक आ रही थी जो मुझे मदहोश बना रही थी,
ऑटो में बेठ कर  हम भोपाल के बड़े तालाब पर घुमने गए, रात ज्यादा नही हुयी थी इसलिए अभी बोटिंग चालू थी, हमने बोटिंग करी, भाभी मुझसे चिपक कर ही रह रही थी मानो कोई नया हनीमून कपल हो, मेने जब उन्हें एक दो बार भाभी पुकारा तो बोली में यहाँ भाभी नहीं और आप नंनदोई (ननद का पति) नहीं आप मुझे नाम से बुलाओ लेकिन में संकोच वश कुछ झेपा, लेकिन भाभी ने मेरा नाम लेकर मुझसे झेप भी मिटा दी, अब हम एक दुसरे को नाम से पुकारने लगे, इससे हम दोनों में थोदी शर्म या यूँ कहो रिश्ते का लिहाज़ कम हवा
थोडा भोपाल घुमने के बाद हमने कही खाना खाने का प्लान बनायाएक बढ़िया सी होटल में बेथ हमने खाना आर्डर किया , मेरी रोज़ की आदत हे की यदि में कही शांति से बेठ कर डिनर करता हु तो अपनी बीबी को विडियो कॉल जरुर करता हूँ, आज भी मेने विडियो कॉल लगाया, भाभी पहले चौकी फिर इशारे से मुझे बोली की मेरे बारे में मत बताना में ने उन्हें आश्वस्त किया, खाना आर्डर आने तक मेने मेरी बीबी से विडियो कॉल लगाया मेने यह नहीं बताया की में भोपाल में हूँ, मेने कहा दो तिन दिन बाद ही आना होगा, तो बोली की यदि आप इजाज़त दे तो में अपनी मा के साथ नानी के यहाँ हो आऊ नानी बीमार हो रही हे, अभी तक भाभी भी नहीं आई हे, भाभी हमारी बात सुन रही थी उसने पीछे से इशारा कर कहा हां जाने दो, मेने तुरंत अपनी बीबी को हाँ भर दी और कहा ठीक हे फिर में बचा टूर भी निपटा लेता हूँ फिर बार बार जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी, तब तक खाना सर्व हो गया था, मेने बीबी को बोला ठीक हे अब रख मुझे खाना खा कर बस में भी बैठना हे, बीबी बोली नानी के घर से शायद नेटवर्क ना मिले, इसलिए वो मेसेज किया करेगी,
आज खाना बहुत दिनों बाद किसी के साथ बेठ कर खाया तो ज्यादा अच्छा लगा खा कर पान खा लिया और फिर किसी नए शादी शुदा जोड़े की तरह घूमते फिरते होटल आ गए, में जब भी होटल में अकेला रहता हूँ तो रात में एक बियर को बोतल जरूर पिता हूँ, और होटल स्टाफ के मेरी यह बात मालुम हे, मेरे आते ही वेटर दो तिन बियर की बोतले ले आया और रूम के फ्रिज में रख दी, में भाभी के सामने पीना नहीं चाहता था, लेकिन यदि मना भी करता तो होटल स्टाफ को हमारे पति पत्नी ना होने का अंदेशा हो जाता, वेटर के जाते ही  भाभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, बोली आप को यह शौक भी हे हमें नहीं मालुम था, मेने कहा नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं बस दिन भर सफ़र की भाग दौड़ में थकान उत़ारने के लिए मंगवा लेता हूँ, घर पर तो आज तक नहीं पि, और नाही आप मेरी पत्नी को बताना नहीं तो बिना बात नाराज़ होगी, वेसे भी अब आप यहाँ हो तो में पियूंगा नहीं
भाभी बोली आप चाहो तो मत पीना लेकिन हमें तो पिने दो, मेने उत्सुकता से उनकी तरफ देखा तो बोली हमें गाँव का मत समझो, कॉलेज के दिनों में हम ग्वालियर में पड़ते थे, और हॉस्टल में रहते थे, और शनिवार रात गर्ल्स हॉस्टल में बियर की नदी बहती थी, हम भी बड़े शोकिन रह चुके हे ठंडी बियर के, मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हवा, मेने कहा में नहीं मानता तो भाभी ने दिम्न्माग पर जोर देकर सभी बड़े ब्रांड वाली बियर के नाम बोल दिए, अब चुप होने की बारी मेरी थी, भाभी मेरे सामने ही साड़ी खोलने लगी, मेने कहा आप चेंज कार्लो में निचे से आता हूँ  तो बोली कब मुझे शर्म नहीं तो आप क्यों नयी दुल्हन की तरह शर्मा रहे हो, में कुछ बोलता तब तक भाभी ने साड़ी उतारी और नायती हाथ में लेकर बाथ रूम में घुस गयी,  
उनके बाहर आने तक मेने अपने कपडे चेंज कर लिए, में अकेले में बनियान और बरमुडा ही पहनता हूँ, और इसके अलावा मेरे पास रात में पहनने के लिए कुछ और कपडे भी नहीं थे, खेर जैसे ही भाभी बाथरूम से बाहर निकली मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया
 
 
 
 
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#2
Bro really excelent story please continue
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#3
Bro next update please
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#4
अब आगे .....
भाभी ने महीन हलके रंग के कपडे की नायटी पहन रखी थी, जिसके कंधो पर नाम मात्र की दो महीन पट्टिया थी, सिने से ऊपर कंधे बिलकुल खुले हुवे थे, जिसमे से उनके सफ़ेद मांसल कंधे दिख रहे थे, उनके बड़े बड़े भारी स्तन सब तरफ से बाहर आ रहे थे,  नायटी बदन पर टाइट थी और बड़ी मुश्किल से भाभी के कुलहो को ढांक पा रही थी, नायटी की लम्बाए भी भाभी की झंघो तक ही थी, उनके केले के तने की तरह सफ़ेद, चिकनी, थी, में अपनी आँखे उनके बदन पर से हटा ही नहीं पा रहा था, तभी भाभी कांच की तरफ पलटी और अपने बाल बनाने लगी, उन्होंने जैसे ही अपने हाथ ऊपर की और उठाये, उनकी सफ़ेद चिकनी बिना बालो वाली कामुक काँख दिखाई देने लगी, उनके स्तन साइड से बाहर की और आ रहे थे, मांसल पीठ पूरी तरह से नग्न थी, में पागलो की तरह भाभी को घूरे जा रहा था, और वो मुझे कांच में देख रही थी, भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी, मेने जब उनके कुलहो की तरफ देखा तो पाया की उन्होंने एक सफ़ेद रंग की छोटी सी चड्डी पहनी थी, जिसमे उनके बड़े बड़े कुल्हे समा ही नहीं रहे थे,
अचानक भाभी मेरी और पलटी, और यूँ मुझे खुले मुंह आँखे फाड़ते हुवे उन्हें घूरते हुवे देख बोली क्या हूवा जनाब, कभी किसी को नायटी में नहीं देखा क्या, में क्या बोलता बस हकलाते हुवे कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं, बस आपको ही कभी एस तरह से नहीं देखा, एसलियी
तो भाभी बोली तो देख लो अच्छी तरह से, में कहा भागे जा रही हूँ, और ऐसा बोल वो पूरा गोल घूम गयी, और बोली लो देख लो पुरा देख लो, और ऐसे कहते हुवे मेरे पास आ गयी, में पूरा पसीने में भरा था, घबरा कर गले से थुक गट्का, और तुरंत ही एक कदम पीछे हो गया, मेरा संकोच देख भाभी बेड पर बैठ गयी,  और तकिया खीच उस पर पीछे की तरफ झुक गयी, अब वो आधी लेती अवस्था में थी, लेटने से उनकी नायटी और ऊपर की और चढ़ गयी, मेने अपनी नज़ारे झुका ली, लेकिन मेरा टेंशन दुसरा था,
वास्तव में मेने बरमुडा पहन रखा था, लेकिन मेरा कड़कनाथ भाभी को एस हालत में देख सलामी देने लग गया, मेने देखा की भाभी की निगाह भी घूम फिर कर मेरे बरमुडे पर टिक रही थी, तो में तुरंत बाथरूम में घुस गया और अपने हथियार को बाहर निकाल कर उसे हवा खिलाई, फिर पेशाब कर उसे शांत किया, बाहर आकर मेंने एक तकिया उठा कर पास में सोफे पर रख बैठ गया, भाभी बोली क्यों आप सोफे पर सोयेंगे क्या, मेने कहा हां एक बिस्तर पर सोना ठीक नहीं रहेगा, तो बोली में बिना मतलब ही भोपाल आई, आखिर में आपकी भी कुछ लगती हूँ, कोई अजनबी तो नहीं जो आप यूँ रियेक्ट कर रहे हे, मेरे साथ सोने से आप का ब्रह्मचर्य व्रत टूट जाएगा क्या
मेने कहा भाभी ऐसी बात नहीं, लेकिन हमारा एक कमरे में रहना एक बिस्तर पर सोना ठीक नहीं भैया यानी मेरे बड़े साले साहेब और मेरी बीबी को पता चलेगा तो बवाल मच जाएगा,
भाभी बोली, पता कैसे चलेगा, या तो आप बोले या में बोलू तो हि ना, तो जहा तक मेरा सवाल हे, में तो बोलने से रही, और आप तो पहले ही दीदी यानी मेरी वाइफ को बोल चुके हे की आप भोपाल में नहीं हे, आज रात बस में बिताएंगे यात्रा करते हुवे
मेने कह्हा कही भैया ने आपके मायके फ़ोन लगा दिया और उन्होंने बता दिया की आप निकल चूकी हे तो  तो भाभी बोली में यह कह कर मायके से निकली हूँ की भोपाल में मेरी एक सहेली के घर दो चार दिन रुकने, घुमने के बाद ही अपने ससुराल जाउंगी, और मेरी ऐसी कोई सहेली भोपाल में हे ही नहीं तो वो किस से कन्फर्म करेंगे, और रही बात आपके साले साहेब की तो उन्होंने पिछले एक माह में मात्र दो बार मुझसे बात की हे, एक बार उनके किसी कागज़ का पूछ रहे थे, दुसरी बार कल जब मेने कहा की आ जाऊ क्या तो बोले की मम्मी भी गुडिया ( यानी मेरी बीबी) के साथ नानी के यहाँ जा रही हे, तुम चाहो तो दो चार दिन बाद आ जाना
अब चुप होने की बारी मेरी थी, भाभी ने बेग मे से ताश की गद्दी निकाली और पत्ते फेटते हुवे बोली अभी से सोयेंगे क्या एक दो बारी गेम हो जावे, मे भी तुरंत बेड पर आ गया भाभी ने पत्ते फेटे और बाट  कर गेम शुरू किया, जब भाभी पत्ते देखने में व्यस्त थी मेने उनके बोबो पर चोर निगाह मारी, उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, जिस कारण से उनके बड़े बड़े पपीते के सामान सफ़ेद गोर गोर स्तन नायटी फाड़ बाहर आने को हो रहे थे, उनके निप्पल पतली नायटी में से दिखाई दे रहे थे, उनके उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे, भाभी मुझे उनके स्तनों को ताड़ते हुवे देख मुस्कुरा रही थी, जान बुझकर थोड़ा आगे की और झुक कर ताश खेलने लगी,
मेरे लंड के उभर को छुपाने के लिए मेने गोद में तकिया रख लिया, भाभी बोलूई क्या हवा  मेने बात पलटते हुवे, कहा कुछ नहीं, भाभी हसने लगी,
में खुद चोर निगाह से भाभी को देख रहा था, और ताश के खेल में ध्यान नहीं दे पा रहा था, तो हारने  लगा,  तब भाभी बोली चलो गेम को थोडा इंटरेस्टिंग बनाते हे, जो हारेगा, उसे जितने वाले की इच्छा अनुसार बताया काम करना पडेगा,
में तो मानो उस जगह था ही नहीं मेने बिना सोचे विचारे भाभी की बात में हां भर दी, पहला गेम में हार गया भाभी ने कहां ठीक हे तो फिर दोनों के लिए बियर निकालो फ्रीज से, में कहा इसमे क्या बड़ा काम में निकाल लाया, भाभी नए गेम के लिए पत्ते फेटने में व्यस्त हुयी और मेने बियर की केंस ओपन कर ली, अब हम फिर से नया गेम खेलने लगे, भाभी थोड़ा तकिये पर झुकी और एक हाथ की कोहनी के बल आधी लेट सी गयी, झुकने से उनके स्तन बाहर की और आ गए, नायटी के ऊपर के भाग में उनके स्तन समा ही नहीं रहे थे, मुझे हर पल यूँ लग रहा था मनो अब निप्पल बाहर निकलेगे, में फिर पत्तो की आड लेकर उनके उभारो को ही घूरे जा रहा था, ताश के खेल में मेरा ध्यान था ही नहीं, में यह बाजी भी हार चुका था,
और हारे को फिर जितने वाले की बात माननि पड़ती, बियर को ख़त्म करते करते मेने कहा आदेश दीजिये, अब क्या हुक्म हे, भाभी जोर से हसी और बोली अब थोड़ा नया करते हे ऐसा करिए, अपनी बनियान उतार दीजिये, में उनकी बात सुन चोंक सा गया, कहता क्या, हारने की वजह से सब शर्ते मानना मेरा काम था, मेने अपनी बनियान खोल दी, ऊपर से खुले बदन किसी महिला के सामने बैठना मेरे लिए थोड़ा विचित्र था, लेकिन मज़बूरी थी, वो तो गनीमत थी की कॉलेज के समय से में बॉडी बिल्डिंग करता था, और अभी भी लॉक डाउन खुलने के बाद जिम जाना शुरू किया हवा था, मेरा सीना बढ़िया भरा हवा था, सिक्स पैक तो नहीं लेकिन हां तीन चार पैक ऐब्स तो थे ही, बाहों पर मछलियों की तरह मांसपेशिया थी, कंधे, वजन उठाने के कारण भरे हुवे थे, मेरी बिबि को मेरे बदन पर फक्र था,
 
भाभी मेरे सिने को देखती ही रह गयी, बोली वोव सुपर्ब में सोंच भी नहीं सकती थी, आप इतने फिट होंगे, एक हमारे जनाब हे, सीना पिचका हवा, और पेट बाहर जेसे गर्भ से हो, में हंसा मेने कहा आपको पसंद आया मतलब इतनी वर्षी की मेहनत सफल हो गयी, भाभी ने अपनी नाजुक उंगलिया मेरे साइन पर फेराई, मुझे गुड गुडी सी हुयी, लेकिन में तो उनके स्तनों  को देखने में ही व्यस्त था
 
भाभी ने एक बार फिर बियर पिटे पिटे पत्ते फेंटे, लेकिन एस बार में सतर्क था, क्योंकि अब हारना मतलब बचे खुचे कपड़ो से भी हाथ धो बैठना था, एस बार में शुरू में जितने लगा, भाभी समझ चुकी थी, उन्होंने नया दांव खेला, और बोली आज शाम पैदल घुमने से पैर दर्द करने लगे हे, और फिर सीधी बैठ अपने पैरो को मोड़ लिया,
बाप रे बाप.....
अब तो उन्होंने मुझे पागल करने का पक्का इंतेजाम कर दिया, पैर मोड़ने फिर वापिस फेलाने से उनकी नायटी ऊपर चढ़ गयी और अब उनकी छोटी सी चड्डी जो की सफ़ेद रंग की थी, दिखाई देने लगी, अब मेरा सारा ध्यान उनके स्तनों से हथ उनके झांघो के जोड़ो के बिच आ गया, छोटी सी सफ़ेद पन्टी उनकी गुलाबी फुगी हुयी चूत को बा मुश्किल छुपा रही थी, भाभी बार बार अपने पैर भींच रही थी जिससे उनकी पेंटी सिमटती सी जा रही थी,
मेरे होश ठिकाने पर नहीं थे, सफ़ेद मोटी मोटी चिकनी चिकनी झांघे जिन पर बालो का नामोनिशान नहीं था, ऐसी इच्छा हो रही थी की अभी भाभी को पटक कर उनकी एन मस्त झंघो को चाटने लग जाऊ, एस बार फिर मेरा गेम में हारना निश्चित था, और हवा भी वही,
एस बार सज़ा में भाभी ने बरमुडा खोलने का बोला में चुप .......
मेने कहा भाभी इतनी सख्ती मत दिखाओ कुछ गरीब पर रहम करो,  तो हस कर बोली, प्यार  और जंग में सब जायज हे, और खेल भी एक जंग ही हे, इसे मानो या इससे भी बड़ी सज़ा के लिए तय्यार हो जाओ
मरता क्या ना करता भाभी के आदेशानुसार  बरमुडा खोल दिया, लेकिन अंदर मेने वी शेप फ़्रन्ची पहनी थी जो की मेरी बीबी अपनी पसंद से लायी थी, बड़ी छोटी सी थी, मेरा लंड का आकार उसमे समा ही नहीं रहा था, नार्मल में तो सही रहती हे, लेकिन आज भाभी का मदमस्त बदन देख अपने कडक नाथ महाशय सही में ही कड़क हो रहे थे, फ्रंची फटने को हो रही थी, ऊपर से मेरी कसरती झंघे बड़ी खुबसूरत लग रही थी,
भाभी की निगाहें बस मेरी फ्रेंची पर ही अटक गयी थी, मेने कहा क्या हवा, तो बोली में समझी थी केवल ऊपर से ही कड़क होंगे, अन्दर से नाज़ुक होगे, लेकिन यहाँ तो अंदर भी लोहा ही भरा हवा हे, डर लग रहा हे, मेने कहा काहे का डर तो बोली तुम नहीं समझोगे,
 
भाभी एक ही घूंट में अपनी बची हुयी बियर डकार गयी, और मुझे अब उनकी आँखों में बियर का नशा महसूस होने लगा था, एस बार फिर भाभी ने पत्ते फेंटे, बांटे और नया गेम स्टार्ट शुरू हवा में थोड़ा फ्रेंची में उनके सामने बैठने में असहज महसूस कर रहा था, ऊपर से मेरा लंड सलामी भर रहा था, मेने फिर तकिया उठा गोद में रख लिया
लेकिन एस बार मेरी किस्मत अच्छी थी, शुरू से ही में पॉइंट्स बनाता चला और जितने लगा, इसका मैं कारण यह था की भाभी अब मेरे कसरती जिस्म से अपनी निगाहे ही हटा नहीं पा रही थी, उनके चेहरे पर मस्ती चढ़ती जा रही थी, गाल गुलाबी और आँखे नशीली होती जा रही थी, और फिर किस्मत से में यह गेम जित गया
 
भाभी अज्ञात शंका में घबरा रही थी की में उन्हें क्या सज़ा देता हूँ, लेकिन मेने सब्र रखा और उनसे वही सज़ा दी जो उन्होंने मुझे दी थी, मेने फ्रीज से बियर की केन मंगवाई, मेरी शर्त सुन भाभी की जान में जान आई, थोड़ी गहरी सांस लेकर बोली थैंक्स गॉड तुमने बदला नहीं लिया, मेने कहा भाभी में इतना कमीना नहीं , तो हस कर भाभी बोली मतलब में कमिनी हूँ, मेने कहा और क्या, एक अकेले आदमी को देख फंसा रही हो, बेचारे को अधनंगा कर दिया, और ऊपर से अपनी कमिनियत का सबुत भी चाहिए आपको, वो तो गनीमत थी की में एस बार जित गया नहीं तो आप अब तक मुझे नंगा करके ही छोडती
 
भाभी जोर जोर से हसने लगी, बियर की दूसरी केन का दौर शुरू हो चुका था, भाभी बोली मेने बरसो से नहीं पि, ना जाने क्या कर बेठु, शायद मुझे होश ही ना रहे, तो मेने कहा आप कहा जंगल में हो रूम में हो और में आपके साथ हूँ
लेकिन अब तक भाभी पर बियर का नशा चड़ने लगा था, पत्ते फेटने में गलती कर रही थी, गेम स्टार्ट होने पर पहले दो पॉइंट्स मेरे बने, एस बार मेने साम दाम दंड भेद वाली निति चली, और अपनी झंघो से तकिया हटा दिया, भाभी चौंक सी गयी और, उनकी आँखे सिर्फ मेरे फ्रेंची पर टिक गयी, बातों बातों में मेने उन्हें कहा अरे आराम से बेंठो, थोड़ा पीछे की तरफ लेट जाओ, अब तक उन पर बियर का नशा अपना असर दिखाना शुरू कर चुका था, मेरी बांतो में आकर वो आराम से लेट गयी, जिससे उनकी झंघो के जोड़ खुल गए, मेने देखा उनकी सफ़ेद पेंटी पर दाग सा लगा था, शायद उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, इस राउंड में भी में ही जीता, और मेरी शर्त सुन भाभी के होंश उड़ गए
 
मेने कहा की आपको अपनी नायटी की कंधो की स्ट्रैप्स यानी पट्टिया हटानी होगी, उन्होंने मेरी बात गोर से सुनी, और कहा की तुम तो कह रहे थे में कमीना नहीं, तब मेने कहा हां कहा था लेकिन पूरी बात आप ने सुनी नहीं  वो बोली क्या, मेने कहा में कमीना नहीं महा कमीना हूँ और अपने दांत दखाने लगा,
 
भाभी बड़ी मुश्किल में थी बार बार अपने हाथ कंधो तक ले जाती और फिर हटा देरटी, मेने कहा देर ना करो नहीं तो शर्त में बदलाव कर दूंगा, ऐसा सुनते ही उन्होंने तुरंत अपनी नायटी की स्ट्रिप्स कंधे से हटा दी, उन्हें लगा यह नार्मल रहेगा लेकिन इसी में चाल थी, अब भाभी एक हाथ से पत्ते पकडती और दुसरे हाथ से अपनी नायटी को क्योंकि नायटी बार बार उनके साइन से निचे स्लिप होती जाती, वो परेशान होती गयी एक तो बियर का नशा दुसरा सामने बैठा अधनंगा मस्कुलर जवान आदमी, ऊपर से वो खुद पिछले एक महीने ज्यादा से पति से दूर थी, अब तक मेरा भी सब्र का बाँध टूटने लगा था, उनके आधे से ज्यादा मांसल स्तन बार बार दिखाई देंते, और वो उनको एक हाथ से छुपाती,
 
मुझे पता था की यह सब त्रिया चरित्र हे, वो क्यों मेरे पास भोपाल अकेली आई हे, लेकिन अब सती सावित्री होने का नाटक कर रहि थी, यह गेम बराबरी पर छूटा, रात भी होने आई थी, मेने कहा अब सोये, तो बोली आपको सुबह मार्किट भी जाना होगा, मेने कहा की हां जाना तो हे लेकिन थोड़ा लेट, आमतोर पर में होटल से लंच करके ही निकलता हूँ, ताकि मेरी सभी पार्टियाँ अपने दूकान पर पहुच जाए, और ख़ास कर मेने भाभी के होटल आने का सुन कल का कोई प्लान नहीं बनाया था, क्योंकि मेरी इच्छा थी की यदि हवा तो भाभी को लेकर रात में ही अपने शहर निकल जाउंगा, यानी अब में किसी बंदिश में नहीं था. यह बात मेने भाभी को नहीं बतायी
भाभी बोली यही पलंग पर सोना, सोफे पर नहीं, मेने कहा ठीक हे, मेने कपडे पहनने के लिये उठाये, लेकिन भाभी ने कपडे मेरे हाथ से छुडा लिए, और कहा की इतनी अच्छी बॉडी ढकने के लिए नहीं होती, मेने कहा ठीक हे, अब में केवल अपनी छोटी सी फ्रेंची में था, बियर पिने और रूम में ऐसी की ठंडक से पेशाब लगी थी, में बाथरूम जाने लगा तो भाभी बोली मुझे भी जाना हे, मेने कहा आप पहले हो आओ तो बोली एक ही काम से जाना हे तो साथ चलते हे, मेंने कहा ठीक हे, बाथरूम में घुसते ही भाभी ने अपनी पेंटी घुटनों तक उतार कर मेरे आगे अपनी मांसल कड़क गांड दिखाती हुयी कम्बोड पर बैठ गयी, मेने भी बिना शर्म अपनी फ्रेंची मे से अपना लंड निकाला और दिवार की तरफ मुंह कर मुतने की कोशिश करने लगा, लेकिन साला लंड भाभी की गांड देख इतना टाइट हो गया था की पेशाब का जोर लगने के बावजूद धार नहीं आ रही थी, भाभी झुक कर मेरे लंड को आँखे फाड़ फाड़  देखने लगी, इतने में उनकी चूत से मूत की धार जोर जोर से सिटी की आवाज़ करती निकली, उसे सुन में और बौरा सा गया, जो थोड़ा मुतने का मुड बना था वह भी जाता रहा लेकिन अंडकोष में पेशाब भरी होने से दर्द सा महसूस हो रहा था,
भाभी मुतने के बाद भी कम्बोड से नहीं उठी और मुझे बोली में हेल्प करूँ मेने हंस कर कहा मेरी तरफ से आप मुतोगी क्या, बोली ऐसा ही समझ लो, और फिर उन्होंने बिना शर्म के मेरे लंड को हाथ में लिया और उसे अंडकोष सहित सहलाने लगी, वो थोड़ी झुकी हुयी थी, जिस वजह से उनके बड़े बड़े स्तन नायटी से बाहर आ गए थे, मेने मौंका ना छोड़ते हुवे उन्हें अपने हाथो में भर लिया और उन्हें सहलाने लगा, भाभी गरमा गयी बोली ऐसा करोंगे तो पेशाब और नहीं आएगी, मेने कहा वह मंजूर हे लेकिन में इन्हे नहीं छोड़ सकता
भाभी ने एक बार भी विरोध नही किया और मेरा लंड सहलाती रही, में उनके बड़े बड़े बोबे मिन्जता रहा, खेर कुछ पलो में मेरी भी पेशाब की धार फुट पड़ी, में बड़ा रिलैक्स हवा, मेने कहा थैंक्स भाभी आज आप ना हाथ से हिलाती तो ना जाने क्या होता, मेरे गा्ल ब्लेडर फुट जाते, बोली में ना होती तो ये इतने सख़त नहीं होते, और मेरे पास इसके आगे का भी इलाज था और हसने लगी
अब मुझे आगे का इलाज का मतलब खुद समझना था और उसका मतलब यह था की वो मुख मंजन करती लेकिन साली उसकी नौबत ही नहीं आई
 
     
 
     
 
 
 
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#5
Dhanyavaad bhai nice update
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#6
Very nice
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#7
Please update bro
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#8
Bhai please update mast kahani
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#9
Update please
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#10
bhai mast kahani h...aagey likho
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#11
Waiting for update
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#12
aagey likho bhai
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#13
Bhai update
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#14
update do bhai
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#15
bas, thoda sa intejaar aur, jaldi hi aa rahaa hun naye update ke saath.....
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#16
साथियों, माफ़ी चाहूंगा, लम्बे समय से आप सभी को कोई अपडेट नहीं दे सका, क्योंकि, मार्च एंड के चक्कर में फसा था, खेर अब आपके सामने नए अपडेट लेकर आ गया हूँ........
 
 
तो फिर में और भाभी दोनों बाथरूम से निकल कर रूम में आ गए, भाभी पलंग पर उलटी लेट गयी, जिससे उसले कुल्हे उजागर हो गए, छोटी सी पेंटी में से उनके बड़े बड़े सफ़ेद मांसल गांड गज़ब ढा रहे थे, मुतने से मेरे लंड में जो थोड़ी नरमाहट आ गयी थी वह भी भाभी की गांड देख जाती रही, मेने अपनी छोटी सी फ्रेंची में लंड को एडजस्ट किया और भाभी के पास आकर लेट गया, रात के एक बज रहे थे, लेकिन पास में इसी खुबसूरत बदन वाली हसीना के लेटने से आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं थाI
 
 
भाभी बोली अब सो जाओ सुबह आपको उठ कर अपने काम पर भी तो जाना हे, मेने कहा हां और मेने सोने का प्लान बनाया, भाभी भी मेरी तरफ अपनी मांसल गांड करके मुंह फेर सो गयी, में अपने लंड को हिलाते हुवे सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन डिम लाइट में भाभी के गोर मांसल बदन को देख नींद का नामोनिशान नहीं था, भाभी भी बार बार apne  कुलहो पर खुजा रही थी, कभी पीठ खुजाती, जबकि वहा मच्छर नहीं थे, मेने कहा की क्या मच्छर परेशान कर रहे हे, तो बोली नहीं बस ऐसे ही खुजली चल रही हे, मेने कहा में खुजाल दूँ, तो बोली, नेकी और पूंछ पूंछ ...
 
मे ने बिना एक सेकंड बिगाड़े भाभी की पीठ पर खुजाना  शुरू कर दिया, भाभी रिलैक्स हो गयी, खुजलाने के लिए मुझे भाभी के पास आना पडा, पीठ खुजाते खुजाते भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी मोटी गांड पर रख दिया, अब में उनकी मांसल कड़क गांड खुजा रहा था, उनकी छोटी सी पेंटी पहले ही पतली सी डोर के सामान उनके गांड में धंसी हुयी थी, नंगी गांड पर हाथ फेरते फेरते में बहुत ही उत्तेजित हो गया था, तभी भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी मांसल झांघो पर रख दिए, अब में उनकी सफ़ेद केले के तने के समान झांघो को सहला रहा था, रात अधिक होने से में भी अब शरीर में भरी पन महसूस कर रहा था, में भाभी से चिपक कर लेट गया, मेरे लेटते ही भाभी मेरे शरीर से सट गयी, वो मेरे इतने करीब थी की मेरी सांसे उनके कानो के पास उन्हे महसूस हो रही होगी, और मेरा कड़क लंड उनकी गांड में घुसता सा जा रहा था, भाभी अपनी गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी, जिससे मेरे लंड में भी हलचल होने लगी, में अपने लंड को जैसे ही एडजस्ट करने के लिए भाभी की झांघो से हाथ हटाया, भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर फिर अपनी झांघो पर रख दिया, और बोली इसे में संभाल लुंगी, और भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर फेरना शुरू कर दिया, उनकी पतली पतली नाजुक उंगलियों का स्पर्श पाते ही मानो मेरी नस नस में उत्तेजना फेल गयी, लंड झटके मारने लगा, लेकिन भाभी की उंगलियों में तो मानो जादू था, एसा महसूस हो रहा था मानो में जन्नत में हूँ, भाभी मेरी फ्रेंची के पर से ही मेरे लंड को सहला रही थी, तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर उनकी झांघो के जोड़ो पर रख दिया, अब में उनकी बुर के ऊपर से सहला रहा था, मुझे उनकी पेंटी का आगे का हिस्सा कुछ गर्म और गिला सा महसूस हो रहा था मेने धीरे से उनके कान में कहा की भाभी पेंटी गीली हो रही हे इसीलिए खुजली हो रही हे तो बोली मेरा हाथ बिजी हे आप निकाल दो मेरी पेंटी, मेने बिना देरी किये तुरंत उनकी पेंटी भाभी की कमर से सरका दी, भाभी ने अपने कुल्हे ऊँचे किया ताकि मुझे पैंटी सरकाने में परेशानी ना हो, पेंटी निचे होते ही मेने पुनः उनकी झंघो के  जोड़ो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया भाभी ने भी मेरी फ्रेंची निचे खीच दी, जिसे मेने तुरंत घुटनों से बाहर कर दी, अब में  मादरजात नग्न था, जबकि भाभी ने ऊपर बदन पर नायटी पहन रखी थी, मेरा लंड उनकी गांड के छेद में धक्के मार रहा था, भाभी ने मेरे सख्त लंड को छूते ही खुश हो गयी, मेने भी उनकी नंगी चूत को सहलाना जारी रखा, भाभी अपने पैर फेलाती रही ताकि में उनकी बुर को अंदर तक सहला सकू, मेने अपने अनुभव से उनकी बुर को खोदना जारी रखा एक लय में कुरेदने के बाद उनकी बुर पनिया गयी , और कुछ पलो के बाद मेने महसूस किया की भाभी का बदन अकड़ने लगा, और वो तेज साँसों के साथ अपने मुंह से अजीब सी आवाजे निकलने लगी, और तभी एक झटके से उनकी बुर मानो फट पड़ी, तेज चीख के साथ भाभी की बुर से चिकने गाढे द्रव्य का फवारा सा फुट पडा, वह झटके खाने लगी, एक पल को तो में भी चौक पडा लेकिन में समझ गया की यह उनकी महीनो से भरी हुयी गर्मी का असर हे, जो आज मेरे हाथ फेरने से बाहर आ गयी I
 
भाभी के चेहरे पर अजीब सी शांति थी, मेरी और मुंह कर मेरी चिकनी उंगलिया जो उनके कामरस में भीगी हुयी थी, उन्हें अपनी पेंटी से साफ़ कर दिया, बड़ी खुश दिख रही थी लेकिन उन्होंने मेरे लंड को मींजना नहीं छोड़ा मेने भी अब उनकी नायटी में से उनके बड़े बड़े स्तन बाहर निकाल लिए और उनकी मालिश शुरू कर दी, उनकी निप्पलस टन कर किसी लम्बे अंगूर की तरह दिख रही थी, में अपनी दो उंगलियों में उन्हें फसा कर सहलाने लगा, भाभी ने मेरे होंठो पर एक लम्बी किस दी और फिर अपनी नायती अपने बदन से अलग कर दी,
 
उनके स्तन आज पहली बार मेरे सामने उजागर हुवे थे, इतने बड़े होने के बाद भी बिलकुल भी नहीं लटक रहे थे, में फिर से उन्हें मसलने लगा, भाभी थोड़ी ऊपर की और हुयी और तकिया अपनी कमर पर लगा कर मेरे मुंह के पास अपने निप्पल ले आई, में उनकी मंशा समझ गया और मेने एक झटके में उनके निप्पल मुंह में ले कर चुभलाना शुरू कर दिए.
 
अब वो मेरे साइड में थी मेने उनके निप्पल अपने मुंह में लेकर उनकी गांड पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया उनकी कड़क गांड किसी फूटबाल की तरह गोल थी, मेरा लंड उनकी चूत से बहते पानी से सराबोर हो रहा था, लगभग पांच मिनट बाद भाभी उठकर वाशरूम में गयी और अपनी चिपचिपी चूत को पानी से धोकर वापिस आ गयी,
 
तब तक में भी सीधा सो गया मेरा तना हवा लंड छत की तरफ सीधा तना हवा था, भाभी आते ही मेरे पास विपरीत दिशा की तरफ मुंह कर लेट गयी, और मेरे लंड को सहलाते हुवे मुंह में ले चूसने लगी, मेरे लिए यह किसी स्वप्न के साकार होने के समान था, वो किसी एक्सपर्ट की तरह अलग अलग अंदाज में लंड को चूस रही थी, तभी मेरी निगाह उनकी चिकनी गुलाबी बुर की तरफ गयी, उस समय  उनके पैर चोडे हो रहे थे, जिससे उनकी बुर के अन्दर का भाग भी दिखाई दे रहा था, मेने बड़े प्यार से उनकी गांड को पकड़ कर अपनी और खीचा अब उनकी बुर मेरे मुंह के पास थी, मेने आहिस्ता से उनकी झांघो को खीच अपने मुंह के ऊपर से अपने मुंह की और किया, अब भाभी की चिकनी गुलाबी रस भरी चूत मेरे मुंह के बिलकुल करीब थी, भाभी ने किसी तरह का विरोध नहीं किया,
 
हम दोनो अब 69 की पोजीशन में थी वो मेरे लंड को चुस रही थी और में उनकी बुर को
उनकी बुर का नमकीन पानी का स्वाद बड़ा ही मस्त था, बड़ी बड़ी गांड को फेलाने से चूत भी चोडी हो रही थी, भाभी घुटनों के बल मेरे मुंह के ऊपर थी, और मेरे लंड को गले के अन्दर तक गटक रही थी, किसी आइसक्रीम की तरह चाट चाट कर उसने मेरे लंड को पूरी तरह से चिकना कर भीगा दिया
 
तभी शायद भाभी की बुर पनिया गयी, उनकी चूत के पानी का बहाव बढ़ गया और फिर से शारीर अकड़ने लगा, शायद वो झड़ने के करीब थी, वो म्रेरे मुंह से पानी बुर हटाना चाहती थी, लेकिन मेने उनकी गांड को मजबूती से पकडे रखा और तभी......
 
 
भाभी की बुर बह चली, इतना पानी बहा की मेरा पूरा मुंह उनके काम रस से भीग गया, लेकिन उस अजीब से मादक काम रस की महक और स्वाद मुझे पागल बना रहा था मेने उन्हें अपनी गिरफ्त से नहीं छोड़ा और उनकी बुर के पानी की आखरी बूंद तक गटक गया, वह अपनी बुर छुडवाने के लिए मचलती रही, लेकिन मेने भी उन्हें नहीं छोड़ा
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#17
इस बार में उठा और बाथरूम में गया वापिस आने पर देखा की भाभी अपनी टाँगे ऊँची कर चूत चौड़ी कर पाँव फेला कर लेटी थी, मे उनका इशारा समझ गया और बिना देर किये अपने लंड को उनकी मख्खन की तरह चिकनी चूत में पेल दिया, भाभी की चूत किसी कमसिन लड़की की बुर की तरह टाइट थी, इतनी आसानी से लंड अन्दर नहीं जा रहा था, शायद भैया मतलब मेरे साले साहेब  ने ज्यादा मेहनत नहीं करी थी अब तक.
 
 
चूत की कसावट पर मुझे आश्चर्य हवा, इसका मतलब भाभी मेरे आलावा किसी और के पास मजे लेने नहीं गयी थी, धीरे धीरे अन्दर जाकर अपनी पोजीशन पक्की कर लंड महाशय अब सेट हो गए, अब बिना तकलीफ लंड भाभी की सेवा कर रहा था, मुझसे ज्यादा तो भाभी को मज़ा आ रहा था, वो निश्चिंतता के साथ आँखे बंद कर चुदाई के मजे ले रही थी, मेने कहा भाभी कब से चुदवाना चाह रही थी तो बोली बहुत पहले से लेकिन अवसर ही नहीं मिला लेकिन आज तो मेने सोच लिया चाहे कुछ भी हो जाए यह  मौका छोड़ने नहीं दूंगी, चाहे आप कुछ भी समझो बदचलन बदजात चरित्रहीन लेकिन मेरे लिए यह सही हे, मेने कहा किसने आप्ज्के ऊपर यह सब हलके आरोप लगाए जब आपका पति आपको संतुष्ट नहीं करता तो यह आपका हक हे की आप अपने शारीर की आवश्यकताओ को पूरा केसे भी करे. 
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#18
Gr8 update, keep posting
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#19
Awesome bro
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#20
Nice update
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