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रंगीले चाचा जी
#1
हेलो दोस्तो, मैं आपकी प्यारी सेक्सी हॉट कोमलप्रीत  भाबी आपकी सेवा मे हाजिर हूँ,,, आप जानते ही हो की मेरी फिगर के सब दीवाने हैं और मेरी जवानी और हुस्न पर तो सब मरते हैं. मेरी 38 की बड़ी सी गांड, 28 की पतली कमर और 36 के बूब्स सब को मदमस्त कर देते हैं. मेरे पती आर्मी में हैं और मैं अपने सास ससुर के साथ जालंधर (पंजाब) के पास एक गाँव में रहती हूँ. 

कुछ दिन पहले की बात है की मैं दुपेहर को अपने कमरे में मोबाइल पर अपने दोस्तों के साथ चैट कर रही थी, तभी मेरे फोन की बैटरी लो हो गयी.. जब मैं अपने मोबाइल को चार्ज करने लगी तो मुझे याद आया की मोबाइल का चारजर तो सुबह हमारे पड़ोस में रहते चाचा जी (मेरे पती के चाचा) लेकर गये थे. इस लिए मैनें सोचा की अभी उनसे चारजर ले आती हूँ. हमारे मकान एक साथ जुड़े हुए हैं, इस लिए मैनें सोचा की छत के उपर से होकर सीडीयों के रास्ते चली जाती हूँ. क्योंकि अक्सर चाचा जी की सीडीयों का दरवाजा खुला ही रहता है. 
गर्मी के दिन थे, मैनें देखा की उनका सीडिओं का दरवाजा खुला ही था, इस लिए मैं नीचे लॉबी में चली गयी,, जैसे ही मैं नीचे गयी,, मुझे आहह आहह की आवाज़ें सुनाई दी,,, जो की बेडरूम से आ रही थी. मैनें दरवाजे के पास जाकर देखा तो चाचा जी चाची जी की चुदाई कर रहे थे,, चाची बैड के उपर घोड़ी बनी हुई थी और चाचा जी उनको पीछे से चोद रहे थे... मेरी तरफ दोनों की पीठ थी.. मैं वहीं दरवाजे के पीछे खड़ी उनकी चुदाई का मज़ा लेने लगी,, चाचा जी ज़ोर ज़ोर से झटके लगा रहे थे और चाची भी आअहह आहाहह करके सिसकारियाँ भर रही थी.. फिर चाचा जी ने अपना लंड चाची जी की चुत से निकाला और उनकी गांड में घुसाने लगे..

जब चाचा जी ने अपना लंड हाथ पकड़ा था तो मेरी नज़र उनके लंड पर पड़ी,, सच में मैनें आज तक ऐसा लंड नही देखा था,, उनके लंड की लंबाई क्रीब 9 इंच और मोटाई आगे से 3 इंच के क्रीब और पीछे से 4 इंच के क्रीब थी,, आगे से तो मोटा ही था मगर पीछे से और भी मोटा था. जो देखने में बहुत ही दमदार नज़र आ रहा था. चाचा जी अपने लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रहे थे और मैं उनके लंड को ललचाई नज़रों से देख रही थी.

तभी अचानक चाचा जी की नज़र मुझ पर गयी,, मगर मेरा सारा ध्यान उनके लंड की ओर था,, चाची अब भी घोड़ी बनी हुई थी,, चाचा जी ने मेरी ओर देखकर अपने लंड को ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया, फिर मैनें जब चाचा जी की ओर देखा तो वो मेरी ओर देखकर मुस्करा दिए,, मेरे भी होंठों से मुस्कराहट अपने आप निकल गयी और मैं जल्दी से भागती हुई वापिस सीडियों के रास्ते अपने घर लौट आई..

मेरी नज़र के सामने अब भी उनकी चुदाई का नज़ारा चल रहा था,, मेरी चूत में भी आग दहकने लगी थी और गीली होने लगी थी,, चाचा जी का लंड भी मेरी आँखों के सामने घूम रहा था,, मगर मेरे पास सबर करने के इलावा और कोई रास्ता नही था.. मैं चाचा जी के लंड के बारे में ही सोचते सोचते सो गयी..

फिर शाम को उठ कर घर के काम में लग गयी... मैनें सोचा चाचा जी अब खुद ही चारजर दे जाएँगे और वैसे भी अब उनके सामने जाने से मुझे शरम आ रही थी,,, मगर चाचा जी चारजर देने नही आए,,, मेरा मोबाइल बंद ही पड़ा रहा.

फिर अगली सुबह मैनें देखा की चाची जी कहीं जा रही थी,, वो भी अकेली,, इस का मतलब था की आज चाचा जी घर पर अकेले होंगे, क्योंकि उनके बेटा और बहू शहर में रहते हैं,, उनका एक नौकर है जो घर के पीछे बने कमरे में रहता है. मेरी चुत में फिर से खुजली होने लगी और चाचा जी का लंड मेरी नज़रों के सामने आ गया.. मेरी चुत बार बार चाचा जी के लंड से चुदाई करवाने को बोल रही थी..

मैनें घर के काम ख़तम किए और नहा कर बाल सूखा लिए और फिर पाजामा और शर्ट पहन कर अपने कमरे में लेट गयी.. दुपेहर हो चुकी थी,,, मैनें सासू माँ को देखा तो वो एसी लगा कर आराम से सो रही थी,, और ससुर जी तो आज घर पर नहीं थे.. इस लिए मैं चोरी चोरी फिर से सीडियों के रास्ते चारजर लेने के बहाने चाचा जी के घर चली गयी..

जैसे ही मैं लॉबी में पहुँची,,, सामने ही चाचा जी बैठे हुए थे,, घर में और कोई नही था,, चाचा जी मुझे देख कर मुस्कराने लगे और बोले - आओ कोमल,, मैं तो कल से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ,, तुम बाद में आई ही नही,, और कल ऐसे क्यों शर्मा कर भाग गयी थी.. और फिर तुमने काम भी नही बताया की किस लिए आई थी कल.. .?????मैनें शरमाते हुए कहा - चाचा जी,, मैं तो चारजर लेने आई थी,,, मुझे क्या पता था की आप और चाची यह सब कर रहे होंगे.. (मैनें आँखों को नीचे झुका कर बात करते हुए कहा) और आज भी चारजर लेने आई हूँ,, आज भी मैं तो डरती डरती आई हूँ की कहीं आज फिर वही देखने के ना मिल जाए..

चाचा जी मेरी बात सुनकर हस्ने लगे और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच कर अपने नज़दीक सोफे पर बिठा लिया और बोले की आज तो तुम्हारी चाची घर पर ही नही मैं अकेला ही हूँ,, और मैं अकेला किस के साथ वो सब करूँगा.. (साथ ही उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हुए कहा)

मगर मैनें उनसे थोड़ा दूर हटते हुए कहा - चाचा जी, अब दीजिए मेरा चारजर,, मुझे जल्दी जाना है,, मैं सासू माँ को बता कर भी नहीं आई..

चाचा जी फिर से मेरे साथ सॅट कर बैठ गये और बोले - कौन सा चारजर लोगी,, वही जिसे कल बड़े प्यार से देख रही थी.. चाचा जी की बात सुनकर मुझे हँसी आ गयी और मैने मुस्कराते हुए कहा - कौन सा चारजर चाचा जी,, मैनें तो कल कोई चारजर नहीं देखा,,, मैं तो अपने मोबाइल के चारजर की बात कर रही हूँ,,,
 
चाचा जी का एक हाथ मेरे कंधे पर था और दूसरे हाथ से उन्हुंने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा - क्यों बन रही हो कोमल,, मैनें देखा था जब तुम इसे देख रही थी और साथ ही उन्हुंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी धोती के उपर से ही अपने लंड वाली जगह पर रख दिया.. 

उनके लंड पर हाथ लगते ही मैनें अपनी उंगलियों को समेट लिया और बोली - जाने भी दीजिए चाचा जी,,, मैनें तो किसी को नहीं देखा,, और आप मेरे हाथ को कहाँ पर रख रहे हैं,, यह तो आपका वो है,,

चाचा जी बोले - वो क्या कोमल,,,, इसका नाम लेकर बताओ ना, और अब बनो मत,, कल तुम खुद ही तो इस को बड़े प्यार से देख रही थी और मुस्करा भी रही थी,,, (साथ ही चाचा जी ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपने साथ चिपका लिया और मेरी गर्दन पर अपनी नाक रगड़ने लगे.

मैनें फिर से बनते हुए कहा - चाचा जी, छोड़िए भी मुझे,, क्या कर रहें हैं आप,, छोड़िए ना, मुझे,,,,,,!!!! और मैं झूठ मूठ छुड़वाने की कोशिश करने लगी..

मगर चाचा जी ने मुझे अपनी बाहों में और कस लिया और बोले - छोड़ दूँगा कोमल,, बस एक बार मुझे भी अपनी जवानी दिखा दो,, तुमने भी तो कल मेरा वो देखा था....,,,,,,,,

मैं चाचा जी की बाहों से छूटने की झूठ मूठ कोशिश करने लगी और चाचा जी के बदन से अपने बदन को रगड़ना शुरू कर कर दिया ताकि चाचा जी की काम वासना और ज़्यादा बड़के,, और वो ज़्यादा ज़ोर से मुझे चोदे. बीच बीच में मैं चाचा जी के लंड को भी हाथ लगा कर उसको नीचे दबा देती ताकि उनका लंड भी और ज़्यादा कड़क हो जाए और मेरी चुत की दीवारों को फाड़ता हुया अंदर घुस जाए..चाचा जी को भी मुझे पकड़ के रखने में कोई ज़्यादा दिक्कत नहीं आ रही थी,, वो सिर्फ़ मेरी दोनों बाहों को पकड़ के मेरे पेट के आगे से हाथ डालकर बैठे बैठे ही मुझसे चिपके हुए थे.. उनका लंड एक दम तन चुका था,, क्योंकि मैं अपने हाथों से उसको महसूस कर चुकी थी,, वो कभी कभी अपने हाथों से मेरे बूब्स को भी शर्ट के उपर से ही दबा देते. मैं भी उनसे यह सब करवा के मज़ा ले रही थी.

फिर चाचा जी खड़े हो गये और उन्होंनें मुझे भी अपनी दोनों बलिष्ठ बाहों में उठा लिया,, और मुझे बैडरूम की ओर ले गये और मुझे बैड पर गिरा दिया,,, एक तरह से चाचा जी मेरे बलात्कार तक उतारू हो चुके थे,,, मगर वो नहीं जानते थे की कोमल खुद उनसे चुदाई करवाने के लिए ही आई है,,

मैनें भी इस नाटक को नाटक ही रहने देने के लिए सोचा और फिर से रूम से बाहर भागने की कोशिश की,, मगर चाचा जी ने फिर से मुझे पकड़ कर बैड पर गिरा दिया और खुद भी मेरे उपर चढ़ गये,, मैं ज़्यादा छोड़ नही मचा रही थी,, बलकि धीरे धीरे से चाचा जी को छोड़ देने के लिए कह रही थी,, मगर खुद भी उनकी बाहों से छूटने की कोशिश नही कर रही थी.

चाचा जी ने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए,, और मैं उनको झूठ मूठ रोकने की कोशिश करती रही. मेरी शर्ट के दो बटन खुल चुके थे और मेरे आधे बूब्स चाचा जी को सामने नज़र आ रहे थे,, अब बाकी दो बटन खुलते ही मेरे दोनों कबूतर आज़ाद होने वाले थे,, क्योंकि मैनें ब्रा नही पहनी हुई थी,, चाचा जी ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर दोनों तरफ़ फैला दिया और मेरे आधे नंगे बूब्स को ही अपनी ज़ुबान और दातों से काटने लगे,, मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था इस सारे नाटक को खेल कर, मैं भी अपने दोनों बूब्स को चाचा जी के मुँह पर दबा रही थी मगर चाचा जी को ऐसा करने से रोक भी रही थी,, वैसे भी अब चाचा जी कहाँ रुकने वाले थे,, वो तो मेरा बलात्कार कर के दम लेने वाले थे..

चाचा जी अपने दातों से मेरे बटन खोलने की कोशिश करने लगे,, मगर उनसे बटन नही खुल रहे थे,, फिर उन्होंने मेरे हाथ छोड़ दिए और मेरे दोनों बटन खोल दिए,, वो मेरी दोनों टाँगों के बीच में बैठे थे और इस खीचा खिचाई में उनकी धोती भी खुल चुकी थी,, और उनका तना हुया लंड मेरे पेट के उपर था,, मेरे दोनों बूब्स नंगे उनके सामने थे,, चाचा जी ने मेरे कबूतरों को फिर से अपने दोनों हाथों में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से दबाने और मसलने लगे,, 
मेरी दोनों चुचियाँ उनके हाथों में थी और फिर वो मेरी चुचियों को अपने मुँह में डालकर बारी बारी चूसने लगे,,  मैं उनके नीचे दबी हुई अपनी टाँगों को इधर उधर हिला रही थी, और  मेरे दोनों हाथ चाचा जी के बालों को पकड़े हुए थे,, वैसे तो मैं उनके सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थी मगर कभी कभी उनके बालों को खींच दिया करती ताकि चाचा जी को लगे की मैं उनसे छुड़वाने की कोशिश कर रही हूँ..

फिर चाचा जी ने मेरे पाजामे को पकड़ा ओर मेरी दोनों टाँगों को उपर उठा कर खींच दिया,, जिस से मेरा पाजामा मेरे घुटनों तक आ गया और मेरी चूत चाचा जी के सामने नंगी हो गयी,,, क्योंकि मैनें पेंटी भी नही पहनी थी,, चाचा जी बोले- वाहह कोमल,, तुमने तो मेरा काम आसान कर रखा है,, ज़्यादा कुछ उतारने की ज़रूरत ही नही नही पड़ी मुझे,, 
मैं चाचा जी को पीछे धकेलने की झूठी कोशिश कर रही थी,, मगर मुझे चाचा जी से ऐसा खेल खेलकर बहुत मज़ा आ रहा था,, चाचा जी ने फिर से मेरे बूब्स को मुँह मे लिया और चूसने लगे,, साथ ही एक हाथ से मेरी चुत को रब करने लगे,, मैं उनके नीचे पड़ी मचल रही,, चाचा जी का तना हुया लंड मेरी चुत से टकरा रहा था,,फिर चाचा जी ने अपने लंड को हाथ में पकड़ा और मेरी चुत के मुँह पर रख दिया,, लंड के चूत पर लगते ही मेरी चुत के होंठ खुल गये और चाचा जी एक हल्के से धके के साथ उनका आधा लंड मेरी चुत में घुस गया,, लंड के अंदर जाते ही मेरे मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी और मैनें भी अपने दोनों पैरों पर वजन डालते हुए अपने चूतड़ उपर उठा दिए, ताकि चाचा जी का पूरा लंड मेरी चुत में घुस जाए. मेरे ऐसा करने से चाचा जी का लंड और अंदर तक मेरी चुत में घुस गया और मैं खुद ही मचल मचल कर चाचा जी का लंड अपनी चुत में अंदर बाहर करने लगी. चाचा जी भी लंड को आगे पीछे करके मेरी चुत की ठुकाई कर रहे थे. उनका लंड पीछे से मोटा था इस लिए जब उनका पूरा लंड अंदर जाता तो मेरी चुत की दीवारों को और भी ज़्यादा खोल देता,, जिस से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

अब तक चाचा जी भी समझ चुके थे की मैं उनसे चुदने के लिए राज़ी हो गयी हूँ,, चाचा जी भी मुझे पूरे जोश मेंचोद रहे थे. उन्होंनें मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा तो मैं मुस्करा कर उनके साथ लिपट गयी,, और बोली - चाचा जी, देखिए ना आपने क्या कर दिया मेरे साथ...

चाचा जी बोले - तो क्या करता कोमल जान,, तुम इतनी खूबसूरत और हॉट हो, की अपने आप को रोक ही नही सका. और बताओ तुम को भी ऐसा करने में मज़ा आ रहा है ना,,

तो मैं बोली - बहुत मज़ा आ रहा है चाचा जी,, आपका चारजर है ही ऐसा, भला मज़ा क्यों नही आएगा..

अपने लंड की तारीफ सुनकर चाचा जी फिर से मेरी चुत को ताबड़तोड़ ठोकने लगे और मैं भी उनका साथ अपनी कमर हिला हिला कर देने लगी. मैं चरम्सीमा तक पहुँच चुकी थी,, और चाचा जी के लंड के ताबड़तोड़ धको की वजह से मेरी चुत ने अपना वीर्य छोड़ दिया,, मगर चाचा जी अब भी मेरी चुत को अपने भाले जैसे लंड से ठोके जा रहे थे. और मैं उनके बदन के नीचे उनके लंड के धको को अपनी चुत पर महसूस कर रही थी.

आख़िर चाचा जी भी अपनी गति बड़ाने लगे,, और मेरी टाँगों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगे.. फिर उन्होंनें जल्दी से अपना लंड मेरी चुत में से बाहर निकाला और मेरे पेट की तरफ सीधा कर दिया, और फिर एक जोरदार पिचकारी उनके लंड से निकल कर मेरे बूब्स तक आ गिरी,, और फिर उनका सारा .वीर्य मेरे पेट पर आ गिरा.. चाचा जी ने अपने लंड को पकड़े पकड़े ही मेरी तरफ देखा और बोले - कोमल,, कैसा लगा तुमको मेरा लंड,,
मैनें कहा - चाचा जी ,, बहुत मजेदार,, बहुत पसंद आया मुझको,, अगर आप मेरे साथ यह सब कुछ ना करते तो मुझे पता ही नही चलता की आपका लंड इतना मजेदार है..
फिर चाचा जी हंसते हुए मेरी बगल में लेट गये और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया,, मैं भी उनके लंड से खेलने लगी और साथ ही चाचा जी की धोती से अपने पेट पर गिरे वीर्य को साफ कर दिया,, कुछ ही देर में चाचा जी का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और चाचा जी फिर से मुझे चोदने के लिए मेरे उपर चढ़ गये,, मैंनें भी अपनी टाँगे खोल दी और चाचा जी का लंड फिर से मेरी चुत में समा गया,, उस दुपेहर चाचा जी ने मुझे दो बार और चोदा और फिर उनसे चुदाई करवा कर मैं अपने घर वापिस आ गयी,, सासू मां अभ भी सो रही थी,, और फिर मैं भी अपने रूम में सो गयी.
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Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
Very nice
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#3
(07-07-2019, 02:59 AM)Dhana amli Wrote: Very nice

सुन बहन, अच्छी बात तो ए होगी कि चाचा जी का लंड ले कर तु बच्चा पैदा कर ले, और बेटा औरद देवर अथवा ननद औऔर बेटी दोनो का अनुभव ले ले।
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#4
यार असली मज़ा चाची को चोदने में है ?
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#5
(18-07-2019, 09:54 AM)xboard1986 Wrote: यार असली मज़ा चाची को चोदने में है ?

तो देरी न कर , चाची को ही चुुुदवा दे। कहानी खुद आपका इंतजार  कर रही हैं। जल्दी अपडेट दे डालो।
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