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Adultery एक कहानी ऐसी भी
#1
शुरुआत उन दिनों से करते हैं जब हम पर ये पहाड़ टूटने शुरू हुए थे। पिताजी का एक्सीडेंट में देहांत हो गया था । तब मैं अयान 8 साल का दूसरी क्लास का स्टूडेंट था। लव मैरिज होने के चलते मम्मी के घर वालों ने उनसे नाता तोड़ लिया था। तब मम्मी की उम्र बस 27 की थी। मेरे परिवार में सिर्फ मैं H, मेरी मम्मी और मेरे दादाजी थे। तब 55 वर्षीय  दादाजी फौज से रिटायर्ड थे, और गांव में अपनी 15 बीघे की जमीन पर खेती बाड़ी किया करते थे।  मुझे याद है, उनके और गाँव वालों के सहयोग से ही हमने उन मुश्किल दिनों का सामना किया।

हालांकि लोगों ने बहुत समझाया, पर मम्मी ने दूसरी शादी करने से मना कर दिया। 2 साल हम गाँव पर दादाजी के साथ ही रहे , फिर गाँव वालों की हिदायतों से तंग आकर मम्मी ने वापस शहर आकर एक बुटीक खोल लिया। बुटीक के साथ साथ मम्मी 10वी तक के बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ा के हमारा खर्च निकलने लगी। क्योंकि पापा से शादी के बाद उन्हओने पढ़ाई छोड़ दी थी, तो वो फिर से अच्छी नोकरी की तलाश में डिग्री पूरी करने लगी, जोकि गाव के मुकाबले शहर में ज्यादा आसान था। दादाजी ने भी इस decision में मम्मी का साथ दिया और हमे शहर में सेटल कर आए। वो गांव में ही खेती करके हमे सपोर्ट करने लगे।

शहर में हम गांव के ही एक आदमी के घर पर किराए पर रहने लगे। उसका नाम रमेश था जिसके पास शहर में कारपेन्टरी का बिज़नेस था। उसने भी गांव को छोड़ दिया था और अपनी बीबी और 20 साल के लड़के कमल के साथ अपना बिज़नेस देखता था।

आब बात करते हैं मेरी मम्मी की। मम्मी का नाम रश्मि है। मम्मी का रंग गोरा लंबाई करीब 5'5" है। भरा हुआ बदन, जिसे देखकर मर्दो की नजर घूम जाए। अगर आप उन्हें इमेजिन ही करना चाहते हैं तो सनी लियोनी की तरह देखिये, बस पेट पर थोड़े से बॉडी फैट के साथ। हालांकि चेहरे में उनके नशे से ज्यादा क्यूटनेस है,उनकी बड़ी आंखों की बदौलत। पापा से उलट मम्मी शहर के एक अमीर घर से थी जिनका टेक्सटाइल बिज़नेस था। उनका सपना था मॉडलिंग का, जोकि मेरे पिताजी से भागकर शादी करने और फिर उनके गुजरने के बाद सपना ही बना रह गया। हालांकि उन्होंने खुद को माँ बनने के बाद भी मेन्टेन करके रख हुआ है।

परिवार के दूसरे सदस्य हैं मेरे दादाजी अजयबहादुर। वो फौज से रिटायर्ड 6'3" के पहलवान समझिये। लगातार hardships झेलने की वजह से चाहे वो खेती हो या ड्यूटी, उनकी फिटनेस काफी अच्छी थी।

और में इस कहानी का narrator अयान।
 
तो ये घटना उस समय की है जब मैं 6वीं में था। स्कूल से वापस आते वक्त मुझे मम्मी साथ लाती थी, क्योंकि उनका बुटीक स्कूल से घर के रास्ते पर पड़ता था। उस दिन जोरो की बारिश हुई थी, और मम्मी को आने में देर हो गयी थी। मैं, बारिश में अकेला ही घर की तरफ निकल पड़ा। रास्ते पूरे खाली थे। क्योंकि मैंने अपना बैग पॉलीथीन में कस के बांध रखा था तो मुझे किताब कॉपी के भीगने का खतरा नही था। अपने बेस्ट फ्रेंड राजीव के साथ मैं छपछापते चला आ रहा था। राजीव 14 साल का लड़का था जो मेरा क्लासमेट था। उसकी मम्मी हमारी क्लास टीचर थी,जोकि मेरा पहला क्रश भी थी। हमेशा उनके लाल होंठ और कसी चुचियाँ मेरा ध्यान आकर्षित करते थे। हालांकि तब ठरक की बजाए बस सीधा सा आकर्षण ही था। आज पता नही क्यों वो नही आई थी, जिसका फायदा हम दोनों उठा के बारिश में। भीगते हुए आ रहे थे।

भीगते खेलते जब हम आगे बढ़े तब मुझे एक जाना पहचाना चेहरा दिखाई दिया। ये मेरी मम्मी का ही चेहरा था जोकि एक दुकान की शेड के नीचे खड़ी थी। दुकान रमेश अंकल की थी जिसपर वो कारपेन्टरी से बने समान बेचते थे। मम्मी को देख के मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने उन्हें दूर से ही बुलाया, पर वो शायद बहुत ध्यान से किसी से बात कर रही थी। वो कमल भैया थे। उन्होंने हाथ दिखा के कुर्सी की ओर इशारा किया और मम्मी थोड़ा अंदर जाकर वहीं कुर्सी पर बैठ कर फिर से उनसे कुछ बातें करने लगीं।
कुर्सी पर बैठ के उनकी पीठ अब मेरी और राजीव की तरफ हो गयी। भागते हुए जब हम उनके पास तक पहुँचे तभी अच्चानक से वो कुर्सी से उठी और तेज़ आवाज़ में कमल भैया से बोलीं
"पागल हो गए हो क्या? समझ क्या रखा है? जाके रमेश भाई से बोल दो परसो तक उन्हें पूरी पाई मिल जाएगी जब पापाजी(मेरे दादाजी) गांव से आएंगे।"
 फिर एकाएक मुड़के वो वापस दुकान से बाहर उस तेज बारिश में जाने लगी तो हमसे भिड़ंत हो गयी। मेरी हाइट तो उतनी नही थी पर राजीव का मुँह सीधा मम्मी की भीगी छाती पर लगा , और वो धक्के से पीछे गिर पड़ा। मम्मी हमे देख के सकपका गयी। तुरंत हमे उठाया और डाँटना शुरू किया
 " तुम  रुक नही सकते थे अयान, अभी बीमार पड़ जाओगे तो पड़े रहना, नही कराउंगी तुहारा इलाज। और तुम राजीव, तुम्हारी मम्मी ने तुमको नही मना किया? साथ में उनके क्यों नही आये?"
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#2
राजीव मम्मी की चुचियो के संपर्क से अभी भी अभिभूत था। उनकी चुचियो को ही देखते हुए बोला "मम्मी.. बीमार थीं तो ..पापा थोड़ी देर में आने वाले थे। नही ..आये तो मैं चल दिया अयान के साथ।"
मम्मी ने अपना पल्लू खिचके अपने बड़े वक्षःस्थल को ढँका और फिर मुझे डांट लगाई " क्यों नही रुका मेरे लिए? आती न में तुझे लेने? अब भीग गया है तू देख सिर से पैरों तक"

"पर मम्मा आप भी तो पूरी भीग गयी हो, मुझे कैसे बचाती?छाता तो लाई नही आप"

मम्मी ऊपर से नीचे तक भीगी हुई थी। क्योंकि वो प्लेन रंग के कपड़े ही पहनती थी, तो साड़ी उनके शऱीर से चिपक सी गयी थी और पेटीकोट से ऊपर उनके बदन पर ब्लाउज और साड़ी पल्लू पारदर्शी ही हो गयी थी लगभग। उनके बालों से पानी टपक रहा था।  उनकी ब्रा ब्लाउज और साड़ी के नीचे भी झलक रही थी, पूरी नही, transducent। उनका पूरा शेप सामने दिखाई पड़ रहा था। पिच्छे पानी टपकता हुआ पीठ से उनकी गांड की दरारों में गया था जिससे कुर्सी पर बैठने की वजह से साड़ी उनकी गांड से चिपक गयी थी और पूरे शेप में थी।

अब मम्मी सकपका गयीं। कमल से heated conversation में शायद वो भूल ही गयीं की एकतो छाता घर भूल आयी,  ऊपर से तेज़ बारिश शुरू होने की वजह से वो सिर से कमर तक भीग भी गयीं हैं। जल्दी से उन्होंने अपनी साड़ी ठीक करने की नाकाम कोशिश करने लगीं। इस चक्कर में वो कभी झुकती, कभी अपने हाथों से अपने नितम्बो से चिपकी साड़ी छुड़ाती। मैंने देखा कि जबतक मम्मी अपनी मोडेस्टी छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, दुकान के अंदर कमल भैया और एक वर्कर जिसका नाम सुल्तान था, दोनों एक दूसरे को देख के हस्ते फिर मम्मी को अजीब मुस्कुराहट से घूरते। मम्मी को भी शायद उनका उन्हें इस तरह घूरना अच्छा नही लग रहा था। राजीव तो अब भी एकटक मम्मी को घूरे जा रहा था। मैन फिर से अंदर देखा, तो सुल्तान अपने पॉकेट में हाथ डाल कर खड़ा था और कमल भैया शैतानी भारी निगाहों से मम्मी को देख रहे थे, और हाथों से सुल्तान को तरह तरह के इशारे करके दोनों है रहे थे। मम्मी ने आसमान की तरफ लाचारी से देखा। बारिश खत्म होने का नाम नही ले रही थी। तभी राजीव बोल पड़ा 
"अरे आंटी, भीग तो गए ही हैं। अगर तेज चले तो जल्दी घर पहुच के सूख भी जाएंगे"
आईडिया तो अच्छा था। मम्मी को भी उन ठरकी निगाहों से बचना था। उन्होंने कुछ देर सोचा, फ़िर पिच्छे दुकान में देखा। सुल्तान अब भी पॉकेट में हाथ डाले खड़ा था और मम्मी को आँखों में देखते हुए अपने दांत दिख के मुस्कुरा रहा था। कमल भैया को जैसे ही उन्हओने देखा तो वो बोल पड़े " अरे , आईडिया अच्छा दिया है आपको मैंने। थोड़ा सोच लेना फिर आगे  बहुत काम आएगा.." बोलकर उसने अपने सीने पर एक बार हाथ फिराया फिर सुल्तान को देखकर खी खी करके हल्की हँसी हंस दिया।

इतना सुन्ना था कि मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ा और तुरंत ही उस तेज़ बारिश में हम घर की तरफ चल दिये। राजीव हमारे पीछे पीछे चल दिया। राजीव अब भी मम्मी के पीछे उनकी गांड को घूरता हुआ चला आ रहा था, उसी वक़्त मैंने उसके भीगे हुए पैंट को थोड़ा बाहर तना हुआ देखा। रास्ते में सब अपने दुकानों और घरों में बैठे हमे जाते देख रहे थे। अब तो मुझे लगता है कि कइयो ने उस दिन मम्मी को देख के मुठ मार दी होगी। पक्का उस दिन के बाद मम्मी उस मोहल्ले की हीरोइन बन चुकी होंगी।

हम घर पहुचते ही मम्मी तौलिया लेके आयी और मेरा सिर पोंछने लगीं। इस सारी जल्दी बाजी और बकचोदी के  बीच उनको अब भी ध्यान नही गया कि वो पूरी भीग चुकी हैं और अब तो उनका पूरा बदन ही उस प्लेन साड़ी के ऊपर झलक रहा था (खासतौर पर उनकी गांड और चुचियाँ का क्लीवेज)। जल्दी से उन्होंने मुझे बाथरूम भेजा ताकि मैं कपड़े बदल लू फिर तौलया लेकर उन्होंने राजीव को सुखाना चालू कर दिया। राजीव डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठा था मम्मी की ओर चेहरा करके। मम्मी झुक कर उसके सिर और चेहरे को तौलिये से पोंछ रहीं थी। उनकी भीगी हुई हिलती चुचियाँ पूरी तरह से झलक रही थीं और राजीव चैन से उन्हें एकटक निहारे जा रहा था। पता नही मम्मी ने ये नोटिस किया या नही या नोटिस करके इग्नोर कर कर दिया क्योंकि उनकी नजर में राजीव अब भी बच्चा ही था। उसका सिर पोंछने के बाद मम्मी राजीव को पहनने को मेरे कुछ कपड़े लाने कमरे की तरफ चल दी तो उनकी बड़ी गांड भीगी हुई साड़ी और पेटीकोट के अंदर से ही झलक पड़ी। राजीव ने अपना सारा ध्यान मम्मी के ऊपर ही कंसन्ट्रेट कर दिया था। जैसे ही में कपड़े बदलकर आया तो देखा राजीव मम्मी के पीछे ही घूरे जा रहा है और अपना एक हाथ उसने अपने पैंट की ज़िप पर रखकर उसे दबा रहा है। मम्मी के रूम में घुसकर ओझल होते ही उसे मेरे वहां होने का ध्यान आया और उसने झट से अपना हाथ टेबल पर रख लिया। पर उसका पैंट तो अब भी छोटे तंबू की तरह तना हुआ ही था।
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#3
मम्मी रूम से बाहर आयीं और उन्होंने राजीव को मेरे शॉर्ट्स और टिशर्ट देदी। वो अब भी भीगी हुई थी और उनकी लंबी घनी ज़ुल्फ़ें अब उनकी छाती पर चिपक गयी थीं। राजीव ने कपड़े लिए और अचानक से उठ कर मम्मी को हग करते हुए कहा " थैंक्यू आंटी"। हालांकि वो झप्पी देने के तुरंत बाद ही हट गया पर मुझे उसका चेहरा मम्मी की चुचियो पर दबाना साफ दिखाई दिया। उसने अपने हाथ भी कसकर मम्मी की कमर और गांड पर लपेटे और फिर तुरंत अलग हो गया। मम्मी को ये  उसका बचपना लगा और उन्होंने हँसकर उसे "वेलकम बेटा" बोल कर प्यार से उसका गाल खिंच लिया और चेंज करने अपने रूम की तरफ जाते हुए बोली 
"अयान फ्रिज में दूध रखा है उसे गरम करके तुम दोनों पियो तबतक मैं नहा के आती हूं।"
मैंने देखा राजीव कपड़े बदल रहा है, और मम्मी ने बाथरूम में घुसकर दरवाज़ा लगा लिया था। मैं उठा और फ्रिज से दूध का भगोना निकल कर उसे गरम करने चला गया। 10 मिनट के बाद मुझे लगा कि राजीव कुछ ज्यादा ही शांत है जबसे वो घर पर आया है। मैं दो गिलास दूध लेकर साइनिंग टेबल पर आया तो राजीव को वहां से नदारद पाया। टेबल पर दूध रख कर मैंने नजर घुमाई तो राजीव को बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा पाया। दरवाज़ा थोड़ा खुला था, मम्मी अंदर नहा रही थी और शायद जल्दी में दरवाज़ा लॉक करने की बजाए बस लगा के भूल गयीं थी। मैंने राजीव को आवाज़ दी तो उसने घूम कर मुह पर उंगली रख कर मुझे चुप होने का इशारा किया और हाथ के इशारे से मुझे बुलाकर फिर अंदर झांकने लगा। वहाँ पहुचकर अंदर झांकते ही मेरी घिग्घी बांध गयी। मम्मी की पीठ हमारी तरफ थी और वो शावर में खड़ी थीं। उनके चेहरे पर शावर की बौछारें गिर रही थीं और सिर से पैर तक बहते हुए आ रही थीं। उनका चिकना गोरा बदन cfl की दूधिया रोशनी में चमक रहा था और उनकी गांड के दो तकिये हमारी तरफ मटक रहे थे। पहली बार मैं ने औरत के शरीर को नंगा देखा था। मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी और चेहरा लाल होने लगा। तभी राजीव ने अपनी पैंट में अपना हाथ डाला और जोर जोर से अपना हाथ उसमे हिलाने लगा, जो मेरे उस अबोध दिमाग से परे था। तभी शावर में नहाती हुई मम्मी घूमी। एक सेकेंड के लिए मेरी नजरे उनके बड़ी छातियों पर टिक गयीं। मुझे इतना दिखा की मम्मी की आंखे बंद हैं, और जैसे ही मेरी नजर उन  गोल चुचियो पर पड़ी और मुझे कुछ समझ आता राजीव नें मुझे जोर से किनारे खीच लिया और मुझे पकड़कर वो डाइनिंग टेबल की तरफ ले आया। शायद मम्मी को भी शावर में घूमने के बाद आंख खोलने पर अहसास हुआ होगा  कि दरवाज़ा खुला छोड़ रखा है और उन्होंने दरवाज़ा बंद करके अंदर कुंडी लगा दी। कुंडी लगते ही राजीव ने जोर की सांस ली और छोड़ी, और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।मेरी तो गांड अब भी फटी थी कि कही मम्मी ने हमे देख न लिया हो।
 
मैंने कहा " क्या बेवकूफी कर रहे थे, मम्मी ने हमे देखा होगा तो अभी वो हमे पीटकर घर से निकाल देंगी। एकदम ही पागल हो गए हो क्या?"
राजीव:- "अगर उन्होंने देखा होता तो तभी शामत आ जाती।" दूध का गिलास उठाते हुए बोलना जारी रखा " भाई कसम से मजा आ गया। रियल लाइफ एक्सपेरिएंस.." अपने पैंट को ज़िप के पास से ऊपर से ही सहलाते हुए बोला " भाई प्लीज बुरा मत मानियो, (बाथरूम की तरफ देखते हुए) पर  मेरे से कंट्रोल नही हुआ.। तेरा तो मुह ही सिकुड़ा है। देख अगर तुझे बुरा लगा तो मैं आज के बाद कभी यहां नही आऊंगा..। अब कुछ बोल ..."
उसकी बात को काट कर मैं बोल पड़ा " बस मरवा दोगे तुम। नाराज़ क्या होना मुझे तो पता ही नही इसमे मजा क्या है। नहाती ..हुई नंगी. औ..रत को देख.. ने.. " मुझे वो सीने दोबारा याद आने लगे। मटकती गांड, पानी में भीगी गर्दन से बलखाती बूंदे, बड़ी गोल चुचियों पर गिरता पानी। मैं चुप हो गया।

राजीव:- "देखा मजा आया ना। अब तुझे पता चला असली मजा क्या होता है ज़रा देख नीचे अपने पैंट को कैसा उछला पड़ा है खुशी के मारे"

मैने नीचे देखा। मेरा भी पैंट तंबू बन गया था। तो लंड खड़ा होने का ये मतलब होता है आज मेरी समझ में आ गया था।मैंने राजीव को देखा, उसने इशारे से उस तंबू को दबाने को बोला। मैंने अपना पैंट खोला, तो देखा मेरा हमेशा लटका हुआ छोटा सा नुन्नु बड़ी ताकत से उफान मारते हुए ऊपर नाभि तक तन गया। तुरंत मैने अपना पैंट बंद कर दिया। पैंट के इलास्टिक से दबते ही मुझे अपने नुन्नु में ज़ोर की सिहरन हुई। मैं सकपकाया और राजीव की ओर देखा। 

राजीव:- "जो तूने देखा उसे लंड कहते हैं। " (हँसने लगा) अब असली मजा चाहिए तो दबा उसे नीचे। जबतक मजा आ रहा है दबाता रह। बस एक बात, जो नज़ारा अभी देखा उसे दिमाग में रखियो बस।
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#4

मैंने बाथरूम के दरवाजे की ओर देखा तो सब वापस दिमाग में घूम गया। पैंट के ऊपर से ही मैंने अपने लंड को दबाना शुरू किया, तो मुझे हल्का हल्का दर्द महसूस हुआ। अपने उस छोटे नुन्नु को इतना कड़क मैंने कभी महसूस नही किया था। ज़रा सा भी दाये या बायें हिलने पर उसमे अजीब सा दर्द होता जो बिलकुल नशीला था। जी करता कि ये बार बार होता रहे। तो मैंने और ज़ोर से उसे दबाने शुरू कर दिया। मैं ये सब बाथरूम के दरवाजे की तरफ देख कर ही कर रहा था कि दरवाजा खुला और मम्मी बाहर निकली। राजीव भी तुरंत पीछे घूमा और घूरता ही राह गया।
  मम्मी ने अपना पेटीकोट अपनी चुचियों के ऊपर से ही पहना था जिसकी वजह से उनका पेटीकोट उनकी जांघो तक था। हालांकि वो रोज़ ही ऐसे ही बाथरूम से बाहर निकलती थी पर आज उन्हें देख कर मन कुलांचे भरने लगा। वो अपने कमरे की ओर मुड़कर जाने लगी तो उनकी गांड और जांघों की उस कल्पना मात्र से ही मेरी आँखें बंद हो गयी। मम्मी रूम में जा चुकी थी और यहाँ मेरा आनंद चरम पर था। एक ज़ोर का मीठा दर्द हुआ और झटके के साथ ही सब खत्म हो गया। मुझे नार्मल होने में अब भी 2-3 मिनट का समय लगा।

राजीव:-" क्यों मजा आया? इसे कहते हैं झड़ना।" 
मैं:-" ..हाँ भाई"।
राजीव:- कुछ निकलता महसूस हुआ?
मैं:- "क्या.. किधर"?

राजीव:-" चल टाइम के साथ वो भी सीख जाएगा। अभी दूध खत्म कर ठंडा हो रहा।" बोलकर राजीव अपने दूध का गिलास गटकने लगा। मेरे मन में भी अजीब सी शांति हो चुकी थी। मैंने भी अपना दूध का गिलास गटकना शुरू किया। मम्मी कपड़ा चेंज करके अपने सलवार कुर्ते में बाहर आई। पर पता नही अबकी बार उन्हें देख कर उतना उतावलापन नही हुआ जितना उनको पेटीकोट में बाथरूम के बाहर देख के हुआ था। वो छोड़ो, आज से पहले मुझे कभी ऐसा फील ही नही हुआ था। मम्मी किचन में जाकर कुछ गरमागरम खाने को बनाने लगीं। भूख तो ज़ोरो की लगी ही थी। बाहर अब भी बारिश हो रही थी। मैं और राजीव भी अपनी बातों में  व्यस्त हो गए।
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#5
Update please
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#6
Nice story. Aage bhi badhegi ya fir yahin par the end??
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