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Adultery Hindi sex stories
#1
Index
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#2
मेरा नाम अंजलि अरोड़ा है.. मैं एक शादीशुदा महिला हूँ। मेरी उम्र 32 साल.. रंग दूध सा गोरा.. मदमस्त फिगर 35-28-38 की है और मैं एक अति चुदासी माल हूँ।
मेरी बड़ी वाली ननद का एक छोटा लड़का निशांत है.. जो कि अभी पाँच साल का हुआ है, हमारे घर रहने आया हुआ था।
अचानक मेरे पति को जरूरी काम से देहरादून जाना पड़ा।
तो मैं बोली- मैं भी चलती हूँ.. देहरादून और मसूरी घूम लेंगे।
मेरे पति बोले- अरे मुझे बहुत ज़रूरी काम है वहाँ, जब तक मैं दो-तीन दिन में अपना काम कर लूंगा.. तब तुम देहरादून आ जाना.. फिर वहीं एंजाय करेंगे।
मैं बोली- निशांत भी तो है, यह भी साथ आएगा।
तो बोले- हाँ हाँ.. बिल्कुल..
अगले दिन सुबह मेरे पति निकल गए और पहुँच कर मुझे फोन किया- तुम दो दिन बाद आ जाना.. दो दिन में मैं काम निपटा लूँगा।
मैं बोली- ओके.. वैसे आना कहाँ है.. किस होटल में?
तो बोले- तुम स्टेशन पर उतरोगी.. तो बता देना.. मैं आ जाऊँगा.. ओके..
मुझे रात को ग्यारह बजे वाली ट्रेन मसूरी एक्सप्रेस में ही स्लीपर का आरक्षण मिला।
दो दिन पति से बिना चुदे मेरी चूत लन्ड खाने के लिए मचलने लगी थी, फ़ुदक रही थी तो मैं रात को ग्यारह बजे वाली ट्रेन से देहरादून के लिए चल दी। बोगी में काफी सीटें खाली थी तो मैं और निशांत में आराम से बैठ गए। मेरा सोने का मन हुआ तो मैं लेट कर सो गई और निशांत भी सो गया।
फिर ट्रेन शायद मेरठ रुकी, एक यात्री चढ़ा.. मेरे पास आकर बोला- यह मेरी सीट है…
मैं बोली- आप आगे बैठ जाओ न.. बोगी खाली तो ही है।
तो वो मेरे बिल्कुल आगे वाली सीट पर लंबा लेट गया। हम दोनों आमने-सामने ऐसे लेटे थे कि एक-दूसरे को आराम से देख सकते थे।
खैर.. थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने टाइम देखा.. तो मैं मोबाइल में नेट चलाने लगी। मैं थोड़ा कंफर्ट के लिए अपने मम्मों के बल लेटी थी। मैंने वैसे भी बस नॉर्मल टी-शर्ट और लोवर पहन रखा था, अन्दर कुछ भी नहीं था।
मेरी नज़र सामने गई तो वो आदमी भी मोबाइल चला रहा था और कुछ पॉर्न साइट चला रहा था। इसी के साथ-साथ अपने लौड़े को ऊपर से सहला रहा था, उसने भी टी-शर्ट और लोवर ही पहन रखा था।
मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसका लंड टनटनाने लगा.. मुझे अजीब सा लगने लगा। वो ईअर फोन लगा कर ब्लू-फिल्म देख रहा था। मैं भी वही देखने लगी। थोड़ी देर बाद मुझे अजीब सा लगने लगा। मैंने भी हल्के से अपने लोवर में हाथ डाल कर चूत को देखा.. तो गीला सा लगा। मैंने सोचा छोड़ो.. ध्यान ही मत दो।
अब तो मैं ऐसे ही मोबाइल में फेसबुक यूज करने लगी।
अब थोड़ी देर बाद मेरी नज़र उसकी तरफ गई और देखा कि वो आदमी लंड को लोवर में से हिला रहा था।
अब मुझे अजीब लगा और मैं भी उसके फोन में ब्लू-फिल्म देखने लगी।
जब ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो उस आदमी ने कहा- अब एक घंटा यहाँ ट्रेन रुकेगी..
मैंने निशांत को यह सोच कर उठाया कि इसे सू-सू करवा दूँ और खुद भी कर लूँ क्योंकि चलती गाड़ी में मुझे डर लगता है…
मैंने निशांत को गोदी में उठाया और टॉयलेट ले गई।
वहाँ मैं उसे टॉयलेट करवाने लगी.. तो वो रोने लगा.. तो मैं उसके साथ ही अन्दर चली गई।
तभी मेरी नज़र सामने वाले टॉयलेट में ब्लू-फिल्म देखने वाले आदमी के लंड पर गई, वो आधे खुले दरवाजे से खड़े होकर लंड को बिना हाथ लगाए मूत रहा था।
उसका खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में मानो आग ही लग गई, उसका लंड क्या मस्त मोटा था… कम से कम 6 इंच का तो होगा ही.. साथ मोटा भी इतना था कि हाथ में भी ना आए, वो मुँह को ऊपर करके मूत रहा था।
मेरी नज़र उसके लौड़े से हटी ही नहीं.. उसने भी अभी तक मेरी तरफ नहीं देखा था.. वो मूतते हुए लंड हिलाने लगा.. उसने लौड़े की चमड़ी को पीछे भी किया.. तो उसका सुपारा देखा.. सुर्ख लाल टमाटर जैसा था, मेरा मन तो हुआ मेरा वहीं चूस लूँ।
फिर उसने मुझे देखा और मुझे बाद में पता चला.. जब मेरी आँख उससे मिली.. तो वो मुझे देख कर अपनी बेल्ट खोलकर पूरा लंड दिखाने लगा। मैं देखती रही.. वो उसे और हिलाने लगा।
मेरी आँख उससे मिली तो उसने मुझे आँख मार दी।
मेरी तो हालत खराब होने लगी। मैंने निशांत की ज़िप बंद की.. उसे गोदी में उठाया और चलती बनी।
फिर मैं करने गई.. मैंने निशांत को उस आदमी के पास छोड़ दिया।
मैंने पेशाब करने के बाद अपनी चूत में उंगली डाली और मेरा मन भी उंगली करने का हुआ तो मैंने उसका लंड समझ कर उंगली घुसा-घुसा चूत की खाज कम करने लगी।
थोड़ी देर बाद चूत की आग भड़क गई.. लेकिन मैं वहाँ से आ ही गई।
अब मैं अपनी बर्थ पर आ गई.. फिर वो आदमी ट्रेन से उतर कर गया और कुछ खाने को लाया।
वो मुझे देने लगा.. मैंने मना कर दिया.. तो बोला- ये आपका बेटा है??
मैं बोली- नहीं.. मेरी ननद का लड़का है।
बोला- आप शादीशुदा हो?
मैं बोली- हाँ..
तो बोला- आप बहुत सुंदर हो।
मैं बोली- थैंक्स।
‘क्या नाम है आपका?’
‘अंजलि!’
फिर हम बातें करने लगे.. वो भी देहरादून ही कुछ काम से जा रहा था। उसकी उम्र 35 साल थी। वो भी शादीशुदा था। उसका रंग सांवला था.. उसने मूँछ रख रखी थी।
खैर.. ट्रेन चल दी.. मैं फिर वैसे ही लेट गई और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा। मैं भी देखने लगी और साथ ही मैं नीचे से अपनी चूत को खुजाने लगी। अचानक मैं सीधी होकर लोवर नीचे करके हल्का सा उंगली घुसड़ने लगी कि मेरी नज़र उस आदमी पर गई। वो बैठा था और अपना लोवर उतार कर लौड़े को सहलाते हुए मुझे देख रहा था।
मैं तो पानी-पानी हो गई और चुपचाप लेट गई।
तो वो मेरे पास को आया और बोला- उंगली की क्या ज़रूरत है.. मैं हूँ न..
मैं बोली- पागल हो.. मेरे उधर कीड़ा घुस गया था।
बोला- हाँ दस मिनट से देख रहा हूँ.. कीड़ा ज्यादा खुजली कर रहा है..
उसने अपना एक हाथ तुरंत अपने लौड़े की तरफ किया.. जो फुल खड़ा था। मेरा मन हुआ कि साले को पकड़ लूँ और घुसड़वा लूँ चूत में.. मगर फिर लगा कि नहीं बस में नहीं यार..
वो बोला- बताओ अंजलि जी.. कैसा लगा आपको वो टॉयलेट वाला सीन?
मैं भी बोल पड़ी- अच्छा था।
तो बोला- फिर से देखोगी।
मैंने कुछ नहीं कहा तो उसने अपना लोवर उतार दिया और लंड मेरे मुँह के बिल्कुल सामने था।
मैं बोली- यह मोटा बहुत है।
वो बोला- वैसे हो तुम बिंदास यार..
वो मेरे करीब अपना मुँह ले आया.. मैं लेटी हुई ही थी और उसके लंड से मेरी कोहनी टकरा रही थी। मैंने अपनी आँखें बंद की.. और उसने किस कर दिया।
अचानक उसमें इतनी गर्मी आ गई.. वो बिल्कुल मेरे ऊपर चढ़ गया और लंड को चूत में लोवर में से ही घुसड़ने लगा।
अब मेरा लोवर उतारा.. मुझे लगा कि यार अभी तो सिर्फ चूमा-चाटी ही करेगा ज्यादा से ज्यादा लंड चूस लूँगी इसका.. मगर वो इतना गरम हो गया था कि लंड को चूत में घुसाकर ही माना। वो भी एक ही धक्के में।
मेरी चीख निकलते-निकलते ही रह गई थी कि उसने मेरे मुँह को हाथ से बंद कर दिया और मुझे साँस भी नहीं लेने दी। फिर साला चोदने भी लगा। जैसे-तैसे मैंने अपने मुँह से उसका हाथ हटाया और एक गहरी साँस ली और उसको रोका।
वो साला ठोकू कहाँ रुकने वाला था। अब मेरी डर की सीमा पार होने लगी कि ट्रेन में दूसरी सवारियों को पता चल गया तो क्या होगा।
खैर.. उसने मुझे वहीं धकाधक चोदा और मेरी चूत में ही झड़ गया। मगर मैं तो अभी गरम हुई थी। खैर.. मेरी प्यास ने मुझे तुरंत उठाया और उसका लंड मैंने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
अब तो वो पागल हो गया और बोला- तू तो रंडी की तरह चूसती है।
मैं बोली- नहीं.. मैं उससे भी मस्त चूसती हूँ।
अब उसने मेरे टी-शर्ट उठा दी और मेरे मस्त रसीले मम्मों देख कर पागल हो गया। वो उन्हें ऐसे भींचने लगा कि मेरे दूध लाल कर दिए।
अब उसका फिर से खड़ा हो गया और अब हम फिर से चुदाई करने लगे। अब मैं भी तेज़-तेज़ चूत को चुदवाने लगी। मैं चिल्लाना चाहती थी.. मगर नहीं चिल्ला पा रही थी। बस हल्की-हल्की सिसकारियां ले रही थी।
फिर अचानक उसने मुझे सीट से उठाया।
मैं बोली- नहीं, क्या कर रहे हो?
तो बोला- अरे चुप हो जा.. तू सीट पर घोड़ी बन जा।
मैंने वैसे ही किया और उसने पीछे से मेरी गाण्ड को पकड़ते हुए क्या मस्त चोदना शुरू किया.. आह्ह.. मैं उस आनन्द को बता नहीं सकती। मैं तो अधनंगी पड़ी थी। साला खूब मजे ले रहा था.. और मैं भी रगड़वा रही थी।
पीछे से भी धक्के लगवा-लगवा कर अपनी गाण्ड को हिलाते हुए उसका लौड़ा घुसवा रही थी। उसने भी मुझे बहुत तेज़ चोदना स्टार्ट कर दिया। मुझे हर धक्के में ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत में इसका लंड नहीं.. मोटा सरिया घुसा हो।
अब उसने और 10 मिनट चोदते-चोदते अपना माल मेरी चूत में ही झाड़ दिया और अब मैं भी झड़ गई थी।
फिर मैंने झट से टी-शर्ट लोवर ठीक किया और उसने भी अपने कपड़े और वो मेरे ऊपर लेटा रहा.. और मेरे मम्मों से खेलने लगा।
देहरादून आते-आते उसने मुझे दो बार ठोका.. मगर गाण्ड नहीं मारी। उसे गाण्ड मारना पसंद ही नहीं था।
खैर.. सुबह आठ बजे के करीब देहरादून आते ही मैंने पति को फोन कर दिया था। वो मुझे लेने वहाँ से आ गए… और हम लोग होटल पहुँच गए।
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.Wow nice story.
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#6
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#7
दिन शनिवार का था तो जल्दी छुट्टी हो गयी. मैं और देवी घर आ गए. हमने साथ ही खाना खाया और मैं बाहर थोड़ा टहलते हुए सामने वाले पान दुकान चला गया. मैं पान वाले से बात कर ही रहा था कि तभी पीछे एक बाइक रुकी. मैंने देखा कि बाइक पर मेरे सहकर्मी शंकर झा जी और उनकी पड़ोसन कौशल्या जी थीं.
फिर वो भी दुकान पर आ कर पान खाने लगे. उन्होंने मुझे देखा तो बात शुरू कर दी.
शंकर जी- सर नमस्कार.
मैं- नमस्कार नमस्कार झा जी … और कहां घूम रहे है मैडम को लेकर, प्रणाम भाभी जी कैसी हैं?
थोड़ा मस्ती मिजाज में जैसे कौशल्या जी उनकी पत्नी हों!
कौशल्या जी- मैं तो ठीक हूँ सर … हम लोग ऑफिस के बाद सिनेमा देखने गए थे, आप कैसे हैं और कभी देविका मैडम को भी सिनमा वगैरह देखा दिया कीजिएगा.
यह सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया. क्योंकि देविका और मेरे सम्बन्धों के बारे में सिर्फ शंकर जानता था, साले ने जरूर इसे बता दिया होगा.
मैंने थोड़े लड़खड़ाए शब्दों में शंकर से कहा- झा जी, थोड़ा मिलियेगा शाम को … आपको किसी से मिलवाना है.
कौशल्या- सब बहाने जानती हूँ सर, आप लोगों की महफ़िल शाम को जमती है, चलो अच्छा है पीने के बाद तो ये और भी रोमांटिक हो जाते हैं.
शंकर जी- क्या कौशल्या … कुछ भी बोलती हो, ठीक है सर मैं शाम को आपके घर आता हूँ.
वो दोनों वहां से चले गए, ये सारी बातें पान दुकान वाला राजू मुँह खोल कर सुन रहा था. वो मुझसे पूछने लगा- सर, ये शंकर सर की पत्नी तो कब का स्वर्ग सिधार गई थीं. फिर आपने उस औरत को उनकी मैडम क्यों कहा?
इस बात पर मैंने उससे कहा- देख भाई राजू, हमारी बातें तेरे पल्ले ना आएंगी और अधिक जानकारी चाहिये तो अन्तर्वासना की साईट में जाकर मेरी एक रचना है
मेरी मस्त पड़ोसन की चाय और गर्म चूत
उसे पढ़ ले, तुझे सब पता चल जाएगा.
इतना कह कर मैं घर चला गया. कुछ समय बाद शाम हो गई, मैं भी बैठकी में जाने को रेडी हो रहा था. तभी झा जी मेरे घर आ पहुंचे. उन्होंने खिड़की के पास से अपनी बाइक का हॉर्न बजाया. मैं खिड़की में ही था, देवी मेरे रूम में ही थी.
मैंने उसे खिड़की के पास को खींचा, उसकी कमर में हाथ डाला, उसे बांहों में लिया और जबरदस्त किस कर दिया.
ये मैंने जानबूझ कर शंकर को दिखाने के लिए किया था. वो भी साला अपनी नजर नहीं हटा रहा था. फिर मैं देवी को छोड़ कर उसकी बाइक पर बैठ कर चल दिया. मैंने उसे पान की दुकान के पास रुकने को कहा.
शंकर जी- सर आपने बोला था, किसी से मिलवाऊंगा … कहां है वो?
मैं- आता ही होगा, लो वो आ गया.
तभी सामने से मदन अपनी कार से उतरता हुआ दिखाई दे गया.
मदन- हैलो गुड इवनिंग सर … कैसे हैं?
मैंने इशारा किया कि ये शंकर झा जी हैं.
मदन- नमस्कार शंकर सर, सर ने आपके बारे में बताया था. मेरी कल्पना से आप ज्यादा सुन्दर और मोटे तगड़े हो, नाइस टू मीट यू सर.
शंकर जी- हैलो बेटा सेम हियर, मुझे लगा आप कोई हमारी उम्र के आदमी होंगे. चलो अच्छी बात है … वैसे तो प्रधान सर मुझसे सारी बातें बांटते हैं, पर आपसे खासकर के मिलवाना चाहते थे. चलो कहीं बैठ कर बातें करते हैं.
इस बीच राजू पान वाला फिर अपना माथा खुजाने लगा. वो मुझसे पूछने लगा- सर आप मदन से इतने घुल मिल कैसे गए?
तो मैंने कहा- तू ज्यादा दिमाग मत लगाया कर … और मैंने कहा था न कि अन्तर्वासना पढ़. उधर मेरी और एक कहानी आई है … तेरी सारी गुत्थी सुलझ जाएगी.
फिर हम लोग ने बाइक पान दुकान के पास लगाई और उसकी गाड़ी में बैठ कर बार पहुंच गए. हमने कोने वाली सीट पकड़ ली और बैठ गए. मदन ने हमारे लिए ड्रिंक मंगवाई और हमने पीना शुरू किया. दो तीन पैग के बाद मदन मेरी जांघ में आकर बैठ गया और बड़े प्यार से मुझे अपने हाथों से जाम पिलाते हुए नमकीन खिला रहा था.
ये सब देख कर झा जी को जोर का झटका लगा और वो तुरन्त उठ कर वॉशरूम चले गए. उधर उन्होंने अपने चेहरे पर पानी मारा और गीले मुँह ही वापस आ गए. उसे लगा था कि शायद उसे चढ़ गयी थी, लेकिन ऐसा ना था.
फिर झा जी ने मुझे थोड़ा साइड में आने को कहा- ये क्या है सर? वो लड़का कैसी हरकत कर रहा है और आप भी मजे ले रहे हैं … कोई देख लेगा तो क्या बोलेगा सर?
मैं- कोई नहीं देखेगा … मैं इस लड़के के साथ हफ्ते में 3-4 दिन यहां आता हूँ. काफी मस्त मिजाज का लौंडा है, खर्चा भी करता है और गांड भी मरवाता है. तुम भी मजे लो, एक बार कोशिश तो करो, इसकी गांड मारने में बहुत मजा आएगा झा जी.
शंकर जी- नहीं बाबा … ये गांड का छेद आपको ही मुबारक, मुझे इन सब चक्करों में नहीं फंसना है.
मैं- अरे परेशान मत हो आप, रुको व्हाट्सऐप में कुछ भेजता हूँ, जरा उसे देखना … फिर बताना.
मैंने कुछ गे सेक्स की वीडियो झा जी को भेज दिए और उनसे कहा- अभी बाथरूम में जाकर इन्हें देखो.
मैंने जबरन शंकर जी को बाथरूम भेज दिया और मैं अपनी टेबल पर आ गया.
कुछ देर बाद झा जी भी पसीने से लथपथ चले आ रहे थे. लगता था वो वीडियो उनको कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर गए थे.
मदन- सब ठीक है ना शंकर सर, ओ हो आपको तो बहुत गर्मी लग रही है … लाइए मैं आपका कोट उतार देता हूँ.
उनका कोट उतारने के बहाने मदन ने शंकर से मस्ती चालू कर दी. धीरे से उनके गालों पर हाथ फेरा और चिपक कर उनके बगल में बैठ गया.
अब झा जी मदन से मजे लेने लगे. मदन ने हम दोनों की खूब खातिर की. दारू पीते पीते काफी देर हो गयी थी. इस बीच मदन की मां का फ़ोन आया था, तो उसने फोन मुझे पकड़ा दिया और बोला- आप मेरी मम्मी को कुछ बहाना मार दीजिये, जैसे की आज आपके बेटे की बर्थडे पार्टी है, तो मैं आपके यहां रुकूँगा.
मैंने फोन उठाया तो मदन की मां बिना रुके बोलने लगीं- हैलो मदन बेटा जरा घर आ जा … वो आज मैं अपने दोस्त के यहां गयी थी ना किटी पार्टी में … मैंने अपना पर्स वहीं छोड़ दिया, जिसमें घर की दूसरी चाभी भी थी. तू जरा जल्दी आ जा, मैं दरवाजे पे खड़ी हूँ.
फिर मैंने कहा- अरे भाभी जी मैं मदन के दोस्त का पापा बोल रहा हूँ … मदन आज यहां रुकने वाला था. वो आज मेरे बेटे का बर्थडे था ना … तो एक छोटी सी पार्टी थी. उसका मोबाइल मेरे कमरे में चार्ज पे लगा है, रुकिए, मैं उसे बोल देता हूँ.
मदन इस हालत में नहीं था कि वो घर जा सके. हमारा पीने का कोटा भी पूरा हो गया था. हमने बिल पेमेंट की और वह से निकल गए. वहां से गाड़ी सीधा राजू के पान दुकान में रुकी, मदन ने कुछ ज्यादा ही पी ली थी, तो मैंने झा जी से कहा आप दोनों मेरे घर जाइए. मुझे बाइक दीजिये. मैं मदन की घर की चाभी देकर अभी आता हूँ. मैंने बाइक स्टार्ट की और मदन के घर चला गया. वो दोनों भी मेरे घर चले गए.
फिर मैं मदन के घर पहुंचा, देखा कि मदन की मां दरवाजे पे उसका इंतजार कर रही थीं. वो लाल रंग की साड़ी में एक भरी पूरी, गोरी चिट्टी औरत … एकदम कमसिन माल लग रही थी. उसकी फिगर बड़ी ही कामुक थी. मैं उनके पास गया और बहुत सभ्य तरीके से उनसे बात की.
मैं- हैलो मेम, मैं मदन के दोस्त का पापा हूँ, वो आपके घर की चाभी लाया था.
मदन की मां- अरे आपने इतनी रात को तकलीफ क्यों की … मदन को बोल देते.
मैं- तकलीफ कैसी, वो बच्चे पार्टी एन्जॉय कर रहे थे, तो मैं उनका मजा किरकिरा करना नहीं चाहता था और चलो इसी बहाने आपसे मुलाकात भी हो गई, वरना तो अक्सर फोन पर ही बात होती थी, अच्छा मैं चलता हूँ.
मदन की मां- अरे पहली बार आप आए हैं, घर के अन्दर तो आइए … वरना मदन को अच्छा नहीं लगेगा कि मैंने अंकल को बाहर से ही भेज दिया.
जब मदन की मां मुझसे बात कर रही थीं तो, उनकी सांसों से साफ शराब की महक आ रही थी, शायद उन्होंने अपनी पार्टी में पी हो.
खैर जो भी … मैं घर के अन्दर चला गया. उन्होंने मुझे बैठने को कहा और एक नशीली आवाज में पूछा- क्या लेना पसंद करंगे?
मैं थोड़ा चौंक गया और कहा- बस एक ग्लास पानी.
उन्होंने हंसते हुए कहा- बस पानी?
वो गांड मटकाते हुए अन्दर चली गईं, उनका मस्त फिगर देख कर तो जी मचल रहा था, मन कर रहा था कि पकड़ कर गोद में बिठा लूँ.
फिर वो 2 ग्लास और एक वाइन की बोतल ले कर आ गईं.
मदन की मां- अगर आप बुरा ना माने तो एक एक जाम हो जाए, वैसे भी इतनी दूर बाइक से आते आते आपकी तो उतर भी गई होगी.
मैं- अरे वाह आप भी ड्रिंक करती हो … वो क्या है ना … मैंने कभी किसी महिला के साथ ड्रिंक नहीं किया, तो थोड़ा अजीब लगेगा … वैसे मदन के पापा घर कब तक आएंगे?
मदन की मां ने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा- वो ज्यादातर घर से बाहर ही होते हैं … अपनी बिज़नेस ट्रिप पर … उनको बस पैसों से प्यार है. खैर उनकी बात छोड़िये … आप बताइये आप कैसे हैं … और घर में सब कैसे हैं. आपको देख कर लगता ही है, सब खुशहाल ही होगा, अपनी पत्नी का ध्यान तो आप बहुत अच्छे से रखते ही होंगे.
मैं तो था ही नशे की हालत में, थोड़ा उटपटांग बोल गया- पत्नी क्या … मैं तो अपनी सहकर्मी (देवी) को भी बहुत खुश रखता हूँ भाभी जी, कभी आप भी मौका दीजिये सेवा का.
यह सुनकर वो भी थोड़ा मुस्कुरा कर बोलीं- हां क्यों नहीं … आपका हमेशा स्वागत है, अब से अगर किसी चीज की जरूरत पड़ी ना … तो मैं सीधे आपको बोलूँगी.
यह कह कर उन्होंने मेरा हाथ जोर से दबा दिया. मैंने भी हंसते हुए उनका हाथ पकड़ लिया- लगता है भईया जी, पैसे कमाने के चक्कर में अपने घर का खजाना लुटा देंगे … आप इतनी खूबसूरत हो भाभी जी, कौन मर्द भला, घर से बाहर रह सकता है.
मदन की मां थोड़ा मायूस हो कर बोलीं- मर्द … और वो …! काश उनकी सोच भी आप जैसी होती.
मैं- अरे मायूस क्यों होती हैं आप … चलिए इसी बात पर एक एक जाम और हो जाए.
मदन की मां- हां क्यों नहीं.
उन्होंने हम दोनों के लिये एक एक पैग और बनाया. मैं उनको बहुत बुरी नजर से ताड़ रहा था, उनके पूरे जिस्म का मुआयना कर रहा था. बड़ी बड़ी गोल चुचियां, कोमल बदन, ऊपर से लाल साड़ी आहह …
वो भी जानबूझ कर अपना पल्लू सरका कर जाम बना रही थीं. उनको भी मेरी आंखों की अश्लीलता साफ दिख रही थी.
उनकी छोड़ दूँ तो मेरा शेरू तो पूरे उफान में आ गया था. मानो पिंजड़ा तोड़ कर अभी गुफा में घुसने को मचल रहा था. मेरा लंड पूरा तन के तंबूरा हो गया था. बड़ी मुश्किल से मैंने उसे दबाए रखा था.
फिर मैंने उनसे कहा- बुरा ना मानें आप तो एक बात पूछूँ? कम से कम आप लोगों को सरकार की बात माननी चाहिए.
मदन की मां- मैं कुछ समझी नहीं, थोड़ा अच्छे से बताओ ना?
मैं- कम से कम हम दो, हमारे दो होने चाहिए, इससे परिवार थोड़ा भरा पूरा लगता है.
इन सब बातों के बीच शराब चलती रही. वो मुझे पैग पर पैग बना कर दे रही थीं. मैं भी मजे में पीये जा रहा था और पूरी बोतल खत्म हो गई. फिर मैंने उनसे जाने की अनुमति मांगी और उठ कर जाने लगा, लेकिन में ठीक से चल भी नहीं पा रहा था.
उन्होंने मुझे पकड़ कर सहारा दिया. मेरा एक हाथ उनके कन्धे से होता हुआ उनकी चूची को छूने लगा था. मैं भी जानबूझ कर उंगली से उनकी निप्पल सहला रहा था.
फिर उन्होंने मुझे सोफे पे बिठा दिया और कहा- आज आप यहीं रुक जाइये, कल चले जाइएगा.
उन्होंने मुझे लेट जाने को कहा और मेरे जूते मोज़े उतार दिए. लाइट ऑफ की और अपने कमरे चली गईं. भाभी जी ने अपनी साड़ी चेंज की और एक पतली सी नाइटी में आ गईं. वे एक कंबल ले कर मुझे ढकने लगीं.
मैं भी नशे में था, मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा- अरे मेरी प्यारी बीवी, एक गुड नाईट किस तो दो.
यह कह कर मैंने जबरदस्ती उन्हें अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा.
मैं इस वक्त नशे में उसे देविका समझ बैठा … और उसकी दोनों चुचियों को अपनी छाती से रगड़ने लगा. वो भी वक़्त के मजे लेने लगी और मेरा साथ देने लगी.
मैं उसे पूरा मसल मसल कर किस कर रहा था. पूरा कमरा अँधेरे से भरा था. मैंने उन्हें घुमा कर अपने नीचे किया और अपनी शर्ट के बटन खोल दिए. साथ ही उनकी नाइट कंधे से उतार कर नीचे कर दी और उनकी चुचियों को दबाने लगा. अपने दोनों हाथों से मसल मसल कर उनका दूध पीने लगा. वो भी पूरा गरम और उत्तेजित हो गई थीं और जोर जोर से सीत्कार भरने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी शर्ट, पैन्ट, कच्छा सब उतार कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को पकड़ हिलाने लगीं. भाभी जी भी अपनी नाइटी के ऊपर से ही मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़ने लगीं, मानो वे आग्रह कर रही हों कि अब लंड घुसा दो.
मैंने भी उनकी नाइटी पूरी तरह से उतार दी. लंड को उनकी चूत पर थोड़ा इधर उधर घुमा कर चूत का मुआयना किया. उनकी चूत के छेद पर अपना सुपारा टिकाया, उनकी कमर पकड़ी और जोर का एक धक्का दे मारा. पचाक से मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अन्दर पिल गया.
वो भी जोर से चीख पड़ीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई.
ऐसा लगा मानो उन्होंने पहली बार लंड लिया हो.
फिर मैंने उन्हें अपनी बांहों में कसा, उनके होंठों से होंठ मिलाए और चुदाई चालू कर दी. किसी नयी औरत का बांहों में होना एक नया सा चुदाई का अहसास होता है. एक नयी चूत में लंड की वो रगड़, बहुत आनन्द देती है.
सुनसान अँधेरे कमरे में चुदाई की वो मधुर आवाज घप घप घप और उसकी दर्द भरी सिसकारियां ‘अह अह अह हम्म ह्म्म्म.’ सच में बहुत मजा आ रहा था.
फिर मैंने चुदाई तेज कर दी, अब वो भी जोर जोर से चीखने लगीं ‘आह आह आह … मजा आ गया …’
कुछ दस मिनट बाद वो झड़ गईं, उनकी चूत के पानी से मुझे और चिकनाई मिल गयी. मैं उनकी चुचियां चूस चूस कर और तेज चुदाई करने लगा. मदन की मां से मेरा लंड अब लिया नहीं जा रहा था. एक तो मैं इतना मोटा, ऊपर से मेरी हवस … मैंने बहुत बेदर्दी से उनकी चुदाई जारी रखी.
अब वो दर्द से कहने लगीं- रुकिए रुकिए … जलन हो रही है.
पर मैं कहां रुकने वाला था.
फिर मैंने उन्हें उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया, दोनों हाथों से उनकी कमर जोर से जकड़ कर उनको ऊपर नीचे करने लगा. उनकी चुचियां मेरे ठीक चेहरे से टकरा रही थीं. वो मेरी गोद में बैठीं, दर्द से छटपटा रही थीं और मैं वासना के चरम शिखर पर था. मैं उनकी चुचियों को जम के चूस रहा था, बच्चों की तरह उनका दूध पी रहा था.
वो समझ गयी थीं कि अब ये चुदाई, उनकी चूत का कुंआ मेरे मोटे लंड के पानी से भरने के बाद ही रुकेगी. वो भी अब मेरा साथ लंड में कूद कूद कर दे रही थीं. कुछ 50-55 जबरदस्त शॉट के बाद मेरा गरम गरम माल उनकी चूत में गिरने लगा.
हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर लुढ़क गए और कब नींद लगी कुछ होश ही नहीं था.
सुबह हुई, तो मदन की मां मुझे उठा कर चाय देने आईं. मैंने देखा कि मैंने पैंट और शर्ट पहन रखी थी. फिर मुझे लगा कल रात जो हुआ शायद वो मेरा सपना था.
हम दोनों चाय की चुस्कियाँ लेकर बात करने लगे. मैंने उन्हें अपना नाम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में बताया, उन्होंने भी अपना नाम मोहिनी घोष बताया. वो एक घरेलू महिला हैं. कुछ ऐसी ही बातें हुईं.
फिर मैंने उनसे जाने की अनुमति मांगी, तो उन्होंने भी थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा- प्रधान जी, आप पक्का चल पाएंगे ना, कहीं मुझे फिर से आपको कंधे का सहारा ना देना पड़े.
यह सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया, मैं समझ गया कि कल रात वो मेरा सपना नहीं हकीकत था. मैंने तुरंत उनसे माफ़ी मांगी.
मैंने कहा- मोहिनी जी, कल रात हमारे बीच जो भी हुआ, उसके लिए मुझे माफ़ कर दीजिये, मैं कल बहुत नशे में था, पता नहीं क्या हो गया था, अपने आप पर काबू नहीं कर पाया.
तो उन्होंने भी सहानुभूति पूर्वक कहा- अब जो हो गया सो हो गया … आपकी तरह मैं भी आपने आप पर काबू नहीं कर पाई. आशा करती हूँ कि यह बात हमारे बीच तक ही सीमित रहेगी. वैसे एक बात बोलूँ, आप हो बहुत बेदर्द इंसान, लेकिन आपकी ये बेदर्दी और नशे से भरा जोश मुझे बहुत पसंद आया.
यह सुनकर मैंने उनका हाथ पकड़ झट से उन्हें खींच कर अपनी बांहों के आगोश में लिया और कहा- मोहिनी जी, कल जो हुआ वो तो एक इत्तेफाक था, मैं बहुत ज्यादा ही नशे में था, कभी होश में मेरे जोश का सामना कीजियेगा, फिर पता चलेगा किसी असली मर्द से चुदवाने का सुख क्या होता है.
फिर हम दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर लिया, मैंने उन्हें एक सेक्सी गुड बाय किस किया और घर के लिए रवाना हो गया.
घर पहुंचा तो पाया दरवाजे में अन्दर से कोई लॉक नहीं लगा था, मैं बैडरूम में गया तो देखा कि शंकर जी और मदन दोनों नंगे एक दूसरे से लिपट कर मस्त सोए हुए थे. मैं समझ गया इन दोनों के बीच भी कल रात खूब गांड चोदम चुदाई हुई है.
मैंने दोनों को उठाया तो दोनों चौंक गए. मदन फ्रेश होने वाशरूम में चला गया.
मैंने शंकर जी से पूछा- और कैसी गई रात झा जी?
शंकर जी- बहुत मजा आया सर, ये लड़का कमाल का है, गांड मारने का मजा ही कुछ और होता है, ऊपर से उसने क्या मस्त बॉडी की मालिश की, आ हाहाहा … मजा आ गया.
मैं- अच्छा.
झा- वो सब तो ठीक है … आप रात में घर कितने बजे आये?
इस पर मैंने भी सरलता से झूठा जवाब दे दिया. मैं कल रात को जब आया था तब तुम दोनों अपने पूरे शवाब में थे.
बात खत्म हो गई
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