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Adultery बगल बाली भाभी
#1
Heart 
Namaskar

दोस्तों, मेरा नाम राज  है। अभी मैं दिल्ली में एक फ्लैट लेकर अकेला रहता हूँ। मेरी उम्र 27 साल, लम्बाई 56 इंच है, और यह कहानी 4 साल पुरानी, सर्दियों के दिनों की है, जब मैं दिल्ली के जमरूदपुर इलाके में किराए के मकान में अपने दोस्त के साथ रहता था।



वह पूरा चार-मंजिला मकान किराएदारों के लिए ही बना हुआ था। इसलिए मकान-मालकिन वहाँ नहीं रहती थी। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। सभी के लिए टायलेट, बाथरूम और पानी भरने के लिए एक ही जगह बनी थी। जो ठीक जीने के साथ मेरे कमरे के सामने थी। एक फ्लोर में 5 कमरे थे और चारों फ्लोर किराएदारों से भरे हए थे। जिनमें अधिकतर परिवार वाले ही रहते थे।

कहानी यहीं से शुरू होती है। मेरे कोने वाले कमरे में एक उड़ीसा की भाभी, कल्पना अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती थी। जिसकी उम्र 22 साल, लम्बाई 56” फिट थी, वो देखने में काफी सुन्दर और मनमोहनी थी, दो बच्चे होने पर भी उसका फिगर मस्त था।

उसका पति शादी और पार्टियों में खाना बनाने का ठेका लेता था। इसलिए वह अक्सर दो-तीन दिन तक घर से बाहर ही रहता था। वह सारा दिन मेरे कमरे के सामने जीने में बैठकर बाकी औरतों से बातें करती रहती थी। वो उन औरतों से बातें करते समय मुझे चोर नजरों से देखती रहती थी।

मैं और मेरे दोस्त की शिफ्ट में इयूटी होने के कारण हम जल्दी ही कमरे में आ जाते थे। या कभी देर में जाते थे। वो मुझसे कुछ ही दिनों में जल्दी ही खूब घुलमिल गई थी।

कुछ दिन बातें करते हुए एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?

मैंने मना कर दिया, साथ ही मैंने बात भी बदल दी। पर दूसरे दिन उन्होंने फिर वही सवाल पूछा तो मैंने कहा“आप हो तो गर्लफ्रेण्ड की क्या जरूरत?”

वो शर्मा गई।
मैंने अपना नम्बर उन्हें यह कहकर दे दिया कि कभी बाजार से कोई सामान मंगवाना हो तो मुझे बता देना। मैं ले आऊँगा।


धीरे-धीरे हमारी फोन पर बातें होने लगीं। एक दिन कपड़े धोते समय उन्होंने शरारत करते हुए मेरे ऊपर पानी डाला और भागने लगीं। मैंने तुरन्त उनका हाथ पकड़ा और उन्हें भी भिगो दिया।

वो जल्दी से हाथ छुड़ाकर बोली- “बेशरम..” और अपने कमरे में भाग गई और वहाँ से मुश्कुराने लगी।

अगले दिन वो मुझे फिर छेड़ने लगी।

मैंने कहा- भाभी मुझे बार-बार मत छेड़ा करो। नहीं तो मैं भी छेडूंगा।

भाभी- “तो छेड़ो ना, किसने मना किया है..” यह कहते हुए वो मुश्कुराने लगी।

मैंने इधर-उधर देखा। सभी दिन में आराम कर रहे थे। बाहर कोई नहीं था। मेरा दोस्त भी ड्यूटी गया था। मौका अच्छा था। मैंने उनको लपक कर पकड़ लिया और उनका एक मम्मा सूट के ऊपर से ही दबा दिया। उनके मुँह से एक 'आह' निकली। मैंने फिर दूसरे मम्मे को भी जोर से मसल दिया।

भाभी बोली- “क्या करते हो? कोई देख लेगा...”

मैं समझ गया कि भाभी का मन तो है। पर इर रही हैं। मैं उन्हें खींचते हुए सामने बाथरूम में ले गया। दरवाजा बंद करके उन्हें बाहों में भर लिया और बोला- मेरी गर्ल फ्रेण्ड बनोगी भाभी?

भाभी ने मादकता भरे स्वर में कहा- “मैंने कब मना किया...”

इतना सुनते ही मैंने उनके गालों और होंठों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।

भाभी- हटो, यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- गर्लफ्रेण्ड को चुम्मी कर रहा हूँ।

भाभी इठलाते हुए बोली- कोई ऐसा करता है भला?

मैं कहाँ मानने वाला था। चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा।

वो गरम होने लगी। पर बार-बार ‘ना... ना मत करो' कह रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया। तो वह और गरम हो गई और अजीब सी आवाजें निकालने लगी।


फिर वह मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चुम्बन करने लगी। मैंने उनके पाजामे का नाड़ा खोल दिया और हाथ अन्दर ले गया तथा पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा। उनकी चूत बहुत ज्यादा गरम हो रही थी। मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।

उन्हें मजा आने लगा। वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी। मैंने तुरन्त अपने होंठ उनके होंठों से लगा लिए और उनका हाथ पकड़कर अपने पैन्ट के ऊपर से ही लण्ड पर रख दिया। जो कि अब तक राड जैसा सख्त हो गया था।

वो भी मतवाली होकर मेरी चैन खोलकर मेरा लण्ड सहलाने लगी। थोड़ी ही देर में उनकी में से पानी रिसने लगा।

मैं जोर-जोर से अंगुली करने लगा। अब हम दोनों ही बहुत ज्यादा गरम हो गए थे। पर इर भी रहे थे कि कोई
आ ना जाए।

थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से पानी चूने लगा। वो झड़ने के बाद निढाल सी होते हुए बोली- “प्लीज राज अब मत करो मैं पागल हो जाऊँगी...”

मैं उसके चूतरस से भीगी ऊँगली को चूसता हुआ बोला- “भाभी मजा आया?”

वो बोली- बहुत ज्यादा।

मैं बोला- और मजे लोगी?

वो बोली- यहाँ नहीं, इधर हम पकड़े जाएगें बाकी बाद में। आज रात को करेंगे।

मैं- भाभी मैं कब से तड़प रहा हूँ। अभी इसे शान्त तो करो।

भाभी मुश्कुरा कर बोली- “इसे तो मैं अभी शान्त कर देती हूँ, बाकि बाद में। सब्र करो... सब्र का फल मीठा होता है...” वो झुक गई और मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और मुँह को आगे-पीछे करने लगी। मैंने फिल्मों में ऐसा तो दोस्तों के साथ बहुत देखा था। पर मैं पहली बार ये सब कर रहा था। बड़ा मजा आ रहा था, पर डर भी रहा था। थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा लावा उनके मुँह में भर दिया।

जिसे वो पी गई और बोली- “तुम्हारा माल तो बहुत ज्यादा निकलता है और बहुत गाढ़ा और टेस्टी भी है। आज
के बाद इसे बरबाद मत कर देना...” उन्होंने चाटकर पूरा लिंग साफ कर दिया।

फिर हमने फटाफट कपड़े ठीक किए और जाने से पहले एक-एक चुम्मी ली और एक-एक करके बाथरूम से बाहर
आ गए। हम दोनों ने रात में मिलने का वादा किया था।
* * *

कुछ देर बाद मैंने भाभी को फोन किया और पूछा- भाभी कैसा लगा, मजा आया?

भाभी बोली- मेरे पति घर से तीन-तीन दिन तक गायब रहते हैं और तुमने मेरी प्यास और बढ़ा दी है। अब इस प्यास को कब बुझाओगे?

मैंने कहा- अभी आ जाऊँ?

भाभी- अभी मरवाओगे क्या? अभी नहीं, मैं रात को काल करूंगी।

मैं रात का इन्तजार करने लगा। मैंने अपना फोन साईलेन्ट मोड में डाल दिया ताकि दोस्त को पता ना चले। रात को दोस्त भी आ गया, हमने साथ-साथ खाना खाया। पर भाभी का फोन नहीं आया। मैं परेशान हो गया और टीवी देखने लगा।

दोस्त बोला- यार कल मुझे सुबह 6:00 बजे ड्यूटी जाना है। तुझे कब जाना है?

मैंने कहा- कल मैं दोपहर में जाऊँगा इसलिए अभी एक फिल्म देगा।

दोस्त ने कहा- आवाज कम करके देख और मुझे सोने दे।

मैंने कम आवाज की और फोन का इन्तजार करते हुए फिल्म देखने लगा। जब 11:50 तक भी फोन नहीं आया। तो मैं भी सोने की तैयारी करने लगा। रात को 12:30 बजे, जब सभी गहरी नींद में सो गए और मुझे भी नींद आने ही लगी थी, कि तभी मेरे फोन पर भाभी का मैसेज आया कि छत पर मिलो।

सर्दी के दिन थे। रात में छत पर कोई नहीं जाता था। मैंने तेज खांसकर चैक किया कि दोस्त सोया है कि नहीं, वह गहरी नींद में था। मैं चुपचाप उठा। बाहर देखा कोई नहीं था। सभी अपने-अपने दरवाजे बंद करके कबके सो चुके थे। जब मैं छत पर पहुँचा। भाभी वहाँ पहले से ही खड़ी थी।

भाभी- “बच्चे अभी सोये हैं, मैं उन्हें ज्यादा देर अकेला नहीं छोड़ सकती, प्लीज राज, जो भी करना है। जल्दी करो...”

मैं- पर भाभी, यहाँ पर कैसे?
भाभी- ये देखो, मैंने आज दोपहर में ही एक गद्दा छत पर सूखने डाला था। जिसे मैं नीचे नहीं ले गई। यहीं पर
मैं- भाभी आप तो बहुत तेज हो।
भाभी चुदासी सी बोल पड़ीं- “जब नीचे आग लगी होती है तो तेज तो होना ही पड़ता है। अब जल्दी से वो कोने में ही गद्दा बिछाओ और जो दो टीन की चादरें रखी हैं। उनको दीवार के सहारे लगाओ।

मैंने फटाफट बिल्कुल कोने में जीने से दूर गद्दा बिछाया और उसे दीवार के सहारे टीन की चादरें लगाकर ऊपर से ढक दिया। छत पर पहले से ही बहुत अंधेरा था। फिर भी कोई आ गया तो चादरों के नीचे कोई है, ये किसी को दिखाई नहीं देगा।
मैं भाभी के दिमाग को मान गया। भाभी रात में कोई झंझट ना हो इसलिए वो साड़ी पहनकर आई थी। मैंने भाभी को लेटने को कहा और खुद उनके बगल में लेट गया और धीरे-धीरे उनके मम्मे दबाने लगा।
भाभी तो पहले से ही बहुत गरम और चुदासी थी। वो सीधे मेरे से चिपट गई और मेरा लौड़ा पकड़ते हुए बोलीप्लीज राज, जो भी करना है जल्दी करो। मैं बहुत दिनों से तड़प रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दो...”
मैंने कहा- जरूर भाभी, पहले थोड़ा मजे तो ले लो।
उन्होंने मुझे पूरे कपड़े नहीं उतारने दिए, कहा- “फिर कभी मजे ले लेना। आज जो भी करना है, फटाफट करो। मैं अब ये आग नहीं सह सकती..."
फिर भी मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा को ऊपर उठाकर उनके निप्पल चूसने लगा। दूसरे हाथ से उनके पेटीकोट को ऊपर करके पैन्टी उतार दी और उनकी चूत सहलाने लगा। वहाँ तो पहले से ही रस का । दरिया बह रहा था, उन्हीं की पैन्टी से चूत साफ की और जीभ से चूत चाटने लगा, उन्हें मजा आने लगा। फिर हम 69 अवस्था में आ गए और वो भी मेरा लण्ड चूसने लगी। जब उन्हें मजा आने लगा तो वो तेज-तेज मुँह चलाने लगी।
मैंने मना किया- “ऐसे तो मेरा माल गिर जाएगा...”
तब उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटा लिया और किसी रांड की तरह टांगें चौड़ी करते हुए बोली- “राज अब मत सताओ, आ जाओ। मेरी चूत का काम तमाम कर दो.

मैं भी देर ना करते हुए उनकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड उनकी चूत में लगाने लगा। मेरा लौड़ा बार-बार चूत के छेद से फिसल रहा था।
उन्होंने लण्ड हाथ से पकड़कर चूत के मुहाने पर रखा और कहा- “अब धक्का लगाओ...”
मैंने एक जोर का धक्का लगाया तो उनके मुँह से एक चीख निकल गई। मैंने तुरंत अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए और थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने होंठ हटाए और पूछा- “चिल्लाई क्यों?"
भाभी बोली- “तुम्हारे भैया ने मुझे अपने काम के चक्कर में तीन महीनों से नहीं चोदा है और तुम्हारा उनसे लम्बा और मोटा है। इसलिए दो बच्चों की माँ होने पर भी तुमने मेरी चीख निकाल दी..."


मैं- बोलो, अब क्या करना है?
भाभी- अब धीरे-धीरे धक्के लगाओ।
थोड़ी देर में मुझे भी और भाभी को भी मजा आने लगा। मैंने स्पीड बढ़ा दी।
भाभी- “आह्ह... आह... ओह... ओह... आह... और जोर से राज आह्ह... और जोर से ओह्ह... मैं कब से तड़फ रही थी राज। आज मेरी सारी प्यास बुझा दो राज... बहुत मजा आ रहा है... राज, फाड़ दो मेरी चूत आज
ओह... बहुत सताया है इसने मुझे... आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो राज। चोदो... और जोर से आह्ह... आहह..." उनके चूतड़ों का उछल-उछलकर लण्ड को निगलना देखते ही बनता था।
मैं- मेरा भी वही हाल था भाभी। जब से तुम्हें देखा है, रोज तुम्हारे नाम की मुठ मारता था।
भाभी- “अब कभी मत मारना। जब भी मन करे, मुझे बता देना। पर अभी और जोर से राज... रगड़ दो मुझे...
आहह...”
छत पर हमारी तेज-तेज आवाजें गूजने लगीं। पर सर्दी की रात होने के कारण डर नहीं था और हम दोनों एकदूसरे को रौंदने लगे। मैं पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और भाभी नीचे से गाण्ड उठा-उठाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद भाभी अकड़ते हुए बोली- “मेरा होने वाला है। तुम जरा जल्दी करो...”
कुछ धक्कों के बाद मैंने भी कहा- “मेरा भी निकलने वाला है...”
भाभी बोली- अन्दर मत गिराना। मेरे मुँह में गिराओ। मैं तुम्हारी जवानी का रस पीना चाहती हूँ।
मैंने फटाफट अपना हथियार निकालकर उनके मुँह में डाल दिया। लौड़े से दो-चार धक्के उनके मुँह में मारने के बाद लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। भाभी ने मेरा सारा रस निचोड़ लिया और लण्ड को चाटकर अच्छे से साफ भी कर दिया।
हम दोनों बहुत थक गए थे।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद भाभी बोली- “राज, तुमने मुझे आज बहुत मजा दिया। इसके लिए मैं कब से तड़प रही थी। मेरे पति जब भी आते हैं थक-हारकर सो जाते हैं और मेरी तरफ देखते भी नहीं। मेरी 18 साल में शादी हो गई थी और जल्दी ही दो बच्चे भी हो गए। पर अभी तो मैं पूरी जवानी में आई हैं। उन्हें मेरी कोई फिक्र ही नहीं है। राज तुम इसी तरह मेरा साथ देना...”
मैं- ठीक है भाभी, चलो एक राउण्ड और हो जाए। अभी मन नहीं भरा।


भाभी- अरे नहीं, अभी और नहीं, अब तो मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ। अभी तो खेल शुरू हुआ है, सब्र रखो, सब्र का फल मीठा होता है।
मैंने हँसते हुए कहा- “हाँ... वो तो मैंने चख कर देख लिया। बहुत मीठा था। हाहाहा...”
भाभी- चलो अब जल्दी नीचे चलो। कहीं बच्चे जाग ना जाएं। नहीं तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी। बाकी कल का पक्का वादा।
मैं- अच्छा चलो एक चुम्मा तो दे दो।
भाभी ने जल्दी से होठों पर एक चुम्मा दिया। मैंने तुरंत उनके मम्में दबा दिए। भाभी ने एक प्यारी सी 'आह' निकाली और कल मिलने का वादा करके अपने कमरे में भाग गईं।
भाभी को मैंने लगातार छः माह तक खूब चोदा।।
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#2
फिर उनका इस फ्लैट से किसी वजह से जाना तय हो गया तो मैंने उन्हें अपने लौड़े के लिए कोई इंतजाम के लिए कहा तो भाभी ने कमरा छोड़ते वक्त मुझे बताया कि मकान मालकिन तेज है और प्यार को तड़फ रही है। इसलिए अब मैंने अपना सारा ध्यान मकान मालकिन की तरफ लगाना शुरू कर दिया।
इस बार किराया देने मैं उसके घर गया। उसने अपने बालों में मेहंदी लगा रखी थी इसलिए बाहर बरामदे में बैठी
थी। उनके पास जाने का रास्ता कमरे के अन्दर से जाता था।
मैंने आवाज दी तो बोली- “यहाँ बरामदे में आ जाओ...” उसने सलवार-सूट पहना हुआ था। उम्र कोई 45 साल की होगी। पर 35 साल से ऊपर की नहीं लग रही थी।
उसका गठीला बदन था और भरी-पूरी जवानी थी, उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी और उसके साथ उसका एक लड़का और एक लड़की थे। दोनों इस समय कालेज गए हुए थे।
मैं- भाभी अन्दर आ जाऊँ?
मकान मालकिन क्यों रे... तुझे मैं भाभी नजर आ रही हूँ?
मैं- भाभी को भाभी ना कहूँ तो क्या कहूँ?
मालकिन- मेरी उम्र का तो ख्याल कर जरा?
मैं- “क्यों 30 साल की ही तो लग रही हो...” मैंने झूठ बोला।


मालकिन- अच्छा, झूठ मत बोल।
मैं- नहीं भाभी, झूठ नहीं बोल रहा हूँ। आप तो इस उमर में भी हर मामले में जवान लड़कियों को फेल कर दोगी।
वो भी हँसने लगी।
मालकिन- “बोल, क्यों आया है?”
मैं- भाभी किराया देना था।
मालकिन- ठीक है, वहाँ सामने टेबल पर रख दे। मैं बाद में उठा लूंगी। अभी मैं जरा अपने बाल सुखा हूँ।
मैंने भी पैसे टेबल पर रख दिए और चलने लगा- “अच्छा भाभी चलता हूँ। मैंने आपको भाभी कहा आपको बुरा तो नहीं लगा?”
मालकिन- नहीं, बुरा क्यों मानूंगी। चल अब जा।
फिर मैं किसी ना किसी बहाने से उसके घर जाने लगा। धीरे-धीरे हमारी बोलचाल बढ़ गई और हम आपस में । मजाक भी करने लगे। जिसका वो बुरा नहीं मानती थी। मेरी बातचीत में अब ‘आप’ की जगह 'तुम' ने स्थान ले लिया था। एक दिन मैंने कहा- “तुम चाय तो पिलाती नहीं। कभी मेरे कमरे में आओ, मैं तुम्हें चाय पिलाऊँगा...”
मालकिन- अच्छा ठीक है, कब आऊँ बता?
मैं- “तुम्हारा अपना मकान है। जब चाहो आओ, सुबह, दोपहर, शाम, रात, आधी रात, तुमको कौन रोकने वाला है...” यह कहकर मैं हँसने लगा।
मालकिन- “चलो, कल सुबह आऊँगी..” अब वो धीरे-धीरे मेरे कमरे में आने लगी और चाय पीकर जाने लगी। इस बीच, हम मजाक के बीच में आपस में छेड़खानी भी करने लगे। जिसमें उसे बहुत मजा आता था।
मुझे लगने लगा था कि अब इसकी चुदाई के दिन नजदीक आने वाले हैं और यह जल्दी ही मेरे लण्ड के नीचे । होगी। एक बार मेरा दोस्त एक हफ्ते के लिए गाँव गया था। जिसके बारे में मैं उसे बातों-बातों में बता चुका था। एक दिन मैं शाम को अकेला था, सारे पड़ोसी पार्क में घूमने गए थे।
वो आई और बोली- राज क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं भाभी, अकेला बैठा बोर हो रहा हूँ, आओ चाय पीकर जाओ।
मालकिन- नहीं, बच्चे टयूशन गए हैं अभी एक घण्टे में वापस आ जाएंगे। मैं भी चलती हैं।

मैं- चाय बनने में घण्टा थोड़े ही लगता है। सिर्फ 5 मिनट की बात है। आ जाओ ना।
वो मान गई और चारपाई पर बैठ गई।
मैंने चाय बनाकर दी और उनके बगल में बैठकर चाय पीने लगा। उन्हें बगल में देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था। पर उन्हें चोदने का उपाय मेरे दिमाग में नहीं आ रहा था। फिर भी मैंने बात शुरू की। शायद आज पट ही जाए। मैंने कहा- “भाभी एक बात पूछू, बुरा तो नहीं मानोगी?
मालकिन- पूछो... क्यों बुरा मानूंगी भला?
मैं- भाभी, तुम दिन पर दिन जवान और खूबसूरत होती जा रही हो। इसका क्या राज है?
वो शर्माने लगी- “नहीं तो। ऐसी कोई बात नहीं। ऐसा तुम्हें लगता है?”
मैं- “नहीं भाभी, मैं सच बोल रहा हूँ। अब तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। जी करता है कि....”
मालकिन ने मेरी तरफ मस्ती से देखते हुए कहा- क्या जी करता है तेरा राज?
मैं- “कि तुमको बाँहों में भरकर तेरे लबों को चूम लँ..”
मालकिन- राज, तुझे ऐसी बातें करते शरम नहीं आती? तू जरूर मार खाएगा आज।
मैं- अरे भाभी, जो मन में था, वो बोल दिया। अगर सच कहने में मार पड़ती है तो वो भी मंजूर है। पर मारना तुम ही।
मालकिन- साले, तू बड़ा बदमाश हो गया है। बस अब मैं चलती हूँ।
मेरा तो दिमाग खराब हो गया। अपने से तो कुछ हुआ नहीं। इसलिए मन ही मन ऊपर वाले से दुआ माँगी कि कुछ ऐसा कर दे कि ये खुद मेरे लण्ड के नीचे आ जाए। कहते है ना कि सच्चे मन से किसी की लेनी हो तो वो मिलती ही है।
वो जैसे ही उठने को हुई। पता नहीं कहाँ से उनके सूट के अन्दर चींटी घुस गई। उन्होंने उसे निकालने के लिए अपना हाथ सूट के अन्दर डाला तो चींटी पीछे को चली गई।
मालकिन- राज कोई कीड़ा मेरे सूट के अन्दर चला गया है और मेरी पीठ पर रेंग रहा है। उसे निकाल दो प्लीज।
मैं- भाभी, उसके लिए मुझे अपना हाथ तुम्हारी पीठ पर लगाना होगा। तुम कहीं नाराज ना हो जाओ।


मालकिन- राज मजाक नहीं करो। उसे जल्दी निकालो। कहीं वो मुझे काट ना ले।
मैं उनके ठीक सामने खड़ा हो गया और हाथ को उनके सूट के अन्दर डालकर उनकी पीठ पर फिराने लगा। बड़ा अजीब सा मजा आ रहा था। कितने सालों के बाद उन्हें भी मर्द का हाथ मिल रहा था। उन्हें भी अच्छा लग रहा
था।
मालकिन- राज कुछ मिला?
मैं- “नहीं भाभी। ढूँढ़ रहा हूँ...”
तभी चींटी ने उनकी पीठ पर काट लिया। वो मुझसे चिपक गई- “उई.. राज, उसने मुझे काट लिया। प्लीज... जल्दी बाहर निकालो उसे...”
मैं- “पर भाभी, वो मिल नहीं रही है..” मैंने हाथ फेरना चालू रखा। मेरी साँसें उनकी साँसों से टकरा रही थीं।
मालकिन- राज, वो आगे की तरफ रेंग रही है। जल्दी कुछ करो।।
मैं- भाभी, तब तो तुम सूट उतारकर उसे एक बार अच्छी तरह से झाड़ लो कहीं ज्यादा ना हों।
मालकिन- तुम्हारे सामने कैसे?
मैं- तो क्या हुआ? मैं दरवाजा बंद कर लेता हूँ और मुँह फेर लेता हूँ।
मालकिन- ठीक है तुम मुँह उधर फेर लो।
मैंने दरवाजा बंद किया और मुँह फेरकर खड़ा हो गया। नीचे फर्श पर देखा तो चीनी का डब्बा खुला होने के कारण बहुत सारी चींटियां जमीन पर घूम रही थीं। मुझे अपना काम बनाने की एक तरकीब सूझी, मैंने चार-पांच चींटियां उठाई और मुट्ठी में बंद कर लीं।
मालकिन उसमें तो कुछ भी नहीं है।
मैं- भाभी यहाँ देखो बहुत सारी चींटियां हैं शायद सलवार के सहारे चढ़ गई हों। आप मुँह फेर लो मैं देख लेता हूँ।
वो मुँह फेरकर खड़ी हो गई तो मैंने चेक करने के बहाने पीछे से उनकी सलवार को थोड़ा सा खींचा और मुठ्ठी में दबाई हुई चींटियां उसके अन्दर डाल दीं। जो जल्दी ही अन्दर घुस गईं।
मैं- भाभी, तुम्हारी कमर पर और पीठ पर चींटी ने काटा है। पीठ लाल हो गई है। तुम कहो तो तेल लगा दें। दर्द कम हो जाएगा।


उनके ‘हाँ' कहते ही मैंने तेल लगाने के बहाने उनकी पीठ और कमर को सहलाना शुरू कर दिया। उन्हें भी अच्छा लग रहा था।
मैं- “भाभी, तुम्हारी ब्रा को पीछे से खोलना पड़ेगा। नहीं तो उसमें सारा तेल लग जाएगा। तुम आगे से उसे हाथ से पकड़ लो। मैं पीछे से इसे खोल रहा हूँ...”
“ठीक है...” वो बोली।
मैंने उनकी ब्रा खोल दी। जिसे उन्होंने आगे से हाथ लगाकर संभाल लिया। मैं पूरी पीठ पर और कमर पर आराम से तेल लगा रहा था। जिससे उन्हें आराम मिल रहा था। तभी नीचे सलवार में डाली चींटियों ने काम करना शुरू कर दिया। वो दोनों टाँगों से बाहर आने का रास्ता ढूँढने लगीं।
मालकिन- हाय राम... लगता है चींटियां सलवार के अन्दर भी हैं। वो पूरी टांगों पे रेंग रही हैं।
मेरा काम बनने लगा था। मैंने कहा- भाभी, तब तो तुम जल्दी से सलवार भी उतारकर झाड़ लो। कहीं गलत जगह काट लिया तो... तुमको दर्द के कारण अभी डाक्टर के पास भी जाना पड़ सकता है।
मालकिन- “मैं इस वक्त डाक्टर के पास नहीं जाना चाहती। वैसे भी कुछ देर में बच्चे आ जायेंगे। सलवार ही उतारनी पड़ेगी। पर कैसे? मैंने तो अपने हाथों से ब्रा पकड़ रखी है..." ।
मैं- “भाभी, तुम चिन्ता ना करो। मैं तुम्हारी मदद करता हूँ..” मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार फिसल कर नीचे गिर गई। उनकी लाल पैन्टी दिखाई देने लगी। मैं पैन्टी को ही देखे जा रहा था और सोच रहा
था कि अभी कितनी देर और लगेगी... इसे उतरने में। कब इनकी चूत के दर्शन होंगे।

मकान मालकिन- राज क्या देख रहे हो? जल्दी से मेरी सलवार झाड़ो और मुझे पहनाओ।
मैंने उनके पैरों से सलवार निकाली और उसे तीन-चार बार झाड़ा। मैंने सोचा ऐसे तो काम बनेगा नहीं। मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। नहीं तो हाथ आई चूत बिना दर्शन के ही वापस जा सकती है। मैं चिल्लाया- “भाभी, दो चींटियां तुम्हारी पैन्टी के अन्दर घुस रही हैं। कहीं तुमको ‘उधर' काट ना लें..”
मकान मालकिन- राज, उन्हें जल्दी से हटाओ नहीं तो वो मुझे काट लेंगी। पर खबरदार पैन्टी मत खोलना।
मैं- “ठीक है भाभी..” मैंने जल्दी से सलवार एक तरफ फेंकी और उनके पीछे जाकर अपने हाथ उनके आगे लेजाकर उनकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
मालकिन- ओह्ह... राज, यह क्या कर रहे हो तुम?


मैं- भाभी, तुमने ही तो बोला था कि पैन्टी मत खोलना। चींटियां तो दिख नहीं रही हैं। इसलिए बाहर से ही मसल रहा हूँ। ताकि उससे अन्दर गई चींटियां मर जाएँ। तुम थोड़ा धैर्य तो रखो।
मालकिन- ठीक है, करो फिर।
मैं एक हाथ से उनकी टाँगों के बीच सहला रहा था। दूसरे हाथ से उनकी कमर पकड़े था। ताकि बीच में भाग ना जाएं। धीरे-धीरे मैं उनकी पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उन्हें भी मर्द का हाथ आनन्द दे रहा था इसलिए वे कुछ नहीं बोलीं। थोड़ी ही देर में वो रगड़ाई से गरम हो गई
और अपनी पैन्टी गीली कर बैठीं। मैं समझ गया कि माल अब गरम है, मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से सटा दिया और उनकी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
भाभी को मेरे इरादे का पता चल गया, वो बोली- “ओह... राज... ये क्या कर रहा है तू। अगर किसी को पता चल गया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी.”
मैं- भाभी, तुम किसी को बताओगी क्या?
मालकिन- मैं क्यों बताऊँगी।
मैं- मैं तो बताने से रहा। तुम नहीं बताओगी तो किसी को पता कैसे चलेगा। वैसे भी तुम्हारा भी मन है ही ये सब करने को। तभी तो तुम्हारी पैन्टी गीली हो गई है। अब शर्माओ मत और खुलकर मेरा साथ दो। जिससे तुमको दुगुना मजा आएगा।
अब मकान-मालकिन ने भी शरम उतार फेंकी और दोनों हाथ ब्रा से हटा दिए। हाथ हटाते ही उनके कबूतर पिंजरे से आजाद हो गए। मैंने भी उनकी पैन्टी उनके जिश्म से अलग कर दी।
मैं- वाह भाभी क्या जिश्म है तुम्हारा देखते ही मजा आ गया।
मालकिन- राज, तुमने मेरा सब कुछ देख लिया है। मुझे भी तो अपना दिखाओ ना। कितने सालों से उसके दर्शन नहीं हुए हैं। मैं देखने को मरी जा रही हूँ, जल्दी से कपड़े उतारो।
मैंने फटाफट कपड़े उतार दिए। मेरा हथियार अब उनके सामने था।
मालकिन- राज, मैं इसे हाथ में पकड़कर चूम लँ?
मैं- भाभी, तुम्हारी अमानत है। जो मर्जी है वो करो।
उन्होंने फटाफट उसे लपक लिया और पागलों की तरह उसे चूमने लगीं।

मैं- भाभी इसे पूरा मुँह में ले लो और मजा आएगा।
उन्होंने लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। क्योंकी पहली भाभी ने लण्ड चुसवाने की आदत डाल दी थी। मुझे लण्ड चुसवाने में बड़ा मजा आता है। आज बहुत दिनों बाद कोई लण्ड चूस रहा था। वह बड़े तरीके से लण्ड चूस रही थी जिसमें वो माहिर थी। लौड़े को चाट और चूसकर उन्होंने मेरा बुरा हाल कर दिया। तो मैं भी उनके सर को पकड़कर उनके मुँह में लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। मेरा माल निकलने वाला था। वो मस्त होकर चूस रही थी।
उनका सारा ध्यान लण्ड चूसने में था। मैं जोर-जोर से उनके सर को लण्ड पर दबाने लगा। थोड़ी ही देर में सातआठ पिचकारी मेरे लण्ड से निकलीं। जो सीधे उनके गले के अन्दर चली गईं। उन्होंने सर हटाना चाहा। पर जब तक वह पूरा माल निगल नहीं गईं, मैंने लण्ड निकालने नहीं दिया। इसलिए उन्हें सारा माल पीना ही पड़ा। तब मैंने लण्ड बाहर निकाला।
मैं- भाभी, कैसा लगा मर्द का मक्खन।
मालकिन- राज, मुझे बता तो देते। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। पर जो भी किया, अच्छा किया। तेरा बहुत गाढ़ा मक्खन था। पीने में बड़ा मजा आया।
मैं- चलो भाभी, अब मैं तुम्हें मजा देता हूँ। तुम चारपाई पर टांगें चौड़ी करके बैठ जाओ।
वो बैठ गई। चूत बिल्कुल ही चिकनी थी जैसे आजकल में ही सारे बाल बनाए हों।
मैं- भाभी तुम्हारी चूत के बाल तो बिल्कुल साफ हैं। ऐसा लगता है तुम चुदने ही आई थीं। फिर नखरे क्यों कर रही थीं?
मालकिन- राज, जब से तुम मुझ पर डोरे डाल रहे थे। तब से मैं समझ गई कि तुम मुझे चोदना चाहते हो। तभी से मेरी चूत भी बहुत खुजला रही थी। पर अपने बेटे से डरती थी कि उसे पता ना चल जाए। पर एक हफ्ते से रहा ही नहीं जा रहा था। कितनी उंगली कर ली, पर निगोड़ी चूत की खुजली मिट ही नहीं रही थी। आज इसकी सारी खुजली मिटा दो।
मैंने उनकी चूत पर मुँह लगाया और जीभ अन्दर सरका दी और दाने को रगड़ना शुरू कर दिया। उन्हें मजा आने लगा। उन्होंने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया। मैंने एक उंगली चूत में डाल दी और जीभ से चूत चाटने । लगा। वो मजे ले-लेकर चूत चुसवाए जा रही थीं। उनकी चूत पूरी गीली हो गई।
मालकिन- राज, बस अब और मत तड़फाओ। अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोद डालो।
मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा और अपना लण्ड उनकी गीली चूत पर टिका दिया। जैसे ही धक्का दिया उनकी “आहह.' निकल गई।

मालकिन- राज आराम से। सालों बाद चुदवा रही हूँ। दर्द हो रहा है।
उनकी चूत सच में टाइट थी। मैंने जैसे ही दूसरा धक्का मारा, उनकी चीख निकल गई।
मालकिन- राज, ओह्ह.. निकालो उसे बाहर। मुझे नहीं चुदवाना। तुम तो मेरी चूत फाड़ ही डालोगे। कोई ऐसा करता है भला?
मैं- “भाभी, बस हो गया। अब तुम्हें मजा ही मजा मिलेगा। आओ तुम्हें जन्नत की सैर करवाता हूँ। वो भी अपने लण्ड से...” मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में जा चुका था। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए।
धीरे-धीरे उन्हें भी आराम मिलने लगा। उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया। फिर बोली- “राज, आहह... अब तेजतेज करो। ओहह... फाड़ डालो मेरी चूत... साली ने बहुत तड़पाया है... आज निकाल दो इसकी सारी अकड़... ओहह... दिखा दो तुममें कितना दम है। चोद मेरी जान...”
मैंने उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा।
उनकी ‘आहे' निकलने लगीं- “आह्ह.. आह... ओह... स्स्स्स्स
... उफ्फ... आह... आह...”
मैं पेले जा रहा था।
मालकिन- आहह... और जोर से। मजा आ गया राज।

धीरे-धीरे हम दोनों पसीने से तर हो गए। पर दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। मैं तड़ातड़ उनकी चूत पर लण्ड से वार किए जा रहा था।
आखिर वो कब तक सहन करती। अन्त में उनका पानी निकल ही गया। बोली- “राज, प्लीज थोड़ा रूको। मुझे अब दर्द हो रहा है...”
मैंने लण्ड को चूत में ही रहने दिया और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर में जब वो थोड़ा नार्मल हो गई। तो मैंने लण्ड को चूत की दीवारों पर रगड़ना शुरू कर दिया। जल्दी ही वो फिर से गरम हो गई और बिस्तर पर फिर तूफान आ गया। अब भाभी गाण्ड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं।
मैं- भाभी कहाँ गिराऊँ? मेरा होने वाला है।
मालकिन- राज, तेज-तेज धक्के मारो... मेरा भी होने वाला है और सारा रस चूत में ही गिराना। सालों से प्यासी है... तर कर दो उसे। तुम चिन्ता मत करो मेरा आपरेशन हो चुका है।
अब मैंने रफ़्तार पकड़ी और कुछ ही देर में सारा माल उनकी चूत में भर दिया, और उन्हीं के ऊपर लेट गया।


मालकिन- राज अब उठो भी। मुझे घर भी जाना है।
मैं- ठीक है भाभी, पर ये तो बताओ कैसा लगा? आपको मेरे लण्ड पर जन्नत की सैर करके?
मालकिन- बहुत मजा आया राज। तुमने मेरी चूत की सारी खुजली भी मिटा दी और सालों से प्यासी चूत को पानी से लबालब भर भी दिया। देखो अब भी पानी छलक रहा है।
मैंने देखा तो हम दोनों का माल उनकी चूत से निकलकर उनकी टाँगों से चिपककर नीचे आ रहा है। मतलब समझकर हम दोनों हँसने लगे, फिर वो फटाफट कपड़े पहनने लगी और जाने लगी।
मैं- “भाभी, जिसने तुम्हें इतना मजा दिया उसे थोड़ा प्यार करके तो जाओ...” और मैंने अपना मुरझाया लण्ड उनके आगे कर दिया।
भाभी ने एक बार उसे पूरा अपने मुँह में ले लिया। थोड़ी देर चूसा, आगे से जड़ तक चाटा। फिर सुपाड़े पर एक प्यारी सी चुम्मी दी और चली गईं।
उसके बाद जब तक उनके बेटे की शादी नहीं हो गई। तब तक मैंने उन्हें बहुत बार चोदा। उनकी बहू घर पर ही रहती थी। इसलिए मैंने उनसे मिलने से मना कर दिया। ताकि वो फैंस ना जाएं। वो समझ गई। उसके बाद ना वो कभी कमरे में आई, ना ही मैं उनसे मिलने गया। पर जब तक साथ रहा तब तक दोनों ने खूब मजे किए।
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#3
जब मैं जमरूदपुर में किराए के मकान में रहता था। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। एक फ्लोर में 5 कमरे थे और चारों फ्लोर किराएदारों से भरे थे। जिनमें अधिकतर फैमिली वाले ही रहते थे। यह कहानी भी वहीं से शुरू होती है। मकान-मालकिन को चोदने के बाद जब मैंने उससे मिलने को मना कर दिया। तो मैं फिर अकेला पड़ गया। हर वक्त किसी ना किसी को चोदने को मन करता था।
फिर मेरी नजर मेरे साथ वाले कमरे में रहने वाली एक सिक्किम की भाभी अनुपमा पर पड़ी। जो अपने एक दो साल के बेटे और पति के साथ रहती थी। जिसकी उम्र 24 साल और लम्बाई 5'6' थी और देखने में थोड़ी सांवली थी। पर उसका फिगर मस्त था।
उसका पति किसी कम्पनी में कार पार्किंग का काम करता था। इसलिए वह सुबह 7:00 बजे जाता और रात को 10:00 बजे वापस आता था। वो कभी-कभी डबल ड्यूटी भी करता था। इसलिए दोनों माँ-बेटे कभी जब हम कमरे में होते थे। तो हमारे ही कमरे में टीवी देखा करते थे।
मैं और मेरा दोस्त उससे कभी-कभी मजाक कर लेते थे। तो वह भी उसका जवाब हँसकर देती थी। इसलिए वो हमसे जल्दी ही घुल मिल गई थी। मकान-मालकिन के बाद मुझे उसे चोदने की बहुत इच्छा कर रही थी। पर
सही मौका नहीं मिल रहा था। लौड़े की खुराक के लिए उसे पटाना भी जरूरी था।


एक बार मेरा दोस्त दिन में इयूटी गया था और मेरी छुट्टी थी। वो मेरे कमरे में टीवी देख रही थी। मैंने बात शुरू की, मैं बोला- “भाभी, आपने लव मैरिज की या अरेंज?”
भाभी- अरेंज, मैं यहीं दिल्ली में नौकरी करती थी। घर में बात चली तो तुम्हारे भैया ने मुझे यहीं पसंद कर लिया और जल्दी ही हमारी शादी हो गई।
मैंने कहा- भाभी, तुम तो दिल्ली में रहती थीं। क्या तुम्हारा शादी से पहले कोई ब्वायफ्रेन्ड था?

भाभी- “हाँ था तो... पर ये बात अपने भैया को मत बताना। नहीं तो वो मेरे बारे में पता नहीं क्या सोचेंगे?”

मैं- ठीक है, मैं आपकी कोई भी बात भैया को नहीं बताऊँगा और आप भी, जो बातें मैं आपसे करता हूँ। वह भैया को मत बताया कीजिए।

भाभी- ठीक है नहीं बोलूंगी। तुम्हारी है कोई दोस्त?
मैं- हाँ भाभी, पहले थी, पर अब नहीं है।
अब धीरे-धीरे भाभी मुझसे बात करने में खुल रही थीं।

भाभी- उसके साथ कुछ किया भी, या ऐसे ही समय खराब किया?

मैं- “हाँ भाभी, सब कुछ किया। अब उसकी शादी हो चुकी है इसलिए सब खत्म..” मैंने झूठ बोला और पूछा
आपने किया था उससे?”

भाभी- हाँ मैंने भी सब कुछ किया था। एक साल उसी के साथ रही थी। पर यह बात अपने भैया को मत बताना।

मैं- “मैं क्यों बताऊँगा? अच्छा भाई को पता नहीं चला कि तुम पहले से चुदी' हो?” मैं जरा और खुल गया।

भाभी- “तुम्हें ऐसी बातें करते शरम नहीं आती राज? बेर्शम कहीं के.." वो शर्माने लगी।

मैं- अरे यार भाभी, हम दोनों अकेले ही तो हैं। कौन सा मैं किसी को बता रहा हूँ। बताओ ना प्लीज।

भाभी भी खुल गईं- “जब किसी को पहली बार चोदने को मिलता है ना। तो वह कुछ नहीं देखता है कि माल कैसा है? उसे तो बस चोदना होता है। वैसे भी शादी से पहले मैं 6 महीने तक नहीं चुदी थी इसलिए चूत टाइट हो गई थी। उनका बड़ा लम्बा और मोटा है। तो ठोंकते वक्त उन्हें पता नहीं चला। वैसे भी मैंने चुदते वक्त । “आह्ह... ऊहह..” कुछ ज्यादा ही की थी...” अब सब कुछ खुल्लम-खुल्ला होने लगा था।
मैं- अच्छा भाभी, आपने कभी ब्लू-फिल्म देखी है। वही चुदाई वाली फिल्म।

भाभी अब गनगना उठी थीं- “हाँ... दो बार ब्वायफ्रेन्ड ने दिखाई थी। फिर रात भर खूब चोदा...” अब वो शर्माने लगी।

मैं- भाभी, मेरे पास है देखोगी? बड़ा मजा आएगा।

भाभी- आज नहीं, फिर कभी। कोई आ जाएगा।

मैं- “चलो थोड़ा तो देख लो...” मैंने बात बनानी चाही। क्योंकी थोड़ा में ही मेरा काम बन जाता।

भाभी- “ठीक है, पर पहले दरवाजा तो बंद कर दो...” भाभी की चुदास भड़क उठी थी।
मैंने फिल्म लगा दी। थोड़ी ही देर में गर्म सीन देखकर भाभी गर्म हो गई, और चूत खुजाने लगी। अचानक वह उठी और अपने कमरे में चली गई।
मैं अपना लौड़ा हिलाता हुआ उसे देखता ही रह गया। मेरे तो खड़े लण्ड पर धोखा हो गया। पर ये तो तय था कि कभी तो मैं उनको चोदूंगा ही। पर कब? ये मालूम ना था।
खैर, वो घड़ी भी जल्दी ही आ गई।

एक रात उसके पति का फोन आया कि वह घर नहीं आ रहा है, आफिस में पार्टी है इसलिए वह कल शाम तक
आ पाएगा। वो कभी अकेली नहीं रही थी। इसलिए हमारे पास आई और मेरे दोस्त से बोली- “आज तुम मेरे कमरे में सो जाओ..”
मेरे दोस्त ने मना कर दिया। बोला- “मैं तो आज रात फिल्म देखेंगा..” उसने मेरे से उसके कमरे में सोने को बोला तो मैंने भी मना कर दिया।
भाभी ने बहुत जोर दिया तो मैं दिखावा करता हुआ राजी हो गया। भाभी ने अपने कमरे में मेरे लिए चारपाई पर बिस्तर लगाया और अपने और बेटे के लिए नीचे जमीन पर बिस्तर लगाया। मैं खाना खाने के बाद उनके कमरे
में सोने चला गया।
वो मेरे दोस्त के साथ फिल्म देखने लगी। थोड़ी देर में उनका बेटा सो गया। वो उसे लेकर अपने कमरे में आ गई, उसने मुझे आवाज दी- “राज सो गए क्या?”
मैं- नहीं भाभी, फिल्म देख रहा था। तुम भी देखोगी?
भाभी- कौन सी देख रहे हो अकेले-अकेले?
मैं- भाभी ब्लू-फिल्म देख रहा हूँ। दोस्त के साथ तो देख नहीं सकता। आज मौका मिला है। आप भी देखोगी? मेरे मोबाइल में है।


भाभी बोली- नहीं यार, मैं नहीं देखेंगी। तुम भी सो जाओ, अब रात बहूत हो गई है।
मैं बोला- भाभी, देख लो बहुत अच्छे सीन हैं। फिर आपको मौका नहीं मिलेगा।
भाभी बोली- “नहीं, सो जाओ मुझे नहीं देखनी है...” यह कहकर वो नीचे सो गई।
मैं ब्लू-फिल्म देखकर उत्तेजित हो गया था। मैं हिम्मत करके भाभी के बिस्तर में चला गया और उनके बगल में लेट गया। मैंने उनकी मम्मों पर हाथ रख दिया।
भाभी घबरा गई और बोली- राज, तुम नीचे क्यों आ गए? और यह क्या कर रहे हो?
मैं- भाभी फिल्म देखकर मेरा दिमाग खराब हो गया है। प्लीज मना मत करना। मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। भाभी बोली- राज, ये ठीक नहीं है। तुम ऊपर चले जाओ।
मैं बोला- भाभी तुम शादी से पहले भी तो चुदवाती थीं, अब क्या परेशानी है? कौन सा तुम्हारे पति को पता चलेगा। प्लीज... बस एक बार और चुदवा लो भाभी। आगे आपसे चुदवाने को कभी नहीं बोलूंगा।।
भाभी बोली- नहीं राज, अब ये सब मैं नहीं करना चाहती।
तब तक मैंने उनकी चूचियां दबानी शुरू कर दी थीं। मैं बोला- “ठीक है भाभी, मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा। पर
आप इसे शान्त तो कर सकती हो ना। देखो मेरा क्या बुरा हाल हो गया है...” यह कहकर मैंने पजामा नीचे उतार दिया। मेरा लण्ड अण्डरवियर फाड़ने को तैयार खड़ा था।
भाभी लौड़ा देखकर बोली- ठीक है, मैं तुम्हारा हिला देती हूँ। पर बाकी आगे कुछ और नहीं करना। झड़ने के बाद तुम सीधा चारपाई में जाओगे।
मैं बोला- ठीक है भाभी, मेरे लिए यही काफी है।
भाभी ने मेरा अण्डरवियर उतारा और लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया। मुझे औरत के हाथ से मजा तो बहुत आ रहा था। पर भाभी को बोला- “भाभी, बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा है। प्लीज इसे मुँह में लेकर चूसो ना...”
भाभी भी चुदासी सी हो चली थी। सो उसने लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। मैं भाभी की चूचियां दबा रहा था। इसलिए वो भी गरम हो गई।
मैं बोला- “भाभी, चलो चुदवाओ मत। पर हम एक-दूसरे को मजा तो दे ही सकते हैं ना। मुझे अकेले करते ठीक नहीं लग रहा है। मैं आपको भी मजा देना चाहता हूँ..”

भाभी बोली- “ठीक है, पर कैसे?” अब उनकी गरमाई बोल रही थी।
मैं बोला- अभी आप अपने कपड़े उतार दो और आप मेरा लण्ड चूसो। मैं आपकी चूत चूसता हूँ। ऐसे ही मजे लेते
भाभी बोली- हाँ ये सही रहेगा। पर किसी को पता लग गया तो? यार मुझे डर लगता है।
मैं बोला- “मैं किसी को बताऊँगा ही नहीं। आप भी किसी को मत बताना कि आज रात मैं यहाँ था। कोई नहीं जान पाएगा...” यह कहकर मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया। अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चचोर रहा था।
थोड़ी देर में ही वो खूब गरम हो गई, मैंने एक उंगली भी चूत में घुसेड़ दी, वो मचल गई। अब उसे खूब मजा
आ रहा था। तब मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया और चूसना और उंगली करना छोड़ दिया। इससे वो पागल सी हो गई। मैं मुँह फेर कर लेट गया, भाभी को मैंने गरम रेत पर छोड़ दिया था, उनकी चूत पानी टपका रही थी।

भाभी बोली- “राज, बहुत अच्छा लग रहा था और चूसो ना। लण्ड क्यों निकाल दिया तुमने? और उंगली करो। ना..." वह मुझसे लिपट गई और मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रखवा लिया। फिर बोली- “राज इन्हें दबाओ न...” वो मेरे और पास खिसक आई। मैं समझ गया कि अब ये चुदवाने को तैयार है, मैं भी उससे चिपक गया। जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत के मुहाने से टकराने लगा।
जैसे ही उसे लण्ड का एहसास हुआ उसने खुद हाथ से उसे चूत के मुहाने पर सेट कर लिया।
वो बोली- “प्लीज राज, अब मत तड़फाओ। मैं पागल हो जाऊँगी। तुमने मेरा बुरा हाल कर दिया है। तुम्हें जो करना है, कर लो पर प्यासा मत छोड़ो..."
मैं बोला- भाभी, मुझे तुम्हारी चूत चाहिए, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
वो बोली- अब कहाँ मना कर रही हूँ, देखो। मैंने तुम्हें खुद रास्ता दिखा दिया है। बस मेरी आग शान्त करो। जल्दी से चोद डालो मुझे।
मैं बोला- “तो ठीक है भाभी, अब चुदाई के मजे लो, और मेरे लण्ड के झूले में प्यार का झूला झूलो..” मैंने उनकी चूत पर लण्ड का दबाव देना शुरू किया। गीली चूत में ‘फच्च' की आवाज से पूरा लण्ड अन्दर चला गया।
भाभी के मुँह से 'आह' निकल गई।
मैंने होंठों से होंठों को लगाया और चोदने की रफ्तार बढ़ा दी। मैं और भाभी दोनों ही चुदासे और प्यासे थे। इसलिए 15 मिनट में ही दोनों खलास हो गए। कुछ देर बाद फिर मैंने उन्हें फिर गरम करना शुरू किया और


फिर उनकी जमकर चुदाई की और सारा माल चूत में भर दिया। उस रात मैंने उन्हें 5 बार चोदा, उनके चेहरे पर
भी सन्तुष्टि के भाव थे।
भाभी बोली- राज, आज रात जो कुछ भी हमारे बीच हुआ। प्लीज़... वो तुम किसी को मत बताना। मैं भी नहीं बताऊँगी कि तुम रात में मेरे साथ सोए थे। प्लीज... नहीं तो मैं बदनाम हो जाऊँगी।
मैं बोला- “ठीक है भाभी। तुम चिन्ता मत करो और खुश रहो...” उसके बाद हम नंगे ही साथ-साथ सो गए।
सुबह उन्होंने मुझे जल्दी उठा दिया, मैंने उनकी एक चुम्मी ली और अपने कमरे में आकर सो गया। उस रात के बाद कभी दुबारा मैंने उनसे चूत देने की जिद नहीं की। कुछ दिनों बाद उन्होंने भी कमरा छोड़ दिया। मैं फिर अकेला रह गया।
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#4
आपको मालूम है कि जब मैं जमरूदपुर में किराए के मकान में रहता था। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। यह कहानी भी वहीं से शुरू होती है। दोस्तों, अब मैं चूत चोदने में उस्ताद हो गया था। पर फिलहाल अनुपमा के बाद चूत का इन्तजाम नहीं हो पा रहा था। मैं अब नई चूत की तलाश में था। नसीब से वो तलाश भी जल्दी ही पूरी हो गई।
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उसका नाम मीरा था। उम्र 25 साल, और रहने वाली नेपाल की थी, यहाँ दिल्ली में कोठी में बच्चों को सम्भालने का काम करती थी। वह अपनी बड़ी बहन के साथ ठीक मेरे सामने के कमरे में रहती थी। वह और उसकी बहन सिर्फ हफ्ते की छुट्टी या सरकारी छुट्टियों में ही यहाँ मौज मस्ती या पार्टी के लिए आती थी, बाकी पूरा महीना वह कोठी में ही रहती थीं।
मीरा ने नेपाल के ही एक ड्राईवर को यहाँ दिल्ली में पटाया था। जब वो यहाँ कमरे में आती। तभी वो भी एक घण्टे के लिए आता और उसकी प्यास बुझाकर चला जाता।
मीरा देखने में बहुत सुन्दर थी। उसका फिगर किसी हीरोइन से कम नहीं था। वो हमेशा सज-धज कर ही रहती और जीन्स-शर्ट या टाप-स्कर्ट ही पहनती थी, जिससे वह 20 साल की ही लगती थी। उसकी चूचियां कुछ बड़ी थीं। जो हमेशा कपड़ों से बाहर को झलकती रहती थीं।
मैं और मेरा मित्र जो मेरे साथ ही रहता था। तो वह जब भी यहाँ आती। हम दोनों से बातें करती थी इसलिए उससे हम दोनों की ही अच्छी पहचान हो गई थी। मैं उसे पटा कर चोदना चाहता था। पर मौका ही नहीं मिल रहा था। एक बार मेरी किश्मत भी खुल ही गई। वह अपनी छुट्टी के दिन दोपहर में अपने कमरे में आई। पर अपनी चाभी लाना भूल गई। दूसरी चाभी उसकी दीदी के पास थी। जो रात को आती थी।
उसने चाभी भूलने के बारे में अपनी दीदी को बताया। पर उसकी दीदी ने कहा कि वो तो रात तक ही आ सकती है। अब वह परेशान सी बाहर घूम रही थी।

मेरा दोस्त दिन की ड्यूटी गया था और मैं इयूटी करके आ गया था। मैंने बात शुरू की- “मीरा जी, क्या बात हो। गई? क्यों परेशान घूम रही हो। सब ठीक है ना?"
मीरा- देखो ना राज, आज मेरी छुट्टी है और मैं चाभी भूल आई हूँ। दीदी रात तक ही पहुँचेगी। अब मैं क्या करूँ और कहाँ जाऊँ?
मैं बोला- कोई बात नहीं, आप परेशान ना हों। मेरे कमरे में बैठ जाओ। वैसे भी मेरा दोस्त रात को आएगा। आपको यहाँ कोई परेशानी नहीं होगी। जब आपकी दीदी आएं तब चले जाना।
उसने राहत की सांस ली और वह मेरे कमरे में आ गई। उसने टाप और छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी। इन। कपड़ों में वो कयामत लग रही थी। मन कर रहा था कि अभी पटक कर चोद दें। पर ऐसे कामों में जल्दीबाजी कभी ठीक नहीं होती।
मैंने उसे पानी पिलाया और चाय के लिए पूछा। उसने मना कर दिया। उसका मूड खराब हो गया था। उसने । अपने दोस्त को भी आने को मना कर दिया। वह बड़ी परेशान नजर आ रही थी क्योंकी आज कमरा ना होने के
कारण 3

वन्दा इसीलिए आती थी ताकि दीदी के भाने में
पहले वह दोस्त से अपनी प्यास बुझा सके।
मीरा- राज, तुम्हें मेरी वजह से परेशानी हो रही है।
मैंने कहा- अरे नहीं, यह आपका अपना कमरा है। आप आराम कर लो।
मीरा- हाँ... मुझे नींद सी आ रही है क्योंकी बस में मैं खड़े-खड़े आई हूँ और बहुत थक भी गई हैं। क्या मैं थोड़ी देर आराम कर लूं। अगर आपको बुरा ना लगे तो।
मैं- हाँ... हाँ.. क्यों नहीं? आप आराम करो मैं यहीं बाहर जीने में बैठा हूँ।
वह मेरे बिस्तर में सो गई। जल्दी ही उसे थकान के कारण नींद आ गई। मैं भी 20 मिनट बाहर बैठकर उसके बारे में सोचता रहा। मैं पानी की बोतल लेने अन्दर गया तो वह नींद में और भी सुन्दर लग रही थी। उसकी चूचियां सांस लेते वक्त धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हो रही थीं। और स्कर्ट नींद में थोड़ा ऊपर हो गई थी।
मेरा ईमान डोल गया। मैंने बाहर आकर देखा तो कोई आस-पास नहीं था। मैंने झट से दरवाजा बंद कर दिया।
और उसके और करीब आ गया। मैंने उसकी स्कर्ट थोड़ा और ऊपर उठाई तो उसकी गुलाबी पैन्टी साफ दिखाई दे रही थी। मेरा हथियार खड़ा होने लगा। मैंने हिम्मत कर एक हाथ से उसकी जाँघों को सहलाया।
वो गहरी नींद में थी उसे पता ही नहीं चला।

मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूचियों पर रखा और धीरे से दबा दिया। उसकी चूचियां बड़ी नरम थीं। जैसे मैंने रूई पर हाथ रख दिया हो। मेरा मन इतने से नहीं माना। मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियां दबाने लगा।
वो थोड़ा सा मचली और सीधी लेट गई।
अब मैं रुकने के मूड में नहीं था। मैंने सोचा ये चुदने तो आई ही थी। आज मुझसे चुदवा लेगी तो क्या हो जाएगा। मैंने उसके गालों पर किस किया। वो अब भी नींद में थी। मैंने आराम से उसके कपड़े खोलने शुरू किए
और टाँगों के बीच सहलाना शुरू किया।
वो शायद इसे सपना समझ रही थी। इसलिए उसने अभी तक कोई हरकत नहीं की थी। मैंने उसकी चूचियों पर दबाव बढ़ाना शुरू किया और चूत सहलाने लगा। अब वो भी गरम हो रही थी। मैंने पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर नंगी चूत पर हाथ फिराया। तो वह एकदम गरम थी और गीली भी।
मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने एक हाथ उसकी ब्रा के अन्दर डाला और चूचियां मसलने लगा और एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दी। जैसे ही उंगली अन्दर गई। वो झट से उठ गई। जिसे वो सपना समझकर मजे ले रही थी। वो उसके साथ हकीकत में हो रहा था।
मीरा घबरा कर खड़ी हो गई। कहा- “राज तुम यह क्या कर रहे थे, मेरे साथ?”
मैं- “मीरा, रोको मत। जब से तुम्हें देखा है, मैं पागल सा हो गया हूँ। तुम मुझे अच्छी लगती हो। मैं तुम्हें कम से कम एक बार प्यार करना चाहता हूँ। मतलब चोदना चाहता हूँ। देखो तुम्हें देखकर क्या हाल हो गया है मेरा...” मैंने अपना लण्ड उसके सामने खोल दिया।
एक बार उसने उसे गौर से देखा। चूत गीली तो हो ही गई थी। चुदने तो आई ही थी। पर फिर भी उसने मना कर दिया- “नहीं, यह गलत है। मैं उस ड्राइवर से प्यार करती हूँ और शादी भी उसी से करना चाहती हूँ। ये सब भी उसी के साथ करूंगी और किसी के साथ नहीं..."
मैं- “मैंने कब मना किया। शौक से करो पर आज तो वह नहीं आएगा। मुझे ही आज अपना दोस्त मान लो और आज तुम मुझसे चुदवा लो, मेरा लण्ड लेकर तुम उसे भूल जाओगी... यह कहकर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया।
मीरा- नहीं यह गलत है। मैं ऐसा नहीं कर सकती, मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती, वो भी मुझे चाहता है।
मुझे लगने लगा कि ये भी खड़े लण्ड पर धोखा दे सकती है। मन तो चुदाने का है, पर नखरे कर रही है। इसलिए मैंने ही आगे बढ़ने की सोची। वो मेरे कमरे में थी इसलिए शोर नहीं मचा सकती थी। वो ही बदनाम होती। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। चूचियां मसलने लगा और चूत सहलाने
लगा।


थोड़ी ही देर में उसकी 'ना' जो थी वो 'हाँ' में बदल गई और वह भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने भी देरी करना सही नहीं समझा और उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैंने उसे चारपाई पर लिटा दिया उसकी चूत तो पहले से ही गीली थी। मैंने उसकी टाँगें कंधे पर रखीं और हाथ उसकी चूचियों पर लगाए। फिर लण्ड का दबाव चूत पर देने लगा। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उसने आज ही साफ किए थे। उसकी चूत बहुत छोटी सी थी।
धीरे-धीरे उसने पूरा लण्ड चूत के अन्दर ले लिया। उसे चुदने की आदत थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। कुछ ही पलों बाद वो चुदाई के पूरे मजे उछल-उछलकर ले रही थी और मैं भी उसे पेले जा रहा था। धकापेल। जमकर चुदाई करने के बाद मैंने सारा रस उसकी चूत में भरा और शान्त होकर उसके बगल में लेट गया।

मैंने पूछा- बोलो मीरा कैसा लगा? मैंने तुम्हारे दोस्त की कमी पूरी की कि नहीं?
मीरा- राज, चुदवाने में मजा दोस्त के साथ करने से भी ज्यादा आया। पर राज हमारे बीच जो कुछ भी हुआ। अन्जाने में हुआ। प्लीज अब कभी मेरे साथ ऐसा मत करना। मैं उससे शादी करना चाहती हूँ। कहीं किसी
को पता चल गया तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।
मैं- “मीरा, तुम चिन्ता मत करो। मैं किसी को नहीं बताऊँगा और कभी तुमसे दुबारा जिद भी नहीं करूंगा। जो मजा रजामंदी से मिलता है, वो कहीं नहीं मिलता। मैं माफी चाहता हूँ कि मैंने तुमसे जिद की। क्योंकी तुम्हें चोदे बिना मुझे चैन नहीं मिलने वाला था। मुझसे चुदवाने के लिए शुक्रिया। तुम इसके लिए निश्चिन्त रहो..”
उसके बाद उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किए। मैं उसे अब भी देखे ही जा रहा था... क्या जिश्म था उसका। पर इस बात की तसल्ली थी कि वो मेरे लण्ड के नीचे आ ही गई थी।
मैंने भी अपने कपड़े पहने और हम दोनों बाहर आकर जीने में बैठ गए।
चुदाई में तो समय का खयाल ही नहीं रहा। थोड़ी देर में उसकी दीदी आ गई और वह अपने कमरे में चली गई। फिर कुछ दिन बाद उसने अपने दोस्त से शादी कर ली और उसके बाद हम कभी नहीं मिले। पर उसका नंगा जिश्म और उसकी वह यादगार चुदाई हमेशा याद रहेगी।

एक ही घर की सब औरतों की चुदाई

अब मैं अपनी नई कहानियां लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियां एक ही परिवार से हैं। इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फेमिली के साथ रहते थे।


उसी में एक कमरा, किचन और बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।
मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल और उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके दो बच्चे थे। एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियां और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी। बड़ी लड़की 26 साल
की थी, जिसकी एक लड़की भी थी। और छोटी 23 साल की थी। जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे, पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। उसके बाद 19 साल का भाई था। और सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।
कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था। उसकी उम्र 30 साल, रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी। क्योंकी उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।
गीता ने अपने जिश्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में। जबरदस्त कसाव था। जब पहली बार मैंने उसे देखा। तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूंगा। वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।
मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था। जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था। वो हल्के से मुश्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी।
उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा। धीरे-धीरे मैंने उससे मजाक करना शुरू किया, जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उसके नाजुक अंगों को छू लेता, तो वो मुश्कुरा देती।
मैं उससे उसकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती। मैं उसे चोदना चाहता हूँ। यह बात शायद वो समझ चुकी थी। पर खुल नहीं रही थी। एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचाकर अपने जेब में रख ली और घर जाकर रात को उसे
याद करके पैन्टी से ही मुठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी? कुछ परेशान दिख रही हो, कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है। जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ। मैं अभी ढूँढ़कर दे सकता हूँ।

भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे। अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ? समझ में ही नहीं आ रहा है।
मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ? बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना। वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका? तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो।
मैंने कहा- भाभी, आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ... जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ। उसपर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो? तुम्हारी गर्ल-फ्रेन्ड नहीं है क्या? उससे अपना काम चलाओ। मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है भाभी, मैं आपको ही अपनी गर्ल-फ्रेन्ड बनाना चाहता हूँ। बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है, पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।
मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई। मैं हमेशा उसी समय जाता था। जब उसका पति घर पर नहीं होता था। एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा कि उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।
भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी। इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो। मैं नहाकर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियां और दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा। वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी। इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी। वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।
मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दें क्या? आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- “ठीक है, एक मिनट रूको..." उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोलकर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं।


मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोलकर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ। मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन और पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा तो वो मना करने लगी।
मैंने झटके से उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई। फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।

अब मैं कहाँ मानने वाला था, चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा, वो गर्म होने लगी। पर बार-बार कह रही थी- “ना ना मत करो..."
मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया। तो वह और गरम हो गई और अजीब सी
आवाजें निकालने लगी। फिर वह मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चूमने लगी, मैं पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा। उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, उन्हें मजा
आने लगा।
वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी। वो बोली- “प्लीज राज, अब मत करो। मैं पागल हो जाऊँगी.”
मैंने उन्हें भी नंगा किया और उनके पूरे शरीर को साबुन के झाग से भर दिया। उन्होंने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया और लण्ड चूसने लगी। मेरा बुरा हाल हो गया था। इसलिए मैंने उन्हें वहीं फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया। मैंने लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा।
वो चिल्ला उठी- “राज... आराम से... आज बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ..”
मैंने उनकी एक ना सुनी और लगातार धक्के लगाने लगा। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगे होने के कारण पूरा कमरा ‘फच्च-फच्च' की आवाज से गूंजने लगा।
वो लगातार चिल्लाए जा रही थी और पूरा मजा भी ले रही थी। थोड़ी ही देर में उसका दर्द कम होने लगा और वो नीचे से चूत उछालने लगी, उसे चुदने में बड़ा मजा आ रहा था, वो चुदते समय बहुत आवाज निकाल रही थी। इसलिए मजा दुगुना आ रहा था। कुछ देर के तूफान के बाद दोनों एक साथ ही अपने चरम पर पहुँच गए और मैंने अपने माल से उसकी चूत भर दी।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी? आपको मजा आया या नहीं?
भाभी- “बहुत मजा आया। मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो। इसीलिए बार-बार मेरे घर के चक्कर लगा रहे हो। मुझे भी एक घर का ही लण्ड चाहिए था। बाहर चुदने में मेरी बदनामी हो सकती थी। अब तुम मुझे रोज चोदना। मैं कब से प्यासी थी। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। मुझे अपने जैसा बच्चा दे दो। मेरे पति की कल से रात की डयूटी है। कल से तुम रात में यहीं सोना...”


मैंने फटाफट उसकी एक बार और चुदाई की और कमरे में वापस आ गया। अगले दिन मैंने मकान-मालिक के बड़े भाई, जो मेरे वाले मकान में ही रहता था, को बता दिया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब है। इसलिए मुझे कुछ दिन रात को उसी के घर में ही रहना पड़ेगा।
अब तो रात होते ही मैं उनके घर चले जाता और पूरी रात उन्हें जमकर चोदता। एक महीने के अन्दर ही वो प्रेग्नेंन्ट हो गई। इस बीच उन्होंने एक-दो बार अपने पति से भी चुदवाया। ताकि उसे शक ना हो। आज उनके घर में मेरे वीर्य से उत्पन्न एक सुन्दर बेटी है। जो पूर्णतः स्वस्थ है। बेटी आने के बाद उनकी अपने पति से भी अच्छी बनने लगी है इसलिए मैंने उनके पास जाना बंद कर दिया।
मेरी वजह से किसी का घर बस गया। मुझे तो बस इस बात की खुशी है।
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#5
दोस्तों, मेरा नाम राज शर्मा है। यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं। उनकी शादीशुदा बड़ी बेटी की चुदाई की है। उसका नाम रश्मि था। उसकी उम्र 26 साल थी। और उसकी एक लड़की भी थी। रश्मि दिखने में बिल्कुल हिरोइन जैसी ही लगती थी।
वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।
मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था। पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।
हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था। तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था। क्योंकी उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।
जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला... तो देखा कि वो टायलेट में पजामा नीचे करके मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था। दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।
मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी। पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी। उसकी नजर शरम से नीचे झुक गई, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।
मैंने उसकी पैन्टी और पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी। यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।


पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका
लीं।
उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था। इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया।
और छत पर उसका इन्तजार करने लगा। वो पास आई तो मैंने उससे बोला- “घबराओ मत... मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा...”
वो बोली- "प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा?”
मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था। इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो' बहुत सुन्दर है। एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी?
वो होंठ चबाते हुए बोली- “तुम्हारा भी तो सुन्दर है...” फिर वह शर्मा कर भाग गई।
अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है। पर उसी रात चुदेगी। यह पता नहीं था। मैं । बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था। ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी
को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।
रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था, जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था। मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया। तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लालीपाप की तरह चूसना चालू कर दिया।
अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया। तो एक झटके में उठ गया। मैं अनजान बनते हुए बोला- “तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो? और ये सब क्या कर रही हो?”
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो। तुम्हें मजा आ रहा है ना?

मैंने कहा- बात मजे की नहीं है.. किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे, मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ। बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।
वो बोली- “साले राज... अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत। सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने । तुम्हारा लण्ड देखा है। तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस। मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ। तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है। अब चोद दो मुझे, देर ना करो...” वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।


जब वो खुद चुदना चाह रही थी। तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया। जिससे उसकी चूचियां नंगी हो गईं, पजामी और पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे और थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई।
जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- “आह्ह... राज अब देर मत करो। इसस्स... चोद डालो मुझे...”
मैंने उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई। धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई। वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर, तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी। अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है तो मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया। थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया।
वो मेरे बगल में ही लेटी रही। फिर वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की। तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था। तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है। जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे। कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही... उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा। उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।

यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई के परिवार की है। जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं। इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है। जिसकी उम्र 23 साल की थी। और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे। पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी। रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी। यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।


रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछातुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है। कुछ परेशानी है क्या उसे?"
वो बोली- “हाँ, वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है। पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है। तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है...”
मैंने बोला- "तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले। तो सास खुश हो जाएगी ना..."
वो नीचे से चूतड़ को उछालकर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- “वो ही तो नहीं हो रहा है ना। ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं, पर कामयाबी नहीं मिल रही है...”
मैंने मजाक में कहा- “एक बार मैं कोशिश कर लँ... शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली। अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले। शायद उसका काम बन जाए.”
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- “तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ? मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोचकर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा। फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?”
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझसे चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो, इसका किसी को पता नहीं चला... तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो, मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो। जोर से चोदो। कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को। तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता। अब डाल भी दो न। फाड़ डालो मेरी चूत को।
मैंने लौड़ा पेलकर उसको चोद दिया। पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की। अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।
वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था। मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने


के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है। आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवाकर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए। ताकि उसे शक ना हो।

फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियां और चूत सहलाई, और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए। ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शर्माए नहीं। इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।
अगले दिन वो वापस चली गई और ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई। वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी। अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबाकर चोदना चाहता
था। जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वहां मार्केटिंग का काम करता था। इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था। इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है। इसका किसी को पता नहीं चलता था। वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुलाकर चोद चुका था। उसके घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी तो, वो भी ‘हाँ बोले। मैं जब । भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूंगा। तो हम फैंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।
मैंने भी 15 दिन की नाइट इयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा। मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त
के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।
वो बाहर ही मिल गई। उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है। उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियां मसलने । लगा। जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- “देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शर्माना। इन 15 दिनों के लिए समझना कि मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुलकर चुदोगी, तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।


वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हैं।
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ, बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ- कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं, वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं। वो भी कभी-कभी।
मैं बोला- तो अब देखो। इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा। बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसीलिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना। मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शर्मा रही थी।
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#6
मैंने उसे गरम करना शुरू किया। अपनी बाँहों में भरकर उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा। जब वो गर्म हो गई, तो मेरा साथ देने लगी। वो नीचे के बाल बनाकर आई थी, चूत बिल्कुल साफ-सुथरी और चिकनी थी, वो पूरी तैयारी के साथ चुदने आई थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों से बार-बार टकरा रहा था। थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई। जैसे ही मैंने उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली, उसकी सिसकारी निकल गई। मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए कहातुम्हें मजा तो आ रहा है ना?”
वो बोली- हाँ, बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही करते रहो।
मैंने थोड़ी देर सहलाने के बाद उसके आगे अपना लण्ड कर दिया फिर मैं बोला- इसे अपने मुँह में लेकर चूसो।
वो बोली- नहीं, मुझे यह अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- अरे यही तो असली चीज है। यह जितना खिला रहेगा। तुम्हें उतना ही मजा देगा। इसी का तो सारा खेल है। तुम उसे चूसकर खुश करो और ये तुम्हें चोद-चोदकर खुश करेगा। चलो, अब जल्दी करो।
वो बोली- नहीं, इसका स्वाद अच्छा नहीं होता है।


मैंने कहा- “बस इतनी सी बात... ये लो अभी इसका स्वाद बदल देता हूँ..” मैंने दोस्त की रसोई से शहद लाकर लण्ड पर अच्छे से चुपड़ दिया और लण्ड उसके मुँह में ढूंस दिया।
पहले उसने लण्ड पर जीभ लगाई फिर पूरा लण्ड मुँह में ले लिया। शहद का स्वाद काम कर गया। वह मजे से मेरे खड़े लौड़े को चूसने लगी।
अब मुझे भी कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें फैलाकर चूत पर लण्ड लगाया
और एक धक्का लगाया। उसकी चूत टाइट थी इसलिए आधे में ही लण्ड फँस गया।
उसकी चीख निकल गई, वो बोली- आहह... आराम से... मार डालोगे क्या? बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, तुम्हारा पति तुम्हें नहीं चोदता क्या?
वो बोली- उनका वो जरा छोटा है। फिर वो जरा सा फुदक कर ही जल्दी खलास हो जाते हैं।
मैंने सोचा आज तो मजा आ जाएगा। साली की शादी के इतने साल बाद भी इतनी टाइट चूत है। मैंने उससे कहा- “कोई बात नहीं। आज मैं तेरी पूरी चूत खोल दूंगा...” फिर मैंने एक बार लण्ड बाहर निकालकर उसकी चूत और अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर पूरी ताकत से धक्का लगाया। साथ में उसके मुँह में हाथ भी रख दिया।
वो चिल्लाने लगी। उसकी आखों से आंसू निकल आए, वो चिल्लाई- “आहह... मरर गई... बाहर निकालो इसे... मुझे नहीं चुदवाना... तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी...”
मैं बोला- “कुछ नहीं होगा। तुम्हारे पति वाला काम भी मुझे ही करना पड़ रहा है। अब दर्द नहीं होगा। थोड़ा सहन कर लो बस..” मैंने उसकी रसीली चूचियां मसलनी शुरू कर दीं और उसे किस करता रहा। जब दर्द थोड़ा कम । हुआ तो मैं हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
सच में रेखा की चूत बहुत टाइट थी इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने। लगी- “आह..आह... नहीं राज, नहीं ओह... ओह... सीईई... आइइइ.."
वो कराहती रही और मैं पलता रहा।
धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी- “आहह... आह... तेज... राज और तेज... चोद दो मुझे... ओह और तेज..”
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी कराहें गूंजने लगीं। मैं बार-बार आसन बदल-बदल कर उसे चोदे जा रहा था। इसी बीच वो दो बार झड़ गई। उसकी हालत बुरी थी। पर मुझे तो बहुत दिनों बाद इतनी टाइट चूत मिली थी। इसलिए मेरा मन नहीं भरा था, बस उसे धकापेल चोदना ही चाहता था। लेकिन आखिर कब तक...

अंत में मैंने उसकी चूत में पिचकारी छोड़ ही दी जिससे उसकी चूत लबालब भर गई। जैसे ही मैंने लण्ड बाहर निकाला उसकी चूत से वीर्य बाहर को बहने लगा।
मैंने उसका दूध मसकते हुए कहा- “कहो मेरे साथ तुम्हारी चुदाई कैसी रही?”
वो हांफते हुए बोली- “तुमने तो मेरी नस-नस ही दुखा दी। आज तक मैं कभी इतनी बुरे तरीके से नहीं चुदी। मेरी चूत की असली चुदाई तो आज ही हुई है...”
मैं बोला- “जानेमन, अब तो तुम्हारी ऐसी चुदाई रोज ही होगी। बस रोज टाइम पर आ जाना...”
मैंने उसे एक बार और चोदा और घर भेज दिया। एक घंटे बाद मैं भी कमरे में आ गया। अब तो यह रोज का नियम हो गया। मैंने उसे सभी तरीके से खूब जमकर चोदा। रोज वीर्य उसी की चूत में भरता था। उसकी गाण्ड
भी मारी।
फिर 15 दिन बाद वो अपने घर वापस चली गई। एक महीने बाद उसने खबर दी कि वो गर्भवती है। उसकी सास
और उसके पति बहुत खुश थे। यहाँ उसके माँ-बाप भी बहुत खुश थे कि बेटी की सुबह की पूजा का फल मिल गया।
वो तो उसे मिलना ही था, उसने 15 दिन मेरे लण्ड की खूब सेवा और पूजा जो की थी। जिसका फल उसकी कोख में था।
ठीक 9 महीने बाद वह एक बेटे की माँ बन गई। उसके बाद मैंने उसे नहीं चोदा। क्योंकी अब मेरी नजर उसकी सबसे छोटी बहन पर थी जो अभी-अभी जवान हुई थी। मैंने उस कली को फूल कैसे बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
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#7
बहुत बढ़िया।
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